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भाग ४
इतना सुनना था कि उन्होंने मुझे अपने सीने में दाब लिया। मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले। मेरा जिस्म कुछ तो दोपहर के नशे से और कुछ उत्तेजना से तप रहा था। मैंने अपने होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया। उन्होंने मुझे इस तरह चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों। मैं उनके चौड़े सेने के बालों पर अपनी अँगुलियाँ फेर रही थी। उन्होंने मेरे जिस्म पर बंधी गाऊन की उस डोर को खींच कर खोल दिया। अब मैं सिर्फ सैंडल पहने, पूरी तरह नंगी उनके सामने थी। मैंने भी उनके पायजामे के ऊपर से उनके लंड को अपने हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया।
“मममम… काफी मोटा है। भाभी जान को तो मज़ा आ जाता होगा?” मैंने उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में भर कर दबाया। फिर पायजामे की डोरी को खोल कर उनके लंड को बाहर निकाला। उनका लंड काफी मोटा था। उनके लंड के ऊपर का सुपाड़ा एक टेनिस की गेंद की तरह मोटा था। फिरोज़ भाई जान गोरे चिट्टे थे लेकिन लंड काफी काला था। उनके लंड के मुँह से पानी जैसा चिपचिपा रस निकल रहा है। मैंने उनकी आँखों में झाँका। वो मेरी हरकतों को गोर से देख रहे थे। मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी नसरीन भाभी जान ने भी नहीं दी होगी। मैंने अपनी जीभ पूरी बाहर निकाली और स्लो मोशन में अपने सिर को उनके लंड पर झुकाया। मेरी आँखें लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी। मैं उनके चेहरे पर उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी। मैंने अपनी जीभ उनके लंड के टिप पर लगायी और उससे निकलने वाले रस को चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया। फिर उसी तरह धीरे-धीरे मैंने अपना सिर उठा कर अपनी जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के सामने किया और मुँह खोल कर जीभ अंदर कर ली। मुझे अपना रस पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने होंठ फिराने लगे। वो मेरे होंठों को, मेरे कानों को, मेरी आँखों को, गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में भर कर सहला रही थी। मैंने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी चूचियों से लगाया। उन्होंने जीभ निकाल कर दोनों चूचियों के बीच की गहरी खायी में फ़िरायी। फिर एक मम्मे को अपने हाथों से पकड़ कर उसके निप्पल को अपने मुँह में भर लिया। मेरे निप्पल पहले से ही तन कर कड़े हो गये थे। वो एक निप्पल को चूस रहे थे और दूसरे मम्मे को अपनी हथेली में भर कर मसल रहे थे। पहले तो उन्होंने धीरे-धीरे मसला मगर कुछ ही देर में दोनों मम्मे पूरी ताकत से मसल-मसल कर लाल कर दिये। मैं उत्तेजना में सुलगने लगी। मैंने उनके लंड के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुठ्ठी में भर कर सहलाना शुरू किया। वो बीच-बीच में मेरे फूले हुए निप्पल को दाँतों से काट रहे थे और कभी जीभ से निप्पल को छेड़ने लगते। मैं “सीईऽऽऽऽ आआआहहऽऽऽऽऽ मममऽऽऽऽ ऊँऊँऽऽऽऽ” जैसी आवाजें निकालने से खुद को नहीं रोक पा रही थी। उनके होंठ दोनों मम्मों पर घूमने लगे और जगह-जगह मेरे मम्मों को काट-काट कर अपने मिलन की निशानी छोड़ने लगे। पूरे मम्मों पर लाल-लाल दाँतों के निशान उभार आये। मैं दर्द और उत्तेजना में “सीईऽऽऽ सीईऽऽऽ” कर रही थी और अपने हाथों से अपने मम्मों को उठाकर उनके मुँह में दे रही थी।
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“कितनी खूबसूरत हो…” फिरोज़ भाई जान ने मेरे दोनों बूब्स को पकड़ कर खींचते हुए कहा।
“आगे भी कुछ करोगे या इनसे ही चिपके रहने की मरज़ी है?” मैंने उनको प्यार भरी एक झिड़की दी। निप्पल लगातार चूसते रहने की वजह से दुखने लगे थे। मम्मों पर जगह-जगह उनके दाँतों के काटने से लाल-लाल निशान उभरने लगे थे। मैं काफी उत्तेजित हो गयी थी। जावेद इतना फोर-प्ले कभी नहीं करता था। उसको तो बस टाँगें चौड़ी करके अंदर डाल कर धक्के लगाने में ही मज़ा आता था।
उन्होंने मेरी टाँगें पकड़ कर नीचे कीं ओर खींचा तो मैं बिस्तर पर लेट गयी। अब उन्होंने मेरी दोनों टाँगें उठा कर उनके नीचे दो तकिये लगा दिये जिससे मेरी चूत ऊपर को उठ गयी। मैंने अपनी टाँगों को चौड़ा करके छत की ओर उठा दीं। फिर उनके सिर को पकड़ कर अपनी चूत के ऊपर दबा दिया। फिरोज़ भाई जान अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत के अंदर उसे डाल कर घुमाने लगे। मेरे पूरे जिस्म में सिहरन सी दौड़ने लगी। मैं अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी जीभ ज्यादा अंदर तक जा सके। मेरे हाथ बिस्तर को मजबूती से थामे हुए थे। मेरी आँखों की पुतलियाँ पीछे की ओर उलट गयी और मेरा मुँह खुल गया। मैं जोर से चींख पड़ी, “हाँऽऽऽ और अंदरऽऽ। फिरोज़ आआआहहहऽऽऽऽ ऊऊऊहहहऽऽऽ इतनेऽऽऽ दिन कहाँ थेऽऽऽ। मैंऽऽऽ पाऽऽऽगल हो जाऊँऽऽऽगीऽऽऽ.... ऊऊऽऽऽहहहऽऽऽ ऊऊऊईईईई माँऽऽऽ क्याऽऽऽ कर रहे होऽऽऽऽ फिरोज़ मुझेऽऽऽ संभालोऽऽऽऽ मेराऽऽऽ छूटनेऽऽऽ वालाऽऽऽऽ हैऽऽऽ। फिरोऽऽज़ इसीऽऽऽ तरह साऽऽऽरी ज़िंदगीऽऽऽ तुम्हारी दूऽऽसरीऽऽऽ बीवी बनकर चुदवातीऽऽऽ रहुँऽऽऽऽगी।” एक दम से मेरी चूत से रस की बाढ़ सी आयी और बाहर की ओर बह निकली। मेरा पूरा जिस्म किसी पत्ते की तरह काँप रहा था। काफी देर तक मेरा झड़ना चलता रहा। जब सारा रस फिरोज़ भाई जान के मुँह में उढ़ेल दिया तो मैंने उनके सर को पकड़ कर उठाया। उनकी मूछें, नाक, होंठ सब मेरे रस से सने हुए थे। उन्होंने अपनी जीभ निकाली और अपने होंठों पर फिरायी।
“छी… गंदे!” मैंने उनसे कहा।
“इसमें गंदी वाली क्या बात हुई? ये तो टॉनिक है। तुम मेरा टॉनिक पी कर देखना.... अगर जिस्म में रंगत ना आजये तो कहना।”
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“जानु अब आ जाओ!” मैंने उनको अपने ऊपर खींचा, “मेरा जिस्म तप रहा है। नशे की खुमारी कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है.... इससे पहले कि मैं पागल हो जाऊँ मेरे अंदर अपना बीज डाल दो।”
फिरोज़ भाई जान ने अपने लंड को मेरे मुँह से लगाया।
“एक बार मुँह में तो लो..... उसके बाद तुम्हारी चूत में डालुँगा। पहले एक बार प्यार तो करो इसे!” मैंने उनके लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और अपनी जीभ निकाल कर उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया। मैं अपनी जीभ से उनके लंड को एकदम नीचे से ऊपर तक चाट रही थी और अपनी जीभ से उनके लंड के नीचे लटकते हुए अंडकोशों को भी चाट रही थी। उनका लंड मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था। मैं उनके लंड को चाटते हुए उनके चेहरे को देख रही थी। उनका उत्तेजित चेहरा बड़ा प्यारा लग रहा था। दिल को सकून मिल रहा था कि मैं उन्हें कुछ तो आराम दे पाने में कामयाब रही थी। उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया था कि उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर दे सकी तो मुझे अपने ऊपर फ़ख्र होगा।
उनके लंड से चिपचिपा सा बेरंग का प्री-कम निकल रहा था जिसे मैं बड़ी बेकरारी से चाट कर साफ़ कर देती थी। मैं काफी देर तक उनके लंड को तरह-तरह से चाटती रही। उनका लंड काफ़ी मोटा था इसलिये मुँह के अंदर ज्यादा नहीं ले पा रही थी और इसलिये जीभ से चाट-चाट कर ही उसे गीला कर दिया था। कुछ देर बाद उनका लंड झटके खाने लगा। उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया।
“बस..... बस..... और नहीं! नहीं तो अंदर जाने से पहले ही निकल जायेगा,” कहते हुए उन्होंने मेरे हाथों से अपने लंड को छुड़ा लिया और मेरी टाँगों को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गये। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत से सटाया।
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“आपका बहुत मोटा है। मेरी चूत को फाड़ कर रख देगा,” मैंने घबराते हुए कहा, “फिरोज़ भाई जान धीरे-धीरे करना नहीं तो मैं दर्द से मार जाऊँगी।”
वो हंसने लगे।
“आप बहुत खराब हो। इधर तो मेरी जान की पड़ी है”, मैंने उनसे कहा।
मैंने भी अपने हाथों से अपनी चूत को चौड़ा कर उनके लंड के लिये रास्ता बनाया। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत के दर पर टिका दिया। मैंने उनके लंड को पकड़ कर अपनी फैली हुई चूत के अंदर खींचा।
“अंदर कर दो....” मेरी आवाज भारी हो गयी थी। उन्होंने अपने जिस्म को मेरे जिस्म के ऊपर लिटा दिया। उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा। मैं सब कुछ भूल कर अपने जेठ के सीने से लग गयी। बस सामने सिर्फ फिरोज़ थे और कुछ नहीं। वो ही इस वक्त मेरे आशिक, मेरे सैक्स पार्टनर और जो कुछ भी मानो, थे। मुझे तो अब सिर्फ उनका लंड ही दिख रहा था।
जैसे ही उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह से “आआऽऽऽहहऽऽऽ” की आवाज निकली और उनका लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में धंस गया। वो इस पोज़िशन में मेरे होंठों को चूमने लगे।
“अच्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने के लिये तुम भी इतनी बेसब्र थी.... और मैं बेवकूफ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ। अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो तो....” वाक्य को अधुरा ही रख कर वो कुछ रुके।
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“तो?.... तो?”
“तो तुम्हें किसी की भी परवाह किये बिना कब का पटक कर ठोक चुका होता,” उन्होंने शरारती लहजे में कहा।
“धत!! इस तरह कभी अपने छोटे भाई की बीवी से बात करते हैं? शरम नहीं आती आपको?” मैंने उनके कान को अपने दाँतों से चबाते हुए कहा।
“शरम? अच्छा चोदने में कोई शरम नहीं है पर शरम बात करने में ही है ना?” कहकर वो अपने हाथों का सहारा लेकर मेरे जिस्म से उठे और साथ-साथ उनका लंड भी मेरी चूत को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला और फिर वापस पूरे जोर से मेरी चूत में अंदर तक धंस गया।
“ऊऊऊहहऽऽऽ दर्द कर रहा है। आपका वाकय काफी बड़ा है। मेरी चूत छिल गयी है। पता नहीं नसरीन भाभी इतने मोटे लंड को छोड़ कर मेरे जावेद में क्या ढूँढ रही हैं?” मैंने उनके आगे पीछे होने की रिदम से अपनी रिदम भी मिलायी। हर धक्के के साथ उनका लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस जाता और उनकी कोमल झाँटें मेरी मुलायम त्वचा पर रगड़ खा जाती। वो जोर-जोर से मुझे ठोकने लगे उनके हर धक्के से पूरा बिस्तर हिलने लगता। काफी देर तक वो ऊपर से धक्के मारते रहे। मैंने नीचे से अपनी टाँगें उठा कर उनकी कमर पर लपेट ली थी और उनके बालों भरे सीने में अपने तने हुए निप्पल रगड़ रही थी। इस रगड़ से एक सिहरन सी पूरे जिस्म में दौड़ रही थी। मैंने अपने हाथों से उनके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर लगा कर अपनी जीभ उनके मुँह में घुसा दी। मैं इसी तरह उनके लंड को अपनी चूत में लेने के लिये अपनी कमर को उचका रही थी। उनके जोरदार धक्के मुझे पागल बना रहे थे। उन्होंने अपना चेहरा ऊपर किया तो मैं उनके होंठों की छुअन के लिये तड़प कर उनकी गर्दन से लटक गयी। फिरोज़ भाई जान के शरीर में दम काफी था जो मेरे जिस्म का बोझ उठा रखा था। मैं तो अपने हाथों और पैरों के बल पर उनके जिस्म पर झूल रही थी। इसी तरह मुझे उठाये हुए वो लगातार चोदे जा रहे थे। मैं “आआऽऽहहऽऽऽ माँआऽऽऽ मममऽऽऽ ऊफफऽऽऽ” जैसी आवाजें निकाले जा रही थी। उनके धक्कों से तो मैं निढाल हो गयी थी। वो लगातार इसी तरह पंद्रह मिनट तक ठोकते रहे। इन पंद्रह मिनट में मैं दो बार झड़ चुकी थी लेकिन उनकी रफतार में कोई कमी नहीं आयी थी। उनके सीने पर पसीने की कुछ बूँदें जरूर चमकने लगी थीं। मैंने अपनी जीभ निकाल कर उन नमकीन बूँदों को चाट लिया। वो मेरी इस हरकत से और जोश में आ गये। पंद्रह मिनट बाद उन्होंने मेरी चूत से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला।
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उन्होंने मुझे किसी बार्बी डॉल की तरह एक झटके में उठाकर हाथों और पैरों के बल घोड़ी बना दिया। मेरी टपकती हुई चूत अब उनके सामने थी।
“मममऽऽऽ दोऽऽऽ.... डाऽऽऽल दोओऽऽऽ। आज मुझे जितना जी में आये मसल डालो..... आआआह मेरी गर्मी शाँत कर दो।” मैं सैक्स की भूखी किसी वेश्या की तरह छटपटा रही थी उनके लंड के लिये।
“एक मिनट ठहरो,” कहकर उन्होंने मेरा गाऊन उठाया और मेरी चूत को अच्छी तरह साफ़ करने लगे। ये जरूरी भी हो गया था। मेरी चूत में इतना रस निकला था कि पूरी चूत चिकनी हो गयी थी। उनके इतने मोटे लंड के रगड़ने का अब एहसास भी नहीं हो रहा था। जब तक लंड के रगड़ने का दर्द नहीं महसूस होता तब तक मज़ा उतना नहीं आ पाता है। इसलिये मैं भी उनके इस काम से बहुत खुश हुई। मैंने अपनी टाँगों को फैला कर अपनी चूत के अंदर तक का सारा पानी सोख लेने में मदद की। मेरी चूत को अच्छी तरह साफ़ करने के बाद उन्होंने अपने लंड पर चुपड़े मेरे रस को भी मेरे गाऊन से साफ़ किया। मैंने बेड के सिरहाने को पकड़ रखा था और कमर उनकी तरफ़ कर रखी थी। उन्होंने वापस अपने लंड को मेरी चूत के द्वार पर लगा कर एक और जोरदार धक्का दिया।
“हममऽऽऽफफफऽऽऽऽ” मेरे मुँह से एक आवाज निकली और मैंने उनके लंड को अपनी दुखती हुई चूत में रगड़ते हुए अंदर जाते हुए वापस महसूस किया। वो दोबारा जोर-जोर से धक्के लगाने लगे। उनके धक्कों से मेरे बड़े-बड़े स्तन किसी पेड़ पर लटके आमों की तरह झूल रहे थे। मेरे गले पर पहना हुआ भारी नेकलेस उनके धक्कों से उछल-उछल कर मेरी चूचियों को और मेरी ठुड्डी को टक्कर मार रहा था। मैंने उसके लॉकेट को अपने दाँतों से दबा लिया जिससे कि वो झूले नहीं। फिरोज़ भाई जान ने मेरी इस हरकत को देख कर मेरे नेकलेस को अपने हाथों में लेकर अपनी ओर खींचा। मैंने अपना मुँह खोल दिया। अब ऐसा लग रहा था मानो वो किसी घोड़ी की सवारी कर रहे हों और नेकलेस उनके हाथों में दबी उसकी लगाम हो। वो इस तरह मेरी लगाम थामे मुझे पीछे से ठोकते जा रहे थे।
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“फिरोज़.....ऊऊऊऽऽऽहहऽऽऽ..... फिरोज़....मेरा वापस झड़ने वाला है.... तुम भी मेरा साथ दो प्लीईऽऽऽज़,” मैंने फिरोज़ भाई जान से मेरे साथ झड़ने की गुज़ारिश किया। फिरोज़ भाई जान ने मेरी पीठ पर झुक कर मेरे झूलते हुए दोनों मम्मों को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया और पीछे से अपनी कमर को आगे पीछे ठेलते हुए जोर-जोर के धक्के मारने लगे। मैंने अपने सिर को झटका देकर अपने चेहरे पर बिखरी अपनी ज़ुल्फों को पीछे किया तो मेरे दोनों मम्मों को मसलते हुए जेठ जी के हाथों को देखा। उनके हाथ मेरे निप्पलों को अपनी चुटकियों में भर कर मसल रहे थे।
“मममम... फिरोज़… फिरोज़” अब हमारे बीच कोई रिश्तों का तकल्लुफ नहीं बचा था। मैं अपने जेठ को उनके नाम से ही बुला रही थी, “फिरोज़..... मैं झड़ रही हूँ..... फिरोज़ तुम भी आ जाओ.... तुम भी अपनी धार छोड़ कर मेल कर दो।”
मैंने महसूस किया कि उनका लंड भी झटके लेने लगा है। उन्होंने मेरी गर्दन के पास अपना चेहरा रख दिया। उनकी गरम-गरम साँस मेरी गर्दन पर महसूस हो रही थी। उन्होंने लगभग मेरे कान में फुसफुसाते हुए कहा, “शहनाज़ ..... मेरा निकल रहा है.... आज तुम्हारी कोख तुम्हारे जेठ के रस से भर जायेगी।”
“भर जाने दो मेरे जानम डाआऽऽऽल दो मेरे पेट में अपना बच्चा डाल दो.... मैं आपको अपनी कोख से बच्चा दूँगी।” मैंने कहा और एक साथ दोनों के जिस्म से अमृत की धारा बह निकली। उनकी अँगुलियाँ ने मेरी चूचियों को बुरी तरह निचोड़ दिया। मेरे दाँत मेरे नेकलेस पर गड़ गये और हम दोनों बिस्तर पर गिर पड़े। वो मेरे ऊपर ही पड़े हुए थे। हमारे जिस्म पसीने से लठपथ हो रहे थे।
"आआआऽऽऽऽहहहऽऽऽऽ फिरोज़ऽऽऽऽ. आज आपने मुझे वाकय ठंडा कर दिया आआऽऽपने मुझे वो… मज़ा…. दिया जिसके.. .लिये मैं... काफी.. दिनों से तड़प रही थी.. मममऽऽऽ।” मेरा चेहरा तकिये में धंसा हुआ था और मैं बड़बड़ाये जा रही थी। वो बहुत खुश हो गये और मेरी नंगी पीठ को चूमने लगे और बीच बीच में मेरी पीठ पर काट भी लेते। मैं बुरी तरह थक चुकी थी। वापस नशे और हेंगओवर ने मुझे घेर लिया। पता ही नहीं चला कब मैं नींद के आगोश में चली गयी।
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जेठजी ने मेरे नंगे जिस्म पर कपड़े किस तरह पहनाये ये भी पता नहीं चल पाया। उन्होंने मुझे कपड़े पहना कर चादर से अच्छी तरह लपेट कर सुला दिया। मैं हसीन ख्वाबों में खो गयी।
अच्छा हुआ कि उन्होंने मुझे कपड़े पहना दिये थे, वरना अपनी इस हालत की सफायी जावेद और नसरीन भाभी जान से करना मुश्किल काम होता। मेरे पूरे जिस्म पर उकेरे गये दाँतों के निशानों की दिलकश नक्काशी का भी कोई जवाब नहीं था।
जब तक दोनों वापस नहीं आ गये फिरोज़ भाई जान की गोद में ही सिर रख कर सोती रही और फिरोज़ भाई जान मेरे बालों में अपनी अँगुलियाँ फेरते रहे। बीच-बीच में वो मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गरम होंठ रख देते।
जावेद और नसरीन भाभी रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे। होटल से खाना पैक करवा कर ही लौटे थे। मेरी हालत देख कर जावेद और नसरीन भाभी घबरा गये। बगल में ही एक डॉक्टर रहता था उसे बुला कर मेरी जाँच करवायी। डॉक्टर ने देख कर कहा कि बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से डी-हायड्रेशन हो गया है और जूस वगैरह पीने को कह कर चले गये।
अगले दिन सुबह मेरी तबियत एकदम सलामत हो गयी। अगले दिन जावेद का जन्मदिन था। शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था। एक बड़े होटल में सीट पहले से ही बुक कर रखी थी। वहीं पर पहले हम सबने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया। वापस लौटते समय जावेद ने बज़ार से एक ब्लू फ़िल्म का डी-वी-डी खरीद लिया। घर पहुँच कर हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठे हुए। सब फिर से ड्रिंक्स लेने लगे। मुझे सबने मना भी किया कि पिछले दिन मेरी तबियत शराब पीने से खराब हो गयी थी और कुछ देर पहले होटल में तो मैंने ड्रिंक पी ही थी, पर मैं कहाँ मानने वाली थी। मैंने भी ज़िद करके उनके साथ और ड्रिंक्स लीं। फिर पहले म्यूज़िक चला कर कुछ देर तके एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डाँस किया। मैं जेठ जी की बाँहों में नशे की हालत में थिरक रही थी और नसरीन भाभी को जावेद ने अपनी बाँहों में भर रखा था। फिर जावेद ने कमरे की ट्यूबलाईट ऑफ कर दी और सिर्फ एक हल्का नाईट लैंप जला दिया। हम चारों बिस्तर पर बैठ गये।
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जावेद ने डी-वी-डी ऑन करके ब्लू फ़िल्म चला दी। फिर बिस्तर के सिरहाने पर पीठ लगा कर हम चारों बैठ गये। एक किनारे पर जावेद बैठा था और दूसरे किनारे पर फिरोज़ भाई जान थे। बीच में हम दोनों औरतें थीं। दोनों ने नशे में मस्त अपनी-अपनी बीवियों को अपनी बाँहों में समेट रखा था। इस हालत में हम ब्लू फ़िल्म देखने लगे। फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती गयी, कमरे का माहौल गरम होता गया। दोनों मर्द बिना किसी शरम के अपनी अपनी बीवियों के गुप्ताँगों को मसलने लगे। जावेद मेरे मम्मों को मसल रहा था और फिरोज़ नसरीन भाभी के। जावेद ने मुझे उठा कर अपनी टाँगों के बीच बिठा लिया। मेरी पीठ उनके सीने से सटी हुई थी। वो अपने दोनों हाथ मेरे गाऊन के अंदर डाल कर अब मेरे मम्मों को मसल रहे थे। मैंने देखा नसरीन भाभी जावेद को चूम रही थी और जावेद के हाथ भी नसरीन भाभी जान के गाऊन के अंदर थे। मुझे उन दोनों को इस हालत में देख कर पता नहीं क्यों कुछ जलन सी होने लगी। हम दोनों के गाऊन कमर तक उठ गये थे। और नंगी जाँघें सबके सामने थीं। जावेद अपने एक हाथ को नीचे से मेरे गाऊन में घुसा कर मेरी चूत को सहलाने लगे। मैं अपनी पीठ पर उनके लंड की ठोकर को महसूस कर रही थी।
फिरोज़ ने नसरीन भाभी के गाऊन को कंधे पर से उतार दिया था और एक मम्मे को बाहर निकाल कर चूसने लगे थे। ये देख कर जावेद ने भी मेरे एक मम्मे को गाऊन के बाहर निकालने की कोशिश की। मगर मेरे इस गाऊन का गला कुछ छोटा था इसलिये उसमें से मेरा स्तन बाहर नहीं निकल पाया। उन्होंने काफी कोशिशें की मगर सफ़ल ना होते देख कर गुस्से में एक झटके में मेरे गाऊन को मेरे जिस्म से हटा दिया। अब सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने मैं सबके सामने बिल्कुल नंगी हो गयी क्योंकि प्रोग्राम के अनुसार हम दोनों औरतों ने गाऊन के अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मैं शरम के मारे अपने हाथों से अपने मम्मों को छिपाने लगी और अपनी टाँगों को एक दूसरे से सख्ती से दबा लिया जिससे मेरी चूत के दर्शन ना हों।
“क्या करते हो.. शरम करो बगल में फिरोज़ भाई और नसरीन भाभी जान हैं.... तुमने उनके सामने मुझे नंगी कर दिया। छी-छी क्या सोचेंगे जेठ जी?” मैंने फुसफुसाते हुए जावेद के कानों में कहा जिससे बगल वाले नहीं सुन सकें।
“तो इसमें क्या है? नसरीन भाभी जान भी तो लगभग नंगी ही हो चुकी हैं। देखो उनकी तरफ़..” मैंने अपनी गर्दन घूमा कर देखा तो पाया कि जावेद सही कह रहा था। फिरोज़ भाई जान ने भाभी के गाऊन को छातियों से भी ऊपर उठा रखा था। वो भाभी जान की चूचियों को मसले जा रहे थे। वो भाभी जान के एक निप्पल को अपने दाँतों से काटते हुए दूसरे बूब को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसलते जा रहे थे। नसरीन भाभी ने फिरोज़ भाई जान के पायजामे को खोल कर उनके लंड को अपने हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया था।
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इधर जावेद मेरी टाँगों को खोल कर अपने होंठ मेरी चूत के ऊपर फ़ेरने लगा। उसने ऊपर बढ़ते हुए मेरे दोनों निप्पल को कुछ देर चूसा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा। नसरीन भाभी जान के बूब्स भी मेरी तरह काफी बड़े-बड़े थे। दोनों भाइयों ने लगता है दूध की बोतलों का मुआयना करके ही निकाह के लिये पसंद किया था। नसरीन भाभी के निप्पल काफी लंबे और मोटे हैं जबकि मेरे निप्पल कुछ छोटे हैं। अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे। पता नहीं टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था। सामने लाईव ब्लू फ़िल्म इतनी गरम थी कि टीवी पर देखने की किसे फ़ुर्सत थी। जावेद ने मेरे हाथों को अपने हाथों से अपने लंड पर दबा कर सहलाने का इशारा किया। मैं भी नसरीन भाभी की देखा देखी जावेद के पायजामे को ढीला करके उनके लंड को बाहर निकाल कर सहला रही थी। फिरोज़ की नजरें मेरे जिस्म पर टिकी हुई थी। उनका लंड मेरे नंगे जिस्म को देख कर फूल कर कुप्पा हो रहा था।
चारों अपने-अपने लाईफ पार्टनर्स के साथ सैक्स के खेल में लगे हुए थे। मगर चारों ही एक दूसरे के साथी का तस्सवुर करके उत्तेजित हो रहे थे। फिरोज़ ने बेड पर लेटते हुए नसरीन भाभी जान को अपनी टाँगों के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर झुकाया। नसरीन भाभी ने उनके लंड पर झुकते हुए हमारी तरफ़ देखा। पल भर को मेरी नजरों से उनकी नजरें मिली तो वो मुझे भी ऐसा करने को इशारा करते हुए मुस्कुरा दीं। मैंने भी जावेद के लंड पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया। जावेद के लंड को मैं अपने मुँह में भर कर चूसने लगी और नसरीन भाभी फिरोज़ के लंड को चूस रही थी। इसी दौरान हम चारों बिल्कुल नंगे हो गये।
“जावेद लाईट बंद कर दो.... शरम आ रही है,” मैंने जावेद को फुसफुसाते हुए कहा।
“इसमें शरम किस बात की। वो भी तो हमारे जैसी हालत में ही हैं,” कहकर उन्होंने पास में चुदाई में मसरूफ फिरोज़ और नसरीन की ओर इशारा किया। जावेद ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। वो ज्यादा देर तक ये सब पसंद नहीं करते थे। थोड़े से फोर-प्ले के बाद ही वो चूत के अंदर अपने लंड को घुसा कर अपनी सारी ताकत चोदने में लगाने पर ही विश्वास करते थे। उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच कर अपनी चूत में उनका लंड लेने के लिये इशारा किया। मैंने उनकी कमर के पास बैठ कर घुटनों के बल अपने जिस्म को उनके लंड के ऊपर किया। फिर उनके लंड को अपने हाथों से अपनी चूत के मुँह पर सेट करके मैंने अपने जिस्म का सारा बोझ उनके लंड पर डाल दिया। उनका लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया। मैंने पास में दूसरे जोड़े की ओर देखा। दोनों अभी भी लंड चुसाई में बिज़ी थे। नसरीन भाभी जान अभी भी उनके लंड को चूस रही थीं। मेरा तो उन दोनों की लंड चुसाई देख कर ही पहली बार झड़ गया। नाईट लैंप की रोश्नी में सिर्फ सैंडल पहने नंगी नसरीन भाभी का जिस्म दमक रहा था।
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तभी जावेद ने ऐसी हरकत कि जिससे हमारे बीच बची-खुची शरम का पर्दा भी तार-तार हो गया। जावेद ने फिरोज़ भाई जान का हाथ पकड़ा और मेरे एक मम्मे पर रख दिया। फिरोज़ ने अपने हाथों में मेरे मम्मे को थाम कर कुछ देर सहलाया। ये पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने मुझे मेरे हसबैंड के सामने ही मसला था। फिरोज़ मेरे एक मम्मे को थोड़ी देर तक मसलते रहे और फिर मेरे निप्पल को पकड़ कर अपनी अँगुलियों से उमेठने लगे।
जावेद इसी का बहाना लेकर नसरीन भाभी के एक मम्मे को अपने हाथों में भर कर दबाने लगे। जावेद की आँखें नसरीन भाभी से मिली और नसरीन भाभी अपने सिर को फिरोज़ भाई जान की जाँघों के बीच से उठा कर आगे आ गयीं जिससे जावेद को उनके मम्मों पर हाथ फ़ेरनेके लिये ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़े। अब हम दोनों औरतें अपने-अपने हसबैंड के लंड की सवारी कर रही थीं। ऊपर नीचे होने से दोनों की बड़ी-बड़ी चूचियाँ उछल रही थीं। जावेद के हाथों की मालिश अपने मम्मों पर पाकर नसरीन भाभी की धक्के मारने की रफ़्तार बढ़ गयी और वो, “आआऽऽहहऽऽऽ ममऽऽऽऽ” जैसी आवाजें मुँह से निकालती हुई फिरोज़ भाई जान पर लेट गयी। लेकिन फिरोज़ भाई जान का तना हुआ लंड उनकी चूत से नहीं निकला।
कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद जावेद ने मुझे अपने ऊपर से उठा कर बिस्तर पर लिटाया और मेरी दोनों टाँगें उठा कर अपने कंधे पर रख लीं और मेरी चूत पर अपने लंड को लगा कर अंदर धक्का दे दिया। फिर वो मेरी चूत पर जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मैं फिरोज़ की बगल में लेटी हुई उनको नसरीन भाभी को चूमते और मोहब्बत करते हुए देख रही थी। मेरे मन में जलन की आग लगी हुई थी। काश वहाँ उनके जिस्म पर नसरीन भाभी जान नहीं बल्कि मेरा नंगा जिस्म पसरा हुआ होता।
वो मुझे बिस्तर पर लेटे हुए ही निहार रहे थे। उनके होंठ नसरीन भाभी जान को चूम चाट रहे थे लेकिन आँखें और दिल मेरे पास था। वो अपने हाथों को मेरे जिस्म पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते हुए अपनी नसरीन को वापस ठोकने लगे। नसरीन भाभी के काफी देर तक ऊपर से चोदने के बाद फिरोज़ भाई जान ने उसे हाथों और पैरों के बल झुका दिया। ये देख जावेद ने भी मुझे उलटा करके मुझे भी उसी पोज़िशन में कर दिया। सामने आईना लगा हुआ था। हम दोनों जेठानी देवरानी पास-पास घोड़ी बने हुए थे। दोनों भाइयों ने एक साथ एक रिदम में हम दोनों को ठोकना शुरू किया। चार बड़े-बड़े मम्मे एक साथ आगे पीछे हिल रहे थे। हम दोनों एक दूसरे की हालत देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो रहे थे। कुछ देर तक इस तरह चोदने के बाद दोनों ने हम दोनों को बिस्तर पर लिटा दिया और ऊपर से मिशनरी स्टाईल में धक्के मारने लगे। इस तरह चुदाई करते हुए हमारे जिस्म अक्सर एक दूसरे से रगड़ खा कर और अधिक उत्तेजना का संचार कर रहे थे।
नसरीन भाभी जान अब झड़ने वाली थी वो जोर-जोर से चींखने लगी, “हाँ हाँ.. औऽऽर जोर सेएऽऽऽ और जोर सेएऽऽऽ। हाँ इसीइऽऽऽ तरह.... फिरोज़ आज तुम में काफी जोश है.. आज तो तुम्हारा बहुत तन रहा है। आज तो मैं निहाल हो गयी....” इस तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू किया और कुछ ही देर में इस तरह बिस्तर पर निढाल होकर गिरी, मानो उसके जिस्म से हवा निकाल दी गयी हो। अब तो फिरोज़ भाई जान उसके ठंडे पड़े शरीर को ठोक रहे थे।
मैंने सोचा काश उनकी जगह मैं होती तो बराबर का साथ देती और उन्हें दिखाती कि मुझ में कितना स्टैमिना है। इस गेम में तो जेठ जी को हरा कर ही छोड़ती।
कुछ देर बाद जावेद ने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उसके लंड से गरम वीर्य की धार मेरी चूत के अंदर बहने लगी। मैंने भी उसके साथ-साथ अपने रस का द्वार खोल दिया। हम दोनों अब एक दूसरे के पास लेटे हुए लंबी-लंबी सांसें ले रहे थे। मेरा दो बार निकल जरूर गया था लेकिन अभी तक मैं गर्मी से जल रही थी। आज तो मैं इतनी उत्तेजित थी कि अगर जावेद मुझे रात भर चोदता तो मैं उसका पूरी रात साथ देती।
तभी फिरोज़ उठ कर बाथरूम चले गये। जावेद हम दोनों औरतों के बीच लेट गया और हम दोनों को अपनी दोनों बाँहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया। हम दोनों औरतें उसके नंगे जिस्म से लिपटी हुई थीं। जावेद एक बार मुझे चूमता तो एक बार अपनी भाभी को। हम दोनों औरतें उसके जिस्म को सहला रही थीं। मैंने अपना हाथ उसके लंड पर रखा तो पता चला कि वहाँ पर तो पहले से ही एक हाथ रखा हुआ था। मैंने नीचे झुक कर देखा कि नसरीन भाभी ने जावेद का लंड अपने हाथों में थाम रखा है।
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Zabardast. Please continue
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mast story. jaldi update karo bhai..
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(03-05-2020, 12:37 PM)Calypso25 Wrote: Zabardast. Please continue
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(07-05-2020, 12:04 AM)longindian_axe Wrote: mast story. jaldi update karo bhai..
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(09-05-2020, 09:34 PM)Calypso25 Wrote: Update do bhai
Update bus thodi der mei
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(09-05-2020, 11:25 PM)PriyaRandiBiwi Wrote: hi guys
want to chat about my hot slutwife
want to know about her
come on hangout
@@@@@@1
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10-05-2020, 02:49 AM
(This post was last modified: 10-05-2020, 02:50 AM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भाग ५
ये देख कर मैं ने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। अचानक मुझे अपने पीछे कुछ आवाज आयी। मैंने अपने होंथों को जावेद की पकड़ से छुड़ाया और पीछे घूम कर देखा कि पीछे बिस्तर के पास फिरोज़ खड़े हम तीनों को देख रहे थे। कमरे में अंधेरा था। नाईट लैंप और टीवी की हल्की रोशनी में उनका भोला सा चेहरा बहुत मासूम लग रहा था। शायद उन्हें भी अपने छोटे भाई की किसमत पर जलन हो रही थी। इसलिये चुपचाप खड़े हमारी हरकतों को निहार रहे थे। उन्हें इस तरह खड़े देख कर मुझे उनपर मोहब्बत उमड़ आयी। मैंने अपने आप को जावेद के बंधन से अलग किया और अपने हाथ उनकी ओर उठा कर अपने आगोश में बुला लिया, “आओ ना कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ।”
वो मेरे इस तरह उन्हें बुलाने से बहुत खुश हुए और मेरी बगल में लेट गये। हम दोनों की ओर देख कर जावेद दूसरी तरफ़ सरक गया और हमें जगह दे दी। अब मेरा मजनू मेरी बाँहों में था इसलिये मुझे कहीं और देखने की जरूरत नहीं थी। मैं उनके जिस्म से चिपकते ही सारी दुनिया से बेखबर हो गयी। मुझे अब किसी बात की या किसी भी आदमी की चिंता नहीं थी। बस चिंता थी तो सिर्फ इतनी कि ये मेरा जेठ जो मुझे बेहद चाहता है, उसे मैं दुनिया भर की खुशी दे दूँ।
फिरोज़ मेरे नंगे जिस्म से बुरी तरह लिपट गये। मैं भी उनसे किसी बेल की तरह लिपट गयी। हम दोनों को देख कर ऐसा लग रहा था मानो जन्मों के भूखे हों और पहली बार सामने स्वादिष्ट भोजन मिला हो। उनके होंठ मेरे होंठों को रगड़ रहे थे। मैं भी उनके निचले होंठ को कभी काट रही थी तो कभी उनके मुँह के अंदर अपनी जीभ घुमाने लगती और वो अपनी जीभ से मेरी जीभ को सहलाने लगते।
“बहुत प्यासे हो?” मैंने उनके कानों में फुसफुसा कर कहा जिसे हम दोनों के अलावा किसी ने नहीं सुना।
“हम्म्म्म,” उन्होंने सिर्फ इतना कहा और मेरे जिस्म को चूमना जारी रखा।
“आज की सारी रात तुम्हारी है। आज जितना जी चाहे मुझे अपने रस से भिगो लो फिर पता नहीं कब मिलना हो। ना तो आज की रात मैं सोऊँगी ना एक पल को तुम्हें सोने दूँगी।” मैंने अपने दाँतों से उनके कान के नीचे की लो को काटते हुए कहा, “आज रात भर हम दोनों एक दूसरे की प्यास बुझायेंगे।”
उन्होंने मेरे मम्मों को अपने हाथों में थाम लिया और उसे चूमने लगे। मेरी नज़र अचानक पास में दूसरे जोड़े पर गयी। उनकी चुदाई शुरू हो चुकी थी। जावेद नसरीन भाभी जान को पीछे से ठोकते हुए हम दोनों को देख रहा था। नसरीन भाभी जान, “आआहहऽऽऽ ऊऊऊहहहऽऽऽऽ” कर रही थीं।
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मुझे उस तरफ़ देखते देख फिरोज़ ने भी उनको देखा तो मैंने तड़प कर उनके सिर को अपनी दोनों छातियों के बीच दबाते हुए कहा, “नहीं आज और कहीं नहीं, आज सिर्फ मैं और तुम। सिर्फ हम दोनों.. क्या हो रहा है कहाँ हो रहा है.... कुछ भी मत देखो। सिर्फ मुझे देखो मुझे प्यार करो। मैं तड़प रही हूँ। मैं तुम्हारे भाई की बीवी हूँ मगर तुमने मुझे पागल बना दिया। मैं तुम पर पागल हो गयी हूँ।” मैं उनके सिर को पकड़ कर अपने निप्पल को उनके होंठों से रगड़ रही थी। आज तक मैंने कभी किसी के साथ सैक्स में इस तरह की हरकतें नहीं की थीं। मुझ पर शराब और कामुक्ता का मिलाजुला नशा सवार था। मैं जोर-जोर से बोल रही थी। मुझे अब किसी की परवाह नहीं थी कि कौन क्या सोचता है। मेरे निप्पल एक दम कड़क और फ़ूले हुए थे। मैं उन्हें फिरोज़ भाई जान के सीने पर रगड़ रही थी। उनके छोटे-छोटे निप्पल से जब मेरे निप्पल रगड़ खाते तो एक सिहरन सी पूरे जिस्म में दौड़ जाती थी। मैंने अपने हाथों में उनके लंड को थाम कर उसे अपनी चूत के ऊपर सटा कर दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। फिरोज़ भाई जान तो पूरे मस्त हो रहे थे। वो उसी हालत में अपने लंड को आगे पीछे करने लगे। दोनों जाँघों के बीच उनका लंड रगड़ खा रहा था।
मैं करवट बदल कर उन्हें नीचे बिस्तर पर गिरा कर उनके ऊपर सवार हो गयी। मैं उनके चेहरे को बेहताशा चूमे जा रही थी। सबसे पहले उनके होंठों को फिर दोनों बंद आँखों को फिर अपने होंठ उनके गालों पर फ़िरते हुए गले तक ले गयी। मैंने अपने दाँतों से फिरोज़ भाई जान की ठुड्डी को पकड़ लिया और अपने दाँतों को उन पर गड़ाते हुए उनकी ठुड्डी को चूसने लगी। वो मेरे दोनों निप्पल को पकड़ कर उनसे खेल रहे थे। मैंने अपने जिस्म को कुछ ऊपर किया और उनके मुँह तक अपने मम्मों को ले आयी। अपने एक निप्पल को उनके होंठों के ऊपर ऐसे लटका रखा था कि उनके होंठ लालच के मारे खुल गये और मेरे उस निप्पल को किसी अंगूर की तरह मुँह में लेने के लिये लपके, लेकिन मैंने झटके से अपने जिस्म को पीछे करके उनके वार से अपने को बचाया। मैं उनकी मायूसी पर हँस पड़ी। मैंने उनके सिर को बालों से पकड़ कर तकिये से दबा दिया। अब वो अपने सिर को नहीं हिला सकते थे। इस तरह उनको जकड़ कर उनके होंठों पर अपने निप्पल को हल्के-हल्के छुआने लगी। उन्हें इस तरह तरसाने में बहुत मज़ा आ रहा था। उनके होंठ मेरे निप्पल को अपने में समाने के लिये तरस रहे थे। मैं साथ-साथ अपनी जाँघों को उनकी जाँघों के ऊपर मसल रही थी। मेरी चूत के ऊपर का उभार उनके लंड को पीस देने के लिये मसल रहा था। मैं अपने निप्पल को उनके होंठों पर कुछ देर तक छुआने के बाद पूरे चेहरे के ऊपर फ़ेरने लगी। उनके जिस्म में सिहरन सी दौड़ती हुई मैं महसूस कर रही थी। मैं अपने निप्पल को उनके चेहरे पर फ़िराते हुए गले के ऊपर से होते हुए उनके सीने पर रगड़ने लगी। उनके सीने पर उगे घने काले बालों पर अपने निप्पल फ़िराते हुए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उत्तेजना के मारे उनका लंड झटके खा रहा था। मैं अपने निप्पल से उनके सीने को सहलाते उनके पेट और उसके बीच उनकी नाभी पर छुआने लगी। सिहरन से उन्होंने पेट को अंदर खींच लिया था। मुझे उनको इस तरह उत्तेजित करने में बहुत मज़ा आ रहा था।
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