24-04-2020, 09:15 PM
“ओह अंजू और मंजू!! दोनों ही बहुत शैतान हैं”, मैंने कहा।
“हाँ कुछ ज्यादा ही शैतान हैं”, उसने हँसते हुए कहा।
प्रीती को चोदने की इच्छा फिर से हो रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आओ प्रीती यहाँ बैठो।”
वो मेरा मक्सद समझ कर बोली, “अभी नहीं!! पहले तुम चाय पियो, ठंडी हो जायेगी। फिर नहा कर तैयार हो जाओ, सब नाश्ते पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”
“तुम्हें सिर्फ़ चाय की पड़ी है कि ठंडी हो जायेगी”, मैंने बिस्तर पर से खड़े होकर अपने तने लंड की तरफ इशारा किया, “और इसका क्या? तुम चाहती हो कि ये ठंडा हो जाये।”
मेरे तने लंड को देख कर वो बोली, “ओह! तो ये वाला लंबा डंडा था जो मेरी चूत में घुसा था?”
“हाँ मेरी जान पूरा का पूरा।” उसके चेहरे पर आश्चर्य देख कर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड उसकी चूत में घुसा दिया। “आआआआआआहहहहह ऊऊऊहहहह” वो छटपटायी।
“देखा कैसे पूरा का पूरा तुम्हारी चूत में आसानी से चला गया”, मैंने धक्के लगाते हुए उसे पूछा, “प्रीती जब मैं तुम्हें चोदता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है ना?” वो कुछ बोली नहीं और चुप रही।
“शरमाओ मत, चलो बताओ मुझे?”
उसने अपनी गर्दन धीरे से हिलाते हुए कहा, “हाँ! आता है।”
मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था। वो भी अपने कुल्हे उठ कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिसकरियाँ निकल रही थी। जब भी मेरा लंड उसकी चूत की जड़ से टकराता तो “ओओओओहहहह आआहहहह” भरी सिसकरी निकल जाती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ा और एक “आआहहहह” के साथ निढाल पड़ गया। मैंने भी दो चार धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“ओह रानी! बहुत अच्छा था”, ये कहकर मैं उस पर से उठ गया।
“हाँ राज! बहुत अच्छा लगा”, कहकर वो भी बिस्तर पर से उठ गयी।
हम रोज़ हर रात को कई-कई बार चुदाई करते। मैं उसे अलग-अलग आसनों से चोदता था। वो भी मज़े लेकर चुदवाती थी। एक रात मैंने उसकी चूत चाटते हुए कहा, “प्रीती! तुम अपनी चूत के बाल साफ़ क्यों नहीं कर लेती?” उसने कुछ नहीं कहा।
अगली रात मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम साफ़ थी। एक भी बाल का नामो निशान नहीं था। उस रात उसकी चिकनी और सपाट चूत को चाटने और चोदने में काफी मज़ा आया।
एक बात थी जो मुझे सता रही थी। जब भी मैं अपनी तीनों असिसटेंट को चोदता था तो वो इतनी जोर से चिल्लाती थी, और आहें भरती थी कि शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ जाती होंगी, पर प्रीती के मुँह से सिर्फ, ऊहह आआहह के सिवा कुछ नहीं निकलता था। मैं सोच में रहता था पर मैंने प्रीती से कुछ कहा नहीं। साथ ही तीनों असिसटेंट चुदाई के समय भी अपने हाई हील के सैंडल पहने रखती थीं जिससे मुझे और अधिक जोश और लुत्फ आता था। हालांकि मैंने नोटिस किया था कि बाहर घुमने जाते वक्त प्रीती भी हाई हील के सैंडल पहनना पसंद करती थी पर मैं चाहता था कि बिस्तर पर चुदाई के समय भी वो अपने सैंडल पहने रहे।
मेरी छुट्टियाँ खत्म होने को आयी थी। पिताजी ने हमारे लिये फर्स्ट क्लास एयर कंडीशन का रिज़रवेशन कराया था। दो दिन के लंबे सफ़र में मैंने उसे कई बार चोदा, और उसकी चूत चाटी थी। मैंने उसे लंड को चूसना भी सिखा दिया। शुरू में तो उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा था पर अब वो एक बूँद भी मेरे लंड में छोड़ती नहीं थी। जब तक हम लोग मुंबई पहुँचे, मेरे लंड का पानी एक दम खत्म हो चुका था और उसकी चूत पानी से भरी हुई थी।
“हाँ कुछ ज्यादा ही शैतान हैं”, उसने हँसते हुए कहा।
प्रीती को चोदने की इच्छा फिर से हो रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “आओ प्रीती यहाँ बैठो।”
वो मेरा मक्सद समझ कर बोली, “अभी नहीं!! पहले तुम चाय पियो, ठंडी हो जायेगी। फिर नहा कर तैयार हो जाओ, सब नाश्ते पर हमारा इंतज़ार कर रहे हैं।”
“तुम्हें सिर्फ़ चाय की पड़ी है कि ठंडी हो जायेगी”, मैंने बिस्तर पर से खड़े होकर अपने तने लंड की तरफ इशारा किया, “और इसका क्या? तुम चाहती हो कि ये ठंडा हो जाये।”
मेरे तने लंड को देख कर वो बोली, “ओह! तो ये वाला लंबा डंडा था जो मेरी चूत में घुसा था?”
“हाँ मेरी जान पूरा का पूरा।” उसके चेहरे पर आश्चर्य देख कर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और लंड उसकी चूत में घुसा दिया। “आआआआआआहहहहह ऊऊऊहहहह” वो छटपटायी।
“देखा कैसे पूरा का पूरा तुम्हारी चूत में आसानी से चला गया”, मैंने धक्के लगाते हुए उसे पूछा, “प्रीती जब मैं तुम्हें चोदता हूँ तो तुम्हें मज़ा आता है ना?” वो कुछ बोली नहीं और चुप रही।
“शरमाओ मत, चलो बताओ मुझे?”
उसने अपनी गर्दन धीरे से हिलाते हुए कहा, “हाँ! आता है।”
मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था। वो भी अपने कुल्हे उठ कर मेरी थाप से थाप मिला रही थी। उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से प्यार भरी सिसकरियाँ निकल रही थी। जब भी मेरा लंड उसकी चूत की जड़ से टकराता तो “ओओओओहहहह आआहहहह” भरी सिसकरी निकल जाती। थोड़ी देर में उसका शरीर अकड़ा और एक “आआहहहह” के साथ निढाल पड़ गया। मैंने भी दो चार धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“ओह रानी! बहुत अच्छा था”, ये कहकर मैं उस पर से उठ गया।
“हाँ राज! बहुत अच्छा लगा”, कहकर वो भी बिस्तर पर से उठ गयी।
हम रोज़ हर रात को कई-कई बार चुदाई करते। मैं उसे अलग-अलग आसनों से चोदता था। वो भी मज़े लेकर चुदवाती थी। एक रात मैंने उसकी चूत चाटते हुए कहा, “प्रीती! तुम अपनी चूत के बाल साफ़ क्यों नहीं कर लेती?” उसने कुछ नहीं कहा।
अगली रात मैंने देखा कि उसकी चूत एक दम साफ़ थी। एक भी बाल का नामो निशान नहीं था। उस रात उसकी चिकनी और सपाट चूत को चाटने और चोदने में काफी मज़ा आया।
एक बात थी जो मुझे सता रही थी। जब भी मैं अपनी तीनों असिसटेंट को चोदता था तो वो इतनी जोर से चिल्लाती थी, और आहें भरती थी कि शायद पड़ोसियों को भी सुनाई पड़ जाती होंगी, पर प्रीती के मुँह से सिर्फ, ऊहह आआहह के सिवा कुछ नहीं निकलता था। मैं सोच में रहता था पर मैंने प्रीती से कुछ कहा नहीं। साथ ही तीनों असिसटेंट चुदाई के समय भी अपने हाई हील के सैंडल पहने रखती थीं जिससे मुझे और अधिक जोश और लुत्फ आता था। हालांकि मैंने नोटिस किया था कि बाहर घुमने जाते वक्त प्रीती भी हाई हील के सैंडल पहनना पसंद करती थी पर मैं चाहता था कि बिस्तर पर चुदाई के समय भी वो अपने सैंडल पहने रहे।
मेरी छुट्टियाँ खत्म होने को आयी थी। पिताजी ने हमारे लिये फर्स्ट क्लास एयर कंडीशन का रिज़रवेशन कराया था। दो दिन के लंबे सफ़र में मैंने उसे कई बार चोदा, और उसकी चूत चाटी थी। मैंने उसे लंड को चूसना भी सिखा दिया। शुरू में तो उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा था पर अब वो एक बूँद भी मेरे लंड में छोड़ती नहीं थी। जब तक हम लोग मुंबई पहुँचे, मेरे लंड का पानी एक दम खत्म हो चुका था और उसकी चूत पानी से भरी हुई थी।
॥॥। क्रमशः॥॥