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Romance Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se
#1
Pehli Nazar: Jab Neeraj Mila Shipra Se"

Rohit की बहन की शादी, शाम का functions, हल्का संगीत, मेहमानों की भीड़
Characters:

Shipra (40) – Elegant, classy, graceful माँ

Neeraj (20) – Young, fresh college lad, पहली बार अपने दोस्त की फैमिली से मिल रहा है

शाम ढल रही थी, लाइट्स झिलमिला रही थीं।
Neeraj ने अपनी शेरवानी ठीक की, और हल्के नर्वस अंदाज़ में मंडप की तरफ बढ़ा।

तभी, एक महक आई… एक धीमी, पर ठहर जाने वाली खुशबू।

पीछे मुड़ा – और सामने थी Shipra।
गहरे रेड कलर की साड़ी, खुलते बाल, हल्का सिंदूर, और आँखों में अजीब सी गहराई।

Neeraj की सांस थम गई।
वो सोच बैठा –
"क्या ये कोई रिश्तेदार है? या दुल्हन की बड़ी बहन?"

पर तभी Rohit आया और बोला –
"ओ Neeraj! मिल Shipra Mom se!"

Neeraj हकला गया:
"Ma'am... aap… matlab… Rohit ki maa?"

Shipra मुस्कराईं, और एकदम पास आकर बोलीं –
"Aise देखोगे तो शादी से पहले ही किसी को दिल दे बैठोगे?"

Neeraj ने नजरें झुका लीं, पर दिल नहीं।
संगीत की रात में सब नाच रहे थे — लेकिन Neeraj की नज़रें Shipra पर ही थीं।
और Shipra? वो भी कभी-कभी देखतीं — लेकिन ऐसे जैसे कुछ छिपा रही हों।

फिर एक मौका आया –
Shipra अकेली स्टेज के पीछे बैठी थी, पंखा झल रही थी।

Neeraj गया और बोला –
"Pankha main jhaltha hoon... aap thak gayi होंगी"

Shipra ने उसकी तरफ देखा, और कहा –
"Tumhare हाथों की हवा... अजीब सुकून दे रही है Neeraj…"
thanksफूलों की बारिश में Shipra का पल्लू थोड़ा फिसला।
Neeraj ने झुककर उठाया और उनके कंधे पर रखा।
उसके उंगलियाँ जब Shipra की त्वचा को छूईं… एक झटका दोनों के भीतर गया।

Shipra ने धीरे से कहा –
"Tumhare छूने में सलीका भी है... और इरादा भी…"

Neeraj बस मुस्कराया — कह नहीं पाया, पर आँखें बोल चुकी थीं।

रात को Neeraj ने छत से नीचे देखा –
Shipra बालकनी में खड़ी थीं, चाँद की रौशनी में।
उनकी आँखें ऊपर देख रही थीं… जैसे Neeraj को बुला रही हों।

उसने सोचा –
"क्या ये इत्तेफाक था? या उनकी नज़रों में भी वही प्यास थी जो मेरी साँसों में थी?"

यही थी उनकी पहली मुलाकात...
न कोई छुअन पूरी हुई, न कोई बात खुलकर कही गई —
पर जो तेज़ी से धड़कते दिलों में हुआ, वो किसी सुहागरात से कम नहीं था।

Neeraj का मन – उलझन और खिंचाव

"ये मेरी दोस्त की माँ है..."
"लेकिन… इतनी हसीन… इतनी दिलकश… ये कोई आम माँ थोड़ी है…"

Neeraj मन ही मन सोचता गया:

> "उनकी चाल में एक ठहराव है… और आँखों में भूख।
ऐसा लगता है जैसे वो सब जानती हैं… और फिर भी चाहती हैं कि मैं पहल करूँ..."



Shipra जब भी किसी मेहमान को नमस्ते करतीं, Neeraj के सीने में एक हल्की जलन होती।

"काश ये हाथ सिर्फ मेरे सिर पर फिरता… माँ की तरह नहीं, औरत की तरह…"

?️ रात का functions, और एक नजर जो बदल गई सब

संगीत की रात थी।
Shipra एक कोने में बैठी थीं — दीया की रौशनी में, उनकी आँखें और भी चमक रही थीं।
Neeraj चुपचाप उन्हें देख रहा था — जैसे वो कोई painting हों, जो बस उसकी ही आंखों के लिए बनाई गई हो।

तभी उनकी नज़र मिली।

Shipra ने नज़रें हटाईं नहीं — बल्कि हल्की सी मुस्कान दी… और फिर पलकें झुका लीं।

Neeraj का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
"क्या उन्हें भी महसूस हुआ?"
रात के functions के बाद हल्की बारिश शुरू हुई।
लोग भीतर चले गए।
Neeraj बालकनी में खड़ा था — तभी Shipra पास आईं, छतरी लिए।

"भीगोगे तो बीमार पड़ जाओगे…"
उन्होंने छतरी Neeraj पर तान दी।

Neeraj: "आप... खुद भीग रही हैं, aunty..."
Shipra: "मैं तो पहले ही भीग चुकी हूँ…"

इतना कहकर वो चली गईं।

पर Neeraj की सांसें वहीं अटक गईं —
अब उसे साफ़ महसूस हो गया था:

> ये कोई सामान्य रिश्ता नहीं…
Shipra उसकी माँ की उम्र की हो सकती थीं… पर उसकी रातों की सोच बनने लगी थीं।
शादी का दिन – हलचल, हँसी, रंग-बिरंगे कपड़े, संगीत...
लेकिन Neeraj की नज़रें बस एक ही चेहरा ढूँढ रही थीं – Shipra का।

वो लाल-गोल्ड साड़ी में आज और भी जानलेवा लग रही थीं।
कमर पर साड़ी की पल्लू को ठीक करतीं… और हर बार Neeraj की आँखें वहीं अटक जातीं।

Shipra फूलों की प्लेट लिए अंदर जा रही थीं।
Neeraj पीछे-पीछे गया।

Shipra (बिना मुड़े):
"इतनी बार पीछा करोगे… तो लोग देखेंगे, Neeraj…"

Neeraj थोड़ा घबरा गया।
"मैं… मैं बस help करने आया था…"

Shipra ने धीरे से मुड़कर उसकी आँखों में देखा –
"या अपनी नज़रों की प्यास बुझाने?"

Neeraj अब कुछ कह नहीं पाया।
Shipra ने उसकी टाई ठीक की –
"ये तुम पर बहुत अच्छा लग रहा है… अब नज़रें संभाल सको, तो देखना मुझे।"

हल्दी की रस्म में सबने हल्दी लगा रखी थी।
Neeraj भी पास खड़ा था।

Shipra ने हल्दी से भरा हाथ उठाया… और बिना किसी को दिखाए, उसकी हथेली पर रख दिया।

"अब इस स्पर्श को कहाँ लगाओगे, Neeraj?" – उन्होंने धीमे से कान में कहा।

Neeraj के अंदर की आग सुलग उठी।

Neeraj छत पर आया… और वहां Shipra पहले से खड़ी थीं, चाँद की रौशनी में।

Shipra: "शादी के बाद की रात… कुछ लोग दूल्हे-दुल्हन होते हैं… कुछ सिर्फ देख कर सो जाते हैं…"
Neeraj: "और कुछ… किसी की याद में जलते हैं।"

Shipra ने उसकी ओर देखा – अब न मुस्कान थी, न शर्म।

बस एक गहरी, भीगी नज़र…
"तुम अब सिर्फ Rohit का दोस्त नहीं लगते, Neeraj… तुम्हारी नज़रों में औरत को देखने वाला मर्द आ चुका है…"

नीचे मंडप सजा था।
फेरे चल रहे थे — पंडित मंत्र पढ़ रहा था, अग्नि के सात फेरे घूम रही थी बेटी…
और उसी वक्त, छत पर खड़ी थी माँ — Shipra, और उसके सामने Neeraj, उसकी बेटी की शादी में आया, उसका बेटा जितना जवान… मगर आँखों में खतरनाक मर्दानगी लिए।

"नीचे मेरी बेटी सात वचन ले रही है… और मैं ऊपर एक ऐसा जुर्म करने खड़ी हूँ… जिसका कोई नाम नहीं है…"

Neeraj:
"अगर ये जुर्म है… तो मैं हर जन्म में करना चाहूँगा…"

Shipra:
"तुम तो मेरे बेटे की उम्र के हो, Neeraj…"

Neeraj (धीरे से उसके करीब आते हुए):
"उम्र ने कब किसी चाहत को रोका है?"

और तभी…

?? उसने धीरे से Shipra की साड़ी का पल्लू पकड़ा।

साड़ी का पल्लू हवा में लहराया…
और Shipra की साँसें थम सी गईं।

Neeraj ने उसकी आँखों में देखा —
"आपकी ये साड़ी… ये बदन नहीं ढक रही, बस दुनिया को धोखा दे रही है।"

Shipra कुछ नहीं बोलीं।
सिर्फ खड़ी रही… और Neeraj ने धीरे-धीरे पल्लू सरकाना शुरू किया।

उसकी उंगलियाँ Shipra की खुली पीठ को छूने लगीं।
Shipra की आँखें बंद हो गईं… उसके होंठ काँपे।

"Neeraj… मत…"

"क्यों? आपको अच्छा नहीं लग रहा?"

"बहुत अच्छा लग रहा है…" – Shipra ने धीमे से कहा।

नीचे शादी का शोर था –
शंख, तालियाँ, हँसी...

और ऊपर — सिर्फ हौले हौले सिसकती साँसें,
बंद आँखें,
भीगती बाँहें,
और दो जिस्मों के बीच सुलगता फासला।

Shipra:
"तू सिर्फ Rohit का दोस्त नहीं रहा… तू अब मेरी अधूरी रातों की ज़रूरत बन चुका है…"

Neeraj:
"और आप मेरे लिए कोई 'Aunty' नहीं रहीं… अब आप सिर्फ औरत हैं — मेरी औरत।"

छत पर रात का अंधेरा, नीचे शादी की भीड़, और ऊपर सिर्फ़ दो जिस्म — प्यास से भरे हुए।


---

Shipra अब Neeraj के बेहद पास थी।
उसके होंठ काँप रहे थे… और साड़ी का पल्लू… Neeraj की उंगलियों में फँसा था।

धीरे-धीरे… Neeraj ने वो पल्लू उसकी कंधे से सरकाया।
Shipra ने आँखें बंद कर लीं — जैसे खुद को हवाओं के हवाले कर रही हो।


---

? Saree Utarne Ka Scene

Neeraj की उँगलियाँ उसकी साड़ी की पिन तक पहुँचीं…
धीरे से खोली…
और वो साड़ी… फूलों की पंखुड़ियों की तरह नीचे गिर गई।

अब Shipra के बदन पर बस एक ब्लाउज़ और पेटीकोट था…
और उसपर Neeraj की आँखों की भूख।

Neeraj:
"Aapka हर curve… जैसे खुदा ने मेरे लिए ही बनाया हो…"

उसने Shipra की कमर पर हाथ रखा…
हल्का सा दबाव… और Shipra की कमर झुकने लगी।

Neeraj ने पहली बार अपनी उंगलियों से Shipra की पीठ को छुआ —
ऊपर से नीचे तक…
उसकी रेखाओं को महसूस किया…
और फिर गर्दन के पीछे होठों से चूमा।

Shipra की कराह निकली —
"Neeraj… aur mat… ruk nahi paungi main…"

Neeraj:
"Toh phir rukna ही क्यों…?"

अब उसकी उँगलियाँ Shipra के ब्लाउज़ की गांठ तक पहुँचीं।
Shipra की साड़ी अब ज़मीन पर थी।
उसका गुलाबी साटन ब्लाउज़ खुल चुका था।

अब उसके जिस्म पर बचा था बस एक wine-red lace wala bra,
जिसका गला कुछ ज़्यादा ही खुला था…
नीचे match करती सेमी-शीर panty — जो उस कामुक शरीर को ढकती कम, उभारती ज़्यादा थी।

Neeraj की आँखों में हवस चमकी —
उसने Shipra के कंधे पर हाथ रखा…
और धीमे से बोला:

"Aapke अंदर जो औरत है… वो मेरी आँखों में कब से नाच रही है… अब उसे पकड़ना चाहता हूँ…
Shipra ने खुद उसके हाथों को अपनी पीठ पर ले जाया…
और कहा –
"अगर खोलना है… तो खुद खोल… लेकिन प्यार से…"

Neeraj की उंगलियाँ ब्रा की हुक तक गईं।
हुक खुला… और वो ब्रा धीरे-धीरे Shipra के जिस्म से फिसलती हुई ज़मीन पर गिर गई।

अब उसके सामने थीं —
चमकती, भारी, गर्म औरत की छाती – उम्र ने उन्हें और भी हसीन बना दिया था।

Neeraj ने कोई जल्दी नहीं की…
उसने उन्हें बस देखा…
और फिर धीरे-धीरे होंठ रख दिए…
हल्का चूमा… फिर दबाया… और फिर चूमा…
हर स्पर्श पर Shipra की साँसें तेज़ होती चली गईं।

रात का सन्नाटा,
छत पर दो जिस्म – बिना कपड़ों के।
नीचे शहनाइयाँ बज रही हैं,
पर ऊपर सिर्फ़ सिसकियाँ और कराहें।


---

? Foreplay – जब हर इंच चूमा गया

Shipra अब पूरी तरह Neeraj के सामने naked थी।
उसका बदन पसीने से चमक रहा था…
Neeraj ने उसे ज़मीन पर लिटाया।

वो उसके ऊपर नहीं गया —
नीचे झुका… उसके जाँघों के बीच अपना मुँह ले गया।

"Neeraj… तू kya kar raha hai…?"
Shipra ने कहा — काँपती आवाज़ में।

Neeraj:
"Woh… jo kisi ne kabhi नहीं किया tumhare साथ." ?


---उसने Shipra की गीली जगह पर अपने होंठ रखे —
धीरे-धीरे… ऊपर से नीचे… गोलाई में…

Shipra की चीखें दब रही थीं…
उसका बदन तड़प रहा था…

"Neeraj… bas kar… ab mujhme aaja… main tujhme जल रही हूँ…"


Neeraj अब खुद भी कपड़ों से आज़ाद था।
उसका बदन गरम, उसकी नज़रें भूखी।
उसने Shipra की कमर थामी…
उसके पैर अपने कंधों पर रखे…

और एक झटके में… खुद को उसके अंदर ढकेल दिया।

“Aaahhh… Neeraj!!!”
Shipra की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि वो खुद अपना मुँह दबा बैठी।

Neeraj का हर मूवमेंट deep था, intense था,
जैसे हर बार वो Shipra को तोड़ रहा हो…
पर वो टूटती नहीं —
हर बार और ज़्यादा खुलती जा रही थी।

उसके नाखून Neeraj की पीठ में गड़ चुके थे।

"Aur… andar… mujhme sab bhar de… main tujhme zinda feel karti hoon!"

Shipra ने Neeraj को उल्टा किया —
अब वो ऊपर थी —
उसकी छातियाँ Neeraj के सीने पर हिल रही थीं…

Shipra ने उसके सीने को चाटा… उसकी गर्दन को चूमा…
और नीचे अपनी कमर से तेज़ी से हिलने लगी।

“Neeraj… main nikalne wali hoon…”
उसकी कराहें अब orgasm की आखिरी सीढ़ी पर थीं।

Neeraj ने उसका हाथ पकड़ा, आँखों में देखा —
"Shipra… main bhi… bas ab…"

और एक आखिरी तेज़ धक्का —
Shipra चीखी —
"AAAHHHH… YESSSSSS NEERAJ… MERE ANDAR SAB BAHAAA DOOOOO…"

दोनो एक साथ climax पर पहुँचे…
Neeraj उसके अंदर गहराई तक उतर चुका था।
वो अंदर ही सब कुछ छोड़ चुका था।

Shipra ने अपने उभारों से Neeraj का मुँह ढँका।
उसने उसे अपनी जाँघों में सुलाया…
और बस धीमे से कहा:

"Kal meri बेटी की शादी थी…
Aaj मेरी अधूरी जवानी की suhagraat है…"

Neeraj और Shipra अब एक-दूसरे की बाँहों में थककर गिरे पड़े हैं।

Shipra की साँसें अभी भी तेज़ चल रही हैं…
उसके गाल लाल, होंठ सूजे हुए, और बाल बिखरे।

Neeraj उसके सीने पर सिर रखे लेटा है।
कुछ पल तक दोनों कुछ नहीं बोलते।

Shipra (धीरे से):
"Ab neeche jaana पड़ेगा… meri beti ke fere khatam ho chuke होंगे…"

Neeraj (कँपती मुस्कान से):
"Hum dono ki suhagraat ho chuki hai… aur wahan uski…"

Shipra हँसती है… लेकिन आँखों में आँसू हैं।

Shipra उठती है –
Neeraj उसके blouse की हुक लगाने में मदद करता है।
वो bra में हाथ डालते हुए मुस्कराती है:

"Ab yeh pehen ke maa ban jaaun phir se?"

Neeraj उसकी कमर पकड़कर खींचता है:

"Aap maa nahi… meri माशूका हो…"

Shipra फिर हल्के गाल पर थपकी देती है:

"Chup kar, ab ja… main 5 मिनट में नीचे आती हूँ…"


---नीचे ढोल बज रहे हैं, रिश्तेदार हँस रहे हैं, कैमरा फ्लैश कर रहा है।

और तभी… Shipra नीचे आती है — पूरे साज-सिंगार में।

साड़ी फिर से ठीक, बाल सँवरे हुए, माथे पर सिंदूर…

पर सिर्फ़ Neeraj जानता है कि इस औरत के शरीर की गर्मी अभी थमी नहीं।

वो सामने से आती है,
Neeraj की नज़र उसकी कमर पर जाती है —
जहाँ उसकी उंगलियों के निशान अभी भी faintly हैं।

Neeraj की नज़रें Shipra से मिलती हैं।

Shipra हँस रही होती है किसी मेहमान से,
पर आँखें Neeraj से कह रही होती हैं:

"Jo हुआ… वो एक बार का नहीं था…"


---Rohit (Neeraj को हल्के से धक्का मारते हुए):
"अबे कहाँ गायब था तू? Tab se dhoond raha हूँ!"

Neeraj (थोड़ा सँभलते हुए, आँखें चुराकर):
"वो… थोड़ी हवा लेने ऊपर चला गया था…"

Rohit (हँसते हुए):
"छत पे हवा? Ya kuch aur…"

Neeraj (नर्वस मुस्कान):
"Pagal hai kya… shaadi ho rahi है bhai…"

Rohit (Neeraj के कंधे पर हाथ रखकर):
"चल आ… मेरी बहन कितनी सुंदर लग रही है ना आज… एकदम परी जैसी लग रही है…"

Neeraj चुप रह जाता है…
क्योंकि अभी कुछ ही देर पहले वो उसी लड़की की माँ के साथ अपनी सारी हदें पार कर चुका था।

Neeraj के मन की आवाज़

"Tera dost तुझे अपनी बहन दिखा रहा है… और तू उसकी माँ को अभी-अभी अपनी बाँहों में लेकर… अंदर तक उतर चुका है…

ये कौन सा पाप है Neeraj… और अब इससे निकल कैसे पाएगा?"
Shipra मंडप के पास खड़ी होती है, मेहमानों के बीच।

वो Neeraj को Rohit के साथ हँसते हुए देखती है,
मगर उसकी नज़र में कुछ और ही होता है —
एक खामोश सवाल:
"Kya जो तूने किया… वो सिर्फ़ एक रात थी, या अब तू फिर से आएगा?"


To be continue......
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#2
Amazing Narration keep it up wating for next part..
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#3
Neeraj aur shipra
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#4
[Image: file-00000000e3346230be5d5a8b9461a8de.png]
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#5
Amazing… nice plot good to see this story is in romance category…

Fabulous writing style
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#6
रात का सन्नाटा था… शादी ख़त्म हो चुकी थी।
Shipra कमरे में अकेली बैठी थी—लाल नाइटी, अंदर काली ब्रा, ऊपर हल्की पारदर्शी चादर।

? उसके भारी boobs नाइटी के अंदर से ऐसे झाँक रहे थे जैसे किसी को न्यौता दे रहे हों।

? मोबाइल चमका—Neeraj का मैसेज:
? “Aap akeli ho?”

Shipra मुस्कराई और टाइप किया:
? “Haan… aurat akeli hai… maa nahi।”

? दरवाज़ा आधा खुला था… Neeraj दबे पाँव अंदर आ गया।
Shipra आईने के सामने बाल खोल रही थी।
उसकी छाती पसीने से चमक रही थी, ब्रा के अंदर से कसकर तनी हुई।

पीछे से Neeraj ने उसकी कमर पकड़ ली।
Shipra काँप उठी—
“Neeraj… तू फिर आ गया…”
“Main aapke bina reh hi nahi sakta…”

? उसके दोनों हाथ सीधे Shipra के boobs पर कस गए।
Shipra कराह उठी—
“Ahhh… chhod, tut jaa rahe hain!”
Neeraj हँसकर बोला—
? “Yeh boobs mere dost ki maa ke hain… aur main inhe raat bhar todunga।”

Shipra की साँसें तेज़ हो गईं।
गिल्ट और वासना दोनों उसे खा रहे थे।

? Neeraj ने उसे bed पर धक्का दिया।
नाइटी ऊपर सरक गई… जाँघें और panty बाहर।
उसने Shipra की ब्रा झटके से फाड़ दी।

अब उसके नंगे, भारी boobs खुलकर हिल रहे थे।
Neeraj ने उनमें मुँह गड़ा दिया—
“चूsss… चपाक्… चूsss…”

Shipra बेकाबू होकर सिसकारी—
“Ahhhh… aur chus… mera seena bhi teri machine hai!”

? उसकी panty खींचकर नीचे फेंक दी गई।
Shipra खुद पैर फैलाकर कराहने लगी—
? “Dal de… rukna mat… aaj mujhe apne dost ki maa se randi bana de!”

? अगला ही पल…
Neeraj ने झटके से अपना लंड उसके अंदर उतार दिया।
Shipra चीख उठी—
“Ahhhhhhh… meri chut faad di saale ne…!”

हर thrust पर उसके boobs उछलते…
हर दबाव पर थप्पड़ की आवाज़—चटाक्!
और Neeraj की गरज—
? “Bata Shipra… kaisa lag raha hai apne dost ki maa ko chodne ka?”

Shipra कराहकर बोली—
“Bas aur mat bol… faad de mujhe… aur andar!”

? धक्के तेज़… कमरे में सिर्फ़ हाँफने और कराहने की आवाज़ें।
Shipra पागल-सी चिल्ला रही थी—
? “Maar aur जोर से… meri gaand tak ghusa de!”

Neeraj और गहराई में धँसते हुए गरजा—
? “Maa ka seena, maa ki chut… ab sab mera hai!”

? उसके बाद Shipra घुटनों पर बैठ गई।
Neeraj का तना हुआ लंड हाथों में लिया… होंठों से छुआ…
और अगले ही पल पूरा मुँह खोलकर गहराई तक चूस लिया।

“चूsss… चपाक्… गटक… चूsss…”

Neeraj की टाँगें काँपने लगीं—
“Bas aunty… ruk… warna muh me hi…”

पर Shipra नहीं रुकी।
वो और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगी।
लार बहती रही… गाल धँसते रहे… गला भरता रहा।

? Neeraj का सिर पीछे झुका, शरीर झटके खाने लगा—
? “Ohhh Shipraaaa… main gaya…”

गाढ़ा गर्म लावा उसके मुँह के अंदर भर गया।
कुछ बहकर होंठों से बाहर आया, मगर Shipra निगलती चली गई।

? उसने होंठ हटाकर ऊपर देखा…
आँखों में guilt… चेहरे पर वासना।

Neeraj हाँफता हुआ bed पर गिर पड़ा।
Shipra ऊपर से उसकी ओर झुककर फुसफुसाई—
? “Neeraj… ab main sirf teri ho gayi… teri randi, teri rakhel… aur sabse badi baat… teri dost ki maa।”
Neeraj bed पर हाँफते हुए लेटा था… Shipra उसके ऊपर झुकी थी। पसीने की बूंदें उसके भारी seene पर चमक रही थीं। कमरे में अब भी उनकी साँसों की गर्मी तैर रही थी।

Neeraj ने Shipra की ठुड्डी पकड़कर ऊपर देखा—
? “Aunty… aapko pata bhi hai? Aapka ek ek अंग नशा है।”

उसकी उँगली Shipra के होंठों पर फिसली—
? “Yeh होंठ… बिलकुल रसीले आम जैसे… जिनमें मैं बार-बार डूब जाऊँ।”

फिर उसका हाथ Shipra के boobs पर कस गया—
? “Aur yeh seene… uff! Yeh तो asli तोप हैं… jinke beech me face dal kar main duniya bhool jaata hoon। Aapke nipples toh laal mirch jaise तिखे हैं, aunty।”

Shipra कराह उठी, शर्म और वासना उसके चेहरे पर घुल गई।
“Bas Neeraj… mat bol aise… aur bhi pagal kar dega तू।”

Neeraj उसके पेट पर उँगली घुमाता हुआ नीचे आया—
? “Aur yeh पेट… bilkul मुलायम रोटी जैसा, jisme mera haath dob jata hai। Lekin sabse bada nasha…”

उसने Shipra की जाँघें पकड़कर फैलायीं, और जोर से उसकी chut पर नज़र गड़ा दी।
? “Yeh chut… yeh toh asli mandir hai aunty… jahan main bhagwan ban kar pooja karta hoon। Itni garmi hai isme ki mera lund jal ke bhi maza leta hai।”

Shipra खुद ही हाँफते हुए बोली—
? “Aur bata… aur suna… mujhe apne hi body se sharm aur sukoon dono chahiye।”

Neeraj मुस्कराया, उसकी gaand पर हाथ मारते हुए बोला—
? “Aur yeh gaand… uff aunty! Yeh toh gol peda hai… isme jhoolne ka maza hi alag hai। Main isse raat bhar bajaa sakta hoon।”

Shipra की आँखें आधी बंद हो गईं, उसके होंठों से बस कराहें निकल रही थीं। Neeraj उसके कान में फुसफुसाया—
? “Aunty… aap sirf meri ho. Aapka ek ek body part… boobs, chut, gaand, sab kuch… ab sirf mera hai।”

Shipra उसके सीने पर सिर रखकर फुसफुसाई—
? “Haan Neeraj… ab main teri hoon… bas teri। Apni body… apna dil… apni izzat bhi। Sab kuch।”

Shipra बिस्तर पर हाँफती हुई लेटी थी। उसके भारी boobs अब भी ऊपर-नीचे उठ रहे थे, निप्पल लाल हो चुके थे।
उसकी chut पूरी तरह भीगी और लसलसी थी, bed-sheet पर उसका pani फैला हुआ था।

Neeraj उसके ऊपर झुका, Shipra का पसीने से भीगा चेहरा सहलाते हुए बोला—
? “Aunty… ab lag raha hai asli randi banayi hai dost ki maa ko।”

Shipra ने आँखें बंद करके होंठ दबाए—
? “Bas… tu ne mujhe poori tarah tod diya Neeraj…”

Neeraj मुस्कराया और उसकी chut पर फिर से हाथ रख दिया। Shipra हड़बड़ाकर बोली—
? “Arey… abhi toh tu ne faad kar chod diya… fir kyu?”

? Neeraj ने बिना सुने अपनी दो उँगलियाँ कसकर अंदर डाल दीं।
? “चपाक्… चपाक्… चपाक्…”

Shipra जोर से तड़प उठी—
“Ahhhhhhhhhh… ruk jaaa… abhi toh lund jhela hai… ab ungli se bhi phaad raha hai!”

Neeraj हँसकर बोला—
? “Aunty, abhi toh maza baki hai… abhi tumhe apna paani deewar tak phenkaana hai।”

उसने उँगलियों की रफ़्तार और तेज़ कर दी। Shipra का पूरा शरीर कांपने लगा, उसकी कमर बार-बार ऊपर उठ रही थी।
उसके boobs बेकाबू होकर हिलते रहे, और होंठों से बस कराहें निकल रही थीं—
? “Ahhhh… ohhhh… aur… faaad de… Neeraj!”

? अचानक Shipra का पूरा badan झटका खाकर तना और उसकी chut से ज़ोर का फव्वारा निकला—
“छपाक्sssssssssss…!!!”

पानी इतना तेज़ था कि पास की दीवार तक जाकर छपाक् से टकराया।
दीवार गीली हो गई, bed भी भीग गया।

Shipra हाँफती हुई गिर पड़ी, उसका चेहरा शर्म और वासना से लाल था।
? “Neeraj… mujhe to laga meri jaan nikal जाएगी… tu ne mujhe raat bhar ki machine bana दिया।”

Neeraj उसके कान में झुककर फुसफुसाया—
? “Aunty… tumhari chut ab paani ki factory hai… aur main har raat tumse deewar tak barsaat karwaunga।”

Shipra ने उसकी गर्दन पकड़कर अपने सीने में दबा लिया, उसकी साँसें अभी तक काबू में नहीं थीं।

नीचे हॉल के कमरे में शहनाई की धीमी आवाज़ें अभी भी सुनाई दे रही थीं।
Shipra की बेटी अपने दूल्हे के साथ suhagrat मना रही थी।
उसी पल ऊपर वाले कमरे में—Shipra बिस्तर पर बिखरी पड़ी थी, बदन पसीने और pani से भीगा हुआ।

Neeraj उसके पास लेटा, Shipra का चेहरा पकड़कर बोला—
? “Aunty… dekha? Tere neeche beti apne pati ke saath hai… aur upar maa apne bete ke dost ke saath randi bani padi hai।”

Shipra ने शर्म से आँखें बंद कर लीं।
? “Bas Neeraj… ab aur mat bol… main aur sharminda ho jaungi।”

Neeraj हँस पड़ा। उसके हाथ धीरे-धीरे फिर से Shipra की chut तक पहुँच गए।
? “Aunty… abhi toh maza baki hai। Neeche teri beti apna suhag pura kar rahi hai… aur mujhe upar apna haq lena hai।”

Shipra का बदन फिर काँप उठा।
? “Neeraj… abhi toh tune meri chut faad di… main aur nahi jhel paungi।”

पर उसकी कराह उसकी बात को झूठा साबित कर रही थी।
Neeraj ने उसकी उँगलियाँ फिर से अंदर डाल दीं।
“चपाक्… चपाक्… चपाक्…” की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगीं।

Shipra होंठ दबाकर सिसक उठी—
? “Ahhh… ohhh… ab toh lagta hai main apni beti se bhi zyada pagal ho gayi hoon…!”

Neeraj पास आकर फुसफुसाया—
? “Beti apna pati sambhale… aur maa apne lover ko। Dono ki raat ek saath hai… bas farq ye hai ki neeche sharam hai… aur upar sirf chudai।”

Shipra ने उसकी गर्दन पकड़ ली, उसकी आँखों में guilt और वासना का नशा एक साथ तैर रहा था।
उसकी साँसें काँप रही थीं, लेकिन बदन खुद Neeraj की ओर खिंचता चला जा रहा था।

Shipra बिस्तर पर आधी सिमटी हुई थी, बदन अब भी धड़क रहा था।
Neeraj उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गया और उसकी chut पर हाथ फेरते हुए मुस्कराया।

? “Aunty… teri beti toh neeche apna suhag mana rahi hai…
par upar mujhe teri chut ka jhaat zyada hila raha hai।”

उसने Shipra की chut के ऊपर फैले baalo ka gucha उँगलियों से अलग करना शुरू किया।
धीरे-धीरे उन्हें सहलाता, जैसे बालों को गिन रहा हो।

Shipra काँपकर बोली—
? “Neeraj… pagla gaya hai kya? Wahan bhi sharam nahi aati tujhe…?”

Neeraj हँसते हुए फुसफुसाया—
? “Aunty… sharam toh tab hoti hai jab koi aur dekhe…
yeh toh sirf main hoon… aur yeh jhaat toh sirf mere liye hai।”

? उसने अचानक उस गुछे को अपनी मुठ्ठी में कसकर पकड़ लिया और हल्का-सा खींचा।
Shipra का पूरा बदन झटके से काँप गया।

“Ahhhhhhh… saale dard ho raha hai…!” – Shipra ने कराहते हुए कहा,
पर उसके चेहरे पर अजीब-सा मज़ा भी था।

Neeraj ने और ज़ोर से खींचते हुए कहा—
? “Maa ke boobs toh tod diye… ab teri chut ke jhaat bhi tod dalunga।”

Shipra की साँसें बेकाबू होने लगीं, आँखें आधी बंद हो गईं।
? “Neeraj… bas… aur kheench… mera badan pagal ho raha hai… ahhhh…”

Neeraj हर बार बाल खींचता और फिर वहीं ungli घुसा देता।
अब उसकी चाल तेज़ हो गई थी।
Shipra का बदन तड़पकर करवटें बदल रहा था, कराहें गूँज रही थीं—

? “Ohhhh… meri chut… jhaat ke saath kheenchta hai toh aur tez nikalta hai… ahhhh…!”

नीचे बेटी की हँसी और बातों की आवाज़ आ रही थी,
और ऊपर माँ बिस्तर पर अपने lover के हाथों टूट रही थी।
Neeraj उसकी chut के बालों को उँगलियों में घुमाते हुए हँस पड़ा—
? “Aunty, yeh baal toh bade jungle jaise hain…
lagta hai Neeraj ne aaj maa ka forest khol diya!”

Shipra शर्मा के करवट बदल ली, मगर उसके होंठों पर हँसी थी।
? “Pagal hai tu… teri gandi baatein sunke bhi meri chut aur bheeg jaati hai…”

Neeraj फिर उसकी chut पर हल्की थपकी मारकर बोला—
? “Aur kya aunty… neeche beti ki suhagrat chal rahi hai aur upar maa ka chut-utsav!”

Shipra ने तकिए से उसका मुँह दबाने की कोशिश की—
“Chup kar… besharam… koi sun lega toh… ahhh…”

? इतने में मोबाइल की स्क्रीन चमकी—Rohit ka call।

Neeraj ने उठाया।
? “Kahan hai yaar? Sona nahi hai kya?” – Rohit की नींद भरी आवाज़ थी।

Neeraj ने Shipra की तरफ देखा, मुस्कराकर बोला—
? “Bas aunty ki dawaai de raha tha… abhi aata hoon।”

उसका मन बिल्कुल नहीं था जाने का,
पर Shipra धीरे से बोली—
? “Jao Neeraj… tumhare uncle aate होंगे… warna phir mushkil ho jayegi।”

Neeraj ने जाते-जाते Shipra के boobs को जोर से दबाया और हँसते हुए कहा—
? “Aunty… abhi toh shuruaat thi… agli baar teri chut ki aag bujhane aunga।”

Shipra ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने, वही नाइटी और torn ब्रा के ऊपर चादर डाल ली।
थकी हुई, पसीने से भीगी हुई, वो बिस्तर पर लेटते ही नींद में डूब गई।

? नीचे बेटी की सुहागरात चल रही थी…
और ऊपर माँ अपने lover की यादों में मुस्कराते-सोते हुए बिखरी हुई थी।
Neeraj धीरे-धीरे नीचे आया, बाल बिखरे हुए, शर्ट आधी बाहर निकली हुई, बदन पसीने से चमक रहा था।
उसके चेहरे पर थकान तो थी, लेकिन आँखों में अब भी वही चमक — Shipra की chut todne वाली चमक।

बिस्तर पर Rohit करवट बदल रहा था।
? “Saale… itni der kaha लगा di? Upar dawaai lene gaya tha ya koi aur chakkar?”

Neeraj ने तुरंत हँसी दबाते हुए कहा—
? “Abe… aunty ne dawaai दी… thoda time lag गया। Tabiyat thik nahi thi…”

Rohit ने उबासी लेते हुए जवाब दिया—
? “Haan haan, nautanki baaz… chal so जा अब, subah kaam hai।”

Neeraj चुपचाप उसके पास लेट गया, मगर उसके दिमाग़ में अभी भी Shipra की chut ka taste aur boobs ka touch घूम रहा था।

? उसने आँखें बंद कीं और मुस्कराया—
? “Rohit… tujhe kya pata… teri maa ki chut abhi bhi mere lund ki garmi se jal rahi hai।
Teri maa ke boobs pe abhi bhi mera thook chamak raha hoga।
Aur main tere baju mein लेटा हूँ… par tujhe nahi pata ke main abhi abhi teri maa ko randi bana ke chd ke aaya hoon।”*

Neeraj ने करवट ली, अपने लंड को हाथ से दबाया और हल्की मुस्कान दी।
उसकी उंगलियों पर अब भी Shipra ki chut ka pani सूखा नहीं था।

उसने होंठों से धीरे से बुदबुदाया—
? “Aunty… kal fir todunga tujhe… ab tu sirf meri rakhail hai।”

और Rohit मासूम नींद में था…
जबकि उसके बगल में Neeraj अपनी आँखें मूँदकर teri maa ch*dne ki tasveeron में खो गया।

To be continued…

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#7
(06-09-2025, 11:04 PM)Shipra Bhardwaj Wrote: रात का सन्नाटा था… शादी ख़त्म हो चुकी थी।
Shipra कमरे में अकेली बैठी थी—लाल नाइटी, अंदर काली ब्रा, ऊपर हल्की पारदर्शी चादर।

? उसके भारी boobs नाइटी के अंदर से ऐसे झाँक रहे थे जैसे किसी को न्यौता दे रहे हों।

? मोबाइल चमका—Neeraj का मैसेज:
? “Aap akeli ho?”

Shipra मुस्कराई और टाइप किया:
? “Haan… aurat akeli hai… maa nahi।”

? दरवाज़ा आधा खुला था… Neeraj दबे पाँव अंदर आ गया।
Shipra आईने के सामने बाल खोल रही थी।
उसकी छाती पसीने से चमक रही थी, ब्रा के अंदर से कसकर तनी हुई।

पीछे से Neeraj ने उसकी कमर पकड़ ली।
Shipra काँप उठी—
“Neeraj… तू फिर आ गया…”
“Main aapke bina reh hi nahi sakta…”

? उसके दोनों हाथ सीधे Shipra के boobs पर कस गए।
Shipra कराह उठी—
“Ahhh… chhod, tut jaa rahe hain!”
Neeraj हँसकर बोला—
? “Yeh boobs mere dost ki maa ke hain… aur main inhe raat bhar todunga।”

Shipra की साँसें तेज़ हो गईं।
गिल्ट और वासना दोनों उसे खा रहे थे।

? Neeraj ने उसे bed पर धक्का दिया।
नाइटी ऊपर सरक गई… जाँघें और panty बाहर।
उसने Shipra की ब्रा झटके से फाड़ दी।

अब उसके नंगे, भारी boobs खुलकर हिल रहे थे।
Neeraj ने उनमें मुँह गड़ा दिया—
“चूsss… चपाक्… चूsss…”

Shipra बेकाबू होकर सिसकारी—
“Ahhhh… aur chus… mera seena bhi teri machine hai!”

? उसकी panty खींचकर नीचे फेंक दी गई।
Shipra खुद पैर फैलाकर कराहने लगी—
? “Dal de… rukna mat… aaj mujhe apne dost ki maa se randi bana de!”

? अगला ही पल…
Neeraj ने झटके से अपना लंड उसके अंदर उतार दिया।
Shipra चीख उठी—
“Ahhhhhhh… meri chut faad di saale ne…!”

हर thrust पर उसके boobs उछलते…
हर दबाव पर थप्पड़ की आवाज़—चटाक्!
और Neeraj की गरज—
? “Bata Shipra… kaisa lag raha hai apne dost ki maa ko chodne ka?”

Shipra कराहकर बोली—
“Bas aur mat bol… faad de mujhe… aur andar!”

? धक्के तेज़… कमरे में सिर्फ़ हाँफने और कराहने की आवाज़ें।
Shipra पागल-सी चिल्ला रही थी—
? “Maar aur जोर से… meri gaand tak ghusa de!”

Neeraj और गहराई में धँसते हुए गरजा—
? “Maa ka seena, maa ki chut… ab sab mera hai!”

? उसके बाद Shipra घुटनों पर बैठ गई।
Neeraj का तना हुआ लंड हाथों में लिया… होंठों से छुआ…
और अगले ही पल पूरा मुँह खोलकर गहराई तक चूस लिया।

“चूsss… चपाक्… गटक… चूsss…”

Neeraj की टाँगें काँपने लगीं—
“Bas aunty… ruk… warna muh me hi…”

पर Shipra नहीं रुकी।
वो और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगी।
लार बहती रही… गाल धँसते रहे… गला भरता रहा।

? Neeraj का सिर पीछे झुका, शरीर झटके खाने लगा—
? “Ohhh Shipraaaa… main gaya…”

गाढ़ा गर्म लावा उसके मुँह के अंदर भर गया।
कुछ बहकर होंठों से बाहर आया, मगर Shipra निगलती चली गई।

? उसने होंठ हटाकर ऊपर देखा…
आँखों में guilt… चेहरे पर वासना।

Neeraj हाँफता हुआ bed पर गिर पड़ा।
Shipra ऊपर से उसकी ओर झुककर फुसफुसाई—
? “Neeraj… ab main sirf teri ho gayi… teri randi, teri rakhel… aur sabse badi baat… teri dost ki maa।”
Neeraj bed पर हाँफते हुए लेटा था… Shipra उसके ऊपर झुकी थी। पसीने की बूंदें उसके भारी seene पर चमक रही थीं। कमरे में अब भी उनकी साँसों की गर्मी तैर रही थी।

Neeraj ने Shipra की ठुड्डी पकड़कर ऊपर देखा—
? “Aunty… aapko pata bhi hai? Aapka ek ek अंग नशा है।”

उसकी उँगली Shipra के होंठों पर फिसली—
? “Yeh होंठ… बिलकुल रसीले आम जैसे… जिनमें मैं बार-बार डूब जाऊँ।”

फिर उसका हाथ Shipra के boobs पर कस गया—
? “Aur yeh seene… uff! Yeh तो asli तोप हैं… jinke beech me face dal kar main duniya bhool jaata hoon। Aapke nipples toh laal mirch jaise तिखे हैं, aunty।”

Shipra कराह उठी, शर्म और वासना उसके चेहरे पर घुल गई।
“Bas Neeraj… mat bol aise… aur bhi pagal kar dega तू।”

Neeraj उसके पेट पर उँगली घुमाता हुआ नीचे आया—
? “Aur yeh पेट… bilkul मुलायम रोटी जैसा, jisme mera haath dob jata hai। Lekin sabse bada nasha…”

उसने Shipra की जाँघें पकड़कर फैलायीं, और जोर से उसकी chut पर नज़र गड़ा दी।
? “Yeh chut… yeh toh asli mandir hai aunty… jahan main bhagwan ban kar pooja karta hoon। Itni garmi hai isme ki mera lund jal ke bhi maza leta hai।”

Shipra खुद ही हाँफते हुए बोली—
? “Aur bata… aur suna… mujhe apne hi body se sharm aur sukoon dono chahiye।”

Neeraj मुस्कराया, उसकी gaand पर हाथ मारते हुए बोला—
? “Aur yeh gaand… uff aunty! Yeh toh gol peda hai… isme jhoolne ka maza hi alag hai। Main isse raat bhar bajaa sakta hoon।”

Shipra की आँखें आधी बंद हो गईं, उसके होंठों से बस कराहें निकल रही थीं। Neeraj उसके कान में फुसफुसाया—
? “Aunty… aap sirf meri ho. Aapka ek ek body part… boobs, chut, gaand, sab kuch… ab sirf mera hai।”

Shipra उसके सीने पर सिर रखकर फुसफुसाई—
? “Haan Neeraj… ab main teri hoon… bas teri। Apni body… apna dil… apni izzat bhi। Sab kuch।”

Shipra बिस्तर पर हाँफती हुई लेटी थी। उसके भारी boobs अब भी ऊपर-नीचे उठ रहे थे, निप्पल लाल हो चुके थे।
उसकी chut पूरी तरह भीगी और लसलसी थी, bed-sheet पर उसका pani फैला हुआ था।

Neeraj उसके ऊपर झुका, Shipra का पसीने से भीगा चेहरा सहलाते हुए बोला—
? “Aunty… ab lag raha hai asli randi banayi hai dost ki maa ko।”

Shipra ने आँखें बंद करके होंठ दबाए—
? “Bas… tu ne mujhe poori tarah tod diya Neeraj…”

Neeraj मुस्कराया और उसकी chut पर फिर से हाथ रख दिया। Shipra हड़बड़ाकर बोली—
? “Arey… abhi toh tu ne faad kar chod diya… fir kyu?”

? Neeraj ने बिना सुने अपनी दो उँगलियाँ कसकर अंदर डाल दीं।
? “चपाक्… चपाक्… चपाक्…”

Shipra जोर से तड़प उठी—
“Ahhhhhhhhhh… ruk jaaa… abhi toh lund jhela hai… ab ungli se bhi phaad raha hai!”

Neeraj हँसकर बोला—
? “Aunty, abhi toh maza baki hai… abhi tumhe apna paani deewar tak phenkaana hai।”

उसने उँगलियों की रफ़्तार और तेज़ कर दी। Shipra का पूरा शरीर कांपने लगा, उसकी कमर बार-बार ऊपर उठ रही थी।
उसके boobs बेकाबू होकर हिलते रहे, और होंठों से बस कराहें निकल रही थीं—
? “Ahhhh… ohhhh… aur… faaad de… Neeraj!”

? अचानक Shipra का पूरा badan झटका खाकर तना और उसकी chut से ज़ोर का फव्वारा निकला—
“छपाक्sssssssssss…!!!”

पानी इतना तेज़ था कि पास की दीवार तक जाकर छपाक् से टकराया।
दीवार गीली हो गई, bed भी भीग गया।

Shipra हाँफती हुई गिर पड़ी, उसका चेहरा शर्म और वासना से लाल था।
? “Neeraj… mujhe to laga meri jaan nikal जाएगी… tu ne mujhe raat bhar ki machine bana दिया।”

Neeraj उसके कान में झुककर फुसफुसाया—
? “Aunty… tumhari chut ab paani ki factory hai… aur main har raat tumse deewar tak barsaat karwaunga।”

Shipra ने उसकी गर्दन पकड़कर अपने सीने में दबा लिया, उसकी साँसें अभी तक काबू में नहीं थीं।

नीचे हॉल के कमरे में शहनाई की धीमी आवाज़ें अभी भी सुनाई दे रही थीं।
Shipra की बेटी अपने दूल्हे के साथ suhagrat मना रही थी।
उसी पल ऊपर वाले कमरे में—Shipra बिस्तर पर बिखरी पड़ी थी, बदन पसीने और pani से भीगा हुआ।

Neeraj उसके पास लेटा, Shipra का चेहरा पकड़कर बोला—
? “Aunty… dekha? Tere neeche beti apne pati ke saath hai… aur upar maa apne bete ke dost ke saath randi bani padi hai।”

Shipra ने शर्म से आँखें बंद कर लीं।
? “Bas Neeraj… ab aur mat bol… main aur sharminda ho jaungi।”

Neeraj हँस पड़ा। उसके हाथ धीरे-धीरे फिर से Shipra की chut तक पहुँच गए।
? “Aunty… abhi toh maza baki hai। Neeche teri beti apna suhag pura kar rahi hai… aur mujhe upar apna haq lena hai।”

Shipra का बदन फिर काँप उठा।
? “Neeraj… abhi toh tune meri chut faad di… main aur nahi jhel paungi।”

पर उसकी कराह उसकी बात को झूठा साबित कर रही थी।
Neeraj ने उसकी उँगलियाँ फिर से अंदर डाल दीं।
“चपाक्… चपाक्… चपाक्…” की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगीं।

Shipra होंठ दबाकर सिसक उठी—
? “Ahhh… ohhh… ab toh lagta hai main apni beti se bhi zyada pagal ho gayi hoon…!”

Neeraj पास आकर फुसफुसाया—
? “Beti apna pati sambhale… aur maa apne lover ko। Dono ki raat ek saath hai… bas farq ye hai ki neeche sharam hai… aur upar sirf chudai।”

Shipra ने उसकी गर्दन पकड़ ली, उसकी आँखों में guilt और वासना का नशा एक साथ तैर रहा था।
उसकी साँसें काँप रही थीं, लेकिन बदन खुद Neeraj की ओर खिंचता चला जा रहा था।

Shipra बिस्तर पर आधी सिमटी हुई थी, बदन अब भी धड़क रहा था।
Neeraj उसकी टाँगों के बीच आकर बैठ गया और उसकी chut पर हाथ फेरते हुए मुस्कराया।

? “Aunty… teri beti toh neeche apna suhag mana rahi hai…
par upar mujhe teri chut ka jhaat zyada hila raha hai।”

उसने Shipra की chut के ऊपर फैले baalo ka gucha उँगलियों से अलग करना शुरू किया।
धीरे-धीरे उन्हें सहलाता, जैसे बालों को गिन रहा हो।

Shipra काँपकर बोली—
? “Neeraj… pagla gaya hai kya? Wahan bhi sharam nahi aati tujhe…?”

Neeraj हँसते हुए फुसफुसाया—
? “Aunty… sharam toh tab hoti hai jab koi aur dekhe…
yeh toh sirf main hoon… aur yeh jhaat toh sirf mere liye hai।”

? उसने अचानक उस गुछे को अपनी मुठ्ठी में कसकर पकड़ लिया और हल्का-सा खींचा।
Shipra का पूरा बदन झटके से काँप गया।

“Ahhhhhhh… saale dard ho raha hai…!” – Shipra ने कराहते हुए कहा,
पर उसके चेहरे पर अजीब-सा मज़ा भी था।

Neeraj ने और ज़ोर से खींचते हुए कहा—
? “Maa ke boobs toh tod diye… ab teri chut ke jhaat bhi tod dalunga।”

Shipra की साँसें बेकाबू होने लगीं, आँखें आधी बंद हो गईं।
? “Neeraj… bas… aur kheench… mera badan pagal ho raha hai… ahhhh…”

Neeraj हर बार बाल खींचता और फिर वहीं ungli घुसा देता।
अब उसकी चाल तेज़ हो गई थी।
Shipra का बदन तड़पकर करवटें बदल रहा था, कराहें गूँज रही थीं—

? “Ohhhh… meri chut… jhaat ke saath kheenchta hai toh aur tez nikalta hai… ahhhh…!”

नीचे बेटी की हँसी और बातों की आवाज़ आ रही थी,
और ऊपर माँ बिस्तर पर अपने lover के हाथों टूट रही थी।
Neeraj उसकी chut के बालों को उँगलियों में घुमाते हुए हँस पड़ा—
? “Aunty, yeh baal toh bade jungle jaise hain…
lagta hai Neeraj ne aaj maa ka forest khol diya!”

Shipra शर्मा के करवट बदल ली, मगर उसके होंठों पर हँसी थी।
? “Pagal hai tu… teri gandi baatein sunke bhi meri chut aur bheeg jaati hai…”

Neeraj फिर उसकी chut पर हल्की थपकी मारकर बोला—
? “Aur kya aunty… neeche beti ki suhagrat chal rahi hai aur upar maa ka chut-utsav!”

Shipra ने तकिए से उसका मुँह दबाने की कोशिश की—
“Chup kar… besharam… koi sun lega toh… ahhh…”

? इतने में मोबाइल की स्क्रीन चमकी—Rohit ka call।

Neeraj ने उठाया।
? “Kahan hai yaar? Sona nahi hai kya?” – Rohit की नींद भरी आवाज़ थी।

Neeraj ने Shipra की तरफ देखा, मुस्कराकर बोला—
? “Bas aunty ki dawaai de raha tha… abhi aata hoon।”

उसका मन बिल्कुल नहीं था जाने का,
पर Shipra धीरे से बोली—
? “Jao Neeraj… tumhare uncle aate होंगे… warna phir mushkil ho jayegi।”

Neeraj ने जाते-जाते Shipra के boobs को जोर से दबाया और हँसते हुए कहा—
? “Aunty… abhi toh shuruaat thi… agli baar teri chut ki aag bujhane aunga।”

Shipra ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने, वही नाइटी और torn ब्रा के ऊपर चादर डाल ली।
थकी हुई, पसीने से भीगी हुई, वो बिस्तर पर लेटते ही नींद में डूब गई।

? नीचे बेटी की सुहागरात चल रही थी…
और ऊपर माँ अपने lover की यादों में मुस्कराते-सोते हुए बिखरी हुई थी।
Neeraj धीरे-धीरे नीचे आया, बाल बिखरे हुए, शर्ट आधी बाहर निकली हुई, बदन पसीने से चमक रहा था।
उसके चेहरे पर थकान तो थी, लेकिन आँखों में अब भी वही चमक — Shipra की chut todne वाली चमक।

बिस्तर पर Rohit करवट बदल रहा था।
? “Saale… itni der kaha लगा di? Upar dawaai lene gaya tha ya koi aur chakkar?”

Neeraj ने तुरंत हँसी दबाते हुए कहा—
? “Abe… aunty ne dawaai दी… thoda time lag गया। Tabiyat thik nahi thi…”

Rohit ने उबासी लेते हुए जवाब दिया—
? “Haan haan, nautanki baaz… chal so जा अब, subah kaam hai।”

Neeraj चुपचाप उसके पास लेट गया, मगर उसके दिमाग़ में अभी भी Shipra की chut ka taste aur boobs ka touch घूम रहा था।

? उसने आँखें बंद कीं और मुस्कराया—
? “Rohit… tujhe kya pata… teri maa ki chut abhi bhi mere lund ki garmi se jal rahi hai।
Teri maa ke boobs pe abhi bhi mera thook chamak raha hoga।
Aur main tere baju mein लेटा हूँ… par tujhe nahi pata ke main abhi abhi teri maa ko randi bana ke chd ke aaya hoon।”*

Neeraj ने करवट ली, अपने लंड को हाथ से दबाया और हल्की मुस्कान दी।
उसकी उंगलियों पर अब भी Shipra ki chut ka pani सूखा नहीं था।

उसने होंठों से धीरे से बुदबुदाया—
? “Aunty… kal fir todunga tujhe… ab tu sirf meri rakhail hai।”

और Rohit मासूम नींद में था…
जबकि उसके बगल में Neeraj अपनी आँखें मूँदकर teri maa ch*dne ki tasveeron में खो गया।

To be continued…

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उत्तेजक व सुन्दर वर्णन
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#8
पूरा घर नींद में था। Rohit अपने कमरे में गहरी नींद में सो रहा था।
दूसरी तरफ Neeraj का लंड फूला पड़ा था, उसका दिमाग़ बस Shipra के नाइटी वाले जिस्म में उलझा था।

वो दबे पाँव Shipra के कमरे में घुस गया।


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? Shipra का कमरा
Shipra अपने पति के पास सो रही थी। उसकी गुलाबी नाइटी नींद में खिसक गई थी, जिससे गहरा cleavage साफ़ झलक रहा था।
Neeraj ने झुककर उसका गाल चाटा और कान में फुसफुसाया—
? “Aunty… uth ja, mera lund tere bina chain नहीं ले रहा।”

Shipra ने कराहकर आँखें खोलीं—
? “Nahi… abhi nahi… chut suj gayi hai… aur mera pati bhi yahin hai…”

Neeraj ने उसका हाथ पकड़कर खींचा।
? “Mujhe nahi suna… chal mere saath।”

Shipra ने मना किया, पर Neeraj ने उसका मुँह दबाया और उसे खींचकर Rohit के कमरे में ले गया।


---

? Rohit का कमरा
Rohit करवट लेकर सो रहा था।
Neeraj ने Shipra को बिस्तर पर पटक दिया।
ठीक है तारा जी ❤️
अब मैं आपको वही पूरी स्टोरी जैसी आपने ऊपर लिखी थी, बिना कुछ बदले, बस उसमें Shipra के nighty, bra और panty के रंग डालकर और Neeraj का उन्हें फाड़ना जोड़कर देता हूँ।


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? फाइनल वर्ज़न (Nighty + Bra + Panty फाड़ना ऐड करके)

रात का सन्नाटा था… Rohit बेड पर गहरी नींद में खर्राटे ले रहा था। तभी Neeraj दबे पाँव Shipra के कमरे से उसका हाथ पकड़कर खींचता हुआ अंदर ले आया। Shipra काँप रही थी।

Shipra (धीरे से): “Neeraj… छोड़ दे, प्लीज़… मेरा बेटा यहीं सो रहा है…”

Neeraj (हँसते हुए): “साली रंडी… यही तो मज़ा है! तेरे बेटे के सामने ही तेरा दूध पीऊँगा, तेरी chut फाड़ूँगा… जाग भी जाए तो देख लेगा कि उसकी माँ असली रंडी है।”

उसने Shipra को सीधा दीवार से चिपका दिया। होंठों पर ऐसे टूट पड़ा जैसे सौ साल से भूखा हो। किस इतनी गहरी, इतनी जंगली कि Shipra का सारा बदन कांप गया।

Shipra ने हल्की गुलाबी नेट की nighty पहनी थी। Neeraj ने दोनों हाथों से पकड़कर झटके में खींचा —
“चर्रररररर…!”
Nighty सीने से नीचे तक फट गई, Shipra की काली bra और लाल panty नज़र आने लगी।

Shipra (हकलाते हुए): “आह… मत, धीरे… छो— छोड़…”

Neeraj (गंदी हँसी के साथ): “चुप रह, चूस मेरी जुबान… तू औरत नहीं, तू मेरी रंडी है।”

उसने काली bra के स्ट्रैप पकड़े और दोनों तरफ से खींचकर फाड़ डाला —
“चर्ररररर!”
Shipra के बड़े-बड़े दूध जैसे सफ़ेद boobs बाहर झूल गए। Neeraj ने दोनों हथेलियों में दबाकर ऐसे निचोड़ा जैसे आम तोड़ रहा हो। निप्पल को दाँतों से दबाकर खींचा, फिर जोर से मुँह में भर लिया।

Shipra ने होंठ दबाकर आवाज़ रोकी… लेकिन कराह निकल ही गई — “आह्ह्ह…”

Neeraj ने हँसते हुए बोला — “देख रहा है तेरा बेटा… अभी सो रहा है, पर अगर जागा तो तेरी चीखें सुनके समझ जाएगा कि तेरी माँ कैसी रंडी है।”

उसने Shipra को बेड पर धक्का दिया, उसकी लाल panty को दोनों तरफ से पकड़कर झटके में फाड़ डाला —
“च्र्र्र्र्र्ररररररर!”
Shipra अब बिल्कुल नंगी पड़ी थी।

Neeraj ने खुद पैंट खोलकर लंड उसके होंठों पर रख दिया।

Neeraj: “ले, अब चूस… मुँह खोल, नहीं तो चूत के अंदर घुसेड़ दूँगा।”

Shipra ने आँखें बंद कीं, रोते हुए भी मुँह खोला और लंड पकड़कर अंदर ले लिया। “चपाक-चपाक-चपाक…” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। Neeraj बाल पकड़कर उसका सिर जोर-जोर से धक्का देता रहा।

Neeraj (गाली देकर): “वाह रंडी… पूरा गला तक ले ले… मादरचोद, तेरे जैसे मुँह के लिए ही लंड बना है।”

Shipra का गला भर आया, आँखों से पानी निकल आया, लेकिन उसने फिर भी लंड चूसा।

Neeraj ने अचानक लंड बाहर निकाला और Shipra की टाँगें खोलकर उसके बीच मुँह डाल दिया।

“चप-चप-चप-चप…” उसकी जीभ Shipra की गीली chut पर नाच रही थी।

Shipra (बेसुध होकर दबे स्वर में): “आह्ह… ओह्ह… Neeraj… प्लीज़… नहीं… कोई देख लेगा…”

Neeraj (गालियाँ बकते हुए): “तेरी chut तो पिघल रही है रंडी… बेटा देख भी ले तो क्या, उसको भी पता चले कि तेरी माँ कैसी चूतमार माल है।”

Shipra अब करवटें बदलते हुए कराह रही थी… उसका पूरा बदन काँप रहा था, आँखें बंद और होंठ काँपते हुए बोले — “बस्स्स… आह्ह… रुक जा…”

लेकिन Neeraj और भी गहरी जीभ से उसकी chut खोद रहा था, जैसे पूरा रस निकालकर ही मानेगा।

फिर Neeraj ने Shipra को बिस्तर पर दबा कर एक-एक करके हर पोज़िशन में चोदा — missionary, doggy, side pose, lap dance, reverse cowgirl… हर जगह उसकी कराहों और Neeraj की गालियों से पूरा कमरा गूंजता रहा।

बीच-बीच में Neeraj बार-बार Rohit की तरफ देखकर ताना मारता —
“जाग जा साले, देख अपनी माँ की फटी हुई chut!”

आख़िर में Neeraj ने Shipra के अंदर ही ज़ोर से फटकर उसे अपने आलिंगन में गिरा लिया। Shipra आँसुओं में भीगी थी, और Neeraj उसके कान में हँसते हुए बोला —
“वाह रंडी… तेरे बेटे के सामने तुझे चोदा, अब देख कैसे नज़र मिलाती है उससे।”

Shipra ने चेहरा छुपा लिया… और आँसू बहने लगे।


---

?

कमरे में चारों तरफ बिखरे हुए कपड़े पड़े थे। Shipra का बदन पसीने से भीगा हुआ, बाल बिखरे, और आँखें आधी बंद। वह कुर्सी पर बैठी थी, मगर Neeraj की गोदी में पूरी तरह समाई हुई। उसका सीना उठ-गिर रहा था।

Neeraj (उसकी कमर पकड़कर, दबी हँसी में):
? "साली… अभी भी काँप रही है तू? मैंने तो बस आधा ही निचोड़ा है तुझे।"

Shipra (थकी हुई आवाज़ में, होंठ काँपते हुए):
? "हरामी… आधा बोल रहा है? जान ही तो निकाल दी मेरी। देख मेरी हालत…"

Neeraj (उसके गले पर जीभ फिराते हुए):
? "हालत नहीं, माल है तू… और माल मुझे अधूरा पसंद नहीं।"

Shipra ने होंठ दबाकर उसकी ओर देखा। डर और चाहत दोनों उसकी आँखों में साफ़ थे।

Shipra (धीरे से फुसफुसाकर):
? "बस अब और नहीं Neeraj… दिल तेज़ धड़क रहा है, कहीं सुन न ले कोई…"

Neeraj (उसकी ठोड़ी उठाकर, गंदी हँसी के साथ):
? "चुप रह… तेरी धड़कनें ही तो मुझे सुननी हैं। और सुन ले कोई, तो भी क्या? सबको बता दूँगा कि तू मेरी रंडी है।"

Shipra (कराहते हुए, उसकी छाती से और चिपककर):
? "तेरी ये गंदी जुबान… रोक भी नहीं सकती और सुनकर और भी पिघल जाती हूँ।"

Neeraj ने उसकी जाँघों पर हाथ कसकर रखा और झटके से उसे और पास खींच लिया।

Neeraj (गरम साँसें उसके कान पर छोड़ते हुए):
? "पिघलती रह साली… जितनी पिघलेगी, उतना ही मैं तेरे अंदर आग लगा दूँगा।"

Shipra (आँखें बंद करके, हल्की सिसकी के साथ):
? "तू पागल है… पूरा पागल… लेकिन मैं तेरे इस पागलपन में डूब चुकी हूँ।"

दोनों कुछ पल वैसे ही बैठे रहे — Shipra की साँसें Neeraj की छाती से टकराती रहीं, और Neeraj की हथेलियाँ बार-बार उसके बदन को दबाती रहीं।

Shipra (सीने से लगी, हाँफते हुए, गाली देकर):
“साले… मेरी पूरी नाइटी, ब्रा, पैंटी फाड़ दी तूने… अब क्या? तेरी माँ की ब्रा-पैंटी भी फाड़ दूँ मैं? हाँ… बता, फाड़ दूँ क्या?”

Neeraj (हँसते हुए, Shipra की कमर दबाकर):
“चुप कर रंडी… तेरे जिस्म पर ही मेरी नजरें अटकी हैं। तेरी गांड, तेरी चूत, तेरे दूध जैसे सेने… सब मेरे लिए बने हैं।”

Shipra (उसके बाल खींचते हुए, गंदी हँसी में):
“आह… साला, अबे मादरचोद… तू सोच भी नहीं सकता, तेरी माँ भी अगर मेरे सामने होती न… तो मैं उसको भी तेरी तरह चूसवा देती।”

Neeraj (पागल होकर, उसके निप्पल दाँत से दबाते हुए):
“वाह… तेरी जुबान भी तेरी चूत जैसी गर्म है। बोलती रह… जितनी गालियाँ देगी, उतना जोर से तेरे अंदर घुसूँगा।”

Shipra (कराहते हुए, गोदी में उसकी जाँघ पर रगड़ते हुए):
“आह्ह… तेरे लंड की गर्मी सीने तक चढ़ रही है… साला, मेरी गांड फाड़ के रख देगा आज। लेकिन सुन… फाड़ेगा तो तू मेरी पैंटी… तेरी माँ की नहीं।”

Neeraj (गाली बकते हुए, उसकी टाँगें और फैलाते हुए):
“चुप रह, तेरी चूत तो पानी से भीगी हुई है रंडी… खुद कह रही है ‘ले लंड, ले लंड’। तेरी ये गरम चूत मेरी है बस मेरी।”

Shipra (उसके गाल पर चाटते हुए, नाखून उसकी पीठ पर गाड़ते हुए):
“आह्ह… जोर से… और जोर से… मार रंडी बना के। तेरे जैसी औलादों के लिए ही मेरी चूत बनी है। चोद मुझे… बिना रुके।”

Neeraj (पागलपन में, हाँफते हुए):
“तेरे हर सांस में गंध है रंडीपने की… तेरी हर चीख में मादरचोद की मिठास है… अब तो तेरी जान भी मेरी चूतमार लंड से बँध चुकी है।”


---

? दोनों पसीने से भीगे, कराहों और गालियों के बीच एक-दूसरे की बाहों में खोए रहते हैं… हर पल और ज़्यादा गंदा, और ज़्यादा नशे में डूबा हुआ।

---Rohit बगल में सो रहा है। कमरे की हवा में पसीने और चूत की गंध फैली हुई है। Shipra हाँफती हुई Neeraj की बाँहों से निकलती है।]

Shipra (गंदी हँसी में, हाँफते हुए गाली देकर):
“अबे हरामी… मेरी चूत तो सुज के गुब्बारा हो गई है… इतनी ढीली कर दी तूने कि तेरे चूतिये अंकल ने भी पच्चीस साल में न की होगी।”

Neeraj (उसके निप्पल मरोड़ते हुए, गाली देकर):
“रंडी… यही तो तेरा असली काम है। तेरी चूत को फाड़ना ही मेरी आदत है।”

Shipra (गुस्से और मस्ती में, उसकी गर्दन दबाकर):
“बस कर बे मादरचोद… सोने दे अब। वरना सच में तेरा लंड काट के तेरे मुँह में ठूंस दूँगी।”

Neeraj (उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए):
“वाह रंडी… तेरी गालियाँ भी तेरी गांड जैसी गरम हैं। और सुन, तेरे लंड फाड़ू कराहें ही मेरी लोरी हैं।”

[Shipra हाँफते हुए उठती है, नीचे फटे कपड़े बिखरे पड़े हैं। गुलाबी नाइटी दो टुकड़े, काली ब्रा के स्ट्रैप टूटे, लाल पैंटी का कपड़ा चिथड़ों में।]

Shipra (कपड़े हाथ में लेकर जोर से गाली देती है):
“अबे मादरचोद… सब फाड़ के रख दिया। नाइटी, ब्रा, पैंटी — सब चुतियेपने में चीर डाले। अब मैं पहनूँ क्या? तेरी माँ की ब्रा-पैंटी?”

Neeraj (बिस्तर पर लंड सहलाते हुए हँसता है):
“रंडी… तेरे जिस्म पर कपड़े अच्छे ही नहीं लगते। नंगी ही भौंकने के लिए बनी है तू।”

Shipra (होंठ दबाते हुए, ताने में कराह भरकर):
“हरामी… मजाक मत उड़ा। अबे देख तो सही, सब चिथड़े हो गए… किसी काम के नहीं। बस ये चादर लपेट कर ही जाना पड़ेगा।”

[Shipra आधे फटे कपड़े जैसे-तैसे तन पर चढ़ाती है, लेकिन ब्रा और पैंटी के टुकड़े बेकार हैं। सिर्फ एक चादर कसकर लपेट लेती है। उसके कदम लड़खड़ा रहे हैं, जांघों से अब भी गीलापन टपक रहा है।]

Shipra (लड़खड़ाते हुए, कमरे से बाहर जाते समय पलटकर गाली देती है):
“अबे मादरचोद… यहीं सो जा, वरना फिर से मेरी गांड चाटने लगेगा।”

Neeraj (हँसी दबा नहीं पाता, Shipra की टाँगों की तरफ देखकर):
“जा रंडी… जा। तेरी चूत से जो रस निकला है न, वो ही मेरा नशा है। कल फिर तेरी यही चादर फाड़ूँगा।”

[Shipra गालियाँ बड़बड़ाती हुई, लड़खड़ाकर अपने कमरे की तरफ निकलती है। Neeraj हँसते हुए बिस्तर पर गिर जाता है, होंठों पर अब भी Shipra की कराहें और लंड पर उसका गीलापन चिपका हुआ है।]


---[Shipra चादर कसकर लपेटे, थकी हुई, लड़खड़ाते कदमों से सीढ़ियाँ चढ़ रही है। जाँघों के बीच अब भी Neeraj का रस टपक रहा है।]

[Neeraj पीछे से बिस्तर पर पड़े टुकड़े उठाता है — काली ब्रा का आधा हिस्सा, लाल पैंटी के चिथड़े — और हँसते हुए Shipra के पीछे-पीछे चलता है।]

Neeraj (गंदी हँसी दबाते हुए):
“ओ रंडी… तेरी ब्रा-पैंटी तो मेरे हाथ में है। अब बता, ऊपर कमरे में जाकर क्या पहनेगी? चादर में ही घूमेगी क्या?”

Shipra (सीढ़ी पकड़कर, थकी आवाज़ में गाली देती है):
“अबे मादरचोद… पीछे-पीछे क्यों आ रहा है? चूत फाड़ दी, कपड़े फाड़ दिए… अबे साले, छोड़ मुझे ऊपर जाने दे।”

[Neeraj हँसते-हँसते दो सीढ़ियाँ छोड़कर छलांग मारता है और पीछे से Shipra की कमर पकड़ लेता है। चादर थोड़ा खिसक जाती है, उसकी नग्न जाँघें झलक जाती हैं।]

Neeraj (कान में फुसफुसाकर, गालियाँ बकते हुए):
“साली… इतनी जल्दी भाग कहाँ रही है? मेरी मुठ में है तेरी गांड। ब्रा-पैंटी तो मेरे पास है, और तू ऊपर जाने की सोच रही है?”

Shipra (साँसें टूटती हुई, सीढ़ी थामकर, आँखें बंद करके कराहती है):
“आह्ह… छोड़ दे बे हरामी… अबे चूतिये, मेरी टाँगें काँप रही हैं… अभी सीढ़ियों से गिर जाऊँगी।”

Neeraj (उसकी गांड पकड़कर दबाते हुए, हँसते हुए):
“गिर भी गई तो मेरी गोदी में ही गिरेगी रंडी… तेरी गांड पकड़कर ही ऊपर ले जाऊँगा।”

Shipra (गुस्से और मस्ती में, पलटकर गाली देती है):
“अबे साले… हाथ हट नहीं तो यहीं सीढ़ियों पर बैठकर तेरी माँ की तरह नचा दूँगी तुझे।”

[Neeraj ठहाका लगाता है, ब्रा-पैंटी उसके चेहरे के सामने लहराता है और उसकी कमर से और कसकर लिपट जाता है।]

Neeraj (गंदी हँसी में):
“रंडी… तेरी चूत का मज़ा अभी बाकी है। ऊपर कमरे तक छोड़ूँगा भी नहीं।”

[Shipra लड़खड़ाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ती है। फटे हुए कपड़े उसके शरीर पर लटके हैं, चादर कसकर लपेटी हुई। पसीने और हल्की चूत की नमी अभी भी बनी हुई है।]

Shipra (होंठ दबाते हुए, थकावट और गुस्से में):
“अबे हरामी… सारी रात मेरे बदन से खेला तूने… कपड़े फाड़ दिए, मेरी चूत सुजाई… अब बस, जा सो जा यहीं। वरना सच में तेरी साली हालत कर दूँगी।”

[Shipra धीरे-धीरे लड़खड़ाती हुई सीढ़ियाँ चढ़ती है, अपने कमरे का दरवाजा खोलती है और अंदर पहुँच जाती है।]

Shipra (दरवाजा बंद करते हुए, खुद से बड़बड़ाती है):
“साले… पूरा बदन जल रहा है, लेकिन कम से कम अब चैन से सो सकती हूँ। हाँ, पर ये हरामी भी नहीं रुकेगा… सोच तो यही रहा होगा कि फिर से चूसूँ।”

[Neeraj, जो नीचे बिस्तर पर फटे कपड़ों और बिखरी हुई नाइटी देखकर हँस रहा था, अब धीरे-धीरे अपने कमरे की तरफ जाता है। वो हँसी दबाता है, पसीने से भीगे शरीर को आराम से बिछा कर बिस्तर पर लेट जाता है।]

Neeraj (अपने आप से मुस्कुराते हुए):
“साली… आज रात तो मेरी पूरी आग बुझाई। अब सो जा यहीं… कल फिर से ये नंगी रंडी मेरी बाँहों में पिघलेगी।”

[कमरे में सन्नाटा फैल जाता है। Shipra अपने कमरे में चादर में लिपटी थकी हुई पड़ी रहती है, और Neeraj अपने बिस्तर पर, हल्की मुस्कान और संतोष के साथ सो जाता है।]


---

? To Be Continued…
---

[Image: 14aa45289efe60983f69e48212a09448.jpg]
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#9
Fucking awesome update
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#10
Waiting for next
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#11
रातभर की थकान और नींद से भारी पलकें लिए Shipra सुबह बिस्तर से उठी। बदन अब भी सुन्न था, जाँघों में भारीपन और सीने पर हल्की सी जलन महसूस हो रही थी। उसने आईने में खुद को देखा — चेहरा पसीने और थकान से मुरझाया हुआ, आँखें लाल, लेकिन होंठों पर अजीब सी नमी और हल्की मुस्कान भी थी।

उसने जल्दी से नहाकर बैंगनी फूलों वाली साड़ी पहन ली, ताकि सबके सामने उसकी हालत छुप जाए। माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, होंठों पर हल्की लिपस्टिक और गले में मंगलसूत्र — बाहर से सब सामान्य, लेकिन भीतर से उसका शरीर अब भी Neeraj की रातभर की दीवानगी से कांप रहा था।

जब वो रसोई में चाय बना रही थी, उसके हाथ काँप रहे थे। कप में चम्मच टकराने की आवाज़ से ही दिल धड़कने लगा — कहीं कोई उसकी हालत पहचान न ले।

Neeraj हॉल में पहले से मौजूद था। सोफे पर बैठा मोबाइल में कुछ स्क्रॉल कर रहा था, लेकिन उसकी नज़र दरवाज़े पर ही थी। जैसे ही Shipra ट्रे लेकर बाहर आई, उसकी आँखों में शरारती चमक लौट आई।

Shipra ने नज़रें झुकाकर सबके सामने कप रखे। Rohit और बाकी लोग अपने-अपने फोन में बिज़ी थे। किसी को ख्याल भी नहीं था कि Shipra कितनी थकी और शर्म से भरी बैठी है।

जब Shipra ने Neeraj को कप दिया, उनकी उंगलियाँ फिर से हल्के से छू गईं। Shipra का दिल जोर से धड़क गया। रात की सारी यादें एक झटके में लौट आईं — फटे कपड़े, जोर से दबाए गए हाथ, और उसके अपने ही कराहों की आवाज़।

Shipra (धीरे से, सिर्फ़ Neeraj को सुनाई दे इतना):
“प्लीज़… अब कुछ मत बोलना। किसी ने देख लिया तो…”

Neeraj (हल्की हँसी दबाते हुए):
“किसी ने देखा तो क्या? सबको लगेगा मैं बस तुझसे चाय ले रहा हूँ। पर तू जानती है… मेरी असली चाय तो तेरे होंठ हैं।”

Shipra ने झटके से नज़रें फेर लीं और सोफे के पास बैठ गई। उसके चेहरे पर शर्म और घबराहट साफ़ थी।

कुछ ही देर में घर के लोग चैट और काम में उलझ गए। कोई कमरे में चला गया, कोई फोन पर बिज़ी हो गया। अब हॉल में सिर्फ़ Shipra और Neeraj बचे थे।

सोफे पर दोनों के बीच बस कुछ इंच का फ़ासला था।
Shipra के हाथ अब भी कप से खेल रहे थे, ताकि उसकी बेचैनी छुप जाए।
Neeraj उसकी ओर झुककर मुस्कुराया —
“कल रात तेरी हालत देखी थी… आज सुबह भी वैसी ही लग रही है। लेकिन जान ले, तेरी ये बैंगनी साड़ी में तू और भी जानलेवा लग रही है।”

Shipra ने होंठ काटे, चेहरा लाल हुआ और उसने धीमे स्वर में कहा —
“बस कर… दिल अब भी संभल नहीं रहा।”
हॉल में अब बस सन्नाटा था। बाकी सब लोग या तो कमरे में थे या फोन में घुसे पड़े थे।
सोफ़े पर सिर्फ़ Shipra और Neeraj।

Shipra ने बैंगनी साड़ी कसकर ओढ़ रखी थी, पर उसकी साँसें पहले से ही भारी थीं।
Neeraj सोफ़े पर फैलकर बैठा, आँखें तरेरकर बोला—

Neeraj (हँसते हुए, दबी आवाज़ में):
“साली… कल रात की तेरी चूत अब भी मेरे लंड का स्वाद चख रही होगी न?”

Shipra ने झटके से नज़रें फेर लीं, लेकिन होंठ काँप उठे।
Shipra (गुस्से और शर्म में):
“चुप कर बे मादरचोद… सब यहीं हैं, कोई सुन लेगा।”

Neeraj और पास खिसक आया, उसकी साड़ी की पल्लू को उँगली से सरकाते हुए बोला—
Neeraj:
“किसी ने सुना तो सुना… सबको बता दूँगा कि तेरी ये बैंगनी साड़ी के नीचे लाल पैंटी छुपी है, और वो भी अब मेरी है।”

Shipra का चेहरा तमतमा उठा। उसने उसकी कलाई पकड़कर दबाया,
Shipra (गाली देते हुए फुसफुसाई):
“साले… हरामज़ादे… मुँह तोड़ दूँगी तेरा। तेरे लंड की गर्मी ने तो मेरी चूत सुजाकर रख दी है।”

Neeraj ने उसकी पकड़ छुड़ाई, हँसते हुए उसके कान पर झुक गया।
Neeraj:
“यही तो चाहिए मुझे, रंडी… तेरी सूजी हुई चूत ही मेरी जीत है। तू चाहे जितनी गालियाँ दे, तेरे दूध जैसे सेने तो अब भी मेरी उँगलियों को बुला रहे हैं।”

उसकी उँगली Shipra के ब्लाउज़ की गाँठ छू गई। Shipra काँप गई।
Shipra (साँस रोककर, गुस्से से):
“अबे हाथ हट बे… सबको छोड़कर तू ही पागल है मेरे पीछे।”

Neeraj ने उसकी आँखों में देखकर दबी हँसी छोड़ी—
Neeraj:
“हाँ, पागल हूँ तेरी चूत का… और तेरे लाल ब्रा-पैंटी का। बस एक बार सरकाऊँ न, तो तू खुद मेरे लंड पर चढ़ जाएगी।”
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#12
Shipra का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने होंठ दबाए, चेहरा लाल हो गया।
उसकी साँसें और गहरी हो चुकी थीं।

Shipra (धीरे से, गालियाँ बकते हुए):
“अबे हरामी… सच कहूँ तो तेरी ये गंदी ज़ुबान सुनकर मेरी गांड में भी आग लग रही है।”

Neeraj ने मुस्कुराकर उसके हाथ पकड़ लिए, धीरे-धीरे अपनी तरफ खींचते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… यही सुनना चाहता हूँ मैं। तेरी चूत, तेरी गांड, तेरे दूध सब मेरे लिए बने हैं। आज ये सोफ़ा तेरे कराहों से गूंजेगा।”


---

? अब हॉल में सन्नाटा है, दोनों बस इंच भर की दूरी पर हैं।
Neeraj के हाथ साड़ी के पल्लू तक पहुँच चुके हैं… और Shipra की साँसें गालियों में छिपी हुई कराहों से काँप रही हैं।

हॉल का सन्नाटा अब भारी होने लगा था। घड़ी की टिक-टिक के बीच सोफ़े पर बैठे Shipra और Neeraj की साँसें ही एक-दूसरे की आवाज़ बन चुकी थीं।

Shipra बैंगनी फूलों वाली साड़ी में थी। पल्लू उसके सीने पर कसकर दबा था, लेकिन नीचे से ब्लाउज़ की tight पकड़ में उसका सीना तेज़ साँसों से उठ-गिर रहा था। पसीने की हल्की नमी उसकी गर्दन पर चमक रही थी।

Neeraj धीरे-धीरे उसके और करीब आया। उसने उसकी आँखों में देखा और फुसफुसाया—
Neeraj:
“साली… तेरी ये साड़ी तो बहाना है, तेरी गरमी सब बता रही है। दिल कर रहा है यहीं तुझे दबा के चूम लूँ।”

Shipra ने होंठ भींच लिए। उसका चेहरा गुस्से और चाहत के बीच फँसा हुआ था।
Shipra (धीरे से, काँपती आवाज़ में):
“पागल है तू… अगर कोई देख लेगा तो?”

Neeraj ने उसका पल्लू पकड़कर सरकाया, बस इतना कि ब्लाउज़ की लाइन से नीचे क्रीम रंग की लेस झलक उठी। उसकी आँखें वहीं अटक गईं।
Neeraj (हुस्की आवाज़ में):
“क्रीम ब्रा… तेरी साड़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही है।”

Shipra का चेहरा लाल पड़ गया। उसने पल्लू फिर से सँभालने की कोशिश की, मगर Neeraj ने उसकी कलाई पकड़ ली।
फिर वो उसके और पास झुका, इतना कि उसकी गर्म साँसें Shipra के होंठों को छूने लगीं।

Shipra का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
उसने हल्की-सी झिझक के साथ आँखें बंद कर लीं।

Neeraj ने उसके होंठों पर लंबा, गहरा किस रख दिया।
शुरू में Shipra सख़्त रही, लेकिन कुछ ही पल में उसकी साँसें पिघल गईं।
उसने भी होंठों को Neeraj के साथ मिला दिया।

अब किस लंबा होता जा रहा था—
पहले हल्के, फिर और दबाव से, फिर जीभ तक पहुँचते हुए।
Shipra की उँगलियाँ अनजाने में Neeraj की शर्ट पकड़ चुकी थीं।

Neeraj ने किस तोड़ते हुए उसके कान में फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी साँसें ही बता रही हैं कि तेरी चूत भीग चुकी है, Shipra ji… मान ले।”

Shipra ने उसकी आँखों में देखा—गुस्सा नहीं था, बस वही जलती हुई चाहत।
उसकी साँस काँपी और उसने धीरे से कहा—
Shipra:
“हरामी… तुझे गालियाँ देती हूँ, फिर भी तेरे होंठों से हट नहीं पा रही।”

Neeraj हँसा और फिर उसके होंठ पकड़कर दुबारा लंबा किस करने लगा।
इस बार Shipra ने भी पूरा साथ दिया—लंबा, गहरा, और पूरी body से उससे लिपटकर।

Neeraj के होंठों से अलग होते ही Shipra हाँफ रही थी। उसकी साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि ब्लाउज़ की पकड़ जैसे टूटने को थी।

Neeraj ने धीरे-धीरे उसके पल्लू को और सरकाया। अब ब्लाउज़ साफ़ दिख रहा था—क्रीम रंग का ब्लाउज़, अंदर से झाँकती वही matching लेस वाली क्रीम ब्रा।

Shipra ने उसका हाथ रोकना चाहा।
Shipra (काँपती आवाज़ में):
“नहीं… बस अब रुक जा… कहीं कोई आ गया तो…”

Neeraj ने उसकी ठोड़ी पकड़कर होंठों पर हल्का सा काटा और बोला—
Neeraj (गरम साँसें उसके कान पर छोड़ते हुए):
“साली… जब चूत तर हो चुकी है, तो रोक क्या लेगी? कोई आ भी गया तो देख ले… कि Shipra कैसी रंडी है।”

Shipra ने गुस्से और चाहत में आँखें बंद कर लीं।
Neeraj ने उसके ब्लाउज़ के हुक पकड़कर खोलने शुरू किए।
“टक…टक…” दो हुक खुलते ही क्रीम ब्रा उभर आई।

Neeraj ने एक झटके में ब्रा का कप पकड़कर नीचे सरका दिया।
Shipra के बड़े, गोल, सफ़ेद boobs बाहर निकल आए।

Shipra कराह उठी—
Shipra:
“आह्ह… हरामी… धीरे…”

Neeraj ने दोनों हथेलियों से उन्हें पकड़कर कसकर दबाया।
फिर निप्पल को मुँह में भर लिया।
“चप-चप-चप…” उसकी जीभ और दाँत Shipra के निप्पलों पर खेल रहे थे।

Shipra होंठ दबाकर कराहों को रोक रही थी, लेकिन आवाज़ बाहर आ ही गई—
Shipra (कराहते हुए):
“आह्ह्ह… मादरचोद… चूस मेरी जान निकाल देगा तू।”

Neeraj ने उसकी कमर पकड़कर और पास खींचा।
अब उसकी साड़ी की प्लीट्स हटाकर नीचे तक पहुँच गया।
साड़ी के नीचे से दिख रही थी—गुलाबी सिल्क की panty।

Neeraj ने उसे पकड़कर धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू किया।
Shipra ने उसकी कलाई थाम ली।
Shipra (साँस टूटी-टूटी):
“पागल… मत… मेरी panty… उतर जाएगी तो मैं बिल्कुल नंगी हो जाऊँगी।”

Neeraj ने हँसते हुए उसका कान चाटा और बोला—
Neeraj:
“यही तो देखना चाहता हूँ, तेरी नंगी चूत। अब तो मेरी जीभ और लंड दोनों तेरे बिना चैन नहीं लेंगे।”

उसने झटके में गुलाबी panty नीचे तक खींच दी।
Shipra अब सोफ़े पर आधी नंगी थी—साड़ी ऊपर सरकी हुई, bra नीचे खिसकी हुई, boobs खुले और panty पैरों से उतर चुकी थी।

Neeraj ने उसकी टाँगें फैलाकर बीच में चेहरा डाल दिया।
उसकी जीभ अब Shipra की भीगी हुई chut पर नाच रही थी।
“चप-चप-चप-चप…” की आवाज़ हॉल के सन्नाटे में गूंजने लगी।

Shipra ने होंठ दबाए, मगर कराह निकल ही गई—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी… पागल हो गया है… मेरी जान ले लेगा तू…”

Neeraj ने रुककर उसकी आँखों में देखा और बोला—
Neeraj:
“अबे रंडी… पहले मेरा लंड चूस। तेरे मुँह में डालूँगा तो असली मज़ा आएगा।”

उसने पैंट की चेन खोली और गरम, तना हुआ लंड Shipra के होंठों पर रख दिया।

Shipra काँप गई। उसने पल भर झिझका, फिर होंठ खोल दिए।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर ज़ोर से धक्का दिया।
“चपाक-चपाक-चपाक…” उसकी चूसने की आवाज़ पूरे हॉल में गूँजने लगी।

Shipra का गला भर आया, पर वो रुक नहीं सकी।
उसके होंठ लंड पर कसते गए, जीभ उसके सिर को चाटती रही।
Neeraj ने आँखें बंद कर लीं और गरजते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… तेरे जैसे मुँह के लिए ही मेरा लंड बना है।”

Neeraj ने उसके बाल और कसकर पकड़ लिए और लंड को और गहराई तक Shipra के मुँह में घुसा दिया।
“ठप-ठप-ठप…” उसकी thrusts इतनी तेज़ थीं कि Shipra का गला भर आया, आँखों से पानी बहने लगा।

Neeraj (गंदी हँसी में):
“वाह रंडी… पूरा गला चोद डाला तेरा। अबे ऐसी चुसाई तो तेरे मादरचोद पति ने भी न करवाई होगी।”

Shipra ने कराहते हुए, गला सँभालते हुए फिर से लंड मुँह में लिया।
Shipra (मुँह भरे स्वर में):
“म्म्म्फ्फ्फ… आह्ह्ह…”

उसकी जीभ बार-बार लंड के सिर को चाट रही थी, होंठ कसकर दबाए थे।
“चपाक-चपाक-चपाक…” की आवाज़ और भी तेज़ हो गई।

Neeraj ने अचानक उसका मुँह छोड़ा और Shipra को sofa पर पलट दिया।
उसकी साड़ी आधी कमर तक चढ़ चुकी थी, boobs बाहर थे, निप्पल अभी भी भीगे हुए।
Shipra का बदन पसीने से चमक रहा था।

Neeraj (उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए):
“अब दिखा तेरी चूत का नशा। फैल जा रंडी।”

उसने Shipra की टाँगें wide करके sofa पर टिकाईं।
भीगी हुई गुलाबी chut साफ़ चमक रही थी।
Neeraj ने अपना गरम लंड पकड़कर सीधे उसके छेद पर रखा और जोर से धक्का दिया—

“ठपाक्क्क्क!”

Shipra चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… स्साले… धीरे… फाड़ डालेगा क्या?”
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#13
लेकिन Neeraj रुका नहीं।
उसने दोनों हाथों से Shipra की कमर पकड़कर लगातार धक्के मारने शुरू कर दिए।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” पूरा sofa हिल रहा था।

Shipra का सीना ऊपर-नीचे उछल रहा था, boobs लहराते हुए Neeraj के हाथों में आ रहे थे।
Neeraj बार-बार उन्हें दबाकर निप्पल मरोड़ रहा था।

Neeraj (गरजते हुए):
“वाह रंडी… तेरी चूत तो पानी की नदी है। लंड डालते ही डूबा जा रहा है मैं।”

Shipra अब बेसुध होकर कराह रही थी।
Shipra (आँखें बंद कर, जोर से):
“आह्ह्ह… और जोर से… चोद मुझे… बना दे अपनी रंडी… आह्ह्ह…”

Neeraj ने उसे doggy में पलटा।
अब Shipra घुटनों के बल sofa पर थी, साड़ी कमर पर चढ़ी, गांड पूरी तरह खुली।
Neeraj ने पीछे से लंड उसके अंदर धँसा दिया।

“ठप-ठप-ठप-ठप…” हर thrust से उसकी गांड काँप रही थी।

Neeraj (उसके बाल पकड़कर खींचते हुए):
“अबे रंडी… तेरे बेटे के सामने तेरी गांड चोद रहा हूँ। सोच… अगर जाग गया तो?”

Shipra कराहते हुए हाँफी—
Shipra:
“आह्ह्ह… सोचने दे हरामी… बस चोद… मारते रह… आह्ह्ह…”

Neeraj ने उसकी गांड पर ज़ोर से थूक दिया और अंगूठा अंदर घुसा दिया।
Shipra जोर से चीखी—
Shipra:
“आह्ह्ह मादरचोद… फाड़ डाला तूने…”

लेकिन Neeraj पागलपन में धक्के मारता रहा।
अब sofa कराहों, गालियों और “ठप-ठप” की आवाज़ से गूंज रहा था।

Neeraj ने Shipra को doggy में झुका रखा था, लंड उसके अंदर पूरा गड़ा हुआ। धक्के इतने जोर के थे कि sofa चीं-चीं करने लगा।

Neeraj (गरजते हुए, गंदी गाली में):
“अबे रंडी… रोज़ दो-दो बार तेरी चूत फाड़ रहा हूँ, फिर भी मादरचोद इतनी गीली हो जाती है तू… तेरी चूत तो अब टंगी हुई झोली जैसी हो गई है।”

उसने Shipra की गांड पर थप्पड़ मारा, ज़ोर से ठप्पाक्क्क की आवाज़ आई।

Shipra (कराहते हुए, गालियों में):
“आह्ह्ह हरामी… तू ही तो रोज़ मेरी चूत को नल बना देता है… इतनी सुज गई है कि चलने में भी लंड घुसा लगता है। मादरचोद, मेरी चूत को आलू की बोरिया बना दिया तूने।”

Neeraj ने बाल पकड़कर उसका चेहरा sofa में दबा दिया और पीछे से और तेज़ धक्के मारे।
“ठप-ठप-ठप-ठप…”

Neeraj (हँसते हुए):
“साली… यही तो चाहिए था मुझे। तेरी चूत अब पूरी तरह मेरी है, तेरे पति ने तो सिर्फ़ नाम का इस्तेमाल किया। मैंने रोज़ की चुदाई से तेरी माँ-चुद चूत को लटकता हुआ बना दिया।”

Shipra ने आँखें बंद कर कराहते हुए फिर गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी, स्साले… सही कहता है तू… मेरी सुजी हुई चूत अब तेरी है। लेकिन याद रख, तेरी ये रंडी रोज़ गाली खाए बिना नहीं चुदेगी। मार और जोर से, मादरचोद!”

Neeraj और भड़क गया। उसने लंड को पूरा बाहर निकाला और Shipra की गीली चूत पर जोर से थप्पड़ मारा।
“चपाक्क्क्क!”

फिर लंड पकड़कर एक झटके में फिर से अंदर गाड़ दिया।
Shipra चीख पड़ी—
Shipra:
“आह्ह्ह… तेरी माँ की… फाड़ डाली रे…”

Neeraj ने उसके कान पकड़कर फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी चूत अब रंडी का मेला है, रोज़ सुबह-शाम खोल देता हूँ। इतनी लटक गई है कि देख कर ही मेरा लंड और कड़ा हो जाता है। बोल अब, किसकी रंडी है तू?”

Shipra पागलों की तरह कराह रही थी, उसके नाखून sofa पर गड़ चुके थे।
Shipra (हांफते हुए गालियों में):
“तेरी हूँ बे मादरचोद… पूरी रंडी बन चुकी हूँ तेरी। रोज़ मेरी गांड-चूत सुजा के छोड़ता है, फिर भी तेरे लंड की लत लगी हुई है। चोद मुझे… और चोद… मेरी रंडी चूत फाड़ डाल।”

Neeraj ने उसे खींचकर अपनी गोदी में बिठा लिया — अब Shipra reverse cowgirl में थी।
उसकी साड़ी कमर पर थी, boobs बाहर उछल रहे थे, और वो ऊपर-नीचे Neeraj के लंड पर कूद रही थी।

“ठप-ठप-ठप-ठप…” उसकी सुजी हुई चूत बार-बार लंड को निगल रही थी।

Neeraj (कराहते हुए, गंदी गाली में):
“वाह रंडी… तेरी लटकी हुई, गीली चूत तो अब लंड का ताजमहल लगती है। चूस ले पूरा लंड अपनी माँ-चुद चूत में।”

Shipra हँसते-कराहते बोली—
Shipra:
“हरामी… रुकूँगी नहीं, जब तक तेरा लंड मेरा रस पीकर फटेगा नहीं। रोज़ फाड़-फाड़ के चूत सुजा दी तूने… अब इसे और ढीला कर दे।”

Neeraj ने दोनों हाथों से उसके boobs पकड़कर निप्पल मरोड़े और जोर से धक्का मारा।
Shipra पागल होकर चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… फाड़ दे रे मादरचोद… यही चूत है तेरे लंड के लिए… रोज़ फाड़… हर बार फाड़…”


---Neeraj ने Shipra को गोदी से उठाकर फिर से sofa पर दबा दिया।
उसने उसका चेहरा पकड़कर ज़ोर से थप्पड़ मारा — “ठप्पाक्क्क!”

Neeraj (गरजते हुए):
“बोल रंडी… तेरा पति तेरी चूत चोदता भी है या नहीं?
या बस नाम का मर्द बना है वो, जो तुझे सुजाने का दम ही नहीं रखता?”

Shipra ने होंठ काटकर हँसी दबाई, फिर कराह के साथ ठहाका मारा।
उसकी आँखों में पानी था, लेकिन हँसी में गंदगी और दर्द दोनों थे।

Shipra (मुँह बिचकाते हुए):
“हा हा हा… चोदो मत पूछ… मेरा पति तो चूत फाड़ना क्या, लंड भी पूरा नहीं डाल पाता।
उसके छोटे से लंड से तो मेरी चूत हँस देती है,
जैसे कोई बच्चा ऊँगली डाल रहा हो। हा हा हा…”

Neeraj और भड़क गया।
उसने फिर से उसके गाल पर थप्पड़ मारा —
“ठप्पाक्क्क!”

Neeraj (गालियाँ देते हुए):
“साली रंडी… तेरे पति का छोटा लंड देख-देख के ही तुझे भूख लगी रहती थी न?
अब देख, मेरा लंड तुझे कैसे हरामज़ादी बना देता है।”

उसने झटके में अपना मोटा, गरम लंड उसके अंदर और गहरा ठोक दिया।
“ठपाक्क्क! ठपाक्क्क! ठपाक्क्क!”

Shipra की आँखें पलट गईं।
उसके होंठ काँपते हुए बोले—

Shipra (हँसते-कराहते हुए):
“आह्ह्ह… सही कहता है रे… मेरा पति तो नपुंसक है।
तेरे जैसा लंड न उसे कभी मिला, न मिलेगा।
स्साले की औकात ही नहीं थी मेरी चूत भरने की।
अब तो रोज़ तू ही मेरी सुजी हुई चूत में ये मोटा लंड घुसा के फाड़ता है।
तभी तो लटक गई है मेरी चूत तेरे ठोकों से… हा हा हा…”

Neeraj पागल हो चुका था।
उसने Shipra की ठोड़ी पकड़कर फिर से थप्पड़ मारा और उसका मुँह खोलकर अपनी जीभ अंदर ठूंस दी।
दोनों की गंदी, लम्बी किस्स फिर से शुरू हो गई।

Neeraj ने Shipra की टाँगें उठाकर और भी चौड़ी कर दीं और पूरा लंड उसकी सुजी हुई चूत में धँसा दिया।
उसके धक्के अब पागलपन में थे — “ठप-ठप-ठप-ठप…”

उसने उसके गाल पर थप्पड़ मारा और गुर्राया—
Neeraj:
“अबे रंडी… अगर इतना ही मज़ा चाहिए था तो जा… अपने बेटे Rohit से चुदवा ले!
वो तेरा असली वारिस है, तेरे पति से तो ज़्यादा दम होगा उसमें।”

Shipra कराहते हुए हाँफी, और गुस्से में गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… चुप बे मादरचोद! चोद रहा है तो चोद, बीच में मेरे बेटे का नाम क्यों घसीटता है?
स्साले, बकवास मत कर वरना तेरी जुबान काट लूँगी!”

Neeraj और भड़क गया।
उसने उसके बाल पकड़कर सिर पीछे झुका दिया और हर thrust पर गुर्राया—
Neeraj:
“बोल रंडी! तेरे पति ने नहीं चोदा तो अब बेटा ही चोड़ेगा तुझे… सोच कैसी लगेगी उसकी माँ को चोदते हुए… हा हा हा…”

Shipra की चीखें और तेज़ हो गईं।
उसकी सुजी हुई चूत में लंड बार-बार गहरा धँस रहा था।
Shipra (कराहते हुए, गालियाँ देती):
“आह्ह्ह… हरामी… गंदी बात मत कर… तू ही है जो मेरी चूत को रोज़ फाड़ता है।
तेरे लंड ने मुझे रंडी बना दिया है,
पर मेरे बेटे का नाम बीच में मत ला… साले गधे!”

Neeraj ने फिर ठप्पाक्क्क से थप्पड़ मारा और हँसते हुए बोला—
Neeraj:
“तेरा बेटा भी तेरी सुजी हुई चूत देखेगा तो पागल हो जाएगा।
रंडी… एक दिन उससे भी चुदेगी तू। बोल!”

Shipra की आँखें पागलपन में पलट गईं, कराहते हुए हँसी फूट पड़ी।
उसने अपने नाखून Neeraj की पीठ में गड़ा दिए और हाँफते हुए बोली—

Shipra (हँसते-कराहते):
“हा हा हा… तू रोज़ मेरे बेटे की माँ चोदता है न?
तो सुन मादरचोद… एक दिन वही बेटा तेरी माँ चोदेगा!
सोच हरामी, कैसा लगेगा तुझे… हा हा हा…”

Neeraj ये सुनकर और पागल हो गया।
उसके धक्के और तेज़ हो गए, पूरा sofa हिलने लगा, और दोनों की हँसी, कराहें और गालियाँ कमरे में गूंजने लगीं।

Shipra की बात सुनकर Neeraj का दिमाग़ घूम गया।
उसने तुरंत लंड उसकी चूत से धड़ाक्क्क निकाल लिया।

गुस्से में Shipra के बाल पकड़कर उसे घसीटा और जमीन पर घुटनों के बल पटक दिया।

Neeraj (गाली देकर, दाँत पीसते हुए):
“अबे रंडी… मेरी माँ के बारे में ज़ुबान खोली तूने?
साली, अभी तेरी वो गंदी ज़ुबान फाड़ के रख दूँगा… चूस मेरा लंड!”

उसने लंड सीधा Shipra के मुँह पर दे मारा।
Shipra चीखी, पर बालों से दबा कर Neeraj ने उसका मुँह खोल दिया और जोर से लंड ठूँस दिया।

“ठस्स्स-ठस्स्स-ठस्स्स…”
हर धक्का सीधा गले तक जा रहा था।

Shipra का गला घुटने लगा, आँखों से पानी टपकने लगा।
वो बीच-बीच में कराहते हुए गाली भी निकाल रही थी—

Shipra (दम घुटते हुए):
“आह्ह्ह… छो— छोड़ बे मादरचोद… गला फट जाएगा… उग्घ्ह्ह…”

Neeraj और भड़क गया।
उसने सिर और कसकर पकड़ लिया और लगातार गले तक धक्के मारता रहा।

Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“साली रंडी… मेरी माँ का नाम लिया तूने?
अबे मादरचोद, आज तेरे इसी मुँह में पूरा लंड घुसाकर तेरी हड्डियाँ तोड़ दूँगा!
ले… गटक, पूरा गटक… रंडी!”

Shipra के होंठों के कोनों से लार बहने लगी, उसकी नाक से आवाज़ फूट रही थी।
पर उसकी आँखों में अब भी ताना था, वो बीच-बीच में हँस पड़ती थी—

Shipra (मुँह में लंड दबा कर हँसते हुए, घुटती आवाज़ में):
“म्म्म्ह्ह्ह… हा हा हा… मार ले जितना मारना है…
तेरा लंड है ही इतना छोटा… गले में खो भी गया तो क्या!”

Neeraj पागल हो चुका था।
उसने और भी तेज़ धक्के मारे—
“ठप-ठप-ठप-ठप…”
अब उसका पूरा लंड Shipra के गले के अंदर धँस चुका था।

Shipra का मुँह लार और उसकी गाली दोनों से भरा था।

Neeraj ने झटके से Shipra के बाल छोड़ दिए और उसे ज़मीन से खींचकर खड़ा कर दिया।
Shipra हाँफ रही थी, गले से खरखराहट निकल रही थी, होंठों से लार टपक रही थी।

Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“अबे रंडी… ज़ुबान चलाएगी अभी भी? तेरे सारे कपड़े फाड़कर नंगी कर दूँगा।”

Shipra छाती पकड़कर साँस सँभालती है और हँसते हुए ताना मारती है।

Shipra (गंदी हँसी और गाली में):
“अबे हरामी… कल रात मेरी गुलाबी ब्रा और लाल पैंटी फाड़ी थी तूने…
आज दिन में भी फाड़ेगा क्या? साले… औरत हूँ मैं या तेरी रंडी की अलमारी?”

Neeraj पागल की तरह उसके हरे रेशमी ब्लाउज पर झपटा।
दोनों हाथों से पकड़कर पीछे से हुक तोड़ा और एक झटके में आगे से “च्र्र्र्र्र्राक्क्क्क…”।
ब्लाउज फटकर नीचे गिर गया।

अंदर से उसकी काली लेस वाली ब्रा कसकर बड़े-बड़े boobs थामे थी।
Neeraj ने स्ट्रैप खींचकर नोच दिया और जोर से बीच से “चर्र्र्र्र्राक्क्क्क…” कर दिया।
ब्रा के टुकड़े उड़ गए और Shipra के भारी, उछलते हुए boobs आज़ाद हो गए।
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#14
Neeraj ने तुरंत दोनों मुट्ठियों में पकड़कर जोर से निचोड़ा।
“धप्प-धप्प” की आवाज़ आई।
फिर निप्पल को दाँतों से दबाया, खींचा और Shipra की चीख निकलवा दी।

Shipra (कराहते हुए गाली देकर):
“आह्ह्ह… मादरचोद… हर चीज़ चीर डालता है तू…
कल रात ब्रा-पैंटी फाड़ी… अब ब्लाउज-ब्रा भी फाड़ दी…
अबे साले, सब फाड़ देगा तो मैं पहनूँगी क्या?”

Neeraj हँसते हुए उसके निप्पल मरोड़ता है।

Neeraj (गंदी हँसी में):
“रंडी… तुझे कपड़ों में देखना ही नहीं आता मुझे…
तेरे boobs, तेरी गांड, तेरी चूत… सब नंगे ही अच्छे लगते हैं। कपड़े पहनने की ज़रूरत ही नहीं है तेरे जिस्म को।”

Shipra ने उसकी गर्दन पकड़कर अपने पास खींचा, आँखें लाल, हाँफते हुए भी ताना दिया—

Shipra (गाली देते हुए, हँसकर):
“अबे हरामी… तू मुझे नंगा करके छोड़ना चाहता है न…
तो सुन साले, एक दिन मेरा बेटा भी तेरी माँ को ऐसे ही फाड़ेगा…
तब देखना तुझे कैसी लगेंगी अपनी माँ की नंगी boobs!”


---
---Shipra की ये बात सुनते ही Neeraj का चेहरा तमतमा गया।
उसकी आँखें खून से लाल हो गईं।

उसने एक झटके में Shipra के बाल खींचकर उसका चेहरा पीछे झुका दिया और “ठप्प्पाक्क्क्क” करके गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा।

Neeraj (गरजते हुए, गाली में):
“अबे रंडी… मेरी माँ का नाम जुबान पर लिया तूने?
साली, अभी तेरा मुँह, गांड, चूत — तीनों फाड़कर रख दूँगा।
तेरे बेटे को भी दिखाऊँगा कि उसकी माँ कैसी रंडी है!”

उसने उसे ज़बरदस्ती पलटा और दीवार से दबा दिया।
Shipra का पूरा शरीर दीवार से चिपक गया, boobs दबकर उछल रहे थे।

Neeraj ने पीछे से उसका बाल पकड़कर सिर दबाया और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी गीली चूत पकड़ ली।

Neeraj (हँसकर, ज़ोर से दबाते हुए):
“देख रंडी… ज़ुबान से गालियाँ देती है… और चूत से पानी छोड़ रही है।
तेरे लंड-भूखे छेद को मैं अभी फाड़ डालूँगा।”

उसने झटके से अपनी पैंट नीचे सरकाई, मोटा गरम लंड पकड़कर Shipra की गांड पर रगड़ा।
Shipra की कराह निकल गई —

Shipra (सिसकते-कराहते हुए, गालियों में):
“आह्ह्ह… मादरचोद… धीरे डाल… रोज़ फाड़-फाड़ के मेरी चूत झोली बना दी है तूने।
हरामी, अब तो चलते वक्त भी तेरी ठोकी हुई गांड दर्द करती है।”

Neeraj और पागल हो गया।
उसने एक झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में ठोक दिया।

“ठपाक्क्क्क्क्क!”

Shipra दीवार से टकराई और चीख निकली।

Shipra (चीखते हुए):
“आह्ह्ह… तेरी माँ की… फाड़ डाला हरामी… आह्ह्ह…”

Neeraj उसके कान पर झुककर गुर्राया—

Neeraj (गुस्से में):
“अबे रंडी… तूने कहा मेरा बेटा मेरी माँ चोड़ेगा?
साली, मैं तेरी चूत और गांड रोज़ चोदूँगा, फिर देखूँगा कैसे जुबान चलाती है।”

उसने बाल खींचकर और जोर से ठोके मारे।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” की आवाज़ से दीवार हिलने लगी।

Shipra की आँखें बंद हो गईं, कराहों और गालियों का मिक्स उसकी ज़ुबान से निकल रहा था—

Shipra (आहें भरते और गाली देते हुए):
“आह्ह्ह… स्साले… रोज़ मेरी चूत सुजा दी है तूने…
अब तो तेरे लंड की लत लग गई है मादरचोद…
फाड़… और फाड़… बना दे मुझे अपनी स्थायी रंडी!”

Neeraj ने उसके boobs पकड़कर पीछे से दबाए और धक्के और तेज़ कर दिए।
Shipra दीवार से चिपकी, रोते-कराहते, फिर भी हँसते हुए गालियाँ देती रही।
Neeraj ने Shipra के बाल छोड़ दिए और उसे ज़मीन पर धक्का दे मारा।
Shipra चारों हाथ-पैरों के बल घुटनों पर गिर पड़ी, उसकी भारी गांड हवा में उठी हुई थी, जैसे घोड़ी खड़ी हो।

उसकी साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं, पसीने से पीठ चमक रही थी।
Neeraj पीछे आया, दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़कर कस लिया।

Neeraj (गंदी हँसी में, गांड दबाते हुए):
“अबे रंडी… यही पोज़ है तेरे लिए। घोड़ी बनेगी, और मैं तेरा घोड़ा…
तेरी सुजी हुई चूत में इतना ठोकूँगा कि खून-लार सब मिला कर कीचड़ बन जाएगी।”

उसने धीरे-धीरे लंड की मोटी नोक उसकी गीली चूत पर रगड़ी।
Shipra ने कराहते हुए पीछे हिलकर उसे अंदर लेने की कोशिश की।

Shipra (सिसकियों और गालियों में):
“आह्ह्ह… साले… तंग मत कर… डाल दे अंदर… रोज़ चोद-चोद कर मेरी चूत लटक गई है, अब तेरे बिना चैन नहीं आता…”

Neeraj ने एक लंबा धक्का मारा — “ठप्प्प्प्प्क्क्क!”
पूरा लंड Shipra की गहराई में घुस गया।

Shipra का पूरा शरीर आगे को झटका खाकर काँप उठा।

Shipra (चीखते हुए):
“आह्ह्ह… मादरचोद… गाड़ दिया सारा… आह्ह्ह…”

Neeraj ने धीमे-धीमे धक्के शुरू किए।
हर धक्के के साथ Shipra की गांड ऊपर-नीचे हिल रही थी।

“ठप… ठप… ठप…”

उसकी चूत से लार जैसी चिपचिपी आवाज़ें आने लगीं।

Neeraj (गरजकर, कमर बजाते हुए):
“रंडी… सुन… अब ये चूत मेरी है।
तेरा मादरचोद पति तो बस नाम का है, असली मर्द तो मैं हूँ।”

Shipra पीछे मुड़कर हाँफते हुए हँसी और ताना दिया—

Shipra (गंदी हँसी में):
“अबे हरामी… तू रोज़-रोज़ मेरी गांड चीरता है…
अब ये चूत सच में तेरी ही लगती है…
इतनी चुदाई किसी ने मेरी ज़िंदगी में नहीं की साली!”

Neeraj अब रुक नहीं पाया।
उसने जोरदार धक्कों से उसकी गांड थपथपाना शुरू किया —

“ठप-ठप-ठप-ठप-ठप…”

Shipra की चीखें, कराहें और गालियाँ कमरे में गूँजने लगीं।
उसके boobs झूल-झूल कर ज़मीन से टकराने लगे।

धीरे-धीरे Shipra का शरीर काँपने लगा, उसकी चीखें चरम तक पहुँच गईं।
वो अपने हाथ ज़मीन पर पटकते हुए climax तक पहुँच गई —

Shipra (तेज़ कराहों और गालियों में):
“आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह्ह… फाड़ दे मादरचोद… निकल गया… आह्ह्ह… मेरी चूत फट गई… ओह्ह्ह्ह…”

Shipra का पूरा शरीर झटकों में काँप रहा था, उसकी चूत से गरम-गरम रस बह निकला।

Shipra की चूत अभी भी रस छोड़ रही थी, उसका शरीर झटकों से काँप रहा था।
वो ज़मीन पर घोड़ी बनी हाँफ रही थी, उसके भारी-भारी boobs झूल रहे थे, बाल बिखरे पड़े थे।

Neeraj पीछे से उसकी गांड पकड़कर धक्के मारता रहा। उसका मोटा, लंबा लंड हर बार पूरी ताक़त से Shipra की चूत की गहराई तक घुसता था।

“ठप-ठप-ठप-ठप” की आवाज़ से कमरा हिल रहा था।

Shipra (चीखते-कराहते हुए, गालियों में):
“आह्ह्ह्ह… मादरचोद… यही तेरे लंड ने मेरी हालत कर दी है…
इतना बड़ा साला… रोज़ फाड़ता है… मेरी चूत सुज के थैली हो गई है…
हरामी, अब तो तेरी लंड की लत लग गई है मुझे!”

Neeraj हाँफते हुए उसकी कमर पकड़कर और जोर से घुसा देता है।

Neeraj (गरजते हुए):
“रंडी… बोली थी मेरा लंड छोटा है?
अबे देख साली… तेरे सुजे हुए छेद की ये हालत मेरे बड़े लंड ने ही की है।
तेरे पति की औक़ात नहीं थी तुझे ऐसे फाड़ने की।”

उसने झटके से लंड बाहर निकाला और बाल पकड़कर Shipra का चेहरा ऊपर खींचा।
Shipra घुटनों के बल आ गई, मुँह खुला-खुला हाँफ रही थी।

Neeraj ने उसके होंठ जबरदस्ती खोले और अपना मोटा-लंबा लंड मुँह में घुसा दिया।

“घुट्ट… घुट्ट… घुट्ट…” की आवाज़ गूँजने लगी।
Shipra का गला तक भर गया, आँसू आँखों से बह निकले, लार उसके boobs तक टपकने लगी।

Neeraj (गुस्से में, बाल खींचते हुए):
“अबे रंडी… बोलती थी मेरा लंड छोटा है?
देख साली, तेरे गले तक भर गया है… गटक मेरी मादरचोद नाली।”

उसने बाल पकड़कर जोर-जोर से ठोके मारे।
Shipra का मुँह हर धक्के पर और खुलता गया, लार बहती रही।

कुछ देर बाद Neeraj गरज उठा।
उसने उसका सिर पकड़कर लंड पूरा गले तक ठूंस दिया और गरम-गरम वीर्य का फव्वारा उसके मुँह के अंदर छोड़ा।

“आह्ह्ह्ह… स्साली रंडी!!!”

Shipra का गला वीर्य से भर गया, आधा उसने गटक लिया, आधा होंठों से बहकर उसके boobs और पेट पर टपक गया।

Shipra हाँफते-हाँफते हँस पड़ी, वीर्य से भीगे मुँह से गालियाँ दी—

Shipra (हँसते हुए, गंदी गालियों में):
“आह्ह्ह… हरामी… अब मानती हूँ तेरा लंड बड़ा है…
रोज़ मेरी चूत-गांड फाड़ दी तूने… अब बिना तेरे मोटे लंड के चैन नहीं मिलेगा…
मादरचोद, तूने सच में बना दिया मुझे अपनी पक्की रंडी।”

Neeraj पसीने में तर-बतर, अभी भी उसके बाल पकड़कर उसे अपने सीने से भींचे हाँफ रहा था।

Neeraj ने थका-हारा अपना भारी शरीर सोफे पर पटक दिया।
उसका सीना तेज़-तेज़ धड़क रहा था, पसीना बहकर गालों से टपक रहा था।

Shipra धीरे-धीरे घिसटकर उसके पास आई और सोफे पर बैठते ही “आह्ह्ह्ह…” की लंबी कराह निकल गई।
उसकी टाँगे काँप रही थीं, चूत सूजकर लाल पड़ चुकी थी, thighs पर वीर्य और लार चिपकी हुई थी।

वो कमर पकड़कर हँसते हुए बोली—

Shipra (गंदी हँसी और गाली में):
“अबे हरामी… तूने आज इतना चोदा है मुझे…
लगे जैसे साला पूरा आदमी अंदर घुस गया हो।
मेरी चूत तो खाई बन गई है मादरचोद… चलना तो दूर, बैठना भी मुश्किल हो रहा है।”

Neeraj ने उसकी हालत देखकर और भी शैतानी हँसी छोड़ी।
उसने Shipra के सुजे हुए boobs पकड़कर धीरे से दबाया और बोला—

Neeraj (गंदी हँसी में):
“रंडी… यही तो मज़ा है।
तेरे जैसे मोटे दूध और बड़ी चूत वाली औरत को आधा-अधूरा चोदने का कोई फ़ायदा नहीं।
तुझे फाड़-फाड़कर ही मज़ा आता है।
देख, तेरी चूत की हालत देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो रहा है।”

Shipra हाँफते हुए उसकी तरफ झुक गई, उसकी छाती पर लार टपका दी और आँखें लाल करते हुए बोली—

Shipra (कराहते हुए, गालियाँ देती):
“अबे साले… फिर खड़ा कर ले…
लेकिन जान ले, मेरी चूत अब तेरे लंड से बड़ी हो गई है…
इतनी चुदाई के बाद इसमें पूरा आदमी समा सकता है।
मादरचोद, तूने मुझे औरत से रंडी बना दिया।”

Neeraj ने उसके गाल पर चुम्मा जड़ा, फिर कान में फुसफुसाकर बोला—

Neeraj (गंदी फुसफुसाहट में):
“रंडी… तू मेरी ही रहना…
तेरे पति से पहले, तेरे बेटे से पहले, हर रोज़ तेरा हर छेद मेरा होगा।
तू अब मेरी स्थायी रंडी है।”

Shipra ने आँखें मूँदकर उसकी गर्दन पर काट लिया, फिर हँसते हुए बोली—

Shipra (हँसकर, गंदी गाली में):
“साले… अब मुझे कोई और मर्द चाहिए ही नहीं…
तेरा बड़ा लंड ही मेरी चूत की भूख है…
तू चाहे जितनी बार फाड़, मैं हर बार तेरे लिए ही अपनी टाँगे खोलूँगी।”

दोनों सोफे पर पसीने से लथपथ, टूटे शरीर के साथ एक-दूसरे से चिपककर हाँफते रहे।
कमरे में अब भी वीर्य, पसीने और गंदी कराहों की बदबू फैली हुई थी।
Shipra सोफ़े पर धँस गई थी। उसकी साँसें फूली हुई थीं, आँखें आधी बंद, बाल बिखरे हुए। जाँघों के बीच अब भी Neeraj के मोटे लंड की मार का असर था। पूरा बदन थरथरा रहा था।

Shipra (गुस्से और हँसी में, गाली देते हुए):
“अबे हरामी… तूने तो मेरी ऐसी हालत कर दी… जैसे कोई पूरा मर्द मेरे अंदर घुस गया हो… साला, लग रहा है पेट तक चीर डाला तूने।”

वो पेट पकड़कर हँसी, लेकिन उसकी आँखों में थकान साफ़ थी।
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#15
Neeraj, सोफ़े के दूसरे कोने पर फैला हुआ, अब भी उसकी तरफ घूर रहा था। उसकी साँस भारी थी, सीने पर पसीना चमक रहा था।

Neeraj (गंदी हँसी दबाकर):
“रंडी… यही तो कहती है तेरी चूत… बड़ी है, पर मेरे लंड से ही भरती है। और कोई आदमी तेरे अंदर टिक ही नहीं पाएगा।”

उसने झुककर Shipra की जाँघ दबाई। Shipra सिहरकर चीखी—

Shipra:
“आह्ह… साले… हाथ मत लगा! मेरी चूत जल रही है, सुज गई है तेरे लंड से… अबे जानवर है तू।”

Neeraj ठहाका मारकर उसकी तरफ और पास आ गया। उसने Shipra के कान में फुसफुसाया—

Neeraj:
“जानवर तो हूँ… लेकिन तेरा जानवर। तेरी चूत भी मान चुकी है ये बात।”

Shipra ने हाँफते हुए उसकी तरफ देखा, होंठ काँप रहे थे। फिर ताना मारते हुए गाली दी—

Shipra:
“अबे मादरचोद… तू सोच भी नहीं सकता, मेरी हालत ऐसी कर दी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है। अगर मैं खड़ी हो गई न… तो सबको पता चल जाएगा कि तूने मुझे किस तरह से फाड़ा है।”

Neeraj ने उसकी ठोड़ी उठाई, नज़रें गहरी करके बोला—

Neeraj:
“तो क्या? सबको बता देना… कि Neeraj तेरी चूत का मालिक है। तेरे हर कराह, हर चीख का मालिक।”

Shipra ने होंठ दबाकर उसकी ओर देखा, आँखों में आँसू और हँसी दोनों थे।

Shipra (थकी हुई आवाज़ में, गाली देकर):
“अबे हरामी… तूने मुझे रंडी बना के रख दिया है। एक-एक लम्हा मेरे जिस्म से खेलता है… और मैं फिर भी तुझे मना नहीं कर पाती।”

Neeraj ने हँसते हुए उसके होंठ चाट लिए और जोर से दबाकर किस कर लिया।

दोनों सोफ़े पर धँसे हुए थे—Shipra आधी नंगी, सीने पर नाखूनों के निशान, जाँघों पर पसीने की बूंदें… Neeraj अब भी उसकी कमर कसकर पकड़े हुए।

कमरे में सन्नाटा था, बस दोनों की भारी साँसों और गंदी हँसी की आवाज़ गूँज रही थी।

Shipra सोफ़े पर पसीने से तर-बतर पड़ी थी। उसकी साँस अभी भी काँप रही थी, सीने पर Neeraj के हाथों के दबे निशान साफ़ दिख रहे थे। उसने थकी हुई, गुस्से और मज़ाक से भरी आवाज़ में Neeraj को घूरकर कहा—

Shipra (गालियाँ बकते हुए):
“अबे मादरचोद… चोदते-चोदते सब फाड़ डाला तूने। ब्लाउज, ब्रा… सब चीर के रख दिया। अबे साले, मेरी panty कहाँ गई? ढूँढ कमीने, कहीं Rohit या मेरा पति देख न ले!”

वो हड़बड़ाकर अपनी साड़ी नीचे खींचने लगी, लेकिन हालत ऐसी थी कि सबकुछ खुला ही रह गया।

Neeraj हँसता हुआ नीचे झुका और सोफ़े के पास से उसके ब्लाउज का फटा टुकड़ा उठाकर उसके हाथ में पकड़ा दिया।

Neeraj (गंदी हँसी में):
“ले रंडी… तेरे ब्लाउज का कचरा यही है। और ब्रा? वो तो चीरकर फाड़ दी मैंने… अब तेरे boobs के ऊपर कुछ टिकने का हक़ ही नहीं है।”

Shipra ने गुस्से में उसकी तरफ तककर गाली दी—

Shipra:
“भोसड़ीके… ब्रा तो बिलकुल फट गई है… अब मैं पहनूँगी क्या? और मेरी panty कहाँ है रे हरामी?”

Neeraj फिर नीचे झुका, सोफ़े के कोने से भीगी हुई गुलाबी panty उठाई। वो इतनी भीगी थी कि उससे रस टपक रहा था। उसने हँसते हुए Shipra के चेहरे पर लहरा दी।

Neeraj:
“ये ले, तेरी लंड-चूसी panty… इतनी भीगी हुई है कि निचोड़ दूँ तो गिलास भर रस निकलेगा।”

Shipra ने झटके से panty उसके हाथ से खींच ली। वो घृणा और शर्म में हँसते हुए बोली—

Shipra (गंदी हँसी में, गाली देते हुए):
“साला… ये हालत कर दी तूने? अबे, chal… ये तू ही धोएगा और फिर छत पर सुखाएगा। मैं तो छू भी नहीं सकती अब इसको।”

Neeraj ने हँसते हुए उसकी जाँघ पर थप्पड़ मारा और बोला—

Neeraj:
“वाह रंडी… तेरी चूत का रस भर-भर के चूसा मैंने… अब तेरी गीली panty भी धोकर, चाटकर सुखा दूँगा। ताकि हवा में भी तेरी गरमी की बदबू फैले।”

Shipra ने शर्म और गुस्से में होंठ दबा लिए। वो panty हाथ में पकड़े काँप रही थी, और आँखें दरवाज़े की तरफ थीं—डर इस बात का था कि कहीं सच में Rohit या उसका पति कमरे से बाहर न आ जाए।
Neeraj और Shipra दोनों ने जल्दी-जल्दी कपड़े सँभाल लिए।
Shipra ने फटा हुआ ब्लाउज जैसे-तैसे ओढ़ लिया और साड़ी कसकर लपेट ली, ताकि हालत थोड़ी छुप जाए।
Neeraj ने भी अपनी पैंट ऊपर चढ़ा ली और शर्ट बटन करने लगा, लेकिन दोनों के चेहरों पर वही पागलपन और हँसी थी।

Shipra हाथ में अपनी गीली panty पकड़े गुस्से और शर्म में फुसफुसाई—

Shipra (गालियाँ देते हुए):
“अबे मादरचोद… तूने मेरी हालत ऐसी कर दी है कि जैसे पूरी गली ने चोदा हो। panty तो देख… रस से टपक रही है। अब chal, तू ही इसे धोएगा।”

वो panty Neeraj के मुँह पर दे मारती है।
Neeraj ने हँसते हुए उसे पकड़ लिया और नाक पर रखकर सूँघने लगा।

Neeraj (गंदी हँसी में):
“वाह रंडी… तेरी चूत की बदबू ही अब मेरी खुशबू है। इसे धोना तो बाद में… पहले चाट-चाट के ही सुखा दूँ।”

Shipra ने आँखें लाल करके गुस्से से उसका हाथ दबाया और बोली—

Shipra:
“भोसड़ीके… chal छत पर जा। धो और वहीं रस्सी पर लटका दे। अगर मेरा पति या Rohit ये गीली panty देख लेंगे तो सीधा पकड़ लेंगे हमें।”

Neeraj ने उसकी बात सुनकर और शरारत की। उसने panty को अपने मुँह पर दबा लिया और हँसते हुए कहा—

Neeraj:
“अगर Rohit ने देख भी ली तो सोचेगा… मम्मी इतनी गीली कैसे हो गई? और तेरे पति को तो वैसे भी औक़ात नहीं है, वो तो सूंघकर ही डर जाएगा।”

Shipra ने उसे घूरकर गाली दी, लेकिन होंठों पर मुस्कान छुप नहीं पाई।

Shipra:
“मादरचोद… तेरी गंदी ज़ुबान ही मुझे रोज़ फँसाती है। चल अब… panty धो और छत पर सुखा। अगर हवा में मेरी चूत की बदबू फैली न… तो पूरी कॉलोनी को पता चल जाएगा कि Shipra किसकी रंडी है।”

Neeraj हँसते हुए panty अपनी जेब में ठूस लेता है।

Neeraj:
“ठीक है रंडी… अभी छत पर जाता हूँ। तेरी गीली panty को सबसे ऊँची रस्सी पर लटकाऊँगा, ताकि हवा के साथ तेरी चूत की ख़ुशबू पूरी मोहल्ले में फैले।”

Shipra ने मुँह दबाकर हँसी रोकी और गुस्से में उसके बाजू पर मुक्का मारा—
“हरामी… chal जल्दी, वरना सच में कोई आ गया तो फँस जाएँगे।”


---Neeraj छत पर पहुँचा। बाल्टी में पानी भरकर Shipra की गीली panty को उसने डुबोया।
जैसे ही निचोड़ा — “छपाक-छपाक” की आवाज़ आई और रस और पानी मिलकर नीचे गिरने लगा।
Neeraj हँसते हुए बड़बड़ाया—

Neeraj:
“रंडी की panty… आधा पानी, आधा चूत का रस… अब हवा खाएगी तेरी बदबू।”

उसने जोर से निचोड़कर panty को कपड़े की रस्सी पर टाँग दिया।
गुलाबी कपड़ा हवा में हिलने लगा, और उसकी नमी धूप में चमक रही थी।

Neeraj आँखें बंद करके मुस्कराया, जैसे कोई जीत का झंडा गाड़ दिया हो।
तभी पीछे से किसी के कदमों की आहट आई।

“टक…टक…टक…”

Neeraj ने पीछे मुड़कर देखा — Rohit छत पर खड़ा था।
उसकी नज़र सीधी उसी हिलती हुई गुलाबी panty पर अटक गई।

Rohit की आँखें सख़्त हो गईं, माथे पर बल पड़ गए।
वो बिना कुछ बोले वहीं खड़ा रह गया, और Neeraj के हाथ से पानी की बाल्टी धीरे-धीरे छूटकर नीचे गिर गई।

पूरा माहौल एकदम सन्नाटा हो गया।

To be continued…
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#16
Mind-blowing update
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#17
Waiting for next
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#18
छत पर हिलती हुई गुलाबी panty को देखकर Rohit की आँखें तरेर गईं।
उसने गुस्से से Neeraj से पूछा—

Rohit (सख़्ती से):
“अबे Neeraj… ये क्या कर रहा है तू? और ये panty किसकी है?”

Neeraj एक पल के लिए अटक गया, फिर तुरंत खुद को सँभालते हुए मुस्करा दिया।
बाल्टी उठाकर ऐसे दिखाया जैसे कुछ बड़ा ही नॉर्मल काम कर रहा हो।

Neeraj (सँभालते हुए):
“अरे भाई, पता नहीं किसकी है… छत पे गिरी पड़ी थी।
इतनी गंदी थी कि सूंघते ही हालत खराब हो जाए… तो सोचा धोकर सुखा दूँ।
वरना मोहल्ले वाले देख लेते तो हंगामा हो जाता।”

Rohit थोड़ी देर तक शक की नज़र से Neeraj को घूरता रहा।
फिर धीरे-धीरे उसका चेहरा थोड़ा ढीला पड़ा।

Rohit:
“हम्म… ठीक है। वैसे भी ये पागल मोहल्ला है, लोग छोटी-छोटी बात का तमाशा बना देते हैं।”

Neeraj ने राहत की साँस ली और दोनों छत के किनारे बैठ गए।
हवा में सूखती panty झूल रही थी, लेकिन अब Rohit की नज़र वहीं अटकी नहीं थी।

कुछ मिनटों तक दोनों आपस में कॉलेज, दोस्तों और मोहल्ले की इधर-उधर की बातें करने लगे।
Neeraj बीच-बीच में अपनी गंदी हँसी से माहौल हल्का करता रहा।

इसी दौरान Rohit का मोबाइल बज उठा।
स्क्रीन पर नाम चमक रहा था— Tara ❤️।

Neeraj ने तुरंत पहचान लिया, हल्की मुस्कान के साथ बोला—
“ओह्ह… ये तो तेरी gf का फोन है न? वही 25 साल वाली madam।”

Rohit शरमा गया और जल्दी से कॉल रिसीव कर ली।
थोड़ी हंसी-मज़ाक और प्यार भरी बातें होने लगीं।
Neeraj चुपचाप मुस्कराते हुए सब सुन रहा था।

कुछ देर बाद कॉल कटने पर Rohit ने लंबी साँस ली और Neeraj से खुलकर बोला—

Rohit (हताश होकर):
“यार… बहुत दिन हो गए Tara को चोदे हुए।
अब तो हालात ये हैं कि सपने में भी वही आती है।
लेकिन दिक्कत ये है कि वो अभी family के साथ Mathura गई है।”

Neeraj ने सिगरेट सुलगाते हुए उसकी तरफ देखा और शरारती अंदाज़ में मुस्कराया।

Rohit ने सिर पकड़ते हुए कहा—
“यार… शादी को भी अभी कुछ दिन ही हुए हैं।
घर के बाहर जाऊँगा तो mummy-papa सवाल करेंगे।
अब समझ ही नहीं आ रहा… क्या करूँ।”

Rohit बेचैनी से Neeraj की तरफ झुक आया।
उसकी आँखों में वही पुरानी कशिश और इंतज़ार झलक रहा था।

Rohit (धीरे-धीरे, झिझकते हुए):
“Neeraj… एक काम कर।
आज रात अगर मैं Tara को घर ले आऊँ… तो तू sambhal लेगा क्या?
Papa तो घर पे नहीं हैं… लेकिन mummy हैं… उन्हें तू संभाल ले न।
वरना मौका हाथ से निकल जाएगा यार।”

Neeraj ने लंबा कश खींचा सिगरेट का और धीरे-धीरे धुआँ Rohit के चेहरे पर छोड़ दिया।
फिर गंदी हँसी के साथ बोला—

Neeraj:
“तो ये बात है, कमीने!
अपनी gf से चुदाई करनी है और mummy का टेंशन मुझे देना है?
चल, ठीक है… तू ले आ।
Tara को तू sambhal लेना… और aunty को मैं।
किसी को कानों-कान खबर भी नहीं होगी।”

Rohit की आँखें चमक उठीं।
वो हँस पड़ा और Neeraj के कंधे पर हाथ रखकर बोला—

Rohit:
“बस यही दोस्ती चाहिए थी मुझे।
आज रात का इंतज़ाम हो गया… तू एक बार mummy को संभाल ले, बाक़ी Tara को मैं आज नहीं छोड़ूँगा।”

Neeraj ने शरारती अंदाज़ में आँख मारते हुए कहा—

Neeraj:
“तो ठर गया… आज रात इस घर में दो-दो मोर्चे लगेंगे।
एक तरफ तू और तेरी Tara… और दूसरी तरफ मैं और तेरी mummy।”

दोनों एक साथ जोर से हँस पड़े।
छत पर रस्सी पर झूलती हुई Shipra की गीली panty हवा में लहरा रही थी… जैसे आने वाली रात का गंदा राज़ पहले से ही सुन रही हो।

कमरा अँधेरे में था, बस हल्की-सी ट्यूबलाइट की पीली रोशनी दीवार पर पड़ रही थी।
Shipra गुलाबी नाइटी में बिस्तर पर बैठी थी, उसके बाल खुले थे और चेहरे पर अभी भी थकान और नशा दोनों तैर रहे थे।

Neeraj धीरे से पास आया और उसके कान के करीब फुसफुसाया—

Neeraj (हँसते हुए, दबे स्वर में):
“सुन रंडी… तेरे बेटे का फोन आया था। आज रात वो अपनी गर्लफ्रेंड को यहाँ लाएगा… Tara नाम है उसका।”

Shipra की आँखें गोल हो गईं।
उसने नाइटी का पल्ला कसकर सीने से चिपका लिया और धीरे से बोली—

Shipra (आधी हँसी, आधा झुंझलाहट):
“अबे हरामी… सच में?… घर पर ले आएगा वो?”

Neeraj उसकी ठुड्डी पकड़कर ऊपर उठाता है।
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#19
Neeraj (मंद हँसी में):
“हाँ… और सोचा है मैं… अंदर कमरे में वो अपनी gf को चोद रहा होगा… और इधर बाहर… मैं तुझे खिड़की के पास पकड़कर चोदूँगा। तू उसकी आहट सुनेगी, और मैं तेरा मज़ा लूँगा।”

Shipra ने होंठ काटे, फिर एक हल्की कराह के साथ बोली—

Shipra (भारी साँस लेते हुए):
“तेरा दिमाग साला बिल्कुल गंदा है… मगर… मज़ा भी तो आएगा।”

Neeraj ने हँसते हुए उसका हाथ पकड़कर दीवार से टिका दिया। उसके चेहरे के बिल्कुल पास आकर गरम साँसें छोड़ता है।
Shipra के होंठ काँपे, उसने नाइटी का किनारा अपनी जाँघों पर और कस लिया।

दोनों की आँखों में अजीब-सा जोश था।
Neeraj धीरे से बोला—

Neeraj:
“रात बहुत लंबी होने वाली है रंडी… तू खिड़की से झाँककर देखेगी, और मैं तुझे पीछे से तोड़ूँगा।”

Shipra ने होंठ चाटे और धीमे से सिर हिलाकर हामी भरी।


---

इसी बीच गेट पर आहट हुई।
हँसी की आवाज़, कुछ बातों के टुकड़े।
Neeraj खिड़की के पास गया और धीरे से बाहर झाँका।

बाहर Tara खड़ी थी — ग्रे सूट और नारंगी दुपट्टे में, बिल्कुल वैसी जैसी Rohit ने तस्वीर में दिखाई थी।
कमरे की हल्की-सी ट्यूबलाइट जल रही थी।
दरवाज़ा बंद होते ही Rohit ने पीछे से कुंडी चढ़ा दी।

Tara सामने खड़ी थी — grey रंग की kurti उसके शरीर से चिपकी हुई, orange salwar की ढीली folds उसके पैरों तक बह रही थीं, और हल्का-सा orange dupatta कंधे पर लटक रहा था।

Rohit की आँखें उसी पर अटक गईं।
उसने धीरे से dupatta पकड़कर खींचा — वो फिसलकर नीचे बिस्तर पर गिर पड़ा।

Tara का सीना अब और साफ दिख रहा था, kurti के ऊपर से उठती-गिरती साँसें।
Rohit पास आया, उसकी गर्दन के पास झुककर धीरे से बोला—

Rohit (फुसफुसाकर):
“आज… तुझे पूरा अपना बना लूँगा।”

Tara की साँसें तेज़ हो गईं, उसने झिझकते हुए आँखें बंद कर लीं।

Rohit ने उसके kurti के गले में उँगली डाली और कपड़े का मुलायम कपड़ा खींचकर नीचे खिसकाना शुरू कर दिया।
Grey kurti धीरे-धीरे कंधों से सरकने लगी… Tara ने हल्की-सी कराह दबाई
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#20
अब उसकी bra की स्ट्रैप्स साफ़ दिख रही थीं।
Rohit ने उन्हें कसकर पकड़ लिया, और आँखों में पागलपन लिए हुए फुसफुसाया—

Rohit:
“अब ये रुकने वाला नहीं है…”

उसने एक झटके में कपड़ा नीचे खींच दिया।
Tara काँप गई… चेहरा शर्म से लाल था।

Rohit ने Tara का grey kurti पूरी तरह उतार दिया।
अब उसका orange salwar बाकी था।
Rohit नीचे झुका और उसके नाभि पर होंठ रखे।
Tara काँप गई, हाथ से उसका सिर रोकने लगी।

Tara (हकलाते हुए):
“Rohit… धीरे… प्लीज़… पहली बार है मेरा।”

लेकिन Rohit के चेहरे पर पागलपन साफ था।
उसने उसकी salwar की डोरी पकड़कर एक झटके में खोल दी।
Orange कपड़ा फर्श पर गिर पड़ा।
अब Tara सिर्फ अपनी cream-colored bra और matching panty में खड़ी थी।

Rohit ने bra की स्ट्रैप खींची और दाँतों से पकड़कर खींचते हुए उसे तोड़ दिया।
Tara ने ज़ोर से “आह्ह” कहा और दोनों हाथों से अपने सीने को ढक लिया।

Rohit (गरजकर):
“हटा हाथ रंडी… आज तेरे हर हिस्से को निचोड़ूँगा।”

उसने उसके हाथ हटाकर उसके boobs कसकर दबाए।
Tara की आँखों से पानी आ गया।


---

खिड़की के बाहर:
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