09-03-2022, 02:20 PM
सरिता भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery सरिता भाभी
|
09-03-2022, 02:20 PM
सरिता भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:22 PM
दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने टीवी चालू किया और बेड पर लेटकर आराम से टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मैंने अपने मोबाइल से विलास को फोन लगा कर पूछा- यार विलास, तुम कब तक आ रहे हो, मुझे बड़ा बोर लग रहा है यार. तुम जल्दी आ जाओ, हम साथ में खाना खाएंगे. विलास बोला- हां यार, मैं यहां से निकल चुका हूँ. बस आधा घंटा में पहुंच जाऊंगा. मैंने टीवी बंद किया और दरवाजा बंद करके नीचे चला गया. सरिता किचन में खाना बना रही थी. मैंने सरिता को आवाज दी- भाभी जी, विलास आधा घंटा में पहुंच रहा है. उसके आने के बाद हम सब साथ में खाना खाएंगे. तो सरिता मेरी तरफ देखकर बोली- देवर जी, क्या आपने उनको फोन लगाया था … आप अकेले बोर हो गए क्या? सरिता ने हंसते हुए मुझे आंख मारकर कहा तो मैंने भी कहा- हां भाभी जी. मैंने भी सरिता को हंसते हुए आंख मारी और विलास के पिताजी और मां के साथ बातें करने बैठ गया. इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला. इतने में विलास भी आ गया. उसने थोड़ी देर हम सभी के साथ बातें की. तभी सरिता आयी और बोली- खाना तैयार हो गया है. वो विलास से बोली- आप हाथ पांव धोकर आओ, मैं सबको खाना लगाती हूँ. विलास फ्रेश होकर आ गया. हम सब साथ में खाना खाने लगे और साथ में बातें भी करने लगे. तभी विलास के पिताजी ने पूछा- विलास, अपना काम हो गया क्या? विलास ने कहा- नहीं पिताजी, कुछ पेपर और जोड़ने पड़ेंगे तो कल फिर जाना पड़ेगा. मैं और सरिता हम दोनों ही अन्दर से खुश होकर एक दूसरे की ओर देख रहे थे. सरिता कामुक निगाहों से मेरी ओर देख रही थी. अब हम सबका खाना खत्म हो गया और हम उठकर आंगन में बैठ गए. विलास बोला- सॉरी हर्षद, तुमको अकेले बहुत बोरियत हुई होगी ना! “अरे यार ऐसी बात नहीं है. मैंने भी गांव में जरा इधर उधर घूमकर टाइम पास किया है. मैं तेरी मज़बूरी समझता हूँ.” बात करते करते हमें तीन बज गए. मैंने विलास से कहा- मैं ऊपर जाकर आराम करता हूँ. विलास बोला- ठीक है, मैं पिताजी से बातें करके बाद में आता हूँ. मैं ऊपर गया और विलास के बेड पर ही लेट गया. खाना खाने की वजह से आंखों में नींद भर रही थी. मेरी आंखें कब बंद हुईं, कुछ पता ही नहीं चला. मेरी आंखें तब खुलीं, जब मेरे लंड पर मुझे कुछ दबाव सा महसूस हो रहा था. मैंने अपनी आंखें हल्की सी खोलकर देखा तो विलास मेरे पास मेरी तरफ मुँह करके सोया था. मैं पीठ के बल सो रहा था, विलास का एक हाथ मेरे लंड पर था. विलास ने मेरी लुँगी खोलकर बदन से अलग की हुई थी और उसने मेरी ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड पर अपने हाथ से दबाव बनाया हुआ था. मैं सोने का नाटक करते हुए सब देख रहा था. मैंने सफेद ब्रीफ पहनी थी तो विलास को लंड का पूरा दीदार हो रहा था. अब विलास अब मेरे लंड को सहलाने लगा था. मैं भी पूरा मजा ले रहा था. मुझे सुबह की सरिता की चुदाई का दृश्य याद आने लगा था. विलास इस तरह हल्के हल्के से मेरे लंड को सहला रहा था कि मेरे लंड में तनाव आने लगा था. लंड में गुदगुदी हो रही थी. अब मैंने भी नींद का दिखावा करते हुए अपनी दोनों टांगें दोनों तरफ फैला दीं. विलास ऊपर से नीचे तक अपनी उंगलियां चलाने लगा था और बीच में ही लंड को दबा देता था. इसी वजह से मेरा लंड ब्रीफ में फड़फड़ाने लगा था. मेरी ब्रीफ का उभार बढ़ने लगा था. जब विलास से रहा नहीं गया तो उसने नीचे सरक कर मेरे लंड के उभार पर अपने होंठ रख कर किस कर दिया. वो मेरे सुपारे से लेकर नीचे अंडकोश तक हर जगह लगातार किस करने लगा. अब तो उसने ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड दांतों से हल्के से काट लिया तो मैं कसमसाने लगा और मेरा लंड फुदकने लगा. मेरे लंड का हाल देखकर विलास मेरी ब्रीफ नीचे खींचने लगा तो मैंने अपनी कमर ऊपर उठा कर उसकी मदद की. ब्रीफ नीचे खिंचते ही मेरा तना हुआ लंड उछल कर बाहर आ गया और फड़फड़ाने लगा. विलास ने एक ही झटके में मेरी ब्रीफ निकाल कर तकिए के नीचे रख दी और अपने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़कर ऊपर नीचे सहलाने लगा. कुछ पल बाद उसने अपने मुँह से मेरे लंड के सुपारे पर ढेर सारा थूक टपका दिया और सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगा. अब मुझे भी रहा नहीं गया तो मैं अपने हाथों से उसका सर सहलाने लगा और लंड पर उसके सर का दबाव डालने लगा. विलास भी जोश में आकर लंड अन्दर बाहर करके चूसने लगा. मेरा पूरा लंड विलास ने अपने थूक से लबालब कर दिया था. बीच में ही जब उसके मुँह से पचापच की आवाज निकलती थी तो मेरा जोश और बढ़ने लगता था. मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगी थीं. मैंने विलास से कहा- आ हा हा इस्सस हह विलास कितना मस्त चूस रहे हो … आंह बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है … ऐसे ही चूसते रहो. विलास लंड चूसते हुए बोला- यार, तेरा लंड इतना मोटा और मूसल जैसा है कि छोड़ने का दिल ही नहीं करता. जब तक तू यहां है, तब तक मुझे चूसकर मजे लेने दे … फिर ना जाने फिर तुम कब आओगे. विलास अब अपने दोनों हाथों से मेरा लंड मसल रहा था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:22 PM
मैंने कहा- यार विलास, मैं जब तक यहां हूँ, ये लंड तेरा ही है. जब चाहे चूसते रहना.
विलास बोला- हां हर्षद मैं छोड़ूँगा नहीं … इसे चूस चूस कर और मोटा और लंबा बना दूँगा. उसने मेरा लंड फिर से मुँह में भर लिया और गपागप चूसने लगा. वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गहराई तक ले रहा था. अब विलास लंड चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को सहलाने लगा तो मैंने दोनों टांगें दोनों बाजू फैला दीं. मैं बहुत कामुक होता जा रहा था. वो अपने हाथों से मेरी गांड भी सहला रहा था और मुँह से लंड चूसने का काम भी जारी था. अब तो वो अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर भी फिराने लगा था, तो मैं कामुकता से सीत्कार उठता था. मैंने विलास से बोला- अब तुम ऐसे करोगे, तो मैं झड़ जाऊंगा. विलास बोला- इतना जल्दी मत झड़ना यार … मुझे अभी और मजा लेने दो. आज मुझे तुम्हारे लंड का ढेर सारा अमृत पीना है. इतना कहकर उसने लंड मुँह से निकाल दिया और सुपारे पर गोल गोल अपनी जीभ घुमाकर नीचे नीचे आने लगा. फिर एक हाथ से उसने मेरा लंड पकड़ा और हिलाने लगा; मेरा एक अंडकोश मुँह में लेकर चूसने लगा. वो बारी बारी से एक गोटी लेकर चूसता और उसे होंठों के बीच दबा कर खींच देता था. मुझे पहली बार ये सब अनुभव का आनन्द मिल रहा था. फिर विलास ने अपना मुँह और नीचे लाकर मेरी गांड के छेद को अपने होंठों से किस किया तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी. विलास अपनी जीभ मेरी गांड के छेद के आजू बाजू गोल गोल घुमाने लगा तो मैं सह नहीं पा रहा था. मैं पूरी तरह से कामुक होकर अपनी गांड नीचे से उठा रहा था और विलास का सर अपने हाथों से अपनी गांड पर दबा रहा था. मैंने विलास से कहा- यार बस कर अब … नहीं तो मैं झड़ जाऊंगा. मगर वो तो मानो पागल हो गया था. उसने मेरा लंड फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा मेरा लंड उसके गले की गहराई में जाकर वापस आ रहा था. दस मिनट धुँआधार लंड चुसाई के बाद आखिर वो पल नजदीक आ गया था. मैं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था. मैंने विलास से कहा- आंह विलास, अब मैं झड़ने वाला हूँ आंह अअअह … इह और चूस जोर से आह आंह! बस मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मारी जो विलास के गले की गहराई तक गयी. विलास भी जोश में आकर मेरा लंड जोर जोर से चूस रहा था, वो पूरा रस पीता जा रहा था. बल्कि अब तो वो मेरा पूरा लंड अन्दर बाहर करके चूस रहा था. इस तरह से उसने मेरा पूरा लंड चूसकर निचोड़ लिया था. एक एक बूंद उसने चाटकर, मेरे लंड को पूरा साफ कर दिया था. हम दोनों ही बहुत खुश हो गए थे. हम दोनों थक गए थे. मैंने अपने अपने हाथ पांव तानकर लंबे कर दिए और आंखें बंद कर दीं. मैं ऐसे ही नंगा ही पड़ा रहा और विलास अपना मुँह मेरी जांघों पर रखकर सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं नीचे से नंगा था. विलास बनियान और लुँगी पहने हुए था. थकावट के कारण मेरी आंखें बंद हो रही थीं … पर नींद नहीं आ रही थी क्योंकि विलास की गर्म गर्म सांसें मेरे लंड को छूकर गर्म कर रही थीं. अचानक विलास के सर की हलचल हुई और अब विलास का मुँह मेरे लंड के सुपारे के पास आ गया था. विलास सोया था, लेकिन उसकी गर्म सांसें मेरे लंड को उकसा रही थीं, गर्म कर रही थीं. इसी वजह से मेरा सोया हुआ लंड फिर से जागने लगा था. विलास थककर सोया था तो मैं उसे उठा नहीं सकता था और अपने लंड को काबू में ही नहीं रख सकता था. इसका अंजाम यही हुआ कि मेरे लंड का सुपारा फूलकर विलास के होंठों को फिर से छूने लगा था. मेरी कामुकता बढ़ रही थी. लंड और जोश में आने लगा था, तो और तन गया. लंड विलास के होंठों को रगड़ने लगा तो विलास ने अपने होंठों से मेरा सुपारा पकड़ लिया. मैं अपनी आंखें बंद करके लेटा रहा. विलास ने अपने होंठों में मेरे लंड को सुपारे को पकड़ा हुआ था, तो मेरा लंड पूरे तनाव में आने लगा था. इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी. आवाज सुनकर तो मुझे पसीने छूटने लगे थे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:23 PM
मैंने विलास को हिलाकर जगाया और कहा- दरवाजा खोलो जाकर.
विलास उठ गया और मैंने भी अपनी लुँगी लपेट ली, लेकिन तना हुआ लंड नहीं छुपा सकता था. उधर विलास ने दरवाजा खोला तो भाभी ट्रे में चाय का थर्मस और चाय के कप लेकर अन्दर आयी. विलास उसे ‘मैं फ्रेश होकर आता हूँ …’ बोलकर बाथरूम में घुस गया. मैं भी बेड से उठकर खड़ा हो गया था. सरिता ने ट्रे तिपाई पर रखते हुए पूछा- देवर जी, नींद पूरी हुई क्या? मैंने अँगड़ाई लेकर कहा- नहीं भाभीजी. आपने डिस्टर्ब कर दिया. सरिता की नजर मेरी लुँगी में बने हुए तम्बू पर थी. वो बोली- अच्छा देवर जी. उसने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और मेरे पास आकर मुझे बांहों में भर लिया. मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा. उससे रहा नहीं जा रहा था, वो मेरे कान में बोली- अब देखती हूँ, रात भर कैसे सोते हो तुम? यह कह कर सरिता मेरे होंठों को चूसने लगी. मुझे भी बहुत जोश आ गया और उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़कर लंड पर दबाव बढ़ाने लगा. सरिता कसमसा रही थी और जोर से मेरे लंड पर गाउन के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थी. वो बहुत कामुक हो रही थी. मैं सरिता की गोलमटोल गांड जोर जोर से दबा रहा था तो वो हल्के से सिसकारियां लेने लगी थी. इतने में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आयी तो सरिता अलग होकर कुर्सी में जाकर बैठ गयी. मैं बेड पर बैठ गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:25 PM
विलास को बाथरूम से बाहर आया देख कर सरिता बोली- देवर जी, जाइए आप भी जल्दी से फ्रेश होकर आइए.
मैं भी लंड को छुपाकर बाथरूम चला गया. पांच मिनट में मैं फ्रेश होकर आ गया. फिर सरिता ने हम तीनों के लिए चाय परोस दी और हम तीनों सामान्य होकर बातें करते करते चाय पीने लगे. चाय पीने के बाद विलास पैंट पहनकर तैयार होकर बोला- हर्षद तू आराम कर, मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ … गांव में थोड़ा काम है. मैं एक डेढ़ घंटे में आ जाऊंगा. तुम देवर भाभी बातें करते रहो या आराम करो. ये बोलकर विलास अपनी बाईक की चाबी लेकर चला गया. मैंने सरिता से पूछा- तुम्हारा दर्द कैसा है अभी? सरिता बोली- गोली की वजह से पूरा दर्द गायब हो गया है. तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो हर्षद. भाभी उठती हुई बोली और बिस्तर देख कर कहने लगी- कितना अस्तव्यस्त किया है बेड … ये बेडशीट, तकिए … क्या कोई जंग लड़ी है यहां? सरिता बेड के पास गयी और झुककर तकिये उठाने लगी. मेरी नजर सरिता की गांड पर जा पड़ी. गाउन के ऊपर से ही गोलमटोल गांड और बीच वाली दरार साफ दिख रही थी. बहुत ही सेक्सी नजारा था. उसकी कसी हुई पैंटी भी साफ़ नजर आ रही थी. मेरा लंड फिर से तनाव में आने लगा. तभी सरिता ने आवाज दी- हर्षद ये क्या है? सरिता तकिया बाजू में रखकर मेरी ब्रीफ हाथ में लटकाकर मुझे दिखा रही थी. वो बोली- ये तो तुम्हारी है ना हर्षद? मैंने उठकर शर्माते हुए कहा- हां सरिता ये मेरी ही है. मैं ब्रीफ लेने उसके पास गया तो उसने हाथ ऊपर करके कहा- पहले ये बताओ कि तुम नंगे क्यों सोये थे? तो मैं उसके हाथ से ब्रीफ छीनने लगा. इसी छीनाझपटी में सरिता पीछे हट कर सरक गयी तो वो बेड पर गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर. उसने मुझे पकड़ा था इसलिए मैं उसके ऊपर छा गया. मेरे दोनों हाथ उसके चुचों को पकड़े हुए थे और नीचे लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था. मैं सरिता की चूचियां जोर से गाउन के ऊपर से ही मसल रहा था. सरिता कसमसाकर बोली- उठो हर्षद … अभी कुछ मत करना. प्लीज … छोड़ दो मुझे. अब जो भी करना है, रात को करना. मैंने कहा- ठीक है. मैं उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया तो सरिता भी उठ कर खड़ी हो गयी. वो मेरी ब्रीफ मुझे देती हुई बोली- अब बताओ नंगे क्यों सोये थे? मैंने भी कह दिया- तुम्हारे पति ने ही मुझे नंगा किया था. उसे मेरा लंड चूसना था. तुम दोनों ने मेरी नींद हराम कर दी है. मैंने हंसते हंसते सरिता से कहा और सरिता ने कामुक भरी नजरों से मेरी ओर देखा. वो मेरा लंड अपने दोनों हाथों से मसलकर बोली- और मेरी नींद तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड ने चुरायी है. जब से इसे देखा है … और सुबह मुझे रगड़कर चोदा है, तब से बार बार मेरी चूत गीली हो जाती है. मैंने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो! ऐसे कहते हुए मैंने सरिता का गाउन झट से ऊपर कर दिया और एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाकर देखा. सच में सरिता की पैंटी गीली हो गयी थी. सरिता कामुक भरी आवाज में बोली- मैं क्या झूठ बोल रही हूँ हर्षद? “अरे नहीं सरिता, मुझे भी तुम्हारी याद आते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगता है.” मैंने उसे एक हाथ से अपनी ओर खींच लिया तो सरिता के हाथ में पकड़ा हुआ मेरा लंड सीधे जाकर सरिता की चूत पर रगड़ खाने लगा. सरिता के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां निकलने लगीं. सरिता की पैंटी गीली होने के कारण मेरे लंड का सुपारा पूरा गीला हो गया था. अब मुझे भी जोश आने लगा था, मैं और नहीं रुक सकता था. मैंने सरिता की पैंटी अपने दोनों हाथों से घुटने तक नीचे सरका दी तो मेरे लंड का सुपारा चूत की दरार में रगड़ खाने लगा था. सरिता पूरी तरह से कामुक होकर सिसकारियां ले रही थी और साथ में लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी. मैं पीछे से सरिता का गाउन ऊपर करके अपने दोनों हाथों से उसकी गांड मसलने लगा था. साथ ही मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता रहा. सरिता कसमसा रही थी. इतने में मैंने जोर का धक्का मारा, तो मेरा पूरा सुपारा सरिता की चूत की दीवारों को चीरकर अन्दर घुस गया. इस अचानक हुए हमले से सरिता जोर से चिल्ला पड़ी और वो लंड छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगी. मैं भी उसकी गांड सहला रहा था. सरिता की आहें वासना में डूब गयी थीं और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया था. उसकी चूत बहुत गर्म हो चुकी थी. मैं अपने लंड से झटके देने लगा तो वो एकदम जोर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी. लंड की कुछ ही रगड़ों में उसकी चूत ने गर्म लावा छोड़ दिया और अपने रज से मेरे पूरे लंड को नहला दिया था. सरिता झड़ने के बाद झट से मुझसे अलग हो गयी- अब बस भी करो हर्षद. बहुत बुरा हाल कर दिया तुमने! उसने अपनी पैंटी निकालकर मेरा लंड अपनी पैंटी से साफ कर दिया और मेरी ब्रीफ से अपनी चूत और जांघें साफ कर दीं. मैंने सरिता से कहा- अब तुम्हारा तो हो गया, लेकिन मेरे लंड का क्या करोगी? सरिता बोली- बहुत बदमाश हो तुम हर्षद. तुम्हारे लंड का इलाज मैं आज पूरी रात भर करूंगी. मैंने कहा- तुम तो अपने पति के साथ सोओगी ना? जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:26 PM
तो सरिता बोली- उनकी चिंता तुम मत करो. मैं सब सभांल लूंगी.
उसने हंसते हुए बोला और अपनी पैंटी और मेरी ब्रीफ धोने बाथरूम में चली गयी. पांच मिनट में ही सरिता वापस कमरे में आई … उसने धोयी हुई पैंटी और ब्रीफ लाकर मेरे कमरे में सुखाने को डाल दी. फिर उसने अलमारी से दूसरी पैंटी निकालकर पहन ली और मेरी ओर देखती हुई बोली- तुम्हारे पास दूसरी ब्रीफ है क्या हर्षद? मैंने कहा- नहीं है. वो शैतानी से बोली- मेरी पहनोगे? मैंने कहा- हां दे दो, कोशिश करता हूँ. सरिता ने अलमारी से लाल रंग की अपनी पैंटी मुझे दे दी. मैं उसके सामने ही लंड पर पैंटी डाल दी, लेकिन उसमें मेरा लंड आराम से नहीं बैठ पा रहा था. सरिता हंसती हुई बोली- तुम्हारा ये लंड भी तुम्हारी तरह बदमाश है, चुपचाप नहीं बैठता. मैंने भी हंस दिया. सरिता बोली- अब लुँगी पहन लेना, रात को कौन देखेगा. उसने घड़ी देखी, तो शाम के साढ़े छह बज चुके थे- बाप रे … बहुत देर हो गयी हर्षद. अब मैं जा रही हूँ. सरिता चाय की ट्रे लेकर नीचे चली गयी. मैंने अपनी लुँगी ठीक से गाँठ लगाकर पहन ली और टीवी चालू करके बेड पर लेट गया. टीवी देखते ही कब मेरी आंख लग गयी, पता ही नहीं चला. फिर जब विलास ने जगाया तो घड़ी में साढ़े सात बज चुके थे. “अरे यार विलास अच्छा हो गया तुमने मुझे जगा दिया, नहीं तो ना जाने कितनी देर तक सोता रहता.” इतना कहकर मैं बाथरूम में गया और फ्रेश होकर आ गया. तब तक विलास ने पैंट निकालकर लुँगी पहन ली. हम दोनों टीवी देखते हुए बातें करने लगे. करीब साढ़े आठ बजे विलास के मोबाइल पर सरिता का फोन आया- खाना तैयार है, आ जाओ. हम दोनों नीचे आ गए तो सरिता सबके लिए टेबल पर खाना परोस रही थी. हम सब बैठ गए. सरिता मेरे सामने अपनी सासू मां के साथ बैठी थी. हम सब बातें करते खाना खा रहे थे. मैंने विलास के पिताजी से कहा- अंकल, मेरी छुट्टी कल तक की है, तो मैं कल पांच बजे चला जाऊंगा. अंकल ने कहा- अरे हर्षद, और दो दिन रहो ना … हमें बहुत अच्छा लगेगा. मैंने कहा- नहीं अंकल, मैं फिर कभी आऊंगा. हालांकि मेरा भी मन नहीं कर रहा है जाने को. ये मैं सरिता की ओर देखकर बोला तो सरिता ने अपना पैर मेरे पैर पर रख दिया. शायद वो रुकने को बोल रही थी लेकिन सबके सामने कह नहीं सकती थी. अंकल बोले- ठीक है हर्षद जैसा तुम चाहो. हम सब खाना खाकर थोड़ी देर गपशप करने बाहर बैठ गए. अब साढ़े नौ बज गए थे तो विलास बोला- चलो हर्षद ऊपर चलते हैं. कल सुबह मुझे आठ बजे जाना है. हम दोनों ऊपर आ गए. विलास ने टीवी चालू कर दिया. मैं कुर्सी में बैठ गया और विलास बेड पर बैठ गया. हम दोनों पुरानी यादें ताजा करने लगे; बहुत सारी बातें एक दूसरे से साझा करते रहे थे. थोड़ी देर में सरिता हाथ में ट्रे लेकर आयी. वो हम तीनों के लिए दूध लायी थी. उसने विलास को और मुझे ग्लास दिया और एक खुद ने भी ले लिया. हम तीनों दूध पीने लगे. सरिता ने मुझसे कहा- देवर जी, और दो दिन रहते तो हम लोगों को अच्छा लगता. “नहीं भाभीजी, ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती है ना.” सरिता मुँह लटका कर विलास से बोली- सुनो जी, अब आप ही कुछ कहो ना. विलास बोला- सरिता उसकी नयी नयी जॉब है. इसलिए ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती. तुम्हारे आने से पहले ही मैं हर्षद को यही कह रहा था. वो फिर कभी आने की भी बोल रहा है. उसकी मज़बूरी है तो हम जबरदस्ती नहीं कर सकते ना सरिता. बातें करते करते दस बज गए थे. विलास बोला- हर्षद अब मैं सोता हूँ. सुबह आठ बजे मुझे जाना है. तुम भी सो जाओ. ये कह कर विलास अपने बेड पर लेट गया. सरिता ने उठकर बाहर का दरवाजा लॉक कर दिया. मैं भी उठ गया और अपने रूम में जाकर दरवाजा हल्के से लगा दिया, लॉक नहीं किया. मैं अन्दर जाकर अपने कपड़े निकालकर पूरा नंगा हो गया. सरिता की पहनी हुई पैंटी भी निकालकर रख दी, कमरे की लाईट बंद कर दी और जीरो वाट की लाईट चालू कर दी. मैं लुँगी अपने बदन पर ओढ़कर लेट गया. मैंने बीच की खिड़की की तरफ देखा तो सरिता भी लाईट बंद करके सो गयी थी. मैं आंखें बंद करके सरिता के आने का इंतजार करने लगा. आधा घंटा हो गया था. मुझे तो एक मिनट भी एक घंटा जैसे लग रहा था. पूरी रात सरिता को चोदने की चाहत से मन में तो लड्डू फूट रहे थे. इस सोच से ही मेरे लंड में भारी गुदगुदी हो रही थी. थोड़ा और इंतजार करके मैं खिड़की के पास जाकर देखने लगा. जीरो वाट की लाईट में सब दिखाई देता था. मैंने पर्दा थोड़ा सा हटाया और देखा तो विलास दीवार की तरफ मुँह करके सोया था और सरिता पीठ के बल टांगें फैलाकर लेटी थी. सरिता का एक हाथ अपनी चूचियों पर रखा था और दूसरा हाथ चूत पर रखा था. उसकी आंखें बंद थीं. मैं थोड़ी देर ऐसे ही सरिता की तरफ नजरें गाड़कर देखता रहा. अब सरिता अपने एक हाथ से अपनी चूत को गाउन के ऊपर से ही सहला रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूचियां सहला रही थी. मुझे ये देखकर अपने पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ने लगी. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने बेड पर रखी सरिता की पैंटी को लेकर उसे बॉल जैसी गोल बनाकर खिड़की से उसकी ओर फैंका, तो उसकी चूत पर जाकर लगी. सरिता बौखला कर उठ गयी. उसने मेरी तरफ देख लिया और हंसते हुए हाथ से इशारा किया- रुको, मैं आ रही हूं. उसने अपनी पैंटी उठायी और बेड के नीचे उतर कर खिड़की बंद कर दी. मैं भी बेड पर बैठ गया. ग्यारह बज रहे थे. सरिता ने हल्के से दरवाजा खोला और अन्दर आकर आहिस्ता से बंद कर दिया. अब हम दोनों की इंतजार की घड़ियां खत्म हो गयी थीं. मैं बेड पर बैठकर सरिता को देख रहा था. उसके हाथ में वो पैंटी थी जो मैंने उसे मारी थी. उसने वो पैंटी मेरे लंड पर फैंकी. मेरा लंड खड़ा होने की वजह से वो लंड पर लटकने लगी. सरिता हंसती हुई बेड के पास आयी. उसने अपना गाउन निकालकर कुर्सी पर रख दिया और मेरे लंड पर लटकती पैंटी को भी निकाल कर रख दी. सरिता पूरी तैयारी के साथ आयी थी; उसने पैंटी और ब्रा नहीं पहनी थी. मैं उसका कंटीला और सेक्सी बदन देखता ही रह गया जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 02:27 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2024, 10:46 PM
(This post was last modified: 06-02-2024, 03:37 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(09-03-2022, 02:27 PM)neerathemall Wrote: .\\\||||| जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2024, 10:51 PM
Adult mega collection = https://linktr.ee/mmskakhazana
02-02-2024, 05:23 PM
(This post was last modified: 06-02-2024, 03:34 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नयी कहानी
!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:02 AM
भाभी संग
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:02 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:03 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:04 AM
भाभी संग
.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:05 AM
(06-02-2024, 11:04 AM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:06 AM
(06-02-2024, 11:04 AM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:06 AM
भाभी ने आते ही सारे घर की जिम्मेदारी सम्भाल ली। भाभी सारा दिन घर के कामों में व्यस्त रहती थीं.. और जब कभी समय मिलता तो मेरी पढ़ने में भी सहायत करती थीं।
भाभी ने बी.एससी. कर रखी थी इसलिए मैं भी पढ़ाई में कोई दिक्कत आने पर भाभी से पूछ लेता था। कॉलेज से आने के बाद मैं भी भाभी के घर के कामों में हाथ बंटा देता था। भाभी मना करती थीं और कहती थीं- तुम बस पढ़ाई करो.. ये सब तो मैं अपने आप कर लूँगी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:07 AM
मेरे भैया चाहते थे कि मैं आर्मी में आफीसर बनूँ और यह बात उन्होंने भाभी को भी बता रखी थी इसलिए भाभी हमेशा मुझे पढ़ने के लिए बोलती थीं। मैं भी पढ़ने में काफ़ी तेज था.. हमेशा कॉलेज में अव्वल आता था।
समय के साथ-साथ मैं और भाभी एक-दूसरे से बिल्कुल खुल गए थे, अब तो हम एक-दूसरे से हँसी-मज़ाक भी कर लेते थे। मगर अभी तक मैंने भाभी के बारे में गलत नहीं सोचा था और वैसे भी सेक्स के बारे में मुझे इतना कुछ पता भी नहीं था। लेकिन मेरे एक-दो दोस्त थे जो कि सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानते थे, वे तो लड़कियों के साथ सेक्स भी कर चुके थे। उन्होंने ही मुझे पहली बार औरत कि अश्लील और नंगी तस्वीर दिखाई थी और हस्तमैथुन करना भी सिखाया था। एक बार कॉलेज से आते समय हम सारे दोस्त सेक्स के बारे में बातें कर रहे थे कि तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा- तू तो ऐसे ही घूम रहा है जबकि तेरे तो घर में ही जबरदस्त माल है। मैंने कहा- मतलब? तो वो बोला- तेरी भाभी है ना.. और वैसे भी तेरे भैया आर्मी में हैं.. जो कि बहुत कम ही तेरी भाभी के साथ रहते हैं। तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का दिल भी तो सेक्स के लिए करता होगा। इस पर मेरे सारे दोस्त हँसने लगे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:08 AM
उस समय तो मैंने उनकी बातों को मजाक में उड़ा दिया.. मगर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरा भाभी के प्रति नजरिया ही बदल गया।
उस दिन मैं और भाभी ऐसे ही बातें कर रहे थे और बीच-बीच में एक-दूसरे से मजाक भी कर रहे थे कि तभी भाभी ने मेरी बगल में गुदगुदी कर दी और हँसने लगीं। मैं भी भाभी को गुदगुदी करना चाहता था.. इसलिए मैंने भाभी को बिस्तर पर गिरा दिया और दोनों हाथों से उनकी कमर में गुदगुदी करने लगा। भाभी हँस-हँस कर दोहरी हो गईं और उन्होंने अपने दोनों घुटने मोड़ लिए.. जिससे उनकी साड़ी और पेटीकोट कमर तक उलट गए और उनकी दूध सी गोरी जांघें और काले रंग की पैन्टी दिखने लगी.. जिसे देखते ही मेरे रोम-रोम में एक तूफ़ान सा उठने लगा और मेरा लिंग उत्तेजित हो गया। भाभी ने जल्दी से अपने कपड़े ठीक करे और हँसते हुए कहने लगीं- तुम बहुत शरारती हो गए हो। वे उठ कर कमरे से बाहर चली गईं। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
06-02-2024, 11:10 AM
(This post was last modified: 06-02-2024, 11:24 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
|
« Next Oldest | Next Newest »
|