24-04-2020, 04:29 AM
ज़ूबी ने सहमती में अपनी गर्दन हिला दी।
“अपने केबिन में जाओ और मेरे फोन का इंतज़ार करो। मैं मिस्टर राज से कॉन्टेक्ट करता हूँ और उन्हें सारी बात समझाता हूँ... फिर सोचते हैं कि हमें क्या करना चाहिए” रवि ने कहा।
ज़ूबी वापस अपने केबिन मे पहुँची। उसका दिमग काम नहीं कर रहा था कि वो क्या करे। उसे पता नहीं था कि अगर वो गिरफ़्तार हो गयी तो उसका मंगेतर आगे उससे रिश्ता रखेगा कि नहीं। वो अपनी कुर्सी पर बैठ कर बाहर देखने लगी। उसे महसूस हुआ कि उसका शरीर डर के मारे काँप रहा था।
करीब एक घंटे के लंबे इंतज़ार के बाद रवि का फोन आया, “ज़ूबी राज एक कॉनफ्रेंस के सिलसिले में होटल अंबेसडर के सुइट नंबर १५०४ में है। उसने तुम्हें तुरंत ऐप्लीकेशन की कॉपी लेकर बुलाया है। तुम तुरंत चली जाओ... मैं थोड़ी देर में आता हूँ।”
“ठीक है सर! मैं अभी चली जाती हूँ।”
फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही।
“ज़ूबी तुम्हें पता है ना कि ये मीटिंग हमारी फ़र्म के लिये कितनी महत्वपूर्ण है।” थोड़ी और खामोशी के बाद, “और तुम्हारे लिए भी।”
ज़ूबी ने रवि को बताया कि उसे पता है।
काँपती हुई ज़ूबी ने फाइल उठाई और होटल अंबेसडर की ओर चल दी।
करीब डेढ़ घंटे की बहस के बाद भी ज़ूबी मिस्टर राज को ये नहीं समझा पायी कि उससे गलती कैसे और कहाँ हुई। ये बात राज को झल्लाय जा रही थी और आखिर वो गुस्से में बरस पड़ा। “क्या तुम मुझे ये बताने की कोशिश कर रही हो कि तुम्हें ये नहीं पता कि क्या और कौनसी बातें ऐप्लीकेशन मे छूट गयी हैं। मैं ही बेवकूफ़ था जो इतने महत्वपूर्ण काम पर “रवि एंड देव” पर भरोसा किया। क्या तुम कोई जवाब दे सकती हो?” राज गुस्से में जोर से बोला।
ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये। आज तक राज ने उसे बहुत इज्जत और अच्छे व्यवहार से ट्रीट किया था। ४५ साल का राज एक कसरती बदन का मर्द था। वो गुस्से में अपने हाथ का मुक्का बना कर दूसरी हथेली पे मार रहा था जैसे कि एक ही वार में ज़ूबी को मार गिरायेगा।
राज ज़ूबी की ओर देख कर अपने आप से कह रहा था, “क्या बदन है इसका। भारी-भारी चूचियाँ और इतनी पतली कमर। पता नहीं बिस्तर में कैसी होगी।” जब ज़ूबी कागज़ों से भरी टेबल पर झुकी तो राज को उसकी लंबी टाँगें और बड़े-बड़े कुल्हों की झलक मिली। “थोड़ी देर में ही इसकी गाँड ऐसे मारूँगा कि ये याद रखेगी।”
“अपने केबिन में जाओ और मेरे फोन का इंतज़ार करो। मैं मिस्टर राज से कॉन्टेक्ट करता हूँ और उन्हें सारी बात समझाता हूँ... फिर सोचते हैं कि हमें क्या करना चाहिए” रवि ने कहा।
ज़ूबी वापस अपने केबिन मे पहुँची। उसका दिमग काम नहीं कर रहा था कि वो क्या करे। उसे पता नहीं था कि अगर वो गिरफ़्तार हो गयी तो उसका मंगेतर आगे उससे रिश्ता रखेगा कि नहीं। वो अपनी कुर्सी पर बैठ कर बाहर देखने लगी। उसे महसूस हुआ कि उसका शरीर डर के मारे काँप रहा था।
करीब एक घंटे के लंबे इंतज़ार के बाद रवि का फोन आया, “ज़ूबी राज एक कॉनफ्रेंस के सिलसिले में होटल अंबेसडर के सुइट नंबर १५०४ में है। उसने तुम्हें तुरंत ऐप्लीकेशन की कॉपी लेकर बुलाया है। तुम तुरंत चली जाओ... मैं थोड़ी देर में आता हूँ।”
“ठीक है सर! मैं अभी चली जाती हूँ।”
फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही।
“ज़ूबी तुम्हें पता है ना कि ये मीटिंग हमारी फ़र्म के लिये कितनी महत्वपूर्ण है।” थोड़ी और खामोशी के बाद, “और तुम्हारे लिए भी।”
ज़ूबी ने रवि को बताया कि उसे पता है।
काँपती हुई ज़ूबी ने फाइल उठाई और होटल अंबेसडर की ओर चल दी।
करीब डेढ़ घंटे की बहस के बाद भी ज़ूबी मिस्टर राज को ये नहीं समझा पायी कि उससे गलती कैसे और कहाँ हुई। ये बात राज को झल्लाय जा रही थी और आखिर वो गुस्से में बरस पड़ा। “क्या तुम मुझे ये बताने की कोशिश कर रही हो कि तुम्हें ये नहीं पता कि क्या और कौनसी बातें ऐप्लीकेशन मे छूट गयी हैं। मैं ही बेवकूफ़ था जो इतने महत्वपूर्ण काम पर “रवि एंड देव” पर भरोसा किया। क्या तुम कोई जवाब दे सकती हो?” राज गुस्से में जोर से बोला।
ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये। आज तक राज ने उसे बहुत इज्जत और अच्छे व्यवहार से ट्रीट किया था। ४५ साल का राज एक कसरती बदन का मर्द था। वो गुस्से में अपने हाथ का मुक्का बना कर दूसरी हथेली पे मार रहा था जैसे कि एक ही वार में ज़ूबी को मार गिरायेगा।
राज ज़ूबी की ओर देख कर अपने आप से कह रहा था, “क्या बदन है इसका। भारी-भारी चूचियाँ और इतनी पतली कमर। पता नहीं बिस्तर में कैसी होगी।” जब ज़ूबी कागज़ों से भरी टेबल पर झुकी तो राज को उसकी लंबी टाँगें और बड़े-बड़े कुल्हों की झलक मिली। “थोड़ी देर में ही इसकी गाँड ऐसे मारूँगा कि ये याद रखेगी।”