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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#31
मेरे वहाँ पहुँचने के बाद जावेद के काफी सब-ऑर्डीनेट्स मिलने के लिये आये। उसके कुछ दोस्त भी थे। जावेद ने मुझे खास-खास कॉंट्रेक्टरों से भी मिलवाया। वो मुझे हमेशा एक दम बनठन के रहने के लिये कहते थे। मुझे सैक्सी और एक्सपोज़िंग कपड़ों मे रहने के लिये कहते थे। वहाँ पार्टियों और गेट- टूगेदर में सब औरतें एक दम सैक्सी कपड़ों में आती थी। जावेद वहाँ दो क्लबों का मेंबर था, जो सिर्फ बड़े लोगों के लिये थे। बड़े लोगों की पार्टियाँ देर रात तक चलती थीं और पार्टनर्स बदल-बदल कर डाँस करना, शराब पीना, उलटे सीधे मजाक करना और एक दूसरे के जिस्म को छूना आम बात थी। 

शुरू-शुरू में तो मुझे बहुत शरम आती थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं इस माहौल में ढल गयी। कुछ तो मैं पहले से ही चंचल थी और पहले गैर मर्द, मेरे नन्दोई ने मेरे शरम के पर्दे को तार-तार कर दिया था। अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों में जाने में ज्यादा झिझक महसूस नहीं होती थी। जावेद भी तो यही चाहता था। जावेद चाहता था कि मुझे सब एक सिडक्टिव औरत के रूप में जानें। वो कहते थे कि जो औरत जितनी फ़्रैंक और ओपन मायंडिड होती है, उसका हसबैंड उतनी ही तरक्की करता है। इन सबका हसबैंड के रेप्यूटेशन पर और बिज़नेस पर भी फ़र्क पड़ता है। 
 
हर हफ्ते एक-आध इस तरह की गैदरिंग हो ही जाती थी। मैं इनमें शमिल होती लेकिन किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात से झिझकती थी। शराब पीने, नाच गाने तक और ऊपरी चूमा चाटी तक भी सब सही था, लेकिन जब बात बिस्तर तक आ जाती तो मैं चुपचाप अपने को उससे दूर कर लेती थी।
 
वहाँ आने के कुछ दिनों बाद जेठ और जेठानी वहाँ हमारे पास आये । जावेद भी समय निकाल कर घर में ही घुसा रहता था। बहुत मज़ा आ रहा था। खूब हंसी मजाक चलता। देर रात तक नाच गाने और पीने-पिलाने का प्रोग्राम चलता रहता था। फिरोज़ भाई जान और नसरीन भाभी काफी खुश मिजाज़ के थे। उनके निकाह को चार साल हो गये थे मगर अभी तक कोई औलाद नहीं हुई थी। ये एक छोटी कमी जरूर थी उनकी ज़िंदगी में मगर बाहर से देखने में क्या मज़ाल कि कभी कोई एक शिकन भी ढूँढ लें चेहरे पर। एक दिन दोपहर को खाने के साथ मैंने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली। मैं सोने के लिये बेडरूम में आ गयी। बाकी तीनों ड्राइंग रूम में गपशप कर रहे थे। शाम तक यही सब चलना था इसलिये मैंने अपने कमरे में आकर फटाफट अपने कपड़े उतारे और नशे में एक हल्का सा फ्रंट ओपन गाऊन डाल कर बिस्तर पर गिर पड़ी। अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था और मुझे अपने सैंडल उतारने तक का होश नहीं था। पता नहीं नशे में चूर मैं कब तक सोती रही। अचानक कमरे में रोशनी होने से नींद खुली। मैंने अलसाते हुए आँखें खोल कर देखा तो बिस्तर पर मेरे पास जेठ जी बैठे मेरे खुले बालों पर मोहब्बत से हाथ फ़िरा रहे थे। मैं हड़बड़ा कर उठने लगी तो उन्होंने उठने नहीं दिया।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 26-04-2020, 07:14 PM



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