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रशीद बोला, “क्या तुम सही कह रही हो कि वो फिर मुझसे खफ़ा नहीं रहेगी?”
मैंने कहा, “हाँ... मैं एक दम सच कह रही हूँ लेकिन जब तुम अपनी बीवी को यहाँ लाना तो उसे कुछ भी मत बताना!”
रशीद बोला, “ठीक है!”
दूसरे दिन मैं रशीद के साथ एक साईट पर गयी। वो साईट मेरे घर से करीब करीब अस्सी किलोमीटर दूर थी। उस साईट पर करीब चालीस मज़दूर काम करते थे। उस साईट का मैनेजर उन सब को पैसे दे रहा था। सारे मज़दूर लाईन में खड़े थे। मैं मैनेजर की बगल में एक कुर्सी पर बैठ गयी। सभी ने निक्कर और बनियान पहन रखा था। मैं निक्कर के ऊपर से ही उन सबके लंड का अंदाज़ लगाने लगी।
जब मैनेजर करीब बीस-पच्चीस मज़दूरों को पैसे दे चुका तो मेरी नज़र एक मज़दूर के लंड पर पड़ी। मैंने निक्कर के बाहर से ही अंदाज़ लगा लिया कि उसका लंड कमज़कम आठ-दस इंच लंबा और खूब मोटा होगा। उसकी उम्र करीब बाईस-तेईस साल की रही होगी और जिस्म एक दम गठीला था। मैंने उस मज़दूर से पूछा, “क्या नाम है तुम्हारा!”
वो बोला, “मेरा नाम मोनू है!”
मैंने पूछा, “तुम्हारे कितने बच्चे हैं?”
वो शर्माते हुए बोला, “मालकिन, अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है!”
मैंने कहा, “मुझे अपने घर के लिये एक आदमी की ज़रूरत है। मेरे घर पर काम करोगे?”
वो बोला, “आप कहेंगी तो जरूर करूँगा!”
मैंने रशीद से कहा, “इसे घर का काम करने के लिये रख लो!”
रशीद समझ गया और बोला, “ठीक है!”
रशीद ने उस मज़दूर से कहा, “मोनू तुम घर जा कर बता दो और अपना सामान ले आओ। आज से तुम मैडम के घर पर काम करोगे।”
वो बोला, “जी साहब!”
वो अपने घर चला गया। करीब एक घंटे के बाद वो वापस आ गया। उसके बाद हम सब कार से घर वापस चल पड़े। रात के आठ बजे हम सब घर पहुँचे। मैंने मोनू को घर का सारा काम समझा दिया और उसे ड्राईंग रूम में सोने के लिये कह दिया। घर में केवल एक ही बाथरूम था इसलिए मैंने मोनू से कहा, “घर में केवल एक ही बाथरूम है। तुम इसी बाथरूम से काम चला लेना।”
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वो बोला, “ठीक है मालकिन।”
मैंने कहा, “घर पर मुझे मालकिन कहलाना पसंद नहीं है। तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाया करो।”
वो बोला, “ठीक है मालकिन!”
मैंने उसे डाँटा और कहा, “मालकिन नहीं... अमीना कह कर बुलाओ।”
वो बोला, “ठीक है अमीना जी।”
मैंने कहा, “अमीना जी नहीं, सिर्फ अमीना।”
वो शरमाते हुए बोला, “ठीक है अमीना!”
मैंने कहा, “लग रहा है कि तुमने बहुत दिनों से नहाया नहीं है। मैं तुम्हें एक साबुन दे देती हूँ, तुम बाथरूम में जा कर ठीक से नहा लो!”
मोनू बोला, “ठीक है!”
मैंने मोनू को एक खुशबूदार साबुन दे दिया तो वो नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद मोनू नहा कर बाहर आया। अब उसका सारा जिस्म एक दम खिल उठा था और महक भी रहा था। वो पैंट और शर्ट पहनने लगा तो मैंने कहा, “घर में पैंट शर्ट पहनने की कोई जरूरत नहीं है। तुम निक्कर और बनियान में ही रह सकते हो!”
रशीद बोला, “मैं घर जा रहा हूँ!”
मैंने कहा, “ठीक है। मुझे भी एक पार्टी में जाना है अभी... पर कल मैं कहीं नहीं जाऊँगी। अब तुम परसों सुबह आना!”
रशीद ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है। मैं कल नहीं आऊँगा।”
उसके बाद रशीद चल गया और मैं भी तैयार हो के पार्टी में चली गयी। रात के दस बजे मैं पार्टी से वापस लौटी। मैंने पार्टी में ड्रिंक की थी इसलिए मैं कुछ नशे में थी। मैंने बेडरूम में जा कर पैंटी और ब्रा छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये और नशे की हालत में सैंडल पहने ही बेड पर पसर गयी। उसके बाद मैंने मोनू को पुकारा। वो मेरे पास आया और बोला, “क्या है?”
मैंने कहा, “मैंने पार्टी में कुछ ज्यादा ही पी ली और मेरा सारा जिस्म टूट रहा है। तुम थोड़ा सा तेल लगा कर मेरे सारे जिस्म की मालिश कर दो।”
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वो बोला, “आप मुझसे मालिश करवायेंगी?”
मैंने कहा, “शहर में ये सब आम बात है। गाँव की तरह यहाँ की औरतें शरम नहीं करतीं। तुम ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आओ और मेरे जिस्म की मालिश करो!”
वो ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी ले आया तो मैं पेट के बल लेट गयी। वो घूर-घूर कर मेरे गोरे जिस्म को देखने लगा। उसकी निगाहों में भी सैक्स की भूख साफ़ नज़र आ रही थी। मैंने कहा, “क्या देख रहे हो। चलो मालिश करो।”
वो शर्माते हुए मेरी बगल में बेड पर बैठ गया। मैंने कहा, “पहले मेरी पीठ और कमर की मालिश करो।”
वो मेरी पीठ की मालिश करने लगा। उसका हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस जाता था। मैंने कहा, “तुम्हारा हाथ बार-बार मेरी ब्रा में फँस रहा है। तुम इसे खोल दो और ठीक से मालिश करो।”
उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मालिश करने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने कहा, “और नीचे तक मालिश करो।”
वो और ज्यादा नीचे तक मालिश करने लगा। अभी उसका हाथ मेरे चूत्तड़ पर नहीं लग रहा था।
मैंने कहा, “थोड़ा और नीचे तक मालिश करो।”
वो शर्माते हुए और नीचे तक मालिश करने लगा। जब उसका हाथ मेरी पैंटी को छूने लगा तो मैंने कहा, “पैंटी को भी थोड़ा नीचे कर दो फिर मालिश करो।”
उसने मेरी पैंटी को भी थोड़ा सा नीचे कर दिया। अब मेरे आधे चूत्तड़ उसे नज़र आने लगे। वो बड़े प्यार से मेरे चूत्तड़ों की मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मेरे दोनों चूत्तड़ों को हल्का-हल्का सा दबाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। थोड़ी देर तक मालिश करवाने के बाद मैंने कहा, “अब तुम मेरे हाथों की मालिश करो।”
मैंने जानबूझ कर अपनी ब्रा को नहीं पकड़ा और पलट कर पीठ के बल लेट गयी। मेरी ब्रा सरक गयी और उसने मेरी दोनों चूचियों को साफ़ साफ़ देख लिया। वो मुस्कुराने लगा तो मैंने तुरंत ही अपनी ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लिया लेकिन उसका हुक बँद नहीं किया। वो मेरे हाथों की मालिश करने लगा। मेरी ब्रा बार-बार सरक जा रही थी और मैं बार-बार उसे अपनी चूचियों पर रख लेती थी। जब वो मेरे हाथ की मलिश कर चुका तो मैंने कहा, “अब तुम मेरी टाँगों की मालिश कर दो।”
वो घुटने के बल बैठ कर मेरी टाँगों की मालिश करने लगा। उसने मेरे सैंडल उतारने की कोशिश नहीं की। मैंने देखा कि मोनू का लंड एक दम खड़ा हो चुका था और उसका निक्कर तम्बू की तरह हो गया था। वो केवल घुटने तक ही मालिश कर रहा था तो मैंने कहा, “क्या कर रहे हो, मोनू। मेरी जाँघों की भी मालिश करो।”
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वो मेरी जाँघों तक मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वो मालिश करते-करते अपनी अँगुली मेरी चूत पर छूने लगा तो मैं कुछ नहीं बोली। उसकी हिम्मत और बढ़ गयी और वो अपने एक हाथ से मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए टाँगों की मालिश करने लगा। मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था। मैं दिल ही दिल में खुश हो रही थी कि अब बस थोड़ी ही देर में मेरा काम होने वाला है।
थोड़ी ही देर बाद मोनू जोश से एक दम बेकाबू हो गया और उसने मेरी पैंटी नीचे सरका दी और एक हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगा। मैं फिर भी कुछ नहीं बोली तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी। उसने मेरी टाँगों की मालिश बँद कर दी और अपनी बीच की अँगुली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। मैं मन ही मन एक दम खुश हो गयी की अब मेरा काम बन गया। वो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को मसलने लगा। थोड़ी ही देर में मैं एक दम जोश में आ गयी और आहें भरने लगी। वो मेरी चूचियों को मसलते हुए अपनी अँगुली बहुत तेजी के साथ मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा तो दो मिनट में ही मैं झड़ गयी और मेरी चूत एक दम गीली हो गयी।
मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ खींच लिया। वो मेरा इशारा समझ गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपने निक्कर का नाड़ा खोल कर अपना निक्कर नीचे सरका दिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। उसका लंड तो करीब आठ इंच ही लंबा था लेकिन मेरे शौहर के लंड से बहुत ज्यादा मोटा था। मैं उसके लंड को सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में उसका लंड एक दम लोहे जैसा हो गया। वो मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रहा था। मैं जोश से पागल सी होने लगी तो मैंने मोनू से कहा, “मोनू, अब देर मत करो। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!”
मेरे इतना कहते ही उसने एक झटके से मेरी पैंटी जो की पहले से ही नीचे थी, उतार दी और मेरी ब्रा को भी खींच कर फेंक दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी, सिर्फ अपने सैंडल पहने उस के सामने पड़ी थी। उसके बाद उसने अपना निक्कर भी उतार कर फेंक दिया। उसके बाद वो मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर दूर-दूर फैला दिया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की फाँकों के बीच रख दिया। उसके बाद उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड बहुत ज्यादा मोटा था इसलिए मुझे थोड़ा दर्द होने लगा। मैंने दर्द के मारे अपने होठों को जोर से जकड़ लिया जिससे मेरे मुँह से आवाज़ ना निकल पाये। मेरी धड़कनें तेज होने लगी। लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा हो।
धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसने लगा। दर्द के मारे मेरी टाँगें थर-थर काँपने लगीं। मेरी धड़कने बहुत तेज चलने लगी। मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया। उसका लंड फिसलता हुआ धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर करीब पाँच इंच तक घुसा चुका था। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा था। मैंने सोचा कि अगर मैंने मोनू को रोका नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी। मैंने मोनू से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया। उसने मेरी टाँगों को छोड़ दिया। उसने मेरी दोनों चूचियों के निप्पलों को पकड़ कर धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया और मुझे चूमने लगा। मैं भी उसके होठों को चूमने लगी।
थोड़ी देर बाद वोह मेरी चूचियों को मसलते हुए अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसका लंड इतना ज्यादा मोटा था कि मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। दो मिनट में जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने जोश में आकर अपने चूत्तड़ों को उठाना शुरू कर दिया। मुझे चूत्तड़ उठाता हुआ देखकर मोनू ने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं जोश के मारे पागल सी हुई जा रही थी। जोश में आ कर मैंने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। पाँच मिनट चुदवाने के बाद मैं झड़ गयी तो मोनू ने बिना मेरे कुछ कहे ही जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये।
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हर धक्के के साथ ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुसने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन मैं पूरे जोश में आ चुकी थी। उस जोश के आगे मुझे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे मोनू ने अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। पूर लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू रुक गया। उसका लंड जड़ के पास बहुत ज्यादा मोटा था। मेरी चूत ने उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था। थोड़ी देर बाद जब उसने धक्के लगाना शुरू किया तो वो आसानी से अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था। मुझे एक दम जन्नत का मज़ा मिल रहा था। मैं एक दम मस्त हो चुकी थी। आज मुझे बहुत ही अच्छे लंड से चुदवाने का मौका मिल रहा था। मोनू मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे धीरे-धीरे चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी।
झड़ जाने की वजह से मेरी चूत एक दम गीली हो गयी तो मोनू ने तेजी के साथ धक्के लगाने शुरू कर दिये। अब मेरी चूत ने मोनू के लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था। वो जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। हर धक्के के साथ ही उसका लंड मेरी बच्चेदानी के मुँह का चुंबन ले रहा था। मैं जोश से एक दम पागल सी हुई जा रही थी और खूब जोर-जोर से ‘चोदो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को’, की आवाजें मेरे मुँह से निकल रही थी। मोनू भी पूरे जोश और ताकत के साथ मेरी चुदाई कर रहा था। उसकी रफ़्तार धीरे-धीरे और ज्यादा तेज होने लगी तो मैं पूरी तरह से मस्त हो गयी। अब तक मेरा दर्द एक दम कम हो चुका था। मैंने अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने भी मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदना शुरू कर दिया।
मोनू का लंड अब मेरी चूत में आसानी के साथ अंदर-बाहर होने लगा। मोनू ने मेरी चूचियों को छोड़ कर मेरी कमर को जोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार और ज्यादा तेज कर दी। अब वो मुझे एक दम आँधी की तरह से चोदने लगा था। मैं जोर-जोर के हिचकोले खा रही थी। मेरी चूचियाँ उसके हर धक्के के साथ गोल-गोल घूम रही थी। लग रहा था कि जैसे मेरी चूचियाँ गोल-गोल घूम कर नाच रही हों और मेरी चुदाई का जश्न मना रही हो। मुझे ये देख कर बहुत अच्छा लग रहा था। मैं भी पूरी मस्ती में थी। जब मोनू धक्का लगाता तो मैं अपने चूत्तड़ ऊपर उठा देती थी जिस से उसका लंड एक दम जड़ तक मेरी चूत के अंदर दाखिल हो जाता था।
इसी तरह मोनू ने मुझे करीब तीस मिनट तक चोदा और उसके बाद मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके लंड से इतना ज्यादा रस निकला जैसे वो बहुत दिनो से झड़ा ही ना हो। मेरी चूत उ उसकी मनि से पूरी तरह भर गयी थी। मेरी चूत ने अभी भी उसके लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था इसलिए उसकी मनि की एक बूँद भी बाहर नहीं निकल पायी। मैं भी इस चुदाई के दौरान तीन दफ़ा झड़ चुकी थी। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे चूमता रहा। मैं भी उसकी पीठ को सहलाते हुए बड़े प्यार से उसे चूमने लगी। हम दोनों इसी तरह करीब दस-पंद्रह मिनट तक लेटे रहे।
मोनू का लंड अभी तक मेरी चूत के अंदर ही था। वो अपना लंड मेरी चूत में डाले हुए ही अपनी कमर को इधर-उधर करने लगा तो दो मिनट में उसका लंड फिर से मेरी चूत के अंदर ही सख्त होने लगा। मैं अभी तक जोश में थी। मैंने भी उसके साथ ही साथ अपने चूत्तड़ इधर-उधर करना शुरू कर दिया। पाँच मिनट में ही मोनू का लंड मेरी चूत के अंदर ही एक दम सख्त हो कर लोहे जैसा हो गया तो मोनू ने मुझे फिर से चोदना शुरू कर दिया। पाँच मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गयी तो मैंने मोनू से कहा, “मुझे डॉगी स्टाईल में चुदवाना ज्यादा पसंद है!”
वो इंग्लिश नहीं जानता था। वो बोला, “ये कौन सा तरीका है?”
मैंने कहा, “तुमने कुत्तिया को कुत्ते से करते हुए देखा है?”
वो बोला, “मैं समझ गया। तुम घोड़ी बन कर चुदवाना चाहती हो?”
मैंने कहा, “हाँ।”
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उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया तो मैं डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू मेरे पीछे आ गया और उसने अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके से मेरी चूत में डाल दिया। मुझे थोड़ा दर्द महसूस हुआ तो मेरे मुँह से हल्की सी चींख निकल गयी। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू ने मेरी कमर को पकड़ लिया और मुझे बहुत ही तेजी के साथ चोदने लगा। थोड़ी देर तक तो मैं दर्द से तड़पती रही लेकिन फिर बाद में मैं भी अपने चूत्तड़ आगे पीछे करते हुई मोनू का साथ देने लगी। मुझे साथ देते हुए देख कर मोनू ने अपनी रफ़्तार काफ़ी तेज कर दी।
दस मिनट की चुदाई के बाद ही मैं फिर से झड़ गयी। मेरे झड़ जाने के बाद मोनू ने मुझे बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो इतनी जोर जोर के धक्के लगा रहा था कि मैं हर धक्के के साथ आगे की तरफ़ खिसक जा रही थी। मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मुझसे ज़मीन पर चलने को कहा। मैं ज़मीन पर आ गयी तो उसने मेरा सिर दीवार से सटा कर मुझे कुत्तिया की तरह बना दिया। उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई शुरू कर दी। मेरा सिर दीवर से सटा हुआ था। मैं अब आगे नहीं खिसक पा रही थी इसलिए अब उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था।
मैं भी पूरे जोश में आ चुकी थी और अपने चूत्तड़ आगे-पीछे करते हुए उससे चुदवा रही थी। वो भी पूरी ताकत के साथ जोर-जोर के धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था। कमरे में ‘धप-धप’ और ‘चप-चप’ की आवाज़ हो रही थी। मैं जोश में आ कर जोर -जोर की सिसकारियाँ भर रही थी। सारा कमरा मेरी जोश भरी सिसकरियों से गूँज रहा था। मैं ‘और तेज... और तेज...’ करती हुई एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। आज मुझे मोनू से चुदवाने में जो मज़ा आ रहा था वो मज़ा मुझे शादी के बाद कुछ दिनों तक ही अपने शौहर से चुदवाने में मिला था। आज मैं अपनी ज़िंदगी में दूसरी बार सुहागरात का मज़ा ले रही थी क्योंकि मेरी चूत मोनू के लंड के लिये किसी कुँवारी चूत से कम नहीं थी।
मोनू ने मुझे इस बार करीब पैंतालीस मिनट तक बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार की चुदाई के दौरान मैं तीन बार झड़ चुकी थी। सारी मनि मेरी चूत में निकाल देने के बाद जब मोनू ने अपना लंड बाहर निकाला तो मैं अपने आप को रोक ना सकी और मैंने उसका लंड चाटना शुरू कर दिया। वो मुझसे अपना लंड चटवा कर बहुत खुश हो रहा था। मैंने मोनू से पूरी मस्ती के साथ सारी रात खूब चुदवाया। सुबह हम दोनों नहाने के लिये एक साथ बाथरूम में गये। मोनू ने बाथरूम में भी बुरी तरह से मेरी चुदाई की। उसके बाद सारा दिन उसने मुझे कईं तरह के स्टाईल में खूब चोदा।
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रात के आठ बजे मैं मोनू के साथ डीनर के लिये एक होटल में गयी। होटल से लौट कर आने के बाद मोनू ने सारी रात मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदा। उसने मुझे पूरी तरह से मस्त कर दिया था। तीसरे दिन सुबह के आठ बजे काल-बेल बजी तो मैंने मोनू से कहा, “जा कर देखो। शायद रशीद आया है!”
मोनू ने एक टॉवल लपेट लिया और जा कर दरवाजा खोला तो रशीद ही था। मोनू रशीद के साथ मेरे पास आया। रशीद ने मोनू के सामने ही मुझसे पूछा, “कैसी रही चुदाई!” तो मोनू समझ गया था कि रशीद को सब कुछ मालूम है।
मैंने कहा, “इतनी अच्छी कि मैं बता नहीं सकती!”
रशीद बोला, “मोनू का लंड पसंद आया?”
तो मैंने कहा, “हाँ, बेहद पसंद आया!”
रशीद बोला, “कितनी दफ़ा चोदा मोनू ने?”
मैंने कहा, “मैंने तो बस पूरी मस्ती के साथ मोनू से खूब चुदवाया। मैं नहीं बता सकती कि इसने कितनी दफ़ा मेरी चुदाई की। तुम मोनू से पूछ लो, शायद ये बता सके!”
रशीद ने मोनू से पूछा तो उसने कहा, “बारह बार!”
रशीद ने कहा, “शाबाश मोनू, बस तुम इसी तरह अमीना की चुदाई करते रहो। अभी तो तुम्हें मेरी बीवी की चुदाई भी करनी है!” उसके बाद रशीद ने मुझसे पूछा, “मैं अपनी बीवी को कब ले आऊँ?”
मैंने कहा, “मुझे कल तक खूब जम कर चुदवा लेने दो। कल शाम को तुम अपनी बीवी को ले आना!”
रशीद ने मुझसे कहा, “मैं भी तुम्हारी चुदाई देखना चाहता हूँ। एक बार तुम मोनू से मेरे सामने चुदवा लो!”
मैंने मोनू को अपने करीब बुलाया। जब वो मेरे करीब आया तो मैंने उसका टॉवल एक झटके से खींच लिया। मोनू का आठ इंच का खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। रशीद उसके लंड को देखता ही रह गया। वो बोला, “मेरी बीवी तो अभी कुँवारी है। इसका इतना मोटा लंड उसकी चूत में कैसे घुसेगा!”
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मैंने कहा, “जैसे पहली-पहली मर्तबा किसी मर्द का लंड किसी औरत की कुँवारी चूत में घुसता है!”
रशीद बोला, “उसे बहुत तकलीफ होगी!”
मैंने कहा, “वो तो हर औरत को पहली-पहली मर्तबा होती है।”
रशीद बोला, “उसे बहुत ज्यादा दर्द होगा और वो खूब चिल्लायेगी।”
मैंने कहा, “चिल्लाने दो उसे, उसके बाद उसको मज़ा भी तो खूब आयेगा।”
रशीद चुप हो गया और मेरे पास बैठ गया। मोनू ने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो मैं उसका लंड चूसने लगी। दस मिनट में ही मोनू का लंड एक दम लोहे के जैसा हो गया। मैं अपने चूत्तड़ रशीद की तरफ़ कर के डॉगी स्टाईल में हो गयी। मोनू ने अपना लंड एक झटके से मेरी चूत में घुसेड़ दिया तो मेरे मुँह से जोर की आह निकली। पूरा लंड मेरी चूत में घुसा देने के बाद मोनू मुझे चोदने लगा। रशीद बड़े ध्यान से मुझे मोनू से चुदवाते हुए देखता रहा। मोनू ने मुझे करीब पैंतालीस मिनट तक चोदा और फिर झड़ गया। मैं भी दो बार झड़ चुकी थी। मोनू ने जब अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैं मोनू के लंड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
उसके बाद मैंने रशीद से कहा, “आज तुम अकेले ही साईट पर चले जाओ और मुझे चुदाई का मज़ा लेने दो।”
रशीद बोला, “ठीक है!” उसके बाद वो चल गया।
मैंने दूसरे दिन सुबह तक मोनू से दिल और चूत खोल के खूब चुदवाया। दूसरे दिन सुबह आठ बजे रशीद आ गया। मैंने मोनू को कुछ पैसे दिये और कहा, “तुम बाज़ार जा कर खूब अच्छी तरह से खा लेना। आज सारी रात तुम्हें रशीद की कुँवारी बीवी की चुदाई करनी है!”
वो मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है।”
मैं रशीद के साथ साईट पर चली गयी। शाम को वापस आते हुए मैं रशीद के घर रुकी। उसकी बीवी एक दम दुबली-पतली, छरहरे जिस्म की थी और वो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और गोरी थी। रशीद ने मुझसे कहा, “ये मेरी बीवी संजीदा है!”
संजीदा ने मुझे बिठाया और चाय बनाने जाने लगी तो रशीद बोला, “अमीना शाम के बाद चाय-कॉफी नहीं पीती... तू किचन से ग्लास और बर्फ ले आ... मैं पैग बना देता हूँ।”
थोड़ी देर बाद संजीदा ग्लास, बर्फ और सोडा ले आयी और रशीद ने व्हिस्की की बोतल निकाल कर दो पैग बनाये। मेरे जोर देने पर संजीदा ने भी पैग ले लिया और हम इधर-उधर की बातें करते हुए पीने लगे। दिन भर की थकान के बाद व्हिस्की बहुत अच्छी लग रही थी और मैंने जल्दी ही दो पैग पी लिये और जब रशीद तेरे लिये तीसरा पैग बनाने लगा तो मैंने इंकार नहीं किया। संजीदा तो पहला पैगही अभी तक पी रही थी।
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उसके बाद मैंने संजीदा से कहा, “आज तुम मेरे साथ मेरे घर चलो। आज रात को हम सब एक ही साथ डिनर करेंगे!” संजीदा तैयार होने लगी। जब वो तैयार हो कर मेरे पास आयी तो वो मेक-अप में और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। मैं उन दोनों के साथ कार से घर आ गयी। घर पहुँचने पर मैं संजीदा को अपने बेडरूम में ले गयी और उस से बैठने को कहा। वो मेरे बेड पर बैठ गयी। रशीद भी संजीदा की बगल में बैठ गया। मैंने रशीद के सामने ही अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो संजीदा कभी रशीद को और कभी मुझे देखने लगी। मैंने ब्रा, पैंटी और हाई हील सैंडलों को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिये।
संजीदा बोली, “आपा, आप को रशीद के सामने कपड़े उतारने में शरम नहीं आती?”
मैंने कहा, “मेरे शौहर को गुजरे हुए छः महीने से ज्यादा हो चुके हैं। मैंने इन छः महिनों में कभी भी सैक्स का मज़ा नहीं लिया था। एक दिन मैंने रशीद से कहा तो मुझे मालूम हुआ कि इसका तो लंड ही नहीं खड़ा होता। मैं रशीद के सामने पहले भी एक दम नंगी हो चुकी हूँ। इसलिए मुझे शरम नहीं आती। मैंने अपनी सैक्स की भूख मिटाने के लिये एक नौकर रख लिया है। उसका नाम मोनू है। उसका लंड बहुत ही लंबा और मोटा है और वो बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुदाई करता है। मैं अपने कपड़े उतार कर मोनू से चुदवाने जा रही हूँ। मुझे ये भी मालूम है कि तुम अभी तक कुँवारी हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। उसके बाद अगर तुम्हारा दिल करे तो तुम भी उससे चुदवा लेना। आखिर तुम चुदवाने के लिये कब तक तड़पती रहोगी। इसी लिये आज मैं तुमको यहाँ ले आयी हूँ।”
संजीदा बोली, “मुझे शरम आयेगी।”
मैंने कहा, “काहे की शरम। जब मुझे तुम्हारे सामने चुदवाने में शरम नहीं आ रही है तो तुम क्यों शरमा रही हो। तुम बैठ कर मेरी चुदाई का मज़ा लो। शायद तुम्हारा मन भी चुदवाने का करे। आखिर अब तुम्हें सारी ज़िंदगी रशीद के साथ ही गुजारनी है। रशीद को मैंने पहले ही समझा दिया है और उसे कोई ऐतराज़ नहीं है।”
संजीदा चुप हो गयी। मैंने एक ग्लास में व्हिस्की डाल कर एक तगड़ा सा पैग बना कर उसे दिया। “लो संजीदा... ये पीयो... तुम्हें अच्छा लगेगा और शरम भी चली जायेगी।”
मैंने मोनू से पहले ही कह रखा था की जब मैं उसे बुलाऊँगी तो वो एक दम नंगा ही मेरे पास आये। मैंने मोनू को पुकारा तो वो मेरे कमरे में आ गया। वो एक दम नंगा था। संजीदा ने जैसे ही उसका लंड देखा तो उसने अपना सिर झुका लिया।
मैंने संजीदा से कहा, “अब क्यों शरमा रही हो। अब तो मोनू तुम्हारे सामने एक दम नंगा ही आ गया है। तुम देखो तो सही कि इसका लंड कैसा है।”
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संजीदा ने अपना सिर ऊपर उठा लिया। वो मोनू का लंड देखने लगी। मोनू संजीदा के पास आया और बोला, “कैसा लगा मेरा लंड?”
संजीदा कुछ नहीं बोली और अपना ड्रिंक पीने लगी। मैंने मोनू का लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में मोनू का लंड एक दम सख्त हो गया तो मैं मोनू से चुदवाने लगी। संजीदा चुपचाप बैठ कर देखते हुए व्हिस्की पीती रही। मोनू ने मुझे करीब आधे घंटे तक चोदा और झड़ गया। जोश और नशे के मारे संजीदा की आँखें एक दम गुलाबी हो चुकी थीं। जब मोनू ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला तो मैंने संजीदा को अपनी चूत दिखाते हुए कहा, “देखो, मेरी चूत ने मोनू का लंबा और मोटा लंड कैसे अपने अंदर ले लिया।”
संजीदा मेरी चूत को देखने लगी। मैंने कहा, “अब तुम भी एक बार मोनू से चुदवा लो। अगर तुम्हें इससे चुदवाना पसंद नहीं आयेगा तो तुम फिर मोनू से कभी मत चुदवाना।”
संजीदा ने शरमाते हुए कहा, “इसका लंड तो बहुत मोटा है। मुझे बहुत तकलीफ होगी!”
मैंने कहा, “तुम अभी कुँवारी हो... इसलिए तुम चाहे जिस भी लंड से पहली बार चुदवाओगी... तकलीफ तो तुम्हें होगी ही। उसके बाद मज़ा भी खूब आयेगा।”
वो कुछ नहीं बोली। मैंने मोनू से कहा, “तुम अपना लंड संजीदा के हाथ में दे दो जिससे ये तुम्हारा लंड ठीक से देख ले।”
मोनू संजीदा के पास आ गया। उसने संजीदा के हाथ से खाली ग्लास ले कर एक तरफ रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। संजीदा ने शरमाते हुए उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और देखने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा लग रहा हो तो चुदवा लो।” वो कुछ नहीं बोली।
मैंने कहा, “क्या हुआ? कुछ बोलती क्यों नही? अगर तुम्हें इसका लंड अच्छा नहीं लग रहा है तो छोड़ दो इसका लंड!” उसके बाद मैंने मोनू से कहा, “मोनू तुम रहने दो और जा कर कपड़े पहन लो। संजीदा को तुम्हारा लंड पसंद नहीं आ रहा है!” मोनू जैसे ही अपने लंड से संजीदा का हाथ हटाने लगा तो संजीदा ने उसके लंड को जोर से पकड़ लिया। मैं समझ गयी कि संजीदा चुदवाने के लिये राज़ी है।
मैंने मोनू से कहा, “मोनू संजीदा तुमसे चुदवाने के लिये राज़ी है। तुम संजीदा के कपड़े उतार दो और इसकी अच्छी तरह से चुदाई कर के इसे एक दम खुश कर दो।”
मोनू ने संजीदा के कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो संजीदा शरमाने लगी लेकिन उसने मोनू को रोका नहीं। मोनू ने धीरे-धीरे संजीदा के सारे कपड़े उतार दिये। अब संजीदा ने सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने हुए थे और संजीदा का गोरा जिस्म संगमरमर की मूर्ती जैसा लग रहा था। उसे देख कर मोनू खुश हो गया। मोनू ने संजीदा को बेड पर लिटा दिया। मोनू ने अपने होंठ संजीदा के होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूमने लगा। थोड़ी ही देर में संजीदा को भी जोश आने लगा तो वो भी मोनू के होंठों को चूमने लगी। मोनू संजीदा के पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए उसे चूमने लगा तो संजीदा भी मोनू की पीठ पर अपना हाथ फिराने लगी।
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संजीदा की आँखें धीरे-धीरे गुलाबी सी होने लगी। मोनू ने संजीदा को चूमते हुए उसके निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया। संजीदा सिसकरियाँ भरने लगी। रशीद बड़े ध्यान से देख रहा था। फिर मोनू ने संजीदा की चूचियों को, फिर पेट को और फिर उसकी नाभी को चूमना शुरू कर दिया। संजीदा धीरे-धीरे जोश में आ रही थी और सिसकरियाँ भर रही थी। थोड़ी देर तक संजीदा की नाभी और उसके आसपास चूमने के बाद मोनू ने संजीदा की चूत को चूमना शुरू कर दिया तो संजीदा जोर-जोर से आहें भरने लगी। मोनू एक हाथ से संजीदा के निप्पलों को मसल रहा था और दूसरे हाथ से संजीदा की जाँघ को सहला रहा था। संजीदा ने जोश के मारे अपनी दोनों जाँघों को एक दम सटा लिया।
मोनू ने संजीदा की दोनों जाँघों को एक दूसरे से अलग किया। संजीदा की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसकी चूत एक दम गोरी और चिकनी थी। मोनू ने अपनी जीभ संजीदा की चूत के दोनों फाँकों पर फिरानी शुरू कर दी तो संजीदा जैसे पागल सी होने लगी। उसने मोनू के सिर को जोर से पकड़ लिया लेकिन मोनू रुका नहीं। वो अपनी जीभ को संजीदा की चूत की फाँकों पर तेजी से फिराने लगा। दो मिनट में ही संजीदा झड़ गयी और उसकी चूत एक दम गीली हो गयी। मोनू ने संजीदा की चूत का सारा रस चाट लिया और फिर अपनी जीभ संजीदा की क्लिट पर गोल-गोल घुमाने लगा। संजीदा ने जोश के मारे जोर की सिसकी ली।
मैंने संजीदा से पूछा, “क्या हुआ?”
वो बोली, “आपा, मेरे तमाम जिस्म में आग सी लग गयी है। तुम मोनू से कह दो अब देर ना करे नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है!”
मैंने मोनू से कहा तो वो बोला, “मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है। अगर मैंने इन्हें अभी चोद दिया तो इन्हें बहुत दर्द होगा। अभी इन्हें एक बार और झड़ जाने दो। तब ये जोश से एक दम पागल हो चुकी होंगी और मेरा पूरा का पूरा लंड आरम से अपनी चूत के अंदर ले लेंगी।”
मैंने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, करो!”
मोनू संजीदा के ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेट गया और उसकी चूत को तेजी से चाटने लगा। संजीदा अब तक बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी। उसने बिना कुछ कहे ही मोनू का लंड अपने मुँह में ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। संजीदा का दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। वो जोर-जोर की सिसकारियाँ भरते हुए मोनू का लंड चूस रही थी। थोड़ी देर बाद संजीदा ने मुझसे कहा, “आपा, मोनू से कह दो अब देर न करे। मैं एक दम पागल सी हुई जा रही हूँ!”
मैंने कहा, “मैं क्यों कहूँ, तुम ही मोनू से कहो कि वो तुम्हारी चुदाई करे!”
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संजीदा इतनी ज्यादा जोश में आ चुकी थी कि वो रोने लगी। लेकिन उसने मोनू से कुछ भी नहीं कहा। पाँच मिनट में ही संजीदा फिर से झड़ गयी तो उसने मोनू का सिर जोर से पकड़ लिया और बोली, “अब तो मैं फिर से झड़ गयी हूँ। अब तो देर ना करो। जल्दी से चोद दो मुझे!”
मोनू ने कहा, “मेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है। आप इसे अपनी चूत के अंदर ले पाओगी? बहुत दर्द होगा!”
संजीदा बोली, “मैं कुछ नहीं जानती। बस तुम अब देर मत करो। डाल दो अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में और खूब जोर-जोर से चोदो मुझे!”
मोनू बोला, “ठीक है। मैं लेट जाता हूँ। आप खुद ही मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ज्यादा से ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!”
मोनू संजीदा के ऊपर से हट कर लेट गया तो संजीदा तुरंत ही मोनू के ऊपर चढ़ गयी। संजीदा जोश में एक दम पागल हो रही थी। उसने मोनू के लंड का सुपाड़ा अपनी चूत के बीच रखा और जोर से दबा दिया। मोनू के लंड का सुपाड़ा संजीदा की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। उसे इस कदर तेज दर्द हुआ कि वो तड़पते हुए तुरंत ही मोनू के ऊपर से हट गयी और लेट गयी। संजीदा को बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि इतना दर्द होगा।
आखिर मोनू का लंड भी था तो बेहद मोटा। संजीदा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू संजीदा के होंठों को चूमने लगा। थोड़ी देर बाद संजीदा आसुदा हुई तो मोनू ने कहा, “मेरे ऊपर आ जाओ और मेरा लंड अपनी चूत में और ज्यादा घुसाने की कोशिश करो!”
संजीदा बोली, “मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में नहीं घुसा पाऊँगी। मुझे बेइंतेहा दर्द हो रहा है। अब तुम ही अपना लंड मेरी चूत में घुसाओ।”
मोनू बोला, “बहुत दर्द होगा!”
संजीदा बोली, “तुम तो मर्द हो। तुम ही अपना लंड मेरी चूत में जबरदस्ती घुसा सकते हो।”
मोनू बोला, “ठीक है!”
मोनू संजीदा की टाँगों के बीच आ गया। उसने संजीदा की टाँगों को घुटनों से मोड़ कर उसके कंधों के पास सटा कर दबा दिया। संजीदा एक दम दोहरी हो गयी और उसकी चूत उपर की तरफ उठ गयी। मोनू ने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के बीच रखा। मोनू ने जोर लगाते हुए अपना लंड संजीदा की चूत के अंदर दबाना शुरू किया। जैसे ही मोनू का लंड संजीदा की चूत में दो इंच घुसा तो संजीदा जोर-जोर से चींखने लगी। लेकिन मोनू रुका नहीं और उसने थोड़ा जोर और लगा दिया। संजीदा दर्द के मारे तड़पने लगी। उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसका सारा जिस्म पसीने से नहा गया। उसकी टाँगें थरथर काँपने लगी। मोनू का लंड संजीदा की चूत में तीन इंच तक घुस चुका था। मैं संजीदा के पास बैठ गयी और मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया।
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संजीदा ने मुझे जोर से पकड़ लिया और रोने लगी। वो बोली, “आपा! बेहद दर्द हो रहा है। मैं मोनू का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर कैसे ले पाऊँगी!”
मैंने कहा, “पहली-पहली मर्तबा दर्द तो होता ही है। तुम घबराओ मत, मोनू जब धीरे-धीरे तमाम लंड तुम्हारी चूत में घुसा कर तुम्हें चोदेगा तब तुम्हें खूब मज़ा आयेगा और तुम सारा दर्द भूल जाओगी। उसके बाद तुम्हें मोनू से चुदवाने में कभी दर्द नहीं होगा और तुम चुदाई का पूरा मज़ा ले पाओगी।”
मोनू अपना लंड संजीदा की चूत में डाले हुए रुका रहा। थोड़ी देर बाद संजीदा आसुदा हो गयी। मोनू ने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये। मोनू का लंड अभी भी संजीदा की चूत में चार इंच तक ही अंदर बाहर हो रहा था। थोड़ी देर बाद संजीदा को मज़ा आने लगा और वो पाँच मिनट की चुदाई के बाद झड़ गयी। मोनू ने अपनी रफ़्तार थोड़ा बढ़ा दी। मोनू हर पंद्रह-बीस धक्कों के बाद एक जोर का धक्का लगाते हुए संजीदा की चुदाई करने लगा। जब वो जोर का धक्का लगा देता तो उसका लंड संजीदा की चूत के अंदर और ज्यादा गहरायी तक घुस जाता। जब मोनू जोर का धक्का लगा देता तो संजीदा दर्द के मारे तड़प उठती थी। संजीदा बहुत ज्यादा जोश में थी इसलिए उसे दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। मोनू इसी तरह संजीदा की चुदाई करता रहा। वो अभी संजीदा को ज्यादा तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी तो मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?”
संजीदा बोली, “मज़ा तो आ रहा है लेकिन दर्द भी बेइंतेहा हो रहा है!”
मैंने कहा, “अभी मोनू का पूरा लंड तुम्हारी चूत में नहीं घुसा है इसलिए वो तुम्हें धीरे-धीरे चोद रहा है। जब वो अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा देगा तब वो तुम्हारी बहुत तेजी के साथ चुदाई करेगा। उसके बाद तुम्हें चुदवाने में खूब मज़ा आयेगा।”
संजीदा ने पूछा, “अभी कितना बाकी है?”
मैंने कहा, “अभी तक तो मोनू का लंड तुम्हारी चूत में करीब पाँच इंच ही घुसा है!”
संजीदा बोली, “मोनू से कह दो कि वो अपना पूरा लंड मेरी चूत में जल्दी से घुसा दे। मैं जल्दी से जल्दी चुदवाने का पूरा मज़ा लेना चाहती हूँ!”
मैंने कहा, “दर्द बहुत होगा!”
वो बोली, “दर्द तो धीरे-धीरे घुसाने में भी हो रहा है!”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत लगा कर अपना पूरा का पूरा लंड इसकी चूत में घुसा दो!”
मोनू ने पूरी ताकत के साथ बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने शुरू कर दिये। संजीदा दर्द के मारे चींखने लगी। सारा कमरा उसकी चींखों से गूँजने लगा। संजीदा ने दर्द के मारे अपने सिर के बाल नोचने शुरू कर दिये। आठ-दस जोरदार धक्कों के बाद मोनू का लंड पूरा का पूरा संजीदा की चूत में घुस गया। संजीदा दर्द के मारे तड़प रही थी। मोनू ने पूरा लंड घुसा देने के बाद बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। संजीदा दर्द के मारे चींखती रही लेकिन मोनू रुका नहीं। वो बहुत तेजी के साथ संजीदा को चोद रहा था।
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दस मिनट तक तो संजीदा बुरी तरह से चींखती रही और फिर धीरे-धीरे चुप होने लगी। अब तक संजीदा की चूत ने अपना पूरा मुँह खोल कर मोनू के लंड को अंदर जाने का रास्ता दे दिया था। मोनू भी पूरे जोश के साथ संजीदा को चोद रहा था। पाँच मिनट और चुदवाने के बाद संजीदा चुप हो गयी। उसकी दर्द भरी चींखें अब जोश भरी सिसकरियों में बदल रही थी।
पाँच मिनट और चुदवाने के बाद वो झड़ गयी तो उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा। अब मोनू का लंड संजीदा की चूत में कुछ आसानी से अंदर बाहर होने लगा था। संजीदा भी अब अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “अब मज़ा आ रहा है?”
वो बोली, “हाँ आपा, अब तो बहुत मज़ा आ रहा है!”
मैंने पूछा, “अब दर्द नहीं हो रहा है?”
वो बोली, “दर्द तो हो रहा है लेकिन काफ़ी कम।”
मैंने मोनू से कहा, “अब तुम पूरी ताकत के साथ तेजी से संजीदा की चुदाई शुरू कर दो।”
मोनू ने पूरी ताकत लगाते हुए बहुत तेजी के साथ संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। अब वो संजीदा को एक दम आँधी की तरह चोद रहा था। पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही संजीदा ने “और तेज... और तेज...” कहना शुरू कर दिया तो मोनू ने उसे बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। सारे कमरे में धप-धप और फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। साथ ही साथ संजीदा की जोश भरी किलकारियाँ भी गूँज रही थी। वो “और तेज... और तेज... खूब जोर-जोर से चोदो मेरे जानू... फाड़ दो आज मेरी प्यासी चूत को...” कहते हुए चुदवा रही थी। रशीद आँखें फाड़े हुए संजीदा को पूरे जोश के साथ चुदवाते हुए देख रहा था। संजीदा अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर मोनू से चुदवा रही थी। मोनू को अब तक संजीदा की चुदाई करते हुए करीब पैंतालीस मिनट हो चुके थे। उसने संजीदा को चोदने के तुरंत पहले ही मुझे चोदा था इसलिए वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। दस मिनट तक चुदवाने के बाद संजीदा फिर से झड़ गयी।
मोनू अभी भी संजीदा को बुरी तरह से चोद रहा था और संजीदा एक दम मस्त हो कर मोनू से चुदवा रही थी। दस मिनट और चोदने के बाद मोनू रुक-रुक कर बहुत जोर-जोर के धक्के लगाने लगा तो मैं समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। संजीदा भी अपने चूत्तड़ बहुत तेजी के साथ ऊपर उठा रही थी। दो मिनट बाद ही मोनू संजीदा की चूत में झड़ने लगा तो संजीदा भी उसके साथ ही साथ फिर से झड़ गयी।
तमाम मनि संजीदा की चूत में निकाल देने के बाद मोनू संजीदा के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। संजीदा भी उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमने लगी। मैंने संजीदा से पूछा, “मज़ा आया?”
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संजीदा बोली, “हाँ आपा, बहुत मज़ा आया। मैं इसी मज़े के लिये शादी के बाद से ही तड़प रही थी!”
मैंने कहा, “अब तो तुम रशीद से खफ़ा नहीं रहोगी?”
वो बोली, “अगर रशीद मुझे मोनू से चुदवाने से मना नहीं करेगा तो मैं उससे कभी भी खफ़ा नहीं रहुँगी।”
वो दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते हुए लेटे रहे। दस मिनट बाद मोनू संजीदा के उपर से हट गया और उसकी बगल में ही लेट गया। मैंने देखा कि संजीदा की चूत का मुँह एक दम चौड़ा हो चुका था। उसकी चूत एक दम गुलाबी हो गयी थी और कई जगह से एक दम कट फट गयी थी। एक घंटे तक आराम करने के बाद संजीदा बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो उठ नहीं पा रही थी। मोनू उसे गोद में उठा कर बाथरूम ले जाने लगा तो मैंने देखा कि मोनू का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। मोनू संजीदा को लेकर बाथरूम में चला गया।
जब दस-पंद्रह मिनट तक मोनू वापस नहीं आया तो मैं रशीद के साथ बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि मोनू बाथरूम में ही संजीदा की डॉगी स्टाईल में बुरी तरह से चुदाई कर रहा था। संजीदा भी एक दम मस्त हो कर उससे चुदवा रही थी। मैंने मोनू से कहा, “तुम इसे बेडरूम में ला कर इसकी चुदाई करते तो क्या मैं तुम्हें मना कर देती?”
मोनू ने कहा, “ऐसी बात नहीं है। ये जब पेशाब कर चुकी तो मुझसे रहा नहीं गया। मैंने इनसे कहा कि मैं फिर से चोदना चाहता हूँ तो इन्होंने कहा कि यहीं चोद दो ना और मैंने इन्हें चोदना शुरू कर दिया!”
मैंने कहा, “ठीक है!”
उसके बाद मैं रशीद के साथ बेडरूम में आ गयी। करीब आधे घंटे के बाद मोनू संजीदा को गोद में उठा कर ले आया और उसे बेड पर लिटा दिया। संजीदा की चूत एक दम सूज चुकी थी। मैंने संजीदा से पूछा, “इस बार कैसा लगा?”
वो बोली, “इस बार चुदवाने में इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती। मोनू ने इतनी बुरी तरह से मेरी चुदाई की है कि मैं इसका धक्का बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। इस बार की चुदाई ने मेरे जिस्म का सारा जोड़ हिला कर रख दिया!”
मैंने कहा, “अब तो खुश हो?”
वो बोली, “हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ!”
अगले दो दिनों तक रशीद साईट पर अकेला ही गया। मैं संजीदा और मोनू के साथ घर पर रही ताकि संजीदा दिल भर्र कर मोनू से चुदवा सके। मोनू ने दो दिनो में सोलह मर्तबा संजीदा की चुदाई की। संजीदा की चूत का मुँह एक दम खुल चुका था। लेकिन उसे अब भी चलने फिरने में दिक्कत हो रही थी। उसकी चूत मोनू से चुदवा-चुदवा कर एक दम सूज गयी थी और किसी डबल-रोटी की तरह फूल चुकी थी। उन दो दिनों में मैंने मोनू से एक बार भी नहीं चुदवाया, केवल संजीदा ही चुदवाती रही। मैं भी चुदवाने का खूब मज़ा लेना चाहती थी।
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मेरे मन में ख्याल आया कि मुझे किसी दूसरे मर्द का इंतज़ाम कर लेना चाहिए। तभी हम दोनों चुदाई का खूब मज़ा ले पायेंगी। तीसरे दिन मैं रशीद के साथ दूसरी साईट पर गयी। वो साईट एक आदिवासी इलाके में थी। संजीदा और मोनू घर पर ही थे। मैंने उस साईट पर भी एक आदमी देखा। वो आदिवासी था और उसका रंग एक दम साँवला था लेकिन था बहुत ही हट्टा कट्टा। उसका लंड मुझे मोनू के लंड से भी मोटा और लंबा लगा। मैंने रशीद से उसे भी घर पर काम करने के लिये रखने को कहा। रशीद ने उससे बात की तो वो राज़ी हो गया। उसका नाम झबरू था। वो हमारे साथ घर आ गया।
जब उसे मालूम हुआ कि उसे मेरी और संजीदा की चुदाई करनी है तो उसने इनकार कर दिया। मैंने उस से वजह पूछी तो उसने कहा, “मेरा लंड बहुत ही लंबा और मोटा है। मैं एक घंटे के पहले नहीं झड़ पाता। मैं पहले भी दो लड़कियों को चोद चुका हूँ। एक बार की चुदाई में ही उनकी चूत बुरी तरह से फट गयी थी और उन्हें असपताल में भर्ती होना पड़ा। उसके बाद मैंने कसम खायी कि अब मैं किसी की चुदाई नहीं करूँगा!”
मैंने कहा, “ठीक है, तुम मोनू का लंड देख लो। हम दोनों ने बड़े आराम से इसके लंड से खूब चुदवाया है।”
मैंने मोनू से कहा, “तुम झबरू को अपना लंड दिखा दो!”
मोनू ने झबरू को अपना लंड दिखाया तो झबरू ने कहा, “इसका लंड तो मेरे लंड से बहुत पतला और छोटा है।”
मैंने झबरू से कहा, “जरा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारा लंड कैसा है?”
वो बोला, “हाँ, मैं अपना लंड जरूर दिखा सकता हूँ लेकिन मैं आप दोनों को चुदूँगा नहीं!”
झबरू ने अपना निक्कर उतार दिया। उसका लंड देख कर मैं घबरा गयी। उसका लंड वाकय में माशा अल्लाह काफ़ी लंबा और मोटा था। मैंने कहा, “अभी तुम्हारा लंड ढीला है। पहले इसे खड़ा करो। उसके बाद ही तुम्हारे लंड के सही साईज़ का पता चलेगा।”
उसने कहा, “इसे आप दोनों को ही खड़ा करना पड़ेगा!”
झबरू के लंड को देख कर संजीदा बहुत जोश में थी और वो उसके लंड को लालच भरी निगाहों से देख रही थी। मैंने संजीदा को इशारा किया तो उसने झबरू का लंड सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में झबरू का लंड खड़ा होने लगा। उसका लंड खड़ा होने के बाद किसी मूसल की तरह नज़र आ रहा था। झबरू का लंड करीब नौ इंच लंबा और तीन इंच चौड़ा था।
मैंने थोड़ा सोचते हुए कहा, “हम दोनों तुम्हारे लंड से चुदवाने के लिये तैयार हैं!”
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संजीदा ने तुरंत ही कहा, “आपा, मैं झबरू से नहीं चुदवाऊँगी। बस तुम ही चुदवा लो!”
मैंने पूछा, “क्यों, क्या हुआ?”
वो बोली, “मैं इसका लंड अपनी चूत के अंदर नहीं ले पाऊँगी। मेरी चूत का पहले से ही बहुत बुरा हाल है। मेरी चूत एक दम फट जायेगी।”
मैंने कहा, “मज़ा नहीं लेना है?”
वो बोली, “मज़ा तो मैं भी लेना चाहती हूँ। लेकिन मुझे झबरू के लंड को देख कर बहुत डर लग रहा है!”
मैंने कहा, “जब मैं चुदवा लुँगी तब तो तुम्हारा डर खतम हो जायेगा!”
वो बोली, “पहले तुम चुदवा लो। मैं बाद में सोचुँगी।”
मैंने झबरू से कहा, “पहले तुम मुझे चोद दो। संजीदा बाद में चुदवायेगी!”
झबरू भी लंड खड़ा होने के बाद जोश में आ चुका था। उसने मुझसे कहा, “आप सोच लो। मुझसे चुदवाने में अगर आपकी चूत फट गयी तो बाद में मुझे दोष मत देना।”
मैंने कहा, “मैं तुम्हें कुछ भी नहीं कहुँगी।” फिर मैंने रशीद से कहा, “रशीद मुझे एक ग्लास में व्हिस्की भर के दे दो... नशे में मैं इसका लंड मज़े से झेल लुँगी!”
रशीद ने जल्दी से एक ग्लास में तीन पैग जितनी व्हिस्की डाल कर मुझे दे दी और मैंने जल्दी-जल्दी गटकने लगी। मुझे गले और पेट में जलन तो हुई पर मैं जल्दी से नशे में मदहोश होना चाहती थी।
झबरू बोला, “आपकी मर्ज़ी है लेकिन पहले मुझे कोई क्रीम या तेल दे दो। मैं अपने लंड पर लगा लूँ। उसके बाद मैं आपकी चुदाई करूँगा।”
मुझ पर व्हिस्की का नशा छाने लगा था और मैं मस्ती में आ गयी थी। मैंने रशीद को इशारा किया तो उसने एक क्रीम झबरू को दे दी। झबरू ने ढेर सारी क्रीम अपने लंड पर लगा ली। उसके बाद मैंने भी आननफ़ानन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और ऊँची हील के सैंडल के अलावा बिल्कुल मादरजात नंगी हो गयी।। जब मैं एक दम नंगी हो गयी तो उसने मेरे चूत्तड़ बेड के किनारे पर रख कर मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच ज़मीन पर खड़ा हो गया। उसके बाद उसने दो तकिये मेरे चूत्तड़ों के नीचे रख दिये। मेरी चूत अब उसके लंड की सीध में हो गयी।
उसने मुझे कहा, “एक बार फिर से सोच लो!”
मैंने कहा, “अब सोचना क्या है। अब तुम मेरी इस तरह से चुदाई करो कि मुझे ज्यादा तकलीफ़ ना हो।”
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उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के बीच रखा और अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत के अंदर दबाने लगा। अभी उसका लंड दो इंच भी अंदर नहीं घुस पाया था कि मुझे दर्द होने लगा। मैंने अपने होठों को जोर से जकड़ लिया। वो बहुत धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर घुसाता रहा। मुझे लग रहा था कि मेरी चूत फट जायेगी। धीरे-धीरे उसका लंड मेरी चूत में चार इंच तक घुस गया तो मेरी हिम्मत जवाब दे गयी। मेरे मुँह से जोरदार चींख निकली।
उसने कहा, “घबराओ मत। थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो। अभी चार-पाँच मिनट में मैं धीरे-धीरे अपना पूरा का पूरा लंड आपकी चूत में घुसा दुँगा और आपको ज्यादा तकलीफ़ भी नहीं होगी!”
मैं चुप हो गयी। उसने और ज्यादा लंड घुसाने की कोशिश नहीं की और धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा। थोड़ी देर तक मैं चींखती रही लेकिन बाद में जब मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो मैं चुप हो गयी। वो मुझे धीरे-धीरे चोदता रहा।
पाँच मिनट बाद मैं झड़ गयी तो उसने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी। अब वो हर आठ-दस धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा सा तेज लगा कर मेरी चुदाई करने लगा। जब वो थोड़ा तेज धक्का लगा देता तो दर्द के मारे मुँह से हल्की सी चींख निकल जाती लेकिन मैं इतने ज्यादा जोश और नशे में थी कि मुझे उस दर्द का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था। इसी तरह वो मेरी चुदाई करता रहा। करीब दस मिनट और चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी। मैंने झबरू से पूछा, “अब तक तुम्हारा लंड मेरी चूत में कितना घुस चुका है?”
वो बोला, “करीब सात इंच घुस चुका है और अभी तीन इंच बाकी है। आप घबराओ मत... मैं धीरे धीरे अपना बाकी का लंड भी आपकी चूत में घुसा दुँगा।”
वो उसी स्टाईल में मेरी चुदाई करता रहा। संजीदा बैठ कर व्हिस्की के पैग की चुस्कियाँ लेती हुई आँखें फाड़े उसके लंड को मेरी चूत के अंदर घुसता हुआ देखती रही। झबरू अभी मुझे तेजी के साथ नहीं चोद रहा था। उसके हर धक्के के साथ दर्द के मारे मेरे मुँह से आह की आवाज़ निकल रही थी। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। मेरे मुँह से अब बहुत जोर-जोर की चींखें निकलने लगीं। मैंने झबरू से कहा, “थोड़ा धीरे-धीरे चोदो, दर्द हो रहा है!”
वो बोला, “अब मैं अपनी रफ़्तार धीरे-धीरे बढ़ाता रहूँगा क्योंकि अब आप मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत के अंदर ले चुकी हो!”
मैंने चौंक कर कहा, “क्या?”
वो बोला, “मैं सही कह रहा हूँ। आप इन मेमसाब से पूछ लो!”
मैंने संजीदा की तरफ़ देखा तो संजीदा ने कहा, “आपा, ये ठीक कह रहा है। इसका पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत के अंदर घुस चुका है। झबरू ने इतनी अच्छी तरह से अपना पूरा का पूरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा दिया है कि मैं भी अब इससे चुदवाने के लिये तैयार हूँ!”
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झबरू की रफ़्तार अब धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही थी। मुझे अभी भी दर्द हो रहा था। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरा दर्द एक दम कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा। मैंने धीरे-धीरे अपने चूत्तड़ उठा-उठा कर झबरू का साथ देना शुरू कर दिया तो उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी। दो मिनट के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो झबरू ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी। अब वो मुझे बहुत तेजी के साथ चोद रहा था। मैं भी एक दम मस्त हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के लिये अभी भी बहुत ही ज्यादा बड़ा था। जब वो अपना लंड बाहर खींचता तो मुझे लगता कि मेरी चूत उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। धीरे-धीरे झबरू की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी। अब वो मुझे एक दम पागलों की तरह से चोदने लगा था।
अब तक मुझे चुदवाते हुए करीब चालीस मिनट हो चुके थे। मेरी चूत ने झबरू के लंड को रास्ता दे दिया था और मुझे अब ज्यादा मज़ा आने लगा था। वो मुझे चोदता रहा और मैं एक दम मस्त हो कर चुदवाती रही। करीब एक घंटे की चुदाई के बाद झबरू झड़ गया और मैं भी उसके साथ ही साथ एक बार फिर से झड़ गयी। मैं इस चुदाई के दौरान चार बार झड़ चुकी थी। झबरू ने अपनी तमाम मनि मेरी चूत में निकालने के बाद अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे लगा कि मेरी चूत भी उसके लंड के साथ ही बाहर निकल जायेगी। उसने अपना लंड मेरे मुँह के पास कर दिया तो संजीदा बोली, “आपा, तुम रहने दो! इसका लंड मैं चाट कर साफ़ करूँगी!”
संजीदा ने अपना पैग खतम किया और झबरू के लंड को चाट-चाट कर साफ़ करना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू बेड पर लेट गया और आराम करने लगा। अब वो एक दम मुतमाइन नज़र आ रहा था। तीस मिनट के बाद संजीदा ने झबरू से कहा, “मुझे भी चोद दो!”
संजीदा भी काफी ज्यादा पी चुकी थी और नशे में झूम रही थी।
झबरू बोला, “अभी थोड़ी देर मुझे और आराम कर लेने दो, उसके बाद मैं आपको भी चोद दुँगा। जब मैं आपकी चुदाई करूँगा तो आपको ज्यादा तकलीफ़ होगी।”
संजीदा ने पूछा, “क्यों?”
झबरू ने कहा, “आपने अभी तक मोनू से ज्यादा से ज्यादा बीस बार चुदवाया होगा। अभी आपकी चूत अमीना मेमसाब की चूत से बहुत ज्यादा तंग होगी।”
संजीदा बोली, “कुछ भी हो, मैं तो बस तुम्हारा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हूँ।”
झबरू बोला, “ठीक है.. थोड़ी देर के बाद मैं आपको चोदुँगा।”
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संजीदा तो नशे में मस्त थी और उसकी चूत दहक रही थी। उसने अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ अपने सैंडल पहने ही मेरे पास आ कर बैठ गयी और मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैं थोड़ी देर उसकी चूत सहलाती रही पर मेरी अँगुलियों से उसकी चूत को कहाँ राहत मिलती। कुछ देर बाद झबरू ने संजीदा से अपना लंड चूसने को कहा तो संजीदा झबरू का लंड चूसने लगी।
जब उसका लंड खड़ा हो गया तो उसने संजीदा की चुदाई शुरू की। उसने मुझे जिस तरह आरम से चोदा था, ठीक उसी तरह संजीदा को भी चोद रहा था। लेकिन संजीदा की चूत अभी भी बहुत ज्यादा तंग थी। वो बहुत चिल्लायी और उसे दर्द भी बहुत हुआ लेकिन आखिर में झबरू ने अपना पूरा का पूरा लंड संजीदा की चूत में डाल ही दिया। संजीदा की चूत में झबरू को अपना लंड आरम से घुसाने में करीब बीस मिनट लगे और फिर उसके बाद उसने बहुत ही बुरी तरह से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी और उसे करीब सवा घंटे तक चोदा। संजीदा उससे चुदवाने में तीन बार झड़ गयी थी। झबरू से चुदवाने के बाद संजीदा की चूत में इतना ज्यादा दर्द हो रहा था कि वो बिल्कुल भी हिलडुल नहीं पा रही थी।
झबरू ने कहा, “मैं अभी एक बार आपकी चुदाई और करूँगा... उसके बाद तुम हिलडुल सकोगी और चल भी सकोगी।”
संजीदा ने झबरू से चुदवाने से मना कर दिया लेकिन झबरू माना नहीं। करीब तीस मिनट के बाद झबरू ने फिर से संजीदा की चुदाई शुरू कर दी। इस बार उसने संजीदा को एक दम पागलों की तरह बहुत ही बुरी तरह से चोदा। इस बार पूरी चुदाई के दौरान संजीदा जोर-जोर से चींखती ही रही। करीब तीस मिनट चोदने के बाद झबरू ने संजीदा को ज़मीन पर खड़ा कर दिया और खड़े-खड़े ही उसकी चुदाई की। थोड़ी देर खड़े हो कर चोदने के बाद झबरू ने उसे डॉगी स्टाईल में चोदना शुरू कर दिया। उसके बाद झबरू ने संजीदा को कईं स्टाईल में बुरी तरह चोदा और उसकी चूत में ही झड़ गया।
संजीदा बहुत तड़पी लेकिन झबरू ने उसकी एक ना सुनी। झड़ जाने के बाद जब झबरू ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल तो संजीदा की चूत कईं जगह से कट-फट गयी थी और बुरी तरह से सूज भी चुकी थी।
झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मैंने आपकी चूत को एक दम चौड़ा कर दिया है। अब आप मुझे चल कर दिखाओ!”
संजीदा ने चलने की कोशिश की लेकिन वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। झबरू ने कहा, “अभी थोड़ी देर बाद मैं फिर से आपकी चुदाई करूँगा। उसके बाद आप चलने फिरने लगोगी।”
संजीदा बोली, “अब मैं तुमसे नहीं चुदवाऊँगी। तुमने मेरी चूत की हालत खराब कर दी है।”
लेकिन झबरू माना नहीं। एक घंटे के बाद झबरू ने फिर से संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया। वो मना करती रही लेकिन झबरू माना नहीं। उसने इस बार भी संजीदा को बहुत ही बुरी तरह से करीब डेढ़ घंटे तक चोदा।
उसके बाद झबरू ने संजीदा से कहा, “अब मुझे फिर से चल कर दिखाओ”, तो संजीदा डर के मारे ठीक से चलने को कोशिश करने लगी।
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