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12-03-2023, 04:08 AM
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ब्लू मून क्लब (BMC)
अनुक्रमाणिका
यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
~ चंपा नाग
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12-03-2023, 04:15 AM
अध्याय १a
उस दिन शाम से लेकर देर रात तक काफी बारिश होती रही लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी| क्योंकि मैं एक बैंक के कॉल सेंटर में काम करती थी लेकिन सेल्स टारगेट नहीं बना कर पा रही थी, इसलिए आज करीब 10 दिन हो गए जो मेरी नौकरी छूट गई थी|
नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम डिजनी हॉटस्टार मैं कितने दिन तक देखूं?
अकेले-अकेले घर बैठे मुझे काफी गुस्सा आ रहा था, हमारे घर में पैसों की कमी नहीं है| मेरे पति मर्चेंट नेवी में काम करते हैं- साल या 6 महीने में सिर्फ 10-15 दिनों के लिए ही घर आते हैं इसलिए मैंने फैसला किया था कि मैं भी कोई नौकरी करूं|
काम मिला, तो वह भी एक विदेशी बैंक में और वह थी कॉल सेंटर की नौकरी... अब तो वह भी छूट गई है|
मैंने घड़ी देखी- सुबह के 5:45 बज रहे थे- अकेले-अकेले घर बैठे अच्छा नहीं लग रहा था|खुली खिड़की से ठंडी हवाओं के झोंके मानो मेरी अकेलेपन की आग को मानो बहुत ज़्यादा भड़का कर मेरा बदन झुलसा रहे थे; इसलिए मैंने फैसला किया कि बाहर थोड़ा घूम कर आऊं| नानी कहां करती थी, सूरज उगने से पहले या फिर सूरज डूबने के बाद लड़कियों को खुले बालों में बाहर नहीं निकलना चाहिए| इसकी जैसे तैसे मैंने अपने बालों में एक जुड़ा बनाया और फिर अपना नाईट सूट उतार कर सलवार कमीज पहनी और बाहर निकल पड़ी|
निकलते वक्त मैंने देखा कि बिल्डिंग का चौकीदार खर्राटे मार कर सो रहा था... बेचारा सोता है तो सोने दो|
मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी देर तक इधर-उधर ऐसे ही घूमती रही.. मेरे दिमाग में तरह-तरह की ख्याल आ रहे थे... लेकिन मेरा ध्यान तब जा कर टूटा जब मेरे पैरों से कोई चीज टकराई|
मैं एकदम से रुक गई और मैं नीचे झुक के देखा कि मेरे पैरों के पास एक ब्राउन रंग का लिफाफा पढ़ा हुआ था| मैं अपने आप को रोक नहीं पाई मैंने लिफाफा उठाया और उसके बाद उसे खोलकर देखा- और जो मैंने देखा उसे देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई... लिफाफा काफी मोटा और भारी था और उसके अंदर ₹2000 और ₹500 के नोट भरे हुए थे|
जब मैं कॉल सेंटर की नौकरी कर रही थी तब पैसे अच्छे मिलते थे.... मेरा बैंक बैलेंस भी अच्छा था--- लेकिन यह तो मुफ्त के पैसे हैं... मैंने एक बार इधर उधर देखा और फिर ज्यादा दिमागी कसरत किए बगैर पैकेट उठा लिया और मैंने उसे अपनी कमीज की जेब में डाल कर थोड़ा तेज कदमों से अपने फ्लैट की तरफ बढ़ने लगी|
घर जाकर मैंने सबसे पहले उस लिफाफे को कपड़ों की अलमारी खोलकर एकदम पीछे की तरफ छुपा दिया और उसके बाद एक लंबी सी राहत की सांस लेने के बाद अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ नाइटी पहनकर बिस्तर पर लेट गई---
*** टिंग टोंग टिंग टोंग टिंग टोंग ***
कॉलिंग बेल की आवाज सुनकर मेरी नींद खुली दूध वाला आया हुआ था... उसके बगल में मेरी कामवाली गोपा मौसी खड़ी हुई... और अखबार वाला लड़का भी सीढ़ियों से चढ़ता हुआ मुझे दिख गया|
गोपा मौसी ने कहा, "हम लोग करीब आधे घंटे से घंटी बजा रहे हैं... तुम इतना भी क्या सो रही है थी?"
मैंने कुछ नहीं कहा| मैंने दूध वाले दूध लिया और फिर अपने कमरे में चली गई...
गोपा मौसी को मालूम था की घर में क्या काम करना है, घर में झाड़ू लगाना पोछा लगाना उसके बाद बर्तन धोना... उसके बाद खाना बनाना...
थोड़ी ही देर में गोपा मौसी मेरे लिए चाय की प्याली लेकर आई और फिर मुझसे कहने लगी, " तुम रात भर सोई नहीं थी क्या? और दूध वाले के सामने ऐसे कैसे चली गई थी? तुमने तो अंदर कुछ नहीं पहन रखा था... तुम्हारी दुदुओं (स्तनों) की चूचियाँ नाइटी के नीचे से साफ-साफ उभर रही थी... और दूधवाला आंखें फाड़ फाड़ कर तुमको देख रहा था... मैं तुम्हारे घर काम करने आती हूं.. लेकिन तुम एक जवान लड़की हो, थोड़ा सा तो लिहाज किया करो… और वैसे भी जब तुम कॉल सेंटर में काम करती थी तब कभी कबार तो तुम बहुत ही टाइट टाइट गंजी (T-Shirt) और जींस पहन के जाया करती थी... मुझे तुम्हारी काफी फिक्र लगी रही थी... क्योंकि शायद तुम नहीं जानती कि यहां कितने लोगों की नजरें तुम पर है... जरा सोचो- जब तक दूधवाला तुम्हें सुबह देख नहीं लेता, मुझे ऐसा लगता है कि उसका रात का खाना हजम नहीं होता... और आज तो तुम उनके सामने ऐसे ही चली गई कि दूध वाले की बांछें ही खिल गई और अखबार वाला भी अपने सड़े हुए दांतो को ताड़ कर मुस्कुरा रहा था..."
क्रमशः
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अध्याय १b
हां यह सही बात है- गोपा मौसी, मेरी नौकरानी है लेकिन वह मेरे से उम्र में बड़ी है| इसलिए मैंने सर झुका कर और मुस्कुरा कर कहा "मौसी, मुझे माफ कर दो"
गोपा मौसी को भी शायद ऐसा लगा होगा उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया इसलिए उन्होंने कहा, " बुरा ना मानना... मेरी भी 4 बेटियां है... मुझे लगता है तुम भी मेरी बेटी जैसी हो... इसलिए मैंने ऐसा कुछ कह दिया... जब मैं तुम्हारी उम्र की थी तब तक तो मेरी तीसरी बेटी मेरे पेट में थी... आज अगरतुम्हारा भी कोई बच्चा कच्चा होता तो शायद बात ही कुछ और होती"
अब मुझे गुस्सा आ गया मैंने कहा, " इसी बात से मुझे काफी चिढ़ है गोपा मौसी, सभी बड़े बूढ़े लोग यही कहते हैं- लड़की है इसकी जल्दी से शादी करा दो वरना बिगड़ जाएगी... एक बार शादी हो गई है, तो लोग बाग यही चिंता करते रहते हैं कि बच्चा कब होगा? अरे भई मेरी अभी उम्र ही क्या है??"
मैंने गौर किया कि उनकी आंखें नम हो गई है... मैंने उनकी नजरों की भाषा पकड़ ली मुझे उस वक्त ऊपर से नीचे तक नाप रही थी|शायद मैंने अंदाजा लगा लिया क्या सोच रही है... मेरी उम्र सिर्फ 26 साल की है लेकिन लोग कहते हैं मैं 20 से 22 से ज्यादा की नहीं दिखती हूँ| मैं करीब 5 फुट 6 इंच लंबी हूँ, मेरी आंखों की पुतलियां किसी विदेशी की तरह भूरी भूरी हैं... मेरे बाल काले रेशमी घुंघराले और करीब-करीब कमर तक लंबे है... और लोग बाग़ यह भी कहते हैं कि मेरा फिगर भी अच्छा है... और मैं ३४ सी-सी की ब्रा पहनती हूँ...
जब मैं कॉल सेंटर में काम किया करती थी तब न जाने कितने लोगों ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं एंग्लो इंडियन हूं? क्या यहां मेरी कोई रिश्तेदार रहती है? कुछ लोगों का मानना था कि मेरी शक्ल एक बहुत ही मशहूर औरत से काफी मिलती-जुलती है अगर हम दोनों को साथ देख ले तो कोई भी यह सोचेगा कि हम लोग मां बेटी है|
गोपा मौसी ने कहा, "मैं किचन में जाती हूं… लेकिन मैं कभी कबार यह भी सोचती रहती हूँ कि तुम तो पाँक पाड़ा गाँव की लड़की हो; तो तुम थोड़ा बहुत लेचारी क्यों नहीं करती हो, कौन पूछेगा तुमसे?... यहां कौन देखने को जा रहा है? तुम इतनी सुंदर हो सारी जिंदगी तुम अपने गूद से पेशाब करती रहोगी क्या?"
अगर आप गांव की भाषा समझे हैं, तो आप जानते होंगे कि गूद का मतलब होता है लड़कियों का यौनांग….
वैसे गोपा मौसी ने जो कहा था वह सही है, मेरा मायका पाँक पाड़ा गांव है, और वहां अंग्रेजों के जमाने से एक सिलसिला चलता रहा है- जिसे कहते हैं, लेचारी- हमारे गांव और उसके आसपास के ईलाकों में ज्यादातर मर्द लोग काम के सिलसिले गाँव से दूर शहर में ही काम किया करते थे और वहीँ रहते थे और जैसे मेरे पति भी साल या छह महीने में एक आध बार घर आतें हैं ठीक वैसे ही उन लोगों का भी यह ही हाल था… इसकी बदौलत अच्छे- अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती थी...
इससे उनका अकेलापन भी दूर हो जाता था और फिर घर खर्च या फिर इधर- उधर की जरूरतों के लिए मुझे पैसे या फिर उनकी जरूरतें मैं पूरी हो जाती थी|
अंग्रेज तो देश को आजाद करके चले गए; लेकिन यह प्रथा आज भी प्रचलित है... और गौर करने वाली बात है भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
मुझे भी ऐसा लग रहा था कि शायद मैं बेवजह उनके ऊपर चिल्ला उठी इसलिए मैंने भी कहा," ठीक है मैं भी नहा कर आती हूं लेकिन आज मेरे बालों में कंघी आप कर देना"
मैंने देखा की गोपा मौसी की बांछें खिल गई, वह बोली "ठीक है लड़की... नहाने के बाद मैं तेरी बालों में कंघी भीकर दूंगी… और वैसे भी मुझे चैन नहीं है मैं भगवान से प्रार्थना करती हूं कि भगवान तुझे भी लेचारी का मौका दें... मुझे तो कभी कबार बड़ी फिक्र लगी रहती है- तू जवान है इतनी खूबसूरत है और सबसे बड़ी बात जब भगवान ने तेरे को एक गूद (यौनांग) दिया है- उससे तो सारी जिंदगी पेशाब ही करती रहेगी क्या??"
मैंने अलमारी की तरफ देखा जहां मैंने नोटों से भरा हुआ लिफाफा छुपा कर रखा था... टीवी चल रहा था, न्यूज़ चैनल पर पंडित जी फिलहाल आज के दिन का पंचांग पढ़ रहे थे... मिथुन राशि का राशिफल आने में अभी देर था| मैं सोफे पर बैठ कर अभी तक गोपा मौसी से बातें कर रही थी| सामने के सेंटर टेबल पर अखबार रखा हुआ था और उसके पहले ही पन्ने पर ब्लू मून क्लब का विज्ञापन छपा हुआ था... यह विज्ञापन करीब करीब एक चौथाई पन्ने का था का था... और उसी के अंदर ब्लू मून क्लब के ब्यूटी पार्लर... लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) का भी जिक्र था... और नीचे छोटे अक्षरों में लिखा हुआ था कि अगर आप विशेष तरह की सर्विस चाहते हैं तो कोड नंबर BMCMFFM इस नंबर पर व्हाट्सएप (WhatsApp) करें...
और फिर मैं गोपा मौसी से बोली, "इस बारे में हम लोग बाद में बात करेंगे; मौसी जी... आप काम कर लो"
क्रमशः
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अध्याय २
गोपा मौसी को अपना काम निपटाने में ज्यादा देर नहीं लगती| देखते ही देखते करीब 2 घंटे में ही घर के सारे काम निपटा लिए और अब तक तो खाना भी बन चुका था|
गोपा मौसी अपना काम खत्म करके चली गई थी और इतनी ही देर में उत्सुकता वश अलमारी से नोटों से भरे हुए लिफाफे को निकालकर उसके अंदर के नोटों को गिन रही थी..
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था- इसलिए मैंने पक्का करने के लिए चार चार बार शुरू से लेकर आखिर तक नोटों को गिना- टू लेक्स फिफ्टी सिक्स थाउजेंड यानी के दो लाख छप्पन हजार रुपये...
टीवी पर पंडित जी की भविष्यवाणी भी मेरे कानों में गूंज रही थी- "मिथुन राशि... अचानक धन लाभ के योग है... और जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आने के योग है... वगैरा-वगैरा आदि इत्यादि…"
मैंने डर के मारे नोटों को दोबारा लिफाफे में डाल कर फिर से अलमारी में छुपा दिया… और फिर मैंने ब्लू मून क्लब के विज्ञापन में दिए हुए नंबर पर कोड नंबर BMCMFFM भी व्हाट्सएप WhtasApp कर दिया था... और न जाने क्यों अंदर ही अंदर मेरा मन थोड़ा गूदगुदा रहा था... मैं सोच रही थी कि ब्लू मून क्लब की विशिष्ट और महंगी लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर में क्या-क्या 'विशेष' सेवाएं मिलने वाली हैं- बॉडी मसाज? हेयर स्पा? सुबह-सुबह तो कुछ मुफ्त के पैसे मिल ही गए थे- तो क्यों ना उसे मैं अपने ऊपर ही थोड़ा सा खर्च करूं?
इतने में मेरा मोबाइल फोन बज उठा|
"हेलो?" किसी महिला ने एक अनजान नंबर से मुझे फोन किया था|
"जी, हां?"
"मैं ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर से बोल रही हूं... हमें आपका व्हाट्सएप (WhatsApp) मैसेज मिला है क्या इस बारे में मैं आपसे दो मिनट बात कर सकती हूं?”
"जी हां, कहिए"
"आपने हमारी स्पेशल सर्विस के लिए व्हाट्सएप(WhatsApp) किया था| स्पेशल सर्विस में हम लोग बिल्कुल में फुल सर्विस (Full Service) देते हैं| फुल सर्विस का मतलब- फुल बॉडी मसाज, हेयर स्पा.. फुल रिलैक्सेशन और कंप्लीट सेटिस्फेक्शन... मतलब फुल पैकेज- लेकिन हमारे स्लॉट्स बहुत ही लिमिटेड है तो क्या मैं आपके लिए एक स्लॉट कंफर्म कर दूँ?"
मैंने पूछा. "फुल पैकेज से आपका क्या मतलब है?"
और मुझे लग गया था कि वह औरत अब फोन पर पूरी जानकारी देने में थोड़ा हिचकिचा रही थी "पूरे पैकेज में आप, बॉडी मसाज, हेयर स्पा, बॉडी स्पा... और उसमें सब कुछ शामिल है..."
"क्या? सब कुछ मतलब है आपका?"
इस बार फोन पर बात करने वाली महिला मनो थोड़ा चिढ़ गई थी - मुझे लगता है कि उसे मुझ जैसी लड़कियों को आज सुबह से फोन कर चुकी है लेकिन उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा है, "आपको फुल पैकेज में फिजिकल रिलेशन (शारीरिक संबंध) भी मिल रहा है..."
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा… लगता है भगवान ने गोपा मौसी की प्रार्थना सुन ली थी- मुझे लेचारी का मौका मिल रहा था और साथ ही गूद(यौनांग) मराने का मौका भी…
"फिजिकल रिलेशन यानी कि शारीरिक संबंध?... मतलब मेल टू फीमेल (पुरुष से महिला)...?"
"जब आप महिला है, तो आपको मेल (पुरुष) द्वारा पूरा पैकेज दिया जाएगा... क्या मैं आपके लिए स्लॉट बुक कर दूँ?"
मैं सोचने लगी- मैं एक विवाहित महिला हूँ ... मैं तो सिर्फ अपना बॉडी मसाज करवाना चाहती थी। मैंने सोचा था कि एक दक्षिण भारतीय महिला मुझे एक पारंपरिक आयुर्वेदिक मालिश देगी... लेकिन यह तो एक अलग कहानी है।
फोन पर उस महिला ने दोबारा कहा, "मिस, अगर आप फोन पर स्लॉट बुक करना चाहती हैं, तो मैं अभी कर सकती हूं... हम आपको देंगे पूरे पैकेज विशेष छूट के साथ..."
"लेकिन..."
"मिस, हमारे यहां आकर अपना मनपसंद प्रोफाइल चुन सकती है...”, फोन वाली महिला सुबह-सुबह ग्राहक को छोड़ना नहीं चाहती थी।
पता नहीं क्यों मैंने मन ही मन बात मान ली और मैंने घड़ी की ओर देखा, "फिर आप मेरे लिए एक स्लॉट बुक कर दीजिए ..." मैंने दोबारा अलमारी की तरफ भी देखा था मैंने नोटों से भरे हुए लिफाफे को छुपा कर रखा था और फिर मैंने कहा, "लेकिन मैं, नगद पैसे दूंगी- क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या फिर UPI का इस्तेमाल नहीं करूंगी"
"हाँ मिस! कोई बात नहीं| आपका नाम?"
मैंने कहा, "पियाली दास ... और आपका नाम?", मेरा असली नाम शीला चौधरी है लेकिन मैंने जान बूझकर उस महिला को एक काल्पनिक नाम बताया।
"जी मेरा नाम मुन्नी है, मैं रिसेप्शनिस्ट हूँ... तो पियाली मिस, आपका स्लॉट बुक हो गया है, कृपया समय पर हमारे पास आएँ। मैं बाकी डीटेल्स आपको व्हाट्सएप (WhatsApp) पर भेज दूंगी- आपका ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर में स्वागत है"
क्रमशः
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अध्याय ३a
गोपा मौसी बड़े प्यार से मेरे बालों में कंघी करके एक चोटी कसकर गई थी|
उनके जाने के बाद मैंने जल्दी-जल्दी अपने बाल खोले और मेरे बालों को सामने की ओर फ़्लिप किया और बड़े दांत वाली कंघी से अपने बालों को काढ़ा और जैसे तैसे मैंने एक पोनीटेल बनाई|
उसके बाद बाथरूम में जाकर जल्दी-जल्दी अपने बगलों पर लेडीज़ रेजर मारकर वहां के बालों को साफ किया और फिर अलमारी में से एक नई ब्रा और पेंटी का सेट निकाला और फिर अपनी लाल रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और लो कट जींस भी निकाली...
आखिरकार मैं ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर जाने वाली थी- वहां तो मैं सिर्फ एक चुटिया कसी हुई 'बहन जी' बनकर नहीं जा सकती थी- वहां जाने के लिए मुझे शहर की आम लड़कियों की तरह जाना था|
तैयार होने के बाद मैंने अलमारी में से नोटों के लिफाफे को निकाला और अंदाज से नोटों का एक गुच्छा उसमें से निकाल लिया और अपने पर्स में डाल लिया| हो ना हो मैंने कम से कम 30 या ₹40 हजार रुपए नोटों की गड्डी में से निकाल लिए थे|
मुझे बाहर निकलने की जल्दी थी क्योंकि मेरे अंदर एक अनजानी सी उकसाहट भड़क रही थी, लेकिन फिर भी मैंने पूरा कर चेक किया और देख लिया कि सारे खिड़की दरवाजे बंद है कि नहीं और बेवजह कोई बिजली का स्विच और तो ऑन नहीं रह गया| टेबल पर रखे खाने को मैंने एक एक करके फ्रिज में डाल दिया| और फिर बाहर निकलने से पहले मैंने आईने में अपनी शक्ल एक बार देखी और देख कर दंग रह गई|
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आईने में खुद को नहीं किसी और को देख रही हूं और मैंने गौर किया कि सुबह नहाते वक्त मैंने शैंपू किया था जिसकी वजह से मैं अपनी मांग में जो हल्का सा सिंदूर लगाती थी वह भी पूरी तरह धूल चुका था...
खैर कोई बात नहीं.. मैं तो ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर जाने वाली थी- और वहां एक बहन जी बनकर जाने की कोई जरूरत नहीं है|
अपनी बिल्डिंग से निकलकर जैसे ही मैं सड़क पार करके फुटपाथ पर खड़ी हुई; न जाने कहां से एक ऑटो वाला सीधे मेरे सामने अपना ऑटो ले आकर रुका| पिछली सीट पर एक परिवार पहले से ही बैठा हुआ था एक अधेड़ उम्र का आदमी, उसकी बीवी और एक लड़की जिसकी उम्र लगभग 14 या 15 साल की होगी|
मैं बेहिचक सामने ऑटो वाले की बगल में चिपक कर बैठ गई और बोली, "बिग सिटी मॉल..."
बिग सिटी मॉल- जहां ब्लू मून क्लब है और उसका लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर|
ऑटो वाला भी मेरी छुअन पाकर और मेरे परफ्यूम की खुशबू से बहुत ही खुश होकर एक बड़ी सी मुस्कान लेकर ऑटो लेकर चल पड़ा|
***
आज मौसम बहुत ही सुहाना था| आसमान पर बादल छाए हुए थे ठंडी ठंडी हवाएं चल रही थी| तेज बारिश आने का अंदाजा था लेकिन मैंने देखा कि फिर भी बाहर सड़क पर काफी लोग बाग और युवक युवतियां- जैसे किसी अनजानी खुशी के माहौल में डूब कर घूम रहे थे|
शहर की बीचोबीच बहुत ही रिहायशी इलाके में बना हुआ था बिग सिटी मॉल|
बिग सिटी मॉल किसी दूसरी तरफ एक बड़ी सी बहुमंजिला बिल्डिंग है- और उस बिल्डिंग के सबसे ऊपरी मंजिल पर एक बड़ा सा साइन बोर्ड लगा हुआ है- जिसमें लिखा हुआ है- ब्लू मून क्लब|
उसी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर एक लग्जरी (luxary) रेस्तरां है- जिसका नाम है, रंग दे बसंती ढाबा (जो कि किसी पांच सितारा होटल के रेस्तरां से कम नहीं है... उसके ऊपर वाले फ्लोर पर ब्लू मून क्लब का लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर है|
मेरा दिल बड़े जोर जोर से धड़क रहा था, लेकिन अब जब ओखली में सर दे ही दिया है तो मूसल का क्या डर?
रंग दे बसंती ढाबा के बगल से लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है| मैंने जैसे ही अंदर कदम रखा तो चौकीदार ने उठकर मेरे को सलाम किया मैंने गौर किया कि वह मुझे बड़ी अजीब निगाहों से देख रहा था, ऐसा लग रहा था शायद उसने मुझे पहले भी कहीं देखा है और अब को याद करने की कोशिश कर रहा है कि कहां?
और फिर जब मैं लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर के अंदर गई तब रिसेप्शन में बैठी हुई लड़की मुझे देख कर मानो हक्की बक्की से रह गई और वह सीधे खड़ी होकर मुझसे बोली, "गुड मॉर्निंग, मिस"
मैंने गौर किया उसके स्वर में एक अजीब तरह का आश्चर्य भरा हुआ था|
क्या मैं बहुत ही ज्यादा नर्वस हो रही थी? क्या मेरे चेहरे के हाव भाव अजीब से लग रहे थे? या फिर मेरे कपड़े या बाल बिगड़े हुए थे? पता नहीं...
मैंने उस लड़की से कहा, "जी मुझे मिस मुन्नी से मिलना है- मेरी आप सुबह मुझसे फोन पर बात हुई थी, मेरा नाम- शीला... मेरा मतलब है कि पीयाली दास है मेरी यहां बुकिंग है"
"जी हां जी हां मैं ही मुन्नी हूं...” न जाने क्यों लड़की मुझे देख कर थोड़ा घबरा सी गई थी और हकला भी रही थी| उसने जल्दी-जल्दी अपने सामने रखे कंप्यूटर के कीबोर्ड पर अपनी उंगलिया चलाई और बोली, "अब ठीक समय पर आई है आप प्लीज मुझे अपना कोई आईडी कार्ड (ID Card) दीजिए और आप सोफे पर थोड़ी देर बैठिए मैं थोड़ी देर में आपको खबर करती हूं..."
मैंने अपने पर्स में से अपना स्कूटी का टू व्हीलर ड्राइवर लाइसेंस निकाल कर उसके हाथ में थमा दिया और फिर सोफे में जाकर बैठ गई|
आज सुबह से बड़ी अजीब सी घटनाएं मेरे साथ घट रही है- इसलिए आईडी कार्ड देते वक्त मुझे यह ध्यान नहीं रहा कि उस पर मेरा असली नाम शीला चौधरी ही छपा हुआ है|
मैंने रिसेप्शन के सामने सोफे पर बैठ कर एक गहरी सांस ली ही थी- कि तभी मेरा माथा टनका- आईडी कार्ड पर तो मेरा नाम- शीला चौधरी है और यहां बुकिंग है पीयाली दास के नाम से... मर गए! अब क्या होगा?
मैंने अपनी नजरों को उठा कर रिसेप्शन पर कंप्यूटर के कीबोर्ड पर उंगलियां चलाती हुई मुन्नी की तरफ देखा और मैं समझ गई कि उसने देख लिया है की आईडी कार्ड पर और बुकिंग पर नाम अलग-अलग है|
उसने मेरी तरफ एक बार नजरों को उठाकर देखा और फिर मेरा ड्राइवर लाइसेंस लेकर रिसेप्शन के बगल में एक दरवाजे से होकर कहीं अंदर चली गई|
क्या वह लड़की सिक्योरिटी को बुलाने गई है? या फिर सिक्युरिटी को? मैं क्या करूं... यहां से उठकर भागूँ? लेकिन भागने से तो कोई फायदा नहीं होगा- क्योंकि मेरा ड्राइवर्स लाइसेंस इन लोगों के पास है... अगर इन्होंने सिक्युरिटी को खबर की, तो सिक्युरिटी सीधे मेरे घर पहुंच जाएगी...
हे भगवान अब क्या होगा? खैर देखते हैं-
क्रमशः
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अध्याय ३b
इतने में मेरी नजर रिसेप्शन पर पहले से बैठे हुए एक अधेड़ उम्र के आदमी पर पड़ी| उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह काफी पैसे वाला है और शायद वह यहां यौन सेवा यानी सर्विस लेने के लिए आया है| उसके हाथ में एक एल्बम था जिसमें कई सारी लड़कियों की तस्वीरें भरी हुई थी|
मुझे याद आया रिसेप्शनिस्ट मुन्नी ने मुझे फोन पर कहा था कि मैं सर्विस के लिए अपना प्रोफाइल चुन सकती हूं; वह आदमी भी शायद यही कर रहा था- अपने लिए प्रोफाइल चुन रहा था|
लेकिन उस वक्त उसकी निगाहें मुझ पर ही टिकी हुई थी और वह मुझे ऊपर से नीचे तक नाप रहा था- शायद वह सोच रहा होगा क्या मैं सर्विस लेने आई हूं या फिर देने? और शायद इसीलिए अनजाने में ही उसका दूसरा हाथ उसके दो टांगों के बीच के हिस्से कोसहला रहा था| मुझे यकीन हो गया कि अगर उससे किसी ने यह बताया होता कि मैं यहां सर्विस देती हूं- मैं यहां की कर्मचारी हूं, तोशायद वह सर्विस के लिए मुझे ही पसंद करता|
शायद इसीलिए मेरे पति और गोपा मौसी मेरा जींस और टीशर्ट पहनना पसंद नहीं करते| क्योंकि उनका मानना है कि जींस और टीशर्ट पहनने से मैं काफी अवांछित ध्यान आकर्षित करती हूं|
क्योंकि इस पहनावे में मेरा फिगर अच्छी तरह उभर कर आता है और मैं और भी सुंदर और मैं यौन रूप से बहुत आकर्षक दिखती हूं...
मुन्नी को रिसेप्शन से उठकर अंदर कमरे में जाने के शायद चंद ही मिनट गुजरे होंगे लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि न जाने क्यों काफी देर हो गई- पता नहीं सुबह- सुबह मेरे दिमाग में क्या भूत सवार हुआ था कि मैं गोपा मौसी की बातों में आ गई और मैंने सोचा कि जब मैं पाँक पाड़ा की लड़की हूं तो लेचारी करना- यानी कि पति के रहते हुए भी दूसरे मर्दों के साथ संबंध बनाना मेरा हक बनता है- तभी तो मैं यहां तक चली आई--- अब ना जाने कौन सी मुसीबत मेरे सर आने वाली है....
कि इतने में रिसेप्शन के बगल वाला दरवाजा खुला और उसमें से रिसेप्शनिस्ट मुन्नी मुस्कुराती हुई अंदर दाखिल हुई| रिसेप्शन की कुर्सी पर बैठकर उसने उस अधेड़ उम्र के आदमी से कहा, "सर? क्या आपने प्रोफाइल का चुनाव कर लिया है?"
उस आदमी ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया, "जी हां" फिर उसने मेरी तरफ एक बार देखा और फिर हाथ में वह वाला एल्बम लिए हुए रिसेप्शनिस्ट मुन्नी की तरफ गया और एल्बम खोलकर उसने एक तस्वीर पर अपनी उंगली रखी और फिर दोबारा उसने मेरी तरफ देखा|
अब तब तो मैं समझ गई थी कि अगर उस एल्बम में मेरी तस्वीर लगी हुई होती तो शायद वह मेरा ही चुनाव करता|
मुन्नी ने उस आदमी से कहा, "गुड चॉइस सर" यह कहकर उसने अपने टेबल पर लगे हुए एक स्विच को दबाया, और एक गुलाबी सलवार कमीज पहनी परिचारिका सी दिखने वाली औरत रिसेप्शन में आई|
मुन्नी ने दोबारा उस आदमी से कहा, "सर आप इनके साथ जाइए, यह आपको अपने कमरे तक ले जाएंगे- हैव ए नाइस टाइम, सर (एक अच्छा समय गुज़रिये, सर)"
उसके बाद मुन्नी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर बोलिए, "मिस, आपको मैडम ने अंदर बुलाया है---"
मैंने मन ही मन सोचा, मर गए! मैडम ने अंदर बुलाया है? मतलब मैं फंस गई, लेकिन अब कोई चारा भी तो नहीं है- मैडम ने बुलायाहै तो अंदर जाना ही पड़ेगा|
रिसेप्शन में AC चल रहा था, लेकिन घबराहट के मारे मैं पसीना पसीना हो रही थी... पर मुझे क्या मालूम था कि मेरे लिए इससे भी बड़ा आश्चर्य इंतजार कर रहा था|
मैं जब रिसेप्शन के बगल वाले दरवाजे से अंदर एक ऑफिस रूम जैसे कमरे में दाखिल हुई तो मैंने देखा कि बड़े से टेबल के पीछे एक शानदार सी कुर्सी पर बैठी हुई है एक अति सुंदर 45 या 50 साल की औरत बैठी हुई है और जैसे ही उसने नजर उठाकर मेरी तरफ देखा... बाहर बड़े जोर से बदल गरजे पर मानो बिजली मेरे ऊपर गिरी...
क्रमशः
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अध्याय ४
यह ऑफिस रूम जहां में खड़ी थी वह काफी बड़ा कमरा था| कमरे में घुसते ही एकदम आखरी छोर पर एक बड़ा सा टेबल था जिसके पीछे एक बहुत ही महंगी लेदर की कुर्सी थी| कमरे की बांई तरफ दीवार पर एक बड़ा सा शोकेस था जहां सजावट की काफी सारी वस्तुएं रखी हुई थी और वह दिखने में बहुत ही महंगी लग रही थी|
उस कमरे की दाहिनी तरफ की दीवार पर एक बड़ा सा फ्लैट स्क्रीन टीवी लगा हुआ था| जिससे पूरी बिल्डिंग की सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी जा सकती थी|
मुन्नी मुझे कमरे में छोड़कर बड़े ही अदब के साथ सर नीचे करके ऑफिस रूम का दरवाजा बंद करती हुई कमरे से बाहर चली गई|
मेरे सामने बैठी थी एक एंग्लो इंडियन अधेड़ उम्र की औरत- उन्होंने एक बहुत ही महंगे गहरे नीले रंग की रेशमी साड़ी पहन राखी थी, जिसमें एक मोटा चौड़ा बार्डर था और उसमें बहुत ही बारीकी का ज़री डिज़ाइन सजा हुआ था और एक मैचिंग ब्लाउज जिसमें पतली - पतली कंधे की पट्टियाँ थीं जो कि आकर्षक रूप से उनके कंधों, उसकी बाहों को और निश्चित रूप से उनके स्तनों के विभाजन (क्लीवेज) के अधिकांश हिस्से को यौन आकर्षक तरीके से दर्शा रहा था। उसने अपने बालों को अपने सिर के पीछे बड़े करीने से एक जूड़े में बांध रखा था।
उन्होंने भी चंद लम्हों तक हैरानी से मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर वह खुद ही मुस्कुरा कर अपनी कुर्सी से उठ कर मेरे पास आकर आ कर उसने मेरी तरफ हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाया और फिर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान के साथ उसने उससे कहा, " हेलो माय नेम इज मैरी डिसूजा... आई एम द प्रेसिडेंट एंड सीईओ ऑफ़ ब्लू मून क्लब (हैलो मेरा नाम मैरी डिसूजा है मैं ब्लू मून क्लब की प्रेसिडेंट और सीईओ हूं)"
मैंने भी डरते डरते अपना हाथ उनकी तरफ बढ़ाया और हाथ मिलाती हुई मैं बोली, "जी मेरा नाम शीला चौधरी है... मेरा मतलब... पीयाली दास... मतलब... मैं... जी... वह..."
एक तो पहले से ही मुझे इस बात का डर लगा हुआ था कि एक तो मैंने अपना नाम गलत बताया था न जाने अब क्या होने वाला था और मैरी डिसूजा को देखने के बाद मुझे जो झटका लगा था उस समय अभी तक उबर नहीं पाई थी|
"हा हा हा हा हा”, मैरी डिसूजा ठहाका मारकर हंस पड़ी, "क्या तुम इस बात से घबरा रही हो कि तुमने अपना नाम गलत बताया था? मैं समझ सकती हूं| ब्लू मून क्लब एक सेक्सुअली ओरिएंटेड एंटरटेनमेंट (यौन उन्मुख मनोरंजन क्लब) क्लब है... यहां आने वाले लोग अक्सर अपनी पहचान छुपाते हैं| यह बहुत ही आम बात है- लेकिन नियम और रिकॉर्ड के लिए हम उनका असली नाम और पता अपने पास हमेशा रखते हैं... यहां के सदस्य पुरुष और महिला दोनों है| हमारे इस क्लब का एक ही उद्देश्य है- हम एक दूसरे को आपस में मिलवा देते हैं ताकि उनका मेलजोल बढ़े और उनका मनोरंजन भी हो... और हां तुमने बिल्कुल सही सोचा, इन सब में कामुकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैसे मैं तो सही मानो तो तुमको देखकर मैं भी बहुत ही हैरान हो गई थी… आओ मेरे साथ..."
यह कहकर मैरी डिसूजा मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे सीसीटीवी कैमरे वाले टीवी के बगल में लगे हुए एक बड़े से आईने के सामने ली गई और फिर बोली, "बहुत दिनों से मेरे जान पहचान वाले कुछ लोग मुझसे पूछा करते थे कि क्या कोई मेरी बेटी भी शहर में रहती है या नहीं... इनमें से कुछ लड़कियां तो यहां कॉल सेंटर में भी काम करती हैं... हो सकता है तुम भी उसी कॉल सेंटर में काम करती होगी... उनकी बातें सुनकर पहले तो मुझे यकीन नहीं आया लेकिन आज तुमको आमने सामने देखकर मैं भी हैरान रह गई... वैसे तो हम दोनों के बीच कोई खून का रिश्ता नहीं है, लेकिन तुम इसे कुदरत का करिश्मा ही मान लो कि तुम्हारी और और मेरी शक्ल काफी हद तक मिलती-जुलती है... यहां तक की हमारी आंखों की पुतलियों का रंग भी भूरा-भूरा है अगर कोई अनजान आदमी हम दोनों को साथ साथ देख लेगा तो शायद यही सोचेगा कि हम लोग मां बेटी हैं"
तब मैंने भी नजरें उठाकर आईने की तरफ देखा- हां, मैरी डिसूजा का कहना बिल्कुल सही था|
यह कुदरत का करिश्मा और एक अदभुत संयोग ही था जो हम दोनों की शक्लें इतनी मिलती-जुलती है- हालांकि परिवार वालों का यह कहना है कि मैं अपने बाप पर गई हूं... और मेरी अपनी मां से मेरी शक्ल बिल्कुल भी नहीं मिलती... लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि मेरी और मैरी डिसूजा की शक्ल में इतनी समानताएं हैं|
और इस बार में कोई दो राय नहीं कि अगर कोई अनजान आदमी हम दोनों को साथ साथ देख लेगा तो शायद यही सोचेगा कि हम लोग मां बेटी हैं|
अब मुझे समझ में आया जब मैं कॉल सेंटर में काम किया करती थी तब लोग बाग क्यों यह पूछा करते थे कि क्या मैं एंग्लो इंडियन हूं? क्या यहां मेरी कोई रिश्तेदार रहती है? कुछ लोगों का मानना था कि मेरी शक्ल एक बहुत ही मशहूर औरत से काफी मिलती-जुलती है…
मैरी डिसूजा ने कहा, “तुम्हारे अंदर अभी तक घबराहट भरी हुई है- मैं जानती हूं कि तुमने अपनी जिंदगी में पहली बार ऐसा कदम उठाया है”
इतने में एक परिचारिका एक ट्रे में बड़े-बड़े कांच के गिलास में भरी हुई शरबत लेकर ऑफिस रूम में दाखिल हुई|
मैं और मैरी डिसूजा उनके ऑफिस में लगे सोफे पर बैठकर शरबत की चुस्कियां लेने लगी और थोड़ी इधर-उधर की बातें करने लगे|
बातों बातों में मैंने उन्हें यह बता दिया कि मेरा मायका पाँक पाड़ा गांव में है और यह सुनकर मैरी डिसूजा बहुत खुश हूं जैसा कि मैंने कहा था वहां लेचारी प्रथा (मनोरंजन और फायदे के लिए पराए मर्दों के साथ संबंध बनाना) एक फैशन है|
अभी मैंने आधा गिलास शरबत पिया ही था, कि मुझे बहुत ही हल्का हल्का महसूस होने लगा|
ऐसा लग रहा था कि मानो मेरी सारी घबराहट और तनाव जैसे दूर हो गए है... अचानक मुझे एक अजीब तरह खुशी महसूस होने लगी और मैं धीरे-धीरे मुस्कुराने और हंसने लगी... शायद उस शरबत में कुछ ऐसा था जिससे मुझे हल्का हल्का नशा सा होने लगा था|
और सबसे बड़ी बात मेरी और मैरी डिसूजा के बीच करीब 15 या 20 मिनट तक की ही बातचीत हुई होगी लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं उनको बरसों से जानती हूं; इसलिए मैं उसे काफी घुलमिल गई थी|
ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा एक बहुत ही तजुर्बेदार औरत थी| वह बातें तो मुझसे कर रही थी लेकिन साथ ही वह मेरी हालत का जायजा भी ले रही थी और शायद मन ही मन उन्होंने भाँप लिया कि अब मैं अपना अगला कदम लेने के लिए तैयार हूं, इसलिए उन्होंने मुझसे कहा, "तुमने यहां अपना नाम पीयाली दास बताया था- आज के बाद मैं तुम्हें इसी नाम से पुकारऊंगी... तुम यहां सर्विस के लिए आई हो और हमारे उसूलों के मुताबिक तुम्हें यहां अपना प्रोफाइल चुनने की आजादी है- लेकिन मैंने तुम्हारे लिए प्रोफाइल चुन लिया है और वह शायद अब तक आ चुका होगा इसलिए तुम मेरे साथ लॉकर रूम में चलो मैं तुमको वहां सर्विस के लिए तैयार कर दूंगी”
मैंने दो-तीन और बड़े-बड़े घूंट लिए और बाकी का शरबत पूरा का पूरा पी गई|
क्रमशः
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Hamesha ki tarah kahani bahut acchi lag Rahi hai.
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(12-03-2023, 09:28 AM)Curiousbull Wrote: Hamesha ki tarah kahani bahut acchi lag Rahi hai.
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
आशा है आपको इस कहानी के बाकी के अध्याय भी अच्छे लगेंगे
कृपया कहानी के साथ बनी रहिए और कहानी के ऊपर दिए गए Poll पर अपना वोट जरूर डालिए| मुझे आपके महत्वपूर्ण मंतव्य का इंतजार रहेगा|
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Bahot he achi start,writing skills behat alag andaz ka hai,ek request hai ki next update kab ayega har episode me bata dijiyega,aur post continuous hona chaiye
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(12-03-2023, 09:59 AM)Pvzro Wrote: Bahot he achi start,writing skills behat alag andaz ka hai,ek request hai ki next update kab ayega har episode me bata dijiyega,aur post continuous hona chaiye
आदरणीय Pvzro जी,
आपको मेरी कहानी और उसकी लेखन शैली अच्छी लगी इसका बहुत-बहुत धन्यवाद|
कृपया कहानी के साथ बने रहिएगा, और मैं वादा करती हूं किस कहानी की अपडेट हर एक-दो दिन में नियमित रूप से देती रहूंगी|
आप लोगों के मूल्यवान मंतव्य और सुझावों का मुझे इंतजार रहेगा|
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(12-03-2023, 09:28 AM)Curiousbull Wrote: Hamesha ki tarah kahani bahut acchi lag Rahi hai.
आदरणीय Curiousbull जी,
एक पुराने पाठक मित्र का प्रोत्साहन पाकर मुझे बहुत अच्छा लगा|
उम्मीद करती हूं की पहले की तरह यह वाली कहानी भी आपको बहुत अच्छी लगेगी|
कृपया कहानी के साथ बने रहिए और अपने मूल्यवान मंतव्य देते रहिए|
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अध्याय ५
ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा के ऑफिस रूम में दो दरवाजे थे एक बाहर रिसेप्शन की तरफ खुलता था और दूसरा दरवाजा अंदर कहीं जाता था|
मैरी डिसूजा ने बड़े प्यार से मेरी कमर पर अपनी बाहें डालकर मुझे दूसरे दरवाजे की तरफ ले गई| दूसरा दरवाजा एक गलियारे मैं खुलता था, जिसके दूसरे छोर पर एक लिफ्ट थी|
वैसे तो ब्लू मून क्लब जैसी बिल्डिंग में बाहर की तरफ एक बड़ी सी लिफ्ट भी होगी, लेकिन यह लिफ्ट शायद प्राइवेट थी| उसी प्राइवेट लिफ्ट में से मैं और मैरी डिसूजा बेसमेंट में पहुंचे| यह एक बड़ा सा लॉकर रूम जैसा था|
मैंने देखा कि वहां वही अधेड़ उम्र की परिचारिका जो हमारे लिए शरबत लेकर आई थी खड़ी होकर शायद हमारा ही इंतजार कर रही थी|
उन्होंने मेरा पर्स और मोबाइल फोन एक लॉकर के अंदर रखवा दिया और फिर उस लॉकर रूम के एक छोर पर एक लकड़ी का करीब साढ़े चार फुट ऊंचा लकड़ी का पार्टीशन था| वह अधेड़ उम्र की परिचारिका मुझे उसके पीछे ले गई और बोली, "आइए मिस, मैं कपड़े बदलने में आपकी मदद करती हूं"
यहां लोग बाग मुझे ‘मिस-मिस’ कहकर बुला रहे हैं मुझे ध्यान आया कि नहाते वक्त जब मैंने शैंपू किया था तो मेरा सिंदूर बिल्कुल धुल गया था और बावजूद इसके कि मैं बंगालन हूं पर मैं पारंपरिक औरतों की तरह फैशन के चलते हाथ में शांखा और पौला नहीं पहनती... शायद यह सोच रहे है- कि मैं अविवाहित हूं| चेहरे में फर्क पड़ने वाली कोई बात नहीं है... क्योंकि यहां मैं श्रीमती शीला चौधरी नहीं बल्कि मिस पीयाली दास हूं|
मैं एक बाध्य लड़की की तरह पार्टीशन के पीछे जाकरपने सैंडल उतार कर उसके सामने खड़ी हो गई|
सबसे पहले उस औरत में मेरी जींस की बेल्ट उतारी और उसके बाद उसने जींस का बटन खोल कर जी नीचे खींच कर धीरे-धीरे मेरी जींस नीचे सरका कर उसने मेरे बदन से जींस उतार ली है और उसके बाद उसने मेरी टी-शर्ट उतारी|
अब मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी| इतने में उसने पेट के निचले हिस्से में हाथ रखकर उसने मुझसे कहा, "मिस आप एक बहुत ही खूबसूरत लड़की है और मुझे यकीन है कि अब तक किसी न किसी मर्द कि प्यार और दुलार का सड़का (वीर्य) आपकी योनि के अंदर स्खलित जरूर हुआ होगा... क्या आपको यकीन है कि आप फिलहाल गर्भवती नहीं है?"
मैंने कहा, "हां, मुझे पक्का यकीन है कि मैं गर्भवती नहीं हूं..."
"और मैं उम्मीद करती हूं कि आप फिलहाल मासिक से भी नहीं है"
"जी नहीं... मेरे मासिक का चक्कर तो पिछले हफ्ते ही खत्म हो गया था अब तो अगले महीने तक की छुट्टी है..."
"तो ठीक है. मिस अब मैं आपकी पेंटी और ब्रा उतार दूंगी और फिर आप यह हमारा दिया हुआ गाउन पहन लेना… और आप बुरा मत मानिएगा, आप एक लड़की हैं और यहां हमें इतना तो पूछना ही पड़ता है"
मैंने एक गहरी सी सांस ली और आंखें बंद करके अपने आप को बिल्कुल डीलर छोड़कर बिल्कुल चुपचाप खड़ी हो गई... अब तक मुझे यकीन हो गया था कि उस शरबत में कुछ ना कुछ नशीला पदार्थ जरूर मिलाया गया था- लेकिन मुझे इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी क्योंकि मैं हर पल का लुफ्त उठा रही थी- यह मेरे लिए बहुत ही रोमांचक और उत्तेजक कुछ पल थे|
और पहले की ही तरह उस औरत में सबसे पहले मेरी पेंटी उतरी और उसके बाद मेरे पीछे जाकर मेरे ब्रा के हुक को खोलकर उसने मेरा ब्रा भी उतार दिया|
अब मैं उस औरत के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी|
इतने में ब्लू मून क्लब की मालकिन, मैरी डिसूजाजो कि पार्टीशन के दूसरी तरफ खड़ी थी अब वह बिल्कुल मेरे सामने आ गई|
मैंने चौक कर अपने एक हाथ से अपने स्तनों और दूसरे हाथ से अपने यौनांग को ढकने का एक असफल प्रयास किया लेकिन मैरी डिसूजा मुस्कुराती हुई बोली, "शरमाओ मत अब जब तुम ब्लू मून क्लब की सदस्य बनने वाली हो तो एक बात को खास पर याद रखना- यहां शर्म हया और संकोच को अपने मन से पूरी तरह निकाल दो- ब्लू मून क्लब एक सेक्सुअली ओरिएंटेड एंटरटेनमेंट (यौन उन्मुख मनोरंजन क्लब) क्लब है- यहां लोग बाग मनोरंजन के लिए आते हैं... और हां मैं खुद तुमको एक बार बिल्कुल नंगी देखना चाहती थी... ठीक है, अब तुम बिल्कुल सीधे घड़ी हो जाओ, पीयाली... हां, ठीक है... पेट अंदर, छाती बाहर और अपने पैरों को थोड़ा फैला दो... शर्माने की जरूरत नहीं है अपने दोनों हाथ ऊपर करो"
मैरी डिसूजा मुझे ऊपर से नीचे तक निहार रही थी और मैं उनकी निगाहों को अपने शरीर के इंच इंच पड़ता हुआ महसूस कर रही थी|
मैरी डिसूजाने मानो एक चैन की गहरी सांस छोड़ी और उसके बाद उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा, "तुमने जल्दी-जल्दी तो अपने बगलो में रेजर मार लिया था और मैं देख सकती हूं एक दो जगह तुम्हें खरोचें भी आ गई है... पर तुम अपने यौनंग के आसपास के बालों के बारे में तो भूल ही गई... खैर कोई बात नहीं है मैं जद्दनबाई से बोल देती हूं वह तुम्हारे यौनंग के आसपास के बालों की सफाई कर देगी"
वह अधेड़ उम्र की परिचारिका- जद्दनबाई मनो तैयार थी| वह तुरंत कहीं से एक ट्यूब और एक लेपनी लेकर आई और बड़े ही माहिर तरीके से उसने वह किया जो उसे करना था और मिनटों में मेरा जघन क्षेत्र बिल्कुल साफ हो गया|
इतने में मैरी डिसूजा का फोन बज उठा| शायद कोई व्हाट्सएप का मैसेज या फिर एसएमएस आया होगा|
मैरी डिसूजा ने फोन देख कर मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और फिर जद्दनबाई से बोली, "जद्दनबाई, हमारी मेहमान को गाउन पहना कर कमरा नंबर 415 में लेकर जाओ वहां इनका प्रोफाइल इनका इंतजार कर रहा है"
***
जो गाउन उन्होंने मुझे पहनने को दिया था वह स्लीवलैस था और केवल मेरे घुटनों तक ही लंबा था और बहुत ही महीन कपड़े का बना हुआ लगभग पारदर्शी था| मुझे गोपा मौसी की बातें याद आ रही थी- अगर वह मुझे इस हालत में देख ली थी तो यह जरूर कहती कि इन कपड़ों में से भी मेरे स्तनों की चूचियां साफ उभरकर आ रही हैं|
प्राइवेट लिफ्ट से होते हुए मैं और जद्दनबाई चौथी मंजिल के गलियारे में पहुंचे| वहां वह मुझे बड़े प्यार से कमरा नंबर 415 में लेकर गई|
कमरे का दरवाजा खुला और मैंने देखा कि कमरा बड़ा और दिखने में काफी साफ सुथरा और सुव्यवस्थित सा लग रहा था| कमरे की खिड़कियों के सभी पर्दे खींचे हुए थे|
कमरे में एक अजीब तरह की मादक खुशबू भरी हुई थी और मंद रोशनी से ऐसा लग रहा था कि कमरे को सेक्स और रोमांस के लिए अच्छी तरह से तैयार किया गया है|
कमरे के अंदर एक सिंगल बेड था, ड्रेसिंग टेबल उसके सामने एक बड़ा सा आईना और एक पहिए वाला टेबल जिसमें तरह तरह कि तेल वगैरह रखे हुए थे|
इतने में अटैच बाथरूम का दरवाजा खुला और मैंने अपनी प्रोफाइल को जिंदगी में पहली बार देखा- वह करीब 6 फुट लंबा उसकी उम्र करीब 35 या 40 साल की होगी| वह सिर्फ हाफ पेंट पहने हुए था और उसमें कोई अंडर वियर नहीं पहन रखा था इसलिए उसके शिथिल यौनांग का आकार साफ झलक रहा था।
उसके बाल कंधों तक लंबे थे और उसने बड़े सलीके से अपने बालों को पीछे पोनीटेल में बाद रखा था|
उसका बदन गठीला और मजबूत लग रहा था और उसकी छाती में बिल्कुल भी बाल नहीं थे| दिखने में वह भी एंग्लो इंडियन ही लग रहा था|
वह मुस्कुराता हुआ मेरे पास आया और मेरी बाहों को अपनी बाहों में लेकर बोला, "हैलो मिस, माय नेम इज टॉम (मेरा नाम टॉम है)... मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आप जैसी खूबसूरत लड़की को सर्विस देने का मौका मुझे मिला है", टॉम ने मेरे हाथ को चूमते हुए कहा।
टॉम की पहली छुअन और उसकी बातों से ही मानो उसने मेरा मन मोह लिया|
इतने में मैंने गौर किया कि जद्दनबाई की बांछें खिल गई थी| उसमें टॉमसे कहा, " टॉम भैया, यह लड़की हमारे यहां पहली बार आई है- और मेरी डिसूजा मैडम ने इसकी जिम्मेदारी आपको दी है- और मुझे इस बात की बड़ी खुशी है... इसकी अच्छी तरह से सेवा करिएगा"
यह कहकर अपने पीछे दरवाजा बंद करती हुई जद्दन बाई चली गई|
अब मैं और टॉम कमरे में अकेले थे और मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था|
क्रमशः
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अध्याय ६
टॉम ने मुझसे पूछा, " क्या मैं आपको एक सिगरेट और थोड़ी सी रेड वाइन ऑफर कर सकता हूं, मिस?"
मैंने गौर किया कि उसकी बोली में एक एंग्लो असर है|
मैंने स्वीकृति में सर हिलाया| जिस टेबल पर पहिया लगा हुआ था उसी के नीचे से टॉम ने एक रेड वाइन की बोतल निकाली और साथ में दो गिलास और फिर वहीं से 1 डनहिल सिगरेट का पैकेट निकाल कर उसे खोलकर मेरी तरफ बढ़ाया| मैंने उसमें से एक सिगरेट निकाल कर अपने होठों से लगाई और तुरंत टॉम ने एक लाइटर निकालकर मुझे सिगरेट को सुलगने में मेरी मदद की|
कॉलेज के जमाने में मैं कभी कभार सिगरेट दिया कर लेती थी- यह दोस्तों की संगति का असर था और हां कभी कबार बियर व्हिस्की और वाइन भी पी लिया करती थी| यहां तक कि जब मैं कॉल सेंटर में काम करती थी; तब भी एक आध बार पार्टी में जा कर के मैंने सिगरेट और शराब पी थी| इसलिए मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई|
मैंने सिगरेट का एक लंबा सा कश लिया और सीधे नाक से धुआं छोड़ा|
इतने में टॉम गिलास में वाइन डालते हुए मुझसे बोला, " मिस हमारे पैकेज के अनुसार मैं आपके पूरे शरीर की मालिश करूंगा... यह एक हर्बल मालिश है और फिर मैं आपको अच्छी तरह से नहलाऊंगा और उसके बाद आपका हेयर स्पा..." और फिर कुछ देर रुक कर उसने एक शरारत भरी मुस्कान लेकर मेरी तरफ देखा और फिर वह बोला, "और इसी बीच मिस मैं आपको प्यार दुलार करके आपके साथ शारीरिक संबंध भी बनाऊंगा..."
यह सुनकर मेरे दिल की धड़कन एक बार रुक सी गई- लेकिन साथ में मेरे पेट के निचले हिस्से में थोड़ी गूदगुदी सी भी होने लगी और फिर मैंने सोचा अब जब लेकिन अब जब ओखली में सर दे ही दिया है तो मूसल का क्या डर?
एक तो पहले ही मैंने नशीले पदार्थ वाली शरबत पी रखी थी उसके बाद थोड़ा सा रेड वाइन पीते ही मेरा नशा और चढ़ गया... मैं अनजाने में ही टॉम को निहार रही थी- और न जाने कब मैंने अनजाने में ही उससे कह दिया, "टॉम क्या तुम्हें अपने बालों को इस तरह से पोनीटेल में बांध कर रखने की जरूरत है?"
टॉम मुस्कुराया और फिर बोला, "कोई बात नहीं, मिस- अगर आप चाहती हैं तो मैं अपने बालों को खोल देता हूं"
मैंने कहा, "नहीं रुको" यह कहकर मैंने मैंने सिगरेट को ऐशट्रे में रखा और उसके सामने से अपनी दोनों बाहें उसके गले में डालकर धीरे-धीरे उसका हेयर बैंड खोल दिया| टॉम के बाल लंबे और घने थे करीब-करीब कंधे से थोड़े से नीचे तक| खुले बालों में वह और आकर्षक लगने लगा था...
हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे| टॉम की गहरी नीली आंखें मानो मुझे मदहोश कर रही थी| इतने में टॉम न जाने कब अपना चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास लेकर आया था और फिर गहरी सांस खींचते हुए उसने कहा, "मिस. आपके बालों से और बदन से बहुत अच्छी खुशबू आ रही है- मुझे तो आप अभी से ही अपना दीवाना बना रही हैं"
यह सुनकर में एक दम सचेत हो गई और तब मुझे समझ में आया कि इतने में टॉम ने भी मुझे अपनी बाहों में ले रखा था|
मैं एकदम से उसके आगोश से छूटकर दीवार पर टंगे आईने की तरफ शर्मा कर भागी|
टॉम मुस्कुराया और फिर वह बोला, "आइए मिस, हम आप की मालिश शुरू करते हैं- आप प्लीज अपना गाउन उतार दीजिए"
सुबह सुबह जब मैं सैर के लिए निकली थी, तभी मेरे पैर से नोटों से भरा हुआ वह पैकेट कराया था| और उसी वक्त से न जाने मेरे दिमाग में क्या भूत सवार हुआ कि मैंने सोचा कि मैं कुछ ऐसा करूं जो मैंने आज तक नहीं किया और संयोग की बात है कि मुझे ब्लू मून क्लब का विज्ञापन दिख गया|
और एक अनजाने आवेश में आकर आज मैं यहां तक पहुंच गई हूं| पर अब मुझे थोड़ी बहुत झिझक महसूस हो रही थी| टॉम ने मेरी हिचकिचाहट को भांप लिया और वह मेरे पास आकर मेरी नाइटी की बेल्ट को खोलते हुए बोला, " आपको शर्माने की कोई जरूरत नहीं है, मिस| ईश्वर ने आपको बड़ी फुर्सत से तराशा है--- जरा मेरी नजरों से आप खुद अपने आप को भी देख लीजिए"
यह कहकर पलक झपकते ही टॉम ने मेरी नाइटी उतार कर आईने के सामने मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया|
मैंने आईने में अपनी नंगी प्रतिबिंब दिखी और ना जाने क्यों मुझे एक अजीब सा गुरूर महसूस होने लगा और मन ही मन में यह सोचने लगी कि मेरे पति को तो मालूम ही नहीं वह अपनी जिंदगी में क्या गवां रहा है|
मैंने नजरें झुका कर एक गर्व भरी मुस्कान से टॉम से कहा, "एक बात कहूं टॉम? तुम मुझे मिस-मिस ना कह कर दो मुझे मेरे नाम से पुकार सकते हो- मेरा नाम है पीयाली- पीयाली दास"
ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने कहा था 'तुमने यहां अपना नाम पीयाली दास बताया था...आज के बाद मैं तुम्हें इसी नाम से पुकारऊंगी'
इसलिए मैंने भी यह सोच लिया कि ब्लू मून क्लब में आज के बाद मैं पीयाली दास के नाम से ही जानी जाऊंगी|
तुमने कहा. "ठीक है, पीयाली- चलो मैं तुम्हें मसाज टेबल पर ले जाता हूं"
यह कहकर टॉम ने अपने बलिष्ठ हाथों से मुझे एक खिलौने की गुड़िया की तरह अपनी बाहों में उठा लिया और फिर धीरे-धीरे मुझे मसाज टेबल पर लिटा दिया और फिर बड़े ध्यान से मेरे बालों को तकिए के ऊपर की तरफ फैला दिए| उसके बाद उसने मेरी दोनों टांगे फैला दी- मैं सोच रही थी कि शायद अभी के अभी टॉम मेरी योनि के अंदर अपना लिंग घुसा देगा लेकिन नहीं वह पहिए वाली टेबल अपने पास खींचकर लाया और उसमें से एक स्प्रे वाली बोतल निकाल कर उसने मेरे यौनांग और गुदा के ऊपर किसी तरल पदार्थ का छिड़काव किया| जैसे ही वह ठंडी-ठंडी स्प्रे मेरी त्वचा पर पड़ी मैं एक तरह से सिहर सी उठी, तो टॉम ने मुस्कुरा कर कहा, "यह एक तरह का क्लीनर है पीयाली---" मुझे ठंडी ठंडी गूदगुदी सी भी महसूस हुई इसलिए मैं हल्का-हल्का हंसने लगी|
और फिर उसने कहा, "पीयाली, अपने बदन को इतना अकड़ कर मत रखो जरा ढीला छोड़ कर रिलैक्स हो जाओ"
मेरे यौनांग और गुदा टिशू पेपर से साफ करने के बाद टॉम ने मुझे उल्टा- मेरी छाती के बल- मुझे लिटा दिया और मेरी बाहों को मसाज टेबल की दोनों तरफ फैला दिए और उसने मेरी टांगों को भी काफी फैला दिया मैं सोच रही थी यह क्या? क्या तुम मेरे साथ गुदामैथुन करने की सोच रहा है?
"क्या तुम्हें अच्छा लग रहा है पीयाली?"
मैंने कहा, "हां टॉम"
टॉम ने मेरी मालिश शुरू की सबसे पहले उसने मेरे बाएं पैर की उंगलियों को धीरे धीरे मसलना शुरू किया... और उसके बाद मेरे दाएं पैर की... उसके इसी अंदाज से ही मेरे पूरे बदन में मानो एक अजीब सी सनसनी सी फैलने लगी... और फिर एक कुशल मसाजर की तरह उसने मेरे घुटनों को मोड़कर मेरे पैर की मांसपेशियों को सहलाने लगा और बीच-बीच में वह मेरे पैरों की उंगलियों को चटकने भी लगा|
मेरा पूरा बदन एक अजीब से मीठे दर्द और एक अनजाने मजे में डूबता चला गया|
फिर उसने अपनी हथेली पर एक सुगंधित तेल डालकर दोनों हाथों में मिलकर मेरे पूरे शरीर पर तेल लगाने लगा... और मैंने गौर किया कि टॉम की कुशलता पर कोई शक नहीं है| वह मेरे हाथों और पैरों की मांसपेशियों को... कुछ इस तरह से निचोड़ने लगा जैसे गीले कपड़े को निचोड़ कर उसमें से पानी निकालते हैं... और मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो टॉम मेरे शरीर से बरसों से जमी हुई जड़ता को निचोड़- निचोड़ कर बाहर निकाल रहा है|
उसके बाद टॉम के हाथ मेरे कूल्हों, कमर और पीठ पर अपना जादू चलाने लगे| और उसके बाद जब उसने मेरे कंधों और गर्दन की मालिश करना शुरू किया तो मैं मानो सुखसागर के समुद्र में गोते खाने लगी... उसके बाद तुमने मुझे सीधा लिटा दिया और फिर उसने दोबारा से मेरे पैरों से लेकर, घुटनों, जांघों पीठ छाती पसलियों की मालिश करने लगा... और जब उसने मेरे सुडौल स्तनों को मसाला शुरू किया तो मैंने गौर किया कि वह बड़े ही ध्यान से कुछ इस तरह से मेरी मालिश कर रहा है ताकि मुझे मजा भी आए|
अब तक तो मैं उसकी पूरी तरह दीवानी हो चुकी थी.... पर टॉम के लिए मेरा पूरा बदन एक खेल का मैदान था|
मेरा पूरा का पूरा शरीर टॉम के लगाए हुए तेल से सराबोर था...
उसके बाद टॉम ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी उसने मेरी जांघों को थोड़ा और फैलाया और उसके बाद अपनी दो उंगलियों से मेरे यौनांग अधरों को थोड़ा फैलाया और फिर सीधे अपना सर मेरी दोनों जांघों के बीच में डालकर अपनी जीभ से मेरे यौनांग अंदरूनी हिस्से को चाट चाट कर मेरे नारीत्व की गुप्त स्वाद के मजे लेने लगा| इससे पहले मेरे नारीत्व का इस तरह से किसी ने भी उल्लंघन नहीं किया था...
मैं मारे उत्साह और मदहोशी के चिल्ला उठी- लेकिन टॉम ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया... टॉम लड़कियों की कामोत्तेजना को भड़काने में बहुत ही माहिर था- पता नहीं आज से पहले उसने कितनी लड़कियों के साथ ऐसा किया होगा- और खुश नसीब है वह लड़कियां और औरतें जिन्हें टॉम ने सर्विस दी होगी|
टॉम के खुले बाल मेरी जांघों के भीतरी हिस्सों में छु छु कर मानो मेरे अंदर की वासना को और भड़का रहे थे... मैं बस कभी कबार अपना सर उठा कर देखती और फिर धम से अपना सर तकिए पर पटक कर सिर्फ इधर-उधर हिलाती... मुझे सिर्फ चूमने चाटने की आवाजें सुनाई दे रही थी... टॉम मानो किसी कुंवारी लड़की की योनि को चूस चूस कर उसके यौवन का रस पी रहा था|
इसी बीच कभी कबार वह मेरी योनि और गुदा के बीच के हिस्से को भी चाट रहा था... मेरे अंदर की वासना अब मानो जमीन के अंदर दबी हुई मैग्मा की तरह उबल रही थी और मैं मारे कामोत्तेजना के अब थरथर कांपने लगी...
इतने में टॉम ने अपना सर उठाया और बोला, "पीयाली, तुम तो बहुत ताजी और रसीली हो... तुम्हारा रस पीकर मुझे तो नशा सा सड़ गया है"
मेरे अंदर की वासना अब मानो जमीन के अंदर दबी हुई मैग्मा की तरह उबल रही थी और मैं मारे कामोत्तेजना के अब थरथर कांपने लगी...
टॉम अब मसाज टेबल से उतर कर मेरे सर के पास आकर खड़ा हो गया| और उसने दोबारा मेरे सुडौल स्तनों और पसलियों की मालिश करना शुरू किया| मैंने नजर उठा कर देखा उसने जो हाफ पैंट पहन रखी थी, उसके अंदर से उसका लिंग खड़ा होकर उसके हाफ पैंट के अंदर एक है तंबू सा बना रहा था... और वह तंबू बार-बार मेरे माथे से छू रहा था... मुझे इस बात का अंदाजा हो गया था कि टॉम का यौनांग बड़े आकार का है... लेकिन वह एक तंबू के अंदर छिपा हुआ है... आखिर इस तंबू के अंदर है क्या? मेरे अंदर यह जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी...
क्रमशः
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अध्याय ७
लगता है टॉम ने मेरी मनःस्थिति को भाँप लिया होगा| इसलिए उसने मेरी जिज्ञासा शांत करने के लिए मुस्कुराकर अपनी हाफ पेंट उतार दी| मैंने देखा कि उसके जननांगों के आसपास जरा भी बाल नहीं थे सब कुछ साफ सुथरा और मुंडा हुआ था| उसका लिंग मानो छलांग मार के मेरे सामने बाहर आया... जिसे देखकर मैं एकदम हैरान रह गई|
टॉम का लिंग एकदम सीधा सपाट, लंबा और काफी मोटा था| उसके लिंग का सुपाड़ा बहुत ही अच्छी तरह से सुगठित था| और उसके अंडकोष विकसित और बड़े से थे... इस बात में कोई शक नहीं कि वे भरपूर मात्रा में वीर्य का उत्पादन करने में सक्षम थे| मैंने मन ही मन सोचा कि ऐसे लिंग के मैथुन के माध्यम से स्खलित वीर्य मेरी योनि को पूरी तरह से भरने के लिए पर्याप्त होगा|
मुझे उसके दो टांगों के बीच के हिस्से से उसी क्लीनर की सुगंध आ रही थी|
मुझे ध्यान नहीं कि कब मैं उल्टा लेट कर टॉम के यौनांग को निहार रही थी... कि इतने में टॉम ने मुस्कुराते हुए अपने लिंग की चमड़ी को पीछे खींच कर अपने लिंग का सुपाड़ा मेरे सामने उन्मुक्त किया और उसके चिकने चिकने गुलाबी सिरे को सीधे मेरे मुंह के सामने लाकर कर रख दिया.... और मुझसे रहा नहीं गया मैंने अपनी मुट्ठी में उसका लिंग पकड़ा, पुरुष का लिंग काफी बड़ा था और वह मेरी मुट्ठी के काफी बाहर भी निकला हुआ था... टॉम ने मेरे बालों को समेट कर अपनी मुट्ठी में एक पोनीटेल जैसे मेरे सर के पीछे पकड़ा तब तक मैं मन ही मन समझ गई कि वह क्या चाहता है... उसके लिंग के चिकने चिकने गुलाबी सुपाड़े अपने जीभ के सिरे से हल्के हल्के चाटने लगी... और फिर थोड़ी ही देर में मैंने उसका लिंग अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी|
टॉम मेरे बालों को पकड़कर मेरे सिर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा| पर इस बात का मुझे कोई एतराज नहीं था| क्योंकि मैं जानती थी उसे मजा आ रहा है और मैं भी इस पल का लुफ्त उठा रही थी|
थोड़ी ही देर बाद मैंने महसूस किया कि टॉम के लिंग में कंपन से शुरु हो गई है... और तब तुमने अपना लिंग मेरे मुंह से निकाल लिया.. और फिर मुझे मसाज टेबल से दोबारा किसी खिलौने की गुड़िया की तरह अपनी बाहों में उठा कर उसने मुझे कमरे पर लगे बिस्तर पर लेटा दिया| फिर उसमें गद्दे के नीचे से एक कंडोम के पैकेट निकालकर और उसका कवर फाड़ कर अपने तने हुए सुगठित लिंग पर उसे चढ़ाया और फिर वह मेरी जांघों को पकड़कर मेरी कमर को बिल्कुल बिस्तर के किनारे तक ले आया... अब मेरी टांगे बिस्तर के नीचे लटक रही थी और मेरे पैर के तलवे जमीन को छू रहे थे और फिर वह मुस्कुराता हुआ बोला, "पीयाली, अब मैं अपना लिंग तुम्हारी योनि में डालने जा रहा हूं, क्या तुम तैयार हो?"
मेरे अंदर कामवासना भड़क रही थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या जवाब दूं लेकिन मैंने पाया कि मेरा शरीर और मेरा मन दोनों अलग-अलग प्रक्रियाएं कर रहे हैं| आप मैंने अनजाने में ही अपनी कमर उचका दी|
तुमने दोबारा अपनी उंगलियों से मेरे योनि के अधरों को हल्का सा खोला और अपने खड़े लिंग को उसने मेरी योनि के अंदर मानो एक तलवार की तरह घोंप दिया... उसकी तीव्रता और दर्द के मारे मैं हल्का सा करा उठी... थोड़ी देर के लिए टॉम बिल्कुल स्थिर सा हो गया... वह मुझे संभालने का मौका देना चाहता था|
पर अनजाने में ही मैंने उसके शरीर के निचले हिस्से को अपनी दोनों टांगों से जकड़ कर रखा था|
मैं थोड़ा छटपटा रही थी... और अपना सर इधर उधर कर रही थी, क्योंकि जिंदगी में पहली बार किसी का इतना बड़ा लिंग मेरी योनि में घुसा था... लेकिन मुझे क्या मालूम तुमने तो अभी अपना पूरा लिंग मेरे अंदर डाला ही नहीं था... और जब मैं थोड़ा सा शांत हुई तब टॉम ने धीरे-धीरे जितना हो सके अपना लिंग उतना मेरी योनि के अंदर घुसा दिया|
मैंने मारे दर्द के अपने होठों को जोर से काटा|
"तुम बहुत ही फ्रेश और टाइट हो पीयाली" टॉम से रहा नहीं गया| और फिर उसने अपनी कमर को धीरे धीरे आगे पीछे हिलाना शुरू किया... धीरे-धीरे उसके मैथुन की गति बढ़ती गई... मेरा पूरा शरीर उसके मैथुन के धक्कों से डोलने लगा था... और मेरे सुडोल स्थास्तनों के जोड़े में मानो जान आ गई थी वह भी धक्कों के कारणके कारण बिल्कुल उछलते गेंदों की तरह हिलने लगे|
टॉम के मैथुन के धक्कों को संभालना शुरू शुरू में मेरे लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था... लेकिन कुछ देर बाद मानो सब कुछ ठीक हो गया... और मुझे काफी मजा आने लगा... अब पूरी कमरे में बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था... टॉम का पूरा ध्यान मेरे साथ सहवास करने में लगा हुआ था... कमरे में बस दो बदनों की घर्षण और मिथुन की वजह से थपकियों आवाज ही आ रही थी- मानो हमारी यह कामलीला देख कर स्वयं गामदेवी ताली बजा रहे हैं-
थप! थप! थप! थप! थप! थप! थप! थप! थप!
टॉम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था| मेरे अंदर एक नहीं करीब दो दो बार कामोत्तेजना का परम विस्फोट हुआ... लेकिन टॉम फिर भी लगा हुआ था...
मेरे साथ सहवास करना शायद टॉम का काम था लेकिन मैं जानती थी कि वह फिलहाल इस चीज का बहुत ही आनंद उठा रहा है... आखिरकार मुझे लगा कि टॉम को भी ऑर्गेजम हो गया है|
जैसे फुल स्पीड पर चलती हुई ट्रेन धीरे-धीरे अपनी गति को कम करती हुई स्टेशन पर आकर रूकती है ठीक वैसे ही टॉम ने अपनी मैथुन की गति को रोका और फिर धीरे-धीरे अपने शिथिल पढ़ते हुए लिंग को उसने मेरी योनि के अंदर से बाहर निकाला|
मैंने अनजाने में ही तब भी टॉम के शरीर के निचले हिस्से को अपने पैरों से जकड़ कर रखा था... टॉम बड़े प्यार से मेरे आलिंगन से मुक्त हुआ और फिर मुस्कुराता हुआ बाथरूम में जाकर अपने लिंग से उसने कंडोम उतारी और उसको कमोड में फल्श कर दिया और शायद उसके बाद उसने अपने लिंग को अच्छी तरह से धोया|
और जब वह वापस आया तब उसकी नजरें मुझ पर पड़ी और वह आश्चर्य से बोल उठा, "ओह नो! (अरे नहीं)"
एक बहुत ही रोमांचक और संतोषजनक अनुभव के बाद मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने किसी ऊंचे पहाड़ की चोटी पर विजय प्राप्त कर ली है इसलिए मैं अपनी सारी शर्मा या भूल कर.. एक अजीब सी मदहोशी में डूबी हुई थी और अपने हाथ पैर फैलाकर यूं ही लेटी पड़ी हुई थी|
लेकिन टॉम के विस्मय ने मुझे हकीकत में उतारा|
मैंने पूछा, "क्या हुआ, टॉम?"
उसने जवाब दिया, "पीयाली, तुम्हारा तो खून बह रहा है"
मैंने झट से सर उठा कर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को देखा... हां सही में मेरी योनि के अधर खून से भीगे हुए थे और खून की 8-10 बूंदे बिस्तर के सफेद चद्दर पर भी अपना दाग बना चुकी थी|
मुझे समझते देर नहीं लगी कि इस रक्तस्राव का कारण टॉम के तगड़े लिंग के द्वारा मेरी योनि का उल्लंघन करना ही है| मैंने अपनी योनि के अंदर इतना बड़ा लिंग पहले कभी नहीं लिया था|
टॉम में देर नहीं की... उसने दोबारा वह क्लीनर वाला स्प्रे निकाला और स्प्रे करने के बाद दोबारा टिशू पेपर से उसने मेरे यौनांग को अच्छी तरह साफ किया|
लेकिन इस तरह से खून निकलने की वजह से मुझे ज्यादा चिंता नहीं हुई- क्योंकि न जाने कहां मैंने पढ़ रखा था की औरतों की योनि काई से ढकी तालाब के पानी की तरह होती है... अगर कोई पत्थर मारे तो उसमें दरार आ जाती है|
और लिंग चाहे कितना ही बड़ा और मोटा क्यों ना हो हर योनि का यह धर्म है कि उसे अपने अंदर आश्रय दें|
टॉम ने एक और सिगरेट सुलगा कर मुझे थमा दी और फिर दोबारा टेबल पर रखे गिलासों मैं वाइन डालने लगा|
और फिर मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठ कर मेरे कंधे पर हाथ रखकर, मेरी आंखों में आंखें डाल कर बड़े ही प्यार वह मेरे बालों के अंदर अपनी उंगलियां चलाने लगा|
मैं आधा गिलास वाइन पी चुकी थी| फिर तुमने मेरे से कहा, "पीयाली, मैं तुम्हारे साथ दोबारा सेक्स करने जा रहा हूं... लेकिन इस बार में तुम्हारे साथ मिशनरी पोजीशन में सेक्स करूंगा... क्योंकि मेरा मानना है कि यह और ही ज्यादा अंतरंग और प्यार भरा तरीका है| मुझे उम्मीद है कि तुम बुरा नहीं मानोगी| इस बार मैं तुम्हारे ऊपर लेटऊंगा... और तुम्हें जी भर के चूमुंगा और दुलारऊंगा... मुझे उम्मीद है कि तुम बुरा नहीं मानोगी"
मैं शरमा गई पर मुस्कुराकर मैंने स्वीकृति में अपना सर हिलाया|
टॉम ने मेरे होंठों को चूमते हुए कहा,"सचमुच तुम एक बहुत ही सुंदर लड़की हो, पीयाली"
क्रमशः
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(14-03-2023, 02:02 PM)amkh0100 Wrote:
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अध्याय ८
टॉम ने दोबारा वाइन गिलासों में थोड़ी-थोड़ी वाइन डाली और मैं भी उठकर वाइन की चुस्कियां लेने लगी| इतने में दो दो बार संभोग करने के बाद मैं भी थोड़ा बहुत थक गई थी और मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि मेरी योनि के अधर शायद थोड़े से खुले हुए से लग रहे थे; अब यह कहना मुश्किल है कि क्या यह टॉम के साथ जोरदार संभोग का नतीजा है या फिर मेरा यौनांग टॉम को फिर से सहवास के लिए आमंत्रित कर रहा है|
जब तक मैं वाइन पी रही थी टॉम मुझे बड़े ही प्यार से देख रहा था- न जाने उसके दिमाग में क्या चल रहा था? जैसे ही मैंने वाइन का गिलास खत्म किया टॉम ने मुझे चूमा और फिर कमरे में लगे अटैच बाथरूम के अंदर चला गया और वहां मुझे नल से पानी भरने की आवाज सुनाई दी|
मैंने पूछा, " तुम क्या कर रहे हो, टॉम?"
टॉम ने बाथरूम के अंदर से ही आवाज लगाई, "कम ऑन पीयाली- आकर कर खुद ही देख लो..."
मैं बिस्तर पर बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी यहां तक की टॉम के साथ वाइन पीते वक्त भी मैंने अपने बदन पर कपड़े का एक भी कतरा चढ़ाने की जरूरत नहीं है समझी थी| इसलिए मैं वैसे ही बाथरूम के अंदर गई और मैंने देखा कि बाथरूम काफी बड़ा था और उसमें एक बाथटब में टॉम पानी भर रहा था और कोई लिक्विड साबुन पानी में मिलाकर खंगाल रहा था|
आज तक ना तो मेरे पिता के घर के बाथरूम में कोई बाथटब था और फिलहाल मैं और मेरे पति जिस फ्लैट में रहते हैं, वहां के बाथरूम में भी कोई बाथटब नहीं है| लेकिन बचपन से ही फिल्में देखने के बाद मुझे बाथरूम में बाथटब में डूब कर नहाने की इच्छा हुआ करती थी- और आज मेरी यह तमन्ना पूरी होने वाली थी|
मुझे मालूम था कि टॉम मुझे नहलाने वाला है इसलिए जैसे ही पानी भर गया- मैं खुद ब खुद बाथरूम में जाकर टांगे फैलाकर बैठ गई|
टॉम ने दोबारा मुझे प्यार से देखा और फिर मुस्कुराया|
" तो क्या तुम मुझे अभी नहलाने वाले हो, टॉम?"
"पैकेज के अनुसार- तुमको नहलाना सर्विस में शामिल है, पीयाली"
मैंने जी भर के टॉम को ऊपर से नीचे एक बार देखा| पहली बार उसे देखकर ही मुझे एहसास हो गया था कि उम्र मेंटॉम मुझसे कम से कम 10 या 15 साल बड़ा होगा... लेकिन इस वक्त वह पराया मर्द था... और मेरे सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था... और मैं भी उसके सामने एक पराई औरत... शर्मों - हया और परदे के बिना बिल्कुल नंगी पानी से भरे बाथटब में अध -लेटी हुई थी...
कुछ देर के लिए बाथरूम के अंदर बिल्कुल सन्नाटा सा छा गया...
शायद यह वाइन का असर था या फिर मेरे दिमाग का फितूर- पता नहीं लेकिन मैंने टॉम से कहा, "मुझसे तुम्हारी हालत देखी नहीं जा रही, टॉम"
इस बात पर टॉम थोड़ा हैरान सा हुआ, उसने कहा, "मैंने तुम्हारा मतलब नहीं समझा, पीयाली"
"जरा मेरे पास आओ"
टॉम भी बाथटब में आ गया|
और इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता मैंने खप से अपनी मुट्ठी में उसके शिथिल पढ़े हुए लिंग को पकड़ लिया और फिर मैं उसे आंखें मूंद कर जी भर कर चूसने लगी... अपने हाथों से पकड़ कर आज से पहले मैंने कभी भी किसी भी पुरुष के अंग को इस तरह से नहीं चूसा था... लेकिन आज मुझे इस बात का तजुर्बा भी हो गया था इसलिए मन ही मन मुझे ऐसा लग रहा था कि जब हाथ में मौका है तो उसे गवाना नहीं चाहिए|
टॉम ने एक लंबी सी मस्ती भरी सांस ली... मैंने अपनी नजरों को उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और फिर मैं बोली, "तुम तो मुझे नहला कर मेरे बदन को छू कर मजे लेने वाले हो पर मेरा क्या होगा, टॉम?"
"मैं समझा नहीं, पीयाली- जब मैं तुम्हें नहलाऊंगा- तो क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगेगा? क्या तुम्हें मजा नहीं आएगा?"
"मजा तो आएगा तो आएगा, टॉम... पर मैं दोबारा प्यार मस्ती और वासना के समुंदरों में दोबारा से गोते खाना चाहती हूं"
टॉम को उम्मीद नहीं थी कि मैं उससे कुछ ऐसा कहने वाली हूं; इसलिए उसे हैरानी तो हुई लेकिन मैंने गौर किया कि जैसे टॉम की आंखों में दोबारा से जैसे एक आदिम यौन भूख का रंग भरने लगा है|
फिर टॉम थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला, " वैसे तो अतिरिक्त शॉट (सहवास) के लिए हमारे यहां एक्स्ट्रा चार्जेस लगते हैं... और फिर वैसे भी पानी के अंदर अगर कंडोम भीग गया तो फट सकता है"
मैंने मन ही मन सोचा, अब तक ब्लू मून क्लब में मैंने कोई भी पैसा नहीं दिया था और मेरे पर्स में करीब करीब चालीस हजार रुपए पड़े हुए थे|
मैंने भी शरारत से मुस्कुराते हुए कहा, "तो ठीक है... तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है मुझे जो करना है वह मैं तुम्हारे साथ कर लूंगी..."
"लेकिन, पीयाली?"
"हा हा हा... चिंता मत करो टॉम... अबकी बार तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है; इस बार जो करना है वह मैं करूंगी... तुम तो दो-दो बार मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोद चुके हो... अब मेरी बारी है... मैं भी तो देखूं कि मैं क्या कर सकती हूं..."
मेरे अंदर वाइन का नशा चढ़ चुका था लेकिन फिलहाल मेरे अंदर वासना का भूत सवार था|
"लेकिन पीयाली, कंडोम...?"
"मैं बहुत दिनों से बहुत प्यासी हूं टॉम... जरा मैं भी तो देखूं आज जब मौका लगा है तो मैं अपनी प्यास किस हद तक मिटा सकती हूं" इतना कहकर मेट्रोम के लिंग को आइसक्रीम की तरह चूसने लगी- टॉम को मेरी इस हरकत की है शायद जरा भी उम्मीद नहीं थी- लेकिन मैं जानती थी कि उसे अच्छा लग रहा है| मैंने सुना है कि मर्दों को बिना कंडोम के सेक्स करना अच्छा लगता है... क्योंकि इनके लिए यह एक अधिक सुखद एहसास होता है... खैर, उन्हें कैसा लगता होगा यह तो मैं नहीं जानती... मैं तो एक औरत हूं... पानी से भरे बाथटब के अंदर होने के बावजूद मेरे पूरे बदन में वासना की आग लगी हुई थी|
शायद टॉम के मन के अंदर कोई पिंजरे में बंद जानवर शायद आजाद हो चुका था| टॉम ने आव देखा ना ताव, उसने मेरे बालों को पकड़कर मुझे सीधा खड़ा कर दिया मैंने देखा कि अब तक उसका लिंग एक लोहे के सरिए की तरह खड़ा और सख्त हो चुका है... मेरी सांसे भी लंबी गहरी होती जा रही थी जिसकी वजह से मेरे सुडौल स्तनों का जोड़ा मेरी सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहा था|
टॉम ने बाथटब के ऊपर लगे हुए शावर को चलाया और फिर मुझे पूरा का पूरा भिगो दिया| मेरे बदन में पानी में पढ़ते ही है मेरा पूरा बदन कांप उठा- मुझे ऐसा लग रहा था जैसे गर्म तवे पर किसी ने पानी के छींटे मार दिए हो|
शायद मेरे पूरे बदन से कामोत्तेजना की ऊष्मा निकल रही थी... मेरी उफनती जवानी की यह गर्मी शायद टॉम फालतू में गवाना नहीं चाहता था इसलिए- इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती वह मेरे पूरे बदन को अपनी जीभ से किसी जानवर की तरह चाटने लगा... मेरे होंठ ... स्तन ... निपल्स ... कांख.. कंधा... टॉम योनि और योनि और गुदा के बीच के बीच के हिस्से पर विशेष ध्यान दे रहा था और उसके बाद उसने मेरे गीले बालों को इकट्ठा करके सर के ऊपर एक जुड़े में बांध दीया| मेरे पूरे बदन में साबुन लगाने लगा...
मुझे मालूम था कि टॉम मेरे साथ जो भी कर रहा है- उसे उसका भरपूर मजा मिल रहा है|
मुझसे भी रहा नहीं गया... मैं भी तुमको जी भर के चूमने और चाटने लगी... और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था... किसी अनजाने आदमी की छुअन और उसकी त्वचा के स्वाद की बात ही कुछ और है...
***
हमने एक-दूसरे को नहला दिया|
लेकिन टॉम ने मेरा बदन नहीं पोछा| उसने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को पकड़ा और फिर मुझे दीवार की तरफ धकेल दिया... बाथरूम की ठंडी दीवार को छूते ही होते ही मेरे पूरे बदन में बिजली की एक लहर फिर से दौड़ रही है... और मुझे बाहर बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई दी... टॉम ने बिलकुल वक्त जाहिर नहीं किया उसने अपने लोहे के सरिए जैसे खड़े और सख्त लिंग को मेरी कोमल योनी में दोबारा से घोंप दिया...
इस बार भी मुझे दर्द हुआ--- वही प्यार भरा मीठा सा दर्द, लेकिन इस बार इसकी तीव्रता थोड़ी ज्यादा थी--- मेरे मुंह से दोबारा हल्की सी चीख निकली "आ... आ... आ... आह - आई"
तुमने उसी हालत में मुझे मेरी जांघों को पकड़कर लगभग मुझे गोद में ही उठा लिया... और फिर घूम कर बात करके बाथटब के किनारे बैठ गया... हमारे यौनांग आपस में संलग्न थे... मेरी दोनों टांगे फैली हुई थी और उसके बीच टॉम की जांघें और मैं उसके ऊपर बैठी हुई थी... टॉम ने मेरे चेहरे से मेरी उलझी उलझी लटों को हटाया और फिर एक अजीब सी नजर से मेरी तरफ देखने लगा... मैंने उससे कहा था कि 'मैं भी तो देखूं,,, आज जब मौका लगा है तो मैं अपनी प्यास किस हद तक मिटा सकती हूं...'
मैंने अपने पैरों के तलवों पर जोर डालकर थोड़ा सा ऊपर उठने की कोशिश की और फिर दोबारा बैठ गई... और फिर मन ही मन मैंने सोचा… हां ऐसा मैंने पहले कभी नहीं किया था लेकिन मैं यह कर सकती हूं... मैंने दोबारा वैसे ही किया... मैंने अपनी कमर को थोड़ा सा वैसे ही उचकाया और फिर बैठ गई... ऐसा तीन चार बार करने के बाद जैसे मुझे ताल में ताल मिल गया... मैं टॉम की गोद में वासना की मस्ती में ऊपर नीचे फुदकने लगी... मेरे स्तनों का जोड़ा भी मानो जीवित हो उठा था... वह भी नाच रहे थे और टॉम की छाती से रगड़ खा रहे थे...
अनजाने में ही हम दोनों के मुंह से ""उउउह...आआह" की आवाजें निकलने लगी|
और बाथटब के पानी में मानो कामदेव भी मारे खुशी के उछल रहे थे...
छपाक! छपाक! छपाक! छपाक! छपाक! छपाक! छपाक!
अंततः मैंने अपने शरीर मन और अंतरात्मा के अंदर दोबारा से कामोत्तेजना का विस्फोट महसूस किया... और इससे पहले कि मैं टॉम के ऊपर निढाल होकर लुढ़क गई मैंने महसूस किया कि मेरी योनि के अंदर टॉम के गरम गरम वीर्य की बाढ़ आ गई है...
हां, मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था| जब मैंने पहली बार टॉम को नंगा देखा था तो मैंने गौर किया था कि उसकी यौनांग जैसे कि लिंग और अंडकोष काफी विकसित और बड़े थे... इसलिए जाहिर सी बात है कि टॉम के वीर्य की मात्रा मेरे अनुमान से काफी ज्यादा थी...
मैं टॉम के ऊपर निढाल होकर पड़ी हुई सुस्ता रही थी और तुमने भी मुझे बड़े प्यार से अपने सीने से लगा रखा था| उसका लिंग मेरे अंदर धीरे-धीरे शिथिल सा पढ़ रहा था लेकिन उसने उसे निकालने की कोई जल्दी नहीं की|
वह हर पल का आनंद लेना चाहता था...
यह तो मुझे भी अच्छा लग रहा था लेकिन अचानक कमरे का डोर बेल बजा; शायद बाहर कोई आया हुआ था|
टॉम को ना चाहते हुए भी मेरे बदन से अलग होना पड़ा...
क्रमशः
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अध्याय ९
टॉम अपनी त्यौरीयां चढ़ाकर अपनी कमर में एक तौलिया लपेटकर कमरे का दरवाजा खोला| यह जाहिर सी बात है कि टॉम ऐन मौके पर खलल की वजह से बहुत छिड़ गया था|
मैंने भी सुस्ताने के लिए अपने बदन को बाथटब के पानी में अपने बदन को गर्दन तक डुबोया- मैंने जिंदगी में पहले कभी इतने कम समय के अंतराल में इतनी बार और इस तरह से कभी भी संभोग नहीं किया था इसलिए अब मेरी कोमल योनि में हल्का हल्का दर्द हो रहा था| पर मन ही मन मेरे अंदर एक अजीब सी खुशी और हल्का पन महसूस हो रहा था… खासकर यह सोच सोच कर की टॉम जैसे लेडी किलर जैसे दिखने वाले आदमी का वीर्य फिलहाल मेरे शरीर के अंदर है… और वास्तव में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि एक लंबे अरसे के बाद किसी अनजान आदमी ने मेरी स्त्रीत्व के असली सार को खोज कर उसे खुद महसूस करने में मेरी मदद की।
बाहर से मुझे टॉम और एक औरत की दबी दबी है आवाजें सुनाई दे रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था कि उस औरत की आवाज शायद जानी पहचानी है- हां यह वही औरत है जिसने मुझे लॉकर रूम में मेरे कपड़े बदलने में मेरी मदद की थी और मुझे ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा के सामने पूरी तरह से नंगी कर दिया था; यानी कि वह औरत जद्दनबाई ही थी|
न जाने वह लोग किस बारे में बात कर रहे हैं... क्या मेरे सर्विस का वक्त खत्म हो गया है? टॉम और मैं न जाने कितनी देर से एक दूसरे के साथ हैं... अगर सर्विस के लिए एक्स्ट्रा चार्ज लगता है; तो मैं उसे देने के लिए तैयार हूं... मेरे पास तो मेरे पर्स में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड भी है... और उससे भी बढ़कर मेरे पास तो नकद पैसे भी पढ़े हुए हैं…
मैं यह सब सोच ही रही थी कितने में टॉम ने बाथरूम के अंदर झांका और फिर उसने मुझसे कहा, "पीयाली, तुम वेज हो कि नॉनवेज?"
मुझे कुछ समझ में नहीं आया, "क्या मतलब"?
टॉम ने मुस्कुराते हुए कहा, "बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है... जगह-जगह पानी भर गया है... और इस बीच तो लंच का समय भी हो चुका है... तो बताओ; ब्लू मून क्लब का रंग दे बसंती ढाबा तुम्हारे लिए क्या पेश कर सकता है?"
मेरे मुंह से निकला, "मैं पक्की नॉनवेजिटेरियन हूं- एकदम शुद्ध मांसाहारी- मैंने रंग दे बसंती ढाबा की तर मटन बिरयानी के बारे में बहुत सुना है; लेकिन कभी शौक फरमाने का मौका नहीं मिला... अगर हो सके तो उसी का इंतजाम करो"
टॉम ने मेरा फरमान जद्दनबाई को सुना दिया| वह चली गई और मैंने दरवाजा बंद होने की आवाज सुनी|
टॉम वापस बाथरूम में आकर मेरे बदन को पोंछने लगा... और मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मुझसे कुछ कहना चाहता है लेकिन वह कहने से झिझक रहा है|
इसलिए मैंने खुद ही उससे पूछा, "क्या बात है, टॉम?"
टॉम ने आखिरकार बोल ही दिया कि उसके मन में क्या था, "पीयाली, बाथरूम से निकलने के बाद प्लीज तुम अपनी डबल- ब्रेस्टेड (double-breasted) गाउन मत पहनना... ईश्वर ने तुम्हें बहुत फुर्सत से तराशा है... मैं तुम्हें जब तक हो सके इसी तरह नंगी हालत में देखना चाहता हूं"
"ठीक है टॉम, तुम्हें अगर मैं नंगी इतनी अच्छी लगती हूं, तो यही सही... मैं जब तक तुम्हारे साथ हूं मैं नंगी ही रहूंगी..."
मेरे बाल के गीले थे, इसलिए टॉम ने मेरे सर पर सिर्फ एक तौलिया लपेट रखा था|
मैंने दोबारा टॉम से यह नहीं कहा कि मेरे अंदर अभी भी यह इच्छा जाग रही है कि टॉम दोबारा मेरे साथ सहवास करें| क्योंकि मैं जानती हूं वैसा करने में पूरी तरह से सक्षम है और जब भी मौका मिले वह मुझे छोड़ेगा नहीं|
शायद उसे ऐसा लग रहा था कि मेरे साथ सहवास करने के बाद जान गया था कि आज तक मेरी स्त्री सुलभता पूरी तरह से आज तक किसी ने भी नहीं भोगा...
टॉम के सामने मैंने नंगी होकर रहने के लिए राजी हो गई| इस बात से टॉम बहुत खुश था|
फिर उसने कहा, "पीयाली, अभी तो तुम्हारा हेयर ट्रीटमेंट बाकी है"
इतने में कमरे का डोर बेल फिर से बजा- रंग दे बसंती ढाबा की तर मटन बिरयानी, रूम सर्विस के द्वारा डिलीवर हो चुकी थी|
***
ब्लू मून क्लब के रंग दे बसंती ढाबा की है तर मटन बिरयानी वाकई में काफी लाजवाब और लजीज थी... मैंने बेशर्मों की तरह चाट चाट कर चूस चूस कर एक- एक मटन का पीस खाया...
खाना खाने के बाद तुमने मुझे कमरे में लगे बड़े से आईने के सामने एक कुर्सी पर बिठाया और फिर उसने मेरे सर लिपटे हुए तौलिए को एक तरफ रखा और मेरे अकेले बालों को मेरी पीठ पर फैला दिए|
और उसके बाद उस पहिए लगे टेबल के नीचे से उसने एक इलेक्ट्रिक हेयर ड्रायर निकाला और फिर ड्रायर चलाकर मेरे बालों को सिखाते हुए मेरे बालों के अंदर वह अपनी उंगलियां बड़ी कुशलता से चलाने लगा...
मुझे बड़ा सुकून महसूस हो रहा था... इसलिए मैंने न जाने कब अपनी आंखें बंद कर ली थी|
"जरा देखना तो पीयाली, क्या तुम्हें यह हेयर स्टाइल पसंद आ रहा है?"
अब जाकर मैंने अपनी आंखें खोली और मैंने आईने में अपनी प्रति छवि को देखकर दंग रह गई है|
टॉम ने मेरे बालों में बिल्कुल भी कंगी नहीं की थी... बालों का हेयर स्टाइल सुलझा और अनसुलझा था... लेकिन यह भी एक स्टाइल था| मैंने अपनी कि सज्जा देखकर मन ही मन टॉम की तारीफ करने लगी थी... हेयर स्टाइलिंग में भी टॉम पक्का उस्ताद है... और मुझे ऐसा लग रहा था कि आईने के अंदर से मैं नहीं शायद कोई और बहुत ही खूबसूरत लड़की मुझे निहार रही है... और वह बहुत ही खूबसूरत लड़की है और कोई नहीं मैं खुद हूं|
टॉम मेरे पीछे खड़ा था, अब उसने हल्के से अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को बड़े प्यार से दबाया और फिर बोला, "पीयाली तुमने बताया नहीं- कि यह हेयर स्टाइल तुमको कैसा लग रहा है"
मैंने गर्दन घुमा कर टॉम की आंखों में देखा और बड़ी ही हैरानी के साथ मैंने उससे कहा, " ना तो तुमने कोई तेल लगाया... और ना तो कोई सप्रे... यहां तक की है तुमने मेरे बालों में कंघी तक नहीं लगाई... यह सिर्फ तुम्हारे हाथों का जादू है?"
"हां, पीयाली... यह सब मैंने सीखा है और बहुत मेहनत भी की है... तो बताओ कैसा लगा मेरा बनाया हुआ यह हेयर स्टाइल?"
मेरे से कुछ बोला नहीं गया मैंने सीधे उठकर टॉम के होठों का एक चुंबन लिया|
टॉम बहुत खुश हुआ!
उसने दोबारा गिलासों में वाइन भरी और एक सिगरेट सुलगा कर उसने मेरी तरफ बढ़ाई|
वहीं पीते-पीते और सिगरेट का कश लेते लेते आखिरकार मैंने टॉम पूछा, "इससे पहले तुमने कितनी लड़कियों को अपनी सर्विस दी है?"
"बहुत सी लड़कियों को... औरतों को... लेकिन यह मेरा ट्रेड सीक्रेट है... वैसे एक बात मैं तुम्हें बताना चाहता हूं... मैं यहां का कोई स्टाफ या कर्मचारी नहीं हो... मैं भी ब्लू मून क्लब का एक मेंबर हूं... लेकिन एक बात मैं जरूर कबूल करूंगा, कि आज से पहले तुम्हारे जैसी सुंदर और जवानी से भरपूर नारी की सेवा करने का मौका मुझे आज तक नहीं मिला... अब तक हमारे बीच जो भी हुआ... सच मानो मुझे बहुत अच्छा लगा"
"हा हा हा”, मैं खुशी और गुरूर के मारे हंस पड़ी और फिर मैंने पूछा, "क्या तुम शादीशुदा हो, टॉम?"
टॉम ने कहा, "नहीं... मैं अपने आपको शादी विवाह के बंधन में बांधना नहीं चाहता था... मुझे अपनी आजादी मेरी जान से भी प्यारी है... तुम अपने बारे में बताओ क्या तुम शादीशुदा हो... दिखने में और तुम्हारी बोली में जो झलक है उससे तो लगता है तुम बंगालन हो"
मैंने गहरी सी सांस छोड़ी और उसके बाद मैंने कहा, "हां शादी तो मेरी हो चुकी है... लेकिन पारिवारिक कारणों के कारण हम लोग ससुराल में नहीं रहते... मेरे पति ने यहां एक रिहायशी इलाके में एक बहुत ही महंगा थ्री बैडरूम फ्लैट खरीद रखा है... लेकिन वह फ्लैट एक खाली खाली बर्तन ही है... मेरे पति मर्चेंट नेवी में है... और साल में ज्यादातर वह बाहर ही बाहर रहा करते हैं"
टॉम ने मुझसे अपनी नजरें हटा कर न जाने किस गहराई में देखने लगा और मन ही मन उसने दो और दो से बाईस का हिसाब लगा लिया|
"क्या सोच रहे हो, टॉम?"
"मैं यही सोच रहा था तुम्हारे जैसी जवान लड़की जिसके आगे पूरी जिंदगी पड़ी हुई है... और अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है ज्यादा से ज्यादा बीस या बाईस साल... तुम्हें कभी कबार बहुत अकेला महसूस होता होगा... क्योंकि यह तो तुम्हारे खेलने कूदने की उम्र है"
अचानक मेरे चेहरे पर एक अजीब सी मायूसी छा गई... और टॉम ने बात को बदलने के लिए मुझे अपनी बाहों में भरकर फिर से कहा, "पीयाली, फिलहाल हम दोनों साथ साथ हैं- मैं तुम्हारे साथ दोबारा एक होना चाहता हूं और हां इस बार भी मैं तुम्हारे अंदर अपना प्यार भर देना चाहता हूं"
मैं समझ गई के टॉम को कच्चे मांस का स्वाद मिल गया है इसलिए वह फिर से मेरे साथ बिना कंडोम के सहवास करना चाहता है. मैंने मुस्कुरा करआंखें मूंदकर बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को जितना फैला सकती थी मैंने फैला दिए...
क्रमशः
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अध्याय १०
आज से पहले मैंने कभी भी इतने कम समय में और इतने कम अंतराल में कभी भी इतनी बार यौन संभोग का अनुभव नहीं किया था|
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं अपनी अतृप्त आत्मा को संतुष्ट करने के लिए अपनी सारी शर्मो हया और पूर्ण भावनाओं को पीछे छोड़ कर एक अनजाने नशे में एक अनजान आदमी के साथ अपनी प्यास बुझा रही थी|
इसलिए मुझे मालूम नहीं मैं कब टॉम के आगोश में सीमेंट कर गहरी नींद में सो गई|
जब धीरे-धीरे मेरी नींद खुली, तब मुझे अपने स्तनों में एक अजीब सी सनसनी सी महसूस हो रही थी... हां, टॉम बड़े चाव से मेरे एक स्तन की चूची को दूसरा था और अपने दूसरे हाथ से दूसरे स्तन की चूची से अपनी उंगलियों से खेल रहा था|
मुझे बस इतना याद है- कि मैं काफी थकी हुई थी, और पहले की तरह टॉम ने मेरे साथ संभोग भी किया था- शायद वह जानता था कि मैं काफी थक चुकी हूं इसलिए उसने तो संभोग की शुरुआत बहुत ही धीरे-धीरे की थी... लेकिन आखिरकार वह एक मर्द है इसलिए... संभोग की चरम सीमा तक पहुंचते-पहुंचते उसकी मैथुन की गति पहले की तरह फिर से बढ़ गई थी... और अंततः उसने मेरी योनि के अंदर दोबारा अपने वीर्य का सैलाब बहा दिया... और उसके बाद न जाने कब मैं उस के आगोश में सिमट कर सो गई थी...
"टाइम क्या हो रहा है, टॉम" मेरी आवाज नींद के मारे अभी भी काफी भारी हो रखी थी|
"दिन ढल चुका है, पीयाली- अब शाम होने को आई है"
"हे भगवान! यहां तो काफी देर हो गई अब मुझे निकलना चाहिए" मेरी काम वाली गोपा मौसी शायद फ्लैट में ताला देखकर एक बार लौट गई होगी और फिर कल सवेरे आ कर उसके पास मेरे लिए कम से कम एक हजार एक सवाल होंगे... क्योंकि उसे मालूम था कि मेरी कॉल सेंटर की नौकरी छूट गई है|
मैं हड़बड़ी में उठने को हुई, लेकिन टॉम ने मुझे हल्के से रोका, "जैसी तुम्हारी मर्जी पीयाली, लेकिन अगर मेरी मानो तो हमारे पास एक और शॉट के लिए अभी वक्त है"
मैं मन ही मन मुस्कुराई, मुझे लग रहा था कि तुम शायद मुझमें कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा है... खैर मुझे कोई दिक्कत नहीं थी| मैं तो एक आलसी विलासी औरत की तरह उसके बिस्तर में नंगी पड़ी हुई थी अगर वह फिर से मेरे साथ सहवास करना चाहता है; तो इसमें हर्ज ही क्या है? और वैसे भी अगर मैं मना भी करूं तो क्या वह सुनने वाला है? और मन ही मन मैं यह चाहती थी कि अगर मैं मना भी करूं तो भी वह ना माने- वह सिर्फ अपनी मनमानी करें|
मैंने कहा, " ओके टॉम जस्ट फक मी"
टॉम बड़े उत्साह के साथ उठकर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गया और उसने दो उंगलियों से मेरी योनि के अधरों को हल्का सा खोला और फिर दोबारा उसने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर डाल दिया... और इस बार भी उसने कंडोम पहनने की जहमत नहीं उठाई|
मैं मन ही मन सोच रही थी... लगता है एक भूखे जानवर को ताजे कच्चे मांस का स्वाद मिल गया है... शायद इतनी देर तक वह मेरी नींद से उठने का इंतजार कर रहा था; और आखिरकार जब उससे रहा नहीं गया तब शायद वह मेरे स्तनों को चूसने लगा होगा ताकि मैं उठ जाऊं, इसलिए टॉम ने बिलकुल भी वक्त नहीं गंवाया, बस बैठकर जुड़ते ही हो जाते ही शुरू हो गया...
मैं भी उसके प्यार के धक्कों से हिलने लगी...
"उउउउह.... आआह.... ममममम.... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है टॉम.... रुको नहीं बस करते रहो.... करते रहो....आहाहा...आहाहाहा..."
जब टॉम ने दोबारा मेरे अंदर अपना वीर्य स्खलन किया तो मैं फूट-फूट कर रोने लगी... लेकिन यह खुशी के आंसू थे...
***
ब्लू मून क्लब में इतना वक्त बिताने के बाद मुझे ऐसा लग रहा था कि बहुत दिनों बाद आज मैंने किसी अच्छे होटल का खाना खाया... और पेट की भूख मिटाने के साथ-साथ मैंने अपनी शरीर और अंतरात्मा की भूख भी मिटाई... और यह संयोग की बात है केक अनजान पराए मर्द के साथ मैंने इतनी देर बिताई; जिसका एक एक पल मेरे लिए जिंदगी के सबसे हसीन लम्हों थे... और ऐसी अनजान आदमी ने कुछ ही घंटों में मेरे अंदर के स्त्रीत्व और कामुकता जैसे जादू से जगा दिया हो... और मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद मैं इस आदमी को न जाने कब से जानती हूं|
मैंने आईने में दोबारा अपनी शक्ल देखी.. मेरी हेयर स्टाइलिंग बिगड़ चुकी थी इसलिए मैंने तुमसे कहा, "टॉम, देखो तुमने मेरे बाल खराब कर दिए... जरा फिर से इनकी सेटिंग कर दो"
टॉम मुस्कुराया, मानो सारी की सारी गलती उसी की है...
उसने कहा, " ओके श्योर, व्हाय नॉट (Ok Sure, Why not)? लेकिन पीयाली मेरी तुमसे एक ही इल्तिजा है..."
"हां हां ठीक है, जब तक तो मेरी हेयर स्टाइलिंग करोगे मैं तुम्हारे साथ नंगी ही बैठी रहूंगी"
टॉम ने उत्साहपूर्वक, हेयर स्प्रे, ड्रायर और एक बड़ी दातों वाली कंघी उठाई और मेरे बालों में कंघी करना शुरू कर दिया... फिर से... बस उसके बाद हाथ और अपनी उँगलियों से अपने बालों को स्टाइल करते हुए, उन पर ब्लो ड्रायर और स्प्रे छिड़कते हुए, वह मेरा रूप निखारने लगा... मैं बस आईने में उसका हुनर देखती ही रह गई...और मैं जानती थी कि उस हुनर का नतीजा बहुत ही खूबसूरत होगा।
"देखो, पीयाली" मेरी स्टाइलिंग खत्म करने के बाद टॉम ने मेरे से कहा|
मैंने नजरें उठाकर अपनी छवि आईने में दोबारा देखी... और देख कर मेरी आंखें भर आई... मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद में पहले से भी बहुत खूबसूरत लग रही हूं|
लेकिन अब जाने का वक्त आ गया था| टॉम ने मुझे ब्लू मून क्लब से दी हुई गाउन पकड़ाई... मैंने गाउन पहनी और टॉम ने अपनी हाफ पेंट और टीशर्ट|
यह पहन कर हम लोग बाहों में बाहें डाल कर कमरे से बाहर निकले| हम लोग गलियारे में अभी दो या चार कदम चले ही थे कि मुझे वह अधेड़ उम्र का आदमी दिख गया जो कि सुबह रिजेक्शन में बैठा था... मेरा अंदाजा सही था| वह भी यहां सर्विस लेने के लिए ही आया था... उसकी बाहों में भी एक बहुत ही कम उम्र की जवान लड़की थी... उस लड़की की उम्र मुश्किल से 19 या 20 साल की ही होगी हालांकि वह थोड़ी सांवली थी लेकिन वह लड़की थी बहुत खूबसूरत| उसका फिगर भी बहुत अच्छा था और उसने भी मेरी तरह सिर्फ ब्लू मून क्लब की स्लीवलैस और घुटनों तक लंबी गाउन पहन रखी थी और मेरी ही तरह उसने भी कोई अंतर्वास नहीं पहन रखा था इसलिए हर कदम पर उसके स्तन भी मेरी तरह कामुकता से कांप रहे थे और यौवन का रस छलका रहे थे|
उस अधेड़ उम्र के आदमी ने भी मुझे देखते ही पहचान लिया... न जाने वह मेरे बारे में क्या सोच रहा था लेकिन... हर मर्द की तरह उसकी नजर पहले मेरे चेहरे पर पड़ी और उसके बाद मेरे स्तनों के ऊपर... मुझे मालूम था कि मेरी गाउन के अंदर से मेरे स्तनों की चूचियां साफ़ उभर कर आई थी...
लिफ्ट से होकर बेसमेंट जब हम पहुंचे तो वहां जद्दनबाई हमारा पहले से इंतजार कर रही थी| टॉम और उस अधेड़ उम्र के आदमी को आदमियों के लॉकर में जाकर कपड़े बदल कर जद्दनबाई ने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा के ऑफिस में जाने को कहा और वह मुझे लड़कियों के लॉकर रूम तक ले गई और बोली कि मैं अपने कपड़े चेंज कर लूं और अपना सामान भी लॉकर से निकाल लूं|
और वह उस सांवली लड़की को अपने साथ लॉकर रूम में लगे बाथरूम में नहलाने के लिए ले गई| शायद यही उसका काम था| जो लड़कियां सर्विस देकर आती थी; जद्दनबाई उनको सर्विस के बाद नहला दिया करती थी|
मैं समझ गई कि शायद जद्दनबाई जानती थी की फुल पैकेज की बदौलत मेरा नहाना धोना यहां तक कि हेयर स्टाइलिंग भी हो चुका है इसलिए शायद उसने मुझे बाथरूम में आने के लिए नहीं कहा|
क्रमशः
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