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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#61
ज़ूबी अपने आपको फ़िर काफी विवश पा रही थी। वो ना तो हाँ कर सकती थी ना ही ना। ज़ूबी डर और अपमान के मारे बुरी हालत में थी। पर वो जानती थी कि उसे ये सब करना पड़ेगा। वो राज की धमकी से डर सी गयी थी। जैसे ही जूली ने उसके लहँगे को उठाया ज़ूबी ने अपनी सैंडल उतारने की कोशिश की। 

जैसे ही ज़ूबी अपनी सैंडल उतारने के लिए झुकी तो जूली ने उसे रोक दिया और उससे कहा, सैंडल पहनी रहो... तुम्हारे पैरों में जंच रहे हैं... अब ऐसा करो तुम टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन जाओ, मैं तुम्हारे इस घाघरे को अच्छी तरह से तुम्हारी कमर तक उठा देती हूँ जिससे ये खराब ना हो।

 
जूली ने ये सब इतनी अच्छी तरह से कहा था कि ज़ूबी के पास उसकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था। वो घूमी और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ कर घोड़ी बन गयी। उसने महसूस किया कि जूली ने उसके घाघरे को उसकी कमर तक उठा दिया है और अब पीछे से उसके बदन को सहला रही है।
 
थोड़ा नीचे झुको मेरी गुड़िया,” जूली ने हल्के दबाव से उसे नीचे झुक दिया। वो सोच रही थी कि कमरे के बाहर खड़े उसके परिवार वाले और रिश्तेदार क्या सोच रहे होंगे कि उन्हें बंद कमरे में इतनी देर क्यों लग रही है।
 
ज़ूबी की चिकनी और गोरी टाँगें कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। उसके कुल्हे और चूत एक सिल्क की सफ़ेद पैंटी से ढकी हुई थी। ज़ूबी का ये नज़ारा किसी भी मर्द को उत्तेजित करने के लिए काफी था।
 
राज ने महसूस किया कि उसका लंड पैंट के अंदर तनने लगा है। ये सोच कर तो उसका लंड और खड़ा हो गया कि ये नयी नवेली दुल्हन आज शादी के दिन किसी और मर्द से चुदवाने जा रही है।
 
राज ये सब सोचते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था। वहीं जूली ने धीरे से अपनी अँगुलियाँ ज़ूबी कि पैंटी में फँसायी और उसे उसके सैंडलों तक नीचे खिसका दी। फिर उसने ज़ूबी का एक-एक पैर उठा कर वो पैंटी निकाल दी। वो पैंटी उतार कर उसने उसे राज को पकड़ा दी और राज ने उसे अपने कोट की जेब में डाल दी।
 
ज़ूबी के पीछे खड़े होकर राज ने जूली को इशारा किया। उसका इशारा पा कर वो लड़की अब ज़ूबी के चूत्तड़ों को सहलाने लगी।
 
अपनी टाँगों को थोड़ा और फ़ैलाओ रानी,” जूली ने ज़ूबी से कहा।
 
ज़ूबी के मुँह से एक हल्की सी हुंकार निकली और उसने अपनी टाँगें थोड़ी सी फैला दी जिससे उसकी उभरी हुई चूत अब साफ़ दिखायी दे रही थी।
 
जूली के हाथ अब ज़ूबी की टाँगों के बीच आ गये। जूली अब अपने हाथ ज़ूबी की बिना झाँटों की साफ़ और चिकनी चूत पर फिराने लगी।
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#62
ज़ूबी को अपनी इस अवस्था पे काफी शरम आ रही थी। वो सोच रही थी कि तकदीर भी उसके साथ कैसे खेल खेल रही थी। आज ही उसके निकाह के दिन वो किसी कुत्तिया कि तरह किसी दूसरे मर्द से चुदवाने जा रही थी। 

तभी उसने किसी मर्दाने हाथों को अपने चूत्तड़ पर महसूस किया। ज़ूबी ने अपनी गर्दन घुमा कर देखना चाहा कि उसके पीछे क्या हो रहा है। राज ठीक उसके पीछे खड़ा था। उसकी पैंट और अंडरवीयर उसके घुटनों तक नीचे खिसकी हुई थी। उसका तन्नाया हुआ  लंड ठीक उसकी चूत को मुँह किये खड़ा था। जूली अब उसके लंड को उसकी चूत पर लगा रही थी। 

जूली राज के लंड को ज़ूबी की चूत पर ऊपर नीचे कर के घिस रही थी। राज ने थोड़ा सा दबाव लगाते हुए अपने लंड को ज़ूबी की चूत में घूसा दिया। जैसे ही उसका लंड ज़ूबी की चूत में घूसा, ज़ूबी को हल्का सा दर्द हुआ। ज़ूबी ने टेबल के किनारे को और कस के पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि ठीक अपने निकाह में बैठने के पहले वो किसी और मर्द से चुदवा रही थी। 
 
राज ने ज़ूबी के शरीर को काँपते हुए देखा। उसकी सूखी चूत शायद उसके मूसल लंड के लिये तैयार नहीं थी। राज ने भी कोई जोर नहीं लगाया, वो आराम और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाने लगा। वो तो ज़ूबी को सिर्फ़ ये बताना और ये एहसास दिलाना चाहता था कि वो जब और जहाँ चाहे ज़ूबी को चोद सकता है। वो ये बताना चाहता था कि ज़ूबी की शादी के बाद भी हालात यही रहने वाले हैं और बदलेंगे नहीं।
 
राज ने ज़ूबी के चूत्तड़ों को कस कर पकड़ा और अपने लंड को अंदर तक घुसा दिया। ज़ूबी की चूत गीली हो जाये इसलिये उसने अपने लंड को अंदर तक घुसा कर वहीं थोड़ी देर तक रहने दिया। फिर उसने थोड़ा सा बाहर खींचा और फिर हल्के से अंदर पेल दिया। जब उसने देखा कि ज़ूबी का मुँह खुला है और वो गहरी साँसें ले रही है तो वो समझ गया कि लौंडिया को भी मज़ा आ रहा है।
 
थोड़ी ही देर में ज़ूबी की चूत गीली हो गयी और अब राज का लंड बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था। राज ने देखा कि ज़ूबी ने अपने शरीर को पत्थर सा कर लिया जिससे वो ये अंदाज़ा ना लगा सके कि वो भी बड़े आनंद से चुदाई का मज़ ले रही है। राज इस बात की परवाह ना करते हुए उसकी चूत में जोरों से लंड को अंदर बाहर कर रहा था। राज ने जानबूझ कर कई दिनों से किसी को चोदा नहीं था, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा पानी ज़ूबी की चूत में छोड़ सके।
 
किसी लड़की को उसकी शादी से चंद मिनट पहले वो चोद रहा है, इस ख्याल ने राज के शरीर में और उत्तेजना भर दी। ये लड़की अब उसकी गुलाम है, वो जब चाहे और जैसे चाहे उसे इस्तमाल कर सकता है, और थोड़ी देर में ही वो उसकी चूत को अपने पानी से भरने वाला है।
 
वहीं ज़ूबी शरम के मारे मरी जा रही थी पर चुदाई एक ऐसी चीज़ है कि इंसान चाह कर भी अपनी उत्तेजना को छुपा नहीं सकता है। जैसे ही ज़ूबी को ये एहसास हुआ कि उसकी चूत भी पानी छोड़ने वाली है, उसके कुल्हे अपने आप ही पीछे की ओर हुए और राज के लंड को अपनी चूत के अंदर तक ले लिया।
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#63
ज़ूबी के कुल्हों को अपने शरीर से सटते देख राज और जोरों से धक्के लगाने लगा। ज़ूबी अब उसके धक्कों का साथ दे रही थी। ज़ूबी को लगा कि अब उससे सहन नहीं होने वाला है तो उसने अपना हाथ अपनी टाँगों के बीच किया और राज के अंडकोशों को पकड़ कर मसलने लगी। थोड़ी ही देर में राज के लंड ने उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। 

ज़ूबी उसकी गोलियों को मसलते हुए उससे उसका पानी निचोड़ रही थी, कि अचानक उसका शरीर काँपा। उसने अपने होंठों को दाँतों से दबा लिया जिससे उसकी उत्तेजना की चींख बाहर ना सुनायी दे सके। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। 

राज भी ज़ूबी के कुल्हों को पकड़ कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ने लगा। जब उसने देखा कि उसके अंडकोश खाली हो गये हैं और एक-एक बून्द ज़ूबी की चूत में गिर पड़ी है तो उसने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाल लिया। 
 
ज़ूबी ने अपनी साँसों पर काबू पाया और देखा कि जूली राज के लंड को अपने मुँह में ले कर चूस रही है। थोड़ी देर बाद जूली ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाला और उसे राज के अंडरवीयर में रख कर उसकी पैंट को ऊपर खींच दिया। फिर जूली उठी और ज़ूबी को कपड़े दुरुस्त करने में मदद करने लगी। फिर राज ने जाकर कमरे का दरवाजा खोल दिया। ये सब इतनी जल्दी से हुआ कि ज़ूबी को मौका ही नहीं मिला कि वो अपनी पैंटी राज से माँग सकती।
 
जैसे ही उसके परिवार वाले और उसके मेहमान कमरे में आये, राज ने बड़ी विनम्रता से उनसे बात की और जूली को अपने साथ ले कर वहाँ से चला गया। ज़ूबी बड़ी डरी और सहमी हुई सी कमरे के बीचों बीच खड़ी थी, उसे डर था कि कहीं किसी को उस पर कोई शक ना हो जाये। जब निकाह का वक्त हो गया तो उसकी सहेलियाँ उसे लेकर नीचे आ गयीं।
 
ज़ूबी अपनी सहेलियों का हाथ पकड़े निकाह वाले हॉल की ओर आ रही थी। कमरा  मेहमानों से भरा पड़ा था और सभी ज़ूबी को देख मुस्कुरा रहे थे। मिस्टर राज और जूली पास ही खड़े थे। वो राज से नज़रें बचाते हुए दूसरे मेहमानों की ओर देख मुस्कुरा रही थी, कि तभी उसने महसूस किया कि राज का वीर्य उसकी चूत से बहकर उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को और उसकी टाँगों को गीला कर रहा है।
 
* * * * * * * *
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#64
ज़ूबी कि शादी को कई हफ़्ते बीत चुके थे। आज भी उसे वो दिन याद था कि शादी के तुरंत बाद कैसे बड़ी मुश्किल से उसने अपने आपको साफ़ किया था जिससे उसके शौहर को उस पर शक ना हो पाये। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वो अपने साथ हुए हादसों को भूलने लगी। 

वो खुशकिस्मत थी कि उसी इज्जत के साथ उसे आज भी अपनी नौकरी हासिल थी। किन हादसों से गुज़र कर उसने अपनी नौकरी बचायी थी। गलती उसकी ही थी शायद, एक तो इतने बड़े ग्राहक का केस उसने गलत तरीके से संभाला था, दूसरा अगर उसकी गलती सामने आ जाती तो शायद उसे अपने वकील के लायसेंस से भी हाथ धाना पड़ सकता था। पर उसकी मेहनत और लगन ने उसे इन सबसे बचा लिया था। 

एक अंजान सा डर अब भी ज़ूबी के जेहन में आता रहता था। उसे पता था कि एक ना एक दिन मिस्टर राज जरूर उसे याद करेगा और हो सकता है कि शर्मिन्दगी और जिल्लत का वही दौर फिर से शुरू हो जाये। उसने कई कोशिश कि वो राज के चुंगल के निकल जाये, पर जब तक राज के पास उसकी चुदाई का वीडियो कैसेट था वो कुछ नहीं कर सकती थी। 
 
गुजरते वक्त के साथ उसे लगने लगा कि राज उसकी ज़िंदगी से निकल गया है, पर अल्लाह अभी कहाँ उसपर मेहरबान हुआ था।
 
एक दिन सुबह वो अपनी कंपनी के पार्टनर के साथ उसके केबिन में किसी केस पर बहस कर रही थी कि तभी इंटरकॉम पर रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ आयी।
 
ज़ूबी, मिस्टर राज लाइन नंबर सात पर तुमसे बात करना चाहेंगे रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनायी दी।
 
रिसेप्शनिस्ट की आवाज़ सुनकर उसके हाथ में पकड़ा कॉफी का मग हिलने लगा। उसका बदन फिर एक डर से काँप उठा। फाइल जो उसकी गोद में पड़ी थी फ़िसल कर ज़मीन पर गिर पड़ी।
 
ज़ूबी तुम ठीक तो हो ना?” पार्टनर ने पूछा।
 
ज़ूबी ने अपनी गर्दन धीरे से हिलायी और लगभग लड़खड़ाती आवाज़ में जवाब दिया, मिस्टर प्रशाँत! एक जरूरी फोन है जिसे मुझे लेना पड़ेगा, मैं अभी आयी।
 
बिना कुछ और कहे ज़ूबी कुर्सी से उठी और काँपते हाथों से कॉफी के मग को पार्टनर की टेबल पर रखा और लगभग दौड़ती हुई अपने केबिन में पहुँची।
 
मिस्टर प्रशाँत, एक चालीस साल का आदमी था। वो हैरानी से ज़ूबी को अपने केबिन से जाते हुए देखता रहा। जैसे ही वो केबिन के बाहर निकली, उसने उठकर अपने केबिन का दरवाजा बंद किया और अपनी अलमारी से एक छोटा सा टेप रिकॉर्डर निकाल कर फोन से अटैच कर दिया। फिर वो लाइन सात के कनेक्ट होने का इंतज़ार करने लगा। उसने फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और ज़ूबी और मिस्टर राज की बातें सुनने लगा।
 
वो सोच रहा था कि कंपनी के सबसे बड़े ग्राहक के साथ ज़ूबी अकेले में क्या बात करना चाहती है। कहीं दोनों के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही।
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#65
हेलो! हाँ मैं ज़ूबी बोल रही हूँ। 

हाय, ज़ूबी! राज बोल रहा हूँ। कैसी हो मेरी काबिल वकील?” राज ने पूछा। 
 
मैं ठीक हूँ,” ज़ूबी किसी भी निजी विषय पर उससे बात नहीं करना चाहती थी, क्या आप अपनी फाइल के बारे में बात करना चाहते हैं?”
 
वैसे तो मैं अपनी फाइल के बारे में भी जानना चाहता हूँ, पर मुझे ये कहते हुए अफ़सोस हो रहा है कि तुम भूल गयी हो कि मैं कौन हूँ।
 
ऐसे कैसे भूल सकती हूँ आपको,” ज़ूबी जबर्दस्ती हंसते हुए बोली, मैं आपके नये केस के सिलसिले में आपसे बात करने ही वाली थी।
 
हाँ... हाँ... मेरी बात धयान से सुनो, तुम्हें मेरा एक काम करना होगा राज ने कहा।
 
राज की बात सुनकर ज़ूबी का दिल बैठ गया, क्या चाहते हैं आप मुझसे?”
 
दिल्ली में मेरी एक दोस्त है, जिसे उसके बिज़नेस में कुछ मदद चाहिये राज ने जवाब दिया, मैं चाहता हूँ कि गुरुवार को तुम दिल्ली जाकर उससे मेरे ऑफिस में मिलो। तुम रविवार की शाम तक रुकने के हिसाब से अपना प्रोग्राम बनाना।
 
ज़ूबी की समझ में नहीं आया कि वो क्या जवाब दे,क्या ऑफिस से और वकील भी मेरे साथ जायेंगे?” ज़ूबी ने पूछा।
 
नहीं मैं चाहता हूँ कि तुम अकेली वहाँ जाओ राज ने जवाब दिया।
 
क्या मैं अपने शौहर को अपने साथ ला सकती हूँ?”
 
हाँ जरूर ला सकती हो,” राज ने कहा और जोरों से हंसने लगा,मुझे विश्वास है कि वहाँ पर तुम अपनी चुदाई अपने शौहर को दिखाना नहीं चाहोगी। मैं तो वो सीडी भी तुम्हारे शौहर को दिखा सकता हूँ जिसमें मैं तुम्हारी चुदाई कर रहा हूँ, और उसे वो भी बताना चाहुँगा कि किस तरह होटल के कमरे में तुमने कितने मर्दों के साथ एक साथ चुदवाया था।
 
ज़ूबी खामोशी से सहमी हुई राज की बातें सुनती रही।
 
तभी राज ने आगे कहा, क्या मैं तुम्हारे शौहर को उस होटल के रूम सर्विस वाले नौजवान के बारे में भी बताऊँ कि किस तरह उसने तुम्हारी चुदाई की थी।
 
फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही। तभी ज़ूबी ने जल्दी से कहा, नहीं... नहीं... मेरे शौहर को इस सब में मत घसीटो, ये तुम्हारे और मेरे बीच की बात है... इसे हम दोनों तक ही सिमित रहने दो।
 
ठीक है तो फिर अपने जाने की तैयारी करो और वहाँ पर रविवार की शाम तक का प्रोग्राम बना लो,” राज ने कहा। फिर राज ने उसे उस औरत का फोन नंबर दिया जिससे उसे दिल्ली में सम्पर्क करना था और कहना था, मैं आपका वो इनाम हूँ जिसे मिस्टर राज ने आपको देने को कहा था। राज फिर हंसा, समझ गयी ना।
 
हाँ मैं समझ गयी, वैसे ही होगा जैसा आप चाहेंगे,” कहकर ज़ूबी ने फोन रख दिया।
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#66
Wah... bohat hi mazedaar story hai.... looks like Zubi will have another hot encounter in Delhi
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#67
Rohit bro.... is weekend ka update kab aayega
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#68
(25-05-2020, 07:51 PM)ShakirAli Wrote: Wah... bohat hi mazedaar story hai.... looks like Zubi will have another hot encounter in Delhi

thanks
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#69
(31-05-2020, 12:52 AM)ShakirAli Wrote: Rohit bro.... is weekend ka update kab aayega

update haazir hai.... Smile
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#70
उधर मिस्टर प्रशाँत ने भी फोन रख दिया और टेप रिकॉर्डर को ऑफ कर दिया। उसने वो फोन नंबर भी लिख लिया था जो राज ने ज़ूबी को दिया था। वो उठा और उसने दरवाजे की कुंडी खोल दी और वापस आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। 

वो राज और ज़ूबी की बातें सुनकर हैरान था। उसे ये शक तो था कि ऑफिस में कहीं गड़बड़ जरूर है। उसे ये भी शक था ऑफिस में काम करने वाली लड़कियाँ क्लायंट्स का बिस्तर गरम करती हैं, पर ज़ूबी... उसके लिये तो वो ऐसा सोच भी नहीं सकता था। ज़ूबी इतनी मेहनती और अच्छे चाल चलन वाली लड़की थी। 
 
प्रशाँत ने फोन उठाया और दिल्ली का वो नंबर मिलाया जो राज ने ज़ूबी को दिया था। दूसरी तरफ़ एक औरत ने फोन उठाया।
 
मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूँ,” एक मादक और सैक्सी आवाज़ ने पूछा।
 
प्रशाँत ने नंबर तो मिला लिया था पर उसकी समझ में नहीं आया कि वो क्या कहे, उसने खंखारते हुए कहा, मुझे ये नंबर किसी ने दिया था।
 
क्या आप दिल्ली में है जनाब।
 
नहीं फ़िलहाल तो नहीं! पर इस शनिवार को मैं दिल्ली पहुँच रहा हूँ,” प्रशाँत ने जवाब दिया।
 
क्या आपको एक जवान लड़की की जरूरत है?” उस मादक आवाज़ ने पूछा।
 
अब उसकी समझ में आया कि ये नंबर किसी वेश्यालय का है या फिर ऐसी सर्विस सैंटर का है जो लड़कियाँ सपलायी करती है। हाँ मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था उसने जवाब दिया।
 
हमारे यहाँ बहुत ही खूबसूरत और जवान लड़कियाँ उपलब्ध हैं। जब आप शहर में आ जायें तो इस नंबर पर सम्पर्क कर के अपनी जरूरत बता दें, ठीक है।
 
जरूर,” कहकर प्रशाँत ने फोन रख दिया।
 
तभी ज़ूबी ने केबिन के दरवाजे पर दस्तक दी, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?”
 
प्रशाँत ने उसे अंदर आने का इशारा किया और गौर से उसे देखने लगा। ज़ूबी ने एक सिल्क का ब्लाऊज़ पहना था जो गले के नीचे तक खुला हुआ था। प्रशाँत ने देखा कि ज़ूबी ने एक टाइट स्कर्ट पहन रखी थी जिससे उसके चूत्तड़ों की गोलाइयाँ साफ़ दिखायी दे रही थी और पैरों में काफी हाई हील के सैंडल पहने हुए थे जिनसे उसकी चाल और भी सैक्सी लग रही थी। ज़ूबी उसके सामने कुर्सी पर बैठ गयी जिससे उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से दिख रहे थे। ये सब देख कर प्रशाँत का लंड पैंट में खड़ा होने लगा।
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#71
प्रशाँत को मन ही मन गुस्सा आ रहा था। उसे आज से कई साल पहले का वो किस्सा याद आ गया जब वो ऑफिस में नये और काबिल वकीलों को भर्ती कर रहा था। इस काम में इंटरवियू, गैदरिंग और पिकनिक शामिल थी। उसे याद आ रहा था कि उस दिन ज़ूबी कितनी सुंदर दिख रही थी शॉर्ट स्कर्ट और टॉप में। उस दिन शाम को पार्टी में वो कुछ ज्यादा ही पी गया था और भूल से उसने ज़ूबी को बांहों में भर कर चूमना चाहा था, पर किस कदर ज़ूबी ने उसकी बेइज्जती की थी और ये बात उसके पार्टनरों और बीवी तक को बताने की धमकी दी थी। 

कई बार माफी माँगने के बाद वो ज़ूबी को समझा पाया था। इस बात का ज़िक्र ज़ूबी ने फिर कभी किसी से नहीं किया था। पर प्रशाँत ने ज़ूबी को माफ़ नहीं किया था, कि किस कदर उसने उसे धमकाया था। शायद बदले का समय आ गया था। 
 
प्रशाँत के ख्यालों से बेखबर ज़ूबी अपनी ही सोच में खोयी हुई थी। कहो ज़ूबी क्या काम है?” प्रशाँत ने पूछा।
 
ओह सर! मुझे गुरुवार को किसी काम से दिल्ली जाना है ज़ूबी ने चौंकते हुए कहा।
 
ठीक है तुम जा सकती हो प्रशाँत ने उसे जाने की इजाज़त दे दी।
 
ज़ूबी बड़ी दुविधा में अपना सफ़र का बैग पैक कर रही थी। उसे अपने आप से घृणा हो रही थी। उसे अपनी शौहर से झूठ बोलना पड़ रहा था और साथ ही बेवफ़ायी भी करनी पड़ रही थी। पर शायद ये वक्त का फ़ैसला था जिसे वो मानने पर मजबूर थी। उसकी ज़िंदगी अब उसकी नहीं थी, उसके हाथों से फ़िसल कर किसी और की हो चुकी थी।
 
*********************
 
शुक्रवार की सुबह ज़ूबी दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल के बिस्तर पर लेटी थी। बिस्तर की चादर और कंबल उसके नंगे बदन से फ़िसल कर उसके पैरों के पास पड़े थे। उसकी नंगी चूचियाँ तन कर खड़ी थी। वो बिस्तर पर लेटी हुई सामने राज को देख रही थी।
 
राज कमरे में लगे आइने में देख कर अपने कपड़े पहन रहा था। ज़ूबी अब भी अपनी चूत को राज के वीर्य से भरा हुआ महसूस कर रही थी। उसे लग रहा था कि पानी उसकी चूत से बह कर बिस्तर पर गिर पड़ेगा।
 
जैसी उम्मीद थी, कल शाम से आज सुबह तक राज ने कई बार उसके शरीर को रौंद कर अपनी वासना को शांत किया था। बावजूद इसके कि वो राज से नफ़रत करती थी और उसका इस तरह उसे चोदना अच्छा नहीं लगता था पर जब भी राज का मूसल लंड उसकी चूत में घूसता तो वो अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाती थी। ना चाहते हुए भी उसकी कमर अपने आप राज के धक्कों का साथ देने लगती और उसका मन करता कि राज इसी तरह उसकी चूत को चोदता रहे। ना चाहते हुए भी उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा होगा उसे याद नहीं।
 
राज ज़ूबी के पास आया और उसका हाथ पकड़ लिया,तुम थोड़ा आराम करो,” उसने कहा, “उसके बाद मैंने जैसे तुम्हें समझाया है, वैसा ही करना, समझ गयी ना।
 
ज़ूबी ने खामोश रहते हुए अपनी गर्दन हिला दी। उसे पता था कि इन हालातों में प्रश्न  करना या विरोध करना मुनासिब नहीं है।
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#72
राज के जाने के थोड़ी देर बद वो फोन पर उस नंबर को मिलाने लगी जो राज ने उसे दिया था। वो सोच रही थी कि पता नहीं तकदीर ने उसके लिए भविष्य में क्या-क्या बचा कर रखा है। 

फोन मिलते ही एक औरत ने जवाब दिया और ज़ूबी ने उसे अपना परिचय दिया। 
 
ओहहह... हाँ उसने मुझसे कहा था कि तुम जरूर फोन करोगी, दिल्ली में तुम्हारा स्वागत है उस औरत ने कहा।
 
उस औरत का दोस्ती और प्यार भरा अंदाज़ पाकर ज़ूबी को थोड़ी राहत सी हुई। ज़ूबी पहले तो हिचकिचायी और फिर धीरे से बोली, मुझे नहीं पता कि मैं आपको क्यों फोन कर रही हूँ।
 
उसके लिये तुम्हें मेरे ऑफिस में आना पड़ेगा जहाँ हम बात कर सकेंगे,” उस औरत ने जवाब दिया। फिर उसने ज़ूबी को एक पता लिखाया और दो घंटे में वहाँ पहुँचने के लिए कहा, याद रखना सुबह के साढ़े दस तक पहुँच जाना।
 
ठीक है मैं पहुँच जाऊँगी,” कहकर ज़ूबी ना फोन रख दिया।
 
ज़ूबी तुरंत बिस्तर से उठी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी। शॉवर के नीचे खड़ी वो बाथरूम में लगे आइने में अपने बदन को देखने लगी। वो अपने कसे हुए बदन को देख रही थी और उसे पता था कि सारे मर्द उसके इस तराशे हुए बदन पर मरते हैं। उसने घंटों जिम में मेहनत कर के अपने बदन को कसा हुआ रखा था।
 
नहाते वक्त जब वो अपने निप्पल पर और चूत पर साबून लगाती तो एक अनजानी सी सनसनी शरीर में दौड़ जाती। वो जानती थी कि उसे फँसाया गया है और आने वाले कुछ दिनो में वसना के बहके मर्द उसके शरीर को इस्तमाल करने वाले है।
 
ज़ूबी ने उस बंगले के दरवाजे की घंटी बजायी। थोड़ी देर बाहर खड़े रहने के बाद दरवाजा खुला और उसने बंगले के अंदर कदम रखा। कमरे के अंदर कई सोफ़े पड़े थे और ढेर सारी कुर्सियाँ भी थी। एक कोने में टी.वी चल रहा था। कमरे में कोई नहीं था सिवाय उस औरत के जिसने दरवाजा खोला था। उसने ड्राइंग रूम के साथ बने ऑफिस में उसे पहुँचा दिया।
 
हमारा काम आधे घंटे में शुरू होगा,” उस औरत ने कहा, तुम अपने साथ कुछ कपड़े लायी हो बदलने के लिए।
 
नहीं,” ज़ूबी ने जवाब दिया, मुझे पता नहीं था कि कपड़े भी साथ लाने हैं।
 
वैसे तो तुम्हें कपड़ों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी,” वो औरत हंसते हुए बोली, तुम हो ही इतनी सुंदर कि तुमने क्या पहन रखा है इससे कोई फ़रक नहीं पड़ता।
 
पर मुझे यहाँ करना क्या होगा?” ज़ूबी ने थोड़ा सहमते हुए पूछा।
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#73
यहाँ पर मर्द लोग आते हैं, और मेरी लड़कियों में से किसी को चुनते हैं... वो लड़की फिर उसका दिल बहलाती है... उस औरत ने जवाब दिया। 

दिल बहलाती है?” ज़ूबी ने चौंकते हुए कहा। 
 
मिस्टर राज ने झूठ नहीं कहा था कि तुम बेवकूफ़ हो... अरे यार वो लड़की उस मर्द को एक कमरे में ले जाती है और फिर उससे चुदाई करवा कर उसका दिल बहलाती है।
 
उस औरत की ये बात सुन कर ज़ूबी का दिल बैठ गया। राज ने उसे पूरी तरह रंडी बनाने कि ठान ली थी। क्या वो ये सब कर पायेगी। क्या उसके पास इन सब से बचने के लिए कोई रास्ता है। तुम ये कहना चाहती हो कि मैं यहाँ रंडी बन जाऊँ?” ज़ूबी ने उस औरत से पूछा।
 
क्या तुमने इसके पहले ये सब नहीं किया है?”
 
ज़ूबी देर तक उसकी आँखों में झाँकती रही और फिर अपनी गर्दन ना में हिला दी।
 
देखो,” उस औरत ने कहा, तुम्हारा शरीर इतना सुंदर है कि कोई भी मर्द तुम्हें नापसंद नहीं कर सकता। तुम्हारे इस सुंदर चेहरे और कसावदार बदन को देख कर मुझे लगता है कि तुममें रंडी बनने के सब गुण हैं।
 
पर एक रंडी,” ज़ूबी ने कहा, लोग क्या कहेंगे!
 
किसी को पता नहीं चलेगा, डरो मत।
 
उस औरत का अनुभव इतना था कि उसे पता था कि उसे ये नहीं पूछना था कि ज़ूबी तुम ये करोगी कि नहीं, बल्कि उसने उससे ये कहा कि वो सब संभाल लेगी, पैसों की वो चिंता ना करे उसे बस आने वाले मर्दों को सिर्फ़ खुश करना है।
 
अब जब तुम पहनने के लिये कुछ लायी नहीं हो, तो ऐसा करो उस कमरे में चली जाओ और अपने कपड़े उतार दो, सिर्फ़ ब्रा और पैंटी पहने रहना और हाँ अपनी ऊँची ऐड़ी की सैंडल भी मत उतारना उस औरत ने एक कमरे की और इशारा करते हुए कहा।
 
ज़ूबी जैसे ही मरे हुए कदमों से उस कमरे की तरफ़ बढ़ी उसे फोन कि घंटी सुनायी दी और फिर उस औरत को बात करते सुना।
 
हेलो,” उस औरत की खुशी से भरी आवाज़ सुनायी दी,हाँ, राकेश तुम आ सकते हो। ओह... हाँ एक नयी चिड़िया आयी है... तुम्हें पसंद आयेगी। बहुत ही सुंदर, जवान और मस्त है। हाँ...! हाँ... मेरे राजा! जल्दी आओ... अरे किसी और को दिखाऊँगी भी नहीं... जल्दी आना। हाँ आज उसका पहला दिन है।
 
ज़ूबी की साँसें तेज हो गयी थीं, उसका दिल घबरा रहा था और अंगुलियाँ ब्लाऊज़ के बटन खोलते हुए काँप रही थी। बड़ी मुश्किल से उसने अपने कपड़े उतारे और फिर धीरे से दरवाजा खोल कर झाँकने लगी।
 
उस औरत ने उसे बाहर आने को कहा। ज़ूबी बहुत ही अपमानित और शर्मिंदगी महसूस कर रही थी। तकदीर भी अजीब खेल खेल रही थी उसके साथ। कहाँ एक स्वाभिमानी वकील, अच्छे संसकारों में पली बड़ी वो आज अपने बदन का सौदा करने पर मजबूर  थी।
 
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#74
yourock
Zabardast kahani hai bhai.... update soon
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#75
(02-06-2020, 11:16 PM)ShakirAli Wrote: yourock
Zabardast kahani hai bhai.... update soon

Thank you bro!
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#76
अध्याय-४
 
जूबी उस औरत के सामने सिर्फ़ ब्रा, पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी। वो औरत ज़ूबी के तराशे हुए बदन को ध्यान सा देख रही थी। ज़ूबी का संगमरमर सा तराशा बदन और उस पर हल्के गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी - वो सही में बहुत सुंदर दिख रही थी।
 
ज़ूबी के बदन को निहारते हुए उस औरत के मुँह से हल्की सी सीटी बज गयी, वाह, मज़ा आ गया तुम्हारे इस मखमली बदन को देख कर, लगता है कि यहाँ आने वालों पर तुम बिजली गिरा के रहोगी, थोड़ा सा घूम जाओ मेरे लिये।
 
उस औरत से अपनी प्रशंसा सुनकर ज़ूबी का चेहरा सुर्ख हो गया। उस छोटी सी ब्रा से उसके भारी मम्मे तो साफ़ दिखायी दे रहे थे पर वो शरमा इसलिए गयी कि उसने बहुत ही छोटी पैंटी पहनी थी और घूमने से उसके चूतड़ साफ़ नंगे दिखायी देते।
 
उस औरत ने एक बर उसके बदन की तारीफ की और उसे दूसरे कमरे में जाने का इशारा किया।
 
ज़ूबी आहिस्ता-आहिस्ता चलती हुई बगल के कमरे में पहुँची। वहाँ और तीन जवान और सुंदर लड़कियाँ पहले से थी। ज़ूबी ने देखा कि वो तीनों भी काफी सुंदर और जवान थी और उन्होंने भी उसी की तरह सिर्फ़ ब्रा पैंटी और हाई हील के सैंडल पहन रखे थे।
 
उस औरत ने ज़ूबी का परिचय तीनों लड़कियों से कराया। ज़ूबी शरम के मारे अपनी आँखें ज़मीन पर गड़ाये हुए थी। उसे अपने इस नंगे बदन पर शरम सी आ रही थी और वो अपने आप को कोस रही थी कि आज सुबह उसने ये छोटी वाली ब्रा और पैंटी क्यों पहनी।
 
उन तीनों लड़कियों ने ज़ूबी का नयी जगह पर उसका स्वागत किया। तभी मेन दरवाजे की घंटी बज पड़ी। उस घंटी को सुन कर वो औरत दरवाज़ा खोलने के लिये दौड़ पड़ी।  जब वो वापस आयी तो तीनों लड़कियाँ खड़ी हो गयी। ज़ूबी भी उनकी देखा देख खड़ी हो गयी पर अपनी नज़रें उस आने वाले मर्द से चुराती रही। ज़ूबी ने अपनी जाँघों को अपनी हथेलियों से ढक लिया।
 
ओह राकेश लगता है तुमसे थोड़ा भी इंतज़ार नहीं किया गया, जो ऑफिस से दौड़ते चले आ रहे हो,” उस औरत ने आने वाले मर्द को चिढ़ाते हुए कहा। राकेश करीब ४५ साल का था और उसके सिर के बाल लगभग उड़ चुके थे। वो अपने माथे पे आये पसीने को अपने रुमाल से पौंछ रहा था और साथ ही चारों लड़कियों को ध्यान से देख रहा था।
 
एक लड़की ने अपना परिचय दिया, बाकी दो ने हाय राकेश कहकर उसका अभिवादन किया। जब ज़ूबी की बारी आयी तो वो थोड़ा हिचकिचा गयी, मेरा नाम ज़ू।
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#77
तभी एक लड़की जो शायद ज्यादा अनुभवी थी तुरंत बोल पड़ी, ये सिमरन है। ज़ूबी हैरानी से उस लड़की को देखने लगी तो देखा वो मुस्कुरा रही थी। उसने ज़ूबी को अपना असली नाम इस्तमाल करने से बचा लिया था। ज़ूबी बदले में उसकी तरफ़ देख कर मुस्कुरा दी। 

पर इसके बाद जो हुआ ज़ूबी उसके लिये तैयार नहीं थी। 
 
उस आदमी ने अपनी जेब से अपना पर्स निकाला और उस औरत की और देखते हुए कहा,मैं सिमरन से मिलना चाहुँगा, सिर्फ़ आधे घंटे के लिये। ज़ूबी हैरानी से उस मर्द को देख रही थी जो अपने पर्स से नोट निकाल कर गिन रहा था। वो सोच रही थी एक लड़की को चोदने के लिये कितने पैसों की ज़रूरत हो सकती है।
 
वो औरत ज़ूबी और राकेश को लेकर हॉल के बगल के कमरे में लेकर आ गयी। फिर उस औरत ने बिस्तर के बगल में एक कॉंन्डम का पैकेट रख दिया।
 
अब तुम दोनों मज़े करो,” ये कहकर उस औरत ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर चली गयी।
 
तुम शायद यहाँ पर नयी आयी हो?” अपने जूते उतारते हुए राकेश ने कहा। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और फिर शर्ट भी उतार दी। थोड़ी देर में वो अपनी अंडरवीयर उतार कर नंगा हो गया। राकेश की छाती, पीठ और कंधे बालों से भरे पड़े थे। उसका लंड अभी पूरी तरह खड़ा तो नहीं हुआ था पर मोटा काफी था। ज़ूबी ने देखा कि उसके अंडकोश भी काफी बड़े थे।
 
सिमरन क्या मैं अकेला ही नंगा रहुँगा? तुम्हें भी अपनी ब्रा और पैंटी उतारनी होगी। राकेश ने कहा।
 
ज़ूबी ने अपने कंधे उचकाये और अपनी ब्रा के हुक खोलने लगी। ब्रा उतरते ही उसके दोनों कबूतर पिंजरे से आज़ाद हो गये। शायद चुदाई के ख्याल से ही उसके निप्पल तन गये थे।
 
राकेश ज़ूबी की भारी और नुकिली चूचियों को देख रहा था और ज़ूबी ने अपनी पैंटी नीचे खिसकायी और अपने पैरों से उतार कर उसे दूर फेंक दिया। ज़ूबी ने देखा कि राकेश उसकी तराशी हुई चूत को देख रहा है।
 
राकेश ने अपनी बांहें फैलायी और ज़ूबी को पास आने का इशारा किया। ज़ूबी धीरे-धीरे चलते हुए उसकी बांहों में समा गयी। ज़ूबी की नुकिली चूचियाँ राकेश की बालों भारी छाती में धंस रही थी। ज़ूबी ने महसूस किया कि उसका लंड उसकी नाभी को छू कर एक सनसनी सी उसके शरीर में पैदा कर रहा है।
 
राकेश उसे बांहों में भर कर उसके चूतड़ सहलाने लगा। ज़ूबी के शरीर मे भी उत्तेजना फैलने लगी। उसके भी हाथ खुद-ब-खुद उसकी पीठ पर कस गये। उत्तेजना मे ज़ूबी का शरीर काँप रहा था।
 
राकेश का एक हाथ अब ज़ूबी की जाँघों के अंदरूनी हिस्सों को सहला रहा था। ज़ूबी ने अपनी टाँगें थोड़ी फैला दी जिससे राकेश के हाथ आसानी से उसकी चूत को सहला सकें। तभी राकेश ने उसकी चूत को सहलाते हुए अपनी दो अँगुलियाँ उसकी चूत में घुसा दीं।
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#78
ज़ूबी की चूत अभी गीली नहीं हुई थी, इसलिए राकेश की अँगुलियों से उसे दर्द हो रहा था। राकेश अब अपने दूसरे हाथ से उसकी चूचियों को भींचने लगा। वो एक हाथ  से उसकी चूत में अँगुली कर रहा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पल भींच रहा था। इस दोहरी हरकत ने तुरंत ही अपना असर दिखाया और ज़ूबी की चूत गीली हो गयी। अब राकेश की अँगुलियाँ आराम से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी। 

शरीर की उत्तेजना ने एक बर फिर ज़ूबी की अंतरात्मा को धोखा दे दिया। उसके कुल्हे उत्तेजना मे अब आगे पीछे हो रहे थे। ज़ूबी पूरी तरह से राकेश की अँगुलियों की ताल से ताल मिला रही थी। उसके मुँह से हल्की हल्की सिस्करी निकल रही थी, ओहहहह आआआआहहह।

 
राकेश अब और तेजी से अपनी अँगुली ज़ूबी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था, ओहहहह हाँआँआँ ऐसे ही करो ओहहह आआआआआह ज़ूबी सिसक रही थी।
 
राकेश ने ज़ूबी का हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रख दिया। ज़ूबी उसके लंड को अपनी हथेली की गिरफ़्त मे लेकर मसलने लगी। राकेश का लंड अब तनने लगा था। ज़ूबी ने महसूस किया कि अब उसका लंड उसकी हथेली में नहीं समा रहा है तो उत्सुक्ता में वो अपनी नज़रें घुमा कर उस मोटे और विशाल लंड को देखने लगी। लंड के सुपाड़े को देखकर तो वो हैरान रह गयी। उसने इतना मोटा और मूसल लंड पहले कभी नहीं देखा था।
 
समय बीतता जा रहा था। राकेश ने बिस्तर के पास पड़े कॉंन्डम के पैकेट को उठाया और अपने दाँतों से फाड़ कर ज़ूबी को पकड़ा दिया।
 
ज़ूबी ने कॉंन्डम को पैकेट से निकाला और राकेश के लंड को पहनाने लगी।
 
राकेश ने ज़ूबी की चूत से अपनी अँगुली निकाली और उसे घूमा दिया। अब वो पीछे से उसकी चूत में अपना लंड घुसाने लगा। जैसे-जैसे वो अपने लंड का दबाव बढ़ाता, ज़ूबी बिस्तर को पकड़ कर और झुक जाती, साथ ही अपनी टाँगें भी और फैला देती जिससे उसका मूसल लंड आसानी से अंदर घुस सके।
 
राकेश ने ज़ूबी के भरे हुए चूतड़ पकड़े और उसकी चूत में लंड घुसाने लगा। थोड़ी ही देर में उसका पूरा लंड ज़ूबी की चूत में घुस चुका था। वो उसके कुल्हों को पकड़ कर धक्के मार रहा था।
 
हाँ ले लो मरा लंड... ओओहहह हाँ... और थोड़ी टाँगें फैलाओ,” राकेश अब जोरों से धक्के लगा रहा था।
 
ज़ूबी की टाँगें और फ़ैल गयी। उसे लगा कि उसकी चूत फटी जा रही है। उसे राकेश के लंड की लंबाई से उतनी परेशानी नहीं हो रही थी जितनी उसके लंड की मोटाई से। उसकी चूत पूरी तरह गीली होने के बावजूद वो हर धक्के पर कराह रही थी।
 
ओहहह थोड़ा धीरे करो ओहहह मर गयी आआआआआआहह,”
 
मेरा लंड ले लो जान, ओहहहह हाँ ऐसे ही... पूरा ले लो,” बड़बड़ाते हुए राकेश धक्के पे धक्का लगा रहा था।
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#79
जितना ज़ूबी कराहती, उतनी ही तेजी से राकेश धक्का मारता। ज़ूबी के कराहने में उसे मज़ा आ रहा था और उसका वहशीपन बढ़ता जा रहा था। वो जानवर की तरह ज़ूबी की चूत को रौंद रहा था। 

राकेश ने तभी अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, और ज़ूबी को पलट कर बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। ज़ूबी को थोड़ी देर के लिए राहत महसूस हुई। वो अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी। राकेश अब उसकी जाँघों के बीच आ गया। 
 
ज़ूबी ने अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दी। उसे ऐसा करते हुए शरम सी आ रही थी पर वो जानती थी कि ऐसा करने से राकेश का लंड आसानी सी उसकी चूत में चला जायेगा, और वो दर्द से बच जायेगी।
 
जैसे ही राकेश उसके ऊपर आया, ज़ूबी ने अपना हाथ नीचे कर के उसके तने हुए लंड को पकड़ लिया और अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया। एक बार जब राकेश का लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया तो वो भी अपने कुल्हे उछाल कर उसका साथ देने लगी।
 
ज़ूबी को भी आनंद आ रहा था। उसने अपनी टाँगें उठा कर उसकी कमर में कस के लपेट लीं और अपने हाथ उसकी पीठ पर कस लिये। अब ज़ोरों से सिसकते हुए वो उसके धक्कों का साथ दे रही थी।
 
हाय अल्लाह,” ज़ूबी ने सोचा, बाहर सभी को मालूम है कि मैं इस मर्द से चुदवा रही हूँ।
 
ओहहहहह हाँआँआँ! चोदो मुझे... और जोर से... ओहहहहह हाँ... जोर से ज़ूबी सिसक रही थी। उसकी चूत अब पानी छोड़ने ही वाली ही थी और वो चाहने लगी कि राकेश भी उसके साथ ही झड़े।
 
क्या तुम मेरे साथ झड़ सकते हो? ओहहह हाँ... छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत में प्लीज़...! हाँ चोदो... और जोर से,” उसे खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वो ये भी कह सकती है।
 
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, पाँच मिनट रह गये हैं, जल्दी करो! एक लड़की की आवाज़ आयी।
 
राकेश ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। वो ज़ूबी की जाँघें इतनी कस के पकड़ कर धक्के मारने लगा कि ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये। पर चुदाई का आनंद ऐसा था कि उसके लंड की हर चोट उसकी चूत में और उत्तेजना बढ़ा रही थी। तभी उसने महसूस किया कि राकेश का छूटने वाला है।
 
अभी नहीं प्लीज़ रुक जाओओह ज़ूबी चिल्ला पड़ी।
 
तभी उसे गाढ़े और गरम वीर्य का एहसास अपनी चूत में हुआ। हाय अल्लाह! इसका तो छूट रहा है और मेरा अभी बाकी है,” ज़ूबी सोचने लगी।
 
नहीं... अभी नहीं वो चिल्ला पड़ी।
 
पर उसकी चिल्लाहट का कोई असर राकेश पर नहीं हुआ। वो जोर के धक्के लगा कर अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ रहा था। ज़ूबी की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी। अब ज़ूबी खुद नीचे से धक्के लगा कर अपनी उत्तेजना को शाँत करने की कोशिश करने लगी। वो बेशरम की तरह नीचे से धक्के लगा रही थी। आखिर उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
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#80
राकेश ने अपने लंड को ज़ूबी की चूत से बाहर निकाला और उसके बगल में लेट गया। राकेश उसकी जाँघों को सहला रहा था, मज़ा आ गया सिमरन,” कहकर उसने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर चला गया। 

ज़ूबी बिस्तर पर अपनी आँखें फ़ैलाये लेटी हुई थी कि तभी किसी लड़की की आवाज़ उसे सुनायी दी, सिमरन अब तुम उठ कर खड़ी हो जाओ?” 
 
ज़ूबी उछल कर बिस्तर से खड़ी हुई और अपनी ब्रा और पैंटी ढूँढने लगी। उसने देखा कि वो इस्तमाल किया हुआ कॉंन्डम बिस्तर पर पड़ा था। वो लड़की जो कमरे में आयी थी, उसने एक साफ़ टॉवल ज़ूबी को पकड़ा दिया।
 
ज़ूबी उस टॉवल को अपनी चूती हुई चूत पर रख कर साफ़ करने लगी। फिर उसने वो कॉंन्डम उठाया और कमरे के बाहर बाथरूम की और दौड़ पड़ी।
 
जैसे ही वो हॉल में आयी कि अचानक एक सूट पहने मर्द से टकरा गयी। वो औरत उस मर्द को किसी दूसरे कमरे में ले जा रही थी।
 
सॉरी माफ़ करना,” ज़ूबी ने कहा।
 
वो मर्द उसकी हालत देख कर हँस पड़ा, सॉरी की कोई बात नहीं है, और ये तुम्हारे हाथ में क्या है?” ज़ूबी के हाथों मे इस्तमाल किया हुआ कॉंडम देख कर वो मर्द हँसते हुए बोला।
 
ये एकदम नयी है यहाँ पर,” उस औरत ने कहा।
 
ज़ूबी शरमा कर नंगी ही वहाँ से अपनी सैंडल खटखटाती हुई दौड़ पड़ी। उन दोनों के हँसने की आवाज़ उसे सुनायी दे रही थी।
 
ज़ूबी बाथरूम मे घुसी और सैंडल उतार कर गरम पानी के शॉवर के नीचे खड़ी हो कर अपने शरीर को धोने लगी। फिर सुखे टॉवल से अपने बदन को पौंछ कर वो फिर सैंडल और ब्रा-पैंटी पहन कर हॉल में आकर बैठ गयी। एक और लड़की उसकी बगल में बैठी थी और उसे देख कर मुस्कुरा रही थी।
 
ज़ूबी अपनी टाँग पे टाँग रख कर बैठी थी कि उसे बगल के कमरे से सिसकने की और मदक आवाज़ें सुनायी दे रही थी। ये वही कमरा था जिसमें थोड़ी देर पहले वो राकेश के साथ थी।
 
ज़ूबी की आँखें खुली की खुली रह गयी। उसे चुदाई की आवाज़ साफ़ सुनायी दे रही थी। उसे लगा कि कमरे की दीवार जैसे कागज़ की बनी हुई है। वो आश्चर्य से हॉल में अपने साथ बैठी लड़की की और देखने लगी।
 
हाय अल्लाह,” ज़ूबी ने कहा, क्या तुम लोगों ने भी वो सब सुना जो मेरे और राकेश के बीच हुआ?”
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