Thread Rating:
  • 6 Vote(s) - 2.33 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#4
“देखो तुम मेरे बेटे से मिलो। उसे अपना बॉय फ्रेंड बना लो। बहुत हेंडसम है वो। मेरा तो अब समय चला गया है तुम जैसी लड़कियों से फ्लर्ट करने का....” उन्होंने मुझे अपनी गोद से उठाते हुए कहा, “देखो ये ऑफिस है। कुछ तो इसकी तहज़ीब का खयाल रखा कर। मैं यहाँ तेरा बॉस हूँ। किसी ने देख लिया तो पता नहीं क्या सोचेगा कि बुड्ढे की मती मारी गयी है।“ 


इस तरह अक्सर मैं उनसे चिपकने की कोशिश करती थी मगर वो किसी मछली की तरह हर बार फ़िसल जाते थे।

इस घटना के बाद तो हम काफी खुल गये। मैं उनके साथ उलटे सीधे मजाक भी करने लगी। लेकिन मैं तो उनकी बनायी हुई लक्ष्मन रेखा क्रॉस करना चाहती थी। मौका मिला होली को।

होली के दिन हमारे ऑफिस में छुट्टी थी। लेकिन फैक्ट्री बंद नहीं रखी जाती थी, कुछ ऑफिस स्टाफ को उस दिन भी आना पड़ता था। मिस्टर ताहिर हर होली को अपने स्टाफ से सुबह-सुबह होली खेलने आते थे। मैंने भी होली को उनके साथ हुड़दंग करने के प्लैन बना लिया। उस दिन सुबह मैं ऑफिस पहुँच गयी। ऑफिस में कोई नहीं था। सब बाहर एक दूसरे को गुलाल लगा रहे थे। मैं लोगों की नज़र बचाकर ऑफिस के अंदर घुस गयी। अंदर होली खेलना अला‍ऊड नहीं था। मैं ऑफिस में अंदर से दरवाजा बंद कर के उनका इंतज़ार करने लगी। कुछ ही देर में मिस्टर ताहिर की कार अंदर आयी। वो कुर्ते पायजामे में थे। लोग उनसे गले मिलने लगे और गुलाल लगाने लगे। मैंने गुलाल निकाल कर एक प्लेट में रख लिया और बाथरूम में जाकर अपने बालों को खोल दिया। रेशमी ज़ुल्फ खुल कर पीठ पर बिखर गयी। मैंने एक पुरानी शर्ट और स्कर्ट पहन रखी थी। स्कर्ट काफी छोटी थी। मैंने शर्ट के बटन खोल कर अंदर की ब्रा उतार दी और शर्ट वापस पहन ली। शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले रहने दिये जिससे मेरे आधे बूब्स झलक रहे थे। शर्ट छातियों के ऊपर से कुछ घिसी हुई थी इसलिये मेरे निप्पल और उनके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नज़र आ रहा था। उत्तेजना और डर से मैं मार्च के मौसम में भी पसीने-पसीने हो रही थी।

मैं खिड़की से झाँक रही थी और उनके फ्री होने का इंतज़ार करने लगी। उन्हें क्या मालूम था मैं ऑफिस में उनका इंतज़ार कर रही हूँ। वो फ्री हो कर वापस कार की तरफ़ बढ़ रहे थे। तो मैंने उनके मोबाइल पर रिंग किया।

“सर, मुझसे होली नहीं खेलेंगे।”

“कहाँ हो तुम? शहनाज़ ... आ जाओ मैं भी तुमसे होली खेलने के लिये बेताब हूँ,” उन्होंने चारों तरफ़ देखते हुए पूछा।

“ऑफिस में आपका इंतज़ार कर रही हूँ!”

“तो बाहर आजा ना! ऑफिस गंदा हो जायेगा!”

“नहीं! सबके सामने मुझे शरम आयेगी। हो जाने दो गंदा। कल करीम साफ़ कर देगा,” मैंने कहा।

“अच्छा तो वो वाली होली खेलने का प्रोग्राम है?” उन्होंने मुस्कुराते हुए मोबाइल बंद किया और ऑफिस की तरफ़ बढ़े। मैं लॉक खोल कर दरवाजे के पीछे छुप गयी। जैसे ही वो अंदर आये मैं पीछे से उनसे लिपट गयी और अपने हाथों से गुलाल उनके चेहरे पर मल दिया। जब तक वो गुलाल झाड़ कर आँख खोलते, मैंने वापस अपनी मुठ्ठियों में गुलाल भरा और उनके कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर उनके सीने में लगा कर उनके सीने को मसल दिया। मैं उनके दोनों सीने अपनी मुठ्ठी में भर कर किसी औरत की छातियों की तरह मसलने लगी।

“ए..ए.... क्या कर रही है?” वो हड़बड़ा उठे।

“बुरा ना मानो होली है,” कहते हुए मैंने एक मुठ्ठी गुलाल पायजामे के अंदर भी डाल दी। अंदर हाथ डालने में एक बार झिझक लगी लेकिन फिर सब कुछ सोचना बंद करके अंदर हाथ डाल कर उनके लंड को मसल दिया।
[+] 3 users Like rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 24-04-2020, 03:01 AM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)