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Incest बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा
#1
बुआ की बेटी को खुली छत पर चोदा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी बुआ की लड़की हीरल को मैं बहुत पसंद करता था।
बात तब की है जब गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं और मेरी बुआ की लड़की स्कूल खत्म करके अपनी मां के साथ यानि मेरी बुआ के साथ मेरे घर आए हुए थे।
पूरा दिन अच्छे से निकला।
दिन में हम दोनों ने बहुत मस्ती की।
छुपा-छुपी वाले खेल में तो मैंने कई बार उसको अपनी बांहों में भी दबोचा।
उसके प्यारे प्यारे बूब्स को भी बहाने से दबाने का मौका मिला।
फिर भी उसने कोई विरोध नहीं किया और इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैंने सोच लिया कि इसको तो कैसे भी करके अपने लंड पर बैठाकर ही रहूंगा, अपनी कजिन सिस्टर से सेक्स का मजा लूंगा।
शाम को हम सबने साथ में खाना खाया और फिर सब सोने के लिए छत पर चले गए।
दोस्तो, आपको बता दूं कि गांव में पहले बिजली सप्लाई कम हुआ करती थी। इस वजह से सब छत पर सोना पसंद करते हैं।
मेरी बुआ मेरी दादी के पास सोने चली गई और हीरल हमारे पास छत पर सो गई।
छत पर हम चार भाई बहन सब साथ में लेटे हुए थे। हीरल मेरे और मेरी बड़ी बहन के बीच में लेटी हुई थी।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं हीरल के बारे में ही सोच रहा था।
रात के करीब 12:30 बजे उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखा और मैं घबरा गया और आंख बंद करके लेट आ रहा।
लेकिन मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
डर था कहीं वह मेरी दीदी या घर में किसी को बता देगी तो मेरी बहुत बदनामी होगी।
इसी डर के कारण मैंने कुछ नहीं किया और सो गया और करीब रात 1:00 बजे के आसपास मुझे नींद भी आ गई।
फिर मेरी नींद करीब 4:00 बजे खुली।
नींद खुली तो पता चला मेरा लंड भी तना हुआ था।
सुबह की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा होती है, तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
मैं भी हीरल को छूना और प्यार करना चाहता था।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत की और उसकी छाती पर हाथ रखा।
थोड़ी देर हाथ रखे रहा और उसने कोई विरोध नहीं किया।
फिर मेरी हिम्मत और बढ़ी।
मैं अपना हाथ नीचे उसकी चूत के ऊपर ले गया।
फिर भी उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।
मेरी हिम्मत और बढ़ती चली गई।
मेरे लंड में तनाव के कारण अब प्रीकम भी निकलने लगा था। मेरे हाथ कांप रहे थे फिर भी उत्तेजनावश मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाला और चूचियों तक लाया।
मैं हैरान रह गया; उसकी चूचियां बहुत टाइट हो चुकी थीं। मैं तो हवस में और पागल हो गया और उसकी चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा।
वो अब भी आराम से लेटी हुई थी।
मैं करीब पांच मिनट तक उसकी चूचियों को दबाता रहा।
फिर अचानक से वो करवट बदलने लगी तो मैंने घबरा कर हाथ बाहर निकाल लिया और आराम से लेट गया।
लेकिन अब तक सेक्स की आग धधक चुकी थी।
खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल था।
अब मैं फिर से हाथ उसके बदन पर ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर तक मैं उसकी चूत के ऊपर हाथ फेरता रहा और उसने धीरे धीरे कसमसाना शुरु कर दिया।
अब मैं जान गया कि वो भी जाग रही है और मजा ले रही है।
इसलिए अब मेरी हिम्मत जाग गई और मैंने डरना बंद कर दिया।
मैंने आगे बढ़ते हुए उसके पजामे में हाथ दिया और उसकी चूत पर रख दिया।
मगर उसने मेरे हाथ पर हाथ रखा और उसको वहीं दबोच दिया।
मेरी तो गांड फट गई; मैं सोच रहा था कि पता नहीं क्या करेगी अब!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
लेकिन उसको भी मजा आ रहा था।
उसने कुछ नहीं किया और मैंने हाथ को छुड़वा कर फिर से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैंने धीरे से अब चूत में उंगली दे दी।
वो थोड़ी उचक गई।
उसकी चूत काफी टाइट थी।
मेरी उंगली को साफ पता चल रहा था कि अंदर का रास्ता टाइट है।
अब वो गर्म हो चुकी थी और अब मेरा हाथ खुद से पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर से सहलाने लगी।
कुछ ही समय में उसका पानी ही निकल गया।
वो तो खाली हो गई थी लेकिन मेरे लंड में तो तूफान उठा था।
मैंने उसको पलटने का इशारा किया।
वो पलट गई।
फिर मैंने एक साथ उसके पजामे और पैंटी को खींच दिया और पीछे से उसकी मोटी गांड के बीच रगड़ते हुए लंड को चूत पर सटा दिया।
मैंने उसको चूचियों से भींचते हुए अपने आगोश में लिया और झटका सा देकर लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसका पिछवाड़ा देखा तो मेरी हालत और ज्यादा खराब हो गई।
इतनी मोटी गांड थी दोस्तो, क्या बताऊं … ऐसा लग रहा था जैसे दो तरबूज रखे हों!
उसका पानी तो पहले ही निकल चुका था जिस वजह से चूत पूरी चिकनी हो रही थी और वह पानी मेरे लंड पर भी लग चुका था जिस वजह से मुझे लंड को चूत में प्रवेश करने में ज्यादा कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुंह में थोड़ा सा घुसाए रखा, उसको गर्दन पर किस करता रहा और एक हाथ से उसके बूब्स दबाता रहा।
चूत टाइट थी और मैं ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहता था।
फिर मैंने उसकी चूत के दाने को मसलना शुरू किया।
धीरे धीरे उसको भी मजा आने लगा और वह अपनी गांड हिलाने लगी।
जिससे मुझे पता लग गया कि हां, अब बंदी लंड की सवारी करने के लिए तैयार हैं।
फिर मैंने भी उसको चोदना शुरू कर दिया।
हल्के हल्के धक्के देते हुए मैंने अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया।
वो कसमसा रही थी और मैं जैसे स्वर्ग में पहुंच चुका था।
इतनी टाइट चूत थी कि लंड रगड़ खाता हुआ अंदर फंसा जा रहा था।
धीरे-धीरे अब चुदाई स्पीड पकड़ने लगी थी लेकिन इतने में एक गांड फाड़ घटना हो गई।
दीदी जाग गई थी।
जैसे ही उसने हलचल की तो हीरल ने अपना पजामा ऊपर खींचा और मैं लंड खींचकर एकदम से पलट गया।
दीदी शायद गहरी नींद में थी, उसने कुछ नहीं देखा और पलटकर सो गई।
दो मिनट तक इंतजार करने के बाद मैंने फिर से हीरल के पजामे को खींच दिया।
उसने भी पैंटी नीचे कर ली।
मैंने फिर से उसकी चूत में लंड लगाया और अंदर सरका दिया।
एक बार फिर से मैं उसकी चूत को पेलने लगा।
मैंने चूचियों को थामा हुआ था और वो हल्के हल्के कसमसाते हुए चुद रही थी।
दोस्तो, क्या बताऊं चूत चीज ही ऐसी है … उस वक्त लग रहा था जैसे दुनिया की कोई आफत भी आ जाए लेकिन मैं चूत चोदना बंद नहीं करूंगा।
इतना मजा आ रहा था कि मैं स्वर्ग में था।
बीच-बीच में मैंने हीरल की गर्दन पर चूमते हुए उसकी चूचियों को जोर जोर से भींच रहा था।
इस बीच वो भी अपनी चूत के दाने को सहला रही थी।
उसको दर्द तो रहा था लेकिन वो मजा भी ले रही थी।
फिर वो एकदम से मेरी तरफ घूम गई और हम दोनों के होंठ मिल गए।
ये पहली बार था जब हम इस चुदाई में किस कर रहे थे।
वो मेरे ऊपर से लेटते हुए मेरी दूसरी तरफ आ गई और मुझे बांहों में भरे हुए मेरे होंठों को चूसती रही।
मैं भी उसकी चूत को चोदने के ख्याल छोड़कर किस करने में उसका साथ देने लगा।
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर उसने खुद ही मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब मेरे मन में उसको लंड चुसवाने का ख्याल भी आने लगा।
मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा- यार … चुसवाने का मन कर रहा है।
एक बार कहने पर ही वो नीचे की तरफ सरक गई और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
हमारे लिए वहां पर बहुत रिस्क था लेकिन फिर भी हम दोनों इतना जोखिम ले रहे थे।
मैंने भी घूमकर दूसरी तरफ हो लिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर लेट गया।
उसकी चूत तो पहले से ही काफी चिकनी और रसीली हो चुकी थी।
अब वो मेरे लंड पर चुप्पे मार रही थी और मैं उसकी चूत में जीभ से चाट रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
दो-तीन मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम फिर से सीधे हो गए और हीरल ने हाथ से पकड़ कर लंड को अपनी चूत पर रखवाया और मुझसे लिपट गई।
मैंने भी लिपटते हुए एक धक्के के साथ लंड को चूत में सरका दिया और एक बार फिर से उसको चोदने लगा।
अब हम साथ में स्मूच भी कर रहे थे।
कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसको नीचे ले लिया और खुद उसके ऊपर आकर चोदने लगा।
चुदते हुए उसकी चूत फूल चुकी थी और अब चोदने में और ज्यादा मजा आ रहा था।
मैंने उसके कुर्ते को ऊपर उठा दिया और साथ में उसकी ब्रा को भी ऊपर सरका दिया।
मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा और उनको चूसते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा।
वो भी उससे और ज्यादा उत्तेजित हो गई और मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगी।
हम दोनों बार-बार दूसरे लोगों की तरफ भी देख रहे थे कि कहीं कोई उठ न जाए और हम दोनों रंगे हाथों पकड़े जाएं।
एक तरफ चुदाई में जहां स्वर्ग सा मजा आ रहा था, वहीं दूसरी ओर पकड़ जाने पर गांड पिटाई का भी डर था।
मेरा लंड भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
फिर हीरल की हालत खराब होने लगी थी; उसकी चूत दुखने लगी थी और वो अब ऊपर से उतरने के लिए कहने लगी।
मगर मेरे लिए अभी चुदाई को रोकना संभव नहीं था।
मैं अपनी मंजिल के करीब आने वाला था और ऐसे चरमसुख को पाने का मौका मैं नहीं छोड़ सकता था।
मैंने धीरे से उसके कान में कहा- बस जान … 2 मिनट और!
वो फिर मेरे कान में फुसफुसाकर बोली- अंदर नहीं … अंदर नहीं।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैं दोबारा से उसको पेलने लगा; उसकी चूचियों को काटते हुए धक्के जोर जोर से लगाने लगा।
धीरे-धीरे अब मैं चरम की ओर पहुंच रहा था।
मेरा वीर्य बस ज्वालामुखी की तरह फूटने ही वाला था।
मैं हीरल के होंठों को चूसने लगा।
जब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया तो नीचे से लंड को मिल रहे चूत के इस आनंद में मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने चोदते हुए उसकी चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मेरे धक्के थम गए और मैं रुक गया।
हीरल भी दो पल के लिए शांत हो गई।
मगर एकदम से उसे पता चला कि मेरा हो गया है तो वो उसने मुझे अपने ऊपर से धकेल दिया और गुस्से में मेरी ओर देखा।
फिर उसने जल्दी से पजामा ऊपर किया और उठकर तेजी से नीचे चली गई।
मुझे भी शर्मिंदगी हुई कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
मैं लेटा रहा।
वो वापस आई तो बात नहीं कर रही थी।
मैंने उसे किसी तरह समझाया कि मैं गर्भ से बचने वाली दवाई ला दूंगा।
फिर वो नॉर्मल हुई।
लेकिन इस सब के बीच दीदी को हमारी इस चुदाई का पता लग गया और उसने बाद में हमें ये बात बताई।
आपको हैरानी होगी कि दीदी भी बाद में मुझसे चुद गई।
मैंने फिर अपनी दीदी की चुदाई कैसे की, वो मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा।
उसके बाद मैंने दिन में हीरल को गोली लाकर दी।
उसकी चूत में दर्द हो रहा था और मैंने दर्द की गोली भी उसको दी।
फिर वो कई दिन हमारे घर रुकी, इस दौरान मैंने कई बार मौका पाकर उसको चोदा।
कजिन सिस्टर की चूत खुल गई थी ठीक से … और हम चुदाई का भरपूर का मजा लेने लगे थे।
इस बीच दीदी की चुदाई भी हुई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मौसेरी बहन की कुँवारी चूत

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
(23-05-2022, 04:19 PM)neerathemall Wrote:
मौसेरी बहन की कुँवारी चूत


उन्ही दिनों मेरी मौसी की छोटी बेटी जिनका नाम गौरी है, हमारे यहाँ रहने आयी। दरअसल गौरी दीदी ने उसी साल बारहवीं पास की थी और आगे की पढ़ाई के लिए हमारे यहाँ आ गयी थी। वो मुझसे बड़ी थी।
गौरी दीदी का फिगर… दोस्तो, मैं क्या कहूँ, एकदम गुलाबी दूधिया रंग और फिगर 32″ 26″ 34″ उनकी हाइट लगभग 5’4″ है। जब वो हमारे यहाँ आयी तो उनके रहने का इंतज़ाम मेरे ही कमरे में किया गया, मैंने इसका विरोध किया क्योंकि मेरी आदत थी कि जब भी मन किया मैं लंड निकाल के हिलाने लगता।
पर मेरी मम्मी ने एक नहीं सुनी, आखिर गौरी दीदी का सिंगल बेड मेरे ही कमरे में लग गया।
जब गौरी दीदी आयी तो उन्होंने ब्लू जीन्स और वाइट शर्ट पहनी थी। उनका मस्त बदन देख मेरे अंदर का शैतान जाग गया और मैंने आँखों से ही उनको चोदना शुरू कर दिया। मुझे सबसे प्यारी चीज़ उनके लिप्स और चूतड़ लगे; उठी हुई भरी भरी 34″ की गांड।
खैर चूँकि वो शाम को आयी थी तो जल्दी ही सब लोग खाना खा कर टीवी देखने लगे। मेरी और गौरी दी की मुलाकात कई साल बाद हुई थी, बचपन में मेरी और उनकी बहुत बनती थी; उम्र में ज्यादा फर्क न होने से हम दोनों साथ साथ खेलते थे।
तो मैं और गौरी दी छत पर जा कर बचपन की बातें करने लगे।
थोड़ी देर में उन्हें नींद आने लगी और वो बोली- चलो आर्य, सोते हैं।
मैंने कहा- ठीक है.
और हम दोनों कमरे में आ गए।
दीदी बोली- मैं चेंज कर लेती हूं.
और वो कपड़े ले कर बाथरूम में चली गईं।
जब वो चेन्ज करके आयी तो मैं उन्हें देखता रह गया, उन्होंने स्कर्ट टॉप पहन रखा था। स्कर्ट जांघों तक थी तो उनके गुलाबी पैर चमक रहे थे, पैरों पर एक भी बाल नहीं एकदम चिकने भरे हुए गुलाबी सुडौल पैर।
मेरी नज़र उनके चूचों पर अटक गयी; शायद उन्होंने ब्रा उतार दी थी तो उनके चलने से वो जेली की तरह हिल रहे थे, उनकी शेप देख मेरा लंड सलामी देने लगा।
दीदी ने मुझे उन्हें घूरते पाया तो बोली- क्या देख रहे हो इतनी गौर से?
मैं पहले तो हड़बड़ा गया पर जल्दी ही सँभलते हुए बोला- आप तो गज़ब की सुन्दर हो गयी हो, मोहल्ले में क़त्ल-ए-आम हो जाएगा।
वो हँसने लगी और बोली- अच्छा जी, तो आप शायर भी हो गए हैं।
वो अपने बेड पर लेट गयी और इधर उधर की बातें करते हुए उन्होंने अचानक पूछा- तुमने कोई गर्लफ्रेंड बनायी या नहीं?
मैंने झेंपते हुए कहा- मैं तो अभी छोटा हूँ, गर्लफ्रेंड तो बड़े लड़के बनाते हैं।
उन्होंने हंसते हुए कहा- जब बॉडी पर बाल उग जाये तो कोई बच्चा नहीं होता।
मैंने चौंक कर उनकी तरफ देखा तो उन्होंने जल्दी से कहा- अरे, तुम्हारी भी तो दाढ़ी मूछ आ गयी हैं।
खैर जल्दी ही हम दोनों सो गए।
रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं उठ कर बाथरूम की साइड जाने लगा। तभी मेरी नज़र दीदी की तरफ गयी, मेरी आँखें फटी रह गयी, नज़ारा ही ऐसा था दोस्तो!
दीदी की चादर एक तरफ हो गयी थी, उनकी स्कर्ट ऊपर को चढ़ कर चूतड़ों से ऊपर खिसक गयी थी, सफ़ेद रंग की लेसेज़ वाली फैंसी पैंटी में से दो बड़े बड़े गुलाबी ख़रबूज़ झांक रहे थे। केले के तने जैसी गुलाबी जाँघें… वाह मेरी तो नींद ही उड़ गयी। मैं बाथरूम से जल्दी जल्दी लौट आया।
दीदी ने मेरी तरफ पीठ की हुई थी, मैं पहले तो अपने बेड से उनके शानदार चूतड़ देखता रहा, फिर मैं उठा और दीदी के बेड के पास फर्श पर बैठ गया। अब दीदी के चूतड़ एकदम मेरे चेहरे के पास थे।
मैंने हल्के से अपने हाथ दीदी की गांड पर रखे… ओह… क्या अहसास था… आज तक नंगा बदन सिर्फ पोर्न फिल्म में देखा था और आज असलियत में छू कर पता लगा कि क्या अहसास होता है। मेरे बदन की नसें तन गयी गर्म हो गयी.
उधर मेरा लंड आजतक के अपने सबसे सख्त अंदाज़ में तन गया; लंड इस कदर टाइट हो गया कि मुझे दर्द होने लगा।
अब मेरे मन में थोड़ा और पाने की लालसा हुई, मैंने पहले उठ कर दीदी के चेहरे को देखा तो पाया वो थकन से गहरी नींद में सो रही थी। मैं फिर उनकी गांड की तरफ आया और उनके एक चूतड़ पर से उनकी पैंटी की लेस पकड़ कर एक तरफ खिसकने लगा।
तभी दीदी ने करवट ली; मेरी तो गांड ही फट गयी और मैं तुरंत अपने बेड पर आकर बैठ गया। करवट बदलने से दीदी पीठ के बल सो रही थी और अब उनकी पैंटी में छुपी हुई पाव जैसी फूली हुई चूत मुझे ललचा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
थोड़ी देर तक स्थिति का जायज़ा लेने के बाद जब मैं आश्वस्त हुआ कि वो अब भी गहरी नींद में हैं तो मैं फिर उनके बेड के पास पहुँच गया। अब मैंने उनके पेट की तरफ से उनकी पैंटी को धीरे धीरे नीचे खिसकाया। जैसे जैसे पैंटी खिसक रही थी, मेरा दिल मेरे दिमाग में धाड़ धाड़ कर के ठोकर मार रहा था।
जब पैंटी जांघों पर खिसक गयी तो मेरे सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ थी। दीदी की चूत भी उनके बाकी बदन की तरह गुलाबी गोरे रंग की थी। उनकी चूत ने कस कर अपने होंठ भींच रखे थे जैसे कभी उस लकीर को अलग होने का मौका ही नहीं मिला था। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था एक चिकनी फूली हुई गुलाबी चूत जैसा पोर्न में भी कभी नहीं देखा था।
अचानक मुझे लगा कि दीदी हिल रही है। मैंने जल्दी से पैंटी ठीक की और अपने बेड पर लेट गया।
बस तभी दीदी जाग गयी और उठ बैठी; उठते ही उन्हें अपनी हालत का अंदाज़ा हुआ और उन्होंने स्कर्ट ठीक करते हुए मेरी तरफ देखा। मैंने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया था।
उन्होंने आवाज़ दी- आर्य!
तो मैंने उनकी तरफ देखा।
उन्होंने पूछा- सोये नहीं अब तक तुम?
मैंने कहा- मैं तो सो गया था दीदी, पर अचानक आँख खुल गयी और बेचैनी सी हो रही है।
उन्होंने कहा- अच्छा रुको मै आती हूँ.
और वो बाथरूम चली गयी।
जब वो लौट कर आई तो पूछा- क्या हुआ? क्यों बेचैनी हो रही है?
मैंने कहा- पता नहीं।
वो उठ कर मेरे बेड पर आ गईं और मेरा सिर सहलाते हुए बोली- होता है यार, जब बोर्ड क्लास में आता है बंदा, तो टेंशन हो ही जाती है।
मैंने कहा- अरे नहीं दीदी, मुझे पढ़ाई को लेकर बेचैनी नहीं हो रही है।
वो बोली- फिर क्यों परेशान हो?
मैंने कहा- छोड़िये, आपको नहीं बता सकता।
वो बोली- अरे ऐसा क्या है जो मुझे नहीं बता सकते?
मैंने कहा- दीदी, मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं एक कहानी पढ़ने लगा, बस वही कहानी पढ़ कर मैं बेचैन हो गया हूं।
उन्होंने कहा- देखूँ ज़रा कौन सी कहानी है?
मैंने कहा- अरे, वो आपके पढ़ने लायक नहीं है, वैसी वाली कहानी है।
“कैसी वाली कहानी… क्या बोल रहे हो? मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।”
मैंने कहा- छोड़ो, आप सो जाओ।
वो ज़िद करने लगी… कहने लगी- दिखाओ कौन सी कहानी है?
मैंने कहा- ठीक है, पर आप गुस्सा मत होना और किसी को बताना मत कि मैं ऐसी कहानियाँ पढ़ता हूँ. मैं आपको वाट्सएप्प पर कहानी भेजता हूँ.
वो बोली- ठीक है, भेजो।
मैंने जल्दी से अपने फोन पर अन्तर्वासना का पेज खोला और एक भाई बहन की कहानी कॉपी कर के दीदी को भेज दी।
दीदी ने कहानी पढ़नी शुरू की, जैसे जैसे वो कहानी पढ़ती जाये वैसे वैसे उनका चेहरा लाल होता जाये।
जब उन्होंने कहानी पढ़ ली तो आँख बंद करके लेट गयी। मेरी हालात खराब हुई कि कहीं ये किसी को बता न दे।
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
वो कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर पूछा।
वो बोली- ये तो है ही ऐसी कहानी कि बेचैन कर दे… बेवक़ूफ़ तुम ऐसी गन्दी कहानियाँ क्यों पढ़ते हो?
मैंने कहा- दीदी क्या करूँ, आदत लग गयी है, बिना पढ़े रहा नहीं जाता।
दीदी ने कहा- अपने दिमाग को शांत करो और सो जाओ.
इतना कह कर वो मेरी तरफ पीठ करके सोने की एक्टिंग करने लगी।
मै समझ गया कि वो भी गर्म हो गयी हैं, मैंने कहा- दीदी, आपसे कुछ कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
वो बोली- आर्य सो जाओ, बहुत रात हो गयी है।
मैंने कहा- दीदी प्लीज सुन तो लो।
वो वैसे ही लेटे लेटे बोली- अच्छा बोलो, क्या बात है?
मैंने कहा- दीदी, मुझे आपको छू कर देखना है एक बार…
वो एकदम से मेरी ओर पलट कर बोली- क्या मतलब?
मैंने कहा- दीदी, एक आप ही हो जिससे मैं इतनी बातें कर लेता हूं, अपने दिल की बात बता लेता हूं… इसी लिए आपसे रिक्वेस्ट कर रहा हूँ… ज्यादा नहीं, बस एक बार ऊपर वाले दिखा दो।
वो कुछ नहीं बोली और फिर दूसरी तरफ मुंह कर के लेट गयी।
मैं लगातार मिन्नत करता रहा कि दिखा दो… दिखा दो।
आखिर वो मेरी तरफ पलटी और बोली- नहीं यार, यह गलत है, हम भाई बहन हैं।
मैंने कहा- दीदी, इसीलिए तो मैं चाहता हूँ कि यह बात किसी को पता न चले। हम दोनों आपस में रखेंगे ये बात और मेरा बोर्ड भी बर्बाद होने से बच जाएगा वर्ना मैं फ़ेल हो जाऊंगा. प्लीज यार दीदी, बचा लो मुझे।
वो सोचने लगी, फिर बोली- सिर्फ ऊपर वाला देख लो, वो भी सिर्फ आज… दोबारा मत कहना।
मैंने झट से कहा- पक्का।
उन्होंने कहा- लाइट बंद कर दो और इधर आ जाओ।
मैंने कहा- फिर देखूंगा कैसे?
वो हँसी और बोली- अच्छा बाबा, आ जाओ, मैं ही आँख बंद कर लेती हूँ।
मैंने मुस्कुराते हुए थैंक्यू कहा और उठ कर दीदी के बगल में बैठ गया। दीदी ने अपना एक हाथ सर पर रख कर आँख बंद कर ली। मैंने धीरे धीरे उनके टॉप के बटन खोलने शुरू किये पेट से चूचियों की तरफ।
जब मैं धीरे धीरे ऊपर के बटन खोल रहा था तो दीदी की चूचियों का निचली गोलाई नज़र आने लगी मेरा लंड ज़बरदस्त सलामी देते हुए मेरे शॉर्ट्स में तंबू बना चुका था।
अब मैंने दीदी के टॉप का आखिरी बटन खोल कर उनका टॉप सर की साइड से निकलना चाहा तो उनका हाथ अड़ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
मैंने कहा- दीदी, हाथ सीधा करो।
उन्होंने हाथ सीधा किया तो मैंने टॉप तुरंत उनके बदन से अलग कर दिया।
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही उन्होंने हाथ नीचे किया तो उनका एक हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा और उन्होंने चौंक कर उधर देखा। वो बोली- ये शॉर्ट्स में क्या छुपा रखा है तुमने?
मैंने कुछ नहीं कहा तो वो टटोल कर देखने लगी लगी और उनका मुँह खुल गया, आश्चर्य से मेरी तरफ देखती हुई वो बोली- आर्य तुम्हारा सुसु इतना बड़ा और मोटा कैसे हो गया? डॉक्टर को दिखाया या नहीं?
मैं हँसने लगा, मैंने कहा- दीदी, लड़कों का लंड ऐसे उम्र के साथ बड़ा और मोटा हो जाता है।
तो उन्होंने कहा- पर ये इतना हार्ड क्यों हो गया है? तुम्हें दिक्कत नहीं हो रही?
अभी भी उनका हाथ मेरे लंड को दबा दबा कर पकड़ कर नापने टटोलने में लगा हुआ था।
मैंने कहा- दीदी, जब लड़का उत्तेजित हो जाता है तो उसका लण्ड ऐसे ही सख्त हो जाता है वर्ना मुलायम लण्ड चूत में कैसे जाएगा।
दीदी ने बड़ी मासूमियत से पूछा- ये लण्ड और चूत क्या है?
मैंने कहा- जिसे आपने हाथ में पकड़ा है, इसे लंड कहते हैं.
और फिर मैंने दीदी की स्कर्ट में हाथ डाल कर उनकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही दो उंगलियों के बीच में दबाते हुए कहा- इसे चूत कहते हैं।
दीदी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो मदहोश सी आवाज़ में बोली- क्या पूरे को चूत कहते हैं?
मैंने अपनी एक उंगली पैंटी के ऊपर से ही उनके छेद पर थोड़ा अंदर दबाते हुए कहा- नहीं, ये है असली चूत।
दीदी का चेहरा लाल हो गया था, मैं समझ गया कि वो गर्म हो गयी हैं।
फिर मैंने अपने हाथों को तेज़ चलते हुए उनकी दोनों चूचियाँ बारी बारी दबानी शुरू कर दी, बीच बीच में उनके चूचुकों को उंगलियों से मसल देता। दीदी लगातार ‘स्स्स स्स्स… बस करो… हो गया न स्स्स अब देख लिया न…’ बड़बड़ा रही थी और मेरे लंड और बॉल्स को मसल रही थी।
फिर एकदम से वो उठ बैठी और मुझे अलग करते हुए कहा- तुमने ऊपर का देखने को बोला था, अब हो गया सो जाओ।
मैंने कहा- दीदी, अभी तो कुछ हुआ ही नहीं, तुमने बातों में उलझा दिया।
उन्होंने कहा- अब और क्या करना है? हो तो गया।
मैंने कहा- अरे अभी तो तुम्हारी चूचियों को चूसना है, तुम्हारी चूत को किस करना है।
वो आश्चर्य से बोली- छी… वो भी कोई किस करने की जगह है, वहाँ तो बाल ही बाल होते हैं और गन्दी होती है।
मैंने कहा- पर आपके कोई बाल नहीं हैं और एकदम गोरी सी पिंक पिंक है।
उन्होंने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा- तुमने कब देख लिया कि मेरे वहाँ बाल नहीं हैं? कहीं तुमने मुझे कपड़े बदलते हुए तो नहीं…
“नहीं नहीं… मतलब सोते हुए…”
“ओह, तुम बहुत बदतमीज और बेशर्म हो आर्य?”
मैंने कहा- नहीं दीदी, मैंने तो बस अंदाज़ा लगाया।
पर वो ज़िद पर अड़ गयी फिर मैंने उन्हें सब बता दिया।
उन्होंने कहा- बस अब बहुत हो गया, मुझे कपड़े पहनने दो, मुझे शर्म आ रही है।
मैंने फिर मिन्नत की तो वो मुझे चूचियाँ चूसाने को तैयार हो गयी और फिर से लेट गयी।
मैंने लपक कर उनके एक चुचे को मुँह में भर लिया और चूसने लगा, बीच बीच में मैं चूचुकों को दांतों से दबा देता तो दीदी सिसक उठती।
बारी बारी दोनों चूचियों को चूसने के बाद मैंने चूचियों की निचली गोलाइयों को जीभ से चाटना शुरू किया. दीदी ने मेरे बालों को पकड़ कर अपने चूचों पर दबाना शुरू कर दिया। अब मैंने नीचे खिसकते हुए दीदी को पेट पर चाटना किस करना शुरू किया, दीदी बार बार ‘स्स्स धीरे करो न आर्य… प्लीज स्स्स हल्के से…’ प्लीज बोल रही थी।
मैंने दीदी की गोल नाभि में अपनी जीभ डाल कर घुमाना शुरू कर दिया. दीदी एकदम से चिहुँक पड़ी और ‘आआह्ह स्स्स मम्मम’ जैसी आवाजें कर रही थी।
अब मैंने दीदी की पैंटी की इलास्टिक दोनों साइड से पकड़ कर नीचे खिंचनी चाही पर वो उनके भारी चूतड़ों में अटक गयी। मैंने आशा भरी नज़रों से दीदी को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए पहले ना में सिर हिलाया पर फिर अपनी गांड हल्की सी उठा दी।
मैंने उनकी पैंटी को खींच के अलग कर दिया।
उन्होंने शर्मा कर अपनी मुनिया को एक हाथ से ढक लिया; मैंने उनके हाथ पर किस किया फिर उनकी केले की तने जैसी जांघों को चूसना किस करना शुरू कर दिया। अब दीदी का हाथ खुद चूत पर हट कर मेरे सर को सहला रहा था। उन्होंने धीरे धीरे मेरी पीठ पर हाथ फेरा और मेरी जांघ दबाने लगी।
मैंने उठकर अपने शॉर्ट्स उतार दिए अब मेरा 7″ का लण्ड मुँह उठाये हवा में तना हुआ था। दीदी बड़े गौर से मेरे लंड को अपलक निहार रही थी।
मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
वो बोली- पैंट में ये डरावना लग रहा था पर अब सुन्दर लग रहा है।
मैंने लंड उनके हाथ में दे कर ऊपर नीचे करने को कहा और खुद उनकी चूत से मुँह चिपका दिया।
क्या बताऊँ दोस्तो, ऐसी मखमली चूत की आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मैंने दीदी की चूत की लकीर में ऊपर नीचे जीभ फिराई फिर एक बार में चूत को मुँह में भर लिया। दीदी मचल उठी और जोर जोर से मेरा लंड हिलाने लगी… साथ में बड़बड़ा रही थी- आआह मम्मम्म आर्य चूसो चूसो… आआह स्स्स ओह्ह… मम्मम्म आर्य प्लीज आआह…
अब मैंने दो उंगलियों से चूत खोली और जीभ अंदर डालने लगा, दीदी की तड़प बढ़ चुकी थी। मैंने दीदी की चूत को बदस्तूर जीभ से चोदना चालू रखा।
दोस्तो, मुझे उस समय क्लाइटोरिस यानि चूत के दाने का ज्ञान नहीं था तो मैं पूरी चूत को ऊपर से नीचे तक खूब चाटा। दीदी की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया था, गुलाबी चूत से नमकीन पानी निकल कर मेरे मुँह में गजब का स्वाद बना रहा था। मेरा एक हाथ दीदी की चूचियों, पेट और चूतड़ों को दबा रहा था।
उधर दीदी ने मेरे लंड का रस निचोड़ने की पूरी कोशिश शुरू कर दी थी।
मैं मौका देख कर दीदी के ऊपर आ कर लेट गया, अब मेरा लंड दीदी की चूत के ऊपर चिपक गया, मैंने वैसे ही ऊपर से दीदी की चूत पर लण्ड रगड़ना शुरू किया और अपने होंठ दीदी के पतले पतले होठों से चिपका दिए.
ऐसा करते ही दीदी की आँखें, जो अब तक बंद थी, खुल गयी और उन्होंने पहले मुझे हटाना चाहा पर जैसे ही मैंने जम कर किस किया, उन्होंने फिर आँखें बंद की और मम्मम्म ह्म्म्म की आवाज़ करने लगी।
मैंने थोड़ी देर दीदी को किस किया फिर उनकी गर्दन कान माथे को किस किया। जब मुझे लगा कि वो अब तैयार हैं और बार बार गांड उठा रही हैं तो मैंने एक हाथ से लण्ड को चूत के छेद पर सेट किया और धक्का दिया.
दीदी उतने में ही बिलबिला उठी और मुझे हटाने लगी, मेरे लण्ड का सुपारा उनकी चूत में फंस गया था।
मैं तो अभी से जन्नत में था। जब दीदी का विरोध कम हुआ तो मैंने उनके होठों को अपने होठों में कैद कर लिया और एक जोरदार झटका मारा। दीदी की चीख मेरे मुंह में घुट कर रह गयी, उनकी आँखों से आंसू बहने लगे पर मेरा लण्ड पूरा चूत में समा गया था।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये, थोड़ी सी कोशिश के बाद लण्ड चूत में आराम से फिसलने लगा।
अब दीदी भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी स्पीड तेज़ की और अब कमरे में हल्की हल्की ठप ठप पक पक की आवाज़ आ रही थी और उसमें घुली हुई थी हमारे सिसकारियाँ और तेज़ साँसों की आवाज़।
दीदी अब मुझसे ऐसे चिपकी हुई थी जैसे चन्दन से साँप लिपटा हो, दोनों के शरीर पसीने से चिप चिप हो गए थे। मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने वाला हूँ और दीदी झड़ चुकी हैं। मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा तो थोड़ा डर गया क्योंकि उस पर खून लगा हुआ था.
फिर मुझे याद आया कि दीदी वर्जिन हैं।
मैंने बिना समय बिताये अपना लण्ड दीदी की चूचियों के बीच दबाया और तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा। दीदी ने देखने के लिए सर उठाया तो मेरा लण्ड उनके होठों से टकराया, उन्हें शायद अच्छा लगा और वो बीच बीच में लण्ड को किस करने लगी।
तभी मेरा लावा फूट पड़ा। उतना माल मेरा कभी भी नहीं निकला था, मैंने सारा माल दीदी की चूचियों पर निकाल दिया।
जब दीदी ने देखा तो गुस्सा करने लगी, पर मैंने कहा- दीदी, ये शुद्ध प्रोटीन है, चाट लो।
वो बोली- तुम्ही चाट लो!
मैंने कहा- मैंने अपने हिस्से का प्रोटीन तो कब का पी लिया।
तो वो शर्मा गयी और उन्होंने एक उंगली से थोड़ा सा वीर्य चाट लिया और बोली- इतना प्रोटीन काफी है, फिगर ख़राब हो जाएगा वरना!
मैं दीदी के बगल में ही लेट गया, अब दीदी मेरे मुरझाये लण्ड को सहला रही थी और मैं दीदी की चूचियों को सहला रहा था।
दीदी बोली- इसकी तो सब अकड़ निकाल दी मैंने!
तो मैंने कहा- तुमने नहीं, तुम्हारी चूत ने! पर इसने भी तो तुम्हारी चूत खोद कर पानी निकल दिया।
हम दोनों हँसने लगे।
मैंने पूछा- दीदी, तुम्हारी चूत पर बाल क्यों नहीं हैं?
दीदी बोली- बुद्धू, मैं हेयर रिमूवर से हटा देती हूं ताकि हाइजीन बनी रहे। इसीलिए तो तुम भी आज इतने मजे से उसे चाट रहे थे।
यूँ बातें करते करते हम दोनों नंगे एक साथ सो गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
मौसेरे भाई बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
जब हम शाम को कार से घूमने निकले, तब ऐसा कुछ हो गया जिससे में और वो एक दूसरे की तरफ आकर्षित हो गये. हुआ यह कि पीछे की सीट पर लेफ्ट विंडो पर मेरे पापा फिर मैं और मम्मी और राइट विंडो पर काजल बैठी थी कार मेरे चाचा ड्राइव कर रहे थे और उनके बगल में दूसरा चाचा और मेरा भाई बैठा था.
तो मैं इस तरह से बैठा था कि मेरा राइट हैण्ड सीट के ऊपर से जाकर काजल के सिर के पीछे रखा हुआ था, मेरी उंगलियां उसके कान के पीछे टच हो रही थी और यह जगह लड़कियों को गर्म करने के लिये बहुत ही अच्छी है लेकिन शुरू में मैंने ध्यान नहीं दिया. फिर जब मुझे एहसास हुआ कि मेरा हाथ उसके कान के पीछे टच हो रहा है तो मैंने सोचा कि ये तो बहुत देर से ऐसे ही रखा हुआ है तो इसने (काजल) कुछ किया क्यों नहीं… जैसे सिर आगे की तरफ करना या साइड में होना आदि!
अब मेरा ध्यान केवल काजल पर था कि वो क्या कर रही है. मैंने देखा कि वो जानबूझ कर मेरे हाथ से अपना सिर नहीं हटा रही थी. तब मैंने सोचा कि क्यों ना इसको गर्म किया जाये तो मैंने बहुत हिम्मत करके हल्के से अपनी उंगलियों से उसके कान के जस्ट पीछे सहलाया, इससे वो और रिलेक्स हो कर पीछे सीट पर सहारा लगा कर मेरी उंगलियों पर अपने सिर का बल दे कर बैठ गयी.
इससे मुझे यकीन हो गया कि ये मजा ले रही है जिससे मेरी भी हिम्मत बढ़ गयी और मैं उसे सहला कर गर्म करने लगा. अब मैं उसके कान के पीछे के पूरे हिस्से पर गर्दन पर और गाल पर सहलाने लगा अब क्योंकि ये सब पीछे की साइड हो रहा था और बहुत धीरे हो रहा था तो किसी को कुछ पता भी नहीं था. मैं उसे कभी गर्दन पर सहलाता, कभी कान के नीचे सहलाता, इस तरह से हम दोनों ही बहुत ज़्यादा ही गर्म हो चुके थे.
यह मैं 1 घंटे से भी ज्यादा समय तक करता रहा और फिर हम डिनर करके रात में 11.30 बजे पर घर वापस आ गये.
अब हम सोने की तैयारी करने लगे. मैं मेरी मम्मी और काजल एक ही कमरे में सोते थे, हम डबल बेड पर सोते थे और मेरे और काजल के बीच में मम्मी सोती थी लेकिन अभी तक मेरी और काजल की कोई बात नहीं हुई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
म केवल एक दूसरे को देख ही रहे थे और मुस्कुरा रहे थे इससे मैं समझ गया कि यार आज तो कुछ हो सकता है.
हम सब लेट गये और मैं सब के सोने का इंतज़ार करने लगा. रात में करीब 2 बजे मैंने मम्मी को हिला के चेक किया कि मम्मी सोई या नहीं… मम्मी उस समय गहरी नींद में थी. तब मैं धीरे से उठा और काजल के पास गया तो देखा कि वो सीधी लेट कर सो रही है तो मैंने फिर से उसके कान के पीछे सहलाना शुरू करना ही बेहतर समझा, मैंने उसके कान के पीछे से उसके बाल हटा कर धीरे से सहलाना शुरू किया तो उसने कोई हलचल नहीं की, मुझे लगा कि वो सो रही है.
पहले तो मैंने हाथ से सहलाया और फिर मैंने जीभ से टच किया मेरे टच करते ही उसे एक करंट लगा और वो हल्की सी हिली मैं समझ गया कि वो जाग रही है.
फिर मैं अपनी जीभ और होंठों से कभी उसके कान के पीछे तो कभी गर्दन पर और गालों पर जीभ से सहलाता जिससे उसकी धड़कन और सांसें बढ़ती जा रही थी जो मुझे महसूस हो रही थी. फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये जिससे वो हिल गयी, उसकी आँखें खुल गयी और मेरी आँखों से मिल गयी.
उसे किस करना आता नहीं था तो मैं जैसे जैसे करता, वो भी वैसा ही करती. मैं अपनी जीभ उसके मुँह के अंदर डालता और उसकी जुबान को टच करता और उसके होंठों को अपने दांतों से काटता.
मैं धीरे धीरे अपना हाथ उसकी चूची पर ले गया और उसे दबाने लगा. उसकी चूचियां ज़्यादा तो नहीं लेकिन हाँ मतलब भर की थी जो मेरे हाथ में आ रही थी और अब मैं उन्हें धीरे धीरे दबाता और उसे फ्रेंच किस भी करता जाता.
अब मैं धीरे से उसके ऊपर लेट गया और मेरा तना हुआ 6 इंच का लंड उसकी चूत के ऊपर आ गया जो उसे फील हो रहा होगा. उसके मुँह से सी…सी… की आवाज़ आने लगी लेकिन मैं उसे किस कर रहा था तो उससे आवाज़ नहीं आ रही थी. उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरी पीठ पर और सिर पर हाथ फेरने लगी, इसका मतलब था कि अब उसको भी मस्ती चढ़ने लगी थी. उसने चेन वाला टॉप पहन रखा था जो नीचे तक खुलता था और टॉप के नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था शायद जानबूझ कर!
तो मैंने उसकी चेन खोल दी और उसकी चूची को हल्के से उजाले (नाइट बल्ब) में देखने का मजा ही कुछ अलग था. उसका निप्पल भी एकदम हार्ड और एक सेंटीमीटर का हो चुका था, चूची देखते ही मैंने उसे चाटना शुरू कर दिया, उसका निप्पल चूसने लगा जिससे उसका निप्पल और बड़ा हो गया और उसकी पकड़ और टाइट हो गयी.
अब मैं कभी उसकी चूची चाटता तो कभी निप्पल पर जुबान फेरता, इससे उसकी आवाज़ बढ़ती जा रही थी तो मैंने अपने एक हाथ से उसका मुँह बंद किया. अब वो भी इतने जोश में आ गयी कि उसने मेरा लंड पकड़ लिया मेरी शॉर्ट्स में हाथ डाल कर… उसे हिलाने लगी.
हम इस समय पूरे जोश में थे कि अचानक मम्मी ने अंगड़ाई ली, इससे हम दोनों की तो गांड ही फट गयी और हम जल्दी से अलग हुये और मैं अपनी जगह पर लेट गया.
अभी लेटे हुये 5 मिनट ही हुये होंगे कि मम्मी उठी और बाथरूम चली गयी हमने एक दूसरे की तरफ देखा और मैंने धीरे से कहा- बच गये, वरना आज तो गये थे!
और फिर हमें कब नींद आ गयी, हमें पता ही नहीं चला.
सुबह जब मैं उठा तो 9.30 बज रहे थे और सभी लोग कहीं जाने के लिये तैयार हो रहे थे तो मैंने मम्मी से पूछा- आप लोग कहाँ जा रहे हो?
तो उन्होंने कहा- हम ताऊ जी के यहाँ जा रहे हैं, उनके यहा कथा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
और मुझसे कहा- तुम काजल को बाइक से ले आना!
इस पर मैं मन ही मन खुश हो गया कि चलो अब मुझे कुछ देर अकेले में काजल के साथ टाइम बिताने का मौका मिलेगा.
मैंने पूछा- काजल है कहाँ?
मम्मी ने कहा- वो नहा रही है!
और फिर मम्मी पापा चले गये और चाचा लोग भी ऑफिस जा चुके थे. फिर मैं जल्दी से फ्रेश होने चला गया ताकि हमें टाइम ज़्यादा मिल सके. हमारे घर में 2 फ्लोर हैं तो काजल नीचे के बाथरूम में नहा रही थी और मैं ऊपर के बाथरूम में चला गया.
मैं तो जल्दी ही निकल आया था.
तब तक काजल भी निकल आई थी, उसने पिला और सफ़ेद मिक्स कलर का सूट पहना हुआ था और आज उसने बाल भी धोये थे. गीले बालों में और उस सूट में वो और भी सुन्दर लग रही थी.
मैं गया और झट से उसे पीछे से पकड़ लिया तो वो पहले तो डर गयी, फिर जब उसने मुझे देखा तो मुस्कुरा दी. मैंने उससे कहा- आज तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही हो!
और फ्रेंड्स, आप जानते ही हैं कि लेडीज की कमज़ोरी उनकी ब्यूटी की तारीफ होती है. तो वो मुस्कुराई और कहा- सच में?
मैंने कहा- हाँ, सच्ची में!
और फिर मैं अपने होंठ उसके कान के पीछे गर्दन पर फेरने लगा और चूमने लगा जिससे उसकी आँखें बंद होने लगी और धड़कनें बढ़ने लगी.
फिर मैंने अपना हाथ धीरे से उसकी चूची पर रखा और धीरे धीरे दबाने लगा. उसकी चूची थोड़ी हार्ड थी और निप्पल भी अब खड़ा होने लगा था. फिर मैंने उसको अपनी तरफ घुमाया तो उसकी नज़र नीचे की ओर थी, उसके होंठ बिल्कुल गुलाबी रंग के थे, मैंने धीरे से उन पर अपने होंठ रखे तो उसने भी मुझे रेस्पोन्स दिया और वो मेरे होंठ चूसने लगी.
मैं उसका नीचे का होंठ चूस रहा था और वो मेरा ऊपर का होंठ चूस रही थी. क्या बताऊँ फेंड्स कि कितना मजा आ रहा था. मैं कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसकी जीभ… इतना मजा मुझे जिंदगी में कभी नहीं आया था.
करीब 15 मिनट तक किस करने के बाद मैंने उसको उठाया और बेड पर लेटा दिया, फिर उसे क़िस करने लगा, फिर किस करते हुये मैंने उसका कुर्ता उतारा.
वाओ… क्या चूचियां थी उसकी… दिन के उजाले में मैंने ब्रा के अंदर चूचियां पहली बार देखी थी और फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी. उसका पिंक कलर का 1 सेंटीमीटर का निप्पल खड़ा हुआ निप्पल देख कर तो मैं पागल हो गया और मुँह में लेकर उसे चूसने लगा.
इससे वो भी जोश में आ गयी और आहह आहह की आवाज़ें निकालने लगी. अब हमें किसी का डर नहीं था चाहे हम कितनी भी आवाज़ें निकालें क्योंकि घर पर तो कोई था नहीं!
अब मैं उठा और उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे उतार दिया. वाओ… क्या जांघें थी उसकी… एकदम गोरी. चिकनी. भरी हुई!
मैं तो उसकी जांघें ही चाटने लगा, इससे वो और भी गर्म हो गयी और मेरा सिर कस के पकड़ लिया. मैं धीरे धीरे जांघों से किस करता हुआ उसकी चूत तक पहुँचा, उसकी चूत की खुशबू इतनी मादक थी कि क्या कहना! मैंने जैसे ही अपनी नाक उसकी चूत पर टच की तो उसके मुँह से ज़ोर से आअहह की आवाज़ निकल पड़ी. उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके चूत रस को चाटने लगा पेंटी के ऊपर से… इससे वो आउट ऑफ कंट्रोल हो गयी और कहने लगी- रवि प्लीज सताओ नहीं, बस अब डाल दो!
फिर मैंने कहा- इतनी जल्दी कहाँ, अभी तो शुरुआत है.
उसने कहा- हमें पूजा में भी जाना है, टाइम कम है हमारे पास!
तो मैंने कहा- वो बाद में देखा जायेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
मैं फिर से शुरू हो गया, मैंने उसकी पेंटी भी निकाल दी. वाओ… क्या चूत थी उसकी एकदम गोरी, हल्की हल्की झांटें और लिप्स के अंदर गुलाबी… वाह पहली बार मैंने अपनी लाइफ में चूत देखी थी, मैं तो पागल ही हो गया और झट से उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
ऐसा करते ही काजल के मुँह से ज़ोर से आहह की आवाज़ आई और फिर वो लगातार तेज तेज आवाज़ें निकालती ही रही और साथ में कहती भी रहती- चूसो… और चूसो मेरी चूत को!
उसके चूत रस का तो जवाब ही नहीं था, मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को कभी नीचे से ऊपर और कभी अंदर तक चाटता और वो भी मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाती और कमर उठा उठा कर मेरा साथ देती.
अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और मेरे लंड का तो हाल ही बुरा था, अंडरवीयर में वो तन कर एकदम अकड़ चुका था, मेरी अंडरवीयर और मेरा लंड भी मेरे प्रि-कम से गीली हो चुका था. फिर मैंने अब उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, मैं अपनी जुबान निकाल कर उसे चोद रहा था, इससे वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी और कहने लगी- बस अब नहीं रुका जाता, अब प्लीज चोद दो मुझे!
मैं खड़ा हुआ, मैंने उसे इशारे से कहा- तुम मेरी अंडरवीयर उतारो!
तो उसने झट से मेरी अंडरवीयर उतार दी और मेरा 6 इंच का लंड बाहर निकल आया जिसे उसने झट से पकड़ लिया और कहने लगी- आज मैंने पहली बार लंड देखा है. इतना बड़ा लंड मेरे अंदर कैसे जायेगा?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.
मैंने उसे लेटाया और एक तकिया उसकी क्मर के नीचे लगाया और मैंने थोड़ा उसका चूत रस लिया, उसे लंड के उपरी हिस्से पर 3 इंच तक लगाया ताकि लंड आसानी से चूत में जा सके और फिर मैंने अपना लंड जैसे ही उसकी चूत पर रखा उसके मुँह से हह्ह्ह्ह की आवाज़ निकल आई.
मैंने धीरे से अपना लंड आगे की तरफ किया तो उसको थोड़ा सा दर्द हुआ. मैंने पूछा- दर्द हो रहा है?
तो उसने कहा- हाँ! लेकिन थोड़ा सा!
तो मैंने फिर से जोर लगाया लेकिन थोड़ा तेज़… तो मेरा इस बार लंड का टोपा अंदर चला गया, तब उसे दर्द हुआ और उसकी आहह की आवाज़ निकली तो मैंने कहा- बस थोड़ा सा!
और फिर मैंने एक तेज़ झटका मारा, इससे उसकी दर्द भरी चीख निकली तो मैं रुक गया और उसे किस करने लगा और उसकी चूची दबाने लगा.
2 मिनट तक ऐसा करने के बाद वो रिलेक्स हुई तो मैंने अपना लंड हिलाना शुरू किया. मेरे ऐसा करने से उसे भी मजा आने लगा. मेरा 3 इंच ही लंड गया था लेकिन उसकी चूत ने लंड को एकदम जकड़ रखा था, इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊँ.
जब उसे मजा आने लगा तो मैंने एक और ज़ोर का झटका मारा और इस बार पूरा लंड अंदर चला गया और फिर मुझे कुछ गर्म सा महसूस हुआ मुझे लग गया कि इसकी सील टूट गयी है और खून निकल रहा है. मैंने झटका मारने से पहले उसके मुँह पर हाथ रख दिया था जिससे उसकी चीख की आवाज़ दब गयी लेकिन उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे तो मैंने अपना हाथ हटा दिया तो वो कहने लगी- प्लीज इसे निकालो, बहुत दर्द हो रहा है.
तो मैंने उससे कहा- थोड़ी देर ही दर्द होगा, फिर मजा आयेगा!
और उसे किस करने लगा और उसकी चूची चूसने लगा.
इससे उसे आराम मिला और 2 मिनट के बाद मैंने लंड को हिलाया लेकिन मेरा लंड बहुत ही मुश्किल से हिल पा रहा था क्योंकि उसकी चूत ने लंड को पूरा जकड़ रखा था, उसकी चूत के अंदर एक भट्टी जितना गर्म था. मैंने धीरे धीरे लंड हिलाना शुरू किया, इससे उसको भी मजा आने लगा और फिर जब लंड आसानी से अंदर बाहर होने लगा तो हम दोनों को इतना मजा आने लगा कि जैसे हमको स्वर्ग मिल गया हो.
जब लंड अंदर बाहर होता तो चप चप की आवाज़ होती, मैं उसकी चूत मारते समय कभी उसके होंठों को चूसता तो कभी बूब्स चूसता. मेरा लंड सटासट अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों ही आहह की आवाज़ें निकल रही थी, वो भी मेरा कमर उठा उठा कर साथ दे रही थी.
उसने अपनी दोनों टाँगों से मेरी कमर पकड़ ली और कह रही थी- मुझे चोदो… और चोदो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… और अंदर तक डालो!
अब मेरा लंड आसानी से अंदर बाहर हो रहा था, छप छप की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज रहा था. फिर हम दोनों ही क्लाइमेक्स पर पहुँच गये तो उसने कहा- मुझे कुछ हो रहा है, जैसे कुछ छूटने वाला है अंदर से!
तो मैंने कहा- हाँ, मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
अब हम दोनों की स्पीड और भी बढ़ गयी, मैं जब लंड उसकी चूत के अंदर डालता तो वो भी कमर ऊपर उठाती जिससे लंड पूरा अंदर तक जा रहा था और फिर उसकी आवाज़ आई कि मैं छूटने वाली हूँ…
और वो आहह की आवाज़ के साथ झड़ गयी और फिर कुछ सेकेंड के बाद मैं भी झड़ गया और मेरे मुँह से भी एक ज़ोर की आहह निकली और फिर मैं उसके ऊपर गिर पड़ा.
हम दोनों ही बहुत थक चुके थे. और अब हमें याद आया कि हमें ताऊ जी के यहां जाना है तो हम फिर बाथरूम में गये और फिर दोनों ही साथ नहाये और फिर हमने अनार का जूस पिया ताकि हम में ताक़त आ सके वहाँ जाने की!
फिर हम तैयार होकर निकल पड़े.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#16
thanksबुआ की बेटी की चुत thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#17
मेरी दीदी की लम्बाई पांच फीट और पांच इंच है. उनका फिगर बहुत ही कमाल का है. दीदी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था. पहले तो मैं सोचा करता था कि दीदी और जीजा जी चुदाई के मजे लेने के लिए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं. लेकिन बाद में मुझे सच्चाई का पता चला. असली कहानी यहीं से शुरू होती है.

जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया. लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. दोस्तो मैं अन्तर्वासना की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था. मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी.
जब दीदी के चूचों का स्पर्श मुझे मिला तो किसी तरह मैंने खुद को रोका. शाम को खाना खाने के बाद मैं मुठ मार कर सो गया. कुछ ही दिन के बाद मेरे जीजा ने मेरी नौकरी एक अच्छी जगह लगवा दी थी. मैं सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को पांच बजे वापस आता था.
जब मैं दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी. आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं. रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी चुदाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी.
पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से चुदाई करते होंगे. मगर ऐसा नहीं था.
एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया. मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया.
दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी. मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी. मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा.
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं.
एक ने दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ चुदाई कैसे कर लेती हो?
मेरी दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे. इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है.
मुझे दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.
मैंने इस बारे में दीदी से बात करने की सोची. मैं शाम को जब दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी. मैं दीदी के पास गया और दीदी से सीधा ही बोल दिया- दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं.
दीदी ने मेरी तरफ देखा. वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से.
दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने दीदी से कहा- वो … दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं.
दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी दीदी. लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी. मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं.
फिर दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है. हमने कोई कांच नहीं लगवाया है.
मैंने कहा- दीदी, आप झूठ बोल रहे हो. मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती.
दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है. हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी. तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले. समझा?
मेरी दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है.
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया. लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी दीदी को चोदते नहीं हैं. मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था.
फिर दो या तीन दिन तक मेरी दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई. एक दिन दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है.
मैंने कहा- नहीं दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा.
दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था. दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था.
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे …
वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो.
दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई.
अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर दीदी से माफी मांग ली. दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया.

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
उस दिन के बाद दीदी से मेरी बात खुल कर होने लगी थी. मैं अब दीदी को खुश करने की कोशिश करने लगा था. सीधे शब्दों में कहूं तो मैं दीदी पर लाइन मारने की कोशिश करता रहता था. दीदी भी इस बात को जान गयी थी.

एक दिन उन्होंने मुझे इस बारे में टोक ही दिया, दीदी बोली- मैं देख रही हूं कि तू आजकल मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है. तुझे और कोई लड़की नहीं मिल रही है क्या?
मैंने कहा- जब घर में इतनी सुन्दर लड़की है तो फिर बाहर ढूंढने की क्या जरूरत है?
दीदी बोली- कुत्ते, मैं तेरी बहन हूं.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, आप लड़की भी तो हो.
कुछ देर के लिए दीदी चुप हो गयी और फिर कहने लगी कि मुझ पर लाइन मारने का कोई फायदा नहीं है.
मैंने कहा- एक बार कोशिश करके तो देख लेने दो.
इतना कह कर मैंने दीदी को चूम लिया.
दीदी पीछे हट गई, बोली- कोशिश अच्छी थी लेकिन अभी तेरे जीजा आने वाले हैं इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जा, हम फिर किसी दिन देखेंगे.
उस दिन हल्की सी सही लेकिन शुरूआत तो हो ही गई थी दीदी के साथ. मैं दीदी को गाली देकर चोदना चाह रहा था. उस दिन का इंतजार करने लगा जब मुझे दीदी को चोदने का मौका मिलेगा. दो दिन के बाद मेरा इंतजार खत्म हो गया.
उस दिन जब मैं ऑफिस से आया तो मेरा लौड़ा पहले से ही गर्म था. मगर जीजा जी मुझसे पहले ही घर आ गये थे और अपने कमरे में सो रहे थे. शायद उनके सिर में दर्द था. मैंने उनको देखा और धीरे से कमरे का दरवाजा बंद करके आ गया.
मैं अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर रसोई में चला गया. तब तक दीदी ने हम दोनों के लिए चाय बना दी थी. किचन दीदी के बेडरूम से थोड़ी दूरी पर था. दीदी के बेडरूम में जीजा जी सो रहे थे.
दीदी ने चाय मेरी तरफ बढ़ाई तो मैंने गुस्से में आकर चाय फेंक दी.
दीदी बोली- साले मादरचोद, चाय क्यों फेंक दी. अब दोबारा चाय क्या तेरी मां आकर बनाएगी रंडी की औलाद?
मैंने कहा- नहीं चाहिए मुझे चाय.
इतना कहकर मैंने अपना पजामा खोल दिया और अपना लंड दीदी को दिखाते हुए कहा- आज मैं इसकी मलाई तुझे पिलाऊंगा साली. चल बहन की लौड़ी. चूस ले इसको …
मेरा लंड खड़ा हुआ था तो मैंने अपने खड़े हुए लंड को दीदी के मुंह में डाल दिया और दीदी के मुंह को चोदने लगा. दीदी भी लंड को चूसने लगी और मैंने अपना माल दीदी के मुंह में गिरा दिया. उस दिन हमने इसके अलावा और कुछ नहीं किया. अब मैं दीदी को चोदने के मौके की तलाश में था.
फिर तीन-चार दिन के बाद जीजा को कंपनी के काम से बाहर जाना था तो मैंने अपने ऑफिस एक दिन के लिए छुट्टी ले ली. मैंने दीदी से पहले ही इस बारे में बात कर ली थी.
जीजा जी उस दिन जा चुके थे और जब मैं घर पहुंचा तो दीदी सोफे पर बैठी हुई थी.
मैंने कहा- साली रंडी, यहां क्यूं बैठी हुई है? तुझे चुदना नहीं है क्या? चल साली बेडरूम के अंदर.
दीदी बोली- आ रही हूं भड़वे.
दीदी अंदर बेडरूम में आ गई और आकर बेड पर लेट गई. मैं भी दीदी के ऊपर आकर लेट गया और उसको किस करने लगा. फिर मैं उठा और दीदी को एक थप्पड़ मार कर बोला- चल साली, मेरे कपड़े खोल और मेरा लौड़ा चूस ले.
दीदी ने उठ कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे नंगा कर दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी. दीदी की चुसाई इतनी तेज थी कि उसने जल्दी ही मेरा माल अपने मुंह में निकलवा दिया.
फिर मैंने दीदी को भी नंगी कर दिया और ऊपर लेट कर दीदी के बोबे चूसने लगा. मैं दीदी के बाबे दबाते हुए उनको काटने लगा. दीदी के चूचे लाल हो गये.
दीदी बोली- साले चूस क्या रहा है मादरचोद, मैंने तुझे चोदने के लिए कहा था न … चोद मुझे हरामी की औलाद.
दीदी के कहने पर मैंने नीचे आकर उसकी चिकनी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.
काफी देर उसकी चूत को जीभ से चोदते हुए हो गई तो वो फिर से गाली देने लगी- साले मुझे अपने लौड़े से कब चोदेगा हरामी?
मैंने कहा- रंडी, पहले वादा कर कि जितनी औरतों को तू जानती है उन सब की चूत मेरे लंड को दिलवायेगी.
दीदी झट से मान गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
फिर मैंने अपने लंड को दीदी की चूत पर रखा और उसको दीदी की चूत पर पटकने लगा.

दीदी तड़प उठी, बोली- सस्स… चोद ना साले क्यूं खेल कर रहा है?
फिर दीदी ने मुझे नीचे पटक दिया और खुद ही मेरे लंड पर आकर बैठने लगी. दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और अपनी चूत पर रख कर उस पर दबाव बनाती हुई बैठती चली गई.
मेरा सुपारा दीदी की चूत में उतर गया तो दीदी चीख पड़ी- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मर गई हरामी. बहुत दर्द कर रहा है तेरा लौड़ा. चूत फटने वाली है. बहन के लौड़े तूने मेरी चूत को फाड़ने के लिए मुझे गर्म किया था क्या कुत्ते?
मैंने कहा- डार्लिंग एक बार दर्द होगा, फिर खूब मजा आयेगा।
यह सुन कर मेरी शेरनी बहन ने होंठ भींच कर और दर्द को पीते हुए धीरे धीरे पूरा लौड़ा अपनी चूत में फिट कर लिया और ऊपर नीचे उछल उछल कर घुचके मारने लगी।
मैंने भी अपनी चुदक्कड़ बहन का साथ देते हुए नीचे से घुचके मारने शुरू कर दिए!
पन्द्रह मिनट इस तरह घुचके मारने के बाद वो हांफने लगी। थोड़ी देर के लिए हमने चुदाई को विराम दिया. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही घुसा हुआ था. बहुत गर्म चूत थी मेरी दीदी की. कुछ देर के बाद हम वापस शुरू हो गए।
जब मेरे थोड़ा लंड उसकी चूत में घुसा तो वो मस्त आवाज करती हुई चुदने लगी. उसकी वो आवाजें सुन कर मैंने एक धक्का और मारा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. मेरा लंड जैसे ही उसकी चूत में पूरा घुसा तो उसके मुंह से जोरदार दर्द भरी आवाज निकल गयी लेकिन अब की बार उस दर्द के साथ एक मजा भी था. दर्द की वजह से वो मुझसे और कुछ भी नहीं बोल पाई.
वो दर्द की वजह से पीछे बढ़ रही थी पर मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और जोरदार धक्के मारने लगा. कुछ ही देर में उसे भी चुदाई का पूरा मज़ा आने लगा और वो मेरे धक्कों के मज़े लेती हुई आ … आ … ऊह … ऊऊऊ … आ हाँ … आआआ… ऊऊऊ.. की सिसकारियां लेने लगी.
मैंने उसकी चूत में धक्कों की स्पीड इतनी तेज कर दी कि कुछ ही देर में उसकी चूत से पानी निकल गया.
मैं अभी तक नहीं झड़ा था.
फिर मैंने उसकी चूत से लौड़े को निकाल लिया और उसको घोड़ी बना लिया. मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड को रगड़ा और अपने लंड के चिकने सुपारे को उसकी गांड के छेद पर मलने लगा. मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत के रस से भीगा हुआ था और काफी चिकना भी हो गया था. मैंने धीरे से सुपारे का अगला भाग दीदी की गांड में घुसाया तो वो उचक गई. मैंने उसकी गांड को अपने हाथ में पकड़ लिया ताकि वो आगे की तरफ छूट कर न भागे.
सुपारे को अंदर घुसाने के बाद मैंने कुछ देर ऐसे ही लंड को रोके रखा और फिर दबाव बनाना शुरू किया. दीदी की गांड फैलने लगी और धीरे-धीरे करके लंड को आगे धकेलते हुए मैंने उसकी गांड में लंड को घुसा दिया. उसने पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में ले लिया. अब मैंने धीरे से उसकी गांड में लंड के धक्के लगाना शुरू किया. पूरा लंड गांड में अंदर बाहर होने लगा.
अब वो अपनी गांड को हिला हिला कर चुदने लगी. मैं उसकी गांड में ऐसे ही 5 मिनट तक धक्के मारने के बाद झड़ गया. फिर उसने मेरे लंड को मुंह में रख कर चाट चाट कर साफ कर दिया. फिर हम दोनों बिना कपड़ों के ही सो गए.
रात को फिर से मैंने दीदी की चुदाई की. दीदी की चूत को चोद कर मैंने बुआ की बेटी की चुत चुदाई की प्यास को बुझा दिया.
जब तक जीजा जी नहीं लौटे हम दोनों में चुदाई का ये खेल जमकर हुआ. ऑफिस से आते ही मैं दीदी की ठुकाई करता था और फिर रात में सोते टाइम भी उनकी चूत को खूब चोदता था. दीदी भी खुश हो गई थी. फिर जीजा जी आ गये और रोज की चुदाई बंद हो गई लेकिन बीच-बीच में मौका निकाल कर मैं दीदी की चुदाई कर लेता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
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