24-04-2020, 08:30 PM
जावेद हंसने लगे, “अच्छा लगता है जीजा जी का आप से मन भर गया है इसलिये मेरी बेगम पर नजरें गड़ाये रखे हुए हैं।" मैं तो शरम से पानी पानी हो रही थी। समझ ही नहीं आ रहा था वहाँ बैठे रहना चाहिये या वहाँ से उठ कर भाग जाना चाहिये। मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया।
“अभी नयी है, धीरे-धीरे इस घर की रंगत में ढल जायेगी।” फिर मुझे कहा, “शहनाज़ हमारे घर में किसी से कोई लिकाव छिपाव नहीं है। किसी तरह का कोई पर्दा नहीं। सब एक दूसरे से हर तरह का मजाक छेड़ छाड़ कर सकते हैं। तुम किसी की किसी हरकत का बुरा मत मानना।”
अगले दिन की ही बात है। मैं डायनिंग टेबल पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी। सलमान और समीना आपा सोफ़े पर बैठे हुए थे। मुझे खयाल ना रहा कब मेरे एक स्तन से साड़ी का आंचल हट गया। मुझे काम निबटा कर नहाने जाना था, इसलिये ब्लाऊज़ का सिर्फ एक बटन बंद था। आधे से अधिक चूचियाँ बाहर निकली हुई थीं। मैं अपने काम में तल्लीन थी। मुझे नहीं मालूम था कि सलमान सोफ़े बैठ कर न्यूज़ पेपर की आड़ में मेरी चूचियों को निहार रहे हैं। मुझे पता तब चला जब समीना आपा ने मुझे बुलाया।
“शहनाज़ यहाँ सोफ़े पर आ जाओ। इतनी दूर से सलमान को तुम्हारा जिस्म ठीक से दिखायी नहीं दे रहा है। बहुत देर से कोशिश कर रहा है कि काश उसकी नजरों की गर्मी से तुम्हारे ब्लाऊज़ का इकलौता बटन पिघल जाये और ब्लाऊज़ से तुम्हारी चूचियाँ निकल जायें, लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिल रही है।”
मैंने झट से अपनी चूचियों को देखा तो सारी बात समझ कर मैंने आंचल सही कर दिया। मैं शरमा कर वहाँ से उठने को हुई तो समीना आपा ने आकर मुझे रोक दिया और हाथ पकड़ कर सोफ़े तक ले गयी। सलमान के पास ले जा कर उन्होंने मेरे आंचल को छातियों के ऊपर से हटा दिया।
“लो देख लो.. ३८ साइज़ के हैं। नापने हैं क्या?”
मैं उनकी हरकत से शरम से लाल हो गयी। मैंने जल्दी वापस आंचल सही किया और वहाँ से खिसक ली।
हनीमून में हमने मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया। शाम को कार से दिल्ली से निकल पड़े। हमारे साथ समीना आपा और सलमान भी थे। ठंड के दिन थे। इसलिये शाम जल्दी हो जाती थी। सामने की सीट पर समीना आपा बैठी हुई थी। सलमान कार चला रहे थे। हम दोनों पीछे बैठे हुए थे। दो घंटे लगातार ड्राईव करने के बाद एक ढाबे पर चाय पी। अब जावेद ड्राइविंग सीट पर चला गया और सलमान पीछे की सीट पर आ गये। मैंने सामने की सीट पर जाने के लिये दरवाजा खोला तो सलमान ने मुझे रोक दिया।
“अभी नयी है, धीरे-धीरे इस घर की रंगत में ढल जायेगी।” फिर मुझे कहा, “शहनाज़ हमारे घर में किसी से कोई लिकाव छिपाव नहीं है। किसी तरह का कोई पर्दा नहीं। सब एक दूसरे से हर तरह का मजाक छेड़ छाड़ कर सकते हैं। तुम किसी की किसी हरकत का बुरा मत मानना।”
अगले दिन की ही बात है। मैं डायनिंग टेबल पर बैठी सब्ज़ी काट रही थी। सलमान और समीना आपा सोफ़े पर बैठे हुए थे। मुझे खयाल ना रहा कब मेरे एक स्तन से साड़ी का आंचल हट गया। मुझे काम निबटा कर नहाने जाना था, इसलिये ब्लाऊज़ का सिर्फ एक बटन बंद था। आधे से अधिक चूचियाँ बाहर निकली हुई थीं। मैं अपने काम में तल्लीन थी। मुझे नहीं मालूम था कि सलमान सोफ़े बैठ कर न्यूज़ पेपर की आड़ में मेरी चूचियों को निहार रहे हैं। मुझे पता तब चला जब समीना आपा ने मुझे बुलाया।
“शहनाज़ यहाँ सोफ़े पर आ जाओ। इतनी दूर से सलमान को तुम्हारा जिस्म ठीक से दिखायी नहीं दे रहा है। बहुत देर से कोशिश कर रहा है कि काश उसकी नजरों की गर्मी से तुम्हारे ब्लाऊज़ का इकलौता बटन पिघल जाये और ब्लाऊज़ से तुम्हारी चूचियाँ निकल जायें, लेकिन उसे कोई कामयाबी नहीं मिल रही है।”
मैंने झट से अपनी चूचियों को देखा तो सारी बात समझ कर मैंने आंचल सही कर दिया। मैं शरमा कर वहाँ से उठने को हुई तो समीना आपा ने आकर मुझे रोक दिया और हाथ पकड़ कर सोफ़े तक ले गयी। सलमान के पास ले जा कर उन्होंने मेरे आंचल को छातियों के ऊपर से हटा दिया।
“लो देख लो.. ३८ साइज़ के हैं। नापने हैं क्या?”
मैं उनकी हरकत से शरम से लाल हो गयी। मैंने जल्दी वापस आंचल सही किया और वहाँ से खिसक ली।
हनीमून में हमने मसूरी जाने का प्रोग्राम बनाया। शाम को कार से दिल्ली से निकल पड़े। हमारे साथ समीना आपा और सलमान भी थे। ठंड के दिन थे। इसलिये शाम जल्दी हो जाती थी। सामने की सीट पर समीना आपा बैठी हुई थी। सलमान कार चला रहे थे। हम दोनों पीछे बैठे हुए थे। दो घंटे लगातार ड्राईव करने के बाद एक ढाबे पर चाय पी। अब जावेद ड्राइविंग सीट पर चला गया और सलमान पीछे की सीट पर आ गये। मैंने सामने की सीट पर जाने के लिये दरवाजा खोला तो सलमान ने मुझे रोक दिया।