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नसरीन बोली, “पहली-पहली दफा तो जॉन ने मुझे मार ही डाला था। इसने बड़ी बेरहमी से अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया था। मैं बहुत चीखी और चिल्लायी थी लेकिन इसने मुझ पर कोई रहम नहीं किया था। मेरी चूत बिल्कुल सूज गयी थी और कईं जगह से कट फट गयी थी। दो दिनों तक मैं ठीक से चल फिर भी नहीं पा रही थी। लेकिन एक मर्तबा जॉन से चुदवाने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं पायी क्योंकि इसने मुझे बेहद अच्छी तरह से चोदा था। मुझे अपने शौहर से चुदवाने में ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला था। दो दिनों तक मैंने अपनी चूत की गरम पानी से खूब सिकायी की तब कहीं जा कर मैं कुछ चलने फिरने के काबिल हुई। उसके बाद मैं फिर से इसके पास आ गयी। इसने मुझे सारा दिन बेहद बुरी तरह से चोदा। शाम को जब मैं घर वापस गयी तब तक ये मुझे चार बार चोद चुका था। उसके बाद से तो मैं इसके लंड की दिवानी हो गयी हूँ। आज तुमने भी इसका पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया है। अब जब ये तुम्हें चोदेगा तब तुम्हें पता चल जायेगा कि असली चुदाई क्या होती है और उसमें कितना मज़ा आता है!”
मैंने कहा, “मैं भी तो जॉन से चुदवा कर जवानी का मज़ा लेना चाहती हूँ। अभी इसने मेरी चूत में अपना पूरा लंड घुसाया ही था कि आप आ गयी। आप थोड़ी देर आराम लो। पहले मुझे जॉन से चुदवा लेने दो उसके बाद आप चुदवा लेना!”
नसरीन बोली, “सोहा! अगर तुम्हें एतराज़ ना हो तो पहले तुम मुझे जॉन से चुदवा लेने दो। उसके बाद जब जॉन तुम्हारी चुदाई करेगा तो जल्दी नहीं झड़ेगा और तुम्हें पहली पहली दफ़ा की चुदाई में ही पूरा मज़ा आ जायेगा!”
जॉन बोला, “भाभी, नसरीन ठीक कह रही हैं। पहले मुझे इनकी मार लेने दो। उसके बाद जब मैं आपकी चुदाई करुंगा तब आपको खूब मज़ा आयेगा!”
मैंने कहा, “जैसा तुम ठीक समझो वैसा करो!”
जॉन ने नसरीन से कपड़े उतारने को कहा तो उसने अपने कपड़े उतार दिये और एक दम नंगी हो गयी। नसरीन अब सिर्फ अपने सैंडल पहने हुए थी और उसका बदन एक दम गोरा था और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसुरत थी।
मैंने जॉन से कहा, “तुम्हारी पसन्द तो बेहद अच्छी है!”
नसरीन जॉन के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी ही देर में जॉन का लंड खड़ा हो गया। मेरी चूत भी जोश के मारे फिर से गीली होने लगी। मैं भी जल्द से जल्द जॉन से चुदवाना चाहती थी। मैं जानती थी कि जॉन से चुदवाने में मुझे खूब मज़ा आयेगा। अगर नसरीन नहीं आयी होती तो अब तक जॉन मेरी चुदाई कर चुका होता।
नसरीन कुत्तिया वाली डॉगी स्टाइल में हो गयी तो जॉन उसके पीछे आ गया। जॉन ने अपना लंड नसरीन की चूत में घुसाना शुरु कर दिया। नसरीन के मुँह से जरा सी भी आवाज़ नहीं निकल रही थी और जॉन का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैं आँखें फाड़े नसरीन को देखती रही। पूरा लंड घुसा देने के बाद जॉन ने नसरीन की कमर को जोर से पकड़ लिया और बेहद जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा। अब हर धक्के के साथ नसरीन के मुँह से “आह... आह...” की आवाज़ निकलने लगी। दो मिनट में ही नसरीन पूरी तरह से मस्त हो गयी और कहने लगी, “और... तेज... और... तेज... फाड़ दे मेरी चूत को...!”
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वो अपने चुतड़ आगे पीछे करते हुए जॉन का साथ देने लगी थी। जॉन भी पूरी ताकत के साथ बहुत जोर के धक्के लगा रहा था। जॉन का आठ इंच लम्बा और खूब मोटा लंड नसरीन की चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। उसकी चूत के होंठों ने जॉन के लंड को जकड़ रखा था।
जॉन ने मुझसे पूछा, “भाभी! कैसा लग रहा है। अच्छी तरह से चोद रहा हूँ ना!”
मैंने कहा, “तुम्हारा तो जवाब नही है। तुम तो बेहद अच्छी तरह से नसरीन की चुदाई कर रहे हो। मेरी भी चुदाई इसी तरह करना!”
जॉन ने कहा, “भाभी! अभी आपने पूरी तरह से नसरीन की चुदाई कहाँ देखी है। अब देखो कि मैं नसरीन के साथ क्या करता हूँ।”
पंद्रह मिनट गुजर चुके थे। नसरीन अब तक दो बार झड़ चुकी थी। जॉन ने अपना लंड नसरीन की चूत से बाहर निकाला और नसरीन की गाँड में घुसाने लगा। मैं आँखें फाड़े जॉन के लंड को नसरीन की गाँड में घुसता हुआ देखती रही। थोड़ी ही देर में जॉन का पूरा का पूरा लंड नसरीन की गाँड में समा गया। उसके बाद जॉन ने बहुत बुरी तरह से नसरीन की गाँड मारनी शुरु कर दी। नसरीन भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। नसरीन को चुदवाता हुआ देख कर मेरी चूत गीली हुई जा रही थी। मैं भी अपनी चूत में अंगुली डाल कर अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर बाद जॉन ने अपना लंड नसरीन की गाँड से बाहर निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया और पूरे ताकत के साथ जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसकी चुदाई करने लगा।
जॉन काफी अच्छी तरह से नसरीन की चुदाई कर रहा था और उसकी गाँड मार रहा था। करीब तीस मिनट की चुदाई के बाद जॉन झड़ गया। नसरीन भी दो बार झड़ चुकी थी। लंड का सारा रस नसरीन की चूत में निकाल देने के बाद जॉन ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला तो नसरीन ने लपक कर उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसके लंड को चाट-चाट कर साफ़ करने लगी। उसके बाद नसरीन ने अपने कपड़े पहने और आँख मारते हुए मुझसे बोली, “सोहा! अब तुम सारा दिन जॉन से चुदाई का मज़ा लो...! और जॉन हो सके तो सोहा को एक-दो पैग लगवा दो.. खूब मज़े से चुदवायेगी फिर तुमसे!”
उसके बाद वो घर चली गयी। मेरे ज़हन में बार-बार नसरीन की चुदाई का मंज़र घूम रहा था। जॉन ने नसरीन को खूब अच्छी तरह से चोदा था। जॉन बोला, “भाभी नसरीन सही कह रही है... मैं आप के लिए एक ज़ोरदार पैग बना देता हूँ, फिर आपको चुदवाने में ज्यादा मज़ा आयेगा!”
ये कह कर वो पैग लाने बाहर चला गया। मैंने पहले कईं दफ़ा फ्रांसिस के कहने पर उनके साथ पी थी। जॉन ने मुझे ला कर पैग दिया तो मैंने किसी तरह जल्दी हलक के नीचे उतारा क्योंकि पैग बेहद स्ट्राँग था। पीने के बाद मेरा तो सिर हल्का लगने लगा और मुझ पर मस्ती छाने लगी।
पंद्रह-बीस मिनट के बाद जॉन बोला, “आप मेरा लंड सहलाओ, अब मैं आपकी चुदाई करुँगा। मैं तो जॉन के लंड की दीवानी हो चुकी थी। मैंने उसी वक्त उसके लंड को हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसने मेरे मम्मों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया। थोड़ी ही देर में उसका लंड टाइट हो गया। वो बोला, “अब थोड़ी देर तक आप मुँह में लेकर चूसो इसे। इससे मेरा लंड और ज्यादा टाइट हो जायेगा!”
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18-12-2021, 10:36 PM
(This post was last modified: 18-12-2021, 10:37 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैंने जॉन के लंड को अपने मुँह में ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। हल्के नशे की हालत में उसका लंड चूसना मुझे बेहद अच्छा लग रहा था। मैं उसका लंड चूसती रही और वो जोश में आ कर आहें भरते हुए मेरे मम्मों को मसलता रहा। थोड़ी ही देर में उसका लंड पूरी तरह से टाइट हो गया। उसके बाद जॉन मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरे कन्धे पर सटा कर दबा दिया। मैं एक दम दोहरी हो गयी और मेरी चूत उपर उठ गयी। मैं इस स्टाइल में फ्रांसिस से कईं दफ़ा चुदवा चुकी थी। इस स्टाइल में चुदवाने पर फ्रांसिस का तीन इंच लम्बा लंड भी मेरी चूत में ज्यादा गहरायी तक घुस जाता था। जॉन का लंड तो फ्रांसिस के लंड से बहुत ज्यादा लम्बा और मोटा था। मैं जानती थी कि मुझे जॉन से चुदवाने में बहुत ज्यादा तकलीफ़ होने वाली है लेकिन मुझे ये भी मालूम था कि मुझे मज़ा भी खूब आयेगा।
जॉन ने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुँह पर रखते हुए कहा, “भाभी! आज मैं पहली बार आपकी चुदाई करने जा रहा हूँ। आप चाहे जितना भी चीखोगी या चिल्लाओगी मैं आपकी एक भी नहीं सुनुँगा क्यों कि इसी तरह की चुदाई में औरत को मज़ा आता है और वो अपनी पहली बार की चुदाई को सारी ज़िन्दगी याद करती है। मैं आपकी चूत में पूरा का पूरा लंड घुसाते हुए आपको बहुत बुरी तरह से चोदुँगा!”
मैंने कहा, “जॉन प्लीज़! ऐसा मत करो। मुझे बहुत दर्द होगा। मैं मर जाऊँगी!”
वो बोला, “फिर मुझसे चुदवाने का इरादा छोड़ दो। मैं आपको नहीं चोदूँगा!”
इतना कह कर उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर से हटा लिया। मैं ठीक उसी तरह से तड़प उठी जैसे कईं दिनों के भूखे के सामने से खाने की थाली हटा ली गयी हो।
मैंने कहा, “अच्छा बाबा! तुम जैसे चाहो मुझे चोदो। मैं तुम्हें मना नहीं करूँगी!”
वो बोला, “फिर ठीक है!”
उसने अपने लंड का सुपाड़ा फिर से मेरी चूत के मुँह पर रख दिया और अपने पूरे जिस्म का जोर देते हुए एक धक्का मारा। मेरे मुंह से जोर की चीख निकली। मैं दर्द के मारे तड़पने लगी जबकि मैं उसका पूरा लंड अपनी चूत में एक बार अंदर ले चुकी थी। लग रहा था कि कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीर कर अंदर घुस गया हो। मेरी चूत का मुँह हद से बहुत ज्यादा फैल गया था। उसने मुझे इस तरह से पकड़ रखा था कि मैं जरा सा भी हिलडुल नहीं पा रही थी। जॉन का लंड इस एक ही धक्के में मेरी चूत में चार इंच तक घुस चुका था। इसके पहले की मैं जॉन को मना कर पाती उसने फिर से एक बेहद जोर का धक्का लगा दिया। मेरा पूरा जिस्म थरथर कांपने लगा। मैं पसीने से नहा गयी। मैं दर्द के मारे जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मैंने जॉन से रुक जाने को कहा लेकिन जॉन तो जैसे पागल हो चुका था। वो तो कुछ सुन ही नहीं रहा था। उसका लंड दूसरे धक्के के साथ ही मेरी चूत में और ज्यादा गहरायी तक घुस गया। उसने पूरी ताकत के साथ बेहद जोर का तीसरा धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। पूरा लंड मेरी चात में घुसा देने के बाद जॉन रुक गया मेरे मम्मों को मसलते हुए बोला, “क्यों भाभी! मज़ा आया ना?”
मैंने कहा, “तुम बड़े बेरहम हो। तुमने तो मुझे मार ही डाला! धीरे धीरे नहीं घुसा सकते थे क्या?”
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वो बोला, “तीन ही धक्के तो लगाये हैं मैंने। इस तरह से लंड घुसाने में जो मज़ा आता है वो मज़ा धीरे-धीरे घुसाने में कहाँ है!”
इतना कहने के बाद जॉन ने धक्के लगाने शुरु कर दिये। मेरी चूत ने उसके लंड को इतनी बुरी तरह से जकड़ रखा था कि चाह कर भी वो तेजी के साथ धक्के नहीं लगा पा रहा था। मुझे नशे और मस्ती के बावजूद भी काफ़ी तेज दर्द हो रहा था और मेरे मुँह से चींखें निकल रही थी। वो धक्के लगाता रहा। धीरे-धीरे मेरी चूत ने उसके लंड को रास्ता देना शुरु कर दिया तो मेरा दर्द कुछ कम होने लगा। मैं दर्द के मारे आहें भरती रही और जॉन धक्के पर धका लगाये जा रहा था। मेरी चूत ने अभी भी उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था इस वजह से जॉन का लंड आसानी से मेरी चूत में अंदर बाहर नहीं हो पा रहा था। वो मुझे धीरे-धीरे चोदता रहा। पाँच मिनट की चुदाई के बाद जब मैं झड़ गयी तो मेरी चूत गीली हो गयी। मेरी चूत ने भी अब जॉन के लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था। जॉन ने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरु कर दी। मेरा दर्द भी अब काफी हद तक कम हो चुका था और मुझे भी मज़ा आने लगा था। जॉन अपनी रफ़्तार बढ़ाता रहा। अब वो पूरे जोश के साथ मुझे चोद रहा था। मैं भी मस्त हो चुकी थी। मैं इसी तरह की चुदाई के लिये इतने दिनों से तड़प रही थी।
पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मेरी चूत का खूब सारा रस जॉन के लंड पर भी लग गया था। मेरी चूत ने भी अब जॉन के लंड से हार मान ली थी और अपना मुंह खोल करके लंड को पूरा रास्ता दे दिया। अब उसका लंड मेरी चूत में सटासट अंदर-बाहर होने लगा था। जॉन की रफ़्तार भी अब काफ़ी तेज हो चुकी थी। सारा बेड जोर-जोर से हिल रहा था । लग रहा था कि जैसे रूम में तूफ़ान आ गया है। मैं भी जोश में आ कर अपने चुतड़ उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन जॉन ने मुझे इतनी बुरी तरह से जकड़ रखा था कि मैं चाह कर भी अपने चुतड़ नहीं उठा पा रही थी। जॉन जब अपना लंड मेरी चूत में अंदर घुसाने लगता तो वो मेरे घुटनों को मेरे कन्धे पर जोर से दबा देता था। ऐसा करने से मेरी चूत बिल्कुल उपर उठ जाती थी और उसका लंड मेरी चूत में पूरी गहरायी तक घुस जाता था। उसके लंड का सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी के मुँह का चुम्मा लेते हुए उसे पीछे की तरफ़ धकेल रहा था। मुझे इसमें खूब मज़ा आ रहा था। जॉन मुझे बुरी तरह से चोद रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मैं तीसरी बार झड़ गयी। मैं पूरे जोश में थी और मेरी जोश भरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैं अब जॉन से कह रही थी, “और... तेज... और... तेज... खूब...। जोर...। जोर... से... चोदो... मुझे...॥ फाड़..डालो... अपनी भाभी की चूत... को...!”
जॉन भी जोश में आ कर आहें भरता हुआ मुझे बहुत बुरी तरह से चोद रहा था। जॉन ताकतवर था ही। वो बहुत जोरदार के धक्के लगा रहा था। मेरे बदन के सारे जोड़ हिलने लगे थे। रूम में धप-धप और छप-छप की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही साथ पूरा बेड भी जोर जोर से हिल रहा था। पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद जब जॉन मेरी चूत में झड़ गया तो मैं भी जॉन के साथ-साथ ही चौथी बार झड़ गयी। उसने मेरी टाँगें छोड़ दीं और अपना लंड मेरी चूत में ही डाले हुए मेरे उपर लेट गया। उसका लंड और मेरी चूत हम दोनों के रस से एक दम भीग चुके थे। ढेर सारा रस बेड की चादर पर भी लग गया था और मेरी जाँघों पर भी। जॉन मेरे उपर ही लेटा रहा। हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे। मैं जॉन की कमर को सहलाती रही। वो मेरे होंठों को चूमता रहा और मेरे मम्मों को मसलता रहा और मुझसे कहने लगा, “आपने भैया से भले ही बहुत बार चुदवाया है लेकिन आपकी चूत मेरे लंड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं है। भैया तो आपको औरत नहीं बना पाये थे लेकिन मैंने आपको अब आधी औरत बना दिया है।!”
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मैंने कहा, “आधी कैसे? अब तो तुमने मुझे पूरी तरह से औरत बना दिया है!”
वो बोला, “अभी मैंने आपको पूरी तरह से औरत कहाँ बनाया है? थोड़ी देर बाद मैं आपको पूरी तरह से औरत बना दूँगा!”
मैंने कहा, “वो कैसे?”
वो बोला, “आपने देखा था न कि मैंने नसरीन की गाँड और चूत दोनों को बुरी तरह से चोदा था। अभी तो मैंने सिर्फ आपकी चूत की ही चुदाई की है। जब मैं आपकी गाँड भी मार लूँगा तब आप पूरी तरह से औरत बन जाओगी!”
मैंने कहा, “प्लीज़। ऐसा मत करो। मेरी चूत में पहले से ही बहुत दर्द हो रहा है। अगर तुम आज ही मेरी गाँड भी मार दोगे तो मैं तो बेड पर से उठने के काबिल भी नहीं रह जाऊँगी!”
वो बोला, “तो क्या हुआ! मैं आपको आज पूरी तरह से औरत बना कर ही दम लूँगा!”
पंद्रह मिनट गुजर गये तो जॉन का लंड मेरी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा। जैसे ही उसका लंड खड़ा हुआ उसने फिर से मेरी चुदाई शुरु कर दी। इस बार मुझे बहुत हल्का सा दर्द ही हो रहा था क्योंकि उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर ही नहीं निकाला था। इस बार मुझे भी खूब मज़ा रहा था। जॉन पूरे जोश और ताकत के साथ जोर-जोर के धक्का लगाता हुआ मुझे चोद रहा था। दो मिनट में ही मैं एक दम मस्त हो गयी थी और चुतड़ उठा-उठा कर जॉन से चुदवाने लगी। फिर जॉन ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया। उसका लंड मेरी चूत के रस से एक दम भीगा हुआ था। उसने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया। उसके बाद उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गाँड के छेद पर रख दिया और मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया। मैं डर गयी क्योंकि अब मुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होने वाली थी। उसके बाद उसने एक धक्का मारा तो मेरी तो जान ही निकल गयी। उसके लंड का सुपाड़ा मेरी गाँड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। मैं दर्द के मारे जोर-जोर से चीखने लगी। तभी उसने दूसरा धक्का लगा दिया इस बार का धक्का इतने जोर का था कि मैं दर्द के मारे तड़प उठी। मैं बेहद बुरी तरह से चीखने लगी। उसका लंड इस धक्के के साथ ही मेरी गाँड में चार इंच तक घुस गया। मैं रोने लगी। मैंने कहा, “अपना लंड बाहर निकाल लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी। बेइंतेहा दर्द हो रहा है। मेरी गाँड फट जायेगी!”
जॉन ने एक झटके से अपना लंड मेरी गाँड से बाहर निकाल कर मेरी चूत में घुसेड़ दिया। उसके बाद उसने मेरी चुदाई शुरु कर दी। मुझे थोड़ी ही देर में फिर से मज़ा आने लगा और मैं गाँड के दर्द को भूल गयी। उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल कर एक झटके से मेरी गाँड में डाल दिया। मेरे मुँह से जोर की चीख निकली। उसके बाद उसने जोर का धक्का लगाया। इस धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी गाँड में और ज्यादा गहरायी तक घुस गया। मैं जोर से चिल्लायी, “जॉन! मैं मर जाऊँगी।“
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वो बोला, “शाँत हो जाओ। क्या आपने आज तक कभी सुना है कि किसी औरत की मौत चुदवाने से या गाँड मरवाने से हुई है!”
मैंने कहा, “नहीं!”
वो बोला, “फिर घबराओ मत... आप मरोगी नहीं... सिर्फ थोड़ा दर्द होगा। उसके बाद तो आप खुद ही रोज-रोज मुझसे गाँड भी मरवाओगी और चूत की चुदाई भी करवाओगी!”
इतना कहने के बाद उसने पूरी ताकत के साथ फिर से एक धक्का मारा। मेरा जिस्म पसीने से लथपथ हो गया। मेरी आँखों के सामने अन्धेरा छाने लगा। मैं दर्द के मारे जोर-जोर से चीखने लगी। जॉन ने मेरे उपर जरा-सा रहम नहीं किया और बहुत जोरदार एक धक्का और लगा दिया। इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गाँड में घुस गया। मैं रोने लगी थी और मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे। उसने मुझे बिना कोई मौका दिये ही अपना पूरा का पूरा लंड बाहर खींच लिया और फिर एक झटके में वापस मेरी गाँड में घुसेड़ दिया। मैं फिर से चीखी। उसने मेरी चीख पर कोई भी ध्यान नहीं दिया और ना ही मुझ पर कोई रहम किया। उसने ऐसा चार-पाँच बार किया। मेरी गाँड की हालत बेहद खराब हो चुकी थी। उसके बाद उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरी चुदाई शुरु कर दी। थोड़ी ही देर में मैं फिर से सारा दर्द भूल गयी और मुझे मज़ा आने लगा। जॉन ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गाँड में घुसेड़ दिया। मैं फिर से चिल्लायी। लेकिन इस बार जॉन रुका नहीं। उसने तेजी के साथ मेरी गाँड मारनी शुरु कर दी। करीब पाँच मिनट तक मैं चीखती रही। फिर धीरे-धीरे खामोश हो गयी। अब मुझे गाँड मरवाने में भी मज़ा आने लगा था। दस मिनट तक मेरी गाँड मारने के बाद जॉन ने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चुदाई करने लगा। मैं एक दम मस्त हो चुकी थी और सिसकारियाँ भरने लगी थी। थोड़ी देर बाद जब उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकला तो मैंने कहा, “अब तो तुमने मुझे पूरी तरह से औरत बना दिया!”
वो बोला, “अभी कहाँ!”
मैंने कहा, “अब क्या बाकी है?”
वो बोला, “अभी मैंने ठीक से आपकी गाँड कहाँ मारी है। मैं तो अभी आपकी गाँड को ढीला कर रहा था। अगली बार मैं सिर्फ आपकी गाँड मारूँगा और अपने लंड का सारा रस आपकी गाँड में निकाल दूँगा। उसके बाद आप पूरी तरह से औरत बन जाओगी!”
पैंतालीस मिनट के बाद जॉन का लंड खड़ा हो गया तो उसने मेरी गाँड मारनी शुरु कर दी। पहले तो मुझे काफ़ी दर्द हुआ लेकिन थोड़ी ही देर बाद मेरा सारा दर्द खतम हो गया। जॉन बहुत बुरी तरह से मेरी गाँड मार रहा था। मैं भी अब मस्त हो चुकी थी। मुझे भी अब खूब मज़ा आ रहा था। मैं नहीं जानती थी कि गाँड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है। इस दफ़ा उसने मेरी चूत को छुआ तक नहीं सिर्फ मेरी गाँड मारता रहा। उसने लगभग पंद्रह मिनट तक खूब जम कर मेरी गाँड मारी और फिर मेरी गाँड में ही झड़ गया। इस दौरान जोश के मारे मेरी चूत से दो दफ़ा पानी भी निकल चुका था। लंड का सारा रस मेरी गाँड में निकाल देने के बाद जॉन हट गया और मेरे बगल में लेट गया।
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मैंने मुसकुराते हुए कहा, “अब तो मैं पूरी तरह से औरत बन गयी हूँ या अभी कुछ और भी बाकी है!”
वो बोला, “नहीं, अब तो मैंने तुम्हें पूरी तरह से औरत बना दिया है!”
सारा दिन जॉन मेरी चुदाई करता रहा और मेरी गाँड मारता रहा। शाम के पाँच बजे फ्रांसिस का फोन आया कि ऑफिस में कुछ काम होने की वजह से वो रात के ग्यारह बजे तक आयेंगे। ये सुन कर जॉन खुश हो गया और मैं भी। रात के ग्यारह बजे तक जॉन ने मुझे पाँच दफ़ा चोदा और तीन मर्तबा मेरी गाँड मारी। मुझे पहली दफ़ा जवानी का असली मज़ा आया था और मैं बिल्कुल मस्त हो गयी थी। रात के ग्यारह बजे फ्रांसिस वापस आ गये। मेरी गाँड और चूत बुरी तरह से सूज गयी थी। मैं बेड पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गयी थी। जॉन दरवाज़ा खोलने गया तो मैंने एक चादर ओढ़ ली। दरवाज़ा खोलने के बाद जॉन अपने रूम में चला गया। फ्रांसिस मेरे पास आये। उन्होंने मुझे चादर ओढ़ कर लेटे हुए देखा तो बोले, “क्या हुआ?”
मैंने कहा, “वही जो होना चाहिये था। मैंने आज जॉन से सारा दिन खूब जम कर चुदवाया है। उसने मेरी गाँड भी मारी है। आज मुझे जवानी का असली मज़ा मिला है जो कि तुम मुझे कभी नहीं दे सकते थे!”
वो बोले, “चलो अच्छा ही हुआ। अब तुम्हें सारी ज़िन्दगी जॉन से मज़ा मिलता रहेगा। तुम्हें कहीं इधर-उधर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जॉन से चुदवा कर खुश हो ना?”
मैंने कहा, “हाँ! मैं बेहद खुश हूँ। उसने आज मुझे बेहद अच्छी तरह से चोदा है। मैं जॉन से चुदवाने के बाद पूरी तरह से सैटिसफाइड हूँ!”
तभी फ्रांसिस ने मेरे उपर से चादर खींच ली और मेरी चूत और गाँड को देखने लगे। वो बोले, “तुम्हारी चूत और गाँड की हालत तो एकदम खराब हो गयी है। बेड की चादर भी तुम दोनों के रस से से एक दम भीग कर खराब हो चुकी है!”
मैंने कहा, “हाँ! मैं जानती हूँ। मैं इस चादर को साफ़ नहीं करूँगी। इस से मेरी यादें जुड़ी हुई हैं। मैं इसे सारी ज़िन्दगी अपने पास संभाल कर रखुँगी!”
उसके बाद फ्रांसिस ने भी मेरी चुदाई की। जॉन के लंड ने मेरी चूत को इतना ज्यादा चौड़ा कर दिया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब उनका लंड मेरी चूत में घुसा और कब बाहर निकल गया। उसके बाद हम सो गये। सुबह को फ्रांसिस के ऑफिस जाने के बाद जॉन ने फिर से मेरी चुदाई शुरु कर दी। उस दिन भी वो कॉलेज नहीं गया। वो सारा दिन मुझे चोदता रहा और मेरी गाँड मारता रहा।
ये सिलसिला लगभग करीब दो महीने तक चला। दो महीने तक मैंने जॉन से खूब मज़ा लिया। नसरीन भी मेरी सहेली बन गयी और अक्सर वो भी जॉन से चुदवाने आ जाती थी और हम तीनों चुदाई का मज़ा लेते। हम दोनों औरतें एक दूसरे की चूत भी चाटती और अपने जिस्म आपस में रगड़ती थीं। नसरीन चुदवाने से पहले हमेशा शराब के एक-दो पैग पीती थी और उसकी सोहबत में मुझे भी ये आदत लग गयी।
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उसके बाद जॉन बीस दिनों के लिये कॉलेज के टूर पर चला गया। उसके चले जाने के बाद नसरीन के साथ लेस्बियन चुदाई तो ज़ारी थी लेकिन जॉन के दमदार लंड की कमी बहुत महसूस होती थी। एक दिन जब फ्रांसिस ऑफिस से वापस आये तो उनका चेहरा उदास था।
मैंने पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोले, “मेहता को तो जानती हो ना!”
मैंने कहा, “वो तो हमारे बॉस थे। क्या हुआ उनको?”
फ्रांसिस बोले, “उस साले को क्या होगा। आज उसने मुझे अपने चैम्बर में बुलाया और कहने लगा कि पुराना मैनेजर नौकरी छोड़ कर चला गया है। अगर मैं मैनेजर बनना चाहता हूँ तो कहूँ । मैंने उस से कहा कि बनना चाहुँगा तो मेहता बोला कि मैं इसके बदले उसे क्या दूँगा! मैंने उस से कहा कि सारा कुछ उसका ही तो है तो मेहता कहने लगा कि शर्मा भी मैनेजर बनना चाहता है। बदले में वो मुझे एक रात के लिये अपनी बीवी देगा... मैं उसे क्या दूँगा! अगर मैं दो रात के लिये अपनी बीवी उसे दे दूँ तो वो मुझे मैनेजर बना देगा। मैंने तो मेहता से कह दिया कि ऐसा नहीं हो सकता!”
मैंने फ्रांसिस से कहा, “मेहता है ही ऐसा आदमी। वो अपने साथ ऐयाशी करने पर ही कितनों को तरक्की देता है। ऑफिस की कईं औरतें उसके साथ रात गुज़ार हो चुकी हैं। तबस्सुम को तो तुम जानते ही हो। वो मेरी सहेली थी। एक दिन मेहता ने उस से भी यही बात कही थी। उसने उसे अपनी पी-ए बनाने का लालच दिया था। तबस्सुम को ज्यादा पैसों की जरूरत थी इसलिये वो राज़ी हो गयी थी। उसने मेहता के साथ रात गुज़ारी और उसकी पी-ए बन गयी। तीन दिनों तक तबस्सुम ऑफिस नहीं आयी। तीसरे दिन जब तबस्सुम ऑफिस आयी तो मैंने उसका हाल चाल पूछा। तबस्सुम ने मुझे बताया था कि वो मेहता के साथ चुदवाने के बाद चलने फिरने के काबिल नहीं रह गयी थी। मैंने उस से पूछा कि मेहता ने उसके साथ ऐसा क्या कर दिया। उसने मुझे बताया कि मेहता का लंड दस इंच लम्बा और बेहद मोटा था। तब मुझे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ था जब मैंने जॉन का लंड देखा तो मुझे पूरा यकीन हो गया है कि तबस्सुम सही कह रही थी। मैं तो जॉन के आठ इंच लम्बे लंड से चुदवाने की आदी हो चुकी हूँ। मेहता का लंड दस इंच लम्बा है। उससे चुदवाने में मुझे और ज्यादा मज़ा आयेगा। जॉन भी टूर पर गया है इस लिये मेरी चूत में खुजली भी हो रही है। तुम भी मैनेजर बन जाओ। इस से तुम्हारी तनख़्वाह दुगुनी हो जायेगी और हमारी जिन्दगी और ज्यादा अच्छी तरह से गुजरेगी। मुझे भी चुदवाने का मौका मिल जायेगा!”
फ्रांसिस बोले, “तुम क्या कह रही हो?”
मैंने कहा, “मैं ठीक ही कह रही हूँ। जॉन से चुदवाने के बाद मेरी चूत काफी खुल चुकी है। मेहता से दो रात चुदवाने से मेरे उपर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, बस मेरी चूत थोड़ी से और खुल हो जायेगी। यह बात किसी को पता भी नहीं चलेगी। बस सिर्फ तुम राज़ी हो जाओ। क्या तुम नहीं चाहते कि मुझे जवानी का बेइंतेहा मज़ा मिले!”
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फ्रांसिस सोच में पड़ गये। थोड़ी देर बाद वो बोले, “मैं कल मेहता से बात करूँगा!”
दूसरे दिन जब फ्रांसिस ऑफिस से वापस आये तो उनका चेहरा उदास था। मैंने पूछा, “अब क्या हुआ। क्या मेहता राज़ी नहीं हुआ?”
वो बोले, “अब वो चार दिन के लिये हम बिस्तर होने को कह रहा है। ऑफिस में दो लोग और अपनी बीवी उसे देने के लिये तैयार हैं!”
मैंने कहा, “तुम अभी उसे फोन करके कह दो। नहीं तो जितना ज्यादा देर करोगे मुझे उतने ही ज्यादा दिन उसके पास रहना पड़ेगा!”
फ्रांसिस ने मेहता को फोन किया।
मेहता ने फ्रांसिस से कहा, “अभी नहीं। अभी मैं और इंतज़ार करुँगा । हो सकता है कि कोई मुझे अपनी बीवी और ज्यादा दिनों के लिये देने के लिये तैयार हो जाये!”
फ्रांसिस ने फोन रख दिया। वो उदास हो गये। मैंने कहा, “तुम मैनेजर बनना चाहते हो या नहीं!”
वो बोले, “बनना तो चाहता हूँ लेकिन मेहता मान जाये तब ना!”
मैंने कहा, “तुम उसे दोबारा फोन कर के कह दो कि तुम हर कीमत पर मैनेजर बनना चाहते हो। वो चाहे जितने दिनों के लिये मुझे अपने पास रख ले। मैं जानती हूँ कि वो बहुत अय्याश आदमी है। वो मुझे एक हफ़्ते से ज्यादा अपने पास नहीं रखेगा क्यों कि उसे हमेशा नयी-नयी औरतें चाहिये!”
फ्रांसिस ने मेहता को फोन किया। मेहता तैयार हो गया। लेकिन उसने कहा कि मुझे आज ही जाना होगा। मैंने फ्रांसिस से कहा, “तुम मुझे उसके घर छोड़ दो। जॉन तो यहाँ है नहीं। उसे कुछ भी पता नहीं चलना चाहिये!”
फ्रांसिस मुझे मेहता के घर छोड़ कर वापस चले आये। मेहता मुझे बेहद सैक्सी हाई हील के सैंडल पकड़ाते हुए बोला, “कपड़े उतार दो। अब तुम्हें दस दिनों तक सिर्फ ये सैंडल पहनने हैं!”
मैंने कहा, “ठीक है सर!”
तबस्सुम ने मुझे मेहता के बारे में सब कुछ बता दिया था कि उसने मेहता को कैसे खुश किया था। मैं मेहता को तबस्सुम से भी ज्यादा खुश करना चाहती थी। मैंने मेहता को शराब पिलायी और उसे खूब जोश दिलाया और उसके साथ-साथ खुद भी पीकर मस्त हो गोयी। मेहता बहुत खुश हो गया। उसने अपने कपड़े उतारे तो मैं उसका लंड देखती ही रह गयी। उसका लंड जॉन के लंड से भी ज्यादा लम्बा और मोटा था। मैं समझ गयी कि मुझे फिर से दिक्कत होने वाली है लेकिन मैं ये भी जानती थी कि मुझे मज़ा भी खूब आयेगा। मेहता ने मेरी चूत में अपना लंड घुसाना शुरु किया तो मुझे दर्द होने लगा। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में आठ इंच तक घुस गया। उसके बाद जब मेहता अपना लंड और ज्यादा अंदर घुसाने लगा तो मेरे मुँह से चीख निकलने लगी। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मेहता मेरे चेहरे को देख रहा था। पूरा लंड घुसाने के बाद उसने मुझे चोदना शुरु किया। थोड़ी देर तक मैं दर्द के मारे चीखती रही फिर धीरे-धीरे नॉर्मल हो गयी। मुझे मज़ा आने लगा तो मैंने मेहता को खूब जोश दिला दिला कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने उसके लंड की खूब तारीफ़ की।
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वो मुझसे बहुत खुश हो गया और बोला, “आज तक मैंने जितनी भी लड़कियों को चोदा वो सभी बहुत ज्यादा चिल्लायी और चीखी थी। लेकिन तुम ज्यादा नहीं चीखी और चिल्लायी और तुमने मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। क्या तुम्हारे पति का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा है!”
मैंने मेहता से झूठ बोला और कहा, “जी सर!”
वो बोला, “कितना लम्बा और मोटा है तुम्हारे पति का लंड?”
मैंने कहा, “सर! उनका लंड नौ इंच लम्बा है और बहुत मोटा भी!”
वो बोला, “फिर तो तुम्हारी चुदाई करने में मुझे खूब मज़ा आयेगा। बाकी की लड़कियाँ चीखती और चिल्लाती थी इसलिये मुझे ज्यादा मज़ा नहीं आता था। तुम मुझे पूरी तरह से खुश कर दो। मैं तुम्हारे पति को जनरल मनेजर बना दूँगा!”
मैंने कहा, “मैं आप को पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करुँगी सर!”
उसने मुझे करीब आधे घंटे तक खूब जम कर चोदा। मैंने भी उसे जोश दिला-दिला कर उससे खूब जम कर चुदवाया । मुझे भी खूब मज़ा आया। इस चुदाई के दौरान मैं तीन मर्तबा झड़ गयी थी। लंड का सारा रस मेरी चूत में निकाल देने के बाद मेहता ने अपना लंड बाहर निकला। उसके बाद वो मेरे बगल में लेट गया। दस मिनट भी नहीं बीते थे कि मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी।
मेहता बहुत खुश हो गया और बोला, “तुम तो बहुत सैक्सी हो। अभी दस मिनट भी नहीं बीते हैं कि तुमने मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया!”
मैंने कहा, “सर! मैं आप को पूरी तरह से खुश करना चाहती हूँ!”
मैं उसका लंड चूसती रही तो दस मिनट में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से चोदना शुरू किया। इस बार उसने मुझे लगभग आधे घंटे तक चोदा। मैंने भी उसे खूब जोश दिलाया। मैंने उससे कहा, “सर! आप मुझे बेहद अच्छी तरह से चोद रहे हैं। इतनी अच्छी तरह से मेरे हसबैंड मुझे नहीं चोद पाते। आपका लंड भी बहुत अच्छा है!”
मेरी बात सुन कर वो बहुत खुश हो गया। मैंने छः दिनों तक तरह-तरह के स्टाइल में मेहता से खूब जम कर चुदवाया। सातवें दिन मैं मेहता के साथ उसके आगोश में बैठी शराब पी रही थी और खासे नशे मे थी। मैंने मेहता से कहा, “सर! अब मैं आप को दूसरा मज़ा देना चाहती हूँ!”
वो बोला, “अब कौन सा मज़ा दोगी?”
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मैंने कहा, “क्या आपने कभी किसी लड़की की गाँड मारी है?”
वो बोला, “सारी लड़कियाँ मुझसे चुदवाने में ही इतना ज्यादा चीखती और चिल्लाती थी कि मुझे कभी किसी लड़की की गाँड मारने का मौका ही नहीं मिला। क्या तुम मुझसे गाँड मरवाने के लिये तैयार हो!”
मैंने कहा, “जी सर। आप खूब जम कर मेरी गाँड मारिये और मज़ा लीजिये!”
वो बोला, “तुम फिर से चीखोगी और चिल्लाओगी!”
मैंने कहा, “सर! पहली-पहली बार मुझे थोड़ी तो दिक्कत होगी ही क्योंकि आप का लंड मेरे हसबैंड के लंड से ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं अपने हसबैंड से खूब जम कर गाँड मरवाती हूँ!”
वो बोला, “फिर ठीक है!”
चार दिनों तक मेहता ने खूब जम कर मेरी गाँड मारी। मुझे पहली बार उस से गाँड मरवाने में बहुत दर्द हुआ और मैं खूब चीखी भी लेकिन बाद में मुझे खूब मज़ा भी आया। दस दिन गुजर गये तो मेहता ने कहा, अब तुम चाहो तो जा सकती हो।
मैंने कहा, “सर! मुझे रुख़सती नहीं देंगे?
वो बोला, “रुख़सती?”
मैंने कहा, “रुख़सती सर...! मेरा मतलब बिदायी!”
मेहता बोला, “हाँ हाँ!! बोलो क्या चाहिये!”
मैंने कहा, “सर... आपने चार दिनों से मेरी चुदाई नहीं की है। आप सिर्फ मेरी गाँड का ही मज़ा लेते रहे। मेरी चूत में खुजली हो रही है। आप एक बार मुझे और चोद दीजिये!”
वो बोला, “ये कौन सी बड़ी बात है। अभी चोद देता हूँ!”
मेहता ने फिर से मेरी चुदाई की। उसने मुझे खूब जम कर चोदा। मैं उससे चुदवा कर एक दम मस्त हो गयी। उसके बाद मैं घर वापस चली आयी। घर पहुँचते ही फ्रांसिस ने मुझसे पूछा, “क्या हुआ? काम बन गया?”
मैंने मज़ाक करते हुए कहा, “वो तुम्हें मैनेजर नहीं बनायेगा!”
फ्रांसिस उदास हो गये और बोले, “उस साले ने दस दिनों तक मेरी बीवी की चुदाई की और मुझे मैनेजर भी नहीं बनाया!”
मैंने कहा, “लेकिन मेहता ने मुझे खूब जम कर चोदा है। मुझे तो उससे चुदवाने में खूब मज़ा आया और मैं एक दम मस्त हो गयी हूँ!”
फ्रांसिस उदास हो गये थे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “उदास मत हो। मेहता तुम्हें जनरल मैनेजर बनाने के लिये तैयार हो गया है!”
मेरी बात सुनकार फ्रांसिस बहुत खुश हो गये। उन्होंने मुझे चूम लिया। अगले दिन मेहता ने फ्रांसिस को जनरल मैनेजर बना दिया। कुछ दिनों के बाद जॉन भी वापस आ गया। उसे जब पता चला कि उसके भैया जनरल मैनेजर बन गये हैं तो वो बहुत खुश हो गया। वो नहीं जानता था कि मैने उसके भैया को जनरल मैनेजर कैसे बनवाया है। मुझे अब मेहता अक्सर अपने घर बुलाया करता है। मुझे मेहता का लंड भी काफी पसन्द आ गया था इसलिये मैं अब भी उसके घर जा कर उससे खूब जम कर चुदवाती हूँ और मज़ा लेती हूँ। अब तो जॉन मुझे फ्रांसिस के सामने भी चोदने लगा है। फ्रांसिस और जॉन बहुत खुश हैं और मैं भी।
*** समाप्त ***
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(24-04-2020, 04:20 AM)rohitkapoor Wrote: "सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।"
पहली बार उसके मुँह से अब सुना, "चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।"
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा, "क्या चोदूँ जानेमन। एक बार फिर से कहो ना। तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।"
"अब चोदो ना... इस... इस चूत को।"
"अब मैं तेरी गरम-गरम और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।" मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया। दोस्तों मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा, "उफ़, क्या चूत है सना। मज़ा आ गया।"
उसने भी एक्साइट हो कर कहा, "चोद दो प्रताप... बस अब इस चूत को खूब चोदो।"
दोस्तों... चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया। झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
"सना... बहुत टेस्ती चुदाई थी यार। तुम तो गज़ब की चीज़ हो।"
"मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।" वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी। दोस्तों, फिर बीस मिनट बाद, पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के। फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा। मैंने शायद उसकी चूचियाँ और बूर और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा। इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत।
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा, "सना, अब तो तुम्हें और कईं बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?" मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
अब वोह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली, "प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!"
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया। फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी। कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Super
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Bahot hi zabardast stories hai
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(19-12-2021, 01:56 AM)ShakirAli Wrote: Bahot hi zabardast stories hai
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(19-12-2021, 12:12 AM)chandu_2288 Wrote: Super
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मैडम को कार चलाना सिखाया
लेखक:- अन्जान
यह उस समय की घटना है जब मैं १२वीं क्लास में था। मेरी इंग्लिश काफ़ी कमज़ोर थी। मैंने ईंग्लिश पर ज्यादा ध्यान देने की सोची। मैं अपनी गर्मी की छुट्टियाँ प्रारंभ होने के ठीक एक दिन पहले अपनी ईंग्लिश मैडम से मिला।
उनका नाम नसीफा था। वोह एक पठानी औरत थीं। उनकी उम्र ३२ - ३३ साल के करीब होगी। पठानी औरतों की तरह वोह भी गोरे बदन की काफी भरी-भरी औरत थीं। ऊँचाई लगभग ५’२” होगी पर उनकी ऊँची एड़ी के सैंडलों के कारण हमेशा ५’६ - ५’७ की लगती थीं। पतली कमर, ३६ के साईज़ की मस्त चूचीयाँ और ३८ की मस्त डोलती भारी गाँड।
“गुड आफ़टरनून मैडम!”
“गुड आफ़टरनून सुमित!”
“मैडम, आई नीड सम गाईडेंस!”
“कहो मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूँ।”
“मैडम आपको तो पता है कि मेरे ईंग्लिश में अच्छे मार्क्स नहीं आये।”
“हाँ मुझे पता है। तभी तो मैं कहती हूँ कि तुम्हें कड़ी मेहनत कारने की दरकार है।”
“हाँ मैडम। मैं नहीं चाहता कि बोर्ड परिक्षा में भी मेरे ऐसे ही मार्क्स आयें।”
”तो आखिर तुम अंत में सही लाइन पर आ ही गये।”
“हाँ मैडम। मुझे पता है कि मुझे कड़ी मेहनत की दरकार है और मैं कुछ भी करने को तैयार भी हूँ। लेकिन मुझे नहीं पता कि कहाँ से शुरू करूँ… और मेरे बेसिक्स भी ठीक नहीं हैं। तो मैडम आप मुझे गाईड करें कि मैं कहाँ से और कैसे शुरू करूँ।”
“ठीक है सुमित। मैं तुम्हारी टीचर हूँ और यह मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुम्हें सही दिशा में गाईड करूँ। तुम एक काम करो। तुम मेरा फोन नम्बर ले लो और एक हफ्ते बाद मुझे रिंग करो।”
“ओके... थैंक्स मैडम” फिर मैंने मैडम का फोन नम्बर और ऐड्रस ले लिया। एक हफ़्ते बाद मैंने मैडम को फोन किया।
“हैलो, क्या नसीफा मैडम से बात कर सकता हूँ?”
“बोल रही हूँ”
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“मैडम, मैं सुमित बोल रहा हूँ... मैडम आपने कहा था कि एक हफ़्ते बाद फोन कर लेना”
“हाँ याद है। फोन पर तो तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर पाना मुश्किल है.... तुम एक काम करो कल शाम ५ बजे मेरे घर आ जाओ। तभी तुम्हारी प्रॉब्लम डिस्कस कर लेंगे… ठीक है?”
“ओके मैडम... बाय।”
“बाय।”
फिर अगले दिन मैं शाम ५ बजे मैडम के घर गया। मैंने बेल बजायी और मैडम ने दरवाज़ा खोला।
“हैलो मैडम!”
“हैलो सुमित... आओ... अन्दर आओ... बैठो। एड्रस ढूँढने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?”
“थोड़ी बहुत परेशानी तो हुई क्योंकि आपकी कॉलोनी मेरे लिये नई है।”
“चलो... धीरे-धीरे इस कॉलोनी में पुराने हो जाओगे। खैर... क्या लोगे, टी कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?”
“नथिंग मैडम। कुछ नहीं।”
“शरमाओ मत.. तुम्हें कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा।”
“ओके, कॉफी!”
“बस अभी लाती हूँ!”
फिर मैडम कॉफी ले आयीं
“यह लो सुमित, कॉफी लो!”
“थैंक्स!”
“बिस्कुट भी तो लो…”
“नहीं मैडम, इसकी क्या ज़रूरत है…!”
“सुमित! तुम बहुत शाई लड़के हो... खैर हमें क्या बात करनी है? ”
”मैडम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश में कैसे मार्क्स आते हैं।”
“हुम्म.. मेरे खयाल से तुम्हारे ११वीं क्लास में ५० से ज्यादा मार्क्स नहीं आये।”
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“येस मैडम.... और हाइएस्ट मार्क्स ९५ तक आते हैं... मैडम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी ९०+ आयें।”
“बिल्कुल आ सकते हैं। लेकिन उसके लिये तुम्हें काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा... क्या तुम करोगे?”
“येस मैडम, मैं हार्डवर्क करूँगा... पर मेरे बेसिक्स ही क्लीयर नहीं हैं और मेरी ग्रामर बहुत वीक है।”
“सुमित तुम्हें सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉँग बनाने चाहिए। जिसके बेसिक्स स्ट्रॉँग नहीं उसे कुछ भी नहीं आता।”
“मैडम तो बेसिक्स स्ट्राँग कैसे होंगे।”
“उम्म... मैं तुम्हें बेसिक्स स्ट्राँग करने में हेल्प करूँगी।”
“येस मैडम... आप मुझे कुछ दिनों के लिये कोचिंग दे दिजिए।”
“तुम कल से सुबह मेरे पास आ जाया करो।”
“ओके मैडम।”
“कॉफी तो पियो... ठंडी हो रही है।”
“येस मैडम। मैडम आपकी फैमिली में कौन-कौन है?”
“मैं, मेरे हसबैंड और एक बेटी और एक बेटा।”
“मैडम… कहाँ हैं सब... कोई दिख नहीं रहा।”
“बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं। एकचुअली मैं भी वहाँ से कल ही आयी हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं… और हसबैंड २ हफ़्ते के लिये आफिस के काम से आउट आफ स्टेशन गये हैं।”
“बच्चे कब तक आयेंगे?”
“वो भी दो हफ़्ते बाद आयेंगे... यही तो दिक्कत है... अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती।”
“क्यों मैडम?”
“मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है... रिक्शॉ से जाने में बहुत टाइम लगता है... और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती।”
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“मैडम इस में प्रॉब्लम क्या है…। आपको जब कुछ चाहिए तो आप मुझे कह दीजिएगा।”
“नहीं ऐसी बात नहीं है... दैट्स नाईस आफ़ यू.... सुमित तुम्हे कार चलानी आती है क्या?”
“येस मैडम।”
“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो... मेरे हसबैंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं... और आज कल तो हमारी कार खाली ही खड़ी है... हसबैंड तो आफिस की कार ले गये हैं”
“येस मैडम मॉय प्लेज़र। मैं आपको कार चलाना सिखा दूँगा।”
“कितना टाईम लगेगा कार सीखने में?”
“तकरीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही।”
“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो।”
“ओके मैडम... पर किस टाईम?”
“तुम १० बजे पढ़ने तो आओगे ही... तुम्हें पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी... पर सुमित... कोई बहुत बड़ा ग्राऊँड है क्या... एक्चुअली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयेगी... इसलिए ऐसी जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज्यादा लोग ना आते हों।”
“येस मैडम... शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राऊँड है जो एकदम खाली रहता है।”
“ठीक है... तो वहीं चलेंगे कल दोपहर में।”
“पर मैडम दोपहर में तो काफ़ी गरमी होती है।”
“दोपहर में इसलिए कि उस वक्त लोग बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडिशंड है... मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है... बॉय द वे... तुम्हें तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?”
“बिल्कुल नहीं... तो मैडम मैं कल आता हूँ १० बजे।”
“ओके सुमित...बाय”
मैं अगले दिन ठीक १० बजे मैडम के घर पहुँच गया। मैडम उस दिन काफ़ी अच्छे से तैयार हुई थीं। उन्होंने ग्रीन कलर का सलवार-कमीज़ और बहुत ही सुंदर ब्लैक कलर के ४ इन्च हाई हील के सैंडल पहने हुए थे। मुझे तो मैडम सैक्सी लगती ही थी। मैडम ने मुझे १० से १ बजे तक पढ़ाया। उसके बाद हम कार सीखने शहर से बाहर एक ग्राऊँड में गये। आस-पास कोई भी नहीं था क्योंकि दोपहर का वक्त था। ग्राऊँड में पहुँच कर मैंने मैडम को कार सिखानी शुरू की।
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“मैडम... पहले तो मैं आपको गेयर डालना सिखाता हूँ।”
मैं कुछ देर तक उनको गेयर, एक्सलरेटर, क्लच, ब्रेक वगैरह के बारे में बताता रहा।
“चलिए मैडम... अब आप चलाइए।”
“मुझे डर लग रहा है!”
“कैसा डर?”
“कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो?”
“उसके लिये मैं साथ हूँ ना”
फिर मैडम ड्राइवर सीट पर बैठ गयीं और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया। फिर मैडम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैडम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी। मैडम घबरा गयीं।
मैंने कहा, “मैडम एक्सलरेटर से पैर हटाइये!”
मैडम ने पैर हटा लिया तो मैंने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी।
“मैंने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी!”
“कोई बात नहीं मैडम... पहली बार ऐसा होता है।”
“नहीं... मैं कार सीख ही नहीं सकती... मुझ से नहीं चलेगी”
“चलेगी... चलिए अब स्टार्ट कीजिये और फिर ट्राई करिये । पर इस बार एक्सलरेटर आराम से छोड़ियेगा।”
“नहीं मुझसे नहीं होगा!”
“मैडम… शुरू-शुरू में गलतियाँ होती हैं... कोई बात नहीं!”
“नहीं मुझे डर लगता है!”
“अच्छा... एक काम करते हैं... मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ… फिर तो आपको डर नहीं लगेगा!”
“लेकिन एक सीट पर हम दोनों कैसे आ सकते हैं?”
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