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Adultery बीबी की चाहत
#1
The story or any part of this story doesn't belong to me. This story is taken from internet and posted without any changes for y'all to read. All rights reserved to the original writer
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#2
मेरा नाम दीपक है। यह वाक्या काफी सालों पहले का है। मैं उन दिनों जयपुर में रहता था।

एक प्राइवेट कंपनी ने में सेल्स डिपार्टमेंट में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। मेरा परफॉरमेंस अच्छा था और सेल्स में मैं हमारी कंपनी में अक्सर अव्वल या पुरे इंडिया में पहले पांच में रहता था। मेरा बॉस मुझसे बहुत खुश था। मेरी प्रमोशन के चांस अच्छे थे। एक बार एक पार्टी में जहां मैं मेरी पत्नी दीपा के साथ गया हुआ था वहाँ मेरे बॉस भी आये हुए थे। वहाँ मैंने मेरी पत्नी से बॉस को मिलाया। दीपा को देख कर मेरा बॉस काफी प्रभावित हुए। उस पार्टी में बॉस ने दीपा से काफी इधर उधर की बातें की।

मेरी पत्नी दीपा की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। दीपा अत्यन्त सुन्दर थी।

दीपा का चेहरा लंबा सा था। उसकी आँखें धारदार थीं और पलकें घनी, पतली और काली थीं। दीपा नाक नुकीली सीधी सुआकार थी। दीपा के गाल ना फुले हुए थे ना ही पिचके हुए थे। बिलकुल सही मात्रा में भरे हुए थे। दीपा के कान के इर्दगिर्द उसके बालों की जुल्फ घूमती नजर आ रही थी। घने और काले बाल दीपा की कमर तक लम्बे थे जिन्हें वह अक्सर बाँध कर रखती थी जिससे उसके सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते थे। देखने में मेरी पत्नी कुछ हद तक हिंदी फिल्मों की पुराने जमाने की अभिनेत्री राखी की तरह दिखती थी, पर राखी से कहीं लम्बी थी। आजकल फिल्मों में उसे परिणीति चोपड़ा से कुछ हद तक तुलना कर सकते हैं।

दीपा कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। कोई भी देखने वाले की नजर दीपा के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती थी। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते थे, की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव था और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। दीपा की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन थे। दीपा उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती थी। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा ने की कोई जरुरत नहीं है। आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था।

ज्यादातर दीपा साडी पहनकर ही बाहर निकलती थी। उसे जीन्स पहनना टालती थी क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसीके ऊपर लगी रहती थी। जब कभी दीपा जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो दीपा बड़ी ही अजीब महसूस करती थी क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी दीपा की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते थे।

मैं और दीपा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मैं एक साल सीनियर था। कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक दीपा थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी।

दीपा बातूनी भी बड़ी थी। बचपन से ही उसे काफी बात करने की आदत थी। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी। उसकी इसी आदत के कारण कई बार मैं मजाक में ताने मार कर उसे बसंती (शोले पिक्चर वाली हेमामालिनी) कहकर बुलाता था। बात करते करते वह अक्सर खिल खिलाकर हँस भी पड़ती थी। दीपा की इसी मस्ती भरी बात करने की आदत और हँसी के कारण मैं दीपा से आकर्षित हुआ था। साथ साथ में वह काफी संवेदनशील (इमोशनल) भी थी। किसी अपाहिज को अथवा गरीब भिखारी को देख कर उसकी आँखों में आँसूं भर आते थे। हम जब कोई हिंदी मूवी देखने जाते तो करुणता भरा दृश्य देख कर वह रोने लगती थी। कॉलेज में कई लड़के दीपा को पटाने में जुटे हुए थे। पर उन सबके मुकाबले मैं दीपा का दिल जितने में कामयाब हुआ था। पता नहीं दीपा ने मुझ में क्या देखा जिसके कारण उन सब हैंडसम और रईस लड़कों के मुकाबले मुझे पसंद किया। शायद दीपा को मेरी सादगी और सच्चापन अच्छा लगा।

कॉलेज के लड़कों के मन में दीपा को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के दीपा के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की दीपा का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे। वह भी कोई ज़माना था जो बीत गया और अब हम शादीशुदा संसार के चक्रव्यूह में फँसे हुए अपना अपना काम कर रहे थे।
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#3
बॉस ने एक बार मुझे और दीपा को घर पर डिनर के लिए आमंत्रित किया। उन के घर में उनकी पत्नी और दो बच्चों से हमारी मुलाक़ात हुई। बॉस का घर काफी बड़ा था और उसमें कई कमरे थे और आगे एक बढ़िया सा बगीचा भी था। बॉस की बीबी कुछ रिजर्व्ड नेचर की थी और बहुत कम बोलती थी। बॉस स्मार्ट और हैंडसम थे। कुछ हद तक रंगीले मिजाज के भी थे। हालांकि उन्हें लम्पट नहीं कहा जा सकता। उन्हें हमें मिलकर अच्छा लगा। जहां तक बॉस की बीबी का सवाल था तो उसे हमसे बात करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी और पहचान की औपचारिकता होने के बाद वह अपने बैडरूम में जाकर टीवी देखने में व्यस्त हो गयी।

बीबी के वहाँ से हटते ही बॉस तो जैसे आझाद पंछी हो गए और दीपा से बिंदास बातें करने में लग गए। दीपा बातूनी तो थी ही। सही श्रोता मिल जाने पर उसे बोलने से रोकना बड़ा ही मुश्किल था। दीपा को मेरे बॉस के साथ खुले दिल से बात करने में कोई हिचकिचाहट नहीं महसूस होती थी। मेरे बोस को शायद दीपा की यह बात अच्छी लगी। मेरे बॉस और दीपा ने काफी इधर उधर की बातें की। मेरे बॉस तो वैसे ही सेल्स के आदमी थे। वह बातें बनाने में माहिर थे। दीपा उनसे बातें करते हुए उतनी उत्साहित हो जाती की यह ख्याल किये बगैर की वह मेरे बॉस थे, दीपा कई बार बातों के जोश में बॉस का हाथ थाम लेती या उनकी जांघ के ऊपर या पीठ के ऊपर हलकी सी टपली लगा देती। दीपा के लिए वह आम बात थी पर बॉस इस के कारण उत्तेजित हो जाते और कुछ और ही सोचने लगे।

और जब मेरे बॉस बातें करने लगे मुझे यह समझने में देर नहीं लगी की मेरे बॉस दीपा पर फ़िदा थे और दीपा पर लाइन मार रहे थे। इसके दो कारण थे। पहला यह की मौका मिलते ही बॉस भी दीपा का हाथ थाम लेते थे। पर दीपा का बॉस का हाथ थामना और बॉस का दीपा का हाथ थामने में फर्क होता था। दीपा तो हाथ पकड़ कर छोड़ देती थी। पर बॉस दीपा का हाथ थामे रखते थे जब तक दीपा उसे अपने हाथों से छुड़ा ना लेती थी। मुझे लगा की शायद दीपा ने भी यह महसूस किया था। पर उसने उसको नजरअंदाज कर दिया। और दुसरा कारण यह था की मैंने बॉस की नजरें देखि थीं जो दीपा के सुआकार कूल्हों पर और दीपा की उभरी हुई छाती पर अक्सर अटक जाती थीं।

दीपा कुछ भी ना समझते हुए बातों पर बातें करे जा रही थी। कुछ देर बाद जब बॉस की बीबी आयी और उसने देखा की उस के पति दीपा से कुछ ज्यादा ही बात करने में जुटे हुए थे। तब उसने सब को खाने के लिए डाइनिंगरूम में आने को कहा। तब कहीं जा कर उनकी बातों का दौर खत्म हुआ। खैर दीपा के बातूनीपन से मुझे यह फायदा हुआ की मैं बॉस का और भी पसंदीदा बन गया। मुझे बॉस से कुछ ज्यादा ही मदद मिलने लगी। बॉस जब भी मुझे मिलते दीपा के बारे में जरूर पूछते।

एक बार जब बॉस की पत्नी और बच्चे बाहर गए हुए थे तो हमने बॉस को हमारे घर खाने पर बुलाया। बॉस ने जब हमारे घर की सजावट देखि और दीपा के हाथ का खाना खाया तो वह दीपा के कायल ही हो गए और दीपा की बड़ी तारीफ़ करने लगे। उस शाम दीपा और बॉस करीब दो घंटे तक बातें करते रहे। जब दीपा रसोई में कुछ बनाने जाती थी तो बॉस भी वहाँ चले जाते और खड़े खड़े दीपा को देखते हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते रहते थे। मुझे पक्का यकीन था की दीपा जब रसोई में व्यस्त होती थी तो बॉस रसोई में दीपा की पीछे कुछ दूर खड़े हुए दीपा से इधर उधर की बातें करते करते दीपा की सुआकार गाँड़ को देख कर अपनी आँखों को सेक रहे होंगे।

उन दिनों दीपा के पिता को अचानक ह्रदय की बिमारी के कारण हॉस्पिटल में दाखिला हुआ और उसके लिए दीपा की फॅमिली को अतिरिक्त तीन लाख रुपये की जरुरत पड़ी। मेरे पास एक लाख की डिपाजिट बैंक में थी वह मैंने निकाल कर दी, पर दो लाख रुपये और चाहिए थे। जब मेरी दीपा से बातचीत हुई तो मैंने कहा एक ही आदमी हमारी मदद कर सकता है और वह है बॉस। पर मुझे बॉस से पैसे मांगने में हिचकिचाहट हो रही थी। दीपा ने कहा की वह मेरे बॉस से बातचीत करेगी।

दूसरे दिन दीपा मेरे ऑफिस में आयी और बॉस की केबिन में जा कर उसने बॉस से बात की। दीपा की बात सुन कर बॉस का दिल पसीज गया और बॉस दो लाख रुपये देने के लिए राजी हो गये। दीपा ने जब पूछा की उन्हें वापस कैसे करने होंगें, तब बॉस ने कहा, वह पैसे वापस देने की जरुरत नहीं होगी, क्यूंकि बॉस मेरे परफॉरमेंस इन्सेंटिव (कार्यक्षमता आधारित अधिकृत बोनस) में से ही यह पैसे वसूल कर लेंगे। उन्हें पक्का भरोसा था की इतना अधिक सेल तो मैं कर ही लूंगा। दीपा बॉस की इस उदारता से इतनी गदगद हो गयी की उस की आँखों में आँसूं भर आये और दीपा ने बॉस के दोनों हाथ पकड़ कर बहुत शुक्रिया अदा किया। बॉस ने फ़ौरन अपने खाते में से दो लाख रूपये निकाल कर दिए। दीपा मेरे बॉस की ऋणी हो गयी।
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#4
हमने वह पैसे तो वापस कर दिए पर दीपा मेरे बॉस की ऐसी ऋणी हो गयी की समय समय पर वह उन्हें कोई ना कोई गिफ्ट भेजती और जब बॉस की बीबी नहीं होती तो उन्हें खाना खाने के लिए बुलाती या खाना भिजवाती। बॉस भी मौक़ा मिलते ही दीपा को मिलने आ जाते या जन्म दिवस या शादी की सालगिराह पर आ जाते और महंगे तोहफे देते। ऐसे मुझे लगा की बॉस और दीपा के बिच में कुछ ना कुछ आकर्षण की बात बन रही थी।

मैंने दीपा को भी कहा की बॉस उसके ऊपर लट्टू हो गए थे। दीपा मेरी बात सुनकर शर्मायी और फिर हंसने लगी। उसने कहा, "क्यों? जलन हो रही है क्या? तुम्हारे बॉस है ही इतने अच्छे। स्मार्ट हैं, यंग हैं, भले आदमी हैं। अगर वह मुझे पसंद करते हैं तो यह अच्छी बात है।"

मुझे उस रात को सपना आया की जब मैं टूर पर गया था तो बॉस मेरे घर आये और दीपा और बॉस दोनों ने मिलकर जमकर चुदाई की। मैं इस सपने को देख कर इतना उत्तेजित हो गया की रात को नींद में मेरे पाजामे में ही मेरा छूट गया।
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#5
aagey likho bhai...mast shuruaat
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#6
Nice story
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#7
(12-04-2021, 11:26 AM)Eswar P Wrote: Nice story

Thanks brother
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#8
(12-04-2021, 10:29 AM)vat69addict Wrote: aagey likho bhai...mast shuruaat

Thanks brother
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#9
मुझे उस रात को सपना आया की जब मैं टूर पर गया था तो बॉस मेरे घर आये और दीपा और बॉस दोनों ने मिलकर जमकर चुदाई की। मैं इस सपने को देख कर इतना उत्तेजित हो गया की रात को नींद में मेरे पाजामे में ही मेरा छूट गया।

अब आगेे।।।


 बार मैंने महसूस किया की मैं भी एक तरह से ककोल्ड हूँ। ककोल्ड का मतलब है अपनी पत्नी को किसी गैर मर्द से चुदाई करवाने के लिए लालायित मर्द। शायद उसी दिन से मेरी बीबी को किसी गैर मर्द से चुदते हुए देखने की एक ललक मेरे मन में घर कर गयी।

हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।

शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को "घर की मुर्गी दाल बराबर" समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।

सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर दीपा थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि दीपा ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।

मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?

पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश दीपा गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उससे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।

मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर रात तक मेरे साथ बैडरूम में बात करने लगती।

मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत के उभार पर हलके से मसाज करता, झुक कर उसके रसीले होँठों और बॉल को किस करता और निप्पलों को अपने दाँतों में दबा कर धीरे से काटता, फिर उसके पेट, नाभि और चूत को चाटता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।

हालांकि मेरी पत्नी दीपा बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह अच्छे से अच्छे कपडे पहन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने मर्यादित अंग प्रदर्शन करने में झिझकती नहीं थी।
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#10
एक बार हमारे क्लब में सारे मेम्बरों का सिर्फ पति पत्नी ही आमंत्रित ऐसा मिलन समारोह हुआ। उस दिन जब हम वहाँ पहुंचे तब मैंने देखा की सारे पति वर्ग मेरी पत्नी दीपा को छिप छिप कर घूर रहे थे। उन बेचारों का क्या दोष? मेरी पत्नी दीपा थी ही ऐसी। उसके स्तन एकदम भरे हुए पके बड़े आम की तरह अपने ब्लाउज में बड़ी मुश्किल से समा पाते थे। मेरी बीबी के स्तनों का नाप ३४ से कम नहीं था। मैं अपनी हथेली में एक स्तन को मुश्किल से ले पाता था। उसकी पतली कमर एवं नोकीले सुन्दर नितम्ब ऐसे थे के उसे देख कर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए। वह हमेशां पुरुषों की लालची और स्त्रियों की ईर्ष्या भरी नज़रों का शिकार रहती थी।

उस दिन क्लब के मिलन समारोह में अपने घने लम्बे बाल दीपा ने खुले छोड़ रखे थे। इससे तो वह और भी सेक्सी लग रही थी।

उसने साड़ी तो पहन रक्खीथी पर अंचल की परत और ब्लाउज की बॉर्डर स्तनों से सटकर रुक जाती थी। स्तनों के किनारे से लेकर अपनी नाभि से काफी नीचे तक (जहाँ से उसकी चूत का उभार शुरू होता था) उसकी उतनी लंबी और कामुक नंगी कमर देखने वालों की नजरें नीति भ्रष्ट कर रही थी। जिसमे उसकी नाभि और नितम्ब के अंग भंगिमा को सब ताक रहे थे। वहाँ सारे मर्दों की पैनी नजरें देख कर तो ऐसा लग रहा था जैसे वहां सिर्फ मेरी पत्नी ही थी और कोई औरत थी ही नहीं। हालाँकि वहां करीब पचीस से तीस औरतें थीं। मुझे पुरुषों के दीपा को लालची निगाहों से देखना, पता नहीं क्यों, अच्छा लगता था। एक कारण तो यह था की मुझे बड़े गर्व का अनुभव होता था की मेरी पत्नी उन सब की पत्नियों से ज्यादा सुन्दर और सेक्सी है।

उस समय दीपा कुछ महिलाओं से बात करने मुझसे थोड़ी दूर चली गयी। तब घोषणा हुई की अब डांस होगा। सब को अपने साथीदार के साथ डांस फ्लोर पर आने के लिए कहा गया। दीपा और मुझे ना डांस आता था और नाही कोई डांस करने में इंटरेस्ट था। तब मेरे बॉस मेरे पास आये। उन्होंने मेरे पास आकर पूछा, "हेलो दीपक, कैसे हो? क्या मैं तुम्हारी खूबसूरत बीबी के साथ डांस कर सकता हूँ?"

मैंने बॉस से कहा, "सर उसे या मुझे डांस करना नहीं आता। बाकी आप देखलो। दीपा वहाँ खड़ी है।"

मैंने महसूस किया की मेरे बॉस की लालच भरी नजर मेरी बीबी पर कभी से टिकी हुई थी। मैं तो जानता ही था की मेरा बॉस तो पहले से ही मेरी बीबी पर फ़िदा था। बॉस मुझसे दूर दीपा जहां खड़ी थी वहाँ गए और दीपा से कुछ देर बात करने के बाद उन्होंने अपने साथ डांस करने के लिए दीपा का हाथ पकड़ा और उसे डांस करने के लिए आग्रह करने लगे। दीपा थोड़ी सी नानुक्कड करने लगी पर बॉस के ज्यादा आग्रह करने पर दीपा उन्हें मना नहीं कर पायी। वह बॉस की ऋणी थी की उन्होंने कांटे के समय पैसा दे कर दीपा के पिता का जीवन बचाया था। दीपा ने मेरी और देखा। मैंने कंधे हिला कर दीपा को बॉस के साथ डांस करने के लिए मेरी स्वीकृति देदी।

दीपा उनके साथ फ्लोर पर चली गयी। बॉस ने मेरी बीबी दीपा की कमर पर हाथ रखा और डांस के लिए कुछ स्टेप्स कैसे लेते हैं वह समझाने लगे। जैसे ही वह और मेरी खूबसूरत बीबी दीपा ने डांस करने की शुरुआत की तब पता नहीं कहाँ से अपने पति के साथ दीपा को डाँस करने की शुरुआत करते देख बॉस की बीबी फ़ौरन वहाँ पहुँच गयी। बॉस की बीबी के चेहरे के भाव देख कर दीपा वहाँ से बिना बोले, अपनी कमर पर रखे बॉस के हाथ हटाकर वहाँ से खिसकी और वापस मेरे पास आ गयी। बॉस को दीपा पर लाइन मारते देख मेरे अंदर एक अजीब तरह का रोमांच हो रहा था। मुझे कुछ निराशा हुई की दीपा को मेरे बॉस के साथ डांस करने का मौक़ा नहीं मिला।

उस पार्टी में मेरा एक दोस्त तरुण था। वह हमारे कॉम्पिटिटर की कंपनी में काम करता था। पर हमारे बिच अच्छी खासी दोस्ती थी। कई बार हम टूर पर ट्रैन में या दूसरे कोई शहर में मिल जाते थे तब कई इधरउधर की बातें भी करते थे। हमारी कंपनी में काम करती लडकियां और औरतों पर भी टिका टिपण्णी करते रहते थे। हम एक दूसरे की बिबयों के बारेमें भी ऐसी ही ऊलजलूल तंज कसते रहते थे। हालांकि सारी बातें सभ्य तरीके से ही होती थीं।

तरुण मेरी ही उम्र का था और अच्छा लंबा तंदुरस्त और सुगठित मांस पेशियोँ वाला था। उस समय उसकी कोई ३०-३२ साल की उम्र रही होगी। वह गोरा चिट्टा और गोल सा चेहरे वाला था। उसके बाल जैसे काले घने बादल समान थे। उसने मैरून रंग की शर्ट पहनी थी और गले में स्कार्फ़ सा बाँध रख था। उसकी धीमी और नरम आवाज और सबके साथ सहजसे घुलमिल जानेवाले स्वभाव के कारण सब उसे पसंद करते थे। यहां तक के सारी स्त्रियां भी उससे बात करने के लिए उतावली रहतीं थी। वह आसानी से महिलाओ से अच्छी खासी दोस्ती बना लेता थाा
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#11
बल्कि कई बार मैंने कुछ लोगों से यह भी सूना था की तरुण जब भी किसी महिला के पीछे हाथ धो कर पड़ जाता था तो अक्सर उसे अपनी शैयाभागिनी बना ही लेता था। मतलब उसे चोदे बगैर चैन नहीं लेता था। कुछ महिलायें और पुरुष उसे चुदक्कड़ भी कह डालते थे।

पहली बार जब मैंने उसे मेरी पत्नी दीपा से मिलाया तो वह दीपा को घूरता ही रह गया। जब उसे लगा की वह ज्यादा देर तक घूर रहा था तो उसने बड़ी विनम्रता और सहजता से माफ़ी मांगते हुए कहा, "भाभीजी, मुझे आपको घूर घूर कर देखने के लिए माफ़ कीजिये। मैंने इससे पहले आप सी सुन्दर लड़की नहीं देखी। मैं तो सोच भी नहीं सकता के आप शादी शुदा हैं।"

भला कोई अगर एक शादी शुदा एक बच्चे की माँ को यह बताये की वह एक बहुत सुन्दर लड़की है, तो वह तो पिघल जायेगी ही। बस और क्या था? मेरी पत्नी दीपा तो यह सुनते ही पानी पानी हो गयी, ऐसी भूरी भूरी प्रशंशा सुनकर शर्म के मारे दीपा के गाल लाल हो गए। वह खिलखिला कर हँस पड़ी, प्रशंषा से खिल उठी और अपने आप को सम्हालते हुए बोली, "तरुण, मुझे चने के पेड़ पर मत चढ़ाओ। में जानती हूँ की मैं कोई सुन्दर नहीं हूँ। यह तो तुम्हारी आँखों का कमाल है की मैं तुम्हें सुन्दर दिखती हूँ।"

मैंने मेरी बीबी की अपनी खुली तारीफ़ से शर्माते हुई हँसी देखि और मैं समझ गया की यह तो गयी। कहते हैं ना, की हँसी तो फँसी।
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#12
मैंने मेरी बीबी की अपनी खुली तारीफ़ से शर्माते हुई हँसी देखि और मैं समझ गया की यह तो गयी। कहते हैं ना, की हँसी तो फँसी।

अब आगे ....
वहाँ से थोड़ा हट कर बाद में दीपा मुझसे बोली, "आपका मित्र वास्तव में बड़ा सभ्य और शालीन लगता है। क्या वह शादी शुदा है?" दीपा की बात से मुझे अचरज हुआ की इतनी जल्दी दीपा ने कैसे तय कर लिया की तरुण सभ्य और शालीन था?

तरुण हमें छोड़ कर कुछ और लोगों से मिलने चला गया। पर मैंने यह नोटिस किया की मेरी बीबी, तरुण से कुछ हद तक इम्प्रेस जरूर हुई थी। क्यूंकि हालांकि तरुण कुछ दुरी पर दूसरे छोर पर गया था, पर दीपा उसको कभी कभी अपनी तिरछी नज़रों से देखती अथवा ढूंढती रहती थी। तरुण भी तो बारी बारी मेरी बीबी को ताकता रहता था। जब उनकी नजरें मिल जातीं तो दीपा शर्मा कर थोड़ा सा मुस्करा कर अपनीं नज़रें घुमा लेती थी जैसे वह कहीं और देख रही हो।

मैंने मेरी बीबी से धीरे से कहा, "देखो डार्लिंग, तरुण ना सिर्फ शादीशुदा है, बल्कि वह एक बड़ा फ़्लर्ट भी है। मैंने सूना है की वह जिस औरत को पाने की ठान लेता है तो वह उसे अपने साथ बिस्तर में सुलाकर उसे चोद कर ही छोड़ता है। और इसमें खूबसूरती तो यह है की वह औरत को ऐसा इम्प्रेस कर देता है की वह भी उससे चुदवाने के लिए तड़पने लगती है। तुम तो उससे दूर ही रहना।"

मेरी बात सुनकर दीपा चौंक गयी और बोली, "क्या कहते हो? पर खैर मुझे क्या? मैंने जिंदगी में बड़े बड़े फ़्लर्ट देखें हैं और उनको चित्त किया है। मुझे उससे मिल ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह तो तुम्हारा दोस्त है इस लिए मैं उससे बातें कर रही थी, वरना मुझे क्या? वैसे मुझे भी वह फ़्लर्ट ही लगा।"

मैं मन ही मन मुस्कराया। अभी अभी तो दीपा तरुण को शालीन कह रही थी। अचानक वह फ़्लर्ट हो गया? तब अचानक मेरे मन में एक ख्याल आया। मुझे तरुण का मेरी बीबी पर लाइन मारना बड़ा ही उत्तेजक लगा। मुझे लगा की शायद तरुण ही मेरी बीबी को अपने जाल में फाँस कर उसे वश कर सकता है। उसमें कैसे स्त्रियों से पेश आना और उन्हें ललचाना वह एक कला थी। एक अच्छी बात यह भी थी की तरुण कभी भी किसी भी महिला के बारे में असभ्यता भरी बात नहीं करता था। कभी उसने उसके पुराने अफेयर्स के बारे में मुझसे या किसी और से कोई बात नहीं की। मतलब वह सारी बातें कैसे सीक्रेट रखना वह भाली भाँती जानता था। उसका और उसके परिवार का अपना भी समाज में सम्मान था। मतलब उससे निजी सम्बन्ध रखने में जोखिम नहीं था। पता नहीं क्यों, मैं मेरी बीबी को तरुण के करीब लाना चाहने लगा। मैंने सोचा तरुण मेरी बीबी को फाँस कर चोदने की स्थिति तक लाने में कामयाब हो सकता है। यह सोच कर ही मेरा लण्ड मेरी पतलून में खड़ा हो गया।

पर तब मेरे तरुण के बारे में ऐसी नकारात्मक बात करने से दीपा के ऊपर उलटा असर होगा उसकी चिंता सताने लगी। अगर दीपा मेरी बात से भड़क गयी और तरुण से दूर रह कर उससे किनारा करने लगी तो फिर तो तरुण का दीपा को फाँसने में कामयाब होना नामुमकिन था।

तब मैंने अपनी ही बात को पलटते हुए दीपा से कहा, "अरे यार! परेशान मत हो। मैं तो तुम्हें फ़ालतू में चिढ़ा रहा था। तरुण ऐसा बिलकुल नहीं है। बेचारा तरुण शादीशुदा और सीधा है। उसकी एक बेटी भी है। हाँ यह सच है की वह तुम से शायद थोड़ा आकर्षित जरूर हुआ लगता है। पर मेरे ख़याल से इस महफ़िल मैं शायद ही कोई मर्द ऐसा हो जो तुम पर लाइन नहीं मार रहा।"

दीपा ने मेरी और टेढ़ी नज़रों से देखा और मुझे डाँटते हुए बोली, "तुम हमेशा ऊलजलूल बातें करते रहते हो। ऐसे किसी के बारे में गलत नहीं बोलना चाहिए। क्यों उस बेचारे सीधे सादे तरुण को फ़ालतू में बदनाम करते हो? ऐसी बातें करने से उसकी बदनामी हो सकती है। कहीं तुम्हें उससे जलन तो नहीं?" उसके चेहरे से लगा की वह मेरी बात से संतुष्ट और खुश लग रही थी।
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#13
मैं अपनी बीबी को कुछ लोगों से मिलाकर, जब वह किसी महिलाओं से बातचीत में मशगूल थी तब तरुण जिस जगह था वहाँ पहुंचा। मैं तरुण के करीब गया और बोला, "क्यों यार, क्या बात है? तुमने तो पहली बार मिलते ही मेरी बीबी पर लाइन मारना शुरू कर दिया।"

मेरी बात सुनकर तरुण कुछ खिसियाना सा मुझे देखता रहा। फिर सर झुका कर बोला, "आई ऍम सॉरी भाई। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। भाई, दीपा भाभी है ही बहुत खूबसूरत। आप बड़े लकी हो भाई।"

मैंने तरुण की कमर में मजाक में ही कोहनी मारते हुए कहा, "साले, मैं मजाक कर रहा था। वैसे जितनी चाहे लाइन मार ले, पर तेरी दाल गलने वाली है नहीं। मेरी बीबी ऐसी वैसी नहीं है। बड़ी ही पतिव्रता है। वह तेरी और देखेगी भी नहीं। तेरी जाल में फंसने वाली नहीं है। तू कहीं और अपने तीर चला।"

तरुण ने मेरी और घूम कर देखा और बोला, "भाई, ऐसे भरोसे में मत रहियो। अच्छी अच्छी सतियाँ भी फँस जातीं है, कई बार। वैसे आप कहोगे तो मैं भाभी से दूर ही रहूँगा।"

मैंने सोचा यह सही मौक़ा है तरुण को चुनौती दे कर उकसाने का। मैंने जवाब दिया, "अच्छा बच्चू! क्या तू मुझे चुनौती दे रहा है? अरे तुझे रोका किसने है? चाहे उतना जोर लगाले। कुछ नहीं होने वाला। बल्कि जरूर पड़ी तो मैं तेरी सिफारिश भी कर दूंगा। पर यार एक बात बता। मेरी बीबी को ताड़ने के मजे तो तू ले रहा है। पर क्या अपनी बीबी से नहीं मिलाओगे?"

तरुण ने कहा, "भाई, टीना आ ही रही है। आप तो उसे मिले हो। अगर आपको मेरा दीपा भाभी को घूरने से शिकायत है तो बदले में आप चाहे जितनी लाइन मार लेना मेरी बीबी टीना पर बस? मैं कुछ नहीं बोलूंगा। बल्कि जैसे आपने कहा वैसे मैं भी आप की शिफारिश करूंगा। भाई आपने जब चुनौती दे ही दी है तो अब देखते हैं कौन पहले बाजी मारता है।" मैं मन ही मन बड़ा खुश हुआ की अगर भगवान ने चाहा तो मेरी और तरुण की सेटिंग ठीक बैठ सकती है।

तभी तरुण की पत्नी टीना जो कही बाहर गयी थी वह कमरे में दाखिल हुई। उसके आते ही तरुण उसके पास पहुँच गया और उसको मुझसे और दीपा से मिलवाने ले आया। टीना थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद दीपा और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।

मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर तरुण की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद दीपा ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। जब जब दोनों की आँखें मिलती थीं तो दीपा बरबस अपनी नजरें झुका लेती थी या कहीं और देखने लगती थी। यह मैंने कई बार देखा। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे तरुण दीपा पर फ़िदा ही हो गया था। कुछ देर बाद तरुण खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। तरुण की पत्नी टीना किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।

बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने दीपा को डांस करने को आमंत्रित किया।

दीपा ने भोलेपन से कहा, "पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।"

तरुण ने कहा, "यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? आप चिंता मत करो। मैं आप को कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।"

दीपा ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। दीपा तैयार हो गयी। मैंने देखा की तरुण मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके।

मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मैंने महसूस किया की तरुण की कुछ हरकतें महसूस कर मेरी बीबी कुछ अजीब फील कर रही थी। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की तरुण मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।

तरुण को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की तरुण मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।
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#14
Bahut sunder likha hai bhai maja aa gaya, waiting for next update
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#15
(14-04-2021, 12:21 AM)sahebraopawar Wrote: Bahut sunder likha hai bhai maja aa gaya, waiting for next update

Thanks brother. Next update will come by the end of the day today
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#16
तरुण को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की तरुण मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।

जब मैं वापस आया तो तरुण की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे टीना बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं तरुण की पत्नी टीना की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था।

टीना का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे। जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झोँकोँ पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं। पर टीना के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।

मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है ना? तरुण की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। शायद दीपा और टीना में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की टीना थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की दीपा थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहींथा।

अब चिंता करने की बारी मेरी थी। मैं भी टीना के साथ टीना के बदन से अपना बदन रगड़ कर कुछ ज्यादा ही नजदीकी स्टेप्स लेना चाह रहा था। मैं मेरी बीबी और तरुण की नजर में नहीं आना चाह रहा था। मैं धीरे धीरे डान्स करते हुए टीना को हॉल के दूसरे छोर पर ले गया। में फिर धीरे धीरे अपनी जांघें टीना की जाँघों के साथ रगड़ना और उसकी कमर को मेरी कमर से चिपका कर कपड़ों के अंदर छुपी हुई उसकी चूत में मेरा खड़ा लण्ड घुसेड़ने की कवायद करने की कोशिश में लग गया। आश्चर्य की बात तो यह थी की टीना को इससे कोई आपत्ति नहीं लग रही थी। बल्कि वह भी मुझे पूरा साथ दे रही थी।

मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और तरुण को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था और मैंने भी वैसा ही डान्स टीना के साथ भी किया था।

जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने दीपा से कहा, "यार आज वह बॉस की दिल जली बीबी के कारण बॉस तुम्हारे साथ डांस करने का एक बढ़िया मौक़ा चूक गए। बॉस बड़े ही अच्छे आदमी है और मुझसे बहुत खुश है। मेरा बड़ा आदर करते है। उन्होंने मुझे कहा है की उन्हें मेरे जैसे मेहनती और रिजल्ट लाने वाले आदमियों की सख्त जरुरत है। वह तो मुझे प्रमोशन देने की बात भी कर रहे है। और हाँ, मुझे यकीन है की वह तुम पर भी फ़िदा है। उनकी नजर तुम पर से हट ही नहीं रही थी। वह तुम्हारे साथ डांस करने के लिए बेताब थे। तुमको वहाँ से हट नहीं जाना चाहिए था। शायद वह कपड़ों के ऊपर से ही सही पर तुम्हारे करारे बदन का अपना बदन रगड़ कर थोड़ा बहोत का आस्वादन लेना चाहते थे। मुझे लगता है वह तुम्हें सपने में पता नहीं क्या करते होंगे? आज वह बेचारे बहुत ही दुखी होंगे। उनकी बीबी ने तो आज उन्हें बड़ा झटका दे दिया।"

मेरी बात सुनकर पहले तो दीपा के गाल शर्म से लाल हो गए। पर तुरंत बाद वह मुझसे चिढ गयी। दीपा ने कहा, "पता नहीं कभी कभी तुम्हें क्या हो जाता है और वैसे ही फ़ालतू बातें करने लगते हो? तुम्हारे दिमाग में सेक्स के अलावा कुछ है की नहीं? मैं तो उनसे डांस करने के लिए तैयार थी, पर उनकी बीबी शायद यह नहीं चाहती थी। इसी लिए मैं वहाँ से हट गयी। कहीं उनको बुरा तो नहीं लगा होगा की मैं वहाँ से हट गयी? आपके बॉस वाकई में अच्छे हैं, पर पता नहीं कैसी औरत से शादी कर बैठे? खैर, अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसी के साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? पर अगर तुम्हें मेरे डांस करने से ऐसा लगता है की लोग मेरे बदन से बदन रगड़ रहे हैं और तुम्हें जलन हो रही है तो तुम्हें मुझे इजाजत नहीं देनी चाहिए। तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।"

मैंने कहा, "मेरे माफ़ी मांगने से क्या होगा?
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#17
सही तो यही होगा की मौक़ा मिलने पर तुम ही उनसे बात करना।"

दीपा ने कहा, "ठीक है, अगर वह तुम पर खुश है तो अगली बार जब तुम मिलाओगे तो मैं उनसे माफ़ी भी मांग लुंगी और उनकी नाराजगी दूर कर दूंगी। मुझे लगा की उनकी बीबी कुछ पंगा कर सकती है इस लिए मैं वहाँ से खिसक गयी। अगर उनकी बीबी को एतराज ना होता तो मैं उनके साथ डांस कर लेती। अगर वह मेरे साथ डांस करने से ही खुश हो जाता तो क्या प्रॉब्लम है? और तुम खुश तो मैं भी खुश।"

मैंने दीपा से पूछा, "क्या तरुण के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?"

दीपा ने कहा, "इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?"

तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, "सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।"

दीपा मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, "दीपक, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब तरुण क्या सोचेगा? वह सोचेगा दीपा भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?"
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#18
मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की तरुण तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?" तरुण और दीपा ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने दीपा से पूछा था ना दीपा ने मुझे बताया था ।

दीपा झेंप गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की दीपा ने भी तरुण के लण्ड को महसूस किया था। शायद वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे ढाढस देते हुए कहा, "ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसके लिए तुम ही जिम्मेवार हो।"

दीपा ने मेरी और सख्त नजर से देखा और बोली, "वह कैसे?"

मैंने कहा, "उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का खड़ा क्या हो जाए उनका पानी भी निकल जाये। और फिर तरुण तो तुम्हारी जाँघों से जांघें रगड़ कर डांस जो कर रहा था? उसका कैसे खड़ा ना होता?"

दीपा थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, "तुम भी तो टीना से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?" अब चुप रहने की बारी मेरी थी।

मैंने धीरे से कहा, "चलो हिसाब बराबर हो गया।"

उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। तरुण हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद तरुण ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। तरुण की पत्नी टीना और मेरी पत्नी दीपा दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।

हम एक दूसरे के घर भी जाते थे और कई बार बाहर लंच या डिनर भी करते थे। हर बार मैं देखता था की तरुण अपनी बीबी की नजर चुरा कर मेरी बीबी पर डोरे डालने की कशिश से बाज नहीं आता था। दीपा ने भी यह महसूस किया और एकाध बार मुझसे शिकायत भी की। पर मैंने उसकी शिकायतों पर कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया। वैसे मैं भी तो दीपा की नजर चुकाकर टीना पर डोरे डाल रहा था। और टीना यह भली भाँती जानती थी। फर्क इतना ही था की टीना मुझे वापस स्माइल देती थी जब की दीपा आँखों से ही तरुण को हड़का देती थी।

हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं टीना करीब जाने के लिए लालायित था और तरुण दीपा की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। तरुण और मैं मिलते तो थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।

तरुण मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी दीपा उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। तरुण जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो दीपा मुझे तरुण के आने के बारे में बता देती थी। एक बार दीपा ने मुझे कहा की तरुण की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। दीपा को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया।
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#19
तरुण मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी दीपा उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। तरुण जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो दीपा मुझे तरुण के आने के बारे में बता देती थी। एक बार दीपा ने मुझे कहा की तरुण की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। दीपा को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया।

दीपा तरुण की शिकायत तो करती पर फिर चुप हो जाती और दुबारा उस बात को नहीं छेड़ती थी। इससे मुझे यह शंका हुई की मेरी बीबी कहीं शिकायत करने की एक औपचारिकता या खानापूर्ति ही तो नहीं कर रही थी, ताकि उस पर कभी यह इल्जाम ना लगे की जब भी तरुण उसपर दाना डालने की कोशिश कर रहा था तो उसने उसकी शिकायत क्यों नहीं की?

यदि तरुण मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की तरुण का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था दीपा के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और तरुण के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी तरुण से काफी प्रभावित तो थी परन्तु वह तरुण को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी।

एक बार तरुण ने प्रस्ताव दिया की हम शहर के बाहर एक पार्क में पिकनिक के लिए जाएँ। इतवार को हम दोनों कपल अपने अपने मोटर साइकिल पर निकल पड़े। वहाँ पार्क में हम ने कुछ और आये हुए लोगों के साथ मिलकर पकडा पकड़ी का खेल खेला जब हमें एक दूसरे की बीबियों को छूने का अच्छा अवसर मिला। उस समय मैंने देखा की तरुण जब दीपा को पकड़ने के लिए दौड़ पड़ा तब दीपा उससे बचने के लिए भागी पर एक पत्थर की ठोकर लगने से गिरने लगी तब तरुण ने उसे अपनी बाँहों में थाम लिया और अच्छी तरह कस कर अपनी बाहों में जकड़ा। कुछ दुरी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया पर मुझे लगा की उसने दीपा के बूब्स भी अच्छी तरह दबाये। आखिर में दीपा ने झटका मार कर अपने आपको तरुण से अलग कर दिया।

मैंने भी उसी खेल में टीना को एक बार पकड़ा और अपने बदन से जकड कर रखा। दीपा की तरह टीना ने कोई विरोध नहीं किया और मुझे कोई झटका नहीं दिया और जब तक मैंने उसे जकड कर रखा, वह मेरी बाहों में खड़ी मैं आगे कुछ करता हूँ या नहीं उसका इंतजार करती रही। तभी मुझे दीपा दिखी, आखिर मैं मैंने ही उसे दीपा के डर के मारे छोड़ दिया।

मैंने दीपा को जब तरुण की बाँहों में जकड़े जाने की बात कह कर दीपा पर तंज कसने की कोशिश की तब फ़ौरन दीपा ने कहा, "ओह मिस्टर! तुम मर्दों को इधर उधर मुंह मारने की आदत क्यों है? अपनी बीबी से संतुष्टि नहीं होती क्या? तरुण की बात छोडो, तुम भी तो कोई कम नहीं हो। दोनों मर्द ना, एक दूसरे की बीबी पर लाएन मार रहे हो ऐसा मुझे लग रहा है। टीना का तो मुझे पता नहीं, पर तुम अपने दोस्त को तो कह देना की मुझसे दूर ही रहें। मैं तुम लोगों की चाल मैं नहीं फँसने वाली।"

उस बात के करीब दो या तीन हफ्ते बाद एक दिन मेरी अनुपस्थिति में तरुण मेरे घर पहुँच गया। वह जोधपुर से कुछ हेंडीक्राफ्ट ले आया था। उस ने मेरी पत्नी दीपा को वह उपहार देना चाहा। दीपा ने ना सिर्फ उसे लेने से इंकार कर दिया बल्कि तरुण को बुरी तरह झाड़ दिया और तरुण को हिदायत दी की ऐसा करके वह उसे ललचाने की कोशिश ना करे। दीपा ने तरुण को कहा, "देखो तरुण! हमारे तुम्हारे और टीना के सम्बन्ध इतने अच्छे हैं। मैं आपका सम्मान करती हूँ। आप अकेले में आकर मुझसे मिलकर मुझे ललचाने की कोशिश क्यों करते हैं? मेरे पति की हाजरी में हम कुछ हँसी मजाक कर लेते हैं, कुछ छेड़खानी कर लते हैं यह दिल्लगी ठीक है। पर यह मत सोचना की मैं मेरे पति को धोखा देकर तुमसे कोई सम्बन्ध रखूंगी। प्लीज ऐसा कर के हमारे समबन्धों को आहत मत करो।"

तरुण मायूस सा हो गया और बिना कुछ बोले वहाँ से दुखी हो कर उठ कर चला गया। दीपा ने जाते हुए तरुण का मुरझाया हुआ चेहरा देखा तो उसे भी दुःख हुआ पर कुछ बोली नहीं और तरुण के पीछे दरवाजा बंद कर दिया।

जब हम अगली बार मिले तो मैंने तरुण को दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। तरुण ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर दीपा ने उसे हड़का दिया। तरुणने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा तरुण से काफी घुलमिल गया था। तरुण चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह दीपा से डरता था।
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#20
तब मैंने उसे कहा, "देखा? मैं तुम्हें ना कहता था? मेरी बीबी को पटाना इतना आसान नहीं है। खैर, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। मैं दीपा से आज रात जरूर बात करूंगा और उसे मना लूंगा।"

तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।

उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"

यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"

मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"


मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "

ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।

दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"

मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।

दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"
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