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Adultery तरक्की का सफ़र
#33
मुबारक हो, शबनम कह रही थी कि, तुमने शादी कर ली, उसने अपने हाथों से अपने आँसू पौंछते हुए कहा।

ऑय एम सॉरी रजनी! प्लीज़ शाँत हो जाओ, अपने आप को संभालो, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा। 
 
डरो मत! मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा करूँगी। क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?” उसने हँसते हुए अपने रूमाल से अपने आँसू पौंछे।
 
मेरा विश्वास करो रजनी! मैं लाचार था, पिताजी ने शादी पक्की कर दी और मैं उन्हें ना नहीं कर सका, मैंने कहा।
 
मैं समझती हूँ! शायद यही तकदीर को मंजूर था, उसने जवाब दिया।
 
मैं रजनी को लेकर प्रीती के पास आ गया।
 
प्रीती इनसे मिलो! ये रजनी है, अपने एम-डी की भतीजी!!
 
और रजनी ये प्रीती है, मेरी पत्नी।
 
मममम तुम्हारी बीवी काफी सुंदर है, इसलिये तुमने फटाफट शादी कर ली, उसने हँसते हुए कहा। हम तीनों बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं बोला, तुम लोग बातें करो, मैं एम-डी से मिलकर आता हूँ।
 
मैं अपने एम-डी और मिस्टर महेश के पास पहुँचा तो देखा कि वो लोग कुछ डिसकशन कर रहे थे। इतने में एम-डी मुझसे बोले, हे राज! वहाँ खड़े मत रहो, एक कुर्सी खींचो और यहाँ बैठ जाओ।
 
मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।
 
सर!! आपने उस औरत को देखा?” महेश ने एम-डी से पूछा।
 
किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।
 
वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।
 
हाँ देखा! काफी सुंदर है! एम-डी ने जवाब दिया।
 
सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे.... महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।
 
हाँ महेश!!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है.... एम-डी ने कहा।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 26-04-2020, 07:43 PM



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