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Adultery तरक्की का सफ़र
#4
ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना। इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।
 
मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।
 
अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत। इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
 
हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
 
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।  
 
मुझे भी तुम पसंद हो नीता, मैंने कहा।
 
नीता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।
 
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।
 
नहीं राज, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी। इतना कहकर वो चली गयी।
 
उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गयी थी, तरक्की हो गयी, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गयी। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।
 
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।
 
समीना कहाँ है?” मैंने शबनम और नीता से पूछा।
 
लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है। शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।
 
लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी। 
 
राज चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है, नीता ने कहा।
 
राज, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो नीता तुम्हें दिखाने ले गयी थी?” शबनम ने पूछा।
 
काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो नीता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता, मैंने जवाब दिया।
 
पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से नीता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।
 
नीता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।
 
एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, राज आज मेरी तुम गाँड मारो।
 
ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।
 
अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात... तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे, उसने कहा। 
 
मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा... पर एक शर्त पर... अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?”
 
उसने कहा ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?”
 
क्यों वेसलीन का क्या करोगी?” मैंने पूछा।
 
वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो, उसने कहा।
 
मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।
 
मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।
 
ममममम... अच्छा लग रहा है राज, अब तड़पाओ नहीं... प्लीज़! जल्दी से डाल दो। इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 24-04-2020, 02:37 AM



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