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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#11
“अरे कभी हमारे साथ भी बैठ लो.... खा तो नहीं जाऊँगा तुम्हें," सलमान ने कहा। 

“हाँ बैठ जाओ उनके साथ.... सर्दी बहुत है बाहर। आज अभी तक गले के अंदर एक भी घूँट नहीं गयी है इसलिये ठंड से काँप रहे हैं। तुमसे सट कर बैठेंगे तो उनका जिस्म भी गरम हो जायेगा,” आपा ने हँसते हुए कहा। 
 
“अच्छा? लगता है आपा अब तुम उन्हें और गरम नहीं कर रही हो,” जावेद ने समीना आपा को छेड़ते हुए कहा।
 
हम लोग बातें करते और मजाक करते चले जा रहे थे। तभी बात करते-करते सलमान ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया, जिसे मैंने धीरे से पकड़ कर नीचे कर दिया। ठंड बढ़ गयी थी। जावेद ने एक शाल ले लिया। समीना ने एक कंबल ले लिया था। हम दोन पीछे बैठे ठंड से काँपने लगे।
 
“सलमान देखो.... शहनाज़ का ठंड के मारे बुरा हाल हो रहा है। पीछे एक कंबल रखा है उससे तुम दोनों ढक लो,” समीना आपा ने कहा।
 
अब एक ही कंबल बाकी था जिससे सलमान ने हम दोनों को ढक दिया। एक कंबल में होने के कारण मुझे सलमान से सट कर बैठना पड़ा। पहले तो थोड़ी झिझक हुई मगर बाद में मैं उनसे एकदम सट कर बैठ गयी। सलमान का एक हाथ अब मेरी जाँघों पर घूम रहा था और साड़ी के ऊपर से मेरी जाँघों को सहला रहा था। अब उन्होंने अपने हाथ को मेरे कंधे के ऊपर रख कर मुझे अपने सीने पर खींच लिया। मैं अपने हाथों से उन्हें रोकने की हल्की सी कोशिश कर रही थी।
 
“क्या बात है, तुम दोनों चुप क्यों हो गये। कहीं तुम्हारा नन्दोई तुम्हें मसल तो नहीं रहा है? संभाल के रखना अपने उन खूबसूरत जेवरों को.... मर्द पैदाइशी भूखे होते हैं इनके।” कह कर समीना हँस पड़ी। मैं शरमा गयी। मैंने सलमान के जिस्म से दूर होने की कोशिश की तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़ कर और अपनी तरफ़ खींच लिया।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 24-04-2020, 08:32 PM



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