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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
#61
पास में नसरीन भाभी जान और जावेद में घमासान छिड़ा हुआ था। दोनों ही एक दूसरे को पछाड़ने के लिये जी जान से जुटे हुए थे। दोनों की चुदाई की रफतार काफी बढ़ गयी थी और दोनों के जिस्म पसीने से लथपथ हो रहे थे। तभी जावेद “आआऽऽहहऽऽऽ.. उम्म्म्म” करता हुआ अपनी भाभी जान के नंगे जिस्म के ऊपर पसर गया। उसका साथ देते हुए नसरीन भाभी भी अपने रस से जावेद के लंड को धोने लगीं। वो दोनों खलास हो कर एक दूसरे को चूमते हुए बुरी तरह हाँफ रहे थे। 

हम दोनों इस रात को एक यादगार बना देना चाहते थे, इसलिये हमें सैक्स के खेल को शुरू करने की कोई जल्दबाज़ी नहीं थी। सारी रात हम दोनों को एक दूसरे के साथ ही रहना था इसलिये हम खूब मजे ले-ले कर एक दूसरे के साथ चुदाई का मज़ा ले रहे थे। 
 
मैंने फिरोज़ भाई जान के लंड के ऊपर अपने निप्पल को फिराना शुरू किया। लंड की जड़ से लेकर टोपे के ऊपर तक अपने लंड को किसी रुई की तरह फ़िरा रही थी। उनका लंड तो उत्तेजना से फूल कर कुप्पा हो रहा था। उनके लंड की टिप पर कुछ बूँद प्री-कम चमकने लगा। वो बस लुढ़क कर बिस्तर को छूने वाला ही था कि मैंने लपक कर अपनी जीभ निकाल कर उसे चाट कर अपने मुँह में भर लिया। उसका स्वाद बहुत मज़ेदार लगा। फिरोज़ भाई जान ने मेरे मम्मों को पकड़ कर उन्हें अपने लंड के ऊपर दाब कर मुझे इशारा किया कि मैं उनको अपने मम्मों से चोदूँ। मैं अपने दोनों मम्मों के बीच उनके मोटे लंड को दबा कर अपने जिस्म को आगे पीछे करने लगी। उन्हें इसमें मुझसे चोदने जैसा मज़ा मिल रहा था। इसलिये वो मुझे सहलाते हुए “आआआहहऽऽ ऊऊहहहऽऽऽ” कर रहे थे। कुछ देर उनके लंड को अपनी दोनों छातियों के बीच लेकर निचोड़ने के बाद मैंने उनके लंड पर अपनी जीभ फ़िरानी शुरू कर दी। अब फिरोज़ भाई जान के लिये अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाना मुश्किल हो रहा था। उन्होंने मेरी कमर को खींच कर अपनी ओर किया। वो मेरी चूत को अपने मुँह में लेना चाहते थे इसलिये मैंने अपने दोनों घुटने मोड़ कर उनके सिर के दोनों ओर रख कर अपनी चूत को उनके होंठों से सटाया।
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#62
अब हम परफेक्ट 69 के पोज़ में थे। मैं उनके लंड को चाट और चूस रही थी और वो मेरी चूत पर अपनी जीभ फ़िरा रहे थे। जावेद और नसरीन भाभी एक दूसरे के नंगे जिस्म से खेलते हुए हमें देखते-देखते नींद की आगोश में चले गये थे। दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाँहों में सो गये थे। लेकिन हम दोनों कि आँखों से नींद कोसों दूर थी। आज तो पूरी रात थकना और फिरोज़ भाई जान को थकाना था। 

फिरोज़ भाई जान मेरे चूत की फाँकों को अपने दोनों हाथों की अँगुलियों से फैला कर अपनी जीभ मेरी क्लिट से लेकर अंदर तक फिराने लगे। मैंने भी उनके उस मोटे लंड को अपने हाथों से पकड़ कर अपने मुँह में लिया। बीच-बीच में अपनी जीभ निकाल कर उनके लंड पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगती। मैं उनके लंड के नीचे लटकते हुए टट्टों को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी। मैंने उन्हें सताने के लिये उनके लंड के टोपे पर हल्के से अपने दाँत गड़ा दिये। वो “आआआह” कर उठे और मुझसे बदला लेने के लिये मेरी क्लिटोरिस को अपने दाँतों के बीच दबा दिया। मैं उत्तेजना से छटपटा उठी। वो काफी गरम हो चुके थे उनको शायद इस पोज़िशन में मज़ा नहीं आ रहा था क्योंकि उनकी जबरदस्तियों को मैं ऊपर होने की वजह से नाकाम कर रही थी। उन्होंने मुझे करवट बदल कर नीचे पटका और खुद ऊपर सवार हो गये। अब मैं नीचे थी और वो मेरे ऊपर। मैंने अपनी टाँगों को मोड़ कर अपनी चूत को उनकी तरफ़ आगे किया और उनके सिर को अपनी दोनों जाँघों के बीच दबा दिया। मैंने दोनों जाँघों से उनके सिर को भींच रखा था जिससे उनको भागने का कोई रास्ता नहीं मिले। लेकिन दूसरी ओर मेरी हालत उन्होंने खराब कर रखी थी। उनका लंड मेरे गले में ठोकर मार रहा था। मैंने जितना हो सकता था अपने मुँह को फाड़ रखा था लेकिन उनके लंड का साइज़ कुछ ज्यादा ही था। मेरा मुँह दुखने लगा था और जीभ दर्द करने लगी थी। उन्होंने अपनी कमर को मेरे मुँह पर दबा रखा था। मैंने उनके लंड की जड़ को अपनी मुठ्ठी में पकड़ कर उनके लंड को पूरा अंदर घुसने से रोका लेकिन उन्होंने अपने हाथों से जबरदस्ती मेरे हाथ को अपने लंड पर से हटा दिया और एक धक्का मारा। मेरी साँस रुकने लगी क्योंकि उनका लंड गले में घुस गया था। मैं छटपटाने लगी तो उन्होंने अपने लंड को कुछ बाहर खींच कर पल भर के लिये मुझे कुछ राहत दी लेकिन फिर पूरे जोर से वापस अपने लंड को गले के अंदर डाल दिया। अब मैंने अपनी साँसें उनके धक्कों के साथ ट्यून कर लीं जिससे दोनों को ही कोई दिक्कत नहीं हो। हर धक्के के साथ उनके टट्टे मेरी नाक को भी बंद कर देते थे। उनके घुंघराले बाल मेरे नथुनों में घुस कर गुदगुदी करने लगते। वो तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे कर रहे थे और ऐसा लग रहा था मानो उन्होंने मेरे मुँह को मेरी चूत समझ रखा हो। मैंने भी अपनी टाँगों से उनके सिर को कैंची की तरह अपनी चूत में दाब रखा था। उनका लंड मेरे थूक से गीला हो कर चमक रहा था। कुछ देर तक इसी तरह मुझे रगड़ने के बाद जब उनके लंड में झटके आने लगे तो उन्होंने मुझे एकदम से छोड़ दिया नहीं तो मेरे मुँह में ही धार छोड़ देते। मेरा तो कब का छूट चुका था। जब वो मुझ पर से उतरे तो मैंने देखा कि मेरे रस से उनके होंठ लिसड़े हुए हैं। वो अपनी जीभ निकाल कर अपने गीले होंठों पर फ़ेर रहे थे।
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#63
“मज़ा आ गया”, उन्होंने कहा। 

“धत्त! आप बहुत गंदे हैं!” मैंने शरमाते हुए उनसे कहा, “आपने मेरे मुँह को क्या समझ रखा था.... इतना बड़ा वो.. घुसेड़-घुसेड़ कर गला चीर कर रख दिया।“
 
“वो? वो क्या?” उन्होंने शरारत से पूछा।
 
“वो....” मैंने उनके लंड की ओर इशारा किया।
 
“अरे उसका कुछ नाम भी होगा। इतनी प्यारी चीज़ है.... जरा मोहब्बत से नाम तो लेकर देखो.... कितना खुश होगा।”
 
“क्यों सताते हो.. अब आ जाओ ऊपर”, मैंने कहा।
 
“नहीं पहले तुम इसका नाम लो।” वैसे तो औरतों के लिये लंड का नाम और वो भी किसी पराये मर्द के सामने लेना बड़ा मुश्किल होता है लेकिन मेरे लिये कोई बड़ी बात नहीं थी। फिर भी मैं शरमाने का नाटक करते हुए झिझकते हुए धीरे से फ़ुसफ़ुसायी, “लंड!”
 
“क्या.. कुछ सुनायी नहीं दिया....” वो पूरी बेशरमी पर उतर आये थे।
 
“लंड!” मैंने फिर से कहा इस बार आवाज में कुछ जोर था। वो खुश हो गये। उन्होंने उठकर अचानक लाईट ऑन कर दी। पूरा कमरा दूधिया रोशनी में नहा गया।
 
“ऊँ हूँ नहीं…” मैंने शरम से अपने छातियों को हाथों से ढक लिया और अपनी चूत को दोनों टाँगों के बीच भींच लिया जिससे उनकी उस पर नज़र ना पड़े।
 
“क्या करते हो बेशरम.. मुझे बहुत शरम आ रही है.... प्ली..ईऽऽ..ज़ लाईट बंद कर दो!” मैंने कहा।
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#64
Zabardast bro. Please continue
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#65
(10-05-2020, 12:21 PM)Calypso25 Wrote: Zabardast bro. Please continue

Thanks bro
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#66
“नहीं! आज मुझे तुम्हारा ये हुस्न पूरी तसल्ली के साथ देखने दो। ये कोई पहली बार तो हम नहीं मिल रहे हैं। हम पहले भी एक दूसरे के सामने नंगे हुए हैं.... भूल गयीं?” फिरोज़ भाई जान मुस्कुरा रहे थे। वो बिस्तर के पास खड़े हो कर मेरे जिस्म को निहारने लगे। मैं उनकी हरकतों से पागल हुई जा रही थी। उन्होंने अपने हाथों से मेरे हाथ को मम्मों से हटाया। मैं कनखियों से उनकी हरकतों को बीच-बीच में देख रही थी। फिर उन्होंने मेरे दूसरे हाथ को मेरी जाँघों से भी हटा दिया। मैं अपने नंगे जिस्म को रोशनी में उनके सामने उघाड़े हुए लेटी हुई थी। फिर उन्होंने मेरी जाँघों को पकड़ कर उनको एक दूसरे से अलग किया और फैला दिया, जिससे मेरी चूत खुल जाये। वो कुछ देर तक मेरे नंगे जिस्म को इसी तरह निहारते रहे और फिर झुक कर मेरे होंठों पर एक किस किया और मेरी कमर के नीचे एक तकिया दे कर मेरी कमर को उठाया। मेरी चूत ऊपर की तरफ़ हो गयी। उन्होंने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरी छातियों से लगा दिया। फिर मेरे ऊपर से अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर कहा, “शहनाज़! आँखें खोलो!” मैंने और सख्ती से अपनी आँखों को भींच लिया और सिर हिला कर इंकार जताया। 

“तुम्हें मेरी कसम शहनाज़ ! अपनी आँखें खोलो और हमारे इस मिलन को अपने दिल दिमाग में कैद कर लो।” उन्होंने अब अपना वास्ता दिया तो मैंने झिझकते हुए अपनी आँखें खोलीं। मेरा जिस्म इस तरह टेढ़ा हो रहा था कि मुझे अपनी चूत के मुँह पर रखा उनका मोटा और लंबा लंड साफ़ नज़र आ रहा था। 
 
मैंने कुछ कहे बिना उनके लंड को अंदर लेने के लिये अपनी कमर को उचकाया। लेकिन उन्होंने मुझे अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया और अपने लंड को ऊपर खींच लिया। मेरी चूत के दोनों होंठ उत्तेजना में बार-बार खुल और बंद हो रहे थे। शायद अपनी भूख अब उनसे नहीं संभाल रही थी। मेरी चूत के किनारे, रस से बुरी तरह गीले हो रहे थे। उन्होंने मेरी चूत के रस को पहले की तरह अपने पायजामे से पोंछ कर साफ़ किया और पूरा सुखा दिया। मैं उनके लंड को अपनी चूत में लेने के लिये बुरी तरह तड़प रही थी।
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#67
“क्यों तड़पा रहे हो जान! अंदर कर दो ना! क्यों मिन्नतें करवा रहे हो!” मैंने उनकी आँखों में झाँकते हुए उनसे मिन्नतें कीं। 

“ऊँहूँ पहले रिक्वेस्ट करो,” वो मेरी हालत का मज़ा ले रहे थे। 
 
“प्ली..ईऽऽऽ..ज़ऽऽऽ”, मैंने उनसे कहा।
 
“क्या? प्लीज़ क्या?” उन्होंने वापस मुझे छेड़ा।
 
“आप बहुत गंदे हो। छी! ऐसी बातें लड़कियाँ बोलती हैं क्या?”
 
“नहीं! जब तक नहीं बोलोगी कि तुम्हें क्या चाहिये, तब तक नहीं दूँगा।” उन्होंने सताना जारी रखा।
 
“ओफ ओह! दे दो ना अपना लंऽऽड!” कहकर मैंने झट से अपनी आँखें बंद कर लीं।
 
“उम्म! अपने जेठ जी का लंड चाहिये?” मैंने अपना सिर हिलाया तो उन्होंने आगे कहा, “तो फिर खुद ही ले लो अपनी चूत में।”
 
मैंने लपक कर उनके लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी चूत की फाँकें अलग कर के उनके लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर रख कर जोर का धक्का ऊपर की तरफ़ मारा तो उनका मोटा लंड थोड़ा मेरी चूत में घुस गया।
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#68
“हूँ...ऊँह।” मेरे मुँह से एक हल्की सी दर्द भरी आवाज निकली। मैंने अब अपनी टाँगों को दोनों ओर फैलाया और उनकी कमर को दोनों ओर से अपनी टाँगों से जकड़ लिया। अब मैं उनके जिस्म से किसी जोंक की तरह चिपक गयी थी। वो अपनी कमर उठाते तो मेरा पूरा जिस्म उनके साथ ही उठ जाता। उन्होंने एक ही धक्के में अपना पूरा मूसल जैसा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैंने अपनी चूत के मसल्स से उनके लंड को बुरी तरह जकड़ रखा था। मैं उनके मंथन से पहले अपनी चूत से उनके लंड को अच्छी तरह महसूस करना चाहती थी। 

“शहनाज़! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भाई जान के होंठ मेरे होंठों पर आ लगे। 
 
“आपको पसंद आयी?” मैंने पूछा तो उन्होंने बस हूँ कहा।
 
“ये तुम्हारे लिये है..... जब जी चाहे इसको यूज़ करना,” मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना रगड़ो कि जिस्म का एक-एक जोड़ दर्द से तड़पने लगे।”
 
वो अब मेरे दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी से मसलते हुए मेरी चूत में धक्के मार रहे थे। हर धक्के के साथ उनका लंड एक दम टोपे तक बाहर आता और फिर अगले ही पल पूरा अंदर समा जाता। मेरी चूत को तकिये से उठा कर रखने की वजह से उनके लंड की हर हरकत मुझे नज़र आ रही थी। मैं इतनी उत्तेजित थी और मेरा इतनी बार झड़ना हुआ कि गिनती ही भूल गयी। मैं बुरी तरह थक चुकी थी। लेकिन वो लगातार मुझे आधे घंटे तक इसी तरह ठोकते रहे। मेरा जिस्म पसीने से लथपथ हो रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं बादलों में उड़ती हुई जा रही हूँ। मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं मिला था। लग रहा था कि काश फिरोज़ भाई जान सारी ज़िंदगी इसी तरह बिना रुके चोदते ही जायें, बस… चोदते ही जायें। पूरा बिस्तर उनके धक्कों से हिल रहा था लेकिन नसरीन भाभी और जावेद पर कोई असर नहीं पड़ रहा था। दोनों थक कर और शराब के नेशे में बेसुध होकर गहरी नींद में सो रहे थे।
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#69
काफी देर तक इसी तरह चुदवाने के बाद जब मैंने महसूस किया कि फिरोज़ भाई जान के धक्कों में कुछ नरमी आ रही है तो कमान मैंने अपने हाथों में संभाल ली। हमने पोज़ बदल लिया। अब वो नीचे लेटे थे और मैं उनके ऊपर चढ़ कर अपनी चूत से उनको चूस रही थी। उन्होंने मेरे कूदते हुए दोनों मम्मों को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने अपनी चूत का दबाव उनके लंड पर बनाया और अब मैं उनके रस को जल्दी निकाल देना चाहती थी क्योंकि मेरा कईं बार निकल चुका था और मैं थक गयी थी। लेकिन वो थे कि अपने लंड का फाऊँटेन चालू ही नहीं कर रहे थे। मुझे भी उनको ऊपर से करीब-करीब पंद्रह मिनट तक चोदना पड़ा तब जा कर मुझे महसूस हुआ कि अब उनके लंड से धार छूटने वाली है। इतना समझते ही मेरी चूत ने उनसे पहले ही अपना रस छोड़ दिया। वो भी मेरे साथ अपने रस का मेरी चूत में मिलाप करने लगे। 

जैसे ही उनका छूटने को हुआ, उन्होंने मेरे निप्पल को अपनी मुठ्ठी में भींच कर अपनी ओर खींचा। नतीजा यह हुआ कि मैं उनके सीने से लग गयी। उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में सख्ती से जकड़ लिया और अपना रस छोड़ने करने लगे। उनकी बाजुओं में इतनी ताकत थी कि मुझे लगा मेरे सीने की दो चार हड्डियाँ टूट जायेंगी। काफी देर तक हम दोनों इसी तरह एक दूसरे की बाँहों में लेटे रहे। मैंने उनके सीने पर अपना सिर रख दिया और आँखें मूँद कर उनके निप्पल से खेलने लगी। 
 
काफी देर तक हम एक दूसरे के जिस्म को सहलाते हुए लेटे रहे। मोहब्बत करते हुए फिरोज़ भाई जान को झपकी आने लगी, लेकिन आज तो सरी रात का प्रोग्राम था, इतनी जल्दी मैं कैसे उनको छोड़ सकती थी।
 
“क्या नींद आ रही है?” मैंने उनसे पूछा। वो बिना कुछ कहे मुझसे और सख्ती से लिपट गये और अपना मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच में दबा कर अपनी जीभ उनके बीच फिराने लगे। एक तो उनकी जीभ और दूसरी उनकी गरम सांसें..... मुझे ऐसा लग रहा था जैसे सीधे मेरे दिल में ही उतरती जा रही हैं। मैंने उनको हटा कर उठाते हुए कहा, “मेरा तो सारा नशा उतर गया है.... आओ एक-दो पैग लगाते हैं.....”
 
“मुझे तो नींद सी आ रही है.... कॉफी पिलाओगी?” उहोंने कहा।
 
“अभी बना कर लाती हूँ.... तुम्हें आज पूरी रात जागना है मेरे लिये.... पर मैं तो व्हिस्की ही पीयूँगी..... तब जा कर मदहोशी में सारी रात मज़ा कर सकुँगी”, कह कर मैं बिस्तर से उठी। जैसे ही मैं अपने जिस्म को छुड़ा कर बिस्तर से नीचे उतरी तो उन्होंने मुझे हाथ पकड़ कर खींच कर वापस अपने ऊपर गिरा लिया और मेरे जिस्म को चूमने लगे।
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#70
“इतने उतावले भी नहीं बनो। अभी तो पूरी रात पड़ी है। अभी आपको तरो ताज़ा बनाती हूँ एक कड़क कॉफी पिला कर”, कहते हुए मैं वापस बिस्तर से उठी। मैंने नीचे उतर कर अपने कपड़े उठाने चाहे मगर उन्होंने झपट कर मेरे कपड़े अपने पास ले लिये और मुझे उसी तरह नंगी ही जाने को कहा। मैं शरम से दोहरी हुई जा रही थी। उन्होंने मेरे कपड़े बिस्तर पर दूसरी ओर फ़ेंक दिये और उन्होंने भी बिस्तर से नंगी हालत में उतर कर मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मुझे उसी तरह बाँहों में समेटे हुए वो ड्रैसिंग टेबल के सामने ले कर आये। फिर मुझे अपने सामने खड़ी कर के मेरे हाथ उठा कर अपनी गर्दन के पीछे रख लिये। मेरे बालों की लटों को मेरे मम्मों पर से हटा कर मुझे आइने के सामने बिल्कुल नंगी हालत में खड़ा कर दिया। हम दोनों एक दूसरे को निहार रहे थे। 

“कैसी लग रही है हम दोनों की जोड़ी?” उन्होंने पूछा। मैं कुछ नहीं बोली और हम बस एक दूसरे को देखते रहे। चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बावजूद मैं उनके कंधे तक ही आ रही थी। कुछ देर बाद जब उन्होंने मुझे छोड़ा तो मैं किचन की ओर चली गयी। पीछे-पीछे वो भी आ गये। 
 
मैंने कॉफी के लिये दूध चढ़ा दिया था और गैस ओवन के पास नंगी हालत में खड़ी अपने पैग की चुसकियाँ लेने लगी। पता ही नहीं चला कि कब वो मेरे पीछे आ कर खड़े हो गये। अपनी गर्दन पर जब किसी की गरम साँसों का एहसास हुआ तो मैं एकदम से चौंक उठी।
 
“इसमें दूध मत डालना.... तुम्हारा यूज़ कर लेंगे!” उन्होंने कहते हुए मेरी बगलों के नीचे से अपने हाथ निकाल कर मेरे दोनों मम्मों को थाम लिया और अपने हाथों से हल्के-हल्के उन पर फिराने लगे। उनके इस तरह सहलाने से मेरे निप्पल फ़ोरन खड़े हो गये। मैंने अपने मम्मों को सहलाते उनके हाथों को देख कर कहा, “बुद्धू अभी तक इनमें दूध आया कहाँ है। अभी तो ये खाली हैं।”
 
“चिंता क्यों करती हो.... इसी तरह मिलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब तेरे दोनों मम्मे और मम्मों के नीचे का हिस्सा, दोनों फूल उठेंगे।”
 
“तो मना कब किया है.... फुला दो ना। मैं उसी का तो इंतज़ार कर रही हूँ।” वो मेरे निप्पल से खेल रहे थे। “आपने मुझे बिकुल बेशरम बना दिया है। देखो हमारा रिश्ता पर्दे का है और हम दोनों किस तरह नंगे खड़े हैं। वो दोनों जाग गये तो क्या कहेंगे?” मैंने अपना पैग खत्म करते हुए कहा।
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#71
“वो क्या कहेंगे.... वो दोनों भी तो इसी तरह पड़े हैं। जब उन्हें किसी तरह की शरम और हया महसूस नहीं हो रही है तो हम क्यों ऐसी फ़ालतू बातों में अपना वक्त बर्बाद करें।” उन्होंने मेरे खाली ग्लास में और व्हिस्की डालते हुए कहा और वो अपने लंड को मेरे दोनों चूतड़ों के बीच रगड़ने लगे। उनका लंड वापस खड़ा होने लगा था। मैंने उनके लंड को अपने हाथों में थाम लिया और सहलाने लगी। 

“आपका ये काफी बड़ा है। बहुत परेशान करता है। मेरी चूत को तो बिल्कुल फाड़ कर रख दिया। अभी तक दुख रही है।” मैंने उनके लंड के साथ-साथ, नीचे लटकते उनके गेंदों को भी सहलाते हुए कहा और अपना पैग पीने लगी। 
 
अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया।
 
“ये?” मैं उसे देख कर चौंक गयी।
 
“ये तुम्हारे लिये है। हमारी मोहब्बत की एक छोटी सी निशानी!” उन्होंने उस नेकलेस को गले में पहनाते हुए कहा।
 
“ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते हुए कहा, “ये तो बहुत महंगी है, फिरोज़!”
 
“खूबसूरत जिस्म पर पहनने के लिये गहना भी वैसा ही होना चाहिये। इसकी रौनक तो तुम्हारे गले से लिपट कर बढ़ गयी है।” मैंने उन्हें आगे कुछ बोलने नहीं दिया और अपना ग्लास रख कर पीछे घूम कर उनसे लिपट गयी और उनके तपते होंठ पर अपने होंठ रख दिये। उन्होंने अपने सिर को झुका कर मेरे दोनों बूब्स के बीच झूल रहे उस लॉकेट को चूमा। ऐसा करते वक्त उनका मुँह मेरे दोनों मम्मों के बीच धंस गया। मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए उनके सिर को अपनी छातियों के बीच दबा दिया। मैं अपनी एक टाँग को उठा कर उनकी जाँघ पर रगड़ने लगी। मेरी जाँघों पर लगा दोनों के रस का लेप उनकी जाँघ पर भी फ़ैल गया। मैं उनके लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी चूत के ऊपर फिराने लगी। हम दोनों एक दूसरे को मसलते हुए वापस गरम होने लगे। उन्होंने मुझे किचन की स्लैब पर हाथ रखवा कर सामने की ओर झुकाया और अपने लंड को मेरी रस से चुपड़ी हुई चूत पर लगा कर अंदर कर दिया।
 
“ऊऊह क्या कर रहे हो। पूरा दूध मेरे ऊपर उफ़न जायेगा। दूध गरम हो गया है।” मैंने उन्हें रोकने के इरादे से कहा।
 
“होने दो कुछ भी.... लेकिन अभी इस वक्त मुझे सिर्फ तुम और तुम्हारा ये नशीला जिस्म दिख रहा है। अब मेरा अपने ऊपर काबू नहीं रहा। तुम मुझे इतना पागल कर देती हो कि मुझे और कुछ भी नहीं दिखता।”
 
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#72
अब वो पीछे से धक्के मार रहे थे। उनके हाथ सामने आकर मेरे दोनों मम्मों को आटे की तरह मथ रहे थे। मैं उनके चोदने के तरीकों पर मार मिटी। उनसे चुदाई करते समय मुझे इतना मज़ा मिल रहा था जितना मुझे आज तक नहीं मिला था। वो पीछे से जोर-जोर से धक्के मार रहे थे। पैन में दूध उबल कर उफ़नने लगा। लेकिन हम दोनों को कहाँ फ़ुर्सत थी। मैंने देखा कि दूध उफ़न कर नीचे गिर रहा है। मैंने ये देख कर गैस ऑफ कर दी। क्योंकि इस हालत में कॉफी बनाना कम से कम मेरे बस का तो नहीं था। मेरा आधा जिस्म किचन स्लैब के ऊपर लगभग लेट सा गया। मेरे खुले बाल चेहरे के चारों ओर फ़ैले हुए थे, इसलिये कुछ भी दिखायी नहीं दे रहा था। मैं अपने आप को संभालने के लिये अपना हाथ स्लैब से हटाती तो उनके जोरदार धक्कों से स्लैब के ऊपर गिरने को होती इसलिये मैंने कुछ भी ना करके सिर्फ इंजॉय करना शुरू किया। कुछ ही देर में मेरी चूत से रस की धार बह निकली। एक के बाद एक, दो बार झड़ने से मेरा रस जाँघों से बहता हुआ घुटनों तक पहुँच रहा था। वो मुझे जोर-जोर से ठोक रहे थे और मैं उनके हर धक्के पर सामने की ओर झुक रही थी। काफी देर तक इस तरह मुझे ठोकने के बाद हम अलग हुए तो उन्होंने मुझे उठा कर किचन स्लैब के ऊपर बिठा दिया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख कर मेरी चूत में वापस लंड डाल कर ठोकना शुरू किया। कभी तो मैं सहारे के लिये अपने हाथों को स्लैब पर रखती तो कभी उनके गले के इर्दगिर्द डाल देती और कभी अपना ग्लास लेकर एक-दो घूँट ड्रिंक पीने लगती। मेरा सिर पीछे कि ओर झुक गया था। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में दबा कर काटना शुरू किया। वो कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद मुझे उसी हालत में लेकर ड्राइंग रूम में आ गये। मैंने उनके गले में अपनी बाँहों का घेरा डाल रखा था और अपना आधा भरा हुआ व्हिस्की का ग्लास भी एक हाथ में पकड़ा हुआ था। उन्होंने मुझे किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा रखा था। 

ड्राइंग रूम में सोफ़े के ऊपर मुझे पटक कर अब वो वापस जोर-जोर से ठोकने लगे। समझ में नहीं आ रहा था कि दो बार अपना रस निकालने के बाद भी उनमें कैसे इतना दमखम बचा हुआ है। सोफ़े पर मुझे कुछ देर तक चोदने के बाद वापस मेरी चूत को अपने रस से लबालब भर दिया। उनके लंड से इस बार इतना रस निकला कि चूत के बाहर बहता हुआ सोफ़े के कपड़े को गीला कर दिया था। मैं भी उनके ही साथ वापस खल्लास हो गयी थी। कुछ देर तक वहीं पड़े हुए अपना पैग खत्म करने के बाद मैं वापस उठ कर किचन में गयी। अब मुझ पर व्हिस्की की मदहोशी छाने लगी थी और ऊँची हील के सैंडल में मुझे अपने कदम बहकते हुए से महसूस हो रहे थे। इस बार फिरोज़ भाई जान वहीं सोफ़े पर ही पसरे रह गये थे। रात के दो बज रहे थे लेकिन हमारे आँखों में नींद का कोई नामो निशान नहीं था। 
 
मैं उनके लिये कॉफी बना कर ले आयी। मैंने देखा कि वो मेरे खाली ग्लास में फिर से व्हिस्की भर रहे थे। जब उन्होंने वो ग्लास अपने होंठों से लगाया तो मैंने उनसे वो ग्लास अपने हाथ में ले लिया। “आप कॉफी पीजिये... अभी तो आपको बहुत मेहनत करनी है.... ड्रिंक पियेंगे तो मेरा साथ नहीं दे पायेंगे।” फिर वहीं उसी हालत में सोफ़े पर मैं उनकी गोद में बैठ कर व्हिस्की पीने लगी और वो कप से कॉफी पीने लगे।
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#73
update pls
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#74
zabardast ja rahi hai story
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#75
WOW. Awesome. Please continue
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#76
Nice story more pl
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#77
(18-05-2020, 06:25 AM)longindian_axe Wrote: update pls

(18-05-2020, 06:44 AM)longindian_axe Wrote: zabardast ja rahi hai story

thanks
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#78
(18-05-2020, 12:49 PM)Calypso25 Wrote: WOW. Awesome. Please continue

Thank you Calypso
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#79
(18-05-2020, 01:09 PM)kasturimgm Wrote: Nice story more pl

thanks
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#80
भाग ६ 
हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए और सहलाते हुए व्हिस्की और कॉफी सिप कर रहे थे।

“आपको भाभी जान कैसे झेलती होंगी। मेरी तो हालत पतली करके रख दी आपने। ऐसा लग रहा है कि सारी हड्डियों का कचूमर बना दिया हो अपने।” मैंने उनके होंठों पर लगी झाग को अपनी जीभ से साफ़ करते हुए कहा, “देखो क्या हालत कर के रख दी है”, मैंने अपने गोरे मम्मों पर उभरे लाल नीले निशानों को दिखाते हुए कहा।

“इतनी बुरी तरह मसला है आपने कि कईं दिन तक ब्रा पहनना मुश्किल हो जायेगा।” नशे में मेरी आवाज़ भी थोड़ी सी बहकने लगी थी।

फिरोज़ भाई जान ने मेरे मम्मों को चूमते हुए अचानक अपनी दो अँगुलियाँ मेरी रस से भरी चूत में घुसा दी। जब अँगुलियाँ बाहर निकाली तो दोनों अँगुलियों से रस चू रहा था। उन्होंने एक अँगुली अपने मुँह में रखते हुए दूसरी अँगुली मेरी ओर की जिसे मैंने अपने मुँह में डाल लिया। दोनों एक-एक अँगुली को चूस कर साफ़ करने लगे।

“मज़ा आ गया आज। इतना मज़ा सैक्स में मुझे पहले कभी नहीं आया था”, फिरोज़ भाई जान ने मेरी तारीफ़ करते हुए कहा, “तुम बराबर का साथ देती हो तो सैक्स में मज़ा बहुत आता है। नसरीन तो बस बिस्तर पर पैरों को फैला कर पड़ जाती है मानो मैं उससे जबरदस्ती कर रहा हूँ।”

“अब आपको कभी उदास होने नहीं दूँगी। जब चाहे मुझे अपनी गोद में खींच लेना.... अब तो इस जिस्म पर आपका भी हक बन गया है।”

हम दोनों इसी तरह बातें करते हुए अपनी व्हिस्की या कॉफी सिप करते रहे। उनकी कॉफी खत्म हो जाने के बाद वो उठे। उन्होंने मुझे अपने ग्लास में फिर व्हिस्की डालते हुए देखा तो मुझे रोक दिया। “बहुत पी चुकी हो तुम..... बहुत नशा हो गया.... और पियोगी तो फिर तबियत बिगड़ जायेगी”, कहते हुए उन्होंने झुक कर मुझे अपनी गोद में ले लिया और मुझे अपनी बाँहों में उठाये बेडरूम की तरफ़ बढ़े।

“मैंने कभी कॉलेज के दिनों में किसी से इश्क नहीं किया था। आज फिर लगता है मैं उन ही दिनों में लौट गयी हूँ”, कहते हुए मैंने उनके सीने पर अपने होंठ रख दिये। उन्होंने मुझे और सख्ती से जकड़ लिया। मेरे मम्मे उनके सीने में पिसे जा रहे थे। मैंने उनके बाँह के मसल्स जो मुझे गोद में उठाने के कारण फूले हुए थे, उसे काटने लगी।
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