26-04-2020, 07:19 PM
(This post was last modified: 26-04-2020, 07:23 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
“नहीं तुम बुरा मान जाओगी। मैं तुम्हारा दिल दुखाना नहीं चाहता।”
“मुझे कुछ नहीं होगा! आप कहो तो.... क्या आप कहना चाहते हैं कि जावेद और नसरीन भाभी जान के बीच.....” मैंने जानबूझ कर अपने वाक्य को अधुरा ही रहने दिया।
वो भोंचक्के से कुछ देर तक मेरी आँखों में झाँकते रहे।
“मुझे सब पता है.... मुझे पहले ही शक हो गया था। जावेद को जोर देकर पूछा तो उसने कबूल कर लिया।”
“तुम..... तुमने कुछ कहा नहीं? तुम नयी बीवी हो उसकी..... तुमने उसका विरोध नहीं किया?” फिरोज़ ने पूछा। “विरोध तो आप भी कर सकते थे। आप को सब पता था लेकिन आप ने कभी दोनों को कुछ कहा नहीं। आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी,” मैंने उलटा उनसे ही सवाल किया।
“चाह कर भी कभी नहीं किया। मैं दोनों को बेहद चाहता हूँ और.....”
“और क्या?”
“और..... नसरीन मुझे कमज़ोर समझती है।” कहते हुए उन्होंने अपना चेहरा नीचे झुका लिया। मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर अपने को रोक नहीं पायी और मैंने उनके चेहरे को अपनी हथेली में भरकर उठाया। मैंने देखा कि उनकी आँखों के कोनों पर दो आँसू चमक रहे हैं। मैं ये देख कर तड़प उठी। मैंने अपनी अँगुलियों से उनको पोंछ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया। वो किसी बच्चे की तरह मेरी छातियों से अपना चेहरा सटाये हुए थे।
“आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नहीं करवायी?” मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए पूछा।
“दिखाया था... कईं बार चेक करवाया...”
“फिर?”
“डॉक्टर ने कहा....” दो पल को वो रुके। ऐसा लगा मानो सोच रहे हों कि मुझे बतायें या नहीं। फिर धीरे से बोले, “मुझ में कोई कमी नहीं है।“
“क्या?” मैं जोर से बोली, “फिर भी आप सारा कसूर अपने ऊपर लेकर चुप बैठे हैं। आपने भाभी जान को बताया क्यों नहीं? ये तो बुजदिली है!”
“अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी। लेकिन मैं उसकी उम्मीद को तोड़ना नहीं चाहता। भले ही वो सारी ज़िंदगी मुझे एक नामर्द समझती रहे।”
“मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो नसरीन भाभी जान ने नहीं दिया।”
उन्होंने चौंक कर मेरी तरफ़ देखा। उनकी गहरी आँखों में उत्सुक्ता थी मेरी बात का आशय सुनने की। मैंने आगे कहा, “मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा दूँगी।”
“क्या???? कैसे??” वो हड़बड़ा उठे।
“अब इतने बुद्धू भी आप हो नहीं कि समझाना पड़े कैसे!” मैं उनके सीने से लग गयी, “अगर वो दोनों आपकी चिंता किये बिना जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?” मैंने अपनी आँखें बंद करके फुसफुसाते हुए कहा जो उनके अलावा किसी और को सुनायी नहीं दे सकता था।
“मुझे कुछ नहीं होगा! आप कहो तो.... क्या आप कहना चाहते हैं कि जावेद और नसरीन भाभी जान के बीच.....” मैंने जानबूझ कर अपने वाक्य को अधुरा ही रहने दिया।
वो भोंचक्के से कुछ देर तक मेरी आँखों में झाँकते रहे।
“मुझे सब पता है.... मुझे पहले ही शक हो गया था। जावेद को जोर देकर पूछा तो उसने कबूल कर लिया।”
“तुम..... तुमने कुछ कहा नहीं? तुम नयी बीवी हो उसकी..... तुमने उसका विरोध नहीं किया?” फिरोज़ ने पूछा। “विरोध तो आप भी कर सकते थे। आप को सब पता था लेकिन आप ने कभी दोनों को कुछ कहा नहीं। आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी,” मैंने उलटा उनसे ही सवाल किया।
“चाह कर भी कभी नहीं किया। मैं दोनों को बेहद चाहता हूँ और.....”
“और क्या?”
“और..... नसरीन मुझे कमज़ोर समझती है।” कहते हुए उन्होंने अपना चेहरा नीचे झुका लिया। मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर अपने को रोक नहीं पायी और मैंने उनके चेहरे को अपनी हथेली में भरकर उठाया। मैंने देखा कि उनकी आँखों के कोनों पर दो आँसू चमक रहे हैं। मैं ये देख कर तड़प उठी। मैंने अपनी अँगुलियों से उनको पोंछ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया। वो किसी बच्चे की तरह मेरी छातियों से अपना चेहरा सटाये हुए थे।
“आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नहीं करवायी?” मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए पूछा।
“दिखाया था... कईं बार चेक करवाया...”
“फिर?”
“डॉक्टर ने कहा....” दो पल को वो रुके। ऐसा लगा मानो सोच रहे हों कि मुझे बतायें या नहीं। फिर धीरे से बोले, “मुझ में कोई कमी नहीं है।“
“क्या?” मैं जोर से बोली, “फिर भी आप सारा कसूर अपने ऊपर लेकर चुप बैठे हैं। आपने भाभी जान को बताया क्यों नहीं? ये तो बुजदिली है!”
“अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी। लेकिन मैं उसकी उम्मीद को तोड़ना नहीं चाहता। भले ही वो सारी ज़िंदगी मुझे एक नामर्द समझती रहे।”
“मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो नसरीन भाभी जान ने नहीं दिया।”
उन्होंने चौंक कर मेरी तरफ़ देखा। उनकी गहरी आँखों में उत्सुक्ता थी मेरी बात का आशय सुनने की। मैंने आगे कहा, “मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा दूँगी।”
“क्या???? कैसे??” वो हड़बड़ा उठे।
“अब इतने बुद्धू भी आप हो नहीं कि समझाना पड़े कैसे!” मैं उनके सीने से लग गयी, “अगर वो दोनों आपकी चिंता किये बिना जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?” मैंने अपनी आँखें बंद करके फुसफुसाते हुए कहा जो उनके अलावा किसी और को सुनायी नहीं दे सकता था।