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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#14
"सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।"

पहली बार उसके मुँह से अब सुना, "चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।" 
 
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा, "क्या चोदूँ जानेमन। एक बार फिर से कहो ना। तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।"
 
"अब चोदो ना... इस... इस चूत को।"
 
"अब मैं तेरी गरम-गरम और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।" मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया। दोस्तों मानो मैं जन्नत में आ गया।
 
मैं बोल ही उठा, "उफ़, क्या चूत है सना। मज़ा आ गया।"
 
उसने भी एक्साइट हो कर कहा, "चोद दो प्रताप... बस अब इस चूत को खूब चोदो।"

[Image: bns0001035.jpg]
 
दोस्तों... चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया। झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
 
"सना... बहुत टेस्ती चुदाई थी यार। तुम तो गज़ब की चीज़ हो।"
 
"मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।" वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी। दोस्तों, फिर बीस मिनट बाद, पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के। फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा। मैंने शायद उसकी चूचियाँ और बूर और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा। इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत।
 
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा, "सना, अब तो तुम्हें और कईं बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?" मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
 
अब वोह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली, "प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!"
 
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया। फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी। कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 24-04-2020, 04:20 AM



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