24-04-2020, 03:05 AM
“ठहर बतता हूँ।” वो जब तक संभले, तब तक मैं खिलखिलाते हुए वहाँ से भाग कर टेबल के पीछे हो गयी। उन्होंने मुझे पकड़ने के लिये टेबल के इधर उधर दौड़ लगायी। लेकिन हाई-हील पहने होने के बावजूद मैं उनसे बच गयी। लेकिन मेरा मक्सद तो पकड़े जाने का था, बचने का थोड़ी। इसलिये मैं टेबल के पीछे से निकल कर दरवाजे की तरफ़ दौड़ी। इस बार उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी कमीज़ के अंदर हाथ डाल दिये। मैं खिलखिला कर हँस रही थी और कसमसा रही थी। वो काफी देर तक मेरे बूब्स पर रंग लगाते रहे। मेरे निप्पलों को मसलते और खींचते रहे। मैं उनसे लिपट गयी और पहली बार उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मेरे होंठ थोड़ा खुले और उनकी जीभ को अंदर जाने का रास्ता दे दिया। कईं मिनट हम इसी तरह एक दूसरे को चूमते रहे। मेरा एक हाथ सरकते हुए उनके पायजामे तक पहुँचा और फिर धीरे से पायजामे के अंदर सरक गया। मैं उनके लंड की तपिश अपने हाथों पर महसूस कर रही थी। मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उनके लंड को थाम लिया। मेरी इस हरकत से जैसे उनके पूरे जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गयी। उन्होंने मुझे एक धक्का देकर अपने से अलग किया। मैं गर्मी से तप रही थी, लेकिन उन्होंने कहा, “नहीं शहनाज़! नहीं ये ठीक नहीं है।”
मैं सर झुका कर वहीं खड़ी रही।
“तुम मुझसे बहुत छोटी हो! ” उन्होंने अपने हाथों से मेरे चेहरे को उठाया, “तुम बहुत अच्छी लड़की हो और हम दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हैं।”
मैंने धीरे से सर हिलाया। मैं अपने आपको कोस रही थी। मुझे अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदगी हो रही थी। मगर उन्होंने मेरी कश्मकश को समझ कर मुझे वापस अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे गालों पर दो किस किये। इससे मैं वापस नॉर्मल हो गयी। जब तक मैं संभलती, वो जा चुके थे।
धीरे धीरे समय बीतता गया। लेकिन उस दिन के बाद उन्होंने मेरे और उनके बीच में एक दीवार बना दी।
मैं शायद वापस उन्हें सिड्यूस करने का प्लैन बनाने लगती लेकिन अचानक मेरी ज़िंदगी में एक आँधी सी आयी और सब कुछ चेंज हो गया। मेरे सपनों का सौदागर मुझे इस तरह मिल जायेगा, मैंने कभी सोचा ना था।
मैं एक दिन अपने काम में बिज़ी थी कि लगा कोई मेरी डेस्क के पास आकर रुका।
“आय वांट टू मीट मिस्टर ताहिर अज़ीज़ खान!”
“ऐनी अपायंटमेंट?” मैंने सिर झुकाये हुए ही पूछा|
“नो!”
“सॉरी ही इज़ बिज़ी,” मैंने टालते हुए कहा।
“टेल हिम, जावेद, हिज़ सन वांट्स टू मीट हिम।”
मैंने एक झटके से अपना सिर उठाया और उस खूबसूरत और हेंडसम आदमी को देखती रह गयी। वो भी मेरी खूबसूरती में खो गया था।
“ओह मॉय गॉड! क्या चीज़ हो तुम। तभी डैड आजकल इतना ऑफिस में बिज़ी रहने लगे हैं।” उन्होंने कहा, "बाय द वे, आपका नाम जान सकता हूँ?”
"शहनाज़”
“शहनाज़ ! अब ये नाम मेरे ज़हन से कभी दूर नहीं जायेगा।”
मैंने शरमा कर अपनी आँखें झुका ली। वो अंदर चले गये। वापसी में उन्होंने मुझसे शाम की डेट फिक्स कर ली।
इसके बाद तो हम डेली मिलने लगे। हम दोनों पूरी शाम एक दूसरे की बाँहों में बिताने लगे। जावेद बहुत ओपन माइंड के आदमी थे।
एक दिन ताहिर जी ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और एक लेटर मुझे दिया। “ये है तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर। यू आर बींग सैक्ड,” उन्होंने तेज़ आवाज के साथ कहा।
"ल...लेकिन मेरी गलती क्या है?” मैंने रुआंसी आवाज में पूछा।
“तुमने मेरे बेटे को अपने जाल में फांसा है”
“लेकिन सर…”
“कोई लेकिन वेकिन नहीं” उन्होंने मुझे बुरी तरह झिड़कते हुए कहा, “नाओ गेट लोस्ट!”
मेरी आँखों में आँसू आ गये। मैं रोती हुई वहाँ से जाने लगी। जैसे ही मैं दरवाजे तक पहुँची, उनकी आवाज सुनायी दी।
“शाम को हम तुम्हारे पेरेंट्स से मिलने आ रहे हैं। जावेद जल्दी निकाह करना चाहता है।”
मेरे कदम ठिठक गये। मैं घूमी तो मैंने देखा कि मिस्टर ताहिर अपनी बांहें फैलाये मुस्कुरा रहे हैं। मैं आँसू पोंछ कर खिलखिला उठी। और दौड़ कर उनसे लिपट गयी।
मैं सर झुका कर वहीं खड़ी रही।
“तुम मुझसे बहुत छोटी हो! ” उन्होंने अपने हाथों से मेरे चेहरे को उठाया, “तुम बहुत अच्छी लड़की हो और हम दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त हैं।”
मैंने धीरे से सर हिलाया। मैं अपने आपको कोस रही थी। मुझे अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदगी हो रही थी। मगर उन्होंने मेरी कश्मकश को समझ कर मुझे वापस अपनी बाँहों में भर लिया और मेरे गालों पर दो किस किये। इससे मैं वापस नॉर्मल हो गयी। जब तक मैं संभलती, वो जा चुके थे।
धीरे धीरे समय बीतता गया। लेकिन उस दिन के बाद उन्होंने मेरे और उनके बीच में एक दीवार बना दी।
मैं शायद वापस उन्हें सिड्यूस करने का प्लैन बनाने लगती लेकिन अचानक मेरी ज़िंदगी में एक आँधी सी आयी और सब कुछ चेंज हो गया। मेरे सपनों का सौदागर मुझे इस तरह मिल जायेगा, मैंने कभी सोचा ना था।
मैं एक दिन अपने काम में बिज़ी थी कि लगा कोई मेरी डेस्क के पास आकर रुका।
“आय वांट टू मीट मिस्टर ताहिर अज़ीज़ खान!”
“ऐनी अपायंटमेंट?” मैंने सिर झुकाये हुए ही पूछा|
“नो!”
“सॉरी ही इज़ बिज़ी,” मैंने टालते हुए कहा।
“टेल हिम, जावेद, हिज़ सन वांट्स टू मीट हिम।”
मैंने एक झटके से अपना सिर उठाया और उस खूबसूरत और हेंडसम आदमी को देखती रह गयी। वो भी मेरी खूबसूरती में खो गया था।
“ओह मॉय गॉड! क्या चीज़ हो तुम। तभी डैड आजकल इतना ऑफिस में बिज़ी रहने लगे हैं।” उन्होंने कहा, "बाय द वे, आपका नाम जान सकता हूँ?”
"शहनाज़”
“शहनाज़ ! अब ये नाम मेरे ज़हन से कभी दूर नहीं जायेगा।”
मैंने शरमा कर अपनी आँखें झुका ली। वो अंदर चले गये। वापसी में उन्होंने मुझसे शाम की डेट फिक्स कर ली।
इसके बाद तो हम डेली मिलने लगे। हम दोनों पूरी शाम एक दूसरे की बाँहों में बिताने लगे। जावेद बहुत ओपन माइंड के आदमी थे।
एक दिन ताहिर जी ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और एक लेटर मुझे दिया। “ये है तुम्हारा टर्मिनेशन लेटर। यू आर बींग सैक्ड,” उन्होंने तेज़ आवाज के साथ कहा।
"ल...लेकिन मेरी गलती क्या है?” मैंने रुआंसी आवाज में पूछा।
“तुमने मेरे बेटे को अपने जाल में फांसा है”
“लेकिन सर…”
“कोई लेकिन वेकिन नहीं” उन्होंने मुझे बुरी तरह झिड़कते हुए कहा, “नाओ गेट लोस्ट!”
मेरी आँखों में आँसू आ गये। मैं रोती हुई वहाँ से जाने लगी। जैसे ही मैं दरवाजे तक पहुँची, उनकी आवाज सुनायी दी।
“शाम को हम तुम्हारे पेरेंट्स से मिलने आ रहे हैं। जावेद जल्दी निकाह करना चाहता है।”
मेरे कदम ठिठक गये। मैं घूमी तो मैंने देखा कि मिस्टर ताहिर अपनी बांहें फैलाये मुस्कुरा रहे हैं। मैं आँसू पोंछ कर खिलखिला उठी। और दौड़ कर उनसे लिपट गयी।