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Adultery तरक्की का सफ़र
#2
वेलकम टू ऑर कंपनी राज, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?”
 
सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा, मैंने जवाब दिया।
 
मिस्टर महेश बोले, आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।
 
हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, लेडिज़ ये मिस्टर राज हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और राज इनसे मिलो... ये मिसेज नीता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना। 
 
मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम ४० साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का १६ और लड़की १५ साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे।
 
मिसेज नीता, ३५ साल की शादी शुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। नीता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी... एकदम तरबूज़ की तरह।
 
मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र २७ साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।
 
हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।
 
सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं, मैंने कहा।
 
शाबाश राज, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो! कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।
 
देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?” एम-डी ने कहा।
 
थैंक यू वेरी मच सर! मैंने जवाब दिया।
 
इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो, कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।
 
मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।
 
एक दिन नीता मुझसे बोली, राज! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।
 
हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ, मैंने जवाब दिया।
 
मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो, नीता ने कहा।
 
अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा, मैंने जवाब दिया।
 
तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे, नीता ने कहा।
 
ठीक है, मैंने जवाब दिया।
 
दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
 
थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं, मैंने कहा।
 
अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये, नीता ने जवाब दिया।
 
ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।
 
दो महीने का किराया एडवाँस, उसने जवाब दिया।
 
लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है, मैंने जवाब दिया।
 
कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
 
नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे, मैंने कहा।
 
कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
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RE: तरक्की का सफ़र - by rohitkapoor - 24-04-2020, 02:31 AM



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