24-04-2020, 02:42 AM
“हे! इन्हें इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाऊँगी।” समीना हँसती हुई अपने ब्लाऊज़ के बटन बंद करने लगी।
“अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी”, नीता ने पूछा।
“नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गयी।”
“इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गयी?” नीता ने पूछा।
“हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा”, समीना ने हँसते हुआ कहा, “एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।”
“तुमने मना नहीं किया?” शबनम ने पूछा।
“शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया”, समीना हँसते हुए बोली।
“क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?” नीता ने पूछा।
“नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी”, समीना बोली।
“महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?” शबनम ने पूछा।
“महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?” समीना ने कहा। नीता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, “हाँ मालूम है।”
“अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता”, समीना ने कहा।
“हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और...” शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
“क्या राज तुम दोनों को चोद रहा है?” समीना ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ! कई महीनों से”, नीता हँसते हुए बोली, “अगर तू चाहे तो राज तुझे भी चोद सकता है।”
“ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ”, समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, “मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?”
“मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि राज का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है”, शबनम बोली।
“ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता”, समीना बोली।
“अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना.... मैं उसे अभी बुलाती हूँ....”
“नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी”, समीना ने नीता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद नीता ने मुझे आवाज़ लगायी, “राज.... यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।”
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। “किसने मुझे पुकारा?” मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, नीता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, “तुम खुद देख लो।”
“हाय अल्लाह! राज तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।” समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। नीता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।
“शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है”, नीता हँसते हुए बोली।
“नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये”, शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। “राज! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो”, शबनम बोली।
“राज! समीना को चोदते क्यों नहीं?” इतने में नीता भी बोली।
“अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी”, नीता ने पूछा।
“नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गयी।”
“इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गयी?” नीता ने पूछा।
“हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा”, समीना ने हँसते हुआ कहा, “एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।”
“तुमने मना नहीं किया?” शबनम ने पूछा।
“शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया”, समीना हँसते हुए बोली।
“क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?” नीता ने पूछा।
“नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी”, समीना बोली।
“महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?” शबनम ने पूछा।
“महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?” समीना ने कहा। नीता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, “हाँ मालूम है।”
“अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता”, समीना ने कहा।
“हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और...” शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
“क्या राज तुम दोनों को चोद रहा है?” समीना ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ! कई महीनों से”, नीता हँसते हुए बोली, “अगर तू चाहे तो राज तुझे भी चोद सकता है।”
“ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ”, समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, “मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?”
“मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि राज का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है”, शबनम बोली।
“ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता”, समीना बोली।
“अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना.... मैं उसे अभी बुलाती हूँ....”
“नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी”, समीना ने नीता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद नीता ने मुझे आवाज़ लगायी, “राज.... यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।”
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। “किसने मुझे पुकारा?” मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, नीता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, “तुम खुद देख लो।”
“हाय अल्लाह! राज तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।” समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। नीता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।
“शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है”, नीता हँसते हुए बोली।
“नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये”, शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। “राज! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो”, शबनम बोली।
“राज! समीना को चोदते क्यों नहीं?” इतने में नीता भी बोली।