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Adultery चूत की खिलाड़िन
#1
चूत की खिलाड़िन




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अगले दिन कुसुम मौसी मेरे घर 3-4दिन रहने आईं। मौसी मेरी अच्छी सहेली थीं, उनकी उम्र 40 साल के करीब थी। रात में मेरे साथ सोई, हम दोनों बातें करने लगे,

मेरे उनके बीच कोई पर्दा नहीं था। मैंने उन्हें बता दिया कि कैसे मेरी चूत और गांड इन्होंने अपनेमोटे लंड से पेल दी और यह भी बता दिया कि मेरी चूत आजकल पूरी गर्म भट्टी हो रही है। रात को 69में होकर हम दोनों ने एक दूसरे की चूत चूसी, इसके बाद उन्होंने एक मोटी मूली मेरी चूत में अंदर तक पेली तब रात में मुझे थोड़ी शांति मिली।मैंने मौसी को अपने पास ही रोक लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
[Image: 81528913_249_79a9.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
Excellent
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#4
घर में 3-4 दिन हंसी मजाक में निकल गए। चार दिन बाद चूत खुजलाने लगी, छठे दिन तो रात को ऐसा लगने लगा कि अभी कोई लौड़ा घुसा दे ! उंगली कर कर के थक गई लेकिन काम पिपासा शांत ही नहीं हो रही थी।

मैं रसोई में गई, एक पतला चिकना सा बैंगन निकाल कर लाई और उसे चूत में घुसाया तब थोड़ी सी शांति मिली। लेकिन लंड जैसा मज़ा नहीं आया।

अगले दिन कुसुम मौसी मेरे घर 3-4 दिन रहने आईं। मौसी मेरी अच्छी सहेली थीं, उनकी उम्र 40 साल के करीब थी। रात में मेरे साथ सोई, हम दोनों बातें करने लगे, मेरे उनके बीच कोई पर्दा नहीं था। मैंने उन्हें बता दिया कि कैसे मेरी चूत और गांड इन्होंने अपने मोटे लंड से पेल दी और यह भी बता दिया कि मेरी चूत आजकल पूरी गर्म भट्टी हो रही है। रात को 69 में होकर हम दोनों ने एक दूसरे की चूत चूसी, इसके बाद उन्होंने एक मोटी मूली मेरी चूत में अंदर तक पेली तब रात में मुझे थोड़ी शांति मिली।

मैंने मौसी को अपने पास ही रोक लिया। दो दिन बाद मेरी चचेरी बुआ का लड़का अतुल मुझसे मिलने आया।

मौसी बोली- आज रात मैं अतुल और तू साथ साथ सोएँगे, बड़ा मज़ा आएगा।

उन्होंने मेरे कान में भी कुछ फुसफुसाया रात को चूत का खेल खेलना था।

अतुल 22 साल का लड़का था, हम लोग आपस में खूब हंसी मजाक करते थे, आजकल वो दिल्ली में नौकरी कर रहा था। उसने मेरा हाथ दबाया और पूछा- सपना दीदी शादी करके कैसा लग रहा है?

मैंने हाथ दबाते हुए कहा- बड़ा मज़ा आ रहा है।

रात को खाने के बाद मौसी अतुल को मेरे कमरे में ले आईं। गयारह बज रहे थे, ऊपर छत पर सिर्फ एक कमरा था। अतुल जाने को हुआ तो मौसी बोलीं- यहीं सो जाओ, अब नीचे क्या जाओगे? कपड़े उतार लो, इससे क्या शर्माना, इसकी तो अब शादी हो गई है।

डबलबेड पर मौसी ने अतुल को बीच में सुला दिया। कमरे में अँधेरा था, अतुल पेंट पहने था, मैं अतुल से बात कर रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ रखा था। चूत भट्टी हो रही थी।

मैंने अतुल से कहा- गर्मी बहुत हो रही है, मैं साड़ी उतार देती हूँ !

मैंने अपनी साड़ी उतार दी अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज में थी। मैंने अतुल से कहा- बाहर तक आ जाओ, मुझे बाथरूम जाना है !

बाहर चांदनी रात थी, बाहर आकर मैंने नाली पर अपना पेटीकोट पूरा ऊपर तक उठाकर पेशाब किआ तो मेरी नंगी गांड पीछे से पूरी दिख रही थी, अतुल चोर नज़रों से मेरी गांड देख रहा था।

कमरे में आकर मैंने अपने ब्लाउज के 2 बटन खोल लिए और अतुल से धीरे से बोली- तुम भी अपनी पेंट-शर्ट उतार दो, आराम से लेटो !

अतुल ने अपनी पेंट शर्ट उतार दी, अब वो चड्डी बनियान में था।

एक दूसरे की तरफ मुँह करके हम दोनों लड़कियों की बातें कर रहे थे, मेरी चूत की चुलबुलाहट मुझे परेशान कर रही थी, साथ ही साथ मुझे यह भी लग रहा था कि अतुल का लंड भी झटके खा रहा है।

मैंने जब अतुल से पूछा कि उसने किसी की चूचियाँ दबाई हैं तो गर्मी से भरे अतुल ने अपना हाथ मेरे नंगे पेट पर रख दिया। मेरी चूत गीली हो रही थी, मैंने उसका हाथ उठाकर अपने ब्लाउज में घुसवा लिया, उसने मेरी चूचियाँ कस कर दबा ली और मुझसे चिपक गया। मैंने अपना ब्लाउज उतार दिया और चुचूक उसके मुँह में लगा दिए, अतुल के लंड पर मेरा एक हाथ चला गया, उसका लंड मेरे पति से छोटा और पतला था लेकिन इस समय मैं लंड की भूखी औरत थी। यह सब मौसी की सहमति से हो रहा था, मुझे कमरे में किसी का डर नहीं था।

मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, अब मैं पूरी नंगी थी, अतुल के कान में कहा- कपड़े उतार लो और और सेक्स के मज़े लो ! मौसी से मत डरो मौसी गोली खाकर सोती हैं, अब सुबह ही उठेंगी।

अतुल ने कपड़े उतार लिए, छः इंची अतुल का लंड मैंने हाथ से पकड़ अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया, अतुल ने एक धक्का धीरे से मेरी चूत पर मारा, मैंने नीचे होते हुए पूरा लंड चूत में घुसवा लिया और अतुल के कान में फुसफुसाई- अब चोदो ना !

अतुल ने चोदना शुरू किया लेकिन दो-तीन झटकों में ही वो झड़ गया, मैं समझ गई कि यह इसका पहला अनुभव है। अतुल को मैंने अपने नंगे बदन से 10 मिनट तक चिपकाए रखा। जवान लड़का था, लंड 10 मिनट बाद दुबारा तैयार था। इस बार चूत में अच्छी तरह से अंदर गया और मेरी चुदाई का खेल शुरू हो गया। चूत लंड से चुद कर ख़ुशी महसूस कर रही थी, अतुल धीरे धीरे चोद रहा था, उसे पता नहीं था कि मौसी के सहयोग से आज मेरी चूत में उसका लौड़ा घुस रहा था। अतुल का लौड़ा पतला 6 इंची लम्बा था लेकिन लंड से चुदने का मज़ा तो अलग ही होता है गाज़र मूली डालने में वो मज़ा कहाँ आता है।

अतुल भी मुझे पेल कर ख़ुशी का अनुभव कर रहा था। अतुल ने रात में दो बार मुझे चोदा इसके बाद हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

अगले दिन सुबह बड़ा अच्छा लग रहा था, चूत की कुलबुलाहट शांत हो गई थी। अतुल घर में दो दिन रुका, रात को मौसी के सहयोग से हम दोनों ने चुदाई के मस्त मज़े लिए। उसके जाने के बाद मौसी ने मेरी चुटकी काटी और बोलीं- मज़ा आ गया ना?

मैं बोली- मौसी, बड़ा मज़ा आया।

मौसी बोलीं- चूत की खिलाड़िन बन ! सारे सुख मिल जाएँगे।

इसके बाद माँ आ गईं, बोलीं- मुन्नी बीस की हो गई है, अच्छे लड़के को दहेज़ में 10-15 लाख देने पड़ेंगे, इतना पैसा कहाँ से आएगा, हमारे पास तो एक लाख भी देने के लिए नहीं हैं। तू कुछ अपने देवर से इसकी शादी का चक्कर चला !

मौसी मेरे कान में बोलीं- भाभी है, कुछ चूत का खेल खेल ! दोनों बहनें एक ही घर में रहेंगी तो अच्छा रहेगा, पूरी दौलत की मालकिन हो जाएगी।

मुझे मौसी का इशारा समझ में आ गया। कुछ दिन घर में रहने के बाद मैं ससुराल चली गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मेरा देवर विनोद 22 साल का शरीफ लड़का था, बैंक और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। वह एक शर्मीला युवक था।
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
है।

मेरी सास हर सोमवार को मेरे पति के साथ सुबह 2 घंटे के लिए मंदिर जाती थीं। 2-3 महीने बाद मैंने ध्यान दिया सोमवार में जब भी मैं नहाने जाती थी तो दो आँखें बाथरूम में लगे छेद से मेरी नंगी जवानी का लुत्फ़ लेती थीं। मैं बाथरूम में पूरी नंगी होकर नहाती थी। घर में मेरे देवर और ससुर ही मर्द थे तो मुझे लगा कि मेरा देवर ही मुझे नंगी नहाते देखता होगा। अगले सोमवार को मैंने तय किया आज देवर को अपना बदन पूरा नहाते हुए दिखाऊँगी।

इस सोमवार को भी दो आँखें बाथरूम के छेद में से झांक रही थीं। मैं पूरी नंगी पानी से भीग रही थी अपना मुँह मैंने दरवाज़े की तरफ घुमा लिया और सोचा देवर को थोड़ा मस्त करती हूँ। अपनी जांघें चौड़ी करके चूत दिखाती हुई चूचियाँ मलने लगी। मैंने 15 मिनट के स्नान में अपनी चूचियाँ हिलाईं और मल-मल कर उन पर साबुन लगाया, चूत को भी रगड़ा और मसला, अपनी तरफ से मैं इस तरह नहा रही थी कि देखने वाले को पूरा मज़ा मिले।

दो महीने तक हर सोमवार को मैंने अपने स्नान का मस्त मज़ा देखने वाले को दिया। मेरा मन कर रहा था कभी देवर घर में अकेला हो तो उससे मज़े किये जाएँ।

एक इतवार को वो दिन आ गया, मेरे ससुर दो दिन के लिए पटना किसी काम से गए थे, सास सुबह पति के साथ पास के गाँव शादी में चली गईं थीं दोनों शाम को ही लौट कर आते। अब घर में देवर और मैं अकेले थे।

सुबह के 7 बज़ रहे थे देवर बाहर से घूम कर आया, रोज़ की तरह मैंने उसके लिए चाय बनाई। जब चाय देने गई तो मैंने आँख मारते हुए अपना पल्लू नीचे गिरा दिया।

मेरे ब्लाउज के 4 बटन टूट रहे थे, अर्ध नग्न उभार दिखाते हुए मैंने उसके गालों पर चुटकी काटी और बोली- मेरे ब्लाउज के बटन ला दो ना ! देखो सारे बटन टूट गए हैं, एक और टूट गया तो संतरे बाहर गिर जाएँगे।

देवर झेंप गया और बटन लेने बाज़ार चला गया। बटन लेकर देवर पाँच मिनट में ही आ गया, मैं बोली- अभी बटन टांक लेती हूँ, पता नहीं बाद में समय मिले या नहीं !

मैंने पीठ उसकी तरफ करते हुए ब्लाउज उतार लिया ब्रा मैंने पहले ही नहीं पहन रखी थी। अब मेरी चूचियाँ झूल रही थीं। उस पर मैंने हल्के नीले रंग की साड़ी डाल रखी थी। साड़ी में से पूरे स्तन चमक रहे थे। देवर की तरफ मुड़ कर आँख मारी और बोली- घर में कोई नहीं है, यहीं बैठो ना ! बातें करते हैं।

अपनी चूचियाँ हिलाती हुई मैं बटन लगाने लगी, देवर एक टक मेरी चूचियाँ देख रहा था। देवर के लंड में हलचल हो रही थी लेकिन सीधा देवर कुछ कह नहीं पा रहा था।

देवर से मैंने पूछा- विनोद, तुमने कभी किसी लड़की को छेड़ा है या दोस्ती करी है?

विनोद बोला- मुझे लड़कियों से शर्म आती है।

“अरे शर्म क्यों आती है? लड़कियाँ तो खुद लड़कों से मस्ती करना चाहती हैं !” इस तरह मैं उतेजक बातें कर रही थी, विनोद झेंप रहा था।

आँख मारते हुए मैंने कहा- विनोद, तुम्हारा मन तो करता है लेकिन तुम शर्माते हो।

देवर का लौड़ा तना हुआ पैंट में मुझे दिख रहा था। आँख मारते हुए मैंने एक स्तन पूरा साड़ी में से बाहर निकाल लिया और पूछा- भाभी का संतरा सुंदर लगता है या नहीं?

जवाब सुने बिना आगे बढ़कर मैंने विनोद का मुँह अपनी खुली हुई चूची के निप्पल पर लगा लिया। देवर मस्त होकर दूधिया स्तन चूसने लगा।
पर तभी दरवाज़े पर खटखट हुई, काम वाली बाई चमेली आई थी। विनोद पूरा गर्म हो रहा था। मैंने उसे हटाकर उसके लंड को पैंट के ऊपर से दबाया और होंटों पर एक पप्पी लेते हुए बोली- मुझ जैसी मस्त भाभी कहीं नहीं मिलेगी ! आज दोपहर को साथ बैठते हैं और मस्ती करते हैं।

मैंने सोच लिया था आज देवर को औरतबाज़ी सिखा कर रहूँगी।

दो बजे तक मेरा काम निपट गया था, मैं देवर को अपने कमरे में ले गई और बोली- सुबह मज़ा आया?

देवर शर्माते हुए बोला- अच्छा लगा !

मैंने अपनी साड़ी उतार दी और आँख मारते हुए पूछा- दुधू पीना है?

देवर थोड़ा सा खुल गया था, झेंपते हुए बोला- हाँ पीना है।

मैंने देवर को अपनी गोद में लेटा लिया और उसके मुँह को बातें करते करते अपनी चूचियों से चिपकाया और बोली- थोड़ा भाभी के माल का मज़ा ले लिया करो ! तुम ही तो एक मेरे दोस्त हो यहाँ पर।

देवर से मस्ती का खेल आज से शुरू हो गया था। मैंने ब्लाउज ऊपर उठाकर अपनी एक चूची निकाल कर उसके मुँह में लगा दी और बोली- लो दूध पी लो, मज़ा आ जाएगा।

देवर चूची चूसते हुए अपने एक हाथ से मेरी दूसरी चूची ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलते हुए उसकी निप्पल नोचते हुए कहा- नंगी चूची दबाने का अलग ही मज़ा आता है। ब्लाउज खोल लो और आराम से मजे लो।

देवर ने ब्लाउज खोल दिया और एक अनाड़ी की तरह चूचियाँ मसलने लगा। मुझे एक नए खिलाड़ी की जवानी का आनन्द आ रहा था। मैंने एक कदम आगे बढ़ते हुए उसका लंड पजामे का नाड़ा खोलकर बाहर निकाल लिया।

आह ! क्या सुन्दर चिकना सात इंची लंड था।

अब मैं और देवर लेटे हुए थे, उसके लंड को सहलाने लगी, देवर का हाथ मैंने साड़ी के अंदर घुसा लिया और जैसे ही देवर ने मेरी चूत के मुँह को छुआ उसके लंड ने वीर्य की तेज पिचकारी छोड़ दी। यह इस बात का सबूत था कि यह देवर का पहला अनुभव है। वीर्य हम दोनों के ऊपर आकर गिरा। देवर शर्मिन्दा हो रहा था। मैंने उसे चिपकाते हुए कहा- शुरू में सबके साथ ऐसा होता है। आओ अब हम दोनों साथ साथ नहाते हैं।

देवर और मैं बाथरूम में आ गए। मैं पेटीकोट में थी देवर पजामा पहने हुए था मैंने दो तीन मग पानी अपने ऊपर डाले और दो तीन देवर के ऊपर और हंसी मज़ाक करते हुए विनोद का पजामा उतरवा दिया और लंड पर साबुन मलने लगी। लंड पूरा तन गया था, देवर मुझसे चिपक कर मेरी चूचियाँ मसलने लगा मैंने उसका हाथ अपने पेटीकोट के नाड़े पर रख दिया, दो सेकंड में ही मेरा पेटीकोट जमीन पर था।

मैंने देवर की उंगली पकड़ कर अपनी चूत में घुसा ली। अब मेरी चूत में देवर की उंगली घुसी हुई थी, एक दूसरे को पानी से नहलाते हुए हम चूत, लंड और चूचियों पर साबुन मल रहे थे, मज़े ले रहे थे !

देवर ने मुझसे चिपक कर अपना लंड मेरी गांड और चूत पे कई बार लगाया और अपना वीर्य दो बार मेरे चूतड़ों पर छोड़ दिया।

इसके बाद नहाना खत्म करके हम बाहर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए।

देवर से मस्ती का खेल आज से शुरू हो गया था। मैं देवर से अपनी बहन की शादी करवाना चाहती थी, मेरा चूत का खेल शुरू हो गया था। देवर अब जब भी मौका मिलता था, कभी मेरी चूची दबा देता था कभी मेरे चूतड़ मल देता था।

15 दिन बाद देवर और मैं फिर अकेले थे, अबकी साथ साथ हम नहाए तो मैंने उसके लोड़े पर साबुन लगाया और उसके टोप़े पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गर्म कर दिया। उसके बाद नहाते हुए देवर मुझे चोदने को उतावला हो रहा था मुझे घोड़ी बनाकर देवर बार बार लंड चूत में घुसाने का प्रयास कर रहा था, उसका मन मुझे चोदने का कर रहा था पर मैंने उसे हटाते हुए उसका लौड़ा मुँह में भर लिया और बोली- अभी चुसाई का मज़ा लो, चुदाई का कुछ बनने के बाद !

चूचियाँ दबवाते हुए मैंने लौड़ा चूस चूस कर देवर का पूरा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और उसे ढीला कर दिया।

मेरा देवर अब धीरे धीरे मेरा गुलाम होता जा रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
देवर से मस्ती का खेल आज से शुरू हो गया था। मैं देवर से अपनी बहन की शादी करवाना चाहती थी, मेरा चूत का खेल शुरू हो गया था। देवर अब जब भी मौका मिलता था, कभी मेरी चूची दबा देता था कभी मेरे चूतड़ मल देता था।

15 दिन बाद देवर और मैं फिर अकेले थे, अबकी साथ साथ हम नहाए तो मैंने उसके लौड़े पर साबुन लगाया और उसके टोप़े पर अपनी जीभ फिरा कर उसे गर्म कर दिया। उसके बाद नहाते हुए देवर मुझे चोदने को उतावला हो रहा था मुझे घोड़ी बनाकर देवर बार बार लंड चूत में घुसाने का प्रयास कर रहा था, उसका मन मुझे चोदने का कर रहा था पर मैंने उसे हटाते हुए उसका लौड़ा मुँह में भर लिया और बोली- अभी चुसाई का मज़ा लो, चुदाई का कुछ बनने के बाद !

चूचियाँ दबवाते हुए मैंने लौड़ा चूस चूस कर देवर का पूरा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और उसे ढीला कर दिया।

मेरा देवर अब धीरे धीरे मेरा गुलाम होता जा रहा था।

एक दिन देवर का बैंक में सलेक्शन हो गया, इंटरव्यू 15 दिन बाद दिल्ली में होना था। मुझे जब यह पता चला तो मौका देख कर मैंने उसकी पैंट में से लौड़ा निकाल कर जी भर कर चूसा और वीर्य मुँह में गटकते हुए बोली- अगर तुम सलेक्ट हो गए तो तुम्हारे लौड़े को अपनी चूत में डलवाऊँगी।

विनोद मुझसे बोला- भाभी, अगर दिल्ली में कोई रिश्तेदार हो तो 15 दिन इंटरव्यू की तैयारी कर आता !

मैंने कहा- तुम सामान बांधो, इंतजाम मैं करती हूँ।

अतुल की याद आई मुझे, मैंने उसे फोन करके कहा- मेरा देवर तुम्हारे साथ आकर रहेगा, उसका ख्याल रखना, अगली बार जब मिलोगे तो मस्त कर दूँगी।

अतुल बोला- दीदी, आपको तो मैं ना तो नहीं कह सकता।

देवर दिल्ली चला गया, सारा खर्च अतुल ने उठाया। वहाँ से अतुल ने फ़ोन पर मुझसे बात की, हमारे बीच कुछ गुप्त बातें हुईं।

20 दिन बाद विनोद लोट आया, उसने मुझे बताया- इंटरव्यू बहुत अच्छा हुआ।

मैंने अनजान बनते हुए कहा- इंटरव्यू वगैरा तो पैसे कमाने के लिए होते हैं। मेरी पहचान के एक रिश्तेदार हैं वो दो लाख में सलेक्शन करा देते हैं।

विनोद ने मेरी सास को यह बात बताई तो वो मुझसे चुपके से बोलीं- हम 2 लाख दे देंगे, तू बता दे कब देना है !

मैंने उनसे दो दिन बाद पैसे लिए और बोली- विनोद को मत बताना, वर्ना उसे दुःख होगा ! और वो आई ए एस और पी सी एस की तैयारी नहीं करेगा।

15-20 साल पहले रिजल्ट पेपर में दो हफ्ते बाद आता था। अतुल से मैंने दो हफ्ते पहले ही रिजल्ट पता कर लिया था विनोद सलेक्ट हो गया था, सास के पैसे मैंने अपनी माँ के पास रखवा दिए और सास से बोली- विनोद का सलेक्शन हो जाएगा लेकिन आप किसी को बताना नहीं, नहीं तो रिजल्ट केंसिल हो जाएगा।

मैंने एक हफ्ते को अपनी बहन को बुला लिया और विनोद से उसे चिपकाने लगी। दोनों में दोस्ती हो गई थी। थोड़ी बहुत चूचियों की मसलाई और चूमा चाटी भी हो गई थी।

एक हफ्ते बाद वो चली गई। दो दिन बाद विनोद चिल्लाता हुआ आया कि बैंक में उसका सलेक्शन हो गया है।

सब लोग बहुत खुश हुए सास ने छुपकर मुझे धन्यवाद भी दिया।

दो दिन बाद अकेले में मौका देखकर देवर मेरी गोद में आकर लेट गया और बोला- अब वादा पूरा करना है।

मैंने उसके लंड को सहलाते हुए कहा- औरत का असली सुख चूत मारने पर ही मिलता है। रविवार को सभी हाट में जाएँगे। तब तुम अपनी जानू भाभी की चूत मार सकते हो। अब तुम जवान हो गए हो, खाने की तरह तुम्हें चूत चोदने की भी भूख लगेगी, वादा करो कि बाहर की गन्दी औरतों को कभी नहीं चोदोगे, जब तक अकेले हो, जब भी मन करेगा मुझे बताओगे।

मैंने अपने दूध खोल कर देवर को पकड़ा दिए थे और मैं उसका लण्ड निकाल कर सहलाने लगी, देवर के कान में फुसफुसा कर बोली- मेरी बहन से शादी कर लो ! दो दो चूतों के मज़े जिन्दगी भर लोगे और भाभी की सहेलियों की भी चूत चोदने को मिलेगी।

देवर बोला- मैं तो तैयार हूँ लेकिन माँ और बाबूजी तैयार नहीं होंगे।

मैंने कहा- वो मुझ पर छोड़ो, तुम तो तैयार हो ना?

लौड़े की मस्ती और चूचियों की गर्मी ने उसे कमज़ोर बना दिया, उसने हाँ भर दी।

एक विकेट गिर गया था, अभी सास और ससुर के दो विकेट गिराने बाकी थे।

रविवार को सभी लोग ट्रेक्टर में सवार होकर शहर चले गए थे। देवर ने पढ़ाई का बहाना बना दिया। अब देवर और मैं घर पर अकेले थे। देवर ने मुझे आकर कोली में भर लिया और अपने से चिपकाते हुए बोला- भाभी आज तो बात पक्की है न?

मैंने आँख मारते हुए कहा- चूत तो औरत की मारी जाती है, भोंसड़ी के ! भाभी कहते हुए मारेगा, तो क्या मार पाएगा। मैं तो अब तेरी कुतिया हूँ, आज तो घर में भी कोई नहीं है, अब देर न कर ! जल्दी से चोद दे, तेरा चिकना लौड़ा एक महीने से सहला सहला कर तो मैं भी बहुत प्यासी हो रही हूँ। देर क्यों कर रहा है कुत्ते? जल्दी से नंगी कर और अपना लंड पेल। तेरी भाभी की कुतिया चूत तुम्हारे लंड को घुसवाने के लिए तुझसे ज्यादा पगला रही है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
जब चोदे तो भाभी-शाभी सब भूल के चोदियो, अब जल्दी लौड़ा निकाल और इस रसीली रांड को चोद।

देवर अपने कपड़े उतारने लगा, भरा हुआ बदन था, आगे बढ़कर उसकी निप्पल नोचते हुए मैं बोली- क्या गोरा बदन है ! जल्दी से मुझे भी कपड़ों से आजाद कर दे ! पूरी चूत पानी पानी हो रही है !

देवर ने आगे बढ़कर मेरी साड़ी उतार दी और ब्लाउज भी उतार कर मुझे निरावृत-वक्षा यानि टॉपलेस कर दिया और मेरे चूचों को मसलते हुए चूसने लगा।मेरा हाथ उसके कच्छे में घुस गया था, क्या कड़क लंड हो रहा था, हाथ से सहलाने पर और मोटा हो गया था, मैं काम अग्नि से जल रही थी।

देवर बोला- चलो भाभी, लेटते हैं।

मैंने देवर की चड्डी उतारते हुए कहा- भाभी गई भाड़ में ! मैं तो इस समय रंडी हूँ ! जो चाहे वो गाली बक कर चोद लेकिन दोबारा भाभी बोला तो मैं चली और तू अपने लंड की मुठ मार लेना।

देवर का लंड हिलाते हुए बोली- कितना सुंदर कुंवारा लंड है, तेरे लंड को देखकर तो अच्छी अच्छी सावित्रियाँ का मन डोल जाएगा। आह, पहले इसे चूसने दे, फिर जम कर अपनी भोंसड़ी में डलवाती हूँ !

देवर की चड्डी हटाकर मैंने दो मिनट तक उसका लंड चूसा, उसके बाद हम बिस्तर पर आ गए।

मैं बिस्तर पर जांघें फ़ैला कर लेट गई और देवर से बोली- चुचू के मुरब्बे चड्डी उतार ! सोच क्या रहा है?

देवर ने मेरी चड्डी उतार दी और चिकनी चूत पर हाथ फिराते हुए बोला- आह, कितनी मस्त चूत है।

देवर ने मेरी चूत पर लंड लगा दिया और चूचियाँ पकड़ कर मेरे ऊपर लेट गया और मेरी गेंदों को गोल गोल घुमाने लगा, दो तीन बार लंड को धक्का दिया, लंड अंदर घुस ही नहीं रहा था।

मैं बोली- साले, हरामी तेरे बाप और भाई तो गाँव की औरतों की चूत और गांड 19 साल की उम्र से चोदते आ रहे हैं और तूने अभी तक चूत में घुसना भी नहीं सीखा है? मादरचोद छेद पर लगाएगा तभी तो अंदर घुसेगा !

हाथ से उसका लंड पकड़ कर थोड़ा नीचे करके मैंने अपनी चूत के होंटों पर लगा दिया और बोली- अब धक्का मार !

देवर में ताकत तो थी ही, एक ही धक्के में लंड मेरी चूत में पूरा घुस गया, मैं उन्माद से चिल्ला उठी- आह… आह… आह… उह… मज़ा आ गया… आह… और चोद मेरे प्यारे विनोद कुत्ते… क्या ठोका है… फाड़ दे इस कुतिया की… मज़ा आ गया !

मैंने देवर का मुँह अपनी चूचियों पर लगा लिया, देवर धीरे धीरे मेरी चूत में धक्के मार रहा था। धीरे धक्कों से नए लंड से चुदने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।देवर की यह पहली चुदाई थी, उ… आह… उह… आह… की आवाज़ों से कमरा गूंज रहा था, हम दोनों चुदाई के मज़े ले रहे थे।

5 मिनट की चुदाई के बाद देवर झड़ गया तो मैंने उसे अपने स्तनों में चिपका लिया। देवर का लंड फिर सुलगने लगा था। देवर के बाल सहलाते हुए मैंने उसके कान में कहा- कुत्ते, तूने तो मेरी कुतिया चूत को मस्त कर दिया, चल तेरे लिए दूध लाती हूँ ! उसके बाद दुबारा खेलते हैं।

दूध पिलाने के बाद देवर को अपनी गोद में लिटाते हुए देवर के लंड की मालिश करने लगी, देवर से बोली- गाली सुनते हुए चुदने में मुझे बड़ा मज़ा आया, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा?

देवर मेरी चूचियों से चिपकता हुआ बोला- आज तो मुझे जीवन का सबसे बड़ा आनन्द आया है, एक बार और चोदने का मन कर रहा है। देवर का लंड फिर कड़क हो गया था, मैंने उसके होंटों को चूमते हुए कहा- 6 बजे के बाद रात ही सब आते हैं, तब तक एक बार नहीं जितनी बार तुम कहोगे उतनी बार अपनी चूत में तुम्हारा लंड लूँगी।

झूठा नाटक करते हुए मैं बोली- सच तुम्हारा लंड तो बहुत अच्छा है, कितनी देर तक मेरी चूत इसने चोदी है, मुझे तो इतना मज़ा कभी नहीं आया। तुम्हारे भैया तो एक मिनट से ज्यादा चोद ही नहीं पाते हैं। अबकी प्यार से रसीली बोलते हुए चोदना।

देवर को उठाते हुए बोली- अब इस रसीली को अपने लौड़े पर बिठाओ।

देवर दोनों जांघें फ़ैला दीं, लौड़ा पूरा ऊपर की ओर तना हुआ था, बिस्तर पर फिसलती हुई मैं देवर की गोद में इस तरह से बैठ गई कि देवर का लंड मेरी चूत के मुँह पर टन टन कर रहा था, चूचियों की घुन्डियाँ उसके हाथ में खेल रही थीं।

मैं देवर से बोली- मेरी चूत के राजा इस हरामी लंड को टन टन क्यों करा रहे हो, चूत में पेलो ना !

और अपने को थोड़ा उठाते हुए लंड चूत में डलवा लिया। लंड अब आराम से चूत में घुसा हुआ था और दोनों चूचियाँ दब रहीं थीं।

विनोद चूचियों का दबा दबा कर जूस निकाल रहा था, उसने मेरे ऊपर झुककर मेरे होंट चूसना शुरू कर दिए थे।

आह मस्त मज़ा आ रहा था !

इसके बाद बहुत देर तक इस आसन में बैठकर हम मज़े लेते रहे, लौड़ा चूत में डला हुआ था। अब मेरा मन कर रहा था कि मेरी चूत की पिलाई हो !

थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर पर आगे झुक गई और बोली- विनोद अब चोद दे ! चूत में तड़प ज्यादा हो रही है !

और मैं पलंग पर घोड़ी बन गई, मेरी पनीली चूत पर हाथ से पकड़ कर देवर ने लंड पीछे से छुला दिया और देर किये बिना चूत में लंड घुसा दिया।
आह ! एक कुशल खिलाड़ी की तरह विनोद मेरी चूत पेलने लगा।

“उह… उह… आह… पेल मेरे राजा, पेल ! आह ! और चोद ! चोद ! क्या चोदता है कुत्ते, मज़ा आ गया ! पेल और पेल ! वाःह वाह, क्या मस्त मज़ा दिया है, पूरी फाड़ डाली है, चोद और चोद ! बड़ा मज़ा आ रहा है !” वाह क्या चुदाई हुई थी।

देवर अब चोदू देवर में बदल गया था। चुदाई के बाद हम हट गए। शाम के 3 बज़ रहे थे उठकर मैंने साड़ी ब्लाउज पहन लिया, अब मैं एक शरीफ और शर्मीली दुल्हन लग रही थी। मैंने पास से एक कागज़ निकाला और बोली- अगर तुम्हें मज़ा आया है तो इस पर ‘आई लव यू’ लिख दो।देवर ने बिना देर किये ‘आई लव यू ! विनोद’ लिख दिया। यह मेरी बहन रजनी की फोटो का पीछे का हिस्सा था। देवर की पप्पी लेते हुए मन ही मन बोली- रजनी को तो मैं तुम्हारी बीवी बनाकर रहूँगी।

दो दिन बाद देवर की पोस्टिंग बैंक ऑफिसर के पद पर गाँव से दो घंटे की दूरी पर हो गई अब वो रोज़ बैंक आने जाने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
(13-05-2024, 01:50 AM)neerathemall Wrote: मेरा देवर विनोद 22 साल का शरीफ लड़का था, बैंक और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था। वह एक शर्मीला युवक था।

Angel
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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