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Adultery सरिता भाभी
















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैं भाभी के दोनों उरोजों को बारी-बारी से चूमने-चाटने लगा, साथ ही हाथों से उन्हें मसल भी रहा था। 
भाभी अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उनके दोनों चूचुक खड़े हो कर तन गए थे जो कि मेरे गालों पर चुभ से रहे थे, मैं भी भाभी एक चूचुक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे भाभी के मुँह से सिसकी सी निकल गई और उन्होंने मेरे सिर को अपने सीने पर जोरों से दबा लिया। 
मैं भी भाभी के चूचुक को अपनी जीभ व दांतों से कुरेद-कुरेद कर चूसने लगा। इससे भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटने लगीं। 
भाभी ने अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी जाँघों के बीच दबा लिया और अपने नितम्बों को आगे-पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिंग से रगड़ने लगीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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तभी मेरे दिमाग में भाभी की योनि का ख्याल आया, मैं भाभी के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो भाभी की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए भाभी के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर भाभी के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ भाभी के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी भाभी के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।

पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने भाभी की योनि का मुआयना किया, भाभी ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि भाभी का पेटीकोट भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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और जोर से






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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(06-02-2024, 03:01 PM)neerathemall Wrote:
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भाभी पढ़ाते हुए
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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