Thread Rating:
  • 13 Vote(s) - 2.62 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
उस रात हम लोगों ने कई बार एक दूसरे की चूत और लंड का हर तरह से मज़ा लिया। भाभी हमारी चुदाई से बहुत थक गयी थीं और फिर हम लोग थोड़ा बहुत खाना खा कर एक दूसरे से लिपट कर सो गये और सुबह देर तक सोते रहे। अगले दिन आमिर को सिंगापुर से आना था और उसकी फ़्लाईट दो बजे दोपहर में आने वाली थी। इसलिये सुबह देर से उठ कर हमने एक दूसरे से लिपट कर चुम्मा लिया।

सायरा भाभी बोलीं,अमित आज तो आमिर आ रहा है और पता नहीं फिर कब मौका मिले तुमसे मिलने का और तुम्हारा लंड अपनी चूत में पिलवाने का, तुम अभी एक बार फिर से मेरी चूत की चुदाई कर दो, प्लीज़।
 
मैं बोला, भाभी आपने मेरे मन की बात कह दी। मैं भी चाहता था की एक बार फिर से आपकी चूत में अपना लंड डालूँ और आपको जी भर कर रगड़-रगड़ कर चोदूँ।
 
हमलोग फिर से एक दूसरे से लिपट गये और फिर से मैंने उनकी टाँगों को ऊपर कर के अपना लंड उनकी चूत में पेल कर सायरा भाभी को एक बार फिर रगड़ कर चोद दिया। उसके बाद हम लोगों ने साथ-साथ बाथरूम में जाकर एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाया और मैंने उनकी चूंची और चूत से खेलते हुए और भाभी ने मेरे लंड से खेलते हुए स्नान किया और फिर अपने अपने कपड़े पहने और एयरपोर्ट आमिर को लेने के लिए चले गए। आमिर ने एयरपोर्ट पे ही मुझसे बहुत माफी माँगी और फिर आमिर और सायरा भाभी ने मुझे एक बार फिर से मुम्बई आने को कहा।
 
मैंने भी सायरा भाभी की तरफ देखते हुए उन लोगों से कहा,जरूर आऊँगा, सच तुम्हारे यहाँ आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं कोशिश करूँगा कि मैं जल्दी ही फिर से मुम्बई आऊँ।
 
मैंने भी आमिर और सायरा भाभी से दिल्ली आने को कहा और उन दोनों भी दिल्ली आने के लिए हामी भर दी।
 
सायरा भाभी बोलीं, जरूर हमलोग जल्दी ही आपके पास दिल्ली आयेंगे।
 
मैं उसी शाम कि फ़्लाईट पकड़ कर दिल्ली चला आया।
 
॥॥॥। समाप्त ॥॥॥।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
Hot stories! Please update more frequently.
Like Reply
प्यासी शबाना
लेखक: अन्जान
 
भाग - १
 
सुबह के आठ बज रहे थे। परवेज़ ने जल्दी से अपना पायजामा पहना और बाहर निकल गया। शबाना अभी बिस्तर पर ही लेटी हुई थी, बिल्कुल नंगी। उसकी चूत पर अब भी पठान का पानी नज़र आ रहा था,  और टाँगें और जाँघें फैली हुई थी। आज फिर पठान उसे प्यासा छोड़ कर चला गया था।
 
हरामज़ादा छक्का! पठान को गाली देते हुए शबाना ने अपनी चूत में उंगली डाली और जोर-जोर से अंदर बाहर करने लगी। फिर एक भारी सिसकरी के साथ वो शिथिल पड़ने लगी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन चूत में अब भी आग लगी हुई थी। लण्ड की प्यासी चूत को उंगली से शाँत करना मुश्किल था।
 
नहाने के बाद अपना जिस्म पोंछ कर वो बाथरूम से बाहर निकाली और नंगी ही आईने के सामने खड़ी हो गयी। आईने में अपने जिस्म को देखकर वो मुस्कुराने लगी। उसे खुद अपनी जवानी से जलन हो रही थी। शानदार गुलाबी निप्पल, भरे हुए मम्मे, पतली कमर, क्लीन शेव चूत के गुलाबी होंठ जैसे रास्ता बता रहे हों - जन्नत का।
 
उसने एक ठंडी आह भरी, अपनी चूत को थपथपाया और थाँग पैंटी पहन ली। फिर अपने गदराये हुए एक दम गोल और कसे हुए मम्मों को ब्रा में ठूँस कर उसने हुक बंद कर ली और अपने उरोज़ों को ठीक से सेट किया। वो तो जैसे उछल कर ब्रा से बाहर आ रहे थे। ब्रा का हुक बंद करने के बाद उसने अलमारी खोली और सलवार कमीज़ निकाली, लेकिन फिर कुछ सोचकर उसने कपड़े वापस अलमारी में रख दिये और बुरक़ा निकाल लिया।
 
फिर उसने ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर थोड़ा मेक-अप किया और इंपोर्टेड परफ्यूम लगाया। उसके बाद उसने ऊँची पेन्सिल ऐड़ी के सैंडल पहने। अब वो बिल्कुल तैयार थी। सिर्फ़ एक ही फ़र्क था, आज उसने बुऱके में सिर्फ़ पैंटी और ब्रा पहनी थी। फिर अपना छोटा सा क्लच पर्स जो कि मुठ्ठी में आ सके और जिसमें कुछ रुपये और घर की चाबी वगैरह रख सके, लेकर निकल गयी। अब वो बस स्टॉप पर आकर बस का इंतज़ार करने लगी। उसे पता था इस वक्त बस में भीड़ होगी और उसे बैठने की तो क्या, खड़े होने की भी जगह नहीं मिलेगी। यही तो मक्सद था उसका। शबाना सर से पैर तक बुरक़े में ढकी हुई थी। सिर्फ़ उसकी आँखें और ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल में उसके गोरे-गोरे पैर नज़र आ रहे थे। किसी के भी उसे पहचान पाने कि कोई गुंजाइश नहीं थी।

[Image: dla-390.jpg]
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
जैसे ही बस आयी, वो धक्का मुक्की करके चढ़ गयी। किसी तरह टिकट ली और बीच में पहुँच गयी और इंतज़ार करने लगी - किसी मर्द का जो उसे छुए,  उसके प्यासे जिस्म के साथ छेड़छाड़ करे और उसे राहत पहुँचाये। उसे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा। उसकी जाँघ पर कुछ गरम-गरम महसूस हुआ। वो समझ गयी कि ये लण्ड है। सोचते ही उसकी धड़कनें तेज़ हो गयी और उसने खुद को थोड़ा एडजस्ट किया। अब वो लण्ड बिल्कुल उसकी गाँड में सेट हो चुका था। उसने धीरे से अपनी गाँड को पीछे की तरफ़ दबाया। उसके पीछे खड़ा था प्रताप सिंघ’, जो बस में ऐसे ही मौकों की तालाश में रहता था। प्रताप समझ गया कि लाइन साफ है। उसने अपना हाथ नीचे ले जाकर अपने लण्ड को सीधा करके शबाना की गाँड पर फ़िट कर दिया। शबाना ने ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहनी थी जिससे उसकी गाँड ठीक प्रताप के लण्ड के लेवल पर थी। अब प्रताप ने अपना हाथ शबाना की गाँड पर रखा और दबाने लगा।

[Image: dla-1382.jpg]

 
हाथ लगते ही प्रताप चौंक गया। वो समझ गया कि बुरक़े के नीचे सिर्फ़ पैंटी है। उसने धीरे-धीरे शबाना की मुलायम लेकिन ठोस और गोल-गोल उठी हुई गाँड की मालिश करना शुरू कर दिया। अब शबाना एक दम गरम होने लगी थी। प्रताप ने अपना हाथ अब ऊपर किया और शबाना की कमर पर से होता हुआ उसका हाथ उसकी बगल में पहुँच गया। वो शबाना की हल्की हल्की मालिश कर रहा था। उसका हाथ शबाना की कमर और गाँड को लगातार दबा रहा था और नीचे प्रताप का लण्ड शबाना की गाँड की दरार में धंसा हुआ धक्के लगा रहा था। फिर प्रताप ने हाथ नीचे लिया और उसके बुरक़े को पीछे से उठाने लगा। शबाना ने कोई ऐतराज़ नहीं किया और अब प्रताप का हाथ शबाना की पैंटी पर था। वो उसकी जाँघों और गाँड को अपने हाथों से आटे की तरह गूँथ रहा था। थाँग पैंटी की वजह से गाँड तो बिल्कुल नंगी ही थी। फिर प्रताप ने शबाना की दोनों जाँघों के बीच हाथ डाला और उंगलियों से दबाया। शबाना समझ गयी और उसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब प्रताप ने बड़े आराम से अपनी उंगलियाँ शबाना की चूत पर रखी और उसे पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
शबाना मस्त हो चुकी थी और उसकी साँसें तेज़ चलने लगी थीं। उसने नज़रें उठायीं और इत्मीनान किया कि उनपर किसी की नज़र तो नहीं। यकीन होने के बाद उसने अपनी आँखें बंद की और मज़े लेने लगी। अब प्रताप की उंगलियाँ चूत के ऊपर से थाँग पैंटी की पट्टी को एक तरफ खिसका कर चूत पर चली गयी थीं। शबाना कि भीगी हुई चूत पर प्रताप की उंगलियाँ जैसे कहर बरपा रही थीं। ऊपर नीचे,  अंदर-बाहर - शबाना की चूत जैसे तार-तार हो रही थी और प्रताप की उंगलियाँ खेत में चल रहे हल की तरह उसकी लम्बाई,  चौड़ाई और गहरायी नाप रही थी। प्रताप का पूरा हाथ शबाना की चूत के पानी से भीग चुका था। फिर उसने अपनी दो उंगलियाँ एक साथ चूत में घुसायी और दो-तीन ज़ोर के झटके दिये। शबाना ऊपर से नीचे तक हिल गयी और उसके पैर उखड़ गये। एक दम से निढाल होकर वो प्रताप पर गिर पड़ी। वो झड़ चुकी थी। आज तक इतना शानदार स्खलन नहीं हुआ था उसका। उसने अपना हाथ पीछे किया और प्रताप के लण्ड को पकड़ लिया। इतने में झटके के साथ बस रुकी और बहुत से लोग उतार गये। बस तकरीबन खाली हो गयी। शबाना ने अपना बुरक़ा झट से नीचे किया और सीधी नीचे उतार गयी। आज उसे भरपूर मज़ा मिला था। आज तक तो रोज़ ही लोग सिर्फ़ पीछे से लण्ड रगड़ कर छोड़ देते थे। आज जो हुआ वो पहले कभी नहीं हुआ था। आप ठीक समझे - शबाना यही करके आज तक मज़े लूट रही थी क्योंकि पठान उसे कभी खुश नहीं कर पाया था।

 
उसने नीचे उतरकर सड़क क्रॉस की और रिक्शा पकड़ ली। ऐसा मज़ा ज़िंदगी में पहली बार आया था। वो बार-बार अपना हाथ देख रही थी और उसकी मुठ्ठी बनाकर प्रताप के लण्ड के बारे में सोच रही थी। उसने घर से थोड़ी दूर ही रिक्शा छोड़ दिया ताकि किसी को पता ना चले कि वो रिक्शा से आयी है। वो ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल में मटकते हुए पैदल चलकर अपने घर पहुँची और ताला खोलकर अंदर चली गयी।
 
अभी उसने दरवाज़ा बंद किया ही था कि घंटी की आवाज़ सुनकर उसने फिर दरवाज़ा खोला। सामने प्रताप खड़ा था। वो समझ गयी कि प्रताप उसका पीछा कर रहा था। इस डर से कि कोई और ना देख ले उसने प्रताप का हाथ पकड़ कर उसे अंदर खींच लिया। दरवाज़ा बंद करके उसने प्रताप की तरफ़ देखा। वो हैरान थी प्रताप की इस हरकत से।
 
क्यों आये हो यहाँ?”
 
ये तो तुम अच्छी तरह जानती हो!
 
देखो कोई आ जायेगा!”
 
कोई आने वाला होता तो तुम इस तरह बस में मज़े लेने के लिये नहीं घूम रही होती!
 
मैं तुम्हें जानती भी नहीं हूँ…!”
 
मेरा नाम प्रताप है! अपना नाम तो बताओ!”
 
मेरा नाम शबाना है,  अब तुम जाओ यहाँ से…”
 
बातें करते-करते प्रताप बुरक़े के ऊपर से शबाना के जिस्म पर हाथ फिरा रहा था। प्रताप के हाथ उसके मम्मों से लेकर उसकी कमर और पेट और जाँघों को सहला रहे थे। शबाना बार-बार उसका हाथ झटक रही थी और प्रताप बार-बार उन्हें फिर शबाना के जिस्म पर रख रहा था। लेकिन प्रताप समझ गया था कि शबाना की ना में हाँ है।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
[Image: dla-18910.jpg]
अब प्रताप ने शबाना को अपनी बाँहों भर लिया और बुरक़े से झाँकती आँखों पर चुंबन जड़ दिया। शबाना की आँखें बंद हो गयी और उसके हाथ अपने आप प्रताप के कंधों पर पहुँच गये। प्रताप ने उसके नकाब को ऐसे हटाया जैसे कोई घूँघट उठा रहा हो। शबाना का चेहरा देखकर प्रताप को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। ग़ज़ब की खूबसूरत थी शबाना - गुलाबी रंग के पतले होंठ,  बड़ी आँखें,  गोरा चिट्टा रंग और होंठों के ठीक नीचे दांयी तरफ़ एक छोटा सा तिल। प्रताप ने अब धीरे-धीरे उसके गालों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। शबाना ने आँखें बंद कर लीं और प्रताप उसे चूमे जा रहा था। उसके गालों को चाट रहा था,  उसके होंठों को चूस रहा था। अब शबाना भी बाकायदा साथ दे रही थी और उसकी जीभ प्रताप की जीभ से कुश्ती लड़ रही थी। प्रताप ने हाथ नीचे किया और उसके बुरक़े को उठा दिया। शबाना ने अपनी दोनों बाँहें ऊफर कर दीं और प्रताप ने बुरक़ा उतार कर फेंक दिया। प्रताप शबाना को देखता रह गया। इतना शानदार जिस्म जैसे किसी ने बहुत ही फुर्सत में तराश कर बनाया हो। काले रंग की छोटी सी जालीदार ब्रा और थाँग पैंटी और काले ही रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडलों में शबाना जन्नत की हूर से कम नहीं लग रही थी।

[Image: everwhere-193.jpg]

 
दरवाज़े पर ही करना है सब कुछ?” शबाना ने कहा तो प्रताप मुस्कुरा दिया और उसने शबाना को अपनी बाँहों में उठा लिया और गोद में लेकर बेडरूम की तरफ़ चल पड़ा। उसने शबाना को बेड के पास ले जाकर गोद से उतार दिया और बाँहों में भर लिया। शबाना की ब्रा खोलते ही जैसे दो परिंदे पिंजरे से छूट कर उड़े हों। बड़े-बड़े मम्मे और उनपर छोटे-छोटे गुलाबी चुचक और तने हुए निप्पल। प्रताप तो देखता ही रह गया... जैसे कि हर कपड़ा उतारने के बाद कोई खज़ाना सामने आ रहा था। प्रताप ने अपना मुँह नीचे लिया और शबाना की चूचियों को चूसता चला गया और चूसते हुए ही उसने शबाना को बिस्तर पर लिटा दिया। शबाना के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो प्रताप के बालों में हाथ फिरा रही थी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ढकेल रही थी। शबाना मस्त हो चुकी थी। अब प्रताप उसके पेट को चूस रहा था और प्रताप का हाथ शबाना की पैंटी पर से उसकी चूत की मालिश कर रहा था। शबाना बेहद मस्त हो चुकी थी और लण्ड के लिये उसकी चूत की प्यास उसे मदहोश कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ बंद होने का नाम नहीं ले रही थी और टाँगें अपने आप फैलकर लण्ड को चूत में घुसने का निमंत्रण दे रही थी। प्रताप उसके पेट को चूमते हुए उसकी जाँघों के बीच पहुँच चुका था। शबाना बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी। प्रताप उसकी टाँगों के बीच बेड के नीचे बैठ गया और शबाना की टाँगें फैला दीं। वो शबाना की गोरी-गोरी,  गदरायी हुई भरी भरी सुडौल जाँघों को बेतहाशा चूम रहा था और उसकी उंगलियाँ पैंटी पर से उसकी चूत सहला रही थी। प्रताप की नाक में शबाना की चूत से रिसते हुए पानी की खुशबू आ रही थी और वो भी मदहोश हो रहा था। शबाना पर तो जैसे नशा चढ़ गया था और वो अपनी गाँड उठा-उठा कर अपनी चूत को प्रताप की उंगलियों पर रगड़ रही थी।
 
अब प्रताप पैंटी के ऊपर से ही शबाना की चूत को चूमने लगा। वो हल्के-हल्के दाँत गड़ा रहा था शबाना की चूत पर और शबाना प्रताप के सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी और गाँड उठा-उठा कर चूत को प्रताप के मुँह में घुसा रही थी। फिर प्रताप ने शबाना की पैंटी उतार दी। शबाना अब ऊँची पेंसिल हील के सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी थी। प्रताप के सामने अब सबसे हसीन चूत थी... एक दम गुलाबी एक दम प्यारी। एक दम सफायी से रखी हुई कोई सीप जैसी। प्रताप उसकी खुशबू से मदहोश हो रहा था और उसने अपनी जीभ शबाना की चूत पर रख दी। शबाना उछल पड़ी और उसके जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया। उसने प्रताप के सिर को पकड़ा और अपनी गाँड उचका कर चूत प्रताप के मुँह पर रगड़ दी। प्रताप की जीभ शबाना की चूत में धंस गयी और प्रताप ने अपने होंठों से शबाना की चूत को ढक लिया और एक उंगली भी शबाना की चूत में घुसा दी - अब शबाना की चूत में प्रताप की जीभ और उंगली घमासान मचा रही थी।
[Image: dla-109.jpg]
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
शबाना रह-रह कर अपनी गाँड उठा-उठा कर प्रताप के मुँह में चूत दबा रही थी। उसकी चूत से निकल रहा पानी उसकी गाँड तक पहुँच गया था। प्रताप ने अब उंगली चूत से निकाली और शबाना की गाँड पर उंगली फिराने लगा। चूत के पानी की वजह से गाँड में उंगली फिसल कर जा रही थी। शबाना को कुछ होश नहीं था - वो तो चुदाई के नशे से मदहोश हो चुकी थी। आज तक उसे इतना मज़ा नहीं आया था। उसकी सिसकारियाँ बंद नहीं हो रही थी। उसकी गाँड में उंगली और चूत में जीभ घुसी हुई थी और वो नशे में धुत्त शराबी कि तरह बिस्तर पर इधर उधर हो रही थी। उसकी आँखें बंद थी और वो जन्नत की सैर कर रही थी। किसी तेज़ खुशबू की वजह से उसने आँखें खोली तो सामने प्रताप का लण्ड था। उसे पता ही नहीं चला कब प्रताप ने अपने कपड़े उतार दिये और 69 की पोज़िशन में आ गया। शबाना ने प्रताप के लण्ड को पकड़ा और उस पर अपना हाथ ऊपर-नीचे करने लगी। प्रताप के लण्ड से पानी गिर रहा था और वो चिपचिपा हो रहा था। शबाना ने लण्ड को अच्छी तरह सूँघा और उसे अपने चेहरे पर लगाया और फिर उसका अच्छी तरह जायज़ा लेने के बाद उसे चूम लिया। फिर उसने अपना मुँह खोला और लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वो लण्ड के सुपाड़े को अपने मुँह में लेकर अंदर ही उसे जीभ से लपेटकर अच्छी तरह एक लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और प्रताप अब भी उसकी चूत चूस रहा था।
[Image: 66261978-011-a6ce.jpg]
अचानक जैसे ज्वालामुखी फटा और लावा बहने लगा। शबाना का जिस्म बुरी तरह अकड़ गया और उसकी टाँगें सिकुड़ गयी। प्रताप का मुँह तो जैसे शबाना की जाँघों में पिस रहा था। शबाना बुरी तरह झड़ गयी और उसकी चूत ने एक दम से पानी छोड़ दिया और वो एक दम निढाल गयी। आज एक घंटे में वो दो बार झड़ चुकी थी जबकि अब तक उसकी चूत में लण्ड गया भी नहीं था।
 
अब प्रताप ने अपना लण्ड शबाना के मुँह से निकाला और शबाना की चूत छोड़ कर उसके होंठों को चूमने लगा। शबाना झड़ चुकी थी लेकिन लण्ड की प्यास उसे बाकायदा पागल किये हुए थी। अब वो बिल्कुल नंगी प्रताप के नीचे लेटी हुई थी और प्रताप भी एक दम नंगा उसके ऊपर लेटा हुआ था। प्रताप का लण्ड उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था और शबाना अपनी गाँड उठा-उठा कर प्रताप के लण्ड को खाने की फ़िराक में थी। प्रताप अब उसकी टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगों को उठा कर अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। शबाना आहें भर रही थी और अपने सर के नीचे रखे तकिये को अपने हाथों में पकड़ कर मसल रही थी। प्रताप के लण्ड को खा जाने के लिये उसकी गाँड रह-रह कर उठ जाती थी। मगर प्रताप तो जैसे उसे तड़पा-तड़पा कर चोदना चाहता था। वो उसकी चूत पर ऊपर से नीचे अपने लण्ड को रगड़े जा रहा था। अब शबाना से रहा नहीं जा रहा था - बेहद मस्ती और मज़े की वजह से उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से सिसकारियाँ छूट रही थी। प्रताप का लण्ड धीरे-धीरे फिसल रहा था और फिसलता हुआ वो शबाना की चूत में घुस जाता और बाहर निकल जाता।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
अब प्रताप उसे चोदना शुरू कर चुका था। हल्के-हल्के धक्के लग रहे थे और शबाना भी अपनी गाँड उठा-उठा कर लण्ड खा रही थी। धीरे-धीरे धक्कों की रफ्तार बढ़ रही थी और शबाना की सिसकारियों से सारा कमरा गूँज रहा था। प्रताप का लण्ड कोयाले के इंजन के पहियों पर लगी पट्टी की तरह शबाना की चूत की गहरायी नाप रहा था। प्रताप की चुदाई में एक लय थी और अब धक्कों ने रफ्तार पकड़ ली थी। प्रताप का लण्ड तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था और शबाना भी पागल हो चुकी थी। वो अपनी गाँड उठा-उठा कर प्रताप के लण्ड को अपनी चूत में दबाकर पीस रही थी। अचानक शबाना ने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और अपने दोनों पैर प्रताप की कमर पर बाँध कर झूल गयी। उसके पैरों में अभी भी ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल बंधे हुए थे। प्रताप समझ गया कि ये फिर झड़ने वाली है। प्रताप ने अपने धक्के और तेज़ कर दिये - उसका लण्ड शबाना की चूत में एक दम धंसता चला जाता,  और,  बाहर आकर और तेज़ी से घुस जाता। शबाना की चूत से फुव्वारा छूट गया और प्रताप के लण्ड ने भी शबाना की चूत में पूरा पानी उड़ेल दिया।

 [Image: dfa-1394.jpg]

प्रताप और शबाना को अब जब भी मौका मिलता तो एक दूसरे के जिस्म की भूख मिटा देते थे। हफ्ते में कम से कम दो-तीन बार तो शबाना प्रताप को बुला ही लेती थी और उसका शौहर परवेज़ अगर शहर के बाहर गया होता तो प्रताप रात को भी रुक जाता और दोनों जी भर कर खूब चुदाई करते। चुदाई से पहले प्रताप अक्सर शराब के एक-दो पैग पीता था और शबाना भी इसमें उसका साथ देने लगी।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
Bohat hi mast stories hain bhai… plzz continue
Like Reply
(23-12-2022, 07:01 PM)ShakirAli Wrote: Bohat hi mast stories hain bhai… plzz continue

thanks
Like Reply
भाग -२
 
करीब सात आठ महीने बाद की बात है। शबाना दो हफ्ते से प्रताप का लण्ड नहीं ले पायी थी क्योंकि परवेज़ की बड़ी बहन ताज़ीन घर आयी हुई थी। वो पूरे दिन घर पर ही रहती थी,  जिस वजह से ना तो शबाना कहीं जा पाती थी और ना ही प्रताप को बुला सकती थी। ताज़ीन चौंतीस साल की थी और शबाना से चार साल ही बड़ी थी। वो भी शादीशुदा थी।

ताज़ीन
[Image: UEc67757.jpg]
 
शबाना! मैं दो दिनों के लिये बाहर जा रहा हूँ,  कुछ ज़रूरी काम है... ताज़ीन आपा घर पर नहीं होती तो तुम्हें भी ले चलता! परवेज़ ने कहा।
 
कोई बात नहीं! आप अपना काम निपटा कर आयें! शबाना को परवेज़ के जाने की कोई परवाह नहीं थी और उसके साथ जाने की तमन्ना भी नहीं थी। वो तो ताज़ीन को भी भगा देना चाहती थी, जिसकी वजह से उसे प्रताप का साथ नहीं मिल पा रहा था - पूरे पंद्रह दिन से। और ताज़ीन अभी और पंद्रह दिन रुकने वाली थी।
 
रात को ताज़ीन और शबाना बेडरूम में बिस्तर पर लेटे हुए फिल्म देख रही थीं। शबाना को नींद आने लगी थी और वो नाइटी पहन कर सो गयी। सोने से पहले शबाना ने लाइट बंद करके मद्दिम लाइट चालू कर दी थी। ताज़ीन किसी दूसरे चैनल पर ईंगलिश फिल्म देखने लगी। फिल्म में काफी खुलापन और चुदाई के सीन थे।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
नींद में शबाना ने एक घुटना ऊपर उठाया तो अनायास ही उसकी रेश्मी नाइटी फ़िसल कर घुटने के ऊपर तक सरक गयी। टीवी और मद्दिम लाइट की रोशनी में उसकी दूधिया रंग की जाँघ चमक रही थी। अब ताज़ीन का ध्यान फिल्म में ना होकर शबाना के जिस्म पर था और रह-रह कर उसकी नज़र शबाना के गोरे जिस्म पर टिक जाती थी। शबाना की खूबसूरत जाँघें उसे मादक लग रही थी। कुछ तो फिल्म के चुदाई सीन का असर था और कुछ शबाना की खूबसूरती का। ताज़ीन बेहद चुदासी औरत थी और मर्दों के साथ-साथ औरतों में भी उसकी दिलचस्पी थी।

 
ताज़ीन ने टीवी बंद किया और वहीं शबाना के पास सो गयी। थोड़ी देर तक बिना कोई हरकत किये वो लेटी रही। फिर उसने अपना हाथ शबाना के उठे हुए घुटने वाली जाँघ पर रख दिया। हाथ रख कर वो ऐसे ही लेटी रही, एक दम स्थिर। जब शबाना ने कोई हरकत नहीं की, तो ताज़ीन ने अपने हाथ को शबाना की जाँघ पर फिराना शुरू कर दिया। हाथ भी इतना हल्का कि सिर्फ़ उंगलियाँ ही शबाना को छू रही थी, हथेली बिल्कुल भी नहीं। फिर उसने हल्के हाथों से शबाना की नाइटी को पूरा ऊपर कर दिया। अब शबाना की पैंटी भी साफ़ नज़र आ रही थी। ताज़ीन की उंगलियाँ अब शबाना के घुटनों से होती हुई उसकी पैंटी तक जाती और फिर वापस ऊपर घुटनों पर आ जाती। यही सब तकरीबन दो-तीन मिनट तक चलता रहा। जब शबाना ने कोई हरकत नहीं की, तो ताज़ीन ने शबाना की पैंटी को छूना शुरू कर दिया लेकिन तरीका वही था। घुटनों से पैंटी तक उंगलियाँ परेड कर रही थी। अब ताज़ीन धीरे से उठी और उसने अपनी नाइटी और ब्रा उतार दी, और सिर्फ़ पैंटी में शबाना के पास बैठ गयी। शबाना की नाइटी में आगे कि तरफ़ बटन लगे हुए थे। ताज़ीन ने बिल्कुल हल्के हाथों से बटन खोल दिये। फिर नाइटी को हटाया तो शबाना के गोरे चिट्टे मम्मे नज़र आने लगे। अब ताज़ीन के दोनों हाथ मसरूफ हो गये थे। उसके एक हाथ की उंगलियाँ शबाना की जाँघ और दूसरे हाथ की उंगलियाँ शबाना के मम्मों को सहला रही थी। उसकी उंगलियाँ अब शबाना को किसी मोर-पंख की तरह लग रही थीं। जी हाँ! शबाना उठ चुकी थी लेकिन उसे अच्छा लग रहा था, इसलिये बिना हरकत लेटी रही। वो इस खेल को रोकना नहीं चाहती थी।
 
अब ताज़ीन की हिम्मत बढ़ गयी थी। उसने झुककर शबाना की चुची को किस किया। फिर उठी और शबाना की टाँगों के बीच जाकर बैठ गयी। शबाना को अपनी जाँघ पर गर्म हवा महसूस हो रही थी। वो समझ गयी कि ताज़ीन की साँसें हैं। ताज़ीन शबाना की जाँघ को अपने होंठों से छू रही थी,  बिल्कुल उसी तरह जैसे वो अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी। अब वही साँसें शबाना को अपनी पैंटी पर महसूस होने लगीं, लेकिन उसे नीचे दिखायी नहीं दे रहा था। वैसे भी उसने अभी तक आँखें नहीं खोली थी। अब ताज़ीन ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और उसे शबाना की पतली सी पैंटी में से झाँक रही गरमागरम चूत की दरार पर टिका दी। कुछ देर ऐसे ही उसने अपनी जीभ को पैंटी पर ऊपर-नीचे फिराया। शबाना की पैंटी ताज़ीन के थूक से और चूत से निकाल रहे पानी से भीगने लगी थी। अचानक ताज़ीन ने शबाना की थाँग पैंटी को साइड में किया और शबाना की नंगी चूत पर अपने होंठ रख दिये। शबाना से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी गाँड उठा दी, और दोनों हाथों से ताज़ीन के सिर को पकड़ कर उसका मुँह अपनी चूत से चिपका लिया। ताज़ीन की तो दिल की मुराद पूरी हो गयी थी! अब कोई डर नहीं था! वो जानती थी कि अब शबाना सब कुछ करने को तैयार है - और आज की रात रंगीन होने वाली थी।
[Image: 788h008.jpg]
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
ताज़ीन ने अपना मुँह उठाया और शबाना की पैंटी को दोनों हाथों में पकड़ कर खींचने लगी। शबाना ने भी अपनी गाँड उठा कर उसकी मदद की। फिर शबाना ने अपनी नाइटी भी उतार फेंकी और ताज़ीन से लिपट गयी। ताज़ीन ने भी अपनी पैंटी उतारी और अब दोनों बिल्कुल नंगी एक दूसरे के होंठ चूस रही थीं। दोनों के मम्मे एक दूसरे से उलझ रहे थे। दोनों ने एक दूसरे की टाँगों में अपनी टाँगें कैंची की तरह फंसा रखी थीं और ताज़ीन अपनी कमर को झटका देकर शबाना की चूत पर अपनी चूत लगा रही थी, जैसे कि उसे चोद रही हो। शबाना भी चुदाई के नशे में चूर हो चुकी थी और उसने ताज़ीन की चूत में एक उंगली घुसा दी। अब ताज़ीन ने शबाना को नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गयी। ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को चूसना शुरू किया। उसके हाथ शबाना के जिस्म से खेल रहे थे।

[Image: ingadrbed008.jpg]
 
शबाना अपने मम्मे चुसवाने के बाद ताज़ीन के ऊपर आ गयी और नीचे उतरती चली गयी। ताज़ीन के मम्मों को चूसकर उसकी नाभि से होते हुए उसकी ज़ुबान ताज़ीन की चूत में घुस गयी। ताज़ीन भी अपनी गाँड उठा-उठा कर शबाना का साथ दे रही थी। काफी देर तक ताज़ीन की चूत चूसने के बाद शबाना ताज़ीन के पास आ कर लेट गयी और उसके होंठ चूसने लगी। अब ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को दबाया और उन्हें अपने मुँह में ले लिया - ताज़ीन का एक हाथ शबाना के मम्मों पर और दूसरा उसकी चूत पर था। उसकी उंगलियाँ शबाना की चूत के अंदर खलबली मचा रही थी। शबाना एक दम निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी और उसके मुँह से अजीब-अजीब आवाज़ें आने लगी। तभी ताज़ीन नीचे की तरफ़ गयी और शबाना की चूत को चूसना शुरू कर दिया। अपने दोनों हाथों से उसने चूत को फैलाया और उसमें दिख रहे दाने को मुँह में ले लिया और उस पर जीभ रगड़-रगड़ कर चूसने लगी।
[Image: Silvia-Saint-Issabella-rug212.jpg]
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
clps Zabardast story hai…. Next update ka intzaar rahega
Like Reply
Nice stories bro
Like Reply
(27-12-2022, 09:56 AM)Eswar P Wrote: Nice stories bro

Thanks  Namaskar
Like Reply
(26-12-2022, 10:53 PM)ShakirAli Wrote: clps Zabardast story hai…. Next update ka intzaar rahega

Thanks bro!
Like Reply
भाग - ३
 
शबाना के दरवाज़ा खोलते ही प्रताप उसपर टूट पड़ा। उसने शबाना को गोद में उठाया और उसके होंठों को चूसते हुए उसे अंदर बेडरूम में बिस्तर पर ले गया। शबाना ने सिर्फ़ एक गाऊन और ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहन रखे थे। वो प्रताप का ही इंतज़ार रही थी और पिछले पंद्रह दिनों से चुदाई ना करने की वजह से जल्दी में भी थी... चुदाई करवाने की जल्दी!
 
प्रताप ने उसे बिस्तर पर लिटाया और सीधे नीचे से उसके गाऊन में घुस गया। अब शबाना आहें भर रही थी... उसकी चूत पर तो जैसे चींटियाँ चल रही थीं उसे अपना गाऊन उठा हुआ दिख रहा था और वो प्रताप के सिर और हाथों के हिसाब से ऊपर नीचे हो रहा था। प्रताप ने उसकी चूत को अपने मुँह में दबा रखा था और उसकी जीभ ने  शबाना की चूत में घमासान मचा दिया था। अचानक शबाना की गाँड ऊपर उठ गयी, और उसने अपने गाऊन को खींचा और अपने सिर पर से उसे निकाल कर फ़र्श पर फेंक दिया। उसकी टाँगें अब भी बेड से नीचे लटक रही थीं और उसके ऊँची हील के सैंडल वाले पैर भी फर्श तक नहीं पहुँच रहे थे। प्रताप बेड से नीचे बैठा हुआ उसकी चूत खा रहा था।

[Image: Picture-A-936.jpg]

शबाना उठ कर बैठ गयी और प्रताप ने अब उसकी चूत में उंगली घुसा दी - जैसे वो शबाना की चूत को खाली रहने ही नहीं देना चाहता था। साथ ही वो शबाना के मम्मों को बेतहाशा चूसने और चूमने लगा। शबाना की आँखें बंद थी और वो मज़े ले रही थी। उसकी गाँड रह-रह कर हिल जाती जैसे प्रताप की उंगली को अपनी चूत से खा जाना चाहती थी।
 
फिर उसने प्रताप के मुँह को ऊपर उठाया और अपने होंठ प्रताप के होंठों पर रख दिये। उसे प्रताप के मुँह का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। उसकी ज़ुबान को अपने मुँह में दबाकर वो उसे चूसे जा रही थी। फिर प्रताप खड़ा हो गया। अब शबाना की बैठा थी। उसने बेड पर बैठे हुए ही प्रताप की बेल्ट उतारी। प्रताप की पैंट पर उसके लण्ड का उभार साफ़ नज़र आ रहा था। शबाना ने उस उभार को मुँह में ले लिया और पैंट की हुक और बटन खोल दी। फिर जैसे ही ज़िप खोली तो प्रताप की पैंट सीधे ज़मीन पर आ गिरी जिसे प्रताप ने अपने पैरों से निकाल कर दूर ढकेल दिया। प्रताप ने वी-कट वाली अंडरवीयर पहन रखी थी। शबाना ने उसकी अंडरवीयर नहीं निकाली। उसने प्रताप की अंडरवीयर के साइड में से अंदर हाथ डाल कर उसके लण्ड को अंडरवीयर के बाहर खींच लिया। फिर उसने हमेशा की तरह अपनी आँखें बंद की और लण्ड को अपने चेहरे पर सब जगह घुमाया फिराया और उसे अपनी नाक के पास ले जाकर अच्छी तरह सूँघने लगी। उसे प्रताप के लण्ड की महक मादक लग रही थी और वो मदहोश हुए जा रही थी। उसके चेहरे पर सब जगह प्रताप के लण्ड से निकाल रहा प्री-कम (पानी) लग रहा था। शबाना को ऐसा करना अच्छा लगता था। फिर उसने अपना मुँह खोला और लण्ड को अंदर ले लिया। फिर बाहर निकाला और अपने चेहरे पर एक बार फिर उसे घुमाया।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
शबाना ने अपने मुँह में काफी थूक भर लिया था और फिर उसने लण्ड के सुपाड़े पर से चमड़ी पीछे की और उसे मुँह में ले लिया। प्रताप का लण्ड शबाना के मुँह में था और शबाना अपनी जीभ में लपेट-लपेट कर उसे चूसे जा रही थी ऊपर से नीचे तक...  सुपाड़े से जड़ तक! उसके होंठों से लेकर गले तक सिर्फ़ एक ही चीज़ थीलण्ड! और वो मस्त हो चुकी थी... उसके एक हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत पर थिरक रही थी और दूसरा हाथ प्रताप के लण्ड को पकड़ कर उसे मुँह में खींच रहा था। फिर शबाना ने प्रताप की गोटियों को खींचा जो कि इक्साइटमेंट की वजह से अंदर घुस गयी थी। अब गोटियाँ बाहर आ गयी थी और शबाना ने अपने मुँह से लण्ड को निकाला और उसे ऊपर कर दिया। फिर प्रताप की गोटियों को मुँह में लिया और बेतहाशा चूमने लगी।

 [Image: photo-1146.jpg]
प्रताप की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थी और अब उसके लण्ड को शबाना की चूत में घुसना था। उसने अब शबाना का मुँह अपने लण्ड पर से हटाया और उसे बेड पर लिटा दिया। फिर उसने शबाना की दोनों टाँगों को पकड़ा और ऊपर उठा दिया। फिर प्रताप ने उसकी दोनों जाँघों को पकड़ कर फैलाया और उठा दिया। अब प्रताप का लण्ड शबाना की चूत पर था और धीरे-धीरे अपनी जगह बन रहा था। शबाना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और लेट गयी... यही अंदाज़ था उसका। आराम से लेटो और चुदाई का मज़ा लो - जन्नत की सैर करो - लण्ड को खा जाओ - अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए लण्ड को अच्छी तरह महसूस करो - कुछ मत सोचो,  दुनिया भुला दो - कुछ रहे दिमाग में तो सिर्फ़ चुदाई, लण्ड, चूत - और जोरदार ज़बरदस्त चुदाई। प्रताप की सबसे अच्छी बात ये थी कि वो जानता था कि कौनसी औरत कैसे चुदाई करवाना पसंद करती है... और उसके पास वो सब कुछ था जो किसी भी औरत को खुश कर सकता था।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply
अब शबाना की चूत में लण्ड घुस चुका था। प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी। बिल्कुल धीरे-धीरे... कुछ इस तरह कि लण्ड की हर हरकत शबाना अच्छी तरह महसूस कर सके। लण्ड उसकी चूत के आखिरी सिरे तक जाता और बहुत धीरे-धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता। जैसे कि वो चूत में सैर कर रहा हो - हल्के-हल्के धीरे-धीरे। प्रताप को शबाना की चूत के अंदर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था। चूत का पानी, उसके अंदर की नर्म,  मुलायम माँसपेशियाँ! और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किये मज़े लूट रही थी। उसकी गाँड ने भी अब ऊपर उठना शुरू कर दिया था। मतलब कि अब शबाना को रफ्तार चाहिये थी और अब प्रताप को अपनी रफ्तार बढ़ाते जानी थी... और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लण्ड को अपने रस में नहीं डुबा दे। प्रताप ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था। शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगी थी। उसकी टाँगें अकड़ रही थीं और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गाँड उठा दी। इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था। जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गाँड उठा देती थी, जैसे वो लण्ड को खा जाना चाहती हो। फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गाँड पटक देती। आज भी ऐसा ही हुआ शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी। उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी लेकिन प्रताप अभी नहीं झड़ा था। प्रताप को पता था कि शबाना को पूरा मज़ा देने के लिये अपने लण्ड का सारा पानी उसकी चूत में उड़ेलना होगा... मतलब अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लण्ड के पानी में भिगो देना होगा शबाना की चूत को।

 [Image: KIMG-1792.jpg]
प्रताप ने अपना लण्ड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया। नीचे बैठ कर उसने शबाना कि टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा। तभी प्रताप को अपने लण्ड पर कुछ गीलापन महसूस हुआ जैसे किसी ने उसके लण्ड को मुँह में ले लिया हो। उसने चौंक कर नीचे देखा। ना जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गयी थी और उसने प्रताप का लण्ड मुँह में ले लिया था। ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहन रखा था - शबाना की तरह ही बस उसके पैरों में भी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल मौजूद थे। प्रताप को कुछ समझ नहीं आ रहा था। शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी। आज तुम्हें इन्हें भी खुश करना है प्रताप! ये मेरी ननद है ताज़ीन आपा!
 
अब तक प्रताप भी संभल चुका था और ताज़ीन को गौर से देख रहा था। शबाना जितनी खूबसूरत नहीं थी मगर फिर भी काफी खूबसूरत थी। उसका जिस्म थोड़ा ज्यादा भरा हुआ लेकिन काफी कसा हुआ था। उसके मम्मे भी बड़े-बड़े और शानदार थे। एक दम गुलाबी चूचियाँ... गाँड एक दम भरी हुई और चौड़ी थी। उसके घुंघराले बाल कंधों से थोड़े नीचे तक आ रहे थे जिन्हें उसने एक बक्कल में बाँध कर रखा था। प्रताप अब भी ज़मीन पर बैठा था और उसका लण्ड ताज़ीन के मुँह में था। प्रताप अब तक सिर्फ़ बैठा हुआ था और जो कुछ भी हो रहा था ताज़ीन कर रही थी। वो शबाना के बिल्कुल उलट थी - उसके मज़े लेने का मतलब था मर्द को चोद कर रख दो। कुछ वैसा ही हो रहा था प्रताप के साथ। ताज़ीन जैसे उसका बलात्कार कर रही थी।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply




Users browsing this thread: 2 Guest(s)