17-08-2021, 11:46 AM
Awesome story aage badhao
Adultery Bahu ki jawaani
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17-08-2021, 11:46 AM
Awesome story aage badhao
15-09-2022, 02:43 AM
hhhhhhhhhhhhhhhooooooooooooooooooottttttttttttttttt
16-09-2022, 05:13 PM
Ab thik hai friends last threads me photos upload
17-09-2022, 01:04 AM
(27-02-2020, 01:05 AM)RajLove Wrote: और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से मैने बहू को पीछे से चोदा और समधीजी भी आगे से अपनी बेटी को पेलते रहे.
17-09-2022, 01:06 AM
Ye story pahele bhi padhi he. Is bar or jyada majedar thi. Par har bar itnihi mili. Please ise aage bhi likho. Co cold story sasur bahu pe ye ek hi he. Aage or padhma chahte he
29-11-2023, 05:35 PM
Photos updated
18-12-2023, 11:27 PM
सरोज - बाबू जी मेरे निप्पल मत दबाइये मेरी चुत में पानी आ रहा है।
मै - (पेंटी के अंदर हाथ डाल कर अपनी ऊँगली बहु की चुत में डाल दी)।। बहु तेरी चुत तो पहले से ही गिली है। ला तेरा भी पानी निकाल दूँ (और फिर मैं उसकी चिपचिपी चुत में ऊँगली ड़ालने लगा) बहु - आआआअह्ह बाबूजी।। अभी नहीं रात में। चलिये अभी मैं आपके लंड का पानी निकाल देती हूँ। (ये कहते हुए बहु नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपनी गरम मुह के अंदर ले लिया) मैन रसोई के खिड़की के पास खड़ा था और बहु ठीक वहीँ पे नीचे बैठी मेरा लंड चूस रही थी। मैं वहां से समधी जी को देख पा रहा था। बहु जोर-जोर से मेरा लंड अपने मुह में पूरा अंदर तक ले रही थी, मेरा लंड बहु के लार से गिला और चिप चिपा हो गया था। बहु जब-जब मेरा लंड मुह में अंदर बाहर करती चप-चाप।।। चिप-चिप।।। की आवाज़ आती। बीच-बीच में बहु मज़े से उम्मम्मम्म।। आआह्ह्ह्।। मम्म्मूउ।। की आवाज़ भी निकाल रही थी। समधी जी को ये आवाज़ शायद सुनाइ दी तो पीछे मुड के बोले।। प्यारेलाल - अरे समधी जी आप वहां किचन में क्या कर रहे हैं? सामने किचन होने से समधी जी मुझे सिर्फ कमर तक देख पा रहे थे और बहु खिड़की के नीचे होने से छुपी थी।। मैं अपना एक हाथ कमर पर और एक हाथ से बहु के बाल पकड़ कर बोला।। मै - कुछ नहीं समधी जी।। प्यास लगी थी तो पानी पीने आया था प्यारेलाल - ठीक है। बेटी नज़र नहीं आ रही कहीं।। मै - समधी जी आपकी बेटी यहीं है।। यहाँ किचन में नीचे बैठ के फ्रूट्स काट रही है प्यारेलाल - सरोज बेटी आज सुबह-सुबह फ्रूट्स क्यों? सरोज - (बहु अपना मुह मेरे लंड से हटाते हुये बोली।।) पापा वो मेरे जन्मदिन पे आपने, बाबूजी और पडोसी अंकल सबलोग बहुत सारे फल ले आए। सारे ख़राब हो रहे हैं इसलिए सोचा फ्रूट सलाद बना दुं। प्यारेलाल - ओके बेटी, लेकिन फ्रुट्स को पील ऑफ मत करना बेटी, सारे एपल, ग्रेवस, कुकुम्बर को बिना छिले डालना बेटी अच्छा होता है। सरोज - (मेरे लंड को हाथ में पकड़ अपने नीचे बैठे अपने पापा से बात करते हुये।) पापा आपको कौन से फल पसंद हैं? क्या-क्या डालूँ फ्रूट सलाद में? प्यारेलाल - बेटी।। एप्पळ, ग्रापस, ऑरेंज ये सब डालना। सरोज - केला पापा?? केले जल्दी ख़राब हो जाते हैं डाल दूँ? प्यारेलाल - नहीं बेटी।। मुझे फ्रूट सलाद में केला नहीं पसंद है। उसे तुम खा जाओ। सरोज - (मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ देखती हुई।।) पापा इस केले का छिलका बहुत पतला है।। क्या इसे भी बिना छिले खाते हैं? प्यारेलाल - (हँसते हुए।। ) अरे नहीं बेटी।। भला कोई केला बिना छिले खाता है? सरोज - अच्छा फिर कैसे? ये केला तो नरम है। प्यारेलाल - बेटी।। पहले उसके छिलके को उतार दो। सरोज - (मेरे लंड को मुट्ठी में ले कर, लंड के स्किन को खोल दिया।।) जी खोल दिया मेरा मतलब केला छील दिया।। प्यारेलाल - हाँ अब खा जाओ।। सरोज - (मेरे लंड को कस कर पकड़ कर।।) इस केले को ऐसे ही मुह में ले लूँ? प्यारेलाल - हाँ बेटी ले लो।
18-12-2023, 11:40 PM
सरोज - उम् आह।।बहुत मज़ेदार है ये केला तो।। (बहु मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी।।)
प्यारेलाल - बेटी केला सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। रोज़ खाना चहिये सरोज - (मेरा लंड मुह में लिए हुये बोली।।) उम्म्म पप।। केला बहुत मोटा है।। में।। इस्से रोज खाऊँगी।उम।। चाप-चाप।। बहु को लंड मुह में लिए हुये अपने पापा से बात करता देख मेरे लंड का सारा पानी बहु के मुँह में निकल गया। बहु जोर से मेरा लंड अपने मुँह के अंदर गले तक ले ली।। बहु का मुह मेरे वीर्य से इतना भर गया की होठ के किनारे से छूने लगा मैं बहु के मुह में मुट्ठ गिरा कर आनन्द से भर उठा। दिन बीतते गए मेरी जवान बहु अब काफी खुल गई थी, घर में बहु कम कपड़ों में रहती थी। मुझे जब चांस मिलता मैं बहु को चोद लिया करता। पुरे दिन मैं बहु के बारे में सोच या उसे देख मुट्ठ मारता या उसे चोदता और लंड चुसवाता। मुझे पूरा यकीन था, बहु के पापा भी अपनी बेटी को देख खुद को मुट्ठ मारने से रोक नहीं पाते होंगे। मैं बहु को अपने पापा से चुदते हुए देखना चाहता था, लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी की इस बारे में मैं बहु या फिर समधि जी से कुछ कह पाता। किसमें इतनी हिम्मत होगी जो बाप-बेटी के बीच चुदाई की बात करे।। लेकिन घर में जिस तरह बहु और समधी आपस में क्लोज थे मुझे धीरे-धीरे यकीन होने लगा था की शायद एक दिन ऐसा आये जब मेरा सपना पूरा हो। समधि जी को सुबह जल्दी उठने की आदत थी, वो कमरे से बाहर निकल पौधों को पानी दे रहे होते थे। जब बहु की नींद खुलती वो सीधा अपने पापा के पास जाती और कस के उन्हें हग कर लेती। शुरू-शुरू में तो दोनों टाइट हग करते लेकिन कुछ दिनों से जब भी बहु उनसे लिपटती अपने नर्म होठ समधी जी के होठों से सटा लेती और उन्हें कस कर अपनी बाँहों में लेते हुये गुड मॉर्निंग पापा बोलती। समधि जी भी अपनी बेटी को गुड मॉर्निंग किस देते और जब भी कभी मौका मिलता उसके नरम मुलायम जिस्म को सहला देते।आज सुबह जब बहु बिस्तर से उठी तो हमेशा की तरह मुझे गुड मॉर्निंग बोलते हुये सीधा अपने पापा से लिपट गई। सरोज - पापा।। आपकी बॉडी इतनी गरम क्यों है? आप ठीक तो हैं? प्यारेलाल - हाँ बेटि, तुम तो मेरी अच्छी बेटी हो। देखते ही पहेचान जाती हो की मेरी तबियत ठीक नहीं है। सरोज - पापा।। आप अपना ख्याल नहीं रखते। मैं डॉक्टर को बुलाती हूँ (सरोज अपने पापा से लिपटते हुए बोली) प्यारेलाल - (सरोज के कमर से गांड तक अपने हाथ से सहलाते हुये) नहीं बेटी मैं ठीक हू। सरोज - पापा प्लीज आप आराम करिये मैं डॉक्टर को बुला रही हूँ। बहु फ़ोन पे - हेलो डॉक्टर राव? दिस इस सरोज, यू रेमेम्बेर मी कम टू तो योर क्लिनिक लास्ट मंथ? ।।।।येस। माय फादर इस नॉट वेल।। प्लीज सर इफ़ यू आर बिजी प्लीज सेंड सम गुड डॉक्टर अरजेंटली। बहु अपने पापा के पास बैठी बातें करती रही। क़रीब १ घंटे बाद किसी ने डोर बेल बजाइ। बहु अपने नाईट गाउन में ही मेंन डोर की तरफ आगे बढि। मैं बहु को पीछे से उसकी मटकती भारी कूल्हों को देखता रहा। दरवाज़े पे।। हलो।। आई ऍम डॉक्टर रवि।।। आ।। डॉक्टर आर यु स्पोक टू यू दिस मोर्निंग।।। बहु - ओह येस।। प्लीज कम। डाक्टर रवि क़रीब ३० साल का जवान डॉक्टर था, बहु और डॉक्टर बातें कर रहे थे लेकिन उसकी नज़र लगातार मेरी बहु की भरी-भरी चूचियों पे थी जो बिना ब्रा के नाइटी में कसी हुई थी। मैं भी कमरे के एक कोने में दिवार से सट कर खड़ा हो गया
18-12-2023, 11:45 PM
डाक्टर रवि - (समधी जी को एक्जामिन करने के बाद)।। कुछ परेशान होने की बात नहीं है शायद वायरल लगता है लेकिन मैं कुछ टेस्ट करना चाहूँगा।
सरोज - जी डॉक्टर डाक्टर रवि - आप इनको मेरे क्लिनिक पे ले कर आ जाइए मैं कुछ टेस्ट कर लेता हूँ फिर दवा लिखुंगा सरोज - जी डॉक्टर मैं आ जाऊगी। डाक्टर रवि - आप लोग पंजाबी हैं? सरोज - जी नहीं डॉक्टर डाक्टर रवि - ठीक है।। मैंने आपके हाथों में इतनी सारी चूडियां देखि तो मुझे लगा आप पंजाबी है। सरोज - (मुस्कुराते हुए)।।। क्यों आपको अच्छी लगी ? डाक्टर रवि - हाँ बहुत।। और आपने जो पाँवो में पायल पहन रखी है वो मुझे बहुत पसंद है। ऐसी ही पायल मैं अपनी बीवी के लिए भी लेना चाहता हू। बहु अपनी एक पाँव उठा कर पायल दिखाने लगी ऐसा करते हुए बहु के काले गाउन से उसकी दूध जैसी सफ़ेद और कोमल भरी-भरी जाँघे नज़र आने लगी। डॉक्टर रवि पायल देखना छोड़ बहु की जाँघो को देखने लगा। बहु भी बेशरमी से अपनी जाँघ एक अजनबी को दिखा रही थी, उसे इस बात की कोई शर्म नहीं थी। थोड़ी देर बाद डॉक्टर चला गया। अगले दिन सुबह समधी जी की तबियत और बिगड गई, डॉक्टर उन्हें एडमिट करना चाहते थे लेकिन समधी जी ने साफ़ मना कर दिया। समधी जी उठ नहीं पा रहे थे उन्हें मैं और बहु पकड़ कर ले जाते थे। काफी सारे डॉक्टर ने उन्हें देखा लेकिन सारी कोशिश बेकार जा रही थी। आज़ डॉक्टर रवि के साथ डॉक्टर राव भी मौजूद थे। डाक्टर रवि- देसाई जी, अपने समधी से कहिये की एडमिट हो जाएँ यहाँ इनका कौन ख़याल रखेंगा। मै - मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा डॉक्टर सरोज - डॉक्टर ओ आप चिंता न करें मैं पूरा ख्याल रखूँगी पापा का । डाक्टर की नज़र मेरी बहु पे पडी। बहु ने एक पिंक कलर का सलवार सूट पहने थी और दुपट्टा गले में लपेटा था जिससे उसकी आधी नंगी चूचि नज़र आ रही थी।। एक पल के लिए बहु की खुली चूचि देख डॉक्टर रवि की आँखें बड़ी हो गई, फिर वो सँभालते हुये बोले।। डाक्टर रवि - देखो बेटी इनका पूरा ख्याल रखना पडेगा। इन्हे अकेला नहीं छोडना है और रात में भी मॉनिटर करना होगा। कर पाओगी ? सरोज - जी डॉक्टर में कर लूँगी आखिर ये मेरे पापा हैं।। डाक्टर रवि - वो सब ठीक है लेकिन फिर भी, इनको कहीं भी अकेला नहीं छोडना और इन्हे आप दूध पिलाइये। (डॉक्टर ने बहु की चूचि की तरफ देखते हुये बोले) सरोज - जी मैं ख़याल रखूँगी और इन्हे रोज रात में दूध पिलाऊँगी (बहु ने बहुत ही सेक्सी अन्दाज़ में अपने गले के दुपट्टा और पीछे खीचते हुये कहा) बहु के दूध पिलाने वाली बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया, और साथ ही साथ कमरे में खड़े बाकी मर्दो का भी लंड खड़ा हो गया होगा। मैंने डॉक्टर रवि को पीछे खड़े अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा। डॉक्टर ने समधी जी को कुछ इंजेक्शन दिए और बोले की इन्हे काफी नींद आएगी तो इन्हे सोने दिजिये। थोड़ी देर बाद सभी चले गये। बहु अब पूरी तरह अपने पापा का ख्याल रखने लगी थी, मैं उसके कमरे में गया तो देखा की उसने एक टाइट टीशर्ट और एक छोटी सी हाफ जीन्स पहन रखी है। बहु की जाँघ इतनी ज्यादा मोटी थी की ऐसा लगता था जैसे जीन्स फट जाएगी।
19-12-2023, 06:37 AM
mast update
20-12-2023, 02:35 PM
मैने बहु से कहा।।
मै - बहु मैं सोने जा रहा हूँ किसी चीज़ की जरुरत हो तो बुला लेना। और हा, तुम समधी जी को बाथरूम ले कर गई थी? सरोज - नहि।। मैं भूल गई मै - चलो फिर हम दोनों इन्हे बाथरूम ले चलते है।। सरोज - लेकिन पापा को तो डॉक्टर ने दवा दिया और वो अभी सो रहे है मै - हमे समधी जी को ऐसे ही ले जाना होगा।। तुमने सुना नहीं डॉक्टर ने क्या कहा की इन्हे आराम करने दे।। इन्हे सोने दो बाथरूम ले चलेंगे तो शायद इनको पेशाब आ जाए कोशिश करने में क्या हर्ज़ है। तुम इनके साथ सो रही हो और इन्होने ने बिस्तर पे पेशाब कर दिया तो? सरोज - ठीक है पापा जी। मैने समधी जी को उठाया और काँधे के सहारे बाथरूम तक ले गया, दूसरी तरफ सरोज ने उन्हें पकड़ा हुआ था। मै - बहु मैं इन्हे सम्भालता हूँ तुम इनकी पेंट का ज़िप खोलो।। सरोज - (शर्माते हुए।। मैं? ) मै - हाँ करो जल्दी सरोज ने अपने पापा का ज़िप खोला और खुलते ही समधी जी का काला और मोटा सा लंड बाहर निकल गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था क्या समधी जी का लंड इतना बड़ा है ? बहु भी चोरी से अपने पापा का लंड देख रही थी। मै - बहु।।। लंड और बाहर निकालो सरोज - निकाल दिया पापा जी।। लेकिन ये पेशाब कैसे करेंगे? इन्हे तो नींद ने घेरा हुआ है। मै - अरे बहु।। तुम भी नादान हो। कभी छोटे बच्चे को देखा है उसकी माँ बच्चे को कैसे सुसु कराती है? ओह तुम कैसे देखोगी तुम्हे तो अभी बच्चा भी नहीं है सरोज - कैसे करते हैं बताइये न? मै - देखो बहु, इनके लंड को अपने हाथों में पकड़ कर धीरे धीरे सहलाओ।। तो इन्हे पेशाब महसूस होगा। सरोज - (चौंकते हुए।।मैं।। ?? नहीं मैं कैसे कर सकती हूँ) मै - बहु मैं कर देता लेकिन मैं करुँगा तो इन्हे संभालेगा कौन? तुम संभाल लोगी? सरोज - नहीं पापा मैं नहीं सँभाल पाउँगी।। ठीक है मैं पापा का वो पकड़ के सहलाती हू। बहु ने धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने पापा का लंड सहलाने लगी।। बेटी को अपने बाप का लंड सहलाते देख मेरे लंड एकदम से खड़ा हो गया। मैं काफी एक्साईटेड हो गया था और बहु को ऐसा करता देख मुझे और आगे बढ़ने का मन हुआ। मेरे दिमाग में आईडिया आया, क्योंकि बहु अन्जान थी इसलिए मुझे उसकी नादानी का फ़ायदा उठाना आसान था।। मैंने कुछ देर बाद पुछा।। मै - क्या हुआ बहु? पेशाब निकला? सरोज - नहीं बाबूजी। मै - ओह फिर तो प्रॉब्लम हो जाएगी।। (मैंने झूठ मूठ चेहरा बनाया) सरोज - क्यों बाबूजी? पेशाब न करने से क्या प्रॉब्लम हो सकती हैं। मै - बेटी मैंने डॉक्टर रवि से बाहर बात की थी, उन्होंने मुझे कुछ रिपोर्ट के बारे में बताया और ये भी कहा की हमे क्या क्या करना चाहिए (मैंने झूठ बोला) सरोज - कैसी रिपोर्ट ? क्या कहा डॉक्टर ने? मै - बेटी।। डॉक्टर रवि बोल रहे थे की समधी जी के ब्लैडर और पेनिस के नीचे वाले भाग में कुछ प्रॉब्लम है और शायद ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है।। सरोज - क्या? मै - हां।। इसलिए इनका ब्लैडर फुल नहीं होना चाहिए और मुझे ये भी कहा की इनका स्पर्म भी रेगुलर निकले तो अच्छा होगा। सरोज - स्पर्म मतलब।। क्या।।। मै - हाँ तुमने सही सुना।। स्पर्म यानी मुट्ठ वो भी ज्यादा दिन रोकने से प्रॉब्लम हो सकती है। सरोज - तो अभी क्या करे? मै - अभी तो ब्लैडर खाली करना जरुरी है सरोज - लेकिन मैं सहला तो रही हूँ पापा का पेनिस।। लेकिन कोई फ़ायदा नही। मै - बहु एक बात कहूं अगर तुम बुरा न मानो तो।। सरोज - जी पापा बलिये। मै - अगर लंड को थोड़ी गर्मी और नमी मिले तो पेशाब आ जाएगा।। सरोज - मैं समझी नही।। मै - मेरा मतलब अगर तुम अपने पापा के लंड को अपने मुह की गर्मी दो तो शायद पेशाब आ जाए।। सरोज - (चौकते हुये।।। क्क्या??? ) पापा का लंड मुह में लू।। ये क्या कह रहे है मै - बहु।। अभी के लिए ये करना पडेगा। वैसे भी तुम्हारे पापा सो रहे हैं इन्हे पता भी नहीं चलेगा की तुम क्या कर रही हो।। और ये बात मेरे तुम्हारे बीच रहेगी। सरोज - ओह गॉड क्या करू में।। मै - कुछ मत सोचो बस थोड़ा सा चूस लो अपने पापा का लण्ड। सरोज - उम्म्म्म।।। ठीक है सरोज जमीन पे घुटनो पे बैठ गई और अपने पापा का लंड मुह में ले कर चुसने लगी।।
20-12-2023, 02:46 PM
बहु को अपने ही पापा का लंड चुसता देख मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने भी धीरे से अपना लंड बहार निकाल लिया। बहु अपनी आँखे बंद किये अपने पापा का लंड चूस रही थी, शायद अब उसे मज़ा आने लगा था। बहु ने खुद ही अपने पापा के लंड का स्किन नीचे खोल दिया और कस के चूसने लगी।।समधि जी का लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था। बहु के थूक से समधी जी का लंड पूरा गिला हो गया था। इधर मैं बहु को लंड चुसता देख एक हाथ से लंड तेज़ी से हिला रहा था।।
मै - बहु और कस के चुसो अपने पापा का लंड बहु।। सरोज - आह पापा जी।। कुछ नमकीन सा आ रहा है।। बहु ने लंड बहार निकला तो समधी जी के लंड से पेशाब आने लगा।। बहु नीचे जमीन पे बैठी थी। इससे पहले की वो कुछ समझ पाती समधी जी का पिशाब बहु के शरीर को भिगो दिया।। उनका गरम-गरम पिशाब बहु के चेहरे चूचि और जांघों पे गिरा। कुछ सेकंड बाद पेशाब बंद हो गया। सरोज - ओह मैं तो पूरा पेशाब से भीग गई मै - कोई बात नहीं बहु, थोड़ा सा और चूस लो शायद कुछ बाकी रह गया हो।। इस बार बहु बिना झिझक थूक से सने लंड को पकड़ अपने मुह में ले ली और चूसने लगी।। बहु को अब बहुत मज़ा आने लगा था अपने पापा का लंड चूसने में। थोड़ी देर चूसते-चुसते वो अपने मुह में लंड लिए हुए बोली।। आह पापा कुछ नमकीन चिपचिपा सा टेस्ट आ रहा है।। लेकिन बहु ने लंड बाहर नहीं निकाला। मैं समझ गया की समधी जी का मूठ निकलने वाला है।।। और अब तो मेरा भी मुट्ठ निकलने वाला था। बहु ने थोड़ा सा मूठ पिया और लंड बाहर निकाल लिया।।। बाहर निकलते ही समधी जी के लंड से तो जैसे फव्वारा फुट पड़ा और उनका सारा मूठ बहु के पुरे चेहरे पे निकल गया।।। अपने पापा के मूठ से सने अपनी रंडी बहु का चेहरा देख मेरा भी मूठ निकल गया। बाथरूम में फर्श पे बैठी मेरी बहु चेहरे से अपने पापा का मुठ साफ़ कर रही थी। मैं अपना माल निकाल चूका था, मुझे समधी जी को सम्भालने में अब बहुत मुश्किल हो रही थी। मैंने बहु से धीरे से कहा।। मै - बहु, उठो आओ समधी जी को रूम में ले चलते है।। बहु ने मेरी बात जैसे सुनि ही न हो।। वो आँखें बंद किये अपने होठों से मूठ साफ़ करती रही। शायद इतना सबकुछ कर बहु बहुत ही गरम हो गई थी उसे मजा आ रहा था। मैंने अपना चिपचिपा हाथ बहु के काँधे पे रख कर एक बार और आवाज़ लगाई। मै - बहु।।क्या हुआ? बहु ने मेरी तरफ मुड के देखा तो दंग रह गई, मेरा लंड पेंट के बाहर देख उससे समझने में जरा सी भी देर नहीं लगी के मैं अपना माल निकाल चूका हूँ। सरोज - बाबूजी, ये आप क्या कर रहे है। पापा ने देख लिया तो? मै - मुझे माफ़ करना बहु, तुम्हे अपने पापा का लंड चुसता देख मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मार लिया सरोज - लेकिन पापा के सामने? मै - अरे बहु, तुमने उनका लंड चूस लिया और उनकी नींद नहीं खुली तो मेरे मूठ मार लेने से उन्हें क्या पता चल जायेगा? सरोज - ओह बाबूजी।। मेरा पूरा बदन चिपचिपा हो गया है, और ये क्या आपने भी अपना हाथ साफ़ नहीं किया और मेरे काँधे पे अपना मूठ लगा दिया।। मै - ठीक है बहु, चलो पहले मैं समधी जी को बेड पे लेटा देता हूँ उसके बाद तुम अपनी सफाई कर लेना। अब आओ मेरी मदद करो। सरोज - जी बाबूजी।। लेकिन आप अपना लंड अंदर तो कीजिये। मैने समधी जी को वापस बिस्तर पे लिटा दिया। बहु वाशरूम चलि गई और शावर लेने लगी। वाशरूम का दरवाज़ा खुला था, मैं बहु के पीछे पीछे वाशरूम के नजदीक आ गया। बहु का बदन वाइट कलर की ट्रांसपेरेंट शर्ट में भीगने के बाद बहुत कामुक दिख रहा था। एक बार फिर मेरे लंड में हलचल मचने लगी। बहु नहाते वक़्त अपनी चूचियां मसल रही थी। बहु के निप्पल खड़े हो गए थे, वो हैंड शावर उठा कर अपनी बुर पे रगडने लागी। मुझे तो पहले से ही पता था की बहु गरम हो गई है। मैंने सोचा नहीं था की वो अपने पापा का लंड देख कर इस तरह उत्तेजना से भर उठेगी। बहु वाशरूम में तेज़ी से अपना हाथ अपनी बुर पे रगड रही थी।
20-12-2023, 02:54 PM
मै चुपके से वाशरूम में घुस आया और पूरे कपडे उतार अपने खड़े लंड को हाथ से मसलने लगा। बहु की बड़ी गांड देख मेरा खुद पे कण्ट्रोल नहीं रहा और में बहु को वाशरूम में कस के पकड़ लिया।।
सरोज - बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं? मै - बहु तुम्हारी चूचियां और भरी गांड देख कर भला मैं कैसे रोक पाता खुद को। मैं अपने लंड को बहु के चूचियों के बीच दबा कर पेलने लगा। सरोज - बाबूजी प्लीज जाइये न यहाँ से। मुझे डर लग रहा है। मै - कैसा डर बहु, तुम तो पहले भी मुझसे चुदवा चुकी हो। सरोज - तब की बात अलग थी बाबूजी तब मैं और आप घर में अकेले थे अब पापा है।। आह बाबूजी बस।। (मैंने अपनी ऊँगली बहु की गिली चिपचिप बुर में डाल दिया। ) सरोज - ओह बाबू जी।।। उम्मम्मम बस करिये मै - बहु तुम्हारी गिली बुर से अपनी ऊँगली निकालने का मन नहीं करता।। क्या तुम अपनी गरम बुर चटवाना चाहोगी ? बहु ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसकी ख़ामोशी से मैं समझ गया की इस वक़्त बहु को अपना बुर चटवाने का मन है। मैंने बिना कोई देर किये अपना मुह बहु के बुर से सटा दिया। बहु आनन्द से भर उठि, उसने अपनी टाँगे फैला दी, वो मेरे बाल पकड़ कर अपने बुर के अंदर खींच रही थी। बहु के बुर से एक अजीब सी गंध आ रही थी मैं उत्तेजित हो कर उसकी महकती बुर को चाट्ने लगा।। क़रीब २-३ मिनट चाटने के बाद बहु के बुर से कुछ गरम गरम पानी सा निकला जिसे मैं पी गया। बहु अब स्खलित हो चुकी थी, लेकिन मेरा माल निकलना अभी बाकी था। मैंने अपने लंड को हाथो में लिया और बहु के जाँघो के बीच जगह बनाते हुये उसकी चुत में अपना लंड पेल दिया।। बहु आनन्द से कराह उठी।। मैंने उसे कस कर पकड़ लिया, वो मेरे काँधे और पीठ पे अपने नाख़ून चुभाने लगी। मैंने जोर से धक्का दिया और फिर 20-25 मिनट तक बहु को पेलने के बाद अपना माल बहु की बुर में गिरा दिया। अपना मूठ निकाल कर मैं अपने कमरे में आ गया, मैंने कपडे चेंज किये और वापस बहु के रूम की तरफ चल दिया। बहु भी नहा कर निकल चुकी थी। मैं जब रूम में गया तो बहु अपने बेहोश पड़े पापा के सामने ब्रा पैन्टी में खड़ी थी और टॉवल से पानी सुखा रही थी मै - बहु।। तुम इस तरह से कपडे बदल रही हो, कहीं समधी जी की नींद खुल गई तो अपनी जवान बेटी का गदराया बदन देख कर वो झड जाएंगे। सरोज - छी: बाबूजी।। आप भी न मेरे और मेरे पापा के बीच कितनी गन्दी बात करते हैं (बहु ने टॉवल बेड पे रख दिया और और अलमारी से जीन्स निकालने लगी) मै - क्या? मैं गन्दी बात करता हूँ? तुम्हारे पापा जो तुम्हारी पेंटी में मूठ मारते थे, तुम्हारी तस्वीर पे अपना माल गिराया करते थे वो सब ठीक है। सरोज - मैंने कभी उन्हें ऐसा करते हुये नहीं देखा।। तो मैं कैसे मान लू। ऐसा आपने बोला है मुझे। मुझे यकीन है मेरे पापा मुझसे बहुत प्यार करते हैं और अपनी बेटी के बारे में ऐसी गन्दी बात सोच भी नहीं सकते। मै - बहु मैं तुम्हे कैसे समझाऊँ तुम्हारे पापा सिर्फ तुमसे प्यार ही नहीं करत, तुम्हे चोदना भी चाहते है। सरोज - बस चुप करिये बाबूजी। अगर आप ये सब कुछ अपनी फैंटेसी के लिए बोल रहे हैं तो फिर ठीक है। लेकिन मेरे पापा ने मुझे हमेशा प्यार दिया है एक अच्छे पिता की तरह मैं उनकी सबसे अच्छी बेटी हू। मै - हाँ सबसे प्यारी बेटी जो अपने पापा का लंड चूस कर अपने मुह में उनका रस लेती है। सरोज - प्लीज बाबूजी ऐसा मत कहिये वो मेरे पापा है। और वो मेरी मज़बूरी थी कृपया करके ऐसी बात मत करिये नहीं तो मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी। मै - लेकिन तुम इतने यकीन के साथ कैसे कह सकती हो तुम मर्दो को नहीं जानती उनका लंड अपनी बहु बेटी या बेहेन के लिए भी खड़ा हो सकता है। सरोज - मैं नहीं मानती, क्या सबूत है आपके पास? मै - सबूत? ठीक है बहु अगर ये बात है तो जैसा मैं कहूं वैसा तुम करो तो तुम्हारे पापा का तुम्हे चोदने की लालसा का साफ़ पता चल जाएग। बोलो चैलेंज ? सरोज - हाँ पापा चैलेंज, मैं जीतूँगी मुझे पता है। मुझे अपने पापा पे पूरा विश्वास है। मै - लेकिन कहीं तुम हार गई तो? सरोज - तो फिर आप जो चाहेंगे मैं वो करुँगी। मै - अच्छा अगर मैं ये कहूं के तुम ये जीन्स अभी मेरे सामने उतार दो तो? सरोज - मैं उतार दूंग़ी।। मै - तो उतारो।। सरोज - अभी? मै - हाँ सरोज - ठीक है बहु ने जीन्स का ज़िप खोला और एक झटके में अपनी कसी हुई मांसल जांघो से सरकाती हुई जीन्स नीचे कर दी ।
21-12-2023, 11:58 AM
मै - वाह बहु ये हुई न बात। अपनी ब्रा और पेंटी भी उतारो।।।
बहु ने बेशरमी से अपनी ब्रा उतार दिया।। मै - आआआआह्ह्ह्ह बहु नंगी हो जा।। मुझे अपनी चूचि और चुत दिखाओ बहु।। आआह्ह्ह्ह सरोज - बाबूजी आप तो शर्त जितने से पहले ही जीत का मजा लेने लगे। मैं आपको जितने नहीं दूँगी, और आपको अपनी चुत भी नहीं दिखाउंगी। मै - ठीक है बहु जैसा तुम कहो, लेकिन कम से कम ये तो बताओ और क्या-क्या कर सकती हो मेरे लिए सरोज - आपकी हर फेंटेसी को पूरा करुँगी।। मै - हर फैन्टेसी पूरा करोगी बहु? सोच लो। सरोज - मैंने सोच लिया मैं आपकी हर फैन्टेसी पूरा करुँगी, आप जिससे भी कहेंगे उससे चुद जाऊँगी। मै - किसी से भी? कही भी? सरोज - हाँ किसी से भी और कहीं भी। यहाँ तक की आपके सामने एक रास्ते के भिखारी से भी चुदवा लूंग़ी। मै - और क्या-क्या कर सकती हो? बोलती जाओ (मैं अपना लंड मसलने लगा) सरोज - मैं आपसे सारी रात चुदुँगी। आप के वीर्य या पेशाब पी लुंगी। आपके वीर्य या पेशाब से नहा लूँगी। आपसे कही भी चुदा लुंगी। किचेन में खाना बनाते हुए खाते हुए , नहाते हुए, पेशाब करते हुए, लैट्रिन करते हुए हर समय आप से चुदवाऊँगी। मैं-और क्या करेगी मेरी रंडी। सरोज-नाश्ता करते समय ब्रेड पर मख्खन की जगह आपके लण्ड से निकला वीर्य लगाकर खा लुंगी। किसी भी खुली जगह में आपसे चुदवा लुंगी। खेत में जंगल में पार्क में या छत पर कही भी दिन में आपसे चुदवा लुंगी। मै - नहीं मुझे मेरी फैन्टेसी को पूरा करो, कुछ ऐसा जिसे सुनकर या देखकर सारे मरदों के लंड का पानी निकल जाए सरोज-मैं आपसे अपनी कुँवारी गांड मरवा लूँगी आप जैसे चाहो मेरी गांड में अपना मोटा लण्ड पेल देना चाहे मैं कितना भी चीखूँ या चिल्लाऊँ। मैं-और बोल साली रंडी-मेरे लिए क्या क्या करेगी। सरोज - ठीक है मैं अपने पति मनीष के सामने आपसे चुद सकती हू। चौबीस घंटे तक आपकी सेक्स स्लेव बन जाऊँगी। मै -आहः।।। बहु।।।।। और बोलो।।। सरोज - मैं भरी बस में किस्सी भी स्ट्रेंजर का लंड मुह में ले के चूसूंगी। मोहल्ले के सारे लड़कों को मुट्ठ मारने पे मजबूर कर दूँगी। जरुरत पड़ी तो ४ लड़को से एक साथ चुदुँगी और उन सब का मुट्ठ पी जाऊँगी। सिनेमा हॉल में आपका लण्ड चूसकर उसका सारा मुठ पि जाऊँगी। मै - ठीक है, सबसे पहले तुम्हे घर में कम कपडे पहन के घूमना होगा। ज्यादा से ज्यादा अपना जिस्म तुम्हे अपने पापा को दिखाना होगा। अगर वो सच में सिर्फ तुम्हे बेटी की तरह चाहते हैं तो वो इग्नोर करेंगे। क्या तुम्हारे पास तुम्हारी कोई अधनंगी या नंगी तस्वीर है? जो शायद कभी मेरे बेटे मनीष ने खिची हो? सरोज - (थोडा सोचने के बाद।।) हाँ कुछ फोटोग्राफ्स हैं वैसे। लेकिन उनका आप क्या करेंगे? मै - मैं नहीं तुम्हारे पापा, उनको किसी बहाने से तुम्हारी कुछ प्राइवेट तस्वीर दिखानी होगी। सरोज - लेकिन बाबूजी ऐसा सब करने से उन्हें पता चला की ये मैंने जान बूझ कर किया है, तो कहीं बाप-बेटी का पवित्र रिश्ता खराब न हो जाए। मै - मैं जानता हूँ बहु, इसलिए मैंने तुम्हे उनके पास जाने के लिए नहीं कहा। हम कुछ ऐसा करेंगे जिससे उन्हें लगे की ये सब अनजाने में हो रहा है। सरोज - ठीक है बाबूजी।। अभी पापा सो रहे हैं क्या मैं कुछ फोटोग्राफ लॉऊ? मै - हाँ बहु ले ऑऊ, हम फोटोग्राफ्स को रूम में ऐसी जगह रख देंगे जहाँ उनकी नज़र पडे। और बहु, जैसा मैंने कहा। तुम्हे उन्हें सेडयुस करना है, कभी अपनी नाभि दिखा कर कभी चूचियां तो कभी अपनी जाँघो को दिखा कर। सरोज - ठीक है बाबू जी सरोज अपने बैडरूम से कुछ फोटोग्राफ्स लेती आयी जिनमे से कुछ होश उड़ाने वाले थे।
21-12-2023, 12:03 PM
बहु ने अपने सारे फोटोग्राफ्स मुझे दे दिए, मैं एक-एक कर उसकी फोटो देखने लगा। बहु के फोटो बहुत ही उत्तेजित करने वाले थे। किसी फोटो में बहु साड़ी में अपनी मक्खन जैसी मुलायम नाभि दिखाती हुई दीख रही थी तो कहीं सिर्फ ब्रा पेंटी में। और कहीं कहीं तो अपने हस्बैंड के साथ मस्ती करती हुई दिखी।
मै - ओह बहु, तुम्हारी ये फोटो को देख कर तो मुरदे के भी लंड से पानी निकल जाए। सरोज - शरमाती हुई। बाबूजी आप भी न। मै - अब देखना बहु समधी जी तुम्हारे इन फोटो को देख कर कैसे अपना कण्ट्रोल खोते हैं सरोज - बाबूजी, कुछ फोटोग्राफ तो देखे जा सकते हैं लेकिन ये सब फोटो जब पापा देखेंगे तो मैं उनसे नज़रें कैसे मिला पाऊँगी (बहु एक फोटो अपने हाथ में लेती हुई बोली जिसमें बहु मेरे बेटे मनिष को कुर्ती उठा कर अपनी चूचि पीला रही थी) मै - तुम उसकी चिंता मत करो। हम दोनों मिल कर इसका कुछ हल निकाल लेंगे। सरोज - मुझे तो डर लग रहा है बाबूजी, मुझे पता है पापा ऐसे नहीं हैं लेकिन कहीं ये सब करके मैं उनकी नज़र में गन्दी बेटी न बन जाऊं। मै - बहु, तुम ऐसा सब मत सोचो। मैं जानता हूँ मुझे क्या करना है। (मैंने बहु की सारी फोटो कहीं कहीं रूम में छुपा दि। कुछ बिस्तर के नीचे डाल दिया कुछ कबोर्ड में रख दिया तो कुछ टेबल के पास किताबों के बीच में। रात के ११ बज रहे थे, मैंने बहु से आग्रह किया किया की अब हमदोनो को भी सो जाना चहिये। कमरे में केवल दो ही बेड थे। जिसमें से एक पे समधी जी सो रहे थे। मैंने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहा। मै - बहु।।। आओ हम दोनों इस बेड पे सो जाते हैं सरोज - नहीं बाबूजी, सुबह पापा मुझे आपके साथ देखेंगे तो क्या सोचेंगे मै - कुछ नहीं सोचेंगे बहु, आखिर मैं तुम्हारे पिता की तरह हू। समधी जी सोचेंगे की मैं ससुर नहीं एक पिता की तरह तुम्हे प्यार करता हू। सरोज - हाँ ये ठीक है, वैसे भी पापा को मेरे और आपके बारे में कुछ पता तो नहीं है। और वो कभी ऐसा सोच भी नहीं सकते। मै - हाँ बहु, अब जल्दी से कपडे बदल के बिस्तर पे आ जाओ। सरोज - कपडे क्यों बदलना है बाबूजी? मै - भूल गई अपना वादा बहु, मैंने क्या कहा था अगर तुम्हे जानना है की तुम्हारे पापा तुम्हारे बारे में क्या सोचते हैं तो तुम्हे उनके सामने कुछ सेक्सी कपडे पहनने पडेंगे। तुम्हे उन्हें अपना गदराया बदन दिखा कर रिझाना होगा। सरोज - ठीक है बाबूजी मैं कुछ सेक्सी कपडे खोजती हू। जो मनीष मेरे लिए लाये थे।
21-12-2023, 02:51 PM
थोड़ी देर बाद बहु कुछ कपडे ले कर आयी, मैंने देखा और उसे एक नाईट गाउन पहनने के लिए कहा। मैं समधी जी को एकदम से शॉक नहीं देना चाहता था इसलिए मैंने ऐसा नाईट गाउन चुना जो बहु के जिस्म को पूरा कवर करे जिसमें सबकुछ छुपाये भी जा सके, और वक़्त पडने पे सबकुछ दिखाया भी जा सके।
मै - बहु तुम ये रेड वाली गाउन पहनो, ये पतला है इसमे तुम्हारे शरीर का शेप साफ़ नज़र आएगा। लेकिन तुम इसके अंदर ब्रा नहीं पहनोगी। सरोज- ठीक है बाबूजी। बहु बाथरूम में चेंज कर के आयी, और जब मैंने उसे देखा तो वो उस नाईट गाउन में किसी रंडी से कम नहीं लग रही थी। बहु के नाईट गाउन इतने पतले थे के उसके बदन से चिपक गए थे। नाईट गाउन चिपकने से उसके कुल्हे बहुत बड़े नज़र आ रहे थे। ऊपर ब्रा न होने की वजह से बहु की चूचियां आधी बाहर की ओर निकली थी। उसकी निप्पल के साइड का डार्क स्किन भी नज़र आ रहा था। मै - बहुत सेक्सी लग रही हो बहु।। (मैं बिस्तर पे लेट गया और अपने ऊपर एक पतली चादर डाल लिया ) बहु भी मेरे पास आ कर लेट गई। मैंने चादर के अंदर अपना लंड निकाल लिया और बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रख लिया सरोज - बाबूजी ये क्क्या।। आपने अपना लंड क्यों बाहर निकाल लिया? मै - बहु तुम्हे इस नाईट गाउन में देख मैंने लंड बाहर निकाला है। कल देखना तुम्हारे पापा कैसे अपना लंड पकड़ के मुट्ठ मारेंगे सरोज - छी: बाबूजी आप फिर से।।।।।। मै- ओके सॉरी बहु मेरे लंड को सहला रही थी, मैंने धीरे से उसका गाउन ऊपर किया और उसकी पेंटी की साइड से ऊँगली बहु के बुर में पेल दिया।। बहु आह आहः।। करने लगी, अभी कुछ सेकंड ही हुए थे की बहु की बुर से गरम गरम पानी निकलने लगा। मेरी दो ऊँगली बहु के बुर के पानी से चिपचिपी हो गई थी। मैं समझ गया की बहु बहुत उत्तेजित हो गई है। मैंने करवट ली और अपना लंड बहु के बुर में रगडने लगा। बहु ने अपनी टाँगे खोल मेरे लंड को अपने बुर में जाने के लिए रास्ता दिया। लेकिन तभी मुझे एक आईडिया आया क्यों न बहु को और तडपाया जाए, बहु जितना ज्यादा तड़पेगी उतना उसका इंटरेस्ट अपने पापा की तरफ बढ़ता जायेगा और फिर उन्हें अपना बदन दिखाने में उसे कोई झिझक नहीं होगी। बहु मेरा लंड पकड़ कर अपने बुर की तरफ खीच रही थी, मैंने तुरंत अपना लंड हटा लिया और कहा। मै - बहु, मैं बहुत थक गया हूँ रात के ११ बज रहे हैं मुझे सोने दो। सरोज - लेकिन बाबूजी, मुझे नींद नहीं आ रही है। मै समझ गया की बहु को चुदवाना है, उसपे सेक्स सवार हो गया है। मैं-ठीक है बहु मैं तुम्हे चोदुँगा लेकिन जब तुम चूत के साथ अपनी कुँवारी गांड मुझे मारने दोगी। बहु-नहीं बाबूजी प्लीज मुझे बहुत दर्द होगा। मैं-नहीं बहु दर्द होगा तो मैं निकाल लूंगा।जानती हो बहु चूत से ज्यादा मज़ा गाँड में आता है।( बहु पूरी तरह से गरम हो गई थी इसलिए वह मेरी बात मानने को राजी हो गई) मैं-बेटी अब तुम्हारी गांड मारूँगा"
21-12-2023, 03:13 PM
सरोज ये सुन कर घबराई भी और उत्तेजित भी हुई। जब से उसने बाबूजी से चूत और गांड दोनों में लंड लेने के बारे में सुना था तब से ही उसके मन में ये अनुभव लेने का ख्याल बार बार आता रहा है। पर इतना बड़ा लंड गांड में लेने का ख्याल भयावह था। वो दर्द की परिकल्पना करके घबरा जाती। अभी सरोज इसी उधेडबुन में थी की वो गांड में ले या नही।
जब ससुर जी तेल की बोतल ले कर वापस आये तो सरोज को एहसास हुआ की वो निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र बिलकुल नहीं है। वो तो महज ससुर जी के हाथ की कठपुतली बन चुकी है, बाबूजी जी जैसे नचाएंगे वो नाचेगी। वो न तो कुछ कह सकती थी और न ही बाबूजी जी की इच्छा के बिना कुछ कर सकती थी। ससुर जी ने बहु की कमर को पकड़ कर घुमाया। बहु बिना किसी विरोध के पेट के बल लेट गयी। ससुर जी ने उसके पुष्ट चुत्तड़ को मसलना शूरु कर दिया। बहू ने अपने जांघों को फैला दिया। बाबूजी बहू की गांड को मसलने के साथ उसकी चूत को भी दबा रहे थे। उसकी चूत फिर से बहने लगी थी। फिर बाबूजी ने उसके चुत्तड़ को फैला कर उसके गांड के छेद को फ़ैलाया और उस पर तेल डाल दिया। फिर अपनी ऊँगली से तेल को बहु के गांड के आस पास लगाये फिर ऊँगली को हलके से गांड में घुसाया। बहु तन गयी। बाबूजी ने उसकी गांड पर हाथ फेरा "रिलेक्स बेटी, जितना बॉडी को टेंशन में लाओगी उतना ही दर्द होगा" बाबूजी ने बहु के कमर को पकड़ कर उसकी गांड को ऊपर उठा दिया। बहु अब कुतिया की तरह घुटनो के बल लेती हुई थी। बाबू जी एक हाथ से बहु के बदन को सहला रहे थे और धीरे धीर दुसरे हाथ की एक ऊँगली बहु के गांड में अन्दर घुसा रहे थे। जैसे ही बाबूजी ऊँगली अन्दर धकेलते, वैसे ही बहु तन जाती। "रिलेक्स बेटी।।। बदन को एकदम ढीला छोड़ दो।। बिलकुल भी दर्द नहीं होगा" बाबूजी बहु को गांड मरवाने की ट्रेनिंग दे रहे थे। बाबूजी जी बहु की पीठ, गांड और चूचि को एक हाथ से सहलाते, जैसे ही उसका बदन ढीला पड़ता अपनी ऊँगली को अंदर ढकेल देते। बहु टाइट हो जाती तो बाबूजी रुक जाते। उनके पास गांड मारने का लम्बा अनुभव था। और फिर कई दिनों बाद उनके हाथ अनछुआ, अनचुदा गांड आया है। वो बड़ी सावधानी से आगे बढ़ रहे थे, कहीं दर्द से घबरा कर बहु मना न कर दे। धीरे धीरे कर उन्होंने अपनी पूरी ऊँगली बहु के गांड में घुसा दिया। फिर वो अपनी ऊँगली को बहु की गांड के अंदर घुमाने लागे। फिर वो ऊँगली से बहु की गांड को चोदने लागे। बहु धीरे धीरे गांड में ऊँगली लेना सीख रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने बहु की गांड में अपना दो ऊँगली पेल दिया और दो ऊँगली से उसकी गांड मारने लागे। बाबूजी बहु की गांड के अंदर कभी ऊँगली पेलते, कभी घुमाते और कभी बहार निकल कर ऊँगली में तेल लगा कर बहु के गांड के अंदर तेल लगाते। उनका दूसरा हाथ बहु की चुची, चूत और गांड को सहलाने में व्यस्त था। दर्द से उबरने के बाद अब बहु को गांड में ऊँगली का मजा मिलने लगा था। बाबू जी जब एक साथ बहु की चूत में और गांड में ऊँगली घुसा कर एक दुसरे की तरफ दबाते तो बहु को वो आनंद मिलता जो उसे अब तक की चुदाई में कभी नहीं मिला था। उस अनुभव से चूत और गांड में साथ साथ लंड लेने का बहु का निश्चय दृढ होता जा रहा था। जब बाबू जी आश्वस्त हो गए की बहु अब गांड में लंड लेने के लिए तैयार है तो उन्होंने बहु की गांड में से अपना ऊँगली निकाल लिया और अपने लंड पर तेल लगाने लगे। फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों से बहु की गांड और चूत को मसलना शुरु कर दिया। उसकी गांड पर तेल लगे अपने लंड को मसलने लगे। तेल लगी कोमल गांड पर बाबूजी का तेल लगा हुआ सख्त लंड के फिसलने का एहसास बाबू जी को अलग मजा दे रहा था। एक हाथ से बहु के चुत्तड़ को फैला कर बाबू जी ने दुसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा और बहु की गांड के छेद पर अपने लंड का सुपाडा रगडने लगे। "देख बेटी! अपने गांड को बिलकुल ढीला छोड़ दो।। शूरु में थोड़ा सा दर्द होग, पर बाद में बहुत मजा आएगा।" बहू ने अपनी आँखें बंद कर ली, नीचली होठो को दांतो तले दबा लिया और तकिया को मुट्ठी में कस कर जकड लिया। बाबू जी ने गांड के छेद पर अपने लंड के सुपाडा को रगडते हुए बहू के गांड को सहला रहे थे। जैसे ही बहू का बदन ढीला पडा बाबू जी ने झटके के साथ लंड को अंदर पेल दिया। लंड का सुपाडा गांड के अंदर घुस गया। बहू चिल्ला उठी "आह" बाबू जी ने झुक कर एक हाथ से बहू की चूचियों को सहलाने लगे और दुसरे हाथ से चुत को। थोड़ी देर में बहू जब शान्त हुई तो बाबू जी ने फिर धक्का मार कर थोड़ा और लंड अंदर घुसा दिया। बहू फिर चिल्ला उठी। बाबू जी ने धीरे धीरे, रुक रुक कर अपना पूरा लंड बहु की गांड में पेल दिया। बहू दर्द से बेचैन थी, उसका बदन पसीना पसीना हो चूका था, दाँत के दबाव से होंठ लाल हो चुके थे और उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। कुछ देर तक शांत रहने के बाद बाबू जी ने बहू की गांड को धीरे धीरे चोदना शुरु किया। बहू की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर बाबूजी अपने लंड को उसकी गांड में धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे। बाबू जी ने इतनी टाइट गांड में लंड कभी नहीं पेला था। बाबू जी जब लंड को अंदर घुसाते तब बहू की टाइट गांड उनके लंड के ऊपर की त्वचा को जकड लेती और उनके लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से नंगा हो कर तन जाता। फिर बहु की गांड के भीतर के कोमल और चिपचिपी त्वचा से नंगे सुपाडे की रगड बाबू जी को बहुत आनंद दे रहा था। बहू का दर्द भी अब शांत हो गया था। गाँड में मोटा सा लंड जब अंदर घुसता तो बहु को अपनी चूत पर दबाव महसुश होता, ये एहसास बहुत ही मादक था। बहू को अब मजा आने लगा था। वो बाबूजी के लंड के साथ लय मिला कर अपने गांड को हिलाने लगी। जैसे बाबू जी लंड अंदर घुसाते, बहू अपना गांड पीछे कर देती। बहू को मजा लेता देख बाबूजी ने भी चुदाई की गति काफी तेज़ कर दी। चूतड़ के पास दोनों हाथों से बहू की कमर को पकड़ कर बाबू जी पूरे अंदर तक अपना लंड पेल रहे थे। जैसे जैसे बहू गांड मरवाने में सहज हो रही थी वैसे वैसे बाबूजी की चुदाई की गति बढ़ती जा रही थी। अब बाबू जी मस्ती में आधा लंड अंदर बाहर कर बहू की गांड में लंड पेल रहे थे। अब बहू भी मस्ती में आ चुकी थी। बाबु जी ने झुक कर अपने दोनों हाथों से बहू की दोनों चूचि को पकड़ा और उसकी चूचियों को भींचते हुए उन्होंने बहू को घुटने के बल खड़ा कर दिया। बहू घुटने के बल खडी, उसके पीछे उसकी गांड में अपना लंड घुसाए बाबू जी घुटने के बल खडे उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन चूम रहे थे। बहू ने अपने दोनों हाथों को उठा कर बाबू जी के सर को पकड़ लिया और मुँह पीछे घुमा कर बाबूजी को चूमने लगी। बाबू जी बहू की गांड में लंड तो पेल ही रहे थे अब वो उसकी मुंह में अपना जीभ पेलने लगे। एक हाथ से चूचियों को मिसते हुए उन्होंने अपना दूसरा हाथ नीचे बढाया। पेट पर रेंगता हुआ उनका हाथ नीचे जांघों के बीच में सांप के बिल तक पहुँच गया। थोड़ी देर तक गीली चूत की मालिश करने के बाद उनकी ऊँगली अंदर बिल में घुस गयी। बहू तीनो मोर्चे पर एक साथ प्रहार से विचलित थी; उसकी गांड में बाबू जी का लंड ड्रिल कर रहा था तो चूत में उनकी ऊँगली और मुंह में उनका जीभ। तीनो मोरचे पर बस एक ही मोरचा, उसकी गांड़, पर पूरे ज़ोर शोर से लडाई चल रही थी बांकी मोर्चों पर तो बस छिट पुट हमले ही हो रहे थे। अगर इस लडाई में ऐसा मजा है तो तीनो मोरचे पर एक साथ घमाशान युद्व हो तो कितना मजा आएगा। बहू के आँखों के सामने फिर से तीनो मोर्चे पर लंड लेती पोर्न स्टार की तस्वीर आ गयी। अब तीन लंड एक साथ लेने की बहू की अभिलाषा बन चुकी थी। जब बाबूजी जी ने बहू की चूत में दो ऊँगली घुसायी तो बहू ये भूल चुकी थी की वो कहाँ है।। वो आनंद में इस तरह मतवाली हो चुकी थी की वो बाबूजी के ऊँगली को लंड मान रही थी। उसने बाबू जी के हाथ की ऊँगली को मुंह में रखा और उसे लंड की तरह चूसने लगी। वो एक साथ गांड में लंड का दबाव और चूत में दो ऊँगली के दबाव से मतवाली हो कर मचलने लगी। वो बिस्तर पर झुक गयी और अपने ही ऊँगली को चूसने लगी। बाबू जी ने बहू को मस्ती में देख कर चुदाई तेज़ कर दी। वो पूरे ज़ोर से बहू की गांड में लंड और चूत में ऊँगली पेल रहे थे। बहु आनन्द के उत्कर्ष पर थी, कुछ ही देर में वो झड गयी। उसकी चूत को बहता देख कर बाबू जी और भी उत्तेजित हो गये।। उन्होंने अपना पूरा लंड बहु के गांड में पेल दिया, फिर बाहर निकाल कर एक झटके के साथ अंदर घुसा दिया। अब वो पूरे लंड को अंदर बाहर कर चोदने लगे। थोड़ी देर में बाबू जी भी चरम पर पहुँच गये। उन्होंने अपना लंड बहू की गांड में बिलकुल भीतर तक पेल कर बाहर निकाला और अपने हाथ से हिला कर अपने प्रेम रस को बहू के मुँह के अंदर गिरा दिया जिसे बहू किसी कुतिया की तरह चाटकर साफ करने लगी।
21-12-2023, 03:33 PM
अगले दिन सुबह मैं देर से उठा, मैंने देखा की समधी जी मिरर के सामने खड़े होकर शेविंग कर रहे थे। बहु मेरे बगल में चादर के अंदर लेटी थी। मैंने बहु को धीरे से उठाया
मै - बहु, उठो।। सरोज - मैं सो नहीं रही बाबूजी। बस ऐसे ही लेती हू। मै - लगता है समधी जी की तबियत आज ठीक है, वो शेविंग कर रहे है। उन्होंने हमे साथ में सोते हुए भी देख लिया। अब तुम उन्हें रिझाने की कोशिश शुरू कर दो। सरोज - ओके बाबूजी। बहु अपने बदन से चादर हटा कर फेंक दिया। उसने अपना गाउन घुटने के ऊपर अपनी जांघो तक खीच लिया और पैर मोड़ कर बिस्तर पे बैठ गई। फिर उसने एक सेक्सी अंगडाई ली और नशीले आवाज़ में अपने पापा से कहा। सरोज - गुड मार्निंग पापा, आप कब उठ गए? आपकी तबियत अब कैसी है? समधि जी - मैं अभी अच्छा फील कर रहा हूँ बेटी (समधी जी ने बिना बहु को देखे जवाब दिया) सरोज - पापा इधर मेरे पास आइये न मुझे आपको किस करके गुड मॉर्निंग बोलना है। समधि जी - अरे बेटी २ मिनट में हो गया बस। सरोज - उम् आइये।। समधि जी - ओके हो गया, (जैसे ही समधी जी पीछे मुड कर अपनी बेटी को देखा उनकी आंखे बड़ी और जुबान बाहर हो गई ) अपनी बेटी को इस तरह से उन्होंने कभी नहीं देखा था उनकी सेक्सी बेटी अपनी आधी चूचियां लटकाये और मांसल गोरी जांघो को खोले उनके सामने बैठी थी। उनके मुह से कुछ नहीं निकला वो बेड के पास आ गये। बहु ने अपना पोजीशन चेंज किया और झुकते हुए पापा के क़रीब आ गई। झुकने से उसकी चूचि इस बार पूरी बाहर निकल गई थी, बेड पे जब वो झुकि तो उसकी नंगी चूचिया बेड को छु रही थी। बहु अपनी गाउन के सरकने से जानबूझ कर अन्जान बनी हुई थी। अगर वो बेड पे सटी न होती तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसके ब्राउन कलर के निप्पल समधी जी को साफ़ दिख जाता। समधी जी ने आगे बढ़ कर बहु को किस किया, लेकिन किस करते वक़्त पूरे टाइम उनकी नज़र अपनी बेटी के गाउन के अंदर निप्पल ढूंढने में लगी थी। सरोज - आपको नींद तो ठीक से आयी न पापा? समधि जी - हाँ बेटी ठीक से सोया मैं तो रात में, मुझे तो कुछ भी पता नहीं चला कब सुबह हो गई। और जब मैं सुबह उठा तो काफी अच्छा महसूस कर रहा था। मैन मन में सोचता रहा, आखिर आपकी बेटी ने कल रात आपके लंड को चूस के मुट्ठ निकाला है तो आप तो फ्रेश ही महसूस करेंगे। मैं ऐसा सोच कर मन ही मन हंसने लगा समधि जी - अरे देसाई जी आप क्यों मुस्कुरा रहे हैँ। मै - कुछ नहीं मैं सोच रहा था की आपकी बेटी ने कल रात आपकी खूब सेवा की तभी आपको अच्छे से नींद आई। संधि जी - अच्छा बेटी थैंकस, तुम्हे नींद आयी? सरोज - हाँ पापा, थोड़ी सी आई समधि जी - थोड़ी सी क्यों? सरोज - वो बाबूजी आपसे थोड़े मोठे हैं न और मैं भी मोटी हो गई हूँ तो मुझे सोने के लिए जगह नहीं मिली। समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी नहीं हो। (समधी जी ने अपनी बेटी को ऊपर से नीचे उसके बदन को घूरते हुए कहा) ऐसी बात थी तो तुम मेरे पास क्यों नहीं सो गई? सरोज - हाँ पापा कल से मैं आपके पास ही सोऊँगी। मैने मौका देखकर बेड के नीचे पड़े बहु की एक फोटोग्राफ को पैर से पुश कर समधी जी के पास पंहुचा दिया। समधि जी - नीचे ये फर्श पे क्या गिरा है बेटी? सरोज - कहाँ मुझे तो कुछ नज़र नहीं आ रहा।। समधि जी - रुको मैं उठाता हूं, कहीं मेरे पॉकेट से कुछ गिरा तो नहीं (समधी जी ने फोटो उठा कर पलटा और फोटो में अपनी बेटी को देख कर चौंक गये। फोटो में बहु अपने पैरों में मेहंदी लगवा रही थी। उसने एक छोटी सी पेंटी पहनी थी जिसमें उसकी पूरी टाँग और जाँघें बिलकुल नंगी थी) समधि जी - बेटी ये तो तुम्हारी फोटो है सरोज - मेरी फोटो? दिखाइये।।। समधि जी - ये देखो बेटी, (समधी जी ने बहु को फोटो दिखाया) सरोज - अरे हाँ ये तो मैं हू।।। समधि जी - ये कहाँ की फोटो है बहु? (समधी जी ने बहु के फोटो को घूरते हुये पूछा) सरोज - पापा वो मेरी दोस्त है न शालीनी, उसकी शादी की है। हम सबलोग मेहंदी लगवा रहे थे। देखिये न इसमे मैं कितनी मोटी लग रही हू। समधि जी - नहीं बेटी तुम मोटी तो बिलकुल नहीं ही, वो तो बस फोटोग्राफर के फोटो खीचने के वजह से।। सरोज - फोटोग्राफर की वजह से क्या पापा?? (बहु ने और खुल के पूछना चाहा ) समधि जी - फोटो नीचे से ली गई है न तो इसलिए तुम्हारी जाँघें मोटी लग रही है। (समधी जी बहुत हिचकिचाते हुये जाँघ शब्द का यूज किया, अपनी बेटी के जाँघ के बारे में कमेंट करने में उन्हें अजीब लग रहा था। लेकिन जैसा की मैंने बहु से कहा था थोड़ा बेशर्म होने के लिए बहु ने ठीक ऐसा ही कहा) सरोज - नहीं पापा, मेरी जाँघ सच में बहुत मोटी है न। देखिये न फोटो में और मेरी अभी के जाँघो में आपको कोई अंतर दीखता है। मुझे तो मेरी जाँघें और मोटी लगती है। समधि जी - बेटि, तुम्हारी जाँघे अच्छी है। मोटी जाँघ तो अच्छी लगती हैं। सरोज - सच में पापा आपको मेरी मोटी जाँघ अच्छी लगती है? समधि जी - हाँ बेटी।।। मुझे बहुत अच्छी लगती है। क्यों देसाई जी आप देखिये इस फोटो को (समधी जी ने फोटो मेरी तरफ बढाते हुए कहा। मैं हैरान था की हमलोग आपस में इतना खुल गए हैं की बहु के जांघों के बारे में बातें कर रहे हैं) मै - हाँ बहु तुम्हारी जाँघ बहुत अच्छी है। सरोज - (खुश होती हुई।।) थैंक यू पापा।
21-12-2023, 03:38 PM
समधि जी - लेकिन तुम शादी में टीशर्ट और पेंट पहनी हो? तुम साड़ी नहीं पहनती क्या?
सरोज - साड़ी भी पहना था पापा और हमलोगों ने तो खूब डांस भी किया था। रुकिए मैं आपको साड़ी वाली फोटो दिखाती हू। (बहु बेड के साइड से फोटो निकाल कर अपने पापा को दिखाई) सरोज - ये देखिये पापा, मुझे प्लेन साड़ी ज्यादा पसंद है तो मैं हमेशा ऐसी ही साड़ी पहनती हू। (बहु एक फोटो में लाल साड़ी पहने हुये अपनी खुली पेट और नाभि दिखा रही थी, तो दूसरी फोटो में ग्रीन साड़ी पहने हुये थी) समधि जी - बेटी साड़ी तो बहुत अच्छी है, और इस ग्रीन साड़ी वाले फोटो में तुम डांस कर रही हो क्या? सरोज - हा, मैं वो मिस्टर इंडिया के श्रीदेवी वाले गाने पे डांस कर रही थी। मैं जब साड़ी पहन के तैयार हुई तो शालिनि मेरे पास आयी और अपना हाथ मेरी कमर के अंदर डाल साड़ी नाभि के नीचे सरका दी। मैं शर्मा गई लेकिन वहां केवल लड़कियां थी तो खूब डांस की। समधि जी - वाह तुम तो एकदम श्रीदेवी ही लग रही हो इस पोज़ में तुम्हारी नाभि तो श्रीदेवी के नाभि से भी ज्यादा अच्छी लग रही है। सरोज - हंसकर।। नहीं मैं कहाँ और कहाँ श्रीदेवी समधि जी - नहीं बेटी मैं सच कह रहा हूं, तुम्हारी कमर काफी अच्छी है बस बारिश हो रही होती तो भीगे बदन और चिपकी साड़ी में तुम एकदम हॉट लग रही होती। सरोज - पापा आप नहीं जानते मेरी फ्रेंड कितनी शैतान है, उन्होंने सच में मेरे ऊपर एक बाल्टी पानी डाल दिया था और मैं बिलकुल वैसे ही थी जैसा आप सोच रहा है। समधि जी - सच? फोटो दिखाओ भीगी साड़ी वाली ? सरोज - वो मैंने किसी को फोटो नहीं लेने दिया, सबकुछ दिख रहा था। अगर होता तो मैं आपको दिखा भी नहीं सकती। कुछ और भी फोटो होंगी लेकिन सब नहीं दिखा सकती। समधि जी - है है खूब मस्ती की तुमलोगों ने, कुछ और फोटो हो तो दिखाओ। सरोज - अच्छा मैं आपको एक और फोटो दिखाती हु, मैंने वो ब्लाउज के डिज़ाइन के लिए रखा था। समधि जी - (बेसब्री से।। ) दिखाओ सरोज - (एक और फोटो लाकर अपने पापा को देती है) ये देखिये पापा है न अच्छी डिज़ाइन? समधि जी - वाओ बेटी तुम तो बहुत अच्छी लग रही हो इस ब्लाउज में। तुम कपडे बदल रही थी क्या? सरोज - हाँ पापा, मैंने साड़ी उतार दी थी और ब्लाउज खोल रही थी तभी शालिनी ने फोटो खीच लिया। लेकिन मुझे वो ब्लाउज के डिज़ाइन चाहिए था इसलिए ले आयी। मैंने ऐसे ही २ और ब्लाउज बनवाई है। समधि जी - हाँ बेटी तुम्हारी पीठ इस ब्लाउज में मांसल लग रही है, और कहाँ बनवाया तुमने ब्लाउज? सरोज - पास में ही एक टेलर है उसको दिया, वो तो कभी कभी घर आ के मेरा नाप ले जाता है। बहुत अच्छा टेलर है, मैंने उसे ये फोटो दिखाइ और उसने डिज़ाइन देख कर मेरा नाप लिया और बिलकुल ऐसी ही ब्लाउज बना के दे दिया। समधि जी - बेटी तुमने टेलर को ये फोटो दिखाए, मेरा मतलब ऐसे ब्लाउज खोलते हुए? सरोज - ओह पापा, टेलर बुजुर्ग हैं मैं उन्हें चाचा बुलाती हूँ और वो बहुत मानते हैं मुझे। समधि जी - ओके फिर ठीक है, और ब्लाउज बना के उन्होंने तुम्हे ये फोटो वापस कर दिया। सरोज - नहीं नही, ये तो दूसरी फोटो है। मैंने उनसे फोटो माँगा तो वो बोले की उनको डिज़ाइन बहुत पसंद है और इसलिए वो फोटो अपने पास ही रख लिये। मै समझ गया की समधी जी क्या जानने की कोशिश कर रहे थे, मुझे भी ये बात आज ही पता चली। उस बुजुर्ग टेलर को ब्लाउज के डिज़ाइन में कोई इंटरेस्ट नहीं रहा होगा। वो तो बहु की खुली पीठ का दिवाना हो गया होगा। और अबतक तो वो न जाने वो कितनी बार बहु के पीठ देख कर मुट्ठ मार लिया होगा।
21-12-2023, 03:46 PM
समधि जी - अच्छा बेटी, क्या मैं तुम्हारी ये साडी फोटो रख लूँ? तुम्हारी कोई फोटो मेरे पास नहीं है। तुम्हारी जब याद आएगी तो मैं तुम्हे इस फोटो में इमेजिन कर लिया करुँगा और सोचूँगा की मेरी प्यारी बेटी मेरे पास ही है।
सरोज - कौन कौन सी मेरी फोटो चाहिए आपको पापा ? समधि जी -सभी, वो मेहँदी वाली, साड़ी वाली और ये ब्लाउज वाली सभी। सरोज - ठीक है पापा आप रख लीजिये। मुझे समधी जी का इरादा पता था। समधी जी क्या मिस कर रहे थे? वो अपनी बेटी का पवित्र प्यार नहीं बल्कि उसकी मांसल जाँघ, नाभि और गदराई पीठ देख कर मुट्ठ मारने के लिए तड़प रहे थे। टेलर के बाद अब समधी जी की मुट्ठ मारने की बारी थी।। सुबह काफी देर तक मैं समधी जी और बहु रूम में बातें करते रहे। बहु ने सुबह जल्द ही नाश्ता बना दिया था, मैं और समधी जी ने रूम के बेड को आपस में जोड दिया, अब बेड पे हम तीनो के लिए काफी जगह थी। बहु रूम में पिंक कलर का सलवार सूट पहन के घूम रही थी, वो जब रूम में चलती तो उसकी चूचियां उछल रही थी। जो मुझे और समधी जी को संकेत देने के लिए काफी थी की बहु ने आज कुरते के अंदर ब्रा नहीं पहनी है। मैं हाथ में टीवी रिमोट लिए बैठा था और मेरे बगल में समधी जी टीवी पे अपना पसंदीदा प्रोग्राम देख रहे थे। तभी बहु बिस्तर पे मेरे और समधी जी के बीच चढ़ गयी, बहु किचन में काम करके थोड़ा थक सी गई थी। वो बिस्तर पे आते ही लेट गई और अपने पापा से बोली सरोज - पापा, क्या देख रहे हैं टीवी में? सीरियल लगाईये न प्लिज। समधि जी - बेटी सीरियल में क्या है? वो तो तुम दूबारा देख सकती हो लेकिन ये टीवी पे ये लाइव शो मैं नहीं देख पाउँगा बहु समधी जी के बिलकुल पास आ गई, उसने टीवी रिमोट लेने के कोशिश की तो समधी जी ने नहीं दिया और उसे मेरी तरह फेंक दिया। मैं इससे पहले के रिमोट ले पाता, बहु ने अपना हाथ आगे बढा कर रिमोट मुझसे छिन लिया। समधि जी- बेटी दो न प्लिज। सरोज - नहीं दूंगी (कहते हुए बहु ने चैनल चेंज कर दिया) बहु पिंक कलर के लेग्गिंग्स में अपनी मस्त जाँघो के शेप को दिखा रही थी। समधी जी बहु के हाथ पकड़ कर रिमोट छिनने लगे। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ईस वक़्त में मैं क्या करूँ। बहु ने रिमोट बिस्तर पे अपनी पीठ के नीचे छिपा लिया। समधी जी रिमोट लेने के बहाने अपनी बेटी के आधे शरीर पे चढ़ गए थे। समधि जी - देसाई जी पकड़िये न बेटी को, रिमोट लेकर भाग जायेगी मै समधी जी की यह बात सुनकर बहु के दोनों हाथ ऊपर कर कस कर पकड़ लिये। हाथ ऊपर करने से बहु के चूनरी हट गई थी और उसकी दोनों चूचि और बड़ी और मुलायम दिख रही थी। समधी जी का भी ध्यान बिलकुल अपनी बेटी के नरम-नरम चूचि पे था। रिमोट लेने के बहाने समधी जी बहु के पेट और साइड से नंगी कमर को छू कर आनन्द उठाए। कई बार तो वो बहु के नाभि का नज़ारा भी ले लिए । बहु भी जान बूझ कर अपने पापा को चकमा देति रही और इसी बहाने समधी जी अपनी बेटी को ऊपर से नीचे तक कई जगहों पे मसल चुके थे। सरोज - पापा, बाबूजी, ये गलत है आप दोनों लोग एक साथ मुझे पकड़ कर मुझसे जबरदस्ती रिमोट ले रहे है। मै - कुछ गलत नहीं है (कहते हुए मैंने बहु के पीठ के नीचे से रिमोट लेने के कोशिश की लेकिन बहु मेरे इरादे को जान चुकी थी मैंने बहु को आँखों से इशारा किया ताकि वो अपने पापा को और रिझाये) |
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