06-02-2024, 12:51 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.

Adultery सरिता भाभी
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06-02-2024, 12:51 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 12:54 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 12:56 PM
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.मैं और अधिक तेजी से धक्के लगाने लगा।
भाभी भी जोर-जोर से ‘आहें..’ भरते हुए जल्दी-जल्दी अपनी कमर को उचकाने लगीं और साथ में ही कभी मेरे गालों को.. तो कभी मेरे होंठों को चूसने लगीं। मेरी व भाभी की सांसें फूलने लगी थीं। भाभी के चेहरे पर तो पसीने की बूँदें भी उभर आई थीं। मेरे लिए सहवास का यह पहला अवसर था.. इसलिए मैं इतना अधिक उत्तेजित हो गया कि कुछ देर में ही मैं चरम पर पहुँच गया। मैंने भाभी शरीर को कस कर पकड़ लिया और मेरा लिंग भाभी की योनि में वीर्य उगलने लगा। तभी भाभी ने भी ‘ईईइशशश.. अहह.. ईईशश.. अआहहह..’ करते हुए मेरे कूल्हों को अपनी दोनों जाँघों के बीच और मेरी पीठ को दोनों हाथों से भींच लिया और मुझसे चिपट गईं। भाभी का भी रस स्खलित हो गया था। काम हो जाने के बाद मैं भाभी के ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा.. तो भाभी ने मुझे धकेल कर अपने ऊपर से उतार दिया, मैं भी उतर कर भाभी के बगल में लेट गया। अब सब कुछ शान्त हो गया था.. मगर हम दोनों की सांसें अब भी उखड़ी हुई थीं। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 12:58 PM
(This post was last modified: 06-02-2024, 01:01 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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06-02-2024, 12:59 PM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:03 PM
भाभी सामान्य होने पर अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गईं.. मगर मैं ऐसे ही पड़ा रहा।
कुछ देर बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आईं और मुझे देख कर हँसने लगीं क्योंकि मैं अब भी नँगा ही पड़ा हुआ था। तभी दरवाजे की घण्टी बजी.. शायद मम्मी-पापा आ गए थे। मैं उठ कर जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे पास रख कर दरवाजा खोलने चली गईं। मम्मी-पापा आ गए थे इसलिए भाभी उनके पास चली गईं.. और मैं चाय पीने लगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:03 PM
उसके बाद मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर मेरा जब भी भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं और मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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06-02-2024, 01:04 PM
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06-02-2024, 01:05 PM
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06-02-2024, 01:05 PM
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06-02-2024, 01:06 PM
मम्मी-पापा के आ जाने के बाद भाभी घर के कामों में व्यस्त हो गईं और मैं ऐसे ही घर में घूमता रहा। घूम तो क्या रहा था.. बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, भाभी के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था। इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं। मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता। खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा। पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो भाभी के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था। करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटा कर कमरे में आईं। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। भाभी के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा। भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था। भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:08 PM
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06-02-2024, 01:09 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:10 PM
![]() इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं। मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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06-02-2024, 01:11 PM
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06-02-2024, 01:12 PM
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06-02-2024, 01:13 PM
करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटा कर कमरे में आईं। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। भाभी के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था। भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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06-02-2024, 01:14 PM
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