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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#81
वो लड़की मुस्कुराने लगी। वैसे तो राकेश के साथ चुदाई करना हर किसी के बस की बात नहीं है,” उसने ज़ूबी से कहा, तुम्हारी किस्मत अच्छी थी कि आज उसके पास सिर्फ़ आधा घंटा ही था। 

ज़ूबी उस लड़की की बातें सुनकर जोरों से हँसने लगी। 
 
ज़ूबी ने कईं घंटे वहाँ गुज़ारे। हर घंटे बाद उसका बुलावा आ जाता और वो फिर किसी कमरे में मर्द के साथ चुदाई करती। मर्द अपना वीर्य उसकी चूत में डाल कर चले जाते। उसे अपने इस वेश्यापन पर हैरानी हो रही थी।
 
ज़ूबी अब समझ गयी थी कि उसका शरीर अब उसका नहीं रहा था, वो तो राज की मल्कियत बन चुका था, या फिर इस वेश्यालय की माल्किन उस औरत का या फिर उस मर्द का जिसकी जेब में चंद रुपये हैं उसका शरीर खरीदने के लिये। वक्त ने उसकी ज़िंदगी को एक नर्क बना के रख दिया था।
 
ज़ूबी एक ब्रा और पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने हॉल में बैठी थी। वो अपनी आने वाली ज़िंदगी के बारे में सोच रही थी। उसने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि उसे चाहे जो करना पड़े वो अपनी ज़िंदगी को किसी के हाथों का खिलौना नहीं बनने देगी। वो अपनी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से जियेगी, किसी की कठपुतली बनकर नहीं। काफी मेहनत और लगन से आज वो अपने कैरियर के इस मुकाम तक पहुँची थी और फिर उसी मेहनत से वो अपनी ज़िंदगी को वापस सही राह पर लाकर रहेगी।
 
ज़ूबी इस मकान की व्यस्तता देखकर हैरान थी। हर उम्र के मर्द अपने शरीर की भूख मिटाने यहाँ आते थे। पर उसे आश्चर्य इस बात का था कि जब भी वो लाइन में खड़ी होती थी हर बर वो ही ग्राहकों द्वारा चुनी जाती थी। दूसरी लड़कियों को मौका तभी लगता था जब वो किसी मर्द के साथ कमरे में होती थी।
 
एक बार तो वो हैरान रह गयी। हुआ ऐसा कि दो दोस्त उस वेश्यालय में आये। ज़ूबी समेत उस समय हॉल में चार लड़कियाँ थी। जब वो दोनों दोस्त पसंद करने के लिये लड़कियों को देख रहे थे तो एक मर्द ने उसे पसंद किया, मैं इसके साथ जाना चाहता हूँ,” कहकर उसने अपना हाथ बढ़ा दिया।
 
जब ज़ूबी उसका हाथ पकड़ कर कमरे में जा रही थी तो उसने दूसरे मर्द को कहते सुना,मेरे दोस्त का होने के बाद मैं भी इसी लड़की के साथ जाना चाहुँगा, तब तक मैं इंतज़ार करता हूँ।
 
ज़ूबी उसकी बात सुनकर हैरान रह गयी, उसने माल्किन से पूछा, क्या ये ऐसा कर सकता है?”
 
उसके साथ वाला मर्द और वो औरत दोनों ज़ूबी की बात सुनकर हँसने लगे।
 
सिमरन,” उस औरत ने जवाब दिया, ग्राहक यहाँ पर भगवान की तरह है। वो जो चाहे कर सकता है वो औरत फिर हँसने लगी।
 
ज़ूबी उस मर्द का हाथ पकड़ कर दूसरे छोटे से कमरे में चली गयी। उसे पता था कि एक और लंड बाहर उसका इंतज़ार कर रहा है।
 
* * * * * * *
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#82
प्रशाँत दिल्ली के फाइव स्टार होटल में बड़ी दुविधा में चहल कदमी कर रहा था। उसने बड़ा जोखिम भरा कदम उठाया था। अगर किसी को पता चल गया कि वो किसी वेश्या से मिलने यहाँ आया है तो उसका कैरियर बर्बाद हो सकता था। 

वो अभी नहाकर बाथरूम से बाहर आया था। इतनी सर्दी में भी उसके माथे पर पसीना  आ रहा था। उसे मालूम था कि वो जोखिम उठा रहा है पर वो भी अपने दिल के हाथों मजबूर था। 
 
जबसे वो दिल्ली पहुँचा था उसका लंड घोड़े की तरह तन कर खड़ा था। उसने फोन पर उस मैडम को यकीन दिलाया था कि वो एक पैसे वाला इंसान है। उसने उस औरत को साफ़ बता दिया था कि उसके आने की खबर किसी को नहीं होनी चाहिये थी। उसने अपनी पसंद के बारे में भी बता दिया था। उस मैडम ने उसे भरोसा दिलाया था कि वो उसकी हर जरूरत को पूरा करेगी।
 
जैसे ही उसकी टैक्सी उस मैडम के बंगले की तरफ़ जा रही थी, प्रशाँत सोच रहा था कि उसे आगे क्या करना है। क्या ज़ूबी उसे यहाँ मिलेगी और वो अपना बदला ले पायेगा। उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा। बीस मिनट में उसे पता चल जायेगा कि वो अपने मक्सद में कितना कामयब होगा।
 
* * * * * *
 
ज़ूबी बिस्तर का किनारा पकड़ कर घोड़ी बनी हुई थी। उसकी टाँगें पूरी तरह फ़ैली हुई थी और उसकी गाँड हवा में ऊपर को उठी हुई थी। एक तगड़ा सा पहाड़ी मर्द पीछे से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था।
 
ज़ूबी ने अपना चेहरा तकिये से टिकाया हुआ था और वो सामने लगे आइने में देख रही थी कि किस तरह वो मर्द उछल-उछल कर उसे चोद रहा था। ज़ूबी सोच रही थी कि कैसे कईं बार उसके शौहर ने उसे इस अवस्था में चोदा था, और हर बार उसे उतना ही मज़ा आता था जब वो अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ कर उसकी पीठ पर लुढ़क जाता था। उसके शौहर का मोटा और लंबा लंड उसे कितना मज़ा देता था।
 
पर आज वो अपनी मर्ज़ी के खिलाफ़ हर उस लंड को अपनी चूत में लेने पर विवश थी, चाहे वो लंड उसे पसंद है या नहीं। पर लंड चाहे जैस भी हो, जब भी कोई उसे इस आसान में चोदता था तो उसके शरीर की उत्तेजना और बढ़ जाती थी। और आज भी वैसा ही हो रहा था -- फिर उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था। ना चाहते हुए भी उसका शरीर उस मर्द की ताल से ताल मिला कर चुदाई का आनंद ले रहा था।
 
* * * * *
 
प्रशाँत ने आखिरी बार अपने सेल फोन से उस मैडम का नंबर मिलाया, मैं बस पहुँचने ही वाला हूँ, सब तैयारी वैसे ही है ना जैसे मैंने कहा था।
 
हाँ आप आ जाइये, सब कुछ वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे उस औरत ने जवाब दिया।
 
* * * * *
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#83
Bohat zordaar.... garmagarm kahani.... agla update jaldi post karo bhai
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#84
(09-06-2020, 01:46 AM)ShakirAli Wrote: Bohat zordaar.... garmagarm kahani.... agla update jaldi post karo bhai

thanks
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#85
उस पहाड़ी मर्द ने एक हुँकार मारते हुए अपना वीर्य ज़ूबी की चूत में छोड़ दिया। फिर उसने कपड़े पहने और कमरे से चला गया। ज़ूबी का पानी नहीं छूटा था और वो निराश होते हुए नहाने के लिये बाथरूम मे घुस गयी। नहाने के बाद उसने अपना मेक-अप ठीक किया और अपनी ब्रा और पैंटी पहन ली। वो अपनी हाई हील की सैंडल पहन ही रही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई और उस औरत ने बाथरूम में कदम रखा। 

सब कुछ ठीक है ना?” ज़ूबी ने उस औरत से पूछा। 
 
हाँ रानी सब ठीक है,” उस औरत ने जवाब दिया, तुम कितना अच्छा काम कर रही हो, मुझे नाज़ है तुम पर।
 
ज़ूबी जानती थी कि इस औरत से ज्यादा बात करने में कोई फायदा नहीं है। उसने जबर्दस्ती उस औरत को देख कर मुस्कुरा दिया,थैंक यू,” उसने जवाब दिया। ज़ूबी सोच रही थी कि आज उसके वेश्या होने की तारीफ हो रही थी, काश ये तारीफ उसके काम के लिये होती।
 
मैं मिस्टर राज को बताऊँगी कि तुमने कितना अच्छा काम किया है,” उस औरत ने कहा।
 
मुझे अच्छा लगेगा अगर आप मिस्टर राज से ये कहेंगी तो,” ज़ूबी ने जवाब दिया।
 
तुम्हें पता है ना कि मिस्टर राज कितने ताकतवर और पहुँच वाले इंसान हैं, पता है ना तुम्हें?” उस औरत ने कहा।
 
ज़ूबी ने अपनी गर्दन हाँ में हिला दी।
 
और उसी तरह उनके दोस्त भी,” उस औरत ने आगे कहा, उनका एक दोस्त यहाँ अभी आने वाला है, और उसके अपने कुछ नियम हैं। हमें उन नियमों का पालन करना है... खास तौर पर तुम्हें, और एक बात... तुम्हारा भविष्य भी इसी बात पर निर्भर करता है।
 
* * * * * *
 
ज़ूबी एक खास कमरे में बिस्तर पर बैठी थी। उसे इस कमरे में चुपचाप इंतज़ार करने को कहा गया था। उसे कईं बार कमरे के बाहर से कदमों की आहट सुनायी देती जो दूसरे कमरे में जाकर बंद हो जाती। थोड़ी ही देर में उसे कुछ कदमों की आहट सुनायी दी जो शायद उसी के कमरे की तरफ आ रही थी।
 
तभी दरवाज़ा खुला और सबसे पहले उस मैडम ने कमरे में कदम रखा। उसके पीछे एक जवान लड़की ने ब्रा और पैंटी पहने कदम रखा। वो लड़की बड़ी सहानुभूती से ज़ूबी को देखने लगी। वो सोच रही थी कि पता नहीं इस लड़की पे क्या गुज़रेगी।
 
तभी प्रशाँत ने कमरे में कदम रखा।
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#86
प्रशाँत बड़ी कामुक नज़रों से उस जवान वकील को देख रहा था जो उसके ऑफिस में काम करती थी। जो लड़की हमेशा अपने यौवन को टाइट ब्लाऊज़ और स्कर्ट में छिपा कर रखती थी आज सिर्फ ब्रा पैंटी और सैंडल पहने करीब-करीब नंगी उसके सामने बिस्तर पर बैठी थी। 

प्रशाँत एक चुंबकिय आकर्षण की तरह उसके तराशे हुए बदन को देख रहा था। वो चुप चाप बिस्तर पर बैठी थी। हालाँकि उसकी चूत और चूचियाँ छुपी हुई थी फिर भी उसकी मांसल और पतली टाँगें, और तराशा हुआ बदन ठीक वैसा ही दिख रहा था जैसे उसने हमेशा मुठ मारते हुए सपने में देखा था। उसके गुलाबी और पतले होंठ ऐसे लग रहे थे जैसे उनमें शहद भरा हुआ हो। उसका सुंदर चेहरा काफी मादक लग रहा था और उसकी आँखों पर एक सिल्क की पट्टी बंधी थी, ठीक जैसे उसने चाहा था। 
 
सीमा यहीं रुकेगी, अगर आपको किसी तरह की मदद की जरूरत हो तो ये आपकी सहायता करेगी,” मैडम ने प्रशाँत से कहा और ज़ूबी की और इशारा करते हुए कहा, ये सुंदर कन्या आप जैसे चाहेंगे आपकी सेवा करेगी, आपको किसी तरह की शिकायत नहीं होगी... ये मेरा वादा है।
 
मैडम की बात सुनकर उसका लंड पैंट के अंदर हुँकार मारने लगा,जैसे मैं चाहुँगा वैसे सेवा करेगी,” ये सोच कर वो मुस्कुराने लगा।
 
ज़ूबी ने तभी दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ सुनी। कमरे में गूँजती कपड़ों की सर्सराहट से उसे लगा कि अब वो अपने कपड़े उतार रहा है।
 
ज़ूबी ने तभी उस मर्द के हाथों को अपने कंधों पर महसूस किया। फिर वो हाथ कंधों से नीचे उसकी कमर पर आये और फिर उसके हाथ को पकड़ लिया। प्रशाँत ने उसके हाथ को पकड़ कर उसे बिस्तर से नीचे उतारा और खड़ा कर दिया। वो अपने सैंडल पहने हुए पैरों से चलती हुई दो तीन कदम आगे बढ़ कर कमरे के बीच में खड़ी हो गयी। उसे उस मर्द का एहसास तो हो रहा था पर वो कह नहीं सकती थी कि वो कमरे में कहाँ खड़ा था।
 
प्रशाँत असल में ज़ूबी से दूर हट गया था। वो बिस्तर के सामने पड़ी चमड़े की कुर्सी पर नंगा बैठा अपनी उस नौजवान सहयोगी को देख रहा था। उसका लंड अभी पूरी तरह तना नहीं था, फिर भी उत्तेजना में हुँकार रहा था। उसने सीमा को ज़ूबी की ब्रा उतारने का इशारा किया।
 
सीमा ने उसकी ब्रा के हुक खोले और फिर ब्रा के स्ट्रैप को उसके कंधों से निकाल कर ब्रा को ज़मीन पर गिर जाने दिया। ज़ूबी ने अपनी ब्रा को अपने पैरों पर गिरते हुए महसूस किया।
 
प्रशाँत ने अब सीमा को ज़ूबी के निप्पलों से खेलने का इशारा किया। सीमा ने आगे बढ़ कर ज़ूबी की चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। वो उसकी चूचियों को अपने हाथों मे तौलने लगी और फिर अपनी अँगुली और अंगूठे से उसके निप्पल को भींचने लगी। तुरंत ही उसके निप्पल तन कर खड़े हो गये।
 
सीमा जानती थी कि प्रशाँत उसे रुकने को कहने वाला नहीं था, इसलिए अब वो उसकी चूचियों को मसल रही थी और निप्पल को भींच रही थी। ज़ूबी ने अपने हाथ सीमा के कंधों पर रख दिये जिससे उसे खड़े होने मे आसानी हो। सीमा की हर्कतों ने उसकी चूत में खुजली मचा दी थी और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी।
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#87
सीमा ने पलट कर प्रशाँत की ओर देखा और ज़ूबी की पैंटी की ओर इशारा किया। प्रशाँत ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी। 

सीमा ने अपने घुटने थोड़े से मोड़े और अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी की पैंटी की इलास्टिक में फँसा दी। प्रशाँत हैरानी भारी नज़रों से सीमा को ज़ूबी की पैंटी उतारते हुए देख रहा था। उसका लंड अब पूरी तरह से तन गया, और लंड की नसें इतनी फूल गयी थी कि उससे सहन नहीं हो रहा था। उसने अपने लंड को अपनी हथेली में लिया और हिलाने लगा। उसे डर था कि कहीं ज़ूबी को छूने से पहले ही कहीं उसका लंड पानी न छोड़ दे। 
 
ज़ूबी आँखों पर पट्टी बाँधे हुए, नंगी उस ठंडे कमरे में सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी, उसके निप्पल उत्तेजना में तने हुए थे और उसकी छोटी और गुलाबी चूत उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़ उत्तेजना में छू रही थी।
 
प्रशाँत ध्यान से उसकी चूत देख रहा था। उसे लगा कि ज़ूबी ने हाल ही में अपनी चूत की बड़े सलीके से वैक्सिंग की थी। उसने देखा कि उसकी चूत अब चुदने के लिये एकदम तैयार थी।
 
सीमा अब अपनी अँगुलियाँ उसकी चूत पर फ़िराने लगी। जैसे ही सीमा की अँगुलियों ने ज़ूबी की चूत के दाने को छुआ, उसके शरीर में उत्तेजना की एक नयी लहर सी दौड़ गयी। सीमा ने उस दाने को अपनी अँगुलियों में लिया और मसलने लगी। ना चाहते हुए भी ज़ूबी के मुँह से हल्की सी सिस्करी निकल पड़ी, ओहहहहह आआआआहहहहह,” और उसके कुल्हे अपने आप ही आगे को हो गये।
 
सीमा ने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर रखी तो उसने महसूस किया कि ज़ूबी की चूत किस हद तक गीली हो चुकी थी। सीमा ने अपनी अँगुली उसकी चूत के अंदर घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी। उसकी इस हर्कत से उसकी चूत से जो आवाज़ निकल रही थी वो कमरे में सभी को उत्तेजित करने के लिये काफी थी।
 
ज़ूबी उत्तेजना और मस्ती में इस कदर खो गयी थी कि जब सीमा ने उसकी चूत से अँगुली निकाली तो पागल सी हो गयी। उसका मुँह खुला का खुला रह गया था और वो गहरी साँसें ले रही थी।
 
सीमा ने अपनी अँगुली बाहर निकाली और उसका हाथ पकड़ कर उसे वहाँ ले गयी जहाँ प्रशाँत कुर्सी पर बैठा था। जब ज़ूबी के घुटनों ने प्रशाँत की टाँगों को छुआ तो उसने महसूस किया कि वो मर्द अब उसके सामने था।
 
ज़ूबी शांति से प्रशाँत के सामने खड़ी थी, उसकी साँसें थमी तो नहीं थी फिर भी उसने अपने मुँह को कस कर बंद कर लिया था। तभी उसने एक मोटी अँगुली को अपनी चूत में घुसते हुए महसूस किया। वो अँगुली आराम से उसकी चूत में घुस गयी और उसके बहते रस से भीग गयी।
 
ज़ूबी को हैरानी हुई कि वो अँगुली जिस तेजी से उसकी चूत के अंदर घुसी थी उतनी ही तेजी से बाहर आ गयी। उसे और हैरानी हुई जब वो अँगुली जबर्दस्ती उसके अध-खुले होठों से उसके मुँह मे घुस गयी। उसका दिमाग हैरान था कि वो उस मर्द की अँगुली पर लगे अपने ही रस का स्वाद ले रही थी।
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#88
इसे चूस कर साफ़ करो?” सीमा ने उसके कान मे धीरे से कहा। 

ज़ूबी ने अपने मुँह में उस अँगुली को कसा और जीभ में फँसा कर चूसने लगी। प्रशाँत ने अपनी अँगुली उसके मुँह से बाहर निकाली और उसे खिंच कर अपनी और झुका लिया। ज़ूबी की चूचियाँ अब उसकी छाती को छू रही थी। 
 
प्रशाँत ने खींच कर उसे अपने सामने इस तरह खड़ा कर लिया कि उसका लंड ज़ूबी के पीठ को छू रहा था। प्रशाँत अब अपना हाथ उसके चूतड़ों पर फिराने लगा। ज़ूबी नहीं जानती थी कि ये मर्द उससे क्या चाहता है, फिर भी उसने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे उसे आसानी हो।
 
प्रशाँत ने उसके चूतड़ों को सहलाते हुए अचानक अपनी अँगुली उसकी चूत में घुसा दी। थोड़ी देर अँगुली को अंदर बाहर करने के बाद उसने अपनी अँगुली बाहर निकाली और उसकी गाँड के छेद पर फिराने लगा। ज़ूबी ने महसूस किया कि उसकी चूत से  पानी बह कर उसकी चूत के बाहरी हिस्सों के साथ उसकी जाँघों और टाँगों तक बह रहा है।
 
प्रशाँत अब अपनी गीली अँगुलियों से उसकी गाँड के छेद मे अपनी अँगुली घुसाने की कोशिश करने लगा।
 
नहीं वहाँआँआँ नहीं,” ज़ूबी जोर से चिल्लायी।
 
ज़ूबी ने हाथ पैर पटक कर बहुत कोशिश की कि वो उस मर्द को उसकी गाँड में अँगुली डालने से रोक सके, पर वो सफ़ल ना हो सकी। उस मर्द के मजबूत हाथ और साथ में सीमा कि पकड़ ने उसे ऐसा करने नहीं दिया। अचानक उसे अपनी गाँड मे जोरों का दर्द महसूस हुआ। उस मर्द की अँगुली उसकी गाँड में घुस चुकी थी।
 
ज़ूबी की छटपटाहट और दर्द देख कर प्रशाँत को मज़ा आने लगा था। उसने उसे और परेशान करने के लिये जोर से उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार दिया।
 
ज़ूबी के चूतड़ों पर पड़ते थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूँज उठी। दर्द के मारे ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये। एक तो गाँड में अँगुली का अंदर बाहर होना और साथ में इतनी जोर के थप्पड़ - उसे बेहताशा दर्द हो रहा था।
 
ज़ूबी प्रशाँत के थप्पड़ों से बचने के लिये विरोध करती रही और प्रशाँत था कि अब जोरों से उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था।
 
आआआआआवववव ओंओंओंओंओं,” ज़ूबी सुबक रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे। आज से पहले कभी किसी ने उसे मारना तो दूर की बात है, कभी छुआ तक नहीं था।
 
सीमा से भी ये देखा नहीं गया और वो बोल पड़ी, रुक जाओ मत करो ऐसा।
 
पर जैसे प्रशाँत के कानों पे उसकी आवाज़ का कोई असर नहीं हुआ।
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#89
अपनी टाँगें थोड़ी फ़ैलाओ?” प्रशाँत ने ज़ूबी से कहा।

ज़ूबी की समझ में आ गया कि विरोध करना बेकार था, ये मर्द कुछ सुनने या मानने वाला नहीं था। उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी। 
 
ज़ूबी का सिर शरम से झुक गया था कि सीमा के सामने वो मर्द उसे नंगा निहार रहा रहा है। अचानक प्रशाँत की अंगुलियाँ उसकी चूत के मुहाने पर चलने लगी तो ज़ूबी सिसक पड़ी। उसकी मोटी अँगुली उसकी चूत में घुस रही थी, और उसके शरीर में कामुक्ता की एक लहर सी दौड़ रही थी। ज़ूबी ने बहुत कोशिश की कि वो स्थिर खड़ी रहे पर उसने उत्तेजना में खुद-ब-खुद टाँगें इस कदर फैला दी कि उस मर्द की अँगुली आसानी से उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगी।
 
तभी ज़ूबी ने महसूस किया कि वो मर्द अब दो अँगुलियाँ उसकी चूत के अंदर डाल कर चोद रहा है। प्रशाँत ने अपनी अँगुलियाँ अच्छी तरह से उसकी चूत के पानी से गीली कर ली और अब उसकी गाँड के छेद पे फ़िराने लगा।
 
ज़ूबी ने इस बर कोई विरोध नहीं किया और उसकी अँगुली उसकी कसी हुई गाँड मे घुस गयी।
 
ओहहहहह आआआहहहह ज़ूबी सिसक पड़ी।
 
थोड़ी देर उसकी गाँड मे अँगुली करने के बाद उसने अपनी अँगुली बाहर निकाल ली। उसने सीमा को ज़ूबी की दोनों बांहें कस के पकड़ने का इशारा किया और खुद ज़ूबी के पीछे आकर खड़ा हो गया। उसका लंड मूसल खूँटे कि तरह तन कर खड़ा था।
 
ज़ूबी कुर्सी पर इस तरह थी कि उसके घुटने तो कुर्सी पर थे और दोनों बांहें हथे पर। सीमा ने उसकी दोनों बांहें कस कर पकड़ रखी थी। ज़ूबी ने महसूस किया कि वो मर्द अब उसके पीछे खड़ा होकर अपना खूँटे जैसा लंड उसकी गाँड के छेद पर घिस रहा है।
 
प्रशाँत ज़ूबी को कुर्सी पर झुका हुआ देख रहा था। उसकी गुलाबी चूत पीछे से उभर कर बाहर को निकल आयी थी। उसने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और अंदर घुसाने लगा। उसे कोई जल्दी नहीं थी, वो आराम से अपने लंड को थोड़ा-थोड़ा अंदर पेल रहा था। जब उसका पूरा लंड ज़ूबी की चूत में घुस गया तो वो बड़े आराम से अपनी सहकर्मी को चोदने लगा।
 
थोड़ी देर उसकी चूत चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी चूत के ऊपर गाँड के छोटे छेद पर घिसने लगा। उसने ज़ूबी के चूतड़ पकड़ कर थोड़ा फ़ैलाये और अपना लंड अंदर घुसाने लगा।
 
नहीं वहाँआँआँ नहींईंईंईं,” ज़ूबी चींख पड़ी, प्लीज़ वहाँ नहींईंईं।
 
पर जैसे ज़ूबी की चींख का उस पर कोई असर नहीं पड़ा। सीमा ने ज़ूबी की बांहें कस कर पकड़ रखी थी जिससे वो कोई विरोध ना करे। वैसे तो सीमा मन से इस क्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी पर उसने देखा कि ज़ूबी सिर्फ़ मुँह से ही विरोध कर रही थी शरीर से नहीं।
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#90
जैसे ही प्रशाँत ने अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया, ज़ूबी ने महसूस किया कि उसके शरीर की गर्मी और बढ़ गयी। उसे लगा कि जैसे कोई गरम लोहा उसकी गाँड मे घुसा दिया हो। 

नहीं प्लीज़ नहीं,” ज़ूबी ने एक बार फिर विरोध करने की कोशिश की। 
 
पर प्रशाँत उसकी बात को अनासुना कर अपना लंड उसकी गाँड में घुसाता गया।
 
प्लीज़,” ज़ूबी फिर बोल पड़ी, मेरी चूत में डालो, मुझे अपनी चूत में लंड अच्छा लग रहा था।
 
ज़ूबी ने जब देखा कि उसकी इल्तज़ा का उस मर्द पर कोई असर नहीं हो रहा है तो उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ दिया और अपनी टाँगें और फैला दी। उसने महसूस किया कि अब उस मर्द का लंड आसानी से उसकी गाँड के अंदर बाहर हो रहा है।
 
प्रशाँत अब उसकी गाँड में धक्के लगा रहा था। ज़ूबी ने सीमा के हाथों को कस कर पकड़ रखा था जिससे वो उसके धक्कों की ताकत से गिर ना जये। जब प्रशाँत के अंडकोश ज़ूबी की चूत से टकराते तो ज़ूबी का शरीर उत्तेजना में और बिदक जाता और खुद-ब-खुद पीछे हो कर उसके लंड को अपनी गाँड में और ले लेती। ज़ूबी के शरीर  और मादकता ने फिर एक बार उसे धोखा दे दिया।
 
प्रशाँत अब कस कर धक्के मार रहा था और ज़ूबी भी आगे पीछे हो कर उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी अब अपनी खुद की दुनिया में खो गयी थी और अपने बदन में उठती गर्मी को शाँत करने में लग गयी।
 
प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी ने अपना एक हाथ नीचे को कर रखा था और उसके धक्कों के साथ-साथ अपनी चूत में अँगुली अंदर बाहर कर रही थी। प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी हर धक्के पर उसका साथ दे रही थी और थोड़ी देर में ही उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
 
जैसे ही ज़ूबी की चूत ने पानी छोड़ा, प्रशाँत ने अपना लंड उसकी गाँड से बाहर निकाल लिया। उसने ज़ूबी को घुमा कर अपने सामने घुटनों के बल कर दिया। ज़ूबी समझ गयी कि अब वो क्या चाहता है।
 
आँखों पर पट्टी बंधे होने की वजह से ज़ूबी उसके लंड को देख तो नहीं सकती थी। उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और उसके लंड पर फिराने लगी जो थोड़ी देर पहले उसकी गाँड के अंदर घुसा हुआ था। फिर अपना पूरा मुँह खोल कर उसने लंड को अंदर लिया और चूसने लगी। अब वो जोरों से अपने मुँह को ऊपर नीचे कर के उसके लंड को चूस रही थी।
 
सीमा ने पीछे से ज़ूबी की दोनों चूचियों को पकड़ा और मसलने लगी और वो एक हाथ से उसकी चूत को सहला रही थी।
 
ज़ूबी जोरों से लंड को चूस रही थी। उसने महसूस किया कि उस मर्द का लंड अकड़ने लगा है, वो समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है। ज़ूबी अब और जोरों से लंड को चूस रही थी। प्रशाँत की हुँकार कमरे में गूँजने लगी और उसने अपना गाढ़ा वीर्य ज़ूबी के मुँह मे छोड़ दिया।
 
ज़ूबी उस वीर्य को निगलने की कोशिश कर रही थी और प्रशाँत ने उसकी आँखों पर बंधी पट्टी को खोल दिया। पट्टी खुलते ही ज़ूबी ने अपने बॉस प्रशाँत की शक्ल देखी। वो हैरत भारी नज़रों से प्रशाँत को घूर रही थी जिसका लंड उसके मुँह में अंदर बाहर हो  रहा था।
 
दिल्ली से घर लौटते वक्त प्लेन में ज़ूबी बड़ी मुश्किल से अपनी आँख में आते आँसूओं को रोक पा रही थी। वो अपनी ज़िंदगी के बारे मे सोच रही थी जिसने उसे एक वकील से रंडी बना कर रख दिया था। उसने लाख सोने की कोशिश की पर बीते हुए कुछ दिनों की यादें उसे सोने नहीं दे रही थी।
 
एक बात अब भी उसकी समझ में नहीं आ रही थी कि प्रशाँत वहाँ कैसे पहुँच गया। एक बार तो उसे लगा कि मिस्टर राज ने जान-बूझ कर उसे फँसाया है। पर दिल कहता कि राज ऐसा क्यों करेगा? उसे प्रशाँत से क्या फायदा हो सकता है। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अगर ऑफिस में उसके साथियों को अगर पता चला तो वो क्या सफ़ाई देगी। और उसका शौहर तो तुरंत उसे तलाक दे देगा। इन ही सब ख्यालों में डूबी ज़ूबी ने अपने आप को नसीब के सहारे छोड़ दिया, और आने वाली ज़िंदगी का इंतज़ार करने लगी।
 
******************
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#91
Bohat hi hot kahani thi bhai..... agli kahani ka besabri se intzaar hai
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#92
No update in a long time..... where are you bro
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#93
Read my story

https://xossipy.com/showthread.php?tid=12331
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#94
(24-06-2020, 07:05 PM)Nam:);ShakirAli Wrote: No update in a long time..... where are you bro

Namaskar
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#95
(24-06-2020, 08:20 PM)Wilson Wrote: Read my story

https://xossipy.com/showthread.php?tid=12331

Smile
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#96
नये पड़ोसी

लेखक: राज अग्रवाल


मैं राज और मेरी पत्नी प्रीती मुम्बई शहर के सब-अर्ब मलाड में रहते हैं। ये कहानी करीब आज से छः महीने पहले शुरू हुई जब हमारे बगल के फ्लैट में नये पड़ोसी रहने के लिये आये।

हमारे नये पड़ोसी मिस्टर प्रशाँत एक कंसल्टेंट हैं, और उनकी पत्नी बबीता एक घरेलू महिला थी। वैसे तो मुम्बई इतना व्यस्त शहर है कि यहाँ किसी को किसी के लिये फुर्सत ही नहीं है। नये पड़ोसी होने के नाते हमारी जान पहचान बढ़ी और हम दो परिवार काफी घुल मिल गये थे। 
 
मैं और मेरी पत्नी प्रीती के विचार एक समान थे। हम दोनों खुले सैक्स में विश्वास रखते थे। शादी के पहले ही हम दोनों सैक्स का मज़ा ले चुके थे। हम दोनों अपनी पूरानी सैक्स घटनाओं के बारे में अक्सर एक दूसरे को बताते रहते थे। चुदाई के किस्से सुनाते या सुनते वक्त प्रीती इतनी उत्तेजित हो जाती की उसकी चूत की प्यास मिटाना कभी मुश्किल हो जाता था।
 
मैंने और प्रीती ने इस शनिवार को प्रशाँत और बबीता को अपने यहाँ खाने की दावत दी। दोनों राज़ी हो गये। प्रशाँत एक शानदार व्यक्तित्व का मालिक था, ६’२ ऊँचाई और कसरती बदन। बबीता भी काफी सुंदर थी, गोल चेहरा, लंबी टाँगें और खास तौर पर उसकी नीली आँखें। पता नहीं उसकी आँखों में क्या आकर्षण था कि जी करता हर वक्त उसकी आँखों में इंसान झाँकता रहे।
 
शनिवार की शाम ठीक सात बजे प्रशाँत और बबीता हमारे घर पहुँचे। प्रशाँत ने शॉट्‌र्स और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिससे उसका कसरती बदन साफ़ झलक रहा था। बबीता ने कॉटन का टॉप और जींस पहन रखी थी। उसके कॉटन के टॉप से झलकते उसके निप्पल साफ़ बता रहे थे की उसने ब्रा नहीं पहन रखी है। उसकी काली जींस भी इतनी टाईट थी की उसके चूत्तड़ों की गोलाइयाँ किसी को भी दीवाना कर सकती थी। उसके काले रंग के ऊँची हील के सैंडल उसकी लंबी टाँगों को और भी सैक्सी बना रहे थे। उसे इस सैक्सी पोज़ में देख मेरे लंड में सरसराहट होने लग गयी थी।
 
मैंने देखा की प्रीती प्रशाँत की और आकर्षित हो रही है। वो अपने अधखुले ब्लाऊज़ से प्रशाँत को अपनी चूचियों के दर्शन करा रही थी। आज प्रीती अपनी टाईट जींस और लो-कुट टॉप में कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही थी। वहीं बबीता भी मेरे साथ ऐसे बरताव कर रही थी जैसे हम कई बरसों पुराने दोस्त हों।
 
हम चारों आपस में ऐसे बात कर रहे थे कि कोई देख के कह नहीं सकता था कि हमारी जान पहचान चंद दिनों पूरानी है। पहले शराब का दौर चला और फिर खाना खाने के बाद हम सब ड्राईंग रूम में बैठे थे।
 
मैंने स्टीरियो पर एक री-मिक्स की कैसेट लगा दी। बबीता ने खड़ी हो कर प्रशाँत को डाँस करने के लिये कहा, किंतु उसने उसे मना कर दिया। शायद उसे नशा हो गया था, मगर उसने बबीता को मेरे साथ डाँस करने को कहा। बबीता ने मुझे खींच कर खड़ा कर दिया।
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#97
हम दोनों गाने की धुन पर एक दूसरे के साथ नाच रहे थे। बबीता ने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर रख हुए थे और मुझसे सटते हुए नाच रही थी। उसके बदन की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी कमर पे रख उसे अपने और करीब खींच लिया। 

उसके बदन की गर्माहट और बदन से उठती खुशबू ने मुझे मजबूर कर दिया और मैंने कसके उसे अपनी छाती से चिपका लिया। मेरा लंड उसकी चूत पे ठोकर मार रहा था। तभी मुझे खयाल आया कि मेरी बीवी और उसका पति भी इसी कमरे में हैं। मैंने गर्दन घुमा के देखा तो पाया की प्रीती प्रशाँत को खींच कर डाँस के लिये खड़ा कर चुकी है। 
 
शायद मेरी बीवी की सुंदरता और खुलेपन ने प्रशाँत को डाँस करने पे मजबूर कर दिया था, इसलिए वो प्रीती को मना नहीं कर पाया। दोनों एक दूसरे को बांहों में ले हमारे पास ही डाँस कर रहे थे। नाचते-नाचते प्रीती ने लाईट धीमी कर दी। कमरे में बहुत ही हल्की रोशनी थी। हम चारों कामुक्ता की आग में जल रहे थे।
 
बबीता मुझसे और चिपकती हुई मेरे कान में बोली, अच्छा है थोड़ा अंधेरा हो गया।
 
मैंने उसे और कस के अपनी बांहों में ले अपने होंठ उसके होंठों पे रख दिए। उसने भी सहयोग देते हुए अपना मुँह खोल दिया और जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ चुभलाने लगे।
 
मेरे दोनों हाथ अब उसके चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो कामुक हो मेरी पीठ को कस के भींच लेती थी। मेरा लंड पूरा तन कर उसकी चूत को जींस के ऊपर से ही रगड़ रहा था। अच्छा था कि वो हाई हील की सैंडल पहनी हुई थी जिससे की उसकी चूत बिल्कुल मेरे लंड के स्तर तक आ रही थी। बबीता ने अपने आप को मुझे सोंप दिया था। मैंने पीछे से अपने दोनों हाथ उसकी जींस में डाल दिए और पाया की उसने पैंटी नहीं पहनी हुई है। मेरे हाथ अब उसके मुलायम चूत्तड़ों को जोर से भींच रहे थे, वो भी उत्तेजित हो अपनी चूत मेरे लंड पे रगड़ रही थी।
 
मेरी बीवी प्रीती का खयाल आते ही मैंने गर्दन घुमा के देखा तो चौंक पड़ा। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए गाने की धुन पर डाँस कर रहे थे। प्रशाँत के हाथ प्रीती के शरीर पर रेंग रहे थे। प्रीती भी उसे अपने बांहों में भर उसके होंठों को चूस रही थी।
 
मैं बबीता को बांहों में ले इस पोज़िशन में डाँस करने लगा कि मुझे प्रीती और प्रशाँत साफ़ दिखायी पड़ें। चार साढ़े-चार इंच की हाई हील की सैंडल पहने होने के बावजूद प्रीती प्रशाँत के कंधे तक मुश्किल से ही पहुँच पा रही थी। प्रशाँत का एक हाथ प्रीती की चूचियों को सहला रहा था और दूसरा हाथ दूसरी चूँची को सहलाते हुए नीचे की और बढ़ रहा था, और नीचे जाते हुए अब वो उसकी चूत को उसकी टाईट जींस के ऊपर से सहला रहा था।
 
मुझे हैरानी इस बात की थी कि उसे रोकने कि बजाय प्रीती प्रशाँत को सहयोग दे रही थी। उसने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे प्रशाँत के हाथों को और आसानी हो। पर मैं कौन होता हूँ शिकायत करने वाला। मैं खुद उसकी बीवी को बांहों में भरे हुए उसे चोदने के मूड में था। 
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#98
मेरे भी हाथ बबीता के चूत्तड़ों को सहला रहे थे। बबीता उत्तेजना में मुझे चूमे जा रही थी। तभी मैंने देखा कि प्रशाँत ने अपना एक हाथ प्रीती के टॉप में डाल कर उसके मम्मों पे रख दिया था। जब उसने प्रीती की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने हाथ पीठ की और ले जाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। मुझे उस पारदर्शी टॉप से साफ दिखायी दे रहा था कि प्रशाँत के हाथ अब प्रीती के मम्मों को सहला रहे थे। 

माहोल में जब चुदाई का आलम फ़ैलता है तो सब पीछे रह जाता है। मैंने भी आगे बढ़ कर बबीता के चूत्तड़ से हाथ निकाल उसकी जींस के बटन खोल जींस उतार दी। पैंटी तो उसने पहनी ही नहीं थी। 
 
मैं सोच रही थी कि तुम्हें इतनी देर क्यों लग रही है। बबीता अपने सैंडल युक्त पैरों से अपनी जींस को अलग करती हुए बोली। प्लीज़ मुझे प्यार करो ना!
 
मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पे रख दिया। हाथ रखते ही मैंने पाया कि उसकी चूत एक दम सफ़ाचट थी। उसने अपनी चूत के बाल एक दम शेव किए हुए थे। बिना झाँटों की एक दम नयी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपने हाथ का दबाव बढ़ा दिया और उसकी चूत को जोर से रगड़ने लगा। मैंने अपनी एक अँगुली उसकी चूत के मुहाने पर घुमायी तो पाया कि उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
 
तुम अपनी अँगुली मेरी चूत में क्यों नहीं डालते, जिस तरह मेरे पति ने अपनी अँगुली तुम्हारी बीवी की चूत में डाली हुई है। उसने कहा तो मैंने घूम कर देखा और पाया कि प्रशाँत का एक हाथ मेरी बीवी की चूचियों को मसल रहा है और दूसरा हाथ उसकी खुली जींस से उसकी चूत पे था। उसके हाथ वहाँ क्या कर रहे थे मुझे समझते देर नहीं लगी।
 
अचानक मेरी बीवी प्रीती ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ़ देखा। वो एक अनजान आदमी के हाथों को अपनी चूत पे महसूस कर रही थी और मैं एक परायी औरत की चूत में अँगुली कर रहा था। वो मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुरायी और मैं समझ गया कि आज की रात हम दोनों के ख्वाब पूरे होने वाले हैं। प्रीती मुस्कुराते हुए अपनी जींस और पैंटी पूरी उतार कर नंगी हो गयी।
 
जैसे ही उसने अपनी जींस और पैंटी उतारी, उसने प्रशाँत के कान में कुछ कहा। प्रशाँत ने उसकी ब्रा और टॉप भी उतार दिए। अब वो एक दम नंगी उसकी बांहों में थी। प्रशाँत  के हाथ अब उसके नंगे बदन पर रेंग रहे थे।
 
लगता है हम उनसे पीछे रह गये। कहकर बबीता ने मुझसे अलग होते हुए अपना टॉप उतार दिया। जैसे हम किसी प्रतिस्पर्धा में हों। बबीता अब बिल्कुल नंगी हो गयी, उसने सिर्फ पैरों में हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे।
 
लगता है कि हमें उनसे आगे बढ़ना चाहिए,” कहकर बबीता ने मेरी जींस के बटन खोल मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और मेरा लंड उसके हाथों की गर्माहट से तनता जा रहा था। बबीता एक अनुभवी चुदक्कड़ औरत की तरह मेरे लंड से खेल रही थी।
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#99
मैं भी अपनी जींस और अंडरवियर से बाहर निकल नंगा बबीता के सामने खड़ा था। बबीता ने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया, जो तन कर सढ़े आठ इंच का हो गया था। बहुत मोटा और लंबा है कहकर बबीता लंड को दबाने लगी।

 
मैंने घूम कर देखा तो पाया कि मेरी बीवी मुझसे आगे ही थी। प्रीती प्रशाँत के सामने घुटनों के बल बैठी उसके लंड को हाथों में पकड़े हुए थी। प्रशाँत का लंड लंबाई में मेरे ही साईज़ का था पर कुछ मुझसे ज्यादा मोटा था। प्रीती उसके लंड की पूरी लंबाई को सहलाते हुए उसके सुपाड़े को चाट रही थी।
 
मुझे पता था कि प्रीती की इस हर्कत का असर प्रशाँत पर बुरा पड़ने वाला है। प्रीती लंड चूसने में इतनी माहिर थी कि उसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता था। उसका लंड चूसने का अंदाज़ ही अलग था। वो पहले लंड के सुपाड़े को अपने होठों में ले कर चूसती और फिर धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह में भींचती हुई नीचे की और बढ़ती जिससे लंड उसके गले तक चला जाता। फिर अपनी जीभ से चाटते हुए लंड ऊपर की और उठाती। यही हर्कत जब वो तेजी से करती तो सामने वाले की हालत खराब हो जाती थी।
 
इसी तरह से वो प्रशाँत के लंड को चूसे जा रही थी। जब वो उसके सुपाड़े को चूसती तो अपने थूक से सने हाथों से जोर-जोर से लंड को रगड़ती। मैं जानता था कि प्रशाँत अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पायेगा।
 
करीब दस मिनट तक प्रीती प्रशाँत के लंड की चूसाई करती रही। मैं और बबीता भी दिलचस्पी से ये नज़ारा देख रहे थे। प्रशाँत ने अपने लंड को प्रीती के मुँह से बाहर निकाला और मेरे और बबीता के पास आ खड़ा हो गया। बबीता मेरे लंड को सहला रही थी और प्रशाँत अपने होंठ बबीता के होंठों पे रख उन्हें चूमने लगा। बबीता उससे अलग होते हुए बोली,प्रशाँत! राज को बताओ न कि मुझे किस तरह की चुदाई पसंद है।
 
फिर कामुक्ता का एक नया दौर शुरू हुआ। प्रशाँत अपनी बीवी बबीता के पीछे आकर खड़ा हो गया और मुझे उसके सामने खड़ा कर दिया। फिर बबीता के माथे पे आये बालों को हटाते हुए मुझसे बोला, राज इसके होंठों को चूसो।
 
मैंने एक आज्ञाकारी शिष्य की तरह आगे बढ़ कर अपने होंठ बबीता के होठों पर रख दिए। बबीता ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। हम दोनों एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे। अब इसकी चूचियों को चूसो,” प्रशाँत ने कहा।
 
मैं नीचे झुक कर बबीता की चूँची को हाथों में पकड़ कर उसका निप्पल अपने मुँह में ले चूसने लगा। उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी और कसी हुई थी। गोल चूंची और काले सख्त निप्पल काफी मज़ा दे रहे थे।
 
दूसरी को नज़र अंदाज़ मत करो कहकर उसने बबीता की दूसरी चूँची पकड़ मेरे मुँह के आगे कर दी। मैं अपने होंठ बढ़ा कर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह मे ले चूसने लगा।
 
करीब पाँच मिनट तक मैं उसकी चूचियों को चूसता रहा, और मैंने पाया कि प्रशाँत के हाथ मेरे कंधों पे थे और मुझे नीचे की और दबा रहा था। मुझे इशारा मिल गया। कैसे एक पति दूसरे मर्द को अपनी बीवी से प्यार करना सिखा रहा था। मैंने नीचे बैठते हुए पहले उसकी नाभी को चूमा और फिर उसकी कमर को चूमते हुए अपने होंठ ठीक उसकी चूत के मुख पे रख दिए।
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जब मैं उसकी चूत पे पहुँचा तो मैं दंग रह गया। प्रशाँत ने बबीता के पीछे से अपने दोनों हाथों से उसकी चूत की पंखुड़ियाँ पकड़ के इस कदर फैला दी थीं, जिससे मुझे उसकी चूत को चाटने में आसानी हो। जैसे ही मैंने अपने जीभ उसकी चूत पे फ़िरायी, मैंने पाया कि मेरी बीवी प्रीती ठीक मेरे बगल में बैठी थी और उसकी निगाहें बबीता की चूत पे टिकी हुई थी। 

प्रशाँत को अच्छी तरह पता थी कि मर्द की कौन सी हर्कत उसकी बीवी की चूत में आग लगा सकती थी, अब अपनी जीभ से इसकी चूत के चारों और चाटो, उसने कहा। 
 
आज मैं कई सालों के बाद किसी दूसरी औरत की चूत को चाट रहा था, वो भी जब कि मेरी बीवी छः इंच की दूरी पे बैठी मुझे निहार रही थी। मैंने अपना एक हाथ बढ़ा कर प्रीती की चूत पे रखा तो पाया कि उत्तेजना में उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी। मैं अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा। मैं बबीता की चूत को चाटे जा रहा था और प्रीती मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।
 
अब इसकी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटो और करते जाओ?” प्रशाँत ने बबीता की चूत और फ़ैलाते हुए कहा। मैंने वैसे ही किया जैसा उसने करने को कहा। बबीता की चूत से उठी मादक खुशबू मुझे और पागल किये जा रही थी।
 
अब अपनी पूरी जीभ बबीता की चूत में डाल दो?” प्रशाँत ने कहा। बबीता ने भी अपनी टाँगें और फैला दी जिससे मुझे और आसानी हो सके। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे जोर से चोद रहा था। बबीता की सिस्करियाँ शुरू हो चुकी थी, हाँ राज... चूसो मेरी चूत को... निचोड़ लो मेरी चूत का सारा पानी, ओहहहहह हँआआआआआआँ!” प्रशाँत बबीता के चूत को फ़ैलाये उसके पीछे खड़ा था। मैं और तेजी से उसकी चूत को चूसने लगा। इतने में बबीता का शरीर अकड़ा और जैसे कोई नदी का बाँध खोल दिया गया हो, उस तरह से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मेरा पूरा मुँह उसके रस से भर गया। बबीता जमीन पे बैठ कर अपनी उखड़ी साँसों को संभालने लगी।
 
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद उसने मेरे चेहरे को अपने नज़दीक कर मुझे चूम लिया, राज अब मैं चुदवाने के लिये तैयार हूँ!” इतना कहकर बबीता मेरा हाथ पकड़ मुझे सोफ़े के पास ले गयी।
 
बबीता सोफ़े पे झुक कर घोड़ी बन गयी, और थोड़ा नीचे झुकते हुए उसने अपने गोरे चूत्तड़ ऊपर उठा दिए। उसकी गुलाबी और गीली चूत और उठ गयी थी। मैं अपने हाथ से उसके चूत्तड़ सहलाने लगा। फिर मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर घिसने लगा। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो प्रशाँत और प्रीती मेरे बगल में खड़े एक दूसरे के नंगे बदन को सहला रहे थे, मगर उनकी आँखें मेरे लंड पे टिकी हुई थी। मैंने अपने लंड को धीरे से बबीता की चूत में घुसा दिया।
 
बबीता की चूत काफी गीली थी और एक बार वो झड़ भी चुकी थी, फिर भी मुझे उसकी चूत में लंड घुसाने में बहुत जोर लगाना पड़ रहा था। इतनी कसी चूत थी उसकी। मैंने एक जोर का धक्का मार अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक डाल दिया और उसे चोदने लगा।
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