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Adultery बीबी की चाहत
#61
Mast story, keep going.
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#62
bohot khub. update regularly
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#63
मेरी बीबी की आँखों से अश्रुधार बहने लगी, जिसे देख कर तरुण स्तब्ध सा हो गया। उसका हाथ जो दीपा की चूँचियों को सेहला रहा था और मेरी बीबी की निप्पलोँ को अपनी उँगलियों में पिचका रहा था, दीपा की ब्रा में ही स्थिर हो गया। उसे पता नहीं था की उसकी हरकतों से दीपा इतनी ज्यादा परेशान हो जायेगी। जब कुछ समय तक ऐसे ही अपने हाथ दीपा की ब्रा में ही रखे दीपा के बॉल को अपनी उँगलियों में जकड़े हुए तरुण खड़ा रहा तब मेरी बीबी ने सोचा की उसे तरुण को कुछ रियायत देनी पड़ेगी जिससे वह उसे जाने दे।

उस समय मेरी प्यारी पत्नी ने एक ऐसी गलती की जो उसे उस एक तरफी रास्ते पर ले गयी, जहां से शायद वापस आना उसके लिए बहुत मुश्किल था। दीपा ने कहा, "तरुण आखिर तुम्हें मुझसे क्या चाहिए? देखो, मैं अभी बहुत परेशान हूँ। अभी मुझे प्लीज जाने दो। बाद में तुम जो कहोगे मैं करुँगी, पर अभी मुझे और परेशान मत करो प्लीज!"

तरुण दीपा की बात सुनकर एकदम गंभीर हो गया। उसने दीपा के ब्लाउज में से अपने हाथ निकाल दिए। और दीपा की और देख कर बोला, "भाभी, क्या आप इतनी नासमझ हैं की आप नहीं जानती की मैं क्या चाहता हूँ? क्या मैं जो मागूंगा वह आप मुझे दोगी? आपने मुझे वचन दे दिया है भाभी। अब मुकरना मत।"

दीपा तरुण की और देखती ही रही। उसे समझ में नहीं आया की कैसे उसके मुंह से वह शब्द निकल गए और कैसे उसने तरुण को वचन दे दिया की बाद में वह जो तरुण चाहेगा वो करेगी? ऐसा करने से तो वह तरुण के चालाकी से बुनी हुई जाल में फँस गयी। अब वह क्या करे? दीपा परेशानी भरी नज़रों से तरुण को बिना कुछ बोले देखती ही रही। उसकी आँखों में एक असहायता का भाव था।

तरुण ने फिर एक और चाल चली और दीपा को रिलैक्स करने के लिए कहा, "अरे मेरी भोली भाभी! आप चिता मत करिये। अभी तो मैं आपसे सिर्फ दिल्लगी कर रहा था। मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए। आप जब मेरे पास होती है ना, तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता है। मेरा आपको दुःख पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। आप हाथ मत जोड़िये। चाहो मुझे एक थप्पड़ मार लो पर रोओ मत। आप चाहो तो अभी जा सकती हो। मैं आपको और परेशान नहीं करूंगा। पर भाभी, जब कभी मौक़ा मिला और मैंने आपसे माँगा तो फिर आप अपने वचन से मुकर तो नहीं जाओगे ना?"

दीपा ने जब तरुण से यह सूना की तरुण अब दीपा को परेशान नहीं करेगा, तो दीपा की जान में जान आयी। दीपा ने अपना सर उठा कर कहा, "मैं कभी अपने वचन से मुकरती नहीं हूँ।"

तरुण ने कहा, "तो बस भाभी, आप जा सकती हो। मैं आपको और परेशान नहीं करूंगा। पर जाते जाते बस मेरी इस वक्त एक छोटी सी रिक्वेस्ट है।"

मेरी बीबी का दिमाग फिर घूमने लगा। दीपा ने पूछा, "तुम्हें वचन तो दे दिया अब और क्या रिक्वेस्ट है भाई?"

तरुण ने कहा, "भाभी मेरी एक छोटी सी इच्छा है। ऐसी कोई बड़ी या घबराने वाली बात नहीं है, बस एक छोटी सी इच्छा है। क्या आप पूरी करोगी?"

दीपा अकुलाते हुए सावधानी से बोली, "क्या बात है? और क्या चाहिए तुम्हें?"

तरुण ने कहा, "भाभी जी, गभराइये मत। मुझे और कुछ ज्यादा नहीं चाहिए। पर जब भी मैं आपके रसीले होँठ देखता हूँ तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता है? मैंने कई बार आपके सर को और आपके गालों को चूमा है। पर कभी आपके रसीले होंठो को नहीं चूमा। क्या मैं एक सेकंड के लिए ही बस एक ही बार आपके होँठों को चुम सकता हूँ? बस एक सेकंड के लिए ही? प्लीज? मैं फिर कभी दुबारा आपसे ऐसी मांग नहीं करूंगा। आई प्रॉमिस।" यह कह कर तरुण अपने दोनों कान अपने दोनों हाथों की उँगलियों से पकड़ कर बड़ी ही भोली सूरत बना कर खड़ा हो गया।

तरुण का ड्रामा देख कर दीपा बरबस ही हँस पड़ी। कहते हैं ना की हँसी तो फँसी। दीपा ने एक गहरी राहत भरी साँस ली। क्यूंकि दीपा ने तरुण को प्रॉमिस किया था की वह जो तरुण चाहेगा वह करेगी तो मेरी प्यारी दीपा को डर था की कहीं तरुण उसे यह ना कह दे की वह दीपा को चोदना चाहता है। तो चलो एक चुम्मा ही तो देना है, और वह भी कुछ सेकंड के लिए।

तरुण की बात सुनकर दीपा ने कहा, "तरुण बहुत हो गया। मुझे डर है की कहीं दीपक आ गये और हमें देख लिया तो तुम्हें तो कुछ नहीं कहेंगे, पर मेरी फजीहत हो जायेगी। अच्छा, ठीक है। सिर्फ एक सेकंड के लिए ही। ओ के? कोई जबरदस्ती नहीं। चलो जो करना है जल्दी करो और मेरा पीछा छोडो प्लीज!"

तरुण मुस्कराया। मैं वहा खड़ा सब सुन रहा था। बात सुनकर मेरा लण्ड पूर्व रस से रिसने लगा। मैं समझ गया की अगर उसने दीपा को होँठों पर चुम लिया तो समझो उसने बाजी मार ली। दीपा होँठों पर क़िस की मास्टर थी। किस मात्र से वह एकदम उत्तेजित हो जाती थी।
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#64
तरुण ने दीपा की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी और घुमा लिया जिससे मेरी बीबी का चेहरा उसके चेहरे के सामने हो गया और दोनों के होँठ एक दूसरे के आपने सामने हो गए। तरुण ने दीपा को अपने इतने करीब खींचा की तरुण और दीपा के बदन एकदम सट गए। मैं समझ गया की उस समय तरुण की पतली सी निकर में से बाहर निकला हुआ तरुण का मोटा, लंबा और फौलाद की तरह खड़ा लण्ड दीपा की चूत को सारे कपड़ों के होने के बावजूद भी तगड़ी टक्कर मार रहा होगा। मेरी बीबी अब अपने ही जाल में फँस चुकी थी। अब उसे तरुण को किस करने देना ही पड़ेगा।

तरुण दीपा की कमर के निचे दीपा के कूल्हों पर एक हाथ ले जा कर उनको दबाने लगा। इसके पहले की दीपा कुछ बोल पाती, तरुण ने दीपा के रसीले होँठों पर अपने होँठ कस कर भींच दिए। दीपा बौखलाई हुई थी। एक तरफ तरुण दीपा के कूल्हे के गाल दबा रहा था। तो दूसरी और तरुण का लण्ड दीपा की चूत को ताकत से कोंच रहा था। तरुण साड़ी के ऊपर से ही दीपा की गाँड़ के गालोँ बिच की दरार में अपनी उंगलियां घुसेड़कर उन्हें ऊपर निचे कर रहा था।

दीपा बोलने की स्थिति में तो थी नहीं। दीपा के होंठों का तो तरुण के होँठों ने कब्जा कर लिया था। दीपा तरुण की बाँहों में पूरी तरह उलटे खींचे हुए धनुष्य की तरह टेढ़ी खड़ी हुई थी। तरुण का पेंडू दीपा के पेंडू से कस के जुड़ा हुआ था। दीपा की चूत वाला हिस्सा तरुण के लण्ड से कस के भींचा हुआ था। तरुण ने अपने होँठों से दीपा के होँठ खोल दिए। फिर तरुण ने अपनी जीभ दीपा के मुंह में घुसेड़ दी। दीपा की छाती के मस्त दो गुम्बज तरुण की छाती में जुड़े हुए थे।
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#65
दीपा ने तरुण को चुम्बन करने की इजाजत तो दे ही दी थी ना? अब वह विरोध कैसे करती? अब उसे तरुण के साथ चुम्बन में तो हिस्सा लेना ही पडेगा। तरुण की जीभ को अपने मुंह में घुस ने की कोशिश करते हुए महसूस करते ही दीपा ने अनायास ही अपने होँठ खोल दिए और अपनी जीभ से उसे सहलाना शुरू किया।

तरुण के मुंह की लार दीपा के मुंह में बहने लगी। दीपा ने पहली बार किसी गैर मर्द को ऐसा चुम्बन किया था। दीपा चुम्बन करने में माहिर थी। उसे मुझसे चुम्बन करने में बड़ा ही आनंद आता था।

उसी दक्षता से दीपा तरुण के साथ चुम्बन में जुड़ गयी। तरुण के चुम्बन की उत्तेजना से दीपा का पूरा बदन रोमांच से भर गया। मैंने देखा की दीपा का अवरोध तरुण के होँठों से होँठों के मिलन से धीरे धीरे टूटने लगा। दीपा का पूरा ध्यान तरुण की जीभ में से बहते हुए रस पर केंद्रित था। दीपा तरुण की जीभ को चूसने लगी। तरुण भी दीपा के सकारात्मक रवैये से एकदम उत्तेजित हो गया। दीपा और तरुण काफी समय तक एक दूसरे के होँठ चूसते रहे और एक दूसरे की जीभ का रसास्वादन करते रहे।

दीपा तरुण के चुम्बन में इतनी खो गयी की उसे चुम्बन करते हुए समय का ध्यान ही नहीं रहा। तरुण ने अपनी जीभ से दीपा के मुंह को चोदना शुरू किया। बार बार अपनी जीभ दीपा के मुंह में घुसेड़ता और फिर बाहर निकालता। यह एक तरह से दीपा को चोदने का संकेत ही था। दीपा का अवरोध पता नहीं कहाँ गायब हो गया। दीपा के मुंह से हलकी सी कामुकता भरी सिसकियाँ और "उँह.... ममम..." की आवाजें निकलने लगी। अपनी मस्ती में शायद वह भूल गयी की उसको किस करने वाला मैं उसका पति नहीं, बल्कि तरुण था। वह तो तरुण को दीपक समझ कर अपना मुंह तरुण की जीभ से चुदवाती रही।

तरुण ने दीपा की गाँड़ को अपने हाथ से जोर से दबाया और दीपा के दोनों टांगों के बिच की चूत को अपने लण्ड की और कस के खींचा और जैसे दीपा को साड़ी पहने हुए ही चोद रहा हो ऐसी हरकत करने लगा। दीपा तरुण के बाहुपाश में और तरुण के होठों के रसास्वादन में ऐसी खोयी हुई थी की उसे समय का और तरुण के उसकी चूत को साडी को बिच में रखते चोदने की एक्टिंग कर रहा था उस का ध्यान ही नहीं था।

तब तरुण ने एक ऐसी हरकत की जिसकी वजह से दीपा एकदम जमीन पर वापस लौट आयी। तरुण ने उत्तेजना में दीपा के ब्लाउज में फिर से अपना एक हाथ डाल दिया और दीपा के उन्नत उरोजों को दबाने और मसलने लगा। तरुण का हाथ अपने ब्लाउज में डालने से ही मेरी बीबी भड़की और उसने तरुण को एक जोरदार धक्का देकर उसे अलग किया। दीपा का मुंह तरुण के चुम्बन से शर्म और उत्तेजना के मारे लाल हुआ था।

दीपा ने अपने आपको सम्हाला और एकदम झपट कर बाथरूम के दरवाजे की और मुडी और दरवाजा खोला। पीछे मुड़ कर दीपा ने तरुण की और देखा और बोली, "मैं तुम्हें दूसरे मर्दों से अलग समझती थी। आई थॉट यू आर नॉट लाइक अधर मैन। पर तुमने मेरी कमजोरी का फायदा उठाया। यह ठीक नहीं है। डु यू थिंक आई ऍम ए ब्लडी स्लट? क्या तुम मुझे कोई छिनाल या वेश्या समझ रहे हो? मैं तुम्हें एक शरीफ आदमी समझती थी जो कभी कभी उत्तेजना में बह कर जुछ अजीब सी हरकतें कर बैठता है। आई डोन्ट लाइक इट। नाउ गेट आउट। आई डोन्ट वोन्ट टू सी यू अगेन। मैं तुम्हें दुबारा मिलना नहीं चाहती।"

दीपा बचपन से मिशनरी स्कूल में पढ़ी थी। वह घरमें हिंदी ही बोलती थी। पर जब उसका पारा सातवे आसमान पर चढ़ जाता था तब वह एकदम इंग्लिश पर आ जाती थी। मैंने मेरी बीबी का महाकाली रूप बहुत कम बार देखा था। उस सुबह मुझे वह देखने को मिला। तरुण ने बेचारे ने तो सोचा भी नहीं होगा की उसे ऐसी फटकार पड़ेगी।

यह कह कर दीपा तरुण को भौंचक्का सा खड़ा हुआ छोड़कर बाथरूम से बाहर निकली। वह बाहर निकले उससे पहले ही मैं वहाँ से हट चुका था और वापस भाग कर टीवी के सामने अपनी जगह आकर क्रिकेट का मैच देखने लगा था।

कुछ ही देर में मेरी बीबी दीपा, हिचकिचाती हुई झिझकती, थकी, हारी; धीरे धीरे चलती हुई मेरे पास आकर खड़ी हुई। मैंने देखा की वह काफी कुछ परेशान सी लग रही थी। मैंने अपनी बीबी से पूछा, "डार्लिंग, क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों हो?"

मेरी बीबी की उभरी हुई छाती गजब की खूबसूरत लग रही थी। मैं जानता था की वह तरुण के चुम्बन करनेसे और कपड़ों के ऊपर से जाँघों से जाँघों के रगड़ने से बड़ी उत्तेजित और घबड़ायी हुई थी। और साथ साथ उसे खुद अपराधी होने की फीलिंग परेशान कर रही थी। दीपा मेरे सामने आकर थोड़ी देर मरे सवाल का जवाब दिए बिना खड़ी रही। दीपा की आँखें लाल हुई थीं और उनमें पानी भरा हुआ था।"

मैं दीपा की और ध्यान ना देते हुए टीवी को देखने का बहाना कर रहा था, पर मेरा ध्यान दीपा के चेहरे के भाव परखने में था। दीपा उस समय बड़ी प्यारी लग रही थी। मेरा मन किया की मैं अपनी बीबी को अपनी बाँहों में लेकर उसे चूम लूँ और खूब प्यार करूँ।
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#66
पर उस समय उसकी हालत ठीक नहीं थी। तरुण की कुछ ज्यादा ही हद पार हरकतों से वह दुखी थी, क्षोभित थी। अगर मैं उस समय उसे गले लगा कर प्यार करता तो यातो खूब रोती, या फिर यह सब शायद मेरी ही करतूत होगी यह सोच कर मुझ पर गरज पड़ती। शायद वह तरुण से भी नफरत करने लगती। वह समय नाजुक था।

मैंने यही बेहतर समझा की उस नाजुक घडी में मेरी बीबी को कुछ देर के लिए अकेले छोड़ दिया जाये। कुछ देर बाद वह सम्हल जायेगी तब फिर मैं उसे प्यार कर के ढाढस दिलाऊंगा।

मैंने पूछा, "बोलो, कुछ हुआ क्या? क्या तुमने तरुण के कपडे साफ़ कर दिए?"

जिंदगी में शायद पहली बार मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला। दीपा ने कहा, "नहीं कुछ नहीं हुआ। मैंने तरुण के सर पर घाव लगा था, वहाँ दवाई लगा दी। फिर तरुण को तौलिये से साफ़ कर दिया और उसका मुंह बगैरा धो दिया। उसका हाथ अब सीधा हो गया है और उसका खून भी रुक गया है। तुम जल्दी जाकर उसे तुम्हारे कपडे पहनने के लिए दे आओ। बाद में मैं तरुण के कपडे धो दूंगी।"

इतना बोल कर दीपा आननफानन में बैडरूम में चली गयी। उस समय उसकी आँखों से आंसूं बहे जा रहे थे। मुझे लगा की वह बैडरूम में जा कर रो रही थी।

मैंने बाथरूम में नहा रहे तरुण को दरवाजे के बाहर से ही मेरे कपडे दे दिए। कुछ ही देर में तरुण मेरे कपडे पहन कर बाहर आया और उसने मुझसे इजाजत मांगी। तरुण का चेहरा भी लाल था। वह मुझसे आँख नहीं मिला पा रहा था। वह जल्दी जल्दी आया और मुझसे बोला, "दीपक, सॉरी यार, आज का दिन ही कुछ गड़बड़ है। चल मैं चलता हूँ। मुझे घर जाकर कपडे चेंज कर फिर ऑफिस जाना है। आज देर हो जायेगी।"

मैंने उसे "बाई" किया उससे पहले ही वह चलता बना। मैं मैच देखने लगा। पर मुझे मैच में कोई रस नहीं आ रहा था। उस मैच से कई गुना बेहतर मैच मैंने उस दिन तरुण और दीपा के बिच बाथरूम में देखा था।

"मेन ऑफ़ ध मैच" तो चला गया। अब मुझे "वुमन ऑफ़ ध मैच" से बात करनी थी। मैं चुपचाप बैडरूम में गया तो मेरी बीबी दीपा पलंग पर पड़ी रो रही थी। मैंने दीपा को उस समय छेड़ना ठीक नहीं समझा पर मुझे दुःख हुआ की मेरी बीबी ने मुझसे झूठ बोला।

उस सुबह मेरी दीपा से औपचारिक बातों को छोड़ कोई बात नहीं हुई। दीपा काफी अपसेट थी। मैं भी उसे कुछ पूछ कर परेशान नहीं करना चाहता था। मैं ऑफिस चला गया और दीपा घर के कामों में लगी रही।
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#67
रात को जब मेरे लेटने के बाद दीपा कपडे बदल कर बैडरूम में पलंग पर आयी तो मैंने देखा की उसका चेहरा ग्लानि से फीका पड़ा हुआ था। मैं उसे सालों से जानता हूँ। मैं समझ गया की वह कुछ जरुरी बात मुझसे करना चाहती थी।

मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और प्यार जताते हुए पूछा, "मुझे लगता है की तुम कुछ कहना चाहती हो। कहो क्या बात है?"

मेरी बात सुनते ही दीपा की आँखोने में से आंसुओं की धार बहने लगी। वह मेरी छाती पर अपना सर रख कर फफक फफक कर रोने लगी। मैंने कुछ समय उसे रोने दिया। मैं उसके सर को सहलाता रहा। जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने कहा, "अब बताओ, क्या बात है। "

दीपा ने कहा, "मैंने सुबह जब आपको यह कहा की सुबह कुछ नहीं हुआ, तो मैंने आपसे झूठ बोला था। असल में सुबह बाथरूम में बहुत कुछ हुआ था।"

मैंने कहा, "क्या हुआ? क्या तरुण ने कुछ किया क्या?"

दीपा ने अपनी नजरें नीच कर अपनी मुण्डी हिला कर कहा, "हाँ। "

मैंने दीपा की और नजरें उठाकर देखा और हँसते हुए पूछा, "क्या उसने तुम्हारे साथ सब कुछ कर लिया क्या? कहीं उसने तुम्हारे कपडे उतार कर वह तुम पर चढ़ तो नहीं गया? तुम तो ऐसा कर रही हो जैसे तरुण ने तुम्हें चोद ही दिया हो। उस छोटे से बाथरूम में तरुण तुम्हें चोद तो नहीं सकता था। क्या उसने तुम्हें चोदा है?"

दीपा मेरी बात सुनकर एकदम गुस्सा हो गयी और बोली, "अपनी बीबी के साथ ऐसी बातें करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम मर्द लोग समझ ते क्या हो अपने आप को? क्या इस दुनिया में चोदने चुदवाने के अलावा और कुछ नहीं है क्या? सुबह चोदने की बात, शामको चोदने की बात?"

मैंने पूछा, "तो बोलो ना फिर क्या हुआ? बोलो भी? अगर उसने तुम्हें चोदा नहीं तो फिर क्या किया? क्या तरुण ने तुम्हारे बूब्स को मसला?

दीपा के गाल शर्म के मारे लाल हो गए। उसने नजरें नीची कर कहा, "हाँ, उसने मेरे ब्लाउज में हाथ डाला। उसने मुझे होठोँ पर किस भी की। उसने मेरे साथ बड़ी बदतमीजी की।"

उस समय मुझे मेरी बीबी पर वाकई बड़ा गर्व हुआ। उसने मुझसे सच छुपाया नहीं। मैंने पूछा, "क्या? उसकी ये हिम्मत? वह तो चला गया। तुमने मुझे पहले बताया क्यों नहीं? मैं उसकी खबर ले लेता। अगर उसने तुम पर जबरदस्ती की है, तो मैं उससे अभी ही सारे सम्बन्ध तोड़ दूंगा। यह गलत है और तुम्हें मुझे उसी समय बता देना चाहिए था।"

दीपा मेरी बात सुनकर एकदम सकते में आगयी और बोली, "नहीं ऐसा कुछ नहीं है। नहीं तुम उसे कुछ मत कहना। कहीं आप दोनों में बड़ा झगड़ा ना हो जाए। मैंने ही उसको इतना झाड़ दिया है की वह शायद अब हमारे घर नहीं आएगा। मैंने उसे कह दिया की मैं उसकी शकल तक देखना नहीं चाहती। मैंने उसको गेट आउट भी कह दिया। पर अब मुझे अफ़सोस हो रहा है। वैसे तो हम उसे इतने सालों से जानते हैं। वह ऐसी ओछी हरकत कभी नहीं करता। शायद उसे दिखाई नहीं दे रहा था तो वह लड़खड़ा गया और अपने आपको गिरने से बचाने के लिए उसने मुझे पकड़ना चाहा और इसी चक्कर में उसका हाथ मरे ब्लाउज के अंदर चला गया। पता नहीं आज उसे क्या हो गया था।"

दीपा ने फिर रोते हुए मुझे सब कुछ बता दिया जो बाथरूम में हुआ था। बस तरुण का लण्ड मुंह में लेने वाली और दिए हुए वचन की बात नहीं बतायी। मैं जानता था की ऐसी बात दीपा कैसे बताये? उसे शायद अपने आप पर ही घिन आ रही थी।

मैंने दीपा की बातें ध्यान से सुनी और उस पुरे वाकये को सुनते हुए मैं दीपा को अपनी गोद में बिठा कर कभी उसके कंधे को तो कभी बालों को प्यार से सहलाता रहा। मैं चाहता था की उसके अंदर का उफान बाहर निकल जाए।

जब वह कुछ शांत हुई तब मैंने दीपा के ब्लाउज में हाथ डालकर कहा, "जानूं, एक बात कहूं? तुम बुरा तो नहीं मानोगी?"

दीपा ने मेरी और प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा। उसके चेहरे पर शांत सौम्य भाव था। मैंने कहा, "देखो, तुम एक स्त्री हो। जाहिर है तुम स्त्री की तरह ही सोचोगी। पर मैं एक पुरुष हूँ। अब जब मैं सोचता हूँ तो मुझे यह समझ में आ रहा है की यह सब तरुण की या तुम्हारी गलती नहीं थी। यह सब मेरी गलती के कारण हुआ है।"

मेरी बात मेरी पत्नी की समझ में नहीं आयी। उसके चेहरे पर उलझन के भाव थे। मैंने कहा, "मैं तुम्हें बताता हूँ की कैसे। जब मैंने तुम्हें कहा की तुम तरुण को लेकर बाथरूम में जाओ, वह मेरी गलती थी। देखो और समझो। तरुण के जैसा शशक्त और वीर्यवान पुरुष जब तुम जैसी ना सिर्फ खूबसूरत परन्तु निहायत ही सेक्सी औरत के साथ एकदम एकांत में बाथरूम में जाए और उस पर भी अगर तुम उसके बदन पर हाथ फिराकर उसे साफ़ करो तो मैं तरुण का दोष नहीं मानूंगा की उसने तुम्हारे साथ ऐसी बदतमीजी की। उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो यही करता। हाँ अगर कोई नपुंशक होता तो वह ऐसा ना करता।

तुम मर्दों को कोसती हो। तुम अपनी जगह सही हो। पर भगवान ने हम मर्दों को बनाया ही ऐसा है। हम मर्द कुत्ते की तरह हैं
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#68
जैसे ही कोई खूबसूरत या सेक्सी औरत देखि की हमारी जीभ लटपटाने लगती है। यह सही है हम मर्दों के दिमाग में सेक्स काफी छाया हुआ रहता है। गलती तरुण की नहीं है। गलती मेरी है। मुझे यह सब पहले से ही सोचना चाहिए था। यह सब मेरे कारण हुआ है। तुम मुझे माफ़ कर दो प्लीज?" मैं मेरी बीबी को कैसे बताता की वह तो मेरा ही प्लान था?

मेरी बात सुनकर दीपा बरबस हँस पड़ी। उसने कहा, "क्यों अपने दोस्त का इल्जाम अपने सर पर लेते हो? यह क्यों नहीं कहते की तुम तुम्हारे दोस्त को बहुत प्यार करते हो और उसकी गलतियों को नजर अंदाज कर रहे हो? वैसे मुझे तुम्हारी और तरुण की दोस्ती से कोई शिकायत नहीं है। ना ही मैं चाहती हूँ की यह दोस्ती कोई छोटीमोटी गलतियों के कारण आहत हो। एक गहरा अंतरंग करीबी दोस्त होना अच्छी बात है।"

मेरा मन मेरी प्यारी बीबी की हँसी को देख खिल उठा। उसने तरुण की गलती को छोटीमोटी गलती कह कर उसे ज्यादा तूल नहीं दिया यह मुझे अच्छा लगा। मैंने कहा, "बेचारे तरुण को माफ़ कर दो यार।"

दीपा ने मुझे नकली घूंसा मार कर कहा, "भाई, जब मेरा खुदका पति मुझे कहता है की किसी गैर मर्द, जिस ने मेरे साथ छेड़खानी की है, उसे माफ़ कर दूँ, तो मैं बेचारी बीबी क्या कर सकती हूँ?" दीपा ने फिर मुस्कराते हुए अपने गाल फुलाकर जैसे कोई राजा महाराजा बोलता है ऐसी एक्टिंग करते हुए कहा, "जाओ, माफ़ किया तुम्हारे दोस्त को। तुम भी क्या याद करोगे की किसी जानदार बीबी के साथ पाला पड़ा था। पर उसे यह जरूर कह देना की अब ज़रा वह समझदारी से मेरे साथ सलूक करे। जो उसने किया वह गलत था।"

मैं ख़ुशी से और बेतहाशा प्यार से मेरी बीबी को देखता ही रहा। तब मुझे झकझोरते हुए दीपा ने मुझे कहा, "पर जानूं, एक बात ध्यान रहे। मुझे लगता है, तुम तुम्हारे दोस्त को और अपनी बीबी को कुछ ज्यादा ही लिफ्ट दे रहे हो। देखो कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए और फिर बाद में तुम्हें इर्षा से जलन हो और मेरे और तुम्हारे हम दोनों के वैवाहिक जीवन में दरार ना पड़ जाए। जिस रास्ते पर तुम जा रहे हो वह निहायत ही खतरनाक रास्ता है।"

मेरी बीबी मेरी बाँहों में लिपट कर मेरे होँठों पर चूमती हुई बोली, "मैं अपने पति को कोई भी हालत में दुखी नहीं देख सकती। मेरे लिए मेरे पति के अलावा इस दुनिया में कुछ और मायने नहीं रखता।"
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#69
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#70
मैंने कहा, "देखो डार्लिंग मैं जानता हूँ की तुम किस और इशारा कर रही हो। मैं अपनी बीबी को बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ। डार्लिंग तुम यह कहना चाहती हो ना की अगर कभी कहीं तरुण तुम्हारे साथ में अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पाया और ऐसी नौबत आ गयी की उसने हद पार कर दी और तुम दोनों एक उत्तेजना में बह कर चुदाई कर बैठे तब मैं क्या आहात हो जाऊंगा या जलन से या गुस्सेसे पागल हो जाऊँगा? तो दीपा डार्लिंग यह समझ लो की अगर तुम मुझसे छुपाये बिना कुछ भी करते हो तो मुझे कतई भी जलन नहीं होगी क्यूंकि मुझे पता है की कुछ भी हो जाए, तुम मेरी ही रहोगी।"

मेरी बात सुनकर दीपा इतनी गरम हो गयी की उस रात मैंने दीपा को नहीं चोदा। उस पूरी रात भर दीपा ने मुझे चोदा और पूरी रात उसने मुझ से सारी पोजीशन में चुदवाया। उस रात को मुझे दीपा को तैयार नहीं करना पड़ा। वह शेरनी की तरह सारे कपडे निकाल कर मुझे चोदती रही और मुझसे चुदवाती रही। उस रात पता नहीं वह कितनी बार झड़ गयी।

मैं खुद मेरी बीबी की रसीली चूत में दो बार अपना माल छोड़ चुका था। सुबह मैं कुछ और करने के लायक नहीं था क्यूंकि मेरा लण्ड सारी रात की भरसक चुदाई के कारण सूझ गया था। शायद दीपा की चूत का भी यही हाल था। हमारी सुहाग रात में भी हमने ऐसी चुदाई नहीं की थी। मैं वाकई में अब तरुण का ऋणी हो चुका था।

पर उधर तरुण का बुरा हाल था। दीपा ने उसे गेट आउट कह दिया और उसे कह दिया की वह उससे मिलना नहीं चाहती थी। तबसे तरुण मन ही मन जल रहा था। एक तरफ उसे दीपसे मिले बगैर चैन नहीं पड़ रहा था तो दूसरी और उसकी हिम्मत नहीं पड़ती थी की वह मुझे या दीपा को फ़ोन करे या मिले। मैंने भी महसूस किया की दीपा भी कुछ बेचैन सा महसूस कर रही थी, क्यूंकि वह हमेशा कुछ ना कुछ सोचती ही रहती थी। उस दिन के बाद वह काफी गुमशुम सी रहती थी। शायद उसे अफ़सोस हो रहा था की उसने तरुण को कुछ ज्यादा ही झाड़ दिया था।

तरुण को यह डर था की दीपा उसकी शिकायत मुझसे करेगी। इस लिए डर के मारे तरुण ने अगले कुछ दिनों तक मुझे फ़ोन नहीं किया। मैं भी कुछ अपने कामों में व्यस्तता के कारण तरुण से बात नहीं कर पाया।

कुछ दिनों के बाद मैंने तरुण को फ़ोन किया और पूछा की क्या बात थी, वह फ़ोन क्यों नहीं कर रहा?

तब तरुण ने मुझसे माफ़ी माँगते हुए कहा, की वह उस दिन की उसकी करतूतों से बड़ा ही शर्मिन्दा है। उसने तुरंत मुझसे माफ़ी मांगी और कहा, "भाई, मैंने सोचा आप और ख़ास तौर पर दीपा भाभी मुझ पर नाराज होंगे। इस लिए मैं आपसे फ़ोन से बात करने में घबरा रहा था।"

मैं हंस पड़ा और मैंने उसको ढाढस देते हुए कहा, "रात गयी और बात गयी। दीपा ने मुझे सब कुछ बता दिया है। हमारी बात हो चुकी है। मेरे कहने पर दीपा ने तुम्हें माफ़ कर दिया है। अब तुम दीपा से बेझिझक मिल सकते हो। वह तुम्हें कुछ नहीं कहेगी। अरे यार ऐसी छोटी मोटी चीजें दोस्तों में तो हुआ करती हैं। मैं जानता हूँ। यह सब अचानक ही हुआ था। और यह कौन सी बड़ी बात है? ठीक है यार, वैसे भी तो कई बार हम एक दूसरे की पत्नियोंसे गले मिलते ही हैं न? यह छोटी मोटी छेड़छाड़ तो चलती रहती है। चिंता मत कर।" यह कह कर जैसे मैंने उसको आगे बढ़नेकी हरी झंडी दे दी।

अब तो तरुण मेरा ऋणी हो गया। वह मुझको अपनी पत्नी से मिलवाने के लिए उतावला हो रहा था। एकदिन जब उसका फ़ोन आया उस समय मैं अपने घर में वाशिंग मशीन में कुछ छोटी मोटी खराबी थी उसे ठीक कर रहा था। मैंने तरुण को कहा , "मैं घर के सारे मशीनों, जैसे वाशिंग मशीन, टीवी, हीटर इत्यादि का छोटामोटा काम घर में ही कर लेता हूँ। सारा बिजली का काम भी मैं ही कर लेता हूँ। तुम्हें या टीना को यदि कोई दिक्कत हो तो मुझे बेझिझक बुला लेना।"

यह सुन तरुण जैसे उछल पड़ा। वह कहने लगा की उसकी पत्नी टीना घर में कोई भी उपकरण काम नहीं करते तो बड़ी गुस्सा हो जाती है और तरुण की जान को मुसीबत खड़ी कर देती है। मेरे प्रस्ताव से वह बहुत खुश हुआ और उसने कहा की वह जरूर मुझे बुलाएगा।

उसी दिन देर शाम को उसने मुझे फ़ोन किया और घर आने को कहा। उसने कहा की उसका टीवी नहीं चल रहा था। मैं तरुण के घर गया। मैंने तुरंत ही उसके टीवी को देखा तो बिजली के प्लग का तार निकला हुआ था। मैंने तार लगाया और टीवी चालू कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे शायद तरुण ने ही वह तार जान बुझ कर निकाल दिया था ताकि वह उस बहाने मुझे बुला सके।

टीना बहुत खुश थी। उसकी मन पसंद सीरियल तब आने वाली थी। टीना इतनी खुश हो गयी की मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर मेरा धन्यवाद करने लगी। उसने कहा, "दीपक, तरुण इन मामलों में बिलकुल निकम्मा है। वह छोटा सा काम भी कर नहीं पाता।"
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#71
मैंने बड़ी नम्रता से कहा, "भाभी, आप निश्चिंत रहिये, यदि कोई भी ऐसी परेशानी हो तो कभीभी, ऑफिस समय छोड़ कर चाहे दिन हो या आधी रात हो, मुझे बुला लीजिए। ज़रा सा भी मत हिचकिचाइए। मैं हाजिर हो जाऊँगा।" यह सुन टीना बहुत खुश हुई और चाय बनाने के लिए जाने लगी।

तरुण ने उसे रोककर कहा, "देखो टीना, दीपक मेरा ख़ास दोस्त है। अगर मैं न भी होऊं और तुम्हें यदि कोई भी दिक्कत हो तो दिन हो या आधी रात, उसे बुलाने में कोईभी झिझक न करना।"

बस अब तो मेरा रास्ता भी खुलता दीख रहा था। टीना ने तरुण के रहते हुए मुझे एक दो बार बुलाया। तरुण ने तब फिर टीना को जोर देते हुए कहा की उस की गैर मौजूदगी में भी वह मुझे बुलाने में झिझके नहीं। तरुण काफी समय टूर पर जाता रहता था।

टीना ने एकबार मुझे रात के दस बजे फ़ोन किया की उसके बाथरूम का नलका ज्यादा पानी लीक कर रहा था। यदि उसको तुरंत ठीक नहीं किया तो उसकी पानी की टंकी खाली हो सकती थी। तरुण उस समय टूर पर था।

जब टीना का फ़ोन आया तब मैंने अपने पास पड़े हुए सामानमें से कुछ वॉशर, प्लास इत्यादि निकाला। जब दीपा ने पूछा तो मैंने सारी बात बतायी। दीपा मेरी और थोड़ी टेढ़ी नजर करके देखा, पर कुछ ना बोली। मैंने उससे पूछा, "तुम चलोगी क्या? तब वह बोली, "बुलाया तो तुमको है। मैं क्यूँ बनूँ कबाब मैं हड्डी?"

जब मैं खिसिया सा गया तो हंस कर बोली, "अरे मियां, तुम जाओ, मैं तो मजाक कर रही थी। मैं बहुत मजेदार सीरियल देख रही हूँ। जाओ अपना काम करके आ जाना।"

फिर थोड़े धीरे शरारत भरे ढंग से बोली, "अगर कुछ बताने लायक हो तो बताना। छुपाना मत। मैं बुरा नहीं मानूंगी।"

मैं भी उसे कहाँ छोड़ने वाला था? मैंने कहा, "हाँ, जरूर बताऊंगा। पर निश्चिंत रहना, मैं टीना को रसोई के प्लेटफार्म पर चढ़ा कर निचे नहीं गिराऊंगा।"

मेरे मजाक से मेरी भोली बीबी झेंप सी गयी। तब मैंने उसके होंठ पर किस करते हुए हंस कर कहा, "जानेमन, मैं मजाक कर रहा था।"

मैं टीना के घर गया उस समय वह नाईटी पहने हुए थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मुझे देखकर उसने अपने कंधे पर एक चुन्नी सी डाल दी और बोली, "देखो ना, मैं आपको इतनी देर रात को परेशान कर रही हूँ। पर क्या करूँ? तरुण नहीं है। खैर, वह होता तो भी क्या करता? वह तो दूसरे दिन प्लम्बर को बुलाऊंगा यह कह कर सो जाता। तुमने कहा था की मैं तुम्हे आधी रात को भी बुला सकती हूँ। तब फिर मैंने हिम्मत करके तुम्हे बुलाया। अगर यह अभी ठीक नहीं हुआ तो पूरी रात पानी जाता रहेगा और कल सुबह टंकी खाली हो जाएगी। फिर घर का सारा काम ठप्प हो जायगा।" टीना बेचारी बड़ी परेशान लग रही थी।

मैंने बाथरूम में जाकर देखा की नलके का वॉशर खराब था। मैं जब बाथरूम में घुसा तो टीना भी मेरे साथ बाथरूम में घुसी। मैं एक स्टूल सा लेकर बैठ गया। टीना आकर ठीक मेरे बगल में खड़ी हो गयी। मैं उसकी गरम साँसों को अपने गालों पर महसूस कर रहा था। एक दो बार मैंने अपनी कोहनी हटाई तो उसके बूब्स से टकराई। मेरे शरीर में जैसे एक झनझनाहट सी दौड़ गयी। मेरी धड़कनें तेज हो गयी। मेरा मेरा ध्यान काम पर कहाँ लगना था? वह इतनी करीब खड़ी थी की मेरी कोहनी उसके भरे हुए स्तन को छू रही थी। मेरी तो हालत ख़राब थी, पर टीना को तो जैसे कोई फरक नहीं पड़ता था। मैंने अपने पास से एक वॉशर निकाला और झटसे बदल दिया।

बस नलका टपकना बंद हो गया। टीना ऐसी खुश हुयी जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो वह मुझसे लिपट गयी। मैं क्या बताऊँ मेरी हालत कैसी थी। मेरा लण्ड मेरी पतलून में ऐसे खड़ा हो गया था जैसे सैनिक परेड में खड़ा हो। टीना जब मुझसे लिपट गयी तब शायद उसने भी मेरे कड़क लण्ड को महसूस किया होगा। वह थोड़ी झेंप कर अलग हो गयी और बोली, "दीपक, मैं आज तुम्हे बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ। आज शाम से मैं परेशान थी की मैं क्या करूँ। तुम्हें डिस्टर्ब करने के लिए मुझे माफ़ तो करोगे न? पता नहीं मैं तुम्हारा यह अहसान कैसे चुकाऊंगी।" टीना ने फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सहलाते अपना आभार जताया।

मैंने यह बोलना चाहा की, "बस एकबार मुझसे चुदवालो, हिसाब बराबर हो जाएगा। " पर मैं कुछ बोल नहीं पाया।

मैंने टीना के कन्धों पर अपना हाथ रखा और बोला, "टीना, तरुण ने एक बार मुझसे कहा था की मैं दीपा में और तुम में फर्क न समझूँ, और तुम और दीपा, तरुण और मुझ में फर्क मत समझना। क्या तुम भी तरुण से सहमत हो?"

टीना ने अपनी मुंडी हिलायी और बिना बोले अपनी सहमति जतायी।

मैंने कहा, "तो फिर एहसान कैसा? अगर यही समस्या दीपा की होती तो क्या मैं उसके लिए इतना काम न करता?" मेरी यह बात सुनकर टीना थोड़ी सी इमोशनल हो गयी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर तक छोड़ने आयी। बाहर जाते जाते एक दो बार टीना के भरे हुए बड़े बडे मम्मे मेरी बाँहों पर टकराये। मैं समझ नहीं पाया की क्या यह टीना जान बुझ कर कर रही थी और मुझे कोई इशारा कर रही थी या चलते चलते चलते हिलते हुए वह अनायास ही मेरी बाहों से टकरा गए थे।

मैंने भी टीना को यह सन्देश दे डाला की वह मुझमें और तरुण में फर्क ना समझे। मैं बाहर जाकर अपनी बाइक पर बैठ कर वापस चला आया।

उसदिन के बाद कुछ दिनों तक कई बार मुझे अफ़सोस होता रहा की यदि उसदिन मैं चाहता तो शायद टीना को अपनी बाँहों में लेकर उसको किस करता उस के गोरे बदन को नंगा कर और शायद चोद भी पाता। परंतु मैं जल्द बाज़ी में हमारे संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहता था।

मैं जब वापस आया तब दीपा बिस्तरमें मेरा इंतजार कर रही थी। मैं जानता था की वह मुझसे वहाँ क्या हुआ यह सुनने के लिए बेताब थी। मैंने भी हाथ मुंह धोया और बिस्तर में उसके पास जाके अपने कपडे निकाल के लेट गया। उसने जब महसूस किया की मैं तो बिल्कुल नंगा बिस्तर में घुसा हुआ हूँ तो बोली, "लगता है आज कुछ तीर मार के आये हो तुम। बोलो, चिड़िया जाल में फँसी या नहीं।"
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#72
मैने दीपा को अपनी बाँहों में घेर लिया। मैं उसके नाइट गाउन को उतारने में लग गया। उसके नाइट गाउन को खोल कर उसे बाजू में रख कर फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मुंह पर मुंह लगा कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मेरा खड़ा लण्ड उसकी चूत को टक्कर मार रहा था। वह कुछ बोलना चाहती थी, पर चूँकि मैंने उसके होठ होंठ कस कर दबाये हुए थे इसलिए वह कुछ बोल नहीं पायी।

मैंने धीरे से अपने होंठ हटाये और बोला, "चिड़िया जाल में तो फंस सकती थी, पर मैंने उसे नहीं फंसाया। मैं उसे आसानी से फंसा लूंगा अगर तुम सपोर्ट करो तो।"

"तुम्हे मुझसे, अपनी बीबी से सपोर्ट चाहिए, एक दूसरी औरत को फंसाने के लिए?" बड़े आश्चर्य से उसने पूछा।

मैंने उसे सहलाते हुए कहा, "हाँ। मुझे तुम्हारा सपोर्ट ऐसे चाहिए की हम कुछ ऐसा करें की जिससे ऐसा ना लगे की तरुण पर या तुम पर पर कोई ज्यादती हो रही है।"

दीपा बड़ी उत्सुकता से मेरी बात सुन रही थी। मैंने कहा, "अगर में आज टीना के साथ कुछ करता और अगर तुम्हे या तरुण को वह मालूम पड़ता, तो क्या तुम्हें मनमें एक तरह की रंजिश न होती? क्या तरुण इससे आहत न होता?" दीपा मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने अपना सर हिलाके हामी भरी।

मैंने फिर मेरी पत्नी को सारा किस्सा सुनाया। मैंने उससे कुछ भी नहीं छुपाया। मैंने कहा, "शायद यदि मैं चाहता तो टीना को अपनी बाँहों में आज जक़ड सकता था, चुम भी सकता था, और शायद चोद भी सकता था। पर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैं तुम्हे बताये बिना कोई ऐसा काम नहीं करूँगा जिससे तुम्हे चोट पहुंचे। "
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#73
मेरी प्यारी बीबी दीपा मुझे कुछ देर तक प्यार भरी नज़रों से एकटक देखती ही रही। उस ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया। फिर थोड़ा सा मुस्करा कर वह अपने घुटनों पर ऊपर उठी और मेरी टांगों के बिच अपना मुंह ले जाकर जो मेरी प्यारी पत्नी ने हमारी शादी के इतने सालों से नहीं किया था, वह आसानी से मुझे खुश करने के लिए करने लगी।

उस रात तक उसने मेरे कई बार कहने पर भी मेरा लण्ड कभी भी अपने मुंह में नहीं डाला था। मेरे आग्रह किये बिना ही मुझे खुश करने के लिए वह मरे लण्ड को न सिर्फ मुंह में लिया। दीपा उसे बड़े प्यार से चूस ने भी लगी। उसे पता था की ऐसे करने से मैं बहुत उत्तेजित हो जाता हूँ। मेरी प्यारी पत्नी के साथ मैं अब वैवाहिक जीवन का वह आनंद उठा रहा था जो मुझे शादी के सात सालों में भी नसीब नहीं हुआथा। कहीं ना कहीं इसमें तरुण का भी योगदान था इसमें कोई शक नहीं था।

मैंने उसे मेरी टांगो के बिच से उठाकर अपने सीने से लगाया और बोला, "डार्लिंग, मैं तुम्हे इतना चाहता हूँ की जिसकी कोई सीमा नहीं। मैं तुम्हें जीवन के सब सुख अनुभव करवाना चाहता हूँ। एक मर्द जीवन में कई औरतों से सेक्स का अनुभव करता है। मैंने भी तुम्हारे अलावा कुछ लड़कियों को और औरतों को शादी से पहले सेक्स का अनुभव कीया है। अगर तुम मुझसे इतना प्यार नहीं करती तो मैंने शादी के बाद भी किसी न किसी औरत से सेक्स कीया होता या करता होता। मैं यह जानता हूँ की तुमने आज तक किसी और मर्द से सेक्स नहीं किया। तुमने सिर्फ मुझ से ही सेक्स किया है। मैं तुम्हें भी ऐसे आनंद का अनुभव करवाना चाहता हूँ पर चोरी से या छुपके नहीं। अपने पति के सामने, उसके साथ, उसकी इच्छा अनुसार। अपनी पत्नी या अपने पति के अलावा और किसीको चोदने में या और किसीसे चुदवाने में कुछ अनोखी ही उत्तेजना होती है। यह मैं जानता हूँ। वही आनंद मैं चाहता हूँ की तुम अनुभव करो।"

मेरी बात सुनकर दीपा कुछ रिसिया गयी। वह मेरा हाथ छुड़ा कर बोली, "जानू, मैं सच बोलती हूँ। मुझे मात्र तुमसे ही सेक्स का आनंद लेना है। मैं तुम से बहुत ही खुश हूँ। पर लगता है तुम मुझ से खुश नहीं हो इसी लिए ऐसा सोचते हो। मैंने तुम्हें पूरी छूट दे रखी है। जहां चाहे जाओ, जिस किसीको चोदना है चोदो। मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी। अगर तुम्हें टीना पसंद है और अगर टीना को इसमें कोई एतराज नहीं है, तो तुम बेशक उसके पास जाओ और उसके साथ खूब मजे करो। पर मैं कतई भी किसी गैर मर्द से सेक्स का आनंद नहीं लेना चाहती।"

फिर मैंने दीपा की चिबुक पकड़ कर कहा, "मेरी प्यारी डार्लिंग मेरी कसम है यदि तुम ज़रा सा भी झूठ बोली तो। सच सच बताना, तरुण ने जब तुम्हे बाँहों में लेकर बदन से बदन रगड़ कर डांस किया था और जब तुम रसोई में तरुण के ऊपर धड़ाम से गिरी और उस समय बाथरूम में जब तरुण ने तुम्हे बाहों में लिया और तुम्हारे बूब्स दबाये और तुम्हें होँठों पर गहरी किस की तो क्या तुम उत्तेजित नहीं हुयी थी? आज सिर्फ सच बोलना।"

दीपा जैसे सहम गयी। उसने कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह कभी उसे भी कटहरे में खड़ा होना पड़ेगा। उसके गाल शर्म के मारे लाल हो गये। थोड़ी देर सोच कर वह बोली, "देखो दीपक, मुझे गलत मत समझो। मैं झूठ नहीं बोलूंगी। मेरे साथ डांस करते हुए तरुण का लण्ड जरूर खड़ा हो गया था और मेरी टांगों के बिच में टकरा भी रहा था। उसे महसूस कर के मैं उत्तेजित नहीं हुई थी यह तो मैं नहीं कहूँगी। हाँ उस दिन बाथरूम में भी मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गयी थी। पर देखो मैं भी इंसान हूँ। कभी कभी मुझ से भी उत्तेजना में कुछ गलत हो सकता है। पर मैंने कभी भी उसके या किसी और के साथ सेक्स करने के बारे में कतई भी नहीं सोचा।"
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#74
मेरी बीबी की बात सुनकर मैं निराश नहीं हुआ। मुझे तो बात को आगे बढ़ाना ही था। मैंने कहा, "अगर नहीं सोचा डार्लिंग तो अब सोचो ना?"

दीपा मुझे अजीब ढंग से कुछ देर देखती रही और फिर बोली, "कमाल है! मेरा पति मुझसे कह रहा की मैं किसी गैर मर्द से चुदवाऊं? अरे तुम एक बात क्यों नहीं समझते? शादी का बंधन एक नाजुक धागे से बंधा हुआ है। कभी कभी उसे ज्यादा खींचने से वह धागा टूट सकता है। ऐसे पर पुरुष सम्बन्ध का मतलब उस धागे को ज्यादा खींचना। एक बात और। अपनी पत्नी को पर पुरुष से जातीय सम्बन्ध के लिए उकसाना खतरनाक भी हो सकता है। हो सकता है मुझे दुसरे से चुदवाने में मझा आने लगे और मैं बार बार दूसरे मर्द से चुदवाना चाहुँ तो?"

बातों बातों में मेरी सीधी सादी पत्नी ने मुझे वैवाहिक सम्बन्ध की वह बात कह डाली जो एक सटीक खतरे की और इंगित करती थी। मेरी बीबी ने मुझसे तरुण का नाम लिए बगैर यह भी कह दिया की एक बार चुदने के बाद हो सकता है वह तरुण से बार बार चुदवाना चाहे। तब फिर मुझे इसकी इजाज़त देनी होगी। पर मैंने इस बारे में काफी सोच रखा था और मेरी पत्नी के लिए मेरे पास भी सटीक जवाब था। हालांकि मेरी पत्नी की बातों से मुझे एक बात साफ़ नजर आयी की पिछले कुछ दिनों में दीपा और तरुण के थोड़े करीब आने से मेरी पत्नी का तरुण के प्रति जो डर था, वह नहीं रहा था, और वह तरुण की छेड़खानी वाली सेक्सुअल हरकतों को ज्यादा गंभीरता से नहीं ले रही थी। एक बात और थी, अब वह तरुण से चुदवाने की बात सुनकर पहले की तरह भड़क नहीं जाती थी। मतलब वह तरुण से चुदवाने के लिए तैयार भले ही ना हो पर तरुण से चुदवाने के बारे में बात कर रही थी। मुझे अब हमारा रास्ता साफ़ नजर आ रहा था।
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#75
तब मैंने कहा, " डार्लिंग, मुझे एक बात बताओ, मानलो जिस दिन तुम तरुण के सामने तौलिये में खड़ी थी तरुण ने तुम्हे यदि चोद दिया होता, तो क्या तुम मुझे छोड़ देती? या क्या मैं तुम्हें छोड़ देता? मैंने जब तुम बड़ी छानबीन कर रही थी और मुझे पूछ रही थी ना, की चिड़िया जाल में फँसी की नहीं? अगर उस दिन मैंने टीना को वाकई में चोदा होता तो क्या तुम मुझे छोड़ कर चली जाती? मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूँ की सेक्स और प्रेम में बहुत अन्तर है। आज हम पति पत्नी मात्र इस लिए नहीं हैं क्योंकि हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं। बल्कि हम पति पत्नी इस लिए भी हैं क्योंकि हम न सिर्फ एक दूसरे से प्यार एवं सेक्स करते हैं पर एक दूसरे की जिम्मेदारियां, खूबियाँ और कमियां हम मिलकर शेयर करते हैं और उसका फायदा या नुक्सान हम क़बूल करते हैं। यदि हम अपने इस बंधन से वाकिफ हैं तो ऐसी कोई बात नहीं जो हमें जुदा कर सके। मैं तो एक सेक्स काअनुभव करने मात्र के लिए ही कह रहा हूँ।"

दीपा कुछ न बोली और चुपचाप मुझे टेढ़ी नज़रों से देखने लगी। पर उसने मेरी बातों का कोई जवाब नहीं दिया।

उस रात को दीपा बहुत खिली हुई लग रही थी। मैंने मेरी पत्नीको इतनी बार झड़ते हुए कभी नहीं देखा। शायद वह हमारी बातों को याद करके अपने ही तरंगों में खोयी हुई थी। एक बार तो मैंने पूछा भी की बात क्या है की मेरी बीबी मुझे सेक्स का वह आनंद दे रही है जो मुझे शादी के कई सालों के बाद मिल रहा है। तब दीपा ने मुझे एक बहुत बड़ी बात कही।

दीपा ने कहा, "दीपक, मुझे तुम्हारी बीबी होने का गर्व है। तुमने हम दोनों के बिच जो अंडरस्टैंडिंग की बात कही और तुमने यहां तक कह दिया की अगर उस दिन तरुण और मैं आवेश में आकर सेक्स कर बैठते और तरुण मुझ पर थोड़ी ताकत लगा कर मुझे चोद देता और मैं उसका साथ दे देती तो भी तुम मुझसे वही बर्ताव करते जो पहले से करते आ रहे थे, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। शायद इस मामले में तुम मुझसे कहीं आगे हो। मैंने तुम्हें कहा तो है की तुम किसी भी औरत से सेक्स कर सकते हो पर हो सकता है की अगर तुम किसी औरत से वाकई में शारीरिक सम्भोग करो और अगर मुझे पता चले तो शायद मैं तुम्हें माफ़ ना कर पाऊं।"

तब मैंने मेरी बीबी का नाक पकड़ कर उसे थोड़ा सा झकझोर कर कहा, "मैं उतना भी उदार नहीं हूँ। अगर तुम मुझे बिना बताये किसीसे चुदवाती हो और तो मुझे भी दुःख होगा। पर अगर यह सब हमारी आपसी मर्जी से होता है, तो मैं तुम्हें उतना ही या शायद उससे भी कहीं ज्यादा प्यार और सम्मान दूंगा जितना पहले से देता आरहा हूँ।"

दीपा ने कहा, "दीपक गलती करके भी मुझसे किसी गैर मर्द से चुदवाने की उम्मीद मत रखना। पर वाकई में एक पति का ऐसा कहना यह एक पत्नी के लिए बहुत बड़ी बात है।"
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#76
हालांकि ऐसा कह कर मेरी बीबी ने मेरे लिए उसको तरुण से चुदवाने की उम्मीद का दरवाजा बंद करने की भरसक कोशिश की, पर मैं जानता था की भारतीय नारी कभी भी ऐसे मामलों में "हाँ" तो कभी कहती ही नहीं है। अगर उसे "हाँ" कहना हो तो वह कहेगी, "ठीक है, मैं सोचूंगी" और अगर वह "ना" कहे तो शायद कुछ उम्मीद है। अगर दीपा को तरुण से चुदवाने में कोई गंभीर आपत्ति होती तो तरुण से चुदवाने की मेरी बात सुनते ही वह ऐसा बवाल मचा देती और मेरा ऐसा बैंड बजा देती की आगे से मैं ऐसी बात करने की हिम्मत ही ना करूँ।

मेरी ज़िन्दगी में बहार सी आ गयीथी। अब मैं पहले से कई गुना खुश था। दूसरी और तरुण भी अपने सपनों में था। उस दिन जब रसोई में और बाद में बाथरूम में वह दीपा के इतने करीब आ पाया था, यह सोचने से ही उत्तेजित हो रहा था। वह इस बात से बड़ा प्रोत्साहित हुआ की बाथरूम में दीपा को इतना छेड़ने के बावजूद और दीपा ने उसे इतने गुस्से में "गेट आउट" और "मैं तुम्हारी शकल भी देखना नहीं चाहती" कहने के बाद भी माफ़ कर दिया था। कहीं ना कहीं तरुण के मन में यह बात घर कर गयी की शायद दीपा भी तरुण के साथ लुकाछुप्पी का खेल खेल रही थी, और इसी लिए शायद सम्बन्ध तोड़ने के बजाय वह पहले की ही तरह फिर से तरुण से बात करने के लिए तैयार थी। शायद दीपा भी चाहती थी की तरुण उसे छेड़े और यह कहानी आगे बढे।

तरुण से अब रहा नहीं जा रहा था। पहले उसने जब दीपा को देखा था तो वह उसे एक मात्र सपनों में आनेवाली नायिका के सामान लग रही थी। वह नायिका जो मात्र सपनों में आती है और जिसके छूने कि कल्पना मात्र करने से पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। वह वास्तव में भी कभी इतने करीब आएगी यह सोचने से ही उसके बदन में एक आग सी फ़ैली जा रही थी। अब वह दीपा को चोदने के सपने को साकार करने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध था।
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#77
Good going.
Waiting for update.
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#78
https://xossipy.com/thread-19506.html
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