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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
(21-10-2020, 12:25 AM)asha10783 Wrote: Update please

Update will be posted today Namaskar
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भाग

हम स्केड्यूल के हिसाब से फ्राँस के लिये निकल पड़े। पैरिस में हमारी तरह तकरीबन सौ कंपनी के रेप्रिसेंटेटिव आये थे। हमें एक शानदार रिज़ोर्ट-होटल में ठहराया गया। उस दिन शाम को कोई प्रोग्राम नहीं था तो हमें साईट-सींग के लिये ले जाया गया। वहाँ आईफल टॉवर के नीचे खड़े होकर हम दोनों कईं फोटो खिंचवाये। फोटोग्राफर्स ने हम दोनों को हसबैंड-वाईफ समझा। वो हम दोनों को कुछ इंटीमेट फोटो के लिये उकसाने लगे। ससुर जी ने मुझे देखा और मेरी राय माँगी। मैंने कुछ कहे बिना उनके सीने से लिपट कर अपनी रज़ामंदी जाता दी। हम दोनों ने एक दूसरे को चूमते हुए और लिपटे हुए कईं फोटो खिंचवाये। मैंने उनकी गोद में बैठ कर भी कईं फोटो खिंचवाये। ये सब फोटो उन्होंने छिपा कर रखने की मुझे तसल्ली दी। ये रिश्ता किसी भी तरह से इंडियन कलचर में एक्सेप्टेबल नहीं था। 

अगले दिन सुबह से बहुत बिज़ी प्रोग्राम था। सुबह से ही मैं सैमिनार में बिज़ी रही। ताहिर अज़ीज़ खान जी, यानी मेरे ससुर जी, एक ब्लैक सूट जिस पर गोल्डन लाईनिंग थी, उसमें बहुत जच रहे थे। उन्हें देख कर किसी को अंदाज़ लगाना मुश्किल हो जाये कि उनके बेटों की निकाह भी हो चुके होंगे। वो खुद ४० साल से ज्यादा के नहीं लगते थे। जैसा कि मैंने पहले लिखा था कि निकाह से पहले से ही मैं उन पर मर मिटी थी। अगर मेरा जावेद से निकाह नहीं हुआ होता तो मैं तो उनकी मिस्ट्रैस बनकर रहने को भी तैयार थी। जावेद से मुलाकत कुछ और दिनों के बाद भी होती तो मैं अपनी वर्जिनिटी ताहिर अज़ीज़ खान जी पर निसार कर चुकी होती।

खैर वापस घटनाओं पर लौटा जाये। सुबह, ड्रेस कोड के अनुसार मैंने स्कर्ट-ब्लाऊज़ और साढ़े चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहन रखे थे। १२ बजे के आस पास दो घांटे का ब्रेक मिलता था, जिसमें स्विमिंग और लंच करते थे। सब कुछ स्ट्रिक्ट टाईम टेबल के अनुसार किया जा रहा था। सुबह उठने से लेकर कब-कब क्या-क्या करना है, सब कुछ पहले से ही डिसायडिड था।
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हमें अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर स्विमिंग पूल पर मिलने के लिये कहा गया। मैंने एक छोटी सी टू पीस बिकिनी पहनी हुई थी। बिकिनी काफी छोटी सी थी। इसलिये मैंने उसके ऊपर एक शर्ट पहन ली थी। फिर उस बिकनी के साथ के हाई-हील सैंडल पहन कर मैं कमरे से बाहर निकल कर बगल वाले कमरे में, जिसमें ससुर जी रह रहे थे, उसमें चली गयी। ससुर जी कमरे में नहीं थे। मैंने इधर उधर नज़र दौड़ायी। बाथरूम से पानी बहने की आवाज सुनकर उस तरफ़ गयी तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था। सामने ताहिर अज़ीज़ खान जी पेशाब कर रहे थे। उन्होंने हाथ में अपना काला लंड संभाल रखा था। लंड आधा उत्तेजित हालत में था इसलिये काफी बड़ा दिख रहा था। मैं झट थोड़ा ओट में हो गयी जिससे कि उनकी नज़र अचानक मुझ पर नहीं पड़े और मैं वहाँ से उनको पेशाब करते हुए देखती रही। जैसे ही उन्होंने पेशाब ख़त्म करके अपने लंड को अंदर किया तो मैंने एक बनावटी खाँसी देते हुए उन्हें अपने आने की इत्तला दी। वो कपड़े ठीक करके बाहर निकले। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने नंगे जिस्म पर एक छोटा सा वी-शेप का स्विमिंग कास्ट्यूम पहन रखा था जिसमें से उनके लंड का उभार साफ़-साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने लंड को ऊपर की ओर करके सेट कर रखा था। 


उन्होंने मुझे बाँहों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो मैं उनके नंगे जिस्म से लग गयी। उसी हालत में उन्होंने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख कर मुझे अपने से चिपका लिया। हम दोनों एक दूसरे के गले में हाथ डाले किसी नये शादीशुदा जोड़े की तरह स्विमिंग पूल तक पहुँचे।

यहाँ पर कोई शरम जैसी बात नहीं थी। बाकी लेडी सेक्रेटरिज़ मुझसे भी छोटे कपड़ों में थीं। उनके सामने तो मैं काफी डिसेंट लग रही थी। मैंने देखा कि सभी लड़कियाँ स्विमिंग करते वक्त भी अपने हाई-हील वाले सैंडल पहने हुए थीं। सारे मर्द छोटे स्विमिंग कास्ट्यूम पहने हुए नंगे जिस्म थे। उनके मांसल सीने देख कर किसी भी औरत का मन ललचा जाये। ताहिर अज़ीज़ खान जी इस उम्र में भी अपनी हैल्थ का बहुत खयाल रखते थे। रोज सुबह जिम जाने के कारण उनका जिस्म काफी कसा हुआ था। उनके सीने से लग कर मैं बहुत चहक रही थी। यहाँ देखने या टोकने वाला कोई नहीं था।

हम काफी देर तक स्विमिंग करते रहे। वहाँ हम कुछ जोड़े मिलकर एक बॉल से खेल रहे थे। वहीं पर जर्मनी से आये हुए हैमिल्टन और उसकी सैक्सी सेक्रेटरी साशा से मुलाकात हुई। हम काफी देर तक उनके साथ खेलते रहे। साशा ने एक बहुत ही छोटी सी ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। वो उन कपड़ों और मेलखाते सैंडलों में बहुत ही सैक्सी लग रही थी। दूध के जैसी रंगत और सुनहरे बाल उसे किसी परी जैसा लुक दे रहे थे। उसका चेहरा बहुत ही खूबसूरत था और उसके बूब्स इतने सख्त थे कि लग रहा था उसने अपने सीने पर दो तरबूज बाँध रखे हों।

हैमिल्टन का कद काफी लंबा था, करीब : फुट और दो इंच। उसके पूरे जिस्म पर सुनहरे घने रोंये थे। सिर पर भी सुनहरे बाल थे। हल्की सी बेतरतीब बढ़ी दाढ़ी उसकी शख्सियत को और खूबसूरत बना रही थी। दोनों के बीच काफी नज़दीकी और बे-तकल्लुफी थी। साशा तो बे-झिझक उसको किस करती, उसके सीने पर अपने मम्मों को रगड़ती और कईं बार तो उसने हैमिल्टन के लंड को भी सब के सामने मसल दिया था। हैमिल्टन भी बीच-बीच में उसकी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर साशा के मम्मों को मसल देता था। पैरिस में खुलेआम सैक्स का बोलबाला था। कोई अगर पब्लिक प्लेस में भी अपने साथी को नंगा कर देता और चुदाई करने लगता तो भी किसी की नज़र तक नहीं अटकती।
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वहाँ स्विमिंग पूल पर ही कॉकटेल सर्व किया जा रहा था। मैंने एक ग्लास लिया और पास खड़े ताहिर अज़ीज़ खान जी के होंठों से लगा दिया। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने मेरी कमर को थाम कर मुझे अपने सीने से सटा लिया और मेरे हाथों से ग्लास में से कॉकटेल सिप करने लगे। उन्होंने एक सिप करने के बाद मेरे होंठों से ग्लास को सटा दिया। मैंने कभी उनके सामने शराब नहीं पी थी मगर उनके रिक्वेस्ट करने पर एक सिप उसमें से ली। शराब पीने की तो मैं निहायत शौकीन थी| अब उनके सामने पीने की शरम भी खुल गयी तो मैंने भी अपने लिये एक ग्लास ले लिया और फिर आकर उनसे चिपक गयी। मेरा नंगा जिस्म उनके जिस्म से रगड़ खा रहा था। दोनों के नंगे जिस्मों के एक दूसरे से रगड़ खाने की वजह से एक सिहरन सी पूरे जिस्म में फैली हुयी थी।

जब हमारे ग्लास खत्म हुए तो मैंने ग्लास पूल के पास जमीन पर रख दिये और उनकी बाँहों से निकल गयी। वो दूसरा ग्लास लेकर किसी से डिस्कशन करने लगे तो मैंने भी अपने लिये एक ग्लास और ले लिया। शराब तो वहाँ पानी की तरह पी जा रही थी तो मैं क्यों खुद को रोकती। नयी-नयी कॉकटेल टेस्ट करने का मौका था। तीसरा ड्रिंक पीने का बाद मुझे सुरूर सा छाने लगा तो मैं वापस स्विमिंग पूल में तैरने लगी। मुझे देख कर हैमिल्टन भी मेरे साथ तैरने लगा। जब मैं कुछ देर बाद दूसरे कोने पर पहुँची तो हैमिल्टन ने मेरे पास आकर मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया। 
 
आय एनवी योर एंपलायर। व्हॉट सैक्सी डैमसल ही हैज़ फ़ोर सेक्रेटरी! उसने कहा और मुझे खींच कर अपने जिस्म से कस कर सटा लिया। उसने अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालने के लिये जोर लगाने लगा। मैं पहले-पहले तो अपने ऊपर हुए इस हमले से घबरा गयी। ममममम आवाज के साथ मैंने उसे ठेलने की कोशिश की मगर एक तो मैं थोड़े सुरूर में थी और वहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा था कि मेरा एतराज़ कमज़ोर और लम्हाती ही रहा। कुछ ही देर में मैंने अपने होंठों के बीच उसकी जीभ को दाखिल होने के लिये जगह दे दी। उसकी जीभ मेरे मुँह के एक-एक कोने में घूमने लगी। मेरी जीभ के साथ वो जैसे बैले डाँस कर रहा था।
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ये देख कर साशा भी ताहिर अज़ीज़ खान जी के पास सरक गयी और उनसे लिपट कर उन्हें चूमने लगी। मैंने उनकी ओर देखा तो साशा ने अपने अंगूठे को हिला कर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया। हैमिल्टन के हाथों ने मेरे चूतड़ों को कस कर जकड़ रखा था। उसने मेरे नितंबों को कस कर अपने लंड पर दाब रखा था। उसके खड़े लंड का एहसास मुझे मिल रहा था। 

डज़ ही फ़क यू रेग्यूलरली?” हैमिल्टन ने मुझ से पूछा।
 
शशऽऽ! ही इज़ नॉट ओनली मॉय एंपलायर.... ही इज़ मॉय फ़ादर इन-ला ठू सो यू सी देयर इज़ डिस्टैंस टू बी मैनटेंड बिटवीन अस।
 
ओह फ़क ऑफ!” वो बोला, इट्स शियर बुलशिट!
 
बिलीव मी.. इन इंडिया इनसेस्ट रिलेशनशिप आर इल-लिगल... दे आर बैंड बाय सोसायटी!
 
इट इज़ नॉट इंडिया बेबी... यू आर इन पैरिस..... कैपिटल ऑफ फ्राँस। हेयर एवरी थिंग इज़ लिगल”, उसने मेरे एक मम्मे को मसलते हुए कहा, हैव यू नेवर बीन टू एनी न्यूड बीचेज़ ऑफ़ फ्राँस। देयर यू विल फाईंड होल फैमिली एंजॉयिंग फुल न्यूडिटी। गो ऑन.... इंजॉय बेबी फ़क हिज़ ब्रेंस ऑऊट! मैं खिलखिला कर वहाँ से हट गयी। कुछ देर बाद हम वापस कपड़े बदल कर सैमिनार में पहुँच गये। फिर शुरू हुई कुछ घंटों की बकबक। मैं अपने ससुर जी से सट कर बैठी थी। उनके जिस्म से उठ रही कोलोन की खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी और शराब का हल्का-फुल्का सुरूर भी बरकरार था। पहले तो उन्होंने कुछ नोटिस नहीं किया लेकिन बाद में जब उनको मेरे दिल का हाल पता चला तो वो मेरे नितंबों और मेरी जाँघों को सहलाने लगे। मैंने पहले एक दो बार उनको रोकने की नाकाम कोशिश की लेकिन उनके नहीं मानने पर मैंने कोशिश छोड़ दी।
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शाम को ड्रेस कोड के हिसाब से कमरे में आकर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और फिर बिना किसी अंडर गार्मेंट्स के एक माइक्रो स्कर्ट और टाईट टॉप पहन ली। फिर बहुत ही पतली और ऊँची हील के स्ट्रैपी सैंडल पहन कर मैंने आईने में अपने को देखा। मेरे निप्पल टॉप के ऊपर से उभरे हुए दिख रहे थे। मैंने पहले घूम कर और फिर झुक कर अपने को देखा और फिर आईने के पास जा कर अपने को अच्छे से निहारा। मेरे सुडौल जिस्म का एक-एक कटाव, एक-एक उभार साफ़ दिख रहा था। मैं पीछे घूम कर आईने के आगे झुकी तो मैंने देखा कि झुकने के कारण स्कर्ट उठ जाती थी और मेरी बगैर पैंटी की नंगी चूत और गाँड साफ़ दिख रही थी। मैंने ड्रेस को खींच कर नीचे करने की कोशिश की लेकिन वो बिल्कुल भी नीचे नहीं सरकी। मैं उसी ड्रेस में बाहर आयी और ताहिर अज़ीज़ खान जी के कमरे में घुस गयी। मेरे ससुर जी उस वक्त तैयार हो रहे थे। उन्होंने दोबारा शेविंग की थी और एक टी-शर्ट और जींस में इतने हंडसम लग रहे थे कि क्या बयान करूँ। 

हाय हैंडसम! आज लगता है साशा की शामत आयी है। बहुत चिपक रही थी आपसे! मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।
 
साशा? अरे जिसकी बगल में तुम जैसी हसीना हो तो उसे सौ साशा भी नहीं बहला सकती”, कह कर उन्होंने मेरी तरफ़ देखा। मुझे ऊपर से नीचे तक कुछ देर तक निहारते ही रह गये। उनके होंठों से एक सीटी जैसी आवाज निकली, जैसी आवाज आवारा टाईप के मजनू निकाला करते हैं।
 
मममम.. आज तो पैरिस जलकर राख हो जायेगा! उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तारीफ़ की।
 
आप भी बस मेरी खिंचायी करते रहते हो! मैं शरम से लाल हो गयी थी। उन्होंने अपने हाथ सामने की ओर फैला दिये तो मैं मुस्कुराते हुए उनके पास खड़ी हुई।
 
हम दोनों एक साथ हाल में एंटर हुये। वहाँ एक तरफ़ डाँस के लिये जगह छोड़ी हुई थी। बाकी जगह में टेबल कुर्सियाँ बिछी थीं। मैं सकुचाती हुई अपने ससुर जी की बाँहों में समाये हुए कमरे में घुसी। वहाँ का माहौल बहुत ही इरोटिक था। मद्धम रोशनी में चारों तरफ़ जोड़े बैठे हुए थे। सब अपने पार्टनर्स के साथ थे। सारे जोड़े सैक्स हरकतों में बिज़ी हो रहे थे। कोई किसिंग में बिज़ी था तो कोई अपने पार्टनर को सहला रहा था। किसी के हाथ पार्टनर्स के कपड़ों के नीचे घूम रहे थे तो कुछ अपने पार्टनर्स को नंगा भी कर चुके थे।
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हम टेबल ढूँढते हुए आगे बढ़े तो एक टेबल से हैमिल्टन ने हाथ हिला कर हमें बुलाया। हम वहाँ पहुँचे। साशा हैमिल्टन की गोद में बैठी हुई थी। हैमिल्टन का एक हाथ उसके टॉप के नीचे घुसा हुआ उसकी छातियों को सहला रहा था। साशा के मम्मों के उभार बता रहे थे कि उन पर हैमिल्टन के हाथ फिर रहे थे। हमें देखते ही साशा हैमिल्टन की गोद से उठ गयी। हैमिल्टन ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और साशा ससुर जी की गोद में जा बैठी। हैमिल्टन ने मेरे बूब्स पर टॉप के ऊपर से हाथ फ़िराया। 

आई अगेन टेल यू स्वीटहार्ट यू आर ठू सैक्सी टू ड्राईव ऐनीवन क्रेज़ी”, उसने कहा और मेरे हाथ में कॉकटेल का ग्लास पकड़ा कर टॉप के बाहर से मेरे मम्मों को मसलने लगा। मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी की तरफ़ देखा। वो मुझे हैमिल्टन से बूब्स मसलवाते हुए बड़ी गहरी नजरों से देख रहे थे। मैंने शरमा कर दूसरी ओर नजरें फ़ेर लीं। मैं अपना ड्रिंक पीते हुए बीच में बने डायस पर थिरक रहे जोड़ों को देखने लगी।
 
हम थोड़ी देर ऐसे ही बैठे अपने ड्रिंक सिप करते रहे। मेरा दूसरा ड्रिंक ख़त्म हुआ तो हैमिल्टन ने मुझे खींच कर उठाते हुए कहा, कम ऑन स्वीटहार्ट! लेट्स डाँस! मैंने ताहिर अज़ीज़ खान जी की तरफ़ एक नज़र देखा। उन्होंने सिर हिला कर अपनी रज़ामंदी दे दी। हम बीच सर्कल में डाँस करने लगे। डाँस फ़्लोर पर बहुत ही कम रोशनी थी। इसलिये डाँस तो कम चल रहा था और एक दूसरे को मसलना ज्यादा चल रहा था। कुछ पार्टनर्स बिल्कुल नंगे होकर डाँस कर रहे थे। सब शराब के नशे में चूर थे। मुझ पर भी दो ड्रिंक्स पीने के बाद खुमारी सवार थी।
 
हैमिल्टन भी मुझे अपने सीने में दबा कर मेरे टॉप के अंदर हाथ डाल कर मेरे बूब्स को जोर से मसलने लगा। फिर मेरे टॉप को ऊँचा करके मेरे बूब्स को नंगा कर दिया और अपने मुँह में मेरा एक निप्पल भर कर चूसने लगा। मैंने अपने आसपास नजरें दौड़ायीं। औरों की हालत तो मेरे से भी बुरी थी। ज्यादातर लड़कियाँ या तो टॉपलेस हो चुकी थीं या पूरी तरह ही नंगी हो गयी थीं। हमारे पास एक जोड़ा तो म्यूज़िक पर ही खड़े खड़े कमर हिला-हिला कर चुदाई में लीन था।
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हैमिल्टन का दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर घुस कर मेरी टाँगों के जोड़ पर फिर रहा था। मैं अपनी बिना बालों वाली चिकनी चूत पर उसके हाथों का दबाव महसूस कर रही थी। मैंने अपनी टेबल की तरफ़ अपनी नजरें दौड़ायीं तो पाया कि साशा घुटनों के बल जमीन पर बैठ कर ताहिर अज़ीज़ खान जी का लंड अपने मुँह में भर कर चूस रही है। मैं भी अपने हाथ हैमिल्टन के लंड पर रख कर उसकी जींस के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी। हैमिल्टन ने खुश हो कर अपनी जींस की ज़िप नीचे कर दी। मैंने अपना हाथ उसकी पैंट के अंदर डाल कर उसके लंड को पकड़ कर बाहर निकाला। मैं उसके लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी। मेरी नजरें बराबर अपने ससुर जी पर टिकी हुई थी। 

लेट दैम इंजॉय एंड लेट अस डू सेम”, हैमिल्टन ने मेरी नजरों को भाँपते हुए कहा। कम-ऑन लेट्स गो टू सम केबिन फ़ोर क्विकी!
 
मैं उसका इरादा समझ नहीं पायी और उसकी ओर देखा तो उसने बात क्लियर की, देयर आर सम केबिन्स मेड फ़ोर कपल्स हू आर शाय टू फ़क इन पब्लिक। कम ऑन लेट्स गो देयर फ़ोर फ़क!
 
नो.... नो! आय वोंट डू दैट”, मैंने एतराज करते हुए कहा, मॉय फादर-इन-ला मे टेक इट अदरवाईज़!
 
हा! यू इंडियंस आर सो शाय! आय लव इंडियंस। लुक सैक्सी.... योर फ़ादर-इन-ला इज़ बिज़ी फ़किंग मॉय साशा! उसने हमारी टेबल की तरफ़ इशारा किया। मैंने देखा साशा ताहिर अज़ीज़ खान जी की गोद में सिर्फ सैंडल पहने बिकुल नंगी बैठी थी। उसका चेहरा सामने की ओर था और वो टेबल पर अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी कमर को उनके लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी। ससुर जी के दोनों हाथ साशा के मम्मों को मसलने में मसरूफ थे।
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हैमिल्टन मुझे खींचता हुआ दीवार के पास बने कुछ केबिनों में से एक में ले गया। मैं झिझक रही थी उसको इतना लिफ्ट देते हुए लेकिन उसने जबरदस्ती मुझे केबिन के अंदर खींच ही लिया। मुझे वहाँ रखी टेबल के पास खड़ी करके उसने मेरे हाथ टेबल पर टिका दिये। मेरे जिस्म से मेरे टॉप को नोच कर फ़ेंक दिया और मेरे बूब्स को पीछे की तरफ़ से पकड़ कर मुझे टेबल के ऊपर झुका दिया और मेरे स्कर्ट को खींच कर उतार दिया। मेरे कपड़े उसने उतार कर एक तरफ़ फ़ेंक दिये। अब मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। फिर वो भी जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया। लाईट ऑन करके हमने एक दूसरे के नंगे जिस्म को निहारा। उसका लंड हल्का गुलाबी रंग का था जो कि उसके एक दम गोरे रंग से मेल खा रहा था। उसने दोबारा मुझे टेबल पर झुका दिया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत पर लगा दिया। फिर मेरे बूब्स को जोर से पकड़ कर एक जोर का धक्का मारा और मेरे मुँह से आआआऽऽहहहऽऽऽ की आवाज के साथ उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। उसका लंड कोई गैर मामूली बड़ा नहीं था। इसलिये उसे अपनी चूत में लेने में किसी तरह की कोई खास दिक्कत नहीं आयी।

वो पीछे से मुझे जोर-जोर से धक्के मारने लगा। कुछ देर तक इसी तरह मुझे चोदने के बाद वो सोफ़े पर बैठ गया और अपने लंड पर मुझ बिठा लिया और मेरी दोनों बगलों में अपने हाथ डाल कर मेरे हल्के जिस्म को अपने हाथों से अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे खड़ा करके खुद भी खड़ा हो गया। फिर मेरी बाँहों को अपनी गर्दन के चारों ओर डाल कर मुझे जमीन से ऊपर उठा लिया। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं खुद को गिरने से बचाने के लिये उसकी कमर के चारों ओर अपने पैरों का घेरा डाल दिया। इस तरह से अपने लंड पर मुझे बिठा कर वो अपने लंड को मेरी चूत में आगे पीछे करने लगा। मुझे अपने लंड पर बिठाये हुए इसी हालत में वो मुझे लेकर सोफ़े तक पहुँचा। फिर सोफ़े पर खुद लेट कर मुझे अपने लंड पर वापस बिठा लिया। मैं उसके लंड पर कूदने लगी। उसकी ठुकायी से साफ़ लग रहा था कि ये जर्मन चुदाई के मामले में तो अच्छे अच्छों को ट्रेनिंग दे सकता है। मुझे करीब-करीब एक घंटे तक उसने अलग अलग पोज़ में चोदा। मेरे मुँह में, मेरी गाँड में, मेरी चूत में, हर जगह उसने अपने लंड को रगड़ा। जब उसके लंड से फुहार छूटने को हुई तो उसने अपने लंड को मेरी चूत से निकाल कर मेरे मुँह में डाल दिया और ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में भर दिया। मैं उसके छूटने तक तीन बार झड़ चुकी थी। फिर मैं उसके वीर्य को छोटे-छोटे घूँटों में पी गयी।
 
फिर मैं लहरा कर नीचे जमीन पर गिर गयी और वहीं पड़े-पड़े लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। हैमिल्टन के लंड से अभी भी हल्की हल्की वीर्य की पिचकारी निकल रही थी, जिसे वो मेरे मम्मों पर गिरा रहा था। मम्मों पर छलके हुए वीर्य को उसने मेरे टॉप से साफ़ किया। टॉप से उसने अपने वीर्य को कुछ इस तरह पोंछा कि जब मैंने दोबारा टॉप पहनी तो मेरे दोनों निप्पल के ऊपर दो बड़े-बड़े गीले धब्बे थे। टॉप मेरे दोनों निप्पल पर चिपक गयी थी और निप्पल बाहर से दिखने लगे थे।
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कुछ देर बाद हम वहीं रेस्ट करके अपने कपड़े पहन कर बाहर गये। बाहर अपनी टेबल पर आकर देखा कि टेबल खाली थी। मैंने बैठते हुए इधर उधर नज़र दौड़ायी लेकिन साशा और ससुर जी कहीं नहीं दिखे। हैमिल्टन ने अपनी कुर्सी पर बैठ कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया। मैंने उसकी गोद में बैठ कर उसके गले में अपनी बाँहों का हार डाल दिया और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। आस पास सारे जोड़े सैक्स में ही लीन दिखे। किसी को किसी की फ़िक्र नहीं थी। कुछ तो वहीं पूरे नंगे हो कर चुदाई में लगे हुए थे। वेस्टर्न कल्चर में तो ये एक मामुली सी बात थी। तभी वेटर डिनर और वाईन सर्व कर गया। हैमिल्टन की गोद में बैठे-बैठे हमने डिनर लिया। हम एक दूसरे को खिलाते रहे। हैमिल्टन का लंड वापस मेरे नितंबों के नीचे खड़ा हो रहा था। उसने मुझे उठाया और मेरी चूत पर लंड को सेट करके वापस अपनी गोद में बिठा लिया। इस बार हम दोनों ने किसी तरह की उछल कूद नहीं की। मैं उसके लंड को अपनी चूत में लेकर डिनर करने में व्यस्त हो गयी। वो भी डिनर ले रहा था। 

थोड़ी देर बाद ताहिर अज़ीज़ खान जी साशा को बाँहों में लिये इधर आते हुए दिखे। मैं झट से हैमिल्टन कि गोद से उतर कर अपनी सीट पर बैठ गयी और वाईन सिप करने लगी। आखिर हम इंडियंस कितने भी एडवांस्ड हो जायें, कुछ तो शरम बची ही रहती है। हैमिल्टन ने अपने लंड को अंदर करने की कोई कोशिश नहीं की।
 
साशा और ससुर जी आकर अपनी अपनी सीट पर बैठ गये। हम दोनों एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पा रहे थे। हैमिल्टन और साशा चुहल बाजी करते रहे। हैमिल्टन ने खींच कर साशा को अपने लंड पर बिठा लिया। साशा ने भी एक झटके से अपनी टॉप उतार दी और हैमिल्टन के लंड की सवारी करने लगी।
 
लेकिन हम दोनों चुपचाप अपने अपने ख्यालों में खोये खाना खाते रहे और बीच-बीच में चोर निगाहों से अपने सामने चल रही ब्लू फ़िल्म का भी मज़ा लेते रहे। सामने उन दोनों की चुदाई देखते हुए अक्सर हम दोनों की निगाहें टकरा जाती तो मैं शरमा कर और ससुर जी मुस्कुरा कर अपनी निगाहें हटा लेते।
 
खाना खाकर हम दोनों ने उन दोनों से विदा ली। मैं अपने ससुर जी की बाँहों में अपनी बांहें डाल कर अपने रूम की तरफ़ बढ़ी। मुझे काफी सुरूर महसूस हो रहा था क्योंकि दोपहर से धीरे-धीरे करके कम से कम चार-पाँच कॉकटेल और तीन वाईन के ग्लास पी चुकी थी। ऊपर से महफिल का माहौल भी इतना उत्तेजक था।
 
मैं साशा के साथ किसी नये प्रॉजेक्ट के बारे में डिसकस करने पास के एक केबिन में गया था। तुमको बता नहीं पाया क्योंकि तुम कहीं मिली नहीं। पता नहीं भीड़ में तुम कहाँ हैमिल्टन के साथ डाँस कर रही थीं।
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उनके मुँह से ये बात सुनकर मुझे बहुत राहत मिली कि उनको नहीं पता चल पाया कि उसी दौरान मैं भी पास के ही किसी केबिन में हैमिल्टन के साथ चुदाई में लीन थी। हम दोनों के अलग-अलग रूम थे। मैंने अपने कमरे के सामने पहुँच कर उन्हें गुड नाईट कहा और कमरे की तरफ़ बढ़ने लगी। 

कहाँ जा रही हो। आज मेरे कमरे में ही सो जाओ ना”, ससुर जी ने कहा। उनका इरादा साफ़ था। आज बर्फ़ पिघल रही थी लेकिन मुझे भी अपना डेस्प्रेशन नहीं दिखाना था। इसलिये मैंने उनकी तरफ़ देख कर अपनी नजरें झुका लीं और कदम अपने कमरे की तरफ़ बढ़ाये।
 
अच्छा ठीक है तुम अपने कमरे में चलो। मैं अभी आता हूँ..... कपड़े चेंज मत करना! उन्होंने मुझसे कहा।
 
क्यों क्या हुआ?” मैंने पूछा।
 
नहीं कुछ नहीं! तुम इन कपड़ों में बहुत खूबसूरत लग रही हो.... तुम्हें इन कपड़ों में कुछ देर तक देखना चाहता हूँ!
 
क्यों इतनी देर देख कर भी मन नहीं भरा क्या?” मैंने उनकी तरफ़ मुस्कुरा कर देखा। अब्बू जान... अपने मन को कंट्रोल में रखिये। अब मैं आपके बेटे की बीवी हूँ”, कहते हुए मैं हंसती हुई कमरे में चली गयी। अंदर आकर मैंने अपने टॉप और स्कर्ट को उतार दिया और बाथरूम में जा कर चेहरा धोया। जिस्म पर सिर्फ तौलिया लपेटे बाथरूम से बाहर आकर मैंने ड्रैसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने टॉवल को हटा दिया। मेरा नंगा जिस्म रोशनी में चमक उठा। मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने हुए खड़ी हुई अपने नंगे जिस्म को निहार रही थी। निकाह के बाद कितने लोगों से मैं चुदाई कर चुकी थी। इस जिस्म में कुछ ऐसी ही कशिश थी कि हर कोई खिंचा चला आता था। मैंने उसी हालत में खड़े होकर डियोड्रेंट लगाया और हल्का मेक-अप किया। अपने बालों में कंघी कर ही रही थी कि डोर बेल बजी।
 
कौन है?”
 
मैं हूँ... दरवाजा खोलो, बाहर से ससुर जी की आवाज आयी।
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मैंने झट अपने शाम को पहने हुए कपड़ों को वापस पहना और दरवाजे को खोल दिया। उन्होंने मुझसे अलग होने से पहले उन्हीं कपड़ों में रहने को कहा था। अब दोनों निप्पल के ऊपर टॉप पर लगा धब्बा सूख गया था लेकिन धब्बा साफ़ दिख रहा था कि वहाँ कुछ लगाया गया था। ताहिर अज़ीज़ खान जी अंदर आये। उन्होंने शायद अपने कमरे में जाकर भी एक दो पेग लगाये थे। उनके चाल में हल्की लड़खड़ाहट थी। कमरे में आकर वो बिस्तर पर बैठ गये। 

आओ मेरे पास”, उन्होंने मुझे बुलाया। मैं धीरे-धीरे हाई-हील सैंडलों में मटकते हुए चल के उनके पास पहुँची। उन्होंने अपनी जेब में हाथ डाल कर एक खूबसूरत सा लॉकेट निकाल कर मुझे पहना दिया।
 
वॉव! कितना खूबसूरत है! मैंने खुश होकर कहा किसके लिये है ये?”
 
तुम्हें पसंद है?” मैंने हामी में सिर हिलाया। ये इस खूबसूरत गले के लिये ही है! कहकर उन्होंने मेरे गले को चूम लिया।
 
उम्म बहुत सुंदर है ये! मैंने लॉकेट को अपने हाथों से उठाकर निहारते हुए कहा।
 
मुझे भी तो पता चले कि तुम कितनी खुश हो। खुश हो भी या…” मैं झट से उनकी गोद में बैठ गयी और उनके गले में अपनी बाँहों का हार डाल कर उनके होंठों पर अपने होंठ सटा दिये। मैंने उनको एक डीप किस दिया। जब हम दोनों अलग हुए तो उन्होंने मुझे उठाया।
 
स्टीरियो पर कोई सैक्सी गाना लगाओ”, उन्होंने कहा तो मैंने स्टीरियो ऑन कर दिया। वोल्युम को तेज़ रखने के लिये कहने पर मैंने वोल्युम को काफी तेज़ कर दिया।
 
अब तुम नाचो! उन्होंने कहा। मैं चुपचाप खड़ी रही। मैं असमंजस में थी। समझ में नहीं रहा था कि मुझे क्या करना चाहिये।
 
तुम बहुत अच्छा नाचती हो! मैंने कईं बार देखा है तुम्हें नाचते हुए।
 
लेकिन यहाँ?”
 
क्यों यहाँ क्या प्रॉब्लम है? मैं देखना चाहता हूँ तुम्हारे जिस्म की थिरकन।
 
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मैं धीरे-धीरे वेस्टर्न म्युज़िक पर थिरकने लगी। अंदरूनी कपड़े नहीं होने के कारण मेरे मम्मे उछल रहे थे और मेरा ध्यान डाँस पर कम और अपनी उस मिनी स्कर्ट पर था कि नाचते हुए मेरी चूत उनकी नजरों के सामने ना जाये। 

अपने उन दोनों मम्मों को जोर से हिलाओ। खूब शानदार हैं ये दोनों बूब्स तुम्हारे! मैं उनकी पसंद का खयाल रखते हुए अपने मम्मों को हिलाने लगी।
 
अब नाचते-नाचते अपने कपड़े उतार दो! अपने सैक्सी सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार देना। स्ट्रिपटीज़ जानती हो?” उन्होंने मुझसे पूछा।
 
हाँ! मैं उनकी बातों से हैरान हो रही थी। उन पर कुछ तो शराब का और कुछ खुले आज़ाद माहौल का नशा चढ़ा हुआ था।
 
चलो मेरे सामने स्ट्रिपटीज़ करो”, कहते हुए उन्होंने अपने गाऊन को खोल कर अलग कर दिया। गाऊन के नीचे वो बिल्कुल नंगे थे। मैं नाचना छोड़ कर मुँह फ़ाड़े उनके लंड को देख रही थी।
 
अब्बू जान.. ये सब ठीक नहीं है! मैंने उनसे कहा।
 
क्या ठीक नहीं है?”
 
यही जो आप कर रहे हैं या करना चाहते हैं।
 
क्यों.. इसमें क्या बुराई है। तुम ही तो निकाह के पहले से ही मुझ से चुदवाना चाहती थी! उनके मुँह से इस तरह की गंदी बातें सुन कर मैं शरम से गड़ गयी।
 
जीजी वो.. उस समय की बात और थी! तब मैं आपकी सेक्रेटरी थी।
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तो?” 

आज मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।
 
लेकिन पहले तू मेरी सेक्रेटरी है। यहाँ पर तू मेरी सेक्रेटरी बन कर आयी है मेरे बेटे की बहू नहीं! और सेक्रेटरी का काम होता है अपने एंपलायर को खुश रखना। देखा नहीं यहाँ मौजूद दूसरी सेक्रेटरियों को!
 
क्या हो गया है आज आपको?” मैंने थूक निगलते हुए कहा।
 
मोहब्बत! तुझे आज जी भर कर मोहब्बत करना चाहता हूँ। आज ससुर जी के मुँह से इस तरह की बातें सुनकर अजीब सा लग रहा था। ताहिर अज़ीज़ खान जी हमेशा से ही एक सोबर और मर्यादित आदमी रहे हैं। मैंने जब निकाह से पहले इतनी कोशिश की थी उन्हें सिड्यूस करने की, तब भी नहीं हिले थे अपने असूलों से। अगर वो चाहते तो मेरी सील तोड़ने का क्रेडिट मैं उन्हीं को देती। मैं तो चाहती ही थी उनकी मिस्ट्रेस बनना। मगर उनके ऊँचे ख्यालातों ने मेरी एक नहीं चलने दी थी। लेकिन वो ऊँचे असूलों का पुतला आज कैसे सैक्स के दलदल में गोते खा रहा है। थोड़ी बहुत चुहल बाजी, थोड़ा लिपटना, थोड़ा मसलना ये सब तो मैं भी पसंद करती थी क्योंकि उन्हें मैं हमेशा ही मन से चाहती थी। मगर उनके साथ सैक्स? मैं असमंजस में फ़ँस गयी थी। शराब का नशा तो मुझे भी था पर इतना भी नहीं था। समझ में नहीं रहा था कि आज वो कैसे अपना अहौदा, अपनी मर्यादा, हम दोनों के बीच का रिश्ता, सब भूल कर इस तरह की बातें कर रहे हैं।
 
अब्बू आपने आज बहुत पी रखी है! आप आज अपने कंट्रोल में नहीं हो! आप यहीं रेस्ट करो.... मैं दूसरे कमरे में जाती हूँ। मैंने दरवाजे की तरफ़ अपने कदम बढ़ाये ही थे कि उनकी कड़कती आवाज से मेरे कदम वहीं रुक गये। खबरदार अगर एक भी कदम आगे बढ़ाया तो! जैसा कहता हूँ वैसा कर.... नहीं तो आज मैं तेरा रेप करने से भी नहीं चूकुँगा।
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अब्बू क्या हो गया आज आपको! हम दोनों का रिश्ता बदनाम हो जायेगा। अगर किसी को पता चल गया तो लोग क्या कहेंगे।

तू उसकी चिंता मत कर! किसी को पता ही नहीं चलेगा। यहाँ अपने वतन से दूर हमें जानने वाला है ही कौन। और तू रिश्तों की दुहाई मत दे। एक आदमी और एक औरत में बस एक ही रिश्ता हो सकता है और वो है हवस का रिश्ता। जब तक यहाँ रहेंगे..... हम दोनों साथ रहेंगे। अपने घर जा कर तू भले ही वापस मुझसे पर्दा कर लेना।
 
ऐसा कैसे हो सकता है? हम दोनों के बीच एक बार जिस्म का रिश्ता हो जाने के बाद आप क्या सोचते हैं कि कभी वापस नॉर्मल हो सकेगा?”
 
तू जब तक यहाँ है, भूल जा कि तो मेरे बेटे की बीवी है। भूल जा कि मैं तेरा ससुर हूँ। तू बस मेरी सेक्रेटरी है। अगर तेरा निकाह मेरे बेटे से नहीं हुआ होता तो हम यहाँ क्या करते?”
 
फिर तो बात दूसरी ही होती! मैंने कहा।
 
तू समझ कि अब भी वही बात है। तू केवल मेरी सेक्रेटरी है। देखा नहीं.... सारी सेक्रेटरिज़ अपने बॉस के साथ कैसे खुल्लम खुल्ला सैक्स कर रही थीं।
 
लेकिन मैं अभी भी झिझक नहीं छोड़ पा रही थी। ताहिर अज़ीज़ खान जी उठे और कमरे में बने मिनी बार से व्हिस्की की एक बोतल लेकर उन्होंने एक ग्लास में डाली और मेरे होंठों से लगा दी। ये ले... तेरी झिझक इससे कम होगी और नशे में तुझे मज़ा भी ज्यादा आयेगा। मेरी धड़कनें तेज़ चल रही थीं और इस हालात में मुझे इसकी सख्त जरूरत थी। मैंने दो घूँट में ही वो तगड़ा पैग खाली कर दिया। वो कमरे में कुर्सी-टेबल खिसका कर जगह बनाने लगे। इतने में मैंने वो बोतल ही उठा ली और दो-तीन घूँट व्हिस्की के सिप किये। मैं चाहती थी कि मुझे इतना नशा हो जाये कि मैं खुलकर बिना किसी झिझक के उनका साथ दे सकूँ। ससुर जी ने फिर मुझे खींच कर बीच में खड़ा कर दिया। अंदर कुछ नहीं पहना होने के कारण मेरे बूब्स बुरी तरह इधर-उधर हिल रहे थे। फिर वो मेरे हाथों को अपने हाथ में थाम कर थिरकने लगे। मैं भी एक हाथ में बोतल पकड़े धीरे-धीरे उनका साथ देती हुई डाँस करने लगी।
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कुछ ही देर में मुझ पर नशा हावी होने लगा और मैं मूड में गयी और पूरे जोश के साथ मैं म्युज़िक पर थिरकने लगी। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने एक झटके में अपने जिस्म पर पहने गाऊन को अलग किया। वो अंदर कुछ भी नहीं पहने हुए थे। वो पूरी तरह नंगे हो गये थे। अपने गाऊन को वहीं छोड़ कर वो वापस जाकर बेड पर बैठ गये। अब मैंने भी झिझक छोड़ कर खुद को समय के हवाले कर दिया और कमरे के बीच में थिरकने लगी। 

मेरी ओर झुक कर अपनी छातियों को हिलाओ”, ताहिर अज़ीज़ खान जी ने कहा। मैंने वैसा ही किया। उन्होंने अब मुझे टॉप उतारने के लिये इशारा किया। उनके सामने नंगी होने का ये पहला मौका था। मैं झिझकते हुए अपने हाथों से अपनी टॉप को पकड़ कर ऊँचा करने लगी। जैसे-जैसे टॉप ऊँचा होता जा रहा था, मेरे बेशकीमती खजाने के दोनों रत्न बाहर निकलते जा रहे थे। मैंने अपनी टॉप को निकाल कर अपने हाथों से पकड़ कर एक बार सिर के ऊपर हवा में घुमाया और फिर उसे ताहिर अज़ीज़ खान जी की तरफ़ फ़ेंक दिया। टॉप सीधा जा कर उनकी गोद में गिरा। ताहिर अज़ीज़ खान जी उसे उठा कर कुछ देर तक सूँघते और चूमते रहे। मैं टॉपलेस हालत में थिरक रही थी और बीच-बीच में बोतल से व्हिस्की सिप कर रही थी। थोड़ी-थोड़ी देर में अपने बूब्स को एक झटका देती तो दोनों बूब्स उछल उठते। मैं डाँस करते-करते ताहिर अज़ीज़ खान जी के पास पहुँची और उनके होंठों के सामने अपने दोनों बूब्स को थिरकाने लगी। मैंने अपने एक मम्मे को अपने हाथों से थाम कर ऊँचा किया। फिर निप्पल को अपनी अँगुलियों से खींच कर उनके होंठों के पास ले गयी। जैसे ही ताहिर अज़ीज़ खान जी ने अपने होंठ खोल कर मेरे बूब्स पर झपटा मारा तो मैं किसी मछली की तरह उनकी पकड़ से निकल गयी। इतने दिनों की आस आज पूरी हो रही थी। ताहिर अज़ीज़ खान जी को तरसाने में खूब मज़ा रहा था।
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भाग १०

ताहिर अज़ीज़ खान जी का लंड उनकी घनी झाँटों के बीच खड़ा हुआ झटके खा रहा था। मैंने उसे एक बार अपनी मुठ्ठी में लेकर उसे ऊपर से नीचे तक सहलाया और फिर छोड़ दिया। मेरी इस हरकत से उनके लंड के ऊपर एक बूँद प्री-कम चमकने लगा। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने अपने सूखते हुए होंठों पर अपनी जीभ फ़िरा कर मुझे स्कर्ट उतारने के लिये इशारा किया। मैंने स्कर्ट के इलास्टिक में अपनी अँगुलियाँ डाल कर उनकी तरफ़ देखा। उनकी आँखें मेरी स्कर्ट से चिपकी हुई थीं। वो उतावले हुए जा रहे थे। मैंने उन्हें कुछ और परेशान करने का सोचा। मैंने अपनी स्कर्ट थोड़ी सी ही खिसकायी जिससे मेरी चूत अभी भी नंगी नहीं हुई थी। थिरकते हुए मैं फिर उन्हें चिढ़ाने के लिये उनके नज़दीक गयी और अपनी एक टाँग उठा कर अपना पैर उनकी गोद में रख दिया और उनके खड़े लंड को अपने सैंडल के तलुवे और ऐड़ियों से सहलाने लगी। उनके लंड का प्री-कम छलक कर मेरे पैरों के नाखुनों और सैंडल की पट्टियों पर गिर पड़ा। फिर मैं थिरकते हुए उनसे दूर हटी और मैंने उनकी तरफ़ अपनी पीठ कर ली और अपनी स्कर्ट को धीरे-धीरे नीचे कर दिया। वो मेरी मोटी-मोटी गाँड को ललचायी नजरों से देख रहे थे। मैं अब खड़े होकर अपने जिस्म को म्युज़िक पर थिरकाने लगी। कुछ देर बाद मैं धीरे-धीरे सामने की ओर मुड़ी। मेरी नंगी चूत अब उनके सामने थी। वो एक टक मेरी सिलकी चिकनी चूत को निहार रहे थे।

अब तो उन्हें अपने ऊपर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया। वो उठे और मुझे बाँहों में लेकर मेरे साथ कमर हिलाने लगे। वो मेरे पीछे से सटे हुए थे। हमारे नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे। मेरी चूत गीली हो गयी थी। उनका लंड मेरे दोनों नितंबों के बीच जगह तलाश कर रहा था। उनके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िसल रहे थे। सामने आदमकद आईने में मैंने हम दोनों के अक्स को एक दूसरे से गुंथे हुए देखा तो उत्तेजना और बढ़ गयी। उन्होंने मुझे आईने में देखते हुए देखा तो मुस्कुरा कर मेरी दोनों बगलों में अपने हाथ डाल कर सामने मेरे मम्मों को सहलाने लगे। मैं अपने सुंदर मम्मों को ताहिर अज़ीज़ खान जी के हाथों से मसले जाते देख रही थी। मेरी पीठ उनके सीने से लगी हुई थी। मैंने अपना सिर पीछे की ओर कर के उनके कंधे पर रख दिया। साढ़े-चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने से मेरा कद उनके कद से मेल खा रहा था। उनके हाथ मेरे दोनों बूब्स को बुरी तरह मसल रहे थे। आईने में हमारा ये पोज़ बड़ा ही सैक्सी लग रहा था। उन्होंने मेरे दोनों निप्पल अपनी अँगुलियों से पकड़ कर आगे की तरफ खींचे। मेरे दोनों निप्पल खिंचाव के कारण लंबे-लंबे हो गये थे। उनके मसलने के कारण दोनों बूब्स की रंगत सफ़ेद से गुलाबी हो गयी थी। उनकी गरम साँसें मैं अपनी गर्दन पर इधर से उधर फिरते हुए महसूस कर रही थी। उनके होंठ मेरी गर्दन के पीछे, जहाँ से मेरे बाल शुरू हो रहे थे, वहाँ जा कर चिपक गये। फिर उन्होंने मेरी गर्दन पर हल्के से दाँत गड़ाये। उनके होंठ मेरी गर्दन पर घूमते हुए मेरे बाँय कान तक आये। वो मेरे बाँय कान के ऊपर अपने होंठ फिराने लगे। औरत का कान एक जबरदस्त उत्तेजक हिस्सा होता है। मैं उनकी हरकतों से उत्तेजित हो गयी। मैंने अपने हाथ में पकड़ी व्हिस्की की बोतल को टाँगों के बीच अपनी चूत पर सख्ती से दाब रखी थी। मेरे मुँह से उत्तेजना में टूटे हुए शब्द निकल रहे थे। मैंने अपने होंठों को दाँतों में दबा रखा था, फिर भी पता नहीं किस कोने से मेरे मुँह से आआऽऽऽहहऽऽऽ ममऽऽऽऽ ऊऊऽऽऽहहऽऽऽ की आवाजें निकल रही थीं। फिर उन्होंने कान पर अपनी जीभ फ़िराते हुए कान के निचले हिस्से को अपने मुँह में भर लिया और हल्के-हल्के से उसे दाँत से काटने लगे। मेरे हाथ से बोतल नीचे छूट गयी और मैंने उनके सिर को अपने हाथों से थाम लिया। हमारे जिस्म संगीत की धुन पर एक दूसरे से सटे हुए इस तरह से थिरक रहे थे कि मानो दो नहीं एक ही जिस्म हों। उन्होंने मुझे अपनी ओर घुमाया और मेरे बूब्स पर अपने होंठ रख कर मेरे निप्पल को चूसने लगे। इसी तरह की हरकतों की ख्वाहिश तो तब से मेरे मन में थी जब से मैंने उन्हें पहली बार देखा था। मुझे उनके साथ पैरिस आने का न्यौता कबूल करते समय ही पता था कि इस टूर में हम दोनों के बीच किस तरह का रिश्ता जन्म लेने वाला है। मैं उसके लिये शुरू से ही उतावली थी। मैं भी उनको अपनी ओर से पूरा मज़ा देना चाहती थी। मैं भी उनकी छातियों पर झुक कर उनके छोटे-छोटे निप्पलों को अपने दाँतों से कुरेदने लगी। मैंने अपनी जीभ से उनके निप्पलों को सहलाना शुरू किया तो उत्तेजना से उनके निप्पल भी खड़े हो गये। मैं उनके बालों से भरे सीने को सहला रही थी। मैंने अपने दाँतों को उनके सीने में गड़ा कर जगह-जगह अपने दाँतों के निशान छोड़ दिये। मैंने कुछ देर तक उनके निप्पल से खेलने के बाद अपने होंठ नीचे की ओर ले जाते हुए उनकी नाभी में अपनी जीभ घुसा दी और उनकी नाभी को अपनी जीभ से चाटने लगी। वो मेरे खुले बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िरा रहे थे। फिर मैं घुटनों के बल उनके सामने बैठ गयी और उनके लंड को अपने हाथों में लेकर निहारने लगी। मैंने मुस्कुरा कर उनकी ओर देखा। उनके खतना लंड का गोल-मटोल टोपा गुब्बारे की तरह फूला हुआ था। मैंने उसकी टिप पर अपने होंठ लगा दिये। एक छोटा सा किस लेकर अपने चेहरे के सामने उनके लंड को सहलाने लगी। उनके लंड को अपने मुँह में लेने की इच्छा तो हो रही थी लेकिन मैं उनके रिक्वेस्ट करने का इंतज़ार कर रही थी। मैं उनके सामने ये नहीं शो करना चाहती थी कि मैं पहले से ही कितना खेली खायी हुई हूँ।
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इसे मुँह में लेकर प्यार करो!

ऊँऽऽ नहीं ये गंदा है। मैंने लंड को अपने से दूर करने का नाटक किया, छी! इससे तो पेशाब भी किया जाता है। इसे मुँह में कैसे लूँ?”

तूने अभी तक जावेद के लंड को मुँह में नहीं लिया क्या?”

नहीं वो ऐसी गंदी हर्कतें नहीं करते हैं।

ये गंदा नहीं होता है.... एक बार तो लेकर देख! ठीक उसी तरह जैसे चोकोबार आईसक्रीम को मुँह में लेकर चाटती हो। असलियत में तो मैं उस लंड को मुँह में लेने के लिये इतनी बेकरार थी की अगर उसमें से तो पेशाब भी निकल रहा होता तो मैं उसे आब-ए-ज़मज़म समझ कर पी जाती पर फिर भी मैं जानबूझ कर झिझकते हुए अपनी जीभ निकाल कर उनके लंड के टोपे पर फिराने लगी। मेरे बाल खुले होने की वजह से उनको देखने में परेशानी हो रही थी। इसलिये उन्होंने मेरे बालों को पकड़ कर जूड़े के रूप में बाँध दिया। फिर मेरे चेहरे को पकड़ कर अपने लंड को मेरी ओर ठेलने लगे। मैंने उनकी हरकत के इख्तयार में अपना मुँह खोल दिया। उनका लंड आधा अंदर जा कर मेरे गले के दर में फंस गया।

बसऽऽ और नहीं जायेगा! मैंने कहना चाहा मगर मुँह से बस, ऊँऽऽऽ ऊँऽऽऽ जैसी आवाज निकली। इसलिये मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिये-लिये ही उन्हें इशारा किया। वो अपने लंड को अब आगे पीछे करने लगे। मैं उनके लंड को अपने मुँह से चोद रही थी और साथ-साथ उनके लंड पर अपनी जीभ भी फ़िरा रही थी।

पूरा ले! मज़ा नहीं आ रहा है! पूरा अंदर जाये बिना मज़ा नहीं आयेगा। उन्होंने अपने लंड को बाहर खींचा।

इतना बड़ा लंड पूरा कैसे जायेगा? मेरा मुँह मेरी चूत जैसा तो है नहीं कि कितना भी लंबा और मोटा हो सब अंदर ले लेगा! मैंने कहा।

उन्होंने मुझे उठाया और बिस्तर पर ले जाकर लिटा दिया। मैं पीठ के बल लेट गयी। अब उन्होंने मेरे जिस्म को कंधों से पकड़ कर बिस्तर से बाहर की तरफ़ खींचा। अब मेरा सिर बिस्तर से नीचे लटकने लगा था। हाँ ये ठीक है.... अब अपने सिर को बिस्तर से नीचे लटकाते हुए अपने मुँह को खोल! वो बोले। मैंने वैसा ही किया। इस पोज़िशन में मेरा मुँह और गले का छेद एक सीध में हो गये थे। ससुर जी अब मेरे मुँह में अपने लंड को डालते हुए मुझसे बोले,एक जोर की साँस खींच अंदर! मैंने वैसा ही किया। वो अपने लंड को अंदर ठेलते चले गये। उनका मोटा लंड सरसराता हुआ गले के अंदर घुसता चला गया। पहले तो उबकायी जैसी आयी। लेकिन उनका लंड फंसा होने के कारण कुछ नहीं हुआ। उनका लंड अब पूरा अंदर घुस चुका था। उनके लंड के नीचे लटकते दोनों गेंद अब मेरी नाक को दाब रहे थे। एक सेकेंड इस हालत में रख कर उन्होंने वापस अपने लंड को बाहर खींचा। उनके लंड ने जैसे ही गले को खाली किया, मैंने अपने फ़ेफ़ड़ों में जमी हवा खाली की और वापस साँस लेकर उनके अगले धक्के का इंतज़ार करने लगी। उन्होंने झुक कर मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उन्हें मसलते हुए वापस अपने लंड को जड़ तक मेरे मुँह में ठेल दिया। फिर एक के बाद एक, धक्के मारने लगे। मैंने अपनी साँसें उनके धक्कों के साथ एडजस्ट कर ली थी। हर धक्के के साथ मेरे मम्मों को वो बुरी तरह मसलते जा रहे थे और साथ-साथ मेरे निप्पलों को भी उमेठ देते। जैसे ही वो मेरे निप्पलों को पकड़ कर खींचते, मेरा पूरा जिस्म कमान की तरह ऊपर की ओर उठ जाता। काफी देर तक यूँ ही मुँह में ठेलने के बाद उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल लिया। और ज्यादा देर तक चूसने से हो सकता है मुँह में ही निकल जाता। उनका लंड मेरे थूक से गीला हो गया था और चमक रहा था। उनके उठते ही मैं भी उठ बैठी। उन्होंने मुझे बिस्तर से उतार कर वापस अपने आगोश में ले लिया। मैंने उनके सिर को अपने हाथों से थाम कर उनके होंठों पर अपने होंठ सख्ती से दाब दिये। मेरी जीभ उनके मुँह में घुस कर उनकी जीभ से खेलने लगी। साढ़े-चार इंच ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने होने के बावजूद मुझे अपनी ऐड़ियों को और ऊपर करना पड़ा जिससे मेरा कद उनके कद के कुछ हद तक बराबर हो जाये। मेरे सैंडलों के ऐड़ियाँ अब ज़मीन से ऊपर उठी हुई थी और मेरे पंजे मुड़े हुए थे। फिर मैंने अपने दोनों मम्मों को हाथों से उठा कर उनके सीने पर इस तरह रखा कि उनके निप्पलों को मेरे निप्पल छूने लगे। उनके निप्पल भी मेरी हरकत से एक दम कड़े हो गये थे। मेरे निप्पल तो पहले से ही उत्तेजना में तन चुके थे। मैंने अपने निप्पल से उनके निप्पल को सहलाना शुरू किया। उन्होंने मेरे नितंबों को सख्ती से पकड़ कर अपने लंड पर खींचा।
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मममऽऽऽ शहनाज़ मीऽऽऽऽ ऊँमऽऽऽऽ। तुम बहुत सैक्सी हो। अब अफ़सोस हो रहा है कि तुम्हें इतने दिनों तक मैंने छुआ क्यों नहीं ओफफ‍ओहहऽऽऽ तुम तो मुझ पागल कर डालोगी। आआआऽऽऽहहहहऽऽऽ हाँऽऽऽ ऐसे हीऽऽऽ वो अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ रहे थे। कुछ देर तक हमारे एक दूसरे के जिस्म को रगड़ने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर के पास ले जाकर मेरे एक पैर को उठा कर बिस्तर के ऊपर रख दिया। अब घुटनों के बल बैठने की उनकी बारी थी। वो मेरी टाँगों के पास बैठ कर बिस्तर पर रखे मेरे पैर और उसके सैंडल की पट्टियों पर अपनी जीभ फिराने लगे। मुझे ऊँची हील वाले सैक्सी सैंडल पहनना बहुत अच्छा लगता है, इसलिये मैं हरदम सैंडल पहने रहती हूँ। ज्यादातर मरदों की तरह शायद उन्हें भी हाई-हील सैंडल निहायत पसंद थे, इसलिये ताहिर अज़ीज़ खान जी अपने जीभ मेरे पंजों, पैरों और सैंडलों पर फिराने लगे। फिर उनकी जीभ मेरी टाँगों और जाँघों से होती हुई मेरी टाँगों के जोड़ पर घूमने लगी। उनकी जीभ मेरे घुटने पर से धीरे-धीरे आगे बढ़ती हुई मेरी टाँगों के जोड़ तक पहुँची। उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चिकनी चूत को ऊपर से चाटना शुरू किया। वो अपने हाथों से मेरी चूत की फाँकों को अलग करके मेरी चूत के भीतर अपनी जीभ डालना चाहते थे।

नहीं! ऐसे नहीं! कहकर मैंने उनके हाथों को अपने जिस्म से हटा दिया और मैंने खुद एक हाथ की अँगुलियों से अपनी चूत को खोल कर दूसरे हाथ से उनके सिर को थाम कर अपनी चूत से सटा दिया। लो अब चाटो इसे!

उनकी जीभ किसी छोटे लंड की तरह मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगी। शराब के नशे में मैं बहुत उत्तेजित हो गयी थी। मैं उनके बालों को अपनी मुठ्ठी में पकड़ कर उन्हें खींच रही थी, मानो उन्हें उखाड़ ही देना चाहती थी। दूसरे हाथों की अँगुलियों से मैंने अपनी चूत को फैला रखा था और साथ-साथ एक अँगुली से अपनी क्लीटोरिस को सहला रही थी। मैंने सामने आईने में देखा तो हम दोनों की हालत को देख कर अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पायी और मेरे जिस्म से लावा बह निकला। मैंने सख्ती से दूसरे हाथों की मुठ्ठी में उनके बालों को पकड़े हुए उनके सिर को अपनी चूत में दाब रखा था। उनकी जीभ मेरी चूत से बहती हुई रस धारा को अपने अंदर समा लेने में मसरूफ हो गयी। काफी देर तक इसी तरह चूसवाते हुए जब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया तो मैंने उनके सिर को अपनी चूत से खींच कर अलग किया। उनके सिर के कईं बाल टूट कर मेरी मुठ्ठी में आ गये थे। उनके होंठ और ठुड्डी मेरे रस से चमक रहे थे।

ऊऊहहऽऽ ताआऽऽहिर! अब मैंने वासना और शराब के नशे में अपने खिताब में चेंज लाते हुए उन्हें ऊपर अपनी ओर खींचा। वो खड़े हो कर मुझ से लिपट गये और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर मेरे होंठों को अपने मुँह में खींच लिया और उन्हें बुरी तरह चूसने लगे। मैं नहीं जानती थी कि उधर भी इतनी ज्यादा आग लगी हुई है। उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मुँह में अजीब सा टेस्ट समा गया। मैंने ज़िंदगी में पहली बार अपनी चूत के रस का स्वाद चखा। मैंने उनके चेहरे पर लगे अपने रस को चाट कर साफ़ किया।

उन्होंने थिरकते हुए बिस्तर के साईड में रखी फ्रेंच वाईन की बोतल उठा ली। उसके कॉर्क को खोल कर उन्होंने उसमें से एक घूँट लगाया। फिर मैंने भी एक घूँट लगाया और फिर उन्होंने मुझे अपने सामने खड़ा कर दिया। फिर उस बोत्तल से मेरे एक मम्मे पर धीरे-धीरे वाईन डालने लगे। उन्होंने अपने होंठ मेरे निप्पल के ऊपर रख दिये। रेड वाईन मेरे बूब्स से फ़िसलती हुई मेरे निप्पल के ऊपर से होती हुई उनके मुँह में जा रही थी। बहुत ही एग्ज़ोटिक सीन था वो। फिर वो उस बोतल को ऊपर करके मेरे सिर पर वाईन उढ़ेलने लगे। साथ-साथ मेरे चेहरे से, मेरे कानों से और मेरे बालों से टपकती हुई वाईन को पीते जा रहे थे। मैं वाईन में नहा रही थी और उनकी जीभ मेरे पूरे जिस्म पर दौड़ रही थी। मैं उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी। इस तरह से मुझे आज तक किसी ने प्यार नहीं क्या था। इतना तो साफ़ दिख रहा था कि मेरे ससुर जी सैक्स के मामले में तो सबसे अनोखे खिलाड़ी थे। जब बोतल आधी से ज्यादा खाली हो गयी तो उन्होंने बोतल मुझे पकड़ा दी और मेरे पूरे जिस्म को चाटने लगे। मैं बोतल से घूँट पीने लगी और वो मेरा जिस्म चाटने लगे। मेरा पूरा जिस्म वाईन और उनकी लार से चिपचिपा हो गया था। उन्होंने एक झटके में मुझे अपनी बाँहों में उठा लिया और अपनी बाँहों में उठाये हुए बाथरूम में ले गये। इस उम्र में भी इतनी ताकत थी कि मुझको उठाकर बाथरूम ले जाते वक्त एक बार भी उनकी साँस नहीं फ़ूली। बाथरूम में बाथ-टब में दोनों घुस गये और एक दूसरे को मसल-मसल कर नहलाने लगे। नहाते वक्त भी मेरे पैरों में सैंडल मौजूद थे। नहाने के साथ-साथ हम एक दूसरे को छेड़ते जा रहे थे। सैक्स के इतने रूप मैंने सिर्फ तसव्वुर में ही सोचे थे। आज ससुर जी ने मेरे पूरे वजूद पर अपना हक जमा दिया। वहीं पर बाथ-टब में बैठे-बैठे उन्होंने मुझे टब का सहारा लेकर घुटने के बल झुकाया और पीछे की तरफ़ से मेरी चूत और मेरी गाँड के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगे।
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ऊऊऊऽऽऽहहहऽऽऽऽ! ताआऽऽऽहिर! जाआऽऽऽन ये क्या कर रहे हो? छीऽऽऽ नहीईं वहाँ जीऽऽभ सेऽऽऽ मत चाटो! नऽऽऽहींऽऽऽ हाँऽऽऽऽ और अंदर.... और अंदर। मैं उत्तेजना में जोर-जोर से चींखने लगी। ससुर जी ने मेरी गाँड के छेद को अपनी अँगुलियों से फैला कर उसके अंदर भी एक बार जीभ डाल दी। मेरी चूत में आग लगी हुई थी। मैं उत्तेजना और नशे में अपने ही हाथों से अपने मम्मों को बुरी तरह मसल रही थी।
 
बस-बस! और नहीं.. अब मेरी प्यास बुझा दो। मेरी चूत जल रही है.... इसे अपने लंड से ठंडा कर दो। अब मुझे अपने लंड से चोद दो। अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। ये आपने क्या कर डाला..... मेरे पूरे जिस्म में आग जल रही है। प्लीऽऽऽऽज़ और नहीं.... मैं तड़प रही थी। उन्होंने वापस टब से बाहर निकल कर मुझे अपनी बाँहों में उठाया और गीले जिस्म में ही कमरे में वापस आये।
 
उन्होंने मुझे उसी हालत में बिस्तर पेर लिटा दिया। वो मुझे लिटा कर उठने को हुए तो मैंने झट से उनकी गर्दन में अपनी बांहें डाल दीं, जिससे वो मुझसे दूर नहीं जा सकें। अब इंच भर की दूरी भी बर्दाश्त से बाहर हो रही थी। उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी बाँहों को अपनी गर्दन से अलग किया और अपने लंड पर बोतल में बची हुई वाईन से कुछ बूँद रेड वाईन डाल कर मुझसे कहा, अब इसे चूसो! मैंने वैस ही किया। मुझे वाईन से भीगा उनका लंड बहुत ही टेस्टी लगा। मैं वापस उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। उन्होंने अब उस बोतल से बची हुई वाईन धीरे-धीरे अपने लंड पर उढ़ेलनी शुरू की। मैं उनके लंड और उनके टट्टों पर गिरती हुई वाईन को पी रही थी। कुछ देर बाद जब मैं पुरी वाईन पी चुकी तो उन्होंने मुझे लिटा दिया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रख दीं। फिर उन्होंने मेरी कमर के नीचे एक तकिया लगा कर मेरी चूत की फाँकों को अलग किया। मैं उनके लंड के दाखिल होने का इंतज़ार करने लगी। उनके लंड को मैं अपनी चूत के ऊपर सटे हुए महसूस कर रही थी। अब तो मैं इतने नशे में थी कि मैंने आँखें बंद करके अपने आप को इस दुनिया से काट लिया था। नशे और वासना में चूर मैं दुनिया के सारे रिश्तों को और सारी मर्यादाओं को भूल कर बस अपने ससुर जी का, अपने बॉस का, अपने ताहिर जानू के लंड को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस करना चाहती थी। अब वो सिर्फ, और सिर्फ मेरे आशिक थे। उनसे बस एक ही रिश्ता था; जो रिश्ता किसी मर्द और औरत के बीच जिस्मों के मिलन से बनता है। मैं उनके लंड से अपनी चूत की दीवारों को रगड़ना चाहती थी। सब कुछ एक जन्नती एहसास दे रहा था। उन्होंने मेरी चूत की फाँकों को अलग करके अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा। अब बता मेरी जान..... कितनी प्यास है तेरे अंदर? मेरे लंड को कितना चाहती है?” ताहिर अज़ीज़ खान जी ने अपने लंड को चूत के ऊपर रगड़ते हुए पूछा।
 
आआऽऽऽहहऽऽऽ क्या करते हो.... ऊँममऽऽऽ अंदर घुसा दो इसे! मैंने अपने सूखे होंठों पर जीभ फ़ेरी।
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