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शादी में चुदाई की कहानियाँ
#21
C






B


Sample 


[Image: 9ddenr.gif]




बजे शादी हो गई सब घर जा रहे थे तब मैने आयशा को बुलाया और कहा आयशा कुछ काम है वो बोली आपका काम हो गया अब क्या काम है उसकी आवाज़ मे थोड़ी नाराजगी थी मैने कहा अरे यार नाराज़ मत हो मज़ा नही आया तुम भी जल्दी मे थी कुछ और प्लान बनाओ ना उसने कहा तुम्हे प्लान सूझ रही है मेरी




[Image: 9ddepz.gif]


B
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
(02-12-2024, 12:33 PM)neerathemall Wrote:
शादी में चुदाई की कहानियाँ


जाने अनजाने लोग





नई श्रृंखला

[Image: 9ddee3.gif]








बजे शादी हो गई सब घर जा रहे थे तब मैने आयशा को बुलाया और कहा आयशा कुछ काम है वो बोली आपका काम हो गया अब क्या काम है उसकी आवाज़ मे थोड़ी नाराजगी थी मैने कहा अरे यार नाराज़ मत हो मज़ा नही आया तुम भी जल्दी मे थी कुछ और प्लान बनाओ ना उसने कहा तुम्हे प्लान सूझ रही है मेरी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
(02-12-2024, 12:33 PM)neerathemall Wrote:
शादी म


जाने अनजाने लोग













तो दोस्तों फिर करीब 7 बजे शादी हो गई सब घर जा रहे थे तब मैने आयशा को बुलाया और कहा आयशा कुछ काम है वो बोली आपका काम हो गया अब क्या काम है उसकी आवाज़ मे थोड़ी नाराजगी थी मैने कहा अरे यार नाराज़ मत हो मज़ा नही आया तुम भी जल्दी मे थी कुछ और प्लान बनाओ ना उसने कहा तुम्हे प्लान सूझ रही है मेरी सूज गई है अभी भी दर्द है कितनी ज़ोर से किया है प्लीज़ अबकी बार आराम से करूँगा और पहली बार तो दर्द होता ही है मैने कहा प्लीज़ मान जाओ तुम तैयार हो तो मैं कुछ ना कुछ कर लूँगा उसने कहा मैं नही जानती आप जानो आपका काम जाने मैने कहा ठीक है.
रात को रिशेप्शन था हम लोग तैयार हो रहे थे तब आयशा उसी कमरे मे घुसी जहाँ मैने उसे चोदा था शायद तैयार होने गई थी हम जल्दी तैयार हो कर रिशेप्षन हॉल मे पहुँच गये कुछ देर बाद आयशा भी पहुँच गई उसने ब्लू कलर का लंहगा पहना था क्या सेक्सी लग रही रही थी वो चोली मे उसके क्लवेज अब और साफ साफ नज़र आ रहे थे मैने उसके पास जाकर कहा बहुत प्यारी लग रही हो उसने कहा अच्छा जी तुम्हे तो हरदम यही सूझता रहता है मैने कहा क्या प्रोग्राम है उसने कहा किस बात का मैने कहा जो बात बची है उसने कहा कोई बात नही बाकी और कोई मौका भी नही है मेने कहा अभी घर मे सब लेटे है सब इतना थक गये है की कोई यहा आना नही चाहता मैने कहा मेरे पास प्लान है उसने कहा आपका दिमाग़ कही और भी चलता है की दिन भर यही बाते सोचते हो मैने कहा तुम अगर पास होगी तो और क्या होगा.

मैने कहा रात को मैं प्लान बताऊंगा तो वो बोली ठीक है देखते है रिशेप्शन ख़त्म हो गया और हम घर आ गये मैने धीरे से आयशा से कहा कहा सोओंगी कहाँ ? वही बच्चो के साथ मैने कहा ठीक है मैं आऊंगा रात 1 बजे मैं उठा और आयशा के कमरे की तरफ गया उसका दरवाजा खुला था मैने आयशा को उठाया वो हड़बड़ा गई लेकिन मुझे देखते ही चुप हो गयी उस समय आयशा नाइटी मे थी मैने उसे इशारे से पीछे आने को कहा मै उसे सीधे छत पर ले गया वो बोली ये क्या है भैया यहा क्यो लाये हो मैने कहा कोई कमरा खाली नही है इसलिये वो बोली ज़रूरत क्या थी दोपहर को कर तो लिया था ना मैने कहा मज़ा नही आया वो बोली यहाँ कहाँ होगा मैने उसे दिखाया वहा पर पानी की टंकी और छत की पिंजरी के बीच में कुछ जगह थी जहा मैने पहले से एक कंबल लगा रखा था दिसम्बर का महीना था और ठंड अपने जोरो पर थी इसलिये कंबल ओढ़ने के लिये मिला था. 
उसे मै उपर ले आया और बिछा दिया वो बोली भैया बहुत बदमाश हो मैने छत का दरवाजा अंदर से बंद किया और दोनो बैठ गये उसने कहा भैया नाइटी मत उतारना ऐसे ही कर लो मैने कहा ठीक है अब वो बिना किसी टेन्शन के लेट गई मैने उसकी टांगो से उसकी नाइट उपर की और उसकी पेंटी को उतार दिया और उपर की ब्रा भी खोल दी और उसके बूब्स को आज़ाद कर दिया वो बोली कुछ मत निकालो ना मैने कहा कैसे होगा तो तब उसने अपनी नाइटी उपर तक उठा दी बूब्स तक वो पूरी नंगी हो गई थी मैने लोवर और बनियान पहनी थी दोनो निकाल दिये मेरा लंड तो तना हुआ था वो आयशा के बिल मे जाने के लिये तड़प मार रहा था उपर छत पर टेंट लगा था और चारो ओर से कवर था इसलिये कही से कोई देखने का खतरा नही था. 
अब मैने आयशा को चूमना शुरू किया और बूब्स चूसने और दबाने लगा हवा थोड़ी उन पर्दो से हल्की हल्की आ रही थी और हम दोनो को मधहोश कर रही थी अब हम दोनो उस खेल मे इतना खो गये की हमें होश ही नही था की हम लोग कहाँ है मै उसे अब भी प्यार कर रहा था उसकी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी तो वो बोली भैया पहले जीभ से प्यार करो ना मेने झुक कर उसकी पूरी चूत को मुँह मे भर लिया और आम की तरह चूसने लगा फिर नीचे से लेकर उपर तक जीभ से चाटने लगा अब वो मुझे उपर की तरफ खींचने लगी तो मैने अपने तने हुये लंड को उसकी चूत पर रख कर अंदर डालने लगा उसने टाँगे और फैलाई लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी और अपनी गांड उठा रही थी मैने उसकी टाँगे मोड़ दी और दंड पेलने की तरह उसे चोदने लगा लंड धीरे धीरे अन्दर जा रहा था और वो स्सस्सस्स कर रही थी लंड पूरा का पूरा अन्दर जा चुका था. 
अब मैने जोर लगाना शुरू कर दिया फिर आयशा को अपने उपर ले लिया और उसकी नाइटी उतार दी अब उसके बूब्स को मसलते हुये मैने उसे उपर नीचे होने को कहा और वो ऐसा करने लगी बहुत देर तक ऐसा ही चलता रहा कभी वो उपर या नीचे होती वो मेरे उपर थी की वो झड़ गई अब मैने उसे नीचे किया और फिर उसे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और वो बोलने लगी डार्लिंग क्या खा कर आये हो मैने कहा कुछ नही तुम्हारा प्यार है और मेरी स्पीड बरकरार थी फिर हम एक साथ ही झड़ गये मेरा गर्म–गर्म वीर्य उसके गर्भ मे गिर रहा था और वो आँख बंद कर आनंद मे डुबी हुई थी हम दोनो अलग हुये तो देखा आयशा अभी भी लंबी लंबी साँसे ले रही मैने पूछा क्या हुआ वो थक गई थी वो बोली अब मैं जा रही हूँ मैने कहा जल्दी क्या है.
मैने उसे दूसरी बार चोदने के लिये मनाया बहुत कहने पर मान गई और फिर उसके उपर चढ़ गया दोनो झड़ कर शांत हुये तो मैने कहा अब कब मिलेगे ज़ान एक बार और दे दो वो बोली तुम्हारा दिल नही भरने वाला मे तो चली मेने उसके प्यारे मुँह को चूमा और कहा की क्या तुम अपने भैया से सच्चा प्यार नही करती वो बोली आप तो मेरे दिल मे बसे हो लेकिन वक़्त का भी तो ख्याल करो सवेरा होने वाला है यह कह कर उसने उसकी नाइटी से अपनी चूत साफ की और टाँगे उठा कर बोली की एक बार और ले लो पर जल्दी कर लो अब मैने फिर से उसे जम कर चोदा और हम दोनो संतुष्ट हो गये अब हम दोनो ने कपड़े पहने और नीचे आ गये उस समय सुबह के 5 बज चुके थे कही कोई उठ ना जाये इसलिये दोनो जाकर सो गये. 
सुबह मै देर तक सोता रहा जब उठा तो घर मे काफ़ी शोर था सब मेहमान वापस जाने की तैयारी कर रहे थे पर आयशा कही दिखाई नही दे रही थी मेरी निगाहे उसे ढूंढ रही थी फिर मैने सोचा की वो अभी तक सो रही होगी पर थोड़ी देर मे देखा आयशा मेरी तरफ ही आ रही थी वो मुझसे बोली भैया चलो हम भी घर चले मेने थोड़ा सा नज़दीक हो कर कान मे कहा की आज भी यहीं रुक जाते है और उसकी तरफ आँख मार दी उसने मेरी तरफ नाक मरोड़ कर कहा,” लगता है यहाँ ज़्यादा ही दिल लग गया है पराये घर मे ये सब रिस्की है चलो घर जा कर मौका निकाल लेंगे मे बोला की अच्छा ये बताओ दिन वाली मूवी अच्छी थी या रात वाली वो मुस्कुराई और बोली दोनो अच्छी थी मैने कहा ज्यादा अच्छी कौन सी थी वो शरमाते हुये बोली रात वाली मैने कहा ठीक है तो जल्दी चलो वो बोली घर चल कर मम्मी पापा का ध्यान रखना कहीं जाते ही ना मुझ पर टूट पड़ना.
मेने कहा अच्छा बाबा जैसा कहोगी वैसे करूँगा और अपने घर मे ही रात वाली मूवी देखेंगे मेरी चुदाई से आयशा का चेहरा खिल उठा था घर पहुँचे तो मम्मी ने कहा हम तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे कल अमावस्या है में तेरे पापा के साथ मे हरिद्वार जा रही हूँ गंगा स्नान करके कल आयेगे हम दोनो की खुशी छुपाये ना छुप रही थी मम्मी ने हिदायत दी की तुम घर पर ही रहना आयशा को अकेले घर पर छोड़ कर ना जाना मेने कहा ठीक है मम्मी मैं आयशा का पूरा ख्याल रखूँगा आयशा मंद-मंद मुस्कुरा रही थी जैसे ही मम्मी पापा घर से निकले तो मम्मी ने कहा की अंदर से दरवाजा बंद करके रखना मे अंदर से दरवाजा बंद करके जैसे ही मुड़ा तो आयशा दौड़ कर मुझसे लिपट गयी और बोली लो भैया वहाँ की सारी कमी पूरी कर लो मे बिल्कुल मना नही करूँगी. 
मे बोला की आयशा शादी मे तू गांड मटका-मटका कर चलती थी तो मेरा दिल तेरी गांड मारने का बहुत करता था आज तो पहले मे तेरी गांड मारूँगा ठीक है भैया अब मेरी चीख भी निकली तो किसी को सुनाई नही देगी मेरा दिल भी गांड मरवाने को करता है मे फटाफट आयशा को बेड पर ले गया और अपने कपड़े उतार दिये आयशा ने भी जीन्स और टॉप उतारे और घोड़ी बनकर मेरे खड़े लंड को देखने लगी उसने पेंटी और ब्रा नही पहने थे मेरे सामने उसके चौड़े और भारी नितंभ थे मेने पीछे से उसके चिकने मसल कूल्हे पकड़े और गांड का चुम्मा लिया फिर मे गांड को पागलो की तरह चाटने लगा आयशा के मुँह से लगातार सिसकियां निकल रही थी. 
फिर मेने अपने लंड के मोटे सूपाडे को उसकी गांड पर रखा तो उसके मुँह से मीठी सी सिसकारी निकली “हाय भैया आहिस्ता-आहिस्ता डालना मेरी गांड कुँवारी है”मेने थोड़ा ज़ोर लगाया तो गधे जैसे लंड के सूपाडे ने गांड के टांके तोड़ दिये और सूपाड़ा गांड मे घुस गया आयशा की आँखो से आँसू निकल आये वो बोली भैया सूखा ही मारोगे लाओ मे तुम्हारे लंड को भी गीला कर देती हूँ मेने लंड निकाला तो आयशा ने उसे मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया वो कह रही थी की आपका सूपड़ा ही मेरे मुँह मे मुश्किल से आता है पूरा लंड तो मेरी गांड का बुरा हाल कर देगा अच्छी तरह लंड चूसने के बाद वो फिर घोड़ी बन गयी उसके मोटे मोटे चूतडो पर मेने दाँत गड़ा दिये. 
मेने फिर उसकी गांड को चूमा और जीभ से चाटा आयशा ने पीछे मूड कर विनती की अब आ भी जाओ भैया तवे को गर्म देख कर मे घोड़े की तरह चढ़ गया और एक जोरदार धक्के के साथ लंड को उसकी गांड मे घुसेड दिया मेरा आधा लंड गांड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया आयशा चिल्लाई ज़रा रूको भैया मे मरी मेने रुक कर उसकी सुन्दर गर्दन को चूमा उसका मुँह पीछे की तरह करके गालों को मुँह मे भर कर चूसने लगा मेने महसूस किया की उसने अपनी जांघे पूरी फैला ली हैं और लंड को एड्जस्ट कर लिया है मेने एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत के लहसुन को सहलाना शुरू कर दिया इससे उसके नितंब हरकत करने लगे मे समझ गया की गांड अब और ज़्यादा लंड माँग रही है.
मेने एक ज़ोरदार शॉट मारा और मेरे अंडकोष उसके गद्देदार चूतडो से जा टकराये पूरा 10 इंच का लंड उसकी गांड मे घुस गया था अब मेने आहिस्ता-आहिस्ता शॉट लगाने शुरू कर दिये उसके भारी चूतड़ भी ताल से ताल मिलाने लगे कुछ ही देर मे लंड के धक्कों और उसकी सिसकारियों मे तेजी आ गयी और वो बस बस करके झड़ने लगी मे भी सारा वीर्य उसकी गांड मे डाल कर उसके उपर ही ढेर हो गया हमने मम्मी पापा के आने तक ना दिन देखा ना रात बस चुदाई मे लगे रहे जैसे 2 दिन बाद दुनिया का अंत होने वाला हो उसके बाद तो आयशा को मेरे लंड का ऐसा चस्का लगा है की
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#24
Upar ka pahla bhag






हम वहा दोपहर मे पहुंचे थे जब शादी के पहले लेडीस संगीत का कार्यक्रम चल रहा था मेरी नज़र आयशा पर थी वो कार्यक्रम एक भवन मे था जो की घर से कुछ दूरी पर था जब हम पहुंचे तो कार्यक्रम शुरू हो चुका था हम वही कुर्सी पर बैठ गये और कुछ लड़किया डांस कर रही थी आयशा ने उस समय घागरा चोली पहना था वो बहुत ही सेक्सी लग रह रही थी और उस भीड़ मे वो सबसे अलग थी अब चढ़ती जवानी मे आयशा के अंदाज ही बदल गये थे.
मेरी छेड़-छाड़ से उसके चूचे और चूतड़ तो एक भरपूर जवान लड़की जैसे हो गये थे उसके चूतड़ और चूचीयाँ भारी ज़रूर हो गयी थी पर जबरदस्त फिगर मेनटेन किया था लॉ कट की चोली पहनने के कारण उसके क्लीवेज साफ साफ दिख रहे थे मेरी नज़र सिर्फ़ आयशा के चूतडो पर ही थी वो जब कमर मटका मटका कर चलती तो उसके भारी कूल्हे लहंगे मे गजब ढा रहे थे वो कजरारे-कजरारे गाने पर कमर लचका के ठुमके लगा रही थी उसकी ये अदाये बहुत ही सेक्सी थी जब कार्यक्रम ख़त्म हो गया तब मेने आयशा को सब से मिलवाया अब हम लोग उस प्रोग्राम से वापस आने के लिये गाड़ी का वेट कर रहे थे तभी कार आई और सब बैठ गये हम अकेले ही बचे थे आयशा पिछली सीट पर विंडो की तरफ बैठी थी.
उसने सरक कर कहा भैया बैठ जाओ मैने कहा बाद मे आ जाऊंगा उसने कहा कुछ नही होता घर तक जाना है बैठ जाइये मैं उसके बगल मे बैठ गया उसका पूरा शरीर मेरे शरीर से सटा था उसकी मोटी मोटी जाँघो पर मेरा हाथ चला गया उसने ध्यान नहीं दिया पर मेरे मन मे चोर था वो जाग गया रात को खाना खाते समय आयशा और बाकी लड़कियां साथ मे खाना खा रहे थे आयशा ने मुझे आते देखा और कहा भैया खाना खा लो मैने कहा अभी नहीं थोड़ा देर से खाऊंगा उसने कहा क्या कोई और प्रोग्राम है मैने कहा नही कुछ नही अभी भूख नही है उसने कहा जो आपको अच्छा लगे मेरी प्लेट में से खा लीजिये मैने कहा ठीक है और हम खाना खाने लगे अब मै धीरे धीरे मेरी बहन को बातो मे फंसाना चाहता था मैने कहा आज तुम बहुत अच्छा डांस कर रही थी और हर कोई तुम्हारी डांस की तारीफ कर रहा था और आज तुम लग भी बहुत खूबसूरत रही हो उसने कहा थैंक्स भैया आयशा बहुत खुले विचारो की थी.
अब मै उसकी और तारीफ करने लगा अब वो बहुत ही खुल के बात कर रही थी मैने कहा यहाँ के जवान लड़को से बच के रहना तुम बड़ी कातिल लग रही हो वो शरमा गई और बोली बड़ी तारीफ कर रहो भैया क्या बात है बीच बीच मे मेरी नज़र आयशा के क्लवेज पर पड़ जाती उसने अभी तक वही ड्रेस पहन रखी थी इस बात को वो भी समझ रही थी और बार बार अपनी चुन्नी को ठीक करके अपने क्लवेज को छुपाने की कोशिश करती मेरा पापी मन अब पूरी तरह से बिगड़ चुका था अब मै उसे पाने के लिये प्लान बनाने लगा पर मुझे लग रहा था की मुश्किल है और डर भी था की काम नही हुआ तो इज़्ज़त चली जायेगी आयशा खाना खा चुकी थी मैने कहा मैं चलता हूँ और में वहा से निकल गया इन सब बातो से पहले आयशा का मन जानना बहुत ज़रूरी था.
रात को हम सब बैठ कर बाते कर रहे थे तब आयशा मेरे सामने बैठी थी उसने उस समय ढीला ढीला पंजाबी सलवार सूट पहना था और हमारी नज़रे मिल रही थी मै गौर से आयशा की तरफ ही देख रहा था ये बात उसे भी पता थी पर वो नज़रे चुरा रही थी बीच बीच मे वो मेरी तरफ देखती कही ना कही उसके मन मे भी कुछ कुछ चल रहा था उस रात वो लेडीस के साथ ही सो गयी दूसरे दिन अब मेरा पूरा ध्यान आयशा की तरफ़ ही था उस दिन कोई खास प्रोग्राम नही था इसलिये मैने प्रोग्राम बनाया पास ही एक वॉटर फॉल था सब वहा चले गये कुछ बच्चे तैयार हुये मैने आयशा से कहा तुम भी चलो वो तैयार हो गई.
मैने कहा जल्दी तैयार हो जाओ कुछ देर बाद आयशा तैयार होकर आ गई उस समय आयशा ने चूड़ीदार सूट पहना था और टाइट कुर्ती जिससे जैसे मुमताज़ ने तौबा ये मतवाली चाल गाने मे पहना हुआ था और उसके बूब्स और बड़े बड़े लग रहे थे पीछे से उसकी वाइट कलर की ब्रा का स्ट्रॅप साफ दिख रहा था पहली बार उसके बूब्स की साइज़ देख कर मैं भी हैरान रह गया मेरी नज़र उसके बूब्स पर टिकी थी उसे भी लगा की मै उसके बड़े बड़े गोल गोल बूब्स ही देख रहा हूँ कार मे वो मेरे बाजू मे ही बैठी कुछ दूर चलने के बाद मैने अपना हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और उससे बाते करने लगा वहा पर भी एक दो जगह उसका हाथ पकड कर उसे संभाला बाकी सब बच्चे थे इसलिये कोई डर नही था वापस लौटते लौटते शाम हो गई अब भी हम बगल मे बैठे थे मैने एक हाथ उठाकर आयशा के कंधे पर रख दिया उसने मेरी तरफ़ देखा और कुछ नही कहा मैने उस हाथ को वही रहने दिया.
एक दो बार जब कार मे झटका लगता था तो मेरा हाथ उसके बूब्स को टच कर देता था और मै ऐसे बर्ताव कर रहा की जेसे ये सब अंजाने मे हो रहा है पर ये बात दोनो समझ रहे थे की हो क्या रहा है अब अंधेरा काफ़ी हो गया था अब मैं एक बार उसके बूब्स दबाना चाहता था फिर चाहे जो हो और इससे अच्छा मौका मुझे घर पर नही मिल सकता था और ऐसे दबाना चाहता था की उसे भी अहसास हो जाये की ये मैने जानबूझ कर किया है अब मैने एक बार फिर मैने एक हाथ उसकी जाँघ पर रख दिया और दूसरा हाथ अब भी उसके कंधे पर था मोका पाकर अब एक हाथ से जो की जाँघ पर रखा था पूरा मैने उसका पूरा बूब्स हाथ मे लिया और ज़ोर से दबा दिया वो मेरी ओर गुस्से देखने लगी मैने कहा क्या हुआ वो बोली बहन को भी कोई ऐसे छेड़ता है किसी ने देख लिया तो? और मेरे हाथ को पकड़ लिया.
अब मैने उसकी उंगलियों मे अपनी उंगलियां डाल दी वो अब भी गुस्से मे थी मैने कहा यार कुछ नही हुआ और धीरे से बोला नाराज़ मत हो वो बोली सब के सामने ऐसा क्यों कर रहे हो? मैने कहा सब बच्चे हैं और अंधेरा हो चुका है अब मेरा हौंसला और बढ़ गया अब मैं धीरे धीरे उसके बूब्स दबाने लगा और वो हल्का हल्का विरोध कर रही थी और वो बोली की तुम्हारी आदत खराब हो गयी है यहाँ पर भी तुम्हारी नज़रें मुझ पर ही रहती हैं कहीं मम्मी पापा को शक हो गया तो बहुत बुरा होगा इस तरह हम घर पहुँच गये हमने साथ मे खाना खाया वहाँ भी आयशा साथ मे थी और हम में किसी प्रकार का झगड़ा नही था और कोई भाई बहन पर शक भी नही करता.
अब मैने आज रात को ही आयशा को पाने की सोच रहा था पर मौका नही मिल रहा था कल शादी थी इसलिये सब जाग रहे थे और सब अपनी अपनी तैयारी मे लगे थे पर मेरा मन अभी तक बेचैन था इस बीच आयशा ने कहा मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ ये उसने मुझे सुनाते हुये कहा था वो उपर जा रही थी तो में उसकी बल खाते भारी पिछवाड़े को ही देख रहा था मेरा तो लंड तन गया उसने ज़रा पीछे मूड कर मेरी तरफ देखा मेने आँख मार दी तो वो जीभ निकाल कर मुझे चिढाते हुये उपर चली गयी मैं मौका पाकर उपर चला गया वहा कोई नही था आयशा जिस कमरे मे थी उसकी लाइट जल रही थी मैं बाजू वाले रूम मे चला गया वहा कोई नही था और आयशा के बाहर निकलने का वेट करने लगा जैसे ही आयशा उस रूम से निकली.
मै उसका हाथ पकड़ कर उसे कमरे के अंदर ले आया वो बोली क्या है भैया छोड़ो मेरी कलाई उसके चहरे पर बनावटी गुस्सा था वो बोली यहाँ क्यो लाये हो? मैने कहा एक बात करनी है वो बोली क्या बात करनी है जल्दी कर लो मैने हिम्मत जुटा कर उसे बाहों मे भर लिया वो कुछ कहती उसके पहले ही मैने उसके होठो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा वो अपने आप को छुड़ाने का नाटक कर रही थी पर मैने उसे कस कर पकड़ रखा था मेरे दोनो हाथ उसकी कमर से होते हुये उसके भारी चूतडो पर जम गये थे वो अपने आप को छुड़ाने का नाटक करते हुये बोली गाड़ी मे इतना सब किया तब भी जी नही भरा मैने कहा उससे तो और प्यास बड़ गई है अब मैं अपने एक हाथ से उसका बूब्स दबाने लगा और दूसरे से नितंभो को दबाने लगा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली भैया अब जाने दो कोई आ जायेगा मैने कहा कोई नही आयेगा और फिर से मैं उसका बूब्स दबाने लगा.
मेरा लंड अब ज़्यादा तन चुका था और आयशा को चोदने को बेकरार था वो छुड़ा कर जाने लगी अब मैने उसे पीछे से पकड़ लिया और अपना तना हुआ लंड उसकी गांड पर गड़ा दिया इस समय हम दोनो ने कपड़े पहन रखे थे पर मेरे खड़े लंड का अहसास उसकी मतवाली गांड को हो गया था और अब दोनो हाथो को आगे लाकर उसके दोनो बड़े-बड़े बूब्स दबाने लगा क्या बूब्स थे उसके एकदम टाइट टाइट मेरे हाथो मे समा नही रहे थे आयशा बोलने लगी भैया छोड़ दो ना कोई आ गया तो फंस जायेगे मैने कहा एक शर्त पर छोड़ दूँगा कल मिलोगी दिन मे? वो बोली कैसे मिलू कहाँ मिलू ? मैने कहा एक प्लान है वो बोली ठीक है बता देना अभी जाने दो कोई उपर ना आ जाये कल प्लान बता देना.
मैने उसके होंठो का फिर किस लिया तो उसकी सिसकारी निकल गयी वो बोली अब छोड़ भी दो सारा प्यार आज ही करोगे क्या बाकी कल कर लेना मैने कहा ठीक है फिर उसे छोड़ दिया वो भाग कर बाहर चली गई और कुछ देर बाद मैं भी नीचे आ गया हम बातचीत कर रहे थे सब साथ मे बैठे थे आयशा की नज़र मुझ पर ही थी और मैं भी उस पर नज़र जमाये हुये था यूँ रात बीत गयी सुबह हो गई आज शादी थी और सुबह से ही रस्म रिवाज शुरू हो गये थे लड़की वाले यही आकर शादी करने वाले थे तो बारात घर से ही निकलने वाली थी समय दोपहर का था मैने आयशा को समझाया जब बारात निकल जायेगी तब घर मे कोई नही होगा तब हम बारात के बीच से घर वापस आ जायेगे फिर बारात भवन पहुँचने मे टाइम लगेगा हम रास्ते मे फिर जॉइन कर लेगे किसी को कोई शक नही होगा उसने कहा ठीक है पर कोई रिस्क तो नही है.
मैने कहा नही ज़रा भी नही दोपहर की तेज धूप मे करीब 1 बजे बारात निकली प्लान के अनुसार मैं कुछ दूर जाने के बाद आयशा को खोजने लगा पर वो नही मिली मैं अब किसी से पूछ भी नही सकता था किसी को शक हो गया तो मुसीबत हो जायेगी तब मैने बच्चो से स्टाइल से पूछा की मेरी बहन आयशा नही दिख रही उसको नचाओ बहुत अच्छा डांस करती है बच्चे बोले उनके सर मे दर्द हो रहा है वो नही आई मैं खुश हो गया की वो वही है मैं लोगो से नज़रे चुराता हुआ घर पहुँचा और घर मे उस समय कोई नही था मैंने पहले कन्फर्म किया खाली एक दो काम वाली ही थी वो सफाई कर रही थी में झट से उपर पहुँचा देखा जिस कमरे मे आयशा थी वहा बाहर से ताला लगा था मैं इधर उधर देखने लगा पर कुछ नही दिखा.
मैने सोचा ये गई कहा कही पागल तो नही बना दिया तभी खिड़की थोड़ी खुली और आयशा ने फुसफुसाते हुये कहा पीछे के दरवाजे से आ जाओ मैं पीछे से कमरे के अंदर पहुँचा कमरे मे हल्का अंधेरा था थोड़ी सी रोशनी उपर की विंडो से आ रही थी आयशा ने वही सूट पहना था मैने कहा क्या फुल प्रूफ काम किया है यार कमरे मे बाहर से ताला अंदर से बंद कोई शक भी नही करेगा अब मैं ज्यादा टाइम वेस्ट करना नही चाहता था वो जानती थी की मै यहा क्यो आया हूँ और मै उसे बाहों मे भर कर उसके होंठ चूसने लगा अब वो भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थी मै लगातार लिप्स चूस रहा था ओर उसने भी मुझे अपनी बाहों मे दबोच लिया और मेरे कान मे फुसफुसा कर बोली एक बार तो मुझे लगा की भैया आप नही आयेगे आइ लव यू भैया अब मैने बिना देर किये उसकी कुर्ती उतार दी.
अब वो वाइट ब्रा मे थी अब अंधेरा कम हुआ और अब कुछ कुछ दिखने लगा था और मैं पहली बार उसे इस पोज़िशन मे देख रहा था सचमुच उसके बूब्स काफ़ी बड़े-बड़े थे वो कुछ गर्म हो गई थी अब वो मेरे होंठ चूसने लगी और जीभ को मेरे मुँह मे डाल दिया मे पूरा मस्त हो कर उसकी जीभ चूसने लगा और मेरा एक हाथ उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरा नितंभो को भींच रहा था मैने एक हाथ को उसकी पीठ पर ले जा कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया जो की बहुत टाइट थी अब पहली बार आयशा को टॉपलेस देख कर मैं पागल हो गया मैने सीधे अपने मुँह को उसके राइट बूब्स पर लगा दिया अब वो मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी और में पागलो के जैसे उसके बूब्स चूस रहा था आयशा मधहोश हो कर अपने हाथो से खुद सलवार का नाडा खोलते हुये बोली की भैया जो करना है जल्दी कर लो कोई उपर आ गया तो मज़ा किरकिरा हो जायेगा..
यह कह कर उसने सलवार निकाल दी और केले के तने जैसी चिकनी गोरी जाँघो को खोल कर ताज़े कमल के फूल जैसी फूली हुई चूत मेरे सामने परोस दी मेरी रानी के थोड़े से जो बाल उगे होंगे वो भी साफ़ कर रखे थे मेने उसके भारी चूतडो के नीचे हाथ रख कर फूली चूत को मुँह मे भर कर चूसने लगा जी करता था खा जाऊं वो पालग पर लेटी हुई थी वो पूरी तरह नंगी थी क्या गोरा-गोरा बदन चिकना बिल्कुल वीनस की मूर्ति की तरह वो सिसकारी ले रही थी अब उसने मेरा लंड जो बिल्कुल तना हुआ था देखकर उसे पकड़ लिया और बोली की वहाँ भी ये ऐसे ही खड़ा था मेने पूछा की तुम्हे कैसे पता? तो वो बोली मेरा ध्यान इस पर ही था फिर वो लंड को सहलाने लगी.
मैने आयशा से पूछा कभी पहले करवाया है तो उसने कहा नही तुम ज़्यादा याद आते हो तो उंगली से कर लेती हूँ मेने पूछा की मैं तुम्हे याद भी आता हूँ वो बोली और नही तो क्या तुम घर मे भी तो आस पास ही प्यासे भंवरे की तरह मंडराते रहते हो और तुम्हारा ये तो मुझे देखते ही खड़ा हो जाता है बोलो में सच कह रही हूँ ना? सच डार्लिंग तूने तो मेरा चैन ही ले लिया है मेने अब उसकी चूत मे जीभ डाली वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी वो फिर सिसकारी लेते हुये बोली की भैया जल्दी कर लो कोई देख ना ले वो चुदने के लिये बेचैन हो गयी और अब में भी उसे चोदने के लिये तैयार था अब मै उसकी टांगो के बीच मे आ गया और उसकी टांगो को और फैलाया और फिर उसकी चूत को एक बार फिर चाटने और चूमने लगा.
वो बोली डार्लिंग देर मत कर अब जल्दी कर लो जाना भी है मैने कहा ठीक है एक किस तो और कर लूँ और मेने उसकी रोटी जेसी चूत का भरपूर चुम्मा लिया उसकी जांघे अपने आप ही और फैल गयी मेने पूरी चूत को जीभ से चाट चाट कर भीगो दिया फिर वो मेरे गधे जैसे मोटे लंड को पकड़ कर बोली की इसे भी गीला करना पड़ेगा नही तो इतना मोटा कैसे अंदर जायेगा यह कह कर वो मेरे लंड को चूमने और चाटने लगी उसने पूरा मुँह खोल कर लंड को मुँह मे लेना चाहा पर मुश्किल से आधा सुपाड़ा ही मुँह मे गया था की मुँह ब्लॉक हो गया लेकिन सुपाडे को चाट चाट कर उसने और फूला दिया अब मैने अपना पूरी तरह खड़ा मोटा लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर उसकी चूत मे अपने लंड का सूपड़ा उसके अंदर रगडने लगा वो सिसकियां भरने लगी मैने कहा कुछ नही हुआ अभी तो तुम पहले ही चिल्ला रही हो वो अपनी मधहोश आवाज़ मे बोली डार्लिंग जल्दी करो ना और अपने हाथो से मुझे अपनी ओर खींचना चाहा.
मैने उसके द्वारा गीले किये गये सूपडे को चूत के मुँह पर लगाया और उसकी गीली चूत मे धीरे-धीरे डालने लगा वो भी अपनी गांड उछाल कर लंड को अपने अंदर लेने की कोशिश करने लगी मैं उसके ऊपर आ गया और उसके पैरो को और चौड़ा करके चूत मे लंड डालने लगा अब तक थोड़ा ही सूपड़ा ही अंदर गया था की वो दर्द के कारण आहे भर रही थी अब मैने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगा अब मौका था की लंड को पूरा का पूरा उसकी चूत मे डाल दूँ मैने एक ज़ोरदार झटका मारा की 75% लंड अंदर चला गया चूत के टांके टूट गये अगर मैं उसके होंठ नही चूस रहा होता तो वो इतना ज़ोर से चिल्लाती की सब आ जाते और फिर वो बोली मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज़ धीरे धीरे डालो मैने कहा ठीक हो ज़ायेगा.
अब मै अपनी स्पीड बड़ाने लगा और ज़ोर ज़ोर से अपनी गांड को उपर नीचे करने लगा कुछ देर बाद वो भी अपनी गांड वो उपर नीचे कर मेरा सहयोग करने लगी मैने पूछा दर्द हो रहा है उसने कहा कुछ नही हो रहा है बस मज़ा आ रहा है और जल्दी कर और मैने अपनी स्पीड और बड़ा दी और पूरा 10 इंच का लंड उसकी चूत मे जड़ तक घुसेड दिया अब वो सिसकियां भरने लगी आ… आ… आ… आ… करने लगी उसकी ये आवाज़ मुझे और मधहोश कर रही थी कुछ देर मे आयशा का बदन अकड़ गया और वो झड़ गई उसके कारण उसकी चूत और गीली हो गई लेकिन मेरा लंड अब भी फंस कर अंदर बाहर हो रहा था जैसे कस कर मुठी मे भीच रखा हो क्योंकि चूत बिल्कुल ताज़ा थी उसके हाथ मेरी कमर पर थे.
मैं पूरा पसीना पसीना हो गया था हालांकी आयशा ने फेन भी चालू कर दिया था थोड़ी देर मे आयशा बस बस करने लगी और दुबारा झड़ कर मुझसे ज़ोर से बस..बस करके मुझसे ज़ोर से चिपक गयी और बुरी रह फिर झड़ गयी टाइट चूत जल्दी झड़ती है मुझे लगा की मैं भी झड़ जाऊंगा मैने अपना लंड बाहर निकाला जो आयशा के पानी से नाहया हुआ था आयशा ने तुरंत लंड को मुँह मे भर लिया और जल्दी-जल्दी चूसने लगी फिर मेरे लंड से वीर्य की तेज धार निकली और आयशा अपनी आँख बंद करके मेरा सारा वीर्या पी गयी फिर उसने लंड को दबा-दबा कर सारा वीर्य निचोड़ लिया और चाट गयी आयशा बहुत संतुष्ट लग रही थी उसने कहा भैया अब आप जाओ मैने अपने आप को साफ किया और जल्दि से कपड़े पहन कर निकल गया आयशा अभी भी बिना कपड़ो के लेटी हुई थी.
इस तरह मैने पहली बार आयशा को चोदा और वापस बारात मे शामिल हो गया और किसी को पता नही चला ये सब काम मैं आधे घंटे मे करके वापस आ गया था किसी ने नही पूछा की कहा थे बारात पहुंचने मे अभी भी टाइम था कुछ ही देर मे आयशा भी वहां आ गई मैने उसकी तरफ देखा उसकी भी नज़रे मिली वो मुस्कुराई मैने अनदेखा कर दिया मैने सोचा किसी को शक ना हो ज़ाये बारात अब पहुँचने वाली थी वहा पहुँच कर हम लोग खाना खाने मे बिजी हो गये आयशा भी मेरे पास खड़ी होकर खाना खा रही थी मैं एक बार और आयशा को चोदने का प्लान बनाने लगा क्योक़ि अभी जल्दी जल्दी मे मज़ा नही आया और अब मैने सोचा अब मौका मिला तो कन्डोम लगा कर चोदूगां पर उसके लिये आयशा से बात करनी ज़रूरी थी पर ये मौका नही मिल रहा था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
शादी में चूत चुदवा कर आई

!











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मेरे पति के पिताजी के एक बहुत पुराने दोस्त थे, मैं उन्हें पहले तो नहीं जानती थी, पता उस दिन लगा जब हमारे घर एक शादी का कार्ड आया। मैंने वो कार्ड अपने पति को दिखाया तो वो कार्ड देख कर बड़े खुश हुये- अरे आरती की शादी है, कमाल है इतनी बड़ी हो गई वो!
मैंने पूछा- कौन आरती?
वो बोले- अरे पिताजी के बहुत ही गहरे दोस्त हुआ करते थे रावत अंकल; हम उन्हें ताऊ जी ही कहते थे। पापा के साथ ही जॉब करते थे, फिर रिटाइरमेंट के बाद वो अपने गाँव चले गए, उनकी ही छोटी बेटी है। मुझे राखी बांधती थी। अंकल से सिर्फ तीन बेटियाँ ही थी, तो वो मुझे ही अपना बेटा मानते थे। बहुत प्यार था हमारे घरों में!


मैंने पूछा- क्या प्रोग्राम है फिर?
पति बोले- ऑफिस में छुट्टी की अर्जी दे देता हूँ, सारा काम काज मुझे ही देखना पड़ेगा जाकर; तो हफ्ता दस दिन तो लग ही जाएंगे। तुम भी बहुत एंजॉय करोगी, बहुत ही मिलनसार और प्यार करने वाले लोग हैं।
मैंने पूछा- चाचाजी भी जाएंगे साथ में?
पति बोले- चाचाजी उन्हें जानते तो हैं, पर ज़्यादा प्यार हमारे ही घर से था। पूछ लेता हूँ चाचाजी से अगर चलना हुआ तो चल पड़ेंगे।


मैं यह सोच रही थी कि अगर चाचाजी साथ चलें तो क्या पता वहाँ भी चाचाजी से कुछ प्रेमालाप कर सकूँ। पति तो अब काम काज में बिज़ी होंगे, तो इनके पास तो टाइम होगा नहीं। मगर चाचाजी ने मना कर दिया।
बाद में अकेले में मैंने भी चाचाजी से पूछा- अरे चाचू, चलते न यार, वहाँ पे भी अपना मस्ती करते!
चाचाजी बोले- अरे नहीं यार, तू जा … मैं इतना लंबा सफर नहीं कर सकता, और बहुत दिन हो गए, रजनी भी अब गिला करती है कि मैं उस से कम मिलता हूँ। तो तुम लोग जाओगे, तो रजनी का भी मन भर दूँगा।
मैंने कहा- अच्छा जी तो आप पीछे से पूरी मस्ती करेंगे, और मैं वहाँ गाँव तड़पती रहूँगी आपके बिना!
चाचाजी बोले- कोई बात नहीं, जब वापिस आएगी तो प्यार और भी ज़बरदस्त होगा.
और चाचाजी ने मेरे माथे पे एक हल्का सा चुम्बन दिया।
मैंने कहा- मगर जाने से पहले मुझे एक धुआँदार बैटिंग चाहिए।
चाचाजी बोले- चिंता मत कर बहू … सभी चौके छक्के मारूँगा।


उसके बाद मैंने अपनी तैयारी शुरू कर दी। अब गाँव में जा रही थी तो ज़ाहिर था कि वहाँ जीन्स तो नहीं चलेंगी तो पति के कहने पर सारी साड़ियाँ ही रख ली। तीन बढ़िया साड़ी नई खरीदी। सारी तैयारी करके हम अपनी ही गाड़ी में चल पड़े।

शादी से 4 दिन पहले जाना था और शादी के चार दिन बाद आना था, पूरा दस दिन का प्रोग्राम था। मगर मेरी चिंता यह थी कि अब रोज़ दो तीन बार सेक्स करने वाली, 10 दिन बिना सेक्स के कैसे रहेगी।
मुझे चाचाजी की बहुत याद आ रही थी।

मैंने उस दिन हल्के फिरोजी रंग की साड़ी पहनी थी; साथ में स्लीवलेस ब्लाउज़ था। बेशक मेरे ब्लाउज़ का गला गहरा था, मगर मैंने आँचल को कंधे के ब्रोच से संभाल रखा था। साड़ी को मैंने थोड़ा नीचे करके बांधा, ताकि नाभि मेरी साड़ी से बाहर रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
एक चीज़ और मैंने देखी के साड़ी नीचे बांधने से मैं ज़्यादा आरामदायक महसूस करती थी, बड़ा खुला खुला सा लगता था। 
सारा दिन सफर करके हम रावत अंकल के गाँव पहुंचे, एक बहुत ही सुंदर राजस्थानी गाँव था वो! हम लोग शाम के करीब 7 बजे पहुंचे, तो घर के बाहर है बहुत बड़ा शामियाना लगा था, बिजली की रोशनी, रंग बिरंगी झंडियाँ। खूब चहल पहल वाला माहौल था। गंदे मंदे बच्चे हमारी गाड़ी के आस पास जमा हो गए।
हम दोनों गाड़ी से निकले और सीधे अंदर गए। अंदर शामियाने में रावत अंकल बैठे मिले, उनके साथ और भी बहुत से लोग बैठे थे, कुछ खड़े थे।
मेरे पति को देखते ही रावत अंकल खड़े हो गए- अरे आ गया, मेरा बेटा आ गया, आ हा हा!
और मेरे पति ने पहले उनके पाँव छूए और फिर गले लगे।

उनके बाद मैंने भी झुक कर रावत अंकल के पाँव छूये। मगर जब मैं पाँव छूने के लिए झुकी तो मैंने आसपास नज़र मारी, सब मर्दों की निगाह मेरे जिस्म पर थी। जो पीछे खड़े थे, उन्होंने मेरी भरी हुई गांड का नज़ारा लिया होगा और जो सामने थे, उनकी निगाह मेरे सीने पर थे।
बेशक मैंने ब्रोच लगा कर अपने आँचल को गिरने से रोक रखा था, मगर जब भी औरत झुकती है, तो उसके बूब्स नीचे को लटक जाते हैं, और अगर मेरी साड़ी के पल्लू ने मेरे क्लीवेज को छुपा लिया था, मगर फिर भी मेरे झुकने से जो मेरे मम्मों की गोलाई थोड़ी सी बाहर को दिखी, उसे देख कर सब मर्दों की आँखों में चमक आ गई। देखने में तो सारे गाँव वाले ही लगते थे, सबके ज़्यादातर सफ़ेद लुंगी कुर्ते और रंग बिरंगी पगड़ियाँ बंधी थी। सबके सब बड़ी बड़ी मूँछों और दाढ़ी वाले थे।
मैं उठ कर सीधी हुई तो ताऊ जी ने मेरे सर पे हाथ रखा और वहीं पर खेल रहे एक लड़के को आवाज़ लगाई- ओ रामजस, जा भाभी को अम्मा के पास छोड़ कर आ!
मैं जैसे ही पलटी मेरी निगाह वहीं पे खड़े एक मर्द से टकराई। सिर्फ एक सेकंड की इस नजर मिलने में ही न जाने क्यों उसे देख कर मेरी आँखों में चमक आई, और मेरी आँखों की चमक देख कर उसके चेहरे का भी रंग सा बदला।
कोई बात कोई इशारा नहीं हुआ, मगर फिर जैसे कोई पैगाम एक दूसरे तक पहुँच गया।

मैं उनके बड़े सारे घर के अंदर गई। अंदर जनानखाना अलग से बना हुआ था। वहाँ पर सारी औरतें और लड़कियां थी। मेरे पीछे मेरे पति भी आ गए और वो भी मेरे साथ ही जनानखाने में गए, क्योंकि वो तो घर के ही बेटे थे तो वो बहुत से औरतों, लड़कियों से मिले, ताईजी से भी मुझे मिलवाया, और फिर जिस लड़की की शादी थी, उससे भी मिलवाया।
मेरी मुलाक़ात सबसे करवा कर वो चले गए।
जिस लड़की की शादी थी, चन्दा वो तो मेरे साथ ही चिपक गई। भाभी भाभी करती बस मुझे अपने साथ ही रखा उसने। चाय नाश्ता, खाना पीना, सब चलता रहा। ताई जी ने मुझे बिल्कुल अपनी बहू की तरह रखा, मुझे सारा दहेज का समान और बाकी सब रस्मों में शामिल किया।
रात को करीब 12 बजे हम सोये। अब जनानखाने में ही सोना था, तो मैंने एक पतली सी टी शर्ट और एक कैप्री पहन ली। ब्रा पेंटी की क्या ज़रूरत थी।
चंदा भी मेरे साथ ही लेटी।

शादी के बाद सुहागरात को लेकर उसके मन में बहुत सी शंकाएँ थी; उसने मुझसे पूछा- भाभी, मुझे न शादी के बाद वो सुहागरात से बहुत डर लगता है, सुनते हैं बहुत दर्द होता है।
मैंने पूछा- क्यों, तुमने पहले कभी कुछ नहीं किया?
वो बोली- भाभी यहाँ गाँव में … यहाँ तो सब से डर डर के चलना पड़ता है, हम तो किसी लड़के से बात भी नहीं करती।
मैंने कहा- तो तुझे क्या लगता है, सुहागरात को क्या होता है?

वो पहले तो शर्मा गई, फिर हंसी, और मुस्कुरा कर बोली- भाभी, आपकी तो शादी हो चुकी है, आपको तो सब पता है, आप तो रोज़ करती भी होंगी भैया से। अब मुझे क्या पता कि क्या होता है सुहाग रात को!
मैंने पूछा- फिर भी बता तो, तेरी सहेलियों की जिनकी शादी हो चुकी है, वो भी बताती होंगी कुछ?
वो बोली- भाभी, उनकी बताई बातों की वजह से ही तो मैं डरी हुई हूँ। वो तो सब बताती हैं कि सुहागरात को पति आता है और अपना वो बड़ा सा, पूरा ज़ोर लगा कर यहाँ अंदर डाल देता हैं। बहुत दर्द होता है, मगर पति कुछ नहीं सुनता और उसी दर्द में अंदर बाहर करता रहता है। मेरी एक सहेली तो डर और दर्द के मारे बेहोश ही हो गई थी। क्या सच में इतना दर्द होता है?

मुझे उस बेचारी भोली भाली कन्या के सेक्स ज्ञान पर बहुत तरस आया कि क्यों हमारे कॉलेजों में बच्चियों को सेक्स का ज्ञान नहीं दिया जाता। क्यों नहीं उन्हें समझाया जाता कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। क्यों आज भी बच्चियाँ कम ज्ञान की वजह से इन सब चीजों से डरती हैं।
मैंने उसे समझाया- देख चंदा, डरने की कोई वजह नहीं है। कोई भी काम जब पहली बार होता है, तो उसमें मुश्किल आती है, थोड़ी सी। मगर उस मुश्किल से घबराना नहीं चाहिए। अब तुमने आज तक अपनी उस में (कहते हुये मैंने उसकी चूत पर तो नहीं, पर जांघ पर हाथ लगाया) कोई चीज़ नहीं डाली। उसका सुराख छोटा है। और जो तेरा पति होगा, उसका वो जो होता है, वो इस सुराख से थोड़ा सा मोटा होता है.
कह कर मैंने अपनी उंगली और अंगूठे से एक गोल आकार बनाया, फिर मैंने कहा- अब अपनी उंगली इस में डालो!

जब चंदा ने शर्माते हुये अपनी उंगली उस में डाली, तो पहले तो थोड़ी से उंगली टाइट गई, मगर बाद में मैंने अपनी उंगली और अंगूठे को ढील छोड़ दिया और उसकी उंगली बड़े आराम से मेरी उंगली और अंगूठे के गोल आकार से अंदर बाहर होने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
मुझे उस बेचारी भोली भाली कन्या के सेक्स ज्ञान पर बहुत तरस आया कि क्यों हमारे कॉलेजों में बच्चियों को सेक्स का ज्ञान नहीं दिया जाता। क्यों नहीं उन्हें समझाया जाता कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है। क्यों आज भी बच्चियाँ कम ज्ञान की वजह से इन सब चीजों से डरती हैं।

मैंने उसे समझाया- देख चंदा, डरने की कोई वजह नहीं है। कोई भी काम जब पहली बार होता है, तो उसमें मुश्किल आती है, थोड़ी सी। मगर उस मुश्किल से घबराना नहीं चाहिए। अब तुमने आज तक अपनी उस में (कहते हुये मैंने उसकी चूत पर तो नहीं, पर जांघ पर हाथ लगाया) कोई चीज़ नहीं डाली। उसका सुराख छोटा है। और जो तेरा पति होगा, उसका वो जो होता है, वो इस सुराख से थोड़ा सा मोटा होता है.
कह कर मैंने अपनी उंगली और अंगूठे से एक गोल आकार बनाया, फिर मैंने कहा- अब अपनी उंगली इस में डालो!

जब चंदा ने शर्माते हुये अपनी उंगली उस में डाली, तो पहले तो थोड़ी से उंगली टाइट गई, मगर बाद में मैंने अपनी उंगली और अंगूठे को ढील छोड़ दिया और उसकी उंगली बड़े आराम से मेरी उंगली और अंगूठे के गोल आकार से अंदर बाहर होने लगी।

मैंने कहा- देखा, पहले थोड़ा सा टाईट जाता है, मगर बाद में बड़े आराम से जाता है। मुझे भी पहली बार दर्द हुआ था, मगर अब शादी के 3 साल बाद मैं चाहती हूँ, मुझे फिर से वो दर्द हो। मुझे और मोटा और लंबा मिले।
मेरी बात सुन कर उसने अपने हाथों से अपना मुँह छुपा लिया, और हम दोनों हंसने लगी। पता नहीं कितनी रात तक मैं उसे सेक्स के किस्से सुनाती रही, क्या क्या बताती रही। इतना ज़रूर है कि मेरी बातें सुन कर उसकी चूत ज़रूर गीली हो गई होगी।

अगली सुबह मैं नहा धोकर तैयार हो गई, चंदा भी मेरे साथ ही चिपकी रही। शादी के जो भी रस्म रिवाज थे, वो चल रहे थे। मेरे पति एक बेटे के पूरे फर्ज़ निभा रहे थे और सब काम को अपनी निगरानी में करवा रहे थे; मुझसे तो मिलने का टाइम ही नहीं था उनके पास।

दोपहर के खाने के समय ताऊ जी ने मुझे बुलाया और मेरे साथ बहुत सी बातें करी। थोड़ी देर बाद वो आदमी भी वहाँ आया जिससे कल मेरा नैन मटक्का हुआ था।
ताऊ जी ने बताया- अरे लो बहू, इनसे मिलो; ये हैं शेर सिंह। मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त, यूं कहो मेरा छोटा भाई।
मैंने उन्हें नमस्ते कही, उन्होंने भी हाथ जोड़ कर “खम्मा घनी” कहा और हमारे पास ही बैठ गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28
ताऊ जी ने बताया कि ये शेर सिंह उनके गाँव का सबसे बड़ा ज़मीनदार है, गाँव में सबसे ज़्यादा ज़मीन इसके पास है। बहुत नेक और शरीफ इंसान है।
मेरे दिल में आया कि कह दूँ, ताऊ जी मुझे तो शरीफ नहीं लगता … ये आपकी बहू के मम्में घूर रहा था, आप कहते हैं कि शरीफ है!

खैर शेर सिंह वहाँ बैठा भी मुझे देखता रहा, मुझे भी उसका देखना अच्छा लग रहा था, मेरा भी दिल कुछ कुछ मचल रहा था। एक दूसरे के लिए हरामजदगी हम दोनों के मन में थे और हमारी आँखों में झलक रही थी।

कुछ देर हम बातें करते रहे, मगर मैंने नोटिस किया कि शेर सिंह मेरा बदन घूर रहा था। कभी उसकी नज़र मेरे सपाट गोरे पेट पर होती, कभी मेरे सीने पर, कभी चेहरे पर। मतलब उसकी आँखों में मैं साफ पढ़ पा रही थी कि अगर मैं उसको मिल जाऊँ तो वो मुझे कच्चा चबा जाए। एक हवस, एक भूख उसकी आँखों में थी, मगर फिर भी वो बहुत शरीफ बन के दिखा रहा था।

शादी से एक दिन पहले सारे रिश्तेदार इकट्ठा हो गए, घर में गहमा गहमी और बढ़ गई। उस रात जो और दोस्त रिश्तेदार शहर से आए थे, उनके लिए शराब का भी इंतजाम था, और नाच गाने का भी। शराब का सारा इंतजाम शेर सिंह ने किया था।
दिल तो मेरा भी था के एक आध पेग मुझे भी मिल जाता। मेरा भी नाचने का मन कर रहा था, मगर लेडीज़ का प्रोग्राम ही अलग था। और स्टेज पर जहां डीजे लगा था, सब नाच गाना हो रहा था, वहाँ सिर्फ मर्द ही जाकर नाच रहे थे।

मगर शेर सिंह तो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था।
जैसे ही मैं पीछे को घूमी, देखा … शेर सिंह वहाँ खड़ा था और उसके हाथ में दो गिलास थे दारू के।
पहले तो मैं डर गई कि कहीं इसने मेरी और चाचाजी की बातें तो नहीं सुन ली।

मगर मेरे चौंक जाने पर वो बोला- खम्मा घनी सविता जी, मैं आपको डराना नहीं चाहता था, मैं तो बस आपके लिए ये लेकर आया था।
उसके हाथ में शराब का गिलास था.

अब मैं सोचने लगी, गिलास लूँ या न लूँ!
पर वो बोला- आपके पति ने भेजा है, कहा है कि मैडम को एक दे आना।

अब तो कोई दिक्कत नहीं थी, मैंने उसके हाथ से गिलास ले लिया और दो घूंट पी लिए। मैं वहाँ एक छोटी दीवार पर बैठ गई, तो वो भी मेरे साथ ही आ कर बैठ गया। अपनी जेब से उसने तले हुये काजू निकाले और मेरी और बढ़ाए, मैंने काफी सारे उठा लिए और एक एक कर के खाने लगी, और साथ में धीरे धीरे अपना गिलास भी खाली करने लगी।

शेर सिंह मुझसे इधर उधर की बातें करने लगा, फिर मेरे बारे में पूछने लगा।
बंदा दिलचस्प लगा मुझे; मैं भी उस से मगज मारती रही। मैं सोच रही थी, ये बंदा मुद्दे पर क्यों नहीं आ रहा क्योंकि उसकी आँखें उसके दिल की बात साफ तौर पर बता रही थी, वो मेरे मम्मों को बार बार घूर रहा था।

फिर वो बोला- एक बात कहूँ सविता जी, आप न … बहुत खूबसूरत हो।
मैंने सोचा, अब आया मुद्दे पर; मैंने भी साथ की साथ तीर छोड़ा- अच्छा जी, आपको मुझमें क्या खूबसूरत लगा?
वो बोला- लो जी, आप तो सर से लेकर पाँव तक खूबसूरत हो.
मैंने कहा- फिर भी … ऐसा क्या है जो आपको सबसे ज़्यादा खूबसूरत लगा मुझमें?

मैं सोच रही थी कि वो मेरे मम्मों के बारे में कहेगा लेकिन वो बोला- वो जो आप नीचे को करके साड़ी बांधती हो न … तो जो आपकी धुन्नी(नाभि) है, वो बड़ी शानदार लगती है।
मैंने कहा- धुन्नी? यह क्या होती है?
अब दारू का सुरूर तो उसको भी था, उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरी नाभि को हल्का सा छू कर बोला- ये धुन्नी!

उसके छूने से मुझे करंट सा लगा, उसको भी लगा होगा। मगर मैंने अपनी साड़ी का आँचल अपने पेट से हटा कर अपनी नाभि उसके सामने करके पूछा- अरे, इस नाभि में ऐसा क्या खास है, जो आपको अच्छा लगा?
वो एक तक मेरी नाभि को ही देखने लगा पर बोल कुछ नहीं पाया।

मैंने कहा- बहुत लोग कहते हैं मेरी नाभि सुंदर है पर मेरे पति को मेरे बूब्स पसंद हैं.
मैंने थोड़ी और बेशर्म हो कर कहा।

उसने अपने गिलास से एक बड़ा घूंट भरा और बोला- बूब्स?
मैंने कहा- बूब्स…
और अपने मम्मों की तरफ अपनी उंगली से इशारा किया।

अब वो मेरे मम्मों को घूरने लगा। मैंने भी अपने कंधे से साड़ी का ब्रोच हटा दिया।
वो चुप था, शायद कुछ सोच रहा था। फिर बोला- शहर में आप सुबह कितने बजे उठती हैं?
मैंने कहा- सुबह 6 बजे … और उठ कर सबसे पहले सैर करने जाती हूँ।
वो बोला- आप भी सुबह की सैर करती हैं।
मैंने कहा- हाँ खुद को फिट रखने के लिए।
वो बोला- लो, मैं भी तो रोज़ सुबह 4 बजे सैर करने जाता हूँ, अगर आप चाहें तो सुबह चल सकती हैं, यहाँ पास में ही एक जंगल भी है, एक नहर भी है, मैं आपको सब दिखा दूँगा।

मैंने कहा- तो ठीक है, सुबह मिलते हैं।
मैंने अपना गिलास खत्म किया और वहीं पर रख दिया।

मैं आगे थी और वो मेरे पीछे … सीडियों में अंधेरा सा था, तो वहाँ मेरी साड़ी मेरे पाँव में उलझी और जैसे ही मेरा संतुलन बिगड़ा, शेर सिंह ने अपना हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे संभाल लिया। मेरी साड़ी का पल्लू भी सरक गया और मेरे ब्लाउज़ से मेरे 36 साइज़ के उन्नत मम्में जैसे उछल कर मेरे ब्लाउज़ से बाहर आ गए हों। उसने बड़ी हसरत से मेरे मम्मों को देखा और मुझसे कहा- संभाल कर सविता जी।

मैं सीधी हो गई, मैंने अपना आँचल भी ठीक कर लिया, मगर शेर सिंह का हाथ मेरी नाभि पर ही था, और वो वैसे ही मुझे सारी सीढ़ियाँ उतार कर लाया। मैंने भी उसे नहीं कहा कि हाथ हटा लो। जब सीढ़ियाँ उतर गई तब मैंने कहा- शेर सिंह जी, सीढ़ियाँ खत्म अब तो हाथ हटा लो।
वो थोड़ा सा सकपकाया और उसने अपना हाथ हटा लिया।

फिर हम ताऊ जी के पास गए और शेर सिंह ने ताऊ जी से कहा कि बहू सुबह सैर को जाना पसंद करती है। तो ताऊ जी ने शेर सिंह की ही ड्यूटी लगा दी कि सुबह को बहू को सैर करवा लाये। उसके बाद मैं चंदा के पास चली गई। अब मैं सोच रही थी कि कुछ भी हो जाए, सुबह मैंने शेर सिंह को दे देनी है। वो ना करे तो भी एक बार उसको सीधी ऑफर दूँगी।

रात को चंदा के साथ सो गई, सुबह करीब चार बजे चंदा ने मुझे जगाया कि भाभी सैर को जाना है तो उठ जाओ।
अभी तो मेरी नींद भी पूरी नहीं हुई थी और रात का खुमार भी था, मगर जब शेर सिंह का ख्याल आया तो मैं उठ गई, हाथ मुँह धोकर एक सफ़ेद टी शर्ट और लोअर पहन कर मैं चल पड़ी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
उसने अपने गिलास से एक बड़ा घूंट भरा और बोला- बूब्स?
मैंने कहा- बूब्स…
और अपने मम्मों की तरफ अपनी उंगली से इशारा किया।

अब वो मेरे मम्मों को घूरने लगा। मैंने भी अपने कंधे से साड़ी का ब्रोच हटा दिया।
वो चुप था, शायद कुछ सोच रहा था। फिर बोला- शहर में आप सुबह कितने बजे उठती हैं?
मैंने कहा- सुबह 6 बजे … और उठ कर सबसे पहले सैर करने जाती हूँ।
वो बोला- आप भी सुबह की सैर करती हैं।
मैंने कहा- हाँ खुद को फिट रखने के लिए।
वो बोला- लो, मैं भी तो रोज़ सुबह 4 बजे सैर करने जाता हूँ, अगर आप चाहें तो सुबह चल सकती हैं, यहाँ पास में ही एक जंगल भी है, एक नहर भी है, मैं आपको सब दिखा दूँगा।

मैंने कहा- तो ठीक है, सुबह मिलते हैं।
मैंने अपना गिलास खत्म किया और वहीं पर रख दिया।

मैं आगे थी और वो मेरे पीछे … सीडियों में अंधेरा सा था, तो वहाँ मेरी साड़ी मेरे पाँव में उलझी और जैसे ही मेरा संतुलन बिगड़ा, शेर सिंह ने अपना हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे संभाल लिया। मेरी साड़ी का पल्लू भी सरक गया और मेरे ब्लाउज़ से मेरे 36 साइज़ के उन्नत मम्में जैसे उछल कर मेरे ब्लाउज़ से बाहर आ गए हों। उसने बड़ी हसरत से मेरे मम्मों को देखा और मुझसे कहा- संभाल कर सविता जी।

मैं सीधी हो गई, मैंने अपना आँचल भी ठीक कर लिया, मगर शेर सिंह का हाथ मेरी नाभि पर ही था, और वो वैसे ही मुझे सारी सीढ़ियाँ उतार कर लाया। मैंने भी उसे नहीं कहा कि हाथ हटा लो। जब सीढ़ियाँ उतर गई तब मैंने कहा- शेर सिंह जी, सीढ़ियाँ खत्म अब तो हाथ हटा लो।
वो थोड़ा सा सकपकाया और उसने अपना हाथ हटा लिया।

फिर हम ताऊ जी के पास गए और शेर सिंह ने ताऊ जी से कहा कि बहू सुबह सैर को जाना पसंद करती है। तो ताऊ जी ने शेर सिंह की ही ड्यूटी लगा दी कि सुबह को बहू को सैर करवा लाये। उसके बाद मैं चंदा के पास चली गई। अब मैं सोच रही थी कि कुछ भी हो जाए, सुबह मैंने शेर सिंह को दे देनी है। वो ना करे तो भी एक बार उसको सीधी ऑफर दूँगी।

रात को चंदा के साथ सो गई, सुबह करीब चार बजे चंदा ने मुझे जगाया कि भाभी सैर को जाना है तो उठ जाओ।
अभी तो मेरी नींद भी पूरी नहीं हुई थी और रात का खुमार भी था, मगर जब शेर सिंह का ख्याल आया तो मैं उठ गई, हाथ मुँह धोकर एक सफ़ेद टी शर्ट और लोअर पहन कर मैं चल पड़ी।

ताऊ जी के घर के पास ही शेर सिंह का घर था। जब मैं उसके घर के सामने गई तो वो आँगन में ही कसरत कर रहा था; मैंने उससे पूछा- अरे आप इतनी जल्दी जाग गए और कसरत भी शुरू कर दी?
उस वक़्त उसने एक लंगोट पहना था और उसका पसीने से भीगा कसरती बदन देख कर मेरा उससे लिपट जाने को दिल किया।

वो बोला- जी रात दो बजे वापिस आया, फिर सोचा, अब दो घंटे के लिए क्या सोना तो पहले दौड़ कर आया, फिर कसरत करने लगा।
उसने मुझे एक कुर्सी पर बैठाया और अंदर जा कर कपड़े पहन कर आ गया।

अभी अंधेरा ही था, हम दोनों गाँव से बाहर की ओर चल पड़े। कुछ दूर जाने पर बीहड़ सा आ गया। फिर हम चल कर नहर पर पहुंचे। थोड़ी थोड़ी रोशनी सी हो गई थी। नहर का एक किनारा थोड़ा सा कच्चा छोड़ा गया था। जहां से लोग उस नहर में उतर सकें और नहा धो सकें, अपने मवेशियों को पानी पिला सकें।

नहर के आस पास बहुत घने पेड़ थे, हल्की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी, मौसम बहुत सुहावना था, मुझे तो मस्ती चढ़ रही थी।
वहीं पर एक पीपल के पेड़ के पास मैं जा कर बैठ गई।

शेर सिंह बोला- अगर आपको ऐतराज न हो तो मैं नहा लूँ?
मैंने कहा- जी बिल्कुल … शौक से नहाइये।

उसने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ एक छोटी से लंगोटी पहने वो पानी में उतर गया।

सांवला बदन, पतला मगर बलिष्ठ, मांसपेशी वाला मजबूत मर्द। मैं सोच रही थी, ये लंगोटी भी क्यों पहन रखी है, यार इसे भी उतार दे और अपना मस्त लंड दिखा दे इस प्यासी औरत को।

वो बांका मर्द खूब मल मल कर नहाया खूब पानी में तैरा, कभी इधर को तैर जाए कभी उधर को।
मैंने पूछा- ऐसे खुले पानी में नहाने का अपना ही मज़ा है।
वो बोला- आप भी आ जाओ।
मैंने कहाँ- अरे नहीं, कोई आ गया तो?
उसने बहुत कहा मगर मैं नहीं मानी।

फिर मुझे टट्टी का ज़ोर पड़ने लगा। वैसे भी पिछले दो तीन दिनो से मैं कुछ ज़्यादा ही खा रही थी। मैंने शेर सिंह से कहा- शेर सिंह जी, मुझे तो ज़ोर पड़ रहा है पेट में… कहाँ जाऊँ?
वो बोला- अरे सविता जी, कहीं भी बैठ जाओ, यहाँ कौन आता जाता है।
मैंने कहा- पर बाद में धोनी भी तो है।
वो बोला- उसकी क्या दिक्कत है, पहले आप यहीं रेत से साफ कर लो, फिर पानी से धो लेना।

मैंने आस पास देखा और सामने ही एक झाड़ी सी के पीछे गई, पर मैंने पहले खड़े हो कर अपनी लोअर नीचे खिसकाई, ताकि दूर से शेर सिंह को मेरे नंगी होने का एहसास हो जाए। जब मैं फ्री हो गई तो पहले मैं अपने हाथ में ढेर सारी रेत लेकर अपनी गांड साफ की और फिर खड़ी होकर अपनी लोअर ऊपर की।

इस बार मैंने देखा के शेर सिंह ने बड़े गौर से मेरी गांड को देखा।
मेरे लिए इतना भी बहुत था कि ये जो देख रहा है, मेरे चक्कर में आ जाएगा।

फिर मैं धोने के लिए वहाँ जाकर बैठ गई जहां पानी उथला सा था और शेर सिंह से मैं ज़्यादा दूर भी नहीं थी। मैंने अपनी लोअर फिर से नीचे की और अपनी गांड शेर सिंह की तरफ करके बैठ गई, हमारे बीच कोई झाड़ी नहीं थी तो वो अच्छे से मेरे को देख सकता था, और देख रहा था।

मैंने बड़े अच्छे से अपनी गांड धोई, और कुछ ज़्यादा ही धोई देर तक समय लगा कर ताकि वो और अच्छे से देख ले।

फिर मैं उठी, अपनी लोअर ऊपर किया और जब पलटी तो शेर सिंह ने भी मुँह घुमा लिया, सिर्फ दिखावे को कि उसने मेरी गांड नहीं देखी।
वो पानी से बाहर आकर खड़ा था और उसकी लंगोट में उसका लंड अपना आकार ले रहा था।

मेरे दिल में इच्छा हुई कि इससे कहूँ कि ‘शेर सिंह अपना लंड दिखाना…’ पर मैं ऐसे नहीं कह सकती थी।
पर इतना ज़रूर था कि उसके लंड की शेप देख कर मैंने सोच लिया था कि मैं इसके लंड से अपनी प्यास ज़रूर बुझाऊँगी।

नहा कर शेर सिंह पेड़ की ओट में गया मगर ओट भी उसने बस इतनी सी ली कि वो थोड़ा सा छुप सके। जब उसने अपना लंगोट खोला तो उसका पूरा लंड मैंने देखा। थोड़ी सी झांट, मगर एक लंबा लंड, जिस पर नसें सी उभरी हुई थी।
मेरी तो लार टपक पड़ी … अरे यार क्या मस्त लंड है इसका तो!
मगर मैं भी जानती थी कि जैसे मैंने बहाने से इसे अपनी गांड दिखाई थी, वैसे ही इसने मुझे अपना लंड दिखाया है।
मतलब साफ है के आग दोनों तरफ है बराबर लगी हुई।

वो अपना ट्रैक सूट पहन कर आ गया, उसका लंगोट उसके हाथ में था, मतलब लोअर ने नीचे वो नंगा था और इधर अपने लोअर के नीचे मैं नंगी थी।
दोनों के मन में यही चल रहा था कि पहले बात कौन शुरू करे!
इतना तो तय था कि आज नहीं तो कल शेर सिंह से मैं चुदने वाली थी।

फिर शेर सिंह बोला- इधर मेरे खेत हैं, चलिये आपको वो भी दिखा लाता हूँ।
हम उसके खेतों की ओर चले गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
खेतों के पास ही उसने एक बड़ा सा तालाब बना रखा था। वहीं पे बहुत से पेड़ों की झुरमट के पास एक छोटा सा कमरा बना हुआ था।
मैंने पूछा- शेर सिंह जी, यह कमरा किस लिए बनाया है?
वो बोले- इस कमरे में फसल पकने पर हमारे मजदूर रहते हैं। कभी कभी हम भी यहाँ आ जाते हैं।
मैंने पूछा- आप यहाँ क्या करते हैं?
शेर सिंह मुस्कुराया और बोला- अंदर जा कर देख लो।

मैंने अंदर झांक कर देखा, अंदर फर्श पर एक मोटा गद्दा बिछा था और कमरे में इधर उधर कुछ दारू की बोतलें, और बर्तन, एक गैस चूल्हा … मतलब ये कमरा सिर्फ कंजरखाने के लिए ही था।
मैं अंदर तो नहीं गई, मगर शेर की नज़रें मैंने देखी, जैसे वो कह रहा हो, चल अंदर चल तुझे भी जन्नत का नज़ारा दिखाऊँ।

मैं भी समझ चुकी थी, मैं आज यहीं पर चुदने वाली हूँ तो मैंने छोटा सा पैंतरा आज़माया- शेर सिंह जी, लगता है मेरे कपड़ों में कोई कीड़ा घुस गया है, मेरे अंदर सुर्र सुर्र सी हो रही है.
कहते हुये मैं थोड़ा सा उछली और अपनी पीठ पर हाथ फेरने लगी।
शेर सिंह बोला- सविता जी, आप उस कमरे में जाकर चेक कर लो।

यही तो मैं चाहती थी, मैं कमरे में गई और मैंने न दरवाजा बंद किया न कोई खिड़की बंद की, बस शेर सिंह से ज़रा सा अपना आप छुपा कर मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी।
बेशक मैं दरवाजे की ओट में थी, मगर शेर सिंह थोड़ा सा आगे चल कर मुझे देख सकता था, और वही उसने किया, वो थोड़ा सा आगे बढ़ा और मैं उसके सामने अपनी टाइट लोअर में ऊपर से बिल्कुल नंगी, अपनी टी शर्ट हाथ में लिए खड़ी थी।

मैंने चोर आँख से देख लिया कि शेर सिंह मुझे नंगी देख लिया है, मगर मैं उसकी मौजूदगी से अंजान रही और अपनी टी शर्ट को उलट पलट कर, झाड़ कर देखने लगी, जैसे सच में उसमें कोई कीड़ा हो।
शेर सिंह और आगे चला, दरवाजे से आगे बढ़ा, तो दूसरी दीवार की खिड़की के सामने आया, वहाँ से उसने मुझे दूसरे एंगल से देखा।
तीसरी दीवार बंद थी तो मैंने सोचा कि अब वो चौथी दीवार की खिड़की से मुझे ज़रूर देखेगा।
तो मैंने अपना लोअर भी उतार दिया और दूसरी खिड़की की तरफ पीठ करके अपने कपड़े झाड़ने का नाटक करती रही।

वो दूसरी खिड़की के पास आया और उस खिड़की में से उसने मेरी पूरी नंगी पीठ, गांड जांघें सब देखी। उसके बाद वो बिल्कुल दरवाजे के सामने आ गया। मैंने सर उठा कर उसको देखा, और अपनी टी शर्ट से अपने बूब्स को ढकने की कोशिश की।

हम दोनों की नज़रें मिली, बहुत कुछ हमने एक क्षण में ही एक दूसरे से कह दिया। वो बिजली की गति से अंदर आया और आते ही मुझसे लिपट गया।
मैंने झूठा नाटक किया- अरे, अरे शेर सिंह जी, ये आप क्या कर रहे हैं?
मगर उसने मेरी बात की कोई परवाह नहीं की और मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़ कर पहले मेरे माथे को एक बार चूमा और फिर सीधा मेरे होंठों को चूम लिया।

मैंने उसके चुंबन का कोई विरोध नहीं किया, तो उसने मुझे गोद में ही उठा लिया और लेजा कर उस गद्दे पर लेटा दिया और खुद जाकर मेरे पैरों के पास बैठ गया। उसने मेरे पैर से मेरे जूते निकाले और मेरे पाँव को चूमा, मेरे पाँव चूमते चूमते वो ऊपर तक आया, और घुटने, जांघ से होते हुये, ऊपर तक आया और मेरे दोनों गाल, मेरी पलकें, मेरा माथा और होंठ सब जगह चूमा।

मैं बिल्कुल नंगी अपनी आँखें बंद किये लेटी थी; मेरी तरफ से उसको पूर्ण समर्पण था कि यार जैसे चाहे जो चाहे कर ले।

वो उठ कर खड़ा हुआ और फिर उसने अपने कपड़े जूते उतारे, लोअर उतारते ही उसका मोटा लंबा काला और बदशक्ल सा लंड मेरे सामने आया जो काफी तनाव में आ चुका था, मगर अभी तक उसने अपना सर पूरी तरह ऊपर को नहीं उठाया था।

शेर सिंह मेरी टाँगों के बीच में आया और उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा। मैं उसकी आँखों में देख रही थी!
और अगले ही पल एक मोटा खुरदुरा सा लंड मेरी चूत में घुसा।

जब दो चार बार अंदर बाहर हुआ तो मुझे पता चला कि ये लंड यूं ही बेवजह से नसों से भरा, खुरदुरा, भद्दा सा नहीं है। कभी कभी मेरे पति डोटेड कोंडोम पहन कर मेरी चुदाई करते, तो कोंडोम पर जो उभरे हुया डोट्स या दाने होते, वो जब चूत के अंदर रगड़ते तो मुझे बड़ा मज़ा आता, बड़ी खुजली सी मिटती उससे।
मगर ये तो रेडीमेड रिब्स और डोट्स वाला लंड था, बिना कोंडोम के!
मेरी चूत के अंदर उसने खलबली मचा दी। क्या रगड़ा साले ने मुझे।

मैंने भी अपनी टाँगें ऊपर हवा में उठा ली और अपनी बांहें उसके गले में डाल दी। पुराना फौजी, गाँव का आदमी, कसरती, ताकतवर, क्या कुछ नहीं था उसके जिस्म में … ऊपर से एक तगड़ा लंड। दो मिनट की चुदाई ने ही उसने मुझे पेल के रख दिया और उसका खुरदुरा लंड तो मेरी चूत को पानी पे पानी छोड़ने पर मजबूर कर रहा था, उसके हर एक धक्के से मैं निहाल हुई जाती थी।

जब भी उसका लंड मेरी चूत के अंदर जाता या बाहर आता, न जाने कितनी तरह की खुजली और गुदगुदी करता जाता। मैं खुद भी अपनी कमर को नीचे लेटी लेटी हिला रही थी।
जब वो लंड मेरे अंदर डालता तो मैं भी अपनी चूत ऊपर को उठा कर उसको अपने अंदर लेती और जब वो बाहर निकलता तो मैं अपनी चूत को सिकोड़ लेती, भींच लेती जिससे उसका लंड अटक कर रुक कर, मेरी चूत रगड़ खाकर बाहर निकलता।

शेर सिंह बोला- ऐसा लग रहा है जैसे आप मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही हो।
मैंने कहा- ये भी तो एक मुँह ही है, पर इतना ज़रूर है आप जैसा खुरदुरा और सख्त लंड मैंने आज तक नहीं देखा।
शेर सिंह बोला- तो इसका मतलब यह है कि तुमने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया है?
मैंने कहा- बहुत से तो नहीं, पर कुछ खास दोस्तों से, जिनको देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
शेर सिंह बोला- और मैं?
मैंने कहा- आपको तो पहली बार देख कर ही मेरे दिल में घंटी बज गई थी, मैंने तभी सोच लिया था कि आपसे मिलने का अगर जुगाड़ हो जाए तो मज़ा आ जाए।
शेर सिंह बोला- अच्छा, औरतें भी ऐसा सोचती हैं।
मैंने कहा- क्यों आपकी बीवी आपसे ऐसे खुल कर बात नहीं करती?
वो बोला- बात अजी कहाँ, आपने देख ही ली शादी में मोटी भैंस!

और फिर उसने नीचे झुक कर मेरे होंटों को चूमा तो मैंने भी अपना सर ऊपर उठा कर उसके होंठ चूम लिए।
“आह, मज़ा आ गया सविता तुम्हारी चूत मार कर … क्या लाजवाब औरत हो। एक नंबर की छिनाल हो साली, क्या मज़े ले कर चुदवाती हो, मगर मुझे ऐसी ही औरत पसंद है। तुम्हारे जैसी कुतिया।”

मैं मुस्कुरा दी।
वैसे मेरे पति मुझे 6-7 मिनट तक चोदते हैं, तब जा कर मेरा पानी गिरता है, मगर शेर सिंह के खुरदुरे लंड ने मेरा 3-4 मिनट में ही पानी गिरा दिया।
मैंने शेर सिंह से कहा- शेर ज़ोर से मार यार, मैं झड़ने वाली हूँ, चोद यार, और ज़ोर से चोद!
और उसने ऐसे जोरदार धक्के मारे कि मैं तो गोंद की तरह उसके जिस्म से चिपक गई और खुद ही उसके होंठों से होंठ जोड़ दिये। मेरे होंठ उसने अपने दाँतों से काट लिए और “ऊ…आहा” और मैं तृप्त हो गई, झड़ गई, मर ही गई।

सच में किसी लाश की तरह मैं नीचे को लुढ़क गई तो शेर सिंह ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया।
मैंने कहा- अरे आपने क्यों निकाल लिया, आप तो अपना करो न!
वो बोला- नहीं, अभी नहीं … जब तुम दोबारा पूरी हीट पर आओगी, फिर करूंगा।

और मेरे साथ लेट कर मुझसे बातें करने लगा। हमने बहुत सी बातें की, 4 दिन पहले जिस आदमी को मैं जानती तक नहीं थी, उस आदमी के साथ मैं बेल की तरह नंगी लेटी हुई बातें चोद रही थी। फिर वो बोला- 6 बजने वाले हैं, घर जाने का वक़्त हो गया.
मैंने कहा- तो फिर एक बार और करते हैं और चलते हैं।

मैंने अपनी टाँगे फिर से फैला दी।
वो बोला- नहीं कुतिया की चूत किसी कुतिया की तरह ही मारूँगा।
मैं उठी और घुटनों के बल हो गई, उसने पीछे से आकर मेरी चूत पर अपना लंड रखा और अंदर डाल दिया, थोड़ा सा ढीला था मगर अंदर घुस गया।

उसके बाद उसने फिर से मेरी चुदाई शुरू की। इस बार वो कुछ ज़्यादा ही वहशी हो रहा था। उसकी जांघें ज़ोर से आकर मेरी गांड पर लगती तो मेरा सारा जिस्म झूल जाता। हर धक्के के साथ ‘ठप्प ठप्प ठप्प…’ की आवाज़ आ रही थी।
मैं थोड़ा सा आगे को हुई तो उसने मेरे सर के बाल पकड़ लिए। मेरे पति और चाचाजी भी कई बार चुदाई में मेरे बाल खींच देते थे, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।

इस बार गेम बहुत लंबी और जोरदार चली। मुझे भी झड़ने में करीब करीब 10 मिनट लग गए, मगर वो तो और भी लंबा खेला। दो बार झड़ने के बाद मैं पूरी तरह से शांत, ठंडी हो चुकी थी।

और इसके बाद के 5 मिनट ने मेरी बस करवा दी। मैं बिल्कुल सूखी थी, और वो इसी सूखेपन में भी मुझे उसी ज़ोर से चोद रहा था। तड़पा तड़पा कर उसने मुझे बेहाल कर दिया, मैं अपनी चूत में होने वाले दर्द से परेशान थी, मैं तो बस “उम्म्ह… अहह… हय… याह…” ही कर पा रही थी, और मेरी तकलीफ को वो समझ रहा था कि मुझे मज़ा आ रहा है, और वो और रगड़ रगड़ कर अपना लंड मेरी चूत में पेल रहा था।

शेर सिंह मेरे पति और चाचा दोनों से तगड़ा निकला और ऊपर से उसका ये खुरदुरा सा लंड … हर औरत चाहती है कि उसका मर्द चुदाई में तगड़ा हो, पर अगर कुछ ज़्यादा ही तगड़ा हो तो औरत की माँ चोद कर रख देता है, यही हाल मेरा था, घोड़ी बनी मैं थक चुकी थी, मैंने अपना सर ज़मीन से टिका लिया और मेरी गांड ऊपर हवा में उठी हुई थी, वो मेरी पीठ और मेरे कूल्हों को अपने हाथों से मसल रहा था, दबा दबा के दर्द करने लगा दिया था और वो किसी ज़ालिम सवार की तरह मुझे दौड़ाए जा रहा था।

मगर अब मुझे उसके लंड के कडकपन और उसकी स्पीड से लग रहा था कि वो झड़ने वाला है।
और फिर आखिर उसने पूछा- मेरा होने वाला है, अंदर ही गिरा दूँ?
मैंने कहा- हाँ आने दो, कोई दिक्कत नहीं!

और फिर उसने दोनों तरफ से मेरे कूल्हे पकड़ कर बहुत ज़ोर से दबाये और अपना गरम माल मेरे अंदर गिराया। गरम, गाढ़ा लेस!
मेरी पूरी चूत भर गई, और अब तो उसका लंड भी बड़ी पिचक पिचक की आवाज़ के साथ मेरे अंदर आ जा रहा था।
पूरी तरह खाली होने के बाद शेर सिंह मेरे साथ ही लेट गया।

वो लेटा तो मैंने उठ कर उसका लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में लेकर चूसा और अपनी जीभ से चाटने लगी।
शेर सिंह बोला- अरे मेरी जान, क्यों मुझे अपना गुलाम बना रही हो!
मैंने पूछा- क्यों, ऐसे कैसे तुम मेरे गुलाम बन जाओगे?
वो बोला- आज तक मेरी बीवी ने कभी मेरा लंड नहीं चूसा, और माल चाटने का तो मतलब ही नहीं, अब अगर तुम मुझे इतना प्यार करोगी, तो मैं कैसे तुम्हें भूल पाऊँगा। शादी के बाद तो तुम चली जाओगी, फिर ये सब प्रेम प्यार मुझसे कौन करेगा?

मैंने उसके लंड के छेद को अपनी जीभ की नोक से चाटते हुये कहा- तो ऐसा करते हैं, जब तक मैं यहाँ हूँ, वादा करो, तब तक तुम मुझे रोज़ इसी तरह भरपूर संभोग सुख दोगे। रोज़ मुझे चोदोगे और रोज़ मैं इसी तरह मैं तुम्हारा माल पीऊँगी।
वो खुश हो गया और बोला- तो क्या तुम सारा माल पी सकती हो?
मैंने कहा- हाँ, तुम चाहो तो झड़ने से पहले अपना लंड मेरे मुँह में डालो और सारा माल मेरे मुँह में गिराओ, मैं सारा माल पी जाऊँगी, मुझे मर्द का गाढ़ा गरम वीर्य पीना बहुत अच्छा लगता है।
उसने खुश हो कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठ चूम गया, बोला- तू सच में कुतिया है सविता। बस तू हिम्मत रखना, जब जहां मौका मिलेगा, मैं तुम्हें तब तब वहाँ वहाँ चोदूँगा।
मैंने कहा- तो ठीक है, आज दोपहर को मैं फिर तुमसे मिलना चाहूंगी।
वो कुछ सोच कर बोला- ठीक है, दोपहर बाद मेरे घर पर!

हम दोनों ने मुस्कुरा कर एक दूसरे के होंठ चूमें और फिर उठ कर अपने अपने कपड़े पहने और वापिस तायाजी के घर आ गए.

उस वक़्त सात बजने वाले थे। तायाजी ने सैर के बारे में पूछा, मैंने शेर सिंह और उसके खेतों की, नहर की बहुत तारीफ की, और कह दिया कि मैं तो रोज़ सुबह सैर करने जाया करूंगी।

उसके बाद अगले 6 दिन मैं और वहाँ रही और इन 6 दिन में मैंने शेर सिंह से खूब चुदवाया। उस मर्द के बच्चे ने भी मुझे अपना माल पिला पिला कर तृप्त कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
भाभी की बहन की शादी से पहले चुदाई













भाभी बोलीं- कभी क्या आता हूँ … नवम्बर में मेरी बहन निशा की शादी है, तो आपको तो दो हफ्ते पहले ही आना है क्योंकि आपके भैया तो दूसरे काम में बिजी होंगे, तो मुझे भी आपकी हेल्प चाहिए होगी न.
मैंने कहा- ठीक है.

शादी के दो हफ्ते पहले ही मैं भाभी के मायके वाले घर आ गया.
बाहर से अभी तो लग ही नहीं रहा था कि कोई शादी है. भाभी का घर यूपी में है और जिस जगह घर है, वहां का एरिया बहुत अच्छा है.
मैंने भाभी के घर के बेल बजाई, तो अन्दर से ‘आती हूँ …’ की आवाज आई.
जब दरवाजा खुला, तो कोई एकदम मस्त माल सामने था. 

उस लड़की का नाम शिल्पा था और वो भाभी की कोई रिश्तेदार थी, जो कि मुझे बाद में पता चला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
भाभी की बहन की शादी से पहले चुदाई













भाभी बोलीं- कभी क्या आता हूँ … नवम्बर में मेरी बहन निशा की शादी है, तो आपको तो दो हफ्ते पहले ही आना है क्योंकि आपके भैया तो दूसरे काम में बिजी होंगे, तो मुझे भी आपकी हेल्प चाहिए होगी न.
मैंने कहा- ठीक है.

शादी के दो हफ्ते पहले ही मैं भाभी के मायके वाले घर आ गया.
बाहर से अभी तो लग ही नहीं रहा था कि कोई शादी है. भाभी का घर यूपी में है और जिस जगह घर है, वहां का एरिया बहुत अच्छा है.
मैंने भाभी के घर के बेल बजाई, तो अन्दर से ‘आती हूँ …’ की आवाज आई.
जब दरवाजा खुला, तो कोई एकदम मस्त माल सामने था. 

उस लड़की का नाम शिल्पा था और वो भाभी की कोई रिश्तेदार थी, जो कि मुझे बाद में पता चला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
एक दिन मैं घर पर बैठ हुआ था तो दरवाजे पर आवाज आई कि घर के बाहर कोई आया हुआ है.
मैंने बाहर जाकर देखा तो भैया भाभी आए हुए थे. 

ये जो भैया भाभी आए थे, वो मेरे चाचा के लड़के थे और अंजलि भाभी साथ में थीं.
मैंने उन्हें अन्दर बुलाया और कुछ ही देर में सबने चाय पी. बहुत बातें भी हुईं. 

भाभी मुझसे बोलीं- आप तो हमारे घर का पता ही भूल गए हो. एक साल से ज्यादा हो गया, घर के सब लोग आ गए पर आप नहीं आए.
मैंने कहा- भाभी क्या करूं, मन तो बहुत करता है, पर जब भी जाने की सोचता, तो कोई न कोई काम आ जाता था. जिस वजह से मैं वहां नहीं आ पाता.
भाभी- बहाना बनाना तो कोई आपसे सीखे.


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मैंने कहा- नहीं भाभी बहाना नहीं बना रहा हूँ. चलो अब कभी जल्दी ही आता हूं.
भाभी बोलीं- कभी क्या आता हूँ … नवम्बर में मेरी बहन निशा की शादी है, तो आपको तो दो हफ्ते पहले ही आना है क्योंकि आपके भैया तो दूसरे काम में बिजी होंगे, तो मुझे भी आपकी हेल्प चाहिए होगी न.
मैंने कहा- ठीक है.

शादी के दो हफ्ते पहले ही मैं भाभी के मायके वाले घर आ गया.
बाहर से अभी तो लग ही नहीं रहा था कि कोई शादी है. भाभी का घर यूपी में है और जिस जगह घर है, वहां का एरिया बहुत अच्छा है.
मैंने भाभी के घर के बेल बजाई, तो अन्दर से ‘आती हूँ …’ की आवाज आई.
जब दरवाजा खुला, तो कोई एकदम मस्त माल सामने था. 

उस लड़की का नाम शिल्पा था और वो भाभी की कोई रिश्तेदार थी, जो कि मुझे बाद में पता चला. 
उसका फिगर बहुत सेक्सी था. उसने उस टाइम नीले रंग की जींस और बहुत से मिक्स रंग वाला टॉप पहना हुआ था. वो टॉप और जींस दोनों ही उसके पूरे शरीर से चिपके हुए थे. उसका फिगर कुछ 32-28-34 का था.
शिल्पा- आप कौन, किससे मिलना है आपको?
मैंने उससे मस्ती करते हुए कहा- मैडम, यहां कोई अंजलि नाम से मैम रहती हैं, मुझे उनसे मिलना है.

शिल्पा- अच्छा तो आपको दीदी से मिलना है. आप यहीं रुको, मैं दीदी को बुला कर लाती हूँ.
ये कहती हुई शिल्पा जैसे ही पीछे मुड़ी, तो उसकी सेक्सी गांड देख कर मन किया कि पीछे से ही इसकी गांड में लंड डाल दूँ.

मैं जानबूझ कर दरवाजे पर ही खड़ा रहा.
थोड़ी ही देर में अंजलि भाभी ने मुझे देखा और बोलीं- तुम दरवाजे पर क्यों खड़े हो, अन्दर आओ.
शिल्पा सकपका गई और मैं हंस पड़ा.

फिर जैसे ही मैं अन्दर गया तो देखा कि पहले के मुकाबले घर अब और भी अच्छा हो गया था.
मैं बस भाभी की शादी में ही भाभी के घर गया था. 

भाभी के घर में उनके मम्मी पापा और उनकी एक बहन यानि निशा थी.
निशा से छोटा एक भाई भी था.

भाभी की सगी छोटी बहन निशा थी, जिसकी शादी थी. उससे मेरा हंसी मजाक भी अच्छा खासा चलता था और हम दोनों आपस में किसी भी तरह की बात को शेयर कर लिया करते थे.
वैसे निशा भी देखने में किसी से कम नहीं थी. एकदम गोरी, काली आंखें, गोल गोल गाल … जिनको दांतों से काटने का मन करे.
उसके फिगर का साइज़ 34-28-34 का था. वो ऊपर से भी मस्त और नीचे से भी मस्त माल थी. उसकी गांड और चूचियों का आकार पूरी तरह से गोल गोल था.

निशा योग और एक्सरसाइज करती थी तो उसकी बॉडी में फालतू का फैट था ही नहीं.
मेरा मन तो बहुत किया कि अगर ये राज़ी हो जाए तो इसको चोदने के लिए कोई बहाना नहीं बनाना पड़ेगा क्योंकि घर में आने जाने की कोई रोक टोक तो थी नहीं.
उसने पहले ही सब साफ बोल दिया था कि हम दोस्त बन सकते हैं, उससे आगे कुछ नहीं. 

उसने बताया भी कि उसका बॉयफ्रेंड भी है, उसके साथ उसने सेक्स भी किया है. उसने सब कुछ मुझसे शेयर किया हुआ था.
पर कहते है ना कि जब कामदेव की कृपा होती है, तो कुछ भी हो सकता है.
उसे ये शादी नहीं करनी थी क्योंकि उसकी शादी उसके बॉयफ्रेंड से नहीं हो रही थी. उसके घर में ये बात सबको पता चल गई थी इसलिए जल्दी से शादी करवाई जा रही थी.
मैं घर के अन्दर आया, सबसे मिला.
जब मैं निशा से मिला तो उससे बोला- तुझसे कुछ काम है. 

निशा बोली- हां बोलो.
मैंने कहा- अभी नहीं, बाद में बताऊंगा. 

उसके बाद मैं सबसे मिला, चाय पी.
भाभी के और भी रिश्तेदार आए हुए थे.

ऐसे ही थोड़ा टाइम हुआ तो मैं सीधा रसोई में आ गया. वहां भाभी और शिल्पा ही थीं. 
मैंने भाभी के पास जाकर कहा- ये मोहतरमा कौन हैं, भाभी जी जरा हमसे भी तो मिलवाओ.
अंजलि भाभी बोलीं- हां हां क्यों नहीं, ये मेरी बहन है और इसका नाम शिल्पा है. 

मैंने हाथ आगे करते हुए शिल्पा को हैलो बोला और शिल्पा ने भी मुझसे हाथ मिलाया.
जैसे ही उसका मुलायम और मखमली हाथ मेरे हाथ से छुआ, मेरे लंड में जैसे कोई करंट लग गया और वो झटके से खड़ा हो गया हो. 

‘मेरा नाम यश है.’
वो मुस्करा दी.

मैंने भाभी से कहा- ये आपकी सगी बहन हैं?
भाभी बोलीं- नहीं, ये मेरे चाचा की लड़की है और गांव से मेरी मम्मी के साथ आई है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
मैंने मन में सोचा कि गांव से है … मतलब गांव में भी इतने मस्त माल होने लगे हैं.

मैंने कहा- पर ये लगती नहीं है कि गांव से आई है.
भाभी मुस्कराने लगीं.

फिर मैंने अंजलि भाभी से उनके गांव के बारे में पूछा.
तो वो नाम बताती हुई बोलीं- इधर से मेरे गांव का रास्ता कोई 5 घंटे का है.
मैं ओके कह कर भाभी की ओर देखने लगा.

फिर अंजलि भाभी बोलीं- ये कॉलेज में है, तो इसे घर से दूर पड़ता है. इसलिए ये हॉस्टल में रहती है. अभी इसकी एक महीने की छुट्टी थी तो मैंने इधर ही बुला लिया.
शिल्पा बोली- हमारा जो कॉलेज है ना … वो शहर में पड़ता है. घर से कॉलेज आने जाने 4 से 5 घंटे लग जाते हैं. पापा ने पहले ही पता कर लिया था, इसलिए उन्होंने मुझे गर्ल्स हॉस्टल में रूम दिलवा दिया ताकि आने जाने की दिक्कत ही ना रहे. मैं हफ्ते में या महीने में एक या दो बार जब कॉलेज ऑफ होता है, तो घर चली जाती हूँ.

अब अंजलि भाभी मुझसे बोलीं- कैसी लगी मेरी बहन?
मैं बोला- बहुत सुंदर और मस्त है साली.

मैंने भाभी को आंख मारते हुए ये बात बोली, तो अंजलि भाभी बोलीं- शैतान कहीं के.
मैंने कहा- क्या शैतान … ये मेरे भाई की साली तो है ही न!
इस बार शिल्पा भी हंस पड़ी.

ऐसे ही हम सब बातें करते रहे. अब शिल्पा भी मुझसे हल्की फुल्की बातें करने लगी थी.
मेरे मन में तो था कि इसकी भी चुदाई करने को मिल जाए तो मजा आ जाए.

अंजलि भाभी बोलीं- देखो यश, काम बहुत है और अभी तो सारे सामान वगैरह खरीदने भी जाना है. फिर 4 से 5 दिन में बहुत से मेहमान भी आने वाले हैं, तो ये सब तुम्हें ही देखना होगा. मुझे किसी और पर इतना भरोसा नहीं है. बस तुम दोनों से ही मुझे आस है.
मैंने कहा- मैं तो हर तरह से तैयार हूं भाभी, आप मुझे कुछ भी काम दो, सब हो जाएगा, पर ये बात अपनी बहन से भी तो पूछो, ये काम कर पाएगी या नहीं.

शिल्पा थोड़ी चिढ़ती हुई बोली- क्यों नहीं करूंगी, आपने मुझे क्या आलसी समझा है.
अंजलि भाभी बोलीं- बस करो, तुम दोनों काम करोगे या नहीं, मुझे तो लग रहा है लड़ाई जरूर पहले ही कर लोगे.

मैंने कहा- ऐसा नहीं है भाभी. अब साली है, तो इतना तो बनता है न!
अंजलि भाभी बोलीं- ठीक है … जो करना है, करो. पर लड़ाई मत करना.

मैंने कहा- अच्छा … जो भी करूं?
अंजलि भाभी बोलीं- ज्यादा दिमाग मत चलाओ … और अगर वो सब करना ही है, तो दोनों पहले शादी कर लो.

मैं हंसने लगा.
शिल्पा भी शर्मा गई.

हमें ये सब बातें करते हुए दोपहर हो चुकी थी.
सबने खाना खाया.

फिर अंजलि भाभी मेरे पास आईं और उन्होंने शिल्पा को भी बुलाया.
भाभी बोलीं- सुनो यश, तुम अपना बैग मेरे रूम में रख दो और शिल्पा का भी. पहले ही तुम दोनों अपना बैग ऊपर रख दो, नहीं तो ओर मेहमान आएंगे, तो वो मेरे रूम में अपने सामान रखने के लिए बोलेंगे. इसलिए तुम अपना और शिल्पा का बैग ऊपर जाकर रख दो.

भाभी का जो घर यानि मायका था, वो 3 फ्लोर का था. छत पर भी रूम थे. उनके घर में सब मिला कर 12 रूम थे और दो स्टोर रूम भी थे, जिनमें आसानी से चुदाई की जा सकती थी. उन स्टोर्स में कुछ कुछ सामान रखा हुआ था, मगर चुदाई के लिए काफी जगह थी.

भाभी ने मेरा सामान और शिल्पा का बैग आदि सबको पहली मंजिल पर रखने को बोला क्योंकि ज्यादातर लोग नीचे ही रहना पसंद करने वाले थे, या ऊपर की मंजिल पर.

पहली मंजिल पर जो रूम था वो एकदम कोने में बना था. उसी के साथ में ही निशा का भी रूम था. ये रूम बड़ा भी था और उसमें बाथरूम भी था. हमें कोई दिक्कत ना हो शायद इसलिए भाभी ने इस रूम के लिए मुझे बोला था.

मैंने दरवाजा खोला और कुछ सामान अन्दर कर लिया. मगर शिल्पा ने जैसे ही सामान उठाया, तो उसका पैर बैग से लड़ गया और वो गिरने वाली ही थी कि मैंने देख लिया और जल्दी से उसको पकड़ लिया.

जल्दी से पकड़ने के चक्कर में मैंने एक हाथ में उसके हाथ को पकड़ लिया और दूसरा हाथ सीधे उसके मुलायम गोरे चूचों पर पड़ गया.

उसको पकड़ने के लिए मैंने अपने जैसे ही हाथ बढ़ाए थे कि उसके चुचे मेरे हाथ से दब गए.

इस घटना के होते ही शिल्पा की नजर नीची हो गई और उसने थैंक्स भी बोला.
मैंने उससे कहा- शिल्पा सॉरी, मैंने बस तुमको बचा रहा था, वो गलती से हो गया.

वो बोली- तुम्हारी कोई गलती नहीं है, वो सब अचानक से हुआ … और तुमने तो मुझे गिरने से बचाया.
मैं मुस्कुरा कर बोला- चलो अब अन्दर चलें.

अब हम दोनों कमरे में अन्दर आ गए और अंजलि भाभी का ये कमरा देखने लगे.
वाकयी भाभी का ये रूम बहुत अच्छा रूम था.

हम दोनों सोफे पर बैठ गए.
मैंने उससे पूछा- तुमको कॉलेज में एडमिशन लिए हुए कितना टाइम हो गया?
शिल्पा बोली- मुझे तो एक साल से ज्यादा हो गया है.
मैं हम्म कहा.

फिर शिल्पा बोली- आप क्या करते हो और कहां रहते हो?
मैंने कहा- मैं तो दिल्ली से ही और मैंने बी.ए. के पहले वर्ष का एग्जाम दिया है. पढ़ाई के अलावा अभी मैं कुछ नहीं कर रहा था. चूंकि भाभी पहले ही बोल कर गई थीं कि दो हफ्ते पहले आना है, तो मैंने कहीं जॉब की कोशिश नहीं की. नई जॉब लगी हो और दो हफ्ते की छुट्टी मांगूगा, तो कोई नहीं देगा. इसी लिए कोई जॉब नहीं देखी.
वो बोली- हां ये तो है.

फिर मैंने पूछा- तुम्हारा गांव और कॉलेज कहां है?
शिल्पा ने अपने गांव का नाम बताया और कॉलेज का पता बताया.

मैंने कहा- हमारे यहां से तुम्हारे कॉलेज का रास्ता तो दो घंटे का होगा!
शिल्पा- हां … और आपका गांव कहां है?

मैंने उसको अपने गांव का नाम पता आदि बताया.

कुछ देर बात करने के बाद शिल्पा के मोबाइल पर अंजलि भाभी का कॉल आया.
भाभी ने शिल्पा को नीचे बुलाया था.

थोड़ी देर में जैसे ही शिल्पा गई, मैंने दरवाजा बंद किया और बेड पर आकर लेट गया.

शिल्पा से मुलाकात की शुरुआत ही ऐसी हुई थी कि उसके चुचे पकड़ने को मिल गए थे.
तो सोच रहा था कि इसकी चुदाई कब करने को मिलेगी.

ये ही सोचते हुए ही मैं सो गया.
जब नींद खुली तो नीचे आ गया.

सब बातें कर रहे थे और रात होने वाली थी. भैया भी कुछ देर में आ गए थे. मेरी भैया से मुलाकात हुई.

इसके बाद मैं रसोई की तरफ गया.
अन्दर शिल्पा कुछ काम कर रही थी.

रसोई के दरवाजे से ही मैं शिल्पा की गांड को देख रहा था, उसके साथ ही निशा भी थी. उसने टाईट जींस पहनी हुई थी, तो उसकी गांड का आकार भी साफ देखने को मिल रहा था.

फिर मैं अंजलि भाभी के पास आ गया.
मैंने देखा कि शिल्पा मुझसे नजर भी ठीक से नहीं मिला रही थी.

निशा बोली- क्यों हो गई नींद पूरी?
मैंने कहा- अभी कहां, अभी तो रात हुई है … अभी तो पूरी रात तो बाकी है.

निशा बोली- तो जाओ सो जाओ, इधर सोने के लिए ही तो आए हो.
मैंने उसके मजे लेते हुए कहा- अकेले में सोने में मजा नहीं आ रहा है. यहां दो दो सालियां हैं, फिर भी कोई सेवा ही नहीं कर रही है.

इतने में अंजलि भाभी बोलीं- शरारती कहीं के … चलो बाहर जाओ.
ऐसे ही बातें करते टाइम बीत गया और कुछ टाइम बाद सबका खाना हो गया.

अब रात के यही कोई 11 बज रहे होंगे, तो सब लोग यानि भाभी, शिल्पा, निशा, मैं और भैया पहले ही ऊपर वाले रूम में चले गए थे.

मैंने सोचा कि अभी बात करके कोई फायदा नहीं है, जब हम दोनों अकेली होंगी, तो बात करूंगा.

अंजलि भाभी भैया एक रूम में थे. मैं और शिल्पा, निशा के रूम में थे. निशा का रूम भी अन्दर से बहुत अच्छा था. उसके कमरे का बेड भी काफी बड़ा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#36
तभी मैंने देखा कि शिल्पा अपने बॉयफ्रेंड से बातें करते हुए कह रही थी कि जानू तुम्हारा लंड लेने का बहुत मन कर रहा है … आह डाल दो अन्दर. पूरे चार हफ्ते हो गए हैं. हम दोनों ने सेक्स नही किया है. जानू आज तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेने का मेरा बहुत मन कर रहा है.

ये सब बातें करते हुए शिल्पा अपनी चूत में एक उंगली फेरने लगी.
जैसे ही उसकी चूत में आधी उंगली गई, उसकी मस्त आवाज निकलने लगी ‘अअअह हहह …’

कुछ ही देर में उसने अपनी पूरी उंगली चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करती हुई सिसियाने लगी.
वो अपनी गांड उठा उठा कर बार बार नीचे रख रही थी.

उसकी कामुक सिसकारियां मेरे कानों में भी पड़ रही थीं जिससे मेरा भी बुरा हाल हो चला था.
मैं भी जोर जोर से अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था.

मैंने भी देर न की और जल्दी जल्दी लंड हिलाते हुए अपना सारा माल नीचे फर्श पर निकाल दिया और कमरे से निकल गया.


जल्दी से नीचे जाकर मैंने लंड को धोया और सोचने लगा कि अगर अभी फिर से अन्दर चला गया तो शायद बात ना बने.
फिर मैं शायद ही इससे चुदाई की बात कर पाऊं.

मगर दूसरी तरफ एक बात ये भी सोच रहा था कि ये मौक़ा अच्छा है. अगर अभी कुछ कर पाया, तो ही कुछ बात बन पाएगी, नहीं तो ऐसा मौका नहीं मिल पाएगा.

कुछ पल सोचने के बाद मैं फिर से कमरे के दरवाजे पर आ गया.
इस बार मैंने दरवाजा जानबूझ कर तेज धक्के से खोला.
पर साली के कान में लीड लगी हुई थी जिस वजह से उसको कुछ सुनाई ही नहीं दिया.

मैंने देखा कि शिल्पा ने अभी अपनी चूत में दो उंगली डाल रखी थीं.
वो मजे में जोर जोर से आंखें बंद किए अपनी उंगलियों को जोर जोर से अन्दर बाहर करने में लगी थी.

कुछ देर बाद जब मुझे ऐसा लगा कि अब इसका होने वाला होगा, तो उससे पहले ही मैंने थोड़ी तेज आवाज सी की.

मेरी इस तेज आवाज से उसकी नजर मुझ पर पड़ी.
शिल्पा मुझे देख कर हड़बड़ा सी गई और जल्दी से उसने बेड की चादर को खींच कर अपने आपको ढक लिया.
उसी पल उसने कॉल को भी काट दिया.

नाटक करते हुए मैं भी उस रूम से बाहर निकल आया.

मैं दरवाजे बाहर के जैसे ही गया, शिल्पा ने मुझे पीछे से आवाज लगाई- यश रुको.
मैं पीछे मुड़ा.

शिल्पा ने अभी भी चादर ही ढक रखी थी.

मैं बोला- सॉरी शिल्पा मुझे पता नहीं था कि तुम यहां हो!
शिल्पा बोली- सॉरी क्यों बोल रहे हो, कोई बात नहीं.

मैं उसे देखने लगा.
वो शर्माती हुई बोली- यश, प्लीज ये बात किसी को मत बताना.

मैंने बोला- ठीक है, किसी को नहीं बताऊंगा. तुम टेंशन मत लो.
मेरे इतना बोलने पर शिल्पा बोली- थैंक्यू यश, तुम बहुत अच्छे हो.

पर शिल्पा का चेहरा देखते हुए नहीं लग रहा था कि वो मेरी बात से सहमत है.

मैं उससे बोला- तुम कपड़े पहन लो, मैं नीचे जा रहा हूँ.

जैसे ही मैं मुड़ा तो पीछे से शिल्पा आ गई. उसने मुझे अपनी तरफ मोड़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और मुझे चूमने लगी.

मैंने थोड़ा नाटक करते हुए शिल्पा को अलग किया और कहा- शिल्पा ये क्या कर रही हो?
पर शिल्पा बोली- जब तुमने सब देख ही लिया है, तो अब छुपाने से क्या फायदा.
ये कहते हुए वो हॉट न्यूड गर्ल फिर से मुझे होंठों पर चूमने लगी.

मैंने भी ज्यादा नाटक करना सही नहीं समझा कि कहीं बना हुआ काम भी खराब ना हो जाए.
मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा.

शिल्पा के साथ पहली बार उसके होंठों को चूमने का अलग ही मजा आ रहा था.

कुछ पल मैं ऐसे ही उसके होंठों को चूमता रहा. फिर मैंने उसके कान को चूमना शुरू किया, जो उसको और भी उत्तेजित कर रहा था.

मेरा हाथ चादर के ऊपर से ही उसके पीछे उसकी गांड पर आ गया. मैं दोनों हाथों से उसकी चूतड़ों को सहला रहा था.

अगले ही पल उसका हाथ मेरी जींस के ऊपर से ही लंड पर आ गया.
शिल्पा मेरे लंड को सहलाने लगी.

उसने मेरी चैन को खोला और लंड को बाहर निकाल लिया. उसके हाथ के छूने से मेरा लंड खड़ा होने लगा था.
मैं भी उसकी लपेटी हुई चादर के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाने लगा.
उसको मजा आ रहा था.

मैंने शिल्पा को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसको अपने आगे ले लिया.
उसका मुँह दूसरी तरफ हो गया और पीठ मेरी तरफ थी.

मैंने पीछे से शिल्पा को अपनी बांहों में कस लिया और हाथ को आगे कर लिया.
उसकी चादर को थोड़ा साइड करके मैंने उसकी चूत को जैसे ही छुआ, वैसे ही शिल्पा की प्यारी सी आवाज निकलने लगी ‘ओ … यश …’

मैं उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा जिससे शिल्पा और भी उत्तेजित होने लगी.
मैंने पीछे से चादर को ऊपर किया और उसकी चूतड़ों से खुद को सटा दिया. अपने लंड से उसके नंगे चूतड़ों को सहलाने लगा.
वो भी अपनी गांड को पीछे किए जा रही थी.

मेरा एक हाथ उसकी चूत पर रगड़ रहा था और अब दूसरा हाथ मैंने उसके सीने के ऊपर लिपटी हुई चादर को नीचे कर दिया.

उसके दोनों चुचे साफ दिख रहे थे. इतनी देर से मैं इन चूचों को देख रहा था पर हाथ में लेने में मुझे और भी मजा आ रहा था.

शिल्पा भी मजे में आती जा रही थी. उसकी चूत के साथ साथ उसका बदन भी गर्म होने लगा था.
मैंने उसको फिर से घुमा दिया., अब उसका चेहरा मेरी तरफ था.

मैंने देर न करते हुए उसके चूचों को अपने कब्जे में किया और एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया.
मैं जोर-जोर से उसके दूध को चूसने लगा.
शिल्पा मादक सिसकारियां लेने लगी- अअअअ … यश आआह …

मैं शिल्पा का एक चूचा चूसने के साथ ही दूसरे चूचे को जोर-जोर से दबाए जा रहा था. कभी उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों के बीच में दबा कर हल्के हल्के रगड़ देता था, जिससे शिल्पा को और भी मजा आने लगता.

शिल्पा पहले ही गर्म थी. मेरा हाल भी ऐसा ही था लेकिन तभी शिल्पा ने मुझे एक बात बताई, जिसे सुन कर मेरे हाथ रुक गए.
मैं दंग रह गया.

उसने बताया कि उसने मुझे प्रीत की चुदाई करते हुए देखा है.
मैं एक बार को तो घबरा गया था.

फिर शिल्पा बोली- तुम टेंशन मत लो. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी. अभी तुम जो कर रहे हो, उसको पूरा करो.

मैंने अपने कपड़े जल्दी से उतार दिए.
अब मैं भी बिना कपड़ों के हो गया था.

मैंने जल्दी से शिल्पा के बदन से चादर को हटा दिया.
शिल्पा मुझे देख कर अभी भी शर्मा रही थी.
उसका नंगा बदन मस्त सेक्सी लग रहा था.

मैंने शिल्पा को लंड चूसने को कहा तो वो मना करने लगी.
मैं बोला- देखो तुमने इतना तो कर ही लिया है. अब अगर आगे मजा लेना है तो तुम्हें मेरा साथ देना होगा.

कुछ देर मनाने के बाद शिल्पा बोली- ठीक है, पर अगर मुझे ये अच्छा नहीं लगा, तो मैं ज्यादा नहीं करूंगी.
मैंने कहा- हां ठीक है.

अब शिल्पा नीचे बैठ गई. पहले तो उसने मेरे लंड को सहलाया और अपने होंठों पर जैसे ही लगाया, मुझे तो मस्त मजा आने लगा.

उसे भी लंड पसंद आ गया था या साली ड्रामा कर रही थी. जो भी हो, उसने अगले ही पल में मेरे लंड को मुँह में लेकर अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया था.

कुछ ही देर में मैं उसका सर पकड़ कर अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा, तो मेरा लंड उसके मुँह में ज्यादा ही अन्दर चला गया था.
एकदम से वो खांसने लगी और उसने लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया.

वो सांस लेती हुई बोली- आह … अब नहीं करूंगी.

मैंने उसको अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले गया.
उधर मैंने उसको पीठ के बल लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया.

फिर उसके होंठों को चूमते हुए मैं उसके चूचों को चूसने लगा.

अब उसकी आवाज और जोर से निकलने लगी थी.

कुछ देर तक उसके दोनों चूचों को चूसने के बाद मैं बेहद उत्तेजित हो गया था.
मैं थोड़ा नीचे उसकी नाभि पर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमाने लगा.

शिल्पा की मादक सीत्कारें ‘ऊओ ऊओ आअह्ह … आहह्ह आहह्ह … आआह्ह …’ माहौल को कामुक बनाने लगी थीं.

मैं उसकी पूरी बॉडी पर अपना हाथ चला रहा था.
अगले ही पल में मैं चूत पर आ गया.

मैं शिल्पा की जांघों पर हाथ से सहलाता रहा और साथ ही साथ उसको चूमता भी रहा.
ये सब शिल्पा को और भी अच्छा लगने लगा था.

फिर कुछ ही देर में मैंने जैसे ही उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से कुरेदा … वो सिहर गई.

मैं चूत चाटने लगा और शिल्पा आवाज निकालने लगी ‘आअह्ह ऊओह ऊओह्ह आआह …’

उसको अब और भी अच्छा लगने लगा था.
शिल्पा ने अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख दिए और गर्म आवाजें निकालती हुई कहने लगी- आह यश चाटो … और जोर जोर से चाटो … आहह्ह आज पहली बार इतना मजा आ रहा है.

मैं और जोर जोर से उसकी चूत के दाने को चाटने लगा.
जब मैंने देखा कि उसकी चूत काफी गीली हो गई है तो मैं उसकी चूत में जीभ डालकर अन्दर से रस चाटने लगा.

मेरी खुरदुरी जीभ को अपनी चूत के अन्दर पाकर शिल्पा जोर जोर से सांस लेने लगी और वो अपनी गांड भी उठाने लगी थी ‘ऊऊह हह आआह ऊओ हह …’

उसकी चूत को चाट चाट कर मैं लाल कर दिया था.
वो मेरे सर के बालों को सहला रही थी और अपनी गांड को भी मस्ती में इधर उधर कर रही थी.

शिल्पा बहुत गर्म हो चुकी थी और उसकी चूत भी बहुत गीली हो चुकी थी.

मैंने देर न करते हुए उसकी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दीं.
अभी उंगली अन्दर गई ही थीं कि शिल्पा ने अपनी गांड उठा कर पीछे कर लिया.

मैंने भी उसकी टांग को पकड़ कर नीचे की तरफ खींचा और उंगलियों को अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ ही पल में मेरी पूरी उंगलियां चूत के अन्दर तक जाने लगी थीं.

जैसे जैसे मेरी उंगलियां चूत में अन्दर बाहर हो रही थीं, वैसे वैसे शिल्पा की सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थीं.

वो मुझे लगातार चुदाई के लिए कह रही थी.
फिर मैं उठा और अपना लंड शिल्पा की चूत से रगड़ने लगा.

इससे शिल्पा को और भी अच्छा लगने लगा.

कुछ पल ऐसे ही करते हुए हो गया था शिल्पा लंड चूत में अन्दर पेलने के लिए लगभग गिड़गिड़ाने लगी थी.
मैंने भी बहुत देर से अपने आप को रोक रखा था.

इतने में शिल्पा के मोबाइल पर कॉल आया.
मैंने देखा तो अंजलि भाभी का कॉल था.

शिल्पा ने मुझसे रुकने का कह कर कॉल उठाया.
अंजलि भाभी ने पूछा- कहां हो?
वो थोड़ा घबराने लगी.

मैंने इशारे से उसे बताया कि कह दो कि कमरे में हूँ.
शिल्पा बोली- दीदी, मैं ऊपर कमरे में हूँ.

अंजलि भाभी बोलीं- तुम चाय बना कर रखना, मैं दस मिनट में आ रही हूँ.
शिल्पा बोली- ठीक है दीदी.

फोन कट गया.

एक बार के लिए तो हम दोनों ही डर गए थे कि अंजलि भाभी कहीं ऊपर तो नहीं आ गईं.

शिल्पा बोली- अभी रहने दो … बाद में कभी मौका मिला तो कर लेना.
मैं जानबूझ कर मान नहीं रहा था कि कहीं ये बाद में मना ना करने लगे. अभी तो इसको चोदा तक नहीं है.

मैंने कहा- बस अभी हो जाएगा.
शिल्पा बोली- मैं पक्का वादा करती हूं यश … तुम जब बोलोगे, तो कर लूंगी.

मैं उसे अपना लंड को दिखा कर बोला- इसका क्या करूं?
वो बोली- अच्छा चलो इसको हाथ कर देती हूँ.

मैंने कहा- नहीं, करना है तो मुँह में चूस कर ढीला कर दो.
उसने ज्यादा समय खराब करना ठीक नहीं समझा, वो बोली- हां कर दूंगी ठीक है … पर अभी उठो.
मैंने कहा- ठीक है.

शिल्पा उठी और नीचे बैठ गई और मैं खड़ा हो गया. शिल्पा मेरे लंड को अब हाथ में लेकर जोर जोर से चूसने लगी.

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था और मैं उसके सर को पकड़ कर लंड पेल रहा था.
मैं ज्यादा अन्दर तक लंड नहीं पेल रहा था … बस आधा अन्दर तक ही डाल कर निकाल ले रहा था.

उसके हाथों से मेरे लंड को छूने से और चूसने से मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

जब वो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटती तो मुझे और भी ज्यादा मजा आ रहा था.
अब वो जोर जोर से मेरे लंड को पकड़ कर चूस भी रही थी और आगे पीछे भी कर रही थी.

कुछ देर में मुझे लगा कि अब बस हो जाएगा, तो मैंने उसको बताया नहीं.

वो बार बार पूछती- तुम्हारा हुआ या नहीं?
मैं भी ना बोल देता.

अगले ही पल में मैंने सारा माल उसके मुँह में निकाल दिया.

जैसे ही उसके मुँह में मैंने माल निकाला, उसका मुँह भर गया.
उसने झट से वीर्य उगल दिया और जल्दी ही बाथरूम में जाकर सब साफ करके बाहर आ गई.

शिल्पा ने अपने कपड़े पहने और थोड़ा गुस्सा होते हुए बोली- ये जो किया है ना … वो अच्छा नहीं है.
मैं कुछ नहीं बोला.

वो जल्दी से नीचे चली गई. मैंने भी जल्दी जल्दी सब साफ किया और थोड़ी देर बाद नीचे चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#37
फिर घर वापस आया, खाना खाकर जब सब सोने चले गए तो अब मैं भी निशा के रूम में चला गया और फिर से वैसे ही लेट गया.

रात में निशा गुलाबी रंग वाली सिल्की शर्ट और पजामा पहन कर लेटी थी, वो बहुत प्यारी लग रही थी. उस पर पिंक रंग तो और भी निखरता था.

निशा ने शिल्पा की तरफ मुँह कर रखा था और अपनी गांड को हल्के से पीछे कर रही थी.
मैं भी इस बात पर बार बार ध्यान कर रहा था.

इस बार जब निशा ने अपनी गांड पीछे की, तब तक मेरा लंड खड़ा हो चुका था और टाइट भी हो चुका था.


इस बार जैसे ही निशा की गांड पीछे आई … उसी समय मैंने भी आगे की तरफ धक्का दे दिया जिससे मेरा लंड लोअर के अन्दर से ही उसकी गांड को रगड़ गया.

कमाल की बात ये थी कि इस रगड़न से मुझे उसकी मुलायम गांड का अहसास कुछ ज्यादा ही हो गया था मगर बंदी ने कुछ नहीं कहा.
वो शिल्पा से बातें करने में मस्त रही.

अब वो बातें करते करते अपने आप ही अपनी गांड में लंड रगड़वाने का मजा ले रही थी.

ऐसे करते हुए काफी देर हो गई थी लेकिन शिल्पा कमरे में थी, तो मैं पूरा खुल कर नहीं कर पा रहा था.

इतने में शिल्पा बोली- अब मैं सोने जा रही हूँ, तुम दोनों बातें करो.
इस बार मैंने जानबूझ कर और जोर से निशा की गांड को रगड़ना शुरू किया.

इस बात पर निशा भी अपनी गांड को कुछ मस्ती से पीछे करके लंड की रगड़ कर मजा लेने लगी थी.

कुछ देर बाद निशा ने मेरी तरफ करवट ले ली और मुझे देखने लगी.
कुछ देर ऐसे ही देखते हुए उसने एकदम से मेरे होंठों को चूम लिया.

मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ.
मेरी भी हिम्मत बढ़ी तो मैंने भी उसको अपने पास खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगा.

निशा ने कुछ नहीं कहा पर उसके आंसू निकल रहे थे.
आंसू देखकर मैं हटने लगा.

मगर तभी उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और जोर जोर से मेरे होंठों को चूमने लगी.
मैंने भी देरी ना की और उसके आंसू पौंछे और हल्के से उसके गाल पर हाथ फिराते हुए अपने हाथ को उसकी गर्दन पर ले आया.

फिर गर्दन सहलाते हुए मैंने नीचे को आकर उसके एक चुचे पर अपना हाथ रख दिया.
जैसे ही मैं दूध सहलाने लगा, उसकी हल्की सी आवाज निकल गई.
अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ जमाए और हल्के हाथ से उसके चुचे को दबाना शुरू कर दिया.

निशा मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने अब एक हाथ उसकी शर्ट के अन्दर डाला और देखा कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
जैसे ही मेरा हाथ उसके कोमल चुचे पर गया, उसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई.

पहली बार मैं निशा के चूचों को छू रहा था. बहुत ही कोमल मुलायम मम्मे थे. मेरा उन्हें देखने का बहुत मन हुआ.

मैंने हल्के से कहा- मुझे देखना है.
निशा बोली- अभी नहीं, शिल्पा को अच्छे से सो जाने दो … अभी ऐसे ही काम चलाओ.

फिर मैंने दूसरे चूचे को भी सहलाना शुरू कर दिया और उसके निप्पल को जैसे ही दो उंगलियों के बीच में लेकर मसलना शुरू किया, निशा मानो तड़पने लगी थी. उसकी मादक आवाज निकली जा रही थी.

अगले ही पल मैंने उसकी शर्ट के सारे बटनों को खोल दिया और उसके एक चुचे को अपने मुँह में ले लिया.

जैसे ही मैंने निप्पल को खींचा, उसकी एक तेज आवाज निकल गई- ओहह हह … मर गई!
मैंने झट से उसका मुँह बंद किया और अब अपनी जीभ से उसके चुचे के निप्पल को सहलाने लगा.

निशा अब गर्म होने लगी थी.
इतने में ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल दिया.

मैंने आज जानबूझ कर अंडरवियर नहीं पहनी थी.
जैसे ही निशा ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाला, तो उसका हाथ सीधा मेरे टाइट लंड पर आ गया.
निशा के कोमल प्यारे हाथों का छूना मुझे बहुत अच्छा लगा.
अब निशा ने मेरे लोअर को नीचे कर दिया और मेरे लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी.

मैंने भी देर ना की. मैंने भी निशा के पजामे में हाथ डाल दिया. जैसे ही उसकी चूत की गर्माहट मेरे हाथ को महसूस हुई, तो मेरे अन्दर आग भड़क गई.

उसने भी अन्दर कुछ नहीं पहना था यानि आज वो भी पूरे मन से चुदने के लिए मूड बना कर आई थी.

मैंने उसकी चूत के दाने को जैसे ही सहलाना शुरू किया, वैसे ही निशा की सांसें तेज होने लगीं.
इसलिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को पर लगा दिए और चूसने लगा ताकि इसकी आवाज बाहर न निकले.

अगले ही पल मैंने चूत का मजा लेना शुरू कर दिया.

जैसे ही निशा की चूत में एक उंगली डाली, वो ऊपर की तरफ हो गई और उसने एक जोर की सिसकारी ली.
पर उसका मुँह बंद होने से उसकी आवाज अन्दर ही रह गई.

अब मैंने उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया, जिससे निशा ने अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया.

कुछ ही पल बाद जब मुझे लगा कि अब चूत ज्यादा गीली हो गई है तो मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डाल दीं.
मेरी उंगलियाँ थोड़ी टाइट जा रही थीं और इससे उसको थोड़ा सा दर्द भी हो रहा था पर मैंने कुछ नहीं देखा और अपनी दो उंगलियों को अन्दर बाहर करता रहा.

इस बीच निशा अपनी गांड को जोर जोर आगे पीछे करने लगी और वो मेरे लंड को भी जोर जोर से आगे पीछे कर रही थी.

थोड़ी देर ऐसे ही करते हुए मेरा सारा पानी निकल गया और कुछ पल के लिए मैं शांत हो गया.

कुछ पल बाद मैं फिर से जोर जोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा था, साथ ही मैंने एक हाथ से उसके मुँह को दबाया हुआ था.

थोड़ा समय बीतने के बाद निशा जोर जोर अपनी पूरी बॉडी को हिलाने लगी और एक जोर की सिसकारी लेते हुए वो भी शांत हो गई.

उसी समय शिल्पा की आवाज आई- निशा सही से सो ना …
मैं शिल्पा की आवाज सुनकर उसकी तरफ देखने लगा, पर उसने अपनी आंखें नहीं खोली थीं.
मुझे महसूस हुआ कि शिल्पा को कुछ शक हो रहा है.

फिर निशा उठी और बाथरूम में फ्रेश हो कर आई.

उसने मुझे होंठों पर एक जोरदार चूमा लिया और कानों में बोली- अभी सोना मत, शिल्पा को सो जाने दो. फिर नीचे लेट कर करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं भी बाथरूम में फ्रेश होकर आ गया.
पर मैंने एक काम किया. बेड की एक तरफ चादर पड़ी थी. मैंने उसको डबल करके नीचे बिछा दी. अब हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे और मेरा हाथ फिर से उसके चूचों को सहलाने लगा.

फिर कब मैं सो गया, पता ही नहीं चला.
शायद निशा भी सो गई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
रात में अचानक मेरी नींद खुली देखा, तो निशा मेरे लंड को सहला रही थी.
फिर उसने जैसे ही मेरे लंड को अपने मुँह में लिया, मेरी आवाज निकलने वाली हो गई थी.

जैसे तैसे मैंने मुँह पर अपना हाथ रख कर खुद को रोका.
अब निशा जोर जोर से मेरे लंड को चूस रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मन कर रहा था बस ये ऐसे ही चूसती रहे.

मैंने निशा को हाथ से पकड़कर अपने पास खींचा और उसके कान में बोला कि बेड के नीचे आओ.
निशा नीचे आकर कपड़े उतारने लगी.

मैंने कहा- शिल्पा ने देख लिया तो?
निशा बोली- उसकी फिक्र मत करो और मुझे प्यार करो, जितना कर सकते हो.

मैंने भी देर न करते हुए उसको पीछे से पकड़ कर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया. उसे अपनी तरफ खींचा, इससे उसकी गांड और मेरा लंड बहुत जोर से रगड़ने लगा था.
मैं पीछे से उसके चूचों को दोनों हाथों से दबाने लगा.

निशा का हाथ मेरे लोअर के अन्दर था और वो मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी.

कुछ पल ऐसे ही करने के बाद मैंने निशा को पीठ के बल लेट गया और उसकी शर्ट को उतार कर उसके चूचों को जोर जोर से दबाने लगा.

इसी के साथ मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से चूसने लगा. निशा मेरा पूरा साथ दे रही थी. फिर मैंने उसका पजामा भी उतार दिया.

जैसे ही पजामे को निकाला तो देखा एकदम सफ़ेद और चिकनी चूत सामने थी.

मैं देर न करते हुए उसके चूचों को जोर जोर से चूसने लगा.

अब निशा सिसकारियां लेने लगी थी- अअअ आआ आह ऊऊऊ ओह्ह … और जोर जोर से चूसो … ऊओहह बहुत अच्छा लग रहा है.

मैं बिना रुके उसके एक चुचे को जोर जोर से मसले जा रहा था.
निशा काफी गर्म हो रही थी.

मैं अब निशा की टांगों के बीच में आ गया.
उसकी चिकनी टांगें बड़ी सुडौल थीं. मैं बारू बारी से दोनों जांघों को किस कर रहा था.

कुछ पल बाद मैं हल्का सा ऊपर हुआ और उसकी नाभि पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा.

निशा की मादक आवाजें मेरे सुरूर को बढ़ा रही थीं- ऊओह ह्ह ऊओ ह्हह आअह्ह आःह्ह्ह आःह आआहह!
फिर निशा बोली- यश डाल दो ना!

मैं दुबारा से उसकी टांगों के बीच आ गया और उसके चूत के दाने को चाटने लगा.

निशा- आअह ऊओह्ह ह्हह ऊओ ह्ह आआ ह्ह्ह और जोर से चाटो … आह जोर जोर से चाटो आहह!

मैं जोर जोर से उसकी चूत के दाने को चाटने लगा.
उसकी चूत गीली हो गई थी.

मैं उसकी चूत को चाटने में लगा रहा. निशा जोर जोर से सांस लेने लगी और सिसकारियां ले रही थी- ‘ऊऊह हह्ह आआ आह्ह ह्हह ह्हह!

अपनी दो उंगलियां मैं निशा की चूत में डालने लगा, उसकी चूत काफी टाइट थी … तो पहले दो उंगलियां एक साथ अन्दर नहीं जा रही थीं.

फिर मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली, निशा की आवाज निकल गई- ओओह्ह.

मैंने उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. फिर जल्दी ही मैंने दो उंगलियां डाल दीं और वो और जोर से ओओ ह्ह्ह करने लगी.

कुछ पल तक मैं ऐसे ही उंगलियां चूत में अन्दर बाहर करता रहा.
उसकी चूत रस छोड़ने लगी थी.

फिर मैंने उसकी चूत में ढेर सारा थूक लगाया और अपने लंड पर भी थूक लगा लिया.

मैं लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
कुछ देर रगड़ने पर निशा बोली- यश अब डाल भी दो यार … कितना तरसाते हो तुम!

मैंने निशा की चूत पर अपना लंड रख कर हल्के से धक्का मारा. निशा की दर्द भरी कराह निकल गई- ओओ आह्ह ऊऊह!
उसकी आवाज कुछ तेज निकली थी. मुझे डर था कि कहीं शिल्पा की नींद न खुल जाए.

मेरा लंड निशा की चूत में अभी थोड़ा सा गया था. मैं ऐसे ही बिना कुछ करे कुछ पल के लिए रुक गया ताकि निशा शांत हो जाए.

कुछ पल बाद जब लगा कि उसको अच्छा लगा रहा है तो मैंने देर ना की और हल्के से धक्के मारते हुए लंड को अन्दर करने लगा दिया.
जब जब लंड निशा की चूत में अन्दर जाता, उसको दर्द होता.

फिर मैं कुछ पल रुक कर ऐसे ही उसके चूचों को चूसने लगा.
निशा भी मस्ती से अपनी गांड हिला रही थी.

मैंने भी धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए और साथ ही उसके चूचों को भी दबा रहा था.

मेरे लंड के अन्दर बाहर होते ही निशा ‘ऊओह ह्ह आअ ह्ह्ह ऊओईई …’ की जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.

उसकी आवाज तेज होने की स्थिति में आ सकती थी इसलिए मैंने पहले ही निशा का मुँह अपने एक हाथ से दबा दिया कि आवाज न निकले.

फिर लंड को बाहर निकाल कर पूरी दम से निशा की चूत में धक्का मार दिया.

‘उई मम्मी मीआहह … ऊईई ईई मर गईई ऊऊईईई ….’
निशा की चूत में लंड पूरा अन्दर चला गया था. उसकी चूत की धज्जियां उड़ गई थीं.

कुछ पल रुकने के बाद मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जोर जोर से निशा की चुदाई करने लगा.

वो ‘ह्हाआ ह्ह्ह ऊओह्ह ह्ह आअह ह्ह्ह्ह …’ की मादक आवाजें निकाली जा रही थी.
जब वो ऐसी आवाज निकालती तो मैं और जोर जोर से उसकी चुदाई करने लगता.

ऐसे ही चुदाई करने के बाद अब मैंने निशा की एक टांग को ऊपर अपने कंधे पर किया और फिर से उसकी जोर से चुदाई करना शुरू कर दिया.

अब वो लंड का मजा ले रही थी- आह ऊऊईई ईईह ऊओह आअह्ह ह्हहा … ऐसे ही और चोदो और जोर से ऊह हह्ह!

फिर कुछ देर में मैं रुका और लंड निकाल कर निशा को घोड़ी बना दिया.

उसके पीछे से मैंने लंड लगाया.
उसकी कमर इतनी मस्त लग रही थी कि लंड गांड की तरफ देखने लगा. उसकी गोरी गोरी गांड को देख कर मुझे और भी जोश आ रहा था.

मैंने उसकी चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में पेल दिया था.

मैं हल्के हल्के लंड को अन्दर बाहर करने लगा और उसकी चुदाई जोर जोर से करने लगा.
निशा की कामुक आवाजें ‘ऊऊऊह हह्ह्ह ह्ह श्श्ह आह्हू ऊओ हहह्ह् चोदो और जोर जोर से ऊऊह्ह …’ मुझे मजा दे रही थीं.

मैं उसके ऊपर चढ़ा था और उसकी चूचियां पकड़ कर धकापेल चुदाई कर रहा था.

काफी देर तक चुदाई होने के बाद निशा अपने हाथ से इशारा करने लगी कि वो शांत होने वाली है पर मैं उसकी बात समझे बिना उसकी चुदाई किए जा रहा था.
कुछ धक्के मारने के बाद निशा ने अपना मुँह दबा लिया और वो हिलती हुई शांत हो गई.

उसका गर्म रस मेरे लंड पर पड़ा तो कुछ धक्के मारने के बाद मुझे भी लगा कि मेरा होने वाला है.
मैं भी और जोर जोर से चुदाई करने लगा और जोर जोर से धक्के मारने लगा. मैं और निशा पूरे पसीने से नहाए हुए थे. वो अपना मुँह दबाये रखी थी.

कुछ धक्के मारने के बाद मैंने सारा पानी उसकी गांड के ऊपर गिरा दिया और शांत हो गया.

हम दोनों नीचे कुछ पल के लिए लेट गए. फिर निशा ने कपड़े उठाए और बाथरूम में फ्रेश होकर कपड़े पहन कर बाहर आ गई.

उसके बाद मैं भी फ्रेश होकर आ गया और हम दोनों साथ में लेट गए.

निशा बोली- यार, तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी.
मैंने कहा- ये तो आराम से किया है ताकि तेरी आवाज ना निकले. अभी तो काफी दिन है, कभी मौका मिलेगा तो असली चुदाई करूंगा.

निशा ने मेरे होंठों को चूमा.
मैंने उससे कहा- शिल्पा की भी दिलवा दो यार!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
कुछ देर बाद सब आ गए थे. मैंने निशा को अकेले में बुलाया और उसको सब बताया.

निशा बोली- तुम तो बहुत तेज निकले.
मैंने कहा- किस्मत है.

वो हंसने लगी.
मैंने कहा- निशा कुछ करके न आज हम दोनों को अकेले सोने दे.

निशा बोली- ओके ठीक है. आज मैं मम्मी के पास सो जाऊंगी.
मैंने उसको थैंक्स बोला.


फिर निशा बोली- मेरा क्या?
मैंने कहा- ठीक है आज उसको कर लेने दे … कल या परसों तुमको चोद दूंगा.

निशा मान गई.

चाय पीने के बाद सब थोड़ा आराम करने लगे.

फिर शाम को खाना बनाया गया … सबने खाया.

मैंने शिल्पा से बात की, वो भी मुझसे चुदने की बात कर रही थी.

सारे दिन की थकान के कारण अंजली भाभी थक गई थीं तो वो भैया के साथ जल्दी ही सोने चली गईं.

निशा अभी नीचे ही थी.
उसने मुझे मुस्कराते हुए आंखों से ऊपर जाने का इशारा किया.

मैं निशा के रूम में आ गया.
थोड़ी देर में शिल्पा भी आ गयी.
मैंने उसको पकड़ कर अपनी बांहों में ले लिया.

शिल्पा बोली- छोड़ो, निशा आ जाएगी.
थोड़ी देर में निशा की कॉल आयी और वो बोली- मैं नीचे ही सो जाऊंगी. तुम लोग कमरा बंद कर लेना. मेरे आने का इन्तजार मत करना.

इतना बोलते ही उसने कॉल काट दी.
मैंने शिल्पा को बताया कि निशा आज नीचे ही सोएगी.

ये सुनते ही शिल्पा ने मुझे अपनी तरफ खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और अगले ही पल शिल्पा ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूमने लगी.

उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से ऐसे चिपका दीं, जैसे वो बहुत सालों से लंड की भूखी हो.

मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था और शिल्पा भी सोते टाइम नाईट सूट पहनती थी.
उसने आज बैगनी रंग का नाईट सूट पहना था.

मैंने कमरे की कुंडी लगाई और बिस्तर पर आ गया.

थोड़ी देर में शिल्पा ने मेरी टी-शर्ट को ऊपर करके निकाल दिया और साथ में बनियान भी निकाल दी. वो मेरे सीने पर, होंठों पर, गालों को चूमने लगी.
मुझे भी अच्छा लग रहा था.

मैं भी जल्दी से उसके नाईट सूट के ऊपर से ही चूचों को दबाने लगा हुआ था.
मैंने कुछ ही पल में शिल्पा को अपने ऊपर बैठा लिया. उसकी गांड से मेरा लंड कपड़ों के ऊपर से ही रगड़ रहा था.

मैंने सोचा कि अब सारे कपड़े उतार कर ही इससे चिपकने का मजा लिया जाए.

जल्दी से मैंने उसके शर्ट को ऊपर किया, तो देखा कि शिल्पा ने ब्रा नहीं पहनी थी.
ये देख कर मैंने अपने पाजामे को उतार दिया. शिल्पा ने हरे रंग की पैंटी ही पहनी हुई थी.

मैंने शिल्पा को दीवार की तरफ खड़ा कर दिया, जिससे उसका चेहरा दीवार की तरफ हो गया था.

मैं भी उसके पीछे से जाकर उसकी गांड से अपने लंड को रगड़ रहा था.
अभी भी शिल्पा ने पैंटी और मैंने अंडरवियर पहना हुआ था.

मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर दीवार पर रख दिए, उसके हाथों को अपने हाथों से दबा लिया.
साथ ही साथ उसके कान के पीछे और गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगा.

फिर मैंने जैसे ही उसकी पीठ को चूमना शुरू किया, शिल्पा और भी मस्त होने लगी.
मैं उसकी कमर को भी सहलाता जा रहा था.
ये सब करते हुए शिल्पा की मादक सिसकारियां आना शुरू हो गई थीं.

मैंने दोनों हाथों से उसके नंगे चूचों को पकड़ किया और जैसे ही उनको दबाना शुरू किया, शिल्पा की ‘आह मर गई यश …’ की मादक सिसकारियां निकलने लगीं,

फिर मैंने एक हाथ उसकी पैंटी में डाला और चूत के दाने को सहलाना शुरू किया तो शिल्पा की गांड पीछे होने लगी और उसकी आवाजें और भी मीठी होने लगीं.

अब मैंने उसको सीधा किया और उसके चूचों को चूसना शुरू कर दिया.
उसके चुचे इतने मस्त भरे हुए थे कि मुझे समझो जन्नत का सुख मिलने लगा था.

उधर उसे भी अपने चूचे चुसवाने में जबरदस्त मजा आ रहा था.
शिल्पा की मदमस्त कर देने वाली सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.

मैं शिल्पा के एक चुचे को दबा रहा था, तो दूसरे को मुँह में लेकर चूस रहा था.

इससे शिल्पा की मदमस्त आवाजें मेरे कानों में गूँज रही थीं.

फिर मैं हल्का सा नीचे को हुआ और उसके पेट को चूमने और सहलाने लगा.
उसकी नाभि में जीभ डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, ये शिल्पा को और भी ज्यादा मजा दे रहा था.

कुछ ही देर में मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और सीधा उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा.

ये सब करने से शिल्पा के जिस्म की आग और बढ़ गई और उसकी आवाजें और भी तेज होने लगीं ‘अहह ओहओ … ओहओ … यश तुमने तो आग लगा दी यार … कितना मजा दे रहे हो … आह …’

कुछ पल बाद मैं उठा और मैंने अपना एक हाथ दुबारा से उसकी पैंटी में डाल दिया, उसकी चूत को सहलाने लगा.

अब शिल्पा भी अपने हाथ को मेरे अंडरवियर में डाल कर लंड को सहलाने लगी.
मेरा लंड पहले ही टाइट हो गया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
थोड़ी ही देर में मैंने शिल्पा की पैंटी और अपना अंडरवियर उतार दिया.
हम दोनों ही चुदाई की मस्ती में लग गए थे और दोनों ही गर्म हो रहे थे.
शिल्पा की चूत भी हद से ज्यादा गीली होने लगी थी.

मैंने शिल्पा को नीचे घुटने के बल बैठा दिया और उसके मुँह में लंड डाल दिया.

शिल्पा ने झट से मेरे लंड को पकड़ लिया और जीभ से सुपारा चाटने लगी.
कभी वो लंड को अन्दर लेकर चूसती तो कभी लंड को ऊपर से चाटती.
इससे मुझे बहुत मजा आ रहा था.

फिर मैंने उसका सर दोनों हाथों से पकड़ा और उसके मुँह को चोदने लगा.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं उसकी चूत चुदाई का मजा ले रहा हूँ.

थोड़ी देर मुँह चोदने के बाद मैंने शिल्पा को खड़ा किया और उसकी टांगों को फैला दिया.
वो समझ गई.

मैं नीचे बैठ गया, शिल्पा की चूत पर अपनी जीभ को लगा कर उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटने लगा.

शिल्पा को अपनी चूत का दाना चटवाने में बड़ा आ रहा था और वो अपनी गांड आगे पीछे करके मेरे मुँह पर चूत रगड़ रही थी- आह यश … और जोर जोर से चाटो हां हां ऊऊऊ ओहह … बहुत मजा आ रहा है मेरी जान!

कुछ देर तक मैं उसकी चूत चाटता रहा.

उसकी आवाजें लगातार निकल रही थीं ‘आहह …. हअअ ओह …’

इसी बीच मैंने शिल्पा की चूत में एक उंगली करना चालू कर दी तो उसका मुँह सिसकारी लेते हुए खुल गया.
मेरी उंगली आराम से चूत में चली गई. मैं चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

अब जब मैं उसकी सिसकारियां सुनता तो और जोर जोर से अपनी उंगली को चूत के अन्दर बाहर करने लगता जिससे शिल्पा को मजा भी आ रहा था और उसकी चूत काफी गीली भी हो गई थी.

मेरा लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था पर मैंने सोचा कि क्यों न उसे थोड़ा और तड़पाया जाए.

ये सोच कर मैंने शिल्पा की चूत में दो उंगली डाल दीं.
शिल्पा एकदम से कराह उठी- आआह.
मैंने उसकी ऊंह आह को सुनकर चूत में और तेजी से उंगली को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

इस तरह से अब काफी देर हो गई थी.
मेरा लंड एकदम तैयार था और उसकी चूत से काफी मात्रा में पानी नीचे टपकने लगा था.

वो कहने लगी- अब पेल भी दे.
मैं खड़ा हुआ और उसको दीवार के कोने पर ले गया.
मैंने शिल्पा की टांगों को खोल दिया और उसकी चूत पर लंड रख कर तेज धक्का दे मारा.

शिल्पा की तेज आवाज निकलने वाली थी लेकिन मैंने झट से उसके मुँह को अपने होंठों से दबा दिया.
मैं अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर चूसने लगा.

शिल्पा की चूत ने अन्दर से मेरे लंड को जकड़ रखा था.
उसकी चूत में भी अभी कसावट थी.

अभी शिल्पा की चूत में आधे से कम लंड ही गया होगा. इतनी गीली चूत होने के बाद भी मैं अपने लंड को हल्के हल्के से अन्दर बाहर कर रहा था.

मैं उसके कान के पीछे चूमने लगा तो शिल्पा ने अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ लिया और वो लंड तेजी से पेलने का इशारा करने लगी.
मगर मैंने अपनी गति नहीं बढ़ाई.

थोड़ी ही देर में शिल्पा अपनी गांड हिलाने लगी. मैंने देखा कि हॉट न्यूड गर्ल फक का मजा ले रही थी. बस वो लंड तेज तेज करने की कह रही थी.

मैंने भी एक जोर का झटका दे मारा. शिल्पा फिर से जोर से चीख पड़ी ‘आआह … आआह …’
इस बार शिल्पा की चूत में मेरा आधा से ज्यादा लंड चला गया था.
शिल्पा की चूत अभी भी काफी टाइट थी.

कुछ देर रुक कर मैंने शिल्पा के होंठों को चूमना शुरू कर दिया और साथ ही मैं उसके चुचे भी दबा रहा था.

कुछ पल बाद जैसे ही शिल्पा ठीक हुई, वैसे ही मैंने लंड को शिल्पा की चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया था.

मेरे तेज धक्के में शिल्पा की हालत खराब हो गई थी और साथ में ही मेरा लंड भी उसकी चूत में एकदम जकड़ा हुआ था.

कुछ देर बाद लंड ने आगे पीछे सरकना शुरू कर दिया था.
अब शिल्पा की मस्त आवाजें मेरे कानों में गूँजने लगीं- आहह ओह … अम्मम … ओहहह!

शिल्पा अपनी गांड को भी हिला रही थी और लंड को भी अन्दर ले रही थी.

मैं उसकी चूत में धक्का देता जा रहा था, शिल्पा की आवाज लगातार निकल रही थी.

थोड़ी देर यूं ही आराम आराम से चोदने के बाद मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी और जोर जोर से उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.

जब मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर खिन टकराता तो फच फच की आवाज आती जो मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी.

थोड़ी ही देर मैं मैंने शिल्पा की एक टांग को ऊपर उठा कर अपने हाथ से पकड़ ली, उसकी टांग को मैंने अपनी कमर के ऊपर तक उठा दी.
शिल्पा ने अपने एक हाथ को दीवार पर लगा दिया और अपने को रोक रखा था.

मेरा लंड अभी भी शिल्पा की चूत में ही घुसा था … पोजीशन बनते ही मैंने शिल्पा की ताबड़तोड़ चुदाई करना शुरू कर दी.

साथ ही मैंने एक हाथ से शिल्पा की गर्दन को पकड़ कर उसे अपने पास खींच लिया और उसके होंठों को चूमने लगा.

अब शिल्पा के होंठों के चुम्बन के साथ ही साथ मैं जोर जोर से उसकी चुदाई कर रहा था.
शिल्पा की मादक आवाजें बदस्तूर निकल रही थीं- आहह यश आह … और जोर से और जोर से करो.

मैं भी पूरे जोर जोर से उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था.

अब हम दोनों ही पसीने में डूब गए थे.

मैंने शिल्पा को दीवार से लगा कर सहारा लिया और उसको अपनी गोद में ले लिया.
शिल्पा ने भी अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में डाल कर मुझे पकड़ लिया था.

जैसे ही मैंने उसको उठाया, मेरा लंड पूरा अन्दर तक शिल्पा की चूत में चला गया जिससे शिल्पा को एकदम से तेज दर्द हुआ.
उसने कराहते हुए अपनी गांड को ऊपर उठा लिया.

वो बोली- आह मर गई … क्या कर रहे हो यश … धीरे से पेलो न.
मैंने कहा- हां तुम भी आराम आराम से लंड पर आओ.

उसे समझ आ गया था और अब वो भी अब आराम आराम से नीचे ऊपर होने लगी.

इस तरह की चुदाई में शिल्पा की हालत ज्यादा खराब हो रही थी क्योंकि लंड पूरा जड़ तक जा रहा था जिससे उसको दर्द हो रहा था.

शिल्पा इस पोज़ में अपनी मादक सिसकारियां कम निकाल पा रही थी.
उसकी दर्द भरी चीखें ज्यादा निकल रही थीं.

थोड़ी देर तक इसी पोज़ में चुदाई करने से हम दोनों थक गए थे.

मैंने शिल्पा की चूत से लंड को निकाले बिना ही उसको बेड के बीचों बीच लेटा दिया.
उसके पैर अभी भी बेड से नीचे लटके थे. बेड के किनारे पर उसकी गांड लगी थी. वो पीठ के बल चित लेटी हुई थी.

अगले ही पल मैंने उसकी टांगों को और फैला दिया. इससे उसकी चूत एकदम खुल कर चिर सी गई थी.
मैंने उसी पोज में उसकी चुदाई करना शुरू कर दी.

अब शिल्पा भी मेरा साथ अच्छे से देने लगी.
वो अपनी गांड को जोर जोर से पीछे करती, जिससे जब दोनों के जिस्म एक साथ टकरा जाते. तेज फच फच की आवाज आती और हम दोनों को इस आवाज से नशा सा चढ़ जाता.

अब शिल्पा लगातार बोले जा रही थी- आह और जोर से करो यश … जोर जोर से चोदो मुझे … आह और जोर जोर से!

मुझे उसकी अच्छी पकड़ मिल रही थी जिससे शिल्पा की चूत में जोर जोर के धक्के मारने में मुझे कोई दिक्कत नहीं हो रही थी.

ऐसे ही मैं उसको हचक कर चोदता रहा. कुछ ही देर में शिल्पा की सिसकारियां एकदम से तेज हो गई थीं.

अब मेरे हर धक्के पर उसकी आवाजें जोर जोर से ऐसे निकल रही थीं कि अगले ही पल वो झड़ जाएगी.

फिर हुआ भी यही … शिल्पा अपने बदन को ऐंठती हुई और जोर से आंह आह की आवाज करती हुई शांत हो गई.
वो झड़ गई थी और अभी भी मद्धिम आवाजें निकाली जा रही थी. उसकी चूत का गर्म पानी मेरे लंड को महसूस हो रहा था.

मैंने भी समझ लिया था कि अब मुझसे भी ज्यादा देर नहीं रुका जाएगा. मैंने उसकी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही देर में मुझे लगा कि अब मेरा भी होने वाला है.

मैंने शिल्पा से पूछा- कहां निकालूं?
शिल्पा बोली- बाहर ही निकालना.

मैंने जल्दी जल्दी से कुछ धक्के लगाए और लंड चूत से खींच कर सारा माल उसके पेट पर निकाल दिया.

झड़ने के बाद मैं उसके पास ही लेट गया.

शिल्पा की चुदाई के बाद उसकी चूत से मेरा मन नहीं भरा था.
मुझे उसकी मखमली !!!!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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