28-07-2022, 02:40 PM
लॉकडाउन में दीदी फिर से चुद गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest लॉकडाउन में दीदी फिर से चुद गई
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28-07-2022, 02:40 PM
लॉकडाउन में दीदी फिर से चुद गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-07-2022, 02:41 PM
री गर्लफ्रेंड है जिसका नाम आँचल है। वो बहुत ही सेक्सी लड़की है। उसकी हाइट बहुत लंबी है और कमर एकदम पतली। उस पर काफी लड़के फ़िदा थे लेकिन वो मेरी ही किस्मत में लिखी थी।
गर्लफ्रेंड की चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आता था. आंचल की मुझे एक बात अच्छी लगती थी कि वो मेरी बहन युविका की तरह ज्यादा खुले विचारों वाली नहीं थी. मगर उसकी एक बात मुझे बुरी भी लगती थी कि उसे चुदाई करवाना ज्यादा पसंद नहीं था. जब भी मैं उसकी चूत चोदने की बात करता या सेक्स करने के लिए रिक्वेस्ट करता तो वो मुझे हमेशा ये सब करने के लिए मना कर देती थी। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण मैं उसे इन 2 सालों में सिर्फ 8-10 बार ही चोद पाया था। इतना तो मैं अपनी दीदी को एक दिन में ही चोद दिया करता था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-07-2022, 02:43 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:20 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरी दीदी की एक सहेली थी जिसका नाम अरुणा था। किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो गयी। उनका घर हमारे शहर में ही था।
ये बात जब युविका दीदी को पता चली तो वो बहुत दुखी हुई और वो अपनी सहेली को अंतिम विदाई देने के लिए हमारे घर आ गयी। उस दिन मैं घर में नहीं था और न ही मुझे दीदी के आने की खबर थी। मैं रात को 9 बजे घर आया। मैंने घर की घण्टी बजायी तो दीदी ने दरवाजा खोला। मैं दीदी को देख कर भौंचक्का रह गया। मैंने दीदी को 2 साल से नहीं देखा था। मुझे यकीन करने में थोड़ा समय लग गया कि क्या ये दीदी ही है? मेरे मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूं? फिर दीदी ने ही पहल की और कहा- अंदर आएगा या यहीं खड़ा रहेगा? उसके टोकने पर मैं अंदर आ गया और दीदी ने दरवाजा बंद कर दिया। दीदी- कैसा है? मैंने हिचकिचाते हुआ कहा- ठीक हूँ। दीदी- इतना डर क्यूँ रहा है, मैं क्या चुड़ैल दिख रही हूँ? मैंने इस पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और दीदी को जी भर कर देखता रहा। इतने में मम्मी ने कहा- आ जा हाथ मुंह धो ले और खाना खा ले। उसके बाद मैं गया और फ्रेश होकर आया. फिर सब लोग खाना खाने बैठ गए। इतने में कमरे के अंदर से दीदी के बेटे की रोने की आवाज़ आने लगी। तब मुझे याद आया कि दीदी का बच्चा भी हो गया है। दीदी बच्चे के पास चली गयी और हमने खाना खाया और मैं सीधा अपने कमरे में चला गया। वहाँ मैं सोचने लगा कि वक्त कितनी तेजी से गुजर गया. पहले भाई बहन के बीच इतनी लड़ाई होती थी और फिर सेक्स भी होने लग गया और दीदी की शादी हो गयी और अब देखो, अब दीदी का बच्चा भी हो गया है। ऐसा सोचते सोचते मैं सो गया। सुबह मैं थोड़ा लेट उठा। मुझे दीदी से बात करने में पता नहीं क्यूँ थोड़ा अजीब लग रहा था। मगर मैंने अपने आप को संभाला और शांत होने की कोशिश की। अब मैंने दीदी की नज़रों में नज़रें मिलाना शुरू कर दिया और कुछ बातें करने लगा। मैंने दीदी से कहा- तुम तो पूरी बदल गयी हो। लग ही नहीं रहा कि तुम वही पुरानी युविका हो। दीदी- हाँ, बदल तो गयी हूँ, पर तुम अभी भी वैसे ही हो। इस तरह हमने बहुत सी बातें कीं और सब कुछ नार्मल हो गया। तभी मुझे पता चला कि पापा-मम्मी मेरी नानी के घर जा रहे हैं जहाँ भागवत चल रहा है। मुझे इसलिए नहीं बताया क्यूंकि मैं ऐसे कार्यक्रमों में नहीं जाता था। फिर मुझे पता चला कि दीदी भी आज ही चली जायेगी और अपनी सहेलियों से मिलेगी और वहीं से एक हफ्ते बाद वो भी वापस चली जायेगी। ये सुनकर पता नहीं क्यों मुझे बहुत दुःख हुआ। 2 घण्टे बाद सब लोग चले गए और मैं भी बाहर चला गया। शाम को मैं जब घर आया तो सोते हुए मुझे दीदी के ख्याल आने लगे। मेरे दिल में दीदी के लिए फिर से इच्छायें जागने लगीं। तब मैंने ध्यान दिया कि दीदी का शरीर अब थोड़ा मोटा हो गया है मगर साथ ही अब उनके स्तन और चूतड़ बहुत बड़े बड़े हो गए हैं। लगता है कि जीजा जी ने दीदी को बहुत चोदा होगा। दीदी जब चलती है तो उसके चूतड़ों को देख कर बहुत अच्छी फीलिंग आती है। दीदी का रंग भी पहले से बहुत ज्यादा निखर गया था और एक लाली सी आ गयी थी उसके बदन पर। ये सोच सोच कर मैं पागल होने लगा और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। उत्तेजित होकर मैंने जल्दी से अपनी गर्लफ्रेंड की नंगी फ़ोटो देख कर मुठ मारी और सो गया। अगले दिन मैं अपनी गर्लफ्रेंड आँचल को बाहर घुमाने ले गया और सारा दिन उसे घुमाया। बाद में मैंने उसे चुदाई के लिए पूछा तो उसने कहा कि अभी उसके पीरियड्स हैं तो वो चुदाई के लिए तैयार नहीं है। तो मैंने उसे ज्यादा फोर्स भी नहीं किया और न ही ज्यादा कुछ बोला. फिर हम घूम फिर कर वापस घर आ गये. ये उन दिनों की बात है जब शुरू शुरू में कोरोना वायरस के चलते दुनिया में चारों और उथल पुथल मचने लगी थी। फिर भारत में भी मामले आने शुरू हो गये. पहले तो मैं आसानी से बाहर घूम रहा था मगर बाद में घूमने पर प्रतिबन्ध लगने लगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू हो गया। इसके चलते दीदी किसी जगह अपने बच्चे के साथ फंस गई। दीदी अपनी सहेलियों के साथ होटल में ही रही किंतु बाद में होटल भी बंद हो गया. होटल बंद हो जाने के बाद दीदी किसी तरह से हमारे घर तक पहुंच पाई. मगर मम्मी पापा भी बाहर गये हुए थे तो वो भी नहीं लौट पाये. अब घर में दीदी और मैं ही थे। मेरे मन में दीदी को चोदने के बहुत ख्याल आया रहे थे मगर किसी तरह मैंने इन पर काबू रखा। दीदी ने बताया कि उसका पति 2 दिन बाद उसे लेने आ जायेगा और फिर वो चली जायेगी। ये सुन कर मेरे अंदर से आवाज़ आने लगी कि मैं दीदी को इन 2 दिनों में चोद सकता हूँ। मगर मेरे सामने मुश्किल ये थी कि मुझे दीदी को सेक्स के बारे में पूछने में डर लग रहा था। उस दिन मैंने दीदी के बदन को बहुत गौर से देखा। तभी दीदी का बेटा रोने लगा. वो उसे चुप करा रही थी और मेरे सामने ही बैठी हुई थी. वो चुप नहीं हो रहा था इसलिए दीदी ने अपना कमीज उठा कर अपनी चूची को बाहर निकाल लिया और बच्चे के मुंह पर अपना निप्पल लगा दिया. वो मेरे सामने ही उसको दूध पिलाने लगी. दीदी के स्तन देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं गर्म होने लगा. मेरा मन दीदी की चुदाई के लिए मचलने लगा. मैंने निश्चय कर लिया कि आज दीदी से चुदाई के लिए पूछ कर ही रहूँगा। दीदी बच्चे को दूध पिला ही रही थी कि मैंने दीदी से बातें करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में दीदी का बेटा सो गया और दीदी उसे लिटा कर आ गयी। हमने बहुत बातें की और अब हम दोनों इतने घुल मिल गए थे कि सब पहले की तरह हो गया। मैंने मौका देखते ही दीदी से कहा- दीदी, मुझे पुराने दिन बहुत याद आते हैं। ये सुन कर दीदी थोड़ी देर चुप हो गयी और थोड़ी देर में एक लंबी सांस लेकर बोली- वैसे आजकल नीचे वो कॉलेज बस नहीं दिखती और न ही दास अंकल? उसके सवाल पर मैं बोला- हां, आजकल बस कॉलेज में ही खड़ी होती है और ड्राइवर अंकल भी वहीं रहते हैं और दास अंकल भी रिटायर हो गए हैं, उनकी जगह उनका बेटा होता है। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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28-07-2022, 02:43 PM
(28-07-2022, 02:40 PM)neerathemall Wrote: .......................................................
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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28-07-2022, 04:12 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:24 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दीदी बच्चे को दूध पिला ही रही थी कि मैंने दीदी से बातें करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में दीदी का बेटा सो गया और दीदी उसे लिटा कर आ गयी। हमने बहुत बातें की और अब हम दोनों इतने घुल मिल गए थे कि सब पहले की तरह हो गया।
मैंने मौका देखते ही दीदी से कहा- दीदी, मुझे पुराने दिन बहुत याद आते हैं। ये सुन कर दीदी थोड़ी देर चुप हो गयी और थोड़ी देर में एक लंबी सांस लेकर बोली- वैसे आजकल नीचे वो कॉलेज बस नहीं दिखती और न ही दास अंकल? उसके सवाल पर मैं बोला- हां, आजकल बस कॉलेज में ही खड़ी होती है और ड्राइवर अंकल भी वहीं रहते हैं और दास अंकल भी रिटायर हो गए हैं, उनकी जगह उनका बेटा होता है। दीदी ने हंसते हुए कहा- अच्छा तो मेरी चुदाई की ये सज़ा मिली उन्हें? इस पर हम हंसने लगे। दीदी ने फिर कहा- तेरी वो गर्लफ्रेंड अभी भी है या ब्रेकअप हो गया? मैं- नहीं, अभी ब्रेकअप नहीं हुआ है, वो है अभी। न मैं उसको छोड़ सकता हूँ और न वो मुझे छोड़ सकती है। दीदी- तो उसके होते हुए तू मुझे फिर से पटाने की कोशिश क्यूँ कर रहा है? इस पर मैं बोला- दीदी, उसे चुदाई और सेक्स ये सब ज्यादा पसंद नहीं है। इसलिए वो मुझे ज्यादा करने नहीं देती. रही बात आपको पटाने की तो 3 साल हो गए हैं आपके साथ सेक्स किये। उसके बाद इतना मजा कभी आया ही नहीं, तो सोचा 2 साल बाद मिले हैं और परसों तुम चली जाओगी तो एक बार पूछ लेता हूँ। दीदी थोड़ी देर चुप रही और कुछ देर बाद उसने कहा- ठीक है। आखिर तुम मेरे भाई हो और उस समय तुमने मेरी भी प्यास बुझाई थी, तो ठीक है मैं तैयार हूँ। आज रात और कल पूरा दिन तुम मुझे जितना चोदना चाहते हो चोद लेना, मगर इसके बाद इसके लिए कभी मत पूछना। ये सुन कर मैं बहुत खुश हो गया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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28-07-2022, 04:13 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:28 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं- अरे दीदी! तुम बहुत अच्छी हो। मैं वादा करता हूँ कि मैं आपको इस समय में बहुत मजे दूंगा।
फिर हम दोनों हंसने लगे। रात हो चुकी थी और उस समय बाहर जाने पर प्रतिबन्ध लग गया था। मैं- दीदी! बाहर जाने में बहुत खतरा है लेकिन मैं आपके लिए कोई भी रिस्क लेने के लिए तैयार हूं. मैं बाहर जाकर कॉन्डोम और दवाईयां लेकर आ जाता हूं. तभी दीदी ने मुझे रोकते हुए कहा- इसकी जरूरत नहीं है।. अब तू मुझे बिना कंडोम के भी चोदेगा तो मैं प्रग्नेंट नहीं हो सकती हूं। सेफ पीरियड चल रहा है । ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गया। मैंने दीदी को अपनी ओर खींचा और उसे अपनी बांहों में लेकर जल्दी से किस करना शुरू कर दिया. मगर दीदी ने मुझे हटा दिया और बोली- पहले खाना बना लेते हैं,'' और उसके बाद''। मुझे सेक्स करने की जल्दी थी और दीदी की चूत में लंड पेलने की भी बहुत जल्दी थी. मैंने दीदी से कहा कि मुझे भूख नहीं है, अगर तुम्हें भूख लगी है तो दूध पी लेना, उससे तुम्हारी भी भूख कम हो जायेगी. इतना कह कर मैं दीदी को फिर से किस करने लगा और अब दीदी भी मेरा साथ देने लगी। मुझे तो पुराने दिनों की याद आने लगी। मैं दीदी के ऊपर लेट गया था। किस करते करते हम दोनों बहुत जोश में आ गए थे। तभी मैं दीदी के ऊपर से उठा और मैंने कहा- दीदी तुम्हारे स्तन और चूतड़ बहुत बड़े बड़े हो गए हैं। मैं उन्हें देखना चाहता हूँ। दीदी बोली- हां तो देख ले, ऐसे बोल रहा है जैसे पहले तूने कभी मेरे चूतड़ और चूचियां देखी ही नहीं हों. मैं बोला- देखी हैं लेकिन अब अलग ही मजा है उनको देखने का. इतना कह कर मैंने दीदी की कमीज़ खोल दी और पाया कि अंदर दीदी ने पिंक कलर की सेक्सी सी ब्रा पहनी थी। मुझसे ज्यादा वेट नहीं हुआ और मैंने ब्रा खोल दी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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28-07-2022, 04:14 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:39 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ब्रा खोलते ही दीदी के बड़े बड़े स्तन मेरे सामने आ गए। मैंने सोचा भी नहीं था कि दीदी के स्तन इतने बड़े हो गये होंगे।
मैंने दीदी से पूछा- दीदी आप तो किसी को अपने चूचे छूने तक नहीं देती थी, तो अब ये इतने बड़े कैसे हो गए? दीदी ने कहा- ये तेरे जीजा की करामात है। उनको इनके साथ खेलना बहुत पसंद है। सुहागरात वाले दिन उन्होंने मेरे स्तनों को बहुत मरोड़ा। इतना मरोड़ा था कि तीन दिन तक दर्द होता रहा । ये सुनकर मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड कड़क हो गया। मैं भी दीदी के बूब्स के साथ उसी तरह से खेलना चाहता था इसलिए मैंने युविका के स्तनों को ज़ोर से दबा दिया. मेरी पकड़ कुछ ज्यादा ही टाइट थी जिससे दीदी को दर्द हो गया और दीदी ने मुझे हटा दिया। मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी? दीदी बोली- तू इनके साथ नहीं खेल सकता। अभी मैं नयी नयी माँ बनी हूँ, इसलिए मेरे स्तनों में दूध है और इतनी जोर से दबाने से इनमें दर्द होता है। तभी मैंने ध्यान दिया कि मैंने दीदी के स्तन इतनी जोर से दबा दिये थे कि उनसे दूध निकल गया था और निप्पल के आसपास का एरिया और नीचे तक उसके स्तन दूध से सन से गये थे. मैंने धीरे से दीदी के दूध लगे चूचों पर अपनी जीभ से चाट लिया. दीदी भी थोड़ी कामुक हो गयी और मेरा लंड भी अकड़ कर दर्द करने लगा. अब शायद दोनों ही भाई बहन उन पुराने दिनों की यादों को फिर से ताज़ा करने के लिए तैयार हो गये थे. मैंने कहा- दीदी मुझे माफ़ करना, मुझे ये पता नहीं था। मैंने दीदी से पूछा- क्या मैं तुम्हारा दूध पी सकता हूँ दीदी? दीदी बोली- पी ले, मगर सारा मत निचोड़ लेना, मुझे मेरे बेटे के लिए भी थोड़ा बचा कर रखना है, अगर वो रात में जाग गया तो फिर मैं दूध कहां से लाऊंगी? मैं बोला- ठीक है दीदी, सारा नहीं पीऊंगा. मैंने दीदी को सोफे पर फिर से लिटा दिया और दोनों स्तनों को बारी बारी से चाट्ने लगा। कभी एक निप्प्ल को तो कभी दूसरे निप्प्ल को सिर्फ जीभ की नोक से । और अब थोडा जोर से जीभ से दबाया तो दीदी सिस्कारी लेने लगी । अब मैंने उनके एक चूचुक को होठो मे लेकर दबा लिया और धीरे -धीरे चूसने लगा ,कुछ देर के बाद दूसरे स्त्न के साथ भी यही किया अब दीदी थोडी जोर से सांसे लेने लगी थी । दीदी का दूध बहुत ही गर्म था और बहुत स्वादिष्ट भी। मैंने दोनों स्तनों से थोड़ा थोड़ा दूध पिया और फिर नीचे की तरफ आ गया। फिर मैंने दीदी की सलवार के ऊपर से उनकी चूत पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया और साथ ही दीदी का दूध भी पीता रहा। बीच बीच में मैं अपने हाथ की रफ़्तार तेज़ कर देता था ।जिससे दीदी उत्तेजित हो रही थी । जब जब मैं ऐसा करता तो दीदी अपनी टांगें थोड़ी सी उठा देती थी और उन्हें सिकोड़ने की कोशिश करने लगती। उसके बाद मैंने दीदी की सलवार खोल दी। अंदर दीदी ने पिंक कलर की पैंटी पहनी थी जो कि मेरे हाथ फेरने से गीली हो गई थी। मैं दीदी की चूत के दर्शन करने के लिए बेताब हो उठा था। इसलिए मैंने दीदी की पैंटी खोल दी। जैसे ही मैंने दीदी की पैंटी खोली तो देखा कि दीदी की चूत तो एक दम साफ़ थी, मगर अब उस चूत का भोसड़ा बन चुका था। चूत देख कर मैंने कहा- दीदी, ये क्या हो गया है! दीदी ने हंसते हुए कहा- “ये भी तेरे जीजा की ही करामात है। वो मुझे बहुत चोदते हैं। ये तो आजकल बच्चा हुआ है तब छोड़ा है नहीं तो पहले तो वो बहुत चोदते थे मुझे। मगर फिलहाल अभी ये चूत तेरी है। तू जो करना चाहता है इसके साथ, कर सकता है। ये सुनकर मैं फिर से गर्म हो गया। मुझे ख़ुशी थी कि चलो आज दीदी को फिर से चोदने की ख्वाहिश तो पूरी होगी। मैंने जल्दी से दीदी की गीली चूत पर ज़ोर का किस किया जिससे दीदी की एक मादक सी आह्ह … निकल गयी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-07-2022, 04:29 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:42 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अब दीदी ने मेरे कपडे उतारने का इशारा किया ,फिर दीदी ने मेरे कपडे उतारने मे मदद की , और खडे होकर आलिंगन बद्ध हो गई । अब हम अपने बदन की गर्मी महसूस कर रहे थे उनके हाथ मेरे बदन पर और मेरे हाथ उनके बदन पर फिसल रहे थे । एकाएक उनके होठ मेरे होठो से चिपक गये ।हिर उन्होने अपनी जीभ मेरे मुँह मे घुसा दी ,कितना उत्तेजक दर्श्य था । मेरा लंड खडा था ।उसके अंदर अजीब सी उत्तेजना फैल रही थी जिसका वर्णन करना शब्दो मे संभव नही था ।इसके बाद दीदी मेरे बदन को अपनी जीभ से चाट्ने लगी और चाट्ते चाटते मेरे निप्पल चाट्ने लगी ,इससे पहले किसी ने मेरे निप्पल मेरी गर्लफ्रेंड ने भी नही छुए थे ,अजीब सी उत्तेजक अनुभूति थी ,चाटते -चाट्ते उन्होने चुचूक् को दांत मे दबा लिया ,आह क्या उत्तेजक अनुभूति थीं ।जब जब वो मेरे चुचूक को काट्ती तब तब मेरे लंड मे अजीब सी अनुभूति होती थी जो अनिर्वचनीय थी मै भी उनके स्तनो को अपने हाथो मे ले कर दबा रहा था ,पर मै उनके स्त्नो को मुँह मे नही ले पा रहा था ।अब मैं ने दीदी को बेड पर चलने का इशारा किया ,और उन्हे बेड पर लिटा दिया और खुद जमीन पर खडा होकर उनके स्तनो के चुचूक को मुँह मे लेकर पह्ले चूसा और फिर उनहे अपने दांतो मे दबा कर ह्ल्के से काट्ने लगा ,थोडी ही देर मे उनके मुँह मे से उत्तेजक सिसकारियाँ निकल्ने लगी ।अब उनहोने मुझे अपनी ओर कर के मेरे चुकूक को भी अपने मुँह मे ले कर अपने दांतो मे दबा लिया अब हम दोनो अर्द्ध 69 की स्तिथि मे एक दूसरे के चुचूको को दांतो मे दबा कर एक दूसरे की उत्तेजना बडा रहे थे |
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
28-07-2022, 04:33 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-09-2022, 07:05 PM
(This post was last modified: 02-09-2022, 11:42 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(28-07-2022, 02:40 PM)neerathemall Wrote:पिक्स जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 11:11 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 11:12 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 11:44 AM
,,,,,,,,,,,,,,,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 11:46 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 07:08 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-09-2022, 07:09 PM
ok sir Alex Ferguson
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
08-09-2022, 06:16 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
08-09-2022, 06:57 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
08-09-2022, 06:58 PM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
15-09-2022, 01:47 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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