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फ्रेंड्स
मेरी फेवरेट और सभी एक्सबी के चाहने वालो की फेवरेट महक का जादू जो की सौंदर्या दीदी ने लिखी है
उसे पोस्ट कर रही हु। पोस्ट करते समय मैं कुछ इमेजेस में बदलाव कर रही हु।
आशा है सभी से उसे प्यार मिलेगा
तनु
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दोस्तों मैं अपनी सच्ची कहानी बताने जा रही हूँ. अपनी काहानी शेयर करने का यह मेरा पहला अनुभव है. मेरा आपसे अनुरोध है ,
कृपया मेरी गलतियों को बताये और मेरा मार्गदर्शन करे ताकि मैं अपनी काहानी आपको अच्छी तरह से बता सकू.
आप लोगो के सुझाव और हौसला अफजाई की मैं आतुरता से प्रतीक्षा करुँगी.
मेरा नाम महक है, आज मैं २५ साल की हूँ . मैं अपनी इंजीनियरिंग की स्टडी पूरी कर चुकी हूँ.
अभी मैं बिज़नस मैनेजमेंट की पढाई कर रही हूँ. मैं और मेरा परिवार एक छोटेसे कसबे में रहते थे.
मेरा परिवार बहोत ही छोटा है, जिसमे मेरे पिता, माँ और मेरा छोटा भाई और मैं ये चार ही लोग रहते थे.
मेरे दादाजी का देहांत मेरे बचपन में ही हो गया था.
सौंदर्या (महक)
मेरे पिता एक मेहनती किसान है. हमारी फार्म सारे इलाके में जानी पहचानी है.
पिताजी एक पढ़े लिखे किसान है जो नए तरीके से खेती करने में विश्वास करते है.
मेरी माँ एक मेहनती गृहिणी है, वो घर के साथ साथ खेती के कामो में भी हाथ बाटती हैं .
मेरा छोटा भाई मेरे से सिर्फ दो साल छोटा है.
मेरी ये कहानी वहा से शुरू होती है जब मैं xx साल की थी और मेरा दसवी कक्षा का नतीजा आया था .
मुझे पुरे ८५ प्रतिशत मार्क्स मिले थे, माँ पिताजी दोनों बहोत ही खुश थे. मेरे गाँव में xx के बाद पढाई की सुविधा नहीं थी.
पिताजी चाहते थे की मैं खूब पढू, बहोत सोच विचार के बाद ये फैसला हुवा की मुझे मामाजी के यहाँ आगे की पढाई के लिए भेजा जाये.
मेरे मामाजी शहर में रहते थे. मामाजी के शादी माँ से पहेले हो चुकी थी पर मामाजी अभी तक बेऔलाद थे.
मामाजी और मामिजी दोनों मुझे और मेरे भाई से बेहद प्यार करते थे.
मैं पिताजी के साथ शहर आ गई , मेरे मामाजी का बहोत बड़ा मकान था, और रहने वाले सिर्फ दो लोग.
मामिजी ने कहा "अच्छा हुवा तुम यहाँ आ गई , अब हमारे घर में थोड़ी रौनक आएगी"
मामीजी ने मेरे लए ऊपर वाला कमरा ठीक कर दिया. ताकि मेरी पढाई में कोई डिस्टर्ब ना हो .
शुरुवात में कुछ दिनों तक मुझे घर की बहोत याद आती थी.
लेकिन फिर मै ये सोच के खुश होती थी की अगले साल मेरा भैया भी वही आने वाला है.
दोस्तों तब तक मै सेक्स से पूरी तरह से अपरिचित थी. जबकि मुझमे कुछ जिस्मानी तब्दीलिया आनी शुरू हो गई थी,
जैसे मेरी छाती के उभार बड़े होने लगे थे, अब ये छोटे संतरे की तरह थे.
पर अबतक मै ब्रा नहीं पहेनती थी. मैं अन्दर से समीज पहनती थी.
मेरी कांख में भी बाल उगने शुरू हो गए, और वैसे ही बाल मेरी योनी पर भी आने लगे थे.मेरी माहवारी तो पिछले साल ही आना शुरू हुई थी.
मैं स्कुल यूनिफार्म में
मेरी रोमिल बगले
पर माँ ने इस बारे में जादा कुछ बताया नहीं था.
लेकिन शहर में आने के कुछ दिनों बाद मेरी सेक्स की जानकारी बढ़ने लगी.
मेरी क्लास में जो लडकिया थी उन सबकी छाती मुझसे काफी बड़ी लगती थी. और वो लडकिया काफी फेशनेबल भी थी
उनमे से एक लड़की थी रिया जो की मेरे घर से थोडा पास ही रहती थी,
उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी. रिया मेरे घर पढाई करने आने लगी, कभी कभार मै उसके घर जाती थी .
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एक दिन जब रिया मेरे घर आई थी, हम उपरवाले कमरे में पढाई करने बैठे थे,
मै कुर्सी पर और रिया टेबल से टिक कर बैठे थे .
अचानक मैं उठ के खड़ी हो गयी, और उसी समय रिया भी सीधी होने जा रही थी,
परिणामवश हम दोनो भी जोरोसे टकरा गई.
मेरी कोहनी रियाकी छाती से जा टकराई ...
रिया : उई माँ ........ मर गई .....
मै: सॉरी रिया .... बहोत लगा क्या रे
रिया छाती से हाथ लगाये बैठ गई
मैंने उसे फिर पूछा "बहोत दर्द हो रहा है क्या?
और मैंने उसकी छाती पर हाथ रखा, रिया ने पटाक से मेरा हाथ अपने सिने पे दबाते हूए लाबी साँसे लेना शुरू किया .
मैंने सोचा की मालिश करने से उसे कुछ राहत मिलेंगी इसलिए मैंने धीरे से उसकी छाती को मसलना शुरू किया
अब रिया ने आपनी आँखे बंद कर ली थी और उसने मेरा दूसरा हाथ पकडके अपने दुसरे स्तन पर रख दिया ,
और मेरे हथोको उपरसे ही दबाने लगी.
मैंने भी अनजाने में उसके स्तानोका मर्दन करना शुरू किया.
थोड़ी देर बाद मैंने रुकना चाहा,
तो रिया बोली "प्लीज महक , रुक मत यार ...... और जोरो से दबा .... प्लीज़ "
और उसने अपना टॉप थोडा खिसका कर मेरे हाथो को अपनी टॉप के अन्दर खीचा,
अन्दर समीज या ब्रा कुछ भी नहीं था, उसकी नंगी छतिया मेरे हाथो में थी .
मैं असमंजस में थोड़ी देर रुक गई
रिया फिर बोली " प्लीज़ यार महक ...... दबा इनको .... जोर से दबा दे इनको "
मैं फिर अपने काम में लग गई (दबाने के ) ,
दोस्तों अब मुझे भी अजीब सा मजा आने लगा था.
रिया तो अपनी आखें बंद करके पूरी मस्ती में झूम रही थी,
मैंने महसूस किया की रिया के निप्पल एकदम कड़े होने लगे, उसने आँखे खोली तो उसकी आँखे गुलाबी लगने लगी ,
उसने एक झटकेसे मुझे अपनी और खीचा और मेरे होंठो पे अपने होठ रख कर पागलो की तरह चूमने लगी.
मैं कसमसाई, ताकत लगाकर मैंने उसे दूर धकेला
मैं: ये क्या कर रही हो .....
रिया मुझे फिरसे आमने पास खीचते हुए बोली "मेरी जान आ जा मेरी प्यास बुझा दे , मेरे बदन में आग लगी है...... आजा मेरी जान"
मै: "ये क्या पागलो जैसी हरकत कर रही हो रिया ..... छोडो मुझे...." और मैंने उसे जबरदस्ती अपनेसे अलग किया .
रिया: प्लीज यार महक ..... प्लीज .... फिरसे दबा दे ...... देख मैं कैसी जल रही हूँ.... मेरा बदन कैसे तप रहा है......"
इतना कहके उसने मेरा हाथ फिरसे उसकी टॉप के अन्दर डाल दिया.
मैंने महसूस किया की उसका बदन भट्टी की तरह तप रहा था. उसकी आँखे लाल हो गई थी .
घबराकर मैं बोली " अरे तेरा बदन तो बहोत ज्यादा गरम लग रहा है.... बुखार आया क्या ?"
रिया : " हा मेरी जान .... ये जवानी का बुखार चढ़ा है मेरे ऊपर .... जल्दी से इसे ठंडा करदे...."
और फिरसे वो मेरे हाथो से उसकी छतिया दबाने लगी .
मैं: "रिया रुक मैं मामी से मांग के कुछ मेडिसिन लाती हूँ"
मैंने फिरसे अपने आप को छुडाने का असफल प्रयास किया.
रिया मेरे हाथ जबरदस्ती से भिचते हूए बोली
" हाय रे मेरी भोली डॉक्टर ..... मेरी मेडिसिन तो तेरे ही पास है "
मैं: " मैं समझी नहीं रिया..... ये तुम क्या बोल रही हो ......."
रिया: " मैं सब समझाती हूँ मेरी भोली महक .... तू बस इनको दबाती जा ......"
मैंने हथियार डालते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया ......
मेरे लिए भी ये नया अनुभव था . मुझे कुछ कुछ अच्छा भी लगने लगा था .....
रिया ने फिरसे मुझे आपने पास खीचा और मेरे होंठोपे चुम्बन जड़ दिया .
रिया: " क्या तुमने अभी तक ऐसा नहीं किया ?"
मैं :"ऐसा यानी ..... मै समझी नहीं "
रिया: " मेरी भोली बन्नो ..... क्या आजतक तुमने किसी को चुम्मा नहीं दिया..... "
मैं: "छि .... गन्दी कही की ......"
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क्यू नही हम आपके कहानियो के बहुत बड़े फैन है बहुत वैट किया है प्यार बरसेंगे कमैंट्स के ज़रिए
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(12-04-2019, 02:07 PM)INCESTIOUSLOVER Wrote: क्यू नही हम आपके कहानियो के बहुत बड़े फैन है बहुत वैट किया है प्यार बरसेंगे कमैंट्स के ज़रिए
Thank you..
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रिया ने मुझे थोड़ी देर के लिए अलग किया और वह दरवाजे की तरफ भागी.
उसने दरवाजे की कुण्डी अच्छी तरहसे बंद करदी और फिर भाग के मेरे पास आते हुए
मुझे जोरसे अपनी बाहों में भीच लिया .
मैं उसे देखती ही रही ..... मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था .
मैं बोली " ये क्या कर रही हो रिया.... दरवाजा क्यों बंद किया..... क्या हूवा है तुझे "
रिया ने बड़े प्यारसे मेर तरफ देखा और बोली
"आज मैं मेरी भोली बन्नो को .... जवानी का अद्भुत खेल समझाने वाली हूँ ."
मैं : "जवानी का अद्भुत खेल ? ये क्या है.."
उसने फिर एक बार अपने होठोसे मेरे होंठ बंद किये.....
और मेरी उभरती हुयी छातियो को अपने हाथोसे भीचना शुरू किया.
जैसे ही रिया के हाथ मेरी छातियोसे लगे ....
मैंने एक अजीब सा रोमांच महसूस किया ....
एक नशा सा होने लगा था ....
रियाने मेरे निचले होठ पर अपनी जुबान फिराना शुरू किया ....
उसके हाथ अब मेरी टॉप के अन्दर जाने की कोशिश कर रहे थे .....
मुझे थोडा अजीब लगा पर ना जाने क्यों मैंने उसे रोकने का प्रयास भी नहीं किया.
जल्द ही उसके हाथ मेरी टॉप के अन्दर थे .......
लेकिन उन हाथो की मंझिल कुछ और थी....... उसने फिर थोड़ी मेहनत कर के अपनी मंझिल को पा ही लिया....
उसने मेरी समिज के अन्दर हाथ डालते हुए मेरे नग्न स्तनों को छू लिया....
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उफ़...... मेरी तो साँस जैसे थम गई...
एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा की ..... मैं हवा में हूँ .... मैं उड़ रही हूँ.
रियाने मझे जमीं पर उतरने का मौका ही नहीं दिया , और वो मेरे स्तनों को जोरसे दबाने लगी...
दोस्तों मेरी जिन्दगीका पहेला स्तनमर्दन हो रहा था.
एक अजीब सा ...मीठा सा दर्द महसूस कर रही थी मैं..... मैंने आजतक ऐसा कभी अनुभव ही नहीं किया था .
रिया ने तो जैसे मुझे पागल करने की ठान ली थी , उसने मेरे स्तानाग्रो को चुटकी में भर कर उमेठा .....
स्स .स्स. स्स. स्स .स्स……..
हाय मेरी तो जान ही निकल गई ......
मैं चीखना चाहती थी ....... मगर चीख नहीं सकती थी ....
क्योंकि मेरे होठ तो रियाने अपने होठो से बंद किये थे.
पर हुआ ये के मेरा मुह थोडासा खुल गया .......
रियाने इसी मौकेका फायदा लेते हूए अपनी जीभ को मेरे होठो से अन्दर की और सरका दिया ....
अब उसकी जीभ मैं अपने जीभ से टकराती महसूस कर रही थी .......
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मुझे एक अजीबसा मजा आ रहा था ...... मैंने अपने जीभ से रिया की जीभ को धकेलना चाहा.......
मेरी इस कोशिश में मेरी जीभ रिया के मुह में चली गई ........
अब रिया मेरी जीभ को अपने मुह में लेकर चूस रही थी .....
मेरे निप्पल अब पूरी तरहसे कठोर हो गए थे .
रिया का दबाना, उमेठना और मेरे होटो को चूसना जारी था और मुझे पूरी तरह से पागल कर रहा था.
न जाने कितनी देर तक हम वैसे ही रहे ......
अचानक रियाने चुम्बन तोडा और अपने हाथ खीच कर अलग खड़ी हो गई .
जैसे उसने मुझे आसमान से उठाकर जमीं पर पटक दिया
मैं रिया की तरफ असंजस भरी नजरो से देखने लगी.
रिया मंद मुस्कुरा रही थी . मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था .
रिया धीमे कदमोसे चलते हुए मेरे पास आई , मेरी पीठ सहलाते हूए मुझे पलंग की ओर ले गयी.
उसने मेरे कंधे पकड़कर मुझे निचे बिठाया.
मैं एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्म से लाल हो गई. रिया ने धीरे से पुछा
"महक मेरी जान ..... कैसा लगा ?"
मैं तो शर्म से मरी जा रही थी , मैंने अपना चेहरा रिया की छातियो में छुपाना चाहा.
उसने फिर से मेरा चेहरा हाथो में लेकर एक चुम्बन जड़ दिया और फिरसे पुछा
"मेरी भोली रानी .... कैसा लगा यह खेल?"
मैंने मुस्कुराकर निचे देखा.
रिया : " देखो महक , अगर तुम जवानी का यह अद्भुत खेल सीखना चाहती हो तो शर्मना छोडो
और बताओ की तुम्हे ये सब कैसा लगा?"
मैं: "क्या कैसा लगा?"
रिया : "ओह , तो तुझे अच्छा नहीं लगा ...... ठीक है मैं चलती हूँ अपने घर ...."
मैं घबरा गयी .... मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती निचे बैठाते बोला
"रिया मैंने ऐसा तो नहीं बोला यार"
उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़कर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और बोली
"तो तुम्हे जवानी का अद्भुत खेल खेलना है ?"
जवाबमे इसबार मैंने खुद को समर्पित करते हूए रिया के होंठो पर अपने होठ रख दिए .
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रिया ने ख़ुशी के मारे मुझे अपने सिनेसे लगाया और बोली
" चलो मेरी जान अब इस खेल की शुरुवात करते है "
रिया ने बतया "देखो महक इस खेल के कुछ नियम है उनका पालन कठोरता से करना
१ मेरी सभी बाते बिना हिचक माननी होगी
२ कोई भी शंका अभी नहीं पूछनी (बादमे कोई भी शंका बाकि नहीं रहेगी)
मैंने कहा "मुझे तुम्हारी हर शर्त काबुल है रिया .... लेकिन जल्दी शुरू करो "
रिया ने हसते हुए मेरे निप्पल को उमेठा ....... स्स्स्सस्स्स्स ...... हाय मेरी तो जान ही निकल गयी .
रियाने मेरी टॉप को निचेसे पकड़ा और उसे खीचकर मेरे सर से निकाल दिया.
मैं सिर्फ समीज पहनकर बैठी थी.
दोस्तों इस के पहले मैं किसी के सामने सिर्फ समीज में नहीं गयी.
मुझे शर्म आ रही थी, मैंने हाथोसे अपनी छातियो को ढकना चाहा पर रिया ने मेरे हाथो को पकड़ कर मना कर दिया.
रिया बड़े प्यार से मेरे रूप को देख रही थी.
मैंने शर्मा के नजरे नीची कर ली .
रियाने फिरसे मेरी ठोड़ी पकड़कर मेरा चेहरा ऊपर किया और बोली
"मेरी जान शर्मना छोडो और मेरी आंखोमे आँखे डाल कर देखो "
मैंने उसकी आग्या का पालन करते हूए उसीकी आँखों में देखा रिया मेरी तरफ तारीफ भरी नाजोरेसे देख रही थी .
उसने मेरी समीज को निचेसे पकड़ा , मैं उसका इरादा भाप गयी, और उसके हाथ पकड़ लिये. उसने भी जोर लगा कर समीज को ऊपर की तरफ खीचना चालू किया
समीज को ऊपर खीचते वो बोली
" मेरी जान तुम मेरी सारी शर्ते काबुल कर चुकी हो .... अब ये शर्माने का नाटक छोड़ दो "
मैंने हार कर अपने हाथ ढीले छोड़ दिए.
रियाने एक झटके में मेरी समीज को मेरे सर से निकल दिया.
अब मैं ऊपर से पूरी तरह नंगी थी.
मैंने देखा मेर संतरे जैसे स्तन कठोर हो गए थे मेरे गुलाबी निप्पल पूरी तरह फुल चुके थे
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(12-04-2019, 01:39 PM)Karishma saxena Wrote: Nice update
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(15-04-2019, 05:28 PM)PAATROW Wrote: Nice story
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मैंने इसके पहले कभी अपने आपको भी इतना गौर से नहीं देखा था.
इधर रिया अपनी आँखे बड़ी-बड़ी करके मेरी सौन्दर्य का पान कर रही थी.
मेरी नजरे उससे मिली तो वह प्यार से मुस्कुरा दी .
फिर रियाने एक पल में अपना भी टॉप निकल फेका.
उसने टॉप के निचे कुछ भी नहीं पहना था .
टॉप के निकलते ही उसके दो बड़े संतरे जैसे स्तन मेरी आँखों के सामने उछल पड़े.
मैं मंत्रमुग्ध सी उन दो संतरों को देखने लगी,
मन ही मन मैं अपने और उसके स्तन की तुलना करने लगी .
रिया की रंगत सावली है जबकि मैं गोरी चट्टी ,
दोस्तों मेरा रंग दूध में हल्का केसर मिक्स करने के बाद होता है वैसा है .
रिया के निप्पल जामुनी थे तो मेरे गुलाबी .
लेकिन उसके स्तन मेरे स्तनो से आकार में डेढ़ गुना थे.
मुझे इस तरह देखता पा कर रिया हस दी और बोली
" मेरी जान माल पसंद आया की नहीं "
मैं बस शरमाकर मुस्कुराई.
रिया ने मेरा हाथ पकड़कर आपने स्तनों पर रखा और बोली
"महक रानी ये सब तुम्हारे लिये है इसे चूमो "
मैं तो जैसे हिप्नोटाइस हो चुकी थी मेरा सर अनायास ही उसकी छाती पर झुका ....
और मेरे लरजते हुए होठोने उसके निप्पलस को छुआ.
रियाने एक लम्बी सिसकारी भरी,
" स्स्स्सस्स्स्सSSSSS "
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और उसने मेरे सर को स्तानोके ऊपर दबाया .
फिर तो मैं जैसे पागल हो गई, मैं उसके निप्पल को बारी बारी अपने मुह में लेकर जोरोसे चूसने लगी.
जैसे मैं उन दो संतरों को पूरी तरह से खा जाना चाहती थी .
बिच बिच में मेरी दात उन कोमल स्तनों को लग जाते थे और रिया जोरो से सिसक उठती थी .
मैं एक स्तन को चूसती तो दुसरे स्तन को बेदर्दी से दबाती भी रहती ,
बिच में ही मैंने अपनी नजरे उठा कर रिया को देखा तो वो आँखे बंद करके सिसक रही थी
तकरीबन १५ मिनिट तक चूसने के बाद उसने मुझे रोका.
मेरा चेहरा ऐसा हुआ था के जैसे कोई बच्चे से उसका पसंदीदा खिलौना छीन लिया हो
मेरे रुकते ही रियाने मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दिया
और बाज की तरह मुझपर झपट पड़ी .
उसका पहेला हमला मेरे होंठोपर था
इसबार उसने मेरे निचले होंठ को अपने होंठो के बिच ले कर चुसना शुरू किया
मैंने अनायास ही अपना मुह खोलते हूए उसकी जीभ को आमंत्रित किया
उसने भी मेरी बात रखते हूए अपनी जीभ को मेरे मुह में सरका दिया
अबकी बार झटका खाने की बारी उसकी थी ,
मैंने उसकी जीभ को चूसने लगी.
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इस बिच हमारे हाथ एक दुसरे के स्तनों का मर्दन कर ही रही थे.
करीब ५ मिनिट तक हमारी जिभे लडती रही.
फिर इस चुम्बन को तोड़ते हूए रिया मेरे स्तनों की और बढ़ चली .
पहले उसने मेरी ठोड़ी को चूमा फिर उसने मेरी गर्दन पर चुम्मोकी झड़ी लगा दी,
जैसे ही उसकी नजर मेरे निप्पलस पर पड़ी
उसने अपनी जीभ बाहर निकली और मेरे स्तनोपर एक लम्बा चटकारा लगाया.
रोमांच के कारण तो मेरी जान ही निकलती लगी,
रियाने मेरे स्तनों को ऐसे मुह में भरा जैसे वो उनको खा जाना चाहती हो .
बिच बिच में वो मेरी स्तानोको बेदर्दी से काट रही थी ....
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उसके हर काटने के बाद एक अजीबसा मीठा दर्द उठता था.
अचानक ही रिया थोड़ी नीची सरक गयी और उसने मेरी नाभि को चूमना, चूसना चालू किया.
"स्स स्स स्स स्स रिया मेरी जान और करो स्स स्स स्स ...."
वह बिच में ही मेरे स्तनों पर हमला करती और बच मे ही मेरी नाभि पर ......
करीबन २० मिनिट बाद उसने मेरा एक लम्बा चुम्बन लिया और पूछा
"क्यों मेरी जान मजा आया की नहीं "
मैं भी थोड़ी खुल गयी थी .....
मैंने बोला " हा मेरी रिया रानी बहोत मज़ा आया "
यह मेरी जिंदगी का पहिला sex अनुभव था .
सेक्स की रंगीन दुनिया में आज मैंने पहेला कदम रखा था .
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रिया ने घडी की तरफ देखा और बोली
"महक अब मुझे घर जाना चाहिए..... वर्ना मेरे घर वाले ढून्डते हूए आ जायेंगे"
और हमदोनों ने फटाफट कपडे पहने.
मैं: "पर रिया ......"
रिया : "मुझे पता है महक .... तुम्हे बहुत कुछ पूछना है ..... लेकिन अभी नहीं .....
मैं तुम्हे सब कुछ बताऊंगी लेकिन बाद में अब तो हम दोनों एक ही खेल के पार्टनर है"
मैं: " फिर कब आवोंगी ?"
रिया : "बहुत ही जल्दी आउंगी मेरी जान..... तुझसे जादा जल्दी तो मुझे है ....
तेरा मखमली बदन मुझे सोने नहीं देगा "
इतना कहके रिया अपने बुक्स समेटने लगी.
जाते जाते मुझसे कस के लिपट के रियाने एक कड़क चुम्मा मेरे होटों पे दिया
और कुण्डी खोलके बहार निकल गई.
रिया के चले जाने के बाद न जाने कितिनी देर तक मैं वही बैठी रही.
फिर निचेसे मामी की आवाज आई
" महक बेटा शाम होने को है ..... हाथ मुह धोलो और निचे आओ "
हर रोज शाम को मामीजी के साथ मैं आरती करती हूँ.
मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो गई. और निचे पूजाघर की और चल दी .....
आज पूजा में भी मेरा मन नहीं लग रहा था.
मामी ने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया ....
उन्होंने सोचा मैं कॉलेज के बारे में या अपने घर के बारे में सोच रही हू.
मैं फिरसे मेरे कमरे में आ गई. पर मेरा मन कही नहीं लग रहा था ,
सामने किताब खुली थी लेकिन आँखों के सामने अभी भी रिया के भरे भरे स्तन ही आ रहे थे .
मैं अभीभी रियाके होटो की नमी अपने होटोपर महसूस कर रही थी.
इतने में मामी की आवाज आई
"महक बेटा तेरे लिए फ़ोन है ...."
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मैंने सोचा की रिया का फ़ोन है ,
मैं भाग कर निचे फ़ोन के पास गई. मैंने फ़ोन उठाया और बोली
" हाय रिया !"
"हेलो बेटा महक मैं तुम्हारी माँ बोल रही हू "
यह सूनकर मैं फिरसे वास्तव में लौट आई.
पढाई का बहाना बना के मैंने जैसेतैसे अपनी माँ से बात जल्दी ही ख़तम की,
आज न जाने क्यों मेरा मन रिया के सिवा दूसरा कुछ भी नहीं सोच रहा था.
मैं फ़ोन रख कर ऊपर पहोची ही थी की निचे फिरसे फ़ोन बज उठा .
फिरसे मामी की आवाज
" महक बेटा फ़ोन....."
मैं फिरसे निचे गई , फ़ोन उठाया और बड़े ही अनमने ढंगसे बोला
" हेलो कौन बोल रहा है ?"
उधरसे रिया की खनकती आवाज आई
" हेल्लो महक ..... वो कल वाली अर्जंट असाइनमेंट की तयारी के लिए मैं तुम्हारे घर आ रही हू...... मैं आज रात को वही सो जाउंगी और सवेरे वही से हम कॉलेज जायेंगे"
मैं सुनती ही रही,
वह क्या बोल रही थी ये पहले समझ नहीं आया ,
लेकिन मैं ताड़ गयी की उसने घर पे कोई बहाना बनया है .
मैं प्रकट में बोली " हा रिया मैं तो तुम्हारी राह देख रही थी ..... तुम कब तक आओगी?"
उसने बताया की वो खाना खाके ९ बजे तक पहुचने वाली है
मैं तो ख़ुशी के मारे दीवानी हो गई थी .
मैं भागते हुए किचन में गयी और मामी से बोली
"मामी जल्दीसे खाना लगादो...... बादमे मुझे बहोत पढना हैं"
मामी अचरज से मेरे इस बदले हूए रूप को देख रही थी.
मामीने हसकर बोला
"बैठ बेटा मैं अभी खाना परोसती हूँ."
खाना खाते खाते मैं मामी से बोली
" मामीजी .... मेरी सहेली रिया है न ........ वो रात को यहाँ आने वाली है ..."
मामी: "इतनी रत को ?"
मैं: "हा मामी हमें कल एक अर्जेंट असाइनमेंट देना है......
इस लिए काफी देर तक पढना पड़ेगा..."
मामी: " तो फिर रियासे बोल .... की वो यही सो जाए ....."
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मामीजी से परमिशन मिलते ही मैं खुशीसे झूम उठी .
मैंने फटाफट खाना ख़तम किया और ऊपर की तरफ भागी .....
मैंने घडी को देखा अभी आधा घंटा बाकी था.
सच में दोस्तों वो आधा घंटा मुझे बहोत ही ज्यादा लम्बा लगा.
रिया ९ बजने के पहले ही पहुच गयी.
मामी रिया को लेकर ऊपर आई और हमसे थोड़ी देर बाते करके निचे जाने लगी
जाते जाते मामी बोली " बेटा रातको चाय चाहिए क्या? "
मैं " नहीं मामी रात को चाय पिने से हमको एसिडिटी हो जाएँगी ......"
मामी ने "हम दोनो को गुड नाईट बोला और चली गई
मामी के जाते ही ..... मैं रिया से लिपट गयी और उसे किस करने लगी
लेकिन रियाने मुझे झटक दिया ........
मैं: "रिया अब सहा नहीं जाता ... प्लीज आजाओ ना मेरी जान"
रिया: "महक जल्दबाजी मत कर ..... मामी को निचे जाने दे ....
तेरी इस जल्दबाजी की वजह से अपनी पोल खुल जाएँगी."
मैं एकदम से जमीन पर आ गई.
मैं : "सॉरी यार रिया .... मेरे ध्यान में ही नहीं आया"
फिर मैंने नोट किया की रिया कुछ ज्यादा ही सजी सवरी थी.
उसका चेहरा चमक रहा था . शायद फेशियल कर के आई थी .
उसने अपने साथ बुक्स के आलावा एक छोटासा बैग भी लाया था.
मैंने पूछा
"क्यों री.... फेशियल किया है क्या?"
रिया: "हा रे मैं तो बहोत सी तय्यारी कर के आई हूँ "
मैं: " कैसी तय्यारी?"
रिया: "पहले वेक्सिन किया... फिर फेशियल और फिर स्पेशल बाथ लेके आई हूँ"
मेरे अब ध्यान में आया की रिया बहोत ज्यादा चिकनी लग रही थी.
मैं:" और इस बैग में क्या है?"
रिया एक रहस्यमई मुस्कान के साथ बोली
"इसमें मेरा नाईट ड्रेस, कल के लिए कपडे और कुछ ख़ास चीजे है "
मैं : " ख़ास चीजे?"
रिया: "सब बताउंगी रानी ...... थोडा सबर कर......."
मैं: " प्लीज़ यार रिया इतना मत तडपा..... बता न अब "
रिया हसते हूए दरवाजे की ओर बढ़ी
और दरवाजा बंद करके पलटी और अपनी बाहे पसार दी
मैं दौड़ के उसके पास पहुची और उसे जोरोसे भीच लिया ,
अब हम दोनों पागलो की तरह एक दुसरे को चूमने लगे.....
चुम्माचाटी के उस दौर के बाद रिया मुझे खीचते हूए बेड के पास ले आयी.
रिया: "महक रानी ... अब तो पूरी रात अपनी है...
लेकिन हमें सब कुछ इस तरह से करना है की किसी को जरा भी शक ना हो "
मैं:"मतलब?"
फिर रियाने मुझे समझाया की हमें बाकी लोगो के सामने नोर्मल बिहेव करना है.
किसी भी प्रकार की उत्तेजना का प्रदर्शन नहीं करना है.
और हम दोनों की बाते किसी से भी शेयर नहीं करना है.
अगर हम अपने अपने घर में कोई बहाना बताते है तो वो एक जैसा ही होना चाहिए ....
नहीं तो मैं कुछ और बताउंगी और तुम कुछ और ..... ऐसा नहीं चलेगा.
मैंने उसे बोला "मैं समझ गई ....... अब शुरू करे..."
रिया फिर से खिलखिलाते हूए हसी और बोली ....
" और ज्यादा जोरोसे बोलना भी नहीं ..... कमरे के बाहर आवाज ना जाने पाये "
मैंने मेरे दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा " हा मेरी माँ ..... समझ गई "
रियाने मुझे आपने सिने से लगा लिया और बोलने लगी की वो बहोत खुश है .....
मेरे जैसी खूबसूरत पार्टनर पा कर... उसने मुझे पूछा
"महक रानी ... आज जो हमने किया ... क्या तुमने इसके पहले कभी नहीं किया था ?"
मैं: " नहीं तो "
रिया: " तो तुम्हे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं?"
मैं: " नहीं बिलकुल नहीं .... तो क्या आज हमने जो किया इसी को सेक्स कहते है ? "
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