24-04-2020, 03:21 AM 
		
	
	
		उस दिन संडे था इसलिये स्टेशन पहुँच कर मैं शाज़िया के साथ उतरा और अभी तक हम इतने करीब आ गये थे कि वो वाकय मुझे अपना हसबैंड जैसा समझ रही थी। वो मेरे साथ ही स्टेशन से बाहर आयी। उसने रात में मेरे साथ काफी रम पी ली थी और उसका सिर थोड़ा सा चकरा रहा था। मैंने उसको कहा कि आज चूँकि संडे का दिन है और मुझे कल ड्यूटी पर हाज़िर होना है, तुम्हारा क्या रूटीन है? उसने भी यही कहा कि उसकी भी हाज़िरी अगले दिन से है तो मैंने उसको कहा कि अगर तुम बुरा ना मानो तो मेरे साथ चलोगी?
अभी तक शाज़िया को मुझ पर काफी भरोसा हो गया था, इसलिये वो तैयार हो गयी मगर पूछा कि किधर जाना है? मैं चूँकि मेस में रहता था और वहाँ एक औरत को नहीं ले जा सकता था। इसके अलावा कराची में एक ही काबिल-ए-एतमाद दोस्त था। वो काफी अमीर था और उन दिनों मुल्क से बाहर गया हुआ था।
 
मैंने थोड़ा सोचा और उसको होटल में रुकने का सुझाव दिया। पहले तो वो घबरायी क्योंकि हम फौज के लोगों के पीछे आई-एस-आई काफी होती है। इसलिये उसने मुझे डराया, मगर मैंने उसको तसल्ली दी कि तुम कहीं भी ये ना शो करना कि तुम आर्मी में हो। खैर आल्लाह का नाम लेकर हम लोग मेट्रोपोल पर मौजूद सर्विसेज मेस में आ गये। मैंने वहाँ जाने से पहले शाज़िया को कहा कि चादर पहन ले और एक पर्दे वाली बीवी का रोल करे। पर्दे में होने से उसकी साँसों में मौजूद रम की महक भी किसी को नहीं आयेगी। मैंने रिसेपशन पर जाकर अपना कार्ड दिखाया और कहा कि ये मेरी वाईफ है, कराची एक काम से आयी है, इसलिये अभी मुझे फैमली वाला रूम चाहिये।
 
फ्रैंड्स, हो सकता है कि आप लोगों को आर्मी के एक कैप्टेन की अहमियत मालूम हो, इसलिये उस हवलदार ने कोई दूसरी बात नहीं की बल्कि एक फ़ॉर्म लाया। मैंने सिर्फ फोरमैलटी के तौर पर उल्टा सीधा नाम और मालूमात डाल कर फ़ॉर्म पर जाली दस्तखत किये। कुछ देर बाद एक सुबेदार आया और मैंने कार्ड दिखाया तो उसने सेल्यूट मार कर जवाब दिया और फिर मुझे एक फैमली रूम की चाबियाँ दीं। मैं शाज़िया को लेकर रूम में आया, और रूम का डोर बंद करके शाज़िया को सीने से लगाया कि सबसे बड़ा मसला हल हो गया। शाज़िया का ज़िक्र कहीं नहीं आया और वो बहुत खुश थी। उसने मुझे ज़ोर से किस किया। अभी हमने सिर्फ़ सामान कमरे में रखा था और एक दूसरे के साथ चिपक कर प्यार करने लगे।
 
अचानक डोर पर नॉक हुई और मैंने फौरन अपनी हालत ठीक करके डोर खोला। एक बेरा नाश्ते का ऑर्डर लेने आया था। मैंने कहा कि अभी तो हम थके हैं। इसलिये लंच और डिनर का ऑर्डर दे दिया। उस बेरे के चले जाने के बाद मैंने अच्छी तरह से पूरे रूम को चेक किया कि कहीं कोई खतरे की बात तो नहीं। उसके बाद जब मुतमाईन हो गया तो मैंने वापस अकर शाज़िया को गोद में लिया और चूमना शुरू किया। उसके बाद मैंने उसको नंगा करके गौर से देखा। इसमें कोई शक नहीं कि वो बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत थी। मैं काफी देर उसको देखता रहा और भरपूर तरीके से उसको चूमा और फिर वही तमाम हालात हुए।
	
	
	
	
अभी तक शाज़िया को मुझ पर काफी भरोसा हो गया था, इसलिये वो तैयार हो गयी मगर पूछा कि किधर जाना है? मैं चूँकि मेस में रहता था और वहाँ एक औरत को नहीं ले जा सकता था। इसके अलावा कराची में एक ही काबिल-ए-एतमाद दोस्त था। वो काफी अमीर था और उन दिनों मुल्क से बाहर गया हुआ था।
मैंने थोड़ा सोचा और उसको होटल में रुकने का सुझाव दिया। पहले तो वो घबरायी क्योंकि हम फौज के लोगों के पीछे आई-एस-आई काफी होती है। इसलिये उसने मुझे डराया, मगर मैंने उसको तसल्ली दी कि तुम कहीं भी ये ना शो करना कि तुम आर्मी में हो। खैर आल्लाह का नाम लेकर हम लोग मेट्रोपोल पर मौजूद सर्विसेज मेस में आ गये। मैंने वहाँ जाने से पहले शाज़िया को कहा कि चादर पहन ले और एक पर्दे वाली बीवी का रोल करे। पर्दे में होने से उसकी साँसों में मौजूद रम की महक भी किसी को नहीं आयेगी। मैंने रिसेपशन पर जाकर अपना कार्ड दिखाया और कहा कि ये मेरी वाईफ है, कराची एक काम से आयी है, इसलिये अभी मुझे फैमली वाला रूम चाहिये।
फ्रैंड्स, हो सकता है कि आप लोगों को आर्मी के एक कैप्टेन की अहमियत मालूम हो, इसलिये उस हवलदार ने कोई दूसरी बात नहीं की बल्कि एक फ़ॉर्म लाया। मैंने सिर्फ फोरमैलटी के तौर पर उल्टा सीधा नाम और मालूमात डाल कर फ़ॉर्म पर जाली दस्तखत किये। कुछ देर बाद एक सुबेदार आया और मैंने कार्ड दिखाया तो उसने सेल्यूट मार कर जवाब दिया और फिर मुझे एक फैमली रूम की चाबियाँ दीं। मैं शाज़िया को लेकर रूम में आया, और रूम का डोर बंद करके शाज़िया को सीने से लगाया कि सबसे बड़ा मसला हल हो गया। शाज़िया का ज़िक्र कहीं नहीं आया और वो बहुत खुश थी। उसने मुझे ज़ोर से किस किया। अभी हमने सिर्फ़ सामान कमरे में रखा था और एक दूसरे के साथ चिपक कर प्यार करने लगे।
अचानक डोर पर नॉक हुई और मैंने फौरन अपनी हालत ठीक करके डोर खोला। एक बेरा नाश्ते का ऑर्डर लेने आया था। मैंने कहा कि अभी तो हम थके हैं। इसलिये लंच और डिनर का ऑर्डर दे दिया। उस बेरे के चले जाने के बाद मैंने अच्छी तरह से पूरे रूम को चेक किया कि कहीं कोई खतरे की बात तो नहीं। उसके बाद जब मुतमाईन हो गया तो मैंने वापस अकर शाज़िया को गोद में लिया और चूमना शुरू किया। उसके बाद मैंने उसको नंगा करके गौर से देखा। इसमें कोई शक नहीं कि वो बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत थी। मैं काफी देर उसको देखता रहा और भरपूर तरीके से उसको चूमा और फिर वही तमाम हालात हुए।

 
 

 

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