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Adultery तरक्की का सफ़र
#19
उसने अपनी मादकता से भरी आँखें धीरे से खोली, और मैंने अपने तपते हुए होंठ उसके लाली से भरे होंठों पर रख दिये। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी इसके सिवा कि उसकी साँसें तेज हो रही थी। प्रीती ने काफी ज्वेलरी पहन रखी थी। मैं एक-एक कर के उसके जेवर उतारने लगा। 

आओ प्रीती! मेरे पास लेट जाओ, कहकर मैंने उसे अपने बगल में लिटा दिया। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए हम लोग ऐसे ही कितनी देर तक लेटे रहे। थोड़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे दबाने लगा। 
 
ये क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से कहा।
 
कुछ नहीं! तुम्हारे बदन को परख रहा हूँ, मैंने जवाब दिया।
 
जब मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा,प्लीज़ मत करो ना।
 
मुझे करने दो ना, आज हमारी सुहागरात है और सुहागरात का मतलब होता है दो शरीर और अत्मा का मिलन, और मैं नहीं चाहता कि हमारे मिलन के बीच ये कपड़े आयें, और मैं उसके कपड़े उतारने लगा।
 
अच्छा लाइट बंद कर दो... नहीं तो मैं शरम से मर जाऊँगी। उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए कहा।
 
अगर लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हारे गोरे और प्यारे बदन को कैसे देख सकुँगा, मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
 
अब मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। उसका नंगा बदन देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, प्रीती! तुम्हारा बदन तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर है। ये सुनकर उसने अपने आँखें और कस कर बंद कर ली।
 
मैं उसकी दोनों छातियों को सहला रहा था और उसके निप्पल चूस रहा था। जब कभी मैं उसके निप्पल को दाँतों में भींच लेता तो उसके मुँह से सिसकरी छूट पड़ती थी।
 
मैं उसकी चूत का छेद देखना चाहता था कि क्या वो रजनी के छेद जैसा ही था या उससे छोटा था। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी नाभी को चूमते हुए उसकी चूत के पास आ गया। उसकी चूत बारिकी से कटे हुए बालों से ढकी पड़ी थी।
 
मैंने उसकी चूत को धीरे से फैला कर अपनी जीब उस पर रख दी और चाटने लगा।
 
प्लीज़! ये मत करो, उसने सिसकते हुए कहा।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 24-04-2020, 09:10 PM



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