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ब हम लोग काम की बात पर आये थे. तब मैंने भाई से कहा – भाई अफ़रोज़ भी तो जवान है, उसका भी तो मन करता होगा, अपनी जवानी का मज़ा लेने का! रही मुमानी की बात … तो उनको तो मैं अकसर मामुजान से चुदाते हुए देखती हूँ. वो अब भी टांगें उठा उठा कर बहुत मज़े से चुदवाती हैं मामुजान से … और मामु जान भी कम नहीं हैं बहुत दम है उनके लौड़े में … इस उमर में भी थका डालते हैं मुमानी को! उस दिन तो मैंने देखा कि वो मुमानी की चूतमार रहे थे और मुमानी चिल्ला रही थी.
भाई ने बड़ी हैरत से पूछा – अच्छा, मामूजान भी ऐसे भी मारते हैं? शकल से तो बहुत शरीफ़ नज़र आते हैं.
तब मैंने कहा – भाई, पता है मैंने मुमानी की बातें भी सुनी थी, वो कह रही थी मामु से कि अब आप में पहले की तरह मज़बूती नहीं रह गयी. पहले तो सारी रात ही पड़े रहते थे मेरी ओखली में अपना मूसल डाले … अब पता नहीं क्या हो गया है आपको. तब मामू ने कहा ‘क्या बतायें बेगम, अब बच्चियां जवान हो गयी हैं, डर लगा रहता है कहीं हम दोनों की चुदायी देख कर बहक ना जायें. तब मुमानी ने कहा ‘अरे वो अपने रूम में सो रही हैं तुम उनकी फ़िकर क्यूं करते हो, जम कर मारो आज मेरी चूत!’ और फ़िर मामू ने बहुत जोरदार बुर चोदी थी मुमानी की!
मैं आगे बोली – मुझे तो अफ़रोज़ और आज़रा पर तरस आता है कि बेचारी इतनी कातिल जवानी लेकर भी प्यासी हैं.
तब भाई ने कहा – क्या किया जा सकता है?
तब मैंने कहा – भाई अगर अफ़रोज़ तुमसे चोदने को कहे, तो क्या तुम चोदोगे उसे?
तब भाई ने कहा – हां क्यूं नहीं, कहीं न कहीं तो वो अपनी चूत की प्यास बुझायेगी ही तब घर में ही क्यूं नहीं. अम्मी का कहना भी यही है कि चुदायी की पहल हमेशा घर से ही करनी चाहिये. तभी तो मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखता हूँ.
तभी मैं भी झड़ने के करीब आ गयी और भाई से कहा – अब बातें बाद में चोदना, मैं झड़ रही हूँ, पहले मुझे सम्भालो!
भाई बातें भूल कर फ़िर से मुझे चोदने लगे और मैं झड़कर एक तरफ़ लेट गयी.
मैंने भाई से कहा – भाई, मैं अफ़रोज़ से बात करुंगी. हो सकता है काम बन जाये, बेचारी को तरसना ना पड़े!
और फ़िर धीरे से दरवाज़े की तरफ़ देखा तो अफ़रोज़ नीचे जा चुकी थी.
तब ही मैंने हंस कर कहा – साले बहुत मज़ेदार नाटकबाज़ हो तुम! खूब जोरदार चुदायी का नाटक करते हो.
तब भाई ने कहा – साली रण्डी, तू भी किसी कुतिया से कम नहीं है. ऐसे चिल्ला रही थी, जैसे पहली बार मरवा रही हो चूत! अच्छा ये बताओ कि अब क्या अफ़रोज़ की चूत में खलबली हुई होगी?
तब मैंने कहा – 100% खलबली हुई होगी. अरे तुम्हारा हलब्बी लंड देखकर अफ़्फ़ो क्या उसकी तो अम्मी भी अपनी चूत पसार देगी तुम्हारे आगे! ये तो अच्छा ही हुआ कि उसने हमारी चुदायी देख ली, अब मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. काम आसान हो गया है साली खुद ही राज़ी हो जायेगी.
तब भाई ने कहा – ये तो अच्छा हुआ कि अफ़रोज़ ही आयी थी. अगर कहीं मामु जान आय होते तो क्या होता?
मैंने कहा – तुम्हारा क्या होता? जो होता मेरा होता वो अपना बम पिलाट लंड लेकर आ जाते और मेरी खुली चूत में डाल देते. हालत मेरी खराब होती!
तब भाई ने कहा – हालत क्यूं खराब होती मेरी जान? तुम्हें तो मैं इतना एक्सपर्ट कर चुका हूँ कि तुम तो चार लंड एक साथ अपनी चूत में ले चुकी हो. फ़िर भला मामू किस खेत की मूली हैं.
मैंने कहा – साले मूली नहीं, पूरा बांस है उनका लंड मैंने देखा है कितना लम्बा है. अगर तेरी गांड में डाल दे तो बरदाश्त नहीं कर पायेगा. बातें चोद रहा है!
तब भाई ने हंसते हुए कहा – अच्छा अच्छा मेरी छिनाल बहन, अब कपड़े पहन लो क्योंकि मामू को तो तुम्हारी चूत झेल लेगी. अगर कहीं अफ़रोज़ अपनी अम्मी और बहन दोनों के साथ आ गयी, तो मेरा लंड अभी इस हालत में नहीं है कि मैं उन तीनों को एक साथ झेल जाऊँ.
मैंने कहा – सिर्फ़ तीन क्यों? मुझे नहीं गिन रहे हो? चारों को चोदना पड़ेगा तुम्हें!
और ये कह कर मैं हंसने लगी और भाई भी हंसने लगे.
और वहीं छत पर अफ़रोज़ को भी ऊपरी मजा यानि खाली चूची मसलने का मजा दिया. उसके बाद उसकी चुदाई भी की
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(16-06-2022, 03:03 PM)neerathemall Wrote: [image]
मैंने पहले वहीं छत की नाली पर जाकर पेशाब किया, तो भाई भी वहीं खड़े हो कर मूतने लगा.
तब मैंने कहा – यार आराम से बैठ कर मूतो, अभी अभी नहा कर आयी हूँ तुम्हारी छींटें आ रही हैं.
तब भाई भी वहीं बैठ कर मूतने लगा. हम दोनों ने साथ में मूतकर अपने अपने कपड़े पहने.
वह तो पूरे कपड़े पहन कर नीचे चला गया. पर चूंकि मैं सिर्फ़ तौलिये में थी और अब तक नीचे मामूजान आ चुके थे तो मैंने अफ़रोज़ को अवाज़ दी कि मेरे कपड़े लेकर ऊपर चली आये और जब अफ़्फ़ो उपर आयी, तो मुझे देख कर शरमा रही थी. मैं समझ रही थी कि ये साली क्यूं शरमा रही है. उसकी आंखें अभी भी गुलाबी हो रही थी और होंठ थरथरा रहे थे.
वो कांपते हाथों से मुझे कपड़े देकर नीचे जाने लगी तो मैंने कहा – जरा रुको, मैं भी चेंज कर लूं तो साथ साथ चलते हैं.
और उसके सामने मैंने तौलिया वहीं उतार दिया. वो बहुत गौर से मेरे दोनों बूब्स देखने लगी, जो उसकी चूची से काफ़ी बड़े थे और मेरी बुर को भी अज़ीब नज़रों से निहार रही थी.
तब मैंने उसकी जम्पर के ऊपर से हाथ रखते हुए कहा – क्या देख रही हो इतने गौर से?
वो घबरा गयी पर खामोश रही. मैं उसकी चूची पर थोड़ा सा जोर देकर फ़िर से बोली – आखिर देख क्या रही थी तुम? जो मेरे पास है वो तुम्हारे पास भी तो है.
तब उसने झिझकते हुए कहा – पर आपा आपकी तो हमसे बहुत बड़ी हैं?
मैंने कहा – बतायेगी भी क्या?
तब उसने मेरी चूची पर हाथ रख कर कहा – ये!
मुझे हंसी आ गयी उसके भोलेपन पे, मैंने कहा – नाम नहीं पता है इसका?
उसने शरमाते हुए कहा – दुधू है!
तब तो मुझे बहुत जोरदार हंसी आयी, फ़िर मैंने उसकी चूची को कपड़े के ऊपर से ही जोर से दबा कर कहा – धत्त बेवकूफ़ लड़की, दुधू नहीं चूची कहते हैं इसे! इतनी बड़ी हो गयी है, अभी तक नाम नहीं पता, क्या देखती है तू टीवी वगैरह में?
तब उसने कहा – आपा यहां कहां टीवी देखने देते हैं अब्बु जान … उन्हें तो सिर्फ़ न्यूज़ ही पसंद है.
मेरा चूची मसलना उसे शायद अच्छा लग रहा था, वो कुछ बोल नहीं रही थी और मैं अपना काम कर रही थी.
मैंने कहा – मैं तेरी चूची सहला रही हूँ, तो कैसा लग रहा है?
उसने शरमाते हुए कहा – अच्छा लग रहा है.
तब मैंने कहा – अभी तो कपड़े के ऊपर से ही मसल रही हूँ. अगर पूरी नंगी होकर चूची दबवाओगी, तो बहुत मज़ा आयेगा.
अब वो थोड़ी थोड़ी खुल रही थी और अपने हाथ धीरे से मेरी चूची पर रखते हुए बोली – आपा, आपकी चूची इतनी बड़ी कैसे हो गयी? जबकि आपकी उमर भी मेरे बराबर ही है.
तब मैंने कहा – ये सब मेरे अब्बु और भाई की करतूत है.
उसने चौंकते हुए पूछा – क्या मतलब?
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मैंने कहा – मेरी नन्ही जान, जब जवानी की प्यास लगती है तब चुदवाने का मन करता है. और जब घर में लंड मौजूद हों, तो बाहर का रुख नहीं करना चाहिये. ज़माना बड़ा खराब चल रहा है. हमारी अम्मी का कहना है कि भले ही घर में चुदवा लो, पर बाहर वालों से नहीं क्योंकि साला आजकल एड्स का बहुत लफ़ड़ा है.
मेरे मुंह से चूत और लंड की बात सुनकर उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया, वो बोली – हाय आपा, आप कैसे गंदी बात करती हो? आपको शरम नहीं आती?
तब मैंने कहा – जो लड़की अपने भाई और अब्बु से चुदवा चुकी हो, वो भी अपनी अम्मी के सामने … उसे शरम कहां आयेगी. शरम तो तुझ ऐसे कुंवारी कमसिन छोकरियों को आती है. अब देख तू भी मज़े लेना चाहती है पर शरमा भी रही है. अगर तू शरमा न रही होती तो तुझे थोड़ा सा मज़ा तो मैं ही दे देती.
उसे लाइन पर लाने की गरज़ से मैंने कहा तो वो एकदम से बोली – कहां शरमा रही हूँ! आपा आप दबाइये न मेरी चूची … बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. प्लीज़ दबाइये न!
मैं समझ गयी अब साली भाई से चुदवा लेगी!
और मैंने उसकी समीज़ भी उतार दी, उसकी छोटी छोटी संतरे की तरह चूची एकदम टाइट थी और उसके निप्पल तने हुए थे. मुझे उसकी चूची देखकर अपनी पुरानी चूचियों की याद आ गयी जब मेरी चूची भी कड़ी हुआ करती थी. एक तरह से मुझे उससे जलन का एहसास होने लगा था, मगर मैं उसकी निप्पल को मसलते हुए बोली – पता है लड़कियों की जब निप्पल लड़के लोग मसलते है तब उनकी जवानी फ़ड़क उठती है.
और फ़िर मैंने सोचा कि आज तक मैंने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स का मज़ा नहीं लिया है, क्यों ना आज इसका भी अनुभव कर लिया जाये!
यही सोच कर उसके हाथ अपनी चूची पर रखे और उससे कहा – इन्हें मसल डालो, जोर जोर से दबाओ मेरी चूची को!
वो मेरी चूची दबा रही थी, तब ही मैंने उसकी सलवार की तरफ़ हाथ बढ़ाया तो उसकी सलवार मुझे भीगी भीगी सी लगी. मैं समझ गयी कि साली अभी थोड़ी देर पहले भाई और मेरी चुदायी का नज़ारा देख कर झड़ी है.
मैंने उसकी बुर को सलवार के ऊपर से सहलाते हुए कहा – ये गीली कैसे है अफ़रोज़?
पहले तो उसने वहां से मेरा हाथ हटाया और फ़िर अपने पैर सिकोड़ते हुए बोली – पता नहीं!
तब मैंने उसकी सलवार का इजारबंद (नाड़ा) खोलते हुए कहा – अभी बताती हूँ कि ये गीली क्यों है.
वो अपने दोनों हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए बोली – नहीं आपा, मैं नंगी हो जाऊँगी. प्लीज़ इसे मत खोलो!
मैंने हंसते हुए कहा – मेरी रानी, मुझे देख, मैं भी तो नंगी हूँ.
और उसके इजारबंद को खोल डाला, उसकी सलवार सरसरा कर पैरों में आ गिरी जिसे मैंने निकाल दिया.
उसकी बुर पे अभी हल्के हल्के सुनहरे बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे. मुझे इस तरह से अपनी बुर को निहारते देख कर उसने अपने दोनों हाथ से अपनी बुर छुपा ली. मैंने उसकी दोनों चूची को मसलते हुए एक निप्पल मुंह में भर ली और चुभलाने लगी. वो सिसकियां लेने लगी और अपने हाथ अब बुर से हटा कर मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.
मैं तो यही चाहती ही थी, मैंने उसकी चूची की चुसायी कायदे से करना शुरु कर दी. मैंने अपने हाथ उसकी बुर की तरफ़ सरकाना शुरु कर दिया और जब हाथ को उसकी बुर पर रख कर सहलाया तो वो बहुत जोर से सिसक पड़ी – ईईस्स स्सस्सस्स आपा … क्या कर रही हैं आप? बहुत गुदगुदी हो रही है!
उसकी बुर बहुत फ़ूली हुई थी और गोल्डन बाल तो कयामत का मंज़र लग रहे थे.
मैंने उसकी झांटें सहलाते हुए उसकी बुर की फ़ांक फ़ैलायी तो अंदर का गुलाबी हिस्सा देख कर मेरा भी मन उसकी बुर चाटने का करने लगा. मैंने सोचा कि आज पहली बार किसी लड़की की बुर चाट कर मज़ा लिया जाये.
और फ़िर उसकी चूची मुंह से बाहर निकाल कर अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच में लकर उसकी बुर की खुशबू लेने लगी. मैंने उससे कहा – अफ़्फ़ो, तुम ऐसा करो कि लेट जाओ, तब ज्यादा मज़ा आयेगा.
मैंने ऐसा इसलिये कहा क्योंकि मुझे अपनी भी चूत तो उससे चुसवानी थी.
और ये कह कर अफ़रोज़ वहीं फ़र्श पर लेट गयी. मैंने उसके बुर की तरफ़ अपना मुंह ले जाकर पहले अपनी जबान से उसकी बुर की फ़ांक को सहलाया, फ़िर धीरे से अपने होंठों में उसकी बुर की फ़ांकों को रख कर चूसने लगी और अपनी चूत को उसके मुंह पर रखते हुए उससे कहा – अफ़्फ़ो, तुम भी ऐसे ही करो मेरे साथ!
उसने कहा – नहीं आपा, मुझे घिन आती है.
तब मैंने उसकी बुर की चिकोटी काट कर कहा – वाह मेरी चुद्दो रानी, मैं चूस रही हूँ तेरी गीली बुर और तुझे शरम आ रही है? चल जल्दी से चुम्मा ले चूत का!
और ये कह कर अपनी चूत को ज़बरदस्ती उसकी मुंह पर अड़ा दिया. वो न चाहते हुए भी चूमने लगी मगर मैं तो बहुत चाव से उसकी छोटी सी बुर को चूस रही थी और अब वो आह आह करने लगी थी, उसकी बुर से बहुत ढेर सारा रस बाहर निकल पड़ा जिसे मैं चूस कर चाट गयी. फ़िर जब उसकी बुर पूरी तरह से चिकनी हो गयी तब उसमे मैंने अपनी एक उंगली घुसेड़ दी.
वो कराह उठी – आआआह आपाजान … क्या कर रही हैं? बहुत दर्द हो रहा है.
तब मैंने कहा – मेरी रानी, अभी बहुत अच्छा लगेगा तुम्हें जरा बरदाश्त करो!
और फ़िर दो उंगली एक साथ उसकी बुर में डाल दी और आगे पीछे करने लगी. अब तो अफ़्फ़ो को भी मज़ा आने लगा, वो मेरी चूत को जोर से शिप करते हुए अपनी चूतड़ को उछालने लगी. मैं भी अपनी अपनी उंगली को बहुत तेज़ी के साथ डालने लगी थी.
तभी वो एक बार और झड़ी और फ़िर सुस्त हो गयी.
तब मैंने पूछा – क्यों रानी मज़ा आया?
उसने कहा – अल्लाह कसम आपा, बहुत मज़ा आया!
तब मैंने कहा – रानी, अगर तुम थोड़ी देर पहले आ जाती तो भाई से चुदवा भी देती तुझे! अभी थोड़ी देर पहले ही तो मैंने चुदवाया है.
वो बोली – मैं देख चुकी हूँ आपा आपकी चुदायी! मेरी सलवार तभी गीली हुई थी.
मैंने कहा – हां मुझे पता है तू छुप कर सारा तमाशा देख रही थी. मैंने देखा था. ऐ तुझे आ जाना चाहिये था न! चलो कोई बात नहीं, अब तो तू खुल ही गयी है. मैं भाई से कह दूंगी वो तुझे मज़ा देगा
तब अफ़रोज़ ने कहा – आपा बहुत दर्द होता है, क्या चुदवाने में?
मैंने कहा – नहीं, पहले तो थोड़ा सा होगा बाद में सब ठीक हो जायेगा.
“पर आपा, भाई का हथियार भी तो बहुत मोटा ताज़ा है!”
तब मैंने कहा – देख अफ़रोज़, अगर हमारे साथ रहना है तो सब बात खुल कर करनी होंगी. बता उसको क्या कहते हैं?
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तब वो शरमाते हुए बोली – लौड़ा कहते हैं आपा.
मैंने कहा – ये हुई न बात! चल अब जल्दी से कपड़े पहन लेती हूँ, भूख भी बहुत लगी है.
तब अफ़रोज़ ने कहा – किस चीज़ की भूख लगी है आपा?
मैं उसकी शरारत समझ गयी, बोली – ज्यादा शरारत न करो. वरना भाई से कह कर तेरी नन्ही सी बुर की धज्जियां उड़वा दूंगी.
तब वो माफ़ी मांगते हुए बोली – रहम करना मेरी आपा, अपनी बहन की इस नाजुक सी चूत पर!
और फ़टाफ़ट हम लोग कपड़े पहन कर नीचे चले आये.
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(15-03-2024, 02:55 PM)neerathemall Wrote: पड़ोस की शालू दीदी की चुदने की चाहत
मेरे घर के सामने एक लड़की रहती है.. जिनका नाम शालू है। उनकी उम्र लगभग 24 साल की है.. वो मुझसे 3 साल बड़ी हैं। वैसे तो वो मेरी दीदी लगती हैं.. पर मैं उनको दीदी नहीं समझता था।
मेरा कमरा ऊपर सामने वाला रूम था और उनका कमर ठीक मेरे कमरे के सामने था। मैं अकसर अपनी खिड़की से उनको छुप-छुप कर देखता रहता था।
एक दिन की बात है.. मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था कि अचानक मेरा ध्यान सामने वाले दीदी की खिड़की पर पड़ा.. मैं वो नज़ारा देखता ही रह गया। दीदी अपने कपड़े बदल रही थीं। उनकी खिड़की मेरी खिड़की के ठीक सामने होने की वजह से मुझे सब कुछ साफ़-साफ़ दिख रहा था। चूँकि मेरे घर में सभी लोग नीचे रहते हैं और ऊपर मेरे कमरे में कोई आता नहीं था.. तो मुझे कोई डर नहीं था। मैंने झट से अपने कमरे की लाइट बंद की और खिड़की से उन्हें घूर-घूर कर देखने लगा।
दीदी को किसी पार्टी के लिए तैयार होना था.. तो वो कपड़े बदल रही थीं। वो खिड़की बंद करना भी भूल गई थीं।
मैंने देखा कि वो शीशे के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी होकर अपने जिस्म को निहार रही थीं। उनकी मस्त चूचियां देख कर मुझे कुछ होने लगा और मेरा हाथ मेरे पैंट के अन्दर चला गया। मैं अपने लण्ड को हिलाने लगा।
यहाँ मैं थोड़ा सा अपनी दीदी के बारे में बता दूँ। दीदी का चेहरा तो ज्यादा अच्छा नहीं था.. क्योंकि उनके दांत थोड़े से बाहर निकले हुए थे.. लेकिन उनकी बॉडी जबरदस्त थी।
उनका 32-34-36 क्या मस्त फिगर था उनके बड़े-बड़े चूचे और निकली हुई गाण्ड बहुत मस्त लगती थी। वो ज्यादातर जीन्स और टॉप पहनती थीं.. जिनसे उनकी बॉडी किसी को भी मदहोश कर देती थी।
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फिर दीदी लाल रंग की टी-शर्ट पहनने लगीं.. उन्होंने उसके नीचे ब्रा भी नहीं पहनी और फिर एक जीन्स निकाली और पहन कर मेकअप करने लगीं।
तभी उनका ध्यान खिड़की पर पड़ा और वो खिड़की के पास आकर मेरी खिड़की की तरफ देखने लगीं। चूँकि लाइट बंद होने की वजह से उन्हें कुछ दिखा नहीं, उन्होंने खिड़की बंद कर दी और चली गईं।
फिर मैंने उनके नाम की एक बार मुठ मारी और कुछ देर तक बिस्तर पर पड़ा रहा।
कुछ दिनों बाद मेरे घर के सभी लोग पूजा करने के लिए मथुरा गए और घर में सिर्फ मैं और मेरे पापा ही रह गए। पापा सुबह-सुबह दुकान चले गए.. वो शाम को वापस आते हैं।
मैं भी उस दिन कॉलेज नहीं गया और अपने दोस्त के साथ घूमने निकल गया। अभी एक घंटा ही हुआ था कि एक फ्रेंड ने मुझे ब्लू-फ़िल्म की सीडी दे दी और मैं उसे देखने के लिए घर आ गया।
मेरे घर में एक ही टीवी है.. जो नीचे वाले कमरे में रखा हुआ है। सो मैंने गेट बंद कर दिया और फिर आराम से ब्लू-फ़िल्म देखने लग गया। सोफे पर बैठ कर मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मेरे घर की डोरबेल बजी.. तो मैंने सोचा इस वक़्त कौन होगा.. मुझे लगा मेरा कोई दोस्त होगा.. तो मैंने सिर्फ चैनल बदल कर टीवी मोड पर कर दिया और सीडी को पॉज कर दिया।
मैं दरवाजा खोलने चला गया।
मैंने जब दरवाजा खोला तो देखा शालू दीदी मेरे सामने खड़ी थीं, वो जीन्स और स्लीवलैस टी-शर्ट पहने हुए थीं।
मैं उन्हें देख कर चौंक गया और मेरी आवाज भी रुकने लगी।
दीदी- मेरे घर का टीवी ख़राब हो गया है और मुझे एक सीरियल देखना है।
इतना कहते ही वो घर के अन्दर चली आईं.. और मैं वहीं देखता रह गया।
फिर मैंने दरवाजा बंद किया और अन्दर कमरे में आया तो देखा कि दीदी सोफे पर बैठ कर अपना सीरियल देख रही थीं।
मैं भी एक तरफ बैठ कर देखने लगा और सोचने लगा कि कहीं दीदी वो सीडी मोड न चला दें।
मेरा ध्यान सीरियल में कम था। तभी अचानक ब्रेक हो गया और दीदी चैनल बदलने लगीं.. और इधर मेरा दिल धड़कने लगा।
तभी उनका ध्यान सीडी प्लेयर्स की लाइट पर पड़ी।
दीदी- कोई मूवी देख रहे थे क्या?
मैं- घबराते हुए नहीं तो..
फिर उन्होंने तुरंत सीडी मोड लगा दिया और स्क्रीन पर एक नंगा लड़का और लड़की लेटी हुई पोजीशन में पॉज थे।
दीदी यह देख कर मेरे तरफ देखने लगीं और मैं भी उनके तरफ देख रहा था।
दीदी- तो आप यही सब देखते हैं?
मैं- दीदी वो आज पहली बार देख रहा था।
दीदी ने घूरते हुए पूछा- झूठ.. सच-सच बताओ कब से चल रहा है ये सब?
मैं- दीदी कुछ दिनों से देख रहा हूँ।
दीदी फिर खड़ी हुईं और कमरे के बाहर जाने लगीं.. मैं वहीं बैठा रहा।
तभी अचानक वो फिर वापस आईं और मेरे ठीक सामने बैठ गईं और कहने लगीं- मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी.. लेकिन तुम्हें कुछ मेरे लिए भी करना होगा।
मैंने सोचा कोई छोटा सा काम होगा.. तो मैं मान गया।
दीदी उठीं और मेरी सोफे पर आकर मेरे ऊपर बैठ गईं।
दीदी- मैं कैसी लगती हूँ?
मैं- यह आप क्या पूछ रही हैं?
दीदी- मैंने जितना पूछा.. उतना बताओ।
मैं- अच्छी लगती हैं।
फिर वो अपने मम्मों को आगे करके मेरे चहरे पर रगड़ने लगीं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उन्हें हटाता रहा.. उन्होंने मुझसे कहा- तुमने मुझे वादा किया था।
मैं सोचने लगा और खुश भी होने लगा कि जिनके नाम का मैं मुठ मारता हूँ.. आज वो खुद मेरी बाँहों में हैं।
उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे किस करने लगीं। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके बड़े-बड़े चूचों को दबाने भी लगा।
कुछ देर बाद वो मेरे बेल्ट को खोलने लगीं.. तो मैंने मना किया और कहा- मेरे कमरे में चलो।
वो ‘हाँ’ बोलीं.. और मुझे चुम्बन करने लगीं।
उनका वजन ज्यादा नहीं था.. तो मैंने उन्हें उसी पोजीशन में उठा लिया। उन्होंने टीवी बंद किया और रिमोट फेंक कर मुझसे लटक गईं। मैं उन्हें अपने कमरे में ले जाने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे और मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड पर फेरने लगा। उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था और उन्होंने मुझे और जोर से दबा लिया।
मैंने कमरे में पहुँच कर उनको बिस्तर पर गिरा दिया और फिर लाइट बन्द करके उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने उनको चूमना स्टार्ट किया और एक हाथ से उनकी चूची को दबाने लगा। मैंने दूसरे हाथ को उनकी चूत पर रख दिया। उन्होंने भी अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।
मैं अब नीचे आया और उनकी जीन्स को धीरे-धीरे नीचे किया और निकाल दिया। फिर उनकी रेड कलर की पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा और फिर एक झटके में पैन्टी को निकाल दिया।
उनकी गोरी चूत मेरे सामने थी.. मैंने उसे चूसना स्टार्ट किया। वो मदहोश हो गईं और अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनकी टी-शर्ट को भी निकाल फेंका और उनकी चूचियों को भी फ्री कर दिया।
अब वो उठीं.. उन्होंने पहले मेरी शर्ट को फिर पैंट के बेल्ट को सेक्सी अन्दाज़ में निकाला और मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे।
दीदी- तुम्हारा तो ज्यादा बड़ा नहीं है।
मैं- मेरा बड़ा नहीं है.. मतलब आप किसी और से चुदवा चुकी हैं?
दीदी ने घबराते हुए कहा- नहीं तो..
मैं- बताओ न प्लीज़..
दीदी- तुम राहुल को जानते हो न.. उससे..
राहुल हमारे मोहल्ले का ही लड़का है मुझसे 4 साल बड़ा है।
फिर उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगीं और फिर तुरंत मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैं बोर होने लगा था क्योंकि मुझे दीदी को चोदना था.. तो मैंने उन्हें हटाया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत पर अपना लण्ड रख कर डालने लगा।
मेरा लण्ड तुरंत उनकी चूत में चला गया और मैं उन्हें पोजीशन बदल-बदल कर चोदने लगा।
देर तक की चुदाई के बाद मैं झड़ गया.. पर दीदी नहीं झड़ी थीं।
मैं उनके ऊपर लेट गया और उन्हें पकड़ कर ढेर हो गया।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि दीदी मेरे लण्ड के साथ खेल रही थीं।
मैंने उनके मम्मों को दबाया और अपने बगल में लिटा लिया और उनको वो सब बात बता दी कि कैसे मैं उन्हें रोज़ देखता हूँ।
तो दीदी ने कहा- यानि कि तू मुझपे पहले से ही नज़र रखता था।
फिर दीदी ने अपने कपड़े पहने और मैंने भी.. फिर हम दोनों नीचे आ गए।
वो अपने घर चली गईं।
दीदी अब जब भी कपड़े बदलती हैं तो मुझे खिड़की से दिखाती हैं।
समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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