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Adultery सरिता भाभी
#41




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भाभी ने नींद में मुझे अपने ऊपर ले लिया था और इतने में ही अलार्म बज उठा था।
मैं जल्दी से भाभी के ऊपर से उतर गया और सोने का नाटक करने लगा।
भाभी अलार्म को बन्द करके जल्दी से उठ कर खड़ी हो गईं। 


मैंने थोड़ी सी आँखें खोलकर देखा तो भाभी कपड़े बदल रही थीं।
कमरे की लाईट बन्द थी.. मगर कम पावर का बल्ब जल रहा था.. जिसकी रोशनी में मैं बिल्कुल साफ से तो नहीं.. मगर फिर भी भाभी को कपड़े बदलते देख सकता था।










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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#42
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भाभी कपड़े बदल कर कमरे से बाहर चली गईं.. और मैं ऐसे ही लेटा रहा। मुझे डर लग रहा था कि कहीं भाभी मेरी शिकायत मम्मी पापा से ना कर दें। यही सोचते-सोचते पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।
दिन के करीब बारह बजे भाभी ने मुझे जगाया और कहा- अब क्या सारा दिन ही सोते रहोगे? रात को तो ना तुम खुद सोते हो और ना ही मुझे सोने देते हो। 
तभी मुझे रात की घटना याद आने लगी.. मैंने भाभी की तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थीं।
मैंने डर और शर्म के कारण गर्दन झुका ली। 

भाभी ने मुझे डांटते हुए कहा- रात को अपने कपड़ों के साथ-साथ मेरे कपड़े भी गन्दे कर दिए।
मैंने अपनी हाफ पैंट की तरफ देखा.. तो उस पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था.. जो कि सूख कर सख्त हो गया था। 

भाभी ने फिर से हँसते हुए कहा- अभी देख क्या रहे हो.. चलो अभी नहा लो। मैं खाना बना देती हूँ।
मैं बुरी तरह से डर रहा था इसलिए बिना कुछ बोले चुपचाप नहाने चला गया।

फिर खाना खाकर ड्राईंग रूम में जाकर लेट गया।
रात भर नहीं सोने के कारण मुझे फिर से नींद आ गई..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43

















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#44














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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#45
फिर खाना खाकर ड्राईंग रूम में जाकर लेट गया।
रात भर नहीं सोने के कारण मुझे फिर से नींद आ गई..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#46
मगर कुछ देर बाद ही मेरी नींद खुल गई और जब मैंने आँखें खोलीं तो मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं क्योंकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट में ही मेरे बगल में सो रही थीं। भाभी के ब्लाउज के भी बटन खुले हुए थे और नीचे उन्होंने ब्रा भी नहीं पहन रखी थी जिससे उनके आधे से भी ज्यादा दूधिया सफेद उरोज नजर आ रहे थे।
जिन्हें देखते ही मेरा लिंग उत्तेजित हो गया।

मैं समझ गया कि शायद भाभी भी मुझसे ये सब करना चाहती.. तभी तो वो मेरे पास इन कपड़ों में आकर सोई हैं।
यह बात मेरे दिमाग में आते ही मेरी ना जाने मुझमें कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई कि मैंने भाभी के ब्लाउज के बचे हुए बटन भी खोल दिए और बटन के खुलते ही भाभी के उरोज स्वतः ही बाहर आ गए.. मानो दो सफेद कबूतर पिंजरे से आजाद हुए हों।

मैं पहली बार किसी के नग्न उरोज देख रहा था.. इसलिए मैं उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगा।
भाभी के दूधिया उरोज और उन पर छोटे से गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे.. जैसे कि सफेद आईसक्रीम पर स्ट्राबेरी रखी हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
!











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.माँ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
भाभी के दूधिया उरोज और उन पर छोटे से गुलाबी निप्पल ऐसे लग रहे थे.. जैसे कि सफेद आईसक्रीम पर स्ट्राबेरी रखी हो।
आईसक्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह में पानी आ जाता है.. वैसे ही भाभी के आईसक्रीम रूपी उरोजों को देख कर मेरे मुँह में भी पानी भर आया।
मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता तो नहीं था.. मगर फिर भी भाभी के उरोज मुझे इतने अच्छे लगे कि मैं एक निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और साथ ही दूसरे उरोज को एक हाथ से धीरे-धीरे सहलाने लगा।
उनके नग्न उरोज का स्पर्श रेशम की तरह मुलायम और आनन्द भरा था। 

भाभी ने आँखें बन्द कर रखी थीं और ना ही वो कुछ बोल रही थीं.. मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं को देख कर पता चल रहा था कि उन्हें भी आनन्द आ रहा है। 
जब मैं उनके उरोज को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होंठ थोड़ा भिंच जाते और जब हल्के से सहलाता तो उनका मुख आनन्द से ‘आह..’ भरने के लिए खुल जाता।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#49
मैं भाभी के निप्पल को लगातर चूस रहा था.. उसमें से कोई रस तो नहीं आ रहा था.. मगर मेरे मुँह में एक चिकनाहट सी घुल गई और मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा गया।
मेरा लिंग तो अकड़ कर लोहे सा सख्त हो गया था.. जिसमें से पानी निकल-निकल कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला करने लगा था।
अपने आप ही मेरा एक हाथ भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुआ उनके संधि स्थल पर जा पहुँचा। भाभी ने नीचे भी पैन्टी नहीं पहन रखी थी.. इसलिए मैं पेटीकोट के ऊपर से ही भाभी की उभरी हुई योनि की बनावट को महसूस कर रहा था। 
जब मेरा हाथ भाभी की योनि को सहलाता हुआ थोड़ा नीचे योनि द्वार पर लगा.. तो मुझे कुछ गीलापन सा महसूस हुआ.. शायद भाभी की योनि से भी उत्तेजना के कारण पानी रिस रहा था। 
अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया था.. मेरे दिल में जल्दी से भाभी की योनि को देखने की चाहत हो रही थी.. इसलिए मैंने भाभी के पेटीकोट को पेट तक पलट दिया जिससे भाभी नीचे से बिल्कुल नग्न हो गईं और उनकी संगमरमर सी सफेद और केले के तने से भी चिकनी जांघें व फूली हुई योनि दिखने लगी।
मगर तभी भाभी ने जल्दी से अपने दोनों घुटने मोड़ कर योनि को छुपा लिया। भाभी ने अब भी आँखें बन्द कर रखी थीं.. शायद मेरे ऐसा करने पर भाभी को शर्म आ रही थी। 
मैं भाभी के घुटनों को दबा कर उन्हें फिर से सीधा करने लगा और मेरे दबाने पर भाभी ने घुटनों को तो सीधा कर लिया मगर दोनों जाँघों को बन्द करके रखा। अब भाभी की दूधिया गोरी जांघें व जाँघों के बीच उनकी फूली हुई बालों रहित योनि मेरे सामने थी जिसके बाल शायद भाभी ने आज ही साफ किए थे।
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#50

















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#51
मैंने आज पहली बार किसी की योनि को देखा था।
दोनों जाँघों के बीच उभरी हुई छोटी सी योनि और गुलाबी रंगत लिए हुए योनि की दरार.. ऐसी लग रही थी मानो पांव (डबलरोटी) को बीचों-बीच चाकू से काटकर उसमे सिंदूर से लाईन खींच रखी हो.. और योनि की दोनों फाँकों के बीच हल्का सा दिखाई देता दाना.. तो ऐसा लग रहा था मानो भाभी की योनि अपनी जीभ निकाल कर मुझे चिढ़ा रही हो।


मैं भाभी की गोरी जाँघों को चूमने लगा तभी भाभी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं भी खिंचता हुआ भाभी के ऊपर पहुँच गया और जल्दी से अपना अण्डरवियर व हाफ पैंट निकाल कर भाभी के ऊपर लेट गया। मेरे सामने फिर से ये समस्या थी कि अब क्या करूँ क्योंकि मुझे सेक्स करना तो आता नहीं था।
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#52














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#53


















.m
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#54
आईसक्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह में पानी आ जाता है.. वैसे ही भाभी के आईसक्रीम रूपी उरोजों को देख कर मेरे मुँह में भी पानी भर आया।
मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता तो नहीं था.. मगर फिर भी भाभी के उरोज मुझे इतने अच्छे लगे कि मैं एक निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा और साथ ही दूसरे उरोज को एक हाथ से धीरे-धीरे सहलाने लगा।
उनके नग्न उरोज का स्पर्श रेशम की तरह मुलायम और आनन्द भरा था। 

भाभी ने आँखें बन्द कर रखी थीं और ना ही वो कुछ बोल रही थीं.. मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव भंगिमाओं को देख कर पता चल रहा था कि उन्हें भी आनन्द आ रहा है। 
जब मैं उनके उरोज को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होंठ थोड़ा भिंच जाते और जब हल्के से सहलाता तो उनका मुख आनन्द से ‘आह..’ भरने के लिए खुल जाता। 
मैं भाभी के निप्पल को लगातर चूस रहा था.. उसमें से कोई रस तो नहीं आ रहा था.. मगर मेरे मुँह में एक चिकनाहट सी घुल गई और मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा गया।
मेरा लिंग तो अकड़ कर लोहे सा सख्त हो गया था.. जिसमें से पानी निकल-निकल कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला करने लगा था।
अपने आप ही मेरा एक हाथ भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुआ उनके संधि स्थल पर जा पहुँचा। भाभी ने नीचे भी पैन्टी नहीं पहन रखी थी.. इसलिए मैं पेटीकोट के ऊपर से ही भाभी की उभरी हुई योनि की बनावट को महसूस कर रहा था। 
जब मेरा हाथ भाभी की योनि को सहलाता हुआ थोड़ा नीचे योनि द्वार पर लगा.. तो मुझे कुछ गीलापन सा महसूस हुआ.. शायद भाभी की योनि से भी उत्तेजना के कारण पानी रिस रहा था। 
अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया था.. मेरे दिल में जल्दी से भाभी की योनि को देखने की चाहत हो रही थी.. इसलिए मैंने भाभी के पेटीकोट को पेट तक पलट दिया जिससे भाभी नीचे से बिल्कुल नग्न हो गईं और उनकी संगमरमर सी सफेद और केले के तने से भी चिकनी जांघें व फूली हुई योनि दिखने लगी।
मगर तभी भाभी ने जल्दी से अपने दोनों घुटने मोड़ कर योनि को छुपा लिया। भाभी ने अब भी आँखें बन्द कर रखी थीं.. शायद मेरे ऐसा करने पर भाभी को शर्म आ रही थी। 
मैं भाभी के घुटनों को दबा कर उन्हें फिर से सीधा करने लगा और मेरे दबाने पर भाभी ने घुटनों को तो सीधा कर लिया मगर दोनों जाँघों को बन्द करके रखा। अब भाभी की दूधिया गोरी जांघें व जाँघों के बीच उनकी फूली हुई बालों रहित योनि मेरे सामने थी जिसके बाल शायद भाभी ने आज ही साफ किए थे।
मैंने आज पहली बार किसी की योनि को देखा था।
दोनों जाँघों के बीच उभरी हुई छोटी सी योनि और गुलाबी रंगत लिए हुए योनि की दरार.. ऐसी लग रही थी मानो पांव (डबलरोटी) को बीचों-बीच चाकू से काटकर उसमे सिंदूर से लाईन खींच रखी हो.. और योनि की दोनों फाँकों के बीच हल्का सा दिखाई देता दाना.. तो ऐसा लग रहा था मानो भाभी की योनि अपनी जीभ निकाल कर मुझे चिढ़ा रही हो।

मैं भाभी की गोरी जाँघों को चूमने लगा तभी भाभी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं भी खिंचता हुआ भाभी के ऊपर पहुँच गया और जल्दी से अपना अण्डरवियर व हाफ पैंट निकाल कर भाभी के ऊपर लेट गया। मेरे सामने फिर से ये समस्या थी कि अब क्या करूँ क्योंकि मुझे सेक्स करना तो आता नहीं था।
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#55
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#56
(06-02-2024, 12:47 PM)neerathemall Wrote: thanks thanks
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#57
(06-02-2024, 12:47 PM)neerathemall Wrote: thanks thanks
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#58
मैं ऐसे ही भाभी के ऊपर लेटा रहा.. मुझे कुछ करना तो आ नहीं रहा था.. इसलिए मैं ऐसे ही अपने शरीर को आगे-पीछे करने लगा.. जिससे भी मुझे बड़ा सुख मिल रहा था और मेरे लिंग ने पानी छोड़-छोड़ कर भाभी के पूरे योनि क्षेत्र को गीला कर दिया था। क्योंकि मेरा शरीर भाभी के नर्म मुलायम व गर्म शरीर का स्पर्श पा रहा था और मेरा लिंग भाभी की आग की तरह धधकती योनि पर रगड़ खा रहा था। 
मेरा लिंग भाभी की योनि पर तो था.. मगर प्रवेश द्वार से दूर था और मुझे तो पता भी नहीं था कि योनि में प्रवेश द्वार कहाँ पर होता है.. क्योंकि मैंने तो आज पहली बार योनि को देखा था। 
एक बार फिर से भाभी ने हिम्मत दिखाई और मुझे थोड़ा सा पीछे धकेल कर एक हाथ से मेरे लिंग को पकड़ कर योनि के प्रवेश द्वार पर लगा लिया और दूसरे हाथ से मेरे कूल्हों पर दबाव डालने लगीं।
अब तो मैं भी समझ गया था कि मुझे आगे क्या करना है.. इसलिए मैंने भी कमर का थोड़ा सा दबाव डाला तो भाभी के मुँह से एक जोरदार मीठी ‘आह्..’ निकली और एक झटके में ही मेरा आधे से ज्यादा लिंग भाभी की योनि में समा गया।

क्योंकि मेरे लिंग और भाभी की योनि पानी निकलने के कारण इतने चिकने हो गए थे कि आसानी से मेरा लिंग योनि में चला गया। 
भाभी की योनि में मेरे लिंग का अहसास सख्त चिकनाहट भरा और इतना गर्म था मानो मेरा लिंग किसी गर्म आग की भट्टी में समा गया हो। 
भाभी ने प्यार से मेरे गाल को चूम लिया और मुझे अपनी दोनों बाँहों में भर लिया मगर भाभी ने अब भी आँखें बँद कर रखी थीं। 
मैं धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे-पीछे हिलाने लगा। भाभी ने भी मेरा साथ देने के लिए मेरे पैरों में अपने पैर फँसा लिए और अपने कूल्हे उचका-उचका कर सिसकारियाँ भरने लगीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#59













!!!
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#60
मेरा भी जोश दोगुना हो गया.. इसलिए मैंने अपनी गति बढ़ा दी और साथ ही भाभी के गालों पर चुम्बन भी करने लगा।
मगर भाभी ने मेरे सर को पकड़ लिया और मेरे होंठों को मुँह में भर कर जोर-जोर से चूसने लगीं।
मैं भी भाभी के एक होंठ को मुँह में भर कर चूसने लगा। 

तभी भाभी ने मेरी जीभ को अपने मुँह में खींच लिया और चूसने लगीं। इससे मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था..
मगर कुछ देर बाद भाभी ने मेरी जीभ को छोड़ दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी, मैं भी उसे चूसने लगा.. मुझे इतना मजा आ रहा था कि उस आनन्द को ब्यान करने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं हैं। 

यह मेरा पहला चुम्बन था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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