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Adultery तरक्की का सफ़र
#11
(भाग-२)

 
करीब एक महीने बाद की बात है। मैं सुबह ऑफिस पहुँचा तो देखा कि ऑडिट डिपार्टमेंट में एक नयी लड़की काम कर रही है। वाओ! कितनी सुंदर थी वो। वो करीब ५ फ़ुट ४ इंच की थी पर इस समय हाइ-हील की सैंडल पहने होने की वजह से ५ फ़ुट आठ इंच के करीब लग रही थी। गाल भरे-भरे और आँखें भी तीखी थी। उसने टाइट स्लीवलेस टॉप और टाइट जींस पहन रखी थी। कपड़े टाइट होने की वजह से उसके बदन का एक-एक अंग जैसे छलक रहा था। उसे देखते ही मेरे लंड में गर्मी आ गयी।
 
मुझे उससे मिलना पड़ेगा मैंने सोचा और उस पर नज़र रखने लगा।
 
एक दिन लंच से पहले मैंने उसे अपनी सीट से उठ कर जाते हुए देखा तो मैं उसके पीछे-पीछे पैसेज में आ गया। मैंने हिम्मत कर के पूछा, लगता है... आप यहाँ नयी आयी हैं, इसके पहले कभी नहीं देखा?”
 
हाँ! मैं यहाँ पर नयी हूँ, अभी एक हफ्ता ही हुआ है।
 
हाय! मुझे राज कहते है। मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
 
मुझसे हाथ मिलाते हुए उसने कहा, मुझे रजनी कहते हैं। आपसे मिलकर अच्छा लगा। कुछ देर बात करने के बाद हम अपने काम में लग गये।
 
उस दिन के बाद मैं अक्सर उससे टकराने के बहाने ढूँढता रहता था। कभी सीढ़ियों पर, कभी स्टोर रूम में। हम लोग अक्सर बात करने लगे थे। काफी खुल भी गये थे। हम इंटरनेट पर भी चैटिंग करने लगे थे। रजनी में बढ़ती मेरी दिलचस्पी तीनों लेडिज़ से छुपी ना रह सकी।
 
क्या तुम लोगों ने देखा.... कैसे हमारा राज उस नयी लड़की के पीछे पड़ा हुआ है?” समीना ने एक दिन लंच लेते हुए कहा।
 
राज! संभल कर रहना, सुनने में आया है कि एम-डी की भतीजी है, शबनम ने कहा।
 
छोड़ो यार! मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। तुम लोग सिर्फ़ राई का पहाड़ बना रही हो। मैं तो सिर्फ़ उससे हँसी मजाक कर लेता हूँ और कुछ नहीं। मैंने उनसे झूठ कहा।
 
एक दिन इंटरनेट पर बात करते हुए मैंने हिम्मत कर के पूछा, रजनी! शाम को कॉफी पीने मेरे साथ चलोगी?”
 
जरूर चलूँगी, क्यों नहीं?” उसने जवाब दिया।
 
उस दिन शाम को हम लोग पास के रेस्तोरां में कॉफी पीने गये। फिर बाद में एक दूसरे का हाथ थामे पार्क में घूमते रहे। वो शाम काफी सुहानी गुजरी थी।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 24-04-2020, 08:54 PM



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