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Adultery दो आर्मी नर्सों की चुदाई **Completed**
#41
Nice update.... Waiting for next update
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#42
Bohat hi mast kahani hai.... jaldi update do
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#43
(10-05-2020, 12:25 PM)Calypso25 Wrote: Thank you for the update bro

Last update for this story coming today
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#44
(11-05-2020, 08:45 AM)varunsingh1990 Wrote: Nice update.... Waiting for next update

Namaskar
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#45
(12-05-2020, 06:25 PM)ShakirAli Wrote: Bohat hi mast kahani hai.... jaldi update do

thanks
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#46
मुझे बहुत दुख हो रहा था लेकिन क्या कर सकता था खैर शाज़िया और फौज़िया भी दोनों काफी उदास थीं क्योंकि हम चारों में चुदाई के साथ-साथ बहुत प्यार हो गया था। खैर हमने कईं तोहफों के साथ अहमद को सी-ऑफ किया। अहमद ने एयरपोर्ट पर बगैर खौफ के शाज़िया और फौज़िया को बहुत किस किया और अलविदा हो गया। एयरपोर्ट से वापस मैं अहमद की कार चला करके ला रहा था और काफी उदास था। फिर मैंने उन दोनों को होस्टल छोड़ा और फिर खुद अपनी यूनिट चला गया। मैं अहमद को बहुत मिस कर रहा था। उसके फ़्लैट की चाबियाँ मेरे पास थी और उसकी कार भी मेरे पास थी लेकिन मैं फिर भी उसको और वो गुज़रे हुए समय को मिस कर रहा था।

उसके बाद तकरीबन पंद्रह दिन मैंने कार इस्तमाल की और शाज़िया और फौज़िया को इकट्ठे लेकर जाता था और दोनों की एक साथ चुदाई करता था। अहमद भी हमारी कंपनी को मिस कर रहा था और मुसलसल मोबाइल पर फोन करता था।
 
पंद्रह दिनों बाद अहमद के पेरेंट्स कराची अपने फ़्लैट में शिफ़्ट हो गये और मैंने चाबियाँ और कार उनको वापिस कर दीं। अहमद के पेरेंट्स मुझे काफी अच्छी तरह जानते थे और मेरी काफी इज्जत करते थे। मैं भी उनकी काफी इज्जत करता हूँ। अहमद के चले जाने के बाद मैं उनका काफी ख्याल रखता था और वो भी मुझे अपने बेटे की तरह ट्रीट करते थे।
 
अहमद की फैमली आ जाने के बाद सबसे ज़्यादा मुश्किल मुझे जगह की हुई कि अब चुदाई के लिये कोई जगह नहीं थी। बल्कि मैं रिस्क लेकर शाज़िया और फौज़िया के वार्ड में जाता था और उनके इनकार के बावजूद उनके विज़ीटर रूम के बाथरूम में अपनी लंड की तमन्ना पूरी करता था, मगर मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि वहाँ खतरा काफी होता था, और फिर मैं उनसे पूरी तरह से चुदाई भी नहीं कर सकता था। उन दोनों का तो रात को एक-दूसरे से काम चल ही जाता था। उनको अब मैं आर्मी कोटे से शराब सपलायी करता था जो वो रात को होस्टल में अपने कमरे में पीती थीं और मौज करती थीं। मैं ये भी मिस कर रहा था क्योंकि शराब के नशे में वो बहुत मस्त चुदवाती थीं और इसका मौका अब मुझे नहीं मिलता था।
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#47
काफी दिन हो गये थे और हमने इकट्ठे सैक्स नहीं किया। मैंने शाज़िया को कहा कि कुछ करो, या तो अपनी एक साथ एक ही वार्ड में ड्यूटी लगवाओ या कुछ और करो। वो दोनों भी ग्रुप सैक्स चाहती थीं लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल रहा था।

आखिरकार उसने एक प्लैन बनाया कि मैं उनके होस्टल में रात को दीवार कूद कर के आऊँ। ये बहुत खतरनाक काम था लेकिन अपने लंड की खुशी के लिये मैं कुछ भी कर सकता था। प्लैन के मुताबिक मैं रात के आठ बजे उनके होस्टल की दीवार के पास पहुँच कर उनको मोबाइल पर काल किया और वो दोनो दीवार के करीब आ गयीं। मैंने दीवार क्रॉस की, ये कोई बड़ी ऊँची दीवार नहीं थी। उसके बाद उन्होंने मुझे एक बड़ा दुपट्टा दिया और मैंने अपने ऊपर डाल लिया। मैं एक फ़िमेल जैसा दिख रहा था और मैं उन दोनों के दरमियान चल रहा था और दूर से कोई भी पहचान नहीं सकता था। उनके साथ चलते-चलते मैं उनके ब्लॉक में आया, और फिर सीढ़ियाँ चढ़ कर हम उनके रूम में आ गये। वहाँ पहुँचा तो मेरा साँस फुला हुआ था क्योंकि ये काफी खतरनाक काम था। 
 
रूम में आकर मैंने सकून का साँस लिया और अभी बैठा ही था कि डोर पर नॉक हुई। मैं घबराया मगर उन्होंने जल्दी से मुझे स्टोर में छिपा दिया और डोर ओपन किया तो उनकी एक दूसरी फ्रैंड कुछ माँगने आयी थी। खैर जल्दी ही वो चली गयी और मैं फिर स्टोर से बाहर निकल आया। शाज़िया और फौज़िया ने मेरे लिये काफी खातिर किया हुआ था। व्हिस्की के साथ काजू, कबाब वगैरह का इंतज़ाम था। दोनों ने काफी बनाव-सिंगार किया हुआ था। शाज़िया ने गुलाबी रंग का शलवार-कमीज़ पहना था और उसके पैरों में बहुत ही सैक्सी सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल थे। फौज़िया ने सफ़ेद रंग का प्रिंटेड सलवार-कमीज़ पहना था जिस पर कई रंगों के फूल बने हुए थे और शाज़िया जैसे ही पर काले रंग के सैंडल पहने हुए थे।
 
उसके बाद हमारा प्रोग्रम स्टार्ट हुआ। पहले हमने कबाब खाये और साथ में व्हिस्की का मज़ा लिया। उन दोनों ने भी जी भर कर शराब पी और कुछ ही देर में वो दोनों झूम रही थीं। मैंने अपने ऊपर कंट्रोल रखा क्योंकि मैं ज्यादा पी कर धुत्त नहीं होना चाहता था। उन दोनों को एक साथ चोदना इतना आसान नहीं था। मैंने बारी-बारी से दोनो को चूमा। उसके बाद एक मेरा लंड चूस रही थी और मैं एक की चूत चाट रहा था। उसके बाद बारी-बारी उनकी चूत की आग भुजायी। मैं सुबह सहर के वक्त तक उनके रूम में था और उनको अलग-अलग स्टाईल से चोदता रहा। उन्होंने काफी इंजॉय किया और मैंने भी उनके रूम में पहली बार उनकी चूत और गाँड का मज़ा लिया। वो मुझसे तब तक चुदवाती रहीं जब तक मेरे लंड में बिल्कुल भी जान बाकी नहीं रही। तकरीबन सुबह पाँच बजे मैं अकेला ही दुपट्टे में छुप कर दीवार तक गया। वो दोनों आना तो साथ चाहती थीं पर नशे में वो ठीक से चलने के काबिल नहीं थीं। मैंने दीवार क्रॉस की और अपनी मोटर-बाईक जो करीब ही पार्किंग में थी, स्टार्ट की और यूनिट में आ गया।
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#48
ये भी मेरी ज़िंदगी के ना-भूलने वाले सीन थे क्योंकि खतरे में चूत मारने और उन दोनों के साथ चुदाई करने का और ही मज़ा था। खैर मेरी ज़िंदगी बहुत ही सेटिसफाईड और मज़े में उन दो चूतों और उनकी गाँडों के मारने में गुज़र रही थी। उन दोनो को भी मालूम था कि मैं कहीं और नहीं जाता बल्कि सिर्फ़ उनकी चूत और गाँड मारता हूँ। इसमें कोई शक नहीं कि मैंने वो पूरा अर्सा उनके अलावा कहीं कोई और चूत नहीं चोदी क्योंकि उन्होंने इतना सेटिसफाईड रखा था कि कभी कहीं और चुदाई करने के लिये लंड में ताकत ही नहीं रहती थी। इसके अलावा मैं उनके साथ बहुत खुश रहता था। मेरी ज़िंदगी के रूटीन में शामिल हो गया था कि मैं अक्सर उनमें से एक को या दोनों को डेट पर लेकर जाता था। इसके अलावा महीने में एक या दो बार रिस्क लेकर उसी तरह उनके रूम में जाता और एक साथ उन दोनों की चुदाई करता था।

इस तरह दो साल तक मैंने अपनी ज़िंदगी में चुदाई का भरपूर मज़ा लिया और ना-भूलने वाली यादें कायम कीं। मगर फिर शायद चुदाई के दिन पूरे हो गये या किस्मत की खराबी हुई कि मेरी पोस्टिंग का ऑर्डर आ गया।
 
मुझे आज भी वो रात याद है जब मैं अपने मूव होने से एक रात पहले शाज़िया और फौज़िया के रूम में उनको चोद रहा था और बहुत उदास था क्योंकि एक दिन बाद मैंने चले जाना था। उस दिन मैंने जी भर कर दोनों को चोद और उनकी गाँड मारी मगर इंसान का जी नहीं भरता और मैं इसलिये परेशान था कि फिर पता नहीं ऐसी चूतें नसीब होती हैं कि नहीं।
 
यह एक बात बहुत दिलचस्प थी कि वो दोनों मेरे साथ शादी के लिये भी तैयार हो गयी थीं। उन्होंने मुझे प्रपोज़ल दिया कि हम दोनों से शादी करलो, हम साथ साथ रहेंगे। मगर एक तो मेरी फैमली कभी भी नर्स के साथ शादी नहीं मानती और ऊपर से उनके साथ दोस्ती और चुदाई की जा सकती थी, उनको वाईफ नहीं बनाया जा सकता था। उनकी ज़िंदगी में शराब, ऐय्याशी और चुदाई इतनी लाज़िम हो गयी थी कि मेरी शादी के बाद मेरे बैटमैन या मेरे दोस्तों से चुदवाये बिना नहीं रहतीं और मैं अहमद को तो बरदाश्त कर सकता था मगर किसी और को नहीं। दुसरी बात ये कि कभी-कभी तो दोनों को एक साथ चोदने में मज़ा था पर हर रोज़ दोनों को एक साथ चोदना पड़ता तो कुछ ही महीनों में वो दोनों मिलकर मुझे निचोड़ कर मेरी जान निकाल देतीं।
 
आखिरकार लतदाद यादें उनके पास छोड़ कर स्करदू के लिये पोस्टिंग पर रवाना हुआ। उस दिन वो दोनों मुझे कराची कैंट स्टेशन सी-ऑफ करने आयी हुई थी। मैंने उनको अपने केबिन में बहुत प्यार किया और दोनों को बहुत किस किया। फिर उनको उदास छोड़ कर मैं चला गया। यहाँ स्करदू में पहुँच कर मैं एक महिना बेस कैंप में रहा और उनसे फोन और खतों के ज़रिये कांटेक्ट रहा। जैसा मेरा अंदाज़ा था दोनों धीरे-धीरे पहले जैसे ही अपने रूटिन में मस्त हो गयी। अब वो बेखौफ होकर दिन में जहाँ कहीं भी और जिस किसी के साथ भी मौका मिलता चुदवा लेती थीं, फिर चाहे वो ज़मादार हो या वार्ड-बॉय हो या कोई और। रात भर तो दोनों नशे में चूर होकर एक दूसरे से लेस्बियन सैक्स का मज़ा लेती थीं। मैं स्करदू की बर्फ़ीली पहाड़ियों पर हूँ और काफी समय हो गया है उन दोनो से कोई कांटेक्ट नहीं है, लेकिन इतना भरोसा है कि उन दोनों की चूतें बाकायदा चुद रही होंगी।
 
 
॥॥॥ समाप्त ॥॥॥
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#49
Bohat hi zabardast aur mazedaar kahani thi ?

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#50
मस्त कहानी!
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#51
(18-05-2020, 06:12 PM)ShakirAli Wrote: Bohat hi zabardast aur mazedaar kahani thi ?

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thanks
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#52
(18-05-2020, 11:50 PM)bhavna Wrote: मस्त कहानी!

thanks
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#53
yourock ....
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#54
(04-06-2020, 11:00 PM)ShakirAli Wrote: yourock ....

thanks
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