Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
12-08-2022, 08:03 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 08:05 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उन कमीने ज़ालिम लड़कों से अपना जिस्म मसलवाते, चूसवाते, चटवाते हुए मेरी चुदास इस क़दर उबाल मारने लगी कि अब बीच में वापसी मुमकिन नहीं थी। मैं सब भुला कर ज़ोर से कराहने लगी।
मेरी चुनरी एक तरफ ज़मीन पर पड़ी थी और लहंगा कमर तक उठा हुआ था। वो दोनों पूरी शिद्दत से मेरे मम्मे और गाँड मसलने और चूमने में मसरूफ थे और उन दोनों के लौड़े मेरी चूत और चूतड़ों पर रगड़ रहे थे। तभी अंदर से हमें ढाबेवाले के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ सुनायी दी, “अरे क्या तुम लोगों की चाय अभी तक पूरी नहीं हुई… क्या रात भर चाय ही पीते रहने का इरादा है… चलो जल्दी करो हमें भी सोना है!” ये सुनकर दोनों लड़के घबरा गये और बेहद बेमन से मेरे जिस्म से अलग हुए। उनके चेहरों से साफ ज़ाहिर था कि अगर थोड़ा वक्त उन्हें और मिलता तो यकीनन मुझे वहीं खड़े-खड़े चोद देते।
ज़रा सी देर में मेरा मज़ा दूसरी दफा किरकिरा रह गया। पहले जब ढाबेवाला मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था तो ये दोनों नामकूल लड़के अचानक टपक पड़े थे और अब इन लड़कों के साथ जब मेरी मस्ती परवान चढ़ रही थी तो ढाबेवाले ने खलल डाल दिया। बहरहाल मैं भी उन लड़कों से बोली, “अरे तुम लोग भी अजीब हो… ज़रा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम लोग तो मेरे मम्मों और गाँड के पीछे ही पड़ गये… अब जल्दी दफ़ा हो जाओ यहाँ से… मेरा आदमी बाहर आ गया तो वो तुम्हारी हड्डी-पसली एक कर देगा!” ये सुनकर दोनों वहाँ से जल्दी से खिसक गये लेकिन मेरे जिस्म से अलग होने से पहले दोनों अपने लौड़ों का पानी निकालने में ज़रूर कामयाब हो गये। मेरे पीछे खड़े छोटे लड़के ने पीछे से मेरे लहंगे पर अपने लंड की पिचकारी छोड़ी और दूसरे ने आगे से अपने लंड की तमाम क्रीम की फुहारें मेरे पैरों और सैंडलों पर छिड़की।
उन लड़कों के जाने के बाद मैं कमरे में दाखिल हुई तो टाँगेवाला और उसका दोस्त बेसब्री से मेरा इंतज़ार करते हुए देसी शराब के एक नये पव्वे से ठर्रा पी रहे थे। मैंने देखा कि उनके लंड बिल्कुल तन कर खड़े हुए थे जिससे साफ ज़ाहिर था कि बाहर उन लड़कों के साथ मुझे मज़े करते हुए ये दोनों देख रहे थे। मैंने देखा कि टाँगेवाला अपने तने हुए हलब्बी लंड पे कोई तेल लगा रहा था। जैसे ही उसने मुझे अंदर दाखिल होते देखा तो खुशामदीद करते हुए बोला, “आ मेरी शहरी राँड! तू तो इतनी बड़ी छिनाल निकली कि हमें भूल कर उन छोकरों के साथ ही चुदवाने को तैयार हो गयी… देख तेरी गाँड मारने के लिये मैं अपने लौड़े को तैयार कर रहा हूँ! आ जल्दी से मेरे इस प्यारे लौड़े को अपनी कसी हुई गाँड में लेकर अपना वादा पूरा कर मेरी जान!”
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
12-08-2022, 08:04 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 08:18 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ढाबेवाला भी बोला, “और मेरा लंड भी देख कैसे तेरे मुँह में जाने के लिये तरस रहा है… देख कैसे इसके मुँह में से लार टपक रही है! साली कुत्तिया राँड… उन दोनों छोकरों के लौड़ों का रस निकालने से बाज़ नहीं आयी तू!” उसका इशारा मेरे लहंगे पे पीछे गाँड के ऊपर और मेरे पैरों और सैंडलों पे लगा उन लड़कों के लौड़ों के रस की तरफ था। मैंने देखा कि इन दोनों के लौड़े अब तक खतरनाक शक्ल इख्तियार कर चूके थे और ये दोनों अपने अज़ीम लौड़ों से जमकर मेरी चूत रौंद कर चोदने को तैयार थे।
उन्हें और उकसाने के लिये मैंने ठर्रे का आधा भरा पव्वा उठाया और होंठों से लगा कर गटागट सारी शराब पी गयी और फिर भर्रायी आवाज़ में बोली, “अरे मेरे दिलबरों… मादरचोदों… तुम्हारे लंड रेडी हैं तो देखो मेरी भी चूत तुम्हारे लंड खाने को कैसे मुँह खोले तैयार है… मैं भी पूरी मस्ती में हूँ… बोलो कैसे लोगे मेरी चूत और गाँड? एक साथ या बरी-बारी से!”
“साली कुत्तिया! अब तो जो भी करेंगे साथ-साथ ही करेंगे! तीनों मिलकर तिकड़ी-चुदाई करेंगे!” टाँगेवाला बोला।
मैं तो खुद बेहद शौक से उनकी ये बात मानने को रज़ामंद थी। इस वक्त देसी शराब का नशा भी परवान चढ़ चुका था और बेहद मखमूर और मस्ती के आलम में थी लेकिन पूरी तरह मदहोश या बेखबर भी नहीं हुई थी। मैंने अपना लहंगा और चुनरी उतार कर एक तरफ फेंक दिये और सिर्फ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने, अपने चूतड़ों पे हाथ रखे हुए नशे में झूमती हुई खड़ी हो गयी।
टाँगेवाला बोला, “ले पहले तू मेरे यार का लंड चूस!”
मैं अपने घुटने ज़मीन पर टिका कर ढाबेवाले के सामने कुत्तिया की तरह झुक गयी और उसका फड़कता हुआ लंड अपने मुँह में लिया। तभी मुझे एहसास हुआ कि टाँगेवाले ने मेरे पीछे से आकर मेरे चूतड़ हाथों में जकड़ कर मसलने शुरू कर दिये। उस वक्त मेरे मुँह में ढाबेवाले का लंड भरा होने की वजह से मैं इस दो तरफा हमले पे कोई एतराज़ नहीं कर सकती थी और वैसे भी मुझे कोई एतराज़ था भी नहीं। मेरे चूतड़ मसलते हुए टाँगेवाला मेरी गाँड का छेद भी रगड़ने लगा और खुद से ही बड़बड़ाने लगा, “आहह हाऽऽऽ आज तो कुँवारी गाँड मारने को मिली है… हाय तेरी गाँड का छेद कितना कसा हुआ है तेरा आदमी तो पूरा ही चूतिया है… साला हिजड़ा… जिसने आज तक ऐसी मस्त और कसी हुई गाँड नहीं मारी… ऊऊऊममम क्या चूतड़ हैं तेरे… इनमें तो मुँह मार कर सारा दिन और रात तेरी इस मस्त अनचुदी भूरी गाँड को मैं चूसता रहूँ… ऊपअफ़फ़ क्या नरम गोलाइयाँ हैं… एक-एक चूतड़ को खा जाने का मन करता है!” टाँगेवाला अपने बड़े हाथों से बेहद बेरहमी से मेरे हर एक चूतड़ को दबाते हुए मसल रहा था। फिर दोनों चूतड़ फैला कर अलग कर के वो अपनी ज़ुबान मेरी गाँड के छेद पर फिराते हुए अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा और अपने होंठ गाँद के छेद पर कसके चिपकाते हुए शिद्दत से चूसने लगा जैसे कि उसकी जान उसपे टिकी हो। इस वहशियाना चुसाई के बेरहम हमले का असर सीधे मेरी रस बहाती हुई चूत पर हो रहा था।
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
उधर ढाबेवाला चींख रहा था, “हाय मेरे दोस्त! इस राँड का मुँह इतना गरम है कि लगता है कि इसकी चूत में ही लंड पेल रहा हूँ… हाय इसकी चूत कितनी गरम होगी… हायऽऽऽ आज तो मज़ा आ जायेगा! चूस साली कुत्तिया… तुझे तो मैं गालियाँ दे-दे कर… तेरे दोनों मम्मे खींच-खींच कर चोदुँगा… साली बापचुदी कुत्तिया… उफ़फ़फ़... हाय मेरी जान ज़रा मुँह और खोल ना… साली तेरी छतियों को चोदूँ!
मैं कुछ बोले बगैर उनकी मर्ज़ी के हिसाब से उन्हें अपने जिस्म से खेलने दे रही थी। दरअसल एक साथ दो-दो मर्दों के लौड़ों अपने हुस्न की गिरफ्त में करके बेहद अच्छा लग रहा था और कुछ भी बोलकर मैं उनसे मिलने वाला मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहती थी। ढाबेवाले का सब्र अब खत्म होने लगा था और वो अपना लंड जल्द से जल्द मेरी चूत में घुसेड़ने की तलब में मुझसे चटाई पर लेटने को बोला ताकि वो मुझे चोद सके। लेकिन टाँगेवाला मेरी गाँड छोड़ने को तैयार नहीं था इसलिये उन्होंने फैसला किया कि ढाबेवाला मेरे नीचे लेट कर नीचे से मेरी चूत में लंड चोदेगा और टाँगेवाला पीछे से मेरी सवारी करते हुए मेरी गाँड मारेगा।
मैं तो खुद कब से उनके लौड़े एक साथ अपनी चूत और गाँड में लेने की आरज़ू कर रही थी लेकिन फिर भी मैं उन्हें तड़पाने के लिये झूठा नखरा करते हुए बोली, “अरे तुम दोनों एक साथ करोगे तो मेरी चूत और गाँड दोनों फट जायेंगी… इसलिये प्लीज़ एक-एक करके मेरे साथ मज़े लो… पर एक साथ मत चोदो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी!
“चुप साली… छोड़ ये सब मरने-जीने की बातें… तुझे तो दो क्या एक साथ चार-चार आदमी भी चोदें तो भी तेरा कुछ नहीं बिगड़ने वाला… पहले दर्जे की राँड है तू तो… अपने शौहर के सामने ही दूसरे मर्दों से सारी-सारी रात चुदवाती होगी तू तो… इसलिये तू चिंता मत कर… और वैसे भी हम तुझे इतने प्यार से चोदेंगे कि तुझे कुछ भी पता नहीं चलेगा… चल जल्दी से मेरे दोस्त के ऊपर कुत्तिया के जैसी हो जा… फिर देख तुझे कितना मज़ा आता है… और वैसे भी तूने वादा किया है कि हम दोनों दोस्तों को एक साथ मज़ा करायेगी!”
मैं मुस्कुराते हुए अदा से बोली, “वादा तो किया था पर मुझे क्या खबर थी कि तेरे साथ-साथ तेरे दोस्त का लौड़ा भी घोड़े के जैसा है और फिर तुम तो मुझे भले ही प्यार से चोदोगे पर अपने इन लौड़ों के साइज़ का क्या करोगे… ये तो इतने ही बड़े ही रहेंगे ना… इन्हें तो छोटा नहीं कर सकते हो!” मैं शराब के नशे में मदमस्त थी और मेरा सिर घूम रहा था और आवाज़ भी ऊँची होने के साथ ज़रा लड़खड़ा रही थी।
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
12-08-2022, 08:07 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 08:44 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मुझे नखरा करते देख ढाबेवाला बेहद गुस्सा हो गया क्योंकि वो मेरी चूत चोदने के लिये बेकरार हो रहा था और बोला, “साली कुत्तिया छिनाल… बहन की लौड़ी… अब क्यों नखरे कर रही है… बड़ा लंड चाहिये था तभी तो हमारे से चुदवाने को आयी है… छोटा लंड चाहिया था तो अपने मरद से ही चुदवाना था… हमारे पास क्यों आयी है अपनी माँ चुदाने के लिये? अभी पाँच मिनट पहले तो दारू पी कर बहुत उड़ रही थी कि एक साथ मेरी चूत और गाँड मारोगे या बारी-बारी से… अब क्या हो गया छिनाल… नशा उतर गया तो और दारू दूँ… चल जल्दी से चुदाने को तैयार हो जा नहीं तो अभी ये घोड़े का चाबुक तेरे भोंसड़े में घुसेड़ दूँगा… साली खड़े लंड पर नखरा कर रही है!”
ऐसा कह कर ढाबेवाले ने खड़े होकर गुस्से में टाँगेवाले का चाबुक उठा लिया। मुझे लगा कि अब अगर मैंने और नखरा किया तो वो अपनी धमकी पे अमल करने से बाज़ नहीं आयेगा। मैं कुत्तिया की तरह झुक गयी और मुस्कुरा कर आँख मारते हुए उसे अपनी चूत पेश करते हुए बोली, “तू तो नाराज़ हो गया… ले मादरचोद इतनी आग लगी तो है पहले तू ही चोद ले…!”
ढाबेवाले ने एक पल भी ज़ाया नहीं किया और अपना हलब्बी लौड़ा पीछे से मेरी चूत में घुसेड़ कर अंदर तक चोदने लगा। आगे झुक कर मेरे दोनों मम्मों को पकड़ते हुए वो मुझे अपने हर धक्के के साथ पीछे खींचने लगा। उसका लंड मेरी चूत में बच्चेदानी तक ठोक रहा था। पहले मैं टाँगेवाले के अज़ीम लौड़े से चुदवा चुकी थी इसलिये अब ढाबेवाले का हलब्बी लौड़ा लेने में आसानी हो रही थी। उसने ज़ोर-ज़ोर से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू कर दिये। ऐसा लग रहा था जैसे कि वो अपनी गोटियों का सारा माल जल्दी से जल्दी मेरी चूत में निकालने के लिये बेकरार था।
इतने में टाँगेवाला मेरे सामने आया और अपना लौड़ा मुझे पेश कर दिया। मैंने मुँह खोल कर जितना मुमकिन हो सकता था उतना लंड अपने हलक तक ले लिया और चूसने लगी। “साली तुम शहरी औरतें जितनी मस्त होती हो उतना ही नखरा भी करती हो… पहले देसी दारू पीने को मना कर रही थी और फिर बाद में खुद ही शौक से गटागट इतनी दारू पी गयी… अब देख जब हम दोनों एक साथ चोदेंगे तो तू ही मज़े से चुदवायेगी गाँड और चूत एक साथ… मैं तो कहता हूँ एक बार मूत पी कर भी देख ले… उसका भी चस्का लग जायेगा तुझे!”
मेरे खयाल में उस टाँगेवाला का लंड चूसना उस रात की सबसे खास और बेहतरीन चीज़ थी। उसका लौड़ा इतना बड़ा होने के साथ-साथ इस कदर प्यारा और लज़ीज़ था कि कोई भी चुदासी औरत अपनी तमाम ज़िंदगी उस नौ इंच के गोश्त को चूसते और उससे चुदते हुए गुज़ार सकती थी। टाँगेवाला कराहने लगा, “हाँ चूस इसे साली राँड साली बापचुदी… और ज़ोर से चूस फिर तुझे सारी ज़िंदगी ऐसा लौड़ा चूसने को नहीं मिलेगा! इसे ऐसे ही प्यार से चूसेगी तो मैं भी तेरी गाँड प्यार से मारूँगा आआहहहऽऽऽऽ हाऽऽऽय… और चूस साली राँड… तेरी माँ के भोंसड़े में घोड़े का लंड… आआआऽऽऽऽ!” किसी बेइंतेहा चुदासी कुत्तिया की तरह मैं दीवानगी और वहशियानेपन से उसका लंड चूस रही थी।
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
करीब पाँच मिनट मुझसे लंड चुसवाने के बाद टाँगेवाला बोला, “बड़ी मादरचोद औरत है तू साली… क्या लौड़ा चूसती है… तेरे बाप ने तुझे सिखाया होगा… क्यों… चल अब मेरा लंड छोड़… इसे तेरी गाँड में घुसाने का वक्त आ गया है!” ये कहते हुए वो अपना लंड मेरे मुँह में से निकाल कर मेरे पीछे की तरफ चला गया।
टाँगेवाला बोला, “अबे साले… अभी तक इसकी ले ही रहा है… फाड़ दे साली की चूत… चल हट… अभी तक मैं होता तो इसकी चूत और गाँड दोनों एक हो जाते… चल हट… राँड के नीचे लेट और नीचे से चूत मार इसकी… बहुत प्यार आ रहा है इस गुदमरानी पर… अरे मैं सब जानता हूँ… इस जैसी औरत का तो एक आदमी से काम नहीं चलने वाला… ऊपफ गाँड देखी ना तूने इसकी और इसकी चूत… अभी भी लगता है कि भोंसड़ी की चूत कुँवारी ही है… इसका शौहर तो इसकी गुलामी करता होगा… इसकी सैंडल के तलवे चाटता होगा और खुद इसके लिये नये-नये मर्दों का इंतज़ाम करता होगा!” अब तक मुझे भी उनकी ये ज़लील बातें अच्छी लगने लगी थीं।मेरे बारे में ये सब ज़लील बातें बोलकर ये दोनों मुस्टंडे शायद अपनी खुद की मस्ती में इज़ाफा कर रहे थे।
“क्या कह रहा है… सच में?” ढाबेवाला मेरे नीचे लेटते हुए बोला और छोटे बच्चे की तरह मेरे मम्मे पकड़ कर फिर से चूसने लगा। मैंने उसके हलब्बी लौड़े पर बैठ कर उसे अपनी चूत में ले लिया। ज़रा वक्त तो लगा पर आहिस्ता से मैंने उसका तमाम लौड़ा चूत में ले लिया और उसके गोटे मुझे गाँड के करीब महसूस होने लगे।
टाँगेवाले ने पीछे से दो उंगलियाँ मेरी गाँड में घुसा दीं। उसकी दोनों उंगलियों को मेरी गाँड में घुसने में ज्यादा दिक्कत नहीं आयी । ये देख कर वो बेहद खुश हुआ और बोला, “देख साली कुत्तिया! अब तो तेरी गाँड भी लंड खाने के लिये तैयार हो गयी… ले अब संभाल मेरा मूसल अपनी गाँड में!”
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
12-08-2022, 08:49 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 09:09 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ये कहते ही टाँगेवाले ने अपना लौड़ा मेरी गाँड में घुसा दिया। अपनी गाँड में उसके लंड के इस तरह ज़बरन घुसने का दर्द मुझसे बर्दाश्त ही नहीं हुआ और बहुत ज़ोर से चींखने की कोशिश की। लेकिन टाँगेवाले को शायद पहले से ही ये अंदाज़ा था कि मैं चीखुँगी इसलिये उसने अपना हाथ मेरे मुँह पे दबा कर उसे बंद कर रखा था। मुझसे बिल्कुल रहा नहीं गया और मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। लेकिन मेरे आँसुओं और दर्द से बेखबर वो दोनों हरामज़ादे मुझे चोदने में लगे रहे। मुझे लगा जैसे दो गरम-गरम फौलादी डंडों ने मेरी चूत और गाँड एक साथ छेद दी हों। ढाबेवाला नीचे से बेहद तेज़ रफ्तार से मुझे चोद रहा था और साथ में मेरे लटक रहे मम्मों को चूसते हुए बेरहमी से मसल रहा था और निप्पलों को खींच-खींच कर मरोड़ रहा था।
ढाबेवाला मेरे मम्मे चूसते हुए बड़बड़ाने लगा, “हाय काश इन मम्मों में दूध होता तो मज़ा आ जाता… फिर तो आज चोदते-चोदते दूध भी पी लेता!”
ये सुनकर मैं बोली, “अरे भड़वे… दूध पीना था तो अपनी अम्मी के पास क्यों नहीं गया?”
टाँगेवाला बोला, “क्यों कुत्तिया… अब तेरा दर्द कहाँ गया… अब तो साली कुत्तिया तू मज़े ले-ले कर गाँड मरवा रही है!” तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा दर्द गायब हो चुका था और मैं एक साथ अपनी चूत और गाँड में डबल धक्कों का मज़ा लेते हुए ज़ोर-ज़ोर से आहें भर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मेरी चूत में ढाबेवाले के लंड की मलाई का इखराज शुरू हो गया और मस्ती में बोला, “आआआहहहऽऽऽ हाय… ले मेरा पानी पी ले राँड… हाआआऽऽऽय मैं तो गया… चल रंडी साली कुत्तिया… ले मेरा सारा पानी पी जा अपने भोंसड़े में… आहहाआऽऽऽऽ!” मेरी चूत में अपने लंड का पानी भरके ढाबेवाला फारिग हुआ और मेरे नीचे से खिसक कर अलग गया।
दूसरी तरफ टाँगेवाला अभी भी मेरे पीछे शिद्दत से डटा हुआ था। मेरी चूत में से ढाबेवाले की मलाई रिसते हुए टपक रही थी और टाँगेवाला मेरी गाँड मारते हुए अपनी एक उंगली मेरी रिसती चूत में घुसा कर उसमें उंगली करने लगा। ढाबेवाले के हलब्बी लंड से पहले ही मेरी चूत दो बार फारिग होकर अपना पानी छोड़ चुकी थी इसलिये टाँगेवाले के उंगली करने से चूत में जलन होने लगी थी। टाँगेवाले को मैं अपनी चूत में से उंगली हटाने के लिये बोली, “अरे चूतिये… मेरी गाँड तो मार ही रहा ना… वो क्या कम है जो मेरी चूत में भी उंगली डाल रहा है… क्या एक ही रात में पूरा वसूल करना है… चल जल्दी से चूत में से उंगली निकाल वरना गाँड से भी हाथ धो बैठेगा!”
टाँगेवाला भी अब बुलंदी पर पहुँचने के करीब था और कुछ ही पलों में उसके लंड का माल मेरी चूत में इखराज़ हो गया। कम से कम आधा कप जितनी मलाई उसने मेरी गाँड में छोड़ी होगी।उसकी गाढ़ी मलाई से मुझे अपनी गाँड लबालब भरी हुई महसूस हो रही थी। अपनी तमाम मनि मेरी गाँड में इखराज़ करके वो चटाई पर बैठ गया। मैंने उसकी तरफ देखा तो बहुत थका हुआ नज़र आया। मैं भी थोड़ी देर वहीं लेट गयी।
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
थोड़ी देर बाद टाँगेवाला मुझसे बोला, “मेमसाब! कैसा लगा आपको दो-दो लौड़ों से एक साथ चुदवा कर?”
उसका सवाल सुनकर मेरे होंठों पर मुस्कान आ गयी क्योंकि वो फिर मुझे इज़्ज़त से मेमसाब और आप कह कर बुला रहा था। मैं आह भरते हुए बोली, “सुभान अल्लाह! ऐसा मज़ा ज़िंदगी में कभी नहीं मिला था… मेरे शौहर तो कभी मुझे ऐसे चोद ही नहीं सकते… सच में मज़ा आ गया… चुदाई, गाँड-मराई और वो ठर्रा भी… अभी तक नशा बरकरार है…!”
फिर वो बोला, “तो फिर कब मिल रही हो हमें?”
मैंने कहा, “कभी नहीं! जो हुआ उसे एक हसीन ख्वाब समझ कर भुल जाओ… आज के बाद मैं तुम्हें कभी भी नहीं मिलुँगी… और कभी मिल भी गये तो दूर से ही सलाम… ठीक है ना?”
“ठीक है मेमसाब! आप कहती हैं तो आपकी बात तो माननी ही पड़ेगी… पर एक आखिरी इच्छा भी पूरी कर देती तो…?” वो बोला।
“अब भी कुछ बाकी रह गया है क्या… हर तरह से तो चोद दिया तुम दोनों ने मुझे… अब और क्या चाहते हो?” मैंने हंसते हुए कहा।
“वो क्या है कि आपके मुँह में मूतने की इच्छा बाकी रह गयी!” वो मेरे करीब आते हुए बोला।
ढाबेवाला भी ये सुनकर गुज़ारिश करते हुए बोला, “जी मेमसाब… हमारी ये इच्छा भी पूरी कर दो तो मज़ा आ जायेगा!”
“तुम दोनों फिर बकवास करने लगे… मैं नशे में ज़रूर हूँ पर इतना होश तो बाकी है मुझमें!” मैं झल्लाते हुए बोली।
“देखो आप फिर नखरा करने लगीं… एक बार चख कर तो देखो… अगर मज़ा ना आये तो मैं जबर्दस्ती नहीं करुँगा… पर कोशिश तो आपको करनी ही पड़ेगी… ऐसे तो हम आपको नहीं छोड़ेंगे…!” उसके नर्म लहज़े में थोड़ी सख्ती भी थी और मैं जानती थी कि ये दोनों अपनी मरज़ी पूरी करके ही मानेंगे और नशे की वजह से शायद मैं भी ज्यादा ही दिलेर हो रही थी। मैंने सोचा कि दोनों ने मुझे चोद कर इतना मज़ा दिया और बेइंतेहा तस्कीन बख्शी है तो मेरा भी इतना फर्ज़ तो बनता ही है! वैसे कोशिश करने में हर्ज़ ही क्या है… क्या मालूम मुझे भी अच्छा ही लगे और थोड़ा सा पी कर देखुँगी… अगर अच्छा नहीं लगा तो इन्हें रोक दूँगी और सब थूक दूँगी! ये सोच कर मैंने हिचकिचाते हुए मंज़ूरी दे दी, “ठीक है… पर जब मैं रुकने को कहूँ तो और ज़बर्दस्ती ना करना!” हैरानी की बात ये है कि हकीकत में मुझे ज़रा भी घिन्न या नफरत महसूस नहीं हो रही थी… बस ज़रा सी हिचकिचाहट थी।
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
12-08-2022, 08:53 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 09:26 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
“अरे आपको ज़रूर मज़ा आयेगा… ऐसा चस्का लग जायेगा कि आज के बाद रोज़-रोज़ अपना ही मूत पीने लगोगी…!” मेरी रज़ामंदी देख कर टाँगेवाला खुश होते हुए बोला और मेरे करीब आकर मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। अभी भी मैं बस ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी फर्श पर बैठी हुई थी। उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रखा तो और मैंने उसका आधा-खड़ा लंड अपने मुँह में लिया जोकि अभी कुछ पल पहले ही मेरी गाँड में से निकला था।
मैं उस गंदे लंड को शौक से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी जो उसकि मनि और मेरी खुद की गलाज़त से सना हुआ था। फिर उसने अपना लंड ज़रा पीछे खींच लिया जिससे अब सिर्फ उसका सुपाड़ा मेरे मुँह में था और उसने धीरे से गरम-गरम पेशाब की ज़रा सी धार छोड़ी। मैंने हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ही घुमाया तो उसका ज़ायका बुरा नहीं लगा और मैं उसे पी गयी। खट्टा सा और ज़रा सा कड़वा और तीखा ज़ायका था। मैंने कोई एतराज़ नहीं किया तो टाँगेवाले ने इस दफा थोड़ा ज्यादा मूत मेरे मुँह में छोड़ा। मैंने एक बार फिर उसका मूत अपने मुँह में घुमा कर उसका ज़ायका लिया तो पिछली बार से ज्यादा बेहतर लगा। उसके बाद तो मैंने इशारे से उसे और मूतने को कहा और वो लगातार लेकिन धीरे-धीरे मेरे मुँह में अपने मूत की धार छोड़ने लगा और मैं खुशी से गटगट पीने लगी। जब उसका मूतना बंद हुआ तो उसने लंड का सुपाड़ा मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। अपने हाथ के पीछे से अपने होंठ पोंछते हुए मैंने ढाबेवाले को अपने करीब आने को कहा, “अब तुझे क्या मूतने के लिये दावातनामा भेजूँ… चल आजा और करले अपनी ख्वाहिश पूरी!”
टाँगेवाला बोला, “देखा मेमसाहब! मैं जानता था कि आपको स्वाद बहुत अच्छा लगेगा! देखो कैसे गट-गट पी गयी और खुद ही मेरे दोस्त को भी अपने मुँह में मूतने के लिये बुला रही हो!”
मैं कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराते हुए उसे देख कर आँख मार दी। इतने में ढाबेवाला भी मेरे सामने खड़ा था। मैंने उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में अंदर लिया और चार-पाँच चुप्पे लगाये और फिर सिर्फ उसका सुपाड़ा अपने मुँह में लेकर उसपे अपने होंठ कस दिये। फिर अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए “ऊँहह” करके घुरघुरा कर उसे मूतने के लिये इशारा किया। ढाबेवाला अपने दोस्त की तरह मुहतात नहीं था और मेरे मुँह में तेज़ी से मूतने लगा। मैंने बेहद कोशिश की लेकिन मैं उतनी तेज़ी से उसका मूत पी नहीं पा रही थी और थोड़ा सा मूत मेरे होंठों के किनारों से बाहर मेरे जिस्म पर बहने लगा।
ढाबेवाले का मूत पीने के बाद मैंने एक कपड़े से अपना जिस्म पोंछा और फिर अपने कपड़े पहने। बाहर आकर देखा तो मेरी सास और देवर आभी भी आराम से गहरी नींद सो रहे थे, इस बात से बिल्कुल अंजान कि अंदर छोटे से कमरे में क्या गुल खिल रहे थे। ये देख कर मैं मुस्कराये बगैर ना रह सकी।
खैर, ये पहली दफा मैंने अपने शौहर से बेवफाई करके किसी गैर-मर्द या कहो कि दो गैर-मर्दों से चुदवाया था। इसके बाद तो मेरे हौंसले बुलंद हो गये और और मैं इसी तरह अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया और इन दो सालों में अब तक अस्सी-नब्बे लंड मेरी चूत और गाँड की सैर कर चुके हैं।
Posts: 313
Threads: 0
Likes Received: 105 in 97 posts
Likes Given: 507
Joined: Apr 2020
Reputation:
3
 Maza aa gaya…. Bohat hi hot story thi ye aur pictures daalne ke liye bhi shukriya….
•
Posts: 313
Threads: 0
Likes Received: 105 in 97 posts
Likes Given: 507
Joined: Apr 2020
Reputation:
3
Waiting for another hot story
•
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
(13-08-2022, 07:05 PM)ShakirAli Wrote: Maza aa gaya…. Bohat hi hot story thi ye aur pictures daalne ke liye bhi shukriya…. 
Thank you
•
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
(16-08-2022, 06:29 PM)ShakirAli Wrote: Waiting for another hot story
नयी कहानी के साथ अपडेट जल्दी ही आएगा
•
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
दोस्त की बीवी
लेखक: अन्जान
मेरा नाम अमित है। मैं और आमिर बचपन के दोस्त हैं। बचपन में हम लोग पास-पास ही रहते थे, हम साथ-साथ खेलते और हम पढ़ते भी साथ थे। हमेशा हमलोग पढ़ाई में आगे रहते थे। हम सब दोस्त बचपन में मस्ती करते हुए चुनिआ से चुनिआ मिलाते थे और बड़े होने पर हम अपने लंड की लंबाई और मोटाई नापने लगे। मेरा लंड सबसे लम्बा और मोटा था। आमिर के लंड की लंबाई छ: इंच और मेरे लंड की लंबाई आठ इंच थी। हम इन मस्ती के साथ बड़े हुए। हम दोनों ने बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद एक ही इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद हम दोनों को अलग-अलग कम्पनी में नौकरी लग गयी। यह १९९४ की बात है! मैंने दिल्ली की एक एम.एन.सी में जॉयन किया और आमिर ने मुम्बई में। आमिर ने बाद में अपना खुद का बिज़नेस शुरू किया। उसे खूब सफ़लता मिली और अब वोह लाखों-करोड़ों में खेलने लगा था। उसने एक अलिशान फ़्लैट जूहू में खरीद लिया था। उसके पास इम्पॉर्टेड कार, नौकर इत्यादि सब कुछ था। उसकी देखा देखी मैंने भी दिल्ली में अपना बिज़नेस शुरू किया और भगवान की कृपा से मेरा भी बिज़नेस ज़ोरों से चल पड़ा।
धीरे-धीरे मेरे पास भी आधुनिक जीवन की आवश्यक हर चीज़ हो गयी। हम अपने-अपने काम में काफ़ी मशगूल हो गये और हम एक दूसरे से नहीं मिल पाये लेकिन फोन और पत्रों के ज़रिये हमारा संबंध हमेशा बना रहा। एक दिन आमिर का फोन आया कि वो सायरा नाम की लड़की से शादी कर रहा है। उसने बताया कि सायरा बेहद खूबसूरत है। आमिर ने मुझे शादी पर आने का निमंत्रण दिया। लेकिन बिज़नेस के सिलसिले में मैं उस समय विदेश जा रहा था। मैंने अपनी मजबूरी बतायी और वादा किया कि विदेश से लौटने के बाद मैं उन लोगों के पास मिलने जरूर आऊँगा। दिन बीतते गये। मैं अपने काम में मशगूल होता गया और आमिर के पास जाने का मौका नहीं मिला। लेकिन हम एक दूसरे के साथ सम्पर्क में रहे। आमिर अक्सर मुझे अपने घर बुलाता रहा। एक दिन आमिर का फोन आया और शिकायत करने लगा कि उसके बार-बार बुलाने पर भी मैं क्यों नहीं आ रहा हूँ। सौभाग्य से मैं एक हफ़्ते के बाद कुछ दिनों के लिए खाली रहने वाला था। मैंने उससे कहा कि मैं अगले हफ़्ते में कुछ दिनों के लिए आ रहा हूँ।
मैं मुम्बई पहुँचा और वहाँ एयरपोर्ट पे आमिर और सायरा मुझे लेने आये हुए थे। आमिर ने अपनी बीवी से परिचय कराया। आमिर की बीवी, सायरा भाभी, वाकय में बेहद खूबसूरत औरत थीं। उनकी लंबाई करीब पाँच फुट चार इंच थी और उनके फिगर के तो क्या कहने। उनकी चूचियाँ काफी बड़ी बड़ी (छत्तीस इंच) थी, उनकी कमर तो बहुत ही पतली सी (छब्बीस इंच) थी और उनके चूत्तड़ बहुत भरे-भरे हुए थे। मेरे अंदाज़ में सायरा भाभी कि गाँड कम से कम अढ़तीस इंच थी। वो हँसती थी तो उनके गाल पर डिम्पल पड़ रहे थे जिससे कि वो बहुत सैक्सी लग रही थीं। मैंने उनसे कहा कि, “सायरा भाभी आप बहुत ही खूबसूरत हैं।”
![[Image: d020005p2a.jpg]](https://i.ibb.co/tsjyDw5/d020005p2a.jpg)
Posts: 313
Threads: 0
Likes Received: 105 in 97 posts
Likes Given: 507
Joined: Apr 2020
Reputation:
3
Good start of the new story but very short update….
•
Posts: 313
Threads: 0
Likes Received: 105 in 97 posts
Likes Given: 507
Joined: Apr 2020
Reputation:
3
•
Posts: 506
Threads: 0
Likes Received: 100 in 80 posts
Likes Given: 8,981
Joined: Mar 2019
Reputation:
6
•
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
(22-08-2022, 11:04 PM)ShakirAli Wrote: Good start of the new story but very short update….
Thank you and will update this story soon
•
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
(05-09-2022, 05:05 PM)koolme98 Wrote: wonderful collection
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
08-09-2022, 01:30 AM
(This post was last modified: 08-09-2022, 01:32 AM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अपनी तारीफ़ सुन कर सायरा भाभी बहुत ही खुश हो गयीं। उस दिन हम लोग इधर-उधर दो-चार जगह घूमे और एक अच्छे से होटल में खाना खाया। दूसरे दिन भी हम लोग मुम्बई घूमने निकले और बाहर डीनर ले कर घर वापस आये। उस दिन आमिर ने व्हिस्की की बोतल खोली और कहने लगा कि आज हम बहुत दिनों के बाद एक साथ बैठ कर साथ-साथ पियेंगे। आमिर ने सायरा भाभी से ग्लास, सोडा और कुछ खाने के लिए लाने को कहा। मैंने सायरा भाभी से कहा, “भाभी आप को भी हमारा साथ देना होगा। अपने लिए भी एक ग्लास लाइयेगा।” आमिर ने भी हाँ में हाँ मिलाई। सायरा भाभी तीन ग्लास, सोडा और भुने हुए काजू ले आयीं। हम तीन लोगों का पीने का दौर शुरू हुआ।
धीरे-धीरे हम सब पर व्हिस्की का नशा छाने लगा। कुछ पुरानी बात खुल गयी और फिर एक के बाद एक पुरानी बातें खुलती गयी। बात पुराने दिनों की मस्ती की आयी तो आमिर ने कहा, “सायरा तुम्हें एक बात बताते हैं, हमारे सभी दोस्तों में अमित का लंड सबसे बड़ा और मोटा है।”
फिर आमिर बात आगे बढ़ाते हुए वो सुब कुछ कहने लगा जो हम बचपन में करते थे। सायरा भाभी ने पूछा, “क्या तुम लोगों ने एक दूसरे की गाँड मारी है, क्योंकि मैंने किताबों में पढ़ा है कि अक्सर होस्टल में रहने वाले लड़के एक दूसरे की गाँड मारते हैं।”
आमिर ने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है, किताब वाले अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए इस तरह की उल्टी-सीधी बात छाप देते हैं।” आमिर कहने लगा, “हम जिगरी दोस्त हैं... होमो सेक्ज़ुअल थोड़ा ना हैं! वैसे भी मैंने ज़िंदगी में अब तक सिर्फ़ तुम्हारी ही गाँड मारी है।”
आमिर की बात सुन कर मैंने सायरा भाभी से पूछा, “भाभी आपको कैसा लगा जब आमिर ने आपकी गाँड मारी?”
सायरा भाभी ने पहले आनाकानी की फिर मुस्कुरा के बोली, “पहले तो बेहद दर्द हुआ था, बाद में मज़ा आने लगा और अब तो माशाल्लाह बेहद मज़ा आता है।”
फिर मैं उनकी होस्टल की लाईफ के बारे में पूछने लगा। उस पर वो बोलीं, “हम खास सहेलियाँ आपस में काफी मज़े किया करती थीं। हम एक दूसरे की चूंची मसलतीं और चुसतीं, एक दूसरे की चूत में अँगुली करतीं और अपनी जीभ से एक दूसरे की चूत चाटा करती थीं। कभी-कभी हम एक दूसरे की चूत की घुँडी मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसतीं और कभी-कभी हम एक दूसरे से आपस में चूत रगड़ा करती थें। इसमे हम लोगों को बेहद मज़ा आता था।”
Posts: 1,114
Threads: 6
Likes Received: 1,841 in 833 posts
Likes Given: 65
Joined: Apr 2020
Reputation:
225
सायरा भाभी फिर शराब के झोँके में बोलने लगीं, “हमारे होस्टल में कुछ लड़कियाँ ऐसी भी थीं जो कि पैसे और मस्ती के लिए रात-रात भर होस्टल से बाहर रहतीं और जब वो सुबह आतीं तो साफ मालूम पड़ता था कि वो रात भर सोयी नहीं हैं और खूब रगड़-रगड़ कर उनकी चूत की चुदाई हुई है।”
मैंने फिर सायरा भाभी से पूछा, “आप लोगों को कैसे पता लगता था कि वो लड़कियाँ रात भर अपनी चूत चुदा कर आयी हैं?”
सायरा भाभी बोलीं, “अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है? जब वो लड़कियाँ आती थीं तो उनकी चाल कुछ अटपटी होती थी। उनके चेहरे पर दाँत के निशान पड़े होते थे और उनकी कमर कुछ झुकी रहती थी।”
मैंने फिर पूछा, “क्या कमर झुकने का मतलब चुदाई से है?”
उन्होंने कहा, “और नहीं तो क्या? जब कोई लड़की या औरत रात भर अपनी टाँगों को उठाये अपनी चूत में लंड पिलवाती है तो उसके बाद दो-तीन घंटों तक उनकी टाँगें सीधी नहीं हो पाती और वो झुक कर चलती हैं। लड़कियाँ चुदाई के बाद अपनी टाँगों को फैला कर ही चलती हैं।”
“क्यों,”
“अरे इसलिये कि लड़कियों की चूत पैर फैला कर ही चुदती है और चुदाई के बाद उनकी चूत से निकल कर मर्द का पानी उनकी जाँघों पर बहता रहता है, जो कि काफी चिप-चिपा होता है और इसलिये लड़कियाँ चुदाई के बाद अपनी टाँगें फैला कर चलती हैं।”
सायरा भाभी से मैंने फिर पूछा, “क्यों भाभी आपने कभी इन लड़कियों से उनकी चुदाई के बारे में पूछा था?”
सायरा भाभी बोलीं, “हाँ उन लड़कियों में से एक मेरे बगल वाले कमरे में रहती थी। एक दिन मैने उससे पूछा कि रात भर कहाँ थी। पहले तो उसने आनाकानी की मगर बाद में बोली कि रात भर वो और उसका बॉय फ़्रैंड, दोनों एक ऑर्गी-पार्टी में गये हुए थे। उस पार्टी में और भी लड़के और लड़कियाँ थी। रात को करीब बारह बजे उन सब ने ड्रिंक करने के बाद खाना खाया और एक बड़े से हाल में आ कर बैठ गये। कमरे में हल्की सी रोशनी थी और धीमे-धीमे म्युज़िक बज रहा था। फिर एक लड़का सब से बोला कि अब काफी रात हो गयी है और हम लोगों को पार्टी की आगे की कारवाही शुरू कर देनी चाहिए। इस पर सब ने हामी भरी और सब अपने अपने कपड़े उतारने लगे। लड़कियाँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी और लड़के सिर्फ़ अपने अंडरवियर पहने हुए थे। फिर सब लड़कों ने अपनी-अपनी गाड़ी की चाबी निकाल कर बीच की मेज पर रख दी और लाईट ऑफ कर दी गयी। अब लड़कियों ने उठ कर अन्धेरे में एक-एक चाबी उठा ली और उसके बाद लाईट ऑन कर दी गयी। जिस लड़की के पास जिस लड़के की चाबी थी वो लड़का उस लड़की को अपनी बाहों में उठा कर डाँस करने लगा। वो सब डाँस तो क्या, एक दूसरे के बाकी कपड़े उतार कर लिपट रहे थे। लड़के उन लड़कियों की चूंची मसल रहे थे और कभी-कभी झुक कर लड़कियों की चूंची मुँह में भर कर चूस रहे थे। कुछ लड़कियाँ भी कभी-कभी झुक कर लड़कों के लंड चूस रही थी। फिर इसके बाद सबने एक-एक करके उसी कमरे में, जहाँ जगह मिली, चुदाई शुरू की। चुदाई का दौर खतम होते ही लड़के अपनी-अपनी पार्टनर बदल कर फिर चुदाई करने लगे। यह पार्टनर बदल-बदल कर चुदाई का दौर रात भर चलता रहा।”
![[Image: grp13.jpg]](https://i.ibb.co/QfJDp3B/grp13.jpg)
|