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Adultery Bahu ki jawaani
Bahut hi kamuk aur hot ???? bahu hai
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बहु ने रिमोट निकाल कर अपने दोनों जांघो के बीच में कस के दबा लिया। समधी जी रिमोट को पकड़ना चाहते थे लेकिन इस चक्कर में उनका हाथ बहु के दोनों जाँघो के बीच फ़ांस गया। बहु ने तो लेग्गिंग्स के अंदर पैन्टी भी नहीं पहनी थी। वो बिना कोई ऐतराज़ दिखाते हुए अपने पापा का हाथ को जांघो के बीच दबाती रही। समधी जी का हाथ का स्पर्श बहु के गरम बुर से हो रहा था। समधी जी भी उत्तेजित हो कर अपने हाथ को बाहर न निकाल कर रिमोट ढूंढने के बहाने अपनी बेटी के गरम चुत को रगडते रहे। समधी जी इस मौके का पूरा आनन्द उठा रहे थे। फिर होश संभालते हुए मुझसे बोले -

समधि जी - देसाई जी, क्या हमदोनो इतने बूढ़े हैं के हम लोगों में ताकत नहीं रही, मैं अपनी बेटी से जीत नहीं पा रहा हूँ।

मै - (मैं बहु के हाथ जोर से पकड़ते हुवे बोला) - समधी जी आपकी नज़र कमजोर है बहु ने रिमोट अपने नीचे दबा लिया है। सरोज को उठा कर निकाल लीजिये।

बहु खिलखिला कर हँसती रही।।

समधि जी - देसाई जी मुझे मालूम है, लेकिन एसके कुल्हे इतने बड़े हैं के मैं इन्हे उठा नहीं पा रहा हूँ।

समधि जी के मुह से अपनी बेटी के कूल्हों के बारे में बात करता देख मेरा लंड सख्त हो गया। मैंने जवाब में "सच है" कहा कह कर चुप हो गया। बहु ने भी अपनी तरफ से झुठा ऐतराज़ करते हुये कहा

सरोज - पापा आप मेरा मजाक उड़ा रहे हैं वो भी बाबूजी के सामने ।

समधि जी - नहीं बेटि, इसमे मजाक उड़ाने वाली कौन सी बात हो गई। तुम्हे तो अपनी ख़ूबसूरती पे नाज़ होना चहिये

सरोज - कैसा नाज़ पापा, आपने अभी-अभी मुझे मोटी कहा।

समधि जी - बेटी मोटी कब कहा मैंने? मैंने तो सिर्फ इतना कहा के मैं तुम्हे उठा नहीं पा रहा क्योंकि तुम्हारे कुल्हे बड़े और भारी है। और लड़कियों के बड़े और भारी कुल्हे तो काफी अकर्षित लगते है, कई कवियों ने अपनी कविता में स्त्रियों के कूल्हों को उसके सिंगार का गहना बताया है। क्यों देसाई जी ठीक कहा न मैंने?
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मैन अपने खड़े लंड को सहलाते हुए, ये सोच के हैरान था के समधी जी कितनी आसानी से अपनी जवान बेटी की बड़ी गांड की बात कर रहे हैं और मुझे भी उसके यौवन के बारे में बोलने के लिए उकसा रहे है। मैंने भी इस चर्चा को थोड़ा और मसाला देने की सोचा। मैं देखना चाहता था की समधी जी किस हद्द तक मुझसे अपनी बेटी के बारे में खुल सकते है।

मै - पापा ठीक कह रहे हैं बेटी, तुम नहीं जानती अपने जमाने में जब हमलोग कॉलेज जाया करते थे उस वक़्त थिएटर में हर आने वाली लड़की के लचकती कमर और मटकते कूल्हों पे हम लड़के सीटियाँ बजाय करते थे।

सरोज - सच में बाबूजी, आप लोग भी उस जमाने में बदमाशी करते थे? हम लड़कियों को तो कभी पता हे नहीं चल पता के लड़को को क्या अच्छा लगता है।

समधि जी - बेटी वो तो उम्र ही ऐसी होती है, तुम्हे नहीं पता चलता लेकिन मैं तो समझ सकता हूँ न। इसलिए तो मैं तुम्हे अपने साथ बाजार ले जाने में झिझकता था याद है बेटी।

सरोज - हाँ आप मुझे मना करते थे लेकिन मैं फिर भी आपके साथ जिद्द करके आ जाती थी। लेकिन आप मुझे क्यों मना करते थे पापा?

समधि जी - बेटी तुम बाजार में ध्यान नहीं देती थी, मैं देता था। जब भी तुम अपनी ब्लू कलर वाली टाइट जीन्स पहन के बाजार में चलति, तो तुम्हारे पीछे कॉलेज के लड़के जवान, बूढ़े सभी तुम्हारी बड़े-बड़े कूल्हों को देखा करते थे। और वो जीन्स भी तो टाइट थी जो तुम्हारी मांसल जाँघ और तुम्हारे निचले हिस्से को और भी उभार देती थी।

सरोज - ओह पापा मैं तो कभी ऐसा सोचा ही नही मुझे नहीं पता था की लोग ऐसे अट्रॅक्ट होते हैं लड़कियों के इस भाग के लिये। मेरे जीन्स पहनने पे ये हाल था तो मैं शॉर्ट्स पहनती तो क्या होता।।

समधि जी - है है ।। क्यों समधी जी आप बताइये क्या होता? आखिर शादी के बाद यहाँ इस मोहल्ले में क्या होता है वो तो आप ही बता सकते हैं क्यों?

मै - हाँ समधी जी मैंने भी कई बार कोशिश की बहु को बोलने की लेकिन बोल नहीं पाया। यहाँ भी आस पास के लड़के बहु के हिप्स को बहुत घूरते है।
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समधि जी - इस समस्या का कोई समाधान भी तो नहीं है। मेरी बेटी कर भी क्या सकती है, वो अपने बड़े-बड़े हिप्स को छुप्पा भी तो नहीं सकति। किस्सी भी कपडे में ये उभर कर दिखने लगते हैं (हम सब समधी जी के बात पे हंसने लगे।।)

मै - तुम्हे याद है बहु, वो हमारे पडोसी? शमशेर जी?

सरोज - हाँ शमशेर अंकल मुझे पता है हमारे पडोसी। क्या हुआ?

मै - मुझे पहले पता नहीं चला, लेकिन वो जब बार बार घर पे आने लगे तो मुझे शक़ हुआ और फिर मैंने शमशेर को कई बार पकड़ लिया। फिर उन्हें मैंने यहाँ से भगा दिया।

समधि जी - ये कब की बात है? क्या मैं मिला हूँ शमशेर से?

मैन - नहीं आप नहीं जानते उनको, मेरी उम्र के है। पड़ोस में रहते हैं आज़कल कहीं बाहर गए है।

समधि जी -अच्छा, क्या किया उन्होंने?

मै - वो बहु को बहुत ही गन्दी नज़र से देखते थे, वो बहु के कई फोटोग्राफ्स भी क्लिक किये थे। उन्हें मैंने कई बार घिनौनी हरकत करते देखा जो मैं बहु के सामने आपसे बता नहीं सकता।

सरोज - कैसी हरकत बाबूजी, बताइये मुझे। बात मेरे बारे में है तो मुझे पता होना चहिये।

मैन - नहीं बहु मैं नहीं बता सकता

समधि जी - कोई बात नहीं समधी जी मेरी बेटी कोई बच्ची नहीं है। अब ये शादीशुदा है आप बे-झिझक खुलकर बताइये

मै - समधी जि, मैंने एक दिन रात में उनके कमरे में सिगरेट लेने गया तो देखा की बिस्तर पे बहु की कुछ पर्सनल फोटग्राफ्स है। जिनमे से कुछ फोटो में बहु नंगी भी थी।

सरोज - (चौंकते हुए) क्या मेरी पर्सनल फोटो? तो क्या शमशेर अंकल ने मेरी प्राइवेट फोटोज मेरे कमरे से चुरायीं थी?

समधि जी - (ग़ुस्से में आकर बोले) लेकिन सरोज बेटी, तुम्हारी नंगी फोटो उस बहनचोद शमशेर को कैसे मिली?

अपने पापा को गुस्से में गाली देता देख बहु घबरा गई थी।

सरोज - (घबराती हुई) पापा वो कुछ फोटोज थे जो मेरे पति ने खिची थे वही उनके हाथ लग गई होंगी। लेकिन मैंने अभी कल ही देखा, सारी फोटोज मेरे पास है। और शमशेर अंकल बहुत अच्छे थे हो सकता है की वो शायद अनजाने में देख लिए होंगे और फिर वापस रख दी होगी।

मै - बहु सिर्फ इतनी बात होती तो मैं उन्हें घर से बाहर नहीं निकालता।

सरोज - तो फिर कैसी बात थे बाबूजी बताइये।

मै - बहु मैंने शमशेर को तुम्हारी फोटो पे मूठ मारते हुए देखा था

समधि जी - क्या? ये आप क्या कह रहे हैं समधी जी?

सरोज - मुट्ठ मारना मेरी फोटो देख कर? मैं समझी नही। (बहु जानबूझ कर अपने पापा के सामने अन्जान बनने की कोशिश कर रही थी)

सरोज - मुझे बताइये पापा मुट्ठ मारने का क्या मतलब होता है?

समधि जी - बेटी, मुट्ठ मारना मतलब वो बहनचोद शमशेर तुम्हारी नंगी फोटो देख कर अपना लंड रगड रहा था और तुम्हारी नंगी फोटो पे अपने लंड का सफ़ेद पानी गिराया। इसको बोलते हैं मुट्ठ मारना

(समधी जी का अपनी बेटी के सामने लंड शब्द का यूज करना काफी शॉकिंग था।)

सरोज - छी: पापा ये आप क्या कह रहे हैं शमशेर अंकल ऐसा नहीं कर सकते।

मै - बहु सिर्फ इतना ही नही वो रात में तुम्हारी यूज की हुई पैन्टी ले जाते थे ताकि उसे सूंघ कर अपनी वासना शांत कर सकें

सरोज - मेरी यूज की हुई पैन्टी? ओह माय गॉड़।

समधि जी - बेटी, गलती तुम्हारी है। तुम अपनी यूज की हुई पैन्टी क्यों शमशेर के सामने रखती थी। ऐसे तो किसी भी मरद की वासना जाग जयेगी।

सरोज - मुझे मालूम नहीं था पापा सॉरी।। मेरे पास तो बहुत सारी पैन्टी और ब्रा हैं मैं उनको धोती नही। सभी इकठ्ठा होने के बाद मशीन में धुलने के लिए डाल देती हूँ। इधर देखिये मेरे बिस्तर पे कल रात की मेरी पहनी हुई पेंटी ऐसे ही सामने पड़ी है। मुझे नहीं मालूम की मर्दो को पेंटी एक्साइड करती है

समधि जी - हाँ बेटी, गलती तुम्हारी नहीं है। तुम्हारी सास नहीं है न तुम्हे ये सब बताने के लिये। समधी जी आपको ही सास का फ़र्ज़ निभाना होगा और मेरी बेटी को ये सब बात बतानी चाहिए ताकि वो अनजाने में ऐसी गलती न करे

मै - मैं समझ सकता हूँ समधी जी, लेकिन में इसका ससुर हू। मुझे बहु को ये सब बताने में शर्म आती थी।

समधि जी - मैं जानता हूं, लेकिन कोई और ऑप्शन भी तो नहीं है। मुझे माफ़ कर दो बेटी मैंने गुस्से में तुम्हे डाँटा और मेरे मुह से गाली भी निकल गई तुम्हारे सामने।

सरोज - इटस ओके पापा, (वो अपने पापा के गले लग गई)
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Brilliant.....
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समधि जी - लेकिन बेटी तुम्हे ऐसी फोटो सब नहीं रखनी चहिये। दिखाओ मुझे मैं बताता हूँ के कौन सी फोटो तुम रख सकती हो और कौन नही।

सरोज - जी पापा लेकिन कुछ फोटो उसमे बहुत गन्दी हैं आपको दिखाने में मुझे शर्म आएगी

समधि जी - जब शमशेर तुम्हारी फोटो देख सकता है तो मैं क्यों नही। वैसे भी तुम मेरी बेटी हो तुम्हे मैंने बचपन से देखा है।

सरोज - ठीक है मै लाती हूँ।

(सरोज फोटो निकाल कर लाई और अपने पापा को दिखाने लगी)

समधि जी - ये जीन्स और ब्रा वाली फोटो किसने खीची।
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सरोज - ये वाली तो बाबूजी ने खींची है? वो मैं एक नयी ब्रा लाई थी बाबूजी के साथ तो देखना चाहती थी की मेरी ब्रा पीछे से कैसी लगती है

मै - हाँ ये पिछले महिने के ही शॉपिंग के फोटोज है, मनिष् नहीं था तो मैं ही गया था बहु के अंडरगार्मेन्ट्स ख़रीदने और फिर मैंने ही ये फोटो ली बहु को साइज दिखाने के लिये।

समधि जी -अच्छा।।एक बात है, ब्रा से अच्छी तो तुम्हारी हिप्स लग रही है इस फोटो में

सरोज - पापा।।।।। आप बदमाश हो

समधि जी - है है है सच में, क्यों समधी जी सच है की नहीं ?
(मैं वहीँ खड़ा मुस्कुरा दिया)

समधि जी - ये वाली फोटो बेटी?
[Image: 16442509_005_eda1.jpg]


सरोज - ये भी बाबूजी ने खीचि। उसी दिन के शॉपिंग की है

समधि जी - अच्छा तो आप दोनों ने बहुत शॉपिंग की और तुम समधी जी को कपडे पहन के दिखा रही थी।

सरोज - हाँ मैं इन्हे कपडे पहन के दिखा रही थी और फोटो खीचने के लिए बोली ताकि मैं देख सकूँ की मैं कैसी लग रही हू।

समधि जी - तुम तो हमेशा अच्छी लगती हो बेटी, और इस फोटो में तुम्हारी नाभि तो बहुत उत्तेजक दिख रही है। ऐसी फोटो देख कर शमशेर की हालत ख़राब हो जाती होगी।

सरोज - मुझे नहीं पता की शमशेर अंकल को मेरी नाभि देख कर उत्तेजना होती होगी।

तभी तीसरी फोटो काफी हैरान कर देने वाली थी जिसमे बहु ने ब्लाउज नहीं पहना था और केवल साड़ी लपेटे खड़ी थी।
[Image: 11736680_007_ffb6.jpg]


समधि जी - बेटी क्या ये भी??? तुम्हारे ससुर ने खींची।।।।

सरोज - पापा वो गलती से हो गया, मेरी ब्लाउज ढीली थी और हुक भी बंद नहीं थे जब मैं झुक कर साड़ी ठीक करने लगी तभी मेरी ब्लाउज पूरी नीचे सरक गई। मैंने झट्ट से आंचल से अपना फ्रंट कवर कर लिया। लेकिन तबतक पापा जी के हाथ से गलती से कैमरा का बटन दब गया और ये फोटो खींच गई।

समधि जी - बेटी इसमे तुम्हारे फ्रंट नज़र आ रहे है। कहीं समधी जी से पहले क्लिक हो जाता तो तुम पूरी नंगी दिख जाती इस फोटो में।। (हा हा है है )
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समधि जी अब धीरे धीरे खुल गए थे और बहु को टीज (छेड़छाड़ या चिढ़ाना) करने लगे थे। बहु भी इन सब बातों का मजा ले रही थी।

समधि जी ने आगे के दो फोटो देखा तो एकदम से चौंक गये, मुझे पता था की उन्होंने ने क्या देखा। वो अपनी आँखे बड़ी किये हुये देख रहे थे। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था की ये उनकी बेटी है ।

समधि जी - बेटी सरोज, अब ये मत कहना की ये फोटो भी तुम्हारे ससुर ने खिची है ( समधी जी ने बहु को टीज करते हुये फोटो दिखाया। बहु की फोटो देख के होश उड़ गए)

ये वो फोटो थी जिसमें बहु अपने हस्बैंड यानी मेरे बेटे मनीष का लंड चूस रही थी। और मनीष के लंड का फव्वारा अपने मुह पे ले रही थी।
[Image: 92987049_016_fe3e.jpg]

सरोज - ओह पापा आप गंदे हो छी:। आपको ये नहीं देखना चाहिए थी।।

समधि जी - (एक बार फिर से बहु को टीज करते हुये बोले) पहले ये बताओ बेटी ये ससुर जी ने तो नहीं खीचा न?

सरोज - छी: पापा कैसी बात करते है। ये तो मेरी पति है। उनके जिद्द करने पे मैंने ऐसा किया वो ऐसी ही फोटो चाहते थे।

समधि जी - लेकिन बेटी, एक बात कहुं।

सरोज - (शर्माते हुए) हाँ पापा बोलिये।

समधि जी - तुम इस पिक्चर में जिस तरह मनिष का लंड चूस रही हो, और उसके लंड के पानी को अपने मुह में ले रही हो। ऐसी तो प्रोस्टीच्यूट(रंडी) भी नहीं करती।

सरोज - ओह पापा प्लीज हटा दिजिये इस फोटो को।

समधि जी - क्यों बेटी, चूसते वक़्त तुम्हे शर्म नहीं आ रही थी अभी फोटो देख कर आ रही है।

सरोज - पापा, उस वक़्त की बात अलग थी अभी आपके सामने देखने में शर्म आ रही है।

समधि जी - ओह सरोज बेटी, तुम्हारी ऐसी फोटो देख कर तो वो बहनचोद शमशेर रोज मुट्ठ मरता होगा। (समधी जी ने अपना लंड अपने पेन्ट के ऊपर से रगडते हुये कहा)

सरोज - पापा फिर गाली दिए आप? और वो भी गलत है ।

समधि जी - गलत? गलत क्यों?

सरोज - हाँ वो मुझे देख कर मुट्ठ मारते थे, और मैं उनको अंकल बुलाती थी तो फिर आपकी गाली गलत हुई ना

संधि जी - है है ह।। हाँ बेटी वो बहनचोद नहीं बेटीचोद था जो अपनी बेटी सामान लड़की को देख कर मुट्ठ मारता था ।

मै - समधी जी, ये गाली भी तो गलत ही हुई

समधि जी - क्यों ?

सरोज - क्यों?

मै - क्योंकि सरोज शमशेर की बेटी नहीं है, वो तो आपकी बेटी है है है ह।।।

मैने हिम्मत करते हुए और आगे बोला।।।

मै - शमशेर की जगह आप होते तो।।। गाली सही होती

(बहु शर्म से लाल हो गई।। )

समधि जी - (मुस्कुराते हुए) समधी जी आप बहुत बदमाश हो गए है, क्यों बेटी जब ससुर इतना बदमाश है तो बेटा तो तुम्हे बहुत परेशान करता होगा?

सरोज - पापा आप भी न कैसी बात कर रहे हैं?

समधि जी - हाँ बेटी बताओ, जिस तरह से तुम दामाद जी का लन्ड चूस रही हो उसे देख कर तो यही लगता है की तुम उसका लंड रोज चुसती होगी है न?

सरोज - हाँ चुसती थी हर रोज (बहु शरमाते हुए और खुल कर बोली) बिना चुसवाए वो मुझे कोई काम नहीं करने देते थे। गले तक अपना मोटा सा लंड डाल देते थे और मैं १५ मिनट तक उनका लण्ड चुसती रहती थी। इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा।
[Image: 93777319_010_207a.jpg]

समधि जी -हा हा, आखिर बेटा किसका है। तुम्हारे ससुर जी इतने हट्टे कट्टे है। दमाद जी का वो भी तो उनही पे गया होगा। और जब बेटा का इतना बड़ा है तो सुसुर का तो और भी मोटा और मस्त होगा। और समधी जी का मुट्ठ भी मनीष से ज्यादा निकलता होगा। है न समधी जी? इस फोटो में अगर मनिष की जगह तुम्हारे ससुर जी होते तो तुम्हारा पूरा मुह इनके मुट्ठ से भरा होता।

सरोज - प्लीज पापा, ससुर जी आपको टीज किये तो आप अब उनको टीज कर रहे है। मगर कमसे कम मुझे लेकर टीज मत करिये। कोई और लड़की भी तो हो सकती है

मै - हाँ समधी जी ये क्या बात हुई? आप मेरी बात का बदला ले रहे है।

समधि जी - अच्छा , अब नहीं बोलता मैं कुछ (समधी जी ने अपनी कान पकड़ते हुए कहा, मैं और बहु हंसने लगे )

समधि जी - अच्छा बेटी अब दूसरी फोटो तो देखने दो। (समधी जी ने जब दूसरी फोटो देखी तो जोर जोर से हंसने लगे)

सरोज - क्या हुआ पापा?

समधि जी - ये तुम सोफ़े पे क्या कर रही हो? खुद ही देखो।

(बहु उस फोटो में सोफ़े पे बिलकुल नंगी सिर्फ पेंटी पहने बैठी थी)
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सरोज - ओह पापा क्या है आप भी न, अब मत देखिये मेरी फोटो।

समधि जी - हाँ लेंकिन बताओ तो तुम ये क्या कर रही हो?

सरोज - वो मेरी पेंटी ट्रांसपेरेंट थी न तो जब मेरे हस्बैंड फोटो ले रहे थे तो मैं शर्म से अपना वो छुपा ली थी।

समधि जी - ओह मुझे लगा।।।

सरोज - क्या लगा?

समधि जी - नहीं जाने दो मुझे कुछ दुसरा लगा।

सरोज - बोलिये न पापा

समधि जी - मुझे लगा की घर पे कोई है नहीं और तुम एक्साईटमेंट में अपने वहां पर ऊँगली कर रही हो।

सरोज - छी: पापा, मैं ये सब नहीं करती ?
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समधि जी - तो कौन करता है बेटी? तुम्हारे ससुर जी? (समधी जी ने फिर से बहु को ट्रेस करते हुये कहा )

सरोज - पापा प्लीज फिर से आप????

एक जवान बहु के अपने ससुर और अपने पापा के साथ इस तरह की गन्दी बातें करते देख मेरा और समधी जी दोनों का लंड खड़ा हो गया था। जो बहु दूर से ही देख पा रही थी।

समधि जी - बेटी ये फोटो मुझे चहिये।।

सरोज - क्यों पापा?

समधि जी - क्योंकि इस फोटो में तुम्हारी जाँघे बहुत मोटी और अच्छी लग रही है। और तुम्हारे बूब्स आआअह्ह्ह्ह कितने सॉफ्ट दिख रहे है।। (समधी जी ने अपने लंड को पेंट के ऊपर से दबाते हुए कहा)

सरोज - क्या हुवा पापा, आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?

समधि जी - आहः।। बेटी।।।(इस बार समधी जी ने अपने खड़े लंड को साफ़ अपनी बेटी के सामने पकड़ते हुए उसका नाम लिया)

सरोज - पापा क्या हुआ आपको?

समधि जी - बेटी काश तुम इस फोटो में पेंटी नहीं पहनी होती।।।। आह।।।।यह बेटी।। तुम्हारी।। ओ।।। उमं

सरोज - क्या पापा? आप मुझे बिना पेंटी के देखना चाहते हैं?

समधि जी - हाँ बेटी मैंने तुम्हारी जैसी जवान खूबसूरत और गदराई स्त्री नहीं देखी। आह।। दमाद जी कितने लकी है।

सरोज - ओह पापा।। मुझे शर्म आ रही है।। अगर मैं इस फोटो में पैंटी नहीं पहनी होती तो आप क्या करते?

समधि जी - मत पूछो बेटी मैं नहीं बोल सकता

सरोज - बोलिये न पापा।। प्लीज मुझे जानना है।।।

समधि जी - नहीं बेटी।। मैं नहीं बोल सकता मुझे माफ़ करो।।

सरोज - बोलिये पापा नहीं तो मैं आपको रियल में अपनी पेंटी उतार के दिखा दूंगी और फिर खुद देख लूँगी की आप क्या करते है।।

समधि जी - नहीं बेटी।।

सरोज - ठीक है मुझे ही कुछ करना पडेगा। (कहते हुये बहु ने एक झटके में अपनी कुर्ती और सलवार का नाडा खोल दिया। नाडा खुलते ही बहु अपने पापा के सामने सिर्फ एक ग्रीन कलर की पेंटी और ब्रा में खड़ी थी। बहु की मांसल जाँघे और बड़े मादक कुल्हे देख कर समधी जी की हालत ख़राब हो रही थी)

सरोज - अब बोलिये न पापा।

समधि जी - नहीं बेटी ये तुम क्या कर रही हो। तुम मेरी बेटी हो

सरोज - आप जबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं देते मैं आपकी कोई बात नहीं मानुंगी। (ये कहते हुए बहु ने अपनी ब्रा उतार कर फेंक दी। दूसरे ही पल अपनी गदराई जाँघो से खिसकते हुये उसने अपनी पेंटी खोल दी)

सरोज - ये लिजीये पापा खोल दी मैंने अपनी पैंटी। क्या आप अब भी नहीं बताएँगे?
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समधि जी - ओह बेटी तुम्हारी चूत देख मैं मुट्ठ मार लेता।

सरोज - क्या? तो लिजीये मैं आपके सामने अपनी चूत खोले खड़ी हूँ लेकिन आप तो कुछ नहीं कर रहे।

समधि जी - (अपने पेंट के ओर इशारा करते हुए, ये देखो बेटी मेरा मुट्ठ अंदर पेंट में ही लीक हो गया है।। तुम्हे ये गिला-गिला नहीं दिखाई देता)

सरोज - ओह पापा, आप का मुट्ठ मुझे देख के ही निकल गया।। ओह पापा।। क्या मैं देख सकती हूँ (ऐसा कहते हुए बहु अपने घूटने पे बैठ गई और समधी जी का पेंट खोल दी। बाहर निकलते ही समधी जी का लंड खड़ा होकर बहु के होठ के पास तना था। और उसमे से समधी जी का वीर्य टपक रहा था)

सरोज ने बिना देरी किये अपने पापा का खड़ा लंड हाथ में लेकर सहलाने लगी।।

सरोज - ओह पापा क्या ये मुझे देख कर खड़ा है?

समधि जी - हाँ बेटी तुम्हे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया है।।

बहु ने अपने पापा के लंड की स्किन नीचे कर खोल दी उनके लंड से महक आ रही थी, बहु अपनी नाक लंड पे रगडने लगी।।

सरोज - ओह पापा आपका लंड कितना अच्छा महक रहा है।।मैं इसे चुसना चाहती हूँ पापा।। (और फिर बहु ने अपने पापा का लण्ड अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी)।
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मै वहां थोड़ी दूर पे खड़ा ये सब देख रहा था बेटी को अपने पापा का लंड चुसता देख भला कैसे खुद को रोक पाता मैं अपना लंड बाहर निकाल कर मसलने लगा। समधी जी ने मुझे लंड मसलते हुए देख लिया।

समधि जी - वो देखो बहु तुम्हारी बड़ी गांड देख के समधी जी अपना लंड सहलाने लगे ।

सरोज - (बहु अपने पापा का लंड मुह से बाहर निकालते हुये बोली) पापा तो फिर मैं ऐसा करती हूँ ससुर जी का लंड चूस कर माल निकाल देती हूँ फिर आपका लण्ड चूसुंगी।

समधि जी - ठीक है बेटी तबतक तुम मुझे अपनी चूत का पानी ही पीला दो।

सरोज - (अपने पापा का बाल पकड़ कर अपनी चूत की तरफ का रास्ता दिखाया) आईए पापा पी लिजीये अपनी बेटी का बुर। बुर चाट कर अपनी बेटी का सारा पानी निकाल दिजिये पापा। आआअह्ह्ह्हह मुझे बहुत मज़ा आ रहा है पापा।। आपकी जीभ को अपनी चूत में लेने में।। आआह्ह्।।।
[Image: 40577768_008_ffe0.jpg]

समधि जी बहु का बुर चाटने लगे और मैं बहु के मुह में अपना लंड चुसवाने लगा। उसके बाद समधी जी अपना लंड पकड़ के बहु के ऊपर चड्ढ गये।।

समधि जी - सरोज बेटी मुझसे रहा नहीं जाता अब, मैं तुम्हे चोदना चाहता हू।

सरोज - हाँ पापा चोदीए आज आप अपनी बेटी को चोदीये। मैं बहुत प्यासी हूँ पापा चोदीये मुझे (बहु बिस्तर पे लेटी अपनी टाँग फैला दी।। और अपनी गिली चूत की तरफ इशारा किया)

समधि जी - बेटी तुम्हारी बड़ी गांड देख कर सबसे पहले मेरा लंड खड़ा हुआ तो मैं पहले तुम्हारी गांड मारूँगा।। उसके बाद चूत।

ये कहते हुये समधी जी अपना लंड बहु की गांड में डाल दिया बहु दर्द से काँप गई लेकिन समधीजी अपनी बेटी को गांड में पेलने लगे।। मैं बहु की बड़ी-बड़ी चूचियां मसलते हुये अपना लंड चुसवा रहा था।

समधि जी कुछ देर चोदने के बाद -
[Image: 71242289_060_a882.jpg]

समधि जी - समधी जी अब आप मेरी बेटी को चोदीये

मै - ठीक है समधी जी

सरोज - आईए पापा मैं आपका माल अपने मुह में चूस के निकाल देती हूँ।

सरोज अब अपने पापा का लंड चूसने लगी और मैं बहु को चोदे जा रहा था।। बहु की गिली बुर चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था। बिस्तर पे बहु की बुर से काफी सारा पानी टपका था। मैं धीरे धीरे लीक होने लगा था और मेरा लंड और बहु का बुर आपस में चिप-चिप करने लगे थे। उधर समधी जी के लंड से कई लीक हुआ मुट्ठ बहु के गाल और होठ पे साफ़ नज़र आ रहे थे।

समधि जी - आह बेटी मेरा मुट्ठ निकलने वाला है।।।

मै - बहु मेरा भी मूठ निकलने वाला है

सरोज - पापा, ससुर जी मैं चाहती हूँ की आप दोनों अपनी रंडी बहु और अपनी रंडी बेटी के मुह पे अपना मूठ गिरायें।। मैं आप दोनों के मूठ से नहाना चाहती हूं।। प्लीज।

बहु के ऐसा बोलते ही मैं और समधी जी फ़व्वारे की तरह फुट पड़े और बहु के मुह बूब्स चेहरे सब पे मुट्ठ की गरम गरम बारिश कर दी।
[Image: 90249239_394_fb63.jpg]


अपना मुट्ठ निकाल कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली । शायद समधी जी ने भी कभी नहीं सोचा था की वो अपनी बेटी को इस तरह चोद पाएंग़े। बहु उत्तेजित हो कर हम दोनों का मुट्ठ चाट रही थी।
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कुछ देर बाद बहू बेड पर बीच मे थी और एक तरफ मैं और एक तरफ उसके पापा। उसने पापा ने सरोज को अपने लंड को फिर से चूसने का इशारा किया. सरोज अब एक बार समधीजी के लंड को चुस्ती और एक बार मेरे लंड को. 
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करीब 05 मिनिट के बाद समधीजी ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया एक बूब्स पर वो मूह मारने लगे और दूसरी पर मुझे लगने का इशारा किया.इस क्रिया से बहू के मूह से आवाज़ें निकलने लगी उसको अलग अलग बूब्स के चूसने से शायद काफ़ी मज़ा आ रहा था.मैने अपना एक हाथ उसकी चूत पर लगाया तो महसूस किया कि उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही है, यानी कि उसको खूब मज़ा आ रहा है.

उसके पापा थोड़ी देर बाद ही उसकी दोनो जांघों के बीच में पहुँच गये और उसकी चूत को चूसने लगे, अब मैं उसके बूब्स पर और समधीजी उसकी चूत पर चूस रहे थे. बहू अपने शरीर को बुरी तरह से नागिन की तरह बल खा रही थी,इससे लगता था कि उसको काफ़ी मज़ा आ रहा है.
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उसके पापा भी ये समझ चुके थे. वो उठे और सरोज से बोले क्यूँ बेटी मज़ा आ रहा है. अकेले पापा से चुदने में मज़ा है या दोनो से. वो चुप ही रही और लंबी लंबी साँसे लेती रही. समधीजी फिर बोले एक बात बताओ तो सही अगर सही बता दोगि तो हम और प्रयास करके तुमको खूब मज़ा देंगे, मैं फिर बोला अच्छा लगा हां या ना कुछ तो बोलो. बहू धीरे से बोली हां. वो फिर बोले अच्छा या बहुत अच्छा. वो इस पर मुस्कुरा दी तो समधीजी बोले मैं समझ गया लेकिन तुम साथ दोगी तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा. बोलो दोगी साथ. चाहिए खूब मज़ा, सरोज ने हां में सिर हिला दिया.

अब मैने और समधीजी दोनो ने ही बहू को एक आदमी बूब्स पर और एक आदमी चूत पर अदला बदली करके लगे रहे चूस्ते और चाटते रहे. समधीजी बोले देसाइजी कोई क्रीम है तो ले आओ. मैने बोला लाता हूँ. मैं जैसे ही उठा तो बहू ने पहली बार अपने पापा से पूछा, क्रीम किस लिए, इस पर समधीजी बोले लाने तो दो तब बताउन्गा. मैं तो समझ गया था कि इनका प्लान आगे से चूत और पीछे से गान्ड मारने का है.

जैसे ही मैं वापिस आया मैने देखा समधीजी ने अपनी बेटी की दोनो टाँगें उपर की हुई हैं और अपना लंड डालने वाले है. उन्होंने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा सरोज बोली प्लीज़ धीरे से करना आपका काफ़ी बड़ा है. इस पर वो बोले तुम्हारे पति से भी बड़ा. तो वो फिर मुस्कुरा गयी. समधीजी बोले ओके बेटी धीरे ही करूँगा. और उसने वास्तव में आराम से ही किया और बहु से बीच बीच मे पूछते भी रहे कि कोई तकलीफ़ हो तो बता देना. सरोज फिर उसके पापा ने अपना लंड घुसाकर बहू को पेलना शुरू कर दिया।, थोड़ी देर बाद जब लगा वो झड़ने वाले थे तो उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और खुद बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये और सरोज से अपने उपर आने को बोला. बहू उनके उपर सवार हो गयी.
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सरोज अब अपने पापा के उपर घुड़ सवारी कर रही थी. समधीजी ने अपनी बेटी को पेलते हुए मेरी तरफ इशारा किया कि देसाइ जी गांड में थोड़ा क्रीम लगाओ आप तो आकर खड़े हो गये. ये सुनकर बहू रुक गयी और बोली नही पीछे से नही. इस पर समधीजी बोले अच्छा ये बताओ मैने तुम्हें दर्द होने दिया, बोलो. बहू बोली नही,फिर विश्वास करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा । तुम्हें तकलीफ़ ना हो इसलिए तो ये क्रीम मगाई है.
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वो बोली प्लीज़ पीछे से रहने दो, बाबूजी का बहुत मोटा है, मुझे दर्द होगा ये पीछे से अंदर नही जाएगा आप लोगों का तो सुरू सुरू में आगे से भी हल्का हल्का दर्द कर रहा. समधीजी बोले, क्यूँ जब देसाइजी आगे से लेते हैं तो दर्द नही होता. सरोज बोली बाबूजी के उससे दर्द नही होता, उनका आपसे कम मोटा है. समधीजी ने उसे मनाने; के लिए तरीका अपनाया ओर बोला अच्छा अगर ऐसा है तो अपने ससूर से ही करा लो.वो बोली ठीक है.और समधीजी ने उसे अपने उपर बैठी हालत में ही लिटा लिया और अपने दोनो हाथों से उसके दोनो चुतड़ों को पकड़ कर उसकी गान्ड को खोल दिया.फिर मुझसे बोले लो देसाई जी लगाओ कीम और छेद को नरम करो मेरी बेटी को तो आपका ही लंड पसंद है.

मैं धीरे धीरे उसकी गान्ड पर राउंड राउंड करके क्रीम लगाने लगा.और करीब 15 मिनिट तक उसकी गान्ड में समधीजी के बताए अनुसार क्रीम लगाई। पहले एक उंगली और बाद में दो उंगलियों से भी क्रीम लगाई.जब उसकी गान्ड के छेद में दो उंगली जाने लगी तो मुझे विस्वास हो गया कि अब बहू थोड़ा बहुत दर्द झेलकर हमदोनो का लंड एकसाथ ले ही लेगी.

समधीजी बोले देसाई जी अब शुरू भी करो और मैने जैसे ही अपनी रंडी बहू की गान्ड पर लंड रखा वो बोली बाबूजी आराम से करना. मेरे बोलने से पहले ही समधीजी बोले क्यूँ बेटी अपने बाबूजी पर भी भरोसा नही. तो वो बोली पापा ने पहले भी बहुत दर्द कराया था इसलिए बोल रही हूँ.इस पर समधीजी बोले तो मैं फिर से करूँ.बहू बोली नही मुझे तो बिल्कुल नही ।मुझे मरना है क्या मुझे।

आपका तो बहुत मोटा है.और तभी मैं बोला ठीक है बेटी मैं आराम से करूँगा.लेकिन मैने जैसे ही उसकी गान्ड के छेद पर लंड को रखकर जैसे ही थोड़ा अंदर किया वो चिल्लाई आआआआआआआअ और समधी जी की पकड़ से छुटकर उठने की कोशिस करने लगी.समधीजी बोले देसाई जी आराम से करो आपकी ही बहू है.
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सरोज भी बोली बाबूजी आप बहुत ज़ोर से घुसाते हो धीरे से करो.मैने सोचा कि इससे आराम से कैसे होगा.मैं बोला ठीक है.मैने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार समधीजी ने मेरी तरफ़ आँख मारकर इशारा किया.मैं समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.मैने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.मेरी रंडी बहू काँप गयी और चिल्लाने लगी आआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.मुझे छोड़ूऊऊऊऊऊऊ,संधिजि बोले देसाई जी थोड़ा धीरे करो इतनी ज़ोर से करोगे तो लगेगी ही.सरोज बोली बाबूजी आप बहुत बुरे हो,आप से तो मेरे पापा अच्छे है कम से कम इतनी ज़ोर से तो नही करते पहले भी आपने ऐसा ही किया था.इस पर मैं बोला बेटी गांड में थोड़ा दर्द होता ही है,अब आराम से करूँगा.

और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से मैने बहू को पीछे से चोदा और समधीजी भी आगे से अपनी बेटी को पेलते रहे.इसके बाद मैं और समधीजी दोनो ही झड़ गये.और मेरी रंडी बहू से अलग होकर बेड पर पड़ गये.सरोज बीच में और हम दोनो उसके लेफ्ट राइट मे.समधीजी ने सरोज को फिर से अपनी तरफ घुमा लिया और अपने से चिपका लिया.सरोज को भी उनसे नंगी होकर चिपकने मे अब कोई संकोच नही हो रहा था.
समधिजि ने उसके कान में कुछ कहा.तो वो बोली नही पापा आपका फिर से गांड में नही झेल पाउन्गि.अब मुझमें ताक़त नही रही.मैं समझ गया कि वो बहू की गान्ड की बात कर रहे है.समधीजी ने सरोज से रिक्वेस्ट कर रहे थे,सरोज बोली कुछ देर बाद मैं दे दूँगी.प्लीज़ पापा अभी रहने दो मेरी गांड दर्द कर रही है।
अब हमदोनो ने बहू को चोद चोदकर पूरी बेशर्म बना दिया था।मेरी रंडी बहु को हमदोनो दिनभर और रातभर घर में नंगी ही रखते और कभी चूत तो कभी गांड मारते रहते।कभी कभी हमदोनो मेरी बहु को एकसाथ भी पेलते।बहु अब इतनी बेशर्म हो गई थी की घर में कही भी मेरा या अपने पापा का लंड चूसकर उसका मुठ पि जाती थी।
कुछ दिन बाद उसके पापा चले गए।अब तो बहु मेरी पर्सनल रंडी बन चुकी है।मैं जो बोलता हूँ वह करती है।रोज सुबह मेरा लण्ड चूसकर मुझे उठाती है और नास्ते में मेरे लण्ड से निकल जूस पि जाती है।
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Lajawaab.....
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A very nice way to reboot an old story.
I appreciate your effort.
Do re-edit certain pages......
Again a big thank you.
HOPE TO SEE SOME MORE STORIES RE-BOOTED......... since you are great at adding apt pics for the scenes.

HAPPY NEW YEAR TO ALL THE READERS
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Brother story continue rakho
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Update please
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Lajawab aur ekdum mast kahaani hai
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Acchi story hai.

I have seen a real example jahan sasur bahu ko chodta tha. I believe kisi ke saath zabardast nahi karni chaiye and don't force anyone. Lekin saan ko bahu, beti, aunty bhabhi, aunty ko chodney ke try zaroor marni chaiye - agar maan jai to aapke ki aish hai - nahi mani to leave her alone or doosri par try maro - koi to chudey gi

Sasur aur baap ka to pura haq hai
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Aggey badhao
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