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Romance Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se
#1
Pehli Nazar: Jab Neeraj Mila Shipra Se"

Rohit की बहन की शादी, शाम का functions, हल्का संगीत, मेहमानों की भीड़
Characters:

Shipra (40) – Elegant, classy, graceful माँ

Neeraj (20) – Young, fresh college lad, पहली बार अपने दोस्त की फैमिली से मिल रहा है

शाम ढल रही थी, लाइट्स झिलमिला रही थीं।
Neeraj ने अपनी शेरवानी ठीक की, और हल्के नर्वस अंदाज़ में मंडप की तरफ बढ़ा।

तभी, एक महक आई… एक धीमी, पर ठहर जाने वाली खुशबू।

पीछे मुड़ा – और सामने थी Shipra।
गहरे रेड कलर की साड़ी, खुलते बाल, हल्का सिंदूर, और आँखों में अजीब सी गहराई।

Neeraj की सांस थम गई।
वो सोच बैठा –
"क्या ये कोई रिश्तेदार है? या दुल्हन की बड़ी बहन?"

पर तभी Rohit आया और बोला –
"ओ Neeraj! मिल Shipra Mom se!"

Neeraj हकला गया:
"Ma'am... aap… matlab… Rohit ki maa?"

Shipra मुस्कराईं, और एकदम पास आकर बोलीं –
"Aise देखोगे तो शादी से पहले ही किसी को दिल दे बैठोगे?"

Neeraj ने नजरें झुका लीं, पर दिल नहीं।
संगीत की रात में सब नाच रहे थे — लेकिन Neeraj की नज़रें Shipra पर ही थीं।
और Shipra? वो भी कभी-कभी देखतीं — लेकिन ऐसे जैसे कुछ छिपा रही हों।

फिर एक मौका आया –
Shipra अकेली स्टेज के पीछे बैठी थी, पंखा झल रही थी।

Neeraj गया और बोला –
"Pankha main jhaltha hoon... aap thak gayi होंगी"

Shipra ने उसकी तरफ देखा, और कहा –
"Tumhare हाथों की हवा... अजीब सुकून दे रही है Neeraj…"
thanksफूलों की बारिश में Shipra का पल्लू थोड़ा फिसला।
Neeraj ने झुककर उठाया और उनके कंधे पर रखा।
उसके उंगलियाँ जब Shipra की त्वचा को छूईं… एक झटका दोनों के भीतर गया।

Shipra ने धीरे से कहा –
"Tumhare छूने में सलीका भी है... और इरादा भी…"

Neeraj बस मुस्कराया — कह नहीं पाया, पर आँखें बोल चुकी थीं।

रात को Neeraj ने छत से नीचे देखा –
Shipra बालकनी में खड़ी थीं, चाँद की रौशनी में।
उनकी आँखें ऊपर देख रही थीं… जैसे Neeraj को बुला रही हों।

उसने सोचा –
"क्या ये इत्तेफाक था? या उनकी नज़रों में भी वही प्यास थी जो मेरी साँसों में थी?"

यही थी उनकी पहली मुलाकात...
न कोई छुअन पूरी हुई, न कोई बात खुलकर कही गई —
पर जो तेज़ी से धड़कते दिलों में हुआ, वो किसी सुहागरात से कम नहीं था।

Neeraj का मन – उलझन और खिंचाव

"ये मेरी दोस्त की माँ है..."
"लेकिन… इतनी हसीन… इतनी दिलकश… ये कोई आम माँ थोड़ी है…"

Neeraj मन ही मन सोचता गया:

> "उनकी चाल में एक ठहराव है… और आँखों में भूख।
ऐसा लगता है जैसे वो सब जानती हैं… और फिर भी चाहती हैं कि मैं पहल करूँ..."



Shipra जब भी किसी मेहमान को नमस्ते करतीं, Neeraj के सीने में एक हल्की जलन होती।

"काश ये हाथ सिर्फ मेरे सिर पर फिरता… माँ की तरह नहीं, औरत की तरह…"

?️ रात का functions, और एक नजर जो बदल गई सब

संगीत की रात थी।
Shipra एक कोने में बैठी थीं — दीया की रौशनी में, उनकी आँखें और भी चमक रही थीं।
Neeraj चुपचाप उन्हें देख रहा था — जैसे वो कोई painting हों, जो बस उसकी ही आंखों के लिए बनाई गई हो।

तभी उनकी नज़र मिली।

Shipra ने नज़रें हटाईं नहीं — बल्कि हल्की सी मुस्कान दी… और फिर पलकें झुका लीं।

Neeraj का दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
"क्या उन्हें भी महसूस हुआ?"
रात के functions के बाद हल्की बारिश शुरू हुई।
लोग भीतर चले गए।
Neeraj बालकनी में खड़ा था — तभी Shipra पास आईं, छतरी लिए।

"भीगोगे तो बीमार पड़ जाओगे…"
उन्होंने छतरी Neeraj पर तान दी।

Neeraj: "आप... खुद भीग रही हैं, aunty..."
Shipra: "मैं तो पहले ही भीग चुकी हूँ…"

इतना कहकर वो चली गईं।

पर Neeraj की सांसें वहीं अटक गईं —
अब उसे साफ़ महसूस हो गया था:

> ये कोई सामान्य रिश्ता नहीं…
Shipra उसकी माँ की उम्र की हो सकती थीं… पर उसकी रातों की सोच बनने लगी थीं।
शादी का दिन – हलचल, हँसी, रंग-बिरंगे कपड़े, संगीत...
लेकिन Neeraj की नज़रें बस एक ही चेहरा ढूँढ रही थीं – Shipra का।

वो लाल-गोल्ड साड़ी में आज और भी जानलेवा लग रही थीं।
कमर पर साड़ी की पल्लू को ठीक करतीं… और हर बार Neeraj की आँखें वहीं अटक जातीं।

Shipra फूलों की प्लेट लिए अंदर जा रही थीं।
Neeraj पीछे-पीछे गया।

Shipra (बिना मुड़े):
"इतनी बार पीछा करोगे… तो लोग देखेंगे, Neeraj…"

Neeraj थोड़ा घबरा गया।
"मैं… मैं बस help करने आया था…"

Shipra ने धीरे से मुड़कर उसकी आँखों में देखा –
"या अपनी नज़रों की प्यास बुझाने?"

Neeraj अब कुछ कह नहीं पाया।
Shipra ने उसकी टाई ठीक की –
"ये तुम पर बहुत अच्छा लग रहा है… अब नज़रें संभाल सको, तो देखना मुझे।"

हल्दी की रस्म में सबने हल्दी लगा रखी थी।
Neeraj भी पास खड़ा था।

Shipra ने हल्दी से भरा हाथ उठाया… और बिना किसी को दिखाए, उसकी हथेली पर रख दिया।

"अब इस स्पर्श को कहाँ लगाओगे, Neeraj?" – उन्होंने धीमे से कान में कहा।

Neeraj के अंदर की आग सुलग उठी।

Neeraj छत पर आया… और वहां Shipra पहले से खड़ी थीं, चाँद की रौशनी में।

Shipra: "शादी के बाद की रात… कुछ लोग दूल्हे-दुल्हन होते हैं… कुछ सिर्फ देख कर सो जाते हैं…"
Neeraj: "और कुछ… किसी की याद में जलते हैं।"

Shipra ने उसकी ओर देखा – अब न मुस्कान थी, न शर्म।

बस एक गहरी, भीगी नज़र…
"तुम अब सिर्फ Rohit का दोस्त नहीं लगते, Neeraj… तुम्हारी नज़रों में औरत को देखने वाला मर्द आ चुका है…"

नीचे मंडप सजा था।
फेरे चल रहे थे — पंडित मंत्र पढ़ रहा था, अग्नि के सात फेरे घूम रही थी बेटी…
और उसी वक्त, छत पर खड़ी थी माँ — Shipra, और उसके सामने Neeraj, उसकी बेटी की शादी में आया, उसका बेटा जितना जवान… मगर आँखों में खतरनाक मर्दानगी लिए।

"नीचे मेरी बेटी सात वचन ले रही है… और मैं ऊपर एक ऐसा जुर्म करने खड़ी हूँ… जिसका कोई नाम नहीं है…"

Neeraj:
"अगर ये जुर्म है… तो मैं हर जन्म में करना चाहूँगा…"

Shipra:
"तुम तो मेरे बेटे की उम्र के हो, Neeraj…"

Neeraj (धीरे से उसके करीब आते हुए):
"उम्र ने कब किसी चाहत को रोका है?"

और तभी…

?? उसने धीरे से Shipra की साड़ी का पल्लू पकड़ा।

साड़ी का पल्लू हवा में लहराया…
और Shipra की साँसें थम सी गईं।

Neeraj ने उसकी आँखों में देखा —
"आपकी ये साड़ी… ये बदन नहीं ढक रही, बस दुनिया को धोखा दे रही है।"

Shipra कुछ नहीं बोलीं।
सिर्फ खड़ी रही… और Neeraj ने धीरे-धीरे पल्लू सरकाना शुरू किया।

उसकी उंगलियाँ Shipra की खुली पीठ को छूने लगीं।
Shipra की आँखें बंद हो गईं… उसके होंठ काँपे।

"Neeraj… मत…"

"क्यों? आपको अच्छा नहीं लग रहा?"

"बहुत अच्छा लग रहा है…" – Shipra ने धीमे से कहा।

नीचे शादी का शोर था –
शंख, तालियाँ, हँसी...

और ऊपर — सिर्फ हौले हौले सिसकती साँसें,
बंद आँखें,
भीगती बाँहें,
और दो जिस्मों के बीच सुलगता फासला।

Shipra:
"तू सिर्फ Rohit का दोस्त नहीं रहा… तू अब मेरी अधूरी रातों की ज़रूरत बन चुका है…"

Neeraj:
"और आप मेरे लिए कोई 'Aunty' नहीं रहीं… अब आप सिर्फ औरत हैं — मेरी औरत।"

छत पर रात का अंधेरा, नीचे शादी की भीड़, और ऊपर सिर्फ़ दो जिस्म — प्यास से भरे हुए।


---

Shipra अब Neeraj के बेहद पास थी।
उसके होंठ काँप रहे थे… और साड़ी का पल्लू… Neeraj की उंगलियों में फँसा था।

धीरे-धीरे… Neeraj ने वो पल्लू उसकी कंधे से सरकाया।
Shipra ने आँखें बंद कर लीं — जैसे खुद को हवाओं के हवाले कर रही हो।


---

? Saree Utarne Ka Scene

Neeraj की उँगलियाँ उसकी साड़ी की पिन तक पहुँचीं…
धीरे से खोली…
और वो साड़ी… फूलों की पंखुड़ियों की तरह नीचे गिर गई।

अब Shipra के बदन पर बस एक ब्लाउज़ और पेटीकोट था…
और उसपर Neeraj की आँखों की भूख।

Neeraj:
"Aapka हर curve… जैसे खुदा ने मेरे लिए ही बनाया हो…"

उसने Shipra की कमर पर हाथ रखा…
हल्का सा दबाव… और Shipra की कमर झुकने लगी।

Neeraj ने पहली बार अपनी उंगलियों से Shipra की पीठ को छुआ —
ऊपर से नीचे तक…
उसकी रेखाओं को महसूस किया…
और फिर गर्दन के पीछे होठों से चूमा।

Shipra की कराह निकली —
"Neeraj… aur mat… ruk nahi paungi main…"

Neeraj:
"Toh phir rukna ही क्यों…?"

अब उसकी उँगलियाँ Shipra के ब्लाउज़ की गांठ तक पहुँचीं।
Shipra की साड़ी अब ज़मीन पर थी।
उसका गुलाबी साटन ब्लाउज़ खुल चुका था।

अब उसके जिस्म पर बचा था बस एक wine-red lace wala bra,
जिसका गला कुछ ज़्यादा ही खुला था…
नीचे match करती सेमी-शीर panty — जो उस कामुक शरीर को ढकती कम, उभारती ज़्यादा थी।

Neeraj की आँखों में हवस चमकी —
उसने Shipra के कंधे पर हाथ रखा…
और धीमे से बोला:

"Aapke अंदर जो औरत है… वो मेरी आँखों में कब से नाच रही है… अब उसे पकड़ना चाहता हूँ…
Shipra ने खुद उसके हाथों को अपनी पीठ पर ले जाया…
और कहा –
"अगर खोलना है… तो खुद खोल… लेकिन प्यार से…"

Neeraj की उंगलियाँ ब्रा की हुक तक गईं।
हुक खुला… और वो ब्रा धीरे-धीरे Shipra के जिस्म से फिसलती हुई ज़मीन पर गिर गई।

अब उसके सामने थीं —
चमकती, भारी, गर्म औरत की छाती – उम्र ने उन्हें और भी हसीन बना दिया था।

Neeraj ने कोई जल्दी नहीं की…
उसने उन्हें बस देखा…
और फिर धीरे-धीरे होंठ रख दिए…
हल्का चूमा… फिर दबाया… और फिर चूमा…
हर स्पर्श पर Shipra की साँसें तेज़ होती चली गईं।

रात का सन्नाटा,
छत पर दो जिस्म – बिना कपड़ों के।
नीचे शहनाइयाँ बज रही हैं,
पर ऊपर सिर्फ़ सिसकियाँ और कराहें।


---

? Foreplay – जब हर इंच चूमा गया

Shipra अब पूरी तरह Neeraj के सामने naked थी।
उसका बदन पसीने से चमक रहा था…
Neeraj ने उसे ज़मीन पर लिटाया।

वो उसके ऊपर नहीं गया —
नीचे झुका… उसके जाँघों के बीच अपना मुँह ले गया।

"Neeraj… तू kya kar raha hai…?"
Shipra ने कहा — काँपती आवाज़ में।

Neeraj:
"Woh… jo kisi ne kabhi नहीं किया tumhare साथ." ?


---उसने Shipra की गीली जगह पर अपने होंठ रखे —
धीरे-धीरे… ऊपर से नीचे… गोलाई में…

Shipra की चीखें दब रही थीं…
उसका बदन तड़प रहा था…

"Neeraj… bas kar… ab mujhme aaja… main tujhme जल रही हूँ…"


Neeraj अब खुद भी कपड़ों से आज़ाद था।
उसका बदन गरम, उसकी नज़रें भूखी।
उसने Shipra की कमर थामी…
उसके पैर अपने कंधों पर रखे…

और एक झटके में… खुद को उसके अंदर ढकेल दिया।

“Aaahhh… Neeraj!!!”
Shipra की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि वो खुद अपना मुँह दबा बैठी।

Neeraj का हर मूवमेंट deep था, intense था,
जैसे हर बार वो Shipra को तोड़ रहा हो…
पर वो टूटती नहीं —
हर बार और ज़्यादा खुलती जा रही थी।

उसके नाखून Neeraj की पीठ में गड़ चुके थे।

"Aur… andar… mujhme sab bhar de… main tujhme zinda feel karti hoon!"

Shipra ने Neeraj को उल्टा किया —
अब वो ऊपर थी —
उसकी छातियाँ Neeraj के सीने पर हिल रही थीं…

Shipra ने उसके सीने को चाटा… उसकी गर्दन को चूमा…
और नीचे अपनी कमर से तेज़ी से हिलने लगी।

“Neeraj… main nikalne wali hoon…”
उसकी कराहें अब orgasm की आखिरी सीढ़ी पर थीं।

Neeraj ने उसका हाथ पकड़ा, आँखों में देखा —
"Shipra… main bhi… bas ab…"

और एक आखिरी तेज़ धक्का —
Shipra चीखी —
"AAAHHHH… YESSSSSS NEERAJ… MERE ANDAR SAB BAHAAA DOOOOO…"

दोनो एक साथ climax पर पहुँचे…
Neeraj उसके अंदर गहराई तक उतर चुका था।
वो अंदर ही सब कुछ छोड़ चुका था।

Shipra ने अपने उभारों से Neeraj का मुँह ढँका।
उसने उसे अपनी जाँघों में सुलाया…
और बस धीमे से कहा:

"Kal meri बेटी की शादी थी…
Aaj मेरी अधूरी जवानी की suhagraat है…"

Neeraj और Shipra अब एक-दूसरे की बाँहों में थककर गिरे पड़े हैं।

Shipra की साँसें अभी भी तेज़ चल रही हैं…
उसके गाल लाल, होंठ सूजे हुए, और बाल बिखरे।

Neeraj उसके सीने पर सिर रखे लेटा है।
कुछ पल तक दोनों कुछ नहीं बोलते।

Shipra (धीरे से):
"Ab neeche jaana पड़ेगा… meri beti ke fere khatam ho chuke होंगे…"

Neeraj (कँपती मुस्कान से):
"Hum dono ki suhagraat ho chuki hai… aur wahan uski…"

Shipra हँसती है… लेकिन आँखों में आँसू हैं।

Shipra उठती है –
Neeraj उसके blouse की हुक लगाने में मदद करता है।
वो bra में हाथ डालते हुए मुस्कराती है:

"Ab yeh pehen ke maa ban jaaun phir se?"

Neeraj उसकी कमर पकड़कर खींचता है:

"Aap maa nahi… meri माशूका हो…"

Shipra फिर हल्के गाल पर थपकी देती है:

"Chup kar, ab ja… main 5 मिनट में नीचे आती हूँ…"


---नीचे ढोल बज रहे हैं, रिश्तेदार हँस रहे हैं, कैमरा फ्लैश कर रहा है।

और तभी… Shipra नीचे आती है — पूरे साज-सिंगार में।

साड़ी फिर से ठीक, बाल सँवरे हुए, माथे पर सिंदूर…

पर सिर्फ़ Neeraj जानता है कि इस औरत के शरीर की गर्मी अभी थमी नहीं।

वो सामने से आती है,
Neeraj की नज़र उसकी कमर पर जाती है —
जहाँ उसकी उंगलियों के निशान अभी भी faintly हैं।

Neeraj की नज़रें Shipra से मिलती हैं।

Shipra हँस रही होती है किसी मेहमान से,
पर आँखें Neeraj से कह रही होती हैं:

"Jo हुआ… वो एक बार का नहीं था…"


---Rohit (Neeraj को हल्के से धक्का मारते हुए):
"अबे कहाँ गायब था तू? Tab se dhoond raha हूँ!"

Neeraj (थोड़ा सँभलते हुए, आँखें चुराकर):
"वो… थोड़ी हवा लेने ऊपर चला गया था…"

Rohit (हँसते हुए):
"छत पे हवा? Ya kuch aur…"

Neeraj (नर्वस मुस्कान):
"Pagal hai kya… shaadi ho rahi है bhai…"

Rohit (Neeraj के कंधे पर हाथ रखकर):
"चल आ… मेरी बहन कितनी सुंदर लग रही है ना आज… एकदम परी जैसी लग रही है…"

Neeraj चुप रह जाता है…
क्योंकि अभी कुछ ही देर पहले वो उसी लड़की की माँ के साथ अपनी सारी हदें पार कर चुका था।

Neeraj के मन की आवाज़

"Tera dost तुझे अपनी बहन दिखा रहा है… और तू उसकी माँ को अभी-अभी अपनी बाँहों में लेकर… अंदर तक उतर चुका है…

ये कौन सा पाप है Neeraj… और अब इससे निकल कैसे पाएगा?"
Shipra मंडप के पास खड़ी होती है, मेहमानों के बीच।

वो Neeraj को Rohit के साथ हँसते हुए देखती है,
मगर उसकी नज़र में कुछ और ही होता है —
एक खामोश सवाल:
"Kya जो तूने किया… वो सिर्फ़ एक रात थी, या अब तू फिर से आएगा?"


To be continue......
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