26-04-2020, 07:16 PM
“लेटी रहो,” उन्होंने माथे पर अपनी हथेली रखते हुए कहा, “अब कैसा लग रहा है शहनाज़?”
“अब काफी अच्छा लग रहा है।” तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरा गाऊन सामने से कमर तक खुला हुआ है और मेरी गोरी-चिकनी चूत जेठ जी को मुँह चिढ़ा रही है। कमर पर लगे बेल्ट की वजह से पूरी नंगी होने से रह गयी थी लेकिन ऊपर का हिस्सा भी अलग होकर एक निप्पल को बाहर दिखा रहा था। मैं शरम से एक दम पानी-पानी हो गयी। मैंने झट अपने गाऊन को सही किया और उठने लगी। जेठजी ने झट अपनी बाँहों का सहारा दिया। मैं उनकी बाँहों का सहारा ले कर उठ कर बैठी लेकिन सिर जोर का चकराया और मैंने सिर को अपने दोनों हाथों से थाम लिया। जेठ जी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने अपने चेहरे को उनके घने बालों से भरे मजबूत सीने में घुसा कर आँखें बंद कर लीं। मुझे आदमियों का घने बालों से भरा सीना बहुत सैक्सी लगता है। जावेद के सीने पर बाल बहुत कम हैं लेकिन फिरोज़ भाई जान का सीना घने बालों से भरा हुआ है। कुछ देर तक मैं यूँ ही उनके सीने में अपने चेहरे को छिपाये उनके जिस्म से निकलने वाली खुश्बू अपने जिस्म में समाती रही। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में संभाल कर मुझे बिस्तर के सिरहाने से टिका कर बिठाया। मेरा गाऊन वापस अस्त-व्यस्त हो रहा था। जाँघों तक टांगें नंगी हो गयी थी। मैंने अपने सैंडल खोलने के लिये हाथ आगे बढ़ाया तो वो बोले पड़े, “इन्हें रहने दो शहनाज़ .... अच्छे लगते हैं तुम्हारे पैर इन स्ट्रैपी हाई-हील सैंडलों में।” मैं मुस्कुरा कर फिर से पीछे टिक कर बैठ गयी।
मुझे एक चीज़ पर खटका हुआ कि मेरी जेठानी नसरीन और जावेद नहीं दिख रहे थे। मैंने सोचा कि दोनों शायद हमेशा कि तरह किसी चुहलबाजी में लगे होंगे या वो भी मेरी तरह नशे में चूर होकर कहीं सो रहे होंगे। फिरोज़ भाई जान ने मुझे बिठा कर सिरहाने के पास से ट्रे उठा कर मुझे एक कप कॉफी दी।
“ये... ये आपने बनायी है?” मैं चौंक गयी क्योंकि मैंने कभी जेठ जी को किचन में घुसते नहीं देखा था।
“हाँ! क्यों अच्छी नहीं बनी है?” फिरोज़ भाई जान ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा।
“नहीं नहीं! बहुत अच्छी बनी है,” मैंने जल्दी से एक घूँट भर कर कहा, “लेकिन भाभी जान और वो कहाँ हैं?”
"वो दोनों कोई फ़िल्म देखने गये हैं... छः से नौ.... नसरीन जिद कर रही थी तो जावेद उसे ले गया है।”
“लेकिन आप? आप नहीं गये?” मैंने हैरानी से पूछा।
“तुम नशे में चूर थीं। अगर मैं भी चला जाता तो तुम्हारी देख भाल कौन करता?” उन्होंने वापस मुस्कुराते हुए कहा। फिर बात बदलने के लिये मुझसे आगे बोले, “मैं वैसे भी तुमसे कुछ बात कहने के लिये तनहाई खोज रहा था।”
“क्यों? ऐसी क्या बात है?”
“तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?”
“नहीं! आप बोलिये तो सही,” मैंने कहा।
“मैंने तुमसे पूछे बिना दिल्ली में तुम्हारे कमरे से एक चीज़ उठा ली थी,” उन्होंने हिचकते हुए कहा।
“क्या?”
“ये तुम दोनों की फोटो,” कहकर उन्होंने हम दोनों की हनीमून पर सलमान द्वारा खींची वो फोटो सामने की जिसमें मैं लगभग नंगी हालत में जावेद के सीने से अपनी पीठ लगाये खड़ी थी। इसी फोटो को मैं अपने ससुराल में चारों तरफ़ खोज रही थी। लेकिन मिली ही नहीं थी। मिलती भी तो कैसे, वो स्नैप तो जेठ जी अपने सीने से लगाये घूम रहे थे। मेरे होंठ सूखने लगे। मैं फटीफटी आँखों से एक टक उनकी आँखों में झाँकती रही। मुझे उनकी गहरी आँखों में अपने लिये मोहब्बत का बेपनाह सागर उफ़नते हुए दिखायी दिया।
“अब काफी अच्छा लग रहा है।” तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरा गाऊन सामने से कमर तक खुला हुआ है और मेरी गोरी-चिकनी चूत जेठ जी को मुँह चिढ़ा रही है। कमर पर लगे बेल्ट की वजह से पूरी नंगी होने से रह गयी थी लेकिन ऊपर का हिस्सा भी अलग होकर एक निप्पल को बाहर दिखा रहा था। मैं शरम से एक दम पानी-पानी हो गयी। मैंने झट अपने गाऊन को सही किया और उठने लगी। जेठजी ने झट अपनी बाँहों का सहारा दिया। मैं उनकी बाँहों का सहारा ले कर उठ कर बैठी लेकिन सिर जोर का चकराया और मैंने सिर को अपने दोनों हाथों से थाम लिया। जेठ जी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने अपने चेहरे को उनके घने बालों से भरे मजबूत सीने में घुसा कर आँखें बंद कर लीं। मुझे आदमियों का घने बालों से भरा सीना बहुत सैक्सी लगता है। जावेद के सीने पर बाल बहुत कम हैं लेकिन फिरोज़ भाई जान का सीना घने बालों से भरा हुआ है। कुछ देर तक मैं यूँ ही उनके सीने में अपने चेहरे को छिपाये उनके जिस्म से निकलने वाली खुश्बू अपने जिस्म में समाती रही। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में संभाल कर मुझे बिस्तर के सिरहाने से टिका कर बिठाया। मेरा गाऊन वापस अस्त-व्यस्त हो रहा था। जाँघों तक टांगें नंगी हो गयी थी। मैंने अपने सैंडल खोलने के लिये हाथ आगे बढ़ाया तो वो बोले पड़े, “इन्हें रहने दो शहनाज़ .... अच्छे लगते हैं तुम्हारे पैर इन स्ट्रैपी हाई-हील सैंडलों में।” मैं मुस्कुरा कर फिर से पीछे टिक कर बैठ गयी।
मुझे एक चीज़ पर खटका हुआ कि मेरी जेठानी नसरीन और जावेद नहीं दिख रहे थे। मैंने सोचा कि दोनों शायद हमेशा कि तरह किसी चुहलबाजी में लगे होंगे या वो भी मेरी तरह नशे में चूर होकर कहीं सो रहे होंगे। फिरोज़ भाई जान ने मुझे बिठा कर सिरहाने के पास से ट्रे उठा कर मुझे एक कप कॉफी दी।
“ये... ये आपने बनायी है?” मैं चौंक गयी क्योंकि मैंने कभी जेठ जी को किचन में घुसते नहीं देखा था।
“हाँ! क्यों अच्छी नहीं बनी है?” फिरोज़ भाई जान ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा।
“नहीं नहीं! बहुत अच्छी बनी है,” मैंने जल्दी से एक घूँट भर कर कहा, “लेकिन भाभी जान और वो कहाँ हैं?”
"वो दोनों कोई फ़िल्म देखने गये हैं... छः से नौ.... नसरीन जिद कर रही थी तो जावेद उसे ले गया है।”
“लेकिन आप? आप नहीं गये?” मैंने हैरानी से पूछा।
“तुम नशे में चूर थीं। अगर मैं भी चला जाता तो तुम्हारी देख भाल कौन करता?” उन्होंने वापस मुस्कुराते हुए कहा। फिर बात बदलने के लिये मुझसे आगे बोले, “मैं वैसे भी तुमसे कुछ बात कहने के लिये तनहाई खोज रहा था।”
“क्यों? ऐसी क्या बात है?”
“तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?”
“नहीं! आप बोलिये तो सही,” मैंने कहा।
“मैंने तुमसे पूछे बिना दिल्ली में तुम्हारे कमरे से एक चीज़ उठा ली थी,” उन्होंने हिचकते हुए कहा।
“क्या?”
“ये तुम दोनों की फोटो,” कहकर उन्होंने हम दोनों की हनीमून पर सलमान द्वारा खींची वो फोटो सामने की जिसमें मैं लगभग नंगी हालत में जावेद के सीने से अपनी पीठ लगाये खड़ी थी। इसी फोटो को मैं अपने ससुराल में चारों तरफ़ खोज रही थी। लेकिन मिली ही नहीं थी। मिलती भी तो कैसे, वो स्नैप तो जेठ जी अपने सीने से लगाये घूम रहे थे। मेरे होंठ सूखने लगे। मैं फटीफटी आँखों से एक टक उनकी आँखों में झाँकती रही। मुझे उनकी गहरी आँखों में अपने लिये मोहब्बत का बेपनाह सागर उफ़नते हुए दिखायी दिया।