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Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#21
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fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
बुआ की सेक्सी बेटी की चुदाई

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
(07-06-2022, 12:31 PM)neerathemall Wrote:
बुआ की सेक्सी बेटी की चुदाई


मेरी बुआ की लड़की पूनम की है, पूनम की उम्र 20 साल, उसका फिगर करीब 34-30-36 का है और 5’5″ की एक बहुत सेक्सी लड़की है। बुआ का घर भी यही मेरे घर से थोड़ी दूरी पर है और उनके घर में बुआ फूफा एक लड़का और दो लड़की है, एक का नाम पूनम और दूसरी का नाम तनीषा है।

बात आज से 1 साल पहले की है जब पूनम मेरे घर पर रहने आयी थी वैसे तो मैं उसे हमेशा से चोदने के मन में था लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। जब वो हमारे घर रहने आई तो मेरे तो जैसे मन में लड्डू फूट रहे थे। वो घर के कामों में ज्यादा रहती थी तो जब भी कोई काम करती मैं उसे घूरता और उसकी गांड और चुचे देखता रहता था।
मेरे घर में हम सब लोग एक ही कमरे में सोते हैं, मैं मेरे पापा मम्मी और मेरी बहन और पूनम भी। मैं पूनम के पास ही थोड़ा दूर अलग पलंग पर सोता था। मैं रोज उसके नाम की मुठ मार रहा था लेकिन कभी मौका न मिला.
लेकिन एक दिन वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था। मैंने हिम्मत करके सोते समय उसके चुचों को छुआ जो एकदम टाइट थे। मैं क्या बताऊँ दोस्तो… मैंने पहली बार किसी लड़की के चुचों को हाथ लगाया था, मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई हो।
धीरे धीरे मैंने अपनी बहन के चुचों को दबाना चालू किया और बस इतनी ही हिम्मत मैं रोज दिखा पाता था और उसके नाम की मुठ मार कर सो जाता था।
एक रात मैं उसके चुचों से खेल रहा था तभी मुझे ऐसा लग शायद वो जाग गई है. तो मेरी तो फट गई और मैंने हाथ हटाकर दूर सोने का बहाना किया.
लेकिन उसे पता नहीं क्या हुआ… उसने खुद मेरा हाथ ढूंढना शुरू कर दिया.
मैंने भी अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया. अब मेरा और उसका हाथ आपस में एक लड़ाई सी कर रहे थे. मैंने एक हाथ उसके हाथों में रखा और दूसरे हाथ से बहन के बूब्स पर सहलाने लगा क्योंकि आग दोनों ही तरफ लगी थी इसलिए उसने मेरी हरकत का कोई विरोध ना किया.
और मैं हल्के हल्के से अपनी बुआ की बेटी के स्तनों के साथ खेलने लगा।
मैं और वो थोड़ा दूर थे इसलिए थोड़ी परेशानी हो रही थी, मैंने हाथ हटा लिया तो वो तड़प उठी और उठकर बैठ गई क्योंकि कमरे में सब थे इसलिए कुछ बोली नहीं, बस उठकर बाहर चली गई. मैंने भी मौका देखा और बाहर आ गया.
अब वो तो बिल्कुल मेरे इंतजार में बाहर खड़ी थी, जैसे ही मैं गया तो मैंने जाते ही उसको कस के पकड़ लिया और अपनी बांहों में भर लिया। अगले ही पल मेरे और उसके होंठ आपस में चिपक गए।
क्या बताऊँ दोस्तो, सब पहली बार था, इतना मजा आ रहा था लेकिन घर में सब थे तो हम भाई बहन ने ज्यादा कुछ नहीं किया और फिर मैं मुठ मार कर सो गया।
सुबह वो अलग ही मूड में थी, मुझे बड़े प्यार से बार बार देख कर स्माइल दे रही थी. मैंने मन बना लिया कि आज इसे चोदकर ही रहूंगा और मेरा पूरा दिन बड़ी मुश्किल से गुजरा।
रात हुई, सब खाना खाकर सोने चल दिये लेकिन मेरे और पूनम के दिमाग में बस कल वाली रात घूम रही थी. सबके सोने के बाद फिर वही हुआ, इस बार उसने सबसे पहले अपना हाथ मेरे बिस्तर पर इधर उधर घुमाना शुरू किया और मैंने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और फिर एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया.
लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने हाथ नीचे करना चाहा तो उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैं फिर थोड़ा झूठा गुस्सा दिखाकर उससे अलग हो गया.
फिर वो उठी और कमरे से बाहर चली गई. मैं भी मौका देखकर उसके पीछे चल दिया. बाहर आंगन में जाते ही हम दोनों आपस में चिपक गए और आज मेरा शैतानी दिमाग बस मेरी फुफेरी बहन की चूत चाहता था।
मैंने उसे ऊपर वाले रूम में चलने के लिए बोला और वो खुद बाथरूम मैं जाकर मुठ मार आया जिससे आज इसकी खूब अच्छे से चुदाई करूँ।
मैं ऊपर वाले कमरे में पहुँचा तो देखा लो वो दरवाजे पर मेरा ही इतंजार कर रही थी। अब तक हमारी इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी तो मैंने कमरे के अंदर जाते ही ‘आई लव यू…’ बोला और उसने भी ‘आई लव यू टू बोला और फिर मैंने सारी बात बताई कि मैं कितने दिनों से तेरे नाम की मुठ मार रहा था।
इतना सुनते ही बोली- मैं तो कबसे तुझे देख रही थी… तूने कभी बोला ही नहीं!
और उसके इतना कहते ही मैं अपनी बहन के बदन पर टूट पड़ा। मुझे पता था रात में ऊपर कोई आता नहीं इसलिए कमरे का दरवाजा बंद करके सीधा उसके ऊपर ऐसे टूटा जैसे कितने दिनों की भूख हो। मैंने उसको कस के पकड़ लिया जिससे उसके चूचे मेरी छाती से कस गए उसके होंठ मेरे होंठों में कस गए और मैं जन्नत में था।
मैं अपने एक हाथ से उसके चूचों को दबाने में लगा था और एक हाथ पीछे उसकी पीठ पर घूम रहा था। उसकी थोड़ी थोड़ी सिसकारियां चालू हो गई थी क्योंकि वो गर्म हो चुकी थी। मैंने देर न करते हुए मौके का फायदा उठाया और उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर लेट गया और यहां वहां सब जगह चूमने लगा.
उसने टॉप और ढीला सा लोवर पहन रखा था। मैंने धीरे धीरे उसके टॉप को उतारने की कोशिश की और उतार कर अलग डाल दिया. क्या नजारा था दोस्तो… क्या बताऊँ! मुझे वो मिल गया था जिसे मैं कितने दिनों से चूसना चाहता था।
उसने अंदर सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी, क्या कयामत लग रही थी वो!

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
मैंने उसे थोड़ी देर तक देखा और फिर उसकी ब्रा से बाहर दिख रही चूचियों को चूमना, चाटना शुरू किया. मैंने अपनी बहन की ब्रा में से एक चुचे को बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था. इस तरह मैंने दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसा. अब मुझसे रुका नहीं गया और मैंने ब्रा का हुक खोल के उसे पूरा उतार फेंका।

अपनी बहन की पूरी नंगी चूचियां देख कर मेरे तो होश ही उड़ चुके थे, वासना मेरे दिमाग में भर चुकी थी, मैंने उसके उरोजों को चूसना चालू रखा और वो इतनी गर्म हो गई कि उसकी आवाजें कमरे में गूंज रही थी और वो ‘उह आह…’ सिसकारियां भर रही थी, उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था और न ही मुझसे कुछ बोला जा रहा था।
अब मैं अपनी बहन के नंगे बदन को चाटता चूसता हुआ नीचे चल दिया, पहले उसके गोरे गोरे पेट को चूसा और चूमा, फिर उसने मेरा हाथ रोक और मुझे ऊपर उठा कर मेरी टीशर्ट निकाल दी और मुझे चूमने लगी.
फिर तो इतनी चुदास चढ़ चुकी थी, मैंने उसका लोवर भी उतार दिया. अब वो मेरे सामने कोई अप्सरा जैसी लग रही थी केवल लाल पेंटी में… उसके खड़े 34″ के चूचे मुझे सलामी दी रहे थे, मेरे लन्ड का तो बुरा हाल था, मैंने खुद अपना लोअर उतार कर खड़ा हो गया और अंडरवियर में कैद मेरा लन्ड मेरी नंगी बहन को देखने की कोशिश कर रहा था.
मैंने तुरन्त उसका हाथ पकड़ कर अपना लन्ड उसके हाथ में दे दिया और उसने हाथों से मेरे लन्ड को सहलाना शुरू किया और कुछ ही देर में अंडरवियर निकाल दिया और लन्ड को हाथ में लेकर बोली- पुनीत जान, तेरा तो बहुत बड़ा हो गया है!
मैंने कहा- ये तो बस तुझे देख के सलामी दे रहा है!
और लन्ड उसके मुंह के पास कर दिया।
पहले उसने मना किया लेकिन थोड़ी बहुत देर आनाकानी के बाद उसने लन्ड को चूसना शुरू किया और यह उसका पहली बार था। लेकिन उसने मेरे लन्ड को खूब अच्छे से चूसा लॉलीपॉप समझ कर!
मैंने भी देर न करते हुए अपनी बहन की पैंटी निकाल दी और हम 69 की पोजीशन में आ गए. मैंने उसकी चूत को पहले किस किया फिर अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और खूब अच्छे से चाटा.
वो पूरी तरह पागल हो चुकी थी, अब तो वो तुरन्त उठी और बोली- भाई, इतना मत तड़पा और चोद दे मुझे!
मैंने भी देर न करते हुए उसे लिटाया और एक तकिया उसकी गांड के नीचे लगाया क्योंकि मेरा भी पहली बार था तो मैं भी कुछ जल्दी में ही था… और धीरे धीरे लन्ड अपनी बहन की चूत पर घिसने लगा।
और मैंने एक जरा सा धक्का मारा, जिससे मेरे लंड का थोड़ा सा टोपा उसकी चूत में घुस गया, वो दर्द और घबराहट से उछल पड़ी और मेरा लन्ड निकल गया.
फिर मेरी बहन मना करने लगी- नहीं यार, दर्द हो रहा है बहुत!
मैंने उसे समझाया और इस बार पकड़ मजबूत करके एक धक्का और मारा इस बार थोड़ा सा लन्ड गया और मैंने उसके मुँह को अपने होठों से बंद कर दिया ताकि वो चिल्लाये ना… और वो छटपटा रही थी लेकिन मैंने एक ना सुनी और एक धक्का और मार दिया इस बार वो बिल्कुल पागल हो गई और मेरी चंगुल से निकल भागने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उसके होठों को अपने होठों में भींच रखा था.
मेरा करीब आधा लन्ड ही मेरी बहन की चूत में गया होगा और दर्द तो मुझे भी हो रहा था क्योंकि मेरा भी पहली बार था लेकिन मैंने यहां अन्तर्वासना पर बहुत स्टोरी पढ़ी हैं तो मुझे मालूम था।
मैं थोड़ी देर शांत रहा, जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने एक धक्के में पूरा लन्ड जड़ तक डाल दिया और वो रोने लगी, कहने लगी- छोड़ दे कमीने… आज तो मेरी चूत फाड़ दी तूने!
मैंने उसे समझाया कि अभी थोड़ी सा दर्द सहन कर ले, फिर मजा ही मजा है!
और उसके शांत होने तक उसे किस करता करता रहा और उसके चुचे दबाता रहा।
अब उसका दर्द कम हो चुका था और वो भी हल्के हल्के चूतड़ उठा रही थी, मैंने भी हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू किए और फिर तो वो बहुत मस्ती में आकर तेजी से अपनी गांड उठा उठा कर चुद रही थी।
मैंने भी स्पीड बहुत बढ़ा दी और पूरी जान से अपनी बहन को चोदता रहा.
वो बोल रही थी- और चोद और चोद बहनचोद फाड़ दे मेरी चूत!
मैं अपने धक्के लगाता रहा और पूरे कमरे में हमारी सिसकारियां गूँज रही थी।
करीब 15 मिनट की भयंकर चढ़ाई चुदाई के बाद मेरा होने वाला था मैंने उससे कहा- कहाँ निकालूँ जानेमन, मैं आ रहा हूँ.
वो बोली- अंदर ही निकाल दे बहनचोद, मैं भी बस आई।
और एक मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और वो भी साथ झड़ गई।
और हमारी हालत अब खराब थी, मैंने उसे उठाया तो देखा नीचे तकिया खून में लाल पड़ा है वो डर गई मैंने उसे समझाया कि अब तू फ्री हो गई है सील टूटी है तेरी!
हम भाई बहन एक दूसरे को कामुक नजरों से देख रहे थे।
मैं उसे बाथरूम में ले गया, पेशाब कराया, उसे दर्द बहुत हो रहा था.
और फिर मैंने वो मेरी बहन की चूत के खून से सना तकिया छिपा दिया ताकि मौक़ा मिलते ही उसे मैं कहीं दूर फेंक आऊँ!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#25
(07-06-2022, 12:31 PM)neerathemall Wrote: neerathemallSmile Smile Smile




































































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#26
(07-06-2022, 12:31 PM)neerathemall Wrote: neerathemallSmile Smile Smile




































































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#27
बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!
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#28
(07-06-2022, 12:35 PM)neerathemall Wrote: बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!

आज से दो साल पहले की है. मैंने अपनी फुफेरी बहन की
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#29
मैं पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गया था और इधर अपनी बुआ के घर रहता था.
फूफा जी बाहर जॉब करते थे तो बुआ जी को भी मेरे आने से एक आसरा हो गया था.
बुआ एक निजी कम्पनी के ऑफिस में काम करती थीं.

मेरी बुआ की बेटी का नाम दीपिका था.

एक दिन दीपिका नहा कर निकली. उस समय घर पर कोई नहीं था. बुआ ऑफिस गई हुई थीं.

उस दिन घर मैं अपने रूम में ही था.

जिस समय दीपिका नहा कर बाहर निकली, उसी समय अचानक से मैं अपने कमरे से पानी पीने के लिए बाहर निकला.

मैंने देखा कि दीपिका एकदम नंगी ही बाथरूम से निकली और अपने कमरे की तरफ जाने लगी.
उसे इस अवस्था में देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मेरे हाथ से पानी का गिलास था तो वो गिर गया.
गिलास गिरने की आवाज से उसका ध्यान मेरी तरफ चला गया और वो जल्दी से भाग कर अपने कमरे में चली गयी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.

इस समय मेरी खोपड़ी में दीपिका की मदमस्त जवानी ही घूम रही थी.
मैं उसके बारे में सोच कर लंड सहलाने लगा.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा.

उस दिन मुझे मुठ मारने में इतना मजा आया कि बता नहीं सकता.

शाम को उसकी मॉम आईं तो उन्होंने मुझे बुलाने दीपिका को मेरे कमरे में भेजा.
मैं उस टाइम भी उसके बारे में ही सोच कर लंड हिला रहा था.

उसने कमरे का दरवाजा बजाया और आवाज देकर बोली- भैया, मॉम ने आपको खाने के लिए बुलाया है.

मैं लंड अन्दर करके खाना खाने बाहर आ गया.

बाहर मेज पर वो भी खाना खा रही थी. उसकी नजरें झुकी हुई थीं.
मैं उसे ही देखता रहा.
वो मुझे अब बस नंगी ही दिख रही थी.

खाना खाने के बाद दीपिका अपने कमरे में चली गयी. उसने मेरी तरफ देखा ही नहीं.
मगर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झेम्प रही है.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा.

मैं बस अब ये ही सोच रहा था कि कैसे भी करके दीपिका की चुत चोदने को मिल जाए.
उसके चक्कर में मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगता था.

फिर एक दिन वो अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तो मैं चुपके से उसे देखने लगा.
उसने अपने सारे कपड़े उतारे और अपनी चुत सहलाने लगी.
कुछ देर तक वह अपने मम्मों से भी खेला और अपने कपड़े पहन कर लेट गई.

मैं उसी के दरवाजे के बाहर उसे देख कर मुठ मारने लगा.

तभी अचानक से उसने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
वो उधर से चिल्ला कर बोली- ये तुम क्या कर रहे हो … शर्म नहीं आती?

मैं कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया.
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो ये सब बुआ से ना कह दे.

बुआ शाम को घर आईं और दीपिका से मुझे बुलाने को बोलीं.

दीपिका मेरे कमरे में आई और अजीब सी आवाज में बोली- मॉम बुला रही हैं … चलो.

उसकी इस तरह की टोन से मैं डर सा गया और सोचने लगा कि इसने पक्के में बुआ से कह दिया होगा.

मैं डरते हुए गया और बुआ से बोला- जी बुआ जी … क्या हुआ!
उन्होंने पूछा- क्या हुआ का क्या मतलब है? खाना नहीं खाना है क्या … चलो बैठो खाना खा लो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#30
मैंने राहत की सांस ली और खाना खाने बैठ गया.
मेरे सामने दीपिका बैठी थी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो सर झुका कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

मैं समझ गया कि दीपिका ने उस दिन की झेम्प मिटाने का बदला लिया है.

इस सबमें एक बात साफ़ हो गई थी कि जवानी आग उसे भी लगी थी और मुझे भी लगी थी.
हम दोनों एक दूसरे की आग को समझ चुके थे.

इसी बीच मैंने एक हरकत करना शुरू कर दी थी.
मैं दीपिका की पैंटी में मुठ मार कर अपना रस छोड़ देता था.
मगर इस बात को भी दीपिका ने बुआ से नहीं कही.

फिर कुछ दिन बाद बुआ मुझसे बोलीं- मुझे कुछ दिन के लिए काम से बाहर जाना है, तो घर का और अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने पूछा- आपको कब जाना है?

बुआ बोलीं- कल जाना है … दो हफ्ते के लिए, ऑफिस का बहुत ज़रूरी काम है. वैसे तो मैं दीपिका को भी साथ ले जाती, पर उसके एग्जाम चल रहे हैं और एक पेपर बचा है.
मैंने कहा- ओके बुआ कोई बात नहीं मैं हूँ ना … सब संभाल लूंगा.

बुआ अपनी तैयारी करने में लग गईं. फिर सुबह 6 बजे वाली ट्रेन से चली गईं.

अब मैं और दीपिका ही घर में अकेले रह गए थे.
वो आठ बजे अपना पेपर देने चली गई.

जब स्कूल से वापस आई तो मैंने पूछा- तुम्हारा लास्ट पेपर कैसा हुआ?
वो हंस कर बोली- मस्त.

दीपिका बहुत खुश नजर आ रही थी.
उसकी कुछ दिन की स्कूल की छुट्टी भी हो गयी थी.

मैंने उससे कहा- आज शाम को मैं बाहर से खाना ले आऊंगा तुम बनाना मत.
वो बोली- ठीक है.

शाम को मैं होटल से खाना लेकर आया और हम दोनों ने साथ में खाना खाया.

फिर हम दोनों टीवी देखने लगे और बात करने लगे.

उसने अचानक से पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है क्या?
मैंने बोला- नहीं.

उसने कहा- क्यों?
मैंने बात पलटते हुए पूछा- तुम्हारा है कोई?

उसने कहा- नहीं है.
मैंने कहा- मेरी भी नहीं है.

उस समय हम दोनों एक हॉरर मूवी देख रहे थे.
तभी एक डरावना सीन आया, वो डरने लगी और मेरे से चिपक कर बैठ गयी.
उसके चुचे मेरे सीने से टच हो रहे थे.

मैं लोवर पहने हुए था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने पिलो से लंड दबा लिया.

उसने देख लिया और बोली- क्या दबा रहे हो?
ये मैंने कहा- कुछ नहीं.

उसने कहा- कुछ तो दबा रहे हो, मुझे देखने दो.
मैंने कहा- अरे यार कुछ नहीं है.

उसने झटके से पिलो खींच लिया तो मेरा लंड लोवर में से साफ़ दिख रहा था.

वो मेरा खड़ा लंड देख कर शर्मा गयी. मैं उठ गया और अपने रूम में आ गया.

मैं कमरे की लाइट बंद करके लेट गया.

कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई.

करीब दो बजे मुझे लगा कि मेरे पास कोई है.
मैंने देखा तो दीपिका मेरे बाजू में लेटी हुई थी.
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#31
मैं पानी के लिए उठा तो वो जाग गयी और बोली- कहां जा रहे हो?
मैंने उसे बोला- पानी लेने जा रहा हूँ मगर तुम यहां कैसे?

वो बोली- मुझे अकेले डर लग रहा था.
मैंने कहा- कोई बात नहीं सो जाओ.

कुछ देर वो सो गयी और अब मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वो शॉर्ट्स में मेरे बगल लेटी थी.

उसकी टांगों पर एक भी बाल नहीं था. उसकी चिकनी टांगें देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और फेरने लगा.
उसकी तरफ से कुछ भी रिएक्श्न नहीं हुआ तो धीरे धीरे मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिया और दबाने लगा.

वो उठ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. मैंने आंखें बंद कर लीं.
उसने भी कुछ नहीं बोला.

मेरा हाथ अब भी उसके मम्मों पर ही था और मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

उस टाइम मैं अंडरवियर में ही था.
वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई तो मेरा खड़ा लंड उसकी टांगों से टच होने लगा.

थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई.
सुबह मैं उठा तो देखा कि वो मेरे बाजू में नहीं थी.

तभी वो मेरे कमरे के बाथरूम से बाहर निकली. इस समय वो केवल एक तौलिया में थी.

तभी अचानक से न जाने क्या हुआ कि उसका तौलिया गेट के हैंडल से फंस कर खुल गया और वो एकदम नंगी हो गई.

मैं उसे देखने लगा.
इस वक्त वो क़यामत लग रही थी.
उसकी नजरें मेरी नजरों से टकराईं लेकिन वो अपनी तौलिया ठीक करने की जगह मुस्कुराने लगी.

मैं उसे ही एकटक देख रहा था.
उसके चूचे बड़े ही मस्त लग रहे थे, दोनों टांगों के बीच चिकनी चुत पानी से भीगने के कारण बड़ी ही कामुक लग रही थी.

वो एक बार भी नहीं शर्माई बल्कि इठला कर मुझसे पूछने लगी- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस तुम्हें ही देख रहा हूँ.

वो नंगी ही चल कर मेरे पास आई और होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगी.

उसके नंगे बदन की समीपता और चुम्बन से मैं एकदम से शॉक्ड रह गया.

वो बोली- रात को तो बहुत खड़ा हो रहा था … अब क्यों नहीं हो रहा.

ये कह कर उसने हाथ में पकड़ी हुई तौलिया को बड़ी नजाकत से मेरे सामने अपने जिस्म पर लपेटी और गांड हिलाती हुई अपने रूम में चली गयी.

मैं अपनी सुधबुध खो चुका था और मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं.

मैं सर झटकता हुआ उठा और नहाने के लिए बाथरूम में आ गया.
उधर मैंने दीपिका की नंगी जवानी को याद करके लंड हिलाया और फारिग होकर अपने कॉलेज चला गया.

उस रात को मैं थोड़ा लेट आया क्योंकि मैंने कॉलेज के बाद शाम को चार पैग व्हिस्की के लगा लिए थे.

दारू पीते समय मैं दीपिका के बारे में ही सोच रहा था.
मुझे समझ आ गया था कि आज दीपिका मेरे लंड से चुदने को रेडी है.

बस ये सोचा तो मैंने दो पैकेट कंडोम के खरीद लिए और घर आ गया.

मुझे मालूम हो गया था कि अब उस पर भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.

रात में खाना खाकर हम दोनों टीवी देख रहे थे.

मैंने बात शुरू की- तुम सुबह क्या चाह रही थीं?
वो बोली- कुछ नहीं.

मैंने कहा- फिर किस क्यों किया था?
वो बोली- वो तो ऐसे ही, पर तुमको तो अच्छा ही लगा होगा न!

मैंने बोला- हां अच्छा तो लगा था मगर तुमको शर्म नहीं आई?
वो हंसी और बोली- शर्म कैसी, तुम भी तो छिप छिप कर मुझे नंगी देखते थे और कई बार मुझे वो सब करते हुए भी देख भी चुके हो.

मैंने कहा- ये तुमको कैसे मालूम है?
वो बोली- जब तुम मुझे देख कर मुठ मारते थे और मेरी पैंटी में पानी निकाल देते थे, तो क्या मैं इतनी नासमझ हूँ कि ये बात समझ ही न पाऊं … घर में तुम्हारे अलावा कोई और तो है नहीं, जो ये सब मेरी पैंटी के साथ करता हो. फिर कल रात में जब तुम मेरे बूब्स दबा रहे थे, तो क्या मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था?
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#32
मैंने तभी उसके हाथ को टच किया और उसे अपने पास खींच कर उसके गाल पर किस कर लिया.

वो बोली- ये क्या है?
मैंने बोला- किस.

वो बोली- तुमको किस करना नहीं आता है.
मैंने पूछा- तुमको तो आता है न!

वो बोली- मॉर्निग में किया तो था. अब तुम वैसे ही करके बताओ.
मैंने उसको होंठों पर होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा.

करीब 15 -20 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और वासना के वशीभूत होकर चूमाचाटी करने लगे.

मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसने मेरे!
अब हम दोनों नंगे थे.

मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसके मम्मों को दबाने लगा. साथ ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत में डाल दी.

वो गर्मा गई और सीत्कार करने लगी.

मैं नीचे को आया और उसकी चुत चाटने लगा.
वो कामुक सिसकारियां लेने लगी और मुँह से ‘आह भाई मर गई आह और चाटो आह मेरी चुत खा जाओ.’ की आवाज निकालने लगी.

मैंने एक उंगली उसकी चुत में अन्दर तक डाली तो वो थोड़ा चिल्लाने लगी.

कुछ देर बाद वो झड़ गई तो मैंने उसकी चुत को चाटकर साफ़ कर दिया.

मैंने कहा- अब तुम मेरा मुँह में लो.
वो बोली- नहीं.

मैंने कहा- क्यों … प्लीज़ ले लो, मुझे अच्छा लगेगा.

फिर वो मान गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसे चित लिटा दिया.

वो समझ गई कि अब चुत चुदने वाली है.

मैंने उसकी चुत पर तेल लगा दिया और कुछ अपने लंड पर भी.
क्योंकि ये उसका फर्स्ट टाइम था लेकिन जैसे वो लंड के लिए मचल रही थी, उससे लग नहीं रहा था कि इसकी सील साबुत बची होगी.

फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को ऊपर लिया और उसकी चुत के मुँह पर अपना लंड सैट कर दिया.
वो गांड उठाने लगी तो मैंने एक जोर से धक्का लगा दिया.

मेरा आधा लंड चुत के अन्दर घुस गया.
वो उसी पल जोर से चिल्ला उठी.

मैंने उसका मुँह दबाया और बाजू में पड़ी उसकी ब्रा को उसके मुँह में घुसेड़ दी.

उसकी आवाज बंद हुई तो मैंने फिर से एक और जोर का धक्का दे दिया.
इस बार मैंने पूरे लंड को चुत की जड़ तक अन्दर घुसा दिया.

उसकी आंखों से पानी आने लगा. साथ ही उसकी चुत से खून की लकीर बिस्तर को रंगने लगी.

मैं रुक गया और उसे सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चुत से लंड निकाला और उसके ब्लड को साफ कर दिया.

वो बोली- अब नहीं करो.
मैंने बोला- तुम ही तो चाहती थी.

वो बोली- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा.
मैं बोला- जितना होना था वो हो चुका अब नहीं होगा.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उसकी चुत में लंड घुसेड़ा और आराम आराम से अन्दर तक पेलता गया.

मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया और वो कसमसाती रही लेकिन इस बार उसने आवाज नहीं निकाली.

मैं धीरे धीरे लंड चुत में आगे पीछे करने लगा.

थोड़ी देर तक बाद उसे भी मज़ा आने लगा.
अब मैं तेज तेज चुदाई करने लगा.

उसके मुँह से मस्ती भरी आवाजों ने निकलना शुरू कर दिया था- आह आह और तेज!

इससे मेरा जोश और बढ़ गया और मैं तेजी से लंड अन्दर बाहर करने लगा.

करीब 15 मिनट बाद मेरा पानी निकलने को हो गया. मैंने लंड चुत से निकाला और सारा पानी उसकी चुचियों पर निकाल दिया.

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.
इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर थोड़ा सा तेल लगा दिया.

उसने कहा- ये किधर डाल रहे हो?
मैंने कहा- इधर तुमको पहले से भी ज्यादा मज़ा आएगा.

वो बोली.नहीं


cool2


ऐसे ही मैंने उस रात में कई बार सिस्टर की चुदाई की और नंगे ही चिपक कर सो गए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#33
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
(07-06-2022, 12:31 PM)neerathemall Wrote: neerathemallSmile Smile Smile









Arrow Big Grin


























































fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#35
Good story
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