24-04-2020, 09:04 PM
रजनी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर पूछा, “राज तुम अपने बारे में बताओ।” मैंने रजनी को अपने परिवार के बारे में बता दिया। मेरे भाई भाभी और दोनों बहनों के बारे में। “अब तुम अपने बारे में बताओ रजनी।”
“तुम्हें तो मालूम है ये कंपनी मेरे पापा ने शुरू की थी। मम्मी काम नहीं संभाल पायी तो अपने दूर के रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को बुला लिया। रजनीश अंकल ने अपने दिमाग और मेहनत से कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया।”
“हमारा घर काफी बड़ा है, इसलिये कुछ सालों के बाद मम्मी ने रजनीश अंकल और उनके परिवार को हमारे साथ ही रहने को बुला लिया। रजनीश अंकल और उनकी बीवी और दोनों बेटियाँ अब हमारे साथ ही रहते हैं। उनकी बेटियों से मेरी दोस्ती भी अच्छी है।”
रजनी की बातों से लगा कि उसे अपने अंकल की चुदाई की कहानियाँ नहीं मालूम हैं। इसलिये मैंने भी बताना उचित नहीं समझा।
हम दोनों काफी देर तक बात कर रहे थे। अचानक वो मेरी आँखों में देखने लगी और मैं भी उसकी आँखों को देख रहा था जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो।
उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ बढ़ाया। मैं भी उसकी और बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की साँसें उखड़ रही थी।
“ओह राज!” वो सिसकी। “ओह रजनी!” मैं भी सिसका।
मेरा लंड मुझसे कह रहा था कि मैं इस कुँवारी चूत को अभी चोद दूँ और दिमाग कह रहा था कि नहीं! कंपनी के एम-डी की भतीजी है, कहीं कुछ गलत हो गया तो सब सत्यानाश हो जायेगा। मैं इसी दुविधा में उल्झा हुआ सोच रहा था।
“राज मुझे एक बार और किस करो ना”, वो बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर से ज़मीन पे लेट गये थे। मैं उसके ऊपर अध-लेटा हुआ था और अपने हाथ बाथरोब में डाल कर उसके मम्मे सहला रहा था और जोर से भींच रहा था।
“ओह राज! कितना अच्छा लग रहा है!” वो मादकता में बोली।
मेरा लंड भी अब तंबू की तरह मेरे पायजामे में खड़ा था। अब मुझे परवाह नहीं थी कि वो देख लेगी। मैंने उसका बाथरोब खोल दिया और उसका नंगा बदन मेरी आँखों के सामने थे।
“ओह रजनी!! तुम कितनी सुंदर हो। तुम्हारा बदन कितना प्यारा है”, यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दाँतों से काट रहा था।
“तुम्हें तो मालूम है ये कंपनी मेरे पापा ने शुरू की थी। मम्मी काम नहीं संभाल पायी तो अपने दूर के रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को बुला लिया। रजनीश अंकल ने अपने दिमाग और मेहनत से कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया।”
“हमारा घर काफी बड़ा है, इसलिये कुछ सालों के बाद मम्मी ने रजनीश अंकल और उनके परिवार को हमारे साथ ही रहने को बुला लिया। रजनीश अंकल और उनकी बीवी और दोनों बेटियाँ अब हमारे साथ ही रहते हैं। उनकी बेटियों से मेरी दोस्ती भी अच्छी है।”
रजनी की बातों से लगा कि उसे अपने अंकल की चुदाई की कहानियाँ नहीं मालूम हैं। इसलिये मैंने भी बताना उचित नहीं समझा।
हम दोनों काफी देर तक बात कर रहे थे। अचानक वो मेरी आँखों में देखने लगी और मैं भी उसकी आँखों को देख रहा था जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो।
उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ बढ़ाया। मैं भी उसकी और बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की साँसें उखड़ रही थी।
“ओह राज!” वो सिसकी। “ओह रजनी!” मैं भी सिसका।
मेरा लंड मुझसे कह रहा था कि मैं इस कुँवारी चूत को अभी चोद दूँ और दिमाग कह रहा था कि नहीं! कंपनी के एम-डी की भतीजी है, कहीं कुछ गलत हो गया तो सब सत्यानाश हो जायेगा। मैं इसी दुविधा में उल्झा हुआ सोच रहा था।
“राज मुझे एक बार और किस करो ना”, वो बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर से ज़मीन पे लेट गये थे। मैं उसके ऊपर अध-लेटा हुआ था और अपने हाथ बाथरोब में डाल कर उसके मम्मे सहला रहा था और जोर से भींच रहा था।
“ओह राज! कितना अच्छा लग रहा है!” वो मादकता में बोली।
मेरा लंड भी अब तंबू की तरह मेरे पायजामे में खड़ा था। अब मुझे परवाह नहीं थी कि वो देख लेगी। मैंने उसका बाथरोब खोल दिया और उसका नंगा बदन मेरी आँखों के सामने थे।
“ओह रजनी!! तुम कितनी सुंदर हो। तुम्हारा बदन कितना प्यारा है”, यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दाँतों से काट रहा था।