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मैंने बड़े प्यार से सोनिया का चेहरा उठा कर पूछा, “कैसा लगा अपने छोटे भाई का लंड और चूसाई? मज़ा आया कि नहीं?”
वोह शरमाते हुए बोली, “सुनील तुम बड़े बदमाश हो, पर सच में इतना आनंद तो मैंने आज तक महसूस ही नहीं किया। संजीदा और बाकी सहेलियाँ भी जब चूसती थीं और अपना बदन घिसती थीं तब भी इतना मज़ा नहीं आता था। सुनील मैं तो अब रोज़ चूसूँगी और अपनी तुमसे चुसवाऊँगी!”
मैंने भी अंजान बनते हुए कहा, “क्या सोनिया दीदी?”
तो वो बोली, “धत्त सुनील! तुम्हारा लंड और अपनी चूत!”
सोनिया मेरे आगोश में लेट कर बड़े ही प्यार से मेरे लंड से खेल रही थी जो अब फिर से खड़ा हो गया था। सोनिया बोली, “सुनील तुम मेरी चूत में नहीं डालोगे क्या...? मेरी बहुत इच्छा हो रही है कि लेकर तो देखूँ कैसा लगता है। साली कुत्तिया संजीदा अपनी चूत के पपौटे दिखा-दिखा कर बहुत चिढ़ाती थी औ कहती थी कि देखो चुदा कर मेरी चूत तुम सबसे सुंदर है। अब मैं भी उसे चिढ़ाऊँगी कि देख साली रन्डी... तू तो सिर्फ पाँच-छः इंच वाले से चूदाती है। मैं तो अपने कज़न सुनील का साढ़े-आठ इंच का लंड लेती हूँ अपनी चूत में।” फिर बोली, “सुनील तुमने किसी को चोदा है पहले?”
तब मैंने उसे सच-सच बताना ठीक समझा और बोला, “सोनिया दीदी! मैं मन ही मन में आपको और आपकी मम्मी से बहुत प्यार करता हूँ और रात को आप दोनो के ख्वाब देख कर मुठ मारा करता था...” और फिर मैंने उसे पूरी कहानी बता दी।
सोनिया बड़े आश्चर्य के साथ बोली, “क्या??? सुनील तुम मम्मी को चोदते हो? मैं नहीं मानती।”
तब मैंने कहा, “चलो ठीक है, कल जब आपकी मम्मी घर पर आयेंगी और मुझे जब अंदर बूलायेंगी तब आप बालकोनी से देखना... आपकी मम्मी कितने प्यार से मुझसे चुदवाती है। हमने तो प्लैन भी बनाया है कि आपकी मम्मी आपके साथ मेरी चुदाई करवायेंगी।”
सोनिया इतना सब सुन कर थोड़ी सी गरम हो गयी थी और अपनी चूत उसने मेरी टाँगों पर घिसनी चालू कर दी थी। मैंने कहा, “सोनिया दीदी! मैं आपको बड़े प्यार से चाची के प्लैन वाले दिन ही भोगना चाहता हूँ। इस लिये आज सिर्फ एक दूसरे की चूसाई करेंगे...” और इतना कह कर फिर से हम लोग ६९ के आसन में हो कर एक दूसरे को चूसने लगे। उस रात हम दोनों एक ही कमरे में एक दूसरे को बाहों में भर कर सोये। अगली सुबह मुझे मीना चाची को लेने जाना था तो मैं सोती हुई नंगी सोनिया को प्यारी से पप्पी दे कर मीना चाची को लाने के लिये एयरपोर्ट चला गया।
कार में बैठते ही मीना चाची ने मुझे किस करा और बोली, “सुनील मैं तो बूरी तरह से मचल रही हूँ चुदाई के लिये। सोनिया जब तक सो कर उठेगी तब तक तू मेरी जम कर चुदाई कर दे।”
मैंने कहा, “मीना डार्लिंग! मैं भी तो तड़प रहा हूँ तुम्हें चोदने के लिये और तुम अब सोनिया की चिंता छोड़ दो!” और मैंने मीना चाची को सारी कहानी बता दी।
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मीना चाची ने आगे बढ़ कर मुझे किस कर लिया और बोली, “मैं तो सोनिया के साथ तेरी चुदाई कल करवाऊँगी। आज तो तू दिन भर सिर्फ मुझे चोद कस कर। मेरा तो पूरा बदन तरस रहा है तेरे हाथों से मसलवाने के लिये।”
हम जब घर पहुँचे तो सोनिया उठ गयी थी। थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद मीना चाची बोलीं, “सोनिया देख मैं सुनील के साथ सोने जा रही हूँ, तो कोई भी फोन या कोई घर पर आये तो उसे मना कर देना और मुझे डिस्टर्ब मत करना।”
सोनिया मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और समझ गयी कि उसकी मम्मी कमरे में जा कर मुझसे चुदवायेंगी। मीना चाची ने उसे देख लिया और बोली “सोनिया बेटा! मुझे सुनील ने सब बता दिया है। तू घबरा मत... कल मैं तुझे ज़िंदगी का वो सुख दिलवाऊँगी जिसकी तूने कल्पना भी नहीं करी होगी।”
इतना बोल कर मीना चाची ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मैंने उनको। फिर हम दोनों कमरे में घुस गये और घुसते ही एक दूसरे पर ऐसे टूट पड़े जैसे कितने दिनों के भूखे हों। मैं मीना चाची को अपनी बाहों में भर कर बुरी तरह से मसलते हुए चूस रहा था और मीना चाची मेरी पैंट खोल रही थी। मैंने देखा कि सोनिया बालकोनी में खड़ी हो कर हम दोनों को देख रही थी। इस ख्याल से कि सोनिया अपनी मम्मी को मुझ से चुदाते हुए देखेगी, मेरा लंड कुछ ज्यादा ही अकड़ गया और मैंने मीना चाची के कँधे दबा कर उन्हें वहीं बिस्तर पर बिठा दिया और सिर को पकड़ कर अपना लंड मीना चाची के मुँह में उतार दिया और सोनिया को देखते हुए मीना चाची का मुँह चोदने लगा और अपना पूरा लंड उनके मुँह में फँसा कर झड़ गया।
फिर मैंने मीना चाची कि साड़ी, ब्लाऊज़, पेटीकोट उतारे और सोनिया को दिखाते हुए उनकी चूचियाँ ब्रा के ऊपर से पहले खूब मसलीं और बाद में उनकी ब्रा उतार के उनके दोनों निप्पल अपनी उँगलियों के बीच में मसले। मीना चाची तो सितकार उठी और बोली, “मादरचोद इतना क्यों भड़का रहा है मेरी चूत की आग? पहले से ही चूत में आग भड़की हुई है।”
मैंने मीना चाची को खड़ी कर के उनके चूत्तड़ बालकोनी की तरफ कर दिये ताकि सोनिया आराम से देख सके। मीना चाची के हाई हील सैण्डलों में कसे पैर जमीन पर थे और मैंने उन्हें चूचियों के सहारे बिस्तर पर टिका दिया जिससे उनकी चूत और गाँड के छेद खुल कर सामने आ गये। मैंने सोनिया की तरफ़ देखते हुए मीना चाची की चूत और गाँड के छेद पर उँगली फेरनी चालू कर दी और एक हाथ से अपना लंड सहलाने लगा। उसके बाद मैने झुक कर मीना चाची के सैण्डलों में कसे पैर चाटने लगा और फिर धीरे-धीरे उनकी टाँगों और जाँघों को चाटते हुए ऊपर बढ़ा और फिर उनकी उभरी हुई चूत को अपनी जीभ से चटना शुरू कर दिया जिससे मीना चाची की सितकारियाँ निकलनी चलू हो गयी और वोह अपनी गाँड के धक्के मेरे मुँह पर देने लगी।
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मीना चाची की चूत अपने मुँह में झड़वाने के बाद मैंने खड़े-खड़े ही अपना लंड सोनिया को दिखाते हुए मीना चाची की चूत पर रखा और झुक कर उनकी मदमस्त लटकती हुई चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए जोर से धक्का मारा जिससे मेरा पूरा लंड मीना चाची की चूत में समा गया। मीना चाची इस पोज़ में अपने चूत्तड़ मटकाती हुई मेरा लंड ले रही थी और मैं भी पूरे जोश में उनकी चूत चोद रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकाल कर मीना चाची की टाँगें फैला कर बिस्तर पर लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर दना-दन चोदने लगा। करीब आधा घँटा चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़े और मीना चाची ने अपनी जाँघें बंद करके मेरा लंड अपनी चूत में ही रहने दिया और बोली, “डार्लिंग! ऐसे ही मेरे ऊपर सो जा ताकि जब तेरा दोबारा खड़ा हो तो बिना वक्त गंवाये मुझे चोदना चलू कर देना। मेरी चूत को इतनी ठंडक मिली है कि मैं तो एक सिगरेट पी कर सोऊँगी।”
मैं तो मस्ती में था और मीना चाची कि गुदाज़ चूचियों पर लेट कर सुस्ताने लगा। दिन भर हम दोनों ने जी भर के एक दूसरे के साथ चुदाई की और अपने बदन की हवस को पूरा शाँत की।
शाम को मीना चाची बिस्तर पर सिर्फ हाई हील वाले काले और चमचमाते सैण्डल पहने, नंगी पसरे हुए ड्रिंक पी रही थीं और मैं अपने होंठ और जीभ उनके सैण्डलों और पैरों पर फिरा रहा था। मुझे उनके सैण्डलों और पैरों की महक और टेस्ट बहुत अच्छा और उत्तेजक लग रहा था, जिसकी वजह से मेरा लौड़ा तन कर सीधा खड़ा था। मीना चाची बोली, “डार्लिंग अब और चूदाई नहीं करेंगे ताकि तेरा लंड कल सोनिया की चूत के लिये एकदम तैयार और बे-करार रहे। मैं चाहती हूँ कि जब उसे तेरा लंड मिले तो एक दम ताज़ा और मस्त मिले। कल दिन में सोनिया के साथ अपना हनीमून मना लेना।”
मैंने उनकी सैण्डल चाटते हुए कहा, “मीना चाची! दिदी मेरे लिये एकदम तैयार कर देना और हनीमून मैं उनके साथ मॉडर्न ड्रैस में मनाऊँगा।”
मीना चाची बोली, “तू चिंता मत कर! मैं उसे कल सुबह बाज़ार से सैक्सी काली ब्रा-पैंटी, मॉडर्न ड्रैस और सैक्सी हाई हील सैंडल दिला कर लाऊँगी जिसे देख कर तेरा लंड और तन जाये। मैं उसे बिलकुल मॉडर्न तरह से तैयार करूँगी और ध्यान रहे कल बारह-एक बजे तक तू घर पर मत रहना। मैं अपनी बेटी को बड़े प्यार से तैयार करना चाहती हूँ ताकि उसे अपनी पहली चूदाई हमेशा याद रहे!”
मैंने कहा, “पर अभी अपने इस तने हुए लंड का क्या करूँ?”
मीना चाची बोलीं, “तुझे मेरे सैंडल पहने हुए पैर बहुत सैक्सी लगते हैं ना! तो तू अभी अपना लंड इन्हीं पर घिस कर क्यों नहीं ठंडा कर लेता। सच, तुझे मेरे हाई हील सैंडल पहने पैरों को चोदने में जरूर मज़ा आयेगा।”
मीना चाची का यह आईडिया सुन कर मेरा लंड और भी अकड़ गया। मैंने झट से उनके सैंडल पहने पैरों को अपने दोनों हाथों में लिया और अपना लंड दोनों सैंडलों के बीच में आगे-पीछे करने लगा। सैंडल के तलुवों और लैदर का फील बहुत मस्त लग रहा था और चार-पाँच मिनट में ही मेरी पिचकारी मीना चाची के सैंडल, पैरों और टखनों पर छूट गयी। उसके बाद मीना चाची को नंगा बिस्तर पर छोड़ के बाहर आ गया और सीधा सोनिया के कमरे में गया। सोनिया सिगरेट पीते हुए पूरी नंगी हो कर अपनी चूत के दाने को घिस रही थी और मस्ती में अपने चूत्तड़ ऊपर नीचे उछाल रही थी। मुझे आया देख कर शरमा गयी और बोली, “सुनील ये क्या... तुम बिना नॉक करे ही आ गये।”
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मैंने प्यार से उसका किस लिया और बोला, “मेरी प्यारी दीदी! बस आज-आज मुठ मार लो, कल के बाद तो आपकी जब भी इच्छा होगी, मैं आपको खूब चोदूँगा। बताओ आपको कैसा लगा अपनी मम्मी की चूदाई देख कर?”
सोनिया बोली, “सुनील! मम्मी बहुत ही सैक्सी दिखती है नंगी हो कर। मैंने तो मम्मी के साथ तुम्हें नंगा देख कर ही अपनी जाँघें कस ली थीं और जब तुम मम्मी के चूत्तड़ फैला कर उनकी चूत चाट रहे थे, मैंने अपना एक हाथ अपनी पैंटी में डाल कर अपने दाने को खुब घिसा था। सुनील बताओ ना! मम्मी मेरी तुम्हारे साथ चुदाई कब करवायेंगी।”
मैं बोला, “बस मेरी डार्लिंग दीदी! कल के लिये आप तैयार हो जाओ। कल आपको कच्ची कली से पूरा फूल बना दूँगा। फ़िलहाल अभी थोड़ा मेरे लंड को चूसते हुए अपनी मुठ मारो। देखो कितना मज़ा आयेगा।”
सोनिया ने लपक के मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और अपनी चूत घिसते हुए सका-सक मेरा लौड़ा चूसने लगी और पँद्रह-बीस मिनट बाद तबियत से चूसते हुए अपनी चूत का और मेरे लंड का पानी निकाला। मैंने भी झुक के उसकी चूत का पानी अपनी जीभ से चाट-चाट कर पीया। मीना चाची नहा-धो कर सिर्फ़ पैंटी-ब्रा और सैण्डलों में ही अपने रूम से निकली और अपने मोटे-मोटे चूत्तड़ मेरी गोदी में रख कर बैठ गयी और हम तीनों ने एक साथ ड्रिंक की और स्मोक किया। मीना चाची उसके बाद उठीं और सोफ़े पर बैठ कर सोनिया को अपनी गोद में बिठाया और बोली, “मॉय डीयर! तू तैयार है ना औरत बनने के लिये?”
सोनिया ने शरमा कर अपना मुँह मीना चाची की ब्रा में कैद उन्नत चूचियों में छुपा लिया। मीना चाची ने उसका सिर उठा कर कहा, “सोनिया तू बड़ी किस्मत वाली है जो तुझे घर बैठे इतना तगड़ा मर्द और मस्त लंड मिलेगा। मैं नहीं चाहती कि तू भी मेरी तरह चुदाई के लिये तड़पे। तेरे पापा मुझे एक दम ठंडा नहीं कर पाते हैं, जिससे मेरा दिमाग खराब रहता था। पर अब मुझे सुनील का लंड मिल गया है जो मुझे पोर-पोर तक चुदाई का सुख देता है। मेरी इच्छा यही है सोनिया बेटी कि तू भी भरपूर चुदाई का मज़ा ले ले शादी से पहले। पता नहीं शादी के बाद ये सुख तुझे मिले ना मिले।”
उसके बाद हमने खाना खाया और अपने-अपने कमरे में चले गये। अगले दिन मैं सुबह नहा-धो कर बाहर चला गया ऐसे ही घूमने के लिये और करीब साढ़े बारह बजे वापस आया। मीना चाची ने मुझे पहले तो बाहों में लेकर किस करा और बोली, “तेरी रानी अंदर बैठी है सज-सँवर के। जा पहले तू नहा-धो ले और फ़्रैश हो जा। अब कल सुबह तक तुझे उसकी जम कर चुदाई करनी है। मैं सब कुछ रूम में ही पहूँचा दूँगी।”
मैं भी बेसब्री के साथ नहा-धो कर तैयार हुआ और सिर्फ़ अपनी सबसे सैक्सी दिखने वाली अंडरवियर पहनी और मीना चाची का चुम्बन लेकर कमरे में घुस गया। मज़ा आ गया था। अंदर मीना चाची ने पूरा डिस्को बनाया हुआ था और सोनिया को बहुत ही सैक्सी टॉप-स्कर्ट में तैयार करा हुआ था। सोनिया की टॉप के उपर के चार बटन खोल कर नीचे से गाँठ बन्धी हुई थी और गज़ब का मेक-अप करा हुआ था। सोनिया भी हाई हील्स पहन कर एक डाँस पर अपने चूत्तड़ थिरकाते हुए नाच रही थी। मैंने चुपचाप पीछे से जा कर उसकी मचलती हुई चूचियों को पकड़ लिया और सोनिया को हवा में घूमा दिया। फिर सीधा कर के हमने एक दूसरे को बाहों में कस लिया और तड़ातड़ एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे। मीना चाची ने सही कहा था। वाकय में सोनिया बहुत ही सैक्सी लग रही थी और अगर वोह ऐसे रूप में कहीं सड़क पर चली जाती तो जरूर उसकी चूत का आज भोंसड़ा बन जाता।
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सोनिया ने झूक कर ड्रिंक बनाना चालू किया तो मैंने भी पीछे से उसकी स्कर्ट नीचे खिस्का दी और झुक कर कुत्ते कि तरह उसके चूत्तड़ों में अपना मुँह लगा दिया और चाटने लगा। मीना चाची ने सोनिया को काले रंग की नेट की बहुत ही टाईट रेशमी पैंटी पहनायी थी जिससे वो उसकी गाँड की दरार में घुस गयी थी और उसके गोरे फूले हुए छोटे-छोटे मस्त चूत्तड़ों को और मादक बना रही थी। क्या महक आ रही थी उसके पिछवाड़े से। मैं तो मस्ती के आलम में आ गया था।
सोनिया ने मुझे एक ड्रिंक दी और अपने लिये एक सिगरेट जलाई और मेरी गर्दन में अपनी बाहें डाल कर बोली, “सुनील... सुनील... आज जी भर के अपनी चचेरी बहन को चोद लो!” और मुझे बिस्तर पर बिठाकर मेरी अंडरवियर में तन्नाए हुए लंड पर अपने चूत्तड़ घिसते हुए बैठ कर ड्रिंक और स्मोक करने लगी। मैंने उसकी टॉप के बटन और बंधी हुई गाँठ को खोला और उसकी स्टॉप उतार दी। मीना चाची ने सोनिया को क्या मस्त काले रंग की रेशमी ब्रा पहनायी थी। एकदम पतले स्ट्रैप थे और ब्रा के कप सिर्फ़ उसके आधे निप्पल और नीचे की गोलाइयाँ छुपाये हुए थे। रेशमी नेट के अंदर से उसकी दूधिया चूचियों की बड़ी साफ झलक मिल रही थी। मैंने उसे खड़ा होने को कहा और कुर्सी पर टाँगें फैला कर बैठ गया और सोनिया को बोला कि वो अपनी टाँगें मेरी टाँगों के दोनों तरफ करके अपनी पैंटी में कसी हुई बूर मेरे लंड पर रखे और आराम से बैठ कर ड्रिंक करे। तब तक मैं उसकी कसी हुई मस्त जवानी जम कर चूसना और दबाना चाहता था।
सोनिया बड़े ही कायदे से मेरे लंड के उठान पर बैठ गयी और बहुत हल्के-हल्के ढँग से अपनी पैंटी मेरे लंड से उठी हुई मेरी अंडरवियर पर घिसते हुए मेरी गर्दन में बाहें डाल कर ड्रिंक और स्मोक करते हुए बोली, “सुनील डार्लिंग मसल डालो मेरी इन जवानियों को। देखो तो सही कैसे तन कर खड़ी है तुमसे चुसाने के लिये। मेरे मस्ताने सेबों का मज़ा ले लो मेरी जान।”
मैं भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी ब्रा के हूक खोल दिये और बड़े प्यार से उसकी चूचियाँ नंगी करी। उसकी बत्तीस साइज़ की कसी हुई मस्तियाँ मेरे सामने तन कर खड़ी हुई थीं और मैंने भी बिना वक्त गँवाये दोनों चूचियों पर अपना मुँह मारना शूरू कर दिया। मैं बहुत ही बेसब्रा हो कर उसकी चूचियाँ मसल और चूस रहा था जिससे उसको थोड़ा सा दर्द हो रहा था। पर फिर भी मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाते हुए कह रही थी, “डार्लिंग आराम से मज़ा लो, इतने उतावले क्यों हो रहे हो। आज तो हमारा हनीमून है। कहीं भागी थोड़ी जा रही हूँ। जम के चूसवाऊँगी और मसलवाऊँगी। इनको इतना मसलो कि कॉलेज में मेरी चूचियाँ सबसे बड़ी हो जायें।”
करीब आधा घँटा इस चूसाई के बाद मैंने कहा, “सोनिया दीदी! अब तो आप तैयार हो जाओ औरत बनने के लिये।”
मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और फूलों से सजे पलंग पर लिटा दिया। लाल गुलाब से सजे पलंग पर काले रंग की पैंटी से ढका सोनिया का गोरा बदन ऐसा लग रहा था जैसे कोई अपसरा अपने कपड़े उतार के सो रही हो और काला भँवरा उसकी ताज़ी चूत का रस चूस रहा हो। मैं करीब पाँच मिनट तक सोनिया के नंगे बदन की शराब अपनी आँखों से पीता रहा, और फिर बिस्तर पर चढ़ कर मैंने सोनिया की कमर चूसनी चालू करी और चूसते हुए अपना मुँह उसकी पैंटी पर लाया और पैंटी का इलास्टिक अपने दाँतों में दबा कर अपने मुँह से उसकी पैंटी उतारने लगा। सोनिया ने भी अपने चूत्तड़ हवा में उठा दिये थे ताकि पैंटी उतारने में परेशानी ना हो। पर मीना चाची ने इतनी टाइट पैंटी पहनाई थी कि मुझे अपने हाथ भी लगाने हे पड़े उतारने में। दोस्तों! पैंटी उतार के जो नज़ारा मेरे सामने था, मैं आपको बता नहीं सकता।
मीना चाची ने बड़े ही प्यार से सोनिया की चूत के बाल साफ़ करे थे। सोनिया चूत चुदने के लिये इतनी बेकरार थी कि चूत के लिप्स गीले थे। सोनिया बोली, “डार्लिंग! मम्मी ने मेरी पूसी क्रीम से साफ करी है और मुझे बोला है कि मैं कभी भी अपनी पूसी शेव नहीं करूँ नहीं तो खराब हो जायेगी।”
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मेरा लंड तो सोनिया की चिकनी नंगी मस्ताई हुई, चुदने के लिये तैयार चूत को देख कर ही मेरी अंडरवियर को फाड़ कर बाहर आने के लिये बेकरार था और उछल-कूद मचा रहा था। मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी अंडरवियर उतार दी और अपना मुँह मेरे सामने लेटी हुई नशे की बोतल के खज़ाने के मुँह पर लगा दिया। सोनिया तो मस्त हो गयी और मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं भी चाहता था कि सोनिया थोड़ा पानी छोद दे ताकि उसकी ताज़ी कुँवारी चूत थोड़ी चिकनी हो जाये और तकलीफ कम हो। मैंने उसकी चूत का दाना चूसते हुए अपनी जीभ से उसकी चुदाई चालू कर दी और करीब पाँच मिनट बाद ही सोनिया ने मेरा सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और कस कर अपनी पूरी ताकत से मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा लिया और जोश में काँपते हुए चूत्तड़ों के धक्के देती हुई मेरे मुँह में अपना रस देने लगी। मैंने भी मन से उसकी जवान चूत चूसी और चूत के लाल होंठों को अपने होंठों से चूसा।
फिर मैं घूटने के बल सोनिया के सामने बैठ गया और बूरी तरह अकड़ा हुआ अपना लंड उसके सामने कर दिया और सोनिया की गर्दन में हाथ डाल कर उसका मुँह अपने लंड के पास लाया और बोला, “मेरी प्यारी सोनिया दीदी, मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर अपनी चूत बजाने के लिये तो इनवाइट करो।”
सोनिया ने तपाक से अपना मुँह खोला और मेरा सुपाड़ा अपने होंठों के बीच ले लिया और जीभ फेरने लगी। मेरे लंड पर सोनिया के जीभ फेरने ने वो काम किया जो आग में घी करता है। मुझसे रहा नहीं गया और दोनों हाथों से सोनिया का सर पकड़ कर उसके मुँह में ही मैंने आठ-दस शॉट लगा दिये। लौड़े का तो मारे गुस्से के बूरा हाल था। एक तो उसे कल से चूत नहीं मिली थी और दूसरा उसके सामने ऐसी मलाईदार चूत थी और मैं चूतिया की तरह उसकी भूख मिटाने की बजाये चुम्मा चाटी कर रहा था।
अपना लंड सोनिया के मुँह से बाहर निकाल कर के मैं बिस्तर पर से उतरा और मीना चाची ने पहले से ही इम्पोर्टेड बड़ी ही खुशबू वाली चिकनाहट की क्रीम मेज पर रखी हुई थी। मैंने उसे उठा कर थोड़ी ज्यादा ले कर सोनिया की चूत पर और चूत के अंदर की दीवारों पर लगा दी और फिर अपने लंड पर लगाने लगा। सोनिया बोली, “ये तुम क्या कर रहे हो?”
मैंने उसे समझाया और बोला, “आज मैं आपकी चूत को भोंसड़ा बनाने जा रहा हूँ तो मुझे अपना लंड आपकी चूत में घूसेड़ना पड़ेगा और आपको तकलीफ ना हो इस लिये मैं आपकी चूत को और अपने लंड को चिकना कर रहा हूँ।”
मैंने बिस्तर पर चढ़ कर सोनिया की जाँघों को अपने हाथों से पूरा फैला दिया और एक हाथ से लंड पकड़ कर दूसरे हाथ से सोनिया की चूत के लिप्स खोल कर अपना गुस्साया हुआ लाल सुपड़ा उसकी गुलाबी चूत से सटा दिया और बहुत हल्के-हल्के घिसते हुए बोला, “देख लो सोनिया दीदी! अपने लंड की आपकी चूत से मुलाकात करा रहा हूँ।”
सोनिया को भी अपनी चूत पर लंड घिसाई बहुत अच्छी लग रही थी। वोह सिर्फ़ मस्ती में “ऊँमम ऊँमम” कर सकी। एक दो मिनट बाद मैंने देखा कि सोनिया पर मस्ती पूरी तरह से सवार हो चूकी है तो मैंने अपने लंड का एक हल्का सा शॉट दिया जिससे मेरा लंड सोनिया की चूत बहुत ज्यादा कसी होने के कारण से फिसल कर बाहर आ गया। इससे पहले कि सोनिया कुछ समझ पाती, मैंने एक हाथ से अपना लंड सोनिया के चूत के लिप्स खोल के उसके छेद पर रखा और अपने चूत्तड़ों से कस के धक्का दिया जिससे मेरा मोटा तगड़ा लंड दो इंच सोनिया की चूत में घुस गया। सोनिया की गाँड में तो जैसे भूचाल आ गया। वोह जोर से चीखी, “सुनील मार डाला! ये क्या डाला है मेरे अंदर। बहुत दर्द हो रहा है। सुनील प्लीज़ बाहर निकाल ले।”
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मैंने कुछ परवाह ना करते हुए दूसरा शॉट और कस के लगाया और अब मेरा पाँच इंच लंड सोनिया की चूत में समा चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल के छोटे छेद में अपना लंड घुसा दिया हो और बोत्तल के मुँह ने कस कर मेरे लंड को पकड़ लिया हो। अगर मैंने सोनिया की कमर कस के पकड़ नहीं रखी होती तो सोनिया मेरा लंड निकाल के बाहर भाग जाती और ज़िंदगी भर कभी भी किसी से चुदवाती नहीं। सोनिया अब मेरे सीने पर मुक्के मारने लगी तो मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ कर फैला दिये और अपने पूरे शरीर का भार देते हुए उसके ऊपर लेट कर अपना पाँच इंच लंड अंदर-बाहर करने लगा। करीब पाँच-दस मिनट तक सिर्फ पाँच इंच से ही संतोष करने के बाद मैंने सोनिया से पूछा, “दीदी अब कैसा लग रहा है?”
तो बड़ी रुआँसी बोली, “जब तुमने घुसेड़ा था उस समय तो मेरी जान ही निकल गयी थी पर अब तुम्हारी लंड घिसाई से थोड़ी राहत मिली है और अच्छा भी लग रहा है।”
मैंने मौका अच्छा देख और अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और उसे पूरा दबोच कर एक ज़ोरदार कड़कड़ाता हुआ शॉट दिया जिससे मेरा पूरा साढ़े आठ इंच लौड़ा सोनिया की चूत में समा गया। मेरे होंठ उसके होंठों पर रखे हुए थे इस कारण वो ज्यादा जोर से नहीं चीख पायी। मेरा पूरा लंड जो उसकी चूत में समा गया था उससे सोनिया को दर्द इतना हो रहा था कि अगले पाँच मिनट तक मैं तो शाँत अपना लंड उसकी चूत में डाल कर उसके रसीले होंठ चूसता रहा और सोनिया नीचे से दर्द के मारे लगातार अपने चूत्तड़ उछालती रही। जब पाँच मिनट बाद उसने अपने चूत्तड़ उछालना बँद किया तब मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में सरकाना चालू किया।
सोनिया अभी भी अपना बदन दर्द के मारे कसमसा रही थी पर पूरी मेरे नीचे दबी होने के कारण कुछ कर नहीं पा रही थी और पँद्रह-बीस धक्के अपनी चूत में ले लेने के बाद उसका दर्द भी कम हो गया था और उसका कसमसाना भी। मैंने सोनिया के होंठों के ऊपर से अपने होंठ हटा लिये और बोला, “क्यों मेरी प्यारी दीदी! अब बताओ कैसा महसूस हुआ जब मैंने अपना मस्त लौड़ा आपकी चूत में डाल कर कली से फूल बना दिया और अब कैसा लग रहा है दर्द खतम होने पर।”
सोनिया बोली, “क्या डार्लिंग तुमने तो मेरी जान ही निकल दी। जब तुमने अपना लंड मेरी चूत में पेला था उस समय तो मुझे ऐसा लगा था कि शायद आज तुम मुझे मेरी चूत से लेकर दो हिस्सों में फ़ाड़ के रख दोगे। बहुत दर्द हुआ था सुनील पर तुमने इतने प्यार से मुझे सम्भाला और बाद में जो प्यार से मेरी चूत बजा रहे हो तो ऐसा लग रहा है कि मैं ज़न्नत में हूँ। मेरे बदन से ऐसी मस्ती छूट रही है कि क्या बताऊँ। सुनील अब बहुत मज़ा आ रहा है। अब तुम जी भर के मुझे चोदो।”
मैंने सोनिया की दोनों जाँघें चौड़ी कर दीं और अपने हाथों से उसकी दोनों सैंडल की हील पकड़ लीं और खुद घूटने के बल बैठ कर अपनी गाँड के दनादन धक्के मारने लगा। सोनिया को अब भी तकलीफ हो रही थी पर वो भी अब चुदाई में पूरा साथ दे रही थी। पहली चुदाई के कारण वो और ज्यादा मस्ती सहन नहीं कर पायी और सितकारी भरती हुए अपनी चूत का पानी मेरे लंड पर गिराने लगी और बड़बड़ा रही थी, “आह आँह सुनील मज़ा आ गया। मुझे क्या मालूम था इतनी तकलीफ के बाद इतना सुख मिलेगा। इस सुख के लिये तो मैं अपनी चूत बार-बार तुमसे फड़वाऊँगी।”
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मैंने भी लगातार आठ-दस शॉट लगाये और बलबला कर उसकी चूत में जड़ तक अपना लंड उतार के झड़ गया। मैं सोनिया की कोरी चूत को चोद कर मस्त हो गया था और आराम से उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूस रहा था। थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से हटा और और उसका मुँह पकड़ कर अपने लंड पर लगा दिया और कहा, “बहन की लौड़ी दीदी! जब तक मैं न कहूँ मेरा लंड चूसती रहना नहीं तो गाँड मार मार के लाल कर दूँगा!” और आराम से सिगरेट सुलगाकर अपनी पीठ टिका कर पीने लगा।
सोनिया ने भी पूरी हिम्मत दिखायी और बिना वक्त बर्बाद करे मेरा लंड चूसना चालू कर दिया। करीब दस- पँद्रह मिनट की लगातार चूसाई से मेरा लंड फ़िर से तन्ना गया, पर मैंने अपने आप पर पूरा कंट्रोल रख कर सोनिया के मुँह में अपना लंड तबियत से चूसाता रहा। दस मिनट बाद मैंने सोनिया को बोला, “चलो आज आपको घोड़े की सवारी करना भी सिखा दूँ। मेरी प्यारी दीदी! करोगी ना मेरे लंड पर घोड़े की सवारी?” सोनिया ने बड़े आश्चर्य से पूछा, “सुनील कैसे घोड़े की सवारी? तुम्हारा मतलब है कि मैं तुम्हारे लौड़े पर बैठ और उसे अपनी चूत में अंदर लूँ और अपने चूत्तड़ ऊपर-नीचे उछाल-उछाल कर लंड को अपनी चूत में चोदूँ?”
मैंने कहा, “हाँ दीदी! आपको तो सब पता है... पर ध्यान रहे लंड बाहर नहीं निकलना चाहिए।”
सोनिया मेरे लंड के दोनों तरफ़ पैर करके खड़ी हो गयी और धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी और एक हाथ से मेरा तन्नाया हुआ लंड पकड़ा और एक हाथ की उंगलियों से अपनी चूत के लिप्स खोले। जब मेरा लंड उसकी चूत से टकराया तो थोड़ा सा वोह घबरायी पर मैंने उसकी घबराहट देख कर उसके चूत्तड़ कमर के पास से कस कर पकड़ लिये और इससे पहले वो कुछ समझ पाती मैंने नीचे से अपने चूत्तड़ एक झटके से उछाले और पूरा लंड गप से उसकी चूत में उतार दिया। सोनिया बहुत छटपटाई पर मैंने भी उसकी कमर कस कर पकड़ी हुई थी।
दो तीन मिनट बाद जब उसक दर्द कम हुआ तो मैंने उसको अपने ऊपर झुका लिया और बोला, “सोनिया दीदी! अब आप अपने चूत्तड़ उछाल-उछाल कर ऊपर नीचे करो और लंड सवारी का मज़ा लो।”
इतना कह कर मैंने उसका सिर दबा कर उसके होंठ अपने होंठों में ले लिये और चूसते हुए अपने दोनो हाथों से उसके पीछे से फैले हुए चूत्तड़ पकड़ लिये और मसलने लगा। सोनिया की हिम्मत मुझे माननी पड़ी कि दर्द होने के बावजूद भी बड़े प्यार से उछलते हुए मुझे चोद रही थी, और दूसरी बार करीब आधे घंटे तक हमने इसी पोज़ में चूदाई करी और मैंने अपने लंड का फाऊँटेन उसकी चूत में गिरा दिया और सोनिया को दबोच कर अपने ऊपर ही लिटा कर रखा और लगातार दो बार चुदाई करने के कारण हम थोड़ा सुस्ताने लगे।
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करीब एक घण्टे बाद मेरी जब आँख खूली तो देखा सोनिया सिगरेट पीते हुए मेरे लंड से खेल और चूस रही थी। जब मुझे उसने अपनी और घूरते पाया तो थोड़ा शरमा उठी। मैंने भी कहा, “दीदी! चूसो इसे... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।”
इस समय मेर गन्ना पूरी तरह से तन्नाया हुआ था। मुझे एक शरारत सूझी और मैंने सोनिया से कहा, “सोनिया दीदी! आपको ये तो मानना पड़ेगा कि आज भी और आगे भी मैं जब आपको चोद कर ये सुख दूँगा, ये सब आपकी मम्मी की वजह से ही मुमकीन हुआ है।”
सोनिया तपाक से बोली, “यू आर राइट सुनील! ऑल थैंक्स टू मम्मी! अगर मम्मी नहीं मानतीं तो पता नहीं मेरी चूत कब चुदती।”
मैंने कहा, “फिर तो दीदी ये गलत बात है कि हम दोनों अंदर इतना मज़ा ले रहे हैं और आपकी मम्मी बाहर अपनी चूत अपनी उँगली से ठंडी कर रही है। मेरी बड़ी इच्छा है कि आप दोनों को मैं एक ही पलंग पर एक साथ नंगा करके चोदूँ।”
सोनिया फ़ोरन ही तैयार हो गयी और बोली, “मैं अभी जा कर मम्मी को बुला कर लाती हूँ।”
मैंने कहा, “नहीं! आप बैठ कर एक ड्रिंक और सिगरेट पियो। मैं आपकी मम्मी को लाता हूँ।”
मैं नंगा ही बाहर गया तो देखा कि मीना चाची अपना ब्लाऊज़ उतार कर ब्रा और पेटीकोट में लेटी हुई थी और अपना पेटीकोट कमर तक उठा कर स्मोक करते हुए अपने वाइब्रेटर से मुठ मार रही थीं। मुझे देख कर बोली, “क्या बात है सुनील! सोनिया ठीक तो है ना?” मीना चाची की ज़ुबान नशे में बहुत लड़खड़ा रही थी और आँखें भी नशे में भारी थीं।
मैंने कहा, “डार्लिंग घबराओ नहीं! मेरा लंड ले कर एक दम मस्त चूत हो गयी है साली की। अभी तक दो बार लंड का पानी पी चूकी है, और तीसरी बार चुदाने को मचल रही है। चुदाने के मामले में एक दम तुम्हारी बेटी है! साली की बहुत गरम चूत है। इसको अगर दमदार मर्द नहीं मिला तो ये तो दूसरे मर्दों से खूब चुदवायेगी। तुम्हारी तरह वाइब्रेटर से ठंडी नहीं होगी।”
मीना चाची बोली, “क्या बात है (हुच्च) तू बाहर कैसे आ गया?”
मैंने कहा, “मीना मेरी बड़ी इच्छा है कि तुम्हारी बेटी के सामने तुम्हें चोदूँ और तुम्हारी चूत बजाऊँ।”
मीना चाची बोली, “व्हॉट? ऑर यू क्रेज़ी? (हुच्च) मुझे अपनी बेटी (हुच्च) के सामने चुदाने में शरम आती है।”
सोनिया जो शायद दरवाजे पर खड़ी हो कर हमारी बातें सुन रही थी, सिर्फ़ सैंडल पहने नंगी ही एक दम बाहर आ गयी और बोली, “मम्मी आज से तुम मेरी सबसे बेस्ट फ़्रैंड हो और चुदवाने में क्या शरमाना। मैं भी तो देखूँ कि चुदाई का असली मज़ा कैसे लिया जाता है।”
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मीना चाची उठ कर खड़ी हुईं तो गिरते-गिरते बचीं। उन्होंने काफ़ी ड्रिंक कर रखी थी और नशे और हाई पेन्सिल हील की सैण्डलों की वजह से उनका बैलेंस बिगड़ गया पर सोनिया ने उनको अपनी बाहों में भर लिया। मैने भी पीछे से जा कर मीना चाची की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबा लिया और मीना चाची को बीच में दबाये हुए बेडरूम में ले कर आ गये क्योंकि वो नशे में अपने आप चलने की सूरत में नहीं थीं।
मैंने सोनिया को कहा, “चलो दीदी! अपनी मम्मी का पेटीकोट उतारो और अपनी मम्मी की चूत नंगी कर के मुझे दिखाओ।”
मैंने मीना चाची की ब्रा खोल कर उनकी चूचियाँ नंगी कर दीं। सोनिया ने भी मीना चाची के सारे कपड़े उतार दिये और बोली, “लो सुनील अबकी बार मेरी मम्मी की चूत की सिकाई करो।”
क्या नज़ारा था दोस्तों! अब दोनों माँ बेटी एक साथ बिल्कूल नंगी, सिर्फ़ हाई हील सैण्डलों में, मेरे सामने थीं। मैंने भी नंगी मीना चाची को अपनी बाहों में ले लिया और किस करने के बाद बोला, “मीना डार्लिंग! आज तुम्हारी बेटी की चूत खोली है तो आज मैं तुम्हारे साथ भी हनीमून मनाऊँगा और जैसे तुमने उस दिन कहा था कि कोरी चूत तो नहीं दे सकी पर अपनी कोरी गाँड मरवाऊँगी, तो डार्लिंग तुम्हारी बेटी मेरा लंड चूस कर मोटा करेगी और आज मैं तुम्हारी गाँड का उद्घाटन करूँगा। अपनी गाँड मरवाओगी ना मीना डार्लिंग।”
मीना चाची नशे के कारण बहकी हुई आवाज़ में बोलीं, “मेरे गाँडू राजा! मैं तुझे अपना सब कुछ सौंप चुकी हूँ। साले (हुच्च) तू... तूने... मेरी चूत मारी... मेरे मुँह, गले में मादरचोद अपना लंड चोदा और मेरी चूचियों के बीच में भी लंड घिस के चोदा और.... और... यहाँ तक की साले चूतिये तूने मेरे सैण्डलों और पैरों को भी नहीं छोड़ा.... बोल साले भोसड़ी के... (हुच्च) तुझे कभी मैंने ना कहा क्या... हैं? तो इसके बाद क्या पूछता है... जैसे तू मुझे चोदना चाहता है वैसे चोद, अब गाँड मारनी है... तो साले गाँड मार ले, पर मेरी गाँड जरा प्यार से मारना, मैंने आज तक (हुच्च) तेरे चाचा को उँगली तक नहीं लगाने दी।”
मैंने कहा, “डार्लिंग तुम बस आराम से एक और ड्रिंक लगा कर कुत्तिया बन कर अपनी गाँड हवा में उठाओ... मैं अपना लंड सोनिया से तबियत से चुसवाकर तुम्हारी मस्त गाँड के लिये तैयार करता हूँ।”
मीना चाची ने ड्रिंक बनाने की बजाये व्हिस्की की बोत्तल ही मुँह से लगा कर पीने लगी। मुझे पहले तो चिंता हुई कि कहीं इतना पीने से बिल्कुल ही पस्त हो कर सो ना हो जायें और मेरा सब प्लैन चोपट हो जाये पर फिर ख्याल आया कि चाची पीने की आदी हैं। वैसे तो आम-तौर से वो लिमिट में ही पीती हैं पर पहले भी मैंने उन्हें ज्यादा पी कर नशे में धुत्त देखा है और जब भी मीना चाची नशे में कंट्रोल के बहार हुई हैं तब वो पस्त या शाँत होने की बजाय हमेशा काफ़ी बेकाबू और ज्यादा उत्तेजित ही हुई हैं। यही सोच कर मैंने सोनिया को बुला कर अपने सामने घुटने बर बैठा कर लंड चूसने के लिये बोला और कहा, “लो सोनिया दीदी! चूस के तैयार करो अपनी मम्मी के लिये। देखो आज आपकी मम्मी कैसे नशे में धुत्त होकर मेरा लंड अपनी गाँड में लेगी। मीना! देख तेरी बेटी क्या तबियत से मेरा लंड चूसे के मोटा कर रही है तेरी गाँड के लिये। ये तो आज अपनी मम्मी की गाँड फड़वाकर ही मानेगी। देख तो सही साली एक दिन में ही क्या रंडी की तरह चूसने लग गयी है।”
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18-12-2021, 01:51 AM
(This post was last modified: 18-12-2021, 01:52 AM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं सोनिया का मुँह पकड़ कर हलके-हलके शॉट लगाने लगा। इतनी देर में मीना चाची भी एक हाथ में बोत्तल पकड़ कर पलंग पर जैसे मैंने कहा था वैसे ही कुत्तिया बन गयी। मैने सोनिया के मुँह से अपना लंड निकाला और बोला, “दीदी चलो ज़रा अपनी मम्मी कि गाँड के छेद को तैयार करो मेरे लंड के लिये... अच्छे से क्रीम लगाओ ताकि आपकी मम्मी को ज्यादा तकलीफ न हो।”
सोनिया ने अपने हाथ में खूब सारी क्रीम भरी और मीना चाची की गाँड के छेद पर लगाने लगी और बोली, “सुनील! मम्मी की गाँड का छेद तो बहुत टाईट है। मेरी उँगली भी बड़ी मुशकिल से अंदर जा रही है।”
मैंने कहा, “आराम से खूब क्रीम मलो। थोड़ी देर बाद जब गाँड का छेद रीलैक्स हो जायेगा तब बड़े आराम से मेरा लंड अंदर जायेगा...” और मैं स्मोक करने लग गया। दोस्तों क्या सीन था कि एक बेटी अपनी माँ की गाँड पर पूरी लगन से क्रीम मल रही थी और अपनी माँ को गाँड मरवाने के लिये तैयार कर रही थी। सिगरेट खतम होने के बाद मैं पलंग पर चढ़ा और अपना तन्नाया हुआ लंड मीना चाची के चूत्तड़ों पर फेरने लगा और सोनिया को बोला, “अब ज़रा मेरे लंड के ऊपर भी क्रीम लगाओ! अब मैं आपकी मम्मी के भूरे रंग के गाँड के छेद को खोलूँगा।”
सोनिया ने बड़े ही प्यार से मेरे लंड पर क्रीम लगायी और एकदम चिकना कर दिया। मैंने सोनिया को कहा कि वो अपने दोनों हाथों से अपनी मम्मी के चूत्तड़ पकड़ ले और खींच कर चौड़े करे ताकि मीना चाची की गाँड का छेद थोड़ा सा खुल जाये। सोनिया ने मेरे कहे अनुसार अपनी मम्मी के दोनों विशाल चूत्तड़ों को पकड़ लिया और चौड़े कर दिये जिससे मीना चाची की गाँड का छेद थोड़ा सा खुल गया। मैंने अपने हाथ से लंड पकड़ा और गाँड के भूरे छेद पर टिका दिया और दूसरे हाथ की उँगलियों से गाँड के छेद को और चौड़ा किया और लंड का सुपाड़ा टिका कर हल्के से झटका दे कर मीना चाची की कोरी गाँड में सरका दिया। क्रीम की चिकनाहट के कारण मेरा एक इंच लंड मीना चाची की गाँड के छल्ले में जा कर फँस गया।
मीना चाची बोलीं, “सुनील बहुत दर्द कर रहा है बाहर निकाल ले।”
मैंने कहा, “मीना घबराओ नहीं। आराम-आराम से दूँगा। बस तुम हिम्मत कर के लंड लेती रहो।”
इतना बोल कर मैंने सोनिया को इशारा किया कि वो अपनी माँ की गाँड एक दम कस कर पकड़ ले। सोनिया ने भी मेरा कहना माना और मैंने अपने दोनों हाथों से मीना चाची की कमर पकड़ ली और ज़ोरदार झटका मारा जिससे चिकनाहट होने के कारण मेरा लंड सरकते हुए पूरा सात इंच मीना चाची की गाँड में समा गया। मीना चाची को तो जैसे बिजली का शॉक लग गया हो। अगर सोनिया ने उनके चूत्तड़ और मैंने उनकी कमर कस कर नहीं पकड़ी होती तो शायद मीना चाची मेरा लंड निकाल देतीं पर बेचारी मजबूर थी... सिवाये कसमसाने के और गालियाँ देने के अलावा वो कुछ भी नहीं कर सकती थीं।
मैंने भी बिना कुछ परवाह किये बिना अपना पूर लंड मीना चाची की गाँड में उतार कर ही दम लिया और हल्के-हल्के शॉट देने लगा। मीना चाची तो दर्द के मारे पागल हो गयी थी और बोले जा रही थीं, “अरे मादरचोद, भोसड़ी वाले मार डाला रे। तेरी माँ का भोंसड़ा मादरचोद! अगर मुझे मालूम होता कि गाँड मरवाने में इतना दर्द होता है तो बहन के लंड तुझे छूने भी ना देती। बहनचोद मैं ज़िंदगी भर तुझे जैसे कहेगा वैसे ही चुदवाऊँगी और चूसूँगी। तू जिसको बोलेगा मैं उसको चुदवा दूँगी तेरे से। मुझे छोड़ दे माँ के लौड़े। हाय मेरी माँ! फट गयी मेरी गाँड। मादरचोद सत्यानाश कर दिया तूने आज मेरी गाँड का। आज तक मैंने बड़े प्यार से बचा कर रखी थी।”
मीना चाची बोलती रहीं पर अब मैं ताव में आ चुका था और हुमच-हुमच कर अपना लंड गाँड में पेल रहा था। मीना चाची को भी अब अच्छा लगने लगा था क्योंकि अब वो कह रही थीं, “मार ले मेरे डार्लिंग! मार ले अपनी चाची की गाँड। हाय हाय! शूरू-शूरू में तो बहुत दर्द हुआ डार्लिंग पर वाकय में अब बहुत मज़ा आ रहा है। सोनिया तू भी सुनील से अपनी गाँड जरूर मरवाना।”
करीब बीस पच्चीस मिनट तक मीना चाची की गाँड मारने के बाद मैंने अपना रस मीना चाची की गाँड में ही निकाल दिया।
दोस्तों! उस दिन के बाद महीने भर जब तक चाचा नहीं आये, मैंने उन दोनों माँ-बेटी को एक ही बिस्तर पर एक साथ नंगा करके खूब चोदा। चाचा के आने के बाद, मीना चाची को दिन में जब भी समय मिलता, एक बार तो चुदवा ही लेती थी। और मैं हर रोज़ सोनिया के साथ सोता था और हम दोनों जम कर चुदाई करते थे। मीना चाची ने और सोनिया ने अपनी सहेलियों का भी खूब मज़ा दिलवाया। मीना चाची और सोनिया के कारण मुझे अलग-अलग औरतों को चोदने का मौका मिला। आशा करता हूँ कि आप सब को मेरी आप-बीती सुन कर मज़ा आया होगा।
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18-12-2021, 02:01 AM
(This post was last modified: 01-10-2023, 08:02 PM by rohitkapoor. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
दस लाख का सवाल
लेखक: अन्जान
सुबह से ही बॉस का मूड बिगड़ा हुआ था। वजह मालूम नही पड़ रही थी। मैं सानिया हमीद, मुम्बई में एक कम्पनी में सेक्रेटरी का काम करती हूँ। मेरे बॉस, राहुल अरोड़ा, का काम गवर्नमेन्ट के ठेके लेना है। टेन्डर के ज़रिये गवर्नमेन्ट ठेके देती है और मेरे बॉस आफ़िसरों को पैसे खिला पिला कर अपना काम निकलवाते हैं। उनका दिल्ली बेस होना उनके काम में काफी मदद करता है। ज्यादातर कान्ट्रैक्ट दिल्ली से पास होते है और दिल्ली में ही आफ़िसरों को खुश करने के लिये शराब, कबाब और शबाब का मज़ा लूटने देते हैं।
"सर, क्या बात है आज आप काफी परेशान दिखाई पड़ रहे हैं?" मैंने केबिन में घुसते ही पूछ लिया।
"हाँ सानिया! आज कुछ ज्यादा ही परेशान हूँ...," बॉस ने काफी संजीदा होते हुए कहा, "किसी ने हमारी कम्पनी की शिकायत दिल्ली में कर दी है।"
"किस चीज़ की शिकयात, सर?" मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
"एक ठेके के बारे में, सानिया...। और उसी सिलसिले में एक बड़ा सरकारी आफ़िसर माल चेक करने आ रहा है," बॉस परेशानी की हालत में बोल रहे थे। "अब अगर हमारा माल रिजेक्ट कर दिया तो बड़ा नुकसान होगा कम्पनी को।"
"हाँ। लेकिन आफ़िसर को पटा क्यों नहीं लेते हैं सर। आप तो उन लोगो को पटाने में माहिर भी हैं!" मैंने हँसते हुए कहा।
"नहीं सानिया। ये आफ़िसर बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। और लोगों को तो बज़ार की रेडीमेड चीज़ों से पटा लेता हूँ। लेकिन ये आफ़िसर... मालूम नही... क्यों घरेलू चीज़ें ही पसंद करता है," बॉस परेशनी की हालत में बोले।
"घरेलू चीज़ें? मतलब?" मुझे कुछ समझ में नही आया।
"घरेलू यानि घरेलू। अरे बड़ा रंगीन मिज़ाज़ है। उसे बज़ार की औरतें नही बल्कि घरेलू औरतें चाहिये। अब यह सब कहाँ से लाऊँ मैं?" बॉस ने समझाते हुए कहा।
अब समझ में आया। बाज़ार की औरतें नहीं... यानि वेश्या नहीं... घर की औरतें चाहिये चोदने के लिये। यानि पूरा रंगीन मिज़ाज़ था आफ़िसर। यूँ तो बॉस ऐसी बातें मुझसे नही करता लेकिन आज परेशानी में वो खुलकर बोल पड़ा। फिर हम दोनों सोच में डूब गये इस मुश्किल को सुलझाने के लिये। मुझे अपनी सहेली की याद आ गयी। सादिया, एक खूबसूरत एयर होस्टेस है। हम दोनों एक साल पहले तक साथ-साथ रहते थे। वो इन चीज़ों में माहिर थी। उसका कहना था कि, ज़िन्दगी बड़ी छोटी है। अपनी खूबसुरती का इस्तेमाल करो और पैसा बनाओ। वो अपने जिस्म का फ़ायदा उठा कर बड़े-बड़े लोगों से मिलती और एक-दो महीने में लाखों कमा कर दूसरे को ढूँढने लगती।
उसका कहना था कि इन सात-आठ सालों में इतना कमा लो कि बाकी ज़िन्दगी बगैर कोई काम करे गुज़ार सको। वो हमेशा मुझे भी यही मशवरा देती थी।
मुझे हमेशा कहती थी, "सानिया तू तो मुझसे भी खूबसूरत है। कहाँ सेक्रेटरी की नौकरी में पड़ी है। मेरी लाईन पर चल, लाखों कमायेगी। फिर सात-आठ साल बाद हम दोनों किसी छोटे शहर में एक छोटे से मकान में अपनी बाकी की ज़िन्दगी ऐश से गुजरेंगे।"
लेकिन मैं अपने बॉय-फ्रैंड के साथ खुश थी और थोड़ी बहुत फ्लरटिंग अपने बॉस के साथ भी कर लेती थी। जिससे बॉस भी थोड़ा बहुत मुझसे खुला हुआ था।
यह सोचते-सोचते मैंने अपने बॉस से कहा, "अगर कोई लड़की मिले भी तो वो कोई मामूली खूबसूरत ही नही नही बल्कि बला की खूबसूरत होनी चाहिये। उसे क्या मिलेगा जो ये काम करे?"
बॉस ने समझाते हुए कहा, "सानिया, यह कान्ट्रैक्ट जो की दस करोड़ का है... अगर कैन्सल हो जायेगा तो कम्पनी को दो-तीन करोड़ का नुक्सान जरूर हो जायेगा। मैं तो इससे बचने के लिये दस करोड़ का एक परसेंट कमिशन दस लाख तक देने को तैयार हूँ।"
"दस लाख रुपये!!! सिर्फ एक रात के लिये!!!" मेरा मुँह ये कहते हुए खुला ही रह गया। यह रकम कोई छोटी नही होती किसी भी लड़की के लिये। कोई भी तैयार हो जाये। तभी मेरे मन में और एक विचार आने लगा। और यह रकम मुझे मिल जाये तो.... फिर अपने बॉस से कहा, "सर, मैं एक लड़की को जानती हूँ।"
बॉस ने ज़रा जोश में कहा, "कौन है वो। कोई चालू लड़की नही चहिये।"
मैंने कहा, "वो एक एयर-होस्टेस है।"
बॉस ने फिर पुछा, "क्या वो रेडी हो जायेगी?"
"कोशिश करती हूँ," मैंने जवाब दिया।
"सोच लो सानिया। अगर अभी रेडी हो गयी और टाईम पर ना बोल दिया तो कहीं लेने के देने ना पड़ जायें। फिर तुम जानती हो। एक बार कान्ट्रक्ट कैन्सल हुआ तो कितना बड़ा नुकसान हो जायेगा।" बॉस ने जोर देते हुए कहा।
फिर ना जाने मेरे मुँह से कैसे निकल गया, "सर, आप परेशान नही हों । मैं मैनेज कर लूँगी।" बॉस मुझे देखते ही रह गये।
मैंने अपने घर पहुंच कर अपनी फ़्रेन्ड, सादिया, के मोबाईल पर फोन किया।
"क्या हाल है सादिया? मुम्बई में हो या कहीं और..." मैंने फोने लगाते ही पुछा।
"सानिया। व्हॉट ए ग्रेट सरप्राइज़! मुम्बई से ही बोल रही हूँ यार। बता क्या हाल-चाल है?" सादिया ने पुछा।
"बस कुछ नही। तू आज कल किसके साथ एय्याशी कर रही है?" मैंने हंसते हुए कहा।
"कहाँ यार। अभी तो कोई मुर्गा ही ढुंढ रही हूँ? तू भी क्या अभी सेक्रेटरी बनी हुई है या मेरे जैसी बन गयी," सादिया बोली।
"तेरी तरह बन जाऊँ? चल जा हट। लेकिन तेरे लिये जरूर एक काम है । खूब पैसे मिलेंगे।"
"कोई मुर्गा मिला है क्या?" सादिया ने पुछा। तब मैंने उसे सारी बात बतायी। और उसे साथ देने के लिये फिफ्टी-फिफ्टी का ऑफ़र किया जिसे वो मान गयी।
फ़्राईडे की दोपहर आफ़िसर, मिस्टर लोहाणे, दिल्ली से आया। एक होटल में एक सुईट का इंतज़ाम कर दिया गया था उसके लिये। आफ़िस ने आकर माल को देखा। तमाम तरह के सवाल करने लगा। मेरा बॉस परेशान हो गया। उसने मेरी तरफ़ उम्मीद की नज़रों से देखा। मैंने अब अपनी पोजिशन संभाल ली। अपने हसीन जिस्म का फ़ायदा उठाने लगी। आफ़िसर के नज़दीक आ कर उसे हर बात का जवाब देने लगी। लो-कट ड्रैस में से मेरे झलकते हुस्न ने उसके सवालों को कम कर दिया। उसकी दिलचस्पी अब सवालों में नही बल्कि मेरे नज़दीक आने में होने लगी। मैं भी एक घरेलू टाईप की लड़की का रोल अदा करते हुए उससे दूर रहने की कोशिश करती और फिर थोड़ी देर में अनजान बनती हुई उसके एकदम करीब आ जाती। आफ़िसर एकदम बेचैन हो उठा। फिर मेरे बॉस से कहा, "राहुल। माल तो तुम्हारा ठीक है लेकिन तीन-चार फोरमैलिटीज़ करनी पड़ेगी।" यानी तीर एकदम निशाने पर बैठा। अब उसे पिघलने में ज्यादा देर नही थी।
मेरे बॉस ने कहा, "सर, आपकी हर जरूरत पूरी की जायेगी। आप एक-दो फोरमैलिटीज़ अभी पुरी कर लीजिये बाकी शाम के समय मैं होटल आकर पुरी कर देता हूँ।"
"ठीक है। वैसे तुम्हरी सेक्रेटरी बड़ी इंटैलिजैंट है। तुम्हारा बिज़नेस बड़ा ही ग्रो करेगा," आफ़िसर मेरे जिस्म को घूरता हुआ बोला। अब बॉस के लिये मुश्किल खड़ी हो गयी। आफ़िसर मिस्टर लोहाणे का इरादा समझ में आ रहा था। बॉस ने मुझसे कहा, "अब क्या करें?"
मैंने हंसते हुए जवाब दिया, "नो प्रॉब्लम सर, मैं सब संभाल लुँगी ।" आखिर दस लाख का सवाल था।
शाम के बजाय आठ बज़े हम लोग यानी मैं और मेरा बॉस राहुल होटल में पहुंचे। उसके पहले मैंने सादिया से बात कर ली थी। वो रात के करीबन दस बज़े वहाँ पहुँचने वाली थी। उस शाम के लिये मैंने पूरी तैयारी कर ली। अपने जिस्म को अच्छी तरह से वैक्सिंग कर के और काफी मेक- अप कर अपने उपर तीन-चार ड्रैस की रीहर्सल करने के बाद शॉर्ट स्कर्ट और हाई हील के सैंडल के उपर बस्टीयर और ओपन-जैकेट पहन कर मैं एकदम तैयार थी। दस लाख कमाने के लिये। जिसमे पाँच लाख मेरे लिये होंगे। और मेरा बॉस स्कॉच व्हिस्की की तीन-चार वैराइटी लिये तैयार था।
जैसे ही हम सुईट के अन्दर घुसे आफ़िसर मिस्टर लोहाणे मुझे देखते ही पंक्चर हो गया। उसकी आँखें मेरे जिस्म से चिपक गयी। मेरी गोरी-गोरी चिकनी जांघें, लंबी टांगें उसके जिस्म में तूफ़ान ला रही थीं। टाईट स्कर्ट से चिपके हुए मेरे चूतड़ों से उसकी नज़रें चिपकी हुई थी। ओपन-जैकेट से झलकते हुए मेरे बस्टीयर में दबे मेरे मम्मे दबोचने के लिये उसे दावत दे रहे थे। फेशियल से तरो ताज़ा मेरे गाल और हल्के रोज़ रंग की लिपस्टिक से रंगे हुए मेरे नाज़ुक होंठ उसे गुलाब की पंखुड़ियाँ लग रही थीं। वो मेरा ये हुस्न देख अपने सूखे हुए होंठों को गीला करते हुए बोला, "मिस्टर राहुल क्या यही सेक्रेटरी दोपहर में तुम्हारे आफ़िस में थी?"
बॉस खुश होते हुए बोला, "पहले आफ़िस टाईम था अभी ये रिलेक्स टाईम है। चेन्ज तो होना ही है मिस्टर लोहाणे।"
लोहाणे ने मुझे अपने हाथों से खींच कर एक चेयर पर मुझे बैठाया और सामने वाली चेयर पर खुद बैठ गया। मेरे बॉस को अपनी चेयर खुद ही खींच कर बैठना पड़ा। मेरी खूबसूरती का जादू चल चुका था। तभी बॉस ने बात की शुरुआत की, "तो मिस्टर लोहाणे, हमारा माल कैसा लगा?"
बॉस का मतलब आफ़िस के माल से था। मगर लोहाणे इसे मेरे बारे में समझा। उसने कहा, "मिस्टर राहुल। बहुत ही खूबसूरत। मानो स्वर्ग से एक अपसरा अभी-अभी उतरी है।"
मैंने शरमा कर अपनी नज़रें झुका ली। लोहाणे का मतलब समझते हुए बॉस ने कहा, "मेरा मतलब कान्ट्रैक्ट के माल से था, मिस्टर लोहाणे।"
लोहाणे ने मेरे जिस्म से अपनी नज़र को ना हटाते हुए कहा, "छोड़ो उस माल को यार, बात अभी की करो। वो वाला भी परफ़ेक्ट और ये वाला भी...!" ये सुन कर बॉस झूम उठा।
मैंने भी खड़े होते हुए कहा, "रियली! तब तो हमें इस बात की पार्टी रात भर मनानी चाहिये।"
ये सुनकर बॉस ने एक फोन होटल रिसेप्शन पर मिलाया और सोडा और कुछ स्नैक्स का आर्डर दे दिया। हम लोग बातें करने लगे। थोड़ी देर में ही वेटर ने आकर आर्डर वाली सब चीज़ें ला कर टेबल पर रख दीं। मैंने रूम में रखे फ़्रिज में से आईस निकाली और तीन ग्लास में स्कॉच, सोडा और आईस डाल कर पार्टी के शुरु होने का एलान कर दिया। चीयर्स करते हुए बॉस बोला, "आज के इस कान्ट्रैक्ट की सफ़लता के लिये चीयर्स।"
लोहाणे ने कहा, "मिस सानिया के इस बेपनाह हुस्न के लिये चीयर्स।" और मैंने कहा, "आज की इस खूबसूरत पार्टी के लिये चीयर्स।" और हम सब अपनी ग्लासों को टकरा के पीने लगे।
आधे घन्टे तक हम अपनी सीट पर बैठे जाम से जाम टकराते रहे। लोहाणे मेरे सामने बैठा मेरे जिस्म का स्वाद अपनी नज़रों से ले रहा था। मेरे शॉर्ट-स्कर्ट से झांकती मेरी मांसल जाँघों को जी भर के देख रहा था। मैंने भी गौर किया कि लोहाणे के पैंट में एक उभार पैदा हो रहा था। उसकी पैंट ज़िप के पास से टाईट हो रही थी। अपने मचलते हुए खिलौने को लोहाणे बीच-बीच में एडजस्ट भी कर रहा था। लेकिन उसकी कोशिश असफ़ल हो रही थी। जितना एडजस्ट करता उतना ही उसका खिलौना और मचल रहा था। मैं एक पेग के बाद जब दूसरा आधा पेग ले रही थी तब तक बॉस और लोहाणे ३-३ पेग पी चुके थे। मैं इन्तज़ार कर रही थी अपनी फ़्रेन्ड सादिया का। वो आये और हमारा काम हो जाये। मैंने कभी भी एक पेग से ज्यादा नही पिया था। इसलिये स्कॉच का नशा पूरा चढ़ा हुआ था। जबकी बॉस और लोहाणे स्कॉच के नशे में अब बहकने लगे। उनके आपस में कही जा रही बातों में तीन-चार गालियां साथ-साथ आ रही थीं। मैं उनके ग्लास को खाली होते देख उनके ग्लास रिफ़िल करने लगी।
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(This post was last modified: 01-10-2023, 08:10 PM by rohitkapoor. Edited 5 times in total. Edited 5 times in total.)
तब लोहाणे ने खड़े हो कर मुझे अपनी एक बाँह से पकड़ लिया और कहा, "जानेमन तुम तो कुछ भी नही ले रही हो। लो ये पीस खाओ। बड़ा ही टेस्टी है।" और यह कहकर मेरे मुँह में स्नैक्स का एक पीस ठूँसने लगा। फिर स्कॉच के नशे में वापस बोला, "अरे केचप लगाना तो भूल ही गया। इसे केचप के साथ खाओ।" यह कहकर मेरे मुँह में ठूँसे हुए स्नैक्स के उपर सीधे केचप की बोतल से केचप लगाने लगा और वो केचप सारा का सारा मेरी जैकेट और बस्टीयर पर जा गिरा। लोहाणे शर्म से झेंप पड़ा और कहने लगा, "ओह, आई एम वेरी सॉरी.. वेरी सॉरी," और अपनी रुमाल निकाल कर साफ़ करने की कोशिश करने लगा, "प्लीज़.. प्लीज़ मुझे साफ़ करने दीजिये।"
मैंने कहा, "ओह। कोई बात नही। मैं खुद साफ़ कर लुँगी।" एक खूबसूरत लड़की के कपड़ों पर ऐसा हो जाये तो ज़ाहिर है की कोई भी आदमी परेशान हो ही जाता है। मैं टेबल पर पड़े पेपर नैपकिन्स से केचप को साफ़ करने लगी। लेकिन वो कहाँ से साफ़ होता। नशे में मैं थोड़ा अपसेट हो गयी और मेरा बॉस भी थोड़ा अपसेट हो चुका था।
लेकिन लोहाणे अपनी सूटकेस खोलने लगा। एक पार्सल को निकलते हुए कहा, "मैं अपनी फ़्रेन्ड के लिये कुछ कपड़े लाया था। शायद आप के काम आ जाये। प्लीज़ देख लिजिये।"
मैंने भी कोई और चारा नही देख कर उससे वो पैकेट ले लिया और बाथरूम में घुस गयी। वाशबेसिन में अपने कपड़े साफ़ किये और पैकेट को खोल कर कपड़े देखने लगी। ये कपड़े कहाँ थे। ये तो नाईटीज़ थी। वो भी बेबी-डॉल (मिनी) नाईटीज़। अब मैं अपने कपड़े साफ़ करने के चक्कर में काफ़ी गीले कर चुकी थी और कोई चारा नही था मेरे पास। तीन नाईटीज़ में से मैंने एक नाईटी चूज़ की। वो नाईटीज़ पहनो या ना पहनो कोई मतलब ही नही था। केवल नाम के लिये पहनना था... छुपाने के लिये कुछ भी नही था। वो नाईटी पहनने के बाद मुझे वापस खोलनी पड़ी क्योंकि मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स अलग से नज़र आ रहे थे। जब मैंने अपनी ब्रा उतार कर वो नाईटी पहनी तो मेरे निपल्स उस नाईटी से झलकने लगे। मेरे मम्मे तो साफ़-साफ़ नज़र आ रहे थे। लेकिन कोई चारा नही बचा था और स्कॉच के नशे ने मेरी हिम्मत भी बढ़ा दी। फिर मेरी फ़्रेन्ड भी थोड़ी देर में आने वाली थी।
मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर आयी तो लोहाणे और बॉस का मुँह खुला का खुला रह गया। दोनों की नज़रें मेरी नाईटी को चीरती हुई मेरे मेरे करीब-करीब नंगे हुस्न को घूर रही थी। उनके मुँह से ‘आहहह’ एक साथ निकल पड़ी। अपने हाथियार को एडजस्ट करने के लिये लोहाणे का एक हाथ अपनी पैंट पर फौरन जा पड़ा। मैं आगे बढ़ी लेकिन मेरी नज़रें झुकी हुई थी। हाई हील सैंडलों में मेरे डगमगाते हुए एक-एक कदम पर वो दोनों आहें भर रहे थे। मेरा बॉस तो अब एकदम धप्प से अपनी चेयर पर बैठ गया। लोहाणे ने अपना ग्लास संभाला और मेरा ग्लास मेरे हाथों में थमा दिया और खुद लंबे-लंबे घूँट भरने लगा। तभी मुझे डोर को नॉक करने की आवाज़ आयी तो मेरी जान में जान आ गयी। लोहाणे ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला और सामने पाया एक और बला की हसीन लड़की को। वो उसे देखकर कुछ हैरान हो गया। उसने अंदर हमारी तरफ देखा।
तभी मैंने कहा, "हाय सादिया... वेलकम"
सादिया ने भी कहा, "हाय एवरी बडी"
लोहाणे बोला, "अच्छा यह आप की परिचित है?"
तब मैंने कहा, "हाँ। इस पार्टी को दिलकश बनाने के लिये ही मैंने अपनी फ़्रेन्ड सादिया को इनवाईट किया है।"
फिर सादिया से सबका तार्रूफ कराया, "सादिया, मीट हिम... अवर गेस्ट... मिस्टर लोहाणे और आप हैं मेरे बॉस मिस्टर राहुल।"
सादिया ने दोनों से हाथ मिलाया और मैंने उसके लिये एक पेग बनाया। उसके लिये ही क्यों बल्कि हमारे तीनों के पेग भी वापस भर कर चीयर्स किया। सादिया अपने साथ म्युज़िक सिस्टम लायी थी। सादिया ने उसे साईड टेबल पर रख कर उसे साकेट में लगा कर ऑन भी कर दिया। फिर सादिया अपना ओवरकोट उतारने लगी। पूरी तैयारी के साथ आयी थी। ओवरकोट उतारने के साथ रूम में अब दो-दो बिजलियाँ चमकने लगीं। एक बिज़ली मेरे रूप में चमक ही रही थी। अब दूसरी बिज़ली नशे में चूर दोनों मर्दों को झटका देने के लिये तैयार थी। सादिया चोली-नुमा टॉप, लाँग स्कर्ट और बहुत ही हाई हील्स के सैंडल्स पहने हुए थी। उसका लाँग स्कर्ट एक साईड से कमर तक कटा था जिससे उसका जिस्म एक साईड से पूरा नंगा नज़र आ रहा था। केवल डोरी से ही वो ढका हुआ था। उसने देर ना करते हुए म्युज़िक सिस्टम का वॉल्युम बढ़ा दिया और रूम की केवल एक लाईट को चालू रहने दिया। फिर सादिया डांस करने लगी। लोहाणे बेड पर बैठ गया और बॉस ने बीच में जगह बनाने के लिये चेयर्स को साईड में कर दिया और खुद एक चेयर पर बैठ गया। मेरे लिये कोई चेयर नही होने पर मैं बेड पर लोहाणे के पास बैठ गयी। अब हम तीनों नशे में चूर थे जबकी सादिया शायद पहले से ही पी कर आयी थी। उसने अपना ग्लास पूरा खत्म कर के उसे बेड के नीचे ठेल दिया।
सादिया का डांस काबिल-ए-तारीफ़ था। उसकी हर अदा उन दोनों मर्दों की ही सांसे उपर-नीचे नही कर रही थी बल्कि मुझे भी मस्त कर रही थी। लोहाणे ने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया जिसका मैंने कोई एतराज़ नही किया। लंबा लेट कर वो सादिया के डांस का मज़ा लेने लगा। मैं भी उसके पहलू में आधी लेटी हुई सादिया के डांस का मज़ा उठा रही थी। बॉस धीरे-धीरे चुस्की लेते हुए सादिया के हर थिरकते कदम का गर्दन नचा कर जवाब दे रहा था।
तभी लोहाणे मेरी जाँघों को अपने हाथ से सहलाने लगा। जिससे मेरे बदन में एक गुदगुदी होने लगी। मैं उसके जिस्म से और चिपक गयी। उसका लंड पैंट में से मेरे चूतड़ को दस्तक दे रहा था। मैं उसके कड़ेपन का एहसस अपने चूतड़ों पर कर रही थी। सादिया अब बॉस की चेयर के सामने आकर अपनी चोली में छिपे मम्मो को उसके चेहरे के सामने नचाने लगी। साईड ऐन्गल से हमे वो सब नज़र आ रहा था। बॉस की साँसें और उपर-नीचे होने लगी। सादिया ने बॉस का हाथ पकड़ा और अपने गालों से लगाया, फिर अपने मम्मो के उपर फ़िसलाया और उसकी गोद में बैठ कर घूम गयी। इधर लोहाणे का हाथ मेरी जाँघों से बढ़ कर मेरे पेट को सहलाता हुआ मेरे मम्मो को नाईटी के उपर से धीरे-धीरे सहलाने लगा और उसने मेरे चेहरे को उपर कर मेरे होठों को चुम लिया। मेरी आँखें उसके चूमने से बन्द होने लगीं। उसने मेरे दोनों लबों का रस पीना शुरु कर दिया। तभी सादिया ने मेरे बॉस की शर्ट उतार दी और अपनी चोली भी। अब उसके बड़े साईज़ के मम्मे बॉस के सीने से टकरा रहे थे। फिर वहाँ से निकल कर वो हमारे सामने आ गयी और लोहाणे के कान को अपने दाँतों से हल्के-हल्के काटने लगी। मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर मेरी दोनों हथेलियों को अपने मम्मों पर रख लिया।
उफ्फ़ क्या मंज़र था। उसके मम्मों की नाज़ुक त्वचा पे मेरी मुलायम हथेलियाँ फिसल रही थीं। सादिया ने अपना हाथ बढ़ाकर लोहाणे की पैंट पर रख दिया और उसके मतवाले लंड को पैंट के उपर से छेड़ने लगी। लोहाणे के मुँह से सिस्कारी निकल पड़ी। लोहाणे अपने दोनों हाथों को मेरी हथेली के उपर रख सादिया के मम्मों को जोर-जोर से रगड़ने लगा। सादिया ने एक झटके में उसकी पैंट की ज़िप को नीचे खींच दिया और अंडरवेयर में से उसके लंड को बाहर खींच लिया। उसका लंबा मोटा लंड उछलता हुआ बाहर आ गया। मेरी साँसें उपर-नीचे होने लगीं। लंड की चमड़ी को सादिया ने आगे पीछे किया और मुझे वहाँ से उठा कर अपने साथ खींचती हुई फिर से मेरे साथ नाचने लगी। लोहाणे तो उसके हाथ के सहलाने से पागल हो गया और अपने बाकी कपड़े उतार बेड पर नंगा हो गया।
सादिया ने अपने मम्मों को मेरे मम्मों से रगड़ना चालू किया और फिर मेरी नाईटी उतार फेंकी। फिर उसने अपना स्कर्ट भी उतार कर फेंक दिया और मेरे नंगे जिस्म से अपना नंगा जिस्म चिपका लिया। अब हम दोनों सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी नाच रही थीं। मेरे चूतड़ लोहाणे के सामने और सादिया के चूतड़ बॉस के सामने थे। हम दोनों के चूतड़ थिरक रहे थे और दोनों मर्द अपने होशो-हवास खो रहे थे। फिर मैंने सादिया के निप्पलों से अपने निप्पलों को रगड़ना चालू कर दिया। हम दोनों घूम-घूम कर आपस में अपने निप्पल रगड़ रही थीं।
तब सादिया ने मुझे कारपेट पर लिटा दिया और मेरे होठों को अपने होठों में दबाते हुए अपनी जाँघों को मेरी जाँघों के उपर उछालने लगी जैसे कि वो मुझे चोद रही हो। दोनों मर्द इस हरकत पर तड़प रहे थे। तड़पते क्यों नही। उनकी जगह सादिया जो ले रही थी। बॉस से अब नही रहा गया। उसने उठकर अपनी पैंट और अंडरवेयर खोली और अपना लंड सादिया के गालों से सहलाना शुरु कर दिया।
यह देखकर लोहाणे भी उठा और सीधे सादिया के चूतड़ को चुमने लगा। सादिया ने थोड़ा उपर खिसकते हुए बॉस का लंड अपने मुँह में ले लिया तो मेरी चूत अब लोहाणे के एकदम सामने थी। मैंने सादिया के नीचे पड़े-पड़े उसके मम्मों को चाटना शुरु कर दिया और लोहाणे ने मेरी चूत को। पूरा कमरा सिस्कारियों से भर उठा। तेज आवाज के म्युज़िक के बीच भी हम चारों की सिस्करियाँ अच्छी तरह से सुनायी पड़ रही थीं।
सादिया ने मेरे उपर से उठ कर लोहाणे को जमीन पर लेटा दिया और उसके लंड पर चढ़ गयी। लंड झटके से उसकी रसभरी चूत में घुस पड़ा। फिर वो उछल-उछल कर धक्के मारने लगी। लोहाणे अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबोच रहा था... सहला रहा था... उसके निप्पलों को पिंच कर रहा था। इधर बॉस ने मुझे जमीन पर लेटे देख कर मेरी चूतड़ को अपने हाथ से उठाया और अपना लंड मेरी जाँघों में फंसा दिया और मेरी चूत का निशाना लगा कर अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया। दो-तीन धक्को में उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था। अब अपने चूतड़ उठा कर मेरी चूत को रोंदने लगा। मेरे मुँह से आह..आह निकलने लगी।
अब थोड़ी-थोड़ी देर हम चारों पोजिशन बदल-बदल कर चुदाई रहे थे। कभी लोहाणे का लंड मेरी चूत में होता तो कभी बॉस का लंड। इसी तरह सादिया का हाल था। लोहाणे चोदने में पूरा एक्स्पर्ट था। उसका लंड भी मजबूती से हम दोनों की चूत को मज़ा दे रहा था। बॉस भी कमजोर नही था लेकिन लोहाणे से थोड़ा कम ही था। लोहाणे ने अपने लंड को कभी भी खाली बैठने नही दिया। हम दोनों की चूत को चोदने के अलावा हमारे मुँह का इस्तेमाल भी बड़े शानदार तरीके से कर रहा था। अपने लंड को कभी हमारी चूत में तो कभी हमारे मुँह में दे कर अपने लंड का बराबर इस्तेमाल कर रहा था। चारों ने रात भर इस चुदाई के खेल को जारी रखते हुए खूब मज़ा लिया।
सुबह तक हम चारों की हालत ढीली हो चुकी थी। लेकिन कम्पनी का कान्ट्रैक्ट पक्का हो चुका था। लोहाणे भी खुश और बॉस भी खुश। इधर मैं भी खुश। तीन महीने बाद मुझे दस लाख मिले जिसमे से मैंने पाँच लाख सादिया को दे दिये।
॥॥। समाप्त ॥॥
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(This post was last modified: 01-10-2023, 08:47 PM by rohitkapoor. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
टीचर ने चोदना सिखाया
लेखक: अंजान ©
मेरा नाम रितेश है। ये कहानी नब्बे के दशक के शुरू की है। घर में मैं और मेरे पापा ही थे क्योंकि जब मैं चार साल का था तब मम्मी का स्वर्गवास हो गया था। पापा बिज़नेसमैन थे और पैसों की कोई कमी नहीं थी। पापा मेरी हर इच्छा पूरी करते थे।
उस वक्त मैं सातवीं क्लास में पढ़ता था। मेरी टीचर रशीदा मैडम मेरी क्लास में सायंस पढ़ाती थी। मैं सायंस में थोड़ा कमज़ोर था। इसलिये पापा ने मैडम से रिक्वेस्ट की कि वो शाम को मुझे घर पर ट्यूशन दे दें। रशीदा मैडम के हसबैंड दो साल से कुवैत में नौकरी रहे थे और उनके दोनों बच्चे मसूरी में बोर्डिंग कॉलेज में थे। इसलिये मैडम अकेली ही रहती थी और फिर पापा ने उन्हें फीस भी काफी अच्छी ऑफर करी थी तो रशीदा मैडम मान गयी और मेरे घर पढ़ाने आने लगी।
रशीदा मैडम किनेटिक होंडा स्कूटर से शाम को छः बजे मुझे पढ़ाने आती थीं और कईं बार हमारा ड्राइवर रशीदा मैडम को कार से भी लेने और छोड़ने जाता था। जिस वक्त रशीदा मैडम आती थी उस समय घर में बस मैं और हमारा नौकर ही होते थे। पापा तो ज्यादातर उस समय ऑफिस में होते थे। नौकर उनके लिये जूस वगैरह रख जाता था और फिर वो मेरे स्टडी रूम में मुझे पढ़ाती थीं। कॉलेज में रशीदा मैडम काफी स्ट्रिक्ट थीं लेकिन घर पे काफी फ्रेंडली तरीके से पढ़ाती थीं और हंसी-मज़ाक भी करती थीं। कभी मेरे गाल खींच देतीं तो कभी गले से लगा लेतीं और मेरे जिस्म पे कहीं ना कहीं प्यार से हाथ फिरा देतीं। ये सब मुझे उनका सामान्य स्नेह ही लगता था जबकि असलियत में उनके मन में कुछ और ही था। उम्र के हिसाब से उन दिनों विपरीत सेक्स, खासकर अपनी हम उम्र लड़कियों के प्रति मन में आकर्षन ज़रूर होता था और जिज्ञासा भी थी लेकिन मुझे चुदाई के बारे में जानकारी नहीं थी। फिल्मों में कोई उत्तेजक दृश्य देखकर मेरा लंड कभी-कभार अपने आप सख्त हो जाता था लेकिन मैंने तब तक मुठ मारना भी शुरू नहीं किया था।
रशीदा मैडम की उम्र पैंतीस साल के करीब थी और बेहद खूबसूरत और सैक्सी थीं। बड़ी-बड़ी आँखें, तीखे नयन-नक्श, सुडौल बदन, बिल्कुल सुपर मॉडल लगती थीं रशीदा मैडम। वो अपने अपियरन्स का भी काफी ध्यान रखती थीं। हमेशा नये फैशन के सलवार सूट और ऊँची हील के सैंडल पहनती थीं और चेहरे पर सौम्य मेक-अप करके टिपटॉप रहती थीं। लेकिन मेरे मन में कभी भी रशीदा मैडम के बारे में गलत विचार नहीं आया।
एक बार पापा को टूर पे जाना पड़ा तीन दिनों के लिये। वैसे ये कोई नयी बात नहीं थी और पापा जब भी टूर पर जाते थे तो हमारा नौकर मेरा पूरा ख्याल रखता था। लेकिन इस बार हमारे नौकर को तभी एक रात के लिये अपने भाई की शादी में भी ज़रूरी जाना था। रशीदा मैडम को पता चला तो उन्होंने पापा से कहा कि एक रात के लिये वो हमारे घर रुक जायेंगी। वैसे भी अगले दिन शनिवार था और छुट्टी थी।
पापा उस दिन दोपहर की फ्लाइट से चले गये। हमारे नौकर को भी रात आठ बजे के करीब निकलना था तो उसने सब डीनर वगैरह और रशीदा मैडम के लिये गेस्ट-बेडरूम वगैरह तैयार कर दिया उस दिन रशीदा मैडम ने मुझे कॉलेज में बता दिया था कि वो छः बजे की बजाय सात बजे तक आयेंगी क्योंकि उन्हें किसी पार्टी में जाना था।
रशीदा मैडम करीब साढ़े-सात बजे एक छोटे बैग में कपड़े वगैरह लेकर आयीं। रशीदा मैडम आज कुछ ज्यादा ही अच्छे से तैयार होयी हुई थीं। उन्होंने आज आँखों पर आइ-शेडो और मस्कारा भी लगाया हुआ था और काफी अच्छा मेक-अप किया हुआ था। पार्टी के हिसाब से ही बेबी-पिंक कलर का सलवार-सूट पहना था जिसकी कमीज़ पर मोतियों और क्रिस्टल के साथ रेशमी धागे की सुंदर कढ़ाई की हुई थी। पैरों में काले रंग के काफी ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल थे। नौकर को अपने भाई की शादी में जाना था इसलिये रशिदा मैडम के आते ही उसने डिनर लगा दिया।
रशीदा मैडम बोली, “रितेश तुम खाना खा लो... मैं तो पार्टी में खा कर सीधे आ रही हूँ!”
मैं डिनर करने लगा और रशीदा मैडम भी डॉयनिंग टेबल पर मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयीं। नौकर उनके लिये संतरे का जूस ले कर आया तो उन्होंने नौकर को भी उसी वक्त जाने को बोल दिया कि उसे कहीं देर ना हो जाये। वो अगले दिन दोपहर तक लौटने का आश्वासन देकर चला गया।
मैंने देखा कि रशीदा मैडम जूस पीते हुए बहुत अजीब नज़रों से ऐसे घूर रही थीं जैसे बिल्ली किसी चूहे को देख रही हो और उनके होंठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी। इसके अलावा मैंने नोटिस किया कि उनकी आँखें भी थोड़ी लाल थीं और भारी सी लग रही थीं। मैंने पूछा , “मैडम आपकी आँखें लाल सी लग रही हैं... आपकी तबियत तो ठीक है ना?”
वो हंसते हुए बोली, “मैं ठीक हूँ रितेश... वो बस यहाँ आने से पहले पार्टी में थोड़ी ड्रिंक कर ली थी इसलिये... बट ऑय एम ऑल राइट!” मेरे कुछ बोलने के पहले ही वो फिर बोली, “कभी-कभार ड्रिंक कर लेती हूँ... लेकिन कॉलेज में किसी से कहना नहीं... प्लीज़!”
मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं किसी से नहीं कहुँगा तो वो उठकर अपने बैग में से वोडका की बोतल निकाल लायीं और बोली, “स्कूटर चला कर यहाँ आना था इसलिये पार्टी में ठीक से पी नहीं सकी... जब तक तुम डिनर कर रहे हो मैं भी एक-दो ड्रिंक ले लेती हूँ!” फिर अपने जूस में ही वोडका मिला कर मेरे सामने बैठ कर पीने लगी। जब तक मैंने डिनर खतम किया, मैडम ने भी दो पैग पी लिये थे।
फिर हम स्टडी रूम में आ गये। रशीदा मैडम बोली, “रितेश, आज चलो मैं तुम्हें रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाती हूँ!” उनके बोलने के तरीके से लग रहा था कि वो नशे में थीं।
“लेकिन मैडम कल जो आपने स्केलेटल सिस्टम पढ़ाना शुरू किया था वो तो अभी काफी बाकी है!” मैंने कहा।
“रितेश! मैं कईं दिनों से तुम्हें रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाने के बारे में सोच रही थी...! रिप्रोडक्शन सिस्टम की नालिज होना ज़िंदगी में बेहद ज़रूरी है!” रशीदा मैडम मेरा गाल सहलाते हुए बोली।
मैंने कहा, “ओके मैडम!” और किताब निकालने लगा।
“रितेश! बुक की कोई ज़रूरत नहीं है... मैं तुम्हें बेहद सिंपल तरीके से प्रैक्टिकली रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाऊँगी... तुम्हें इतना इंट्रस्टिंग लगेगा कि हर रोज़ मुझसे रिप्रोडक्शन सिस्टम पढ़ाने को कहोगे!” वो मुस्कुराते हुए बोली।
फिर उन्होंने बतान शुरू किया, “रिप्रोडक्शन सिस्टम में मेल और फिमेल के रिप्रोडक्टिव पार्ट्स के बारे में पढ़ते हैं!”
“मैडम ये रिप्रोडक्टिव पार्ट्स क्या होते हैं?”
“रितेश रिप्रोडक्टिव पार्ट्स मतलब कि सेक्ज़ुअल ऑर्गन.. मैं तुम्हें आम ज़ुबान में बेहद आसान करके समझाती हूँ...! देखो जिस्म के निचले हिस्से में तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट है और मेरे जिस्म के निचले हिस्से में मेरा रिप्रोडक्टिव पार्ट! लड़कों के रिप्रोडक्टिव पार्ट को आम ज़ुबान में लंड कहते हैं और लड़कियों के पार्ट को चूत कहते हैं। एक काम करो तुम खड़े हो जाओ... मैं तुम्हें दिखाती हूँ!”
मैं खड़ा हो गया। मैं उस दिन जींस पहने हुए था। रशीदा मैडम ने मेरी जींस के बटन को खोल दिया। फिर ज़िप्पर को नीचे किया और आखिर में जींस को नीचे गिरा दिया। मैं अंडरवीयर में था। वो बोली, “रितेश ये अंडरवीयर भी उतार दो!”
“वो... वो क्यों मैडम?” मैं शर्माते हुए बोला।
“रितेश तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट इसी अंडरवीयर के अंदर है!”
“लेकिन मैडम वो तो मेरा पेनिस है जिससे मैं पेशाब करता हूँ!”
“हाँ वही... पेनिस को ही तो आम ज़ुबान में लंड कहते हैं और ये ही तुम्हारा रिप्रोडक्टिव पार्ट्स है! रितेश दिखाओ तो कैसा है!” रशिदा मैडम ज़ोर देते हुए बोली। उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं।
मैं हिचकिचाया तो उन्होंने खुद ही मेरा अंडरवीयर नीचे खींच दिया। मैंने झट से अपने हाथों से अपना लंड छुपा लिया। मुझे बहुत शरम आ रही थी।
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(This post was last modified: 01-10-2023, 09:14 PM by rohitkapoor. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
“देखो रितेश! ऐसे शर्माओगे तो कैसे सीखोगे... चलो हाथ हटाओ अपने...!” ये कहते हुए उन्होंने खुद ही मेरे हाथ मेरे लंड से दूर हटा दिये। मुझे बहुत अजीब लग रहा था और मैं नज़रें झुका कर खड़ा था।
“वाओ! रितेश तुम्हारा लंड तो बेहद गोरा और खूबसूरत है! देखो इसी को लंड कहते हैं!” रशीदा मैडम मेरे लंड को अपने नरम हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए रोमांचित होकर बोली। उनके सहलाने से मेरे लंड में स्वतः ही सख्ती आने लगी। मेरे लंड को सहलाना ज़ारी रखते हुए रशीदा मैडम फिर बोली, “ये रिप्रोडक्शन सिस्टम का एक अहम हिस्सेदार है... देखो ये सख्त हो रहा है... इसका मतलब तुम्हारा लंड अब इस काबिल हो चुका है कि वो रिप्रोडक्शन सिस्टम का हिस्सा बन सके... पहले ये बताओ कि तुम सैक्स के बारे में क्या जानते हो... बच्चे कैसे होते हैं?”
“वो मैडम... बस इतना ही कि जब लड़का और लड़की साथ में नंगे सोते हैं और किस करते हैं तो लड़की प्रेगनेन्ट हो जाती है!” मैंने बताया जो भी मैं हिंदी फिल्मों की वजह से जानता था।
मेरी बात सुनकर रशीदा मैडम हंसने लगी और फिर बोली, “रितेश तुम भी कितने नादान हो... साथ में सिर्फ नंगे सोने से कुछ नहीं होता... ये लंड जब औरत की चूत के अंदर जाकर उसे चोदता है और थोड़ी देर चुदाई करने के बाद औरत की चूत में ये अपना क्रीम जैसा पानी गिरा देता है... उससे बच्चा पैदा होता है!”
“मैडम इसमें से तो पेशाब निकलता है...!”
“क्या तुम्हारे लंड से कभी क्रीम जैसा गाढ़ा सफेद पानी नहीं निकला?” रशीदा मैडम ने कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराते हुए पूछा।
“नहीं मैडम...!” मैंने कहा।
“रियली! कोई बात नहीं... मैं हूँ ना ये सब सिखाने के लिये... खैर अब मैं तुम्हें चूत के बारे में बताती हूँ... देखो इधर!” वो मुस्कुराते हुए बोली और फिर उन्होंने अपनी कमीज़ को ऊपर उठाकर अपनी सलवार की तरफ़ इशारा करते हुए आगे कहा, “इसके अंदर मेरी चूत है...!”
रशिदा मैडम ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और एक ही झटके में सलवार अपनी कमर से अलग कर दी । मैडम की सलवार के नीचे लाल रंग की छोटी सी सिल्क की पैंटी थी। फिर वो बोली, “रितेश इधर आओ और अपना हाथ इस पैंटी के अंदर डाल कर चूत को ऊपर से फील करो!”
मैंने हाथ अंदर डाला तो गीला-गीला और बेहद गरम महसूस हुआ। मैंने तुरंत हाथ बाहर निकाल लिया और बोला, “मैडम इसके अंदर इतनी गर्मी है और गीला है... क्या आपने पेशाब कर दिया?”
रशीदा मैडम मेरी मासूम बातों पर हंसते हुए प्यार से बोली, “ओह नो! ये पेशाब नहीं... मेरी चूत का रस है। जब चूत चुदने के लिये मचलती है तो उसमें से ये खुशबूदार रस निकलता है... इसका ज़ायका भी मस्त होता है... वैसे ही जैसे लंड से निकलने वाली क्रीम का!”
फिर वो मेरा हाथ पकड़ कर अपनी नाक के पास ले गयीं और अदा से सूँघते हुए अपने मुँह में ले कर मेरी उंगलियाँ चूसने लगी। फिर रशीदा मैडम ने अपनी पैंटी को भी उतार दिया अब वो कमर से नीचे बिल्कुल नंगी थी। रशिदा मैडम बोली, “देखो रितेश! ये मेरी चूत है! इसके ऊपर काले रंग के बाल होते हैं जिन्हें झाँटें कहते हैं... लेकिन मैं उन्हें साफ़ कर देती हूँ क्योंकि मुझे साफ-सुथरी चिकनी चूत पसंद है! ये देखो... यहाँ गहरायी है ना!”
“येस मैडम!” मैं तो मंत्रमुग्ध था क्योंकि पहले कभी मैंने चूत नहीं देखी थी।
अपनी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए रशीदा मैडम बोली, “देखो बिल्कुल नहर की तरह है... दोनों तरफ बाँध है और बीच में गहरायी... तो इसी को चूत कहते हैं! तुम्हारा लंड इसी चूत में जाकर चोदेगा तो उसे चुदाई कहेंगे!”
मैंने थोड़ा कन्फ्यूज़्ड होते हुए पूछा, “लेकिन मैडम लंड इस चूत में कैसे घुसेगा?”
रशीदा मैडम बोली, “चूत के अंदर घुसने और चुदाई करने के लिये लंड का सख्त होना ज़रूरी है... जब बहुत सारा खून लंड की नसों में भर कर दौड़ने लगता है तो लंड फूल कर सख्त हो जाता है!”
“लेकिन मैडम... लंड की नसों में खून कैसे दौड़ेगा?” मैंने ज्ञासापूर्वक पूछा।
रशीदा मैडम मेरे लंड को अपनी मुलायम मुठ्ठी में सहलाते हुए बोली, “जब चुदाई की मस्ती चढ़ती है तो खुद-ब-खुद लंड में खून दौड़ने लगता है... अब देखो मैं तुम्हारा लंड सहला रही हूँ तो ये धीरे-धीरे सख्त हो रहा है... और अगर मैं इसे अपने मुँह में ले कर चूसूँ तो तुम्हें और ज्यादा मस्ती चढ़ेगी और ये लंड बिल्कुल पत्थर की तरह सख्त हो जायेगा... चलो अब जल्दी से सारे कपड़े उतारो... मैं सब कुछ प्रैक्टिकल करके दिखाती हूँ!”
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18-12-2021, 02:04 AM
(This post was last modified: 01-10-2023, 09:40 PM by rohitkapoor. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
इस बार मैंने आनाकानी नहीं की और अपने सारे कपड़े उतार दिये। रशीदा मैडम भी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयीं। अब उन्होंने सिर्फ ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे। मैं तो उनका नंग रूप देखता ही रह गया। मेरी चिकनी छाती पर हाथ फिराते हुए रशीदा मैडम अदा से मुस्कुरा कर बोलीं, “क्यों रितेश! कैसा लगा मेरा नंगा जिस्म?”
“मैडम आप बहुत सुंदर हैं... मैंने पहले कभी किसी को नंगा नहीं देखा... मुझे बहुत कुछ-कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है... देखिये मेरा लंड भी और फूलने कगा है... और आपके ब्रेस्ट तो बहुत ही गज़ब के हैं!” मैंने उत्तेजित होकर कहा।
“देखा मैंने कहा था ना... मुझे नंगा देखकर तुम्हें चुदाई की मस्ती चढ़ रही है और तुम्हारा लंड खुद-ब-खुद इकसाइटिड हो रहा है!” रशीदा मैडम फिर बैठ गयीं और और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया।
मैंने पूछा, “मैडम तो क्या अब मेरा लंड आपकी चूत में घुस कर चोद सकता है?”
“ज़रूर चोद सकता है... लेकिन रितेश! चुदाई महज़ चूत में लंड डाल कर चोदने का मकैनिकल प्रॉसेस नहीं है... बल्कि इसका पूरा-पूरा मज़ा लेना और देना चाहिये... खुदा ने दुनिया में चुदाई से बड़ा कोई मज़ा या खुशी नहीं बनायी... चुदाई के दौरान दिल, जिस्म और रूह एक हो जाते हैं और ज़न्नत के सुकून का एहसास होता है!” रशीदा मैडम गंभीर होते हुए बोली।
उन्होंने आगे कहा, “चुदाई से पहले एक दूसरे को खूब सहलाना... चूमना... चूसना चाहिये... इससे बहुत मस्ती चढ़ती है और चुदाई का लुत्फ कईं गुना हो जाता है... जैसे कि अगर तुम मेरे ब्रेस्ट... मतलब कि मम्मे दबाओगे और मेरे निप्पल चूसोगे तो मेरी भी मस्ती बढ़ेगी... और ये देखो... मेरी चूत के ऊपर ये छोटी सी लंड जैसी क्लिट है... अगर इसे सहलाया या रगड़ा जाये या मुँह से चूसा जाये तो चूत बेहद मस्त हो जाती है... इन सबको फोरप्ले कहते हैं!”
फिर रशीदा मैडम ने मेरी गर्दन पकड़ कर मेरा चेहरा अपने चेहरे के ऊपर झुका लिया और मेरे होंठ चूसने लगी। “रितेश! मेरे मम्मे सहलाओ... और मेरे निप्पल सक करो!” ये कहते हुए रशीदा मैडम ने मेरा चेहरा अपने ठोस मम्मों पर दबा दिया। मैं उनके मम्मे दबाते हुए बच्चे की तरह उनके निप्पल मुँह में लेकर चूसने लगा तो रशीदा मैडम की सिसकरियाँ निकलने लगी। “वेरी गुड रितेश! ऐसे ही चूसो...!” मेरे बालों में बेकरारी से हाथ फिराते हुए रशीदा मैडम बोलीं।
फिर थोड़ी देर में उन्होंने मुझे अपने सामने सीधा खड़ा कर दिया और मेरे लंड के सुपाड़े पर चुम्मा दे दिया। जैसे ही रशीदा मैडम मेरा लंड अपने मुँह में लेने लगी तो मैं पीछे हटते हुए बोला, “नहीं मैडम... गंदा है ये... इसमें से पेशाब निकलता है...!”
रशीदा मैडम ने मुझे फिर अपने सामने खींचते हुए कहा, “रितेश... लंड गंदा नहीं होता... इसे चूसने में तो मुझे बेहद मज़ा आता है और तुम्हें तो इतनी मस्ती चढ़ेगी कि तुम कंट्रोल नहीं कर पाओगे... मैं तो तुम्हारे लंड से निकलने वाली पहली-पहली क्रीम के ज़ायके के लिये बेकरार हूँ... ऐसा मौका ज़िंदगी में मुझे पहले कभी नसीब नहीं हुआ!”
इतना कह कर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और उसपे जीभ घुमा-घुमा कर चूसने लगीं। मेरा तो मस्ती में मेरा सिर घूमने लगा। इतना सुखद एहसास जीवन में पहले कभी नहीं हुआ था। थोड़ी देर में मेरा बदन ऐंठ कर काँपने लगा और मैंने रशीदा मैडम का सिर पकड़ कर रिरियाना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि मेरा पेशाब निकलने वाला है। रशिदा मैडम को भी एहसास हो गया कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मेरा लंड अपने मुँह में ज़ोर-ज़ोर चूसते हुए उन्होंने मेरे चूतड़ पकड़ लिये ताकि मैं कहीं पीछे ना हट जाऊँ। कुछ ही क्षणों में मुझ अपने लंड में कुछ उबल कर दौड़ता सा महसूस हुआ था और मेरा लंड रशीदा मैडम के मुँह में स्खलित हो गया। आखिरी कतरा चूस लेने के बाद ही रशीदा मैडम ने मेरा लंड बाहर निकाला। मेरी आँखों के सामने तो अंधेरा ही छा गया था और मैं वहीं रशीदा मैडम के पैरों के पास फर्श पर बैठ गया। जीवन में मेरा लंड पहली बार स्खलित हुआ था और वो भी अपने से तीगुनी उम्र की टीचर के मुँह में।
![[Image: IMG-0183.jpg]](https://i.ibb.co/7zrPMtV/IMG-0183.jpg)
रशिदा मैडम अपने होंठ चपचपाते हुए बोली, “थैंक यू रितेश! आज तुमने मुझे ज़िंदगी का सबसे बेशकीमती तोहफा दिया है... आज पहली बार किसी लंड की पहली-पहली क्रीम का ज़ायक़ा नसीब हुआ है... ऑल थैंक्स टू यू!”
“मैडम! मुझे भी बहुत अच्छा लगा... आऊट ऑफ दिस वर्ल्ड!” मैंने कहा।
रशीदा मैडम अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए बोली, “जब मेरी चूत चोदोगे तो और भी मज़ा आयेगा!”
“लेकिन मैडम मेरा लंड तो अब नरम हो गया... चुदाई कैसे होगी?” मैंने निराशा भरे स्वर में कहा।
“अरे मायूस क्यों हो रहा है... अभी अपने प्यार से इसमें फिर जान फूँक दूँगी!” मेरे लंड को अपने सैंडल से टटोलते हुए रशीदा मैडम बोली। असल में उनके सैंडल के स्पर्श मात्र से भी मेरे लंड में मस्ती ट्रिगर होने लगी। उन्होंने फिर मुझे अपने सामने खड़ा किया और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी और एक बार फिर उसे मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। मेरे लंड को सख्त होते देर नहीं लगी।
जब मेरा लंड लोहे के रॉड की तरह सख्त हो गया तो रशीदा मैडम बोली, “मैं पैरों को फैलाकर टेबल के बल खड़ी हो जाती हूँ, तुम अपना लंड मेरी चूत में डालो!”
“लेकिन मैडम... बच्चा पैदा हो गया तो...?” मैंने आशंकित होकर पूछा।
रशीदा मैडम बोली, “कोई बात नहीं... मैं टीचर हूँ ना... ऐसा नहीं होने दूँगी क्योंकि मैं बच्चा ना होने की दवाई लेती हूँ!”
मैंने फिर पूछा, “लेकिन मैडम मेरा तो लंड काफी सख्त और बड़ा है... ये आपकी चूत में कैसे घुसेगा... कहीं आपकी चूत ज़ख्मी ना हो जाये!”
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18-12-2021, 02:04 AM
(This post was last modified: 01-10-2023, 09:56 PM by rohitkapoor. Edited 4 times in total. Edited 4 times in total.)
“कुछ नहीं होगा... तुम्हारा लंड मेरे थूक से चिकना हुआ है और मेरी चूत भी चिकने रस से भिगी हुई है... जब तुम इसमें अपना लंड डालोगे तो अंदर चला जायेगा...!” रशीदा मैडम बेकरारी से मेरे सवालों पर थोड़ा खीझते हुए बोली। वो अपने दोनों पैरों को फ़ैला कर टेबल के बल चूतड़ टिका कर खड़ी हो गयीं। पैरों मे सिर्फ़ ऊँची हील के सैंडल पहने इस तरह चौड़ी टाँगें करके खड़ी वो बहुत मादक लग रही थीं। रशीदा मैडम ने खुद मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा तो मैंने धीरे से धक्का दिया। मेरा लंड सरसराता हुआ रशीदा मैडम की चूत में चला गया।
“ओहहहह आआआहह... रितेश बहुत सख्त और गरम लंड है तुम्हारा... वेरी गुड... पूरा लंड घुसा दो!” रशीदा मैडम ने मस्ती में सिसकते हुए कहा। मैंने धीरे से और धक्का दिया तो पूरा का पूरा लंड रशीडा मैडम की चूत में चला गया। उनकी भीगी चूत इतनी गरम और इतनी मुलायम थी जैसे कि गरम मक्खन।
“ऊँऊँहहह्ह.... रितेश! अब अपने लंड को बाहर खींचकर फिर थोड़ा अंदर डालो!”
मैंने उनके निर्देश अनुसार अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचा और फिर अंदर डाल दिया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। रशीदा मैडम ने आँखें बंद कर लीं। वो भी अपने चूतड़ आगे-पीछे चलाने लगी।
वो मेरी गर्दन में बाँहें डालकर बोली, “रितेश इसे ही चोदना कहते हैं... जब चूत में लंड आगे-पीछे होता है... तो देखो चूत से रस निकलता है और चुदाई आसान हो जाती है... चोदो... और अंदर डालो... थोड़ा और अंदर दबाओ... आहहह बेहद अच्छी तरह चुदाई कर रहे हो तुम... थोड़ा राइट से मारो... थोड़ा राइट... और थोड़ा... हाँऽऽ हाँऽऽ चोदो... चूत के अन्दर और थोड़ा डालो। ऊँऊँमऽऽऽ. रितेश वेरी गूड... मैं जानती थी कि तुम्हारा लंड वाकय चोदने के काबिल हो गया है. पेलो इसे और पेलो... आज तुम्हारे लंड का इनॉग्यरैशन करके मैंने तुम्हें जवान बना दिया!”
मुझे भी मज़ा आ रहा था। लंड वाकय में बहुत कड़क हो गया था। शरीर में एक अजीब सी कसावट पैदा हो गयी थी और ना जाने क्या हो गया। फिर रशीदा मैडम बोली, “रितेश रुको... थोड़ा बाहर निकालो अपने लंड को... मैं कुत्तिया बन जाती हूँ... तुम पीछे से पेलो....!”
रशीदा मैडम अपने दोनों हाथों को ज़मीन के बल रखके कुत्तिया बन गयीं। मैंने अपना लंड पीछे से उनकी चूत में लगाया और पेलना शुरू कर दिया। “हाँ रितेश...! आह बड़ा मज़ा आ रहा है... चोदो और चोदो... !” वो लगातार सिसकते मस्ती में बड़बड़ा रही थीं, “हाँऽऽ फाड़ डालो मेरी चूत... पूरी तरह चोद दो आज.... मेरी चूत बेहद प्यासी है... आहह... ऊऊऊहहहह बहुत दिनों के बाद ऐसा ताज़ा लंड नसीब हुआ है... कोरे लंड से चुदाने का मज़ा ही अलग है... चोद... और ज़ोर से... तुम वाकय में मेरे प्यारे स्टूडेंट हो... कब से मेरी नज़र थी तुम पर... अपनी मैडम की चूत की प्यास बुझा दो!”
“मैडम... आप जैसे कहेंगी वैसे ही चोदुँगा मैं आपकी चूत को... इसका कचूमर निकाल दूँगा.. मैडम... बहुत अच्छा लग रहा है!” मैंने उनकी चूत में लंड पेलते हुए कहा।
“भोंसड़ा बना डालो अपनी मैडम की चूत का... चोदो... पेलो... और जोर से... हाँऽऽऽ रितेश... ऐसे ही... पेलते रहो... पेलते रहो... अपने लंड को मेरी चुत में पेलते रहो....!” रशीदा मैडम इसी तरह बोलती रहीं और ये चुदाई करीब पंद्रह मिनट तक ज़ारी रही। इस बीच मैडम का बदन दो बार अकड़ा और चींखते हुए मेरे लंड पर पानी छोड़ते हुए झड़ीं। फिर मेरा लंड भी रशीदा मैडम की चूत में स्खलित हो गया और मैं उनकी कमर के ऊपर ही ढेर हो गया।
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18-12-2021, 02:05 AM
(This post was last modified: 01-10-2023, 10:53 PM by rohitkapoor. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
अपनी साँसें संभालने के बाद उन्होंने मेरे लंड को प्यार से अपने मुँह में चूस कर साफ किया और फिर हम नंगे ही गेस्ट-बेडरूम में आकर बेड पर लेट गये। रशीदा मैदम ने अपने सैंडल भी नहीं निकाले। वो मेरा गाल सहलाते हुए बोली, “रितेश... तो समझ में आया रिप्रोडक्शन सिस्टम?”
“येस मैडम... और मज़ा भी आया!” मैंने कहा।
रशीदा मैडम बोलीं, “रितेश... ये तो रिप्रोडक्शन सिस्टम का पहला ही चैपटर था। अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी है और मुझे जब भी मौका मिलेगा तुम्हें सब कुछ प्रैक्टिकली सिखाऊँगी और हम खूब प्रैक्टिस करेंगे! बस प्रॉमिस करो कि किसी से भी इस बारे में ज़िक्र नहीं करोगे!”
“श्योर मैडम... मैं सीक्रेट रखुँगा ये सब...! आप बहुत अच्छी टीचर हैं...! कितनी मस्ती और मज़े से आपने प्रैक्टिकली मुझे रिप्रोडक्शन सिस्टम समझा दिया!” मैं बोला।
“रितेश मुझे चुदवाने का बेहद शौक है... खासतौर पे तुम्हारे जैसे वर्जिन और यंग लड़कों से... मैं कईं लड़कों को रिप्रोडक्शन सिस्टम प्रैक्टिकली समझा कर उन्हें चुदाई में एक्सपर्ट बना चुकी हूँ!” कहते हुए उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में दबोच लिया और मेरा चेहरा उनके नंगे मम्मों में धंस गया। ऐसे ही लिपट कर लेटे हुए कब हमें नींद आ गयी पता ही नहीं चला।
अगले दिन सुबह मेरी आँख खुली तो रशीदा मैडम लेटी हुई मेरा लंड प्यार से सहला रही थीं जो इस वक्त काफी सख्त हो चुका था। मैंने देखा कि रशीदा मैडम अभी भी मेरी तरह ही बिल्कुल नंगी थीं और अपने हील वाले सैंडल भी नहीं उतारे थे। मुझे जागते देख कर उन्होंने मेरे होंठ चूम लिये और बोली, “तुम्हारा लंड तो कब से उठा हुआ है... बस तुम्हारे उठने का इंतज़ार था! दोपहर तक तुम्हें चुदाई के और एक-दो कॉन्सेप्ट सिखा दुँगी तुम्हें!”
उसके बाद नौकर के आने के पहले दोपहर तक मैंने और रशीदा मैडम ने दो बार चुदाई की और उन्होंने मुझे चूत चाटना भी सिखाया। नौकर के आने से पहले हम दोनों तैयार हो गये और बाद में रशीदा मैडम अपने घर चली गयी।
हमारे घर पर शाम को ट्यूशन के समय चुदाई का प्रैक्टीकल करने में खतरा था इसलिये रशीदा मैडम ने पापा से बात कर ली की मैं ही रशीदा मैडम के घर जाकर उनसे ट्यूशन पढ़ूँ। मैं हफ्ते में तीन दिन शाम को रशीदा मैडम के घर जाने लगा पढ़ने के लिये। कहने की ज़रूरत नहीं कि वास्तविक पढ़ायी कम होती थी और चुदाई की प्रक्टिस ज्यादा। रशीदा मैडम मुझसे अक्सर गाँड भी मरवाती थीं और वी-सी-आर पे ब्लू-फिल्में दिखा कर वैसे ही चुदाई मेरे साथ करतीं।
फिर करीब तीन महीने पश्चात मुझे उन्होंने अपनी दो और सहेलियों की हवस का शिकार भी बना दिया। रशीदा मैडम की वो दोनों सहेलियाँ, सायरा आंटी और आमना आंटी, भी उन ही की तरह यंग कमसिन लड़कों की रसिया थीं। हफ्ते भर शाम को ट्यूशन में रशीदा मैडम मुझे चुदाई के गुर सिखा कर खूब प्रैक्टिस करवाती और फिर हर शनिवार को रशीदा मैडम के घर पे ही उनकी दोनों सहेलियाँ इक्स्टर्नल इग्ज़ैमिनर बन कर आतीं और शराब पी कर तीनों ठरकी सहेलियाँ मिलकर दो-तीन घंटे तक मेरी प्रैक्टीकल की परीक्षा लेतीं। सायरा आंटी रशीदा मैडम की तरह ही किसी दूसरे कॉलेज में टीचर थीं और आमना आंटी हाऊज़-वाइफ थीं और उनके हसबैंड बहुत बड़े उद्योगपति थे। तीनों में से आमना आंटी ही सबसे ज्यादा ठरकी और सबसे ज्यादा पर्वर्ट भी थीं। चुदाई के समय तो बेकाबू होकर बिल्कुल भूखी शेरनी की तरह खौफनाक हो जाती थी और काटने, खरोंचने तक लगती थी। शराब के नशे में इतनी गंदी-गंदी गालियाँ बकती थीं कि किसी रंडी को भी शरम आ जाये।
ये सब सिलसिला करीब दो साल तक चला और नवीं क्लास में पापा ने मुझे बॉर्डिंग कॉलेज में भेज दिया।
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अमीना की कहानी
लेखिका: अमीना काज़ी ©
मेरा नाम अमीना काज़ी है। मेरे शौहर शफ़ीक काज़ी ठेकेदारी का काम करते थे। उनका ठेकेदारी का काम बेहद लंबा चौड़ा था। उनका एक मैनेजर था जिसका नाम रशीद कुरैशी था। वो उनका दोस्त भी था और उनका सारा काम देखता था। वो हमारे घर सुबह के आठ बजे आ जाता था और नाश्ता करने के बाद मेरे शौहर के साथ साईट पर निकल जाता था। मैं उसे उसके नाम से ही रशीद कह कर बुलाती थी और वो भी मुझे सिर्फ अमीना कह कर बुलाता था। उस समय उसकी उम्र करीब तेईस साल की थी और वो दिखने में बहुत ही हैंडसम था। वो मुझसे कभी कभी मज़ाक भी कर लेता था। शादी के पाँच साल बाद मेरे शौहर की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गयी। अब उनका सारा काम मैं ही संभालती हूँ और रशीद मेरी मदद करता है।
मेरे शौहर बहुत ही सैक्सी थे और मैं भी। उनके गुज़र जाने के बाद करीब छः महीने तक मुझे सैक्स का बिल्कुल भी मज़ा नहीं मिला तो मैं उदास रहने लगी। एक दिन रशीद ने कहा, “क्या बात है अमीना, आज कल तुम बहुत उदास रहती हो!”
मैंने कहा, “बस ऐसे ही!”
वो बोला, “मुझे अपनी उदासी की वजह नहीं बताओगी? शायद मैं तुम्हारी उदासी दूर करने में कुछ मदद कर सकूँ।”
मैंने कहा, “अगर तुम चाहो तो मेरी उदासी दूर कर सकते हो। आज पूरे दिन काफ़ी काम है। मैं शाम को तुम्हें अपनी उदासी की वजह जरूर बताऊँगी। मेरी उदासी की वजह जान लेने के बाद शायद तुम मेरी उदासी दूर कर सको। मेरी उदासी दूर करने में शायद तुम्हें काफ़ी ज्यादा वक्त लग जाये, हो सकता है पूरी रात ही गुज़र जाये... इसलिए आज तुम अपने घर बता देना कि कल तुम सुबह को आओगे। मैं शाम को तुम्हें सब कुछ बता दुँगी!”
वो बोला, “ठीक है।”
हम दोनों सारा दिन काम में लगे रहे। एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली। घर वापस आते-आते रात के आठ बज गये। घर पहुँचने के बाद मैंने रशीद से कहा, “मैं एक दम थक गयी हूँ। पहले मैं थोड़ा गरम पानी से नहा लूँ... उसके बाद बात करेंगे... तब तक तुम हम दोनों के लिये एक-एक पैग बना लो।”
वो बोला, “नहाना तो मैं भी चाहता हूँ। पहले तुम नहा लो उसके बाद मैं नहा लुँगा।”
मैं नहाने चली गयी और रशीद पैग बनाने के बाद बैठ कर टी.वी देखने लगा। पंद्रह मिनट बाद मैं नहा कर बाथरूम से बाहर आयी तो मैंने केवल गाऊन पहन रखा था। गाऊन के बाहर से ही मेरे सारे जिस्म की झलक एक दम साफ़ नज़र आ रही थी। रशीद मुझे देखकर मुस्कुराया और बोला, “आज तो तुम बहुत सुंदर दिख रही हो।” मैं केवल मुस्कुरा कर रह गयी। उसके बाद रशीद नहाने चला गया। मैं सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखते हुए अपना पैग पीने लगी। थोड़ी देर बाद रशीद ने मुझे बाथरूम से ही पुकारा तो मैं बाथरूम के पास गयी और पूछा, “क्या बात है?”
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वो अंदर से ही बोला, “अमीना! मैं अपने कपड़े तो लाया नहीं था और नहाने लगा। अब मैं क्या पहनुँगा!”
मैंने कहा, “तुम टॉवल लपेट कर बाहर आ जाओ। मैं अभी तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम कर दुँगी।” रशीद एक टॉवल लपेट कर बाहर आ गया। मैंने कहा, “तुम बैठ कर टी.वी देखो, मैं एक-एक पैग और बना कर लाती हूँ। उसके बाद मैं तुम्हारे लिये कपड़ों का इंतज़ाम भी कर दुँगी।” वो सोफ़े पर बैठ कर टी.वी देखने लगा। मैंने व्हिस्की के दो तगड़े पैग बनाये और मैंने रशीद को एक पैग दिया। वो चुप चाप सिप करने लगा। मैं भी सोफ़े पर बैठ कर पैग पीने लगी।
रशीद ने मुझसे पूछा, “अब तुम अपनी उदासी की वजह बताओ। मैं तुम्हारी उदासी दूर करने की कोशिश करूँगा।”
मैं उठ कर रशीद की बगल में बैठ गयी। फिर मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया और कहा, “मेरी उदासी की वजह ये है। मेरे शौहर को गुजरे हुए छः महीने हो गये हैं और तब से ही मैं एकदम प्यासी हूँ। वो रोज ही जम कर मेरी चुदाई करते थे। छः महीने से मुझे चुदाई का मज़ा बिल्कुल नहीं मिला है और ये कमी तुम पूरी कर सकते हो!”
वो कुछ नहीं बोला। मैंने रशीद के लंड पर से टॉवल हटा दिया। रशीद का लंड एक दम ढीला था लेकिन था बहुत ही लंबा और मोटा।
मैंने कहा, “तुम्हारा लंड तो उनके लंड से ज्यादा लंबा और मोटा लग रहा है। मुझे तुमसे चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा!”
वो बोला, “मैं तुम्हें नहीं चोद सकता!”
मैंने पूछा, “क्यों?”
रशीद ने अपना सिर झुका लिया और बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता!”
उसकी बात सुन कर मैं सन्न रह गयी। मैंने कहा, “तुम्हारी शादी भी तो दो महीने पहले हुई है!”
वो बोला, “मेरा लंड खड़ा नहीं होता इसलिए वो अभी तक कुँवारी ही है। मेरी बीवी मुझसे इसी वजह से बेहद खफ़ा रहती है। वो कहती है कि जब तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होता था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की!”
मैंने रशीद से कहा, “ठीक है, जब मैं अपने लिये कोई अच्छा सा मर्द ढूँढ लुँगी जिसका लंड खूब लंबा और मोटा हो और जो खूब देर तक मेरी चुदाई कर सके... उसके बाद तुम एक दिन अपनी बीवी को भी यहाँ बुला लाना, मैं तुम्हारी बीवी को भी उससे चुदवा दुँगी। इस तरह तुम्हारी बीवी सुहागरात भी मना लेगी और उसे चुदवाने का पूरा मज़ा आ जायेगा। उसके बाद वो तुमसे कभी खफ़ा नहीं रहेगी। क्यों ठीक है ना?”
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