02-12-2024, 12:33 PM
शादी में चुदाई की कहानियाँ
जाने अनजाने लोग
नई श्रृंखला
१
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
शादी में चुदाई की कहानियाँ
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02-12-2024, 12:33 PM
शादी में चुदाई की कहानियाँ
जाने अनजाने लोग
नई श्रृंखला
१
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-12-2024, 04:32 PM
Super
04-12-2024, 01:08 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:12 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी में आई लड़की के साथ छत पे चुदाई
,
..पिछले ठंडी की है जब मेरे चचेरे भाई की फरवरी में शादी थी। तो ढेर सारे कॉमन गेस्ट उनके यहाँ और मेरे यहाँ भी आये थे। गेस्ट इतने थे कि अकेले उनके घर पे जगह कम ही पड़ जा रही थी सभी के लिए।
उनके घर मे कई खूबसूरत खूबसूरत लड़कियां भी आई थी। जो कभी मेरे घर तो कभी उनके घर आना जाना लगा रखी थी। उनके सबको तो मैं पर्सनली जानता भी नही था। बीच बीच मे किसी बात पे हंसी मजाक भी घर मे होता रहता था खूब मन लग रहा था। मैं यही सोचता कि ये सारी लड़कियां मेरे ही घर रुके बाकी बुजुर्गों को उनके घर रात में रुकाउ। पर मेरे बस में कुछ था नही बस इत्तिफाक ही हो सकता था। अब बात आई तिलक वाले दिन की। तो रिश्तेदार जो अभी तक बचे थे वो सब भी आ गए। तो इतनी भीड़ हो गई कि कौन लड़की कहाँ है कोई किसी को खबर तक नही ले रहा था। ऐसे ही तिलक वाली रात में सब प्रोग्राम अच्छे से बीत गया खाना पीना अब हो गया। मैं भी थक गया था तो मेरे भी छत पे टेंट लगा था। चुप चाप से जाके टेंट में एक गद्दा नीचे पड़ा था थोड़ा लेट गया। मोबाइल में कुछ देखने लगा। तभी मैंने देखा ऊपर दो लड़कियां आई और एक लड़की फ़ोन पे किसी से बात करने लगी। मैं थोड़ा अंधेरे में था तो किसी की नजर मुझपे नही पड़ रही थी। दूसरी वाली लड़की जहां से छत का पानी निकलता है बारिस का वहां पे वो अपना सलवार उतार के सुसु करने बैठ गई। अचानक से मैं देख के उठ गया कि कहीं मैं ही न गलत साबित हो जाऊं बाद में।पर जहां वो दोनों थी वहां उजाला था और हम अंधेरे में थे तो वो नही देख पा रही थीं। मैंने उसकी गोरी गोरी गांड देखी तो मेरा रोम रोम खिल गया। वो उठी अपने कपड़े ठीक कर ही रही थी। कि फ़ोन वाली लड़की भी तक तक आके लोवर चड्ढी खिसका के बैठ गई सुसु करने। उसने लोवर पहनी थी और स्वेटर। तो उसकी गांड कुछ ज्यादा ही दिखी सुसु करने पे लाइट में साइड से। मैं चुप चाप से देख रहा था सब बिना हिले हुए। मेरा बहुत कुछ होने लगा था बस खुद पे कन्ट्रोल किया जैसे तैसे। उन दोनों की उम्र लगभग 20, 22 तक रही होगी। इसलिए दोस्तो समझो कि उनके फिगर भी एकदम हॉट एकदम सेक्सी लग रहे थे।दोनों गोरी थी। पर मैं उस टाइम अगर कुछ बोलता तो पक्का वो लड़किया कभी न पट पाती हमसे। कुछ देर बात करके वो चली गई नीचे। 10 मिनट रुक के मैं भी नीचे आ गया लगभग आधे घण्टे तक बाहर सब सामान समेटवा के सब सोने की तैयारी करने लगे। जिसको जहाँ जगह मिलती अपनी सीट रिजर्व कर ले रहा था। मैं नीचे आ के देखा तो वो दोनों लडकिया मेरे ही कमरे में थी। मम्मी भी थी मेरी वही और एक दो लेडीज और भी थी। वो दोनों मेरी बुक्स को उलटना पलटना चालू कर दिया। मैं सब देख रहा था। वो मम्मी से बोली, “कि मौशी ये बुक्स किसकी है?” तो मम्मी ने मेरी तरफ इशारा करते हुए मेरा नाम उन्हें बताया। वो मुझे देख के चुप चाप बैठ गई अचानक से। वो दोनों काफी चुस्त और सेक्सी माल नजर आती थी दूर से ही। और जब पास गए अपने रूम में तो देखा कि उसमे से एक लड़की की लिप्स नेचुरल ब्लैक से थे। वो मुझे भी देखी मैं भी उसे देखा वो मुझे पसन्द आ गई मेरे लिए। पर ना नाम जानते थे न कुछ और। तो सोचने लगे क्या करें अब हम उसको पाने के लिए। तभी जिस भाई की शादी थी वो उन दोनों को खोजते खोजते आया। और हमसे पूंछा, “भइया पारुल और महिमा है क्या? उनको मम्मी बुला रही है।“ तब पता चला कि मेरी वाली का नाम महिमा था। मैं नाम जान के खुस हुआ। पर वो चली गई तो मुझे अच्छा नही लगा। मैं सोच रहा था कि कुछ ऐसा हो जाये कि वो आज मेरे घर आये सोने। मैं मायूस होकर छत पे टहलने चला गया। मोबीइल में रील्स देखने लगा यूं ही। फिर थोड़ी देर बाद थोड़ी हलचल सी हुई तो देखा कि सीढियों से एक दो बुजुर्ग दादी लोग और एक छोटा लड़का ऊपर आये। और ऊपर ही टेंट के अंदर गद्दा निकाल के लगाने लगे। मैं सब देख रहा था तो आके बाद में हेल्प करने लगा। क्योंकि मेरे ही घर आई थी सब तो फर्ज भी था मेरा। उनमे से एक दादी को मैं जानता था। वो बोली हमसे, “नीरज बेटा पढ़ाई ठीक चल रही है?” तो हमने हां बोलके बात खत्म की। और नीचे से उनके लिए रजाई लेने जाने लगाहै तो देखा कि महिमा नीचे से रजाई लेके ऊपर आ रही थी। मैं भी उसकी हेल्प करने लगाहै बोला, “महिमा रुको मैं निकाल देता हूँ। तो आप हमारे साथ मे एक साथ पकड़ के चलना।“ वो बोली ठीक है। एक साथ 6 रजाई जानबूझ के निकाल दिए और साथ मे पकड़ के ऊपर जाने लगे।बीच मे बोली, “काफी भारी नही है।“ मै बोला, “तभी तो आपकी हेल्प कर रहे वरना अकेले ले जाती।“ तो वो हंस पड़ी तो मुझे अच्छा लगा कि चलो कुछ तो बात हुई। फिलहाल हम रजाई लेके गए दादी लोग को दिए। और उनमे से एक महिमा की सगी दादी थी। तो वो उनका पैर दबाने लग गई तो मैं भी पास में बैठ गया। मैं, उसकी दादी और महिमा बाते करने लगे। बाते करते करते दादी उसकी सो ही गई और फिर हम ही दोनों बातों में लगे रहे। थोड़ी देर बाद उसे भी वही सोना था। तो वो उठी और नीचे गई और वापस 5 मिनट में आई। मैं समझ गया कि अभी मेरे सामने तो यहाँ सुसु नही करने वाली थी इसिलिए नीचे होके आई। मैं वही बैठा रहा वो आई और लास्ट में जहां जगह थी लेटने लगी। तो हमसे बोली, “आप कहाँ लेटेंगे नीचे तो पूरा कमरा भरा है। आपका भी कही जगह नही है तभी तो हम सब भी ऊपर आये।“ जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 01:09 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 02:49 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मुझे ऐसा लगा जैसे वो चाहती है मैं छत पे ही लेट जाऊ उसके बगल गद्दा लगा के। तो मैं बोला, “देखता हूं कहीं जगह मिले तो।“ और फिर वो रजाई ओढ़ ली। मैं नीचे गया लेकिन कही जगह न मिली तो वापस एक गद्दा और रजाई लेके ऊपर आ गया।
सब गहरी नींद में सो गए थे हम दोनों को छोड़ के।मैं टेंट के बाहर गद्दा लगाने लगा तो वो उठ के मेरे पास आई। बोली, “ठंड में बाहर क्यों लगा रहे? टेंट में लगाओ वरना बीमार हो जाओगे।“ वैसे मैं भी बस यही चाहता था मन ही मन और वही सब हो रहा था। वो मेरा गद्दा उठा के अपने बगल लगा दी। मैं उसको थैंक्स बोला और बोला कि मैं कपड़े बदलके आता हूं। महिमा वो बोली, “ठीक है और ऊपर छत की लाइट भी ऑफ कर देना प्लीज़।“ मै कपड़े बदल के लाइट ऑफ करके ऊपर आ गया और मोबाइल की टोर्च जलाके अपनी जगह पे लेट गया। रात काफी हो गई थी। अब वो मेरे बगल थी और मेरी समझ मे नही आ रहा था आज मैं सो भी पाऊंगा या नही। उसने बोला रजाई पतली है रात में ठंड लगने लगेगी तो मैं बोला मेरी ले लेना। वो बोली आप क्या ओढोगे।मेरे मुह से निकल गया दोनों एक साथ ओढ़ लेंगे। तो वो शरमा गई। मेरी हिम्मत जैसे बढ़ने लगी थी मैं अपनी रजाई भी मैं उसके ऊपर डाल दिया सच मे। वो बोली थैंक्स और रजाई उठा के मेरी तरफ बढ़ा दी। मैं भी सरक के अब उसके साथ मे हो लिया।अब मैं समझ गया कि आग बदन में बराबर की लगी है। वरना इतनी जल्दी इतना कुछ नही होता। मैं उंसके कान में बोला कि, “महिमा उस टाइम हमने तुम दोनों को ऊपर सुसु करते देखा था।” तो वो चुटकी काट ली बोली, “बेसरम कहाँ से देख लिए।“ तब मैंने पूरी बात बताई उसको वो सरमा गई कसम से। बोली, “कितने गन्दे हो आप बोल नही सकते थे तो हम लोग रुक जाते न।“ मैं बोला, “मुझे कोई प्रॉब्लम नही थी मैं क्यों बोलता।“ तो वो फिर से चिकोटी काटी। इस बार मैं हिम्मत करके उसके गाल पे चूम लिया। वो जैसे शॉक्ड रह गई बोली ये क्या किये। मैं बोला, “सॉरी गलती से हुआ।“ 2 मिनट चुप थी फिर बोली कि फिर से गलती करो। तो मैं फिर से चूम लिया। वो खुस हो गई सच मे। तब वो बोली कि कल मैं चली जाऊंगी। मैं बोला शादी तक रुक लो।बोली कि पेपर है दादी रुकेंगी हमको जाना पड़ेगा। फिर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और चूम लिया अब वो एकदम मेरे वस में थी जैसे। मैं उंसके ओंठो पे उंगली रखा तो वो काटने लगी दांत से। मैं धीरे से गाल पे मार के हाथ अब उसके नीचे करने लगा उंसके स्तन पे जैसे ही हाथ लगा वो तेज तेज सांसे लेने लगी। और बोली, “मत करो प्लीज़।” पर मैं दोनों स्तनों को ठीक से दबाया और उसके निप्पल को चुटकी काटा। वो ब्रा नही पहनी थी ये समझ गए हम। तो वो मचलने लगी मैं धीरे से अब हाथ उसके पेट पे ल गया वो मेरा हाथ पकड़ ली। पर मैं नही रुका हमसे नही रुका गया क्या करते। मैं पेट को सहलाते सहलाते एक झटके में अचानक से हाथ को उसकी चूत पे रख दिया।बता नही सकते दोस्तों कपड़े के ऊपर से ही कितना सॉफ्ट लगा। वो जोर जोर से सांसे लेने लगी। मुझे लगा कोई जाग न जाये तो उसके मुह को दबा दिया। वो समझ गई तो अब शांत हो गई। करीब 5 मिनट तक ऐसे ही ऊपर से सहलाते सहलाते मैं अब अचानक से उंसके सलवार में हाथ डालने लगा। वो मुझे रोक नही पाई।अब मेरे हाथ उसकी फूली हुई चूत को जो कि एकदम गर्म हो गई थी ,फील करने लगे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 01:10 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 02:50 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बहुत हल्के से बाल थे उंसके इसलिए पूरी चूत और भी मस्त लग रही थी काफी गीली हो गई थी।
अब वो एकदम पागल हो चुकी थी। मैं समझ गया मैं बगल में लेटे लेटे ही उसका हाथ अपने लोअर में डाल लिया। वो भी अब लगभग 10 मिनट तक मेरे लंड को नोचती रही मसलती रही। ऊपर नीचे करती रही। हमे बहुत ही ज्यादा अच्छा फील हो रहा था। क्योंकि मैं उसके चूत को सहला रहा था और वो मेरे लंड को। मेरी लंड में भी काफी पानी निकल रहा था उंसके हाथ मे लग रहा था।अब मैं उसके कान में धीरे से बोला, “महिमा सेक्स करना है मुझे प्लीज़।” तो वो बोली, “प्लीज़ अंदर मत गिरा देना नीरज।” मैं समझ गया वो क्या कहना चाह रही थी। मै बोला, “उठो पूरे कपड़े उतार दो।सब सो गए है। मैं भी उतार रहा हूं कोई नही जान पायेगा।“ वो बोली ठीक है। अब हम दोनों पूरे कपड़े उतार के एकमद नंगे होक एक दूसरे से एकदम चिपक गए। और हम इतना जोश में थे कि 2 मिनट भी सेक्स कर लेते तो शायद झड़ जाते। मैं कंट्रोल किया खुद को ऐसे ही 10 मिनट। और उसके निप्पलों को मुह में लेके चूसना सुरु किया और मेरा लंड उंसके पेट मे रगड़ने लगा। वो भी लंड को बार बार छू के मजा ले रही थी। मै अब अपने हाथ उंसके दोनों सेक्सी गांड में ले गया। काफी टाइट थे। मैं दबाने लगा उसको इसमे भी मजा आने लगा। वो मेरा हाथ गांड दबवाने के लिए ही बार बार ले जा रही थी। आखिर 10 मिनट तक खूब कसके उसकी गांड दबाया। और बीच बीच मे उसकी गांड की छेद में भी उंगली लगाता तो वो पकड़ लेती थी। अब उसने मेरे लंड को पकड़ के अपने चूत पे रगड़ने लगी। तो मैं समझ गया कि इसे अब चूत में ही सेक्स करना है। वरना ये झड़ जायेगी बिना सेक्स किये। मैं भी देर नही किया बगल में लेटे लेटे साइड से ही उसकी टाइट चूत में लंड घुसाने लगा। टाइट थी। पर पानी निकलने से इतना चिकना हो गया था कि थोड़ी से प्रयास से मेरा पूरा लंड उसकी चूत में सरक गया। वो अब तेज तेज सांस लेने लगी। और मैं उसकी निप्पल को चूसने में लगा था और अब धीरे धीरे उसको चोदना सुरु किया।वो भी पूरा सपोर्ट कर रही थी आगे पीछे करके। वो पता नही मन मे क्या भुन भुना रही थी। उसको बहुत ज्यादा ही मजा आ रहा था। पागल हो गई हो जैसे। वैसे हालत मेरी भी खराब थी। मेरा लंड एकदम टाइट था और पच पच की आवाज भी आ रही थी चोदने की। गद्दे पे उसकी चूत का पानी गिर रहा था। अब वो बोली कि प्लीज़ ऊपर से करो आके तो मैं समझ गया। रजाई अपने ऊपर लेके मैं उसके ऊपर लेट गया। अब मैं समझ गया कि मैं भी झड़ जाऊंगा तो वो भी झड़ने ही वाली थी।मैं जोर जोर से उसको चोदना सुरु किया। और हाथ से चूची भी दबाता जा रहा था और ओंठो पे किश भी कर रहा था। वो नशे में थी उंसको होश नही था कि कुछ और कह पाए। मैं 5 मिनट तक ऐसे ही चोदा। वो हमसे पहले ही झड़ गई क्योंकि वो एकदम चिपका के पकड़ ली थी हमें। तो हम समझ गए कि ये गई काम से। अब मुझे भी सच बताऊँ तो उसकी चूत में ही झड़ना था। इसलिए बिना उसको बोले जोर जोर से चोदने लगा। करीब 5 मिनट बाद मैं भी उसकी चूत में पूरा पानी गिरा दिया। कसम से ठंड में दोनों पसीने पसीने हो गए थे। बाद में मैं बोला कि महिमा मैं अंदर ही छोड़ दिया तो वो गुस्साई। फिर बाद में गाल पे किस कर ली। बोली कोई बात नही मैं कल के काल पिल्स ले लुंगी डरो मत। मैं भी फिर पूरी रात चिपक के 3 बार सेक्स किये उस दिन। बहुत मजे किये अलग अलग तरीके से जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:04 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:15 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
चालू चचेरी बहन शादी से पहले दिन चुद गयी
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गांव में मेरे चाचा की बड़ी लड़की यानि मेरी बड़ी बहन की शादी थी तो मैं और मेरा पूरा परिवार गांव आ गया था.
हम सब शादी वाले घर पहुंच गए, वहां शादी को लेकर काफ़ी अफ़रा-तफ़री मची हुई थी. मैं और मेरी मां, बड़ी बहन से मिलने जा रहे थे. तभी मेरी मां बीच में ही रिश्तेदारों से बात करने में उलझ गईं. मां ने मुझसे कहा- तुम अपनी बहन से मिल आओ, मैं अभी आती हूँ. मैंने कहा- ठीक है. मैं बहन के कमरे की तरफ बढ़ गया. जब मैं उनके कमरे के पास गया, तो कुछ आवाज़ आ रही थीं. कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद थी, तो मैं पीछे वाले खिड़की के पास गया. मैंने देखा तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. अन्दर दीदी सेक्स में मस्त थीं. उनके साथ एक नौजवान लड़का था. मैंने समझ लिया कि ये दीदी का ब्वॉयफ्रेंड होगा. [url=http://mediax.dscgirls.live/p/home?affid=2&oid=4&source_id=AV&sub1=web&sub2=outstream&sub3=instory-outstream&sub4=DSC_Preroll_UPI_1.mp4][/url] दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का बहुत बड़ा लंड था जिसे दीदी अपने मुँह में ले रही थीं. सचमुच काफ़ी बड़ा लौड़ा था, लगभग 8 इंच लम्बा लंड रहा होगा. कुछ देर बाद दीदी ने मुँह से लंड निकाला और इशारा किया कि अब चुदाई करो. बस दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने उन्हें घोड़ी स्टाइल में खड़ा किया और दीदी के पीछे से लंड चुत में पेल दिया. लंड चुत में घुसा, तो दीदी जोर से चिल्ला उठीं. मगर दीदी के ब्वॉयफ्रेंड पर मानो कोई असर ही नहीं हुआ था. वो जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करते हुए दीदी की चुत चोदने लगा. वो दीदी के दर्द को देख ही नहीं रहा था. दीदी जोर जोर से चीख रही थीं और उनकी चूचियां गजब हिल रही थीं. इस मस्त चुदाई को देख कर मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया और मैं अपने लंड को हिलाने लगा. लगभग 15 मिनट बाद वो दोनों झड़ गए. दीदी के ब्वॉयफ्रेंड ने दीदी को किस किया और उन्हीं के बाजू में लेट गया. कुछ देर बाद दीदी अपने ब्वॉयफ्रेंड से बोलीं- अब तुम यहां से जल्दी चले जाओ, कोई आ जाएगा तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी. अब तक मेरे लंड महाराज सलामी देने लगे थे. मैंने खुद को संभाला और अपने कपड़े ठीक कर लिए. दीदी का ब्वॉयफ्रेंड भी अपने कपड़े पहन चुका था. तभी मेरी और दीदी की नज़र एक हो गईं. पहले तो एकदम से घबरा सी गईं, फिर उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे अन्दर आने का इशारा कर दिया. तब तक दीदी का ब्वॉयफ्रेंड पिछला दरवाजा खोल कर बाहर चला गया था. मैं अन्दर आया तो वो अपनी पैंटी पहन रही थीं. दीदी ने मुझे देखते ही पूछा- क्या तूने कभी सेक्स नहीं किया है? मैंने ना में सर हिला दिया. दीदी बोलीं- चल मैं आज तुझे चुदाई का मज़ा दूंगी, लेकिन किसी को बताना मत … और ये जो तूने अभी था वो समझ ले कि देखा ही नहीं था. यदि ये बात सभी के सामने आ गई तो मेरी शादी टूट जाएगी. मैंने कहा- आप बेफिक्र रहें दीदी, मैं किसी को नहीं बताऊंगा. दीदी ने कहा- चल आज रात को तुझे सेक्स का मजा दूंगी. जब हम सब लोग रात को छत पर सोने जाएंगे, तब तुझे मैं चुदाई का मजा दूंगी. मैंने हामी भर दी और अब मुझे रात होने का इंतजार था. शाम को सबका खाना खत्म होते ही मुझे इस बात की जल्दी थी कि सब सोने कब जाने वाले हैं. कुछ देर बाद वो घड़ी आ गई, जब सब सोने को जाने को हो गए. मेरे मन में अब कुछ बेचैनी बढ़ गई थी और दीदी की चुत चुदाई का सपना गहराने लगा था, ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे. सब सोने चले गए. मुझे छत पर सोना था तो मैंने मम्मी से कहा- मुझे नीचे घुटन होती है, मैं छत पर ही सोऊंगा. मम्मी ने मुझे डांटा- बेटा ऐसा नहीं कहते … सबके साथ नीचे ही सो जाना. मगर दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, छत पर ही आ जाने दो … मेरे पास जगह है. वैसे भी हम कुछ ही दिन साथ में हैं, फिर मैं शादी के बाद चली जाऊंगी. मैंने भी किसी नहीं सुनी और मैं सीधा दीदी के पीछे पीछे चला गया. मेरी मम्मी बड़बड़ा रही थीं कि आजकल ये लड़का बड़ा जिद्दी हो गया है. दीदी मुझे लेटने की कह कर बाथरूम में चली गईं और दो मिनट बाद मेरे साथ लेट गईं. मैं और दीदी अब एक ही कंबल में थे. उनके कंबल में घुसते ही मैंने देखा कि दीदी ने ऊपर टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट्स पहना हुआ था. तभी लाइट चली गई, सब तरफ अंधेरा हो गया. मुझे इसका फायदा उठाना था. छत पर कुछ औरतें बातें कर रही थीं. मैंने दीदी के ऊपर धीरे धीरे हाथ फेरना चालू कर दिया. फिर धीरे से मैंने नीचे से हाथ अन्दर डाला और उनके एक दूध को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया. मुझे दीदी के दूध बहुत बड़े महसूस हुए. फिर मैंने एक हाथ दीदी की टी-शर्ट के अन्दर डाला और उनके मम्मों को ब्रा के ऊपर से दबाने लगा. दीदी मुझसे अपने मम्मे मसलवा रही थीं और उन औरतों से बातें भी कर रही थीं. उनकी बातों से किसी को कुछ पता ही नहीं चल रहा था कि कंबल के अन्दर कुछ चल रहा है. अब मैंने अपने हाथ को उनके दूध से हटाया और नीचे हाथ लाकर उनकी शॉर्ट्स के बटन खोल दिए. मेरा हाथ चुत के पास आ गया था. मैंने दीदी की पैंटी के अन्दर फूली हुई चुत के ऊपर हाथ लगाया तो उनकी चुत बहुत गीली थी. मैंने चड्डी के अन्दर हाथ डालकर चुत पर हाथ फेरा तो दीदी की चुत एकदम क्लीन थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:05 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:17 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दीदी की चुत में मैंने उंगली कर दी, तो वो बोलीं- धीरे करो … और अभी ज्यादा मत करो. सबको सो जाने दो. बाद में अच्छे से कर लेना. अभी तू चाहे, तो तुझे मैं अपने दूध पिला सकती हूँ.
मैंने चुत में उंगली घुसी रहने दी और दूध की तरफ मुँह कर लिया. दीदी ने अपनी ब्रा ऊपर करके मेरे मुँह में एक थन दे दिया. मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उनके एक दूध को चूसने लगा. दीदी अपनी चूची चुसाई के मज़े लेने लगी थीं. दीदी को मस्ती तो चढ़ रही थी मगर वो आवाज़ नहीं निकाल सकती थीं क्योंकि सब जाग रहे थे. कुछ समय बीता तो सबकी बातें खत्म हो गईं और अब सब सोने लगे थे. अब मुझसे रहा नहीं गया. मैंने दीदी को जकड़ लिया और उन्हें किस करने लगा. कुछ ही देर में सब गहरी नींद में सो गए थे और हम दोनों मज़े मार रहे थे. मेरा एक हाथ दीदी की चूचियों पर चल रहा था और दूसरा हाथ उनकी चुत को टटोल रहा था. दीदी टांगें फैला कर अपनी चुत रगड़ाई और चूची मसलाई के पूरे मज़े ले रही थीं. काफ़ी देर तक यूं ही एक दूसरे को मजे देने के बाद मैंने दीदी से कहा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा दी, मुझे चुत चोदनी है. वो बोलीं- ठीक है, हम पास के स्टोर रूम में चलते हैं, वहां कोई नहीं आता जाता है. मैंने कहा- ठीक है. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक किए और उठने को रेडी हो गए. दीदी बोलीं- पहले तू चल … मैं आती हूँ. मैं धीरे से उठ कर स्टोर रूम की तरफ आ गया. एक मिनट बाद दीदी भी आ गईं. हम दोनों जैसे ही स्टोर रूम में पहुंचे, मैंने दीदी को कस कर पकड़ लिया और किस करने लगा, उनके मम्मों को दबाने लगा. वो बोलीं- पहले दरवाजा तो बंद कर देने दे … बावला क्यों हुआ जा रहा है. मैंने कहा- आप कपड़े उतारो, मैं बंद करके आता हूँ. मैंने जाकर पहले दरवाजा बंद कर दिया और स्टोर रूम का ज़ीरो वाट का बल्व जला दिया. अब मैं दीदी के पास गया तो उन्होंने अपने कपड़े नहीं उतारे थे. मैंने दीदी की तरफ देखा तो उन्होंने कहा- अब तू ही उतार दे. उनकी शॉर्ट्स मैंने उतार दी और ऊपर की टी-शर्ट भी हटा दी. अब वो बस पैंटी और ब्रा में थीं. फिर उन्होंने खुद ही अपनी पैंटी और ब्रा को भी निकाल दिया. मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. उनकी गुलाबी चुत और बड़े बड़े बूब्स देख कर मैं पागल सा हो गया. सच में दीदी बड़ी हॉट लग रही थीं. मैंने उनकी नंगी जवानी देख कर झट से अपने पूरे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मेरा लंड एकदम टाईट था. दीदी ने लंड देख कर उंगली से इशारा किया तो मैं उनके करीब आया और अपना लौड़ा दीदी के मुँह में दे दिया. वे मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. कुछ देर बाद मैंने दीदी को नीचे चित लेटने को कहा और जैसे ही वो अपनी टांगें खोल कर लेटीं, मैं उनकी चुत चाटने लगा. वो बोलीं- जो भी तुझे करना है, जल्दी कर ले … कोई जाग गया तो सब खेल खराब हो जाएगा. बस फिर क्या था … मैंने दीदी की टांगें फैलाईं और अपना लंड दीदी की चुत में पेल दिया. लंड पेलने के साथ ही मैंने उनके मुँह पर अपना मुँह रख दिया था ताकि वो जोर से आवाज़ ना कर सकें. जैसे ही मैंने अपना लौड़ा अन्दर डाला, दीदी दर्द से कराहने लगीं और मुझे पीछे धकेलने लगीं. पर अब मैं कहां रुकने वाला था. मैं जोर जोर से लंड अन्दर बाहर करने लगा. कुछ देर बाद दीदी को आराम पड़ गया और अब वो मस्ती से मेरा साथ देने लगी थीं. दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद वो झड़ गईं और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया. तभी मैं भी झड़ गया और हम दोनों किस करने लगे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:06 PM
हम दोनों कपड़े पहन कर कंबल में आ गए और चिपक कर सो गए.
दीदी ने पूछा- मजा आया? मैंने कहा- दीदी, मैं तो आपको सनी लियोनी समझ कर चोद रहा था, सच में आप बहुत मस्त माल हो. दीदी हंसने लगीं. मैंने कहा- एक बार इधर ही आपके ऊपर चढ़ जाता हूँ … मुझे एक बार और चोदना है. दीदी बोलीं- नहीं अब बस कर. बाकी बचा सेक्स हम दोनों शादी के बाद किसी होटल में या कहीं और अच्छे से कर लेंगे. बस तू घर में किसी को बताना मत. मैंने कहा- ठीक है दीदी. सोते समय मैंने दीदी को कस कर पकड़ कर जोर से किस किया, लेकिन वो बोलीं- अब बस. फिर हम दोनों लेट गए. दीदी मेरी तरफ अपने बूब्स करके लेट गई थीं. मैंने फिर से जिद की- मुझे दूध पीना है. दीदी मान गईं और उन्होंने टी-शर्ट ऊपर करके एक दूध का निप्पल मेरे होंठों के बीच दे दिया. मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा. वो कुछ ही देर में फिर से गर्म हो गई थीं. मैंने झट से अपनी उंगली उनकी पैंटी में डाल दी और उनकी चुत में उंगली करने लगा. वो अपनी चुत में उंगली के मज़े ले रही थीं. कुछ देर बाद झड़ कर दीदी ने मुझे किस किया और बोलीं- अब बस … बाकी का शादी के बाद होटल में या फिर मेरी एक सहेली के साथ कर लेना. मैं नई चुत की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और दीदी से चिपक कर सो गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:08 PM
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:09 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 02:55 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
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हमारा पूरा परिवार गांव में एक शादी में शामिल होने के लिए गया था. वहां पर मेरी खाला (मां की बहन) के परिवार के लोग भी आए हुए थे. उनके साथ में उनकी लड़की जोकि मेरी ही उम्र की है, वो भी आयी थी. उसका नाम शबनम (बदला हुआ) था.
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था. जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी. तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई. उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं. हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था. उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था. इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी. शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा. देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया. कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई. थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी? उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो? मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था. शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न! मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं. शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो? मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं. शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर? मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में.. शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को? मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं. शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे. मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो. शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई. वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है? मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना. शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है. मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ. शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है. मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा. शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो? मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या? शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे. मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना. वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई. कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई. मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या? जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:10 PM
शबनम- नहीं शादी में सब काफी थक चुके थे, तो सब सो गए हैं.
मैं- तो देर किस बात की है … शुरू करें? मेरे इतना कहते ही शबनम मेरे गले से लग गई और मुझे चूमने लगी. उसके पतले होंठ मुझे बहुत ही मुलायम लग रहे थे. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराने लगा. असल में मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. उसकी गांड पर हाथ लगाते ही वो मुझसे दूर हो गई और मेरी आंख में देख कर मुस्कुरा दी. मैंने उसे आंख मारी तो वो मुझे फिर से चूमने लगी. मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी. उसने लहंगा चोली पहनी थी. मैंने भी धीरे से उसकी चोली की डोरी खोल दी और उसे अपने नीचे लिटा कर उसका ब्लाउज उतार दिया. चोली हटते ही उसकी ब्रा में कैद उसके दोनों मम्मे मेरी निगाहों से खेलने लगे. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी. उसके उभरे हुआ स्तनों को देख कर मेरे तो होश उड़ गए. इतने सख्त और गोल थे कि मानो दूध से भरे हुए हों. उसके मम्मों के ऊपर डार्क काले कड़क निप्पल उन पर चार चांद लगा रहे थे. मैंने कड़क निप्पल देखते ही एक को अपने मुँह में भर लिया और दूसरा निप्पल मय चूचे के हाथ से मसलने लगा. मुँह से निप्पल लगाते ही उसके मुँह से एक लंबी ‘अहह’ निकल गई. दो मिनट निप्पल चूसने के बाद मैं उठा और सीधा उसके लहंगे का नाड़ा खोल कर खींचते हुए निकाल दिया. उसकी चिकनी टांगों के बीच में त्रिभुज जैसे छोटी सी पैंटी के अन्दर उसकी फूली सी चुत छिपी थी. मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, तो उसने अपनी कमर उठा दी और गर्दन टेड़ी करके एक और आह. … भरी और उसकी सांसें तेज होने लगीं. उसकी ये हालत देख कर में मैंने उसकी बुर से हाथ हटा लिया. चुत से हाथ हटाते ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे तो नंगी कर दिया … अब अपने भी कपड़े उतारो न. मैंने हंसते हुए उसकी चूची को मसला और कहा- साफ़ क्यों नहीं कहती मेरी जान कि लंड दिखाओ. वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी और हंसते हुए उसने हामी भर दी. मैंने- हामी भरने से काम नहीं चलेगा. मुँह से कहना पड़ेगा. उसने कहा हां देखना है. मैंने कहा- क्या देखना है. वो मुँह ढकते हुए बोली- लंड देखना है. मैं एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ चड्डी में उसके सामने बैठ गया. उसने कहा- ये क्या? अपनी चड्डी तो उतारो? मैंने कहा- तुम्हीं उतार दो. इतना सुनना था कि उसने मेरी चड्डी पर हाथ रख कर कहा- हाय … आज तो मेरी चूत फटने वाली लगती है. ये कहते हुए उसने मेरी चड्डी उतार दी. मेरा 7 इंच लंबा … और 2 इंच मोटा लंड देख कर बोली- मां कसम … यार इतना बड़ा … मुझे लगा था कि 5 इंच होगा … पर तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. मैंने कहा- हां ये मेरा ही लंड है किसी घोड़े का नहीं है. अब जल्दी से चूस कर इसे टाईट कर दो. उसने झट से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. लंड चूसने से मैं तो मानो जन्नत में था. मुझे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने उससे कहा- अब सीधी लेट जा, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मुझे चूत चोदने दे. वो भी गर्म थी … झट से सीधी लेट गई और टांगें चौड़ी करते हुए बोली- प्लीज़ भाई धीरे करना … वरना दर्द बहुत होगा. मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसकी पेंटी उतार दी. मैंने जब उसकी चूत देखी, तो वो बहुत ही काली थी और उस पर काफी बाल थे. मैंने इस सबसे दिमाग लगाना छोड़ा और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसकी चूत पर सुपारा रख दिया. उसने सुपारे की गर्मी को महसूस किया, तो एक मादक सिसकारी भरी. मैंने एक पल के लिए उसके चेहरे की ओर देखा, तो वो आंख बंद किए हुए बस लंड का इंतज़ार कर रही थी. मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतरता चला गया. उसकी आंखों में दर्द से आंसू निकल आए, वो चीखना चाहती थी. मगर मैंने होंठ दबा रखे थे, इस वजह से वो चिल्ला ही नहीं पाई. लेकिन उसकी कसमसाहट इतनी अधिक थी कि यदि मैं उसको जकड़े हुए न होता, तो वो मुझसे छूट जाती. मैंने अपना आधा लंड कुछ मिनट तक उसकी चूत में रोके रखा. उसके बाद देखा कि वो कोई तरह की प्रक्रिया नहीं कर रही है … तो मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की. उसने फिर से एक आह भरी. मैं रुक गया और दुबारा से एक धक्का दे मारा. मेरा 6 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया था. उसने गूं गूं करते हुए इशारे से कहा- बस … और इससे ज्यादा नहीं वरना मर जाउंगी. मैंने कुछ नहीं कहा … बस लंड अन्दर बाहर करने लगा. इस बीच मेरे होंठ उसके मुँह से हट गए थे और उसकी दर्द भरी कराहें निकलना शुरू हो गई थीं. वो मुझसे धीरे करने की कहे जा रही थी. मगर मैं अपनी मस्ती में उसकी कुंवारी बुर फाड़ने में लगा हुआ था. पांच मिनट बाद उसने गांड उठाते हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया. अब उसने कहा- आह … थोड़ा जोर से करो. मजा आ रहा है. मैंने धक्के तेज कर दिए. अगले आठ दस मिनट तक उसकी टाइट चूट मारते मारते मैंने उससे कहा- अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ. उसने अपना सर हां में हिला दिया. मैंने बिना लंड निकाले, उसे अपने ऊपर लिया और अब वो मेरे ऊपर आ गई थी. वो मेरे लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी. मैं उसके दूध चूसता हुआ अपनी गांड उठा उठा कर उसकी बुर को भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था. ऐसे ही हम लोगों में कोई बीस मिनट तक चुदाई चलती रही. मैं जब झड़ने को हुआ, तो मैंने उससे बोला- मेरा निकलने वाला है. उसने कहा- मेरे अन्दर ही निकाल दो. इतना सुनते ही मेरा रस निकल गया और वो भी साथ ही में झड़ गई. चुदाई के बाद 10 मिनट तक हम लोग शांत रहे और चिपक कर लेटे रहे. मैंने उससे पूछा- मैंने तुम्हारे अन्दर अपना रस गिरा दिया है, कहीं तुम पेट से हो गई तो? उसने कहा कि तुम फ़िक्र मत करो … मैं आईपिल ले लूंगी. मैंने उससे पूछा- तुमने तो कभी सेक्स किया नहीं था … फिर तुम्हें ये सब कैसे पता? उसने कहा कि मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी हिंदी सेक्स कहानी पढ़ी हैं और पोर्न भी देखी है … तो मुझे पता है. मैंने कुछ नहीं कहा. दस मिनट बाद हमने फिर से एक बार सेक्स किया और सो गए. Zxz जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:12 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 03:09 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
शादी में मौसी की लड़की की चूत चुदाई
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Zएक दूर के रिश्तेदार की शादी में गया हुआ था. उस वक्त मैं कॉलेज में अपने द्वितीय वर्ष के एग्जाम देकर शादी में गया था. शादी में मेरी मौसी की लड़की भी आई हुई थी जिसका नाम था श्वेता.
श्वेता अपने कॉलेज के फर्स्ट इयर में पढ़ रही थी. उसकी उम्र 20 के करीब थी और उसकी हाइट लगभग 5’ 2″ रही होगी. मैंने उसके बदन को देखा तो वो काफी हॉट लग रही थी. उसका साइज 34-26-36 का था. शरीर का रंग गेहुंआ था मगर देखने में सेक्सी लग रही थी. शादी वाले दिन की बात है. आपको तो पता ही है कि शादी में बहुत सारे रिश्तेदार इकट्ठा हो जाते हैं और सबको कहीं न कहीं एडजस्ट करना होता है. सब लोग रात को सोने के लिए जगह देख रहे थे. मैंने अपनी जगह छत पर देख ली थी. गर्मियों के दिन थे और मौसम सुहावना था. मैं छत पर जाकर लेट गया. छत पर काफी रोशनी थी. कुछ देर के बाद श्वेता ऊपर आई. उसको भी कहीं पर सोने के लिए जगह नहीं मिल रही थी. वो मुझसे आकर कहने लगी- शरद, मैं तुम्हारे पास ही सो रही हूं. मुझे कहीं और जगह नहीं दिखाई दे रही है. मैंने कहा- ठीक है. सो जाओ. उसके पास आते ही मेरा पप्पू राजा मेरी पैंट में मुंह उठाने लगा था. श्वेता ने अपनी नाइट ड्रेस पहन रखी थी जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी. वैसे तो हम दोनों में काफी खुले तौर पर बात हो रही थी लेकिन अभी तक इतने भी नहीं खुले थे कि बात सेक्स तक पहुंच जाये. इससे पहले जब मैं और वो मिले थे तो मुझे मौसी की लड़की की तरफ इतना आकर्षण नहीं हुआ था. मगर आज तो मेरा मूड ऐसा कर रहा था कि उसकी चूचियों को मसल ही दूं. मेरा लंड मेरी पैंट को फाड़ने के लिए उतारू था. एक कारण यह भी था कि इससे पहले श्वेता कभी मेरे इतने करीब नहीं आई थी. वो मेरे पास ही आकर लेट गई. कुछ देर तक हम दोनों में इधर-उधर की बातें होती रहीं. उसने बताया कि उसके कॉलेज के एग्जाम महीने भर बाद शुरू होने वाले हैं. मैंने उससे पूछा कि तुम यहां पर क्यों सो रही हो. उसने बताया कि नीचे सब जगह हाउस फुल हो गया. यही सवाल उसने मुझसे किया तो मैंने भी कह दिया कि जिस तरह तुम्हें जगह नहीं मिली, उसी तरह मुझे भी नीचे सोने की नहीं मिली. वो बोली- तो एक बार दोबारा से ट्राई करते हैं. क्या पता नीचे सोने की जगह मिल जाये! यहां पर बहुत मच्छर हैं. रात को नींद नहीं आयेगी. उसकी बात मुझे सही लगी. मैं भी उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गया. हम नीचे दूसरे कमरे में गये, जहां सामान भरा हुआ था. उस कमरे में थोड़ी सी जगह दिख रही थी कि एक व्यक्ति लेट सके. वहां पर कुछ फालतू गद्दे चादर वगैरा भी पड़े थे. मैंने उससे कहा कि तुम्हारे लिये तो जगह मिल गई है. तुम तो यहाँ जमीन पर बिस्तर बिछा कर सो जाओ. इतना बोल कर मैं जाने लगा तो वो बोली- फिर तुम कहां पर जा रहे हो? मैंने कहा- मैं वापस छत पर चला जाता हूं. यहां पर एक ही के सोने की जगह दिखाई दे रही है. वो बोली- अरे अब रात के 1 बज गये हैं. थोड़ी ही देर की तो बात है. मेरे साथ ही लेट जाओ. हम दोनों यहीं पर एडजस्ट कर लेंगे. उसकी बात सुन कर मेरे मन में भी हवस सी जाग गई. सोचने लगा कि शायद किस्मत भी यही चाहती है. इसलिए मैं उसकी बात पर सहमत हो गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:13 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 03:10 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जगह बहुत कम थी और हम दोनों का चेहरा आमने-सामने था. उसको सहज नहीं लगा तो वो बोली कि शरद तुम जरा ये लाइट बंद कर दो. मैं भी यही चाह रहा था. मैंने फटाक से उठ कर लाइट ऑफ कर दी.
अभी मैं किसी तरह की पहल करने से डर रहा था क्योंकि मुझे भरोसा नहीं था कि श्वेता का रिएक्शन क्या होगा. सोचते सोचते मुझे नींद आ गयी. रात को 3 बजे के करीब अचानक से मेरी आंख खुल गई. मैंने देखा कि श्वेता ने अपने पैरों को मेरे पैरों के ऊपर रखा हुआ था. उसकी नाइट ड्रेस जोकि एक गाउन जैसी थी, नीचे से उठ कर उसकी जांघों तक आ गयी थी. उसकी कोमल जांघें देख कर मेरा खुद पर कंट्रोल करना भारी हो गया. धीरे से मैंने अपने हाथ को उसकी कोमल जांघों पर रख दिया. जगह कम होने के कारण हम दोनों लगभग एक दूसरे के साथ सटे हुए थे. कुछ देर तक मैंने अपने हाथ को उसकी कोमल जांघ पर ऐसे ही रखा. मेरे लंड का तन कर बुरा हाल होने लगा. अब मैंने उसके गाऊन को धीरे से ऊपर खिसका लिया. उसकी कमर तक ले गया मैं उसके गाऊन को. उसकी कमर पर हाथ ले जाकर मैंने हाथ को वहीं पर रख दिया. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि मैं अपनी कोशिश में कामयाब हो रहा हूं. साथ ही इस बात की खुशी भी थी कि उसकी तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा था. श्वेता अब धीरे से मेरे बदन के और करीब आ गयी और मेरे बदन के साथ चिपकने लगी. हम दोनों इतने पास आ गये कि उसका चेहरा मेरे चेहरे के करीब आ गया. मुझे उसकी सांसें अपने चेहरे पर महसूस होने लगीं. हमारे होंठ एक दूसरे के नजदीक थे. मगर अचानक ही उसकी नींद खुली और उसने मेरे हाथों को अपने बदन से अलग कर दिया. वो उठ गयी और बाथरूम की तरफ जाने लगी. मैं सोने का नाटक करने लगा. कुछ देर के बाद वो आयी और दोबारा से मेरे पास आकर लेट गयी. मैं अभी भी आंखें बंद करके लेटा हुआ था. मेरी गांड फट रही थी कि कहीं इसको मेरी हरकत का बुरा न लग गया हो. मैं ऐसे ही लेटा रहा. फिर कुछ देर के बाद उसका हाथ मेरे सीने पर आ गया. अब मेरी जान में जान आयी. मैंने सोचा कि वो सो रही है. दोबारा से कोशिश करते हुए मैंने उसके गाऊन में हाथ डाला और अपने हाथों को उसके बूब्स तक ले गया. मेरे हाथ उसके बूब्स को छूने लगे. मेरा लंड एकदम से उछलने लगा. उसकी टाइट चूचियों को छूने से ही मेरा 6 इंच का लंड फनफना उठा. मेरी वासना बढ़ रही थी और साथ ही हिम्मत भी. मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूत पर रख कर देखा. अब तो मुझसे किसी हाल में भी रहा न गया. मैंने उसकी चूत पर हाथ रख कर उसकी चूत को धीरे से सहलाना चालू कर दिया. वैसे सभी लोग सो रहे थे, फिर भी मुझे थोड़ा सा डर लग रहा था कि किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जायेगी. फिर भी वासना के वश होकर मैं उसकी चूत को सहलाता रहा. कुछ देर के बाद मुझे उसकी चूत में कुछ गीला सा लगने लगा. मौसी की लड़की की चूत से पानी बहना शुरू हो गया था. उसकी चूत चिकनी हो चली थी. नंगी चूत पर हाथ फिराते हुए मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरे लिए अब यहीं पर ही रुक जाना संभव नहीं था जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:14 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 03:11 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जब मुझसे बर्दाश्त न हुआ तो मैंने सोचा कि जो होगा देखा जायेगा. मैंने उसको अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों को चूसने लगा. मगर हैरानी की बात थी कि वो मेरा साथ देने लगी. जिस तरह से मैं उसके होंठों के लिए प्यासा था वो भी मेरे होंठों को वैसे ही चूस रही थी.
कुछ देर तक हम एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे. फिर उसने खुद ही मेरी पैंट की तरफ हाथ बढ़ा दिया. मेरी चेन को खोल कर हाथ को अंदर डाल दिया. उसका हाथ सीधा मेरे लंड पर जा लगा. उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसको दबाने लगी. मैं पागल सा हो उठा. उसके होंठों को काटने लगा. उसकी चूचियों को जोर से दबाने लगा. श्वेता ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरे लंड को अपने हाथ में भर लिया. वो मेरे लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी और वो मेरे होंठों जोर से काटने लगी. जब उससे भी रहा न गया तो वो धीरे से मेरे कान में सिसकारते हुए बोली- बस शरद, अब मेरी चूत में अपना हथियार डाल दो! मैंने अपनी पैंट को खोल कर थोड़ा नीचे किया और अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से बाहर कर लिया. मैंने अंडरवियर को हल्का सा नीचे किया और श्वेता की चूत पर लंड को लगा दिया. मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा. अब मैं भी उसकी चूत को चोदने के लिए मरा जा रहा था. मैंने उसकी चूत में लंड को रखा और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो दबी आवाज में कराहने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से यार … दर्द हो रहा है. उसकी चूत के दर्द को ध्यान में रखते हुए मैं वहीं पर रुका रहा. तब तक मैं उसके होंठों को पीता रहा. कुछ देर के बाद फिर मैंने लंड की हरकत उसकी चूत में करनी शुरू कर दी. अब मैंने लंड को थोड़ा बाहर खींचा. शिश्न को उसकी चूत के अंदर ही रख कर एक धक्का फिर से मारा. लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुसा दिया और उसके होंठों को चूसने लगा. अब मैंने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया. दो मिनट के बाद उसकी चूत खुद ब खुद मेरे लंड की तरफ उठ कर आने लगी. उसको मजा आने लगा था. मैंने उसकी चूत की चुदाई चालू रखी और वो भी मेरे लंड को चूत में लेकर मजे लेती रही. 15 मिनट तक मैंने उसकी चूत को चोदा और जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने पूरा जोर लगा कर उसकी चूत में लंड को घुसेड़ते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिया. वो झड़ने लगी और उसके कुछ अन्तराल पर ही मेरे लंड से भी वीर्य निकल पड़ा. मैंने पूरा का पूरा वीर्य उसकी चूत में झाड़ दिया. अब हम दोनों की आंखों में नींद नहीं थी. हम एक दूसरे के होंठों को पीते रहे. मैं उसकी चूचियों को दबाता रहा. उनसे खेलता रहा. एक घंटे के बाद दोनों ही चुदाई के मूड में आ गये. उस रात को हमने चुदाई का दूसरा राउंड भी किया जिसमें मैंने 20 मिनट तक अपनी मौसी की लड़की की चूत को चोदा. फिर सुबह हो गई और कुछ आहट सी होने लगी तो हम लोग अलग होकर विपरीत दिशा में मुंह करके लेट गये. मौसी की लड़की की चूत मुझे इस तरह से अचानक ही मिलेगी मुझे इसका यकीन नहीं हो रहा था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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04-12-2024, 03:17 PM
मौसेरी बहन को शादी वाले दिन चोदा
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एक दिन कल्पना ने बताया कि उसकी शादी तय हो गयी है, पर वो मेरे अलावा किसी से भी शादी नहीं करना चाहती है. मैंने उसे बहुत समझाया कि शादी कर लो, लेकिन वो मना करती रही.
मेरे बहुत समझाने पर उसने शादी के लिए हां कर दी, पर शादी करने की एक शर्त रखी. वो अपने पति से पहले मेरे साथ सुहागरात मनाएगी और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो वो शादी वाले दिन ही शादी के लिए मना कर देगी. मैंने उससे कहा- ये सब कैसे हो सकेगा? उसने बोला- आप वो सब मुझ पर छोड़ दो … बस आप शादी से एक दिन पहले आ जाना. मैंने इस पर हाँ बोल दिया. उसके बाद उसकी शादी से एक दिन पहले मैं उसके घर पहुँच गया. मुझे देखते ही वो भाग कर मेरे पास आई और सबके सामने मेरे गले से लग गयी. लोगों ने इस बात को लेकर ज्यादा कुछ नहीं सोचा … क्योंकि वो रिश्ते में बहन लगती थी. उसने खुद मुझे पानी दिया, खाना खिलाया और वहीं मेरे पास बैठ कर मेरी ही थाली में मेरे साथ खाना खाया. खाना लाकर देने वाली उसकी सहेली मीना थी और वहां ये सब देखने वाला कोई नहीं था. इसलिए मुझे भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा. खाना खाते हुए उसने मुझसे कहा- आज रात सोना मत … मैं आपको मिस कॉल दूंगी, आप बाहर जो नहर के पास खेत है, वहां आ जाना. मैंने बोला- किस टाइम? तो उसने कहा- रात को 9 से 10 के बीच में फोन करूंगी. मैंने बोला- तुम अकेली कैसे आओगी? उसने बताया- उसकी सहेली मेरे साथ आएगी, वो हल्दी वाले दिन से ही मेरे साथ ही सोती है. मैंने कहा- ठीक है. वो सर्दियों के दिन थे और वैसे भी गांव में सब जल्दी ही सो जाते हैं. इसके चलते बाहर किसी के होने का कोई डर नहीं था. मैं अपनी खाट पर लेटा हुआ था कि मेरे फ़ोन पर मेरी बहन की मिस कॉल आयी. मैं उठ कर नहर वाले खेत पर आ गया. वहां वो पहले से ही आ चुकी थी और उसके साथ उसकी एक सहेली भी थी. मैंने उसके पास जाकर उससे उसकी सहेली के बारे में पूछा, तो उसने कहा- पहले मेरे साथ चलो, फिर मैं सब बताती हूँ. मैं उसके साथ उस खेत में चला गया, जहां उस समय गन्ने की फसल खड़ी थी. उस खेत के अन्दर हम दोनों आ गए. वो अपने साथ एक चादर भी लेकर आयी थी. खेत के अन्दर जाकर उसने चादर बिछा दी और खुद उस पर बैठ कर बोली- आप भी बैठ जाओ. मैं बैठ गया. उसने अपनी सहेली को खेत के बाहर ही खड़ा किया और उससे कह दिया कि अगर कोई आए तो बता देना. इस बात से मैं भी निश्चिंत हो गया. उसके हाथ में मेहंदी लगी थी. उसके मेहंदी लगे हाथ बहुत सुन्दर लग रहे थे. फिर उसने मुझे नीचे बैठने के लिए बोला. मैं नीचे बैठ गया. फिर मेरी बहन कल्पना मुझे किस करने लगी. मैं भी उसका साथ देने लगा. उसने मुझे देखा और रोने जैसी शक्ल बना कर बोली- देव … मैं आपसे शादी करना चाहती हूं. मैंने उसे फिर से समझाया. उसने बोला- ठीक है, मैं शादी तो करूंगी … लेकिन आज अपना सब कुछ आपको सौंपने बाद ही शादी करूंगी. आज मैं अपना सब कुछ आपको दे दूंगी. आप आज मुझसे यहीं शादी करो. मैंने भी हां कर दी. इसके बाद उसने अपने हाथ में ली हुई सिंदूर की डिब्बी को दिखाया और मुझसे कहा कि लो आप आज मेरी मांग भर दो. मैंने उसकी मांग भरी, फिर उसने मेरे पैर छुए और कहा- अब मेरी शादी कहीं भी हो, मुझे कोई चिंता नहीं. अब वो मुझे किस करने लगी. मैं भी उसे किस करने लगा. थोड़ी देर बाद उसने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. मुझे लंड चुसवाने में मजा आने लगा. उस वक्त मुझे जो मजा रहा था, मैं उसे शब्दों में नहीं बता सकता. मेरे मुँह से अपने आप ही ‘अहह …’ निकलने लगी. कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने उसे खड़ा किया और किस करते हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. नाड़ा खोलते ही उसकी सलवार नीचे गिर गई. मैंने नीचे बैठ कर उसकी चुत पर चुम्मी की. चूत पर मेरे होंठों का चुम्बन पाते ही वो पागल सी हो गई और अपनी चुत को मेरे मुँह पर पैर खोल कर रख दिया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:17 PM
मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में लगा दी. मैं अपनी जीभ उसकी चूत में अन्दर डाल कर चाटने लगा. वो भी ‘उह आह आह ओह..’ की आहें भर रही थी और बोल रही थी कि देव मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है … प्लीज़ अब अपना लंड डाल कर मेरी चूत को चोद दो.
मैंने भी देर करना सही नहीं समझा और उससे चादर के ऊपर चित लिटा कर उसके दोनों पैर खोल दिए. मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर सही जगह सैट कर दिया. उसकी चुदास उसे बहुत गर्म कर रही थी, तो वो नीचे से अपनी चूत ऊपर उठा कर लंड को चूत में लेने की कोशिश करने लगी. मैंने भी देर ना करते हुए लंड एक ही धक्के में सीधा उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया. उसे इस हमले का कोई अंदाजा नहीं था, तो वो एकदम से चीख पड़ी. लेकिन उसकी चीख सुनने वाला यहां कोई नहीं था … जिस वजह से मुझे कोई डर नहीं था. फिर उसने कराहते हुए बोला- देव आज मैं आपकी हो गई हूं … आज आप मुझे अपनी पत्नी बना कर प्यार करो. मैंने कहा- अब तो तुम मेरी पत्नी हो ही गई हो, मैंने तुमसे दिल से शादी कर ली है. ये कह कर मैं तेज तेज धक्के मारने लगा. वो मेरे हर धक्के पर कराह उठती और बोलती- आह देव और तेज … और तेज करो … आज मैं अपना सब कुछ आपको दे कर जाऊंगी … मुझे कुछ भी कर देना … आपको पूरी छूट है. मैंने उसे चोदते हुए कहा- आह … तुमने अपना सब कुछ तो दे दिया … अब क्या बाकी रह गया. मैं लंड से धक्के लगातार लगा रहा था और वो चूत उठा कर चुदाई के मजे ले रही थी. कल्पना मेरे हर धक्के पर जोर से बोलती- आह मेरे राजा … और तेज … आज फाड़ दो मेरी चूत को … ताकि वहां मैं सुकून से रह सकूं. मैं भी उसको धकापेल चोदे जा रहा था. जिस लड़की को एक दिन बाद शादी के मंडप में बैठना हो उसको उसकी शादी से एक दिन पहले चोदना मेरे लिए एक सपने जैसा था. उसकी चूत की चुदाई करते हुए मुझे बीस मिनट हो चुके थे. वो इस दौरान शायद एक बार झड़ चुकी थी. अब मेरा वीर्य निकलने वाला हो गया था. मैंने उससे पूछा- मेरी जान रस कहां निकालूं? उसने कहा- एक बूंद भी खराब मत करना. सारा रस मेरे अन्दर ही निकालो … मैं अभी पिछले हफ्ते ही पीरियड से खत्म हुई हूं. मैं आपके बच्चे की मां बनना चाहती हूं, आप बेखौफ मेरे अन्दर ही निकालो. मैंने भी 8 से 10 तेज धक्के और मारे और उसकी चूत में ही अपना बीज डाल दिया. वो फिर से झड़ गई थी. थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर थोड़ी देर बाद उसने दुबारा मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. मैं ये देख कर हैरान था. मैंने उससे बोला- घर चलें? वो बोली- अभी एक चीज और है आपके लिए. वो मेरा लंड चूसती रही. थोड़ी देर में लंड फिर खड़ा हो गया, तो उसने बोला कि मैं आज आपको अपना सब कुछ देना चाहती हूं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:18 PM
मैं उसे हैरानी से देख रहा था.
वो मेरे सामने घोड़ी वाले पोज में आकर बोली- आज आप मेरी गांड भी मार लो. मैंने बोला- उसके लिए तो तेल की जरूरत होगी … वरना तुमको बहुत दर्द होगा. वो बोली- आप दर्द की चिंता मत करो … वो मैं सब संभाल लूँगी. मैं सोच रहा था कि अगर इससे मेरी शादी हो सकती, तो मैं इससे ही शादी करता. जब मैंने उसके पास जाकर देखा, तो वो पहले से ही अपनी गांड में तेल लगा कर आयी थी. ये देख कर मेरी आंखों में भी आंसू आ गए कि ये मेरे लिए क्या क्या कर रही है. वो बोली- देव जल्दी करो … वरना कोई आ गया, तो मैं नहीं कर पाऊंगी, जल्दी करो. मैंने भी देर ना करते हुए अपना लंड उसकी गांड पर लगा दिया और धीरे से धक्का दे दिया. मेरे लंड का टोपा उसकी गांड में घुस गया. उसे दर्द हुआ, पर वो बर्दाश्त कर गई और मुझसे बोली- आह … देव … आज मेरे जिस्म पर कोई भी रहम मत करो … आज मेरे साथ ऐसे करो कि मैं ठीक से चल भी न सकूं. फिर क्या था … मैंने भी पूरा जोर लगा कर एक धक्का दे मारा और मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया. उसकी तेज चीख निकल गई- ओह मां मररर गईईईई.. इस आवाज को सुन कर उसकी सहेली भी खेत के अन्दर आ गई. जब उसने हम दोनों को देखा, तो पूछा कि क्या हुआ? तो कल्पना बोली- कुछ नहीं … तू बाहर देख … मेरे चिल्लाने पर ध्यान मत दे. मैंने पूछा- क्या इसे सब पता है? उसने बताया कि हां अब तक जो भी हमारे बीच में हुआ है, इसे सब पता है. इसलिए ही तो वो मेरे साथ आई है. फिर मैंने ज्यादा बात करना सही नहीं समझा और कल्पना की मस्त चूचियों को जकड़ कर उसकी गांड में एक और तेज धक्का दे मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया. वो फिर से चिल्ला उठती, अगर मैंने उसके मुँह पर हाथ ना रखा होता. पूरा लंड उसकी गांड में ठोकने के बाद थोड़ी देर तक मैं यूं ही रुका रहा और उसके मुँह से हाथ हटा कर उसे किस करने लगा. उसकी चूचियों के निप्पलों को अपनी दोनों हाथों की उंगलियों में दबा कर मींजता रहा. जब उसको थोड़ी राहत मिली, तब मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू किए. करीब 8 या 10 धक्कों के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो और तेज करने को बोलने लगी- आह देव … तेज प्लीज … उम्म्ह… अहह… हय… याह… देव अच्छा लग रहा है … आज मेरी गांड फाड़ दो … ओह देव जोर से चोदो मेरी इस गांड को … आह … ओह जोर सेईई … आह आई लव यू देव. वो मुझे उत्तेजित करने के लिए ये सब बोले रही थी. मैं भी उसे जोरों से चोदे जा रहा था. मुझे उसकी गांड में मेरा लंड फंसा हुआ सा लग रहा था. करीब आधे घंटे बाद उसकी गांड मारने के बाद मेरा वीर्य निकलने वाला था. मैंने फिर से उससे पूछा- अब कहां निकालूं? उसने बोला- मैं आपका दही पीना चाहती हूं, प्लीज़ मेरे मुँह में निकाल दो. मैंने जल्दी से उसकी गांड से लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया. वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मेरा माल निकल गया, जिसे वो पूरा पी गई. एक एक बूंद उसने चाट ली. दो मिनट बाद वो खड़ी हुई और हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे के दिलों की धड़कन को सुनने लगे. इसके बाद मैंने उससे चलने के लिए कहा. तो वो बड़े बेमन से हां भरते हुए उठने लगी. हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने और खेत बाहर गए, फिर अपने अपने कपड़े पहने और घर आ गए. दूसरे दिन वो शादी करके अपनी ससुराल चली गई. फिर करीब महीने बाद उसका फोन आया और उसने बताया कि वो पेट से है और उसमें पलने वाला मेरा बच्चा है. मुझे भी ये जान कर बहुत खुशी हुई. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:20 PM
जब मैं 19 साल का था। मेरी मौसी की लड़की, हमारे यहाँ जागरण में आई थी। उसका रंग बिल्कुल दूध जैसा साफ़ है। उसका साइज़ 32-26-36 का था।
उसका नाम कल्पना (काल्पनिक नाम) है, तब उसकी उम्र 18 साल थी। हमारे बीच में सब कुछ सामान्य था.. पर जागरण की अगली रात कुछ ऐसा हुआ, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जागरण के अगले दिन सारे रिश्तेदार अपने-अपने घर चले गए थे, घर में कुछ रिश्तेदार ही बचे थे। उसमें से एक मेरी मौसी की लड़की थी। उस रात सबके सोने का इंतजाम मैंने ही किया था। जगह कम होने के कारण वह मेरे ही कमरे में सो गई, मेरे कमरे में और भी बाकी के रिश्तेदार थे। रात को लगभग 12 बजे मेरी आँख खुली, देखा कि कोई मेरे होंठों पर उंगली फेर रहा था। लाइट बंद होने के कारण मुझे कुछ नहीं दिखा.. लेकिन मेरे पास सिर्फ़ मेरी बहन ही सोई थी, तो मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो कौन हो सकता है। मैंने धीरे से पूछा- ये क्या कर रही हो? तो उसने कुछ ना बोल कर मेरे होंठों पर किस कर लिया। फिर मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने भी उसका साथ देना चालू कर दिया। थोड़ी देर किस करने के बाद मैंने उसके शर्ट को ऊपर उठा दिया और उसके मम्मों को पीने लगा। क्या मस्त मम्मे थे.. बता नहीं सकता.. बिल्कुल गोल और सख्त.. सच में मज़ा आ गया। फिर थोड़ी देर मम्मों को चूसने के बाद मैंने उसकी सलवार में हाथ डालना चाहा.. तो उसने मुझे रोकते हुए बताया कि वो पीरियड से चल रही है और उसने मुझे उससे आगे कुछ नहीं करने दिया। मैंने भी ज्यादा ज़ोर नहीं दिया। उस रात हमने खूब चूमा-चाटी और मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा। वो अगले दिन अपने घर जाने से पहले मुझे वहाँ आने के लिए बोल कर चली गई। कुछ दिन बाद मैं वहाँ गया और वो जैसे मेरा ही इंतजार कर रही थी। मैं मौसी के घर पहुँच कर सबसे मिला और रात को खाना खाने के बाद उसने मुझे अपने वाले कमरे में ही सोने के लिए बोला और मेरा बिस्तर अपने कमरे में लगा लिया। वहाँ हमारे साथ उसकी छोटी बहन भी सो गई। रात को करीब एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने कल्पना को कहा- मेरे बिस्तर पर आ जाओ। वो तो जैसे मेरे बोलने का इंतजार ही कर रही थी.. वो तुरंत उठ कर मेरे पास आ गई। मैंने उसके आते ही चुम्बन करना चालू कर दिया और उसके मम्मों को चूसने लगा, जिससे वह गर्म हो गई और ‘उह.. आह.. उम..’ की सेक्सी आवाज़ निकालने लगी। मैंने उससे बोला- थोड़ा धीरे आवाज़ करो.. रीना (उसकी छोटी बहन) यहीं सो रही है। उसने कहा- क्या करूँ यार.. आवाज़ अपने आप निकल रही है। क्या बोलूं दोस्तो.. मेरे पास शब्द नहीं है बोलने के लिए.. कि कितना मज़ा आ रहा था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-12-2024, 03:20 PM
(This post was last modified: 05-12-2024, 12:19 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.. ताकि कहीं हमारी आवाज़ उसकी बहन ना सुन ले।
बहन की चूत चिकनी फिर मैंने उसकी सलवार उतार दी और मैंने महसूस किया कि उसने आपने चूत बाल आज ही साफ़ किए थे। क्या चिकनी चूत थी उसकी.. मैंने अपने होंठ सीधा उसकी चूत पर रख दिए और जीभ से उसको चूसने लगा। दोस्तो.. वो तो जैसे बिल्कुल पागल ही हो गई थी। उसने एक ‘आह’ की आवाज़ निकाली और मैंने तुरंत उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसकी चूत चाटने लगा। थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. जल्दी से कुछ करो। मैंने भी देर ना करते हुए उसके ऊपर आकर उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और होंठों पर अपने होंठों रख दिया ताकि वो आवाज़ ना करे और धीरे से धक्का लगाया। अभी लंड का टोपा ही चूत के अन्दर गया था कि उसने बहुत ज़ोर की चीख मारी क्योंकि हम दोनों का पहली बार था। मेरी चोट से उसकी सील टूट गई थी क्योंकि मेरे होंठों पहले से ही उसके होंठों के ऊपर थे, तो उसकी चीख मुँह में ही घुट कर रह गई। मैंने धीरे-धीरे उसके मम्मों को सहलाया और उसको किस करता रहा। जब वो थोड़ा सामान्य हो गई.. तब धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। इस तरह धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी नीचे से गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी। काफी देर तक उसकी चुदाई करने बाद जब मेरा निकलने वाला था.. तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ? तो उसने कहा- जहाँ भी आपका मन करे.. अब तो मैं आपकी ही हूँ। फिर मैंने अपना माल उसकी चूत में ही निकाल दिया और फिर थोड़ी देर लेटे रहने के बाद उसने उठकर वो खून से सनी हुई चादर पानी में भिगो दी, क्योंकि कपड़े वही धोती थी इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चला। दो दिन वहाँ रहने के बाद मैं अपने घर आ गया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-12-2024, 02:10 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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