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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#30
हनीमून पर सलमान को मेरे संग और चुदाई का मौका नहीं मिला। बेचारे अपना मन मसोस कर रह गये। हनीमून मना कर वापस लौटने के कुछ ही दिनों बाद मैं जावेद के साथ मथुरा चली आयी। जावेद उस कंपनी के मथुरा विंग को संभालता था। मेरे ससुर जी दिल्ली के विंग को संभालते थे और मेरे जेठ जी उस कंपनी के रायबरेली के विंग के सी-ई-ओ थे।

 
दिल्ली में घर वापस आने के बाद सब तरह-तरह के सवाल पूछते थे। मुझे तरह-तरह से तंग करने के बहाने ढूँढते। मैं उन सबकी नोक झोंक से शरमा जाती थी।
 
मैंने महसूस किया कि जावेद अपनी भाभी नसरीन से कुछ अधिक ही घुले मिले थे। दोनों एक दूसरे से काफी मजाक करते और एक दूसरे को छूने की या मसलने की कोशिश करते। मेरा शक यकीन में तब बदल गया जब मैंने उन दोनों को अकेले में एक कमरे में एक दूसरे के आगोश में देखा। मैंने जब रात को जावेद से बात की तो पहले तो वो इंकार करता रहा लेकिन बार-बार जोर देने पर उसने स्वीकार किया कि उसके और उसकी भाभी में जिस्मानी ताल्लुकात भी हैं। दोनों अक्सर मौका ढूँढ कर सैक्स का लुत्फ़ उठाते हैं। उसकी इस कबुलियत ने जैसे मेरे दिल पर रखा पत्थर हटा दिया। अब मुझे ये ग्लानि नहीं रही कि मैं छिप-छिप कर अपने शौहर को धोखा दे रही हूँ। अब मुझे यकीन हो गया कि जावेद को किसी दिन मेरे जिस्मानी तल्लुकातों के बारे में पता भी लग गया तो कुछ नहीं बोलेंगे। मैंने थोड़ा बहुत दिखावे का रूठने का नाटक किया तो जावेद ने मुझे पुचकारते हुए वो मंज़ूरी भी दे दी। उन्होंने कहा कि अगर मैं भी किसी से जिस्मानी ताल्लुकात रखुँगी तो वो कुछ नहीं बोलेंगे।
 
अब मैंने लोगों की नजरों का ज्यादा खयाल रखना शुरू किया। मैं देखना चाहती थी कि कौन-कौन मुझे चाहत भरी नजरों से देखते हैं। मैंने पाया कि घर के तीनों मर्द मुझे कामुक निगाहों से देखते हैं। नन्दोई और ससुर जी के अलावा मेरे जेठ जी भी अक्सर मुझे निहारते रहते थे। मैंने उनकी इच्छाओं को हवा देना शुरू किया। मैं अपने कपड़ों और अपने पहनावे में काफी खुला पन रखती थी। आंदरूनी कपड़ों को मैंने पहनना छोड़ दिया। मैं सारे मर्दों को अपने जिस्म के भरपूर जलवे करवाती। जब मेरे कपड़ों के अंदर से झाँकते मेरे नंगे जिस्म को देख कर उनके कपड़ों के अंदर से लंड का उभार दिखने लगता तो ये देख कर मैं भी गीली होने लगती और मेरे निप्पल खड़े हो जाते। लेकिन मैं इन रिश्तों का लिहाज करके अपनी तरफ़ से चुदाई की हालत तक उन्हें आने नहीं देती।
 
एक चीज़ जो दिल्ली आने के बाद पता नहीं कहाँ और कैसे गायब हो गयी पता ही नहीं चला। वो थी हम दोनों की शॉवर के नीचे खींची हुई फोटो। मैंने मथुरा रवाना होने से पहले जावेद से पूछा मगर वो भी पूरे घर में कहीं भी नहीं ढूँढ पाया। मुझे जावेद पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पता नहीं उस नंगी तसवीर को कहाँ रख दिया था। अगर गलती से भी किसी और के हाथ पड़ जाये तो?
 
खैर हम वहाँ से मथुरा आ गये। वहाँ हमारा एक शानदार मकान था। मकान के सामने गार्डन और उसमें लगे तरह-तरह के फूल एक दिलकश तसवीर पेश करते थे। दो नौकर हर वक्त घर के काम काज में लगे रहते थे और एक माली भी था। तीनों गार्डन के दूसरी तरफ़ बने क्वार्टर्स में रहते थे। शाम होते ही काम निबटा कर उन्हें जाने को कह देती क्योंकि जावेद के आने से पहले मैं उनके लिये बन संवर कर तैयार रहती थी।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 26-04-2020, 07:12 PM



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