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अभी मुझे वहाँ बैठे कुछ ही देर हुई थी कि एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा ऑर पिछे से आवाज़ आई...
आदमी: ओये खाबीज़ तुझे यहाँ बड़े लोगो मे बैठने को किसने बोला है चल बाहर दफ्फा हो ऑर सेक्यूरिटी का ख़याल रख साले को दारू पीने की पड़ी है...
मैं: (बिन कुछ बोले अपनी कुर्सी से खड़ा होते हुए) जी जनाब...
मैं उठकर बाहर जाने लगा तो उस आदमी ने पिछे से एक पिस्टल मेरी पीठ पर रख दी...
आदमी: अपने आप को बहुत होशियार समझता है शेरा... तुझे क्या लगता है तू यहाँ आके हमारे लोगो को मारेगा ऑर हम को पता भी नही चलेगा अब बिना कोई आवाज़ किए चुप-चाप मेरे साथ चल नही तो यही गोली मार दूँगा...
मैं बिना कुछ बोले उसके आगे चलने लगा... वो मुझे सीढ़ियो से उपर की तरफ ले गया मैं नही जानता था कि वो आदमी कौन है ऑर मुझे कैसे जानता है... मेरे सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उसने मेरी कमर पर लटकी पिस्टल भी उतार ली ऑर मेरी कमर पर हाथ रख कर चेक करते हुए मेरी कमीज़ मे मोजूद 2 पिस्टल भी निकाल ली अब मेरे पास सिर्फ़ 3 पिस्टल थी 1 जो मेरी टोपी मे मोजूद थी ऑर बाकी 2 मेरे जुत्तो मे थी... मैं चुप चाप धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ रहा था ऑर उस आदमी से नीज़ात पाने का रास्ता सोच रहा था...
आदमी: ख़ान भाई सही थे तू साला यहाँ ज़रूर आएगा ऑर देखो आ भी गया यहाँ मरने के लिए...
मैं: मदारचोड़ ठोकना है तो गोली चला दिमाग़ मत चाट मेरा...
आदमी: तू चल तो सही बेटा इतनी भी क्या जल्दी है मरने की... एक बार ख़ान भाई का निकाह हो लेने दे तुझे तो फ़ुर्सत से मारेंगे साले गद्दार...
मैं: गद्दार मैं नही तेरा हरामखोर ख़ान है जिसने हर कदम पर मेरे साथ फरेब किया है...
हम लोग बातें करते हुए उपर आ गये वो आदमी मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ पहले से कुछ लोग मोजूद थे... उन्होने मुझे एक कुर्सी पर बिठाया ओर बाँध दिया साथ ही मेरे सिर से टोपी उतार दी जिसमे मैने एक पिस्टल भी रखी हुई थी...
आदमी: ओये नवाब ये ले ख़ान भाईजान का तोहफा संभाल कर रख मैं उनको बताके आता हूँ कि आशिक़ कुत्ते की मौत मरने को खुद ही आ गया है...
मैं: मरने नही भेन्चोद तुम्हारी मारने आया हूँ अगर एक बाप का है तो खोल मेरे हाथ फिर तुझे बताता हूँ कि मैं यहाँ मारने आया हूँ या तुम सब की क़बर बनाने आया हूँ...
आदमी: मेरे मुँह पर मुक्का मारते हुए... सस्स्सस्स ज़ोर से तो नही लगी शेरा...
मैं: अगर मेरे हाथ आज़ाद हो गये तो तुझे फ़ुर्सत से मारूँगा भेन्चोद शेर को बाँध कर मर्दानगी दिखाता है साले ना-मर्द...
नवाब: (मुझे लात मारते हुए) साले मे गर्मी बहुत है यार इसका तो इलाज मैं करता हूँ तू जा फ़ारूख़ यहाँ से ऑर ख़ान भाई को लेके आ...
उसके बाद वो फ़ारूख़ नाम का आदमी कमरे से बाहर चला गया अब मेरे आस-पास कुछ लोग मोजूद थे जिन्होने मुझ पर लातों ऑर मुक्को की बरसात शुरू करदी... मैं बँधा हुआ था इसलिए जवाब भी नही दे सकता था लिहाजा पड़ा रहा ऑर उनकी मार ख़ाता रहा... कुछ देर मुझे मारने के बाद वो लोग वापिस बेड पर जाके बैठ गये ऑर शराब पीने लगे... मैने ज़मीन पर कुर्सी से बँधा हुआ गिरा पड़ा था ऑर वो लोग मुझसे एक दम बे-फिकर थे मैने अच्छा मोक़ा जान कर अपने बँधे हुए हाथो पर पूरा ज़ोर लगा दिया जिससे मेरे हाथो पर बँधी रस्सी टूट गई ऑर मेरा एक हाथ आज़ाद हो गया मैने जल्दी से अपने दूसरे हाथ की रस्सी भी खोली ऑर वैसे ही पड़ा रहा... अब मैं सही मोक़े के इंतज़ार मे था कि कब उनकी मुझसे नज़र हटे ताकि मैं अपने पैरो की रस्सी खोल सकूँ... लेकिन कुछ ही देर मे फ़ारूख़ वहाँ वापिस आ गया इसलिए मैं वापिस बँधी हुई हालत मे ही रस्सी को अपने दोनो हाथो से पकड़े हुए लेटा रहा...
फ़ारूख़: ओये कमीनो अपने बाप को उठा तो देते सालो इतना मारने को किसने बोला था...
आदमी: यार हम क्या करते साला बहुत कड़वा बोलता है हमारा भेजा घुमा रहा था अब देख कैसे खामोश होके पड़ा है...
फ़ारूख़: ख़ान भाई ने बोला है कि निकाह के बाद वो इसका भी काम कर देंगे तब तक इसको बाँध कर रखो...
आदमी: ठीक है...
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उसके बाद अचानक फ़ारूख़ के पिछे-पिछे वहाँ ख़ान भी आ गया...
ख़ान: अर्रे वाह आप भी शरीक है जनाब इस मुबारक मोक़े पर... बताने की ज़हमत उठाएँगे कि किस खुशी मे यहाँ आना हुआ...
मैं: तेरी मारने आया हूँ मादरचोद...
ख़ान: (हँसते हुए) साले तेरी गर्मी कभी नही जाएगी ना... (मेरा मुँह पकड़ते हुए) तू चीज़ क्या है यार साला तुझे 5-5 गोली मारो तब भी तू बच जाता है... कोई भी लड़की हो साला तुझे देखते ही कपड़े उतार कर खड़ी हो जाती है वो साली डॉक्टर्नी... क्या नाम था उसका... हाँ याद आया रिज़वाना... वो भी साले तेरे चक्कर मे फस गई ऑर मुझसे बग़ावत कर गई ऑर राणा को भेज दिया तेरे पास मेरी सच्चाई बताने को... ये तो अच्छा हुआ कि वक़्त पर मुझे पता चल गया ऑर मैने राणा ऑर रिज़वाना को वक़्त पर ख़तम करवा दिया वरना मेरा काम तो बहुत खराब हो जाना था...
मैं: क्या रिज़वाना ऑर राणा को तूने मरवाया था ऑर मुझे गोली तुमने मारी थी? (मतलब रिज़वाना का प्यार झूठ नही सच था ऑर मैं उस बिचारी को कितना ग़लत समझ रहा था जिसने मेरे लिए अपनी जान दे दी)
ख़ान: हाँ... छोटे के साथ पार्ट्नरशिप जो करनी थी... चल आज लगे हाथ तेरी याददाश्त को भी थोड़ा सा ताज़ा कर देता हूँ...
मैं: लेकिन मेरे साथ तूने धोखा क्यो किया मैं तो तेरा साथ देने तक को राज़ी था ऑर मुझे कुछ याद भी नही था...
ख़ान: देख यार बुरा मत मान लेकिन बिज़्नेस का असूल है अगर खुद उपर जाना है तो किसी ना किसी को तो नीचे गिराना ही पड़ेगा मेरे पास माल था लेकिन कोई तगड़ी कीमत देने वाला बाइयर नही था इसलिए मैने छोटे से हाथ मिला लिया... लेकिन तेरा शेख़ बाबा इस बात की इजाज़त कभी नही देता क्योंकि ड्रग्स का सारा धंधा तू संभालता था ऑर जब तक तू था तेरे बाबा शेख़ को भी हम रास्ते से नही हटा सकते थे क्योंकि उनकी ढाल तू था... इसलिए हमने सोचा कि पहले तुझे ही रास्ते से हटा देते हैं फिर बूढ़ा तो तेरे गम मे ही मर जाएगा ऑर छोटे भी बाबा शेख़ की कुर्सी पर बैठ जाएगा लेकिन अफ़सोस वो साला भी बच गया...
मैं: (ख़ान की बात सुन कर मुझे सब याद आने लगा कि कैसे मैं उस दिन डील करने के लिए जा रहा था जब पोलीस की एक जीप मेरे पिछे पड़ गई ऑर मुझ पर अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलाने लगी जिससे एक गोली मेरी गाड़ी के टाइयर पर लगी ऑर गाड़ी का बॅलेन्स बिगड़ गया गाड़ी एक चट्टान के साथ जाके टकराई ऑर मेरा स्टारिंग व्हील से सिर टकरा गया ऑर वो ख़ान ही था जिसने मुझे गाड़ी से निकाल कर मुझ पर गोलियाँ चलाई थी ऑर फिर मुझे मरा हुआ समझ कर गाड़ी समेत खाई से नीचे धक्का दे दिया... मुझे सब कुछ याद आ गया था कि यही वो हरामखोर था जिसने मुझ पर गोली चलाई थी)
मादरचोद आज तक वो गोली नही बनी जो शेरा को मार सके ऑर हीना से निकाह के सपने देखना छोड़ दे उससे पहले ही मैं तुझे जहन्न्नुम पहुँचा दूँगा ऑर याद रखना मेरी एक गोली भी तेरी गान्ड फाड़ने के लिए काफ़ी है... क्योंकि शेरा की मार ऑर शेरा का वार कभी खाली नही जाता ऑर जिस पर पड़ता है वो आदमी सारी जिंदगी उठ नही सकता...
ख़ान: (हँसते हुए) सपना अच्छा है... साले तू तो खुद मेरे रहम-ओ-करम पर है तू मुझे मारेगा... मैं चाहूं तो तुझे अभी मसल सकता हूँ लेकिन पहले निकाह हो जाए फिर आके तेरी खबर लेता हूँ... वैसे भी वो हीना साली बहुत तारीफ करती है तेरी... तू देखना तेरे सामने हीना को नंगी करके सुहागरात मनाउन्गा ऑर फिर उसकी आँखो के सामने तुझे गोली मारूँगा... ओये नवाब इसका ख़याल रखना बहुत हरामी है देखना ये खुलने ना पाए...
नॉवब: जी ख़ान साहब...
उसके बाद ख़ान कमरे से बाहर चला गया ऑर फ़ारूख़ को मेरे सामने बिठा कर चला गया...
मैं: ओये चूतिए... मुझे पानी पिला भोसड़ी के...
फ़ारूख़: (गुस्से से मेरा कॉलर पकड़ते हुए) साले चूतिया किसको बोला...
मैं: तेरे को बोला गंदी नाली के कीड़े...
फ़ारूख़: (गुस्से) आआववव... क्यो मरना चाहता है साले ख़ान भाई का हुकुम नही होता तो अभी तुझे गोली मार देता...
मैं: साले हर काम ख़ान की गान्ड मे घुस कर ही करता है या खुद मे भी दम है...
फ़ारूख़: (मेरे पेट मे मुक्का मारते हुए) साले दम देखना है तुझे मेरा दिखाता हूँ तुझे दम ... (ये बोलने के साथ ही उसने 2 मुक्के ऑर मेरे पेट मारे) हवा निकली साले...
मैं: क्यो भोसड़ी के थक गया या गान्ड फॅट गई...
फ़ारूख़: ये मरेगा आज मेरे हाथ से... (ये बोलते ही उसने मेरे मुँह पर मुक्का मारा)
मैने तेज़ी से अपना हाथ आगे कर लिया ऑर उसका मुक्का हवा मे ही पकड़ लिया... जिसे देखकर उसकी आँखें बाहर आने को हो गई...
मैं: मादरचोद बोला था तुझे कि मुझे ठोक दे तू नही माना... अब देख मैं तुम सबकी यहाँ कैसे क़बर बनाता हूँ...
मैं कुर्सी से बँधा हुआ ही खड़ा हो गया ऑर फ़ारूख़ को बालो से पकड़ कर उसका सिर कुर्सी पर ज़ोर से मारा जिससे कुर्सी बैठने वाली जगह से टूट गई ऑर फ़ारूख़ ज़मीन पर अपना सिर पकड़ कर गिर गया... अब सिर्फ़ कुर्सी की आगे वाली टांगे ही मेरी टाँगो से बँधी हुई थी... इतने मे वहाँ बैठे सब लोग खड़े हो गये ऑर मुझे पकड़ने के लिए मेरी तरफ लपके जिनमे से एक को मैने गर्दन से पकड़ कर दूसरे के सिर मे पकड़े हुए आदमी का सिर मारा वो दोनो वही गिर गये... तभी एक आदमी छलाँग लगाके मेरे उपर गिर गया जिससे मैं खुद को संभाल नही सका ऑर मैं भी ज़मीन पर उसके साथ ही गिर गया... मैने जल्दी से उसका एक बाजू पकड़ा ऑर अपनी टाँग के नीचे से निकाल कर टाँग को मोड़ दिया जिससे उसकी गर्दन मेरे घुटने पर आ गई मेरे पैर के साथ कुर्सी की टाँग बँधे होने की वजह से मैं टाँग को मोड़ नही सकता था इसलिए मैने उसकी गर्दन को अपनी सीधी हुई टाँग पर ही दबा दिया ऑर गर्दन के पिछे की तरफ अपने हाथ का ज़ोर से वार किया जिससे उसकी गर्दन टूट गई ऑर उसके मुँह से खून निकलने लगा इतनी देर मे बाकी बचे 2 लोगो ने मेरे सिर मे शराब की बोतल फोड़नी शुरू करदी जिससे मेरे सिर मे से भी खून आने लगा...
उनमे से एक आदमी का मैने हाथ पकड़ा ऑर नीचे की तरफ खींच लिया जिससे वो आदमी मेरे उपर ही गिर गया मैने शराब की टूटी हुई बोतल उसके हाथ से छीन ली ऑर उसके गले मे टूटे हुए हिस्से से वार किया जिससे उसकी गर्दन मे काँच धँसते चले गये ऑर उसमे से पानी की तरह खून निकलने लगा जबकि दूसरा आदमी दरवाज़े की तरफ भागा मैने हाथ मे पकड़ी बोतल हवा मे उछाल कर उसके सिर मे मारी जिससे बोतल फुट गई ऑर वो दरवाज़े मे जाके लगा मैने बेड का सहारा लेके खुद को खड़ा किया ऑर जल्दी से अपनी टाँग से बँधी कुर्सी की टाँग की रस्सी को खोल दिया अब मैने वही कुर्सी की टाँग उठाई ऑर उसके सिर मे मारी जिससे कुर्सी की टाँग टूट गई ऑर उसके सिर से भी खून निकलने लगा... वो आदमी ज़मीन पर गिर गया ऑर मुझसे रहम की भीख माँगने लगा मैने टूटी हुई कुर्सी का टुकड़ा उठाया ऑर उसके मुँह मे डाल कर ज़ोर से पैर को कुर्सी के बाहर निकले हिस्से पर दबा दिया जिससे कुर्सी का नीचे वाला हिस्सा जो उसके मुँह मे घुसा हुआ हलक तक को चीर गया ऑर वो वही तड़प-तड़प के मर गया... अब मैने जल्दी से दूसरी टाँग पर बँधी कुर्सी भी खोली ऑर कमरे मे बने बाथरूम मे चला गया खुद के चेहरे पर लगे ज़ख़्म को देखने लगा फिर मैने अपने सिर को पानी से धोया ऑर चेहरे पर लगा खून सॉफ किया... उसके बाद मैं जल्दी से बाहर आया ऑर पोलीस वाली वर्दी उतार कर उन मरे हुए लोगो का कोट-पेंट पहन लिया क्योंकि लड़ाई के दोरान उन लोगो का काफ़ी खून वर्दी पर लग गया था...
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अपडेट-54
मैं हवेली के इस वक़्त आखरी हिस्से मे खड़ा था जहाँ से हीना का कमरा काफ़ी दूर था इसलिए मैं बाल्कनी के रास्ते से पाइप पर लटक कर हीना के कमरे की तरफ चला गया... जहाँ पहले से काफ़ी लड़कियाँ मोजूद थी ऑर हीना को तेयार कर रही थी...
अब मैं हीना के कमरे मे भी नही जा सकता था इसलिए पाइप के सहारे ही लटकता हुआ आगे की तरफ बढ़ने लगा जहाँ नीचे मुझे हॉल ऑर स्टेज नज़र आया जहाँ पर ख़ान बैठा था... उँचाई काफ़ी ज़्यादा थी इसलिए मैं सीधा नीचे छलाँग नही लगा सकता था इसलिए मैं इधर उधर कोई रस्सी देखने लगा जिससे लटक कर मैं नीचे तक जा सकूँ क्योंकि अब मुझे सिर्फ़ ख़ान को ही मारना था... तभी मुझे सामने एक झुम्मर लटका हुआ नज़र आया मुझे बस वहाँ तक किसी भी तरह से पहुँचना था क्योंकि वहाँ से स्टेज की उँचाई काफ़ी कम थी ऑर मैं आसानी से छलाँग भी लगा सकता था... मैने इधर उधर देखा ऑर पाइप के सहारे हवेली की छत की तरफ बढ़ने लगा जिससे लटक कर मैं उपर की एक बाल्कनी मे पहुँच गया बाल्कनी से झूमर पर छलाँग लगाना आसान था इसलिए मैं बाल्कनी की रेलिंग पर पैर रख के खड़ा हो गया ऑर नीचे झूमर के उपर छलाँग लगा दी... झूमर ज़ंजीरो से बँधा हुआ था इसलिए उसने मेरा वजन तो उठा लिया लेकिन मेरे गिरने से बहुत ज़ोर की आवाज़ हुई ऑर काफ़ी बल्ब भी टूट गये जिससे सबका ध्यान उपर की तरफ चला गया...
चौधरी: ओये कौन है उपर...
झूमर से नीचे की दूरी काफ़ी कम थी इसलिए मैने बिना कोई जवाब दिए नीचे स्टेज पर छलाँग लगा दी ऑर मैं सीधा ख़ान के उपर आके गिर गया जिससे उसकी कुर्सी टूट गई ऑर ख़ान को काफ़ी चोट आई मैने जल्दी से अपने दाए पैर को उपर उठाया ऑर उसमे फँसी एक पिस्टल निकाल कर ख़ान के सिर पर रख दी...
मैं: मादरचोद मैने कहा था ना आज तू निकाह नही जहन्न्नुम क़बूल करेगा...
ख़ान: गन नीचे कर ले शेरा नही तो मेरे लोग यहाँ खड़े तमाम लोगो को मार डालेंगे...
मैं: अगर तेरे एक आदमी की भी गोली चली तो तेरा भेजा यही बाहर निकाल दूँगा इसलिए अपने कुत्तो से बोल बंदूक नीचे रख दें नही तो तेरा पोस्टमॉर्टम मैं यही खड़े-खड़े कर दूँगा...
ख़ान: (अपने लोगो को गन नीचे करने का इशारा करते हुए) नीचे करो...
मैं: ये हुई ना बात चल अब शराफ़त से मुझे बाहर लेके चल तुझे तो मैं अपने गाँव लेके जाउन्गा जहाँ सब तेरा सीक कबाब बनाएँगे साले...
तभी फ़ारूख़ हीना के सिर पर बंदूक लगाए सीढ़ियो से उतरता हुआ नज़र आया...
फ़ारूख़: इतनी जल्दी भी क्या है शेरा... गन नीचे कर नही तो तेरी डार्लिंग तो गई...
चौधरी: ये क्या बदतमीज़ी है ख़ान साहब अपने आदमी से कहो छोड़ दे मेरी बेटी को नही तो अच्छा नही होगा...
ख़ान: वाह फ़ारूख़ वाह... चुप कर बूढ़े... साले तेरी बेटी के चक्कर मे हम अपनी क़ुर्बानी तो नही दे सकते ना...
हीना: (चलते हुए स्टेज के पास आते हुए) सुन लिया अब्बू... यही वो लड़का था ना जो आपने मेरे लिए चुना था...
चौधरी: मुझे माफ़ कर दे बेटी...
फ़ारूख़: ओये तुम बाप-बेटी अपना ड्रामा बंद करो... शेरा तुमने सुना नही मैने क्या बोला घोड़ा नीचे कर नही तो मैं इस लड़की को गोली मार दूँगा...
चौधरी ये सब देख नही सका ऑर जल्दी से फ़ारूख़ से पिस्टल छीन ने लगा... तभी ख़ान ने अपनी जेब से पिस्टल निकाल कर चौधरी को 3 गोली मार दी जिससे चौधरी वही ज़मीन पर गिर गया ढेर हो गया...
ख़ान: शेरा अपनी पिस्टल नीचे कर नही तो अगली गोली हीना पर चलेगी...
मैं अब मजबूर था इसलिए चाह कर भी ख़ान पर गोली नही चला सकता था इसलिए अपनी पिस्टल ख़ान को दे दी...
हीना: (रोते हुए) नही नीर ऐसा मत करो मार दो इस कुत्ते को इसने मेरे अब्बू को मारा है...
ख़ान ने मुझसे पिस्टल ले ली ऑर एक ज़ोरदार तमाचा मेरे मुँह पर मारा तभी ख़ान के कुछ आदमियो ने मुझे पिछे से आके पकड़ लिया ऑर एक रस्सी से दुबारा मेरे हाथ बाँध दिए... ख़ान ने अपनी पिस्टल वापिस अपनी जेब मे डाली ऑर क़ाज़ी को आवाज़ लगाई...
ख़ान: क़ाज़ी साहब कहाँ हो यार जल्दी करो निकाह नही करवाना क्या हमारा...
क़ाज़ी: मैं लड़की की मर्ज़ी के खिलाफ उसकी शादी नही करवा सकता ये गुनाह है...
ख़ान: गुनाह किस बात का क़ाज़ी साहब आप देखना ये लड़की आपके सामने मुझे क़बूल करेगी नही तो मैं इसके आशिक़ को गोली मार दूँगा...
हीना: (रोते हुए) नही... नीर को कुछ मत करना तुम जो बोलोगे मैं वो करूँगी...
ख़ान: देखा क़ाज़ी साहब मैं ना कहता था... चलिए निकाह की तेयारी कीजिए अभी ऑर भी बहुत से काम ख़तम करने हैं...
तभी पिछे से अँधा-धुन्ध गोलियाँ चलने की आवाज़ आने लगी ऑर एक-एक करके ख़ान के सब आदमियो पर गोलियाँ चलने लगी... मुझे ये समझते एक पल भी नही लगा कि मेरा यार लाला आ गया है ऑर मेरे आदमियो ने पूरी हवेली को चारो तरफ से घेर लिया है अब हवेली के चप्पे-चप्पे पर मेरे आदमी बंदूक लिए खड़े थे ऑर सारी बाज़ी ही पलट गई थी...
लाला: (ताली बजाते हुए) क्या बात है भाई यहाँ तो पूरी महफ़िल लगी है लगता है मैं वक़्त पर ही आ गया... मैने कहा ख़ान साहब सलाम क़बूल कीजिए लाला का... अगर आप नही चाहते कि मैं आपकी गान्ड पर लात मारूं तो अपने आदमियो को प्यार से बोलो कि मेरे भाई ऑर भाभी को शराफ़त से खोल दे नही तो ये आपकी सेहत के लिए अच्छा नही होगा... (मुस्कुराते हुए)
मैं: (मुस्कुराते हुए) कहाँ मार गया था साले 5 मिनिट ऑर नही आता तो हमारी लाशे मिलनी थी तुझे साला कोई काम का नही है तू...
लाला: (स्टेज पर चढ़ते हुए) ओये क्या आदमी है साला अहसान तो मानता ही नही किसी का... अब फँस गया तो सारा बिल मेरे नाम पर फाड़ रहा है... मैने नही बोला था कि कुछ देर रुक जा मैं आ जाउ फिर साथ मे मिलकर इस कुत्ते की गान्ड मारेंगे तब तो बड़ा चौड़ा होके अकेला ही भिड़ गया था सबके साथ...
मैं: अच्छा ठीक है अब नाटक मत चोद ऑर आके मेरे हाथ खोल...
लाला: (अदब से मेरे सामने झुकते हुए) जो हुकुम मेरे आका...
उसके बाद लाला ने पहले ख़ान को एक ज़ोरदार तमाचा मारा ऑर फिर मेरी रस्सी भी खोल दी... हीना जल्दी से भाग कर मेरे पास आई ऑर मेरे गले से लग कर रोने लगी...
लाला: (मुस्कुराते हुए हीना को देख कर) मैने कहा सलाम क़बूल करो अपने देवर का होने वाली भाभी जी...
हीना: (मुझे गले से लगाए हुए लाला को देखने लगी) नीर ये कौन है...
मैं: (मुस्कुरा कर) मेरा बचपन का दोस्त है
लाला: चलो ख़ान साहब मरने के लिए रेडी हो जाओ ऑर हमने तो अपने ग़रीब खाने मे काफ़ी इंतज़ाम किया था लेकिन शेरा भाई का हुकुम है कि आपको ठोकना है... ये लैला मजनू को लगे रहने दो आप फिलहाल मेरे साथ ही काम चलाओ अभी तो सिर्फ़ मैं ही आपकी मारूँगा... (ख़ान की गान्ड पर लात मारते हुए) चल भोसड़ी के देखता क्या है... शेरा को भाभी से फ्री होने दे तेरी तो यही मारेगा... बोल भाई शेरा इसका क्या करना है... ठोक दूं क्या...
मैं: नही... इसको गाड़ी मे डाल ऑर लेके चल अपने ठिकाने पर मेरा मूड बदल गया है अब इसको मारेंगे नही बल्कि इसकी मारेंगे (आँख मारते हुए) ऑर फिर अभी तो इससे छोटे के भी बहुत से राज़ उगलवाने हैं...
लाला: (पलट ते हुए) मुझे आज तू कुछ बदला-बदला सा लग रहा है यार...
मैं: (मुस्कुराते हुए) साले मुझे सब कुछ याद आ गया है...
लाला: (हवा मे फाइयर करते हुए) ओये यारा खुश कर दिया... ब्बबुऊउर्र्रााहह... चल तू भाभी को लेके बाहर आजा फिर देखते हैं क्या करना है...
मैं: तुम लोग चलो मैं अपनी गाड़ी मे ही आउन्गा...
लाला: ओये मैं बाहर से ही आया हूँ वहाँ तेरी गाड़ी नही खड़ी...
मैं: यार मेरी गाड़ी हवेली के पिछे खड़ी है ऑर साथ मे मेरे कुछ ऑर लोग भी हैं जिनको साथ ही लेके जाना है...
लाला: अच्छा तो तू चल मैं ज़रा अपने हाथ की खुजली ख़तम कर लून... (अपना हाथ खुजाते हुए)
मैं: ठीक है लेकिन साले ज़्यादा मत मारना ये अपने जैसा नही है... ज़रा करारे 4 हाथ पड़ गये तो मर ही ना जाए...
लाला: (ख़ान के मुँह पर मुक्का मारते हुए) तू जा यार मुझे डिस्टर्ब मत कर अभी मैं बिजी हूँ देखता नही इतने दिन बाद तो किसी को तसल्ली से धोने का मोक़ा मिला है...
मैं: अच्छा ठीक है लेकिन 5 मिनिट मे बाहर आ जाना इसको लेकर ज़्यादा देर नही करना...
लाला: (ख़ान के पेट मे लात मारते हुए) तू जा ना यार मैं आ जाउन्गा इसके लिए तो 5 मिनिट भी बहुत है उसमे ही इसकी फॅट के हाथ मे आ जाएगी... (ज़ोर से हँसते हुए)
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हीना अपने अब्बू को गले लगा कर काफ़ी देर रोती रही फिर जब मैने उसके पास जाके उसके आगे हाथ बढ़ाया तो वो बिन कुछ बोले मेरा हाथ पकड़कर खड़ी हो गई... मैने सबसे पहले हीना के आँसू सॉफ किए उसके बाद मैं ऑर हीना जल्दी से हवेली से बाहर निकले ऑर हवेली के पिछे की तरफ चले गये जहाँ पर मैने अपनी गाड़ी खड़ी की थी गाड़ी के पास ही मुझे नाज़ी बैठी हुई नज़र आई जो बार-बार इधर उधर देख रही थी उसके चेहरे से मेरे लिए फिकर दूर से ही दिखाई दे रही थी... मुझे ऑर हीना को दूर से आता हुआ देखकर जैसे उसका चेहरा खुशी से खिल गया वो तेज़ कदमों के साथ नीर को गोद मे उठाए हमारी तरफ बढ़ने लगी ऑर आते ही मुझे गले से लगा लिया ऑर खुशी से मुस्कुराने लगी...
नाज़ी: कितनी देर कर दी आने मे मैं तो बहुत डर गई थी... तुम ठीक तो हो ना...
मैं: कैसा लगता हूँ...
नाज़ी: ये सिर मे चोट कैसे लगी...
मैं: वो सब जाने दो ये थोड़ा बहुत तो चलता रहता है अब तुम जल्दी से गाड़ी मे बैठो हम को हमारे नये घर जाना है...
नाज़ी: (खुश होके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म चलो...
हीना: लाओ छोटा नीर मुझे दे दो ऑर तुम आगे बड़े वाले नीर के साथ बैठ जाओ...
उसके बाद मैं ऑर नाज़ी आगे बैठ गये ऑर नीर को हीना ने पकड़ लिया ऑर वो खुद ही पिछे बैठ गई... मैने जल्दी से गाड़ी स्टार्ट की ऑर उसको हवेली के अगली तरफ ले आया ऑर हवेली के बड़े गेट के सामने रोक दिया जहाँ मेरे साथियो की गाडियो का क़ाफ़िला पहले से मोजूद था... उसके बाद मैने अपने आदमियो से चलने का इशारा किया ऑर वो लोग मेरा इशारा पाते ही अंदर गये ऑर लाला ऑर ख़ान को ले आए... लाला ने कुछ ही देर मे ख़ान की बहुत बुरी हालत कर दी थी... ख़ान के चेहरे से ऑर सिर से पानी की तरफ खून टपक रहा था ऑर कुछ आदमी उसको ज़मीन पर घसीटकर ला रहे थे...
मैं: ओये साले मार तो नही दिया उसको...
लाला: (अपना हाथ रुमाल से सॉफ करते हुए) नही भाई ज़िंदा है कुत्ता... इसको तो अड्डे पर ले-जाकर तसल्ली से सब भाई मिल कर मारेंगे...
मैं: चल गाड़ी मे बैठ चलने का वक़्त हो गया है...
लाला: (मुझे सल्यूट करते हुए) ओके बॉस...
उसके बाद हम सब गाड़ी मे बैठे ऑर अपने गाँव, अपने घर की तरफ गाडियो के क़ाफ़िले को बढ़ा दिया... हीना मुझे कुछ उदास लग रही थी लेकिन नाज़ी बहुत खुश थी ऑर अपने नये घर का सुनकर बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थी...
मेरी गाड़ी सबसे आगे थी ऑर बाकी गाड़ियाँ मेरी गाड़ी के पिछे चल रही थी ऑर कुछ फ़ासले पर थी कुछ ही देर मे हम अपनी गाँव की सरहद से काफ़ी दूर निकल आए थे... हम को गाँव से निकले अब काफ़ी वक़्त हो गया था लेकिन हीना मुझे अब भी उदास लग रही थी इसलिए मैने इशारे से अपने साथ बैठी नाज़ी को अपने पास किया ऑर उसको पिछे जाने का इशारा किया ताकि दोनो बातें कर सके ऑर हीना का भी मन बहल जाए... नाज़ी चलती हुई गाड़ी मे ही सीट को नीचे करके पिछे चली गई ऑर हीना के साथ बैठ गई ऑर कुछ ही देर मे दोनो की बाते शुरू हो गई ऑर अब हीना भी पहले से काफ़ी बेहतर नज़र आ रही थी... मेरी तरक़ीब ने अपना कम दिखा दिया था क्योंकि 2 औरते एक साथ चुप तो कभी बैठ ही नही सकती इसलिए बात होना लाज़मी था इसी तरह हीना का मूड भी अब अच्छा हो गया था... ऐसे ही गुज़रते वक़्त के साथ हम अपनी रफ़्तार से मंज़िल को बढ़ रहे थे कि अचानक मुझे सामने एक चेक पोस्ट नज़र आई हम वो क्रॉस करके नही जा सकते थे क्योंकि हम सब के पास काफ़ी असला था ऑर ख़ान के साथ होने की वजह से हमारे पकड़े जाने का भी डर था
इसलिए मैने जल्दी से अपनी जेब से अपना फोन निकाला ऑर लाला को फोन करके अपनी गाड़ी के पिछे आने का हुकुम दिया ऑर अपनी गाड़ी को एक जंगल की तरफ घुमा दिया मेरे पिछे-पिछे ही बाकी गाडिया भी जंगल मे घुस गई कुछ दूर जाके मैने गाड़ी को रोक दिया क्योंकि मुझे आगे किस तरफ जाना है ये समझ मे नही आ रहा था इसलिए मैने गाड़ी से बाहर निकल कर लाला की गाड़ी को भी रुकने का इशारा किया मेरे नज़दीक आके उसकी गाड़ी भी रुक गई ऑर लाला गाड़ी से बाहर आ गया...
लाला: हाँ भाई यहाँ बीच जंगल मे कहाँ ले आया यार अब आगे कहाँ जाना है...
मैं: यार आगे चेक पोस्ट थी इसलिए मैने गाड़ी को जंगल मे घुमा लिया लेकिन अब आगे किस तरफ जाना है ये मुझे भी समझ नही आ रहा शायद हम भटक गये हैं...
लाला: लो जी कर लो बात... अब बीच जंगल मे क्या करेंगे यार दिन भी ढलने वाला है ऐसा करते हैं वापिस चलते हैं वहाँ से हाइवे पर हो जाएँगे...
मैयाँ: पागल हो गया है क्या... आगे चेक पोस्ट थी इसलिए तो मैने गाड़ी जंगल मे घुसा दी थी ऑर तू फिर से वही जाने की बात कर रहा है अब तक ये कुत्ते (ख़ान) के चमचे भी इसको ढूँढने निकल पड़े होंगे...
लाला: फिर क्या है यार साला डरता कौन है अपने पास हथियार की कमी है क्या साला जो भी आएगा मार कर निकल जाएँगे ऑर क्या चल भाई वापिस ही चलते हैं...
अभी हम दोनो बात ही कर रहे थे की अचानक ख़ान गाड़ी से मुँह बाहर निकाल कर चिल्लाया...
ख़ान: कमीनो तुम यहाँ से ज़िंदा नही जा सकते तुमने मुझे अगवा करके अपनी मौत को दावत दी है अभी तुम मुझे जानते नही हो...
लाला: (गुस्से मे) अर्रे यार भाई तू तो भाभी के साथ मज़े से बैठ गया ऑर ये हरामी को मेरे साथ डाल दिया साला भेजा खा गया मेरा कितना बोलता है ये... (अपने आदमियो से) यार कोई गंदा कपड़ा ढुंढ़ो इसका मुँह बाँधने को...
मुन्ना (हमारा आदमी) : भाई एक ही पट्टी थी वो भी ये साला कुत्ता काट गया ऑर पट्टी फॅट गई...
लाला: (कुछ सोचते हुए ऑर हँस कर) इसका इलाज तो मैं करता हूँ...
मैं: (सवालिया नज़रों से लाला को देखते हुए) ओये मार मत देना ये ज़िंदा चाहिए मुझे समझा अभी इससे बहुत कुछ उगलवाना है...
लाला: भाई फिकर मत कर मार कौन रहा है मेरा तो कुछ ऑर ही मूड है (आँख मारते हुए) ...
मैं: क्या करने जा रहा है तू...
लाला: (हँसते हुए) तू बस भाभी को गाड़ी से बाहर मत आने देना इसकी ऐसी-तैसी तो मैं करता हूँ साला मुँह खोलने के लायक नही रहेगा...
इतना कह कर वो अपना जूता उतारने लगा ऑर फिर अपनी ज़ुराब भी उतार ली ऑर फिर से जूता पहन लिया ऑर अपनी गंदी बद-बू-दार ज़ुराब उठा कर एक झाड़ी के पिछे चला गया मैने भी नाज़ी ऑर हीना को गाड़ी से बाहर निकलने से मना कर दिया... कुछ देर बाद लाला जब हँसता हुआ वापिस आया तो उसकी ज़ुराब गीली थी ऑर उससे पानी टपक रहा था...
मैं: (हँसते हुए) ये क्या है कमीने...
लाला: (हँसते हुए) इस कुत्ते का मुँह बंद करने का इलाज... चल भाई मुँह खोल इसका... लगे हाथ दोनो काम हो गये साला मेरा भी काफ़ी देर से प्रेशर बना हुआ था साला पेट भी खाली हो गया ऑर इसका भी इलाज हो गया...
लाला के साथ बैठे आदमियो ने ख़ान का मुँह पकड़ लिया ऑर ज़बरदस्ती पेशाब से गीली की हुई ज़ुराब ख़ान के मुँह मे डाल दी ऑर उसी फटी हुई पट्टी को दुबारा उसके मुँह पर बाँध दिया वो किसी बिन पानी की मछली की तरफ छट-पटा रहा था ऑर अपनी गर्दन को हवा मे इधर उधर कर रहा था... सब ये देख कर ज़ोर-ज़ोर से हँस रहे थे
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हीना ऑर नाज़ी जो कि अब भी गाड़ी मे बैठी थी वो मुझे सवालिया नज़रों से देख रही थी...
हीना: क्या हुआ सब हँस क्यो रहे हैं...
मैं: (हँसते हुए) कुछ नही तुम्हारे काम की बात नही है... यार हम रास्ता भटक गये हैं आगे किस तरफ जाना है समझ नही आ रहा तुमको यहाँ से आगे जाने का रास्ता पता है क्या...
नाज़ी: (बीच मे बोलते हुए) मुझे पता है किस तरफ जाना है मैं बचपन मे कॉलेज इसी रास्ते से जाया करती थी...
मैं: तो पहले बताया क्यो नही कितनी देर से हम बेकार मे भटक रहे हैं...
नाज़ी: (मुँह बनाते हुए) तुमने पूछा ही नही...
मैं: क्या यार तुम भी कमाल हो... (अपने सारे आदमियो से) चलो ओये गाड़ी मे बैठो सारे रास्ते का पता लग गया है...
उसके बाद सब आदमी वापिस गाडियो मे बैठ गये ऑर ख़ान को भी वापिस गाड़ी मे डाल लिया ऑर हम सब नाज़ी के बताए रास्ते पर आगे बढ़ने लगे ऑर कुछ ही देर मे हम हाइवे पर आ गये अभी हमें कुछ ही देर हुई थी कि मेरा फोन बजने लगा... मैने जेब से फोन निकाला तो स्क्रीन पर रूबी लिखा आ रहा था... मुझे समझ मे नही आ रहा था कि नाज़ी ऑर हीना के सामने रूबी से बात कैसे करूँ लेकिन फोन उठाना भी ज़रूरी था इसलिए कुछ सोचकर मैने फोन उठा लिया...
मैं: हंजी सरकार हुकुम कीजिए...
रूबी: कहाँ हो तुम... मुझे फोन क्यो नही किया... मैने कहा था ना पहुँच कर मुझे फोन कर देना... जानते हो कितनी फिकर हो गई थी तुम्हारी...
मैं: बस... बस... बस... साँस तो लेलो... एक ही साँस मे सब कुछ पूछ लिया... यार मुझे बोलने का मोक़ा तो दो...
रूबी: ठीक है बोलो... फोन क्यो नही किया ऑर वापिस कब आ रहे हो...
मैं: मैं कल सुबह तक वापिस आ जाउन्गा ऑर जिस काम के लिए गया था वो पूरा हो गया है...
रूबी: सच्ची... कमाल है इतनी जल्दी वापिस आ रहे हो...
मैं: तुम कहो तो 4-5 दिन ऑर रुक जाता हूँ
रूबी: नही... मेरे कहने का वो मतलब नही था...
मैं: अच्छा एक काम की बात सुनो...
रूबी: हम्म... बोलो...
मैं: मेरे साथ कुछ मेहमान भी आ रहे हैं जो हमारे घर मे ही रहेंगे हमारे साथ...
रूबी: मेहमान है तो उनको हवेली मे रखो ना घर लाने की क्या ज़रूरत है...
मैं: अर्रे यार वो काम वाले मेहमान नही है मेरे मेहमान है ऑर बहुत ख़ास है अब से वो भी हमारे साथ ही रहेंगे तो तुम उन लोगो के रहने का इंतज़ाम कर देना ठीक है...
रूबी: हम्म ठीक है लेकिन तुमने ये तो बताया ही नही कितने लोग हैं...
मैं: (हँसते हुए) 2 औरत है ऑर एक छोटा सा शेर भी है उनके साथ...
रूबी: औरत कौन है...
मैं: अर्रे यार तुमको आके सब बताउन्गा बस अभी जितना कह रहा हूँ उतना कर लो...
रूबी: अच्छा... जल्दी आ जाना मैं इंतज़ार करूँगी...
मैं: हमम्म चलो अब फोन रख दो मैं गाड़ी चला रहा हूँ...
रूबी: उउउहहुउ... कितनी बार कहा है गाड़ी चलाते हुए बात ना किया करो...
मैं: तुम्हारा भी पता नही चलता यार फोन उठा लो तो मुसीबत ना उठाओ तो मुसीबत...
रूबी: अच्छा अब फोन बंद करो ऑर ध्यान से गाड़ी चलाओ...
उसके बाद मैने फोन रख दिया अब मुझे एक नयी फिकर होने लगी थी कि मैं घर जाके रूबी को इन दोनो के बारे मे क्या बताउन्गा इसलिए आगे के बारे मे सोचने लगा ऑर चुप-चाप गाड़ी चलाने लगा... कुछ देर बाद हम एक ढाबे पर रुके जहाँ हम सब ने मिलकर खाना खाया... खाना खाते हुए कुछ लोग हमें अज़ीब नज़रों से घूर-घूर कर देख रहे थे लेकिन मैने नज़र अंदाज़ कर दिया ऑर खाने पर ध्यान देने लगा क्योंकि उस वक़्त हम सब को बहुत ज़ोर की भूख लगी हुई थी... खाना खाने के बाद हम सब वापिस अपनी गाडियो मे बैठ कर अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगे... कुछ दूर जाने के बाद मुझे लाला का फोन आया कि पोलीस की कुछ गाड़ियाँ हमारी गाडियो के पिछे आ रही हैं... ये सुनकर मुझे समझ आ गया कि ढाबे पर वो कौन लोग थे जो हम को घूर-घूर कर देख रहे थे... इसलिए मैने सबको बिना कोई खून-खराब किए वहाँ से शांति से चलने का हुकुम दे दिया क्योंकि अब रात के वक़्त मैं एक ऑर खून-ख़राबा नही चाहता था इसलिए मैने सबको गोली चलाने से मना कर दिया... लेकिन वो पोलीस की गाड़ियाँ लगातार अपना साइरन बजाते हुए हमारी गाडियो के पिछे आ रही थी ऑर हम को रुकने के लिए कह रही थी... कुछ देर बाद हमारी सबसे पिछे वाली गाड़ी पर फाइयर होने शुरू हो गये...
अब हम लोग कुछ नही कर सकते थे ना चाहते हुए भी हम को जवाब मे गोली चलानी ही थी इसलिए अब चलती गाडियो मे ही दोनो तरफ से फाइयर होना शुरू हो गये मेरी गाड़ी उस वक़्त सबसे आगे थी ऑर मेरे साथ नाज़ी, छोटा नीर ऑर हीना भी थी इसलिए मैं सिर्फ़ गाड़ी चलाने पर ही ध्यान देने लगा... कुछ देर बाद एक पोलीस की जीप पिछे की तमाम गाडियो को ओवर टेक करती हुई एक दम मेरे बराबर मे आ गई ऑर लगातार मेरी कार पर गोलियाँ चलाने लगी मैने जल्दी से हीना ऑर नाज़ी को नीचे झुका दिया ताकि उनको गोली ना लग जाए लेकिन एक गोली मेरे कंधे पर लग गई ऑर गाड़ी का बॅलेन्स बिगड़ने लगा... मैने जल्दी से स्टेरिंग के सामने रखी अपनी रेवोल्वर उठाई ऑर सामने वाली जीप पर जवाबी गोलियाँ चलाने लगा 5 ही फाइयर मे मेरी रेवोल्वर खाली हो गई थी ऑर अब मेरे पास कारतूस भी नही थे क्योंकि बाकी हथियार ऑर कारतूस कार की दिग्गी मे पड़े थे ऑर कार रोकने का मेरे पास मोक़ा नही था... लेकिन जीप मे से अब भी फाइरिंग जारी थी अब मेरे पास दूसरा कोई असला नही था इसलिए मैने एक रिस्क उठाया मैने अपनी गाड़ी की स्पीड कम की ऑर अपनी गाड़ी को उस जीप के एक दम साथ मे कर लिया ऑर नाज़ी ऑर हीना को झुके रहने का कहकर ज़ोर से अपनी गाड़ी को उस जीप मे धकेल दिया जिससे उनकी जीप का बॅलेन्स बिगड़ गया ऑर वो सामने वाली चट्टान मे जाके टकरा गई ऑर जीप पलट गई... अब मेरा उस जीप से तो पीछा छूट गया था लेकिन मेरे आदमियो की गाडियो के पिछे अब भी काफ़ी पोलीस की जीप लगी हुई थी ऑर दोनो तरफ से फाइयर हो रहे थे... मेरे कंधे मे भी गोली लग चुकी थी जिस वजह से तेज़ दर्द उठ रहा था ऑर अब मुझसे गाड़ी भी नही चलाई जा रही थी लेकिन फिर भी मैं हिम्मत करके गाड़ी चलाता रहा... मेरी अब हिम्मत जवाब दे रही थी क्योंकि बाजू से काफ़ी खून निकल रहा था इसलिए मैने लाला की गाड़ी को हाथ से इशारा करके मेरी गाड़ी के बराबर आने को कहा कुछ ही सेकेंड्स मे उसकी गाड़ी रफ़्तार पकड़ती हुई एक दम मेरी गाड़ी के साथ आ गई...
मैं: (चिल्लाते हुए) मेरे कारतूस ख़तम हो गये हैं ऑर मुझे गोली भी लगी है मुझे हथियार वाला बॅग दे लाला...
लाला: (हाथ से इशारा करते हुए) देटाअ हुंओ...
हम दोनो ने एक ही वक़्त पर चलती कार का दरवाज़ा खोल दिया ऑर अपनी दोनो गाडियो को बराबर पर लाके मैने एक हाथ से हथियार वाला बॅग अंदर खीच लिया साथ ही मैने अपने एक आदमी को मेरी गाड़ी मे आने को कहा ताकि वो कार चला सके... हम दोनो की गाडियो की रफ़्तार काफ़ी तेज़ थी इसलिए गाड़ी बराबर आने मे दिक्कत हो रही थी कुछ एफर्ट्स के बाद मैने उस आदमी को अपनी गाड़ी मे खींच लिया... अब वो मेरी जगह गाड़ी चला रहा था ऑर मैं साथ वाली सीट पर बैठा बॅग से हथियार निकाल रहा था बॅग खोलते ही मेरी नज़र बाज़्ज़ुक़ा पर पड़ी मैने जल्दी से उसमे बॉम्ब लोड किया ऑर अपनी जेब से फोन निकाला ऑर लाला को फोन किया...
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अपडेट-55
मैं: लाला एक आइडिया आया है मैं गाड़ी की छत पर जा रहा हूँ जब मैं इशारा करूँगा तब अपने आदमियो को बोलना कि सब अपनी अपनी गाड़ियों को बाई तरफ कर ले ऑर एक दम से अपनी सब गाडियो की रफ़्तार बढ़ा दे...
लाला: ठीक है... भाई मैं अभी सबको फोन करके कह देता हूँ...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर लाला के इशारे का इंतज़ार करने लगा क्योंकि उसके बाद ही मैं गाड़ी की छत पर जा सकता था... तभी मुझे हीना की आवाज़ आई...
हीना: नीर तुम ठीक तो हो ना...
मैं: मैं ठीक हूँ फिकर मत करो तुम नीचे रहो...
हीना: तुम्हारी बाजू से तो बहुत खून निकल रहा है...
मैं: कोई बात नही अभी सब ठीक हो जाएगा तुम दोनो नीचे रहो बाहर फाइरिंग हो रही है...
तभी मुझे लाला ने गाड़ी से हाथ बाहर निकाल कर अपने हाथ का अंगूठा दिखाते हुए डन का इशारा किया... मैने जल्दी से गाड़ी का दूसरी तरफ का दरवाज़ा खोला ऑर बाज़्ज़ुक़ा लेकर गाड़ी की छत पर बैठ गया ऑर बाज़्ज़ुक़ा को अपने कंधे पर सेट कर लिया ऑर पोलीस की बीच वाली गाड़ी का निशाना लगाया ताकि धमाके से आगे ऑर पिछे दोनो तरफ की गाड़िया उड़ जाए लेकिन उससे पहले मुझे मेरे आदमियो को इशारा करना था इसलिए मैं कुछ सेकेंड्स के लिए अपना बॅलेन्स बनाता हुआ गाड़ी की छत पर सीधा खड़ा हो गया जिससे मेरे सब आदमियो ने मुझे देख लिया ऑर अपनी सारी गाडियो को एक साथ बाई तरफ कर लिया... मेरे पास यही सही मोक़ा था मेरी इस चाल को कोई भी पोलीस वाला समझ नही पाया ऑर वो एक सीध मे ही गाड़ी चलाते रहे तभी मैने बाज़्ज़ुक़ा का ट्रिग्गर दबा दिया ऑर उनकी बीच वाली जीप पर फाइयर कर दिया...
मेरा आइडिया कामयाब रहा 3 जीप धमाके से एक साथ उड़ गई ऑर बाकी 7 जीपों ने वही अपनी गाड़ी को रोक लिया... लाला ये देख कर काफ़ी खुश लग रहा था ऑर गाड़ी के शीशे से मुँह बाहर निकाल कर ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहा था ऑर उन पोलीस वालों को गालियाँ निकाल रहा था... मैने एक नज़र मुस्कुरा कर उसको देखा ऑर फिर बाज़्ज़ुक़ा गाड़ी के अंदर फैंक कर खुद भी गाड़ी के अंदर जाके बैठ गया... गाड़ी के अंदर आते ही हीना ऑर नाज़ी ने मेरा बाजू पकड़ लिया ऑर देखने लगी...
हीना ऑर नाज़ी: तुम ठीक हो ना...
मैं: मैं एक दम ठीक हूँ तुम दोनो फिकर मत करो यार...
हीना: फिकर कैसे नही करे तुमको गोली लगी है देखो कितना खून निकल रहा है
इतना कह कर उसने खून वाली जगह पर अपना हाथ रख दिया ताकि खून रुक सके...
हीना: (ड्राइवर को देखते हुए) अपने आदमी से कहो किसी डॉक्टर के पास लेके चले खून बहुत निकल रहा है...
मैं: बीच हाइवे मे अब मैं डॉक्टर कहाँ से लेके आउ अब तो शहर जाके ही डॉक्टर मिलेगा ऑर तुम लोग फिकर मत करो यार मैं एक दम ठीक हूँ...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई हीना पूरे रास्ते मेरी बाजू पकड़ कर बैठी रही... कुछ ही देर मे शहर आ गया जहाँ लाला गन पॉइंट पर एक डॉक्टर को उठा लाया जिसने मेरी बाजू से गोली निकाली ऑर गाड़ी मे ही मेरी मरहम पट्टी भी करदी... डॉक्टर के दिए हुए पेन किल्लर से दर्द तो कम हुआ ही साथ ही मुझे नींद आने लगी ऑर मैं सो गया... सुबह जब आँख खुली तो हम अपनी बस्ती के काफ़ी करीब थे कुछ ही देर हम बस्ती पहुँच गये जहाँ रसूल हमारे तमाम आदमियो के साथ हमारा इंतज़ार कर रहा था... जैसे ही मेरी गाड़ी रुकी मेरे सब लोग दौड़कर मेरी गाड़ी के पास आ गये ऑर एक आदमी ने जल्दी से मेरी गाड़ी का दरवाज़ा खोला सामने रसूल अपनी सदा-बाहर मुस्कान के साथ मेरा इंतज़ार कर रहा था उसने आते ही मुझे गले से लगा लिया... वही पास ही मेरे घर के बाहर रूबी भी खड़ी थी जो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी...
रसूल: वाह भाई वाह मान गये शेरा... कमाल कर दिया यार तूने...
मैं: मैने क्या किया यार...
रसूल: भाई अकेले ही इस कुत्ते को उठा के वहाँ से ले आया ये क्या छोटी बात है...
लाला: (भाग कर हमारे पास आते हुए) कमीनो मुझे क्यो भूल जाते हो... ऑर ये तुम्हारा शेर वही ढेर हो जाता अगर मैं वक़्त पर नही आता... बड़ा आया कमाल करने वाला...
रसूल: अच्छाअ... ठीक है यार... वैसे वो हमारा नया मेहमान है कहाँ ज़रा दर्शन तो करवाओ...
लाला: होना कहाँ है वही गाड़ी मे पड़ा है...
मैं: रसूल यार तू ज़रा इस ख़ान के बच्चे को देख मैं ज़रा रूबी से मिलकर आता हूँ...
रसूल: ठीक है भाई...
उसके बाद मैने अपनी गाड़ी का पिछे का दरवाज़ा खोला ऑर नाज़ी, नीर ऑर हीना को लेकर अपने घर की तरफ बढ़ने लगा... नाज़ी ऑर हीना दोनो बड़े गौर से चारो तरफ के महॉल ऑर लोगो को देख रही थी...
नाज़ी: हम लोग यही रहेंगे क्या...
मैं: हमम्म क्यो जगह पसंद नही आई क्या...
नाज़ी: नही वो बात नही है लेकिन यहाँ पर बहुत सारे लोग हैं तो इन सबके सामने अजीब सा लगता है... अपने गाँव मे तो हम चन्द ही लोग रहते थे ना...
मैं: (मुस्कुराते हुए) यहाँ के लोग भी बहुत अच्छे हैं ऑर तुम्हारा ख़याल रखेंगे तुम जैसे चाहो यहाँ रह सकती हो तुम यहाँ एक दम महफूज़ हो...
हीना: यहाँ पर सब लोग तुमको शेरा कह कर क्यों बुला रहे हैं...
मैं: क्योंकि मेरा असल नाम शेरा ही है नीर नही भूल गई मैने तुम्हे बताया तो था...
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16-11-2021, 03:26 PM
(This post was last modified: 16-11-2021, 03:27 PM by Snigdha. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ऐसे ही बाते करते हुए हम सब मेरे घर के सामने पहुँच गये जहाँ रूबी गेट के सामने खड़ी हमारा इंतज़ार कर रही थी... रूबी को देखते ही मैं उसको साइड पर ले गया जहाँ मैने उसको दोनो की सारी कहानी बता दी इसलिए रूबी ने बहुत अच्छे से उनका स्वागत किया ऑर उनको घर के अंदर ले गई... मैं उन तीनो के साथ बैठा था लेकिन मुझे उस वक़्त बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था ऑर मैं एक अजीब सी दिमागी जंग से गुज़र रहा था समझ नही आ रहा था कि इन तीनो को एक साथ यहाँ कैसे रखूं... अगर तीनो मे से किसी ने भी पूछ लिया कि बाकी 2 से तुम्हारा क्या रिश्ता है तो मैं क्या जवाब दूँगा... ऐसे ही कई सवाल अब घर आके एक दम से मेरे दिमाग़ मे चलने लगे थे...
अभी तो हम सब साथ मे बैठे थे लेकिन बोलने की हिम्मत कोई भी नही कर पा रहा था हीना ऑर नाज़ी नये महॉल ऑर गुज़रे हुए वक़्त की वजह से चुप थी, रूबी उन दोनो के साथ मेरे रिश्ते को शायद समझ नही पा रही थी इसलिए चुप थी ऑर मैं इन तीनो मे फँस गया था क्योंकि तीनो ही मुझे प्यार करती थी ऑर मैं किसी का भी दिल नही तोड़ना चाहता था... एक तरफ हीना ऑर नाज़ी थी जो मुझ पर भरोसा करके सिर्फ़ मेरे लिए यहाँ तक आ गई थी दूसरी तरफ रूबी थी जो हमेशा से ही मेरे साथ थी ऑर हमेशा मुझे खुश रखने की कोशिश मे लगी रहती थी... ऐसे ही कई सवाल थे जिनके जवाब हम मे से किसी के पास नही थे...
…………
उसके बाद हमारे काफ़ी पुछ्ने पर ख़ान ने अपना मुँह खोल दिया उसने छोटा शेख़ के सारे अड्डे ऑर गोदाम हम को बता दिए जहाँ वो सारा माल रखता था इसके अलावा पोलीस डिपार्टमेंट मे ख़ान के कितने लोग थे उन सबके बारे मे भी उसने हम को बता दिया... ख़ान की दी हुई इन्फर्मेशन से लाला, गानी ऑर सूमा ने छोटे ख़ान का सारा बिज़्नेस ख़तम कर दिया ऑर उसके लगभग सब आदमियो को मार दिया था... उसके सारे गोदमो का माल मेरे आदमियो ने लूट लिया ऑर यहाँ ले आए जिससे मार्केट मे हम लोगो की मोनोपली हो गई थी... अब हम हर गैर क़ानूनी चीज़ को अपने प्राइस ऑर अपनी कंडीशन पर बेचने लगे थे... ख़ान के डिपार्टमेंट के सब लोगो को हमने अपने पैसे की ताक़त से खरीद लिया ऑर अपनी तरफ कर लिया अब वो लोग दूसरे डीलर्स के पकड़े हुए ड्रग्स ऑर सारे हथियार हम को सप्लाइ करते थे उन लोगो के हमारे साथ मिल जाने से माल पकड़े जाने की टेन्षन भी ख़तम हो गई थी... ख़ान से सारी इन्फर्मेशन निकलवाने के बाद हमने ख़ान को भी ख़तम कर दिया...
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देखते ही देखते कुछ ही दिन मे हमने मार्केट मे अपनी पहले से भी मज़बूत पोज़ीशन हासिल कर ली थी अब हमारे विदेशी क्लाइंट्स के पास भी हम से माल खरीदने के अलावा कोई रास्ता नही था इसलिए उन्होने मुझसे माफी माँग कर फिर से मेरे साथ बिज़्नेस शुरू कर दिया... इस तरह हमने छोटे शेख़ को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था साथ ही जो छोटे-मोटे गॅंग थे वो या तो ख़तम कर दिए थे या अपने साथ मिला लिए थे... अब सिर्फ़ इंतज़ार था तो छोटे शेख़ को ख़तम करने का लेकिन हमारी बढ़ती हुई ताक़त को देखते हुए वो भी अंडर ग्राउंड हो गया था या मुल्क़ से फरार हो गया था... अब उसके पास ना पैसा था ना ही आदमी थे ऑर ना ही बिज़्नेस था बाबा के सिखाए हुए नियम के दंम पर हम अब अंडरवर्ल्ड मे सबसे उपर आ गये थे... कुछ ही महीनो की मेहनत के बाद एक दिन हम को छोटा शेख़ भी मिल गया जिसे हम सब भाइयो ने मिलकर बड़ी तसल्ली से तडपा-तडपा कर मार दिया... उसके बाद हमारे सारे अपनेंट ख़तम हो चुके थे अब अंडरवर्ल्ड मे हम ही हम थे... 1 साल के अंदर-अंदर मैने बाबा के फ़ैसले को सही साबित करते हुए अपने हर बिज़्नेस को 100 गुना बढ़ा दिया था अब हमें पहले जितनी पूरे बिज़्नेस मे कमाई होती थी उससे ज़्यादा अब हमें एक-एक बिज़्नेस मे होने लगी थी... वही दूसरी तरफ नाम ऑर बढ़ती हुई शोहरत ने मुझे पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड क़रार करवा दिया था क्योंकि ख़ान की किडडनपिंग से लेकर मुझ पर कई पोलिसेवालो के मर्डर्स के केस भी चल रहे थे साथ मनी लौंगरी, हथियारो की ऑर ड्रग्स की तस्करी जैसे मामले भी अब मेरे नाम पर थे इसलिए अब मेरा इस मुल्क़ मे रहना सेफ नही था लिहाज़ा मुझे सारा बिज़्नेस रसूल, लाला, गानी ऑर सूमा मे बाँट कर इस मुल्क़ को छोड़ना था क्योंकि अब अगर कुछ दिन ऑर इस मुल्क़ मे मैं रहता तो पोलीस मुझ तक कभी भी पहुँच सकती थी ऑर उनका मुझे गिरफ्तार करने का मूड तो बिल्कुल भी नही था ऑर इस बार मैं एक और पोलीस अनकाउन्तर के लिए मैं राज़ी नही था लिफाज़ा मैने मुल्क़ छोड़ने का फ़ैसला कर लिया...
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तभी रसूल आ गया ऑर उसने हमारे बीच बनी खामोशी को एक दम से तोड़ दिया...
रसूल: यार तुम लोग यहाँ बैठे एक दूसरे की शक़ल ही देखते रहोगे या कुछ खाने पीने का भी मूड है... भाई इतने लंबे सफ़र से आए हो पहले कुछ खा लो...
रूबी: हाँ भाईजान मैं खाने पीने का ही इंतज़ाम करने जा रही थी...
रसूल: कोई ज़रूरत नही है अली की अम्मी (रसूल की बीवी) ने सब इंतज़ाम कर दिया है शेरा ने आने से पहले बता दिया था इसलिए मैने सब इंतज़ाम करवा दिया है अब आप सब लोग मेरे घर चलिए ऑर दावत क़बूल फरमाये...
उसके बाद हम सब रसूल के घर चले गये जहाँ हमेशा की तरफ अली मेरे साथ आके खेलने लगा ऑर छोटे नीर के आ जाने से वो भी काफ़ी खुश लग रहा था ऑर उसके साथ खेलने मे लग गया... उसके बाद हीना नाज़ी ऑर रूबी को रसूल की बेगम के पास छोड़ कर मैं ऑर रसूल अपने अड्डे पर चले गये जहाँ ख़ान को बाँध रखा था... अड्डे पर सूमा , गानी ऑर लाला पहले से मोजूद थे जो शायद मेरे आने का ही इंतज़ार कर रहे थे...
मैं: लाला ये सूमा कहाँ है नज़र नही आ रहा...
लाला: (मुस्कुरकर) भाई वो अपने नये मेहमान की खातिर मे लगा हुआ है...
मैं: अब्बे... कमीनो जान से मत मार देना अभी उससे छोटे ख़ान का माल कहाँ रखा हुआ है उसका भी पता निकलवाना है...
लाला: भाई अपना काम था ख़ान को सूमा तक पहुँचाना मैने अपना काम कर दिया है अब आगे तू जान सूमा जाने ऑर तेरा ख़ान जाने... मैं तो खाना खाने जा रहा हूँ (रसूल को देखकर) साला भूख से जान निकल रही है ऑर यहाँ तो किसी कमीने ने खाना तक नही पूछा... खुद तो मज़े से बिर्यानी खा आए हैं...
रसूल: साले तू मेहमान है जो तुझे इन्विटेशन कार्ड देके जाउ... जा घर चल जा ऑर जाके खाना ठूंस ले...
मैं: (हँसते हुए) अच्छा ठीक है जा खाना खा ले जाके तब तक मैं सूमा से मिलकर आता हूँ...
उसके बाद हम उस कमरे मे चले गये जहाँ ख़ान ऑर सूमा थे... सूमा, ख़ान को बुरी तरह मार रहा था ऑर कमरे के बाहर ही ख़ान के चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी... हमने जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खोला तो देखा ख़ान ज़मीन पर गिरा पड़ा था ऑर सूमा उससे बुरी तरह ठोकर से मार रहा था...
मैं: बस... बस... बस कर सूमा मर जाएगा यार...
सूमा: मरता है तो मर जाए साला लेकिन आज इससे सारे माल का पता निकल्वाके रहूँगा इस हरामी की वजह से सबसे ज़्यादा मेरा नुक़सान हुआ है... इस हरामी के कुत्तो ने मेरे माल पर रेड डाल कर सारा माल पकड़ा था जानता है बाबा से कितनी बार गाली खाई है मैने इस हरामी की वजह से ऑर इस भेन्चोद ने सारा माल अपने बाप छोटे को दे दिया... मादरचोद को पैसे ही चाहिए थे तो मेरे पास नही आ सकता था...
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वही दूसरी तरफ रूबी, नाज़ी ऑर हीना अकेली हो गई थी मैं उनके साथ होके भी पूरी तरह उनके साथ नही था ना तो मैं पूरी तरह से किसी को अपनी कह पा रहा था ऑर ना ही मैं अब उनको छोड़ सकता था इसलिए एक दिन मैने रसूल से अपने दिल बात करने की सोची क्योंकि हम सब मे एक रसूल ही था जो ना सिर्फ़ उमर मे मुझसे बड़ा था बल्कि वो शादी-शुदा भी था इसलिए एक दिन मैने बात करने के लिए रसूल को बुलाया ऑर खुद अपने कॅबिन मे बैठकर उसके आने का इंतज़ार करने लगा...
रसूल: हाँ भाई तुमने मुझे बुलाया था...
मैं: हाँ यार तुमसे एक दिल की बात करना चाहता था समझ नही आ रहा कहाँ से शुरू करू...
रसूल: (मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ ते हुए) बोल भाई क्या बात है
मैं: यार तू तो जानता है कि मैं ये मुल्क़ छोड़ कर जा रहा हूँ लेकिन जाने से पहले मैं एक उलझन मे हूँ...
रसूल: बताना यार कैसी उलझन अब तो अपनी सारी प्रॉब्लम्स भी सॉल्व हो गई है बिज़्नेस भी टॉप पर चल रहा है अब कैसी उलझन...
मैं: यार जब से हीना ऑर नाज़ी यहाँ आई है मैं बहुत उलझ गया हूँ... रूबी , हीना ऑर नाज़ी तीनो ही मुझे बहुत प्यार करती है ऑर उन तीनो ने ही मेरे लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया है अब मुझे समझ नही आ रहा कि अपने मतलब के लिए उनको ऐसे छोड़ कर जाना सही होगा या नही...
रसूल: हमम्म बात तो तुम्हारी सही है... यार मेरी मानो तो तुम शादी कर लो सारी उलझन दूर हो जाएगी...
मैं: लेकिन किससे करूँ शादी यार तीनो ही मुझे प्यार करती हैं ऑर कही ना कही तीनो ही मेरे बुरे वक़्त मे मेरे साथ थी ऑर मेरा हमेशा साथ दिया बिल्कुल तुम सब की तरह...
रसूल: हमम्म मेरी मानेगा तो उससे शादी कर जिससे तू प्यार करता है समझा... ऑर यार बहुत सोच समझकर फ़ैसला करना...
मैं: ठीक है...
उसके बाद रसूल मुझे मेरी सोच के साथ तन्हा छोड़ कर वो चला गया ऑर मैं सोचने लगा कि प्यार किसको करता हूँ... सच तो ये था कि मैं तीनो से प्यार करता था लेकिन अब मैं तीनो से शादी कैसे करता बस इसी क़श-म-क़श मे मैं उलझा हुआ था लिहाज़ा मैने ये फ़ैसला भी उन तीनो पर ही छोड़ दिया ऑर वहाँ से सीधा घर चला गया...
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16-11-2021, 03:31 PM
अपडेट-56
घर पहुँच कर मैने बहुत हिम्मत से घर का दरवाज़ा खट-खाटाया कुछ देर बाद हीना ने एक दिल-क़श मुस्कान के साथ दरवाज़ा खोला...
हीना: आज जल्दी आ गये नीर ...
मैं: हाँ आज कुछ खास काम नही था इसलिए जल्दी आ गया...
उसके बाद मैने चारो तरफ देखा तो मुझे सिर्फ़ नाज़ी नज़र आई जो नीर को बोतल से दूध पिला रही थी... लेकिन मुझे रूबी कही नज़र नही आई...
मैं: रूबी कहाँ है...
हीना: वो यतीम खाने मे हैं अभी बच्चों का कॉलेज चल रहा है ना इसलिए शाम को आएगी...
मैं: अच्छा... यार मैं तुम लोगो से एक ज़रूरी बात करना चाहता था
ये सुनकर दोनो मेरे पास आके खड़ी हो गई ऑर सवालिया नज़रों से मुझे देखने लगी... मैने दोनो को एक नज़र देखा ऑर दोनो का हाथ पकड़कर अपने साथ उनको भी बेड पर अपनी दोनो तरफ बिठा लिया...
मैं: तुम दोनो तो जानती ही हो कि हमारे बढ़ते हुए बिज़्नेस ऑर मेरे कारनामो की वजह से मैं पूरे मुल्क़ मे मोस्ट-वांटेड हूँ इसलिए मुझे ये मुल्क़ छोड़ना होगा लेकिन मैं सोच रहा हूँ इस मुल्क़ से मैं अकेला नही बल्कि शादी करके अपनी बीवी के साथ जाउ...
हीना: (खुश होते हुए) ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुमने शादी करने का फ़ैसला कर लिया है वैसे कौन है वो खुश-नसीब...
मैं: यार इसका फ़ैसला मैं नही बल्कि तुम तीनो मिलकर कर ही कर लो क्योंकि मैं जानता हूँ तुम, नाज़ी ऑर रूबी तीनो ही मुझे बे-इंतेहा प्यार करती हो मेरे लिए तुमने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया अब मुझ मे इतनी हिम्मत नही है कि तुम तीनो मे से किसी को भी बीच रास्ते मे ऐसे ही छोड़ कर चला जाउ...
हीना: (हँसते हुए) बस इतनी सी बात तो इसमे कन्फ्यूज़ होने की क्या बात है... चलो तुम्हारी एक मुश्किल तो मैं आसान कर देती हूँ... तुमको रूबी ऑर नाज़ी मे से एक को चुनना है क्योंकि मुझे लगता है मुझसे ज़्यादा तुमको ये दोनो प्यार करती हैं...
नाज़ी: नही... मुझे लगता है तुमको रूबी ऑर हीना बाजी ज़्यादा प्यार करती है...
हीना: चलो जी हो गया फ़ैसला... तुम रूबी से ही शादी कर लो वो तुमको हम दोनो से ज़्यादा प्यार करती है...
मैं: और तुम दोनो...
नाज़ी: हम दोनो की फिकर मत करो हम दोनो यहाँ महफूज़ है ना तो फिकर कैसी ऑर वैसे भी रूबी बाजी के जाने के बाद यतीम खाना संभालने वाला भी तो कोई होना चाहिए ना...
उनकी बात सुनकर मैं कुछ देर सोचता रहा ऑर फिर बिना कुछ कहे बेड से उठा ऑर चुप-चाप घर से बाहर निकल गया...
//
मैं अपनी गहरी सोच मे इतना उलझा हुआ था कि मुझे पता ही नही चला कब मैं यतीम खाने तक पैदल ही आ गया...
वहाँ जाके मैं रूबी से मिला ऑर यही बात रूबी से भी कही तो उसका भी जवाब यही था कि हीना ऑर नाज़ी मुझे उससे ज़्यादा प्यार करती है इसलिए मैं उन दोनो मे से किसी से शादी करूँ...
..
उसका जवाब सुनके मैं वहाँ से वापिस घर की तरफ चल दिया ऑर जाने कब मेरे कदम मुझे बाबा की क़ब्र तक ले आए... वहाँ मैं कुछ देर बैठा रहा ऑर अपने सवालो के जवाब हासिल करने की कोशिश करता रहा लेकिन मैं नाकाम साबित हो रहा था फिर मैं अपनी गुज़री हुई ज़िंदगी को देखने लगा जब मैं सबसे पहले नाज़ी से मिला था वहाँ उसने कैसे पहले मेरी जान बचाई फिर फ़िज़ा के साथ मेरी बेहतरीन देख-भाल कि जिससे मैं चन्द महीनो मे अपने पैरो पर खड़ा हो गया कही ना कही मेरा रोम-रोम नाज़ी ऑर उसके परिवार के अहसान के नीचे दबा हुआ था ऑर वैसे भी अब उसका मेरे सिवा कौन था मैं उसको कैसे छोड़कर जा सकता था, दूसरी तरफ हीना थी जिसने मेरी एक छोटी सी दिल्लगी को प्यार समझ कर मेरे जाने के बाद नीर ऑर नाज़ी का ना सिर्फ़ ख़याल रखा बल्कि मेरी गैर हाज़री मे बाबा ऑर फ़िज़ा की भी हमेशा मदद की वो नही होती तो आज शायद नाज़ी ऑर नीर भी ज़िंदा नही होते, वही रूबी के बारे मे सोचता तो वो सबसे अलग थी सारी दुनिया ने मान लिया था कि मैं मर चुका हूँ फिर भी वो मेरा इंतज़ार करती रही मुझसे शादी किए बिना भी मेरी बेवा बनकर वो अपनी उमर गुज़ारने के लिए तेयार थी ऑर मेरे चले जाने के बाद उसने मेरे सपने को अपनी ज़िंदगी का मकसद बना लिया ऑर अपनी सारी ज़िंदगी यतीम खाने के नाम करदी...
देखा जाए तो मैं इन तीनो का ही कही ना कही कर्ज़दार था इनके किए हुए प्यार ऑर अहसान को मैं ऐसे कैसे छोड़ कर जा सकता था लिहाज़ा मैने एक ऐसा फ़ैसला किया जो शायद किसी ने भी ना सोचा हो... एक नतीजे पर पहुँच कर मैं खुद को काफ़ी शांत महसूस कर रहा था ऑर बाबा की कब्र के पास बैठा खुश हो रहा था...
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तभी पिछे से एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया... मैने पिछे मुड़कर देखा तो ये रसूल था...
रसूल: भाई कहाँ है तू दुपेहर से मैं घर भी गया था लेकिन हीना ऑर नाज़ी ने बताया कि तू बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया मैने समझा तू यतीम खाने गया होगा वहाँ से भी रूबी से ऐसा ही जवाब मिला तुझे काफ़ी ढूँढा जब तू नही मिला तो मैं जानता था तू कहाँ मिलेगा...
मैं: यार शाम हो गई पता ही नही चला मैं यार आज खुद को काफ़ी उलझा हुआ महसूस कर रहा था इसलिए सोचा यहाँ आ जाउ तो मन शांत हो जाएगा...
रसूल: मैं जानता हूँ यार... चल बता फिर किसको प्यार करता है तू ऑर किससे शादी करेगा मैं कल ही क़ाज़ी को बुलवा लेता हूँ...
मैं: तू क़ाज़ी को बुलवा ले मैने मेरी हम-सफ़र को चुन लिया है...
रसूल: (खुश होके मेरे गले लगते हुए) अर्रे वाह भाई खुश कर दिया क्या मस्त खबर सुनाई है... चल बता कौन है हमारी होने वाली भाभी...
मैं: (मुस्कुरा कर) कल निकाह पर देख लेना
रसूल:यार तू कल ही शादी करेगा क्या...
मैं: हाँ क्यो... नही कर सकता क्या...
रसूल: नही... नही यार ऐसी बात नही है मेरा मतलब था शादी अगर धूम-धाम से होगी तो ज़्यादा बेहतर होगा ऑर उसके लिए तेयारियाँ करने के लिए वक़्त चाहिए...
मैं: (कुछ सोचते हुए) एक हफ़्ता बहुत है क्या...
रसूल: हाँ एक हफ्ते मे तो मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा...
मैं: तो ठीक है फिर तय हो गया...
उसके बाद मैं ओर रसूल कार मे बैठ कर घर आ गये जहाँ नाज़ी रूबी ऑर हीना मेरा इंतज़ार कर रही थी...
रसूल: लो जी आपका मुजरिम पकड़ लाया हूँ अब खुद ही संभाल लो मैं तो चला शादी की तेयारियाँ करने... मुझे बहुत काम है...
रसूल की बात सुन्नकर वो तीनो मेरे पास आके बैठ गई ऑर मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी क्योंकि रसूल की तरह वो भी जानना चाहती थी कि मैं किससे शादी करना चाहता हूँ लेकिन उनमे से कोई भी मुझसे ये सवाल नही पूछ रही थी शायद उनमे किसी मे भी दूसरे का नाम सुनने की हिम्मत नही थी इसलिए कुछ देर मेरे पास खामोश बैठी रहने के बाद तीनो अपने-अपने कामो मे लग गई... मैं जानता था कि वो तीनो ही अंदर से बेहद उदास हैं लेकिन फिर भी मेरी खुशी के लिए तीनो रसूल की बीवी के साथ शादी की शॉपिंग मे लग गई... तय किए हुए दिन पूरी बस्ती को दुल्हन की तरह सज़ा दिया गया ऑर मेरी शादी बस्ती मे करना ही तय हुआ क्योंकि मेरा भी कोई अपना खास रिश्तेदार तो था नही जो भी थे ये बस्ती वाले ऑर मेरे दोस्त मेरे यार ही थे इसलिए मैने बस्ती मे ही शादी करने का फ़ैसला किया जिसको सबने खुशी-खुशी मान लिया...
लेकिन इन गुज़रे दिनों मे सब मुझसे आके बार-बार एक ही सवाल पुछ्ते थे कि दुल्हन कौन है ऑर मैं किसी को कुछ नही बता रहा था इसलिए सब एक अजीब सी उलझन मे शादी की तैयारियाँ कर रहे थे...
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16-11-2021, 03:32 PM
शादी वाले दिन क़ाज़ी ने दुल्हन को बुलाने का कहा था तो सब मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगे कि अब मैं किसका नाम लूँगा... मैने चारो तरफ नज़र घूमके देखा तो वहाँ पर ना तो नाज़ी थी ना ही रूबी थी ऑर नही ही हीना थी इसलिए मैने रसूल से तीनो का पूछा...
रसूल: वो तीनो घर मे हैं जो भी तुम्हारी दुल्हन है उसको जाके खुद ले आओ...
इतना सुनकर मैं वहाँ से उठा ओर चुपचाप घर के अंदर चला गया जहाँ तीनो अलग-अलग बैठी हुई थी ऑर एक दम खामोश थी वो काफ़ी उदास लग रही थी मुझे देख कर वो कुछ ज़्यादा ही परेशान सी लगने लगी...
मैं: क्या हुआ तुम तीनो यहाँ क्यो हो...
हीना: नीर बस करो अब बहुत हो गया है हम तीनो कितने दिन से देख रही है तुम ना तो कुछ कहते हो ना किसी की सुनते हो आख़िर तुम बताते क्यो नही कि तुमने किसको चुना है कितने दिन हो गये तुमने हम तीनो की जान सूली पर टाँग रखी है समझ ही नही आ रहा है कि तुम्हारे दिल मे क्या है...
मैं: (ज़ोर से हँसते हुए) अगर मैं कहूँ कि मैं तुम तीनो से शादी करना चाहता हूँ तो तुम तीनो मे से किसी को ऐतराज़ है क्या...
मेरी ये बात सुनकर तीनो एक दूसरे की शक़ल देखने लगी उनको शायद समझ नही आ रहा था कि वो क्या कहें शायद किसी ने भी मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नही की थी इसलिए अब मेरे जैसी उन तीनो की हालत हुई पड़ी थी...
रूबी: तुम पागल तो नही हो गये हो तुम जानते भी हो तुम क्या कह रहे हो ये ना-मुमकिन है...
मैं: मैं एक दम ठीक हूँ ऑर मैने जो कहा वो भी एक दम सही है मैं तुम तीनो के बारे मे सोचा लेकिन कोई भी फ़ैसला नही कर पाया इसलिए मैने तुम तीनो को ही चुन लिया क्योंकि मैं जानता हूँ तुम तीनो मे से कोई भी मेरे बिना नही रह सकती ऑर एक को खुश करके मैं दो का दिल नही तोड़ सकता... अब बताओ तुम तीनो को इससे कोई ऐतराज़ है या नही...
इतना कहकर मैने सबसे पहले नाज़ी की तरफ देखा तो उसने ना मे सिर हिला दिया फिर रूबी की तरफ देखा तो उसने भी ना मे सिर हिला दिया ऑर लास्ट हीना की तरफ देखा तो उसने बिना कुछ कहे मुझे गले से लगा लिया...
मैं: अगर ऐतराज़ नही है तो 5 मिंट मे रेडी होके बाहर आ जाओ बाहर क़ाज़ी इंतज़ार कर रहा है...
उसके बाद मैं वापिस बाहर आ गया ऑर अपनी जगह पर जाके बैठ गया ऑर रसूल ऑर लाला को सारी बात बता दी तो मेरी बात सुनकर उनके भी होश उड़ गये लेकिन मेरी बात को समझने के बाद वो भी मान गये ऑर मेरी खुशी मे वो भी खुश हो गये...
कुछ देर बाद तीनो तेयार होके आ गई ऑर क़ाज़ी ने थोड़े बहुत नाटक करने के बाद मेरा तीनो से निकाह करवा दिया
उसके बाद मैने, मेरी बीवियो ने ऑर नीर ने एक साथ ये मुल्क़ छोड़ दिया...
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Just only 11,000 views....Too bad why no one supports such a wonderful story....
@Snigdha Brother really this story is very amazing and your way of writing is also good...If anyone who has had sex in their life will definitely like this story...
I don't understand why everyone is after cuckold and family stories....why no one likes these stories....?
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