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Adultery Bahu ki jawaani
#41
मै- बहु मुझे बिलकुल ही याद नहीं रहा मुझे माफ़ कर दो। (और मैंने आगे बढ़ कर बहु को गले से लगाया।। उसके गाल और हाथों पे हलके से किस किया और उसे अपने से चिपका लिया)

बहु भी मुझसे काफी टाइट लिपट गई और अपने भारी बूब्स को मेरे सीने से दबा रही थी साथ ही साथ उसकी मोटी मोटी जाँघे भी मुझे मेरी जांघो से टच हो रही थी।। मैं फिर उससे कस के गले लगाया और बहु के पीठ फिर उसकी नंगी कमर और फिर उसके कुल्हे को अपने हाथो से सहलाने लगा।

शमशेर - बहु जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो।। (शमशेर ने अपना हाथ आगे बढाया।। तो बहु ने मेरे गले से अपनी बाहें निकाल शमशेर के गले में डाल दी।) ऐसा करते हुए बहु का पल्लू गिर गया और उसकी नाभि दिखने लगी। बहु को इतने पास से बिना पल्लू के देख शमशेर का लंड फुंफकार मारने लगा। वो झट से बहु को गले लगा लिया।। इधर बहु ने भी बेशरमी से बिना पल्लू के शमशेर से लिपट गई। शमशेर भी कहाँ पीछे हटने वाला था उसने अपना एक हाथ बहु के पीठ पर रखा और एक हाथ उसकी गांड पे रख अपनी ओर एक झटके से खीच लिया। शमशेर बहु के काँधे पे झुक अपनी आँखें बंद किये हुई थी और वह बहु के गरमाई जिस्म को रगडता रहा।।
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मै - बहु आज तुम्हारा जन्मदिन है तो क्यों न हम कहीं घूमने चलें?

सरोज शमशेर के बाँहों से निकलती हुई।। नहीं बाबूजी आज शम को तो मेरे पापा आ रहे है। आप तो जानते हो वो मुझे हर बर्थडे पे मिलने आते हैं आज भी वो जरूर आयेंगे।

शमशेर - तो फिर बहु ऐसा करते हैं तुम यहीं रहो मैं और देसाई जी तुम्हारे लिए केक और गिफ्ट लाते है। आखिर मेरी प्यारी बहु का बर्थडे है।

सरोज - ओके अंकल जैसा आपलोग ठीक समझे।

उसके थोड़ी देर बाद मैं और शमशेर बाजार चले गये। हमने एक चोकलेट केक और बहु के लिए कुछ कपडे ख़रीदे। घर पहुच कर जब बेल बजाया तो बहु ने काफी देर तक रिस्पांस नहीं किया। कुछ देर बाद बहु ने जब दरवाज़ा खोला तो अंदर का हाल देख कर मेरे पसीने आ गए। बहु ने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट पहनी हुई थी।।

सरोज - ओह बाबूजी आप।।। सॉरी मुझे लगा कामवाली है।।

बहु के ब्रा बहुत छोटी थी इतनी छोटी की वो केवल उसके निप्पल को ढक पा रही थी और उसके बड़े बड़े बूब्स नीचे से बाहर निकले हुए थे।
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ब्रा के बीच से एक लाकेट निकली थी जिसे बहु ने अपनी दांतो से दबा रखा था ताकि वो गिर न जाए।।

सरोज - बाबूजी आपलोग इतनी जल्दी कैसे आ गए मैं तो अभी नहाने जा रही थी।

मै - हम ज्यादा दूर नहीं गए बहु बस यहीं पास से ही केक और तुम्हारे लिए कुछ ड्रेस ले आए।।

सरोज - वाओ बाबूजी मैं जल्दी से नहा के आती हूं।।

इधर शमशेर अपने लंड को बहार निकाल सहलाने लगा।

शमशेर - देसाई तेरी बहु कितनी माल है यार।। आज तो तेरी बहु के सामने मुठ मारूँगा कैसे भी।। साली ने मेरे लंड का बुरा हाल कर दिया है। मैं तो रोज ऐसे टाइम पे आऊ ताकि बहु को लगे की कामवाली आयी है और वो दरवाजा खोल दे और मैं उसके नंगे बदन को देख पाऊ। देसाई बड़ा लकी है तू जो तुझे ऐसी रंडी बहु मिली। शमशेर तेज़ी से मुट्ठ मारने लगा, और फिर पास में पड़े केक को खीच बोला।।

शमशेर - आज मेरी रंडी बहु बर्थडे केक के साथ अपने शमशेर अंकल का वीर्य भी खाएगी।।

ये कहते हुये शमशेर ने अपने लंड का ढेर सारा गाढा पानी केक पे छोड़ दिया।

मै - (झूठ मूठ का शमशेर को डांटते हुए।। ) ये क्या किया तुमने? तुझे शर्म नहीं आती मेरी बहु को अपना मुट्ठ खिलायेंगा।।?

शमशेर - हाथ जोड के रिक्वेस्ट करते हुये।। प्लीज देसाई मुझे आज मत रोक कई हफ्तो से मैं ऐसे मौके की तलाश कर रहा हूँ तू तो जानता है इसलिये मैं तेरे घर भी आया।। प्लीज करने दे मैं तेरा अहसान कभी नहीं भुलुंगा।

मै - ठीक है लेकिन एक लिमिट में तेरी इन हरक़तों का मेरी बहु को पता नहीं चलना चहिये।

तभी बिस्तर पे पड़े मोबाइल पे कॉल आने लगी।। अरे बहु।।। देख तो मनीष का कॉल तो नहीं आखिर उसे याद आ ही गया।।

सरोज - (एक टॉवल लपेटे बाथरूम से झाँकती हुई।।) शमशेर अंकल प्लीज देखिये न किसका फ़ोन है मुझे दे दिजिये न प्लीज।
नहा कर बहु पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहना था सिवाय एक टॉवल के।। जिसके इस सिरे से वो अपने बदन से पानी पोंछ रही थी।।

शमशेर - बेटा मनीष का ही फ़ोन है।। ये लो।

सरोज - अंकल मेरे हाथ गीले हैं मेरे कान के पास लाइये न प्लीज।।

बहु इस्सी हालत में शमशेर के सामने बात करने लगी।। बातों बातों में उसका टॉवल एक साइड से गिर गया, उसकी लेफ्ट साइड की भरी भरी चूची बाहर निकल आयी। बहु बेशरमी से शमशेर अंकल को अपनी नंगी चूचि दिखाती रही।।
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#42
शमशेर बहु की नंगी चूचि देख अपने होश खो बैठा था, बिना पलक झपकाए वो टकटकी लगा कर बहु की चूचि को घूरता जा रहा था। बहु इस बात से अन्जान मनिष से बातें करने लगी।

सरोज - मनिष् तुम भी यहाँ होते तो कितना अच्छा होता।। यहाँ सब लोग है ससुर जी, पड़ोस के शमशेर अंकल शाम को पापा भी आ जायेंगे केवल तुम नहीं हो।।

सरोज को बातों-बातों में ध्यान आया की उसकी चूचि बाहर निकल आयी है तो उसने तौलिए से ढ़क् लिया और फिर शमशेर की तरफ देखा। चालाक शमशेर पहले ही अपना मुह घुमा लिया था ताकि बहु को लगे की उसने नोटिस नहीं किया। कुछ देर तक बहु फ़ोन पे बात की और फिर दूबारा बाथरूम चलि गयी।। शमशेर बाथरूम के दरवाजे से अपना लंड सहलाते हुए मेरे पास आया।

शमशेर - देसाई जी देखा आपने? अपनी रंडी बहु की चूचियां?

मै - नहीं तो।। ये तुम क्या बोल रहे हो?

शमशेर - कसम से मैंने बहु की चूचि देखी वो भी पूरी नंगी।।

मै- तुम पागल हो गए हो ऐसा कैसे हो सकता है? बहु ऐसा क्यों करेगी?

शमशेर - अरे देसाई जी।। मेरा विश्वास कीजिये जब मैं उसे फ़ोन देने गया तब उसका टॉवल एक साइड से छूट गया था और मुझे उसके गोल-गोल बडी बड़ी चूचि के दर्शन हो गए।

कमाल के निप्पल हैं बहु के।। आआअह्ह्ह्हह।। (शमशेर अपना लंड मसलते हुए बहु की चूचियों को याद करता रहा)
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बहु नहा कर बाथरूम से बाहर निकली और सीधा अपने कमरे में चलि गई, मैं और शमशेर बहुत बेसब्री से बहु का इंतज़ार कर रहे थे।

शमशेर - बहु।।।। हम कबसे तुम्हारा वेट कर रहे हैं केक भी रेडी है।।(शमशेर ने आँख मार कर मेरी तरफ शरारत किया)

शमशेर - देसाई जी।। देखिये तो मेरे मुट्ठ से केक कितना चमक रहा है।। बहु को जरूर पसंद आएगा। मेरी मानो तो आप भी अपना माल निकल दो इसपर।। साली रंडी को हम दोनों का मुट्ठ खा जायेगी।

मै - शट अप शमशेर।। मुझे ये सब नहीं करना।

शमशेर - नहीं करना।। तो क्या अपना माल बहु के बुर में गिराने का इरादा है? या फिर सीधा उसके मुह में?

मै मन ही मन मुस्कराता रहा।। शमशेर तुझे क्या मालूम मैंने तो अबतक २ बार बहु के मुह में अपना लंड का पानी छोड़ा है।

मै - चुप करो शमशेर बहु ने सुन लिया तो।। अपनी लिमिट में रहो।।

शमशेर - ओके ओके।। सॉरी तुम्हारी बहु बहुत ही  सीधी-साधि और सादगी की मूरत है।

कौन सादगी की मूरत है अंकल??? बहु अचानक से कमरे में आयी।। उसने एक बहुत ही प्यारा सा रेड कलर का सलवार सूट पहन रखा था।।लकिन उसकी सलवार उसके मोटे मोटे जाँघो को नहीं छिपा पा रही थी और उसके यौवन को और निखार रही थी। बहु हमारे सामने चेयर पे क्रॉस लेग कर बैठ गई।

उसके पूरे शरीर में सिर्फ उसकी मोटी-मोटी जाँघ नज़र आ रही थी।। ओहः।। इतनी मोटी जांघ देख कर तो कोई ऋषि भी मुट्ठ मारने पे मजबूर हो जाए।
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शमशेर - (घबराहट में।। ) तुम बहु।। मैं तुम्हारी ही बात कर रहा था।। तुम कितनी अच्छी लगती हो कितनी प्यारी सुशील और सादगी से भरपुर।। देखो तुमने आज कितना प्यारा सा सलवार भी पहना है बिलकुल कॉलेज की स्टूडेंट लग रही हो।।

सरोज - ओह अंकल।। मुझे नहीं अच्छा लगता अब कोई मुझे कॉलेज की लड़की समझता है। मैं तो बड़ी दीखना चाहती हू। मुझे अच्छा लगता है जब सोसाइटी के बच्चे मुझे भाभी-भाभी कह के बुलाते है।

शमशेर - अच्छा तो तुम्हे भाभी वर्ड सुनना अच्छा लगता है। फिर तो तुम साड़ी पहना करो एकदम मस्त भाभी दिखोगी। वैसे तुम सलवार सूट में कॉलेज के लड़की लगती हो लेकिन तुम टाइट सलवार में एकदम भाभी ही नज़र आती हो।। (शमशेर का चेहरा उसकी बड़े बड़े हिप्स और उसकी मोटी जांघो के तरफ था।।)

सरोज - मैं समझी नहीं अंकल

शमशेर - अरे बेटी।। वो क्या है न की तुम्हारा चेहरा बहुत मासूम है एक बच्ची की तरह लेकिन तुम्हारी जाँघें काफी भरी हैं बिलकुल एक भाभी की तरह।।

सरोज - ओह अंकल आप भी समझते हो की मैं मोटी हूं।।? मुझे बहुत बुरा लगता है जब कोई मुझे मोटा केहता है।

शमशेर - अरे मैंने कब कहा की तुम मोटी हो।। मैंने तो कहा की तुम भरी भरी हो।। ख़ास कर तुम्हारी जांघे।। बहुत हे अच्छी है।। मैंने तुम्हारी कॉलेज के फोटो देखि है।। उसमे तुम बहुत अच्छी लगती हो?

सरोज - कौन सी वाली फोटो अंकल?

शमशेर - अरे वही फोटो जिसमें तुम कॉलेज के सिढ़ियों पे ब्राउन कलर का सलवार सूट पहने बैठी हो।।में उससे रोज देखता हूण।

सरोज ने तुरंत अपनी फोटो एल्बम से निकाल कर शमशेर को दिखाई।।?

सरोज - क्या ये वाली फोटो? आपको बहुत पसंद है।।? आप इसे रोज देखते हैं?
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शमशेर- हाँ बेटी।। तुम इन  कपड़ों में बहुत अच्छी लगती हो मैं रोज रात को देखता हू।

सरोज - और देख के क्या करते हैं अंकल।।।।।।।।??

सरोज - बोलिये न।।।?? क्या करते हैं??

शमशेर - आ आ।। वो कुछ नहीं बस देखता हूं।। (शमशेर अचानक इस प्रश्न से घबरा गया था।)
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#43
सरोज - बोलिये न क्या आप फोटो देख सोचते हैं? की काश आपकी भी एक बेटी होती।। ? आप को एक बेटी की कमी महसूस होती है न? बेटी होती तो आपका ख्याल रखती आपके लिये खाना बनाती।। है न?

(सरोज का इशारा पहले फोटो को रात में देख मुट्ठ मारने के तरफ था। लेकिन फिर बाद में उसने बड़ी ही चतुराई से अपनी बात को बदल दिया) 

शमशेर - हा।। हाँ बहु।। यही ।। मैं यही सोचता हूँ (शमशेर ने राहत की साँस ली)

मै अपने मन में सोच रहा था।। साला शमशेर, अगर मेरी बहु की तरह उसकी बेटी होती तो उसे यहाँ आने की जरुरत ही नहीं पडती।। वो अपनी बेटी को नंगा देख  मूठ मार रहा होता और कभी मौका मिलने पे अपनी बेटी को चोद डालता।

मै - बहु।। ये केक ख़राब हो रहा है थोड़ा सा तो खा लो मैंने और शमशेर ने बड़े प्यार से ख़रीदा है।।

सरोज - बाबूजी।। मुझे खाने का मन तो नहीं है लेकिन आप कहते हैं तो थोड़ा सा किनारे से खा लेती हू।

शमशेर - नहीं नहीं बहु।। तुम ऐसा करो ऊपर से केक की क्रीम खा लो नहीं वो वो ख़राब हो जाएगा।

सरोज - ओके अंकल।। (और फिर बहु ने ऊँगली से ऊपर के क्रीम में सनी शमशेर के वीर्य को चाटने लगी।।।)

सरोज - उम् अंकल।। बहुत मजा आ रहा है।। आपका क्रीम चाटने में।। बहु आँख बंद कर सेक्सी अन्दाज़ में एक रंडी की तरह मुट्ठ चाट्ने लगी (शायद बहु को पता  चल गया था की ये क्रीम नहीं मुट्ठ है।। क्योंकि उसे अब तो मूठ का स्वाद पता चल चूका था।। ) 

शमशेर - (बहु को अपना मुट्ठ चाटता देख पागल हो रहा था। ) हाँ बहु।। और चाटो।। मेरा पूरा क्रीम चाट लो बहु।।। (शमशेर अपना मुठ बहु के होठ पे रगड़ने लगा। बहु सारे क्रीम और मूठ बहु के सलवार सूट पे भी गिर गये।। इधर बहु भी कामुक भंगिमाएँ बना कर मुट्ठ का आनन्द ले रही थी।

बहु के इस हरकत से मेरे लंड में जोश आ रहा था। मन हुआ की अभी खड़े होकर बहु के मुह में अपना लंड पेल दूँ। लेकिन मैं संभल गया। बहु से वादा जो किया था की मेरे और बहु के बीच जो कुछ अनजाने में हुआ उसे किसी को उसकी भनक नहीं लगने दूंगा।)

बहु सारा क्रीम ख़तम कर चुकी थे उसकी हालत देख ऐसा लग रहा था जैसे ५-६ लोगों ने उसके मुह और बदन पे अपना माल गिराया हो।। 
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बहु अपने आप को साफ़ करने के लिये वाशरूम चलि गई।। इधर शमशेर अपना मुट्ठ मार कर बहुत संतुष्ट हो गया और वो मुझे धन्यवाद बोला। दोपहर का लंच करने के बाद शमशेर अपने घर चला गया। अब पूरे घर मैं मैं और मेरी बहु अकेले थे। 

दोपहर को बहु अपने कमरे में थी।। मैं उसे खोजता हुआ उसके कमरे के नज़दीक गया, देखा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था।।

मै - बहु।।

सरोज - जी बाबूजी।।

मै - क्या कर रही हो?

सरोज - चेंज कर रही हूँ बाबूजी।। 

मै - क्यों कहीं जाना है बहु? 

सरोज - (दरवाज़ा खोल कर मेरे सामने आती है।।।) नहीं बाबूजी।। आपको बोला था न पापा आ रहे हैं इस लिए मैं तैयार हो रही थी। आपके लाये हुए गिफ्ट में से ही कुछ पहन लु।?

बिस्तर पे बहु का टॉप फेंका हुआ था, बहु एक ब्लैक कलर के ब्रा और पैन्टी पहने हुई थी साथ में उसने पेंटी के ऊपर  स्कार्फ़ सा बाँध रखा था जो उसकी मांसल जाँघो को और खूबसूरत बना रहा था।।
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तभी बहु के मोबाइल पे उसके पापा का फ़ोन आता है। 

पापा - बेटा।। कैसी हो?

सरोज - ठीक हूँ पापा आप कैसे हैं?

पापा- मैं ठीक हूँ बहु, तुम्हारा जन्मदिन है तो मैं अपना ऑफिस छोड़ तुम्हारे पास आ रहा हूँ तुमसे मिलने, अभी १ घंटे में पहुच जाऊँगा। 

सरोज - ओके पापा मैं वेट कर रही हूँ आपका। 

(मैं बिस्तर पे था और बहु मेरे सामने खड़ी हो अपने पापा से बात कर रही थी, एक बेटी को अपने पापा से इस अवस्था में बात करता देख मेरा लंड खडा हो गया। )

सरोज - ओह पापा। १ घंटे में आ जायेंगे क्या पहनू मैं। उनकी बेटी अच्छी दिखनी चाहिए न।।।

मै - बहु।। कुछ भी पहन लो जो भी तुम्हे अच्छा लगे।

सरोज - बाबूजी अगर आप कहें तो मैं जीन्स टॉप पहन लूँ? या फिर साड़ी?

मै - ठीक है बहु जीन्स टॉप ही पहन लो।

सरोज - आप एक मिनट यहाँ बिस्तर पे बैठिये न प्लीज कहीं मत जाइये मैं एक जीन्स टॉप पहन के आती हूं।। बताइये की कैसी है।। 
(बहु कमरे से अटैच बाथरूम में चेंज करने चलि गई। थोड़ी देर में वो एक ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स पहन के बहार आयी।। टाइट टॉप में बहु की चूचियां कसी हुई बड़ी सी दिख रही थी)
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मै - बहु ये कपडे तुम्हे थोड़ा टाइट आ रहे है।।

बहु वापस बाथरूम में चलि जाती है और मिरर में अपने आप को चारो तरफ से देखती है। बाबू जी, प्लीज इधर आईये न।। 

मै - (बाथरूम के दरवाजे के पास पहुच कर) क्या हुआ बहु?

सरोज - ये टॉप बहुत ज्यादा टाइट है, मैंने पहन तो लिया है लेकिन ये अब निकल नहीं रहि।।। 
(बहु अपनी टॉप उठाकर निकालने की कोशिश कर रही थी, इस कोशिश में उसकी नवेल मुझे साफ़ नज़र आती है। आज़ उसकी नवेल ज्यादा सेक्सी लग रही थी। डीप वाइड और स्मूथ।।। शायद जीन्स के टाइट होने से ऐसा था)
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#44
Land fad story h maja AA gaya.keep it up
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#45
Keep it up
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#46
Waiting
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#47
Thanks all.
Sry for delay in uodate.
Jaldi hi naya update milega
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#48
मै - बहु।। एक बात कहूं बुरा तो नहीं मनोगी।।?

सरोज - नहीं मानूँगी बोलिये।।

मै - बहु अगर तुम ये जीन्स पहन के अपने पापा के सामने गई और पापा ने तुम्हारी ऐसे खुली नाभि देख ली, तो सच बोलता हूं।। तुम्हारी नाभि देख कर उनका मुट्ठ उनके पैंट में ही निकल जाएगा।।
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सरोज - छि: बाबूजी।। आप कैसे गन्दी बातें कर रहे है। वो मेरे पापा हैं प्लीज।

मै - ओके बहु सॉरी।।नही कहूँगा कुछ।।

सरोज - ठीक है मैं ये जीन्स टॉप नहीं पहनती मैं कोई और ट्राई करती हूँ।

फिर बहु ने एक ब्लू जीन्स और ग्रे टीशर्ट डाल लिया और अपने पापा का वेट करती रही।। वेट करते करते न जाने कब उसकी आँख लग गई और वो वहीँ बिस्तर पे सो गई।। मैं भी बहु के पापा का हॉल में इंतज़ार करता रहा, तभी डोर बेल्ल बजी मैंने दरवाजा खोला तो मेरे समधी जी थे। मैंने उनका स्वागत किया।। उन्होंने पूछा की मेरी बेटी कहाँ है तो मैं कहा की वो आपकी राह देखते सो गई अपने कमरे में है। फिर मैं और समधी जी बहु के कमरे के तरफ हो लिये।

बहु के कमरे का दरवाज़ा खोला तो अंदर का नज़ारा देख मेरा लंड तमतमा गया। सोते वक़्त बहु का टॉप ऊपर चढ़ गया था जिससे उसकी चिकनी कमर नज़र आ रही थी और उसकी बड़ी सी गांड मेरे आँखों के सामने थी।
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बहु की गांड देख ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे और अपने पापा को चोदने के लिए आमंत्रित कर रही हो। समधी जी भी अपनी बेटी की गांड शायद पहली बार देख रहे थे तभी उनके मुह से कुछ नहीं निकला और वो अपनी बेटी के भारी भरकम कुल्हे को निहारते रहे।

मैने धीरे से बहु को आवाज लगाया।। बहु देखो कौन आया है।। बहु की नींद खुली तो वो बिस्तर पर थोड़ा उचक कर हमारी तरफ देखि, बहु ने उठने से पहले अपनी गांड को हवा में लहराया।। उस वक़्त उसकी गांड पहले से ज्यादा बड़ी और मादक लग रही थी।

वो बिस्तर से उठ के आयी और सीधा अपने पापा से लिपट गई। उसके पापा भी अपने आप को रोक नहीं पाये और अपनी हथेली को बहु के गांड पे सहला दिया साथ ही उसकी खुली कमर का भी खूब लुफ्त उठया। मुझे महसूस हुआ की शायद पापा बेटी के इस मिलन में प्यार काम और सेक्स की भूख ज्यादा थी।। एक बाप अपनी ही बेटी के गांड सहला रहा था और उसकी बेटी बिना किसी झिझक के टाइट गले लगने के साथ-साथ अपनी गरमाई बुर को पापा के जांघो पे रगड रही थी।
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#49
बहु अपने पापा से ढेर सारी बातें कर रही थी, उनकी बातें तो जैसे ख़तम होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैं बहु और उसके पापा को कमरे में अकेला छोड़ हॉल में बैठकर टीवी देखने लगा। मेरा मन टीवी देखने में बिलकुल नहीं लग रहा था। शमशेर ने तो सुबह अपनी मुट्ठ बहु के केक पे निकाल लीया था। लेकिन मैं अभी भी अपने आप को कण्ट्रोल किये बैठा था। सुबह से कई बार बहु की खुली चूचि और जांघों को देख मेरे लंड में तूफ़ान सा मचा हुआ था। मुझे बहुत मन हो रहा था की बहु मुझसे चुद जाए और अपने गरम होठ से चूस कर मेरे लंड का पानी निकाल दे।

मै अपना हाथ अपनी पेंट के अंदर डाल लंड को मसल रहा था की तभी मैंने समधी जी को मेरी तरफ आते देखा। समधी जी के पेंट के अंदर उभार था जो अपनी बेटी के अधनंगी बदन को देख के हुआ था।। मैं समधी से बोला।

मै - प्यारे लाल जी।। (मेरे समधी जी का नाम्।।) मिल लिए अपनी बिटिया से? अच्छे से प्यार करिये उसको आपको बहुत मिस करती है। वैसे क्या कर रही  है अभी?

पयारेलाल - हाँ मिस तो मैं भी बहुत करता हूँ उसको।। शादी से पहले वो मुझे छोड़ के वो कहीं नहीं जाती थी दिन भर मेरे साथ रहती थे और रात में भी मेरे पास सोने की जिद्द करती थी। अभी तो बेटी कपडे चेंज कर रही है।। मैं उसके लिए कुछ बर्थडे गिफ्ट वाले कपडे ले आया हूँ। उसे ही वो ट्राई कर रही है। और हा उसका बर्थडे है तो मैंने आज खाना घर से ही आर्डर कर दिया है।।? ठीक किया न देसाई जी?

मै - हाँ बिलकुल ठीक किया आपने।।। (बहु के कपडे चेंज करने वाली बात सुनकर मैं तुरंत वहां से उठा और समधी जी से छुपते हुए बहु के कमरे की तरफ हो लिया)

बहु के कमरे का दरवाजा खुला था, मैंने हलके से पुश किया तो देखा बहु अपने कपडे उतार रही थी। रेड पेटिकोट और खुली हुई रेड ब्लाउज में उसके पीठ गोरी चिकनी चमक रही थी वो अपनी ब्लाउज लगभग उतार चुकी थी और उसकी वाइट थिन ब्रा नज़र आ रही थी।
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बहु के कमर तक नंगी पीठ देख मुझसे रहा नहीं गया। मैंने बहु को पीछे से पकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ और कमर पे किस करने लगा। बहु चौंक गई।।

सरोज - बाबूजी ये क्या कर रहे हैं ?

मै - अपनी माल सी बहु के पीठ चूम रहा हूं।। करने दे बहु तुम आज बहुत हॉट लग रही हो। (मैं किस करता हुआ बहु के नवेल को अपने जीभ से चाट्ने लगा उसकी गहरी नाभि के छेद में अपनी पूरी जीभ दाल दी और अपने दांतो से उसके नर्म मुलायम पेट् को काटने लगा। बहु काँप रही थी और उसकी उँगलियाँ अनायास ही मेरे बालों में आ कर रुक गई।

सरोज - बाबूजी।। रुक जाइये न पापा घर पे हैं ये आप क्या कर रहे है।

मै - (मैं साड़ी के ऊपर से बहु के बुर दबाने लगा) अपनी पेंटी उतार दे बहु, मुझे अपनी बुर का जूस पी लेने दे।

सरोज - प्लीज बाबूजी ऐसे मत बोलिये (बहु दौड के बाथरूम की तरफ भाग गई)

मेरी वासना शांत नहीं हुई थी मैं बहु को चोदने के लिए बेताब था लेकिन कोई रास्ता न निकलता देख कर वापस डाइनिंग हॉल में लौट आया। कुछ देर बाद बहु भी डाइनिंग हॉल में खाना ले कर आ गई। हम सब बैठ वहीँ अपना लंच करने लगे। हमेशा की तरह आज भी बहु मेरे बगल में बैठी थे और एक साइड टीवी पे इंडिया पाकिस्तान का मैच आ रहा था। मैंने टेबल के नीचे अपना लंड पायजामे से बाहर निकाल कर सहलाने लगा, बहु ये सारा नज़ारा अपनी आँखों से देख रही थी।

कई बार मैंने बहु का हाथ पकड़ कर अपने लंड पे रखा मगर वो कुछ देर मेरा लंड हिलाने के बाद हाथ हटा लेती थी उसे डर था की कहीं उसके पापा को पता न चल जाए। समधी जी मैच देखने में बिजी थे, मैंने धीरे से अपना हाथ बढा कर बहु की सल्वार खोल दिया। मेरे हाथ की थोड़ी सी हरकत पे बहु ने अपना पैर फैला दिया जैसे वो मुझे अपनी चूत का रास्ता बता रही हो। अंदर हाथ डाल के देखा की बहु की बुर बहुत ज्यादा गिली हो चुकी है। 
[Image: 55661093_082_5761.jpg]

मैने जैसे ही उसकी बुर को हाथ लगाये उसके बुर से चिपचिपी पानी की धार निकल पडी। बहु को मस्ती चढ़ने लगी, उसके मुह से उम्म्म उम् की आवाज़ आ रही थी और वो मज़े लेते हुए अपनी होठ को बार बार जीभ से गिला कर रही थी।

समधि जी बहु को ऐसा करता देख बोले ।।।

प्यारे लाल- क्या हुआ बेटी तबियत तो ठीक है?

सरोज - उम्म्म आआह्ह जी पापा ठीक है

मै फिर से बहु का हाथ अपने लंड पे रख दिया, इस बार बहु देर तक मेरी लंड के स्किन को ऊपर नीचे कर मुट्ठ मरती रही। मैं भी उसकी बुर में लगतार उँगलियाँ पेल रहा था। बहु एक हाथ ऊपर टेबल पे रखी थी, एक साल्ट की डिबिया से खेल रही थी। खेलते-खेलते डिबिया टेबल के नीचे चलि गई।

सरोज - ओह बाबूजी डिबिया नीचे गिर गई। आपकी तरफ चलि गई क्या? एक मिनट देखति हू।

अगले ही पल बहु चेयर से उतर कर जमीन पे बैठि, इससे पहले की मैं कुछ समझ पाता बहु ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा उसका स्किन खीच के नीचे किया और मेरे लंड को सीधा अपने मुह में ले लिया।
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#50
Ab to bahu bhi tharki ho gai h
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#51
बहु के गरम - गरम मुह में अपना लंड डाल मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई। बहु तेज़ी से मेरा लंड चूस रही थी। मुझे एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ की बहु बिना किस्सी डर के एक रंडी की तरह अपने पिता के मौज़ूदगी में मेरा लंड चूस रही थी। बहु के थूक और लार से मेरा लंड गिला हो गया, उसके मुह की गर्मी पाकर मैं फच्च-फच्च की आवाज़ किये बहु के मुह में ही स्खलित हो गया। 
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बहु मेरा सारा वीर्य पी गई और वापस आ कर चेयर पे बैठ गई, दूसरी ओर समधी जी इस बात से अन्जान मैच में ध्यान लगाए बैठे थे। बहु के मुह में  गिरा कर मुझे बहुत सन्तुष्टि मिली। बहु टेबल पे पड़े टिश्यू पेपर उठा कर अपना मुह साफ़ करने लगी। लंच करने के बाद बहु अपने कमरे में जा चुकी थी मैं और समधी जी वहीँ मैच देख रहे थे।

कुछ देर बाद समधि जी को हॉल में अकेला छोड़ मैं बहु के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया। बहु कमरे में लेटी थी उसकी कुर्ती एक तरफ से उठि हुई थी उसकी मांसल गांड और जांघ देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। 

मै चुपके से बहु के क़रीब लेट गया और अपना हाथ आगे बढा बहु की चूचि दबाने लगा।।
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सरोज - आह बाबू जी ये क्या कर रहे हैं? आप मेरे कमरे में?

मै- तुम बहुत सेक्सी हो बहु तुम्हारे बूब्स कितने सॉफ्ट है।

सरोज - बाबूजी।। पापा हैं घर में आप प्लीज जाइये यहाँ से।

मै - (एक हाथ से बहु की सलवार खोल, उसकी नंगी जांघों को सहलाने लगा) नहीं बहु समधी जी तो मैच देख रहे हैं

सरोज - प्लीज बाबूजी आप बहुत एक्साईटेड थे इसलिए मैंने लंच टेबल पे आपका लंड मुह में लेकर आपका पानी निकाल दिया था ताकि आप शांत हो जाएँ और मुझे तंग ना करे।

मैने एक झटके में उसकी ब्रा उतार कर बेड के नीचे फेंक दिया, उसकी नंगी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथ से मसल कर बोला।।।
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मै- झूठ मत बोलो बहु लंच टेबल पे मैंने जब तुम्हारी सलवार खोल अंदर हाथ डाला था तो तुम्हारी चूत पहले से ही गिली थी।।

सरोज मेरी बात सुन कर शर्मा गई।।

सरोज - बाबू जी वो तो।।। ऐसे ही।।।।

मै - ऐसे ही कैसे गिली थी बहु?? कहीं अपने पापा से लिपटने से गिली तो नहीं हो गई थी? (मैं बहु के पेंटी उतार उसके बुर को कस कर दबा के बोला)

सरोज - आह।।।। छी: बाबूजी कैसी बात कर रहे है। वो मेरे पापा है।

मै - तो क्या हुआ उनका भी लंड तो अपनी बेटी के बुर के लिए तरसता होगा।।।(मैंने बहु के बुर में अपनी ऊँगली डाल दिया।। )

मै - देख बहु अभी भी तेरी बुर पनियाई हुई है

सरोज - ओह बाबू जी छोड़िये न।।। (बहु के होठ और शरीर के जुबान दो अलग अलग इशारे कर रहे थे।।)

एक तरफ बहु मुझे मन कर रही थी और दूसरी तरफ वो अपने बुर को फैला मेरे उँगलियों के अंदर जाने का रास्ता दे रही थी।। मस्ती में उसकी आँखें बंद हो जा रही थी। मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए। बहु को भी अब तक पूरा नंगा कर चूका था। उसकी नंगी चूचियों को चूसते चाटते हुए मैं कमर तक नीचे उसकी नाभि पे जाकर रुक गया।
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सरोज- ओह बाबूजी ये आप क्या कर रहे है।। ( बहु ने मेरे बाल पकड़ लिए और अपनी जाँघे खोल मुझे नीचे के ओर पुश करने लगी।।)
मुझे उसकी इस हरकत से समझ आ गया की बहु मुझे अपनी बुर पिलाना चाहती है मगर मैं जानबूझ कर अपने जीभ को उसकी नाभि पे फेरता रहा। बहु धीरे धीरे मदहोश हो रही थी। उसकी चूत पूरी तरह गिली हो चुकी थी।

सरोज - आह बाबूजी।। जाइये नीचे चाटिये न।। (बहु ने एक बार फिर मुझे नीचे की ओर पुश किया)

सरोज - बाबूजी।। आह प्लीज।। आह मेरी बुर चाटिये न।।

मै - क्या बहु।।?

सरोज - मेरी बुर चाटिये न।।

मै - नहीं बहु तुम्हारे पापा आ गए तो।। (मैं बहु को और तडपना चाहता था।)

सरोज - नहीं आएँगे।। (बहु अपना बुर ऊपर उचका के बोली)

मै - पहले बता बहु जब उन्होंने तुम्हे गले लगाया तब उनका लंड तुम्हारी बुर को छुआ था न?? और तभी तुम गिली हो गई थी?

सरोज - ओह बाबूजी।। मुझे नहीं पता।।

मै - (बहु को और तडपाते हुये।) बताओ मुझे सच है न?

सरोज - हाँ बाबूजी सच है अब चाटिये न।।
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#52
मैने बिना देरी किये अपना मुह बहु के गरम गिली बुर पे रख दिया।। बहु के बुर पे हलके हलके बाल थे जो उसकी बुर के बहते चिपचिपे पानी से सन्न चुके थे उसकी बुर में से अजीब सी स्मेल आ रही थी। जो मुझे और पागल कर रही थी। मैं अपनी जीभ निकाल बहु की चूत चाट्ने लगा।।
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सरोज - आह बाबू जी।।। ओह्ह और चाटीए।।।।।।।।।।।।

मै- बहु।।।। तुम्हारी बुर कितनी अच्छी स्मेल कर रही है।। उम्मम्मम्म काश तुम्हारे पापा भी तुम्हारी बुर चाट पाते।।

सरोज - छी: बाबूजी।। चुप रहिये

मै - अरे बहु गन्दी बातें करने से सेक्स में और मजा आता है।।। बस मजे के लिए तुम भी गन्दी बात करो तुम्हे मजा आएगा।।

सरोज - सिर्फ बातें न।।। कोई सीरियस नहीं है ना।

मै - नहीं बाबू सिर्फ सेक्स का और मजा लेने के लिये।। इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।

मै - अब बोलो अपने पापा से बुर चटवाओगी।।??

सरोज - हाँ बाबूजी।।। चटवाऊंगी।।। अपने पापा से अपना बुर चटवाऊंगी।।

इस वक़्त मेरे एक्साईटमेंट की कोई सीमा नहीं थी।। मैं अपना लंड पकड़ हिलाने लगा।

मै- और गन्दा बोलो बहु।।

सरोज - आआह बाबूजी मेरा बुर तबसे गिला है जबसे मैंने पापा के आने की खबर सुनी है।। आपकी बहु रंडी बहु है और आपसे और अपने पापा से चुदवाने के लिए बेताब है।।

मैं-और गन्दा बोल साली रंडी

बहु-मैं आपसे और अपने पापा दोनों से एकसाथ चुदवाउंगी। और दोनों का लंड बारी बारी से चूसूंगी।

मै बहु के पास बैठ गया और बहु इतनी उत्तेजित हो चुकी थी की मेरे कुछ किये बगैर वो मेरे लंड मुह में लेकर चूसने लगी।।
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बहू -बाबूजी प्लीज़ करिए ना ! अब रहा नही जाता ! डाल दीजिए अपना मूसल हमारे अंदर और हमे चोद डालिए जी भर के !

मैं- जान थोड़ा रुक जाओ इन बूब्स का मज़ा तो ले लेने दो !

सरोज - नही पहले एक बार कर लीजिए फिर खाली समय मे चुसते रहना जी भर के !

मैं- क्या बात है बहु आज बहुत बैचेन हो ?

सरोज-हाँ बाबूजी इस सुख के लिए कितना इंतज़ार किए हैं ! अब आपको अपने बेटे के हिस्से का भी प्यार देना है हमे ! उन्होने प्यार देने मे जो कमी की है उसकी रिकवरी भी हमे आप से करनी है ! चलो अब जल्दी आ जाओ और हमको खूब प्यार करो !

जो हुकुम रानी साहिबा कहते हुए मैंने  बहू की टाँग उठाई ,पोज़िशन ली और एक झटके मे पूरा लॅंड बहू के बुर के अंदर कर दिया !पहली बार मेरा मोटा लंड मेरी कामुक बहु की चिकनी बुर में जा रहा था।
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एक झटके मे पूरा लंड अंदर जाते ही सरोज के मुख से चीख निकल गई वो तो अच्छा था क़ि मदनलाल ने पहले खूब चुत चुसाई की थी जिससे बहू अंदर से बहुत गीली थी वरना आज फिर खून खच्चर हो जाता ! दर्द के मारे बहू बड़बड़ाई .

सरोज-उई माँ मर गई ! ओह क्या कर रहे हो ? हे राम धीरे नही कर सकते ! हमेशा बेसबरे बने रहते हो ! कितना दरद दे रहा है

मैं- सॉरी जानू तुमको नंगी देखने के बाद सबर ही नही हो पाता ! बहुत दरद दे रहा है तो निकाल दूं .क्या ?

सरोज- अब डाल दिया है तो रहने दो लेकिन प्लीज़ धीरे धीरे करो ! आप तो एकदम सूपर फास्ट ट्रेन बन जाते हो ! नीचे लड़की को बिछाए हो कोई पटरी नही बिछी है!

मुझ को भी अपनी ग़लती का अहसास हो गया हलाकी मैं चुदाई के मामले मे बहुत ही सबर से काम लेने वाला आदमी था और लड़कियों को बहुत ही तसल्ली बख्स तरीके से चोदता था किंतु बहू की खूबसूरती और जवानी ऐसी थी क़ि मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर देता था ! वरना सेक्स को मैं हमेशा ही देर तक खींचने वाला इंसान था ! अब मैंने हल्के मगर लंबे स्ट्रोक मारने चालू कर दिए जिससे बहू एक बार फिर दीं दुनिया से बेख़बर होने लगी पुर कमरे मे सरोज की सिसकारी गूँज रही थी बीच बीच मे मेरी थाप की आवाज़ भी आ जाती जब बहू की गर्मी बढ़ी तो वो नीचे से कमर उछालने लगी जिससे मैं समझ गया क़ि बहु अब आने वाली है !इधर बहू का जिस्म अब कमान की भाँति ऐटने लगा ! वैसे तो बहू बहुत ही सुशील थी किंतु जब मेरा लंड उसकी योनि का मंथन करने लगा तो उसके अंदर से ने नये शब्द निकलने लगे।

सरोज - हाँ बाबूजी ऐसे ही चोदिये ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आप तो एक नंबर के चोदू हो फिर क्यों हमे तंग करते हो ! आह आह्ह्ह्ह्ह ! बाबूजी और ज़ोर से करिए हमारा होने वाला है ! डाल दीजिए अपना बीज़ हमारे अंदर ! आह माँ मर गई !
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मै - ये ले बहु।। तेरी चूत इतनी गिली हो गई है की मेरा लंड अंदर फिसल रहा है।।। और गन्दी बात करो बहु।।।।(मैं बहु के बुर में अपना लंड डाले उसे तेजी से चोदने लगा।।और दोनों हाथो से उसकी चूचियों को भी मसलने लगा)
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#53
सरोज - और चोदीये बाबूजी।। अपनी रंडी बहु को।। मैं आपसे चुदवाने के बाद।। रात को अपने पापा से भी चुदवाऊंगी।

मै - हाँ मेरी रंडी सरोज बहु।। सबसे चुदवा ले।। तुझे सोच कर तो मोहल्ले में हज़ारो लड़के रोज़ना बिस्तर पे अपना मूठ गिराते है। (मैं तेज़ी से बहु को पेलने लगा। )

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सरोज - मैं इस मोहल्ले की रंडी भाभी बन जाऊँगी।।। आपके सामने दूसरे लड़कों से चुदवाऊँगी।।

सरोज - बाबूजी।। मैं ये सब आपके मज़े के लिए बोल रही हूँ प्लीज आप सीरियसली मत लीजियेगा।।

मै - (बहु की इस बात पर मैं मन हे मन मुस्कुराया।। ) हाँ बहु ये तो सिर्फ एन्जॉय करने के लिए है इसमे कुछ भी सीरियस नहीं है।।

सरोज - उम्मम्मम्म।।। और चोदीये।। बाबूजी।। मेरा पानी निकलने वाला है।।

मै - हाँ बहु मैं भी और नहीं रुक सकता मेरा भी पानी छुट्ने वाला है।।

सरोज - आह बाबू जी अंदर मत गिराइए नहीं तो मैं प्रेग्नंट हो जाऊँगी।। आज आप अपनी बहु के मुँह को अपने मुठ से भर दिजिये।।

मै- ठीक है बहु।। (बहु के बुर गिली होने से लगतार फच्च-फच्च की आवाज़ हो रही थी।।)

सरोज - चोदीये बाबू जी।। अपनी रंडी बहु को और चोदीये।।।

मै - तेरे पापा हॉल में अकेले बैठे हैं वो भी अपनी रंडी बेटी के बारे में सोच के मुट्ठ मार रहे होगे।।

सरोज - हाँ बाबूजी आप सच कह रहे हैं उनका लंड तो वैसे भी खड़ा था अभी अपने आप को अकेला पा के मुट्ठ मार रहे होंगे।। उनको बोलिये न क्यों अपना मुट्ठ जमीन पे गिरा रहे है इधर कमरे में आकर मेरे मुह पे गिरा दे।

बहु के इस बात को सुनकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और अपना लंड बहार निकाल कर बहु के मुह के पास ले गया।।बहु अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ जोर से मुट्ठ मारने लगी।। और अगले ही पल मेरा सारा मुठ उसके मुह और चेहरे पे निकल गया।। बहु को चोदने के बाद मेरे लंड से इतना मुठ निकला की बहु के चेहरे बूब्स पेट् सब पर गिरा।। और मेरी रंडी बहु मेरे वीर्य से नहा गई।।
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#54
Waiting next update
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#55
मेरे लिए आज का दिन बहुत ही यादगार होने वाला था। क्योंकि जिस चीज़ के लिए मैं महीनो से वेट कर रहा था जिसको सिर्फ अपने खयालो में सोच-सोच कर मुट्ठ मारता था आज उसी बहु को मैंने उसके बर्थडे वाले दिन चोद दिया वो भी तब जब उसके पापा घर पे थे। मैं बिस्तर के पास बैठा अपनी पेंट पहन रहा था।

मुझे इस बात की फ़िक्र हो रही थी की चुदाई के बाद बहु का रिएक्शन कैसा होगा। मैं इसी असमंजस में पड़ा था लेकिन बहु अपने बिस्तर पे नंगी लेट अपनी एक टाँग उपर उठा कर पेंटी पहनने की कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे पे कोई ऐसे भाव नहीं थे जिससे मुझे लगे की वो अपने हस्बैंड को चीट कर गिल्टी महसूस कर रही हो।

मै अपने कपडे पहन कर कमरे से बाहर निकलने वाला था की तभी मुझे समधी जी की आवाज सुनाई दी।

प्यारेलाल - बेटी सरोज।। क्या तुम अंदर हो?

मै - अरे समधी जी क्या हुआ।। बहु अंदर है उसे चक्कर आ रहा था तो मैं उसे कमरे तक छोड़ने आया था।

प्यारेलाल - चक्कर।।? कैसे?

मै - जी वो सुबह से आपका इंतज़ार कर रही थी, कुछ खाया भी नहीं उसने तो थोड़ी वीकनेस महसूस कर रही है मैंने सुला दिया है।

प्यारेलाल - एक मिनट मैं देखता हूँ (समधि जी कमरे के अंदर प्रवेश कर जाते है, मैंने उन्हें २ मिनट बाहर रोका ताकि बहु को समझ में आ जाए की उसके पापा बाहर हैं और वो जल्दी से कपडे पहन ले)

मै भी समधी जी के पीछे-पीछे कमरे में आया तो बहु एक चादर के अंदर लेटी थी।

प्यारेलाल - बेटी सरोज, क्या हुआ तुझे।। ?

सरोज - जी  पापा।।

बहु शायद जल्दी में सिर्फ़ एक छोटा सा सलीव ही पहन पाई थी। जब वो चादर हटा कर बेड पे बैठे तो उसकी जांघो से चादर नीचे गिर गया और उसकी नंगी मोटी मोटी जांघे हमारी आँखों के सामने थी।
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बहु का भरा बदन देख कर समधि जी की आँखें बड़ी हो गई। बहु के इस पोजीशन मैं बैठने से उसके थाइस और मोटे लग रहे थे। उसकी भरी भरी जवानी देख समधि जी का लंड तो जरूर खड़ा हो गया होगा, उनकी आँखों में अपनी बेटी के लिए सेक्स साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था। मौके का फ़ायदा उठाते हुए समधी जी ने सरोज के जांघ पे अपना हाथ रखते हुए पूछा।

प्यारेलाल - क्या हुआ बेटी।। ?

सरोज - कुछ नहीं पापा आज बाहर गर्मी बहुत है न तो चक्कर आ गया अभी ठीक हूँ में।

प्यारेलाल - बेटी अपना ख्याल रखो, तुम्हे शादी से पहले तो मैं अपने हाथो से खाना खिलाता था और अब तुम अपना ध्यान नहीं रखति।

सरोज - पापा। कोई बात नहीं अभी आप आ गए हैं न मैं आपके हाथ से खाना खाउंगी।। आप चिंता न करें बस मुझे थोड़ी गर्मी लग रही थी, बाबूजी थोड़ा फैन चला देंगे प्लीज?

प्यारेलाल - बेटी मैं जानता हूँ यहाँ का मौसम बहुत गरम है, देखो तो तुम कितनी गरम हो गई हो।। तुम्हारी जाँघें कितनी गरम हैं (समधी जी ने बहु के जाँघो पे हाथ फेरते हुए कहा।।)

प्यारेलाल - तुम इतनी गर्मी में चादर क्यों डाली हो।। लेट जाओ ऐसे ही और रेस्ट करो ओके?

सरोज - नहीं पापा सोने के लिए तो सारी रात बाकी है, अभी मेरे प्यारे पापा आये हैं तो आपसे ढेर सारी बातें करुँगी। चलिये आप फ्रेश हो जाईये बाथरूम उधर है मैं तबतक आपका सामान लगा देती हूँ अपने कमरे में आप मेरे पास ही रहेंगे जितने दिन के लिए भी।।

प्यारेलाल - नहीं नहीं बेटी।। मैं गेस्ट रूम में रह लूंगा। तुम अब तक अकेली सोती थी न तो तुम्हे परेशानी होगी।

सरोज - नहीं पापा आप मेरे साथ रहेंगे। हाँ मैं रोज़ अकेली सोती थी और बाबूजी अपने कमरे में। लेकिन अभी आप आये हैं तो आप के साथ टाइम बिताऊँगी। (बहु ने अपने पापा से झूठ बोला क्योंकि पिछले कई दिनों से मैं बहु के साथ बिस्तर पे सो रहा था)

बहु ने आगे बढ़ कर अपने पापा को हग कर लिया, समधी जी भी अपनी बेटी के टॉप को छूते हुये अपना एक हाथ उसकी नंगी कमर पे टीका दिए और कस के लिपट गये। मैं वहाँ खड़ा सब देखता रहा बाप-बेटी इतना कस के एक दूसरे से सटे थे की बहु की बूब्स उसके पापा से अच्छे से दब रहे थे ।और। समधी जी अपनी बेटी के जाँघ सहलाने के साथ साथ उसे दबा के भी मजा ले रहे थे।
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#56
मुझे बाप-बेटी के इस वर्ताव से कोई प्रॉब्लम नहीं था, बल्कि मैं न जाने क्यों बहु और उसके पापा को साथ-साथ देख मजा आ रहा था। मैं न जाने क्यों बहु को अपने पापा के साथ चुदते हुए देखना चाहता था। मेरा लंड ये सोच कर खड़ा हो गया की कैसा लगेगा जब एक बेटी अपने ही बाप से चुदायेगी।

प्यारेलाल - अच्छा बहु चलो मैं फ्रेश हो कर आता हू।

सरोज - जी पापा मैं आपके सामान को टेबल और कपबोर्ड में लगा देती हू।

प्यारेलाल - ओके बेटी

बहु समधी जी का सूटकेस खोलने लगी।।

सरोज - बाबूजी इधर आईए न जरा मदद करेंगे मेरी सूटकेस खोलने में?

मै - हाँ बहु ये लो खुल गया।।

सरोज - मैं ये सब सामान कपबोर्ड में लगा देती हूँ ( बहु सारे सामान रखने लगी।। अपने पापा के सामान अंडरवियर वगैरह भी)

सरोज - अरे ये साइड में क्या आवाज़ कर रहा है देखिये तो।।

मै - बहु ये तो कोई मैगज़ीन है।। रुको निकालता हूं

मैने जब मैगज़ीन बाहर निकाला तो वो एक पोर्न मैगज़ीन थी।। जिसके कवर पेज पे एक लड़की लंड चूस रही थी मैंने बहु को दिखाया।
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मै - ये देखो बहु, तुम्हारा पापा ने सूटकेस में ये मैगज़ीन छुपा के रखी है।।

सरोज - ओह माय गोड़। पापा ये सब?

मै - क्यों नहि।। और ये देखो बहु ये इन्सेस्ट मैगज़ीन है। ये ऊपर लिखा है डॉटर लव्स टू सक।। मतलब बेटी को लंड चुसना पसंद है।। आखिर तुम्हारे पापा ऐसे मैंगज़ीन क्यों पढेंगे वो भी बाप - बेटी के सेक्स रिश्ते के बारे में।

बहु ने मैगज़ीन मेरे हाथ से ले लिए और आश्चर्य से देखने लगी।। जब उसने मैगज़ीन अंदर खोला तो हैरान रह गई।। अंदर कई मॉडल के फोटो पे दाग लगे थे।

सरोज - बाबूजी।। ये मैगज़ीन पे हर लड़की के फोटो पे दाग कैसे।। जैसे कुछ गिरा हो।

मै - बहु ये मुट्ठ के दाग है।। तुम्हारे पापा ये सब तस्वीर देख कर मूठ मारते होंगे और हर मॉडल के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया है।।

सरोज - (२ पन्ने और पलटते हुए। ) आआह्ह्।। ये गिला चिपचिपा सा।।।

मै - क्या हुआ बहु?

सरोज - बाबूजी ये देखिये न एक फोटो पे ये गिला गिला है।। चिपचिपा सा।।

मै - ये तो मुट्ठ ही है बहु, वो भी ताजा।।
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#57
Good going
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#58
सरोज - इसका मतलब क्या पापा ट्रैन के सफ़र में इस फोटो पे मुट्ठ मारे हैं?

मै - हाँ बहु और कौन करेंगा।। ये तुम्हारे पापा का ही मुट्ठ है।।

सरोज - आप इतने यकीन के साथ कैसे कह सकते हैं?

मै - मुझे आदमी के सेक्सुअल जरुरत मालूम है ये मुट्ठ ही है, यकीन न आये तो चाट के देख लो नमकीन सा टेस्ट होगा

सरोज - छी: बाबूजी।। अगर आप सही कह रहे होंगे तो क्या मैं अपने पापा का मुट्ठ चाटूँगी ??

मै - अरे बहु कोई बात नही।। तुमने मेरा भी तो मुट्ठ पिया है कितनी बार।। चाट के देख लो।।

सरोज - (मुट्ठ को स्मेल करती हुई।। चाट लूँ सच्ची? )

मै - हाँ बहु।। (मेरे हाँ कहते ही बहु जीभ लगा कर मुट्ठ चाटने लगी।।)

सरोज - ओह बाबूजी आप सच कह रहे हैं ये तो मुट्ठ का ही टेस्ट है।।

मै - और चाट लो बहु।। (और बहु आँखे बंद कर मस्ती में अपने पापा का मूठ चाट गई)

मै - ओह बहु।। लगता है तुम्हे अपने पापा के लंड का मुट्ठ बहुत पसंद आया।।

सरोज - छी: बाबूजी आप भी न।। मैं तो बस कन्फर्म करने के लिए चाटी।।

मै - काश तुम समधी जी का लंड चाटती तो वो तेरे मुह में ही अपना मुठ छोड़ देते।।
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सरोज - ओह बाबूजी ये आप क्या कह रहे है।। मैं अपने पापा का लंड चूसूंगी।।

मै - कोई बात नहीं बहु।। सेक्स के जरुरत में रिश्ता नहीं देखा जाता। और तुम्हारी उभरी हुई निप्पल बता रही है की तुम ये सोच कर बहुत एक्साईटेड हो गई हो।।

सरोज - बाबूजी।। चुप रहिये आप भी न।।

मै - मेरा यकीन करो बहु।। अगर समधी जी के पास तुम्हारी फोटो होती तो वो अबतक दूसरे लड़कियों पे अपना मुट्ठ बर्बाद नहीं करते।। बल्कि सारा दिन तुम्हारी फोटो पे ही मुट्ठ मारा करते।।

सरोज - बस करिये न बाबूजी।। (बहु शर्मा गई।।)

मै - बहु इससे पहले की समधी जी देखें मैगज़ीन वापस रख दो।

सरोज - ओके बाबूजी।।

बहु ने मैगज़ीन वापस रख दिया और फिर कमरे से बाहर चलि गई। समधी जी भी बाथरूम से बाहर आये और अपने कपडे चेंज कर डाइनिंग हॉल में चले गये।

शाम को हम सभी तैयार हो कर बहु के बर्थडे के अवसर पे फोटो खीच रहे थे, बहु ने पहले मेरे लाये हुए जीन्स और टीशर्ट ट्राई किया। हमेशा की तरह बहु भी किस्सी न किसी बहाने से हमे अपनी कमर और नवेल दिखाती रही।

बाद में वो कपडे बदल कर अपने पापा के लाये हुए कपडे भी ट्राई की। हमलोगों ने बहुत सारी फोटो खींची लेकिन सबसे ज्यादा फोटो बहु की ही थी। हर एंगल से जहां से भी उसके मादक बदन की झलक मिल जाती मैं फोटो खीच लेता।
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#59
मैने नोटिस किया की समधी जी भी अपनी बेटी के बहुत सारे आपत्ति जनक फोटो खीचे, समधी जी ने ख़ास तौर पे बहु के उभार और उसकी मादक गांड के फोटो लिए।

शाम तक हम सब ने खूब एन्जॉय किया उसके बाद जैसा की बहु चाहती थी मैं अपने कमरे में सोने चला गया और बहु और समधी अपने कमरे में। मेरी नींद आज उड़ चुकि थी मैं जानता था की आज रात कुछ होने वाला है। मैं अपने कमरे में आकर लाइट्स ऑफ कर दिया ताकि बहु और समधी जी को लगे की मैं सो गया हू।

मैं सामने वाली खिड़की के पास बैठ गया। कमरा पास होने की वजह से मुझे उनकी बातें साफ़ सुनाइ दे रही थी। बहु अपने सेक्सी ब्लैक कलर नाईट ड्रेस में थी।, और उसके पापा बेड पे बैठे टीवी देख रहे थे। बहु अपने पापा से सोने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी।
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सरोज - पापा अब सो जाइये चलिये आप थक गए होंगे।

प्यारेलाल - हाँ बेटा ठीक है, कमरे में तो बहुत गर्मी है और तुम ये ब्लैक गाउन पहन के लेटोगी?

सरोज - हाँ पापा मैं तो रात को अक्सर ये पहन के सोती हूँ।

प्यारेलाल - बेटी तुम झूठ क्यों बोल रही हो? मैं समझ सकता हूँ तुम अकेली सोती थी तो इस गर्मी में कैसे सोती होगी। तुम जो इतना स्वेट कर रही हो इसी से मुझे पता चलता है की तुम्हे इसकी आदत नही

सरोज - ओके पापा, आपने ठीक पहचाना।

प्यारेलाल - तो फिर सरोज बेटा लाइट्स ऑफ करो और नाईट गाउन उतार कर सो जाओ।

समधि जी आज अपनी बेटी को बिना नाइटी के अपने पास चाहते थे, और बहु ने भी बिना लाइट्स बुझाये उनके सामने अपनी नाइटी उतार खड़ी हो गई।
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मै खिड़की से बहु को सिर्फ ब्लैक ब्रा पेंटी में देख कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और मुट्ठ मारने लगा। बहु बेशरमी से अपने पापा के सामने अपनी गदराई जवानी दिखाते हुए खड़ी थी। उसकी जाँघे बहुत गोरी दिख रही थी वो अपनी पेंटी में दोनों तरफ से अँगूठा डाले खड़ी थी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने पापा के एक इशारे पे अपनी पेंटी उतार देगी। बहु ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप जला कर अपने पापा को हग करके सो गई। मैंने अपना मुट्ठ नहीं निकाला मुझे एक उम्मीद थी कुछ होने की इसलिए क़रीब १ घंटे बाद मुझे पास वाले कमरे से कुछ हलचल महसूस हुई और मैं दूबारा उठ कर बहु के कमरे में झाँकने लगा।

मैने देखा बहु सो रही है और समधी जी अपने लंड को लेटे लेटे लोअर के ऊपर से ही रगड रहे है। बहु की पीठ खुली थी जिसे देख कर समधी जी अपना लंड बाहर निकाल जोर जोर से मुट्ठ मारने लगे।

वो बार बार बहु के तरफ ध्यान दे रहे थे की कहीं बहु जग न जाए।समधीजी ने बहु की ब्रा खोल दिया था और उन्होंने बहु की पेंटी भी सरका दिए और तेज़ी से लंड की स्कीन ऊपर नीछे करने लगे। उनकी साँसे तेज़ होती जा रही थी और साथ-साथ हिम्मत भी। बहु के तरफ से कोई हलचल न देख कर वो अपना लंड मुट्ठी में लिए बहु के चेहरे के काफी क़रीब आ गए और फिर उनका सारा वीर्य बहु के चेहरे पे गिर गया।
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एक बाप को अपनी बेटी के मुह पे मुट्ठ मारता देख मेरा लंड जोश से भर आया मैं बहु के समधी जी के मुट्ठ से सने चेहरे को देख कर मुट्ठ मारने लगा।। मैं मुट्ठ मार - मार कर थकता जा रहा था। मैंने कभी नहीं सोचा था की अपनी रंडी बहु के नाम पे मैं इतना मुट्ठ मारूँगा।। मैं बहु को रंडी बनते देखना चाहता था।। जो किसी का भी लंड अपनी चुत में ले ले चाहे वो उसका अपना भाई हो या फिर पिता।। ए सब सोचते हुए मेरे लंड से फच-फच कर पानी निकल गया। 

मुझे ये सब काफी अच्छा लग रहा था लेकिन मैं बहु के मन की बात जानना चाहता था। मुझे लगता था की बहु अपने पापा से चुदवाना चाहती है लेकिन मैं उसके पापा की ये करतूत बता कर सब खेल बिगाड़ना नहीं चाहता था। मुझे तो उस पल का इंतज़ार था जब बहु खुद चुदने के लिए अपने पापा को सेडयूस करे।।।।
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#60
मैन पिछले कई हफ्तो से बहु के नाम की मुट्ठ मार और उसे चोद के थक गया था, मैं उस रात बहु के मुह पे अपने पापा का मुठ निकालते देख अपना पानी निकाल कर इतना थक गया की सुबह १० बजे तक सोता रहा। सुबह बहु कमरे में झाड़ू लगाने आयी और मुझे उठाने लगी।। मुझे हलकी हलकी आवाज़ सुनाइ दे रही थी।।लकिन थकान थी की मेरी नींद नहीं खुली।

कुछ देर बाद बहु और समधी की आवाज़ सुन कर मेरी नींद खुली, मैंने जब कमरे में अपनी नज़रें घुमाई तो हैरान रह गया। कमरा बिलकुल साफ़ था, टेबल पे न्यूज़पेपर रखा हुआ था तब मुझे याद आया की सुबह शायद बहु मुझे उठाने आयी थी।

मैने हैरान था, मेरा अंडरवियर घुटने तक था और मैं पूरा नंगा था। मैंने जब लेटे लेटे बेड पे हाथ लगाया तो बिस्तर की चादर पे एक बड़ा सा धब्बा था और उस जगह पे बेडशीट कड़ा हो का पापड़ की तरह सख्त हो गया था। मैंने अपने लंड को पकड़ कर अंडरवियर में डालना चाहा तो देखा की मेरा लंड एकदम गिला है जैसे की अभी-अभी मुट्ठ निकला हो। 

लेकिन ये कैसे हो सकता है? मुट्ठ तो मैं रात में मारा था और वो बेडशीट पे गिर के सख्त भी हो गया फिर लंड गिला कैसे? मुझे कुछ समझ में नहीं आया मैं बाथरूम गया और फ्रेश हो कर बाहर हॉल में चला गया।

बहु सामने आयी और वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।। उसने चाय का प्याला मेरी ओर बढाया।।

सरोज - ये लिजीये बाबूजी।। चाय पीजिये।। आप रात में बहुत थक गए होंगे ( बहु ने आँख मारते हुए कहा।। )

मैने ने चाय का प्याला ले लिया और सोचने लगा की शायद बहु सुबह मेरे कमरे में आयी थे और उसने मेरा खुला लंड देख कर ये समझ गई होगी की मैंने रात में मुट्ठ मारा है।

सरोज - क्या बाबूजी मैं आपको सुबह उठाते उठाते थक गई। लेकिन आप हैं की उठते ही नही।। क्या - क्या नहीं किया मैंने आपको उठाने के लिए ( बहु ने फिर से मेरी ओर देख आँख मारी)

मेरे दिमाग में अचानक से बात आयी।। कहीं बहु सुबह मेरा लंड तो नहीं चूस रही थे और वो गीलापन उसके होठों का था?

मै - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी

प्यारेलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।

मै अपने मन में सोचा। समधी जी रिलैक्स तो जरूर हुये होंगे आखिर अपनी बेटी के मुह पे अपना माल गिराया है। बहुत कम ऐसे बाप होते होंगे जो अपनी जवान बेटी के सामने मुट्ठ मार कर सटिसफाई होते होंगे।

सरोज - बाबूजी, आज आप इतनी देर तक क्यों सोते रहे? ऐसा क्या कर रहे थे आप कल रात जो इतना थक गए?
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